Right to Education Act (RTE) – 2009 for CTET, MPTET, REET and all State TETs

Right to Education Act (RTE) – 2009 for CTET, MPTET, REET and all State TETs

भारत देश में 6 से 14 वर्ष के हर बच्चे को नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने के लिए शिक्षा आधिकार अधिनियम 2009 बनाया गया है। यह पूरे देश में अप्रैल 2010 से लागू किया गया है।

संविधान (छियासीवां संशोधन) अधिनियम, 2002 ने भारत के संविधान में अंत: स्‍थापित अनुच्‍छेद 21-क, ऐसे ढंग से जैसाकि राज्‍य कानून द्वारा निर्धारित करता है, मौलिक अधिकार के रूप में छह से चौदह वर्ष के आयु समूह में सभी बच्‍चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान करता है। नि:शुल्‍क और अनिवार्य बाल शिक्षा (आरटीई) अधिनियम, 2009 में बच्‍चों का अधिकार, जो अनुच्‍छेद 21क के तहत परिणामी विधान का प्रतिनिधित्‍व करता है, का अर्थ है कि औपचारिक स्‍कूल, जो कतिपय अनिवार्य मानदण्‍डों और मानकों को पूरा करता है, में संतोषजनक और एकसमान गुणवत्‍ता वाली पूर्णकालिक प्रांरभिक शिक्षा के लिए प्रत्‍येक बच्‍चे का अधिकार है।

अनुच्‍छेद 21-क और आरटीई अधिनियम 1 अप्रैल, 2010 को लागू हुआ। आरटीई अधिनियम के शीर्षक में ”नि:शुल्‍क और अनिवार्य” शब्‍द सम्मिलित हैं। ‘नि:शुल्‍क शिक्षा’ का तात्‍पर्य यह है कि किसी बच्‍चे जिसको उसके माता-पिता द्वारा स्‍कूल में दाखिल किया गया है, को छोड़कर कोई बच्‍चा, जो उचित सरकार द्वारा समर्थित नहीं है, किसी किस्‍म की फीस या प्रभार या व्‍यय जो प्रारंभिक शिक्षा जारी रखने और पूरा करने से उसको रोके अदा करने के लिए उत्‍तरदायी नहीं होगा। ‘अनिवार्य शिक्षा’ उचित सरकार और स्‍थानीय प्राधिकारियों पर 6-14 आयु समूह के सभी बच्‍चों को प्रवेश, उपस्थिति और प्रारंभिक शिक्षा को पूरा करने का प्रावधान करने और सुनिश्चित करने की बाध्‍यता रखती है। इससे भारत अधिकार आधारित ढांचे के लिए आगे बढ़ा है जो आरटीई अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार संविधान के अनुच्‍छेद 21-क में यथा प्रतिष्‍ठापित बच्‍चे के इस मौलिक अधिकार को क्रियान्वित करने के लिए केन्‍द्र और राज्‍य सरकारों पर कानूनी बाध्‍यता रखता है।

आरटीई अधिनियम निम्‍नलिखित का प्रावधान करता है :

  1. प्रत्येक बच्चे को उसके निवास क्षेत्र के एक किलोमीटर के भीतर प्राथमिक स्कूल और तीन किलोमीटर के अन्दर-अन्दर माध्यमिक स्कूल उपलब्ध होना चाहिए। निर्धारित दूरी पर स्कूल नहीं हो तो उसके स्कूल आने के लिए छात्रावास या वाहन की व्यवस्था की जानी चाहिए।
  2. बच्चे को स्कूल में दाखिला देते समय स्कूल या व्यक्ति किसी भी प्रकार का कोई अनुदान नहीं मांगेगा, इसके साथ ही, बच्चे या उसके माता-पिता या अभिभावक को साक्षात्कार देने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा। अनुदान की राशि मांगने या साक्षात्कार लेने के लिए भारी दंड का प्रावधान है।
  3. विकलांग बच्चे भी मुख्यधारा की नियमित स्कूल से शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं।
  4. किसी भी बच्चे को आवश्यक कागजों की कमी के कारण स्कूल में दाखिला लेने से नहीं रोका जा सकता है, स्कूल में प्रवेश प्रक्रिया पूरी होने के बाद भी किसी भी बच्चे को प्रवेश के लिए मना नहीं किया जाएगा और किसी भी बच्चे को प्रवेश परीक्षा देने के लिए नहीं कहा जाएगा।
  5. किसी भी बच्चे को किसी भी कक्षा में (फेल करके) नहीं रोका जाएगा और आठ साल तक की शिक्षा पूरी करने तक किसी भी बच्चे को स्कूल से नहीं हटाया जाएगा।
  6. स्कूलों में शिक्षकों और कक्षाओं की संख्या पर्याप्त मात्रा में रहेगी (हर 30 बच्चों पर एक शिक्षक, हर शिक्षक के लिए एक कक्षा और प्रिंसिपल के लिए एक अलग कमरा उपलब्ध करवाया जाएगा।)
  7. कोई भी शिक्षक/शिक्षिका निजी शिक्षण या निजी शिक्षण गतिविधि नहीं चलाएगा/चलाएगी।
  8. स्कूलों में लड़कियों और लड़कों के लिए अलग शौचालय की व्यवस्था की जाएगी।
  9. किसी भी बच्चे को मानसिक यातना या शारीरिक दंड नहीं दिया जाएगा।
  10. इस अधिनियम के तहत, शिकायत निवारण के लिए ग्राम स्तर पर पंचायत, क्लस्टर स्तर पर क्लस्टर संसाधन केन्द्र (सीआरसी), तहसील स्तर पर तहसील पंचायत, जिला स्तर पर जिला प्राथमिक शिक्षा अधिकारी की व्यवस्था है।

HINDI- कुछ प्रचलित लोकोक्तियाँ For CTET, all State TETs, KVS, NVS, DSSSB etc

1. अधजल गगरी छलकत जाए-(कम गुणवाला व्यक्ति दिखावा बहुत करता है)- श्याम बातेंतो ऐसी करता है जैसे हर विषय में मास्टर हो,वास्तव में उसे किसी विषय का भी पूरा ज्ञान नहीं-अधजल गगरी छलकत जाए।

2. अब पछताए होत क्या, जब चिड़ियाँ चुग गईखेत-(समय निकल जाने पर पछताने से क्या लाभ)-सारा साल तुमने पुस्तकें खोलकर नहीं देखीं। अबपछताए होत क्या, जब चिड़ियाँ चुग गई खेत।

3. आम के आम गुठलियों के दाम-(दुगुना लाभ)-हिन्दी पढ़ने से एक तो आप नई भाषा सीखकरनौकरी पर पदोन्नति कर सकते हैं, दूसरे हिन्दी के उच्च साहित्य का रसास्वादन कर सकते हैं, इसेकहते हैं-आम के आम गुठलियों के दाम।

4. ऊँची दुकान फीका पकवान-(केवल
ऊपरी दिखावा करना)- कनॉटप्लेस के अनेक स्टोर बड़े प्रसिद्ध है, पर सब घटिया दर्जे का माल बेचतेहैं। सच है, ऊँची दुकान फीका पकवान।

5. घर का भेदी लंका ढाए-(आपसी फूट के कारण भेदखोलना)-कई व्यक्ति पहले कांग्रेस में थे, अबजनता (एस) पार्टी में मिलकर काग्रेंस की बुराईकरते हैं। सच है, घर का भेदी लंका ढाए।

6. जिसकी लाठी उसकी भैंस-(शक्तिशाली की विजय होती है)- अंग्रेजों ने सेना के बल पर बंगाल परअधिकार कर लिया था-जिसकी लाठी उसकी भैंस।

7. जल में रहकर मगर से वैर-(किसी के आश्रय मेंरहकर उससे शत्रुता मोल लेना)- जो भारत मेंरहकर विदेशों का गुणगान करते हैं, उनके लिएवही कहावत है कि जल में रहकर मगर से वैर।

8. थोथा चना बाजे घना-(जिसमें सत नहीं होता वहदिखावा करता है)- गजेंद्र नेअभी दसवीं की परीक्षा पास की है, औरआलोचना अपने बड़े-बड़े गुरुजनों की करता है।थोथा चना बाजे घना।

9. दूध का दूध पानी का पानी-(सच और झूठका ठीक फैसला)- सरपंच ने दूध
का दूध,पानी का पानी कर दिखाया, असली दोषी मंगूको ही दंड मिला।

10. दूर के ढोल सुहावने-(जो चीजें दूर सेअच्छी लगती हों)- उनके मसूरी वाले बंगले की बहुत प्रशंसा सुनते थे किन्तु वहाँ दुर्गंध के मारे तंग आकर हमारे मुख से निकल ही गया-दूर के ढोलसुहावने।

11. न रहेगा बाँस, न बजेगी बाँसुरी-(कारण के नष्ट होने पर कार्य न होना)- सारा दिन लड़के आमों केलिए पत्थर मारते रहते थे। हमने आँगन में से आमका वृक्ष की कटवा दिया। न रहेगा बाँस, नबजेगी बाँसुरी।

12. नाच न जाने आँगन टेढ़ा-(काम
करना नहीं आना और बहाने बनाना)-जब रवींद्र नेकहा कि कोई गीत सुनाइए, तो सुनील बोला, ‘आजसमय नहीं है’। फिर किसी दिन कहा तो कहने लगा,‘आज मूड नहीं है’। सच है, नाच न जाने आँगनटेढ़ा।

13. बिन माँगे मोती मिले, माँगे मिले न भीख-(माँगेबिना अच्छी वस्तु की प्राप्ति हो जाती है, माँगने परसाधारण भी नहीं मिलती)- अध्यापकों ने माँगों केलिए हड़ताल कर दी, पर उन्हें क्या मिला ? इनसेतो बैक कर्मचारी अच्छे रहे,उनका भत्ता बढ़ा दिया गया। बिन माँगे मोती मिले,माँगे मिले न भीख।

14. मान न मान मैं तेरा मेहमान-(जबरदस्ती ­किसी का मेहमान बनना)-एक अमेरिकन कहनेलगा, मैं एक मास आपके पास रहकर आपके रहन-सहन का अध्ययन करूँगा। मैंने मन में कहा, अजबआदमी है, मान न मान मैं तेरा मेहमान।

15. मन चंगा तो कठौती में गंगा-(यदि मन पवित्र हैतो घर ही तीर्थ है)-भैया रामेश्वरम जाकर क्या करोगे ? घर पर ही ईशस्तुति करो। मनचंगा तो कठौती में गंगा।

16. दोनों हाथों में लड्डू-(दोनों ओर लाभ)- महेंद्रको इधर उच्च पद मिल रहा था और उधरअमेरिका से वजीफा उसके तो दोनों हाथों में लड्डू थे।

17. नया नौ दिन पुराना सौ दिन-(नई वस्तुओंका विश्वास नहीं होता, पुरानी वस्तु टिकाऊहोती है)- अब भारतीय जनता का यह विश्वास हैकि इस सरकार से तो पहली सरकार फिर भी अच्छी थी। नया नौ दिन, पुराना नौ दिन।

18. बगल में छुरी मुँह में राम-राम-(भीतर सेशत्रुता और ऊपर से मीठी बातें)-साम्राज्यवादी आज भी कुछ
राष्ट्रों को उन्नति की आशा दिलाकर उन्हें अपनेअधीन रखना चाहते हैं, परन्तु अब सभी देश समझगए हैं कि उनकी बगल में छुरी और मुँह में राम-रामहै।

19. लातों के भूत बातों से नहीं मानते-
(शरारती समझाने से वश में नहीं आते)- सलीमबड़ा शरारती है, पर उसके अब्बा उसे प्यार सेसमझाना चाहते हैं। किन्तु वे नहीं जानतेकि लातों के भूत बातों से नहीं मानते।

20. सहज पके जो मीठा होय-(धीरे-धीरे किए जानेवाला कार्य स्थायी फलदायक होता है)- विनोबा भावेका विचार था कि भूमि सुधार धीरे-धीरे औरशांतिपूर्वक लाना चाहिए क्योंकि सहज पकेसो मीठा होय।

Teaching Method of Child Psychology / शिक्षा मनोविज्ञान की अध्ययन विधियाँ

शिक्षा मनोविज्ञान की अध्ययन विधियाँ-

शिक्षा मनोविज्ञान के तहत अध्ययन की अनेक विधियां हैं। इन विधियों में कुछ प्राचीन हैं तो कुछ नई विधियां है। सभी विधियां एक दूसरे से अलग हैं और इनमें से विधियों के नाम और उनके प्रवर्तकों के संबंध में सवाल पूछे जाते हैं। ये वे विधियां हैं जिनमें से सवाल लगातार आते रहे हैं। सभी परीक्षाओं में ये विधियां समान रूप से उपयोग साबित हुई हैं।

1 अन्त:दर्शन विधि
प्रवर्तक:- विलियम वुंड तथा टिचनर
अन्त:दर्शन का अर्थ है अंदर की ओर देखना। इस विधि में स्वयं के व्यवहार का अवलोकन किया जाता है। यह मनोविज्ञान की सबसे प्राचीन विधि बताई जाती है। इसे आत्मनिरीक्षण विधि भी कहा जाता है। इसमें व्यक्ति स्वयं की मानसिक क्रियाओं का अध्ययन करता है।
2 बहिर्दर्शन विधि
प्रवर्तक:- जेबी वाटसन
वाटसन व्यवहारवाद के जनक थे। इस विधि में अन्य किसी व्यक्ति के व्यवहार का अवलोकन किया जाता है।
3 जीवनवृत विधि
प्रवर्तक:- टाइडमैन
इस विधि में केस हिस्ट्री पर ध्यान दिया जाता है। यह विधि चिकित्सा क्षेत्र में अत्यंत उपयोगी है, लेकिन आजकल इसका उपयोग शिक्षा के क्षेत्र में भी किया जाने लगा है। इस विधि का मुख्य उददेश्य व्यक्ति के किसी विशिष्ट व्यवहार के कारणों की खोज करना है।
जैसे कोई बच्चा पढऩे में बहुत कमजोर या बहुत तेज है तो इस विधि से यह जानने का प्रयास किया जाता है कि इसके पीछे कारण क्या है।
4 मनोविश्लेषण विधि
प्रवर्तक:- सिग्मंड फ्रायड
यह विधि मन के विश्लेषण पर आधारित है और इसमें व्यक्ति के अचेतन मन का अध्ययन किया जाता है।
5 प्रश्नावली विधि
प्रवर्तक:- वुडवर्थ
इस विधि के माध्यम से एक ही समस्या पर अनेक व्यक्तियों की राय ली जाती है। यानि एक ही समस्या पर विभिन्न व्यक्तियों के विचार जाने जाते हैं।
6 समाजमीति विधि
प्रवर्तक:- जेएल मोरिनो
इस विधि का प्रयोग समाज मनोविज्ञान में किया जाता है। यह एक नवीन विधि है।
7 प्रयोगात्मक विधि या परीक्षण विधि
प्रवर्तक:- विलियम वुण्ट
इस विधि में चरों और घटनाओं के मध्य सम्बन्धों की की खोजबीन की जाती है। यानी चरों और घटना के बीच सम्बंध का पता लगाया जाता है।
8 रेटिंग स्केल विधि
सर्वप्रथम प्रयोग इंडियाना की न्यू होम कॉलोनी में किया गया
इस विधि में किसी व्यक्ति के व्यवहार एवं विशिष्ट गुणों का मूल्यांकन उसके संपर्क में आने वाले व्यक्तियों से उनके विचार लेकर किया जाता है। यानि किसी व्यक्ति के बारे में उसके साथियों से पूछकर पता लगाया जाता है कि उसका व्यवहार कैसा है और ऐसा है तो क्यों है।

कुछ प्रमुख विधियों का निम्नानुसार विशेष वर्णन किया गया है :-
आत्म निरीक्षण विधि (अर्न्तदर्शन विधि)
आत्म निरीक्षण विधि को अर्न्तदर्शन, अन्तर्निरीक्षण विधि (Introspection) भी कहते है। स्टाउट के अनुसार ‘‘अपना मानसिक क्रियाओं का क्रमबद्ध अध्ययन ही अन्तर्निरीक्षण कहलाता है।’’ वुडवर्थ ने इस विधि को आत्मनिरीक्षण कहा है। इस विधि में व्यक्ति की मानसिक क्रियाएं आत्मगत होती हे। आत्मगत होने के कारण आत्मनिरीक्षण या अन्तर्दर्शन विधि अधिक उपयोगी होती हे।

लॉक के अनुसार – मस्तिष्क द्वारा अपनी स्वयं की क्रियाओं का निरीक्षण।

परिचय : पूर्वकाल के मनोवैज्ञानिक अपनी मस्तिष्क क्रियाओं और प्रतिक्रियाओं का ज्ञान प्राप्त करने के लिये इसी विधि पर निर्भर थे। वे इसका प्रयोग अपने अनुभवों का पुनः स्मरण और भावनाओं का मूल्यांकन करने के लिये करते थे। वे सुख, दुख, क्रोध और शान्ति, घृणा और प्रेम के समय अपनी भावनाओं और मानसिक दशाओं का निरीक्षण करके उनका वर्णन करते थे।
अर्थ : अन्तर्दर्शन का अर्थ है- ‘‘अपने आप में देखना।’’ इसकी व्याख्या करते हुए बी.एन. झा ने लिखा है ‘‘आत्मनिरीक्षण अपने स्वयं के मन का निरीक्षण करने की प्रक्रिया है। यह एक प्रकार का आत्मनिरीक्षण है जिसमें हम किसी मानसिक क्रिया के समय अपने मन में उत्पन्न होने वाली स्वयं की भावनाओं और सब प्रकार की प्रतिक्रियाओं का निरीक्षण, विश्लेषण और वर्णन करते हैं।’’

गुण
मनोविज्ञान के ज्ञान में वृद्धि : डगलस व हालैण्ड के अनुसार – ‘‘मनोविज्ञान ने इस विधि का प्रयोग करके हमारे मनोविज्ञान के ज्ञान में वृद्धि की है।’’

अन्य विधियों में सहायक : डगलस व हालैण्ड के अनुसार ‘‘यह विधि अन्य विधियों द्वारा प्राप्त किये गये तथ्यों नियमों और सिद्धांन्तों की व्याख्या करने में सहायता देती है।’’

यंत्र व सामग्री की आवश्यकता : रॉस के अनुसार ‘‘यह विधि खर्चीली नहीं है क्योंकि इसमें किसी विशेष यंत्र या सामग्री की आवश्यकता नहीं पड़ती है।’’

प्रयोगशाला की आवश्यकता : यह विधि बहुत सरल है। क्योंकि इसमें किसी प्रयोगशाला की आवश्यकता नहीं है।

रॉस के शब्दों में ‘‘मनोवैज्ञानिकों का स्वयं का मस्तिष्क प्रयोगशाला होता है और क्योंकि वह सदैव उसके साथ रहता है इसलिए वह अपनी इच्छानुसार कभी भी निरीक्षण कर सकता है।’’

जीवन इतिहास विधि या व्यक्ति अध्ययन विधि

व्यक्ति अध्ययन विधि (Case study or case history method) का प्रयोग मनोवैज्ञानिकों द्वारा मानसिक रोगियों, अपराधियों एवं समाज विरोधी कार्य करने वाले व्यक्तियों के लिये किया जाता है। बहुधा मनोवैज्ञानिक का अनेक प्रकार के व्यक्तियों से पाला पड़ता है। इनमें कोई अपराधी, कोई मानसिक रोगी, कोई झगडालू, कोई समाज विरोधी कार्य करने वाला और कोई समस्या बालक होता है।

मनोवैज्ञानिक के विचार से व्यक्ति का भौतिक, पारिवारिक व सामाजिक वातावरण उसमें मानसिक असंतुलन उत्पन्न कर देता है। जिसके फलस्वरूप वह अवांछनीय व्यवहार करने लगता है। इसका वास्तविक कारण जानने के लिए वह व्यक्ति के पूर्व इतिहास की कड़ियों को जोड़ता है।

इस उद्देश्य से वह व्यक्ति उसके माता पिता, शिक्षकों, संबंधियों, पड़ोसियों, मित्रों आदि से भेंट करके पूछताछ करता है। इस प्रकार वह व्यक्ति के वंशानुक्रम, पारिवारिक और सामाजिक वातावरण, रूचियों, क्रियाओं, शारीरिक स्वास्थ्य, शैक्षिक और संवेगात्मक विकास के संबंध में तथ्य एकत्र करता है

जिनके फलस्वरूप व्यक्ति मनोविकारों का शिकार बनकर अनुचित आचरण करने लगता है। इस प्रकार इस विधि का उद्देश्य व्यक्ति के किसी विशिष्ट व्यवहार के कारण की खोज करना है। क्रो व क्रो ने लिखा है ‘‘जीवन इतिहास विधि का मुख्य उद्देश्य किसी कारण का निदान करना है।’’

बहिर्दर्शन या अवलोकन विधि
बहिर्दर्शन विधि (Extrospection) को अवलोकन या निरीक्षण विधि (observational method) भी कहा जाता है। अवलोकन या निरीक्षण का सामान्य अर्थ है- ध्यानपूर्वक देखना। हम किसी के व्यवहार,आचरण एवं क्रियाओं, प्रतिक्रियाओं आदि को बाहर से ध्यानपूर्वक देखकर उसकी आंतरिक मनःस्थिति का अनुमान लगा सकते है।

हिंदी छन्द के प्रश्न for CTET, all State TETs, KVS, NVS, DSSSB etc

1. छन्द सूत्रम किसकी रचना है ?
   (अ) आचार्य विश्वनाथ
   (ब) पाणिनि
   (स) आचार्य पिङ्गल
   (द) इनमें से कोई नहीं
2. छन्द का प्रथम उल्लेख किसमें किया गया है ?
   (अ) ऋग्वेद
   (ब) यजुर्वेद
   (स) महाभारत
   (द) इनमें से कोई नहीं
3. छन्द के कितने अंग होते है ?
   (अ) चार
   (ब) छह
   (स) आठ
   (द) इनमें से कोई नहीं
4. छन्द के कितने भेद होते हैं  ?
   (अ) दो
   (ब) तीन
   (स) चार
   (द) इनमें से कोई नहीं
5. गणों की संख्या कितनी होती है  ?
   (अ) पाँच
   (ब) चार
   (स) आठ
   (द) इनमें से कोई नहीं
6. रहिमन अँसुआ नयन ढरि, जिय दुःख प्रकट करेइ ।
    जाहि निकारो गेह ते,  कस न भेद कहि देइ।।
     प्रस्तुत पंक्ति में कौन- सा छंद है ?
   (अ) सोरठा
   (ब) उल्लाला
   (स) रोला
   (द) दोहा
7. कोई भी छंद किसमें विभक्त रहता है  ?
   (अ) चरण
   (ब) यति
   (स) चरण और यति दोनों
   (द) इनमें से कोई नहीं
8. सम मात्रिक छंद का उदाहरण है –
   (अ) दोहा
   (ब) चौपाई
   (स) सोरठा
   (द) उपरोक्त तीनो
9. रचना के आधार पर दोहे से उल्टा छंद  है ?
   (अ) रोला
   (ब) सोरठा
   (स) उल्लाला
   (द) बरवै
10. सुनु सिय सत्य असीस हमारी  है।
      पूजहिं मन कामना तुम्हारी।।
      प्रस्तुत पंक्तियों में कौन-सा छंद है ?
   (अ) दोहा
   (ब) सोरठा
   (स) चौपाई
   (द) इनमें से कोई नहीं
11. जिस छंद के पहले और तीसरे चरण में 11-11 एवं दूसरे और चौथे चरण में 13-13 मात्राएँ होती हैं , तुक मध्य में होता है, वह कौन- सा छंद है  ?
   (अ) दोहा
   (ब) सोरठा
   (स) रोला
   (द) उल्लाला
12. निम्न में से कौन-सा छंद सम मात्रिक छंद नहीं है ?
   (अ) चौपाई
   (ब) गीतिका
   (स) हरिगीतिका
   (द) दोहा
13. निम्न में से कौन-सा छंद अर्द्ध सम मात्रिक छंद का उदाहरण है ?
   (अ) तोमर
   (ब) आल्हा
   (स) राधिका
   (द) उल्लाला
14. विषम मात्रिक छंद नहीं  है –
   (अ) कुण्डलिया
   (ब) छप्पय
   (स) सोरठा
   (द) इनमें से कोई नहीं
15. निम्न में से कौन-सा छंद अर्द्ध सम मात्रिक छंद नहीं है ?
   (अ) बरवै
   (ब) दोहा
   (स) सोरठा
   (द) रोला
16. निम्न में से एक मात्रिक छंद नहीं  है ?
   (अ) अरिल्य
   (ब) तोमर
   (स) रूपमाला
   (द) घनाक्षरी
17. किसको पुकारे यहाँ रोकर अरण्य बीच ,
      चाहे जो करो शरण्य शरण तिहारे हैं। 
      इन पंक्तियों में कौन-सा छंद है ?
   (अ) छप्पय
   (ब) घनाक्षरी
   (स) देवघनाक्षरी
   (द) उल्लाला
18. चौपाई छन्द में  कुल कितनी मात्राएँ होती हैं  ?
   (अ) 16
   (ब) 32
   (स) 64
   (द) इनमें से कोई नहीं
19. मूक होइ वाचाल, पंगु चढ़इ गिरिवर गहन।
      जसु कृपा सो दयाल, द्रवहु सकल कलिमल दहन।
      प्रस्तुत पंक्तियों में कौन-सा छंद है ?
   (अ) दोहा
   (ब) सोरठा
   (स) बरवै
   (द) रोला
20. दोहा और रोला को मिलाने से कौन-सा छंद बनता है ?
   (अ) छप्पय
   (ब) कुण्डलिया
   (स) हरिगीतिका
   (द) गीतिका
21. अवधि शिला का उर पर था गुरु भार।
       तिल-तिल काट रही थी, दृग जल धार।
       प्रस्तुत पंक्तियों में  कौन-सा छंद है –
   (अ) दोहा 
   (ब) उल्लाला 
   (स) बरवै 
   (द) सोरठा
22. निराला की कविता ‘जूही की कली ‘ किस छंद का उदाहरण है ?
   (अ) मात्रिक 
   (ब) वर्णिक 
   (स) मुक्तक 
   (द) इनमें से कोई नहीं 
23. वीर (आल्हा) किस जाति का छंद  है ?
   (अ) वर्णिक 
   (ब) मात्रिक 
   (स) मुक्तक 
   (द) मिश्रित्त 
24. हम जो कुछ देख रहे हैं, सुन्दर है सत्य नहीं है।
      यह दृश्य जगत भासित है, बिन कर्म शिवत्व नहीं।
   (अ) 14-14 की यति से 28 मात्राओं वाला मात्रिक छंद है। 
   (ब) 10-10 वर्णों की यति से 20 वर्णों वाला वर्णिक छंद है। 
   (स) 13-13 मात्राओं की यति से 26 मात्राओं वाला मात्रिक छंद है। 
   (द) इनमें से कोई नहीं 
25. वर्ण या मात्रा से प्रतिबन्ध रहित छंद कहलाता है –
   (अ) मात्रिक 
   (ब) वर्णिक 
   (स) मुक्तक 
   (द) इनमें से कोई नहीं 
26. चरण में वर्णों की संख्या (आरोही क्रम) के आधार पर इन वर्णिक छंदों का सही अनुक्रम कौन-सा है ?
   (अ) बसंततिलका-मंदाक्रांता-शार्दूलविक्रीड़ित-इन्द्रवज्रा 
   (ब) मंदाक्रांता-शार्दूलविक्रीड़ित-इन्द्रवज्रा-बसंततिलका 
   (स) शार्दूलविक्रीड़ित- इन्द्रवज्रा-बसंततिलका-मंदाक्रांता
   (द) इन्द्रवज्रा-बसंततिलका-मंदाक्रांता-शार्दूलविक्रीड़ित 
27. चरण में वर्णों की संख्या (अवरोही क्रम) के आधार पर इन वर्णिक छंदों का सही अनुक्रम कौन-सा है ?
   (अ) तोटक-मालिनी-बसंततिलका-मत्तगयन्द 
   (ब) मत्तगयन्द-मालिनी-बसंततिलका-तोटक 
   (स) मालिनी-मत्तगयन्द-तोटक-बसंततिलका 
   (द) बसंततिलका-मालिनी-मत्तगयन्द-तोटक
28. चरण में मात्राओं की संख्या (कम से अधिक) के आधार पर मात्रिक छंदों का सही अनुक्रम कौन-सा है ?
   (अ) हरिगीतिका-रोला-गीतका-चौपाई 
   (ब) रोला-गीतिका-चौपाई-हरिगीतिका 
   (स) गीतिका-चौपाई-हरिगीतिका-रोला 
   (द) चौपाई-रोला-गीतिका-हरिगीतिका 
29. सम मात्रिक छंद है –
   (अ) हरिगीतिका 
   (ब) उल्लाला 
   (स) छप्पय 
   (द) इनमें से कोई नहीं 
30.  तुलसी राम  नाम सम मीत न आन।
       जो पहुँचाव रामपुर तनु अवसान।
       कवि समाज को बिरवा चले लगाय।
       सींचन की सुधि लीजै मुरझि न जाय।।
       प्रस्तुत पंक्तियों में कौन-सा छंद है ?
   (अ) चौपाई 
   (ब) बरवै 
   (स) दोहा
   (द) इनमें से कोई नहीं 
31.  रोला और उल्लाला के मिलने से कौन-सा छंद बनता है ?
   (अ) मंदाक्रांता  
   (ब) कुण्डलियाँ  
   (स) छप्पय 
   (द) इनमें से कोई नहीं 
32. 22 से 26 वर्ण तक के छंद को कहते हैं –  
   (अ) मंदाक्रांता  
   (ब) कुण्डलिया  
   (स) सवैया 
   (द) कवित्त (घनाक्षरी) 
33.  नदियाँ प्रेम प्रवाह फूल तारामंडल है। 
       बंदी विविध बिहंग शेषफण सिंहासन है। 
       हे शरणदायिनी देवि तू करती सबकी त्राण है। 
       हे मातृभूमि संतान हम तू जननी तू प्राण है। 
       प्रस्तुत पंक्तियों में कौन-सा छंद है ?
   (अ) कुण्डलिया  
   (ब) मंदाक्रांता  
   (स) मत्तगयन्द 
   (द) छप्पय  

34. वह कौन-सा छंद है जिसके प्रत्येक चरण में 16 -15 की यति से 31 वर्ण होते हैं और चरण के अंत में गुरु होता   है।  
   (अ) कवित्त (घनाक्षरी) 
   (ब) सवैया  
   (स) छप्पय 
   (द) इनमें से कोई नहीं 

35.  “धूल भरे अति शोभित स्याम जू, तैसी बनी सिर सुन्दर चोटी।” प्रस्तुत पंक्तियों में कौन-सा छंद है ?
   (अ) दुर्मिल सवैया  
   (ब) घनाक्षरी  
   (स) मालती (मत्तगयन्द)
   (द) इनमें से कोई नहीं 

36.  “पुर तै निकासी रघुबीर बधू धरि-धीर दये मग में डग द्वै।”
       प्रस्तुत पंक्तियों में कौन-सा छंद है ?
   (अ) उपेन्द्रवज्रा  
   (ब) मंदाक्रांता  
   (स) मालती(मत्तगयन्द) 
   (द) दुर्मिल सवैया  

37.  वह कौन-सा छंद है जिसमें प्रत्येक चरण में 14-12 की यति से 26 मात्राएँ होती है ,अंत में लघु-गुरु होता है ?
   (अ) घनाक्षरी  
   (ब) छप्पय  
   (स) गीतिका 
   (द) हरिगीतिका  

38.  दण्डक छंद का उदाहरण है –
   (अ) मंदाक्रांता  
   (ब) मालती (मत्तगयन्द ) 
   (स) घनाक्षरी (कवित्त) 
   (द) इनमें से कोई नहीं 

39.  रूपमाला और रोला निम्न में से किस छंद के उदाहरण हैं ?
   (अ) सम मात्रिक छंद  
   (ब) अर्द्धसम मात्रिक छंद  
   (स) विषम मात्रिक छंद 
   (द) इनमें से कोई नहीं 
40.  सेनापति का ऋतु  वर्णन किस छंद में लिखा गया है – 
   (अ) सवैया  
   (ब) छप्पय  
   (स) कवित्त (मनहरण )
   (द) मंदाक्रांता  

छंद प्रश्नावली का उत्तर 
1. (स) आचार्य पिङ्गल
2. (अ) ऋग्वेद
3. (स) आठ
4. (ब) तीन
5. (स) आठ
6. (द) दोहा
7. (स) चरण और यति दोनों
8. (ब) चौपाई
9. (ब) सोरठा
10. (स) चौपाई
11. (ब) सोरठा
12. (द) दोहा
13. (द) उल्लाला
14. (स) सोरठा
15. (द) रोला
16. (द) घनाक्षरी
17. (ब) घनाक्षरी
18. (स) 64
19. (ब) सोरठा
20. (ब) कुण्डलिया
21. (स) बरवै 
22. (स) मुक्तक 
23. (ब) मात्रिक 
24. (अ) 14-14 की यति से 28 मात्राओं वाला मात्रिक छंद है। 
25. (स) मुक्तक 
26. (द) इन्द्रवज्रा-बसंततिलका-मंदाक्रांता-शार्दूलविक्रीड़ित (11,14,17,19 वर्ण)
27. (ब) मत्तगयन्द-मालिनी-बसंततिलका-तोटक (23,15,14,12 वर्ण)
28. (द) चौपाई-रोला-गीतिका-हरिगीतिका (16,24,26,28 मात्राएँ )
29. (अ) हरिगीतिका (प्रत्येक चरण में 28 मात्राएँ)
30. (ब) बरवै ( विषम चरण में 12 मात्राएँ,सम चरण में 7 मात्राएँ )
31. (स) छप्पय 
32. (स) सवैया 
33. (द) छप्पय  
34. (अ) कवित्त (घनाक्षरी) 
35. (स) मालती (मत्तगयंद) (प्रत्येक चरण में 23 वर्ण, 8 भगण, अंत में 2 गुरु )
36. (द) दुर्मिल सवैया  (प्रत्येक चरण में 24 वर्ण, 8 सगण)
37. (स) गीतिका 
38. (स) घनाक्षरी (कवित्त) 
39. (अ) सम मात्रिक छंद  
40. (स) कवित्त (मनहरण )

Child Development & Pedagogy Important Theories & Definitions for CTET/TETs/KVS etc

Child Development & Pedagogy Important Theories & Definitions for CTET/TETs/KVS etc

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Neetu Rana

Child Development & Pedagogy Important Theories & Definitions for CTET/TETs/KVS etc

बाल विकास और शिक्षाशास्त्र के सिद्धांत और प्रतिपादक for CTET/TETs/KVS etc

बाल विकास और शिक्षाशास्त्र के सिद्धांत और प्रतिपादक for CTET/TETs/KVS etc

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बाल विकास और शिक्षाशास्त्र के सिद्धांत और प्रतिपादक for CTET/TETs/KVS etc

Ink Blot Test / Thematic Apperception Test (T.A.T.) / Children Apperception Test (C.A.T)

हरमन रोर्शा का स्‍याही धब्‍बा परीक्षण – Rorschach’s Ink Blot Test

प्रक्षेपण परीक्षण में सबसे प्रचलित एवं प्रमुख परीक्षण रोर्शा परीक्षण (Rorschach test) है जिसका प्रतिपादन स्विट्जरलैण्‍ड के मनोचिकित्‍सक हरमन रोर्शा ने सन् 1921 में किया।
इस परीक्षण में 10 कार्ड पर स्याही के धब्बे बने होते है।
5 कार्डों पर काले व सफेद तथा बाकी 5 कार्डों पर विभिन्न रंगों के धब्बे बने होते है।
जे. एस. बालिया ने कार्डों पर चित्रों का वर्णन इस प्रकार किया है—5 कार्ड बिल्कुल काले, 2 कार्ड काले + लाल, 3 कार्ड अनेक रंगों के।
यह परीक्षण व्यक्तिगत रूप से किसी भी आयु वर्ग पर प्रयोग किया जा सकता है।
विशेषकर यह परीक्षण 14 वर्ष से अधिक आयुवर्ग के बालक-बालिकाओं के काम में लिया जाता है।
इस परीक्षण में प्रत्‍येक कार्ड एक – एक करके, उस व्‍यक्ति को दिया जाता है जिसका व्‍यक्तित्‍व मापन किया जाता है। वह व्‍यक्ति कार्ड को जैसे चाहे घुमा – फिरा सकता है और ऐसा करके उसे बताना होता है कि उसे उस कार्ड में क्‍या दिखाई दे रहा है या धब्‍बा का कोई अंश या पूरा भाग उसे किस चीज के समान दिखाई पड़ रहा है।

व्‍यक्ति द्वारा दिए गए अनुक्रियाओं को लिख लिया जाता है और बाद में उनका विश्‍लेषण कुछ खास-खास अक्षर संकेतों के सहारे निम्‍नांकित चार भागों में बाँटकर किया जाता है →

  1. स्‍थान निरूपण (Location) – इस श्रेणी में इस बात का निर्णय किया जाता है कि व्‍यक्ति की अनुक्रिया का संबंध स्‍याही के पूरे धब्‍बे से है या उसके कुछ अंश से है। अनुक्रिया पूरे अक्षर के लिए W से अंकित करते हैं, बड़े धब्‍बे या सामान्‍य अंश के लिये D तथा छोटे धब्‍बे या असामान्‍य के लिऐ Dd का प्रयोग किया जाता है। उजले या सफेद स्‍थानों के लिए अनुक्रिया करने पर S का प्रयोग किया जाता है।
  2. निर्धारक (Determinants) – इस श्रेणी में इस बात का निर्णय किया जाता है कि धब्‍बा का कौनसे गुण के कारण व्‍यक्ति अमुक अनुक्रिया करता है। जैसे कि माना व्‍यक्ति किसी धब्‍बे में चमगादड़ होने की अनुक्रिया करता है। इस श्रेणी में लगभग 24 अक्षर संकेतों का प्रतिपादन किया गया है। आकार के लिए F, रंग के लिए, C मानव गति के लिए M, पशु गति के लिए FM तथा निर्जीव गति अनुक्रिया के लिए m आदि।
  3. विषय-वस्‍तु – इस श्रेणी में देखा जाता है कि व्‍यक्ति द्वारा दी गई अनुक्रिया की विषय-वस्‍तु क्‍या है। विषय-वस्‍तु मनुष्‍य होने पर H, पशु होने पर A, मानव के किसी अंग के विवरण होने पर Hd तथा पशु के किसी अंग के विवरण के लिए Ad, आग के लिए Fi, यौन के लिए Sx तथा घरेलु वस्‍तुओं के लिए Hh का प्रयोग किया जाता है।
  4. मौलिक अनुक्रिया एवं संगठन – मौलिक अनुक्रिया से तात्‍पर्य उस अनुक्रिया से होता है जो अनेक व्‍यक्तियों द्वारा किसी कार्ड के प्रति अक्‍सर दिए जाते हैं। इसे लोकप्रिय अनुक्रिया भी कहते है। इसका संकेत P है। जैसे प्रथम कार्ड के धब्‍बे को चमगादड़ या तितली बताना एक लोकप्रिय अनुक्रिया का उदाहरण है। अनुक्रियाओं के संगठन के लिए Z संकेत का प्रयोग किया जाता है।

रोर्शा परीक्षण पर दी गई अनुक्रियाओं का विश्‍लेषण →
W अनुक्रिया → तीव्र बुद्धि तथा अमूर्त चिन्‍तन का बोध
D अनुक्रिया → स्‍पष्‍ट रूप से देखने व समझने की क्षमता का बोध
Dd अनुक्रिया → चिन्‍तन में स्‍पष्‍टता का बोध
S अनुक्रिया → नकारात्‍मक प्रवृत्ति तथा आत्‍म-हठधर्मी का बोध
F अनुक्रिया → चिन्‍तन के समय एकाग्रता का बोध
A अनुक्रिया → बौद्धिक संकीर्णन तथा सांवेगिक असंतुलन का बोध
P अनुक्रिया → रूढिगत चिन्‍तन एवं सृजनात्‍मकता का बोध
Z अनुक्रिया → उच्‍च बुद्धि, सृजनात्‍मकता तथा निपुणता का बोध

रोर्शा के समान ही एक दूसरा स्‍याही धब्‍बा परीक्षण होल्‍जमैन ने सन् 1961 में प्रतिपादित किया। जिसमें कुल दो फार्म एवं 45 कार्ड होते है। लेकिन यह रोर्शा के समान लोकप्रिय नहीं हो सका।

—————————————————————-

विषय-आत्‍मबोधन परीक्षण [Thematic Apperception Test (T.A.T.)]
इस परीक्षण का निर्माण मर्रे ने सन् 1935 में हारवार्ड विश्‍वविद्यालय, अमेरिका में किया। सन् 1938 में मार्गन के साथ मिलकर इस परीक्षण का संशोधन किया।

· इस परीक्षण को प्रासंगिक अन्तर्बोध परीक्षण तथा कथा प्रसंग परीक्षण भी कहते है।
· इस परीक्षण में कुल कार्ड = 30 (इनके अलावा एक खाली कार्ड)
· चित्रों से सम्बन्धित कुल कार्ड = 30 (जीवन की विभिन्न परिस्थितियों को दिखाने वाले कार्ड)
· खाली कार्ड की संख्या=1 (इस पर कहानी लिखने के लिए कहा जाता है)
· इस परीक्षण में जीवन की विभिन्न स्थितियों को दिखाने वाले कार्डों पर चित्र दिखाये गये।
· इस परीक्षण के अन्तर्गत 10 कार्डों पर पुरुषों से सम्बन्धित चित्र एवं 10 कार्डो पर स्त्रियों से सम्बन्धित चित्र तथा अन्य 10 पर दोनों से सम्बन्धित चित्र बने होते है।
· यह परीक्षण व्यक्तिगत व सामुहिक दोनों रूपों में प्रयोग किया जा सकता है।
· यह परीक्षण 14 वर्ष से अधिक आयु वालें बालक-बालिकाओं के लिए विशेष उपयोगी होता है।
· इसमें व्यक्ति को चित्र दिखाया जाता है, उसके उपरान्त कहानी लिखने को कहा जाता है।
· इस विधि में बालक-बालिकाओं को विभिन्न कार्ड दिखाकर कहानी, या कथानंक लिखने को कहा जाता है।
· कार्ड पर अस्पष्ट चित्र बने होते हैं।
· इस परीक्षण के अन्तर्गत व्यक्ति अपनी खुद की आवश्यकताओं, उद्देश्यों, भावनाओं, कठिनाईयों, समस्याओं, संघर्षों, निराशाओं आदि को प्रस्तुत करता है।
· इस परीक्षण का क्रियान्वयन दो सत्रों में होता है- पहले सत्र में 10 कार्ड तथा दूसरे सत्र में अंतिम 10 कार्ड व्यक्ति को देकर उसे आधार पर कहानी लिखने को कहा जाता है।
· मर्रे के अनुसार दोनों सत्रों में कम से कम 24 घंटों का अन्तर होना चाहिए।
· सभी कार्डों के आधार पर कहानी-लेखन का कार्य समाप्त होने पर साक्षात्कार किया जाता है जिसका उद्देश्य यह जानना हाता है कि कहानी लिखने में व्यक्ति की कल्पनाशक्ति का स्रोत, मात्र चित्र था या कोई बाहर की घटना भी रही।

मर्रे के अनुसार इस परीक्षण का विश्लेषण निम्नांकित प्रसंगों में किया जाता है—

  1. नायक (Hero) → प्रत्येक कहानी में नायक या नायिका का पता लगाया जाता है। ऐसा समझा जाता है कि व्यक्ति इस नायक या नायिका के साथ आत्मीकरण स्थापित कर अपने व्यक्तित्व के शीलगुणों, विशेषकर अपनी महत्त्वपूर्ण आवश्यकताओं को दिखाता है।
  2. आवश्यकता (Need) → प्रत्येक कहानी में नायक या नायिका की मुख्य आवश्यकताएँ क्या – क्या हैं, इसका पता लगाया जाता है। मर्रे के अनुसार TAT परीक्षण के द्वारा मानव की 28 आवश्यकताओं का मापन होता है। इनमें प्रमुख है – उपलब्धि आवश्यकता, संबंधन आवश्यकता तथा प्रभुत्व आवश्यकता।
  3. प्रेस (Press) → प्रेस (शक्ति या बल) से तात्पर्य कहानी के उस वातावरण संबंधी बलों से होता है, जिससे कहानी के नायक की आवश्यकता या तो पूरी होती है या पूरी होने से वंचित रह जाती है। मर्रे के अनुसार ये शक्तियां या बल 30 से भी अधिक है जो वातावरण संबंधी है। जैसे-आक्रामकता या आक्रमण तथा शारीरिक खतरा।
  4. थीमा (Thema) → प्रत्येक कहानी की थीमा का निर्धारण किया जाता है। थीमा से तात्पर्य नायक की आवश्यकता तथा प्रेस अर्थात् वातावरण-संबंधी बल की अन्त:क्रिया से उत्पन्न घटना से होता है। थीमा द्वारा व्यक्तित्व में निरन्तरता का ज्ञान होता है।
  5. परिणाम (Outcome) → परिणाम से तात्पर्य इस बात से होता है कि कहानी को किस तरह समाप्त किया गया है। कहानी का निष्कर्ष निश्चित है या अनिश्चित है। निश्चित एवं स्पष्ट निष्कर्ष होने से व्यक्ति में परिपक्वता तथा वास्तविकता के ज्ञान होने का बोध होता है।

बाल-अन्‍तर्बोध परीक्षण [Children Apperception Test (C.A.T)]

इस परीक्षण का निर्माण ल्‍योपोल्‍ड बेलाक ने सन् 1948-49 में किया तथा इसका प्रकाशन सन् 1954 में तथा संशोधित रूप 1993 में भी किया गया।

· इस परीक्षण को बाल सम्‍प्रत्‍यय परीक्षण भी कहते है।
· इसका अन्य संशोधन एवं विकास डॉ. अरनेष्ट क्रिस ने सन् 1951 में भी किया था।
· इस परीक्षण में 10 कार्डों पर पशुओं के चित्र बने होते है।
· बालकों को कार्ड/चित्र दिखाकर कहानी लिखने के लिए कहा जाता है।
· यह परीक्षण भी व्यक्तिगत तथा सामूहिक दोनों रूपों में प्रयोग में लाया जाता है।
· यह परीक्षण 3 से 10 वर्ष के बालक-बालिकाओं के लिए उपयोगी है।
· इस परीक्षण में बालक कहानी बनाते समय अपनी व्यक्तिगत समस्याओं को भी प्रस्तुत करता है, जो बच्चों की समस्याओं को प्रकट करती हैं।

Environmental Studies and Pedagogy Important Questions – 15 for CTET, all State TETs, KVS, NVS, DSSSB etc

86.

विश्व जल दिवस कब मनाया जाता है?

[A] 21 मार्च

[B] 22 मार्च

[C] 23 मार्च

[D] 24 मार्च

Hide Answer

Correct Answer: B [22 मार्च ]

Notes:

विश्व जल दिवस 22 मार्च को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य विश्व के सभी देशों में स्वच्छ जल की उपलब्धता सुनिश्चित करना है।

87.

साइलेंट वैली नेशनल पार्क कहाँ है?

[A] केरल

[B] कर्नाटक

[C] तमिलनाडु

[D] आंध्र प्रदेश

Hide Answer

Correct Answer: A [केरल]

Notes:

साइलेंट वैली नेशनल पार्क केरल में है। यह केरल के पालक्कड़ जिले में है। यह नीलगिरि पहाड़ में है। यह 236.74 वर्ग किमी में है।

88.

परम्बिकुलम वन्यजीव अभयारण्य कहाँ है?

[A] केरल

[B] तमिलनाडु

[C] आंध्र प्रदेश

[D] कर्नाटक

Hide Answer

Correct Answer: A [केरल]

Notes:

परम्बिकुलम वन्यजीव अभयारण्य केरल में है। यह पालक्कुड़ जिले में है। यह 89 वर्ग किमी में है।

89.

IUCN द्वारा जारी खतरे में प्रजातियों की निम्नलिखित लिस्ट पर ध्यान दो:-

1-VU

2- EN

3- CR

4- EW

इनमें से खतरे के बढ़ते क्रम में प्रजातियों को रखा जाए तो किस प्रकार होगा?

[A] 2,1,3,4

[B] 2,1,4,3

[C] 1,2,3,4

[D] 2,3,1,4

Hide Answer

Correct Answer: C [1,2,3,4]

Notes:

खतरे का बढ़ता क्रम इस प्रकार है:-

1- VU (Vulnerable: चपेट में)

2- EN (Endangered:खतरे में)

3- CR (Critically Endangered: गंभीर खतरे में)

4- EW (Extinct in the wild :जंगल से विलुप्त)

90.

निम्नलिखित अंतर्राष्ट्रीय निकायों में से किसने बाघों को बचाने और बाघ के आवासों को संरक्षित करने के लिए “ग्लोबल टाइगर इनिशिएटिव” शुरू करने में सक्रिय रुचि ली है?

[A] यूनाइटेड नेशंस

[B] वर्ल्ड बैंक

[C] वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम

[D] इनमें से कोई नहीं

Hide Answer

Correct Answer: B [वर्ल्ड बैंक]

Notes:

ग्लोबल टाइगर इनिशिएटिव बाघों को बचाने के लिए एक योजना है जिसमें वर्ल्ड बैंक ने रुचि ली है।

91.

तटीय विनियमन क्षेत्र (CRZ) के संदर्भ में निम्नलिखित बयानों पर विचार करें:-

1- भारत में 1991 में CRZ अधिसूचना में तटीय क्षेत्र उच्च ज्वार पर आधारित थे।

2- 2004 की स्वामीनाथन रिपोर्ट इस बात का रिव्यु करने के लिए थी कि उच्च ज्वार लाइन सर्वोत्तम अभ्यास नहीं है और कम वैज्ञानिक है।

3- CRZ अधिसूचना 2011, HTL के बजाय तटस्थ किनारे पर निर्भरता रेखा की सीमा तय की गई है।

इनमें से कौन सा कथन सत्य है?

[A] केवल 1

[B] केवल 1 और 2

[C] केवल 2 और 3

[D] उपर्युक्त सभी

Hide Answer

Correct Answer: B [केवल 1 और 2]

Notes:

केवल पहला और दूसरा कथन सत्य है।

92.

भारत का पहला समुद्री जैव विविधता के लिए राष्ट्रीय केंद्र (NCMB) कहाँ है?

[A] जामनगर

[B] नई दिल्ली

[C] मुंबई

[D] गांधीनगर

Hide Answer

Correct Answer: 0 []

Notes:

भारत का पहला समुद्री जैव विविधता के लिए राष्ट्रीय केंद्र (NCMB) जामनगर में है। जामनगर गुजरात का एक नगर है।

93.

जट्रोफा कर्कस कहाँ पाए जाते हैं?

[A] यूरोप

[B] उत्तर अमेरिका

[C] दक्षिण अफ्रीका

[D] मध्य अमेरिका

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Correct Answer: D [मध्य अमेरिका]

Notes:

जट्रोफा कर्कस मध्य अमेरिका का एक प्रमुख पौधा है। यह एक बड़ा पादप है जो झाड़ियों के रूप में अर्द्ध शुष्क क्षेत्रों में उगता है। इस पादप से प्राप्त होने वाले बीजों में 25-30 प्रतिशत तक तेेेल निकाला जा सकता है। यह तेल कार, पंखा आदि चलाने के काम आता है।

94.

महेश रंगराजन समिति ने किस उद्देश्य के लिए वन्य जीव अधिनियम में सुधार की सिफारिश की है?

[A] एलिफेंट रिजर्व के लिए विधायी संरक्षण देने के लिए

[B] राष्ट्रीय हाथी संरक्षण प्राधिकरण (NECA) स्थापित करने के लिए

[C] संशोधित अधिनियम के प्रावधानों के तहत हाथी कॉरिडोर स्थापित करना

[D] उपर्युक्त सभी

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Correct Answer: B [राष्ट्रीय हाथी संरक्षण प्राधिकरण (NECA) स्थापित करने के लिए]

Notes:

महेश रंगराजन समिति ने राष्ट्रीय हाथी संरक्षण प्राधिकरण (NECA) स्थापित करने के लिए वन्यजीव अधिनियम में सुधार की सिफारिश की है।

95.

निम्नलिखित पर ध्यान दीजिए:-

1- आयरन

2- मॉलिब्डेनम

3- मैग्नीशियम

इनमें से क्या जैविक नाइट्रोजन फिक्सेशन में सहायक है?

[A] केवल 1 और 2

[B] केवल 2 और 3

[C] केवल 2

[D] केवल 3

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Correct Answer: A [केवल 1 और 2]

Notes:

आयरन और मॉलिब्डेनम जैविक नाइट्रोजन फिक्सेशन में सहायक हैं।

96.

निम्नलिखित पर ध्यान दीजिए:-

1- नाइट्रोजन ऑक्साइड

2- कार्बन डाइऑक्साइड

3- मेथेन

इनमें से कौन धरती पर ओजोन बनाने में सहायक है?

[A] केवल 1

[B] केवल 2

[C] केवल 1 और 3

[D] ये सभी

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Correct Answer: C [केवल 1 और 3]

Notes:

नाइट्रोजन ऑक्साइड और मेथेन धरती पर ओजोन बनाती है। ओजोन परत आकाश में तो पृथ्वी तक पराबैंगनी किरण पहुँचने से रोकती है जबकि धरती पर उपस्थित ओजोन परत एक प्रदूषक है।

97.

आर्गन पृथ्वी पर पाई जाने वाली तीसरी सबसे बड़ी गैस है। यह किस समस्थानिक के विघटन से बनता है?

[A] K-40

[B] Ca-40

[C] Ca-48

[D] K-41

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Correct Answer: A [K-40]

Notes:

आर्गन नाइट्रोजन और ऑक्सीजन के बाद तीसरी सबसे ज्यादा पाए जाने वाली गैस है। यह 0.93% पाई जाती है। यह K-40 के विघटन से बनती है।

98.

किस प्रदेश में विश्व धरोहर में शामिल टाइगर रिज़र्व है?

[A] असम

[B] हिमाचल प्रदेश

[C] उत्तराखंड

[D] उत्तर प्रदेश

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Correct Answer: A [असम]

Notes:

मानस टाइगर रिज़र्व असम में हिमालय की तलहटी में है। यह विश्व धरोहर में शामिल हैं।

99.

निम्नलिखित कथनों पर ध्यान दीजिए:-

1- NTCA (राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण) एक वैधानिक निकाय है।

2- NTCA की घोषणा वन्यजीव सुरक्षा अधिनियम में संशोधन के बाद हुई।

इन में कौन सा/ से कथन सत्य हैं?

[A] केवल 1

[B] केवल 2

[C] दोनों

[D] कोई सा नहीं

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Correct Answer: C [दोनों]

Notes:

दोनों ही कथन सत्य हैं।NTCA (राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण) एक वैधानिक निकाय है और इसकी घोषणा वन्यजीव सुरक्षा अधिनियम में संशोधन के बाद हुई।

100.

कामेंग एलीफैंट रिज़र्व और देवमाली एलीफैंट रिज़र्व किस प्रदेश में है?

[A] अरुणांचल प्रदेश

[B] असम

[C] मणिपुर

[D] मेघालय

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Correct Answer: A [अरुणांचल प्रदेश]

Notes:

कामेंग एलीफैंट रिज़र्व और देवमाली एलीफैंट रिज़र्व अरुणांचल प्रदेश में है।

Environmental Studies and Pedagogy Important Questions – 16 for CTET, all State TETs, KVS, NVS, DSSSB etc

101.

निम्नलिखित कथनों पर ध्यान दीजिए:-

1- नए वन्यजीव अभ्यारण्यों की घोषणा केवल राज्य सरकार कर सकती हैं।

2- नए राष्ट्रीय उद्यानों की घोषणा केवल केंद्र सरकार कर सकती है।

कौन सा कथन सत्य है?

[A] केवल 1

[B] केवल 2

[C] दोनों

[D] कोई भी नहीं

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Correct Answer: D [कोई भी नहीं]

Notes:

कोई सा कथन सत्य नहीं है। नए वन्यजीव अभ्यारण्यों और नेशनल पार्कों की घोषणा केंद्र और राज्य दोनों सरकारें कर सकती हैं।

102.

वन्य जीवन संरक्षण अधिनियम के जरिए भारत में खेती और रोपण से निम्नलिखित पौधों में से कौन-सा निषिद्ध किया गया है?

[A] किलर वीड

[B] ड्रैगन प्लांट

[C] बेलाडोना

[D] लेडीज स्लीपर ऑर्चिड्स

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Correct Answer: D [लेडीज स्लीपर ऑर्चिड्स]

103.

किस एक्ट में नए वन्यजीव रिज़र्व बनाने का प्रावधान है?

[A] वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट, 1972

[B] बायोलॉजिकल डाइवर्सिटी एक्ट, 2002

[C] एनवायरनमेंट एक्ट, 2006

[D] इनमें से कोई नहीं

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Correct Answer: D [इनमें से कोई नहीं]

Notes:

नए वन्यजीव रिज़र्व बनाने का प्रावधान किसी एक्ट में नहीं है।

104.

निम्नलिखित में कौन सा कथन सत्य हैं

1- जैविक नाइट्रोजन फिक्सेशन केवल ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में होता है।

2- केवल सिम्बियोटिक बैक्टीरिया वायुमंडलीय नाइट्रोजन को ठीक कर सकता है|

कौन सा/ से कथन सत्य हैं?

[A] केवल 1

[B] केवल 2

[C] 1 और 2

[D] इनमें से कोई नहीं

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Correct Answer: D [इनमें से कोई नहीं]

105.

निम्नलिखित कथनों पर ध्यान दीजिए:-

1- गंदा ढेर स्टॉकहोम कन्वेंशन द्वारा लगातार कार्बनिक प्रदूषक के रूप में सूचीबद्ध किया गया हैं जिससे मानव और पारिस्थितिक तंत्र पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकते हैं।

2- एंडोसुल्फन गंदे ढेरो में से एक है।

कौन सा/ से कथन सत्य हैं?

[A] केवल 1

[B] केवल 2

[C] 1 और 2

[D] कोई सा नहीं

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Correct Answer: A [केवल 1]

Notes:

केवल पहला कथन सत्य है।

106.

कुनो पालपुर वन्यजीव अभ्यारण्य किस प्रदेश में है?

[A] महाराष्ट्र

[B] मध्य प्रदेश

[C] उत्तर प्रदेश

[D] बिहार

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Correct Answer: B [मध्य प्रदेश]

Notes:

कुनो पालपुर वन्यजीव अभ्यारण्य मध्य प्रदेश में है।

107.

DDT कौन सा प्रदूषण उप्तन्न करता है?

[A] वायु

[B] जल

[C] मिट्टी

[D] उपर्युक्त सभी

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Correct Answer: D [उपर्युक्त सभी]

Notes:

DDT वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और मिट्टी तीनों को प्रदूषित करता है।

108.

उत्तर प्रदेश में विज्ञान और प्रौद्योगिकी परिषद का गठन कब हुआ?

[A] 1975

[B] 1985

[C] 1995

[D] 2005

Hide Answer

Correct Answer: A [1975]

Notes:

उत्तर प्रदेश में विज्ञान और प्रौद्योगिकी परिषद का गठन 1975 में किया गया।

109.

निम्नलिखित में कौन सी ग्रीन हाउस गैस गंदे पानी से बनती है?

[A] मेथेन

[B] CFC

[C] HCFC

[D] जल वाष्प

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Correct Answer: A [मेथेन]

Notes:

मेथेन एक ग्रीन हाउस गैस है जो गंदे पानी से बनती है।

110.

निम्नलिखित पर ध्यान दीजिए:-

LPG

CNG

शाले गैस

मेथेन किस गैस का मुख्य यौगिक है?

[A] केवल 1

[B] केवल 1 और 2

[C] केवल 2 और 3

[D] ये सभी

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Correct Answer: D [ये सभी]

Notes:

मेथेन लिक्विफाइड पेट्रोलियम गैस (LPG), कंप्रेस्ड नेचुरल गैस (CNG) और शाले गैस तीनों का प्रमुख यौगिक हैं।

111.

हाइड्रोक्लोरोफ्लोरो कार्बन (HCFC) में 4 तत्व होते हैं:-

हाइड्रोजन

क्लोरीन

फ्लोरीन

कार्बन

इनमें से कौन सी गैस ओजोन परत के क्षरण में सबसे ज्यादा योगदान देती है:-

[A] हाइड्रोजन

[B] क्लोरीन

[C] फ़्लोरीन

[D] कार्बन

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Correct Answer: B [क्लोरीन]

Notes:

क्लोरीन ओजोन परत के क्षरण में सर्वाधिक योगदान देती है।

112.

वाशिंगटन सम्मेलन किससे संबंधित है?

[A] कीटनाशक

[B] खतरे में प्रजातियाँ

[C] ओजोन संरक्षण

[D] इनमें से कोई नहीं

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Correct Answer: B [खतरे में प्रजातियाँ]

Notes:

वाशिंगटन सम्मेलन खतरे में स्थित प्रजातियाँ हैं। इसे पुराने CITES के नाम से जाना जाता है।

113.

निम्नलिखित कथनों पर ध्यान दीजिए:-

1- रामसर समझौता प्रसिद्ध संयुक्त राष्ट्र पर्यावरणीय समझौता है।

2- रामसर की सभी निर्दिष्ट स्थितियाँ मोंट्रिक्स रिकॉर्ड में हैं।

इन में कौन सा/ से कथन सत्य हैं?

[A] केवल 1

[B] केवल 2

[C] दोनों

[D] कोई सा नहीं

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Correct Answer: D [कोई सा नहीं]

Notes:

रामसर समझौता 2 फरवरी 1971 में ईरान के रामसर नामक शहर में हुआ था। रामसर समझौता के अंतर्गत रामसर साइट्स को चुना गया। कुल 59 रामसर साइट्स मोंट्रिक्स रिकॉर्ड में है।

114.

भारत में निम्नलिखित में से किस पर ‘स्वच्छ ऊर्जा उपकर’ लगाया जाता है?

[A] गैसोलीन

[B] गृह निर्मित कोयला

[C] आयातित कोयला

[D] 2 और 3 दोनों

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Correct Answer: D [2 और 3 दोनों ]

Notes:

स्वच्छ ऊर्जा उपकर’ गृह निर्मित कोयला और कोयला के आयात पर लगाया जाता है।

115.

भारत में कितने जैव-भौगोलिक प्रक्षेत्र हैं?

[A] 8

[B] 10

[C] 12

[D] 14

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Correct Answer: B [10]

Notes:

भारत में 10 जैव-भौगोलिक क्षेत्र ट्रांस हिमालय क्षेत्र, हिमालय क्षेत्र, डेजर्ट ज़ोन, सेमीरीद ज़ोन, पश्चिमी घाट ज़ोन, डेक्कन पठार क्षेत्र, गंगा के मैदान, उत्तर पूर्वी क्षेत्र, तट रेखा के समीप तटीय क्षेत्र और द्वीपसमूह हैं।

आकलन एवं मूल्यांकन में अंतर

आकलन एवं मूल्यांकन

आकलन एवं मूल्यांकन दो अलग-अलग पद हैं एवं इन दोनों के अर्थ में भिनता है । आकलन को जहां एक संवादात्मक तथा रचनात्मक प्रक्रिया माना जाता है, जिसके द्वारा शिक्षक को यह ज्ञात होता है कि विद्यार्थी का उचित अधिगम हो रहा है अथवा नहीं ।
वही मूल्यांकन को योगात्मक प्रक्रिया माना जाता है जिसके द्वारा किसी पूर्व निर्मित शैक्षिक कार्यक्रम अथवा पाठ्यक्रम की समाप्ति पर छात्रों की शैक्षिक उपलब्धि ज्ञात की जाती है ।

आकलन :–का उद्देश्य निदानात्मक होता है । अर्थात शिक्षण अधिगम कार्यक्रम में सुधार करना, छात्रों व अध्यापकों को पृष्ठपोषण प्रदान करना तथा छात्रों की अधिगम संबंधी कठिनाइयों को ज्ञात करना आदि ।
मूल्यांकन:–का उद्देश्य मूल्य निर्धारण करना होता है । यथा निर्धारित पाठ्यक्रम की समाप्ति पर विद्यार्थियों की उपलब्धि को ग्रेड अथवा अंक के माध्यम से प्रदर्शित करना है ।

इस प्रकार, आकलन एवं मूल्यांकन दोनों भिन्न-भिन्न उद्देश्य से भिन्न-भिन्न समय पर विद्यार्थियों की उपलब्धि का अनुमान लगाने की प्रक्रिया है ।

भाषा शिक्षण में आकलन एवं मूल्यांकन

–भाषा शिक्षण में आकलन एवं मूल्यांकन का आशय उन प्रक्रियाओं से हैं जिनकी सहायता से एक शिक्षक विद्यार्थियों के भाषा संबंधी समस्त कौशलों के संबंध में शिक्षण अवधि के दौरान एवं पाठ्यक्रम की समाप्ति पर निर्णय करता है ।

आइए अब हम जानते हैं की जब एक भाषा शिक्षक आकलन करता है तब वह अपने विद्यार्थियों में क्या देखता है? –

*–विद्यार्थी कितना पढ़ पाता है?
*– कैसे पढ़ पाता है ?
*–रुक रुक कर पढ़ता है या धारा-प्रवाह पढ़ता है ।
*–ठीक से नहीं पढ़ पा रहा है तो उसका क्या कारण है ? जैसे एक डॉक्टर बिना मरीज के रोग को जाने वह उस रोग का कैसे इलाज करेगा?
*–क्या वह अक्षरों को पहचान नहीं पा रहा है या शब्दों को एक इकाई के रूप में पढ़ने का अभ्यस्त नहीं है ?

*–भाषा को सुनकर कितना समझ पाता है ?
*–कितने आत्मविश्वास से वह स्वयं को अभिव्यक्त कर पाता है?

आइए अब हम जानते हैं भाषा में आकलन एवं मूल्यांकन के बिंदु कौन-कौन से हैं ?

*सबसे पहले जब हम प्राथमिक स्तर की बात करते हैं जब विद्यार्थी भाषा सीखने की शुरुआत करता है तो उस अस्तर पर हम सबसे पहले विद्यार्थी की प्रवाहिता की जांच करते हैं ।

  • फिर हम प्राथमिक स्तर पर शुद्धता की बात करते हैं कि विद्यार्थी कितना शुद्ध बोल रहा है ? कितना शुद्ध लिख रहा है ? कितना किसी की बातों को सुनकर शुद्ध समझ रहा है ?

अतः सबसे पहले हमें प्रवाहिता पर बल देना चाहिए इसके बाद ही हमें उसके बोलने की शुद्धता पर बल देना चाहिए ।

  • हमें यह देखना चाहिए कि विद्यार्थी की प्रवाहिता तथा शुद्धता दोनों का तालमेल बना रहे । इसके बाद ही भाषाई कौशलों का आकलन होती है ।
  • भाषाई कौशलों का आकलन के अंतर्गत चार प्रमुख कौशल है जो निम्नलिखित है ।
  1. श्रवण कौशल ।
  2. भाषण कौशल ।
  3. पठन कौशल तथा
  4. लेखन कौशल ।

आप तो जानते हैं कि मूल्यांकन की प्रक्रिया निरंतर चलती है परंतु किन तरीकों से चलती है यह जानना बहुत जरूरी है ।

आइए हम जानते हैं अपने विद्यालय में एक शिक्षक के द्वारा भाषा में आकलन एवं मूल्यांकन के तरीके कौन-कौन से है ? –
सामान्यता दो तरीकों का प्रयोग किया जाता है :–

  1. लिखित परीक्षा एवं ।
  2. मौखिक परीक्षा ।
    इसके लिए बनाए गए प्रश्न पत्र पाठ्यपुस्तकों पर आधारित होते हैं जो भाषाई ज्ञान का आकलन कम एवं विद्यार्थी के स्मरण शक्ति का आकलन अधिक करते हैं ।

लिखित परीक्षा में विद्यार्थी को प्रश्न पत्र दे दिया जाता है जो उसके पाठ्यपुस्तकों पर आधारित होते हैं । अगर विद्यार्थी उन प्रश्न पत्रों का संतुष्टि तक उत्तर दे दिया तो वह उत्तीर्ण हो जाता है । नहीं तो उसे अनुत्तीर्ण कर दिया जाता है ।

क्या इससे विद्यार्थी का भाषा कौशल का मूल्यांकन हुआ नहीं न? चुकी लिखित परीक्षा से हम विद्यार्थी का केवल स्मरण शक्ति का ही मूल्यांकन कर सकते हैं । जो हमारे लिए उद्देश्यहीन मूल्यांकन है ।

आइए अब हम जानते हैं मूल्यांकन का सही तरीका

भाषा में आकलन एवं मूल्यांकन की निम्नलिखित तरीकों को अपनाया जाना चाहिए ।

  1. मौखिक परीक्षण जो औपचारिक एवं अनौपचारिक दोनों हो सकते हैं ।
    यहां अनौपचारिक का मतलब है कक्षा में पढ़ाते-पढ़ाते किसी विद्यार्थियों से कोई प्रश्न पूछ दिया या किसी शब्द का अर्थ बताने को पूछ दिया ।
    1) प्रश्न-उत्तर का सत्र चलाया जाए
    2) कहानी कथन का सत्र चलवाया जाए ।
    3) विद्यार्थी को बोल बोलकर पढ़ाया जाए । ऐसा करवाने से विद्यार्थी द्वारा किया गया शुद्ध या अशुद्ध उच्चारण शिक्षक के साथ-साथ सभी विद्यार्थियों तक पहुंचता है तथा एक दूसरे को अपनी त्रुटियों से अवगत कराते हैं
    4) विद्यार्थी द्वारा देखी या सुनी बात का वर्णन करवाया जाए । जैसे कि विद्यार्थी से पूछा जाए कि जब आप स्कूल आ रहे थे तो आपने रास्ते में क्या देखा क्या सुना कृपया बताइए । यहां हम उसकी स्मरण क्षमता का मूल्यांकन नहीं करते हैं । यहां हम उसके अभिव्यक्ति का मूल्यांकन करते हैं उसके विचारों का मूल्यांकन करते हैं कि वह कैसे अपने बातों को व्यक्त करता है ?
  2. लिखित परीक्षा –
    लिखित परीक्षा में सिर्फ प्रश्नों का उत्तर ले लेना ही पर्याप्त नहीं है । इसके लिए हमें निम्नलिखित युक्तियों का प्रयोग करना चाहिए ।
    जैसे 1. श्रुतलेख :–इसमें एक व्यक्ति बोलता है तो दूसरा व्यक्ति सुनकर लिखता है। ऐसा करने से हम विद्यार्थी के श्रवण तथा लेखन क्षमता का आकलन कर लेते हैं ।
  3. आपूर्ति परीक्षण:- जिसे हम अंग्रेजी में क्लोज टेस्ट कहते हैं इसमें हम किसी कहानी या निबंध से कोई अनुच्छेद ले लेते हैं फिर उन अनुच्छेदों में से कुछ–कुछ शब्द निकालकर विद्यार्थियों के सामने रखते है फिर विद्यार्थियों को भरने के लिए कहां जाता है कि उपयुक्त शब्दों से रिक्त स्थानों की पूर्ति करें । ऐसा करने से हम विद्यार्थी के व्याकरण क्षमता, शब्द भंडार,पढ़कर समझने की क्षमता का आकलन कर लेते हैं ।
  4. कहानी का अपनी मातृभाषा में पुनर्लेखन : इसमें हम विद्यार्थी द्वारा पहले से पढ़ा गया पाठ को हम उनकी मातृभाषा में पुनर्लेखन को कहते हैं यहां हम उनकी लेखन क्षमता की जांच कर लेते हैं । साथ ही साथ हम एक भाषा से दूसरी भाषा में उनके द्वारा अनुवाद करने का क्षमता का भी आकलन कर लेते हैं ।
  5. कहानी का शीर्षक लिखना : इसमें हम विद्यार्थी को किसी निबंध,उपन्यास तथा अनुच्छेद का शीर्षक लिखने को कह कर हम उनके पठन की समझ क्षमता का आकलन कर लेते हैं ।
  6. कहानी से प्रश्न बनाना: ऐसा करने से हम विद्यार्थी के प्रश्न बनाने की क्षमता का आकलन कर लेते हैं ।
  7. नाटक का मंचन एवं संवाद लेखन : ऐसा करने से हम पाते हैं कि विद्यार्थी को कहां तक समझ आया कि वह किस अभिनय कर्ता को किस समय पर क्या प्रस्तुत करना है नाटक का मंच कैसा हो ? आदि के बारे में आकलन कर लेते हैं
  8. कविता की व्याख्या या उसका भावार्थ लेखन आदि ।

अतः मूल्यांकन का आकलन करते समय हमें किन बातों का ध्यान रखना चाहिए जैसा कि मैंने पहले भी ऊपर में बताया है कि परीक्षण विद्यार्थी की भाषा ज्ञान एवं क्षमता का आकलन एवं मूल्यांकन करने वाला होना चाहिए ना कि उनकी स्मरण शक्ति का ।
दूसरी बात आकलन करते समय हमें विद्यार्थी के मात्र कमजोर पक्षों को ही नहीं देखना चाहिए बल्कि उनकी कारण को भी ढूंढना चाहिए जिनके कारण विद्यार्थी की आपेक्षित पहलू कमजोर है ।