Language and thought for CTET and TET by India’s top learners

🌟 *भाषा और विचार ( Languagae and Thought )* 🌟

💫 *भाषा(Languagae):–* भाषा हमारे भाव या विचारों को व्यक्त करने का माध्यम है। मनुष्य पशुओं से इसलिए श्रेष्ठ है, क्योंकि मनुष्य के पास अपनी अभिव्यक्ति के लिए एक ऐसी भाषा होती है, जिससे लोग समझ सके।

🌟 *भाषा को प्रभावित करने वाले कारक:-* भाषा को प्रभावित करने वाले निम्नलिखित कारक है–

💫 *१. पारिवारिक परिस्थितियां:–* बालक जिस परिवार में जन्म लेता है, उस परिवार की भाषा का विशेष प्रभाव पड़ता है।

✨ बालक अपनी माता की गोद में जिस भाषा को सीखता है, उसी का नाम “मां की भाषा या मातृभाषा” है।

✨ और माता जो अपने बालक से जो बातचीत करती है, उससे “ Baby Talk” कहते हैं।

💫 *२. पड़ोस:-* चार से पांच साल में बच्चा पड़ोस में जाने लगता है, सामाजिक अनुक्रिया तीव्र कर देता है और बालक पड़ोस का अनुकरण करने लगता है।
इसी के संबंध में हरलॉक ने एक कथन दिया है–

🌟 *हरलॉक के अनुसार:-* “विकास में अनुकरण का विशेष प्रभाव पड़ता है, तुतलाना, हकलाना इत्यादि बच्चे पड़ोस से सीखते हैं।”

💫 *३. खेल और खेल के साथी:-* बच्चों का समय खेल में भी बीतता है , तो जिस प्रकार के बच्चे के खेल या खेल के साथी होंगे ,बालक भाषा भी उसी प्रकार से सीखेंगे।

💫 *४.भाषा की संख्या:-* कई भाषा का प्रयोग करना ठीक है, लेकिन बच्चे के समुचित विकास के लिए मातृभाषा के पूर्ण होने पर ही दूसरी भाषा को प्रेरित करना चाहिए।

💫 *५. विद्यालय और शिक्षक:-* शिक्षक बालक के लिए आदर्श होते हैं, जिससे बालक की भाषा में शिक्षक की भाषा का प्रभाव पड़ता है ।

🌟 *भाषा विकास का सिद्धांत:-* भाषा विकास के सिद्धांत में कुल तीन सिद्धांत आते हैं–

✨ *१. पावलव का सिद्धांत*
✨ *२. स्किनर का सिद्धांत*
✨ *३. बंडूरा का सिद्धांत*

💫 *१. पावलव का सिद्धांत:-* “बालक भाषा के शब्द और अर्थ के बीच संबंध स्थापित करके सीखते हैं ,इसे भाषा अनुबंध का सिद्धांत भी कहते हैं।”

💫 *२. स्किनर का सिद्धांत:* “बालक भाषा अनुकरण या पुनर्बलन के माध्यम से सीखते हैं।”

💫 *३. बंडूरा का सिद्धांत:-*“ बालक अनुकरण से सीखते हैं।”

💫 *४. चोमस्की का सिद्धांत:-* “बालक जिस भाषा को सुनता है, अपने आप सीख जाता है ।”

✨ भाषा ग्रहण करने की प्रवृति जन्मजात होती है । इससे भाषा का अर्जन तंत्र ( LAD) भी कहते है।
👉🏻 LAD = Language Acqisition Device

✨ व्याकरण भी अपने आप सीख जाते हैं , इसे हम “Generative Grammar Theory’s” भी कहते हैं।

🌟 *बालक की आयु और उनके शब्द भंडार* 🌟

✨ *0 से 8 माह – 0 शब्द*
✨ *9 से 12 माह – 3-4 शब्द*
✨ *18 माह – 10-12 शब्द*
✨ *2 वर्ष तक – 272 शब्द*
✨ *2,1/2 वर्ष तक – 450 शब्द*
✨ *3 वर्ष तक – 1000 शब्द*
✨ *3,1/2 वर्ष तक – 1250 शब्द*
✨ *4 वर्ष तक –1600 शब्द*
✨ *5 वर्ष तक – 2100 शब्द*
✨ *11 वर्ष तक – 50,000 शब्द*
✨ *14 वर्ष तक – 80,000 शब्द*
✨ *16 वर्ष से आगे तक – 1लाख से अधिक शब्द*

✍🏻✍🏻✍🏻 *Notes By – Pooja* ✍🏻✍🏻✍🏻

⛳भाषा और विचार⛳
( language and thought)
भाषा हमारे भाव या विचारों को व्यक्त करने का एक माध्यम है।
👉🏻मनुष्य,पशुओं से इसलिए श्रेष्ठ है क्योंकि मनुष्य के पास अपनी अभिव्यक्ति के लिए एक ऐसी भाषा होती है जिसे लोग समझ सके।
★ भाषा को प्रभावित करने वाले कारक—
१. पारिवारिक परिस्थिति—
👉🏻 बालक जिस परिवार में जन्म लेता है उस पर,उस परिवार का विशेष प्रभाव पड़ता है।
👉🏻 बालक अपने माता की गोद में जिस भाषा को सीखता है उसी का नाम मां की भाषा या मातृभाषा कहलाता है।
👉🏻मां अपने बालक से जो बातचीत करती है उसे baby talk कहते हैं.
२. पड़ोस—
👉🏻 चार-पांच साल में बच्चा पड़ोस में जाने लगता है तथा सामाजिक अनुक्रिंया तीव्र कर देता है।
👉🏻 बालक पड़ोस का अनुसरण करने लगता है।
★ हरलॉक के अनुसार—” भाषा के विकास में अनुकरण का विशेष प्रभाव पड़ता है तुतलाना,हकलाना इत्यादि बच्चा पड़ोस से ही सीखता है।”
३. खेल और खेल के साथी—
👉🏻 बच्चों का समय खेल में भी बीतता है तो जिस प्रकार, बच्चे के खेल या खेल के साथी होंगे वह भाषा उसी प्रकार से सीखेंगा।
४. भाषा की संख्या—
👉🏻 कई भाषाओं का प्रयोग एक साथ कराना ठीक नहीं है, बच्चे के समुचित विकास के लिए मातृभाषा के पूर्ण होने पर ही दूसरी भाषा को प्रेरित करना चाहिए।
५. विद्यालय और शिक्षक—
👉🏻 शिक्षक बालक के लिए आदर्श होते हैं, बालक की भाषा में शिक्षक की भाषा का प्रभाव पड़ता है।
★ भाषा विकास के सिद्धांत★
भाषा विकास के सिद्धांत निम्नलिखित है—
१. पावलव का सिद्धांत—” बालक,भाषा के शब्द और अर्थ के बीच संबंध स्थापित करके सीखता है”।
👉🏻 इसे पावलव भाषा अनुबंध का नाम दिया है।
२.स्किनर का सिद्धांत—” बालक, भाषा अनुकरण या पुनर्बलन के माध्यम से सीखता है”।
३. बंडूरा का सिद्धांत—” बालक अनुकरण से सीखता है”।
👉🏻 बंडूरा पुनर्बलन को बल नहीं देता है।
★चॉमत्स्की—” बालक जिस भाषा को सुनता है अपने आप सीख जाता है”.
👉🏻 भाषा ग्रहण करने की शक्ति जन्मजात होती है इसे भाषा अर्जन तंत्रण (LAD) कहा जाता है।
LAD— language acquisition divide
👉🏻 बच्चा व्याकरण भी अपने आप सीख जाता है ( Generative grammar theory)
★बच्चे की आयु के अनुसार शब्द भंडार—
0-8 माह तक— 0 शब्द
9-12 माह तक— 3 से 4 शब्द
18 माह — 10-12 शब्द
2 वर्ष तक — 272 शब्द
2+1/2 वर्ष तक— 450 शब्द
3 वर्ष तक — 1000 शब्द
3+1/2 वर्ष तक — 1250 शब्द
4 वर्ष तक — 1600 शब्द
5 वर्ष तक — 2100 शब्द
11 वर्ष तक — 50,000 शब्द
14 वर्ष तक — 80,000 शब्द
16 वर्ष के आगे — 1 लाख से अधिक शब्द
🌸🌸व्यक्तित्व🌸🌸
( Personality)
👉🏻 व्यक्तित्व किसी भी व्यक्ति के प्रभाव या आकर्षण को दिखाता है।
👉🏻 व्यक्तित्व अनेक प्रकार के गुण व अवगुण को समाहित किया रहता है व्यक्तित्व का वर्गीकरण किसी एक वस्तु ,अनुशासन, तथ्य इत्यादि के आधार पर नहीं किया जा सकता।
★ व्यक्तित्व का वर्गीकरण— 👉🏻व्यक्तित्व का वर्गीकरण निम्न प्रकार किया जा सकता है—
१. सामाजिक अंतः क्रिया के आधार पर व्यक्तित्व का वर्गीकरण—
🔸युंग या जुंग(yung/jung) — युंग ने व्यक्तित्व को तीन भागों में विभाजित किया है—
१. अंतर्मुखी व्यक्तित्व— अंतर्मुखी व्यक्तित्व वाले लोग मनन, चिंतन, आत्म केंद्रित, आत्मचिंतन, संवेदनशील, मितभाषी, कर्तव्यनिष्ठ,संकोची, होते हैं तथा सामाजिक व्यवहार में अच्छा प्रदर्शन नहीं करते है।
२. बहिर्मुखी व्यक्तित्व— बहिर्मुखी व्यक्तित्व वाले लोग समाज केंद्रित,व्यवहारिक, साहसिक, चिंता मुक्त, आशावादी, सामाजिक कार्य में रुचि लेने वाले, लोकप्रिय तथा कुशल वक्ता होते हैं।
३.उभयमुखी व्यक्तित्व— जिसमें अंतर्मुखी और बहिर्मुखी दोनों लक्षण लगभग समान रूप से विद्यमान रहते हैं उन्हें उधर मुख्य व्यक्तित्व कहते हैं।
🔸 फ्रॉयड का मनोविश्लेषणात्मक सिद्धांत— फ्रायड ने व्यक्तित्व को तीन भागों में विभाजित किया है—
१. Id (इदम्) — इदम् को अचेतन मन से जुड़ा है।
यह अचेतन मन मूल प्रवृत्ति, नैतिकता से संबंधित है जिसे शीघ्र तृप्ति चाहिए होती है
२. Ego(अहम्) — यह चेतन मन से जुड़ा होता है।
चेतना, इच्छाशक्ति, बुद्धि यह अहम के अंतर्गत आता है।
इसमें व्यक्ति की दमित इच्छाएं होती है।
३. Super ego (परमअहम्) —इसे आदर्शवादी माना गया है।
🔸 शेल्डन का रचना सिद्धांत—
👉🏻 शेल्डन ने व्यक्तित्व को तीन भागों में विभाजित किया है—
१. गोलाकृति— ऐसे व्यक्तियों की गर्दन गोल,मांस पेशियों से पूर्ण, चर्बी का बढ़ना आदि इसके अंतर्गत होता है।
२. आयताकृति—इसमें हड्डी और मांसपेशी का विकास दिखता है।
३. लंबाकृति— केंद्रीय स्नायु संस्थान के मांस पेशी तंतु विकसित होते हैं।
🔸क्रेश्मर का सिद्धांत—
👉🏻क्रश्मर ने व्यक्तित्व को चार भागों में विभाजित किया है—
१.लम्बकाय ( एस्थेनिक) — ऐसे व्यक्तित्व वाला व्यक्ति दुबला, पतला और लंबा होता है।
२. खिलाड़ी (एथलेटिक) — ऐसे लोगों का शरीर अच्छा, फुर्तीला,और खिलाड़ी होते हैं।
३.नाटा (पिकनिक) — ऐसे व्यक्ति मोटे और नाटे होते हैं।
४. मिश्रित— इसमें उपरोक्त तीनों प्रकार के व्यक्ति आते हैं.
🔸आर. बी. कैटल का सिद्धांत—
👉🏻 आर.बी.कैटल का सिद्धांत, प्रतिकारक प्रणाली सिद्धांत (repulsion system theory) के नाम से जाना जाता है.
👉🏻व्यक्ति किसी भी परिस्थिति में जो कार्य करता है उसका प्रतिफल ही व्यक्तित्व है।
👉🏻चरित्र की सुंदरता, कल्पनाशीलता, उत्सुकता, भावनात्मक एकता, सामाजिकता, अभिप्रेरक उत्सुकता) इन सभी कारकों से दर्शायी जाती है.
🔸ऑल्पोर्ट का सिद्धांत—
👉🏻ऑल्पोर्ट के सिद्धांत को शीलगुण सिद्धांत/ विशेषक सिद्धांत ( Trait theory) के नाम से भी जाना जाता है.
👉🏻 व्यवहार,विचार,भावना को शीलगुण कहते हैं ।
यह लंबी अवधि में भी बहुत समय तक अपरिवर्तित रहती है।
यह अलग-अलग व्यक्तियों में अलग-अलग होती है।
🔸मुर्रे का सिद्धांत—
👉🏻 व्यक्तित्व कार्यात्मक व शक्तियों की निरंतरता है जो संगठित प्रक्रिया के रूप में जन्म से मृत्यु तक बहिर्मुखी होकर प्रकट होती है।
Notes by Shivee Kumari😊
🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸

🗣️ भाषा एवं चिंतन 🗣️

*भाषा*
भाषा हमारे भाव या विचारों को व्यक्त करने का माध्यम है। मनुष्य पशु से इसलिए श्रेष्ठ है क्योंकि मनुष्य के पास अपनी अभिव्यक्ति के लिए एक ऐसी भाषा होती है जिसे लोग समझते हैं।

⭐ *भाषा को प्रभावित करने वाले कारक:-*

✍️ पारिवारिक परिस्थिति
बालक जिस परिवार में जन्म लेता है उस परिवार की भाषा का विशेष प्रभाव पड़ता है। बालक अपनी माता की गोद में जिस भाषा को सीखता है उसी का नाम मां की भाषा या ‘ *मातृभाषा* ‘ कहते हैं और माता अपनी बालक से जो बातचीत करती है उसे *बेबी टॉक* (Baby Tolk) कहते हैं।

✍️ *पड़ोस*
4 से 5 साल में बच्चा पड़ोस में जाने लगता है। इस अवस्था में बालक सामाजिक अनुक्रिया तीव्र कर देता है और पड़ोस का अनुसरण करने लगता है।

हरलॉक के अनुसार, “भाषा के विकास में अनुसरण का विशेष प्रभाव पड़ता है। तुतलाना, हकलाना इत्यादि बच्चा पड़ोस से ही सीखता है।”

✍️ *खेल और खेल के साथी*

बच्चों का समय खेल में भी बितता है तो जिस प्रकार के बच्चे के खेल या खेल के साथ ही होंगे भाषा उसी प्रकार के सीखेंगे।

उदाहरणार्थ बालक अपने दोस्तों के साथ जैसा खेल (जैसे कबड्डी, गुल्ली-डंडा, कंचा या पिट्ठो) खेलता है तो उसकी भाषा भी वैसे ही होगी जैसे कि बाकी साथी बोलते हैं।

✍️ *भाषा की संख्या*

बच्चे के भाषा के विकास में भाषा की संख्या भी प्रभावित करती है। अतः कई भाषा का प्रयोग करना ठीक नहीं है बच्चे की समुचित विकास के लिए मातृभाषा के पूर्ण होने पर ही दूसरी भाषा को सीखने के लिए प्रेरित करना चाहिए।

उदाहरणार्थ यदि बच्चा घर में मैथिली बोलता हूं विद्यालय में अंग्रेजी और पास पड़ोस में बंगाली भाषा बोली जाती हो तो बच्चे का भाषा विकास संपूर्ण रूप से नहीं हो पाएगा ऐसी परिस्थिति में बच्चा अपनी बातों को सही तरीके से नहीं कह पाएगा।

✍️ *विद्यालय और शिक्षक*

शिक्षक बालक के लिए आदर्श होते हैं इसलिए बालक की भाषा में शिक्षक की भाषा का प्रभाव पड़ता है।

*भाषा विकास के सिद्धांत*

🐕 पावलाव के अनुसार, “बालक भाषा के शब्द और अर्थ के बीच संबंध स्थापित करके सीखता है इसको भाषा अनुबंध कहा गया।”

🕊️ स्किनर के अनुसार, “बालक भाषा अनुकरण या पुनर्बलन के माध्यम से सीखता है।”

⭐बण्डुरा के अनुसार, “बालक अनुकरण से सीखता है।” इन्होंने पुनर्बलन को महत्व नहीं दिया।

⭐चॉम्स्की के अनुसार, ” बालक जिस भाषा को सुनता है अपने आप सीख जाता है।” भाषा ग्रहण की प्रवृत्ति जन्मजात होती है, जिसे *भाषा अर्जन यंत्र* (Language Acquisition Device) कहते हैं।

*बालक की आयु* *शब्द भण्डार*
0 से 8 माह तक – 0 शब्द
09 से 12 माह तक – 3 से 4 शब्द
18 माह – 10 से 12 शब्द
2 वर्ष तक – 272 शब्द
2½ वर्ष तक – 450 शब्द
3 वर्ष तक – 1000 शब्द
3½ वर्ष तक – 1250 शब्द
4 वर्ष तक – 1600 शब्द
5 वर्ष तक – 2100 शब्द
11 वर्ष तक – 50000 शब्द
14 वर्ष तक – 80000 शब्द
16 वर्ष तक – 1 लाख से अधिक

⭐⭐⭐
_____________________________

👔 *व्यक्तित्व* (Personality)👔

व्यक्तित्व किसी व्यक्ति के प्रभाव या आकर्षण को दिखाता है। व्यक्तित्व अनेक गुण, अवगुण को समाहित किया रहता है। व्यक्तित्व का वर्गीकरण किसी एक गुण, वस्तु, अनुशासन, तथ्य आदि के आधार पर नहीं किया जा सकता है।

⭐व्यक्तित्व का वर्गीकरण:-

👨‍👩‍👦‍👦 सामाजिक अंतः क्रिया के आधार पर वर्गीकरण :-

जुंग (Jung) या युंग (Yung) ने सामाजिक अंतः क्रिया के आधार पर व्यक्तित्व को 3 वर्गों में विभाजित किया। जो निम्नलिखित हैं-

1️⃣ *अंतर्मुखी व्यक्तित्व*

मनन, चिंतन, आत्मचिंतन, आत्मकेंद्रित, संवेदनशील, मितभाषी, कर्तव्यनिष्ठ, संकोची होते हैं तथा इनका सामाजिक व्यवहार में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाते हैं।

2️⃣ *बहिर्मुखी व्यक्तित्व*

समाज केंद्रित व्यवहारिक साहसिक चिंता मुक्त आशावादी, सामाजिक कार्य में रुचि लेने वाले, लोकप्रिय तथा कुशल वक्ता होते हैं।

3️⃣ *उभय मुखी व्यक्तित्व*

इस व्यक्तित्व के लोगों में अंतर्मुखी एवं बहिर्मुखी दोनों व्यक्तित्व के लक्षण सामान्य रूप से विद्यमान रहते हैं।

⭐फ्रॉयड के मनोविश्लेषणात्मक सिद्धांत

1️⃣इदम्(Id) – इसका संबंध अचेतन से है। इसमें व्यक्ति की मूल प्रवृत्ति नैसर्गिक इच्छाएं तथा शीघ्र तृप्ति के लिए होती है ।

2️⃣अहम् (Ego) – इसका संबंध चेतना से है। इसमें व्यक्ति चेतना, इच्छाशक्ति, बुद्धि, तथा तर्क शक्ति का प्रयोग करता है।

3️⃣ परम अहम् (Super Ego)
इसमें व्यक्ति का व्यक्तित्व आदर्शवादी होता है।

⭐शेल्डन का रचना सिद्धांत

1️⃣ गोलाकृति – इसमें व्यक्ति गर्दन गोलाकार, शरीर मांसपेशियों से पूर्ण तथा पेट की चर्बी का बढ़ने लगता है।

2️⃣ आयताकृति – हड्डी और मांसपेशी का विकास

3️⃣ लंबाकृति – केंद्रीय स्नायु मंडल के मांसपेशी तंतु विकसित होते हैं।

⭐R.B. कैटल का प्रतिकारक प्रणाली सिध्दांत
(RB Cattle’s Repulsive System Theory)

व्यक्ति किसी भी परिस्थिति में जो कार्य करता है उसी का प्रतिरूप ही व्यक्तित्व है। व्यक्ति के चरित्र की सुंदरता भावनात्मक एकता, सामाजिकता, कल्पनाशीलता, अभिप्रेरक, उत्सुकता इन सभी कारकों से दर्शाई जाती है।

⭐आलपोर्ट का शीलगुण या विशेषक सिद्धांत

व्यवहार, विचार, भावना को ‘शीलगुण(Trait)’ कहते हैं। यह लंबी अवधि में भी बहुत सीमा तक अपरिवर्तित रहती है। यह अलग अलग व्यक्ति में अलग-अलग होती है।

⭐मूर्रे का सिद्धांत

व्यक्तित्व कार्यात्मक एवं शक्तियों की निरंतरता है जो संगठित प्रक्रिया के रूप में जन्म से मृत्यु तक बहिर्मुखी होकर प्रकट होते हैं।

⭐क्रेश्मर का सिद्धांत

क्रेशमर ने व्यक्तित्व को चार भागों में वर्गीकृत किया है-

1️⃣ लंबकाय – दुबला, पतला, लंबा
2️⃣ खिलाड़ी एथलेटिक – शरीर अच्छा, फुर्तीला, खिलाड़ी
3️⃣ नाटा(पिकनिक) – मोटा और नाटा
4️⃣ मिश्रित – सभी प्रकार के व्यक्तित्व

⭐⭐⭐

——Awadhesh Kumar——

🔥भाषा और विचार🔥

भाषा हमारे भाव या विचारो को व्यक्त करने का एक माध्यम है

मनुष्य पशुओं से इसलिए श्रेष्ठ है क्योंकि मनुष्य के पास अपनी अभिव्यक्ति के लिए एक ऐसी भाषा है जिसे लोग समझ सके ।

🌸भाषा को प्रभावित करने वाले कारक ➖
1️⃣पारिवारिक स्तिथि ➖बालक जिस परिवार में जन्म लेता है । उस परिवार की भाषा का विशेष प्रभाव पड़ता है

🔥बालक अपनी माता की गोद में जिस भाषा को सिखाया है ।उसी का नाम मातृभाषा है ।

🔥माता अपने बालक से को बात चीत करती है उसे बेबी talk कहते है।

2️⃣ पड़ोस ➖4-5 में बच्चा पड़ोस में जाने लगता है । सामाजिक अनिक्रिया तीव्र कर देता है। बालक पड़ोस का अनुसरण करने लगता है

🔥 हरलॉक के अनुसार ➖भाषा के विकाश में अनुकरण का विशेष प्रभाव पड़ता है । तुतलाना,हकलाना इत्यादि बच्चा पड़ोस से सीखता है।

3️⃣ खेल और खेल के साथी ➖बच्चो का समय खेल में भी बीतता है। जिस प्रकार के बच्चे के खेल या खेल के साथी होगे भाषा उसी प्रकार की सीखेगे ।

4️⃣ भाषा की संख्या ➖कई भाषा का प्रयोग एक साथ करना ठीक नहीं है ।
5️⃣ विद्यालय और शिक्षक ➖ शिक्षक बालक के लिए आदर्श होता है बालक की भाषा में शिक्षक की भाषा का प्रभाव पड़ता है

🔥भाषा का सिद्धांत ➖
🎯 पावलव➖बालक भाषा के शब्द और अर्थ के बीच सम्बन्ध स्थापित करके सीखता है।
🎯 स्किनर ➖बालक भाषा अनुकरण के माध्यम से सीखता है
🎯 बंडुरा ➖ बालक अनुकरण से सीखता है पुनरबलन को बल नहीं देता
🎯चोमास्की ➖ बालक जिस भाषा को सुनता है अपने आप सीख जाता है
🔥भाषा ग्रहण करने की प्रवृत्ति जन्मजात होती है
🔥भाषा अर्जन तंत्र है
🔥बच्चा व्याकरण भी अपने आप सीख जाता है ।

🍁बालक की आयु और शब्द भंडार ➖
0-8 माह में 0 शब्द

9-12 माह में 3-4शब्द
18 माह तक 10-12 शब्द
2वर्ष तक 272 शब्द
2 1/2वर्ष तक। 450 शब्द
3 वर्ष 1000 शब्द
3 1/2 वर्ष। 1250 शब्द
4 वर्ष 1600 शब्द
5 वर्ष तक 2100 शब्द
11 वर्ष तक 50000शब्द
14वर्ष तक 80000 शब्द
16 वर्ष से आगे। 100000शब्द

📒Notes by
📝 Arti savita

🔆 भाषा और विचार ( Language & Thought )

⭕ भाषा (Language) ➖

भाषा हमारे भाव या विचारों को व्यक्त करने का एक माध्यम है भाषा के माध्यम से हम अपने विचारों को अपने हाव-भाव के द्वारा प्रकट करते हैं |

🍀 मनुष्य पशु से इसलिए श्रेष्ठ है क्योंकि मनुष्य के पास अभिव्यक्ति के लिए एक ऐसी भाषा होती है जिसको लोग समझ सकते हैं |

🍀 यदि हमारे विचार सकारात्मक या नकारात्मक होंगे तो वैसे ही हमारी भाषा भी होगी |

🍀 भाषा और विचार परस्पर एक दूसरे को प्रभावित करते हैं जिनको व्यक्ति स्वयं कंट्रोल कर सकता है |

🎯 भाषा को प्रभावित करने वाले कारक ➖

⭕ पारिवारिक परिस्थिति ➖

बालक जिस परिवार में जन्म लेता है उस परिवार की भाषा का विशेष प्रभाव पड़ता है |
बालक अपनी मां की गोद में जिस भाषा को सीखता है उसी का नाम ” माता की भाषा या मातृभाषा” है |
माता अपने बालक से जो बातचीत करती है उसे ” बेबी टॉक (Baby talk)” कहते हैं |

⭕ पड़ोस ➖

4 – 5 साल में बच्चा पड़ोस में जाने लगता है सामाजिक अनुक्रिया तीव्र कर देता है बालक पड़ोस का अनुसरण करने लगता है |

🍀 हरलॉक के अनुसार ➖

” भाषा के विकास में अनुकरण का विशेष प्रभाव पड़ता है तुतलाना ,हकलाना इत्यादि बच्चा पड़ोस से ही सीखता है ” |

⭕ खेल और खेल के साथी ➖

बच्चों का समय खेल में भी बीतता है तो जिस प्रकार की बच्चे की खेल या खेल की साथियों के भाषा होगी बच्चे उसी प्रकार की भाषा सीखेंगे |

⭕ भाषा की संख्या ➖

कई भाषा का प्रयोग करना ठीक नहीं है बच्चे का समुचित विकास तभी संभव है जब मातृभाषा के पूर्ण होने पर ही दूसरी भाषा को प्रेरित किया जाए |

⭕ विद्यालय और शिक्षक ➖

शिक्षक बालक के लिए आदर्श होते हैं बालक की भाषा में शिक्षक की भाषा का बहुत प्रभाव पड़ता है यदि शिक्षक भाषा में निपुण है तो बच्चे भी निपुण होंगे |

🎯 भाषा विकास के सिद्धांत ➖

🍀 पावलव का सिद्धांत ➖

बालक भाषा के शब्द और अर्थ के बीच संबंध स्थापित करके सीखता है इसको भाषा अनुबंध का सिद्धांत भी कहते हैं |

🍀 स्किनर का सिद्धांत ➖

बालक भाषा अनुकरण या पुनर्बलन के माध्यम से सीखता है |

🍀 बंडूरा का सिद्धांत ➖

बालक अनुकरण से सीखता है |

🍀 चोमस्की का सिद्धांत➖

बालक जिस भाषा को सुनता है वह अपने आप सीख जाता है | भाषा ग्रहण करने की प्रवृत्ति जन्मजात होती है इसे LAD ( Language Acquisition Device) या “भाषा अर्जन तंत्र” कहते हैं |
व्याकरण भी अपने आप सीख जाता है इसको ” Generative Grammar Theory” कहते हैं |

🎯 बालक की आयु के अनुसार शब्द भंडार ➖

1) 0 – 8 माह ➖0

2) 9 – 12 माह ➖3 – 4 शब्द

3) 18 माह तक ➖ 10 – 12 शब्द

4) 2 वर्ष तक ➖ 272 शब्द

5) ढाई वर्ष तक ➖450 शब्द

6) 3 वर्ष तक ➖1000 शब्द

7) 3× 1/2वर्ष तक 1250 शब्द |

8) 4 वर्ष तक ➖1600 शब्द

9) 11 वर्ष तक ➖50 ,000

10) 14 वर्ष तक ➖ 80,000 शब्द

16 से आगे ➖एक लाख से अधिक शब्द |

नोट्स बाय➖ रश्मि सावले

, 🍀🌻🌼🌺🌸🍀🌻🌼🌺🌸🍀🌻🌼🤔🌸🌻

🌼🌼🌼भाषा और विचार🌼🌼🌼
🌼 भाषा हमारे भाव, विचारों को व्यक्त करने का माध्यम है मनुष्य पशुओं मनुष्य पशुओं से इसलिए श्रेष्ठ है क्योंकि मनुष्य के पास अपनी अभिव्यक्ति के लिए एक ऐसी भाषा होती है जिसे लोग समझ सके ।।

🌼भाषा को प्रभावित करने वाले कारक🌼
🌼1. पारिवारिक परिस्थितियां — बालक जिस परिवार में जन्म लेता है उस परिवार की भाषा का विशेष प्रभाव पड़ता है बालक अपनी माता की गोद में जिस भाषा को सीखता है उसी का नाम ” मां की भाषा या मातृभाषा “है
🌼माता अपने बालक से जो बातचीत करती है उसे” baby talking”कहते हैं

🌼2. पड़ोस — चार-पांच साल में बच्चा पड़ोस में जाने लगता है सामाजिक अनुक्रिया तीव्र कर देता है
🌼बालक पड़ोस के का अनुकरण करने लगता है

🌼🌼हरलॉक के अनुसार — भाषा के विकास में अनुकरण का विशेष प्रभाव पड़ता है तुत्लाना ,हकलाना इत्यादि बच्चा पड़ोसी से सीखता है

🌼3. खेल और खेल के साथी — बच्चों का समय खेल में भी बीतता है तो जिस प्रकार के बच्चे के खेल और साथ खेल के साथी होंगे भाषा उसी प्रकार की सीखेंगे.।।

🌼4.भाषा की संख्या –कई भाषा का प्रयोग करना ठीक नहीं है बच्चे के समूचित विकास के लिए मातृभाषा के पूर्ण होने पर ही दूसरी भाषा को प्रेरित करना चाहिए

🌼5. विद्यालय और शिक्षक — शिक्षक बालक के लिए आदर्श होते हैं बालक की भाषा में शिक्षक की भाषा का प्रभाव पड़ता है

🌼🌼भाषा विकास का सिद्धांत🌼🌼

🌼 पावलव के अनुसार – बालक,भाषा के शब्द और अर्थ के बीच संबंध स्थापित कर के सीखता है ( भाषा अनुबंधन)

🌼स्किनर के अनुसार – बालक भाषा अनुकरण या पुनर्बलन के माध्यम से सीखता है

🌼 बंडूरा के अनुसार –बालक अनुकरण से सीखता है

🌼चोम्स्की के अनुसार- बालक जिस भाषा को सुनता है अपने आप सीख जाता है, भाषा ग्रहण करने की प्रवृत्ति जन्मजात है,
🌼भाषा अर्जन तंत्र( LAD – language acquisition device)
🌼व्याकरण भी अपने आप सीख जाता है

बालक की आयु ——–शब्द भंडार
🌼0-15 माह तक— 0 शब्द
🌼9-12 माह तक– 3-4 शब्द
🌼18 माह तक– 10-12 शब्द
🌼2 वर्ष तक— 272 शब्द
🌼 ढाई वर्ष तक – 450 शब्द
🌼 3 वर्ष तक– 1100 शब्द
🌼 साढ़े 3 वर्ष तक– 1250 शब्द
🌼 4 वर्ष तक– 1600 शब्द
🌼 5 वर्ष तक– 2100 शब्द
🌼 11 वर्ष तक– 50000 शब्द
🌼 14 वर्ष तक — 80000 शब्द
🌼 16 वर्ष तक – 1 लाख से अधिक

🌼🌼 व्यक्तित्व( personality) 🌼🌼

🌼व्यक्तित्व किसी व्यक्ति के प्रभाव या आकर्षण को दिखाता है व्यक्तित्व अनेक गुण, अवगुण को समाहित किया रहता है व्यक्तित्व का वर्गीकरण किसी एक गुण ,वस्तु ,अनुशासन, तत्व इत्यादि के आधार पर नहीं किया जा सकता हैं ।।

🌼🌼सामाजिक अंत:क्रिया के आधार पर वर्गीकरण 🌼🌼
🌼प्रवर्तक – कर्ल जुंग ( युंग)

🌼🌼🌼अंतर्मुखी व्यक्तित्व 🌼🌼🌼
🌼मनन, चिंतन, आत्मचिंतन ,आत्म केंद्रित ,संवेदना शील , मितभाषी , कर्तव्यनिष्ठ सामाजिक व्यवहार मे अच्छा प्रदर्शन नहीं करते हैं

🌼🌼🌼बहिर्मुखी व्यक्तित्व🌼🌼🌼
🌼 बहुमुखी व्यक्तित्व के लोग समाज केंद्रित, व्यवहारिक, साहसिक, चिंता मुक्त ,आशावादी होते है
🌼 सामाजिक कार्य में रुचि लेते हैं
🌼 लोकप्रिय होते हैं
🌼 कुशल वक्ता होते हैं

🌼🌼 उभय मुखी 🌼🌼🌼
🌼अंतर्मुखी और बहिर्मुखी दोनो लक्षण, लगभग समान रूप से विद्यमान होते हैं

🌼फ्रायड का विश्लेषणात्मक सिद्धांत🌼🌼
🌼 इदम् (I’d) – अचेतन, मूल प्रव्रति, शीघ्र तृप्ति
🌼 अहम (ego) – चेतना, इच्छाशक्ति और बुद्धि ,तर्क
🌼 परम् अहम् ( super ego) – आशावादी होते हैं

🌼🌼 शैलडान का रचना सिद्धांत🌼🌼
🌼 गोलाकृति – गोल गर्दन ,मांसपेशियां से पूर्ण , चर्बी का बढ़ना
🌼आयताकृति -हड्डी और मांस पेशी का विकास
🌼लंबा कृति — केंद्रीय स्नायु संस्थान के मांसपेशी ,तंतु विपरीत होते हैं

🌼🌼आर.बी कैटल का प्रतिपादक प्रणाली सिद्धांत 🌼🌼🌼
🌼व्यक्ति किसी परिस्थिति में जो कार्य करता है उसी का प्रतिरूप ही व्यक्तित्व है
🌼 चरित्र की सुंदरता -भावनात्मक एकता, सामाजिकता ,क्षमता ,कल्पनाशीलता, अभिप्रेरक, उत्सुकता इन सभी कार्यों से दर्शाई जाती है

🌼🌼ऑलपोर्ट का सिद्धांत -( शील गुण सिद्धांत )(विशेषक सिद्धांत )

🌼व्यवहार ,विचार ,भावना को शील गुण कहते हैं यह लंबी अवधि में बहुत सीमा तक अपरिवर्तित रहती है यह अलग अलग व्यक्ति मे अलग अलग होती है

🌼🌼 मुर्रे का सिद्धांत ( H. A. Murray)
🌼 व्यक्तित्व कार्यात्मक एवं शक्तिओ की निरंतरता है जो संगठित प्रक्रिया के रूप में जन्म से मृत्यु तक बहिर्मुखी होकर प्रकट होती है

🌼🌼 क्रेशमर का सिद्धांत 🌼🌼
🌼🌼4 प्रकार🌼🌼
🌼1. लंबकायॅ – दुबला, पतला लंबा ,
🌼2. खिलाड़ी स्थेलिटिक – शरीर अच्छा, फुर्तीला ,खिलाड़ी जैसा
🌼3. नाटा ( पिकनिक) – मोटा और नाटा
🌼4. मिश्रित – सभी प्रकार के व्यक्तित्व आते है

🌼🌼🌼notes by manjari soni 🌼

☄️ 💞🎤 भाषा और चिंतन 🎤💞☄️

🎻भाषा और विचार
🎻भाषा विकास
🎻 भाषा-विकास

☄️भाषा हमारे भाव या विचारों को व्यक्त करने का माध्यम है;
☄️ मनुष्य पशुओं से इसलिए श्रेष्ठ है क्योंकि मनुष्य के पास अपनी अभिव्यक्ति के लिए एक ऐसी भाषा होती है जिसे लोग समझ सकते हैं;

📯📯भाषा और विचार📯📯

☄️यदि भाषा हमारी सकारात्मक विचार भी सकारात्मक होगा;

☄️हमारा विचार सकारात्मक है तो भाषा भी सकारात्मक होगी;

🎶 🎶भाषा को प्रभावित करने वाले कारक🎶🎶

👨‍👩‍👧‍👧🎶1. पारिवारिक परिस्थितियां — बालक जिस परिवार में जन्म लेता है उस परिवार की भाषा का विशेष प्रभाव पड़ता है बालक अपनी माता की गोद में जिस भाषा को सीखता है उसी का नाम ” मां की भाषा या मातृभाषा “है

🎶माता अपने बालक से जो बातचीत करती है उसे” बेबी टाकिंग”कहते हैं ।

🎺उदाहरण÷रोहन और सोहन दो बच्चे हैं; रोहन के परिवार के लोग पढ़े लिखे हैं व सोहन के परिवार के लोग कम पढ़े लिखे हैं रोहन अधिक शुद्ध हिंदी व सार्थक शब्द वाक्यों का प्रयोग करता है; वही सोहन अशुद्ध व निरर्थक वा कम सार्थक शब्दों वाक्यों का प्रयोग कर पाता है।

👥👥2. पड़ोस — चार से पांच साल में बच्चा पड़ोस में जाने लगता है सामाजिक अनुक्रिया तीव्र कर देता है ;

🎶बालक पड़ोस का अनुकरण करने लगता है ;

👨🏻‍🏫🎶हरलॉक के अनुसार — भाषा के विकास में अनुकरण का विशेष प्रभाव पड़ता है तुत्लाना ,हकलाना इत्यादि बच्चा पड़ोसी से सीखता है ।

🤽🎶3. खेल और खेल के साथी — बच्चों का समय खेल में भी बीतता है तो जिस प्रकार के बच्चे के खेल और साथ खेल के साथी होंगे भाषा उसी प्रकार की सीखेंगे.।

🔈🔉🔊 4.भाषा की संख्या –कई भाषा का प्रयोग करना ठीक नहीं है बच्चे के समूचित विकास के लिए मातृभाषा के पूर्ण होने पर ही दूसरी भाषा को प्रेरित करना चाहिए

🏘️👨🏻‍🏫5. विद्यालय और शिक्षक — शिक्षक बालक के लिए आदर्श होते हैं बालक की भाषा में शिक्षक की भाषा का प्रभाव पड़ता है।

🎺उदाहरण÷शिक्षक विद्यालय में जिस प्रकार की भाषा का प्रयोग करता है छात्र भी उसका अनुकरण करके उसी प्रकार की भाषा का प्रयोग करने लगता है इसलिए शिक्षक को हमेशा सार्थक शब्दो , वाक्यों वा मितभाषी होना चाहिए।

🌱🌱भाषा विकास का सिद्धांत🌱🌱

👨🏻‍🏫🎶पावलव के अनुसार – बालक,भाषा के शब्द और अर्थ के बीच संबंध स्थापित कर के सीखता है। ( भाषा अनुबंधन का सिद्धांत)

👨🏻‍🏫🎶स्किनर के अनुसार – बालक भाषा अनुकरण या पुनर्बलन के माध्यम से सीखता है।

👨🏻‍🏫🎶 बंडूरा के अनुसार –बालक अनुकरण से सीखता है।

👨🏻‍🏫🎶चोम्स्की के अनुसार- बालक जिस भाषा को सुनता है अपने आप सीख जाता है,

🎶🎻भाषा ग्रहण करने की प्रवृत्ति जन्मजात है, इसी को भाषा अर्जन तंत्र कहते‌ है ( LAD – Language Acquisition Device)

☄️व्याकरण भी अपने आप सीख जाता है।

🌱🌱बालक की आयु शब्द भंडार🌱🌱

💞0-15 माह तक— 0 शब्द💞

💞9-12 माह तक– 3-4 शब्द💞

💞18 माह तक– 10-12 शब्द💞

💞2 वर्ष तक— 272 शब्द💞

💞ढाई वर्ष तक – 450 शब्द💞

💞3 वर्ष तक– 1100 शब्द💞

💞साढ़े 3 वर्ष तक– 1250 शब्द

💞4 वर्ष तक– 1600 शब्द💞

💞 5 वर्ष तक– 2100 शब्द💞

💞 11 वर्ष तक– 50,000 शब्द

💞 14 वर्ष तक — 80,000 शब्द💞

💞 16 वर्ष तक – 1 लाख से अधिक💞

💞हस्तलिखित-शिखर पाण्डेय 💞

🏵️ भाषा और विचार 🏵️(language and thought)
भाषा हमारे भाव या विचारों को व्यक्त करने का एक माध्यम है।
👉 मनुष्य, पशुओं से इसलिए श्रेष्ठ है क्योंकि मनुष्य के पास अपनी अभिव्यक्ति के लिए एक ऐसी भाषा होती है जिसे लोग समझ सके।
◾ भाषा को प्रभावित करने वाले कारक:—
1–पारिवारिक परिस्थिति:—
👉 बालक जिस परिवार में जन्म लेता है उस परिवार की भाषा का विशेष प्रभाव पड़ता है।
👉 बालक अपनी माता की गोद में जिस भाषा को सीखता है उसी का नाम मां की भाषा या मातृभाषा है।
👉 माता अपने बालक से जो बातचीत करती है उसे बेबी टाक कहते हैं।
2-पड़ोस:—
👉4 से 5 साल में बच्चा पड़ोस में जाने लगता है सामाजिक अनुक्रिया तीव्र कर देता है बालक पड़ोस का अनुसरण करने लगता है।
⚜️ हरलॉक के अनुसार:—भाषा के विकास में अनुकरण का विशेष प्रभाव पड़ता है तुतलाना, हकलाना इत्यादि बच्चा पड़ोस से ही सीखता है।
3-खेल और खेल के साथी:—
👉 बच्चों का समय खेल में भी बीतता है तो जिस प्रकार के बच्चों के खेल या खेल के साथी होंगे भाषा उसी प्रकार की सीखेंगे।
4-भाषा की संख्या:—
👉 कई भाषा का प्रयोग करना ठीक नहीं है बच्ची के समुचित विकास के लिए मातृभाषा की पूर्ण होने पर ही दूसरी भाषा को प्रेरित करना चाहिए।
5-विद्यालय और शिक्षक:—
👉 शिक्षक बालक के लिए आदर्श होते हैं बालक की भाषा में शिक्षक की भाषा का प्रभाव पड़ता है।
◾ भाषा विकास के सिद्धांत:—
⚜️ पावलव के अनुसार:—बालक भाषा के शब्द और अर्थ के बीच संबंध स्थापित करके सीखता है।
इन्होंने इसको भाषा अनुबंध का भी नाम दिया।
⚜️ स्किनर के अनुसार:—बालक भाषा अनुकरण या पुनर्बलन के माध्यम से सीखता है।
⚜️ बंडूरा के अनुसार:—बालक अनुकरण से सीखता है।
⚜️ चोम्स्की के अनुसार:—बालक जिस भाषा को सुनता है उसे अपने आप सीख जाता है।
भाषा ग्रहण करने की प्रवृत्ति जन्मजात होती है।
▪️ भाषा अर्जन तंत्र (LAD)
language acquisition device
▪️ व्याकरण भी अपने आप सीख जाता है।
⭐ बालक की आयु———शब्द भंडार
🔹0-8 माह तक—0 शब्द
🔸9-12 माह तक—3-4 शब्द
🔹12 माह तक—10-12 शब्द
🔸 2 वर्ष तक—272 शब्द
🔹 ढाई वर्ष तक—450 शब्द
🔸 3 वर्ष तक—1000 शब्द
🔹 साढ़े 3 वर्ष तक—1250 शब्द
🔸 4 वर्ष तक—1600 शब्द
🔹 5 वर्ष तक—2100 शब्द
🔸 11 वर्ष तक—50000 शब्द
🔹 14 वर्ष तक—80000 शब्द
🔸 16 वर्ष से आगे—एक लाख से अधिक
🏵️ व्यक्तित्व 🏵️ (personality)
व्यक्तित्व किसी व्यक्ति के प्रभाव या आकर्षण को दिखाता है व्यक्तित्व अनेक प्रकार के गुण, अवगुण, को समाहित किया हुआ रहता है व्यक्तित्व का वर्गीकरण किसी एक गुण, वस्तु अनुशासन, तथ्य इत्यादि के आधार पर नहीं किया जा सकता है।
⭐ सामाजिक अंतः क्रिया के आधार पर वर्गीकरण ⭐
▪️ प्रवर्तक-कर्ल जुंग (युंग)
👉 इन्होंने सामाजिक अंतः क्रिया के आधार पर तीन भागों में विभाजित किया:—
1-अंतर्मुखी व्यक्तित्व:—
मनन, चिंतन, आत्मचिंतन, आत्म केंद्रित, संवेदना शील,मितभाषी, कर्तव्यनिष्ठ, सामाजिक व्यवहार में अच्छा प्रदर्शन नहीं करते हैं।
2-बहिर्मुखी व्यक्तित्व:—
समाज केंद्रित, व्यवहारिक, साहसिक, चिंता मुक्त, आशावादी, सामाजिक कार्य में रुचि लेते हैं, लोकप्रिय भी होते हैं, कुशल वक्ता होते हैं।
3-अभय मुखी व्यक्तित्व:—
अंतर्मुखी और बहिर्मुखी दोनों लक्षण लगभग समान रूप से विद्यमान रहते हैं।
🌸 फ्रायड का विश्लेषणात्मक सिद्धांत 🌸
🔸 इदम (Id)-अचेतन, मूल प्रवृत्ति, नैसर्गिक, शीघ्र तृप्ति
🔹 अहम (ego)-चेतना, इच्छा शक्ति, बुद्धि, तर्क
🔸 परा अहम (superego)-आदर्शवादी होते हैं
🌸 शेलड़ान का रचना सिद्धांत 🌸
🔸 गोलाकृति -गोल गर्दन, मांसपेशियों से पूर्ण, चर्बी का बढ़ना
🔹 आयताकृति-हड्डी और मांस पेशी का विकास
🔸 लंबा कृति-केंद्रीय स्नायु संस्थान की मांसपेशी तंतु विकसित होते हैं।
🌺 आरबी कैटल का प्रतिकारक प्रणाली सिद्धांत 🌺
⭐ व्यक्ति किसी परिस्थिति में जो कार्य करता है उसी का प्रतिरूप ही व्यक्तित्व है।
⭐ चरित्र की सुंदरता, भावनात्मक एकता, सामाजिकता, कल्पनाशीलता, अभि प्रेरक, उत्सुकता इन सभी कार्यों से दर्शाई जाती है।
🌼 आलपोर्ट का सिद्धांत 🌼
⭐ शीलगुण सिद्धांत/विशेषक सिद्धांत
⭐ व्यवहार, विचार, भावना को शीलगुण कहते हैं यह लंबी अवधि में भी बहुत सीमा तक अपरिवर्तित रहती है यह अलग अलग व्यक्ति में अलग अलग होती है।
🌹 मुर्रे का सिद्धांत (H.A murray)
⭐ व्यक्तित्व कार्यात्मक एवं शक्तियों की निरंतरता है जो संगठित प्रक्रिया के रूप में जन्म से मृत्यु तक बहिर्मुखी होकर प्रकट होती है।
🌻 क्रेशमर का सिद्धांत 🌻
इन्होंने इस सिद्धांत के चार प्रकार बताए हैं—
🔸 लंबकाय (एस्थेनिक)—दुबला, पतला, लंबा
🔹 खिलाड़ी (एथलेटिक)—शरीर अच्छा, फुर्तीला
🔸 नाटा ( पिकनिक )—मोटा और नाटा
🔹 मिश्रित—सभी प्रकार के व्यक्तित्व
🏵️Thank You🏵️
🏵️🌸🏵️✍️ Notes by~🌹Vinay Singh Thakur🌹

🔆भाषा और विचार🔆
( Language & Thought )

भाषा ➖ भाषा हमारे भाव या विचारो को व्यक्त करने का माध्यम है भाषा हमारे हाव भाव या विचारो को अभिव्यक्ति करने का माध्यम है |
मनुष्य पशुओ से इसलिए श्रेष्ठ है क्योंकि मनुष्य के पास अपनी अभिव्यक्ति के लिए एक ऐसी भाषा होती है जिसे लोग समझ सकते है |

🌀भाषा को प्रभावित करने वाले कारक ➖

1. पारिवारिक परिस्थिति :- बालक जिस परिवार में जन्म लेता है उस परिवार की भाषा का विशेष प्रभाव पड़ता है |
बालक अपनी माता की गोद में जिस भाषा को सीखता है उसी का “माँ की भाषा या मातृभाषा” कहते है |
माता अपने बालक में जो बातचीत करती है उसे “बेबी टाॅक Baby talk” कहते है |
2. पडो़स :- बालक जब 4-5 साल का होता है तब वह बच्चा पडो़स में जाने लगता है और सामाजिक अनुक्रिया तीव्र कर देता है |
बालक पडो़स का अनुसरण करने लगता है |
◼हरलाॅक के अनुसार – भाषा के विकास में अनुकरण का विशेष प्रभाव पड़ता है तुतलाना , हकलाना , इत्यादि बच्चा पडो़स से ही सीखता है |
3. खेल और खेल के साथी :- बच्चो का समय खेल में भी बीतता है तो जिस प्रकार के बच्चे के खेल या खेल के साथी होगे ,भाषा उसी प्रकार के सीखेगे |
4. भाषा की संख्या :- इसमें कई भाषा का प्रयोग कराना ठीक नही है बच्चे के समुचित विकास के लिए मातृभाषा के पूर्ण होने पर ही दूसरी भाषा को प्रेरित करना चाहिए तभी बच्चों का पूर्ण विकास होगा |
5. विद्यालय और शिक्षक :- शिक्षक बालक के लिए आदर्श होते हैं बालक की भाषा में शिक्षक की भाषा का प्रभाव पड़ता है |
भाषा विकास का सिद्धांत ➖
⭐पावलव के अनुसार :- बालक भाषा के शब्द और अर्थ के बीच संबंध स्थापित करके सीखता है |(भाषा अनुबंध)
⭐ स्किनर के अनुसार :- बालक भाषा अनुकरण पुनर्बलन के माध्यम से सीखता है |
⭐बडुरा के अनुसार :- बालक अनुकरण से सीखता है |
⭐चौमस्की के अनुसार :- बालक जिस भाषा को सुनता है अपने आप सीख जाता है |
◼भाषा ग्रहण करने की प्रवृत्ति जन्मजात होती है |
◼भाषा अर्जन तंत्र (LAD) (Language Acquisition Device)
◼व्याकरण भी अपने आप सीख जाता है (Genrative Grammar theory )

बालक की आयु शब्द भंडार
0 – 8 माह तक 0
9 – 12 माह तक. 3-4 शब्द
18 माह तक 10-12शब्द
2 वर्ष तक 272 शब्द
ढाई वर्ष तक 450 शब्द
3 वर्ष तक 1100 शब्द
साढे़ तीन वर्ष तक 1250शब्द
4 वर्ष तक 1600 शब्द
5 वर्ष तक 2100 शब्द
11 वर्ष तक 50,000 शब्द
14 वर्ष तक 80,000 शब्द
16. से आगे 1 लाख से अधिक

Notes by ➖Ranjana Sen

🏵️ भाषा विचार 🏵️

🔹भाषा — भाषा हमारे भाव या विचारों को व्यक्त करने का माध्यम है।

🔹मनुष्य पशु से इसलिए श्रेष्ठ है क्योंकि मनुष्य के पास अपनी अभिव्यक्ति के लिए एक ऐसी भाषा होती है जिसे लोग समझ सके।

✳️ भाषा को प्रभावित करने वाले कारक —

1️⃣ परिवारिक परिस्थिति —
– बालक जिस परिवार में जन्म लेता है उस परिवार की भाषा का विशेष प्रभाव पड़ता है।
– बालक अपनी माता की गोद में जिस भाषा को सीखता है उसी का नाम मातृभाषा या मां की भाषा कहते हैं।
– माता अपने बालक से जो बातचीत करती है उसे भी बेबी टॉक ( baby talk ) कहते हैं।

2️⃣ पड़ोस —
— 4 से 5 साल में बच्चा पड़ोस में जाने लगता है सामाजिक अभिक्रिया तीव्र कर देता है।
— बालक पड़ोस का अनुसरण करने लगता है।

🔹हरलॉक -: भाषा के विकास में अनुकरण का विशेष प्रभाव पड़ता है तुतलाना हकलाना इत्यादि बच्चा पड़ोस से सीखता है।

3️⃣ खेल और खेल के साथी —
— बच्चों का समय खेल में भी बितता है तो जिस प्रकार के बच्चे के खेल या खेल के साथी होंगे भाषा उसी प्रकार के सीखेंगे।

4️⃣ भाषा की संख्या —
— कई भाषा का प्रयोग कराना ठीक नहीं है।
— बच्चे के समुचित विकास के लिए मातृभाषा के पूर्ण होने पर ही दूसरी भाषा को प्रेरित करना चाहिए।

5️⃣ विद्यालय और शिक्षक —
— शिक्षक बालक के लिए आदर्श होते हैं ।
— बालक की भाषा में शिक्षक की भाषा का प्रभाव पड़ता है।

✳️ भाषा विकास का सिद्धांत

🌸 पावलाव -: बालक भाषा के शब्द और अर्थ के बीच संबंध स्थापित करके सीखता है। ( भाषा अनुबंध )

🌸 स्किनर –: बालक भाषा अनुकरण या पुनर्बलन के माध्यम से सीखता है।

🌸 बंडूरा –: बालक अनुकरण से सीखता है ।
— इन्होंने पुनर्बलन पर महत्व नहीं दिया।

🌸 चोम्स्की –: बालक जिस भाषा को सुनता है अपने आप उस भाषा को सीख जाता है।
— भाषा ग्रहण करने की प्रवृत्ति बालकों में जन्मजात होती है इसी को भाषा अर्जनतंत्र या एलइडी ( LAD ) कहते हैं।
LAD –language acquisition device

✳️ बालक की आयु और शब्द भंडार

बालक की आयु। शब्द भंडार

🔅 0 से 8 माह तक 0

🔅 9 से 12 माह तक 3 से 4 शब्द

🔅 18 माह तक 10 से 12 शब्द

🔅 2 वर्ष 272 शब्द

🔅 2.5 वर्ष तक 450 शब्द

🔅 3 वर्ष तक 1000 शब्द

🔅 3 .5 वर्ष तक 1250 शब्द

🔅 4 वर्ष तक 1600 शब्द

🔅 5 वर्ष तक 2100 शब्द

🔅11 वर्ष तक 50000 शब्द

🔅14 वर्ष तक। 80000 शब्द

🔅 16 वर्ष से आगे 100000 शब्द

धन्यवाद
द्वारा वंदना शुक्ला

Personality for CTET and TET by India’s top learners

🌟 *व्यक्तित्व ( Perssonality )* 🌟

व्यक्तित्व किसी व्यक्ति के प्रभाव या आकर्षण को दिखाता है, व्यक्तित्व अनेक प्रकार के गुण या अवगुणों को समाहित किया रहता है, व्यक्तित्व का वर्गीकरण एक गुण, वस्तु, अनुशासन, तथ्य इत्यादि के आधार पर नहीं किया जा सकता है।

💫 *समाजिक अंत:क्रिया के आधार पर वर्गीकरण:-*

🌟 *जुंग या युंग ( Jung/ Yung) के द्वारा:-*

💫 *१. अंतर्मुखी व्यक्तित्व:-* अंतर्मुखी व्यक्ति मनन चिंतन, आत्म चिंतन, आत्म केंद्रित, संवेदनशील, मितभाषी, कर्तव्यनिष्ठ और संकोची प्रवृत्ति के होते हैं, लेकिन सामाजिक व्यवहार में अच्छा प्रदर्शन नहीं करते।

💫 *२. बहिर्मुखी व्यक्तित्व:-* ऐसे व्यक्ति समाज केन्द्रित, व्यावहारिक, साहसिक, चिंता मुक्त, आशावादी, सामाजिक कार्य में रुचि लेते हैं तथा लोकप्रिय और कुशलवक्ता भी होते हैं।

💫 *३.उभयमुखी व्यक्तित्व:-* उभायमुखी व्यक्तियों में अंतर्मुखी और बहिर्मुखी व्यक्तित्व के दोनों लक्षण समान विद्यमान रहते हैं।

🌟 *फ्रायड का मनोविश्लेषणात्मक सिद्धांत:-*
💫 *१. इदम् ( Id ):-* अचेतन मूलप्रवित्ती , नैसर्गरिक , शीघ्र तृप्ति , इच्छा

💫 *२. अहम् ( Ego):-* चेतन, इच्छा शक्ति, बुद्धि तर्क

💫 *३. परम् अहम् ( Super ego):-* आदर्शवादी

🌟 *शैलडन का रचना सिद्धांत :-*

💫 *१. गोलाकृति:-* गोल गरदन , मांसपेशियों से पूर्ण , चर्बी का बढ़ाना।

💫 *२.अयतकृती:-* हड्डी और मांसपेशी का विकास।

💫 *३. लंबाकृती:-* केंद्रीय स्नायु संस्था के मांसपेशी तंतु विकसित होते हैं।

🌟 *आर. बी. कैटल / प्रतिकारक का सिद्धांत ( Replusive syatem Theory) :-* व्यक्ति किसी भी परिस्थिति में जो कार्य करता है, उसी का प्रतिरूप ही व्यक्तित्व है। चरित्र की सुंदरता है , जैसे :- भावनात्मक एकता, सामाजिकता, कल्पनाशीलता, अभिप्रेरणा, उत्सुकता इन सभी कारकों से दर्शायी जाती है।

🌟 *अल्पोर्ट का सिद्धांत ( शीलगुण / विशेषक सिद्धांत)-* व्यवहार, विचार, भावना को शीलगुण कहते हैं। यह लंबी अवधि में भी बहुत सीमा तक अपरिवर्तित रहती है। या अलग – अलग व्यक्तियों में अलग–अलग होती है।

🌟 *मुर्रे का सिद्धांत ( H. A. Murray):-* व्यक्तित्व कार्यात्मक एवं शक्तियों की निरंतरता है, जो संगठित प्रक्रिया के रूप में जन्म से मृत्यु तक बहिर्मुखी होकर प्रकट होती है।

🌟 *क्रैशमर का सिद्धांत ( Krasmer):-* व्यक्तित्व को चार प्रकार से विभाजित किया है–

💫 *१. लंबकाय ( ऐस्थेनिक):-* दुबला, पतला, लंबा होते हैं।

💫 *२. खिलाड़ी (एथलेटिक):-* फुर्तीला, शरीर अच्छा, खिलाड़ी जैसे होते है।

💫 *३. नाटा (पिकनिक):-* मोटा और नाटा होते है।

✍🏻✍🏻✍🏻 *Notes By – Pooja* ✍🏻✍🏻✍🏻

🔆 व्यक्तित्व ( Personality )

व्यक्तित्व किसी व्यक्ति के प्रभाव या आकर्षण को दिखाता है व्यक्ति अनेक अधिक गुण अवगुण को समाहित किया रहता है व्यक्तित्व का वर्गीकरण किसी एक गुण, वस्तु, अनुशासन ,तथ्य इत्यादि के आधार पर नहीं किया जा सकता है |

🎯 सामाजिक अंतः क्रिया के आधार पर वर्गीकरण ➖

कर्ल जुंग/ युंग के अनुसार➖

इन्होंने व्यक्तित्व को सामाजिक अंतः क्रिया के आधार पर तीन भागों में बांटा है ➖

🍀अंतर्मुखी व्यक्तित्व

🍀बहिर्मुखी व्यक्तित्व

⭕ अन्तर्मुखी व्यक्तित्व ➖

ऐसे लोग जो चिंतन, मनन ,आत्म चिंतन ,आत्म केंद्रित, संवेदनशील, मितभाषी, कर्तव्यनिष्ठ ,संकोची , सामाजिक व्यवहार में अच्छा प्रदर्शन नहीं करते हैं अंतर्मुखी व्यक्तित्व वाले व्यक्ति कहलाते हैं |

⭕ बहिर्मुखी व्यक्तित्व➖

ऐसे व्यक्ति जो समाज केंद्रित, व्यावहारिक ,सहासिक ,चिंता मुक्त, आशावादी, तथा सामाजिक कार्यों में रुचि लेने वाले होते हैं ये लोकप्रिय होते हैं कुशल वक्ता होते हैं इस प्रकार के व्यक्ति बहिर्मुखी व्यक्तित्व वाले कहलाते हैं |

⭕ उभयमुखी व्यक्तित्व ➖

जिस व्यक्ति में अंतर्मुखी तथा बहिर्मुखी व्यक्तित्व समान रूप से विद्यमान रहते हैं ऐसे लोग उभय मुखी व्यक्तित्व वाले लोग कहलाते हैं |

🎯 व्यक्तित्व के सिद्धांत ➖

🍀 फ्रायड का मनोविश्लेषणात्मक सिद्धांत ➖

इन्होंने कहा कि व्यक्ति की सोच के स्तर मन के अनुसार ” इदम्, अहम , परम अहम,व्यक्ति के व्यक्तित्व को दर्शाते हैं |

🌸 इदम् (Id)➖

यह अचेतन मन से संबंधित है इसमें मूल प्रवृत्ति, नैसर्गिक इच्छाओं को जन्म देती है जो कि शीघ्र तृप्ति चाहते हैं दमित इच्छाएं ,वासनाएं,काम इच्छा आदि की प्रवृत्ति होती है |

🌸 अहम(Ego)➖

चेतन मन से संबंधित है यह चेतन स्तर है जिसमें इच्छाशक्ति ,बुद्धि ,तर्क आदि इसमें सम्मिलित होते हैं |

🌸 परम अहम (Super Ego) ➖

यह आदर्श आदर्शवादी प्रवृत्ति का होता है देवत्व के प्रतीक होता हैं ऐसे लोग हर भाव को अच्छाई से देखते हैं |

🍀 शैलडाॅन का रचना सिद्धांत ➖

1) गोलाकृति

2) आयताकार

3) लम्बाकृति

⭐ गोलाकृति ➖

इस प्रकार के मनुष्य गोल गर्दन तथा मांसपेशियों से पूर्ण विकसित होते है इनके अंदर चर्बी का बढ़ना होता है |

⭐ आयताकार ➖

ऐसे मनुष्यों में हड्डियों और मांसपेशियों का विकास दिखता है और सुडौल होते हैं |

⭐ लंबाकृति ➖

ऐसे मनुष्यों में केंद्रीय स्नायु संस्थान के मांस पेशी तंत्र विकसित होते हैं |

🍀 आर. बी. कैटल का प्रतिकारक प्रणाली सिद्धांत (R.B.cattle – Repulsive system Theory)➖

इन्होंने कहा कि किसी भी परिस्थिति में जो व्यक्ति कार्य करता है उसी का प्रतिरूप ही व्यक्तित्व है |उन्होंने बताया कि

चरित्र की सुंदरता ➖

भावनात्मक एकता ,सामाजिकता, प्रेरक, उत्सुकता, आदि है जो हमारे व्यक्तित्व को निर्मित करते हैं या यह सभी कार्य व्यक्तित्व को दर्शाते हैं |

🍀 आलपोर्ट का सिद्धांत/शीलगुण का सिद्धांत/ विशेषक सिद्धांत (Trait Theory)➖

व्यक्ति के व्यवहार, विचार, भावना, को शीलगुण कहते हैं |
यह लंबी अवधि में भी बहुत सीमा तक अपरिवर्तित रहती है |

यह अलग-अलग व्यक्ति में अलग-अलग होते हैं उन्होंने शीलगुण की संख्या 18000 बताई है |

🍀 हैनरी मुर्रे का सिद्धांत (H.A.Murray Theory)➖

इन्होंने कहा कि व्यक्तित्व” कार्यात्मक शक्तियों की निरंतरता है जो संगठित प्रक्रिया के रूप में जन्म से मृत्यु तक बहिर्मुखी होकर प्रकट होती है ” |

🍀 क्रेशमर का सिद्धांत➖

इन्होंने व्यक्तित्व को 4 वर्गों में बांटा है ➖

1) लंबकाय ( एस्थेनिक)

2) खिलाड़ी (एथलेटिक)

3)नाटा (पिकनिक)

4) मिश्रित

🌸 लंबकाय ➖

इस प्रकार के व्यक्तित्व का व्यक्ति दुबला ,पतला ,और लंबा होता है |

🌸 खिलाड़ी ➖

इस प्रकार के व्यक्तित्व का व्यक्ति फुर्तीला होता है शरीर अच्छा होता है खिलाड़ी जैसे होते हैं |

🌸 नाटा ➖

इस प्रकार के व्यक्तित्व वाले व्यक्ति मोटे और नाटे होते हैं |

🌸 मिश्रित➖

इसमें सभी प्रकार के व्यक्तित्व के लोग आते हैं |

नोट्स बाय ➖रश्मि सावले

🌻🌼🌺🍀🌸🌻🌼🌺🍀🌸🌻🌼🌻🌼🍀🌸🌺

🔆 Personality ( व्यक्तित्व)🔆
व्यक्तित्व किसी व्यक्ति के प्रभाव या आकर्षण को दिखता है व्यक्तित्व अनेक गुण अवगुण को समाहित किया रहता है व्यक्तित्व का वर्गीकरण किसी एक गुण वस्तु अनुशासन तथ्य इत्यादि के आधार पर नही किया जा सकता है |
सामाजिक अत: क्रिया के आधार पर वर्गीकरण किया गया
(Jung / yung) जुंग / युंग
1. अन्तर्मुखी व्यक्तित्व ➖ इस व्यक्तित्व के अंतर्गत मनन ,चिंतन , आत्मकेद्रित संवेदनशील , मितभाषी , कर्तव्यनिष्ठ , संकोची , सामाजिक व्यवहार मे अच्छा प्रदर्शन नही करते है |
2. बहिर्मुखी व्यक्तित्व ➖ समाज केन्द्रित व्यवहारिक , साहसिक , चिंतामुक्त , आशावादी , सामाजिक कार्य मे रूचि लेते है लोकप्रिय होते है और कुशल वक्ता होते है |
3. उभयमुखी व्यक्तित्व ➖ ये अंतर्मुखी और बहिर्मुखी होते है इनमें दोनो लक्षण लगभग समान रूप मे विघमान रहते है |
🔥फ्रायड का मनोविश्लेषणात्मक सिद्धांत :-
◼इदम (Id) – अचेतन – मूलप्रवृति नैसर्गिक इच्छा
◼अहम (Ego) – चेतना – इच्छा शक्ति बुद्धि तर्क
◼परम अहम् ( Super ego) – अर्द्धचेतन – आदर्शवादी
🔥शैलडाॅन का रचना सिद्धांत :-
▪गोलाकृति – गोल गर्दन / मांसपेशियों से पूर्ण , चर्बी का बढ़ना
▪आयताकृति – हड्डी और मांसपेशी का विकास
▪लम्बाकृति – केंद्रिय स्नायुसंस्थान के मांसपेशी तन्तु विकसित होते है |
🔥R.B. cattle – Repulsive system theory (प्रतिकारक प्रणाली सिद्धांत )
व्यक्ति किसी परिस्थिति में जो कार्य करता है उसी का प्रतिरूप ही व्यक्तित्व है चरित्र की सुन्दरता – भावनात्मक एकता , सामाजिक , कल्पनाशीलता अभिप्रेरक उत्सुकता इन कारको से दर्शायी जाती है |
🔥आॅलपोर्ट का सिद्धांत (शीलगुण सिद्धांत) विशेषक सिद्धांत ➖ व्यवहार , विचार , भावना को शीलगुण कहते है यह लंबी अवधि में भी बहुत सीमा तक अपरिवर्तित रहती है |
यह अलग-अलग व्यक्ति मे अलग-अलग होती है |
🔥मुर्रे का सिद्धांत (H.A. Murray) ➖ व्यक्तित्व कार्यात्मक एव शक्तियों की निरंतरता है जो संगठित प्रकिया के रूप में जन्म से मृत्यु तक बहिर्मुखी होकर होती है |
🔥क्रेशमर का सिद्धांत (Krasmer) ➖
ये चार प्रकार के होते है |
1.लम्बकाय ( एस्येनिक ) – दुबला ,पतला , लंबा
2. खिलाड़ी एथलेटिक – शरीर अच्छा फुर्तीला , खिलाड़ी जैसा
3. नाटा (पिकनिक) – मोटा और नाटा
4. मिश्रित – सभी प्रकार के व्यक्तित्व होते है |
Notes by ➖Ranjana Sen

🌟 *व्यक्तित्व ( Perssonality )* 🌟

व्यक्तित्व किसी व्यक्ति के प्रभाव या आकर्षण को दिखाता है, व्यक्तित्व अनेक प्रकार के गुण या अवगुणों को समाहित किया रहता है, व्यक्तित्व का वर्गीकरण एक गुण, वस्तु, अनुशासन, तथ्य इत्यादि के आधार पर नहीं किया जा सकता है।

💫 *समाजिक अंत:क्रिया के आधार पर वर्गीकरण:-*

🌟 *जुंग या युंग ( Jung/ Yung) के द्वारा:-*

💫 *१. अंतर्मुखी व्यक्तित्व:-* अंतर्मुखी व्यक्ति मनन चिंतन, आत्म चिंतन, आत्म केंद्रित, संवेदनशील, मितभाषी, कर्तव्यनिष्ठ और संकोची प्रवृत्ति के होते हैं, लेकिन सामाजिक व्यवहार में अच्छा प्रदर्शन नहीं करते।

💫 *२. बहिर्मुखी व्यक्तित्व:-* ऐसे व्यक्ति समाज केन्द्रित, व्यावहारिक, साहसिक, चिंता मुक्त, आशावादी, सामाजिक कार्य में रुचि लेते हैं तथा लोकप्रिय और कुशलवक्ता भी होते हैं।

💫 *३.उभयमुखी व्यक्तित्व:-* उभायमुखी व्यक्तियों में अंतर्मुखी और बहिर्मुखी व्यक्तित्व के दोनों लक्षण समान विद्यमान रहते हैं।

🌟 *फ्रायड का मनोविश्लेषणात्मक सिद्धांत:-*
💫 *१. इदम् ( Id ):-* अचेतन मूलप्रवित्ती , नैसर्गरिक , शीघ्र तृप्ति , इच्छा

💫 *२. अहम् ( Ego):-* चेतन, इच्छा शक्ति, बुद्धि तर्क

💫 *३. परम् अहम् ( Super ego):-* आदर्शवादी

🌟 *शैलडन का रचना सिद्धांत :-*

💫 *१. गोलाकृति:-* गोल गरदन , मांसपेशियों से पूर्ण , चर्बी का बढ़ाना।

💫 *२.अयतकृती:-* हड्डी और मांसपेशी का विकास।

💫 *३. लंबाकृती:-* केंद्रीय स्नायु संस्था के मांसपेशी तंतु विकसित होते हैं।

🌟 *आर. बी. कैटल / प्रतिकारक का सिद्धांत ( Replusive syatem Theory) :-* व्यक्ति किसी भी परिस्थिति में जो कार्य करता है, उसी का प्रतिरूप ही व्यक्तित्व है। चरित्र की सुंदरता है , जैसे :- भावनात्मक एकता, सामाजिकता, कल्पनाशीलता, अभिप्रेरणा, उत्सुकता इन सभी कारकों से दर्शायी जाती है।

🌟 *अल्पोर्ट का सिद्धांत ( शीलगुण / विशेषक सिद्धांत)-* व्यवहार, विचार, भावना को शीलगुण कहते हैं। यह लंबी अवधि में भी बहुत सीमा तक अपरिवर्तित रहती है। या अलग – अलग व्यक्तियों में अलग–अलग होती है।

🌟 *मुर्रे का सिद्धांत ( H. A. Murray):-* व्यक्तित्व कार्यात्मक एवं शक्तियों की निरंतरता है, जो संगठित प्रक्रिया के रूप में जन्म से मृत्यु तक बहिर्मुखी होकर प्रकट होती है।

🌟 *क्रैशमर का सिद्धांत ( Krasmer):-* व्यक्तित्व को चार प्रकार से विभाजित किया है–

💫 *१. लंबकाय ( ऐस्थेनिक):-* दुबला, पतला, लंबा होते हैं।

💫 *२. खिलाड़ी (एथलेटिक):-* फुर्तीला, शरीर अच्छा, खिलाड़ी जैसे होते है।

💫 *३. नाटा (पिकनिक):-* मोटा और नाटा होते है।

✍🏻✍🏻✍🏻 *Notes By – Pooja* ✍🏻✍🏻✍🏻

🔆 व्यक्तित्व ( Personality )

व्यक्तित्व किसी व्यक्ति के प्रभाव या आकर्षण को दिखाता है व्यक्ति अनेक अधिक गुण अवगुण को समाहित किया रहता है व्यक्तित्व का वर्गीकरण किसी एक गुण, वस्तु, अनुशासन ,तथ्य इत्यादि के आधार पर नहीं किया जा सकता है |

🎯 सामाजिक अंतः क्रिया के आधार पर वर्गीकरण ➖

कर्ल जुंग/ युंग के अनुसार➖

इन्होंने व्यक्तित्व को सामाजिक अंतः क्रिया के आधार पर तीन भागों में बांटा है ➖

🍀अंतर्मुखी व्यक्तित्व

🍀बहिर्मुखी व्यक्तित्व

⭕ अन्तर्मुखी व्यक्तित्व ➖

ऐसे लोग जो चिंतन, मनन ,आत्म चिंतन ,आत्म केंद्रित, संवेदनशील, मितभाषी, कर्तव्यनिष्ठ ,संकोची , सामाजिक व्यवहार में अच्छा प्रदर्शन नहीं करते हैं अंतर्मुखी व्यक्तित्व वाले व्यक्ति कहलाते हैं |

⭕ बहिर्मुखी व्यक्तित्व➖

ऐसे व्यक्ति जो समाज केंद्रित, व्यावहारिक ,सहासिक ,चिंता मुक्त, आशावादी, तथा सामाजिक कार्यों में रुचि लेने वाले होते हैं ये लोकप्रिय होते हैं कुशल वक्ता होते हैं इस प्रकार के व्यक्ति बहिर्मुखी व्यक्तित्व वाले कहलाते हैं |

⭕ उभयमुखी व्यक्तित्व ➖

जिस व्यक्ति में अंतर्मुखी तथा बहिर्मुखी व्यक्तित्व समान रूप से विद्यमान रहते हैं ऐसे लोग उभय मुखी व्यक्तित्व वाले लोग कहलाते हैं |

🎯 व्यक्तित्व के सिद्धांत ➖

🍀 फ्रायड का मनोविश्लेषणात्मक सिद्धांत ➖

इन्होंने कहा कि व्यक्ति की सोच के स्तर मन के अनुसार ” इदम्, अहम , परम अहम,व्यक्ति के व्यक्तित्व को दर्शाते हैं |

🌸 इदम् (Id)➖

यह अचेतन मन से संबंधित है इसमें मूल प्रवृत्ति, नैसर्गिक इच्छाओं को जन्म देती है जो कि शीघ्र तृप्ति चाहते हैं दमित इच्छाएं ,वासनाएं,काम इच्छा आदि की प्रवृत्ति होती है |

🌸 अहम(Ego)➖

चेतन मन से संबंधित है यह चेतन स्तर है जिसमें इच्छाशक्ति ,बुद्धि ,तर्क आदि इसमें सम्मिलित होते हैं |

🌸 परम अहम (Super Ego) ➖

यह आदर्श आदर्शवादी प्रवृत्ति का होता है देवत्व के प्रतीक होता हैं ऐसे लोग हर भाव को अच्छाई से देखते हैं |

🍀 शैलडाॅन का रचना सिद्धांत ➖

1) गोलाकृति

2) आयताकार

3) लम्बाकृति

⭐ गोलाकृति ➖

इस प्रकार के मनुष्य गोल गर्दन तथा मांसपेशियों से पूर्ण विकसित होते है इनके अंदर चर्बी का बढ़ना होता है |

⭐ आयताकार ➖

ऐसे मनुष्यों में हड्डियों और मांसपेशियों का विकास दिखता है और सुडौल होते हैं |

⭐ लंबाकृति ➖

ऐसे मनुष्यों में केंद्रीय स्नायु संस्थान के मांस पेशी तंत्र विकसित होते हैं |

🍀 आर. बी. कैटल का प्रतिकारक प्रणाली सिद्धांत (R.B.cattle – Repulsive system Theory)➖

इन्होंने कहा कि किसी भी परिस्थिति में जो व्यक्ति कार्य करता है उसी का प्रतिरूप ही व्यक्तित्व है |उन्होंने बताया कि

चरित्र की सुंदरता ➖

भावनात्मक एकता ,सामाजिकता, प्रेरक, उत्सुकता, आदि है जो हमारे व्यक्तित्व को निर्मित करते हैं या यह सभी कार्य व्यक्तित्व को दर्शाते हैं |

🍀 आलपोर्ट का सिद्धांत/शीलगुण का सिद्धांत/ विशेषक सिद्धांत (Trait Theory)➖

व्यक्ति के व्यवहार, विचार, भावना, को शीलगुण कहते हैं |
यह लंबी अवधि में भी बहुत सीमा तक अपरिवर्तित रहती है |

यह अलग-अलग व्यक्ति में अलग-अलग होते हैं उन्होंने शीलगुण की संख्या 18000 बताई है |

🍀 हैनरी मुर्रे का सिद्धांत (H.A.Murray Theory)➖

इन्होंने कहा कि व्यक्तित्व” कार्यात्मक शक्तियों की निरंतरता है जो संगठित प्रक्रिया के रूप में जन्म से मृत्यु तक बहिर्मुखी होकर प्रकट होती है ” |

🍀 क्रेशमर का सिद्धांत➖

इन्होंने व्यक्तित्व को 4 वर्गों में बांटा है ➖

1) लंबकाय ( एस्थेनिक)

2) खिलाड़ी (एथलेटिक)

3)नाटा (पिकनिक)

4) मिश्रित

🌸 लंबकाय ➖

इस प्रकार के व्यक्तित्व का व्यक्ति दुबला ,पतला ,और लंबा होता है |

🌸 खिलाड़ी ➖

इस प्रकार के व्यक्तित्व का व्यक्ति फुर्तीला होता है शरीर अच्छा होता है खिलाड़ी जैसे होते हैं |

🌸 नाटा ➖

इस प्रकार के व्यक्तित्व वाले व्यक्ति मोटे और नाटे होते हैं |

🌸 मिश्रित➖

इसमें सभी प्रकार के व्यक्तित्व के लोग आते हैं |

नोट्स बाय ➖रश्मि सावले

🌻🌼🌺🍀🌸🌻🌼🌺🍀🌸🌻🌼🌻🌼🍀🌸🌺

🔆 Personality ( व्यक्तित्व)🔆
व्यक्तित्व किसी व्यक्ति के प्रभाव या आकर्षण को दिखता है व्यक्तित्व अनेक गुण अवगुण को समाहित किया रहता है व्यक्तित्व का वर्गीकरण किसी एक गुण वस्तु अनुशासन तथ्य इत्यादि के आधार पर नही किया जा सकता है |
सामाजिक अत: क्रिया के आधार पर वर्गीकरण किया गया
(Jung / yung) जुंग / युंग
1. अन्तर्मुखी व्यक्तित्व ➖ इस व्यक्तित्व के अंतर्गत मनन ,चिंतन , आत्मकेद्रित संवेदनशील , मितभाषी , कर्तव्यनिष्ठ , संकोची , सामाजिक व्यवहार मे अच्छा प्रदर्शन नही करते है |
2. बहिर्मुखी व्यक्तित्व ➖ समाज केन्द्रित व्यवहारिक , साहसिक , चिंतामुक्त , आशावादी , सामाजिक कार्य मे रूचि लेते है लोकप्रिय होते है और कुशल वक्ता होते है |
3. उभयमुखी व्यक्तित्व ➖ ये अंतर्मुखी और बहिर्मुखी होते है इनमें दोनो लक्षण लगभग समान रूप मे विघमान रहते है |
🔥फ्रायड का मनोविश्लेषणात्मक सिद्धांत :-
◼इदम (Id) – अचेतन – मूलप्रवृति नैसर्गिक इच्छा
◼अहम (Ego) – चेतना – इच्छा शक्ति बुद्धि तर्क
◼परम अहम् ( Super ego) – अर्द्धचेतन – आदर्शवादी
🔥शैलडाॅन का रचना सिद्धांत :-
▪गोलाकृति – गोल गर्दन / मांसपेशियों से पूर्ण , चर्बी का बढ़ना
▪आयताकृति – हड्डी और मांसपेशी का विकास
▪लम्बाकृति – केंद्रिय स्नायुसंस्थान के मांसपेशी तन्तु विकसित होते है |
🔥R.B. cattle – Repulsive system theory (प्रतिकारक प्रणाली सिद्धांत )
व्यक्ति किसी परिस्थिति में जो कार्य करता है उसी का प्रतिरूप ही व्यक्तित्व है चरित्र की सुन्दरता – भावनात्मक एकता , सामाजिक , कल्पनाशीलता अभिप्रेरक उत्सुकता इन कारको से दर्शायी जाती है |
🔥आॅलपोर्ट का सिद्धांत (शीलगुण सिद्धांत) विशेषक सिद्धांत ➖ व्यवहार , विचार , भावना को शीलगुण कहते है यह लंबी अवधि में भी बहुत सीमा तक अपरिवर्तित रहती है |
यह अलग-अलग व्यक्ति मे अलग-अलग होती है |
🔥मुर्रे का सिद्धांत (H.A. Murray) ➖ व्यक्तित्व कार्यात्मक एव शक्तियों की निरंतरता है जो संगठित प्रकिया के रूप में जन्म से मृत्यु तक बहिर्मुखी होकर होती है |
🔥क्रेशमर का सिद्धांत (Krasmer) ➖
ये चार प्रकार के होते है |
1.लम्बकाय ( एस्येनिक ) – दुबला ,पतला , लंबा
2. खिलाड़ी एथलेटिक – शरीर अच्छा फुर्तीला , खिलाड़ी जैसा
3. नाटा (पिकनिक) – मोटा और नाटा
4. मिश्रित – सभी प्रकार के व्यक्तित्व होते है |
Notes by ➖Ranjana Sen

बुद्धि का मापन और बुद्धि लब्धि

👌बुद्धि का मापन और बुद्धि लब्धि 👌

1879:- 1879 में जर्मन मनोवैज्ञानिक विलियम बुंट लीपजींग में बुद्धि मापन के लिए मनोवैज्ञानिक प्रयोगशाला स्थापित की

1905:- 1905 में सबसे पहला बुद्धि परीक्षण अल्फ्रेड बिने साइमन की मदद से फ्रांस में बनाया

इसका नाम भी bine साइमन बुद्धि परीक्षण था इस परीक्षण में 30 प्रश्न 3 से 14 वर्ष के बच्चों के लिए उपयुक्त थे इस परीक्षण को व्यक्तिगत एवं शाब्दिक बुद्धि परीक्षण कहते हैं

1908:- 1908 में इसमें संशोधन हुआ और इस संशोधन में मानसिक आयु की अवधारणा को बुद्धि परीक्षण में शामिल किया गया

1911:- 1911 में दूसरा संशोधन हुआ इसमें प्रश्नों की संख्या को बढ़ाकर कर दिया गया

1916:- 1916 में अमेरिका के स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में प्रोफेसर टर्मन की अध्यक्षता वाली कमेटी के प्रश्नों की संख्या बढ़ाकर 90 कर दी

इस परीक्षण में उन्होंने 1911 में जो 54 क्वेश्चन थे उनमें से केवल 19 क्वेश्चन ओं को लिया बाकी और गाने अपने क्वेश्चन दिये

1916 में ही इसका नाम स्टैनफोर्ड बिने बुद्धि परीक्षण नाम रखा गया

अमेरिका में बिने साइमन परीक्षण का प्रचार प्रसार gohard ने किया था
trman ने मेरिल के साथ इस के साथ मिलकर इसका संशोधन किया इसका नाम न्यू स्टैनफोर्ड रिवीजन रखा गया

इंग्लैंड में इस बुद्धि परीक्षण पर सिरिल brt ने संशोधन किया इसका नाम लंदन रिवीजन कहलाया
उन्होंने 3 से 16 वर्ष की आयु वाले बालकों के लिए 65 प्रश्न रखें

1917:- 1917 में सबसे पहला सामूहिक बुद्धि परीक्षण अमेरिका में बनाया गया जो सबसे पहले अमेरिका की सेना पर प्रयोग किया गया

1 सैनिक Alpha parikshan (शाब्दिक)

2 सैनिक बीटा परीक्षण (अशाब्दिक)

1922 में भारत के डॉक्टर c h राइस ने एफजी कॉलेज लाहौर में पहला बुद्धि परीक्षण बनाया

इस परीक्षण में 35 प्रश्न रखी गई 3 से 15 वर्ष के बच्चों के लिए
यह shabbdik और व्यक्तिगत परीक्षण था
इसका नाम हिंदुस्तानी भी नहीं परफारमेंस पाउंड्स ले स्केल रखा गया

1912 में ब्रिटेन के सुप्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक starn में आई क्यू शब्द का प्रयोग किया उन्होंने इसका सूत्र बनाने की कोशिश की लेकिन पर प्रमाणिक सूत्र नहीं था
IQ=ma/ca

1916 में टर्मन का बुद्धि लब्धि परीक्षण

IQ =ma/ca*100
1*100=100 सामान्य
ma =मेंटल एज (मानसिक आयु)
ca= chronological age (वास्तविक आयु)

0 se 25 महामूर्ख जड़ बुद्धि
26 से 50 मूढ बुद्धि
51 से 70 अल्प बुद्धि मूर्ख बुद्धि
71 se 80 निर्बल छिड़ बुद्धि
81 से 90 मंदबुद्धि
91से110 सामान्य बुद्धि
111 से 120 तक तीव्र श्रेष्ठ बुद्धि
121 से 139 अति कुशाग्र बुद्धि
140 से ऊपर प्रतिभाशाली बुद्धि

व्यक्तिगत परीक्षण और सामूहिक परीक्षण में अंतर

व्यक्तिगत परीक्षण :- इस परीक्षण में एक समय पर एक व्यक्ति की परीक्षा होती है
यह परीक्षण छोटे बालकों के लिए उपयुक्त है
अनुभवी प्रशिक्षित व्यक्ति ही ले सकता है
इस परीक्षण में समय अधिक लगता है
इस परीक्षण में परीक्षार्थी एवं परीक्षक का निकट संबंध होता है
यह परीक्षण ज्यादा प्रभावी होता है
यह परीक्षा में परीक्षार्थी के गुण दोष का पूरा अध्ययन करता है
इस परीक्षण में अधिक धन व्यय होता है प्रश्नों की संख्या कम होती है
इस परीक्षण में परीक्षा के प्रति बच्चे सतर्क रहते हैं
इस परीक्षण में परीक्षण की विश्वसनीयता और प्रमाणिकता अधिक होती है
परीक्षण में अनुचित साधन के प्रयोग की संभावना नहीं होती

सामूहिक परीक्षण:- इस परीक्षण में एक समय पर अनेक लोगों की परीक्षा होती है
यह बड़े बालकों के लिए उपयुक्त है
यह परीक्षण सामान्य योग्यता का व्यक्ति ले सकता है
इस परीक्षण में समय कम लगता है
इस परीक्षण में परीक्षार्थी और परीक्षक में निकट संपर्क नहीं होता है
इस परीक्षण में कम धन की आवश्यकता होती है
यह परीक्षण कब प्रभावी होता है
इस परीक्षण में केवल सामान्य अध्ययन कर सकते हैं
इस परीक्षण में प्रश्नों की संख्या अधिक होती है
इस परीक्षण में बच्चे उदासीन रहते हैं
इस परीक्षण की विश्वसनीयता एवं प्रमाणिकता कम होती है
इस परीक्षण में अनुचित साधन के प्रयोग की संभावना होती है

नोट:- व्यक्तिगत एवं सामूहिक दोनों शाब्दिक एवं अशाब्दिक हो सकता है

शाब्दिक और अशाब्दिक बुद्धि परीक्षण में अंतर
1 शाब्दिक बुद्धि परीक्षण:-इस परीक्षण में पद या प्रश्नों में शब्द या भाषा का प्रयोग होता है
इस परीक्षण में उत्तर भी भाषा के माध्यम से देते हैं
यह परीक्षण भाषा जानने वाले पढ़े लिखे लोगों पर प्रस्तुत होता है
यह परीक्षण मंदबुद्धि गूंगे बहरे पर प्रयोग नहीं होता है

2 शाब्दिक बुद्धि परीक्षण:- इस परीक्षण में पदस्थ सामग्री चित्र में होता है
इस परीक्षण में उत्तर चित्र आकृति इत्यादि के माध्यम से दिया जाता है
इस परीक्षण में भाषा जानना या पढ़ा लिखा होना जरूरी नहीं है
इस परीक्षण का प्रयोग मंदबुद्धि गूंगे बहरे पर नहीं किया जाता

बेसल वर्ष और टर्मिनल वर्ष

बेसल वर्ष :- जिस अधिकतम आयु स्तर के प्रश्नों को बालक हल कर लेता है बेसन वर्ष कहलाता है

टर्मिनल वर्ष:- जिस आयु स्तर के प्रश्नों को बालक हल नहीं कर पाता है उसे टर्मिनल वर्ष कहते हैं

🙏🙏🙏🙏🙏sapna sahu🙏🙏🙏🙏🙏
*बुद्धि का मापन और बुद्धि लब्धि*

☀️ *1879* ई. में *जर्मन* मनोवैज्ञानिक *विलियम वुण्ट* ने जर्मनी के *लिपजिग* नामक शहर में एक मनोवैज्ञानिक प्रयोगशाला स्थापित की।

*☀️1905* ई. में सबसे पहला बुद्धि परीक्षण *अल्फ्रेड* *बिने* ने *साइमन* के मदद से *फ्रांस* में की। इस परीक्षण का नाम *बिने साइमन बुद्धि* परीक्षण रखा।

🌠इस परीक्षण में 30 प्रश्न, 3 से 14 वर्ष के बच्चों के लिए रखे गए थे।

🌠इस परीक्षण को व्यक्तिगत एवं शाब्दिक बुद्धि परीक्षण के नाम से भी जाना जाता है।

☀️*1908* ईस्वी में बिने साइमन बुद्धि परीक्षण संशोधित हुआ जिसमें मानसिक आयु की अवधारणा को बुद्धि परीक्षण में शामिल की गई।

☀️*1911* ईस्वी में दूसरा संशोधन हुआ जिसमें प्रश्नों की संख्या बढ़ाकर *54* किया गया।

☀️ *1912* ईस्वी में *ब्रिटेन* के सुप्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक *विलियम स्टर्न* ने आईक्यू *IQ* शब्द का प्रयोग किया उन्होंने इसका सूत्र बनाने की कोशिश की, लेकिन यह सूत्र *IQ=MA/CA* प्रमाणित सूत्र नहीं हो पाया था। जहां MA- Mental Age(मानसिक आयु), CA – Chronological Age(वास्तविक आयु)

☀️*1916* ईस्वी में *अमेरिका* के स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में प्रोफेसर *टरमन* की अध्यक्षता वाली कमेटी ने प्रश्नों की संख्या *90* कर दी। इस परीक्षण में 1911 ईस्वी के परीक्षण से मात्र *19* प्रश्न शामिल किए गए थे, और इसका नाम स्टैनफोर्ड बिने बुद्धि परीक्षण रखा गया।

🌠 *अमेरिका* में बिने साइमन बुद्धि परीक्षण का प्रचार और प्रसार *गोहार्ड* ने किया था।

🌠 *टर्मन ने मैरिल* के साथ मिलकर इसका संशोधन किया और इसका नाम “न्यू *स्टैनफोर्ड रिवीजन”* (New Stanford Revision) रखा।

☀️ *इंग्लैंड* में इस बुद्धि परीक्षण पर *सिरिल बर्ट* ने संशोधन किया और इसका नाम ” **लंदन रिवीजन”* (London Revision) रखा।

🌠इन्होंने *3 से 16* वर्ष की आयु के बालकों के लिए *65* प्रश्न रखे।

*☀️1916* ईस्वी में ही *टरमन* का बुद्धि लब्धि परीक्षण *IQ =(MA/CA)×100*; {MA-Mental Age(मानसिक आयु); CA – Chronological Age(वास्तविक आयु)}

🌠 *टरमन* ने बुद्धि लब्धि मापन का एक *स्केल* बनाया जो निम्नवत है-
0 से 25 – जड़ बुद्धि
26 से 50 – मूढ़ बुद्धि
51 से 70 – अल्प बुद्धि या मूर्ख बुद्धि
71 से 80 – निर्मल बुद्धि या क्षीण बुद्धि
81 से 90 – मंदबुद्धि
91 से 110 – सामान्य बुद्धि
111 से 120 – तीव्र श्रेष्ठ बुद्धि
121 से 139 – अति कुशाग्र
140 से अधिक – प्रतिभाशाली

☀️*1917* में सबसे *पहला सामूहिक बुद्धि* परीक्षण *अमेरिका* में बनाया गया जो सबसे पहले *अमेरिका की सेना* पर प्रयोग (प्रथम विश्व युद्ध के दौरान) किया गया।

इसमें *दो* बुद्धि परीक्षण किए गए
1-सैनिक अल्फा परीक्षण (शाब्दिक)

2-सैनिक बीटा परीक्षण (अशाब्दिक)

☀️ *1922* ईस्वी में भारत के डॉ *सी एच राइस* ने *FG College Lahore* में भारत का पहला प्रयोगशाला ” *हिन्दुस्तानी बिने परफॉर्मेंस पाउंड स्किल*
ustani Bine Performance Pound Skill)” के नाम से बनाया।

🌠इसमें *35* प्रश्न *3 से 15* वर्ष के बालकों के लिए बनाया गया था।

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By — AWADHESH KUMAR

⛳बुद्धि का मापन और बुद्धि लब्धि⛳
( Measurement of intelligence & intelligent Quotient)
★ किसी भौतिक राशि का परिणाम संख्याओं में व्यक्त करने को मापन कहा जाता है.
★ बुद्धि लब्धि से अभिप्राय कई अलग-अलग मानकीकृत परीक्षण से प्राप्त एक गणना है जिसमें बुद्धि का मापन किया जाता है।
★ सन 1879 में जर्मनी के मनोवैज्ञानिक विलियम वुंट ने जर्मनी के लिपजिग शहर में बुद्धि के मापन के लिए प्रथम मनोवैज्ञानिक प्रयोगशाला की स्थापना की.
★ सन 1905 में पहला बुद्धि परीक्षण अल्फ्रेड बिने ने साइमन की मदद से फ्रांस में बनाया. और इसका नाम बिने-साइमन बुद्धि परीक्षण रखा गया.
👉🏻 इस परीक्षण में 30 प्रश्न थे जो 3-14 वर्ष के बच्चों के लिए उपयुक्त थे.
👉🏻 इस परीक्षण को व्यक्तिगत एवं शाब्दिक बुद्धि परीक्षण कहां गया.
★ सन् 1908 में बिने साइमन बुद्धि परीक्षण का प्रथम संशोधन हुआ और इस संशोधन में मानसिक आयु की अवधारणा बुद्धि परीक्षण में शामिल की गई.
इस संशोधन में मानसिक आयु संप्रत्यय रखा गया.
★सन् 1911 में दूसरा संशोधन हुआ इसमें प्रश्नों की संख्या को बढ़ाकर 54 कर दिया गया.
★सन् 1916 में अमेरिका के स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में प्रोफेसर टर्मन की अध्यक्षता वाली कमेटी ने प्रश्नों की संख्या बढ़ाकर 90 कर दी.
👉🏻 इस परीक्षण में 1911 के परीक्षण से मात्र में 19 प्रश्न शामिल किए गए.
👉🏻सन् 1916 में ही बीने-साइमन बुद्धि परीक्षण का नाम बदलकर स्टैनफोर्ड-बिने बुद्धि परीक्षण नाम रख दिया गया.
★अमेरिका में बिने-साइमन बुद्धि परीक्षण का प्रचार-प्रसार गोहार्ड ने किया.
★टरमन ने मैरिल के साथ मिलकर स्टैनफोर्ड-बिने बुद्धि परीक्षण का संशोधन किया और इसका न्यू स्टैनफोर्ड रिवीजन रख दिया.
★ इंग्लैंड में इस बुद्धि परीक्षण ( new Stanford revision) सिरिल बर्ट ने संशोधन किया और उसने नाम दिया “लंदन रिवीजन”.
👉🏻सीरिल बर्ट ने 3-16 वर्ष की आयु वाले बालकों के लिए 65 प्रश्न रखे थे.
★1917 में सबसे पहला सामूहिक बुद्धि परीक्षण अमेरिका में बनाया गया जो सबसे पहले अमेरिका की सेना पर प्रयोग किया गया.
👉🏻 सामूहिक बुद्धि परीक्षण के अंतर्गत पहला परीक्षण “सैनिक अल्फा” परीक्षण था जिसे शाब्दिक बुद्धि परीक्षण का नाम दिया गया.
👉🏻 सामूहिक बुद्धि परीक्षण के अंतर्गत दूसरा परीक्षण “सैनिक बीटा” परीक्षण था जिसे अशाब्दिक बुद्धि परीक्षण का नाम दिया गया.
★सन् 1922 में भारत के डॉक्टर सी.एच.राइस ने एफ.जी.कॉलेज लाहौर में पहला बुद्धि परीक्षण बनाया.
👉🏻राइस ने इस बुद्धि परीक्षण में कुल 35 प्रश्न रखें जो 3 से 15 वर्ष आयु के बच्चों के लिए था.
👉🏻डॉ. राइस का यह परीक्षण व्यक्तिगत और शाब्दिक था.
👉🏻 डॉ राइस ने इस परीक्षण का नाम हिंदुस्तानी-बिने परफॉर्मेंस प्वाइंट स्केल रखा.
★ सन् 1912 में ब्रिटेन के प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक स्टर्न ने आई.क्यू.(बुद्धि-लब्धि) शब्द का सबसे पहले प्रयोग किया.
स्टर्न ने इस सूत्र को बनाने की कोशिश की लेकिन यह प्रमाणिक सूत्र नहीं था स्टर्न के द्वारा दिया गया सूत्र निम्न प्रकार है-
IQ=MA/CA
IQ= intelligent Quotient
MA= mental age
CA= choronological age
★ सन 1916 में टरमन का बुद्धि लब्धि परीक्षण आया. जिस का सूत्र निम्न प्रकार है-
IQ=MA/CA★100
👉🏻जहाँ 1★100= सामान्य बुद्धि माना गया।
★★टरमन द्वारा दिया गया बुद्धि लब्धि परीक्षण का वर्गीकरण निम्न प्रकार है-
0-25 — महामूर्ख या जड़ बुद्धि( idiot)
26-50—मूढ़ बुद्धि ( imbeciles)
51-70—अल्प/मूर्ख बुद्धि (morons)
71-80— निर्बल / क्षीण बुद्धि (feeble)
81-90— मन्द बुद्धि ( dull/backword)
91-110— सामान्य बुद्धि (average)
111-120— तीव्र/श्रेष्ठ बुद्धि ( superior)
121-139—अति कुशाग्र बुद्धि (very superior)
140 से ऊपर— प्रतिभाशाली बुद्धि (genius )
★ व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षण तथा सामूहिक बुद्धि परीक्षण में अंतर—
१. व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षण मे एक समय मे ही एक व्यक्ति का परीक्षण किया जा सकता है। जबकि सामूहिक बुद्धि परीक्षण में एक समय में अनेक लोगों का परीक्षण किया जा सकता है।
२. व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षण छोटे बालकों के लिए उपयुक्त है जबकि सामूहिक बुद्धि परीक्षण बड़े बालकों या वयस्कों के लिए उपयुक्त है।
३. व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षण में ज्यादा समय लगता है जबकि सामूहिक बुद्धि परीक्षण में कम समय लगता है।
४. व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षण में परीक्षक और परीक्षार्थी का निकट संबंध होता है जबकि सामूहिक बुद्धि परीक्षण में परीक्षक तथा परीक्षार्थी का निकट संबंध नहीं होता है.
5. व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षण में परीक्षार्थी के गुण दोष का पूरा अध्ययन हो जाता है जबकि सामूहिक बुद्धि परीक्षण में केवल सामान्य अध्ययन कर सकते हैं या सामान्य गुणों का ही पता लगा सकते हैं.
6. व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षण में अधिक धन खर्च होता है जबकि सामूहिक बुद्धि परीक्षण में कम धन की आवश्यकता होती है.
7. व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षण में प्रश्नों की संख्या कम होती है जबकि सामूहिक बुद्धि परीक्षण में प्रश्नों की संख्या अधिक होती है.
8. व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षण में परीक्षा के प्रति परीक्षार्थी सतर्क रहता है जबकि सामूहिक बुद्धि परीक्षण में परीक्षार्थी परीक्षा के प्रति उदासीन रहता है.
9. व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षण में परीक्षण की विश्वसनीयता और प्रमाणिकता अधिक होती है जबकि सामूहिक बुद्धि परीक्षण में परीक्षा की विश्वसनीयता और प्रमाणिकता कम होती है.
10. व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षण में अनुचित साधनों का प्रयोग संभव नहीं जबकि सामूहिक बुद्धि परीक्षण में अनुचित साधनों का प्रयोग होने की संभावना रहती है.
★ शाब्दिक बुद्धि परीक्षण तथा और अशाब्दिक बुद्धि परीक्षण में अंतर—
1. शाब्दिक बुद्धि परीक्षण में पद या प्रश्नों में शब्द या भाषा का प्रयोग किया जा सकता है जबकि और अशाब्दिक परीक्षण में पद, स्थूल सामग्री क्षेत्र में होता है.
2. शाब्दिक बुद्धि परीक्षण में उत्तर, भाषा के माध्यम से देते हैं जबकि अशाब्दिक बुद्धि परीक्षण में उत्तर, किसी चित्र, आकृति इत्यादि के माध्यम से देते हैं.
3. शाब्दिक बुद्धि परीक्षण में भाषा जानने वाले या पढ़े लिखे व्यक्तियों का परीक्षण किया जाता है जबकि अशाब्दिक बुद्धि परीक्षण में पढ़ा लिखा होना जरूरी नहीं होता है.
4. शाब्दिक बुद्धि परीक्षण मंद बुद्धि, गूंगे,बहरे इत्यादी पर प्रयोग नहीं होता है जबकि अशाब्दिक बुद्धि परीक्षण मंद बुद्धि,गूंगे,बहरे आदि लोगों पर भी और पढ़े लिखो पर भी प्रयोग किया जाता है.
★ Note:-१.व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षण शाब्दिक तथा अशाब्दिक दोनों प्रकार का हो सकता है.
★Note:-२ सामूहिक बुद्धि परीक्षण शाब्दिक तथा अशाब्दिक दोनों प्रकार का हो सकता है।
★बेसल वर्ष—जिस अधिकतम आयु वर्ष के प्रश्नों को बालक हल कर देता है तो यह बेसल वर्ष कहलाता है।
जैसे अगर कोई बच्चा 20 वर्ष का है और वहां 22 वर्ष के बच्चे के प्रश्नों को हल करने की क्षमता रखता है तो 22 वर्ष इस बच्चे कि बेसल आयु होगी।
★ टर्मिनल वर्ष— जिस आयु स्तर के प्रश्नों को बालक हल नहीं कर पाता उस से टर्मिनल पर कहा जाता है
अगर कोई बच्चा 20 वर्ष का है और 21 वर्ष के क्वेश्चन हल नहीं कर पा रहा है तो यह उसका टर्मिनल वर्ष कहलाएगा। इसमें 21 वर्ष से कम और ज्यादा दोनों ही condition में बच्चा प्रश्न हल नहीं कर पाता है तो दोनों ही condition मे टर्मिनल वर्ष कहलायेगा।
★आंशिक वर्ष /क्रेडिट वर्ष— जब बच्चा बा 20 वर्ष का होता है और वह 22 वर्ष के प्रश्नों पूरी तरह से हल नहीं कर पाता है लेकिन कुछ प्रश्नों को हल कर लेता है (12/25 कर लेता है) तो MA+12/25 उसका क्रेडिट वर्ष कहलायेगा।
Notes by Shivee Kumari😊
🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸

🔆 🔆 बुद्धि मापन और बुद्धि लब्धि 🔆🔆

👉 1879 में जर्मन मनोवैज्ञानिक ” विलियम वुन्ट ” ने सर्वप्रथम जर्मनी के लिपजिंग में बुद्धि के मापन के लिए मनोवैज्ञानिक प्रयोगशाला स्थापित की।

👉 बुद्धि परीक्षण के निर्माण का पहला प्रयास फ्रांसीसी मनोवैज्ञानिक अल्फ्रेड बिने ने (1905) में किया।

👉 1905 में अल्फ्रेड बिने ने प्रथम बुद्धि परीक्षण साइमन की मदद से फ्रांस में बनाया।

👉 इस परीक्षण का नाम साइमन बिने बुद्धि परीक्षण कहलाया।

👉 इस परीक्षण में 30 प्रश्न 3-14 वर्ष के बालकों के लिए उपयुक्त थे । ये प्रश्न सरल से कठिन क्रम में थे।

👉यह शाब्दिक और व्यक्तिगत परीक्षण था।

👉 यह परीक्षण 1908 में संशोधित हुआ और इस संशोधन में ” मानसिक आयु ” को बुद्धि परीक्षण में शामिल किया गया।

👉 1911 में इस परीक्षण का फिर से संशोधन किया गया और इस संशोधन में इसमें प्रश्नो की संख्या 30 से बढ़ाकर 54 कर दी गई।

👉 1916 में अमेरिका की स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में प्रो. टरमन की अध्यक्षता वाली कमेटी में प्रश्नो की संख्या बढ़ाकर 90 कर दी गई।

👉 इस परीक्षण में 1911 के परीक्षण से मात्र 19 प्रश्न ही लिए गये ।

👉 1916 में ही इस परीक्षण का बदलकर स्टैनफोर्ड – बिने परीक्षण रख दिया गया।

👉 अमेरिका में बिकने साइमन परीक्षण का प्रचार – प्रसार गोहार्ड ने किया।

👉 टर्मन ने मैरिल के साथ मिलकर इसका संशोधन किया और इसका नाम ” न्यू स्टैनफोर्ड रीविजन ” कर दिया गया।

👉 इंग्लैंड में इस बुध्दि परीक्षण पर सिरिल बर्ट ने संशोधन किया और इसका नाम ” लंदन रीविजन ” कर दिया।

👉 इन्होंने 3-16 वर्ष की आयु वाले बालकों के लिए 65 प्रश्न रखें थे ।

👉 1917 में सबसे पहला सामुहिक बुद्धि परीक्षण अमेरिका में बनाया गया जो सबसे पहले अमेरिका की सेना पर प्रयोग किया गया।

1. सैनिक अल्फा परीक्षण ( शाब्दिक परीक्षण)

2. सैनिक बीटा परीक्षण ( अशाब्दिक परीक्षण)

👉 1922 में भारत में पहला बुद्धि परीक्षण डॉ सी. एच. राइस ने एफ. जी. कॉलेज लाहौर में बनाया गया।

👉 इस परीक्षण में 35 प्रश्र थे जो 3 – 15 वर्ष के बालकों के लिए थे

👉 यह परीक्षण शाब्दिक और व्यक्तिगत परीक्षण था।

👉 इसका नाम हिन्दुस्तानी बिने परर्फोमेन्स पाउण्ड स्केल था।

👉 1912 में ब्रिटेन के सुप्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक स्टर्न ने IQ शब्द का प्रयोग किया। उन्होंने इसका सूत्र बनाने की कोशिश की, लेकिन यह प्रमाणित सूत्र नहीं था।

IQ = M.A./ C.A.

M.A. = mental age

C.A. = chronological age

👉 1916 में टरमन का बुध्दि लब्धि सूत्र ➖

IQ = M.A./C.A. × 100

M.A. = mental age ( मानसिक आयु )

C.A. = chronological age ( वास्तविक आयु )

♨️ 0-25 ➖ जड बुद्धि ( idiat )

26 -50➖ मूढ़ बुद्धि( imbecile)

51 – 70 ➖अल्प बुद्धि ( morons)

71 – 80 ➖निर्बल बुद्धि ( feeble minded)

81- 90➖मन्द बुद्धि ( dull )

91-100➖औसत / सामान्य बुद्धि ( average)

110 -120➖तीव्र बुद्धि ( above average)

121 – 139 ➖अतिकुशाग्र बुद्धि ( superior)

140 – से ऊपर ➖प्रतिभाशाली( Genius)

♨️ व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षण ( individual intelligence test ) ➖
एक समय पर एक व्यक्ति का ही परीक्षण किया जाता है

यह परीक्षण छोटे बच्चों के लिए उपयुक्त होता है

इस परीक्षण में अनुभवी एवं प्रशिक्षित अध्यापकों की आवश्यकता होती है

इस परीक्षण मे समय अधिक लगता है

इस परीक्षण में परीक्षक और परीक्षार्थी का निकट संबंध होता है
इस परीक्षण में परीक्षक को परीक्षार्थी के गुण और दोषों का पूरा अध्ययन हो जाता है

इस परीक्षण में अधिक धन व्यय होता है

इस परीक्षण में प्रश्नों की संख्या कम होती है

इस परीक्षण में बच्चे परीक्षा के प्रति सतर्क होते हैं

इस परीक्षण की विश्वसनीयता और प्रमाणिकता अधिक होती है

इस परीक्षण में अनुचित साधनों का प्रयोग संभव नहीं है

♨️ सामूहिक बुद्धि परीक्षण ( Group intelligence test ) ➖
इस परीक्षण में एक ही समय में अनेक विद्यार्थियों की परीक्षा ली जा सकती है
यह परीक्षण बड़े बालकों या वयस्कों के लिए उपयुक्त होता है

इस परीक्षण को सामान्य योग्यता वाले अध्यापक भी ले सकते हैं

इस परीक्षण में कम समय लगता है

इस परीक्षण में परीक्षक और परीक्षार्थी के मध्य निकट संबंध नहीं होता है

इस परीक्षण में परीक्षक द्वारा परीक्षार्थी के केवल सामान्य गुण और दोषों का ही अध्ययन किया जाता है

इस परीक्षण में कम धन व्यय होता है

इस परीक्षा में प्रश्नों की संख्या अधिक होती है

इस परीक्षण में परीक्षार्थी परीक्षा के प्रति उदासीन होते हैं

यह परीक्षण कम विश्वसनीयता और कम प्रमाणिकता वाला होता है

इस परीक्षण में अनुचित साधनों का प्रयोग होने की संभावना होती है।

♨️ शाब्दिक बुद्धि परीक्षण ( verbal intelligence test) ➖
इस परीक्षण में पद या प्रश्नों में शब्द या भाषा का प्रयोग किया जाता है

इस परीक्षण में भाषा के माध्यम से प्रश्नों के उत्तर दिए जाते हैं

भाषा जानने वाले पढ़े लिखे लोगों पर प्रयुक्त होता है

यह परीक्षण मंदबुद्धि गूंगे बहरे व्यक्तियों पर प्रयोग नहीं किया जा सकता।

♨️ अशाब्दिक बुद्धि परीक्षण ( Nonverbal intelligence test) ➖
इस परीक्षण में पद स्थूल सामग्री चित्र में होते हैं

इस परीक्षण में उत्तर चित्र आकृति इत्यादि के माध्यम से देते हैं

भाषा जानना पढ़ा लिखा होना दोनों जरूरी नहीं है

यह परीक्षण मंदबुद्धि गूंगे बहरे व्यक्तियों पर प्रयोग किया जा सकता है।

💫 बेसल वर्ष ➖
मानसिक आयु जिस अधिकतम आयु स्तर के प्रश्नों को बालक हल कर देता है बेसल वर्ष कहलाता है।

💫 टर्मिनल वर्ष ➖
जिस आयु स्तर के प्रश्नों को बालक हल नहीं कर पाता है वह टर्मिनल वर्ष कहलाता है।

🔰 उम्र 20 ➡️ 22 वर्ष

( मानसिक आयु)
⬇️

बेसल वर्ष

➡️ 23 वर्ष
⬇️

टर्मिनल वर्ष

💫 23 वर्ष में हम जितने प्रश्न कर पाते हैं उनको हम आशिंक क्रेडिट / क्रेडिट कार्ड कहते हैं।

📝 Notes by ➖

✍️ Gudiya Chaudhary

🏵️ बुद्धि का मापन और बुद्धि लब्धि 🏵️
(Measurement of intelligence and intelligence quotient)
👉 1879 मैं जर्मन मनोवैज्ञानिक William Bunt ने बुद्धि के मापन के लिए मनोवैज्ञानिक प्रयोगशाला लिपजिंग शहर में स्थापित की थी।
👉1905 में सबसे पहला बुद्धि परीक्षण अल्फ्रेड बिने ने साइमन की मदद से फ्रांस में बनाया।
👉 इन्होंने इसका नाम बिने साइमन बुद्धि परीक्षण रखा ।
👉 इस परीक्षण में 30 प्रशन रखे गए यह परीक्षण 3 से 14 वर्ष के बच्चों के लिए उपयुक्त था
▪️ व्यक्तिगत एवं शाब्दिक बुद्धि ➡️
👉 1908 में संशोधन हुआ और इस संशोधन में मानसिक आयु की अवधारणा को बुद्धि परीक्षण में शामिल किया गया।
👉 1911 में दूसरा संशोधन हुआ इसमें प्रशन की संख्या को बढ़ाकर 54 कर दिया गया।
👉1916 में अमेरिका की स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में प्रोफेसर टरमन की अध्यक्षता वाली कमेटी ने प्रश्नों की संख्या बढ़ाकर 90 कर दी।
👉 इस परीक्षण में 1911 के परीक्षण से मात्र 19 प्रश्न शामिल किए गए।
👉 1916 में ही स्टैनफोर्ड बिने बुद्धि परीक्षण नाम रख दिया गया।
👉 अमेरिका में बिने साइमन परीक्षण का प्रचार प्रसार गोहार्ड ने किया था।
👉 टर्मन ने मैरिल के साथ मिलकर उसका संशोधन किया और इसका नाम न्यू स्टैनफोर्ड रिवीजन रख दिया।
👉 इंग्लैंड में इस बुद्धि परीक्षण पर सिरिल बर्ट ने संशोधन किया और लंदन रिवीजन नाम रख दिया।
👉 इन्होंने 3 से 14 वर्ष की आयु वाले बालकों के लिए 65 प्रसन्न रखे थे।
👉 1917 में सबसे पहला सामूहिक बुद्धि परीक्षण अमेरिका में बनाया गया जो सबसे पहले अमेरिका की सेना पर प्रयोग किया गया।
▪️ इसमें दो बुद्धि परीक्षण थे:—
1-सैनिक अल्फा परीक्षण (शाब्दिक)
2-सैनिक बीटा परीक्षण (अशाब्दिक)
👉1922 में भारत के डॉक्टर सी एच राइस ने एफजी कॉलेज लाहौर में पहला बुद्धि परीक्षण बनाया।
👉 इन्होंने इस परीक्षण में 35 प्रशन रखें 3 से 15 वर्ष के बच्चों के लिए।
👉 यह शाब्दिक और व्यक्तिगत परीक्षण था।
👉 इसका नाम हिंदुस्तानी बिने परफॉर्मेंस पाउंड स्केल नाम रखा गया।
👉 1912 में ब्रिटेन के सुप्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक स्टर्न ने IQशब्द का प्रयोग किया उन्होंने इसका सूत्र बनाने की भी कोशिश की लेकिन यह प्रमाणित सूत्र नहीं था।
IQ=MA/CA
👉 1916 में टर्मन का बुद्धि लब्धि परीक्षण
IQ=MA/CA×100
1×100=100 आने पर सामान्य बुद्धि
MA=mental age (मानसिक आयु)
CA=choronological age (वास्तविक आयु)
👉IQ (बुद्धि लब्धि):–
🔹0—–25—महामूर्ख, जड़ बुद्धि (idiot)
🔸26—–50—मूड बुद्धि(imbelius)
🔹51—–70—अल्प बुद्धि, मूर्ख बुद्धि(moron)
🔸71—–80—निर्बल, क्षी्ण बुद्धि(feeble)
🔹91—–110—सामान्य बुद्धि (average)
🔸111—–120—तीव्र, श्रेष्ठ बुद्धि (Superior)
🔹121—–139—अति कुशाग्र बुद्धि (very superior)
🔸140—–से ऊपर —प्रतिभाशाली(genios)
👉 व्यक्तिगत परीक्षण और सामूहिक परीक्षण में अंतर:—
▪️ व्यक्तिगत परीक्षण (individual test):–
🔸 एक समय पर एक व्यक्ति की परीक्षा
🔹 छोटे बालकों के लिए उपयुक्त
🔸 अनुभवी और प्रशिक्षित व्यक्ति ले सकता है।
🔹 इसमें अधिक समय लगता है।
🔸 परीक्षक, परीक्षार्थी का निकट संबंध होता है।
🔹 परीक्षार्थी के गुण दोष का पूरा अध्ययन हो जाता है।
🔸 इसमें अधिक धन व्यय होता है।
🔹 प्रश्नों की संख्या कम होती है।
🔸 परीक्षा के प्रति सतर्कता होती है।
🔹 परीक्षण की विश्वसनीयता और प्रमाणिकता अधिक होती है।
🔸 परीक्षण में अनुचित साधनों का प्रयोग संभव नहीं है।
▪️ सामूहिक परीक्षण (group test):–
🔹 एक समय पर अनेक लोगों की परीक्षा ली जाती है।
🔸 बड़े बालोंको या वयस्कों के लिए उपयुक्त होता है।
🔹 सामान्य योग्यता का व्यक्ति ले सकता है।
🔸 इसमें समय कम लगता है।
🔹 निकट संपर्क स्थापित नहीं होता है।
🔸 केवल सामान्य अध्ययन कर सकते हैं।
🔹 इसमें कम धन की आवश्यकता होती है।
🔸 प्रश्नों की संख्या अधिक होती है।
🔹 इसमें उदासीन रहते हैं।
🔸 परीक्षण की विश्वसनीयता और प्रमाणिकता कम होती है।
🔹 अनुचित साधनों का प्रयोग होने की संभावना नहीं होती है।
Note:–व्यक्तिगत और सामूहिक दोनों परीक्षण शाब्दिक और अशाब्दिक हो सकते हैं।
👉 शाब्दिक और अशाब्दिक बुद्धि परीक्षण में अंतर:—
▪️ शाब्दिक बुद्धि परीक्षण(verbal):—
🔹 पद या प्रश्नों में शब्द या भाषा का प्रयोग होता है।
🔸 इसमें उत्तर भाषा के माध्यम से दिया जाता है।
🔹 भाषा जानने वाले या पढ़े लिखे लोग पर प्रयुक्त होता है।
🔸 मंदबुद्धि, गूंगे, बहरे पर प्रयोग नहीं होता है।
▪️ अशाब्दिक बुद्धि परीक्षण (nonverbal):—
🔸 यह परीक्षण पद स्थूल सामग्री चित्र के माध्यम से होता है।
🔹 इसमें उत्तर चित्र, आकृति इत्यादि के माध्यम से दिया जाता है।
🔸 इसमें भाषा जानना है पढ़ा लिखा होना जरूरी नहीं है।
🔹 यह परीक्षण सभी पर प्रयोग होता है।
▪️ बेसल बर्ष~मानसिक आयु
👉 जिस अधिकतम आयु स्तर के प्रश्नों को बालक हल कर लेता है बेसल वर्ष कहलाता है।
उम्र 20—>22 मानसिक आयु या बेसल वर्ष—>23 टर्मिनल बर्ष
▪️ टर्मिनल बर्ष:—
👉 जिस आयु स्तर के प्रश्नों को बालक हल नहीं कर पाता है उसे टर्मिनल बर्ष कहते हैं।
▪️ आंशिक क्रेडिट या केडिट वर्ष:—
20 बर्ष—वास्तविक आयु
22बर्ष—मानसिक आयु
23बर्ष—मैं माना कि 60 में से 15 प्रशन हल कर लिए तो
MA+15/60 इसे आंशिक क्रेडिट या केडिट बर्ष कहते हैं।
🏵️🏵️🏵️Thank You🏵️🏵️🏵️
🏵️🌸🏵️✍️ Notes by~❤️Vinay Singh Thakur❤️

🧠 बुद्धि मापन और बुद्धि लब्धि (Measurement of Intelligence Intelligence Quotient)🧠

✍🏻 1879मैं जर्मन मनोवैज्ञानिक विलियम वुट ने बुद्धि के मापन के लिए मनोवैज्ञानिक प्रयोगशाला स्थापित की।

✍🏻 सबसे पहले बुद्धि परीक्षण बिने (Binet) तथा साइमन (Simon) ने मिलकर 1905 में फ्रांस बनाया था।

✍🏻 इसका नाम बिने साइमन बुद्धि परीक्षण था।

✍🏻 इस परीक्षण में 30 प्रश्न 3 से 14 वर्ष के बच्चों के लिए उपयुक्त थे।

✍🏻 इस परीक्षण को व्यक्तिगत एवं शाब्दिक भी कहा जाता है।

✍🏻1908 में इस परीक्षण का प्रमुख संशोधन हुआ और इस संशोधन में मानसिक आयु की अवधारणा को बुद्धि परीक्षण में शामिल की गई।

✍🏻 1911 में दूसरा संशोधन किया ,जिसमें प्रश्न की संख्या को बढ़ाकर 54 कर दिया।

✍🏻 1916 में अमेरिका की स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में प्रोफेसर टर्मन की अध्यक्षता वाली कमेटी के प्रश्नों की संख्या बढ़कर 90 कर दी।

✍🏻 इस परीक्षण में 1911 के परीक्षण से मात्र 19 प्रश्न शामिल किया।

✍🏻 1916 में ही स्टैनफोर्ड- बिने बुद्धि परीक्षण नाम रख दिया गया।

✍🏻 अमेरिका में बिने साइमन परीक्षण का प्रचार- प्रसार गोहार्ड में किया गया।

✍🏻 टर्मन ने मैरिल के साथ मिलकर इसका संशोधन किया।

✍🏻इंग्लैंड में इस बुद्धि परीक्षण पर सिरिल बर्ट ने संशोधन किया और इसका नाम लंदन रिवीजन रखा है।

✍🏻 इन्होंने 3 से 16 वर्ष की आयु वाले बालकों के लिए 65 प्रश्न रखे थे।

✍🏻1917 में सबसे पहला सामूहिक बुद्धि परीक्षण अमेरिका में बनाया गया जो सबसे पहले अमेरिका की सेना पर प्रयोग किया गया।

🌸 1916 ईस्वी में हीटर मन कब बुद्धि लब्धि परीक्षण IQ=(MA/CA)*100
MA-Mental Age( मानसिक आयु) CA-Chronological Age( वास्तविक आयु)

🌸 टर्मन ने बुद्धि लब्धि मापन का एक स्केल बनाया जो निम्न वत है-

0 से 25 -जड़ बुद्धि
26 से 50-मूढ़ बुद्धि
51-70-अल्प बुद्धि मूर्ख बुद्धि
71-80-निर्बल क्षीण बुद्धि
81-90-मंदबुद्धि
91-110-सामान्य बुद्धि
111-120-तीव्र बुद्धि /श्रेष्ठ बुद्धि
121-139 अति कुशाग्र /अति श्रेष्ठ बुद्धि
140 से ऊपर-प्रतिभाशाली बुद्धि

🖊️🖊️📚📚 Notes by… Sakshi Sharma📚📚🖊️🖊️
🔥 व्यक्तिगत परीक्षण और सामूहिक परीक्षण में अंतर🔥

🌸🌺 व्यक्तिगत परीक्षण➖

👉🏼 इस परीक्षण में एक समय पर एक ही व्यक्ति की परीक्षा ली जाती है।
👉🏼 यह परीक्षण छोटे बच्चों के लिए उपयुक्त है, अनुभवी प्रशिक्षित व्यक्ति ही ले सकता है।
👉🏼 इस परीक्षण में समय अधिक लगता है।
👉🏼 इस परीक्षण में परीक्षार्थी एवं परीक्षक का निकट संबंध होता है।
👉🏼 यह परीक्षा ज्यादा प्रभावी होती है।
👉🏼 परीक्षण में प्रति सक्रिय होता है।
👉🏼 परीक्षण की विश्वसनीयताऔर प्रमाणिकता अधिक होती है।
👉🏼 परीक्षण में अनुचित संसाधनों का प्रयोग संभव नहीं होता।

🌸🌺 सामूहिक परीक्षण➖

👉🏼 एक समय पर अनेक लोगों की परीक्षा ली जा सकती है।
👉🏼 बड़े बालकों और वयस्कों के लिए उपयुक्त है।
👉🏼 सामान्य योग्यता का व्यक्ति इस परीक्षा को ले सकता है
👉🏼 कम समय लगता है।
👉🏼 परीक्षक और परीक्षार्थी निकट संपर्क नहीं होता।
👉🏼 केवल सामान्य अध्ययन कर सकता है।
👉🏼 प्रश्नों की संख्या अधिक होती है।
👉🏼 उदासीन रहता है।
👉🏼 परीक्षण की विश्वसनीयता और प्रामाणिकता कम होती है।
👉🏼 अनुचित संसाधनों का प्रयोग होने की संभावना होती है।

🌸शाब्दिक और अशाब्दिक🌸

🌺 शाब्दिक बुद्धि परीक्षण🌺
(Verbal Intelligence-test)

👉🏼 इस तरह का बुद्धि परीक्षण उन क्षणों को कहा जाता है जिसमें लिखित शब्दों का प्रयोग निर्देश देने तथा परीक्षण के एकाशों या प्रश्नों से किया जाता है।
👉🏼 पद या प्रश्नों में शब्द या भाषा का प्रयोग
👉🏼 उत्तर भाषा के माध्यम से देता है।
👉🏼 भाषा जाने वाले पढ़े लिखे लोग पर प्रयुक्त होता है।
👉🏼 मंदबुद्धि गूंगे बहरे पर प्रयोग नहीं होता।

🌺🌸 अशाब्दिक बुद्धि परीक्षण(Non-verbal Intelligence Test)

👉🏼अशाब्दिक बुद्धि परीक्षण वैसे परीक्षण को कहा जाता है जिसमें भाषा , शब्दों ,वाक्यों तथा संख्या का प्रयोग निर्देश में निश्चित रूप से होता है, परंतु उनके एक एकाशों में प्रयोग नहीं होता।
👉🏼 पद स्थूल चित्र में होता है।
👉🏼 उत्तर चित्र, आकृति इत्यादि के माध्यम से देता है।
👉🏼 भाषा जानना या पढ़ा लिखा होना जरूरी नहीं होता।
👉🏼 गूंगा, बहरा और मंदबुद्धि इन सभी पर प्रयोग होता है।

🌺🌸बेसल वर्ष -मानसिक आयु 🌸🌺
👉🏼 जिस अधिकतम आयु स्तर के प्रश्नों को बालक हल करता है बेसल वर्ष कहलाता है

🌸🌺 टर्मिनल वर्ष🌺🌸

👉🏼 जिस आयु के स्तर के प्रश्नों को बालक हल नहीं कर पाता उसे टर्मिनल वर्ष कहते हैं।

20 उम्र——22 बेसल वर्ष—-23 टर्मिनल वर्ष

🖊️🖊️📚📚 Notes by….
Sakshi Sharma📚📚🖊️🖊️

🎄🎄( Measurement of Intelligence and intelligent quotient)🎄🎄

⛄बुद्धि का मापन और बुद्धि लब्धि⛄

👨🏻‍🏫सबसे पहले बुद्धि परीक्षण किए-बिने

☃️ सन् 1879 जर्मन के लिपजिंग शहर के मनोवैज्ञानिक विलियम वुण्ट ने बुद्ध के मापन के लिए प्रयोगशाला स्थापित की।

⛄ सन् 1905 में सबसे पहला बुद्धि परीक्षा अल्फ्रेड बिने साइमन की मदद से फ्रांस में बनाया; इसका नाम बिने साइमन बुद्धि परीक्षण था
इस परीक्षण में 30 प्रश्न 3 वर्ष से लेकर 14 वर्ष के बच्चों के लिए रखे गए थे।
इस परीक्षण को व्यक्तिगत एवं शाब्दिक बुद्धि परीक्षण भी कहते हैं।

☃️सन् 1908 में प्रथम संशोधन हुआ और इस संशोधन में मानसिक आयु की अवधारणा को बुद्धि परीक्षण में शामिल कर लिया गया।

☃️सन 1911 में दूसरा संशोधन हुआ इसमें प्रश्नों की संख्या को बढ़ाकर 54 कर दिया।

☃️1912 में ब्रिटेन के सुप्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक स्टर्न ने आईक्यू (IQ) शब्द का प्रयोग किया उन्होंने इसके साथ ही इसके सूत्र बनाने की कोशिश भी की लेकिन यह प्रमाणित नहीं था।

☃️क्योंकि यह औसतन अंक में आ रहा था।
❄️(IQ=M.A./C.A.)
M.A.=mental age
C.A.=Chronical age

☃️सन 1916 में अमेरिका के स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में प्रोफेसर टर्मन की अध्यक्षता वाली कमेटी के प्रश्नों की संख्या को बढ़ाकर 90 कर दिया गया।
‌ इस परीक्षण में उन ☃️सन 1911 के परीक्षण से मात्र 19 प्रश्न शामिल किए गए थे।

☃️सन 1916 में ही स्टैनफोर्ड बिने बुद्धि परीक्षण नाम रख दिया गया अमेरिका में बिने साइमन परीक्षण का प्रचार प्रसार गोहार्ड ने किया था।
टर्मन ने मैरिल के साथ मिलकर उसका संशोधन किया नाम रखा “न्यू स्टैनफोर्ड रिवीजन”

☃️इंग्लैंड में इस बुद्धि परीक्षण पर से सिरिल वर्ट ने संशोधन किया और नाम रख दिया “लंदन रिवीजन”; इन्होंने 3 वर्ष से लेकर 16 वर्ष की आयु वाले बालकों के लिए 65 प्रश्न रखे थे।

☃️सन 1916 मे ही टर्मन ने बुद्धि लब्धि परीक्षण नाम दे दिया

❄️{ IQ= (M.A. /C.A.*💯)}❄️
Where M.A.=Mental age;
C.A.=Chronical age

☃️सन 1917 में सबसे पहला सामूहिक बुद्धि परीक्षण अमेरिका में बनाया गया जो सबसे पहले अमेरिका की सेना पर ही प्रयोग किया गया

🍃१-सैनिक-अल्फा परीक्षण (शाब्दिक )

🍃२-सैनिक-बीटा परीक्षण (अशाब्दिक)

☃️सन 1922 में भारत के ही डॉक्टर सी.एच.राइस ने एफजी(F.G college) कॉलेज लाहौर में पहला बुद्धि परीक्षण बनाया।
इन्होंनेहोंने कुल 35 प्रश्न रखे ३ वर्ष से लेकर १५ वर्ष के बच्चों के लिए;ये प्रश्न शाब्दिक वा व्यक्तिगत था वा इसका नाम रखा गया (हिंदुस्तानी बिने परफॉर्मेंस पाउंड स्केल)।

❄️Intillegent Quotient Scale❄️
I.Q.=M.A.×C.A
0- 25

💧26- 50=महा मूर्ख,जड़ बुद्धि,(Idiot)

💧51-70= मूड़ बुद्धि (Imbecile)

💧71- 80= अल्प बुद्धि ,मूर्ख बुद्धिMoran)

💧81- 90= मंद बुद्धि(Dull , backward)

💧91-110=सामान्य बुद्धि(Average )

💧111-120=तीर्व बुद्धि(Superior)

💧121-139=अतिकुशाग्र बुद्धि, अतिश्रेष्ठ बुद्धि(Very superior)

💧140-वा ऊपर=प्रतिभाशाली बुद्धि(Genius)

🌋व्यक्तिगत परीक्षण वा सामूहिक बुद्धि परीक्षण में अंतर निम्नलिखित हैं÷

💦व्यक्तिगत परीक्षण- एक समय पर एक व्यक्ति के लिए(परीक्षा छोटे बालकों के लिए उपयुक्त) ही उपयुक्त।

☄️सामूहिक परीक्षण-एक समय पर अनेक लोगों की
परीक्षा(बड़े बालकों एवं व्यस्को के लिए उपयुक्त

💦व्यक्तिगत परीक्षण-अधिक समय लगता है।

☄️सामूहिक परीक्षण- कम समय लगता है।

💦व्यक्तिगत परीक्षण- परीक्षक व परीक्षार्थी का निकट संबंध होता है।

☄️सामूहिक परीक्षण परीक्षार्थी व परीक्षक के बीच संबंध निकट नहीं होता है।

💦व्यक्तिगत परीक्षण-परीक्षार्थी के गुण व दोष का पूरा धन कर सकते हैं।

☄️सामूहिक परीक्षण-केवल सामान्य अध्ययन कर सकते हैं।

💦व्यक्तिगत परीक्षण -अधिक धन व्यय होता है।

☄️सामूहिक परीक्षण-धन कम व्यय होता है।

💦व्यक्तिगत परीक्षण-प्रश्नों की संख्या कम होती है।

☄️सामूहिक परीक्षण-प्रश्नो की संख्या अधिक होती है।

💦व्यक्तिगत परीक्षण-परीक्षा के प्रति सतर्क रहते हैं।

☄️सामूहिक परीक्षण-परीक्षा के प्रति उदासीन रहते हैं।

💦व्यक्तिगत परीक्षण- परीक्षण की विश्वसनीयता और प्रामाणिकता अधिक होती है।

☄️सामूहिक परीक्षण-परीक्षण की विश्वसनीयता और प्रामाणिकता कम होती है।

🌱शाब्दिक और अशाब्दिक में विभेद निम्नलिखित हैं÷🌱

✨शाब्दिक-पद या प्रश्नों में शब्द या भाषा का प्रयोग होता है।

🌠अशाब्दिक -स्थूल सामग्री चित्र में होता है।

✨शाब्दिक- उत्तर भी भाषा के माध्यम से ही देते हैं।

🌠अशाब्दिक-उत्तर चित्र आकृति इत्यादि के माध्यम से देते हैं।

✨शाब्दिक-भाषा जानने, समझने वाले या पढ़े लिखे लोग पर प्रयुक्त होता है।

🌠अशाब्दिक- भाषा की दक्षता होना या पढ़ा लिखा होना ही जरूरी नहीं है।

✨शाब्दिक- मंदबुद्धि गूंगे बहरे इत्यादि का प्रयोग नहीं होता है।

🌠अशाब्दिक- मंद बुद्धि,बहरे,गूंगे इत्यादि पर प्रयुक्त होता है।

🌱नोट -व्यक्तिगत परीक्षण व सामूहिक परीक्षण में शाब्दिक और अशाब्दिक दोनों ही होते हैं।

धन्यवाद

💞हस्तलिखित- शिखर पांडेय💞

❄ *बुद्धि का मापन और बुद्धि लब्धि* ❄ ☑️ “1879 में जर्मन मनोवैज्ञानिक विलियम बुंट ने
लिपजिंग शहर”में बुद्धि के मापन के लिए मनोवैज्ञानिक प्रयोगशाला स्थापित की । 🌀 “1905 ” में सबसे पहला बुद्धि परीक्षण अल्फ्रेड – बिने साइमन की मदद से फ्रांस में बनाया। ➡️ इसका नाम विने – साइमन बुद्धि परीक्षण था । ➡️ इस परीक्षण में 30 प्रश्न 3 से 14 वर्ष के बच्चों के लिए उपयुक्त थे। 👉 इसको व्यक्तिगत एवं शाब्दिक बुद्धि परीक्षण भी कहा गया । 🌀 “1908” में संशोधन हुआ और इस संशोधन में मानसिक आयु की अवधारणा को बुद्धि लब्धि परीक्षण में शामिल किया गया । 🌀 “1911” में दूसरा संशोधन हुआ इसमें प्रश्न की संख्या को बढ़ाकर 54 कर दिया । 🌀 “1916” में अमेरिका के स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में प्रोफेसर टरमन की अध्यक्षता वाली कमिटी के प्रश्नों की संख्या बढ़ाकर 90 कर दी 👉 इस परीक्षण में 1911 के परीक्षण से मात्र 19 प्रश्न शामिल किए गए । 👉 1916 में ही स्टैनफोर्ड बिने बुद्धि परीक्षण नाम रख दिया गया। ✅ “अमेरिका में बिने साइमन बुध्दि परीक्षण का प्रचार – प्रसार को “गोहार्ड” ने किया था । 🌀 “टरमन ने मैरिल” के साथ मिलकर इसका संशोधन किया जिसे “न्यू स्टैनफोर्ड रिवीजन” कहा गया । 🌀 ” इंग्लैंड में इस बुद्धि परीक्षण पर सिरिल बर्ट ने संशोधन किया” जो “लंदन रिवीजन” कहलाता हैं। 👉 इन्होंने 3-16 वर्ष की आयु वाले बालकों के लिए 65 प्रश्न रखे थे 🌀 “1917” में सबसे पहला सामूहिक बुद्धि परीक्षण अमेरिका में बनाया गया जो सबसे पहले अमेरिका की सेना पर प्रयोग किया गया । 👉 सैनिक अल्फा परीक्षण (शाब्दिक ) 👉 सैनिक बीटा परीक्षण (अशाब्दिक) 🌀 “1922” में भारत के डॉक्टर सी एच राइस ने ए जी कॉलेज लाहौर में पहला बुद्धि परीक्षण बनाया । 👉 35 प्रश्न 3 से 15 वर्ष के बच्चों के लिए 👉 शाब्दिक और व्यक्तिगत था 👉 इसका नाम हिंदुस्तानी बिने परफारमेंस परीक्षण है 🌀 “1912” में ब्रिटेन के सुप्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक स्टर्न ने IQ शब्द का प्रयोग किया उन्होंने इसका सूत्र बनाने की भी कोशिश की लेकिन वह प्रमाणिक नहीं था IQ= MA/CA MA(mental age ) CA( chronological age ) 🌀 “1916” में बुद्धि लब्धि परीक्षण IQ= MA/CA ×100 1×100 =100 आया तो सामान्य बुद्धि है । MA = mental age ( mansik aayu ) ,,,,,,CA = chronological age ( vastavik aayu ) IQ :- 0-25 महामूर्ख , जड़ बुध्दि , इडियट 26-50 मूढ़ बुद्धि 51 से 70 अल्प, बुद्धि मूर्ख बुद्धि 71 से 80 निबर्ल क्षीणबुद्धि 81 से 90 मंदबुद्धि 91 से 110 सामान्य बुद्धि 111 से 120 तीव्र श्रेष्ठ बुध्दि 121 से 139 अति कुशाग्र बुद्धि 140 से ऊपर प्रतिभाशाली 🔅 व्यक्तिगत परीक्षण और सामूहिक परीक्षण में अंतर 🔅 ✅ व्यक्तिगत परीक्षण:- 1) एक समय पर एक व्यक्ति की परीक्षा ली जा सकती है। 2) छोटे बालकों के लिए उपयुक्त 3) अनुभवी/ प्रशिक्षित व्यक्ति से जोड़ता है 4) अधिक समय लगता है 5) परीक्षक /परीक्षार्थी का निकट का संबंध होता है 6) परीक्षार्थी के गुण दोष का पूरा अध्ययन हो जाता है 7) अधिक धन व्यय होता है 8) प्रश्नों की संख्या कम होती है 9) परीक्षा के प्रति सतर्क रहते हैं 10) परीक्षण की विश्वसनीयता प्रमाणिकता अधिक होती है 11) परीक्षण में अनुचित साधनों का प्रयोग होने की संभावना नहीं होती है ✅ सामूहिक परीक्षण :- 1) एक समय पर अनेक लोगों की परीक्षा ली जा सकती है 2) बड़े बालको / वयस्कों के लिए उपयुक्त है। 3) सामान्य योग्यता का व्यक्ति ले सकता है 4) कम समय लगता है 5) निकट संपर्क नहीं होता है 6) केबल सामान्य अध्ययन कर सकते हैं 7) कम धन की आवश्यकता होती है 8) प्रश्नों की संख्या अधिक होती है 9) परीक्षण के प्रति उदासीन रहते हैं 10) परीक्षण की विश्वसनीयता प्रमाणिकता कम होती है 11) परीक्षण में अनुचित साधनों का प्रयोग होने की संभावना होती है 🌀शाब्दिक अशाब्दिक बुद्धि परीक्षण में अंतर🌀 🍀 शाब्दिक बुद्धि परीक्षण :- 1 ) पद या प्रश्नों में शब्द या भाषा का प्रयोग होता है 2) उत्तर भाषा के माध्यम से देते हैं 3) भाषा जानने वाले पढ़े लिखे लोग पर प्रयुक्त होता है 4) मंदबुद्धि गूंगे बहरे पर प्रयोग नहीं होता है 🍀 अशाब्दिक बुद्धि परीक्षण :- 1) पद स्कूल सामग्री चित्र में होता है 2) उत्तर चित्र आकृति इत्यादि के माध्यम से देते हैं 3) भाषा जानना या पढ़ा लिखा होना जरूरी नहीं है 4) सभी पर प्रयुक्त होता है नोट :- व्यक्तिगत और सामूहिक शाब्दिक और अशाब्दिक दोनों हो सकता है ★बेसल वर्ष या मानसिक आयु ★ जिस अधिकतम आयु स्तर के प्रश्नों को बालक हल कर देता है बेसल वर्ष कहलाता है जैसे कोई 20 वर्ष का है और वह 22 वर्ष के प्रश्न को हल कर रहा है तो वही बेसल वर्ष कहलाता है 🍀 टर्मिनल वर्ष🍀 जिस आयु स्तर के प्रश्नों को बालक हल नहीं कर पाता है टर्मिनल वर्ष कहलाता है जैसे अगर कोई बच्चा 20 वर्ष का है और वह 22 वर्ष के प्रश्न हल कर लेता है लेकिन 22 के आगे के प्रश्न को नहीं हल कर पाता है वही टर्मिनल वर्ष कहलाता है नोट्स बाय प्रज्ञा शुक्ला

🌼बुद्धि का मापन और बुद्धि लब्धि🌼
Measurement of intelligence &intelligent quotient 🌼🌼

🌼1879 में जर्मन मनोवैज्ञानिक विलियम वुन्ट ने लिपजिंग में बुद्धि के मापन के लिए मनोवैज्ञानिक प्रयोगशाला स्थापित की
🌼 1905 में सबसे पहला बुद्धि परीक्षण अल्फ्रेड बिने साइमन की मदद से फ्रांस में बनाया
🌼 इसका नाम बिने साइमन बुद्धि परीक्षण था
🌼 इस परीक्षण में 30 प्रश्न ,3 से 14 वर्ष के बच्चों के लिए उपयुक्त थे
🌼 व्यक्तिगत एवं शाब्दिक बुद्धि
🌼सन 1908 में संशोधन हुआ इस संशोधन में मानसिक आयु की अवधारणा को बुद्धि परीक्षण में शामिल की गई
🌼1911 में दूसरा संशोधन हुआ इसमें प्रश्न की संख्या को बढ़ाकर 54 कर दिया
🌼1916 में अमेरिका की स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में प्रोफेसर टरमन की अध्यक्षता वाली कमेटी की प्रश्नों की संख्या को बढ़ाकर 90 कर दी
🌼इस परीक्षण में 1911 के परीक्षण से मात्र 19 प्रश्न शामिल किए गए
🌼1916 में ही स्टैंनफोर्ड – बिने बुद्धि परीक्षण नाम रख दिया गया

🌼अमेरिका में बिने साईमन परीक्षण को प्रचार प्रसार गोहर्ड ने किया था
🌼 टरमन ने मेरिल के साथ मिलकर इसका संशोधन किया और – न्यू स्टैंनफोर्ड रिविजन नाम दिया
🌼इंग्लैंड में इस परीक्षण को सिरिल बर्ट ने संशोधित किया और “लंदन रिविजन” नाम दिया है
🌼इन्होंने 3 से 16 वर्ष की आयु के बालकों के लिए 65 प्रश्न रखे थे
🌼1917 में सबसे पहला सामूहिक बुद्धि परीक्षण अमेरिका में बनाया गया जो सबसे पहले अमेरिका की सेना पर प्रयोग किया गया
🌼1. सैनिक अल्फा परीक्षण ( शाब्दिक)
🌼2. सैनिक बीटा परीक्षण (अशाब्दिक)

🌼 1922 में भारत के dr. सी . एच. राइस ने एफ. जी. कॉलेज लाहौर में पहला बुद्धि परीक्षण बनाया
🌼 35 पृश्न- 3 से 15 वर्ष के बच्चों के लिए
🌼 शाब्दिक और व्यक्तिगत था
🌼 इसका नाम हिंदुस्तानी बिने परफॉर्मेंस पाउंड स्केल था
🌼1912 में ब्रिटेन के सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक स्टर्न ने IQ शब्द का प्रयोग किया उन्होंने इसका सूत्र बनाने की भी कोशिश की लेकिन यह प्रमाणित नहीं था

IQ=MA/CA
MA- mental age
CA- choronological age

🌼1916 मे टरमन बुद्धि लब्धी परीक्षण मे सूत्र दिया
IQ=MA/CA* 100

🌼🌼🌼🌼🌼IQ🌼🌼🌼🌼

🌼 0 – 25 -महामूर्ख ,जड़ बुद्धि(idiot)
🌼26-50 – मूढ़ बुद्धि (imbeciles )
🌼51-70 – अल्प बुद्धि , मूर्ख बुद्धि(moron)
🌼 71- 80 – निर्बल, क्षीण बुद्धि(feeble)
🌼81-90 – मंद बुद्धि (dull)
🌼91-110 -सामान्य बुद्धि (average)
🌼111-120 – तीव्र , श्रेष्ठ बुद्धि ( superior)
🌼121-139 – कुशाग्र बुद्धि (very superior)
🌼140 से उपर—प्रतिभाशाली ( genious )

🌼🌼व्यक्तिगत परीक्षण ( individual test) 🌼🌼🌼
🌼एक समय पर एक व्यक्ति की परीक्षा किया जा सकता हैं
🌼छोटे बालकों के लिए उपयुक्त है
🌼अनुभवी, प्रशिक्षित व्यक्ति ले सकता है
🌼 अधिक समय लगता है
🌼 परीक्षक ,परीक्षार्थी के निकट संबंध होता है
🌼परीक्षार्थी के गुण दोष का पूरा अध्ययन किया जाता है
🌼 अधिक धन व्यय होता है
🌼 प्रश्नों की संख्या कम होती है
🌼परीक्षण के प्रति सतर्क होते हैं
🌼 परीक्षण की विश्वसनीयता और प्रमाणिकता अधिक होती है
🌼परीक्षण में अनुचित साधनों का प्रयोग संभव नहीं है

🌼🌼सामुहिक परीक्षण( group test) 🌼🌼🌼🌼🌼
🌼एक समय पर अनेक लोगों की परीक्षण कर सकते है
🌼 बड़े बालको और वयस्कों के लिए उपयुक्त है
🌼 सामान योग्यता का व्यक्ति ले सकता है
🌼 कम समय लगता है
🌼 परिक्षक और परीक्षार्थी निकट संपर्क नहीं होता है
🌼 केवल सामान्य अध्ययन कर सकते हैं
🌼 कम धन की आवश्यकता होती है
🌼 प्रश्नों की संख्या अधिक होती है
🌼उदासीन रहते हैं
🌼परीक्षण की विश्वसनीयता और प्रमाणिकता कम होती है
🌼अनुचित संसाधनों का प्रयोग होने की संभावना है

🌼🌼 शाब्दिक और अशाब्दिक 🌼🌼🌼

🌼🌼🌼शाब्दिक (verbal)
🌼 पद या प्रश्नों में शब्द या भाषा का प्रयोग
🌼 उत्तर भाषा के माध्यम से देते हैं
🌼भाषा जाने वाले पढ़े लिखे लोगों पर प्रयुक्त होता है
🌼मंदबुद्धि गूंगे बहरे पर प्रयोग नहीं होता है

🌼🌼🌼 अशाब्दिक ( non – verbal)
🌼पद स्थूल सामग्री चित्र में होता है
🌼उत्तर चित्र , आकृति इत्यादि के माध्यम से देते हैं
🌼भाषा जानना या पढ़ा लिखा होना जरूरी नहीं है
🌼 गूंगा बहरा मंदबुद्धि इन सभी पर प्रयोग होता है

🌼🌼बेसल वर्ष= मानसिक आयु
🌼 जिस अधिकतम आयु स्तर के प्रश्नों को बालक हल कर देता है बेसल वर्ष कहलाता है

🌼🌼 टर्मिनल वर्ष– जिस आयु के स्तर के प्रश्नों को बालक हल नहीं कर पाता है उसे टर्मिनल वर्ष कहते हैं

20 उम्र—– 22 बेसल वर्ष—– 23 टर्मिनल् वर्ष

🌼🌼🌼 by manjari soni🌼🌼🌼
🔆 बुद्धि मापन और बुद्धि लब्धि ( Measurements of Intelligence &Intelligence Quotient) ➖

🎯 1879 में जर्मन वैज्ञानिक विलियम वुण्ट ने लिपजिंग में बुद्धि मापन के लिए मनोवैज्ञानिक प्रयोगशाला स्थापित की |

🎯 1905 में सबसे पहला बुद्धि परीक्षण अल्फ्रेड बिने साइमन की मदद से फ्रांस में बनाया गया जिसका नाम बिने साइमन बुद्धि परीक्षण था |

🎯 इस परीक्षण में 30 प्रश्न
(3 – 14) वर्ष के बच्चों के लिए उपयुक्त थे जो कि व्यक्तिगत एंव शाब्दिक बुद्धि परीक्षण था |

🎯 सन् 1905 में इस परीक्षण का संशोधन हुआ और इस संशोधन में मानसिक आयु की अवधारणा को बुद्धि परीक्षण में शामिल किया गया |

🎯 1911 में दूसरा संशोधन हुआ जिसमें प्रश्नों की संख्या 30 से बढ़ाकर 54 कर दी गई |

🎯 1916 में अमेरिका के स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में प्रोफ़ेसर टर्मन की अध्यक्षता वाली कमेटी ने प्रश्नों की संख्या 90 कर दी |

🎯 इस परीक्षण में 1911 के परीक्षण से मात्र 19 प्रश्न शामिल किए गए जिसका नाम इन्होंने स्टैनफोर्ड बिने परीक्षण रखा |

🎯 अमेरिका में बिने साइमन परीक्षण का प्रचार प्रसार गोहार्ड ने किया |

🎯 टर्मन ने मेरिल के साथ मिलकर इसका संशोधन किया और “न्युस्टैनफोर्ड रिवीजन ” बुद्धि परीक्षण रखा |

🎯 इंग्लैंड में इस परीक्षण पर सिरिल बर्ट ने संशोधन किया जिसका नाम “लंदन रिविजन” बुद्धि परीक्षण रखा |

🎯 सिरिल बर्ट ने 3 – 16 वर्ष की आयु वाले बालकों के लिए 65 प्रश्न रखे थे |

🎯 1917 में सबसे पहला सामूहिक बुद्धि परीक्षण अमेरिका में बनाया गया जो सबसे पहले अमेरिका की सेना पर प्रयोग किया गया जिसका नाम

सैनिक अल्फा परीक्षण या आर्मी अल्फा परीक्षण ( शाब्दिक) तथा सैनिक बीटा परीक्षण या आर्मी बीटा परीक्षण ( अशाब्दिक) था |

🎯1922 में भारत के सी एच राइस ने “एफ जी कॉलेज लाहौर” में पहला बुद्धि परीक्षण बनाया |

🎯 इन्होंने इस परीक्षण में 35 प्रश्न” 3 – 15 वर्ष “के बच्चों के लिए किया था जो कि” शब्दिक और व्यक्तिगत ” था |

🎯 इस परीक्षण का नाम “हिंदुस्तानी बिने परफॉर्मेंस पाउंड स्केल ” था |

🎯 सन 1912 में ब्रिटेन के सुप्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक स्टर्न ने IQ शब्द का प्रयोग किया और उन्होंने इसका सूत्र बनाने की भी कोशिश की लेकिन यह प्रमाणिक सूत्र साबित नहीं हो सका |

IQ=MA/CA

MA=Mental Age

CA=Chronological Age

🎯 1916 में टर्मन ने बुद्धि लब्धि परीक्षण सूत्र दिया |

IQ=MA/CA×100

उन्होंने बताया कि यदि सूत्र को हल करने पर 1 आता है और उसे 100 से गुणा करने पर 100 आता है तो यह सामान्य बालक होगा |

🎯 टर्मन के अनुसार बुद्धि लब्धि सारणी ➖

🍀 0-25 ➖महामूर्ख या जड़ बुद्धि

🍀 26-50➖ मूढ़ बुद्धि

🍀51-70➖अल्प बुद्धि

🍀71-80➖ निर्बल या क्षीण बुद्धि

🍀81-90➖ मन्द बुद्धि

🍀91-110➖ सामान्य बुद्धि

🍀 111-120➖ तीव्र बुद्धि

🍀 121-139➖ तीव्र या श्रेष्ठ बुद्धि

🍀 140 से ऊपर ➖ प्रतिभाशाली बुद्धि

🔆 व्यक्तिगत परीक्षण और सामूहिक परीक्षण में अन्तर ➖

⭕ व्यक्तिगत परीक्षण में एक समय पर एक व्यक्ति की परीक्षा ली जा सकती है जबकि सामूहिक परीक्षण में एक समय पर अनेक लोगों की परीक्षा आयोजित की जा सकती है |

⭕ व्यक्तिगत परीक्षण छोटे बालकों के लिए अधिक उपयुक्त है जबकि सामूहिक परीक्षण बड़े बालकों के लिए अधिक उपयुक्त है |

⭕ व्यक्तिगत परीक्षा अनुभवी या प्रशिक्षित व्यक्ति ही ले सकता है जबकि सामूहिक परीक्षण में परीक्षा सामान्य वव्यक्तिभी ले सकता है |

⭕ व्यक्तिगत परीक्षण में अधिक समय लगता है जबकि सामूहिक परीक्षण में कम समय लगता है |

⭕ व्यक्तिगत परीक्षण में शिक्षक और शिक्षार्थी का निकट संबंध होता है लेकिन सामूहिक परीक्षण में शिक्षक एवं शिक्षार्थी का निकट संबंध स्थापित नहीं होता है |

⭕ व्यक्तिगत परीक्षाण में परीक्षार्थी के गुण दोष का अध्ययन हो जाता है जबकि सामूहिक में परीक्षार्थी का सामान्य अध्ययन किया जा सकता है |

⭕ व्यक्तिगत परीक्षण में अधिक धन की आवश्यकता होती है जबकि सामूहिक परीक्षण में कम धन की आवश्यकता होती है |

⭕ व्यक्तिगत परीक्षण में प्रश्नों की संख्या कम होती है लेकिन सामूहिक परीक्षण में प्रश्नों की संख्या अधिक होती है |

⭕ व्यक्तिगत परीक्षण में परीक्षा के प्रति सतर्कता होती है जबकि सामूहिक परीक्षण में परीक्षा के प्रति उदासीनता रहती है |

⭕ व्यक्तिगत परीक्षण में विश्वसनीयता और प्रमाणिकता अधिक होती है जबकि सामूहिक परीक्षण में विश्वसनीयता और प्रमाणिकता नहीं रहती है |

⭕ व्यक्तिगत परीक्षण में अनुचित साधनों का प्रयोग संभव नहीं है जबकि सामूहिक परीक्षण में अनुचित साधनों का प्रयोग संभव है |

🔆 शाब्दिक और अशाब्दिक बुद्धि परीक्षण में अंतर ➖

⭕ शाब्दिक परीक्षण में पद या प्रश्नों में शब्द या भाषा का प्रयोग होता है जबकि अशाब्दिक में शब्दों में नहीं बल्कि किसी स्थूल सामग्री या चित्र से किया जाता है |

⭕ शाब्दिक परीक्षण में उत्तर शब्दों के माध्यम से दिया जाता है जबकि अशाब्दिक परीक्षण में उत्तर चित्र या आकृति के माध्यम से दिया जाता है |

⭕ शाब्दिक परीक्षण भाषा जानने वाले या पढ़े लिखे लोगों पर प्रयुक्त होता है जबकि अशाब्दिक परीक्षण में भाषा जानना या पढ़ा लिखा होना जरूरी नहीं है |

⭕ शाब्दिक परीक्षण मंदबुद्धि, गूंगे ,बहरे ,आदि पर प्रयोग नहीं किया जा सकता है जबकि अशाब्दिक परीक्षण इन सभी पर प्रयोग किया जा सकता है |

⭕ व्यक्तिगत परीक्षण शाब्दिक और अशाब्दिक दोनों हो सकता है एवं सामूहिक परीक्षण भी शाब्दिक और अशाब्दिक दोनों प्रकार का हो सकता है |

⭐ बेसल वर्ष ( मानसिक आयु ) ➖

जिस अधिकतम आयु स्तर के प्रश्नों को बालक हल कर देता है वह उसका बेसल वर्ष कहलाता है |

⭐ टर्मिनल वर्ष➖

जिस आयु स्तर के प्रश्नों को बालक हल नहीं कर पाता है वह उसका टर्मिनल वर्ष कहलाता है |

⭐ आंशिक क्रेडिट या क्रेडिट वर्ष यदि बालक बेसल वर्ष को पूरा और टर्मिनल वर्ष के कुछ प्रश्नों कुछ स्तर को बालक हल कर लेता है तो वह उसका क्रेडिट वर्ष कहलाता है |

नोट्स बाय ➖ रश्मि सावले

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🎯बुद्धि का मापन और बुद्धि लब्धि 🌈(measurement of intelligence & intelligence question)🌷

💫1879 ई० मैं जर्मनी मनोवैज्ञानिक विलियम वुण्ट ने बुद्धि के मापन के लिए मनोवैज्ञानिक प्रयोगशाला लिप्जिंग शहर मेंस्थापित की।

🌾1905 में सबसे पहला बुद्धि परीक्षण अल्फ्रेड बिने ,साइमन की मदद से फ्रांस में बनाया।

💫इस परीक्षण का नाम बिने साइमन बुद्धि परीक्षण रखा गया ।

💮इस परीक्षण में 30 प्रश्न, तथा 3 से 14 वर्ष के बच्चों के लिए रखे गए थे।
इस परीक्षण को व्यक्तिगत एवं शाब्दिक किया गया था।

🌴1908 ई० में इसका प्रथम संशोधन हुआ और इस संशोधन में मानसिक आयु की अवधारणा बुद्धि परीक्षण में शामिल की गई।

☘️1911 में दूसरा संशोधन हुआ इसमें प्रश्नों की संख्या को बढ़ाकर 54 कर दिया।

🌷1916 में अमेरिका के स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में प्रोफेसर टर्मन की अध्यक्षता वाली कमेटी ने प्रश्नों की संख्या 90 कर दी।

🍂इस परीक्षण में 1911 के परीक्षण से मात्र 19 प्रश्न शामिल किए गए।

🌻इस परीक्षण को 1916 ईस्वी में “स्टैनफोर्ड -बिने बुद्धि परीक्षण” नाम दिया।

🌼अमेरिका में बिने साइमन परीक्षण का प्रचार- प्रसार गुहार्ड ने किया ।

🍁टर्मन ने मैरिल के साथ मिलकर इसका संशोधन किया और इसका नाम रखा — न्यू स्टैनफोर्ड रिवीजन।

🌺इंग्लैंड में इस बुद्धि परीक्षण पर सिरिल बर्ट ने संशोधन किया और इसका नाम” लंदन रिवीजन” रखा।

🏵️इन्होंने 3 -16 वर्ष की आयु वाले बालकों के लिए 65 प्रश्न रखे थे।

⭐1917 ईस्वी में सबसे पहला सामूहिक बुद्धि परीक्षण अमेरिका में बनाया गया ।
जो सबसे पहले अमेरिका की सेना का प्रयोग किया गया था।

👉 अल्फा परीक्षण (शाब्दिक )

👉 बीटा परीक्षण ( शाब्दिक)

⚡1922 में भारत के डॉक्टर C.H राइस ने( F.G कॉलेज) लाहौर में पहला बुद्धि परीक्षण बनाया।

🌀इन्होंने 35 प्रश्न रखें 3 – 15 वर्ष के बच्चों के लिए ।

🔥यह परीक्षण शाब्दिक और व्यक्तिगत था ।

☃️इसका नाम “हिंदुस्तानी बिने परफॉर्मेंस पाउंड स्केल “रखा,।

🍃1912 में ब्रिटेन के सुप्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक स्टर्न ने IQ शब्द का प्रयोग किया।

🌱इन्होंने इसका सूत्र बनाने की कोशिश की लेकिन ये प्रमाणिक सूत्र नहीं था।

🍁 स्टर्न के अनुसार…….
IQ=intelligent quotient
IQ=MA(mental age)/CA(chronological age)

☀️टर्मन के अनुसार…….

IQ=MA/CA*100

🌈IQ…….

👉(0-25 ) — महामूर्ख, जड़ बुद्धि (idiot)

👉(26-50)—मूढ़ बुद्धि (imbeciles)

👉(51-70) —अल्प बुद्धि, मूर्ख बुद्धि (morons)

👉(71-80) —निर्बल, क्षीण बुद्धि (feeble)

👉(81-90) —मंन्द बुद्धि (dull/backward)

👉(91-110) —समान्य बुद्धि (average)

👉(110-120) —तीव्र ,श्रेष्ठ बुद्धि (superior)

👉(121-139) —अति कुशाग्र (very superior)

👉140 से उपर —प्रतिभाशाली (genius)

🎯व्यक्तिगत परीक्षण —

🌼इस परीक्षण में एक समय पर एक व्यक्ति की परीक्षा होती हैं।

👉यह परीक्षण छोटे बालकों के लिए उपयुक्त होगा।

🌱यह परीक्षण अनुभवी / प्रशिक्षित व्यक्ति ही ले सकता है।

🍂इस परीक्षण में अधिक समय लगता है।

🌷इसमें परीक्षक / परीक्षार्थी का निकट संबंध होता है।

☘️इस परीक्षण में परीक्षार्थी का गुण / दोष का पूरा अध्ययन हो जाता है।

🌹इस परीक्षण में अधिक धन व्यय होता है।

🌺इसमें प्रश्न की संख्या कम होती है।

🌼इस परीक्षण के प्रति सतर्क रहते हैं।
👉इस परीक्षण की विश्वसनीयता और प्रमाणिकता अधिक होती है।

🌱इस परीक्षण में अनुचित साधनों का प्रयोग संभव नहीं है।

🎯समुदायिक परीक्षण —

🌾यह परीक्षण एक समय पर अनेक लोगों की परीक्षा हो सकती है।

💫यह परीक्षण बड़े बालकों / व्यक्तियों के लिए उपयुक्त है।

💮इस परीक्षण को सामान्य योग्यता का व्यक्ति ले सकता है।

🌴इसमें कम समय लगता है।

🌻निकट संपर्क नहीं होता है।

🏵️इसमें केवल सामान्य अध्ययन कर सकते हैं।

⭐इस परीक्षा में काम धन की आवश्यकता होती है।

🌀इस परीक्षण में प्रश्नों की संख्या अधिक होती है।

🍃यह परीक्षण उदासीन रहते हैं।

🍁इस परीक्षण की विश्वसनीयता और प्रमाणिकता कम होती है।

☀️इसमें अनुचित साधनों का प्रयोग कर सकते हैं।

🌈शाब्दिक बुद्धि परीक्षण तथा अशाब्दिक बुद्धि परीक्षण में अंतर

💫शाब्दिक बुद्धि परीक्षण :—

👉शाब्दिक बुद्धि परीक्षण में पद या प्रश्नों मैं शब्द या भाषा का प्रयोग होता है

👉इसमें उत्तर भाषा के माध्यम से देते हैं

👉भाषा जानने वाले /पढ़े लिखे लोग पर प्रयुक्त होता है।

👉मंदबुद्धि, गूंगे, बहरे, पर प्रयोग नहीं होते हैं।

🌈 अशाब्दिक बुद्धि परीक्षण :-

🌾इस परीक्षण में पाद स्थूल सामग्री, चित्र होते हैं।

💮इसमें उत्तर चित्र, आकृति, इत्यादि के माध्यम से देते हैं।

🌻अशाब्दिक परीक्षण में भाषा जानने या पढ़े लिखे होना जरूरी नहीं है।

🌺इस परीक्षण में मंदबुद्धि गूंगे बहरे इन सभी पर प्रयुक्त होता है।

🎯बेसल वर्ष – मानसिक आयु —

💫बच्चे अपने उम्र से अधिक या कम आयु स्तर के प्रश्नों को हल करता है बेसल वर्ष कहलाता है जैसे- व्यक्ति 25 वर्ष के है और 27 वर्ष के प्रश्नों को हल करता है।

🎯टर्मिनल वर्ष —
जिस आयु स्तर के प्रश्न का हल बालक नहीं कर पाता है
जैसे – व्यक्ति 25वर्ष के है और वह 27 वर्ष के प्रश्न को हल कर सकता है लेकिन 28 वर्ष के प्रश्नों को हल नहीं कर सकता है ।

💫आंशिक क्रेडिट /क्रेडिट वर्ष :—

इसमें बालक जिस उम्र तक प्रश्नों का हल नहीं कर पाते हैं उसमें से कुछ प्रश्न ऐसे होंगे जिसको वह हल कर सकते हैं ।
जैसे बालक 25 वर्ष के हैं और वह 27 वर्ष के आयु स्तर के प्रश्नों का हल करते हैं लेकिन 28 वर्ष के प्रश्नों को हल नहीं कर पाता है 28 वर्ष के प्रश्नों में कुछ तो हल कर पाएगा ।

🌻🌺💮🌹🌼🙏Notes by-SRIRAM PANJIYARA 🌈🌸💥🌺🙏

Multiple intelligence of Gardner

👨🏻‍🏫गार्डनर का बहुआयामी सिद्धांत👨🏻‍🏫
👁️Multiple intelligence of Gardner👁️

🌼 और सांस्कृतिक अनुसंधान की सहायता से समस्या को हल करने की क्षमता बुद्धि कहलाती है।

🧠गार्डनर ने बुद्धि को आठ प्रकार से बताया है🧠

🌠1️⃣➡️(Musical Intelligence)
सर ,लय- ताल ,स्वर ,संगीत इत्यादि की संवेदनशीलता का ज्ञान होना ही सांगीतिक बुद्धि कहलाता है।

💦जैसे÷प्रत्येक प्राणी में विभिन्न प्रकार की विशेषताएं होती हैं किसी व्यक्ति को डांस करने में रूचि होती है तो किसी व्यक्ति को संगीत करने में रुचि होती है।

🌠2️⃣➡️ गणितीय बुद्धि (Logical Mathmatical Intelligence)

💨तर्क लगाना किसी कार्य के पैटर्न लगाने की क्षमता गणितीय सोच इत्यादि कार्यों को करने में लगाई गईं बुद्धि तार्किक गणितीय बुद्धि कहलाती है

💦जैसे ÷तार्किक गणितीय बुद्धि का प्रयोग गणित के विभिन्न प्रश्नों को हल करने में प्रयोग करते हैं इसके साथ ही अन्य जगहों पर या अन्य कार्यों पर भी हम समस्या का समाधान करने के लिए इस प्रकार की बुद्धि का प्रयोग करते हैं।

🌠3️⃣➡️ बुद्धि (Linguistics Intelligence)

💨भाषाई बुद्धि भाषा की समाज व भाषा में निपुणता ही भाषा की विधि कहलाती है।
प्रत्येक व्यक्ति की भाषाएं बुद्धि भी अलग-अलग होती है ।

💦जैसे ÷किसी व्यक्ति को हिंदी भाषा का पूर्ण ज्ञान है तो किसी व्यक्ति को अंग्रेजी भाषा का पूर्ण ज्ञान है, या फिर अन्य व्यक्ति को विभिन्न प्रकार की भाषाओं का ज्ञान होना।

🌠4️⃣➡️ बुद्धि (Spatial intelligence)

💨समस्या को हल करने के लिए मानसिक छवियों को जोड़ तोड़ कर नई छवि बनाना और किसी छवि को समझना स्थानिक बुद्धि कहलाती है।
इस प्रकार की बुद्धि में दिशाओं का ज्ञान भी होता है।

💦जैसे ÷किसी व्यक्ति को इलाहाबाद से कानपुर ट्रांसपोर्ट के माध्यम से जाना है तो उसे रास्ते का ज्ञान वा दिशा का भी ज्ञान होना आवश्यक होता है,तभी वह मंजिल तक पहुंच सकेगा।

🌠5️⃣➡️ गति संवेदी बुद्धि(Physical and speed sensitive intelligence)

💨किसी भी शारीरिक क्षमता और मानसिक क्षमता के समन्वय की प्रक्रिया इस बुद्धि के अंतर्गत आती है।

💦जैसे ÷खिलाड़ियों में पाई जाने वाली बुद्धि शारीरिक गतिविधि बुद्धि होती है क्योंकि वह अपने खेल में शरीर के साथ -साथ ही बुद्धि का प्रयोग भी करते हैं; क्रिकेटर, फुटबालर, जिम्नास्टिक,टेबल-टेनिस इत्यादि खिलाड़ी।

🌠6️⃣➡️ बुद्धि (Personal intellegence)

💨किसी दूसरे इंसान की भावना ,इरादों क्षमता, रुचि ,नजरिया,हाव-भाव,पहनावा,बोल-चाल भाषा इत्यादि के आधार पर उसका आकलन करना ही व्यक्तिगत बुद्धि कहलाता है।

💦जैसे ÷डॉक्टर अपने रोगी को देख कर ही समझ जाता है कि यह व्यक्ति पीड़ा से परेशान है और वह तुरंत ही उसका उपचार करने की कोशिश करता है,
इंजीनियर द्वारा किसी व्यक्ति की भावनाओं व उसकी रुचि के अनुसार नक्शे का प्रतिपादन करके घर का निर्माण करना ।

🌠7️⃣➡️: व्यक्तिक बुद्धि(Intra personal Intelligence)

💨इस प्रकार की बुद्धि में अपनी भावना, रुचि ,प्रेरणा इत्यादि को समझना कि अंत: व्यक्तिक बुद्धि कहलाती है।

💦जैसे÷आपको अगर साहित्य में रुचि है तो यह आप ही समझ सकते हैं आप से बेहतर कोई नहीं समझ सकता कि आपको साहित्य में रुचि है या अन्य किसी काम में।

🔥Note÷प्राकृतिक बुद्धि को सन् 1995 में जोड़ा गया था।

🌠8️⃣➡️ बुद्धि (Natural Intelligence)

💞वनस्पतियो वा पेड़ पौधौ की समझ

💞जीव -जंतुओ की समझ

💞उत्पादकता की समझ

💞पर्यावरण की समझ

💞वायुमंडल की समझ

🔥नोट÷ अस्तित्व वाही बुद्धि को सन् 2000 में जोड़ा गया था।

💦जैसे ÷आपको अगर पता है कि पृथ्वी को प्रदूषण मुक्त करने के लिए पेड़ पौधों का प्रयोग वा प्रदूषण करने वाले विभिन्न साधनों का प्रयोग कम करना चाहिए क्योंकि पेड़ पौधे हैं तभी पृथ्वी पर जीवन संभव है ।

🌠9️⃣➡️ वाही बुद्धि(Existential Intelligence)

💨मानव संसार में छिपे रहस्य को जिंदगी मृत्यु तथा मानव की वास्तविकता को जानने की क्षमता को ही वास्तविक वाही बुद्धि कहते हैं।

💨दार्शनिक के पास इसी प्रकार की बुद्धि पाई जाती है।
विभिन्न प्रकार के खगोल शास्त्रियों के पास भी इसी प्रकार की विधि पाई जाती है।
वैज्ञानिक के पास भी इसी प्रकार की विधि पाई जाती है।

💦जैसे ÷खगोल शास्त्री विभिन्न जगहों पर खुदाई करके पुरातत्व अवशेषों को प्राप्त करके उन पर विभिन्न तथ्य देना व प्रयोग के द्वारा यह पता करना कि यह यह कितने वर्ष पुराना है यह कितने वर्ष पहले या सभ्यता थी इत्यादि।

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Written by ➡️ Shikhar pandey

🌸 बहु बुद्धि सिद्धांत🌸
🌸 Multiple intelligence🌸

जैविक और सांस्कृतिक अनुसंधानो के माध्यम से या सहायता से समस्या को हल करने की क्षमता बुद्धि कहलाती है।

गार्डनर ने बहु बुद्धि का सिद्धांत प्रतिपादित किया। इन्होंने 7 मूल प्रकार की बुद्धियों के बारे में बात की।

1️⃣ संगीतिक बुद्धि ( musical intelligence )
* इस तरह की बुद्धि का संबंध संगीत से होता है।
* इस तरह की बुद्धि में लय को, सूर को सही सही ढंग से प्रत्यक्षण करने की क्षमता सम्मिलित होती है ।
* इसमें धुन,स्वर, संगीत आदि के संवेदनशीलता का भी ज्ञान होता है ।
* इस तरह की बुद्धि संगीतकार तथा गीतकार में अधिक होती है।

2️⃣ तार्किक गणितीय बुद्धि ( logical mathematical intelligence )
* इस तरह की बुद्धि में तर्क करने की क्षमता, गणितीय समस्याओं का समाधान करने की क्षमता।
* अंकों के पीछे छिपे संबंध को पहचानने की क्षमता ।
* सादृश्यता की क्षमता आदि सम्मिलित होती है।
* ऐसी बुद्धि प्राय: गणितज्ञ वैज्ञानिक एवं अभियंताओं में देखने को मिलती है।

3️⃣ भाषाई बुद्धि ( linguistic intelligence )
* भाषाई बुद्धि में वाक्य तथा शब्दों की बौद्धिक क्षमता ।
* शब्दावली, शब्दों के क्रमो के बीच के संबंधों को पहचानने की क्षमता आदि सम्मिलित होती है।
* इस प्रकार की बुद्धि कवि अध्यापक इतिहासकार वकीलों में पाई जाती है।

4️⃣ स्थानिक बुद्धि ( spatial intelligence)
*समस्या को हल करने के लिए मानसिक छवियों को जोड़ तोड़ कर नहीं छवियां बनाना और किसी छवि को समझना स्थानिक बुद्धि है।
* इसमें स्थानिक चित्र को मानसिक रूप से परिवर्तित करने की क्षमता तथा स्थानिक कल्पना शक्ति करने की क्षमता आदि सम्मिलित होती है।
* इस प्रकार की बुद्धि में चित्रकार , मूर्तिकार, कलाकार आते हैं।

5️⃣ शारीरिक गति संवेदी बुद्धि ( physical speed sunsation intelligence )
* किसी भी शारीरिक क्षमता और मानसिक क्षमता के समन्वय की प्रक्रिया इस बुद्धि के अंतर्गत आते हैं।
* इस तरह की बुद्धि में शारीरिक गति पर नियंत्रण रखने की बुद्धि तथा वस्तुओं को सावधानीपूर्वक एवं प्रवीण ढंग से घुमाने तथा उपयोग करने की क्षमता सम्मिलित होती है।
*इस तरह की बुद्धि खिलाड़ी, योगाचार्य , नृत्यकार में होती है।

6️⃣ व्यक्तिगत बुद्धि /अंतर्वेक्ति बुद्धि ( personal intelligence / interpersonal intelligence)
*किसी अन्य व्यक्ति की प्रेरणा, इच्छाओं एवं आवश्यकताओं को समझने की क्षमता।
* उनकी मनोदशा और चित्त प्रकृति समझने मॉनिटर करके किसी नई परिस्थिति में किस तरीके से व्यवहार करेगा के बारे में पूर्व कथन करने की क्षमता आदि इस तरह की बुद्धि में आती है।

7️⃣ अंतः व्यक्तिक बुद्धि ( intrapersonal intelligence)
*अपनी भावना, रुचि ,प्रेरणा को समझना।
*इस प्रकार की बुद्धि में अपने संवेगो को समझना और उन में विभेद करने की क्षमता तथा मानव व्यवहार को निर्देशित करने में उन सूचनाओं के प्रयोग करने की क्षमता सम्मिलित होती है।

8️⃣ प्रतिवादी बुद्धि ( natural intelligence )
*गार्डनर ने इस प्रकार की बुद्धि के बारे में सन 1998 में बताया।
*प्रकृति, वनस्पति, जीव मैं मौजूद तत्वों को समझना।
* उत्पादकता, पर्यावरण को समझना ।
*वायुमंडल की समझ।
*इस तरह की बुद्धि किसान, खगोल शास्त्री ,वैज्ञानिकों में होती है।

9️⃣ अस्तित्व वादी बुद्धि (extential intelligence )
*गार्डनर ने बुद्धि के इस प्रकार को सन 2000 में संशोधन करके जुड़ा।
*मानस संसार के बारे में छिपे रहस्यों को, जिंदगी ,मौत तथा मानव अनुभूति की वास्तविकता के बारे में प्रश्न पूछ कर जानने की क्षमता।
*इस प्रकार की बुद्धि योगियों, दर्शन शास्त्रियों, संतों में पाई जाती है।

🔹धन्यवाद
द्वारा वंदना शुक्ला

🏞️✨ गार्डनर का बहु वुध्दि सिद्धांत ✨🌄

☀️ समस्या को हल करने की तकनीक क्षमता।
👉 जैविक तथा सांस्कृतिक अनुसंधानों की सहायता से समस्या को हल करने की क्षमता वुध्दि कहलाती है।

💥 गार्डनर ने वुध्दि को पहले 7 प्रकार की वुध्दियो का वर्णन किया बाद में उन्होंने दो और वुध्दि को सम्मिलित किया जो निम्न प्रकार से है……

✨🌼1️⃣संगीतिक वुध्दि (Musical Intelligence) 🌼✨
🍁 इस वुध्दि में ध्वनि,लय,स्वर, संगीत आदि की संवेदनशीलता का ज्ञान होता है।

🌼✨2️⃣ तार्किक गणितीय वुध्दि ✨🌼
तर्क लगाना या किसी कार्य के पैटर्न लगाने की क्षमता गणितीय सोच इत्यादि इसके अन्तर्गत आता है।

✨🌹3️⃣भाषायी वुध्दि 🌹✨
भाषा की समझ व निपुणता ही भाषायी वुध्दि है

💥☀️4️⃣ स्थानिक वुध्दि ☀️💥
समस्या को हल करने के लिए मानसिक छवियों को जोड़ तोड़ कर नई छवि बनाना और किसी छवि को समझना स्थानिक वुध्दि है।

☃️🍁5️⃣ शारीरिक गतिसंवेदी वुध्दि 🍁☃️
किसी भी शारीरिक क्षमता और मानसिक क्षमता के समन्वय की प्रक्रिया इस वुध्दि के अन्तर्गत आते हैं।

🌻💥6️⃣ व्यक्तिगत वुध्दि 💥🌻
दूसरे इंसान की भावनाओं, इरादों, क्षमता नजरिया को समझना। तथा इसे अन्तवैयक्तिक वुध्दि भी कहा जाता है।

🌼🌹7️⃣अन्तः वैयक्तिक वुध्दि 🌹🌼
अन्तःवैयक्तिक वुध्दि में व्यक्ति की स्वंय की भावना, रूचि, प्रेरणा को समझना।

✨💫8️⃣ प्राकृतिक वुध्दि 💫✨
प्राकृतिक वुध्दि में हमें उत्पादकता, वायुमंडल, वनस्पति जीव की समझ तथा पर्यावरण की समझ होती है।

💥✨9️⃣ अस्तित्व वादी वुध्दि ✨💥
मानव संसार में, छिपे रहस्य को समझना, जिंदगी व मौत तथा मानव की वास्तविकता है को जानने की क्षमता।

🌺🌺🌺🌺🌺Notes by—– Babita yadav 🌸🌸🌸🌸🌸

🌼🌼गार्डनर का बहुबुद्धि सिद्धांत🌼🌼
🌼🌼Multiple intelligence 🌼🌼

🌼जैविक और सांस्कृतिक अनुसंधान की सफलता से समस्या को हल करने की क्षमता बुद्धि कहलाती है
🌼🌼इन्होंने बुद्धि के 8 प्रकार बताये है..

🌼 1. संगीतिक बुद्धि ( musical intelligence) –ध्वनि ,लय ,ताल ,स्वर, संगीत की संवेदनशीलता का ज्ञान होना संगीत बुद्धि कहलाती है

🌼2. तार्किक गणितीय बुद्धि (logical mathematical intelligence)–तर्क लगाना ,किसी भी कार्य के पैटर्न को लगाने की क्षमता, गणितीय सोच इत्यादि ।।

🌼3. भाषाई बुद्धि (linguistic intelligence)–भाषा की समझ और निपुणता भाषाई बुद्धि कहलाती है

🌼4.स्थानीय बुद्धि –समस्या को हल करने के लिए मानसिक छवियों को जोड़-तोड़ कर नई छवि को समझना स्थानिक बुद्धि कहलाती है

🌼5. शारीरिक गति संवेदी बुद्धि –शारीरिक और मानसिक क्षमता के समन्वय की प्रक्रिया इस बुद्धि के अंतर्गत आती है

🌼6.व्यक्तिगत बुद्धि– दूसरे इंसान की भावनाओं, इरादों, क्षमता, नजरिया को समझना व्यक्तिगत बुद्धि कहलाती है

🌼7. अंतः वैयक्तिक बुद्धि– इसमे अपनी भावना, रुचि, प्रेरणा को समझना अंतः वैयक्तिक बुद्धि कहलाती है इसी मूल बुद्धि भी भी बुद्धि भी भी कहते हैं

🌼8.प्राकृतिक बुद्धि –(1995) -वनस्पति, जीव की समझ, उत्पादकता , पर्यावरण की समझ, वायुमंडल आदि प्राकृतिक बुद्धि कहलाती है

🌼9.अस्तित्वादी बुद्धि-( 2000) –मानव संसार में ,छिपे रहस्य को जिंदगी मौत तथा मानव वास्तविकता है वह जाने की क्षमता की अस्तित्ववाद बुद्धि कहलाती है यह दार्शनिक बुद्धि है

By manjari soni🌼

🌸 बहु बुद्धि सिद्धांत🌸
🌸 Multiple intelligence🌸

जैविक और सांस्कृतिक अनुसंधानो के माध्यम से या सहायता से समस्या को हल करने की क्षमता बुद्धि कहलाती है।

गार्डनर ने बहु बुद्धि का सिद्धांत प्रतिपादित किया। इन्होंने 7 मूल प्रकार की बुद्धियों के बारे में बात की।

1️⃣ संगीतिक बुद्धि ( musical intelligence )
* इस तरह की बुद्धि का संबंध संगीत से होता है।
* इस तरह की बुद्धि में लय को, सूर को सही सही ढंग से प्रत्यक्षण करने की क्षमता सम्मिलित होती है ।
* इसमें धुन,स्वर, संगीत आदि के संवेदनशीलता का भी ज्ञान होता है ।
* इस तरह की बुद्धि संगीतकार तथा गीतकार में अधिक होती है।

2️⃣ तार्किक गणितीय बुद्धि ( logical mathematical intelligence )
* इस तरह की बुद्धि में तर्क करने की क्षमता, गणितीय समस्याओं का समाधान करने की क्षमता।
* अंकों के पीछे छिपे संबंध को पहचानने की क्षमता ।
* सादृश्यता की क्षमता आदि सम्मिलित होती है।
* ऐसी बुद्धि प्राय: गणितज्ञ वैज्ञानिक एवं अभियंताओं में देखने को मिलती है।

3️⃣ भाषाई बुद्धि ( linguistic intelligence )
* भाषाई बुद्धि में वाक्य तथा शब्दों की बौद्धिक क्षमता ।
* शब्दावली, शब्दों के क्रमो के बीच के संबंधों को पहचानने की क्षमता आदि सम्मिलित होती है।
* इस प्रकार की बुद्धि कवि अध्यापक इतिहासकार वकीलों में पाई जाती है।

4️⃣ स्थानिक बुद्धि ( spatial intelligence)
*समस्या को हल करने के लिए मानसिक छवियों को जोड़ तोड़ कर नहीं छवियां बनाना और किसी छवि को समझना स्थानिक बुद्धि है।
* इसमें स्थानिक चित्र को मानसिक रूप से परिवर्तित करने की क्षमता तथा स्थानिक कल्पना शक्ति करने की क्षमता आदि सम्मिलित होती है।
* इस प्रकार की बुद्धि में चित्रकार , मूर्तिकार, कलाकार आते हैं।

5️⃣ शारीरिक गति संवेदी बुद्धि ( physical speed sunsation intelligence )
* किसी भी शारीरिक क्षमता और मानसिक क्षमता के समन्वय की प्रक्रिया इस बुद्धि के अंतर्गत आते हैं।
* इस तरह की बुद्धि में शारीरिक गति पर नियंत्रण रखने की बुद्धि तथा वस्तुओं को सावधानीपूर्वक एवं प्रवीण ढंग से घुमाने तथा उपयोग करने की क्षमता सम्मिलित होती है।
*इस तरह की बुद्धि खिलाड़ी, योगाचार्य , नृत्यकार में होती है।

6️⃣ व्यक्तिगत बुद्धि /अंतर्वैयक्तिक बुद्धि ( personal intelligence / interpersonal intelligence)
*किसी अन्य व्यक्ति की प्रेरणा, इच्छाओं एवं आवश्यकताओं को समझने की क्षमता।
* उनकी मनोदशा और चित्त प्रकृति समझने मॉनिटर करके किसी नई परिस्थिति में किस तरीके से व्यवहार करेगा के बारे में पूर्व कथन करने की क्षमता आदि इस तरह की बुद्धि में आती है।

7️⃣ अंतः व्यक्तिक बुद्धि ( intrapersonal intelligence)
*अपनी भावना, रुचि ,प्रेरणा को समझना।
*इस प्रकार की बुद्धि में अपने संवेगो को समझना और उन में विभेद करने की क्षमता तथा मानव व्यवहार को निर्देशित करने में उन सूचनाओं के प्रयोग करने की क्षमता सम्मिलित होती है।

8️⃣ प्रकृतिवादी बुद्धि ( natural intelligence )
*गार्डनर ने इस प्रकार की बुद्धि के बारे में सन 1998 में बताया।
*प्रकृति, वनस्पति, जीव मैं मौजूद तत्वों को समझना।
* उत्पादकता, पर्यावरण को समझना ।
*वायुमंडल की समझ।
*इस तरह की बुद्धि किसान, खगोल शास्त्री ,वैज्ञानिकों में होती है।

9️⃣ अस्तित्व वादी बुद्धि (extential intelligence )
*गार्डनर ने बुद्धि के इस प्रकार को सन 2000 में संशोधन करके जुड़ा।
*मानस संसार के बारे में छिपे रहस्यों को, जिंदगी ,मौत तथा मानव अनुभूति की वास्तविकता के बारे में प्रश्न पूछ कर जानने की क्षमता।
*इस प्रकार की बुद्धि योगियों, दर्शन शास्त्रियों, संतों में पाई जाती है।

🔹धन्यवाद
द्वारा वंदना शुक्ला

🔆 गार्डनर का बहुबुद्धि सिद्धांत ( Multiple Intelligence ) ➖

गार्डनर अमेरिका के मनोवैज्ञानिक थे इनके अनुसार जैविक और सांस्कृतिक अनुसंधान की सफलता से समस्या हल करने की क्षमता बुद्धि के कहलाती है |

गार्डनर के अनुसार सभी में अलग-अलग प्रकार की बुद्धि होती है उसी में से किसी के पास विशिष्ट योग्यता होती है जिसे बुद्धि कहा जाता है |

अलग-अलग परिस्थिति में अलग-अलग प्रकार से सोचना और उसी प्रकार से अपनी ज्ञान क्षमता का प्रयोग करना बुद्धि कहलाती है प्रत्येक व्यक्ति में एक विशिष्ट योग्यता होती है जिसको यदि पहचानना आ गया तो इंसान उस क्षेत्र में अच्छा कर सकता है |

गार्डनर ने बुद्धि के 7 मूल सिद्धांत बताए हैं जो कि निम्न प्रकार से हैं➖

1) सांगीतिक बुद्धि (Musical Intelligence)

2) तार्किक गणितीय बुद्धि (Logical Methameticaly Intelligence)

3) भाषाई बुद्धि (Languastic Intelligence)

4) स्थानिक बुद्धि (Spatial Intelligence)

5) शारीरिक गति संवेदी बुद्धि (Physical Spread Sensitive Intelligence)

6) अंतर्वैयक्तिक बुद्धि (Interpersonal Intelligence)

7) अंत: वैयक्तिक बुद्धि (Intrapersonsl Intelligence)

8) प्राकृतिक बुद्धि (Nature lntelligance) 1995

9) अस्तित्ववादी बुद्धि (Existential Intelligence) 2000

🎯 सांगीतिक बुद्धि ➖

ध्वनि , सुर, लय, संगीत आदि की संवेदनशीलता का ज्ञान होना सांगीतिक बुद्धि है |

इस प्रकार की बुद्धि जिसमें हम किसी ध्वनि के सुर, लय ,ताल, स्वर आदि के पहचान करते हैं और ध्वनि की गति ,आरोह, अवरोह ,को समझना ही सांगीतिक बुद्धि है |

🎯 तार्किक गणितीय बुद्धि➖

किसी भी कार्य को तर्क लगाकर हल करना , किसी कार्य का पैटर्न लगाने की क्षमता, गणितीय सोच इत्यादि तार्किक गणितीय बुद्धि के अंतर्गत आते हैं |

🎯 भाषाई बुद्धि➖

भाषा की समझ/ निपुणता ही भाषाई बुद्धि है |

इसमें शब्दावली का क्रम ,चयन आदि का ज्ञान होना भाषाई बुद्धि के अंतर्गत आता है शब्दों का चयन ,वाक्यों का चयन ,शब्दावली आदि का चुनाव भी भाषाई बुद्धि है | उदाहरण जैसे लेखक |

🎯 स्थानिक बुद्धि➖

समस्या को हल करने के लिए मानसिक छवियों को जोड़ तोड़ कर नई छवि बनाना और किसी छवि को समझना स्थानिक बुद्धि है |
जैसे इंजीनियर, मूर्तिकार, चित्रकार ,आदि की बुद्धि |

🎯 शारीरिक गति संवेदी बुद्धि➖

किसी भी शारीरिक क्षमता और मानसिक क्षमता के समन्वय की प्रक्रिया इस बुद्धि के अंतर्गत आती है |

परिस्थिति या भाव के अनुसार अपने शरीर के अंगो का परिचालन या व्यक्त करने का तरीका ही शारीरिक गति संवेदी बुद्धि है |

🎯 अंतर्वैयक्तिक बुद्धि➖

दूसरे इंसान की भावनाओं, इरादों, क्षमताओं ,और नजरिए को समझना ,दूसरों की बुद्धि के अनुसार लोगों को समझना या पहचानना ही अंतर्वैयक्तिक बुद्धि है | जैसे डाॅक्टर, शिक्षक, नेता, मनोवैज्ञानिक |

🎯 अन्त: वैयक्तिक बुद्धि➖

अपनी भावना, रुचि, प्रेरणा आदि को समझना ,स्वयं की बुद्धि के अनुसार दूसरों की पहचान करना नहीं अंतःवैयक्तिक बुद्धि है | जैसे साधु – संत |

🎯 प्राकृतिक बुद्धि (1995 )

जो प्रकृति को समझना है अर्थात जो वनस्पति और जीव की समझ, उत्पादकता ,पर्यावरण की समझ, वायुमंडल की समझ इत्यादि के ज्ञान की योग्यता ही प्राकृतिक बुद्धि है यदि आप प्रकृति को समझते हैं उस से प्रेम करते हैं तो उसके अंतर्गत प्राकृतिक बुद्धि आती है |

जैसे किसान जीव – वैज्ञानिक खगोल शास्त्री इत्यादि प्राकृतिकं बुद्धि है |

🎯 अस्तित्ववादी बुद्धि (2000) ➖

मानव संसार में छिपे रहस्य को, जिंदगी, मौत ,तथा मानव की वास्तविकता को जानने की क्षमता अस्तित्व वादी बुद्धि है |यदि व्यक्ति को स्वयं के अस्तित्व को पहचानने की क्षमता है तो वह अस्तित्व वादी बुद्धि के अंतर्गत है |

नोट्स बाॅय➖ रश्मि सावले

🌻🌼🌺🌸🍀🌻🌼🌺🌸🍀🌻🌼🌺🌸🍀🌻🌼🌺🌸🍀

🌹 बहु बुद्धि का सिद्धांत 🌹

प्रतिपादक :- गार्डनर 1983 ( अमेरिका )

जैविक और सांस्कृतिक अनुसंधानों की सहायता से समस्या को हल करने की क्षमता ही बुद्धि कहलाती है।

🌲 गार्डनर के बहुबुद्धि सिद्धांत के निम्नलिखित प्रकार :-

🌻 मूल बुद्धि सिद्धांत 🌻

1. सांगीतिक बुद्धि musical intelligence. :-

इसका संबंध संगीत से होता है। जैसे :-
ध्वनि , लय , स्वर ,संगीत आदि की संवेदनशीलता का ज्ञान होना ही सांगीतिक बुद्धि है।

हाँलाकि ये सभी में निहित होती है पर , जो ” संगीतज्ञ ” होते हैं उनमें सांगीतिक बुद्धि विशेष तौर पर पाई जाती है।

2. तार्किक गणितीय / आंकिक बुद्धि. Logical mathematical. Intelligencr. :-

तर्क लगाना , किसी कार्य के पैटर्न लगाने की क्षमता , गणितीय सोच , तर्क करने की क्षमता , अंको को पहचानने की क्षमता इत्यादि तार्किक गणितीय बुद्धि से संबंधित हैं।

इसमें आते हैं :-
गणितज्ञ
वैज्ञानिक
अभियंता (Engineer)
वकील।

3. भाषाई बुद्धि Linguist. :-

भाषा की समझ / निपुणता भाषाई बुद्धि है।
इसमें शब्दों व वाक्यों के बौध की क्षमता होती है।

इनमें आते हैं :-
कवि
अध्यापक
वकील
इतिहासकार ।

4. स्थानिक बुद्धि spatial intelligence. :-

समस्याओं को हल करने के लिए मानसिक छवियों को जोड़ – तोड़ कर नई छवि बनाना और किसी छवि को समझना ही स्थानिक बुद्धि है।
स्थानिक बुद्धि में कल्पना शक्ति की योग्यता होती है। अर्थात कल्पना करने की योग्यता पाई जाती हैं।

इसमें आते हैं :-
चित्रकार
मूर्तिकार
कवि
कलाकार ।

5. शारीरिक गतिसंवेदी बुद्धि Physical speed – sensitive intelligence. :-

किसी भी शारीरिक क्षमता और मानसिक क्षमता के समन्वय की प्रक्रिया इस बुद्धि के अंतर्गत आती है। शारीरिक गति संवेदी बुद्धि वाले व्यक्तियों मैं अपने शरीर पर नियंत्रण रहता है।

इसमें आते हैं :-
खिलाड़ी
योगाचार्य
नृत्यकार ।

6. अंतर्वैयक्तिक / वैयक्तिक बुद्धि interpersonal intelligence :-

दूसरे व्यक्तियों की भावनाओं , इरादों , क्षमताओं , नजरिया आदि को समझना ही अंतर्वैयक्तिक बुद्धि है।

इसमें आते हैं :-
मनोचिकित्सक
मनोवैज्ञानिक

7. अंतःवैयक्तिक बुद्धि interpersonal intelligence :-

अपनी भावना , रुचि , प्रेरणा को समझना अर्थात स्वयं को समझना ही अंतःवैयक्तिक बुद्धी है।

🌻. आधुनिक बुद्धि :- 🌻

8. प्राकृतिक बुद्धि nature intelligence. :-
(सन् 1995 में दी)

वनस्पति , जीव की समझ , उत्पादकता , पर्यावरण की समज , वायुमण्डलीय समझ ।

इसमें आते हैं :-

ख़ागोलशास्त्री
जीव वैज्ञानिक
कृषक
वनस्पति वैज्ञानिक
मौसम वैज्ञानिक
भूगर्भ वैज्ञानिक ।

9. अस्तित्ववादी बुद्धि Existential intelligence. (सन् 2000 में दी)

मानव संसार के छुपे रहस्यों को , जिंदगी , मौत तथा मानव की वास्तविकता को जानने की क्षमता को समझने चाहती है ।

इसमें आते हैं :-
योगी
दर्शनशास्त्री
संत।

🌺 ✒️ Notes by -जूही श्रीवास्तव ✒️🌺

⛳Multiple intelligence⛳
🌸बहु बुद्धि सिद्धांत🌸
★ इस सिद्धांत के प्रतिपादक हावर्ड गार्डनर थे।
★यह सिद्धांत 1983 में दिया गया।
👉🏻 गार्डनर ने कहा कि जैविक और सांस्कृतिक अनुसंधान से समस्या को हल करने की क्षमता बुद्धि कहलाती है।
👉🏻गार्डनर के अनुसार बुद्धि एकांकी ना होकर बहू कारकीय होती हैं।
गार्डनर के अनुसार बुद्धि में 7 तत्व होते हैं जो निम्न प्रकार है—
1. सांगीतिक बुद्धि ( musical intelligence)
2. तार्किक गणितीय बुद्धि ( logical mathematical intelligence)
3. भाषाई बुद्धि ( linguistic intelligence)
4. स्थानिक बुद्धि (spatial intelligence)
5. शारीरिक गति संवेदी बुद्धि ( physical speed sensitive intelligence)
6. व्यक्तिगत बुद्धि ( personal intelligence)
7. अंतः व्यक्तिक बुद्धि ( intera personal intelligence)
★ बाद में गार्टनर ने 1995 आठवां कारक दिया-
8. प्राकृतिक बुद्धि ( natural intelligence)
★ और बाद में सन 2000 में गार्डनर ने बुद्धि का नौवा कारक दिया—
9. अस्तित्व बाती बुद्धि ( Existential intelligence)
1. सांगीतिक बुद्धि ( ध्वनि, लय,स्वर, संगीत की संवेदनशीलता का ज्ञान सांगीतिक बुद्धि कहलाती है
जिन व्यक्तियों में इस प्रकार की बुद्धि होती है वे संगीतकार, गीतकार, भजनकार आदि होते हैं।
2. तार्किक गणितीय बुद्धि ( logical mathematical intelligence) — तर्क लगाना किसी कार्य के पैटर्न को समझना गणितीय सोच इत्यादि की क्षमता तार्किक गणितीय बुद्धि कहलाती है यह बुद्धि सिर्फ गणित से संबंध नहीं रखती बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में तार्किक बुद्धि का प्रयोग होता है।
तार्किक बुद्धि से युक्त लोग वैज्ञानिक गणितज्ञ engineer आदि बनते हैं।
3. भाषाई बुद्धि( linguistic intelligence) — शब्दों और वाक्यों की बौद्धिक क्षमता, भाषा के समझ, भाषा में निपुणता, अपनी बातों को व्यक्त करने की क्षमता ,आदि की योग्यता भाषाई बुद्धि कहलाती है।
जैसे— कवि,अध्यापक, वकील,इतिहासकार।
4. स्थानिक बुद्धि ( spatial intelligence) — कल्पना करने की योग्यता ,समस्या को हल करने के लिए मानसिक छवियों को जोड़-तोड़ कर नई छवि बनाना और किसी भी छवि को समझना आदि स्थानिक बुद्धि कहलाता है
उदाहरण— चित्रकार, मूर्तिकार, कवि.
5. शारीरिक गति संवेदी बुद्धि ( physical speed sensitive intelligence)— किसी भी शारीरिक क्षमता और मानसिक क्षमता के समन्वय की प्रक्रिया इस बुद्धि के अंतर्गत आते हैं।
जैसे— खिलाड़ी नृतक,।
6. व्यक्तिगत बुद्धि ( personal intelligence) — इस बुद्धि को अंतर व्यक्तिक बुद्धि भी बोल सकते हैं.
किसी दूसरे व्यक्ति की भावनाओं,इरादों, क्षमता, नजरिया को समझने की क्षमता व्यक्तिक बुद्धि कहलाती है।
7. अंतः व्यक्तिक बुद्धि ( intra personal intelligence) — अपने खुद की भावना, रुचि, प्रेरणा आदि को समझने की क्षमता, अंतः व्यक्तिक बुद्धि कहलाती हैं.
9. प्राकृतिक बुद्धि ( nature intelligence) — प्रकृति में मौजूद तत्वों को समझना, वनस्पति, जीव की समझ, उत्पादकता,पर्यावरण की समाझ, वायुमंडल की समाझ आदि की समझ की क्षमता प्राकृतिक बुद्धि कहलाती है..
जैसे- खगोल शास्त्री, वनस्पति वैज्ञानिक, जीव मनोवैज्ञानिक, मौसम वैज्ञानिक.
9. अस्तित्ववादी बुद्धि ( Existential intelligence) — मानव संसार में छिपे रहस्य को, जिंदगी, मौत तथा मानव की वास्तविकता को जानने की क्षमता अस्तित्व वादी बुद्धि कहलाती है.
जैसे- दार्शनिक, योगी ,संत।

Notes by Shivee Kumari😊

🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸

🤔गार्डनर का बहुबुद्धि सिद्धांत🤔
multiple intelligence
(1983)
गार्डनर अमेरिका के थे

7+1+1
समस्या को हल करने की तकनीक क्षमता

,”जैविक और सांस्कृतिक अनुसंधानो की सहायता से समस्या हल करने की छमता बुद्धि कहलाती है”

गार्डनर ने आठ प्रकार की बुद्धि के बारे में बताया है

🤔मूल बुद्धि 🤔
1 सांगीतिक बुद्धि (musical intelligence)

जिस व्यक्ति में धनी लाल संगीत की संवेदनशीलता का ज्ञान होता है उस व्यक्ति में यह बुद्धि पाई जाती है

2 तार्किक गणितीय बुद्धि (logical mathematical intelligence)

यह बुद्धि उन व्यक्तियों में पाई जाती हैं जो तर्क लगाते हैं किसी कार्य को एक ढंग से नहीं अनेक प्रकार से करते हैं अपनी सृजनात्मकता दिखाते हैं किसी समस्या का हल अनेक तरीके से ढूंढते हैं उनमें यह बुद्धि पाई जाती है

3 भाषाई बुद्धि (linguistic intelligence)

जिस व्यक्ति में भाषा की अच्छी समझ होती है भाषा में अच्छी निपुणता होती है जिस व्यक्ति में भाषाई बुद्धि पाई जाती है वह भाषाई बुद्धि में आता है इस प्रकार की बुद्धि में ज्यादातर लेखक आते हैं

4 स्थानिक बुद्धि (spatial intelligence)

समस्या को हल करने के लिए मानसिक छवियों को जोड़ तोड़ कर नई छवि का समझना स्थानिक बुद्धि कहलाती है

5 शारीरिक गति संवेदी बुद्धि

किसी भी शारीरिक क्षमता और मानसिक क्षमता के समन्वय की प्रक्रिया इस बुद्धि के अंतर्गत आती है

6 व्यक्तिगत बुद्धि (personal intelligence)

जो व्यक्ति किसी दूसरे इंसान की भावनाओं इरादों क्षमता नजरियों को समझता है उसमें यह बुद्धि पाई जाती है इसे हम अंतर व्यक्तिक बुद्धि (inter interpersonal)भी कहते हैं

7अंतः व्यक्तिक बुद्धि (intra personal intelligence)

जो व्यक्ति अपनी भावनाओं रुचि प्रेरणा को समझता है उसमें यह बुद्धि पाई जाती है

8 प्राकृतिक बुद्धि (natural intelligence)

यह बुद्धि गार्डनर के 7 मूल बुद्धि में शामिल नहीं हैं
इसे 1995 में प्रस्तावित किया गया इस बुद्धि के अनुसार जिस व्यक्ति में वनस्पतियों जीव की पहचान पर्यावरण की समझ वायुमंडल उत्पादकता इन सबके पहचानने की क्षमता होती है उसमें प्राकृतिक बुद्धि पाई जाती है

9 अस्तित्व वादी बुद्धि (existential intelligence)
यह बुद्धि 2002 में प्रस्तावित हुई
इस बुद्धि में मानव संसार में छिपे रहस्य को जिंदगी मौत तथा मानव की वास्तविकता को जानने की क्षमता जिस व्यक्ति में होती है अस्तित्व वादी बुद्धि कहलाती है
इस प्रकार की बुद्धि दार्शनिकों में होती है

📘🙏🙏🙏🙏sapna sahu🙏🙏🙏🙏

🏵️🏵️ गार्डनर का बहुबुद्धि सिद्धांत 🏵️🏵️
(Multiple intelligence)
❤️जैविक और सांस्कृतिक अनुसंधानओं की सहायता से समस्या को हल करने की क्षमता बुद्धि कहलाती है।
👉 गार्डनर ने बुद्धि के 9 प्रकार बताए हैं-
🏵️1️⃣ सांगीतिक बुद्धि— (musical intelligence)
▪️ध्वनि, लय, स्वर, संगीत की संवेदनशीलता का ज्ञान होना अनेक प्रकार की ध्वनियों को समझने की क्षमता सांगीतिक बुद्धि कहलाती है।
🏵️2️⃣ तार्किक गणितीय बुद्धि—
(Logical mathematical intelligence )
▪️तर्क लगाना, या किसी भी कार्य के पैटर्न को लगाने की क्षमता, गणितीय सोच इत्यादि तार्किक गणितीय बुद्धि कहलाती है।
🏵️3️⃣ भाषाई बुद्धि— (linguistic intelligence)
▪️भाषा की समझ और भाषा में निपुणता भाषाई बुद्धि है।
🏵️4️⃣ स्थानिक बुद्धि—
(Spatial intelligence)
▪️जो हमारी समस्या है उसको हल करने के लिए मानसिक छवियों को जोड़-तोड़ कर नई छवियां बनाना और किस छवि को समझना स्थानिक बुद्धि है।
🏵️5️⃣ शारीरिक गति संवेदी बुद्धि—
(Physical speed sensative intelligence)
▪️किसी भी शारीरिक क्षमता और मानसिक क्षमता के समन्वय की प्रक्रिया उस बुद्धि के अंतर्गत आते हैं।
🏵️6️⃣ व्यक्तिगत बुद्धि—
(Personal intelligence)
▪️किसी दूसरे इंसान की भावनाओं, इरादों, क्षमता, नजरिया को समझना ही व्यक्तिगत बुद्धि के अंतर्गत आता है।
👉इसे अन्तरवैयक्तिक(interpersonal) बुद्धि भी कहते हैं।
🏵️7️⃣ अंत: वैयक्तिक बुद्धि—
(Intera personal intelligence)
▪️इसमें अपनी भावना, रुचि, प्रेरणा को समझना अंत: वैयक्तिक बुद्धि कहलाती है ये मूल बुद्धि सिद्धांत नहीं है।
🏵️8️⃣ प्राकृतिक बुद्धि—
(Nature intelligence)
👉इसको 1995 में जोड़ा गया।
▪️ वनस्पति, जीव की समज, उत्पादकता, पर्यावरण की समज,आदि प्राकृतिक बुद्धि के अंतर्गत आते हैं इसीलिए इसे प्राकृतिक बुद्धि बुद्धि कहते हैं।
🏵️9️⃣ अस्तित्व वादी बुद्धि—
(Existential intelligence )
👉इसे 2000 में जोड़ा गया।
▪️मानव संसार में छिपे रहस्य को जिंदगी मौत तथा मानव की वास्तविकता को जानने की क्षमता अस्तित्व बादी बुद्धि कहलाती है।
👉 इस बुद्धि के अंतर्गत दार्शनिक लोग आते हैं।
🏵️🏵️ Thank you 🏵️🏵️
🏵️🌸🏵️✍️ Notes by~❤️Vinay Singh Thakur❤️

🤵🏻‍♂गार्डनर का बहुबुद्धि सिद्धांत➖
🌸जैविक और सांस्कृतिक अनुसंधान की सहायता से समस्या को हल करने की क्षमता बुद्धि कहलाती है।

🌸 गार्डनर ने आठ प्रकार के बुद्धि के बारे में बताया है।

🌸 उनके इस सिद्धांत का आधार उनके द्वारा न्यूरोमनोविज्ञान (Neuropsychology) तथा मनोमितिक विधियों (Psychometric methods) के क्षेत्रों में किए गए शोध हैं।

🌀 सांगीतिक बुद्धि( musical Intelligence)➖
👉🏼 इस विधि में ध्वनि ,लय ,स्वर, संगीत की संवेदनशीलता का ज्ञान होता है। इस तरह की बुद्धि(🧑🏻‍🎤) संगीतकार तथा गीतकार में अधिक होती है।

🌀 तार्किक- गणितीय बुद्धि (Logical mathematical Intelligence)➖

👉🏼 इस बुद्धि में तर्क करने की क्षमता, गणितीय समस्याओं का समाधान करने की क्षमता, अंको के क्रम के पीछे छिपे संबंधों को पहचानने की क्षमता, होती है

🌀 भाषायी बुद्धि (Linguistic Intelligence)➖

👉🏼 भाषा की समझ /निपुणता भाषाई आती है।

🌀 स्थानिक बुद्धि (Spatial Intelligence)➖

👉🏼 इसमें स्थानीय चित्रों को मानसिक रूप से परिवर्तन करने की क्षमता तथा स्थानिक कल्पना करने की क्षमता आदि सम्मिलित होती है।

🌀 व्यक्तिगत -आत्मन् बुद्धि (Personal-self Intelligence)➖

👉🏼 इस तरह की बुद्धि में अपने भाव व संदेशों को मॉनिटर करने की क्षमता,उम्र में विभेद करने की क्षमता तथा मानव व्यवहार को निर्देशित करने में उन सूचनाओं को उपयोग करने की क्षमता आदि सम्मिलित होती है।
👉🏼 इसे अंतर वैयक्तिक बुद्धि भी कहा जाता है।

🌀 व्यक्तिगत अन्य बुद्धि (Personal-Others Intelligence)➖

👉🏼 इस तरह की बुद्धि में दूसरे व्यक्तियों की प्रेरणाओं, इच्छाओं एवं आवश्यकताओं को समझने की क्षमता होती है।
👉🏼 इसे अंतर्वैयक्तिक बुद्धि भी कहा जाता है।

🌀 शारीरिक गति सम्वेदी बुद्धि (Physical Speed sensative Intelligence)➖
👉🏼इस तरह की बुद्धि में अपनी शारीरिक गति पर नियंत्रण रखने की क्षमता तथा वस्तुओं को सावधानीपूर्वक एवं प्रवीण ढंग से घुमाने तथा उपयोग करने की क्षमता सम्मिलित होती है।

🌀 प्राकृतिक बुद्धि (Naturalistic Intelligence) ➖
👉🏼 इस बुद्धि शेतात पर व्यक्ति में प्रकृति (Nature) जीव की समझ, उत्पादकता, पर्यावरण की समझ तथा वायु मंडली से हैं।

🌀 अस्तित्व वादी बुद्धि ( Existentialist tic Intelligence)➖

👉🏼 गार्डनर ने बुद्धि के इस प्रकार को सन 2000 के संशोधन में जोड़ा है।
👉🏼 इससे तत्पर मानव संसार के बारे में छिपे रहस्यों की जिंदगी, मौत तथा मानव अनुभूति की वास्तविकता के बारे में उपयुक्त प्रश्न पूछे जाने की क्षमता से होता है।

🖊️🖊️📚📚 Notes by… Sakshi Sharma📚📚🖊️🖊️

👉🏼गार्डनर का बहुबुद्धि सिद्धांत
Multiple intelligence

जैविक तथा सांस्कृतिक अनुसंधानों की सहायता से समस्या को हल करने की क्षमता बुद्धि कहलाती हैं।

गार्डिनर ने बुद्धि का मूल स्वरूप 7 बताया था लेकिन उनमें कुछ खोज प्रक्रिया होने के कारण 1995 ईस्वी में प्राकृतिक बुद्धि और 2000 ईस्वी में अस्तित्ववादी बुद्धि को जोड़ा। इस प्रकार कूल बुद्धि के 9 प्रकार हो गए।

1) संगीतिक बुद्धि (musical intelligence)
संगीत बुद्धि में ध्वनि ,लय, स्वर, संगीत बाकी संवेदनशीलता का ज्ञान होना इत्यादि ये सभी संगीतिक बुद्धि में आते हैं।

तार्किक गणितीय बुद्धि (logical mathematical intelligence e)

किसी भी कार्य में तर्क लगाना या किसी कार्य के पैटर्न लगाने की क्षमता गणितीय सोच इत्यादि आते हैं अपने दैनिक जीवन में कोई भी कार्य क्यों नहीं करें हर एक कार्य में तार्किक गणितीय बुद्धि का उपयोग करते हैं।

भाषाई बुद्धि (languaguisti intelligence)

इनके अंतर्गत भाषा की समझ, भाषा में निपुणता भाषाई बुद्धि है जैसे- इसमें शब्द वाक्य ग्रामर यह सभी आ जाते हैं।

स्थानिक बुद्धि (Spathial inteligencia)

समस्या को हल करने के लिए मानसिक ध्वनियों को जोड़ तोड़ कर नई ध्वनि बनाना और किसी छवि को समझाना स्थानिक बुद्धि है।

शारीरिक गति संवेदी बुद्धि(physical speed sensitive intelligence)

किसी भी शारीरिक क्षमता और मानसिक क्षमता के समन्वय की प्रक्रिया इस बुद्धि के अंतर्गत आते हैं मतलब शारीरिक क्षमता के अनुरूप मानसिक क्षमता भी साथ साथ चलती रहती है।

व्यक्तिगत बुद्धि (personal intelligence)

व्यक्तिक बुद्धि में किसी दूसरे इंसान के भावनाओं इरादों, क्षमता नजरिया को समझने की बात करते हैं तथा इसमें अलग-अलग व्यक्तित्व के बारे में समझ विकसित कहते हैं।

अंतःवैयक्तिक बुद्धि ,( intrapersonal intelligence)

इसमें व्यक्ति खुद की भावना रुचि प्रेरणा इत्यादि को समझते हैं या समझने की कोशिश करते हैं।

प्राकृतिक बुद्धि (natural intelligence )

प्राकृतिक बुद्धि को 1995 में जोड़ा गया है
इससे इंसान में वनस्पति जीव की समाज इत्यादि विकसित होते हैं

उत्पादकता
पर्यावरण की समझ,
वायुमंडल, इन सभी में प्राकृतिक बुद्धि लगते हैं।

अस्तित्ववादी बुद्धि existential intelligence )

अस्तित्व वादी बुद्धि को वर्ष 2000 में मैं इनका निर्माण किया गया था।
इसके अंतर्गत “मानव समाज के छिपे रहस्य को जिंदगी ,मौत तथा मानव की वास्तविकता है इसको जानने की छमता ।जैसी- वह दार्शनिक

🙏Notes by-SRIRAM PANJIYARA 🙏

🔥🔆🔥गार्डनर का बहुबद्धि सिद्धान्त ➖
जैविक और सांस्कृतिक अनुसंधानो की सहायता से समस्या को हल करने की क्षमता बुद्धि कहलाती है |
इसमें हर परिस्थिति में अलग-अलग प्रकार से सोचना और उसी प्रकार से अपनी ज्ञान क्षमता का प्रयोग करना बुद्धि कहलाती है प्रत्येक व्यक्ति मे एक विशिष्ट योग्यता होती है जिसको यह पहचानना आ गया तो वह व्यक्ति हर क्षेत्र मे अच्छा कर सकता है |
1. सागीतिक बुद्धि (Musical intelligence) –
ध्वनि , लय , स्वर , संगीत आदि की संवेदनशील का ज्ञान होना |
इस बुद्धि में ध्वनि लय स्वर आरोही अवरोही इत्यादि बुद्धि संगीतिक बुद्धि कहलाती है |
2.तार्किक गणितीय बुद्धि (Logical mathematical intelligence) –
तर्क लगाना , किसी कार्य के पैटर्न लगाने की क्षमता गणितीय सोच इत्यादि यह अपने तर्क अनुसार बुद्धि का प्रयोग करना तार्किक गणितीय बुद्धि कहलाती है |
3. भाषाई बुद्धि (Languastic intelligence) –
भाषा की समझ / निपुणता भाषाई बुद्धि है | इसमें भाषा की समझ होना और उस भाषा में समाहित या निपुण होना भाषाई बुद्धि कहलाती है |
4. स्थानिक बुद्धि (Spatial Intelligence) –
इस बुद्धि मे समस्या को हल करने के लिए मानसिक छवियो को जोड- तोड कर नई छवि बनाना और किसी छवि को समझना स्थानिक बुद्धि कहलाती है |
5 . शारीरिक गति सम्वेदी बुद्धि (Physical speed sensative intelligence) –
किसी भी शारीरिक क्षमता और मानसिक क्षमता के समन्वय की प्रकिया इस बुद्धि के अंतर्गत आते है |
6. व्यक्तिगत बुद्धि (Personal intelligence) –
किसी दूसरे इंसान के भावनाओं इरादो क्षमता नजरिया को समझना | इसमें दूसरे व्यक्ति के हाव भाव को समझना ये व्यक्तिगत बुद्धि कहलाती है |
ये अन्तवैयक्तिक बुद्धि (Interpersonal) व्यक्तिगत बुद्धि के अंतर्गत आती है | जैसे- डाक्टर , शिक्षक , नेता , मनोवैज्ञानिक |
7. अत: वैयक्तिक बुद्धि (Intra personal intelligence) –
यह बुद्धि अपनी भावना रूचि प्रेरणा को समझना |
इसमें अपनी खुद / स्वंय की अन्तर के वैयक्तिक को समझना |
8.प्राकृतिक बुद्धि (Nature Intelligence) –
इसे 1995 मे प्रस्तावित किया गया | प्राकृतिक बुद्धि के रूप में समझाया जा सकता है |इसमें वनस्पति जीव की समझ उत्पादकता पर्यावरण की समझ वायुमंडल इन सभी को पहचानने में सक्षम है प्राकृतिक दुनिया में अन्य परिणामी भेद करने की क्षमता रखता है | जैसे – किसान जीव वैज्ञानिक खगोलशास्त्री इत्यादि इस प्रकार की बुद्धिमता रखता है |
9. अस्तित्ववादी बुद्धि (Existential Intelligence) –
इस बुद्धि को 2000 में प्रस्तावित किया गया | यह मानव संसार में छिपे रहस्य को जिंदगी मौत तथा मानव की वास्तविकता को जानने की क्षमता ही अस्तित्ववादी बुद्धि कहलाती है |

Notes by ➖ Ranjana Sen

Eric Erickson’s psychosocial theory part-2 for CTET & TET notes by India’s top learners

🔆 एरिक्सन के मनोसामाजिक विकास की अवस्थाएं ➖

🎯 विश्वास बनाम अविश्वास ( Trust v/s mistrust) (0-1 वर्ष) ➖शैशावस्था

इसमें बच्चा सबसे पहले सकारात्मक गुण लेकर आगे बढ़ता है बच्चे को पर्याप्त देखभाल की आवश्यकता होती है जिससे उसमें सकारात्मकता उत्पन्न होती हैं इससे वह स्वयं और दूसरों पर आस्था या विश्वास करता है और स्वास्थ्य व्यक्तित्व का विकास होता है |

यदि उसकी पर्याप्त देखभाल नहीं हुई तो उसमें अविश्वास या हीनता की भावना और आशंका उत्पन्न होने लगती है तथा उसका व्यक्तित्व विकास नहीं हो पाता है |

🎯स्वायत्तता/ स्वतंत्रता बनाम शर्म/ लज्जा (1-3 वर्ष ) ➖प्रारंभिक बाल्यावस्था

इस अवस्था में बच्चे में स्वतंत्रता की भावना विकसित होती है बच्चे पर माता-पिता नियंत्रण रखते हुए स्वतंत्र रूप से बच्चे को अपने अनुसार कार्य देते हैं |

यदि ऐसा नहीं होता है तो बच्चे में लज्जा , शक या शर्म उत्पन्न होने लगता है और वे खुद को आत्महीनता की दृष्टि से देखते हैं |

🎯 पहल बनाम अपराध बोध (3-6 वर्ष) ➖खेल अवस्था

इस अवस्था में बच्चा चलना, बोलना ,दौड़ना, खेलना, घर के बाहर जा जाकर साथियों के साथ के साथ खेलना , नई जिम्मेदारी के प्रति रुचि उत्पन्न होने लगतीं है और उसमें समूह के प्रति आकर्षण भी बढ़ने लगता है |

यदि उन्हें ये सब करने के लिए रोका गया और उसे दंड दिया गया तो वह अपनी इच्छा व्यक्त करने से डरने लगता है और जिसके कारण उसमें अपराध की भावना ,चिड़चिड़ापन आदि गुण उत्पन्न होने लगती है जो कि एक दोष है |

🎯 परिश्रम/ उद्यमिता बनाम हीनता (6-12 वर्ष) ➖स्कूल अवस्था

इस अवस्था में बच्चा व्यवहार करना सीखता है स्कूल के कार्य करता है औपचारिक शिक्षा, बातचीत कौशल,और परिश्रम की भावना विकसित होती और माता-पिता सभी से प्रेरित होता है |

यदि बच्चा स्वयं की क्षमता पर संदेह करने लगता है तो उनमें आत्म हीनता की भावना विकसित होती है और व्यक्तित्व विकास में बाधक होता है |

🎯पहचान बनाम भूमिका भ्रम (12-20 वर्ष) ➖ किशोरावस्था

इस अवस्था में बच्चे समस्या समाधान करते हैं उनमें कर्तव्य निष्ठा की भावना आती है समाज के लिए अपनी विचारधारा और उसका मानक दृष्टिकोण बनाते हैं शिष्टाचार क्षमता आती है |

यदि ऐसा नहीं हुआ तो वे अपनी पहचान नहीं बना पाते हैं |

🎯आत्मीयता बनाम अलगाव ( 20-30 वर्ष ) ➖तरुण वयस्कता

इस अवस्था में जीविकोपार्जन के लिए कार्य करने लगा सकते हैं समाज के सदस्यो से घनिष्ठता एवं स्वयं के साथ में घनिष्ठता करने लगते हैं |

लेकिन यदि ऐसा नहीं होता है तो व्यक्ति खुद में खोए रहता है किसी से संतोषजनक संबंध नहीं रहते हैं मनोविकारी संबंध स्थापित हो जाते हैं |

🎯उत्पादकता बनाम स्थिरता (30-65 वर्ष) ➖मध्य वयस्कता

इस अवस्था में व्यक्ति भावी पीढ़ी के कल्याण की सोचता है समाज को उन्नत बनाना चाहता है ऐसा कर पाते हैं तो सबल और सृजन हो जाते है |

यदि ऐसा नहीं हो पाता है तो उसमें स्थिरता आ जाती है और वह आगे नहीं बढ़ पाता है संघर्ष करने लगता है मनो सामाजिक शक्ति नष्ट हो जाती है |

🎯संपूर्णता बनाम निराशा (65- मृत्यु तक) ➖वृद्धावस्था

यदि स्वास्थ्य समाज का समायोजन अच्छा हुआ तो संपूर्णता का आभास होता है |

यदि ऐसा नहीं होता है तो निराशा उत्पन्न होती है सोच में नकारात्मकता आ जाती है |

नोट्स बाॅय➖ रश्मि सावले

🌻🍀🌼🌺🌸🌻🍀🌼🌺🌸🌻🍀🌼🌺🌸

🌸Eric-Erikson’s psycho-social theory🌸
⛳psycho-social development stages⛳
( मनो-सामाजिक विकास की अवस्थाएं)
👉🏻एरिक्सन के अनुसार मनोसामाजिक विकास, मनोविज्ञान और समाज दोनों का कॉन्बिनेशन है।
यह सिद्धांत मनुष्य के जन्म से लेकर जीवन के अंत तक मनुष्य की विभिन्न अवस्थाओं का वर्णन करता है जो निम्न प्रकार है
यह अवस्थाएं निम्न प्रकार हैं—
१. विश्वास बनाम अविश्वास (Trust v/s mistrust) —
(0-1year)
★इस अवस्था का नाम प्रारंभिक बाल्यावस्था दिया हैं।
👉🏻इस सिद्धांत के अनुसार इस अवस्था में बच्चे को, मां के द्वारा देखभाल व प्यार मिलता है तथा बच्चा सकारात्मक गुण लेकर आगे बढ़ता है. पर्याप्त देखभाल होती है जिसके कारण बच्चे में धनात्मक गुणों का विकास होता है जिससे स्वयं तथा दूसरों पर आस्था व विश्वास जगती है जिसके कारण बच्चे में स्वस्थ व्यक्तित्व का विकास होता है.
★दूसरी तरफ बात करें तो यह सब नहीं होने पर बच्चे में अविश्वास तथा नकारात्मकता की भावना उत्पन्न हो जाएगी।
२. स्वायत्तता बनाम शर्म/ स्वतंत्रता बनाम लज्जा ( autonomy v/s shame) —
(1-3 year)
★इस अवस्था को प्रारंभिक बाल्यावस्था कहां गया।
👉🏻 इस अवस्था में बच्चा माता-पिता के नियंत्रण में रहते हुए स्वतंत्र रूप से अपनी इच्छा के अनुसार कार्य करता है जिससे बच्चे में स्वतंत्र निर्णय लेने की क्षमता का विकास होता है।
★ दूसरी और अगर बच्चे को किसी कार्य को करने की स्वतंत्रता ना दी जाए या उसे किसी भी कार्य को करने की
मनाही की जाए तो बच्चे में लज्जा की भावना उत्पन्न होंगी एवं खुद पर शक करेगा तथा आत्म हीनता की भावना जन्म लेगी।
३. पहल बनाम अपराध (Initiative v/s guilt)
(3-6 year)
★ इस अवस्था को खेल की अवस्था कहां गया.
👉🏻 इस अवस्था में बच्चा बोलना, चलना, दौड़ना सीखता है और खेल में रुचि बढ़ती है तथा घर से बाहर साथियों के साथ घूमना व आनंद का अनुभव करता है नयी जिम्मेदारी के प्रति रुचि लेता है।
★ दूसरी ओर अगर ऐसा ना हो उन्हें रोका जा रहा हो तो उसमें अपराध की भावना जन्म ले लेती हैं।
४. परिश्रम बनाम हीनता/ उद्यमिता बनाम हीनता (Labor v/s inferiority)
( 6-12 year)
★ इस अवस्था को स्कूल की उम्र कहा गया है।
👉🏻 इस अवस्था में बच्चा स्कूल के कार्य करता है, औपचारिक शिक्षा ग्रहण करता है,कैसा व्यवहार करना है यह सीखता है ,बात करने का कौशल सीखता है। जिससे बच्चे में परिश्रम करने की भावना विकसित होती है यह परिश्रम की भावना माता-पिता ,मित्र ,समाज एवं विद्यालय आदि से विकसित होती है।
★दूसरे और अगर किसी कारणवश ये ना हो तो बच्चा स्वयं की क्षमता पर संदेह करने लगता है तो उसमें आत्म हीनता की भावना आ जाती है तथा व्यक्तित्व विकास में बाधा आती है।
५. पहचान बनाम पहचान भ्रांति (identity v/s identity confusion)
( 12-20 year)
★ इस अवस्था को किशोरावस्था कहा गया है।
👉🏻 इस अवस्था में बच्चे मे समस्या समाधान,कर्तव्य निष्ठा,समाज के प्रति विचारधारा की भावना तथा शिष्टाचार आदि की क्षमता विकसित होती है।
★ अगर ऐसा नहीं हो पाता तो किशोरावस्था में बच्चे अपनी पहचान को समझ नहीं पाते और उनमें कोई विचारधारा का डिवेलप नहीं हो पाता तथा नकारात्मकता आ जाती है।
६. आत्मीयता बनाम अलगाव (Affirity v/s isolation)
( 20-30 year)
★ इस अवस्था को तरुण अवस्था कहा गया है.
👉🏻 जीविकोपार्जन, समाज के सदस्य से घनिष्ठता, स्वयं के साथ घनिष्ठता आदि के लिए बच्चा काम करता है।
★ लेकिन ऐसा ना हो तो खुद में खोए रहते हैं असफलता का एहसास रहता है, किसी से संबंध नहीं बना पाते,किसी से घनिष्ठता नहीं रख पाते ऐसे लोग मनो विकारी तथा गैर सामाजिक हो जाते हैं।
७. उत्पादकता बनाम स्थिरता ( Productivity v/s sustrability)
(30-65 year)
★ इस अवस्था को मध्य अवस्था कहा गया है।
👉🏻यह अवस्था जॉब लगने से लेकर रिटायरमेंट तक होती है।
इस अवस्था में व्यक्ति अपनी भावी पीढ़ी के कल्याण के बारे में सोचता है। यह सब कर पाते हैं तो सबल और सजग होते हैं।
★ दूसरी ओर यह सब ना कर पाए तो आगे नहीं बढ़ पाते या उनकी मनोसामाजिक शक्ति आगे नहीं बढ़ती है।
८. संपूर्णता बनाम निराशा (wholeness v/s frustration)
( 60- जीवन के अंत तक)
★ इस अवस्था को वृद्धावस्था कहा गया है।
👉🏻 इस अवस्था में व्यक्ति ने स्वास्थ्य तथा समाज का समायोजन अच्छे से किया है तो संपूर्णता का अनुभव करता है।
★दूसरी ओर अगर उससे समाज तथा स्वास्थ्य का समायोजन करने मे कमी रह गयी है तो व्यक्ति मे नकारात्मकता आ जाती है

Notes by Shivee Kumari😊

एरिक्सन के मनोसामाजिक विकास की अवस्थाएं
psychosocial development stages

1 विश्वास बनाम अविश्वास:- शैशवावस्था 0-1 year बच्चे की पर्याप्त देखभाल होती है इसमें बच्चों में धनात्मक गुण का विकास होता है वह स्वयं दूसरों पर आस्था और विश्वास रखता है उसका व्यक्तित्व स्वस्थ्य होता है क्योंकि इस समय मां बच्चे का पूरी तरह से ध्यान रखती है तो बच्चे में किसी भी प्रकार की नकारात्मक भावना नहीं आती है

2 स्वायत्तता बनाम शर्मा /स्वतंत्रता बनाम लज्जा
autonomy v/s shame

यह अवस्था 1 से 3 वर्ष तक होती है
इसमें माता-पिता बच्चे पर नियंत्रण रखते हुए स्वतंत्र रूप से बच्चे को अपनी इच्छा अनुसार कार्य करने के की स्वतंत्रता देते हैं
दूसरी और अगर यह सब स्वतंत्रता बच्चों को नहीं मिलती है तो बच्चों में लज्जा अपने ऊपर शर्म और आत्महीनता की भावना आ जाती है

3 पहल शक्ति बनाम दोष/पहल बनाम अपराध
imtiative v/s guilt
खेल की अवस्था ( play age)
यह अवस्था 3 से 6 वर्ष तक होती है
इसमें बच्चा बोलना चलना खेलना घर से बाहर साथियों के साथ नई जिम्मेदारी के प्रति रुचि लेता है और बहुत खुश रहता है
दूसरी ओर यदि बच्चे को ये सब करने से रोका जा रहा है इच्छा व्यक्त करने पर उसे दंड दिया जाता है तो बच्चे में अपराध की भावना आ जाती है

4 परिश्रम बनाम हीनता:-
यह अवस्था 6 से 12 वर्ष तक होती है
इसमें बच्चा व्यवहार करना सीखता है स्कूल के कार्य करता है और औपचारिक शिक्षा प्राप्त करता है बातचीत करना सीखता है परिश्रम की भावना विकसित होती है स्कूल शिक्षक पड़ोसी माता पिता

यदि बच्चा यह सब नहीं कर पाता है तो बच्चे में स्वयं की क्षमता पर संदेह करने लगता है आत्मीयता व्यक्तित्व के विकास में कमी आने लगती है

5 पहचान बनाम पहचान भ्रांति (भूमिका भ्रांति )
किशोरावस्था
यह अवस्था 12 से 20 ईयर तक होती है
इसमें बच्चा समस्या का समाधान कर्तव्य निष्ठा विचारधारा मानक शिष्टाचार इन सभी की क्षमता बच्चे में होती है
दूसरी ओर यदि बच्चा अपनी पहचान नहीं बना पाते हैं सक्षम नहीं हो पाते हैं तो बच्चों में नकारात्मक भावना आ जाती है और वह गलत कदम उठा लेते हैं

6 आत्मीयता बनाम अलगाव :- तरुण वयस्कता
घनिष्ठता
यह अवस्था 20 से 30 वर्ष तक होती है
इसमें बच्चा जीविकोपार्जन समाज के साथ घनिष्ठता और स्वयं के साथ घनिष्ठता रखता है

दूसरी तरफ जाती है सब बच्चा नहीं कर पाता है तो वह swam में खोए रहते हैं और किसी से संतोषजनक संबंध नहीं बना पाते हैं

7 उत्पादकता बनाम स्थिरता (मध्य वयस्कता):-
यह अवस्था 30 से 65 वर्ष तक होती है
इसमें भावी पीढ़ी का कल्याण समाज को उन्नत बनाने की कोशिश और सबल जिंदगी होती है

दूसरी तरफ यह सब नहीं कर पाते आगे नहीं बढ़ पाता तो संघर्ष मनोसामाजिक शक्ति का विकास नहीं होता

8 संपूर्णता बनाम निराशा, ( परिपक्वता)
65 वर्ष से जीवन के अंत तक
वृद्धावस्था
इस अवस्था में व्यक्ति ने अपने स्वास्थ्य समाज के साथ समायोजन और अपनी अतीत में सकारात्मक कार्य किए हैं तो prassan रहता है
और यदि उसमें समाज के साथ समायोजन नहीं किया है तो वह कभी कभी निराश हो जाता है और उसमें नकारात्मक भावना आ जाती हैं

🙏🙏🙏🙏🙏 sapna sahu🙏🙏🙏🙏🙏🙏

🔥🔥मनोसामाजिक विकास की अवस्थाएं 🔥🔥
(Psychosocial development stages)
1. विश्वास बनाम अविश्वास ( Trust v/ s mistrust) ➖
“शैशवावस्था ”
(0 से 1 वर्ष)
यह एरिक्शन का पहला मनोसामाजिक चरण है |
जिसका जीवन पहली वर्ष में अनुभव किया जाता है इसमें पर्याप्त देखभाल और धनात्मक गुण और स्वयं दूसरों पर आत्मविश्वास स्वास्थ्य व्यक्तित्व की आवश्यकता होती है अगर यह नही है तो बच्चो मे अविश्वास हीनता ईष्या आशंका डर आदि आते है |
2. स्वायत्तता बनाम शर्म / स्वतंत्रता बनाम लज्जा ( Autonomy v/s shame) ➖
” प्रारंभिक बाल्यावस्था”
(1 से 3वर्ष)
अवस्था प्रारंभिक बाल्यावस्था की होती है जो माता-पिता माता-पिता है जो माता-पिता माता-पिता बच्चो को नियंत्रण मे रखते हुए स्वतंत्र रूप से बच्चों को अपनी इच्छा अनुसार कार्य करने देते हैं और बच्चों को कोई कार्य नहीं करने देते हैं तो उनके और अपने ऊपर शर्म और आत्महीनता की भावना जन्म लेगी |
3. पहल बनाम अपराध / पहल शक्ति बनाम दोष ( Initiative v/s guilt) ➖ (3 से 6 वर्ष)
यह अवस्था खेल व्यवस्था होती है|
इस अवस्था में बच्चा बोलना चलना दौड़ना स्पोर्ट्स खेलना घर के बाहर साथियों में साथ नई जिम्मेदारी के प्रति रुचि लेने लगता है |
दूसरी और अगर ऐसा ना हो तो उन्हें रोका जा रहा है इस इच्छा व्यक्त करने पर दंड और अपराध की भावना जन्म लेती है |
4. परिश्रम बनाम हीनता / उद्यमिता बनाम हीनता ( Labor v/s inferierity complex) ➖ (6 से 12 वर्ष)
यह अवस्था स्कूल की अवस्था है |
इस अवस्था में बच्चों व्यवहार करना सीखना है स्कूल के साथ कार्य करता है औपचारिक शिक्षा बातचीत कौशल की भावना विकसित होती है |
दूसरी ओर अगर किसी कारण बस यह ना हो तो बच्चा स्वयं की क्षमता पर संदेह करने लगता है आत्महीनता व्यक्तित्व विकास में बाधा आती है |
5. पहचान बनाम पहचान भ्रांति (भूमिका भ्रांति) ( Identity v/s identity confusion) ➖ (12 से 20 वर्ष)
यह अवस्था किशोरावस्था होती है |
इस अवस्था में बच्चों में समस्या समाधान कर्तव्यनिष्ठा विचारधारा निभाने में कैसे हैं शिष्टाचार आदि क्षमता किशोरावस्था में आती है |
किशोरावस्था में बच्चे अपनी पहचान समझ नहीं पाते तो नकारात्मकता आती है |
6. आत्मीयता बनाम अलगाव (Affirity v/s isolation) ➖ (20 से 30वर्ष)
यह अवस्था तरुण वयस्कता अवस्था होती है |
जीविकोपार्जन समाज के सदस्य से घनिष्ठता तथा स्वयं के साथ घनिष्ठता आदि के लिए क्या काम करता है |
अगर समाज के ही सदस्य के प्रति घनिष्ठता नहीं बना पाते तो खुद में खोए रहते हैं किसी से संतोष जनक संबंध नहीं रखते यह मनोविकार तथा सामाजिक हो जाते हैं |
7. उत्पादकता बनाम स्थिरता (Productivity v/s sustrability) ➖ (30 से 65वर्ष)
यह अवस्था मध्यवयस्कता की अवस्था होती है |
इस अवस्था में व्यक्ति भावी पीढ़ी का कल्याण और समाज को उन्नत बनाना और सबल सजग होते है |
और अगर ऐसा ना हो तो आगे नहीं बढ़ पाते संघर्ष करता है सामाजिक शक्ति आगे नहीं बढ़ पाती है और कुछ हासिल नहीं कर पाते है |
8. संपूर्णता बनाम निराशा (Wholness v/s frustration) ➖
(60 से ……जीवन के अन्तकाल तक)
परिपक्वता ( Maturity)
अवस्था को वृद्धावस्था कहा जाता है | इसमें व्यक्ति स्वास्थ्य सामज के प्रति समायोजन करता है तो सम्पूर्णता का अनुभव करता है और अतीत सकारात्मकता आती है |
और अगर ऐसा नहीं करता तो उसमें कमी निराशा और सोच नकारात्मकता होती है |

Notes by ➖ Ranjana Sen

Intelligence part-3 for CTET & TET notes by India’s top learners

🤔त्रिआयामी बुद्धि का सिद्धांत🤔

three dimensional intelligence

इसे गिलफोर्ड ने दिया है
गिलफोर्ड में तीन मानसिक योग्यता के आधार पर बुद्धि संरचना की व्याख्या प्रस्तुत की गिलफोर्ड का बुद्धि संरचना का सिद्धांत त्रिविमीय बौद्धिक मॉडल कहलाता है

mental ability 👉 इसके 3 आयाम हैं

content विषय वस्तु
👇
📘👉 operation संक्रिया
👇
product उत्पाद

पहले इसे 5*5*6=150 कहते थे
अब इसे 5*6*6= 180 कहते हैं

ठोस और तरल का सिद्धांत

ठोस और तरल का सिद्धांत R Bकैटल के द्वारा दिया गया

इन्होंने अपने सिद्धांत में ठोस को वातावरण और तरल को अनुवांशिकता कहा है
ठोस 👉 वातावरण envarment
तरल 👉 अनुवांशिकता heridity
जीवन के प्रारंभ से हमें जो अनुवांशिकता के गुण मिलते हैं वह जीवन के अंत तक होते हैं
अर्थात अनुवांशिकता से जो गुण आते हैं वह कभी नहीं जाते हमेशा बने रहते हैं वातावरण के प्रभाव से उनमें कुछ परिवर्तन जरूर आ जाता है

multidimensional intelligence
बहुआयामी बुद्धि
इसे कैली और thurstonने दिया

कैली 👉बुद्धि का निर्माण किसी स्थिति में बौद्धिक व्यवहार रुचि शारीरिक योग्यता है
वांचिक योग्यता
संगीतात्मक योग्यता

thurston 👉 प्राथमिक मानसिक योग्यता
👉 तार्किक योग्यता
👉 समस्या समाधान
👉 स्थानिक योग्यता
👉 सांख्यिकी योग्यता

🙏🙏🙏🙏🙏🙏sapna sahu🙏🙏🙏🙏🙏

🌼🌼🌼Three Dimensional intelligance (त्रिआयामी बुद्धि का सिद्धांत)
🌼🌼प्रवर्तक– गिलफोर्ड(Guilford)

🌼🌼 तीन मानसिक योग्यता के आधार पर बुद्धि संरचना की व्याख्या प्रस्तुत की ||गिलफोर्ड का बुद्धि संरचना का सिद्धांत त्रिविमीय बौद्धिक मॉडल कहलाता है

🌼5*5*6=150 ( सन्1977 मे दिया था)
🌼5*6*6=180( सन् 1980 मे दिया था)

🌼1.विषय वस्तु (content)
🌼2.संक्रिया( operation)
🌼3. उत्पाद( product)

🌼🌼ठोस और तरल सिद्धांत 🌼🌼
🌼 प्रवर्तक–R.B cattle

🌼🌼1. Enviornment (crystalized /ठोस )
🌼🌼2. Heridity ( fluid /तरल)

🌼🌼 Multi – Dimansional intelligance ( बहुआयामी बुद्धि)

🌼 प्रवर्तक- कैली और थर्स्टन
🌼🌼 कैली के अनुसार–बुद्धि का निर्माण किसी स्थिति में बौद्धिक व्यवहार ,रुचि, शारीरिक योग्यता ,वाचिक योग्यता ,संगीतात्मक योग्यता है

🌼🌼 थर्सटन के अनुसार —
🌼प्राथमिक मानसिक योग्यता
🌼तार्किक योग्यता
🌼समस्या समाधान
🌼स्थानिक योग्यता
🌼 संख्यिक योग्यता

🌼🌼🌼 manjari soni 🌼🌼
⛳Three dimensional intelligence⛳
( त्रि-आयामी बुद्धि सिद्धांत )

इस सिद्धांत के प्रतिपादक गिलफोर्ड है .
गिलफोर्ड महोदय ने तीन मानसिक योग्यताओं के आधार पर बुद्धि की संरचना की व्याख्या प्रस्तुत की गिलफोर्ड का यही बुद्धि संरचना का सिद्धांत त्रिविमीय या त्रिआयामी बौद्धिक मॉडल कहलाता है.
इस सिद्धांत के अनुसार अगर इन तीन आयामों में से एक भी आयाम कम हो तो व्यक्ति की बुद्धि पूर्ण नहीं मानी जाएगी.
गिलफोर्ड के द्वारा बताए गए त्रिआयामी बुद्धि के तीन आयाम निम्न प्रकार है—
१ विषय वस्तु (content) — समस्या समाधान के लिए जिस सामग्री की आवश्यकता होती है उसे विषय वस्तु कहते हैं.
२. संक्रिया (operation) – समस्या समाधान के लिए व्यक्ति जिस मानसिक प्रक्रिया से गुजरता है उसे संक्रिया कहते हैं.
३ उत्पाद (product) — समस्या समाधान में जिस रूप में सूचनाएं प्राप्त हुई उसे उत्पाद कहते हैं
अर्थात गिलफोर्ड के त्रिआयामी सिद्धांत के आधार पर हम कह सकते हैं कि अगर आपके पास विषय वस्तु है,और आपने उस पर संक्रिया नहीं की,तो आपको उत्पाद की प्राप्ति नहीं हो सकती।
👉🏻 गिलफोर्ड ने संक्रिया, विषय वस्तु ,और उत्पाद के निम्न अवस्थाएं बताई है-
5*4*6=120( प्रारंभ में)
5*5*6=150
6*5*6=180( 1980 मे)
इस प्रकार वर्तमान में त्रिआयामी सिद्धांत में कुल कारकों की संख्या 180 है।
🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸

🌸 crystal and fluid intelligence theory🌸
(ठोस तथा तरल बुद्धि का सिद्धांत)

★इस सिद्धांत के प्रतिपादक आर बी कैटल थे।
👉🏻 इस सिद्धांत के अनुसार व्यक्ति मे जो बुद्धि है वह उसके वंशानुक्रम और वातावरण से प्रभावित होती है इन्होंने वंशानुगत वाले भाग को तरल कहां है तथा वातावरण के प्रभाव से आए अनुभव अथवा अधिगम से जो भी गुण व्यक्तिअर्जित करता हैं उन्होंने इसे ठोस बुद्धि कहां है।
★ इस सिद्धांत के अनुसार कोई भी चीज आपके वंशानुक्रम से जो मिलती है उसके आधार पर आपकी बुद्धि डिसाइड नहीं होती या नहीं करती बल्कि जो कुछ भी आपने वातावरण से सीखा है या अर्जित किया है उससे आपकी बुद्धि कैसी है यह डिसाइड होता है। उदाहरण के लिए कोई बच्चा जब वह 12 वर्ष का था तब उसमें वंशानुक्रम के गुण जो थे अब वह 25 वर्ष का हो गया है तब भी उसमें वंशानुक्रम के गुण वही रहेंगे अर्थात वंशानुक्रम से मिले गुण पूरी उम्र चलते रहते हैं या वही रहते हैं । अब हम वातावरण की बात करें तो जब बच्चा 12 वर्ष का था तो उसमें वातावरण से जो गुण मिले थे वह कम थे और वही बच्चा जब 25 वर्ष की अवस्था में पहुंचता है तो उसमें काफी परिवर्तन देखने को मिलता है उसके वातावरणीय गुणों में बहुत विकास हो चुका होता है।
अत: हम कह सकते हैं कि जो तरल बुद्धि होती है वह वंशानुक्रम से प्राप्त जो गुण होते हैं वह उतने ही रहते हैं और जीवन भर चलते हैं और जो वातावरण से हम अर्जित करते हैं वह हमें वातावरण से मिलते रहते हैं और उनका विकास होते रहता है।
🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸

Multy dimensional intelligence
(बहुआयामी बुद्धि सिद्धांत)
★ इस सिद्धांत के प्रतिपादक कैली और थर्स्टन थे.

👉🏻 इस सिद्धांत के अनुसार जो हमारी योग्यता होती है वह हमारी अलग अलग सिचुएशन पर निर्भर करती है
★ कैली के अनुसार—” बुद्धि का निर्माण किसी स्थिति में बौद्धिक व्यवहार रुचि शारीरिक योग्यता है”.
उदाहरण के लिए कोई अच्छा गाता है या कोई अच्छा डांस करता है तो अलग अलग आयाम होते हैं और हर आयाम में आप की अलग-अलग क्षमता होती है जैसे वाचिक योग्यता संगीतात्मक योग्यता।
★थर्स्टन के अनुसार— प्राथमिक मानसिक योग्यता के अंतर्गत-
१.प्रत्यक्षीकरण की योग्यता
२.सांख्यिकी योग्यता
३.आगमन-निगमन की योग्यता
४.तार्किक योग्यता
५.समस्या समाधान की योग्यता
६.स्थानिक योग्यता आदि होती है

Notes by Shivee kumari 😊

🔆बुद्धि का त्रिआयामी सिद्धांत ( Three Dimensional Intelligence) ➖गिलफोर्ड

इस सिद्धांत के प्रतिपादक गिलफोर्ड है |

इन्होंने तीन मानसिक योग्यताओं के आधार पर बुद्धि संरचना की व्याख्या प्रस्तुत की |
गिलफोर्ड का बुद्धि संरचना का सिद्धांत त्रिविमीय बौद्धिक मॉडल कहलाता है |

इनके अनुसार किसी भी समस्या के समाधान के लिए उसके तीन आयामों की आवश्यकता होती है जो कि

विषय वस्तु

संक्रिया और

उत्पाद कहलाते हैं |

यदि व्यक्ति कोई समस्या का समाधान करता है तो उस समस्या के लिए एक विषय वस्तु का होना जरूरी है और उस विषय वस्तु के अनुसार उस पर व्यक्ति अपनी सोच लगाता है या मानसिक क्रिया करता है जो संक्रिया कहलाती है तथा उस संक्रिया के आधार पर एक रिजल्ट प्राप्त होता है एक परिणाम प्राप्त होता है जिसे उत्पाद कहा जाता है |

गिलफोर्ड के अनुसार यदि समस्या समाधान के लिए हम
विषय वस्तु पर संक्रिया नहीं करेंगे , उस पर अपना तर्क वितर्क नहीं लगाएंगे तो उत्पाद प्राप्त नहीं हो सकता है परिणाम प्राप्त नहीं हो सकता है |

गिलफोर्ड ने विषय वस्तु, संक्रिया और उत्पाद की विभिन्न अवस्थाएं बताया है➖

5×4×6=120 ( प्रारंभ में 1967)

5×5×6=150 (1977)

5×6×6=180 (1980 )

🔆 ठोस और तरल का सिद्धांत➖ आर. बी सिद्धांत

इस सिद्धांत के प्रतिपादक आर बी कैटल है इन्होंने ठोस को वातावरण या पर्यावरण तथा तरल को अनुवांशिकता एवं वंशानुक्रम का नाम दिया |

उन्होंने बताया कि अनुवांशिकता से जो गुण प्राप्त होते हैं वह तरल कि जैसे होते है निरंतर बहते रहते हैं जिनको हम वातावरण के द्वारा अपने अनुभव से स्थिर कर सकते हैं उसे हम ठोस का आकार दे सकते हैं |

🔆 बहुआयामी बुद्धि ➖ कैली और थर्सटन

इस सिद्धांत के प्रतिपादक कैली और थर्सटन को माना जाता है |

🍀 कैली ➖

इनके अनुसार बुद्धि का निर्माण किसी स्थिति में बौद्धिक व्यवहार, रुचि ,और शारीरिक योग्यता है |
बुद्धि की योग्यताएं कई प्रकार की हो सकती है जैसे रूचि की योग्यता ,ससंगीतात्मक योग्यता आदि |

🍀 थर्सटन ➖

इनके अनुसार बुद्धि प्राथमिक मानसिक योग्यताओं का समूह है ➖

1) तार्किक योग्यता

2) समस्या समाधान संबंधी योग्यता

3) स्थानिक योग्यता

4) शाब्दिक योग्यता

5) सांख्यिकीय योग्यता

6) आगमनात्मक / निगमनात्मक तर्क |

नोट्स बाॅय➖ रश्मि सावले

🌻🌼🌺🌸🍀🌻🌼🌺🌸🌻🌸🌺🌼🍀🌻🌸🌺🌼🍀
🍁त्रिआयामी बुद्धि का सिद्धांत (three dimensional intelligence)

🟠प्रवर्तक – गिलफॉर्ड (Guilford)

🎯तीन मानसिक योग्यता के आधार पर बुद्धि संरचना की व्याख्या प्रस्तुत की का बुद्धि संरचना
का सिद्धांत त्रिविमीय बैद्घिक मॉडल कहलाता है ।

🟠5*5*6=150 (सन 1977 में दिया था )
⚫5*6*6=180 (सन 1980 में दिया था )

🟣इस प्रकार वर्तमान में त्रिआयामी सिध्दांत में कुल करके की संख्या 180है ।

1.विषय वस्तु
2. संक्रिया
3.उत्पाद

🍁ठोस और तरल सिध्दांत का सिद्धांत

🟣प्रवर्तक -अर बी कैटल

🟡वातावरण को ठोस बुद्धि और
अनुवांशिकता को तरल बुद्धि कहा है
🔵इस सिद्धांत के अनुसार कोई भी चीज आपको वांशानुक्रम से मिलती है उसके आधार पर आपकी बुद्धि को पहचाना नहीं जा सकता बल्कि जो कुछ भी अपने वातावरण से सीखा है या अर्जित किया है उससे आपकी बुद्धि कैसी है ये पता लगाया जा सकता है

🟣 बहुआयामी बुद्धि सिद्धांत

प्रतिपादन ➖कैली और थरस्टन

🔴 इस सिद्धांत के अनुसार जो हमारी योग्यता होती है वह हमारी अलग अलग स्थिति पर निर्भर करती है
🍁कैली के अनुसार बुद्धि का निर्माण किसी स्तिथि में बौद्धिक व्यवहार रुचि शारिरिक योग्यता।

🍁Tharstan के अनुसार ➖

प्राथमिक मानसिक योग्यता के अंतर्गत ➖
1प्रत्यक्षीकरण की योग्यता
2सांख्यिकी योग्यता
3 आगमन निगमान की योग्यता
4 तार्किक योग्यता
5 समस्या समाधान की योग्यता
6 स्थानिक योग्यता आदि

Notes by 📝📝📝📝Arti savita

🧠 🧠🧠 ( त्रि-आयामी बुद्धि सिद्धांत )🧠🧠🧠
🧠🧠( 3-D Intelligence )🧠🧠
🧠Three Dimensional Intelligence🧠
इसमे तीन आयाम होते है÷,

1️⃣➡️ X-axis विषय वस्तु (Content)
2️⃣➡️ Y-axis संक्रिया (Operation)
3️⃣➡️ Z-axis उत्पाद (product)

💨इस सिद्धांत के प्रतिपादक- गिलफोर्ड है ।

🌱इन्होंने तीन मानसिक योग्यताओं के आधार पर बुद्धि संरचना की व्याख्या प्रस्तुत की, गिलफोर्ड का यही बुद्धि संरचना का सिद्धांत त्रिविमीय या त्रिआयामी बौद्धिक मॉडल कहलाता है।

💞💞(Multi ability visualized in 3 CATEGORIES💞💞÷

🔥 5*4*6=120(INTITALLY)
🔥 5*5*5=150
AFTER
🔥 5*6*6=180(1980)(FINALY)

इस सिद्धांत के अनुसार अगर इन तीन आयामों में से एक भी आयाम कम हो तो व्यक्ति की बुद्धि पूर्ण नहीं मानी जाती है।

👨🏻‍🏫💦जैसे-एक बालक ने CDP की practice set वा Theory book दोनो को मंगा ली और उस पर संक्रिया(तत्परता ,वा मनन तर्क के साथ अध्ययन ही नहीं किया तो पेपर अच्छा होगा ही नहीं तो रिजल्ट भी अच्छा नहीं होगा, अर्थात-उत्पाद भी नहीं हुआ अगर विषय-वस्तु पर संक्रिया नहीं हुई तो;

💦गिलफोर्ड के द्वारा बताए गए त्रिआयामी बुद्धि के तीन आयाम निम्नलिखित है—

💫1- विषय वस्तु (content) — समस्या समाधान के लिए जिस सामग्री की आवश्यकता होती है उसे विषय वस्तु कहते हैंl

💫२. संक्रिया (operation) – समस्या समाधान के लिए व्यक्ति जिस मानसिक प्रक्रिया से गुजरता है उसे संक्रिया कहते हैंl

💫३ उत्पाद (product) — समस्या समाधान में जिस रूप में सूचनाएं प्राप्त हुई उसे उत्पाद कहते है।

🧠🧠 ठोस तथा तरल बुद्धि का सिद्धांत
(Fluid and crystallized Theory)

💦इस सिद्धांत के प्रतिपादक -आर बी कैटल थे।

💨इनके अनुसार व्यक्ति मे जो बुद्धि है वह दो चीजो से प्रभावित होती है।

🔥१-वंशानुक्रम=तरल (अनुवांशिकता)
🔥२-वातावरण=ठोस

💨इन्होंने वंशानुक्रम से भाग को तरल कहां है तथा वातावरण के प्रभाव से आए अनुभव अथवा अधिगम से जो भी गुण व्यक्ति होते है उसे ठोस बुद्धि कहां;

💨वंशानुक्रम जीवन प्रारंभ से लेकर अंत तक चलते रहते हैं किंतु बाहरी वातावरण के प्रभाव से जो भी प्रभावित होता है तरल(वंशानुक्रम) के प्रभाव से अधिक प्रभावी होता है।

👨🏻‍🏫💦 जैसे÷ आज से १० वर्ष पूर्व फोटो में खुद को देखे और आज की फोटो देखे दोनो में बहुत अधिक फर्क दिखेगा ,
किंतु यहां जो फर्क हुआ 10 वर्ष पूर्व और 10 वर्ष बाद 1 साल काम की वजह से नहीं बल्कि वातावरण की वजह से हुआ।

🧠🧠 Multi dimensional intelligence🧠🧠
🧠 (बहुआयामी बुद्धि सिद्धांत) 🧠

💦इसके प्रतिपादक कैली और थर्स्टन थे.

🔥 इस सिद्धांत के अनुसार जो हमारी योग्यता होती है वह हमारी अलग अलग स्थति (Situation)पर निर्भर करती है;

🔥💨 कैली के अनुसार—” बुद्धि का निर्माण किसी स्थिति में बौद्धिक व्यवहार रुचि शारीरिक योग्यता है”.
उदाहरण ÷अलग अलग-अलग प्रतिभा वा रुचि, योग्यता के अनुसार बुद्धि का भी अलग होना,

🔥💨अपनी अपनी रुचि के अनुसार किसी को खाना पकाना अधिक पसंद है तो किसी को चित्रकारिता में रुचि है इत्यादि।

💦थर्स्टन के अनुसार(1983)— प्राथमिक मानसिक योग्यता के अंतर्गत÷

🔥1-.प्रत्यक्षीकरण की योग्यता

🔥2-.सांख्यिकी योग्यता

🔥3-.आगमन-निगमन की योग्यता

🔥4-.तार्किक योग्यता

🔥5-.समस्या समाधान की योग्यता

🔥6-.स्थानिक योग्यता आदि होती है।

💦🔥🔥Notes by -shikhar pandey🔥🔥💨

🌹 three dimensional intelligence 🌹
(त्रि आयामी बुद्धि सिद्धांत)
👉 इस सिद्धांत के प्रतिपादक गिलफोर्ड हैं।
👉गिलफोर्ड ने तीन मानसिक योग्यताओं के आधार पर बुद्धि संरचना की व्याख्या प्रस्तुत की गिलफोर्ड का बुद्धि संरचना का सिद्धांत त्रिविमीय बौद्धिक मॉडल कहलाता है।
👉 गिलफोर्ड ने त्रिआयामी बुद्धि के 3 आयाम बताए हैं –
🔘 विषय वस्तु (content)
🔘 संक्रिया (operation)
🔘 उत्पाद (product)
👉 गिलफोर्ड द्वारा बताए गए त्रिआयामी सिद्धांत में कुल कारकों की संख्या—
▫️5*4*6=120 (सन 1967 में दिया)
▫️5*5*6=150(सन 1977 में दिया)
▫️6*5*6=180(सन 1980 में दिया)
👉 वर्तमान में कुल कारकों की संख्या 180 है।
🌹 Crystal and fluid intelligence theory 🌹
(ठोस तथा तरल बुद्धि का सिद्धांत)
👉 इस सिद्धांत के प्रतिपादक आर • बी•कैटल है।
👉इन्होंने बुद्धि को ठोस तथा तरल की अवस्थाओं में बाटा है ठोस वाले भाग को वातावरण और तरल वाले भाग को आनुवंशिकता में रखा है।
🌹 Multi dimensional intelligence 🌹
(बहुआयामी बुद्धि का सिद्धांत)
👉 इस सिद्धांत के प्रतिपादक कैली और थर्सटन हैं।
🔶 कैली के अनुसार:~बुद्धि का निर्माण किसी स्थिति में बौद्धिक व्यवहार रुचि शारीरिक योग्यता है।
◽ वाचिक योग्यता
◽ संगीतात्मक योग्यता
🔶 थर्सटन के अनुसार:~प्राथमिक मानसिक योग्यता के अंतर्गत~
🔸 तार्किक योग्यता
🔹 समस्या समाधान
🔸 स्थानिक योग्यता
🔹 सांख्यिकी योग्यता
▪️▪️▪️
🌹🌹🌹✍️ Notes by~Vinay Singh Thakur
🌸🌸 त्रिआयामी बुद्धि का सिद्धांत🌸🌸

👉🏼 इस सिद्धांत के प्रतिपादक गिलफोर्ड है।
👉🏼 दिल फोड़ने 3 मानसिक योग्यताओं के आधार बुद्धि संरचना की व्याख्या प्रस्तुत की।
👉🏼 गिलफोर्ड के बुद्धि संरचना का सिद्धांत त्रिविमीय बौद्धिक मॉडल कहलाता है।
👉🏼 गिलफोर्ड ने तीन शिक्षाएं निम्नलिखित बताएं।

1️⃣ संक्रिया (Operation)
2️⃣ विषय वस्तु (Contact)
3️⃣ उत्पादन (Product)

🌺 संक्रिया➖ संक्रिया से तात्पर्य व्यक्ति द्वारा की जाने वाली मानसिक बकरियों के स्वरूप से होता है दिए गए कार्यों को करने में व्यक्ति द्वारा की गई मानसिक प्रक्रियाओं का स्वरूप क्या है, की व्याख्या सक्रिय में होती है।

🌺 विषय वस्तु➖ इस विमा से तात्पर्य उस क्षेत्र से होता है जिसके सूचनाओं के आधार पर संक्रियाएं की जाती है।

🌺 उत्पादन➖इस विमा से तात्पर्य किसी विशेष प्रकार की विषय वस्तु द्वारा की गई संक्रिया का परिणाम होता है।

👉🏼 गिलफोर्ड द्वारा बताए गए त्रिआयामी सिद्धांत में कुल कारकों की संख्या-

♦️5*4*6 =120 (सन 1967 में दिया )
♦️5*5*6=150 (सन 1977 में दिया)
♦️6*5*6=180(सन 1980 में दिया)
👉🏼 वर्तमान में कुल कारकों की संख्या 180 है।

🔥 ठोस तथा तरल बुद्धि का सिद्धांत🔥

👉🏼 इस सिद्धांत के प्रतिपादक आर .बी. कैटल है।
👉🏼 इन्होंने बुद्धि को ठोस तथा तरल की अवस्था में बांटा ठोस वाले भाग को वातावरण और तरल वाले भाग को अनुवांशिकता में रखा है।

🔥 बहुआयामी बुद्धि का सिद्धांत🔥
👉🏼 इस सिद्धांत के प्रतिपादक के कैली और थर्सटन है।

♦️कैली के अनुसार➖ बुद्धि का निर्माण किसी स्थिति में बौद्धिक व्यवहार रुचि शारीरिक योग्यता है।

✨ वाचिक योग्यता
✨ संगीतात्मक योग्यता

♦️ थर्सटन के अनुसार➖ प्राथमिक मानसिक योग्यता के अंतर्गत

✨ तार्किक योग्यता
✨ समस्या समाधान
✨ स्थानिक योग्यता
✨ सांख्यिकी योग्यता
🖊️🖊️📚📚 Notes by…… Sakshi Sharma📚📚🖊️🖊️

🌹 त्रिआयामी बुद्धि का सिद्धांत 🌹
Three dimensional intelligence theory

प्रतिपादक :- J. P. गिलफोर्ड

प्रतिपादित किया :- 1967 में

इस सिद्धांत के अन्य नाम :-

त्रिविमीय सिद्धांत
त्रिविमीय बौद्धिक मॉडल
बुद्धि का संरचना सिद्धांत

J. P. गिलफोर्ड ने तीन मानसिक योग्यता के आधार पर बुद्धि की संरचना की व्याख्या प्रस्तुत की।

1. विषयवस्तु
2. संक्रिया
3. उत्पाद / परिणाम

1. विषयवस्तु ( 4 प्रकार )

१. आकृतिक विषयवस्तु
२. सांकेतिक / प्रतीकात्मक
३. शब्दार्थ / विषयक / शाब्दिक
४. व्यवहारात्मक / व्यवहारिक ।

2. संक्रिया ( 5 प्रकार )

१ . संज्ञान
२. स्मृति
३. परंपरागत चिंतन
४. अपरंपरागत चिंतन
५. मूल्यांकन ।

3. उत्पाद ( 6 प्रकार )

१. इकाई
२. वर्ग
३. संबंध
४. प्रणाली
५. रूपांतरण
६. निहितार्थ ।

🌻 गिलफोर्ड ने अपने सिद्धांत में 2 बार संशोधन किया :-

पहला संशोधन किया [ सन् 1977 ]

इसमें “आकृतिक” की जगह “दृश्य” और “श्रव्य” कारक की बात की।

दूसरा संशोधन किया [ सन् 1980 ]

इसमें संक्रिया के “स्मरण ” की जगह ” स्मृति धारणा ” और ” स्मृति लेखन ” की बात की गई।

अतः मूल सिद्धांत में कारकों की संख्या :-

4 * 5 * 6 = 120 [ सन् 1967 में दिया ]

प्रथम संशोधन के बाद कारकों की संख्या :-

5 * 5 * 6 = 150 [ सन् 1977 में दिया ]

द्वितीय संशोधन / वर्तमान कारकों की संख्या :-

6 * 5 * 6 = 180 [ सन् 1980 में दिया ]

🌹 ठोस और तरल बुद्धि का सिद्धांत 🌹
Crystallized & Fluid intelligence theory

प्रतिपादक :- R. B. कैटल

ठोस Crystallized :-

ठोस बुद्धि जो कि व्यक्ति के पर्यावरण / वातावरण Environment पर निर्भर करती है।

तरल Fluid :-

तरल बुद्धि आनुवंशिकता Heredity पर निर्भर करती है, जैसे व्यक्ति कीआनुवंशिकता विशेतायें पीढ़ी दर पीढ़ी एक तरल रूप में आगे बढ़ती रहती हैं।

🌹 बहु आयामी बुद्धि 🌹
Multi dimensional Intelligence

प्रतिपादक :- ” कैली ” और ” थर्स्टन ”

कैली के अनुसार :-

बुद्धि का निर्माण किसी स्थिति में बौद्धिक व्यवहार , रुचि , शारीरिक योग्यता है। जैसे :-

वाचिक योग्यता
संगीतात्मक योग्यता

थर्स्टन के अनुसार :-

प्राथमिक मानसिक योग्यता के अंतर्गत :-
तार्किक योग्यता
समस्या समाधान
स्थानिक योग्यता
सांख्यकी योग्यता ।

🌹 ✒️ Notes by – जूही श्रीवास्तव ✒️🌹

🌀त्रि-आयामी बुद्धि का सिद्धान्त ➖
इस सिद्धान्त का प्रतिपादक – (गिलफोर्ड)
तीन मानसिक योग्यता के आधार पर बुद्धि संरचना की व्याख्या प्रस्तुत की |
गिलफोर्ड का बुद्धि संरचना का सिद्धान्त त्रिविमीय बौद्धिक माॅडल कहलाता है |
इस मॉडल के अंतर्गत 5×5×6 =150 कोष कारक बनाये गये थे |
अब इस मॉडल के अंतर्गत 5×6×6 =180 कोष / कारक बनाये गये है |
गिलफोर्ड के अनुसार मानसिक योग्यता प्रमुख रूप से तीन तत्वों से निर्मित है |
◼संक्रिया
◼विषय वस्तु
◼उत्पाद
1.- संक्रिया – समस्या समाधान के लिए व्यक्ति जिस मानसिक प्रक्रिया से गुजरता है उसी संक्रिया कहते हैं |
2.- विषय वस्तु – समस्या समाधान के लिए जिस सामग्री की आवश्यकता होती है उसे विषय वस्तु कहते हैं |
3.- उत्पाद – समस्या समाधान के लिए जिस रूप में सूचनाएं प्राप्त होती है उसे उत्पाद कहते हैं |

🌀ठोस और तरल का सिद्धान्त ➖

इस सिद्धान्त का प्रतिपादक – R.B.cattle (आ.बी. कैटल)
Heredity (वंशानुक्रम) – तरल / (Fluid)
Environment (वातावरण) – ठोस / (crystallized)

🌀 बहुआयामी बुद्धि ( Multi Dimensional intelligence) ➖
इस सिद्धान्त का प्रतिपादक – कैली और थर्सटन
कैली – बुद्धि का निर्माण किसी स्थिति मे बौद्धिक व्यवहार रूचि शारीरिक योग्यता है |
वाचिक योग्यता , संगीतात्मक योग्यता

थर्सटन ➖ प्राथमिक मानसिक योग्यता तार्किक योग्यता ,समस्या समाधान योग्यता, स्थानिक या दृश्य योग्यता , सांख्यिकी योग्यता स्मृति संबंधी योग्यता आगमनात्मा की योग्यता और निगमनात्मक योग्यता | अधिकतर मनोवैज्ञानिको ने के केली और थर्सटन के बुद्धि सिद्धांतो की आलोचना की किंतु अधिकतर मनोवैज्ञानिकों ने यह भी माना कि बुद्धि बहुआयामी होना निश्चित तौर पर संभव है बहु बहुआयामी बुद्धि होने के कारण ही कुछ लोग कई प्रकार के कौशलो में निपुण होते हैं |

Notes by ➖ Ranjana sen

Eric Erickson’s psychosocial theory part-1 for CTET & TET notes by India’s top learners

💫💫Eric Erickson’s psychosocial theory💫💫

➡️(एरिक्सन का मनोसामाजिक सिद्धांत)

➡️सिग्मन फ्रायड-मनोविश्लेष्णात्मक सिद्धांत

🌺Note-एरिक्सन का मनोसामाजिक सिद्धांत ,सिग्मन के मनोविश्लेषणात्मक सिद्धांत से प्रभावित अवश्य था लेकिन,किंतु,परंतु इन्होंने बहुत कुछ तथ्य नये भी जोड़े थे।

👨🏻‍🏫 ➡️ एरिक्सन ने मानवीय व्यक्तित्व के विकास में सामाजिक और ऐतिहासिक कार्यों की भूमिका को स्वीकार किया है इसलिए भी इन्हें मनोसामाजिक सिद्धांत का जनक कहा जाता है।

➡️ मानव प्रकृति के संबंध में पूर्व कल्पनाएंl

🌱🌱एरिकसन में तीन तत्वों को मानव प्रकृति माता गाना है÷🌱🌱

1️⃣ ➡️ पूर्णतावाद

2️⃣ ➡️ पर्यावरणीयता

3️⃣ ➡️ परिवर्तनशीलता

💨मानव व्यक्तित्व को अलग-अलग अवस्था से होकर गुजरना होता है-

💦इदम् I’d

💦अहम् Ego

💦परम अहम् Super Ego

🔥व्यवस्था पहले से ही निश्चित और शाश्वत होती है;
इतना ही नहीं विकास की ये अवस्थाएं विशिष्ट मिशन द्वारा संचालित एवं नियंत्रित होती हैं पश्चजात (Epigenetic) कहते हैं।

🔥मनोसामाजिक विकास की प्रत्येक अवस्था में 3-R होते हैं, जिन्हें इरिक्सन का (3-R theory ) कहते हैं।

💦Ritualization (कर्मकांडता)

💦Ritual (कर्मकांड)

💦Retualism (कर्मकांडवाद)

👉👉कर्मकांडता (Ritualization)👈👈

👉समाज के व्यक्ति के साथ सांस्कृतिक रूप से स्वीकार किए गए तरीकों को व्यवहार का अंतः क्रिया करना।

👉👉 (Ritual)👈👈

👉व्यस्त लोगों के समूह कारक के स्वरूप की मूल घटनाओं को दिखाने के लिए किया गया कार्य

👉👉. ( Ritualism)👈👈

👉कर्मकांडता में जो विराट उत्पन्न होता है ;उसे एरिक्सन के कर्मकांड वाद का नाम दिया है, उसमें प्राणी का ध्यान स्वयं के ऊपर रहता है।

🌼🌼 Thank you🌼🌼
🌺🌺 Written by ➡️ Shikhar pandey 💫

🌼एरिक्सन का मनोसामाजिक सिद्धांत🌼
🌼 मनोविश्लेषणात्मक सिद्धांत- सिगमंड फ्रायड 🌼

🌼🌼एरिक्सन ने मानवीय व्यक्तित्व का विकास में सामाजिक एवं ऐतिहासिक कारकों की भूमिका को स्वीकार किया है इसलिए भी इसे मनोसामाजिक सिद्धांत कहा जाता है

🌼 मानव प्रकृति के संबंध में पूर्व कल्पनाए-
🌼🌼 ऐरिक्सन ने तीन तत्वों को मानव प्रकृति मे महत्वपूर्ण माना है
🌼🌼1.पूर्णताबाद
🌼🌼2.पर्यावरणीयता
🌼🌼3.परिवर्तनशीलता

🌼2. Id, /ego/super ego –मानव व्यक्तित्व का अलग-अलग अवस्थाओं से गुजरता है
🌼यह अवस्थाएं पहले से निश्चित और सास्वत होते हैं इतना ही नहीं विकास की यह अवस्थाएं विशिष्ट नियम द्वारा संचालित एवं नियंत्रित होती है इसी पश्चजात( epigenetic) नियम कहते हैं

🌼🌼 मनोसामाजिक विकास की प्रत्येक अवस्था में 3-R होते हैं जिन्हें ऐरिक्सन का 3-R theory कहते हैं

🌼🌼1. Ritualization (कर्मकांडता)
🌼🌼2. Ritual(कर्मकांड )
🌼🌼3.Ritualism (कर्मकांड वाद)

🌼🌼. 1.Ritualization (कर्मकांडता )–समाज के व्यक्ति के साथ संस्कृति तत्व से स्वीकार किए गए तरीकों से व्यवहार या अंतः क्रिया करना

🌼🌼2. Ritual(कर्मकांड) –वयस्क लोगों के समूह द्वारा आवृती स्वरूप की तुलना घटनाओं को दिखाने के लिए किया गया कार्य! ।

🌼🌼3.Ritualism(कर्मकांडवाद)– कर्मकांडता में जो विकार उत्पन्न होता है उसे एरिक्सन ने कर्मकांड वाद का नाम दिया है इस मे प्राणी का ध्यान स्वयं के ऊपर रहता है

🌼🌼🌼🌼🌼by manjari soni🌼🌼

एरिक्सन का मनोसामाजिक सिद्धांत
Eric Erickson phychosocial Theory

एरिक्सन का जन्म जर्मनी में हुआ था और इनकी मृत्यु अमेरिका में हुई थी इन्हें जर्मनी- अमेरिकन मनोवैज्ञानिक कहते हैं।

एरिक्सन का मनोसामाजिक सिद्धांत ,सिगमंड फ्रायड के मनोविश्लेषणात्मक सिद्धांत से प्रभावित अवश्य था लेकिन साथ ही एरिक्सन ने इसमें कुछ नया भी जोड़ा था।

एरिक्सन ने मानवीय व्यक्तित्व के विकास में सामाजिक और ऐतिहासिक कारकों की भूमिका को स्वीकार किया है।
इसलिए भी इसे मनोसामाजिक सिद्धांत कहा जाता है इसे एरिक्सन का व्यक्तित्व का सिद्धांत भी कहते हैं।

एरिक्सन की मानव प्रकृति के संबंध में निम्न पूर्व कल्पनाएं है-

1. एरिक्सन ने तीन तत्वों को मानव प्रकृति में महत्वपूर्ण माना है
👉पूर्णतावाद perfectionism
👉पर्यावरणीयता environmentality
👉परिवर्तनशीलता variability

जब पर्यावरण में परिवर्तन होगा तो वह पूर्णता की तरफ जाता है।

2. Id,Ego & Super Ego-. मानव अलग-अलग अवस्था से गुजरता है ।इड,इगो,सुपर इगो

ये अवस्था पहले से निश्चित और शाश्वत होती है।
इतना ही नहीं विकास की ये अवस्थाएं विशिष्ट नियम द्वारा संचालित एवं नियंत्रित होती हैं जिसे पश्चजात epigenetic नियम कहते हैं।

मनोसामाजिक विकास की प्रत्येक अवस्था में 3-R होते हैं जिन्हें एरिकसन का 3-R Theory कहते हैं।

1.Ritulization कर्मकांडता
2.Ritual कर्मकांड
3.Ritualism कर्मकांडवाद

1.Ritulization कर्मकांडता – समाज के व्यक्ति के साथ सांस्कृतिक रूप से स्वीकार किए गए तरीकों से व्यवहार या अंत:क्रिया करना कर्मकांडता कहलाता है।

2.Ritual कर्मकांड- वयस्क लोगों के समूह द्वारा आवृत्ति स्वरूप की मुख्य घटनाओं को दिखाने के लिए किया गया कार्य , कर्मकांड कहलाता है।

3.Ritualism कर्मकांडवाद- कर्मकांडता में जो विकार उत्पन्न होता है उसे एरिक्सन ने कर्मकांडवाद का नाम दिया इसमें प्राणी का ध्यान स्वयं के ऊपर ही रहता है।

Notes by Ravi kushwah

🔆 एरिक्सन का मनोसामाजिक सिद्धांत/ एरिक्सन के व्यक्तित्व का सिद्धांत ( Erick Erickson’s psycho Social Theory ) ➖

एरिक्सन का मनोसामाजिक सिद्धांत सिगमंड फ्रायड के मनोविश्लेषण सिद्धांत से प्रभावित है |

एरिक्सन ने मानवीय व्यक्तित्व के विकास में सामाजिक और ऐतिहासिक कारकों की भूमिका को स्वीकार किया इसके इसलिए भी इसे मनो सामाजिक सिद्धांत भी कहा जाता है |

मानव प्रकृति के संबंध में कुछ पूर्व कल्पना हैं ➖

🍀 एरिक्सन ने तीन तत्वों को मानव प्रकृति में महत्वपूर्ण माना है ➖

1) पूर्णताबाद
( Perfectionism)

2) पर्यावरणीयता
(Environmentality)

3) परिवर्तनशीलता
( Variability )

🍀 इदम्, अहम्, परमअहम➖
इन्होंने इस बात को माना कि व्यक्ति का जो व्यक्तित्व है वह अलग-अलग अवस्थाओं से होकर गुजरता है जो पहले से निश्चित तथा शाश्वत होती हैं इतना ही नहीं विकास की ये अवस्थाएं विशिष्ट नियम द्वारा संचालित एवं नियंत्रित होती हैं और इसको पश्चजात (Epigenetic) नियम कहते हैं |

🎯 एरिक्सन का 3 – R सिद्धांत➖

मनोसामाजिक विकास की प्रत्येक अवस्था में 3 – R होते हैं जिन्हें एरिकसन का 3 – R सिद्धांत कहते हैं |

🍀कर्मकांडता ( Ritulization) ➖

समाज के व्यक्तियों के साथ सांस्कृतिक रूप से स्वीकार किए गए तरीकों से व्यवहार या अंतः क्रिया करना ही कर्मकांडता है |

🍀 कर्मकांड ( Ritual) ➖

वयस्क लोगों के समूह द्वारा आवृत्ति स्वरूप की मुख्य घटनाओं को दिखाने के लिए किया गया कार्य कर्मकांड है |

🍀 कर्मकांडवाद( Ritualism )➖

कर्मकांडता में जो विकार उत्पन्न होता है उसे एरिक्सन ने कर्मकांडवाद का नाम दिया है इसमें प्राणी का ध्यान स्वयं के ऊपर ही रहता है |

नोट्स बाॅय➖ रश्मि सावले

🌻🍀🌼🌸🌺🌻🍀🌼🌸🌺🌻🍀🌼🌸🌺🌻🍀🌼🌸🌺
✨⭐एरिक्सन का मनोसामाजिक सिद्धांत ⭐✨

🍂सिंगमड फ्रायड — मनोविश्लेषणात्मक सिद्धांत

👉 एरिक्सन ने मानवीय व्यक्तित्व के विकास में सामाजिक और ऐतिहासिक कारकों की भूमिका को स्वीकार किया है।
इसलिए भी इसे मनोसामाजिक सिद्धांत कहा गया है।

🌟🍁मानव प्रकृति के सम्बन्ध में पूर्व कल्पनाएं 🍁🌟

🌼 एरिक्सन ने तीन तत्वों को मानव प्रकृति में महत्वपूर्ण माना है—
🕊️ पूर्णतावाद
🌷 पर्यावरणीयता
🌺 परिवर्तनशीलता

💥🌻ID/Ego/super ego 🌻💥
🌼मानव व्यक्तित्व अलग अलग अवस्था से गुजरता है।
ये अवस्था पहले से निश्चित और शाश्वत होती है इतना ही नहीं विकास की ये अवस्थाएं विशिष्ट मिथक द्वारा संचालित एवं नियंत्रित होती है।
इन्हें पश्चाजात (Epigenetic) नियम भी कहते हैं।

🌹✨ मनोसामाजिक विकास की प्रत्येक अवस्था में 3 — R होते हैं जिसे एरिक्सन का 3 -R Theory कहा जाता है।

✨R — Ritualization(कर्मकांडता)

✨R — Ritual(कर्मकांड)

✨R — Ritualism (कर्मकांडवाद)

👉 कर्मकांडता ( Ritualization) — समाज के व्यक्तियों के साथ सांस्कृतिक रूप से स्वीकार किए गए तरीकों से व्यवहार या अन्त क्रिया करना।

🌺 कर्मकांड(Ritual) —- वयस्क लोगों के समूह द्वारा आवृत्ति स्वरूप की मुख्य घटनाओं को दिखाने के लिए किया गया कार्य।

🌷 कर्मकांडवाद (Ritualism) — कर्मकांडता में जो विकार उत्पन्न होता है उसे एरिक्सन ने कर्मकांडवाद का नाम दिया है इसमें प्राणी का ध्यान स्वयं के ऊपर रहता है

✨✨✨✨✨Notes by -_— Babita yadav ✨✨✨✨✨✨

🏵️ एरिक्सन का मनोसामाजिक सिद्धांत/एरिक्सन के व्यक्तित्व का सिद्धांत (Erick Erickson’s psycho social theory)✨
👉 एरिक्सन का मनोसामाजिक सिद्धांत सिगमंड फ्रायड के मनोविश्लेषणात्मक सिद्धांत से प्रभावित है।
👉 एरिक्सन ने मानवीय व्यक्तित्व के विकास में सामाजिक और ऐतिहासिक कारकों की भूमिका को स्वीकार किया है इसलिए भी इसे मनोसामाजिक सिद्धांत कहा जाता है मानव प्रकृति के संबंध में पूर्व कल्पनाएं हैं।
1️⃣ एरिक्सन ने तीन तत्वों को मानव प्रकृति में महत्वपूर्ण माना है-
1️⃣ पूर्णता बाद
2️⃣ पर्यावरणीयता
3️⃣ परिवर्तनशीलता
2️⃣ Id/Ego/Super Ego-
👉 मानव व्यक्तित्व अलग-अलग अवस्था से गुजरता है यह अवस्था पहले से निश्चित और शाश्वत होती है इतना ही नहीं विकास की अवस्थाएं विशिष्ट नियम द्वारा संचालित एव नियंत्रित होती है पश्चजात(Epigenetic) कहते हैं।
👉 मनोसामाजिक विकास की प्रत्येक अवस्था में 3-R होते हैं।
जिन्हें एरिकसन का 3-R theory कहते हैं।
1️⃣Rituacization(कर्मकांडता)
2️⃣Ritual(कर्मकांड)
3️⃣Ritualism(कर्मकांड बाद)
🧚 कर्मकांडता—
👉समाज के व्यक्ति के साथ सांस्कृतिक रूप से स्वीकार किए गए तरीकों से व्यवहार या अंत: क्रिया करना।
🧚 कर्मकांड—
👉 वयस्क लोगों के समूह द्वारा आवृत्ति स्वरूप की मूल्य घटनाओं को दिखने के लिए किया गया कार्य।
🧚 कर्मकांडबाद –
👉 कर्मकांडता में जो विकार उत्पन्न होता है उसे एरिक्सन ने कर्मकांडबाद का नाम दिया है इससे प्राणी का ध्यान स्वयं के ऊपर ही रहता है।
🏵️🌸💖Thank you🏵️🌸💖
💖💖🌸🏵️ Notes by-Vinay Singh Thakur
एरिक्सन का मनोसामाजिक / व्यक्तित्व सिद्धांत
Ericksons psychosocial theory

सिगमंड फ्रायड का मनोविश्लेषणात्मक सिद्धांत
इसके अंदर id ,igo, super igo आते हैं

एरिक्सन ने मानवीय व्यक्तित्व के विकास में सामाजिक और ऐतिहासिक कारणों की भूमिका को स्वीकार किया है इसलिए इसे मनोसामाजिक सिद्धांत कहा जाता है

मानव प्रकृति के संबंध पूर्व कल्पनाएं
1 Ericsson ने तीन तत्वों को मानव प्रकृति में महत्वपूर्ण माना है
1 पूर्णतावाद perfectionism
2 pryavrniyta
3 परिवर्तनशीलता। valiability

id, igo,super igo से सबको गुजारना है

यह अवस्था पहले से निश्चित और सास्वत होती है इतना ही नहीं विकास की अवस्थाएं विशिष्ट मिशन द्वारा संचालित एवं नियंत्रित इसे ही Epigenetic कहते हैं

मनोसामाजिक विकास की प्रत्येक अवस्था में 3r होते हैं जिन्हें एरिकसन का 3 R कहते हैं

1Ritualization कर्मकांडता
2 Ritual कर्मकांड
3Ritualism कर्मकांडवाद
1 कर्मकांडता

समाज के व्यक्ति के साथ सांस्कृतिक रूप से स्वीकार किए गए तरीकों से व्यवहार या अंतः क्रिया करता है

2 कर्मकांड

वयस्क लोगों के समूह द्वारा आवृत्ति स्वरूप की मुख्य घटनाओं को देखने के लिए किया गया कार्य

3 कर्मकांडवाद

कर्मकांड में जो बिकार उत्पन्न होता है उसे एरिक्सन ने कर्मकांडवाद का नाम दिया है इसमें प्राणी का ध्यान स्वयं पर रहता है

🙏🙏🙏🙏🙏🙏sapna sahu🙏🙏🙏🙏🙏🙏

⛳एरिक्सन का मनोसामाजिक सिद्धांत⛳
(Eric- Erickson’s psycho-social theory)

👉🏻एरिकसन जर्मन अमेरिकन मनोवैज्ञानिक थे।

👉🏻एरिक्सन का मनोसामाजिक सिद्धांत फ्रायड के मनोविश्लेषणात्मक सिद्धांत से प्रेरित है।
एरिक्सन ने मानवीय व्यक्तित्व के विकास में सामाजिक और ऐतिहासिक कारकों की भूमिका को स्वीकार किया है। इसलिए भी इसे मनोसामाजिक सिद्धांत कहा जाता है।

एरिक्सन के अनुसार मानव प्रकृति के संबंध में पूर्व कल्पनाएं निम्नलिखित है—
१. एरिक्सन ने तीन तत्वों को मानव व प्रकृति में महत्वपूर्ण माना है—
A. पूर्णतावाद(perfectionism)
B.पर्यावर्णीया
C. परिवर्तनशीलता
👉🏻 एरिक्सन के अनुसार पर्यावरण में जो परिवर्तन होता है यह हमारे परफेक्शन को तय करता है.
२. मनुष्य का व्यक्तित्व अलग-अलग (jese-Ed, ego, super ego) अवस्थाओं से गुजरता है और यह अवस्थाएं पहले से निश्चित और सास्वत होती है इतना ही नहीं विकास की यह अवस्थाएं विशिष्ट नियम द्वारा संचालित एवं नियमित होती है इससे पश्चजात नियम(Epigenetic rule) कहते है.
मनोसामाजिक विकास के प्रत्येक अवस्था में 3-R होते हैं, जिन्हें एरिक्सन की 3-R थ्योरी कहते हैं.
यह 3-R निम्न है-
.१. R—Ritulization (कर्मकाण्डता)
२. R—Ritual (कर्मकांड)
३. R—Ritualism (कर्मकांडवाद)

१. Ritualization (कर्मकाण्डता) — समाज के व्यक्ति के साथ सांस्कृतिक रूप से स्वीकार किए गए तरीकों से व्यवहार या अंतः क्रिया करना कर्मकांडता कहलाता है।
२. Ritual (कर्मकांड) — वयस्क लोगों के समूह द्वारा आवृत्ति स्वरूप किये गए मूल्य, घटनाओं को दिखाने के लिए किया गया कार्य कर्मकांड कहलाता है.
३. Ritualism (कर्मकाण्डवाद) — कर्मकांड का में जो विकार उत्पन्न होता है उसे एरिक्सन ने कर्मकांडवाद का नाम दिया है इसमें प्राणी का ध्यान स्वयं के ऊपर ही रहता है

👉🏻Notes by Shivee Kumari😊

🎯(Erickson’s psychological theory)
🎯
💫एरिक्सन का मनोसामाजिक सिद्धांत💫

👉यह जर्मन,- अमेरिकन ,,(psychologist) थे।

👉एरिक्सन का मनोसामाजिक सिद्धांत सिगमंड फ्रायड के मनोविश्लेषणात्मक सिद्धांत से प्रभावित हैं।

👉एरिक्सन ने मानवीय व्यक्तित्व के विकास में सामाजिक और ऐतिहासिक कारकों की भूमिका को स्वीकार किया ।

इसलिए भी इसे मनोसामाजिक सिद्धांत कहा जाता है

💫मानव प्रकृति के संबंध में पूर्व कल्पनाएं………

🍁एरिक्सन ने तीन तत्व को मानव प्रकृति में महत्वपूर्ण माना है।

(1)पूर्णतावाद(perfectionism)
(2) पर्यावरणीयता (environmentilaity)

(3) परिवर्तनशीलता (variability)

💫Id/ego/supper ego:-मानव का व्यक्तित्व अलग-अलग अवस्था से होकर गुजरता है और यह अवस्था पहले से निश्चित और शास्वत होता है इतना ही नहीं विकास की यह अवस्था विशिष्ट नियम द्वारा संचालित एवं नियंत्रित होता है इसे पश्चाजात(epigenetic) नियम कहते हैं।

👉मनोसामाजिक विकास के प्रत्येक अवस्था में 3-R होते हैं। जिन्हें एरिक्सन का 3-R theory कहते हैं।

👉(1) Rituacization (कर्मकाडता)

👉(2) Ritual(कर्मकाड)

👉(3) Ritualism (कर्मकाण्डवाद)

(1) Rituacization ( कर्मकाण्डता):-
समाज के व्यक्ति के साथ सांस्कृतिक रूप से स्वीकार कीए गए तरीकों से व्यवहार या अंतः क्रिया करना ।

(2) Ritual(कर्मकांड):-
व्यस्क लोगों के समूह के द्वारा आवृत्ति स्वरुप की मुख्य घटनाओं को दिखाने के लिए किया गया कार्य।

(3) Ritualism (कर्मकांडवाद) :-
कर्मकाडता में जो विकार उत्पन्न होता है उसे एरिक्सन ने कर्मकांडवाद का नाम दिया है। इसमें प्राणी का ध्यान स्वयं के उपर ही रहता है।

🌼🌺🌻🙏Notes by-SRIRAM PANJIYARA 🌈🌸💥🌺🙏

💥एरिक्शन का मनोसामाजिक सिद्धांत 💥
🔅मनोविश्लेषणात्मक सिद्धांत ➖ सगमंड फ्रायड
🌀एरिक्शन ने मानवीय व्यक्तित्व के विकास में सामाजिक और ऐतिहासिक कारको की भूमिका को स्वीकार किया है |
इसलिए भी इसे मनोसामाजिक सिद्धांत कहा जाता है |
◼ मानव प्रकृति के संबंध में कल्पनाएं :-
1.- इरेक्शन ने तीन तत्वों को मानव प्रकृति में महत्वपूर्ण माना है |
१.पूर्णतावाद (Perfectionism)
२.पर्यावरणीयता (Environ mentality)
३.परिवर्तनशीलता (Variability)
2.- Id/ Ego/ Super Ego ➖मानव का व्यक्तित्व अलग-अलग अवस्थाओं से गुजरता है |
ये अवस्था पहले से निश्चित और शाश्वत होती है इतना ही नहीं विकास की अवस्थाएं विशिष्ट नियम द्वारा संचालित एवं नियंत्रित होती है पश्चजात ( कहते है |
◼ मनोसामाजिक विकास की प्रत्येक अवस्था में 3-R होते हैं जिन्हें एरिक्शन 3-R theory कहते हैं |
1.- Ritualization (कर्मकांडता)
2.- Ritual (कर्मकांड)
3.- Ritualism (कर्मकांडवाद)
⭐ Ritualization (कर्मकांडता) ➖
समाज के व्यक्ति के साथ सांस्कृतिक रूप से स्वीकार किए गए तरीकों से व्यवहार या अंत: क्रिया करना |
⭐ Ritual (कर्मकांड) ➖
वयस्क लोगों के समूह द्वारा आवृति स्वरूप की मुख्य धारणा को दिखाने के लिए किया गया कार्य |
⭐Ritualism (कर्मकांडवाद) ➖
कर्मकांडता में जो विकार उत्पन्न होता है उसे एरिक्शन में कर्मकांडवाद का नया नाम दिया है इसमें प्राणी ध्यान स्वयं के ऊपर रहता है |
Notes by ➖Ranjana Sen

Intelligence part-2 for CTET & TET notes by India’s top learners

🔥बहु कारक सिद्धांत🔥

➡️ ई एल थार्नडाइक के अनुसार:—

👉 बुद्धि कई तत्वों का एक समूह होता है और प्रत्येक तत्व में कई सूचना योग्यता नहीं होती है
👉 बुद्धि में कई स्वतंत्र विशिष्ट योग्यता निहित होती है जो विभिन्न कार्यों को संपादित करती है
👉 बुद्धि में अंकित योग्यता विशिष्ट योग्यता दिशा योगिता तक योगिता स्मरण योग्यता भाषण योग्यता आदि होती है

🔥 समूह तत्व सिद्धांत🔥

➡️थर्सटन के अनुसार:—

👉 ऐसे तत्व जो सभी प्रतियोगात्मक योग्यता में तो सामान्य नहीं होते परंतु कई क्रियाओं में सामान्य होते हैं ग्रुप तत्व की संज्ञा दी जाती है
👉 मानसिक क्रियाओं में एक प्रमुख तत्व सामान्य रूप से विद्यमान होता है जो क्रियाओं को मनोवैज्ञानिक एकता प्रदान करता है

➡️थर्सटन ने 7 प्राथमिक मानसिक योग्यता का प्रतिपादन किया:—

1) प्रेक्षण योग्यता(spatial ability)

2) अंक योग्यता(number ability)

3) शाब्दिक योग्यता(verbal ability)

4) वाक शक्ति(word ability)

5) स्मरण शक्ति(memory ability)

6) कार्तिक योग्यता(reasonings ability)

7) पर्यवेक्षण शक्ति(perceptual ability)

🔥 प्रतिदर्श सिद्धांत🔥

👉 थॉमसन:—g/s Factor का विरोध

👉 व्यक्ति का व्यवहार अनेक स्वतंत्र योग्यताओं पर निर्भर करता है किंतु स्वतंत्र योगिता का क्षेत्र सीमित होता है
👉 बुद्धि कई स्वतंत्र तत्वों से बना है किसी विशेष परीक्षा में कुछ स्पष्ट दिखाई देते हैं
👉दो या दो से अधिक परीक्षा में एक प्रकार के तत्व दिखाई देते हैं
👉 या अन्य परीक्षा में विभिन्न तत्वों दिखाए थे जिनमें कोई सामान्य नहीं है

🔰🔰🔰🔰🔰🔰🔰🔰🔰

Notes by:—sangita bharti🙏🙏

💥⭐बहुकारक वुध्दि सिद्धांत ⭐💥

🍃 प्रवर्तक ÷ थाॅर्नडाइक

👉वुध्दि कई तत्वों का समूह होती है और प्रत्येक तत्व में कई सूक्ष्म योग्यता निहित होते हैं वुध्दि में कई स्वतंत्र विशिष्ट योग्यता निहित होती है जो विभिन्न कार्यों में संपादित करता है।
वुध्दि में अंकिक योग्यता, शाब्दिक योग्यता, दिशा योग्यता, तर्क योग्यता, स्मरण शक्ति, भाषण योग्यता आदि होती है।

🍁💥 समूह तत्व सिद्धांत 💥🍁

🍂 प्रवर्तक ÷ थर्सटन

👉वे तत्व जो सभी प्रतिभात्मक योग्यता में तो सामान्य नहीं होते परन्तु कई क्रियाओं में सामान्य होते हैं। उन्हें ग्रुप तत्व की संज्ञा दी जाती है।
मानसिक क्रियाओं में एक प्रमुख तत्व सामान्य रूप से विद्यमान होता है जो क्रियाओं को मनोवैज्ञानिक एकता प्रदान करता है।

🌻थर्सटन ने 7 प्राथमिक मानसिक योग्यता का प्रतिपादन किया—-

✨प्रेक्षण योग्यता (Spatial Ability)
✨अंक योग्यता (Number Ability)
✨शाब्दिक योग्यता (Verbal Ability)
✨वाक् योग्यता (Word Ability)
✨स्मरण योग्यता (Memory Ability)
✨ तार्किक योग्यता (Reasoning Ability)
✨परिवेक्षण योग्यता (Perceptual Ability)

💥🍂 प्रतिदर्श सिद्धांत 🍂💥

🍁जन्मदाता — थाॅमसन
👉G/S Factor का विरोध किया।

✨ व्यक्ति का व्यवहार अनेक स्वतन्त्र योग्यता पर निर्भर करता है। किन्तु स्वतंत्रता योग्यता का क्षेत्र सीमित होता है।
वुध्दि कई स्वतन्त्र तत्वों से बना है। किसी विशिष्ट परीक्षण में कुछ तत्व स्पष्ट दिखाई देते हैं ।दो या दो से अधिक परीक्षा में एक प्रकार के तत्व दिखाई दे।
या अन्य परीक्षा में विभिन्न तत्व दिखाई दे जिसमें कोई सामान्य नहीं हो।

📒📒📒📒📒 Notes by — Babita Yadav ✨✨✨✨✨✨✨

🧠🧠बहुकारक सिद्धांत 🧠🧠

➡️इसके प्रतिपादक÷ थाॅर्नडाइक महोदय थे।

🌱🌱बुद्धि कई तत्वों का समूह होती है और प्रत्येक तत्व में कई सूक्ष्म योग्यता निहित होते हैं बुद्धि में कई स्वतंत्र विशिष्ट योग्यता निहित होती है जो विभिन्न कार्यों में संपादित करता है।
बुद्धि में अंकिक योग्यता, शाब्दिक योग्यता, दिशा योग्यता, तर्क योग्यता, स्मरण शक्ति, भाषण योग्यता आदि होती है।

💦 समूह तत्व सिद्धांत 🔥
इसके प्रतिपदक÷थर्सटन थे

💦 वे तत्व जो सभी प्रतिभात्मक योग्यता में तो सामान्य नहीं होते परन्तु कई क्रियाओं में सामान्य होते हैं। उन्हें ग्रुप तत्व की संज्ञा दी जाती है।

💦मानसिक क्रियाओं में एक प्रमुख तत्व सामान्य रूप से विद्यमान होता है जो क्रियाओं को मनोवैज्ञानिक एकता प्रदान करता है।

👨🏻‍🏫थर्सटन ने 7 प्राथमिक मानसिक योग्यता का प्रतिपादन किया÷

✨प्रेक्षण योग्यता (Spatial Ability)

✨अंक योग्यता (Number Ability)

✨शाब्दिक योग्यता (Verbal Ability)

✨वाक् योग्यता (Word Ability)

✨स्मरण योग्यता (Memory Ability)

✨ तार्किक योग्यता (Reasoning Ability)

✨पर्यवेक्षण योग्यता या दृष्टिकोण (Perceptual Ability)

💦 प्रतिदर्श सिद्धांत 🍂💥

प्रतिपादक÷ थाॅमसन
➡️G/S( General to specific) Factor का विरोध किया।

🌺 व्यक्ति का व्यवहार अनेक स्वतन्त्र योग्यता पर निर्भर करता है। किन्तु स्वतंत्रता योग्यता का क्षेत्र सीमित होता है।

➡️बुध्दि कई स्वतन्त्र तत्वों से बन। किसी विशिष्ट परीक्षण में कुछ तत्व स्पष्ट दिखाई देते हैं ।

➡️दो या दो से अधिक परीक्षा में एक प्रकार के तत्व दिखाई दे।
या अन्य परीक्षा में विभिन्न तत्व दिखाई दे जिसमें कोई सामान्य नहीं हो।

👉👉 Notes by —$hikhar pandey✨✨✨✨✨✨✨

🔆 बहु कारक सिद्धांत (Multifactoor Theory) ➖

इस सिद्धांत का प्रतिपादन थार्नडाइक ने किया |

बहु कारक सिद्धांत के अनुसार बुद्धि कई तत्वों का समूह होती है और प्रत्येक तत्व में कई सूक्ष्म योग्यता निहित होती है |

बुद्धि में कई स्वतंत्र विशिष्ट कश योग्यताएं निहित होती हैं जो विभिन्न कार्यों को संपादित करती है |

बुद्धि में आंकिक योग्यता,शाब्दिक योग्यता, दिशा योग्यता, तर्क योग्यता,स्मरणं शक्ति, भाषण योग्यता आदि सभी प्रकार की योग्यताएँ निहित होती हैं |

🔆 समूह तत्व सिद्धांत (Group factor Theory) ➖

इस का प्रतिपादन थर्सटन ने किया था |

वे तत्व जो सभी प्रतिभात्मक योग्यता में तो सामान्य नहीं होते परंतु कई क्रियाओं में सामान्य होते हैं उन्हें ग्रुप तत्व की संज्ञा दी गई है |

मानसिक क्रियाओं में एक प्रमुख तत्व सामान्य रूप से विद्यमान होता है जो क्रियाओं को मनोवैज्ञानिक एकता प्रदान करता है |

इन्होंने सात प्रकार की प्राथमिक मानसिक योग्यताओं का प्रतिपादन किया | जो कि निम्न हैं➖

1) प्रेक्षण योग्यता (Spatula ability)

2) आंकिक या सांख्यिकीय योग्यता ( Noumber Ability)

3) शाब्दिक योग्यता (Verbal Ability)

4) वाक्य शक्ति (Word Ability)

5) स्मरण शक्ति (Memory Ability)

6) तार्किक योग्यता (Reasoning Ability)

7) पर्यवेक्षण शक्ति (Perception Ability)

🔆 प्रतिदर्श सिद्धांत ( Sampling Theory )➖

प्रतिदर्श सिद्धांत का प्रतिपादन थॉमसन ने किया |

इन्होंने कारक सिद्धांत का विरोध किया ,व्यक्ति का व्यवहार अधिक स्वतंत्र योग्यताओं पर निर्भर करता है किंतु स्वतंत्र योग्यताओं का क्षेत्र सीमित होता है बुद्धि के स्वतंत्र तत्वों से मिलकर बनी है |

किसी विशिष्ट परीक्षण में कुछ स्पष्ट दिखाई देतें है दो या दो से अधिक परीक्षा में एक प्रकार के तत्व दिखाई दे सकते हैं या अन्य परीक्षा में विभिन्न तत्व दिखाई दे जिसमें कोई भी समान न हो |

नोट्स बाॅय➖ रश्मि सावले

🌻🌼🌸🍀🌺🌻🌼🌸🍀🌺🌻🌼🌸🍀🌺🌻🌼🌸🍀🌺
🏵️बहु कारक सिद्धांत (multi factory theory 🏵️
👉 इस सिद्धांत को थार्नडाइक ने दिया था।
👉 बुद्धि कई तत्वों का समूह होती है और प्रत्येक तत्व में कई सूक्ष्म योग्यता निहित होती है बुद्धि में कई स्वतंत्र विशिष्ट योग्यताएं निहित होती हैं जो विभिन्न कार्यों को संपादित करती हैं बुद्धि में अंकित योग्यता, शाब्दिक योग्यता, दिशा योग्यता, तर्क योग्यता, स्मरण योग्यता, भाषण आदि योग्यता होती है।
🌸 समूह तत्व सिद्धांत (group factor theory) 🌸
👉 इस सिद्धांत को थर्सटन ने दिया था।
👉 वे तत्व जो सभी प्रतीकात्मक योग्यता में तो समान नहीं होते कई क्रियाओं में सामान्य होते हैं उन्हें ग्रुप तत्व की संज्ञा दी गई है मानसिक क्रियाओं में एक प्रमुख तत्व सामान्य रूप से विद्यमान रहता है जो क्रियाओं को मनोवैज्ञानिक एकता प्रदान करता है।
◾ थर्सटन ने 7 प्राथमिक मानसिक योग्यता का प्रतिपादन किया है—
1️⃣ प्रेक्षण योग्यता(अवलोकन)
2️⃣ अंक योग्यता
3️⃣ शाब्दिक योग्यता
4️⃣ बाक शक्ति
5️⃣ स्मरण शक्ति
6️⃣ तार्किक योग्यता
7️⃣ पर्यवेक्षण शक्ति(निगरानी)
🌺 प्रतिदर्श सिद्धांत 🌺
👉इस सिद्धांत को थॉमसन ने दिया था।
👉 थॉमसन ने स्पीयर मैन के G.S फैक्टर का विरोध किया।
👉 व्यक्ति का व्यवहार स्वतंत्र योग्यता पर निर्भर करता है किंतु स्वतंत्र योग्यता का क्षेत्र सीमित होता है बुद्धि कई स्वतंत्र तत्वों से बनी होती है किसी विशिष्ट परीक्षण में कुछ तत्व स्पष्ट दिखाई देते हैं दो या दो से अधिक परीक्षण में एक प्रकार के तत्व दिखाई देते हैं या अन्य परीक्षण में विभिन्न तत्व दिखाई दे जिसमें कोई सामान नहीं हो।
🌸🌸Thank you🌸🌸
🏵️🌸🏵️ Notes by–Vinay Singh Thakur

🌼🌼🌼 बहु कारक सिद्धांत🌼🌼🌼
(Multifector theory)
🌼🌼प्रवृतक-E.L.थार्नडाइक
🌼बुद्धि कई तत्वों का समूह होती है और प्रत्येक तत्व में कई सूक्ष्म योग्यता निहित होती है बुद्धि में कई स्वतंत्र विशिष्ट योग्यता नहीं होती है जो विभिन्न कार्यों को संपादित करता है बुद्धि में अंकित योग्यता ,शाब्दिक योग्यता, दिशा योग्यता ,तर्क योग्यता, स्मरण शक्ति ,भाषण योग्यता आदि होती है

🌼🌼 समूह तत्व सिद्धांत 🌼🌼
(Group factor theory)
🌼 प्रवृतक- Thurston(थर्स्टन )
🌼 वे तत्व जो सभी प्रतिभात्मक योग्यता में तो सामान्य नहीं होते परंतु कई क्रियाओं में सामान्य होते हैं उन्हें ग्रुप तत्व की संज्ञा दी गई है मानसिक क्रियाओं में एक प्रमुख तत्व सामान्य रूप से विद्यमान होता है जो क्रियाओं को मनोवैज्ञानिक एकता प्रदान करता है

🌼🌼 thurstan थर्सटन ने 7 प्राथमिक मानसिक योग्यता ओं का प्रतिमान किया —
🌼1. प्रेक्षण योग्यता(spatial ability)
🌼 2. अंक योग्यता (number ability)
🌼3. शब्दिक योग्यता (verbal ability)
🌼4. वाक् शक्ति( word ability)
🌼5. स्मरण शक्ति (memory ability)
🌼6.तार्किक योग्यता (reasoning ability)
🌼7. परिवेक्षण शक्ति (cerptual ability)

🌼🌼प्रतिदर्श सिद्धांत (sampling theory)
🌼 प्रवृतक- थॉमसन
🌼व्यक्ति का व्यवहार अनेक स्वतंत्र योग्यताओं पर निर्भर करता है किंतु स्वतंत्र योग्यताएं का क्षेत्र सीमित होता है बुद्धि कई स्वतंत्रता से बना है किसी विशिष्ट परीक्षा में कुछ तथ्य स्पष्ट दिखाई देते हैं
दो या दो से अधिक परीक्षा में एक प्रकार के तत्व दिखाई देते हैं या अन्य परीक्षा में विभिन्न तत्व दिखाई दे जिसमें जिसमें कोई सामान्य नहीं है!!!

🌼🌼notes by manjari soni🌼🌼

बुद्धि के सिद्धांत

बहुकारक सिद्धांत
बहुतत्व सिद्धांत
बुद्धि का मात्रा सिद्धांत
Multifactor theory

इस सिद्धांत के प्रवर्तक Edward Lee thorndike थार्नडाइक थे।

इस सिद्धांत के अनुसार बुद्धि कई तत्वों का समूह होती हैं और प्रत्येक तत्व में कई सूक्ष्म में योग्यताएं निहित होती है।

बुद्धि में कई स्वतंत्र विशिष्ट योग्यताएं निहित होती हैं जो विभिन्न कार्य को संपादित करता हैं।

बुद्धि में
आंकित योग्यता
शाब्दिक योग्यता
दिशा योग्यता
तर्क योग्यता
स्मरण शक्ति और
भाषण आदि होती है।

समूह तत्व सिद्धांत
समूह कारक सिद्धांत
थर्सटन का प्राथमिक योग्यताओं का सिद्धांत
Group factor theory

इस सिद्धांत के प्रवर्तक थर्सटन थे

इस सिद्धांत के अनुसार
वे तत्व जो सभी प्रतिभात्मक योग्यताओं में तो सामान्य नहीं होते परंतु कई क्रियाओं में सामान्य होते हैं उन्हें ग्रुप तत्व की संज्ञा दी गई।

मानसिक क्रियाओं में एक प्रमुख तत्व सामान्य रूप से विद्यमान होता है जो क्रियाओं को मनोवैज्ञानिक एकता प्रदान करता है।

थर्सटन नए 7 प्राथमिक मानसिक योग्यता ओं का प्रतिपादन किया

1.प्रेक्षण योग्यता (अवलोकन)
2.अंक योग्यता
3.शाब्दिक योग्यता
4.वाक् शक्ति
5.स्मरण शक्ति
6.तार्किक योग्यता
7.पर्यवेक्षण योग्यता (निगरानी)

प्रतिदर्श सिद्धांत
Sampling theory

इस सिद्धांत के प्रतिपादक थॉमसन थे

थॉमसन ने इस सिद्धांत में स्पीयमैन के g s Factor का विरोध किया।

इस सिद्धांत के अनुसार व्यक्ति का व्यवहार अनेक स्वतंत्र योग्यताओं पर निर्भर करता है किंतु स्वतंत्र योग्यता का क्षेत्र सीमित होता है
बुद्धि कई स्वतंत्र तत्वों से बना होता है

किसी परीक्षण में कुछ तत्व स्पष्ट दिखाई देते हैं
दो या दो से अधिक परीक्षा में एक प्रकार के तत्व दिखाई दे सकते हैं।
या अन्य परीक्षा में विभिन्न तत्व दिखाई जिसमें कोई सामान्य नहीं हो।

Notes by Ravi kushwah

⛳बहु कारक बुद्धि सिद्धांत ⛳
(multi factor theory)

👉 इस सिद्धांत के प्रतिपादक थार्नडाइक है।

👉🏻 इस सिद्धांत के अनुसार जितने भी कार्य होते हैं सबको करने के लिए अलग-अलग तत्वों की आवश्यकता होती है।

👉🏻 बुद्धि कई तत्वों का समूह होती है और प्रत्येक तत्वों में कई सूक्ष्म योजना निहित होती है।
👉🏻 बुद्धि में कई स्वतंत्र विशिष्ट योग्यताएं निहित होती है जो विशिष्ट कार्यों को संपादित करती है।
👉🏻 इस सिद्धांत के अनुसार बुद्धि में आंकिक योग्यता, शाब्दिक योग्यता, दिशा योग्यता,तर्क योग्यता, स्मरण शक्ति,भाषण योग्यता आदि होती है।
🌸🌸🌸🌸🌸🌸

🌼 बुद्धि का समूह तत्व सिद्धांत🌼
( group factor theory)

👉🏻इस सिद्धांत के प्रतिपादक थर्स्टन है।

👉🏻 इस सिद्धांत के अनुसार वे तत्व जो सभी प्रतीकात्मक योग्यता में जो सामान्य नहीं होते परंतु कई क्रियाओं में सामान्य होते हैं उन्हें ग्रुप तत्व की संज्ञा दी गई है।
मानसिक क्रियाओं में एक प्रमुख तत्व होता है जो सामान्य रूप से विद्यमान रहता है,जो क्रियाओं को मनोवैज्ञानिक एकता प्रदान करता है।

थर्स्टन ने 7 प्राथमिक मानसिक योग्यताओं का प्रतिपादन किया है जो निम्न प्रकार है—

१. प्रेक्षण योग्यता (spatial ability) — यह अवलोकन से संबंधित योग्यता है।

२. अंक योग्यता ( number ability) — यह अंको की समझ से संबंधित योग्यता है।
३. शाब्दिक योग्यता( verbal ability)
4. वाक् शक्ति ( word ability)
५. स्मरण शक्ति (memory ability)
६. तार्किक योग्यता(reasoning ability)
७. पर्यवेक्षण शक्ति(cereptual ability)
🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸

🌼 प्रतिदर्श सिद्धांत🌼
(Sampling theory)

👉🏻 इस सिद्धांत का प्रतिपादन थॉमसन ने किया।

👉🏻 इन्होंने स्पियर मैन के दो तत्व (g/s factor) का विरोध किया।

इस सिद्धांत के अनुसार व्यक्ति का व्यवहार अनेक स्वतंत्र योग्यताओं पर निर्भर करता है किंतु स्वतंत्र योग्यता का क्षेत्र सीमित होता है।
बुद्धि कई स्वतंत्रता तत्वों से बना है किसी विशिष्ट परीक्षण में कुछ तत्व स्पष्ट दिखाई देते हैं।
दो या दो से अधिक परीक्षा में एक प्रकार के तत्व दिखाई देते है या अन्य परीक्षा मे विभिन्न तत्व दिखाई दे तो थॉमसन महोदय के अनुसार हो सकता है जिसमे कोई सामान्य नहीं हो या सारे सामान्य भी हो सकते है।

Notes by Shivee Kumari😊

बहुकारक सिद्धांत multfactor theory
E L थार्नडाइक

बुद्धि कई तत्वों का समूह होती है और प्रत्येक तत्व में कई सूक्ष्म योग्यता निहित होती हैं बुद्धि में कई स्वतंत्र निश्चित योग्यता निहित होती है जो विभिन्न कार्यों को संपादित करती हैं ज्जल आदि होती हैं

समूह तत्व सिद्धांत group fector theory

thursatan

वे तत्व जो सभी प्रतीकात्मक योग्यताओं में तो सामान्य नहीं होतेपरंतु कई क्रियाओं में सामान्य होते हैं उन्हें ग्रुप तत्व की संज्ञा दी गई है मानसिक क्रियाओं में एक प्रमुख तत्व सामान्य रूप से विद्यमान होता है जो क्रियाओं को मनोवैज्ञानिक एकता प्रदान करता है

थर्स्टन ने 7 प्राथमिक मानसिक योग्यता ओं का प्रतिपादन किया है

1 प्रेक्षण योग्यता
2अंक की योग्यता
3 शाब्दिक योग्यता
4वाक शक्ति
5स्मरण शक्ति
6तार्किक योगिता
7पर्यवेक्षक शक्ति

प्रतिदर्श सिद्धांत sampling theory
थॉमसन thomsan

व्यक्ति का व्यवहार एक स्वतंत्र योग्यता पर निर्भर करता है किंतु स्वतंत्र योग्यता का क्षेत्र सीमित होता है बुद्धि कई स्वतंत्र तत्वों से बना है किसी विशिष्ट परीक्षा में कुछ तत्व स्पष्ट दिखाई देते हैं

दो या दो से अधिक परीक्षा में एक प्रकार के तत्व दिखाई देते हैं या अन्य परीक्षा में विभिन्न तत्व दिखाई दें इसमें कोई सामान्य नहीं नहीं है

🙏🙏🙏🙏🙏 sapna sahu🙏🙏🙏🙏🙏

🌹 बहु कारक बुद्धि सिद्धांत🌹
बहु तत्व का सिद्धांत
बुद्धि का मात्रा सिद्धांत
Multi factor theory

🌲 प्रतिपादक :- Edward Lee थार्नडाइक

बुद्धि कई तत्वों का समूह होती है और प्रत्येक तत्व में कई सूक्ष्म योग्यता निहित होती है।
बुद्धि में कई स्वतंत्र विशिष्ट योग्यताएं निहित होती हैं जो विभिन्न कार्यों को संपादित करती हैं।

🌿बुद्धि में अनेक प्रकार की योग्यतायें होती हैं , जैसे :-

आंकिक योग्यता
शाब्दिक योग्यता
दिशा योग्यता
तर्क योग्यता
स्मरण शक्ति
भाषण एकता ।

🌹 समूह कारक सिद्धांत 🌹
समूह तत्व सिद्धांत
थर्स्टन का प्राथमिक योग्यता का सिद्धांत
Group factor theory

🌲 प्रतिपादक :- लुईस थर्स्टन

वे तत्व जो सभी प्रतीकात्मक योग्यता में तो समान नहीं होते परंतु कई क्रियाओं में समान होते हैं , उन्हें ही समूह तत्व सिद्धांत की संज्ञा दी गयी है ।

मानसिक क्रियाओं में एक प्रमुख तत्व सामान्य रूप से विद्यमान होता है जो क्रियाओं को मनोवैज्ञानिक एकता प्रदान करता है।

थर्स्टन ने ” 7 ” प्रकार की प्राथमिक मानसिक योग्यता का प्रतिपादन किया। जैसे :-

प्रेक्षण योग्यता (अवलोकन) ( Spatial ability )
अंक योग्यता ( Number ability )
शाब्दिक योग्यता ( Verbal ability )
वाक् शक्ति ( Word ability. )
स्मरण शक्ति ( Memory ability )
तार्किक योग्यता ( Reasoning ability )
पर्यवेक्षण योग्यता (निगरानी) (Perceptual / Perception ability )

🌹 प्रतिदर्श सिद्धांत 🌹
Sampling Theory

🌲 प्रतिपादक :- थॉमसन

थॉमसन ने [ स्पियरमैन के G / S factor ] का विरोध किया।

व्यक्ति का व्यवहार अनेक स्वतंत्र योग्यता पर निर्भर करता है किंतु स्वतंत्र योग्यता का क्षेत्र सीमित होता है।

बुद्धि कई स्वतंत्र तत्वों से बनी है ,
किसी विशिष्ट परीक्षण में कुछ तत्व स्पष्ट दिखाई देते हैं।

दो या दो से अधिक परीक्षा में एक प्रकार के तत्व दिखाएं दे सकते हैं या अन्य परीक्षा में विभिन्न तत्व दिखाई दे जिसमें कोई सामान्य नहीं हो ।

🌺✒️ Notes by – जूही श्रीवास्तव ✒️🌺

बुद्धि का बहु कारक सिद्धांत (multiple theory of intelligence)🔥

बुद्धि का बहु कारक सिद्धांत थार्नडाइक (E.L. Thorndike) ने दिया था।

बुद्धि कई तत्वों का समूह होती है और प्रत्येक तत्वों में कई सूक्ष्म योग्यता निहित होती है । बुद्धि में कई तत्व स्वतंत्र विशिष्ट योग्यता निहित होती है, जो विभिन्न कार्यों को संपादित करती है।
बुद्धि में आंकिक योग्यता, शाब्दिक योग्यता, दिशा योग्यता, तर्क योग्यता, स्मरण शक्ति, भाषण योग्यता आदि।

समूह तत्व सिद्धांत(group factor theory) 🔥🔥

इस सिद्धांत के प्रतिपादक थर्स्टन थे। वे तत्व जो सभी प्रतीकात्मक योग्यता में तो सामान्य नहीं होते परन्तु कई क्रियाओं में सामान्य होते हैं उन्हें समूह तत्व की संज्ञा दी गई है। मानसिक क्रियाओं में एक प्रमुख तत्व सामान्य रूप से विद्यमान होता है जो क्रियाओं को मनोवैज्ञानिक योग्यता प्रदान करता है।
थर्स्टन ने 7 प्राथमिक मानसिक योग्यता का प्रतिपादन किया-

1. प्रेक्षण योग्यता (spatial ability)
2. अंक योग्यता (number ability)
3. शाब्दिक योग्यता (verbal ability)
4. वाक् शक्ति (world ability)
5. स्मरण शक्ति(memory ability)
6. तार्किक योग्यता (reasoning ability)
7. पर्यवेक्षण शक्ति (cereptual ability)

प्रतिदर्श सिद्धांत (sampling theory) 🔥🔥

इस सिद्धांत के प्रतिपादक थॉमसन थे। इन्होंने स्पीयरमैन के द्वि-कारक (G/S factor) सिद्धांत का विरोध किया।

व्यक्ति का व्यवहार अनेक स्वतन्त्र योग्यता पर निर्भर करता है किंतु स्वतन्त्र योग्यता का क्षेत्र भी सीमित रहता है।

बुद्धि का स्वतन्त्र तत्वों से बना है। किसी विशिष्ट परीक्षण में कुछ तत्व स्पष्ट दिखाई देते हैं दो या दो से अधिक परीक्षा में एक प्रकार के तत्व दिखाई देते हैं या अन्य परीक्षा में विभिन्न तत्व दिखाई दे जिसमें कोई सामान्य न हो।

✍️ Notes by – Shreya Rai 🙏

बुद्धि के सिद्धांत

🎯बहुकारक सिद्धांत🎯 (multifactor theory)

💫बुद्धि के बहुकारक सिद्धांत E.Lथार्नडायिक ने दिया।

👉बुद्धि कई तत्वों का समूह होती है और प्रत्येक तत्व में कई सूक्ष्म योग्यता निहित होते हैं ।
बुद्धि में कई स्वतंत्र विशिष्ट योग्यता निहित होती है जो विभिन्न कार्यों को संपादित करती है।

बुद्धि में अंकिक योग्यता, शाब्दिक योग्यता ,तर्क योग्यता, स्मरण शक्ति, भाषण योग्यता आदि होती है।

💫समूह तत्व सिद्धांत( group factor theory)

समूह तत्व सिद्धांत का प्रतिपादक थर्सटन (Thurston) ने दिया।

वे तत्व जो सभी प्रतीकात्मक योग्यता में तो सामान्य नहीं होती परंतु कई क्रियाओं में सामान्य होते हैं उन्हें एक ग्रुप तत्व की संज्ञा दी गई है ।

मानसिक क्रियाओं में एक प्रमुख तत्व सामान्य रूप से विद्यमान होता है जो क्रियाओं को मनोवैज्ञानिक एकता प्रदान करता है ।

थर्सटन ने 7 प्राथमिक मानसिक योग्यता का प्रतिपादन किया।

,( 1)प्रेक्षण योग्यता(number ability):-इसमे चीजों को देखना अवलोकन करना प्रेक्षण करना इत्यादि।

(2) अंक योग्यता( number ability):- जो numbrical चीजों से संबंधित है।

(3) शाब्दिक योग्यता (verbal ability) :- शब्दों का संप्रेषण मीडिया बात करने का तरीका इत्यादि आते हैं।

(4) वाक शक्ति (word ability):-बोलने के लिए कितना शब्द भंडार है, word जीवन से जुड़ा हुआ होना चाहिए।word का संग्रह अधिक होना चाहिए।

(5) स्मरण शक्ति ( memory ability) :-जिससे हम चीजों को स्मरण कर सकें।

(6) तार्किक योग्यता (reasoning ability) :-तर्क के अनुसार चीजों को बेहतर लेवल तक पहुंचा सत्य है।

(7) पर्यवेक्षण शक्ति(cercptual ability)

किसी भी कार्य के अंतर्गत दृष्टिकोण बनता है निगरानी, चीजों को जांच करना इत्यादि पर्यवेक्षण शक्ति के अंतर्गत आता है।

🌼प्रतिदर्श सिद्धांत (sampling theory):-
इस सिद्धांत का प्रतिपादक — थॉमसन

इन्होंने स्पियरमन के द्वि कारक सिद्धांत को विश का विरोध किया था।

बुद्धि बहुत ही अलग अलग स्वतंत्रता चीजों से बना होता है।

व्यक्ति का व्यवहार अनेक स्वतंत्र की योग्यताओं पर निर्भर करता है।किंतु स्वतंत्र विनी योग्यता का क्षेत्र सीमित है हर योग्यता अपने आप में यूनिक है बुद्धि कई स्वतंत्र तत्वों से बना है किसी विशिष्ट परीक्षण में कुछ तत्व स्पष्ट दिखाई देते हैं दो या दो से अधिक परीक्षा में एक प्रकार के तत्व दिखाई दे सकते हैं हो सकता है कि सामान्य तत्व हो या अन्य परीक्षा में विभिन्न तत्व दिखाएं दे जिसमें कोई समान्य नहीं हो
Dipend on sichution

🙏Notes by-SRIRAM PANJIYARA 🙏

💥 बुद्धि के सिद्धान्त 🌀

🔅Multifactar theory ( बहुकारक सिद्धान्त
☀किस सिद्धांत का प्रतिपादन अमेरिकी मनोवैज्ञानिक :- E. L. Thorndike ( थार्नडाईक)
☀बुद्धि कई तत्वों का समूह होती है और प्रत्येक तत्व में कई सूक्ष्म योग्यताएं निहित होती है |
☀बुद्धि में कई स्वतंत्र विशिष्ट योग्यताएं निहित होती है जो विभिन्न कार्यों को संपादित करती है |
☀बुद्धि में मानसिक योग्यता शाब्दिक योग्यता दिशा योग्यता तर्क योग्यताएं स्मरण शक्ति भाषण योग्यता आदि होती है |
☀ इस सिद्धांत के अनुसार बुद्धि असंख्य स्वतंत्र कारको से मिलकर बनी है अर्थात व्यक्ति जितनी भी मानसिक क्रियाएँ करता है उतने तत्व बुद्धि के अन्तर्गत पाए जाते है |
🔅समूह तत्व सिद्धांत ( Group factor theory) ➖
वे तत्व जो सभी प्रतिभात्मक योग्यता में तो सामान्य नहीं होते परंतु कई क्रियाओं में सामान्य होते हैं उन्हें ग्रुप तत्व की संज्ञा दी गई है मानसिक क्रियाओं में एक प्रमुख तत्व सामान्य रूप से विद्यमान होता है जो क्रियाओं को मनोवैज्ञानिक एकता प्रदान करता है |
🔥🔥थर्सटन ने 7 प्राथमिक मानसिक योग्यता का प्रतिपादन किया |
1.प्रक्षेण योग्यता (Spatial Ability)
2.अंक योग्यता (Number Ability)
3.शब्दिक योग्यता (Verbal Ability)
4.वाक् योग्यता (Word Ability)
5.स्मरण शक्ति (Memory Ability)
6.तार्किक योग्यता (Reasoning Ability)
7.पर्यवेक्षण शक्ति ( Cereptual Ability)

🔅 प्रतिदर्श का सिद्धांत (Sampling theory) ➖
☀इस सिद्धांत का प्रतिपादन थाॅमसन किसने किया है |
☀G/S factor का विरोध
☀व्यक्ति का व्यवहार अनेक स्वतंत्र योग्यताओं का निर्भर करता है किंतु स्वतंत्र योग्यता का क्षेत्र सीमित होता है | ☀बुद्धि कई स्वतंत्र तत्वों से बना है किसी विशिष्ट परीक्षण में कुछ तत्व स्पष्ट दिखाई देते हैं |
☀दो या दो से अधिक परीक्षण में कई प्रकार की के तत्व दिखाई देते हैं या अन्य परीक्षा में विभिन्न तत्व दिखाई देते हैं जिसमें कोई सामान्य नहीं है जैसे कोई कार्य आता है तो सामान्य है और नहीं आता तो विशिष्ट है |

Notes by ➖Ranjana sen

Definitions of mathematics pedagogy for CTET and state TET

Mathematics pedagogy की परिभाषाऐ और key words
🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼

आइंस्टींन के अनुसार -“गणित क्या है???यह उसे मानव चिंतन का प्रतिफल है जो अनुभवों से स्वतंत्र है तथा सत्य के अनुरूप है ”
‌Keyword- “मानव चिंतन”

‌लॉक के अनुसार-” गणित वह मार्ग है जिसके द्वारा बच्चे के मन मस्तिष्क में तर्क करने की आदत स्थापित होती है”
‌Keyword- “मन मसि्तष्क मे तर्क”

‌वनार्डिसा के अनुसार -“तार्किक चिंतन के लिए गणित एक शक्तिशाली साधन है”
‌Key word- “शक्तिशाली साधन”

‌ यंग के अनुसार -“यदि समस्त विज्ञान में से गणित को हटा दिया जावे तो उसकी उपयोगिता 0 हो जाती है ”

‌मार्शल के अनुसार -“गणित एक ऐसी ऐसी अमूर्त व्यवस्था है का अध्ययन है जो की अमूर्त तत्वों से मिलकर बनी है इन तत्वों को मूर्त रूप से परिभाषित किया जा सकता है”
‌keyword-“अमूर्त व्यवस्था”

‌ गैलीलियो के अनुसार -“यदि गणित वह भाषा है जिसे परमेश्वर संपूर्ण जगत या ब्रह्मांड या ब्रह्मांड को लिख दिया है ”
‌Keyword- “संपूर्ण जगत ”

‌वेदांग ज्योतिषी के अनुसार-” जिस रूप में मयूर ओके सर पर मुकुट शोभा यान होते हैं तथा सड़कों के सिर पर मणिया वही सर्वोच्च स्थान वेदांग नाम से प्रसिद्ध विज्ञानों में गणित का है ”
‌Keyword-“मुकुट और मणिया”

‌लिण्डपे के अनुसार-” गणित भौतिक विज्ञान की भाषा है और निश्चित मानव मस्तिष्क होते हैं सर्पों अन्य कोई भाषा नहीं है”

‌ हाग्वेन के आनुसार-“गणित सभ्यता और संस्कृति का दर्पण है ”
‌Keyword-“दर्पण”

‌नेपोलियन के अनुसार -“गणित की उन्नति तथा प्रति देश की संपन्नता से संबंधित है ”
‌Keyword-“देश की संपन्नता”

‌जीडब्ल्यूए यंग के अनुसार -“यदि विज्ञान का आधार स्तंभ गणित हटा दिया जावे तो संपूर्ण भौतिक सभ्यता नि: संदेह नष्ट हो जाएगी”
‌Keyword-“आधार स्तंभ ”

‌ रोजर बेकन -“गणित विज्ञान का मुख्य द्वार व कुंजी व कुंजी कुंजी है
‌Keyword-“कुंजी”

‌बैल के अनुसार -“गणित विज्ञान का नौकर है”
‌Keyword-“नौकर”

‌ गॉस के अनुसार-” गणित विज्ञान की रानी है”
‌Keyword-“रानी”

‌ हरदयाल के अनुसार अनुसार-” गणित विज्ञान की जननी है ”
‌Keyword-“जननी”

Notes by manjari soni🌼🌼🌼

Intelligence for CTET & TET notes by India’s top learners

🧠 *बुद्धि( Intelligence)* 🧠

मनुष्य कई ज्ञानात्मक क्षमताओं से परिपूर्ण होते हैं, मनुष्य मे तर्क, मनन, नई स्थिति का सामना करने की क्षमता होती है।
इसमें संदेह नहीं है, कि आपकी रूचि, अभिवृद्धि, ज्ञान, कौशल आपकी सफलता प्राप्ति में महत्वपूर्ण योगदान निभाती है, लेकिन फिर भी ऐसा तत्व अवश्य है जो इन विभिन्नताओं का कारण है मनोविज्ञान में इसे ही “बुद्धि” कहते हैं।

🌸 बुद्धि एक ऐसा मानसिक तत्व है, जिसके कारण दो बालक को एक ही ढंग से पढ़ाये जाने पर उनके समझने में अंतर आ जाता है ।

🌸 *टर्मन के अनुसार:-* “व्यक्ति जिस अनुपात में अमूर्त चिंतन करता है, उसी अनुपात में बुद्धि कहलाता है।”

🌸 *रॉस के अनुसार:–* “नई परिस्थिति को झेलने की मस्तिष्क की नमनीयता ही बुद्धि है”।

🌸 *सिरिल बर्ट के अनुसार:–*“बुद्धि अच्छी तरह से निर्णय लेने, तर्क करने और समझने की योग्यता है”।

🌸 *वैशालर के अनुसार:–* “बुद्धि एक समुच्चय या सार्वजनिक क्षमता है , जिसके सहारे व्यक्ति उद्देश्यपूर्ण क्रिया करता है, विवेकशील चिंतन करता है और वातावरण के साथ प्रभावपूर्ण समायोजन करता है”।

🍁 *एक कारक सिद्धांत (Uni Factor/One Factor Theory’s):–*

अल्फ्रेड बिने ( Alfred Bine) ने कहा कि, बुद्धि में केवल एक तत्व है ,जो सभी क्रियाओं में विद्यमान है।
यदि किसी व्यक्ति में बुद्धि का भंडार है तो, जीवन के किसी क्षेत्र में प्रयोग कर सकता है और सभी क्षेत्र में सफलता हासिल कर सकता है।

👉🏻 *नोट–* “यह सिद्धांत सही व्याख्या नहीं करता है।

*उदाहरण:-* क्युकी जरूरी नहीं है कि, कोई बच्चा अगर गणित में अच्छा है, तो वो सामाजिक विज्ञान में भी अच्छा होगा।

🍁 *द्विकारक सिद्धांत ( Tow Factor Theory’s):–*
स्पीयारमैन ने बताया कि बुद्धि के दो कारक होते हैं इन को दो भागों में बांटा–

🌸 *१. सामान्य कारक बुद्धि ( G– Factor)*

🌸 *२. विशिष्ट कारक बुद्धि (S–Factor)*

🍁 *सामान्य कारक बुद्धि:–* यह सामान्य बौद्धिक क्रिया में विद्यमान रहता है।

जैसे :– हम रोज सुबह ब्रश करते हैं, तो ये हमारी समान्य बुद्धि से जुड़ा हुआ है ।

🍁 *विशिष्ट कारक बुद्धि:–*
विशिष्ट कारक बुद्धि विशिष्ट कार्य में विद्यमान रहता है।

जैसे:– हमारा ब्रश किस क्वालिटी का है, हमरे लिए अच्छा है या नहीं , ये सब हमारी विशिष्ट बुद्धि से जुड़ा है।

✍🏻✍🏻✍🏻Notes by– Pooja✍🏻✍🏻✍🏻

📚 बुद्धि ( intelligence)📚

💫 मनुष्य कई ज्ञानात्मक क्षमता से परिपूर्ण होते हैं‌।
💫 मनुष्य में तार के मनाने नई स्थिति का सामना करने की क्षमता होती है।

💫 क्या सारे मनुष्य एक जैसे होते हैं-
इसमें संदेह नहीं है कि अपनी रुचि अभिरुचि ज्ञान कौशल आपके सफलता प्राप्ति में महत्वपूर्ण योगदान निभाती है लेकिन फिर भी ऐसा तथ्य आवश्यक है कि जो इन विभिन्नताओं का कारण है मनोविज्ञान में इसे ही बुद्धि कहते हैं।

💫 बुद्धि एक ऐसा मानसिक तत्व है जिसके कारण दो बालक को एक ही ढंग से पढ़ाए जाने पर उनके समझने में अंतर आ जाता है।

🪐 बुद्धि की परिभाषाएं ➖

✨ टर्मन के अनुसार ➖
व्यक्ति जिस अनुपात में अमूर्त चिंतन करता है उसी अनुपात में बुद्धिमान कहलाता है।

✨ रॉस के अनुसार ➖
नई परिस्थिति से अनुकूलन ही बुद्धि है।

✨ मन के अनुसार ➖
नई परिस्थिति को झेलने की मस्तिष्क की नम – नीयता ही बुद्धि है।

✨ बर्ट के अनुसार ➖
बुद्धि अच्छी तरह से निर्णय लेने तर्क करने और समझने की योग्यता है।

✨ वैश्लर के अनुसार ➖
बुद्धि एक समुच्चय या सार्वजनिक क्षमता है जिसके सहारे व्यक्ति उद्देश्य पूर्ण क्रिया करता है विवेकशील चिंतन करता है और वातावरण के साथ प्रभावपूर्ण समायोजन करता है।

🌊 बुद्धि के प्रकार ➖

1️⃣ एक कारक सिद्धांत (unifactor theory )➖
प्रवर्तक ➖ अल्फ़्रेड बिने

👉 बुद्धि में केवल एक तत्व है जो सभी क्रियाओं में विद्वान है।👉 यदि व्यक्ति में बुद्धि का भंडार हो तो जीवन में किसी क्षेत्र में प्रयोग कर सकता है और सभी क्षेत्र में सफलता हासिल कर सकता है यह सिद्धांत सही व्याख्या नहीं करता है।

2️⃣द्विकारक सिद्धांत ➖
प्रवर्तक ➖ स्पीयर मैन
👉 स्पीयर मैंन बुद्धि के दो कारकों को बताया पहला सामान्य कारक( general factor,,,,, G factor) जो सामान्य मानसिक योग्यता को दर्शाता है इसकी आवश्यकता जीवन के सभी पक्षों में होती है।
👉 दूसरा कारक विशिष्ट कारक( specific factor,,, S factor ) इसमें विशिष्ट योग्यताओं का प्रतिनिधित्व करता है जैसे कला संबंधी योग्यता संख्यात्मक योग्यता ।
👉इंसान में 95% सामान्य बुद्धि होती है जिसका स्रोत वंशानुक्रम होता है।
👉 5% विशिष्ट बुद्धि होती है तथा इसे व्यक्ति अपने प्रयासों से प्राप्त करते हैं यह वातावरण से प्राप्त होती है।

🔰 Notes by ➖
✍️ Gudiya Chaudhary

🍁बुद्धि ➖ intelligence

🎯मनुष्य कई ज्ञानात्मक क्षमताओं से परिपूर्ण होते है मनुष्य में तर्क , मनन ,नई स्थितियों का सामना करने की क्षमता होती है

इसमें कोई संदेह नहीं है कि अपनी रुचि ,अभिरुचि ,ज्ञान ,कौशल आपकी सफलता प्राप्ति में महत्वपूर्ण है लेकिन फिर भी ऐसा तत्व अवश्य है जो इन भिन्नताओं का कारण है मनोवैज्ञानिक इसे ही बुद्धि कहते है

🎯बुद्धि एक ऐसा मानसिक तत्व है जिसके कारण दो बालक को एक ही ढंग से पड़ाए जाने पर उनके समझने में अंतर आजाता है
🍁Tarmn
के अनुसार ➖

🟣व्यक्ति जिस अनुपात में अमूर्त चिंतन करता है उसी अनुपात में बुद्धिमान कहलाता है

🍁रॉस के अनुसार ➖ नई परस्थिति से अनुकूलन ही बुद्धि है

🍁मन ➖ नई परिस्थिति को झेलने की मस्तिष्क की मनमियता ही बुद्धि है

🍁बर्ट ➖ बुद्धि अच्छी तरह से निर्णय लेने तर्क करने और समझने की योग्यता है

🍁वेष्लर ➖ बुद्धि एक समुच्चय है या सार्वजनिक क्षमता है जिसके सहारे व्यक्ति उद्येश्य पूर्ण क्रिया करता है विवेकशील चिंतन करता है और वातावरण के साथ प्रभाव पूर्ण समायोजन करता है

🍁बुद्धि का एक कारक सिद्धांत ➖अल्फ्रेड बिने 1905

के अनुसार ➖बुद्धि म केवल एक तत्व है जो सभी क्रियाओं में विद्यमान है यदि व्यक्ति म बुद्धि का भंडार है तो जीवन के किसी क्षेत्र मे सफलता हासिल कर सकता है
👉🏻ये सिद्धांत सही व्याख्या नहीं करता है क्योक जरूरी नहीं है कि को बच्चा किसी एक विषय में अच्छा हो तो वो अन्य सभी में ठीक होगा

⚫द्वि कारक सिद्धांत ➖स्पियर मैन ने बताया कि बुद्धि के दो कारक होते है जो निम्न है➖

🟣सामान्य कारक बुद्धि ➖G factor ➖
सामान्य बैद्धिक क्रियाओं में विद्धमान

👉🏻जैसे➖ हम रोज टीवी देखते है तो ये हमारी सामान्य बुद्धि हुई

🟣विशिष्ट कारक बुद्धि ➖s factor ➖विशिष्ट कार्य में विद्धमान

👉🏻जैसे ➖ टीवी में को देखा वो हमारे लिए सही है या नहीं ये हमारी विशिष्ठ बुद्धि हुई

📝notes by

Arti savita

☀🌀बुद्धि( intelligence)🌀☀

🔥🔥मनुष्य कई ज्ञानात्मक क्षमताओं से परिपूर्ण होते हैं और मनुष्य में तर्क मनन नई नई स्थिति का सामना करने की क्षमता होती है |
क्या सारे मनुष्य एक जैसे होते हैं |
इसमें संदेह नहीं है कि आपकी रुचि अभिवृद्धि ज्ञान कौशल आपके सफलता प्राप्ति में महत्वपूर्ण योगदान निभाती है लेकिन फिर भी ऐसे तत्व कोई अवश्य है जो इन विभिन्नताओं का कारण है | मनोविज्ञान में इसे ही बुद्धि कहते हैं | बुद्धि एक ऐसा मानसिक तत्व है जिसके कारण दो बालक को एक ही ढंग से पढ़ाई जाने पर उनके समझने में अंतर आ जाता है |
बुद्धि शब्द का प्रयोग प्राचीन काल से व्यक्ति की तत्परता उसकी तात्कालिकता उसके समायोजन और समस्या समाधान की क्षमता के संदर्भ के रूप में प्रयोग किया जाता है मानव के समस्त मानसिक क्रियाओं और योग्यताओं के लिए योग को ही बुद्धि कहते हैं |

💥 बुद्धि की परिभाषाएँ :-

🔅टर्मन के अनुसार ➖ व्यक्ति जिस अनुपात में अमूर्त चिंतन करता है उसी अनुपात में बुद्धिमान कहलाता है बुद्धि विचारो के बारे मे सोचने की योग्यता है |

🔅राॅस के अनुसार ➖ नई परिस्थितियों से जो अनुकूलन ही बुद्धि है |

🔅मन के अनुसार ➖ नई परिस्थितियों को झेलने की मस्तिष्क की नमनीयता ही बुद्धि है |

🔅 बर्ट के अनुसार ➖ बुद्धि अच्छी तरह से निर्णय लेने तर्क करने और समझने की योग्यता है |

🔅 वैशलर के अनुसार ➖ बुद्धि समुच्चय है या सार्वजनिक क्षमता है जिसके सहारे व्यक्ति उद्देश्य पूर्ण क्रिया करता है विवेकशील चिंतन करता है वातावरण के प्रभावपूर्ण समायोजन करता है |

💥 बुद्धि के सिद्धांत :-

⭐ एक कारक सिद्धांत (Uni Factor theory) ➖
एक कारक सिद्धांत को ही एक खंड / एक तत्व / एक इकाई / एक घटक का सिद्धांत / निरंकुशवादी सिद्धांत के नाम से भी जानते हैं |
◼इस सिद्धांत के प्रतिपादक – अल्फ्रेड बिने
◼बुद्धि में केवल एक तत्व तत्व है जो सभी क्रियाओं में विद्यमान हैं |
◼यदि व्यक्ति में बुद्धि का भंडार है तो जीवन के किसी क्षेत्र में प्रयोग कर सकता है और सभी क्षेत्र में सफलता हासिल कर सकता है यह सिद्धांत की व्याख्या नहीं करता है |
◼ लेकिन इस सिद्धांत को दोषपूर्ण माना जाता है जो व्यक्ति विज्ञान में निपुण हो वह इतिहास में भी निपुण होगा ऐसा होना आवश्यक नहीं है |

⭐द्वि कारक सिद्धांत (Two factor theory) ➖
[G/S factor theory]

◼इस सिद्धांत के प्रतिपादक – स्पीयरमैन

◼स्पीयरमैन ने बुद्धि का संबंध चिंतन से बताया है |
◼उनका मानना है कि प्रत्येक व्यक्ति में दो प्रकार की बुद्धि होती है अर्थात बुद्धि दो कारकों से मिलकर बनी है –
▪ सामान्य बुद्धि (Gf)
▪ विशिष्ट बुद्धि (Sf)
◼ सामान्य बुद्धि ➖ ये सामान्य बौद्धिक क्रिया में विद्यमान रहता है|
◼ विशिष्ट बुद्धि ➖ किसी विशिष्ट कार्य में विद्यमान रहता है |
Notes by ➖Ranjana Sen

🧠🧠 बुद्धि( Intilligence)🧠🧠

👉मनुष्य कई ज्ञानात्मक भावनों से परिपूर्ण होते हैं, मनुष्य में तर्क मनन नए स्थिति का सामना करने की क्षमता होती है,

👉क्या सारी मनुष्य एक जैसे होते हैं?
👉क्या सभी मनुष्य की पसंद एक जैसी होती है?
👉क्या सभी मनुष्य का व्यवहार कैसा होता है?

👉इसमें संदेह नहीं है कि आपकी रुचि अभिवृत्ति और ज्ञान कुशलता आपके सफलता प्राप्त में महत्वपूर्ण योगदान निभाते हैं लेकिन फिर भी ऐसा तत्व है कोई अवश्य है जो विभिन्नताओं का कारण है,मनोविज्ञान में ऐसे ही बुद्धि कहते है।

👉बुद्धि एक ऐसा मानसिक तत्व है जिसके कारण दो बालक को एक ही ढंग से पढ़ाई जाने पर उनके समझने में अंतर आ जाता है।

👨🏻‍🏫टर्मन के अनुसार-व्यक्ति जिस अनुपात में अमूर्त चिंतन करता है उसे निपात में बुद्धिमान कहलाता है।

👨🏻‍🏫रास के अनुसार-नई परिस्थिति से अनुकूलन ही बुद्धि है।

👨🏻‍🏫मन के अनुसार-नई परिस्थिति को झेलने की मस्तिष्क की नमनीता(लचीलापन, विचलित नहीं होना)ही बुद्धि है।

👨🏻‍🏫बर्ट के अनुसार-बुद्धि निर्णय लेने तर्क करने और समझने की योग्यता है।

👨🏻‍🏫डेविड बैसलर के अनुसार-बुद्धि एक समुच्चय है या सार्वजनिक क्षमता है जिसके सहारे व्यक्ति उद्देश्य पूर्णतया करता है विवेकशील चिंतन करता है और वातावरण के साथ प्रभावपूर्ण समायोजन करता है।

🍁 एक कारक सिद्धांत (One factor theory or Unifactor theory)🍁

👨🏻‍🏫इसके प्रतिपादक- अल्फ्रेड बिने (1905)

👉बुद्धि में केवल एक तत्व है जो सभी क्रियाओं में विद्यमान है यदि व्यक्ति मेंबुद्धि का भंडार है तो जीवन के किसी क्षेत्र में प्रयोग कर सकता है और सभी क्षेत्र में सफलता हासिल कर सकता है।

🌀नोट-यह सिद्धांत सही व्याख्या नहीं करता है ,यह सिद्धांत सरल व्याख्या इसलिए नहीं करता है क्योंकि जीवन के हर एक स्थिति में एक ही प्रकार की बुद्धि प्रयोग करने की बात करता है।

🌱उदाहरण-जैसे कोई बालक गणित के विषय में बहुत अच्छा है तो तो जरूरी नहीं कि वह भूगोल व नागरिक शास्त्र इतिहास इत्यादि विषयों में भी समान ही होगा।

⛓️ द्वि-कारक सिद्धांत (Two factor Theory)⛓️

👨🏻‍🏫इसके प्रतिपादक -स्पीयर मैन है

👉स्पेयरमैन ने बताया कि बुद्धि के दो कारक होते हैं इन को दो भागों में बांटा गया है÷
🧠पहला है ;÷सामान कारक बुद्धि(General factor)or G-factor🧠
🧠दूसरा है ;÷विशिष्ट कारक बुद्धि(Special-factor or s-factor)🧠

🧠सामान कारक बुद्धि ÷सामान्य प्रक्रिया में विद्यमान रहती हैं
👉दैनिक दिनचर्या में समान बुद्धि का ही प्रयोग किया जाता है।

🧠विशिष्ट कारक बुद्धि÷विशिष्ट कारक बुद्धि विशेष कार्य में विद्यमान रहती है।

💃🕺इस प्रकार की बुद्धि का प्रयोग हम किसी विशेष स्थिति में ही करते हैं।

🌱जैसे÷एक लेखक अपनी विशेष बुद्धि के द्वारा ही संसार में विद्यमान सांसारिक व भौतिक वस्तु वाह अन्य प्रकार की गतिविधियों को देखकर उनका अपनी बुद्धि के अनुसार एक एक पाठ है एक कविता के रूप में समाहित कर देता है।🚣👨🏻‍🏫🕺
🇮🇳Thank you 🇮🇳
⛓️Shikhar Pandey ⛓️

🌼🌼बुद्धि (intelligance )🌼🌼

🌼मनुष्य कई ज्ञानात्मक क्षमताओं से परिपूर्ण पूर्ण होते हैं मनुष्य में तर्क ,मनन ,नई स्थिति का सामना करने की क्षमता होती है
🌼क्या सारे मनुष्य एक जैसे होते हैं??

🌼इसमे संदेह नहीं है कि आपकी रूचि, अभिवृत्ति ,ज्ञान, कौशल आपकी सफलता प्राप्ति में महत्वपूर्ण योगदान निभाते हैं लेकिन फिर भी ऐसा तत्व कोई आवश्यक है जो इन विभिन्नताओं का कारण है मनोवैज्ञान में इसे बुद्धि कहते हैं

🌼 बुद्धि एक ऐसा मानसिक तत्व है जिसके कारण दो बालक को एक ही ढंग से पढ़ाई जाने पर भी उनके समझने में अंतर आ जाता है

🌼🌼टर्मन के अनुसार– व्यक्ति जिस अनुपात में अमूर्त चिंतन करता है उसी अनुपात में बुद्धिमान कहलाता है

🌼🌼 रॉस के अनुसार –नई परिस्थितियों से अनुकूलन की बुद्धि है

🌼🌼मन के अनुसार –नई परिस्थिति को झेलने की मस्तिष्क की नमनीयता ही बुद्धि है

🌼🌼 बर्ट के अनुसार– बुद्धि अच्छी तरह से निर्णय लेने तर्क करने और समझने की योग्यता है

🌼🌼वैशलर के अनुसार– बुद्धि एक समुच्चय या सार्वजनिक क्षमता है जिसके सहारे व्यक्ति उद्देश्य पूर्ण क्रिया करता है विवेकशील चिंतन करता है और वातावरण के साथ प्रभावपूर्ण समायोजन करता है

🌼🌼🌼एक कारक सिद्धांत 🌼🌼🌼
(Uni factor theory/ one factor theory)
🌼प्रवर्तक -अल्फ्रेड बिने
🌼बुद्धि में केवल एक तत्व है जो सभी क्रियाओं में विद्यमान हैं यदि व्यक्ति में बुद्धि का भंडार है तो जीवन के किसी क्षेत्र में प्रयोग कर सकता है और सभी क्षेत्र में सफलता हासिल कर सकता है यह सिद्धांत सही व्याख्या नहीं करता है

🌼🌼🌼 द्विकारक सिद्धांत 🌼🌼🌼
( two factor theory) (G/S)
🌼प्रवर्तक- स्पीयरमैन
🌼इसे दो भागों में बांटा गया है
🌼1.सामान्य बुद्धि(genral factor)—
सामान्य बुद्धि यह सामान बुद्धि क्रिया में विद्यमान रहती है
🌼2 विशिष्ट बुद्धि (specific factor ) —
विशिष्ट बुद्धि विशिष्ट कार्यों में विद्यमान होती है

🌼🌼🌼by manjari soni🌼🌼🌼

बुद्धि

मनुष्य कहीं सर्जनात्मक क्षमताओं से परिपूर्ण होते हैं ।
मनुष्य में तर्क, मनन ,नई स्थिति का सामना करने की क्षमता होती है।

इसमें कोई संदेह नहीं है कि आपकी रूचि ,अभिवृत्ति ,ज्ञान, कौशल ,आपके सफलता प्राप्ति में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं लेकिन फिर भी कोई ऐसा तत्व अवश्य है जो इन विभिन्नताओं का कारण है ।
मनोविज्ञान में इसे ही बुद्धि करते हैं

बुद्धि एक ऐसा मानसिक तत्व है जिसके कारण दो बालकों को एक ही ढंग से पढ़ाये जाने पर उनके समझने में अंतर आ जाता है।
जैसे किसी अध्यापक ने कक्षा के सभी बच्चों को शेर और चूहा की कहानी सुनायी तो कुछ बच्चों को कहानी पूरी की पूरी याद हो गई, कुछ बच्चों को आधी आधी ,कुछ बच्चों को कहानी का नाम तक पता नहीं रहा ।यह सब उन बच्चों की अलग-अलग बुद्धि के कारण हुआ है।

बुद्धि की परिभाषाऐ

टर्मन- व्यक्ति जिस अनुपात में अमूर्त चिंतन करता है उसी अनुपात में बुद्धिमान कहलाता है।

रॉस -नई परिस्थिति के साथ अनुकूलन ही बुद्धि हैं

मन -नई परिस्थिति को झेलने की मस्तिष्क की नमनीयता ही बुद्धि है

सिरिल बर्ट -बुद्धि अच्छी तरह से निर्णय लेने ,तर्क करने और समझने की योग्यता है।

वैश्लर – बुद्धि एक समुच्चय या सार्वजनिक क्षमता है जिसके सहारे व्यक्ति उद्देश्यपूर्ण क्रिया करता है ,विवेकशील चिंतन करता है और वातावरण के साथ प्रभावपूर्ण समायोजन करता है।

बुद्धि के सिद्धांत

एक कारक सिद्धांत
uni factor theory
one factor theory

इस सिद्धांत के प्रतिपादक अल्फ्रेड बिने थे

इस सिद्धांत के अनुसार बुद्धि में केवल एक तत्व है जो सभी क्रियाओं में विद्यमान हैं ।

यदि व्यक्ति में बुद्धि का भंडार है तो जीवन के किसी भी क्षेत्र में प्रयोग कर सकता है और सभी क्षेत्रों में सफलता हासिल कर सकता है।
लेकिन यह सिद्धांत सही व्याख्या नहीं करता है

क्योंकि यदि एक व्यक्ति गणित और विज्ञान में अच्छा हो सकता है लेकिन यह जरूरी नहीं है कि वह भाषा में भी अच्छा होगा या संगीत में भी अच्छा होगा या अर्थशास्त्र में भी अच्छा हो सकता है
ऐसा जरूरी नहीं है इसलिए व्यक्ति सभी क्षेत्रों में सफलता हासिल कर सकता है।

द्वि कारक सिद्धांत –
सामान्य तथा विशिष्ट तत्व का सिद्धांत
द्वि खंड बुद्धि सिद्धांत
बुद्धि का द्वय शक्ति सिद्धांत
G S Factors theory
Two factor theory

इस सिद्धांत का प्रतिपादन स्पीयमैन ने किया।

इस सिद्धांत के अनुसार बुद्धि दो तत्वों से मिलकर बनी है।

सामान्य बुद्धि G(f)और विशिष्ट बुद्धिS(f)

सामान्य बुद्धि – यह सामान्य बुद्धि क्रिया में विद्यमान रहती हैं।
जैसे हमारे दैनिक क्रियाओं जैसे खाना -खाना, उठना बैठना, चलना, ब्रश करना ,सोना ,कपड़े पहनना आदि कार्य सहज रूप से करते हैं।

विशिष्ट बुद्धि- यह बुद्धि विशेष या विशिष्ट कार्य में विद्यमान होती है ।
जैसे कोई व्यक्ति संगीतकार है तो उसमें उसके लिए संगीत वाली विशिष्ट बुद्धि है इसी प्रकार कोई अर्थशास्त्री हैं तो उसमें वह विशिष्ट बुद्धि है। कोई जानवरों और प्रकृति का प्रेमी है उसकी अलग बुद्धि हैं।

Notes by Ravi kushwah।

🌹बुद्धि Intelligence 🌹

मनुष्य अनेक ज्ञानात्मक क्षमताओं से परिपूर्ण होते हैं। मनुष्य में तर्क , नई स्थिति का सामना करने की क्षमता होती है।

अतः इसके बावजूद भी सभी मनुष्यों की बुद्धि एक समान नहीं होती है।

इसमें संदेह नहीं है कि आपकी रुचि , अभिवृत्ति , ज्ञान , कौशल आपकी सफलता प्राप्ति में महत्वपूर्ण योगदान निभाती है।
लेकिन फिर भी कोई ऐसा तत्व अवश्य है जो इन विभिन्नताओं का कारण है।
मनोविज्ञान में इसे ही ” बुद्धि ” कहते हैं।

बुद्धि एक ऐसा मानसिक तत्व है जिसके कारण दो बालकों को एक ही ढंग से पढ़ाए जाने पर स्वयं उनके समझने में अंतर आ जाता है।

🌲 बुद्धि के संदर्भ में विभिन्न मनोवैज्ञानिकों ने निम्नलिखित कथन दिए हैं :-

1.🏵️ टर्मन के अनुसार :-

व्यक्ति जिस अनुपात में अमूर्त चिंतन करता है उसी अनुपात में बुद्धिमान कहलाता है।

2. 🏵️ रॉस के अनुसार :-

नयी परिस्थिति से अनुकूलन ही बुद्धि है।

3. 🏵️ मन के अनुसार :-

नयी परिस्थिति को झेलने की मस्तिष्क की नमनीयता ही बुद्धि है।

4. 🏵️ सिरिल वर्ट के अनुसार :-

बुद्धि , अच्छे तरह से निर्णय लेने , तर्क करने और समझने की योग्यता है।

5. 🏵️ वेश्लर के अनुसार :-

बुद्धि एक समुच्चय या सार्वजनिक क्षमता है जिसके सहारे व्यक्ति उद्देश्य पूर्ण क्रिया करता है , विवेकशील चिंतन करता है और वातावरण के साथ प्रभावपूर्ण समायोजन करता है।

🌲🍁 बुद्धि के प्रकार

1.🌺 बुद्धि का एक कारक सिद्धांत
Uni / One factor theor

” 1905 में अल्फ्रेड विने ” ने इस सिद्धांत को दिया था।

बुद्धि में केवल एक तत्व है जो सभी क्रियाओं में विद्यमान है।
यदि व्यक्ति में बुद्धि का भंडार है तो जीवन के किसी भी क्षेत्र में प्रयोग कर सकता है और सभी क्षेत्रों में सफलता भी हासिल कर सकता है , इसीलिए यह सिद्धांत सही व्याख्या नहीं करता है।

अर्थात कोई व्यक्ति किसी एक क्षेत्र में बुद्धिमान है तो इसका ये मतलब नहीं है कि वह अन्य प्रत्येक क्षेत्रों में भी अवश्य ही बुद्धिमान होगा।

जैसे एक बच्चा यदि हिंदी विषय में होशियार / निपुण है तो वह गणित , अंग्रेजी , विज्ञान आदि विषयों में भी निपुण ही होगा ये आवश्यक नहीं है।

अतः इसीलिये अल्फ्रेड विने द्वारा दिया गया , बुद्धि का एक कारक सिद्धांत सफल नहीं माना गया था।

2. 🌺 द्वी – कारक सिद्धांत
Two factor theory

” ब्रिटिश मनोवैज्ञानिक स्पियरमैन ”

ने बुद्धि का द्वी – कारक सिद्धांत दिया था।

1.सामान्य बुद्धि [ General factor ] ” G ” factor

2.विशिष्ट बुद्धि [ Specific factor ] ” S ” factor

1. 🌿🌻 सामान्य बुद्धि [ G factor ] :-

👉 यह सामान्य बौद्धिक क्रिया में विद्यमान रहता है।

ये हमारे दैनिक जीवन से जुड़ा है जिसे हम प्रतिदिन ही अनुभव करते हैं , जैसे :- स्वयं से ब्रुश करना , भोजन करना , जूते की लेश बाँधना आदि, इसमें किसी विशिष्ट बुद्धि की आवश्यकता नहीं होती है।

2. 🌿🌻 विशिष्ट बुद्धि [ S factor ] :-

👉 यह विशिष्ट कार्य में विद्यमान रहता है।

ये विशेष तौर पर सामान्य बुद्धि पर ही आधारित होता है।

जैसे तर्क लगाना , विशिष्ट बौद्धिक तौर पर कार्य करना आदि।

🌺✒️ Notes by – जूही श्रीवास्तव ✒️🌺

🔆 बुद्धि (intelligence) 🔆

मनुष्य कई प्रकार के तर्क एवं ज्ञानात्मक क्षमताओं से परिपूर्ण होते हैं |
मनुष्य में तर्क,चिंतन मनन, और नई स्थिति का सामना करने की क्षमता होती है |

🍀 क्या सभी मनुष्य एक जैसे होते हैं ?

🍀क्या सभी मनुष्य के तर्क की क्षमता एक जैसी होती है?

🍀क्या सभी मनुष्यों की पसंद एक जैसी होती है ?

🍀क्या सभी मनुष्यों का व्यवहार एक जैसा होता है?
नहीं…….

इसमें कोई संदेह नहीं है कि व्यक्ति
की रुचि,ज्ञान,,अभिवृद्धि,,क्षमता,,
कौशल आदि सब कुछ व्यक्ति की सफलता प्राप्ति में महत्वपूर्ण योगदान निभाते हैं |
लेकिन फिर भी कोई एक ऐसा तत्व अवश्य है जो इन विभिन्नताओं का कारण है मनोविज्ञान में उसे बुद्धि कहते हैं |

कोई समस्या समाधान के लिए जिस मानसिक क्षमता का प्रयोग किया जाता है उसे बुद्धि कहते हैं मानसिक क्षमता के रूप में ज्ञान या संज्ञान को विकसित करना ही बुद्धि है |

बुद्धि एक ऐसा मानसिक तत्व है जिसके कारण दो बालकों को एक ही ढंग से पढ़ाया जाने पर उनके समझने में अंतर आ जाता है |
और यह परिस्थिति पर निर्भर करता है कि हमारी बुद्धि और सोच किस प्रकार की होगी |

🎯 बुद्धि की परिभाषाएं➖

🍀 टर्मन ➖

व्यक्ति जिस अनुपात में अमूर्त चिंतन करता है उसी अनुपात में बुद्धिमान कहलाता है |

🍀 रॉस➖

नई परिस्थिति से अनुकूलन ही बुद्धि है |

🍀 मन ➖

नई परिस्थिति को झेलने की मस्तिष्क की नमनीयता ही बुद्धि है |

🍀 सिरिल बर्ट ➖

बुद्धि अच्छी तरह से निर्णय लेने, तर्क करने, और समझने की योग्यता है |

🍀 वैशलर ➖

बुद्धि एक समुच्चय या सार्वजनिक क्षमता है जिसके सहारे व्यक्ति उद्देश्य पूर्ण क्रिया करता है विवेकशील चिंतन करता है और वातावरण के साथ प्रभावपूर्ण समायोजन करता है |

🎯 बुद्धि के सिद्धांत➖

🍀 एक कारक सिद्धांत➖ अल्फर्ड बिने➖1905

इस सिद्धांत के अनुसार बुद्धि में केवल एक ही तत्व की उपस्थिति होती है जिसको हम सभी कामों में उपयोग करते हैं जो सभी क्रियाओं में विद्यमान होती है |

किसी कार्य व्यवहार या जिस रूप में हम उस कार्य को करने के लिए बुद्धि का प्रयोग करते हैं जो कि एक मानसिक शक्ति है एक ही कारक है |
इसी मानसिक शक्ति के कारण हम सभी कार्यों का संचालन करते हैं |

यदि व्यक्ति में बुद्धि का भंडार है तो जीवन के किसी भी क्षेत्र में प्रयोग कर सकता है और सभी क्षेत्र में सफलता हासिल कर सकता है इसलिए यह सिद्धांत बुद्धि की सही व्याख्या नहीं करता है जैसे यदि किसी व्यक्ति का गणित अच्छा है तो यह आवश्यक नहीं है कि वह कला और अध्ययन में भी अच्छा ही हो |

🍀बुद्धि का द्विकारक सिद्धांत➖ स्पीयरमैन

इनके अनुसार हम सभी के पास एक विशिष्ट योग्यताएं एवं एक सामान्य योग्यता होता है तथा हर व्यक्ति में एक विशेष योग्यता होती है उसको सामान्य नहीं रख सकते हैं इनके अनुसार बुद्धि के दो कारक सामान्य एवं विशिष्ट कारक है इस सिद्धांत को G/S theory. भी कहा जाता है
इसमें सामान्य कारक समान्य श्ररत बुद्धि क्रियाओं में विद्यमान होता है और विशिष्ट कारक उन कार्यों में विद्यमान रहता है जो विशिष्ट होते हैं जिन्हें हम चिंतन करते हैं

नोट्स बाॅय➖ रश्मि सावले

🌻🌼🌸🍀🌺🌼🌸🌼🌸🌻🌼👌👌🌸🌻🌺🌺🌻🍀🌼🌸🍀🌺🌸

🔥🔥 बुद्धि 🔥🔥
(Intelligence)

🌸बुद्धि एक ऐसी शक्ति है जो व्यक्ति को अपनी परिस्थितियों के साथ समायोजन करने की क्षमता प्रदान करती है।
🌸मनुष्य कई ज्ञानात्मक क्षमताओं से परिपूर्ण होता है मनुष्य में तर्क, मनन, नई स्थिति का सामना करने की क्षमता होती है।
इसमें संदेह नहीं है कि आपकी रूचि ,अभिव्यक्ति ,ज्ञान ,कौशल आपके सफलता प्राप्ति में महत्वपूर्ण योगदान है लेकिन फिर भी ऐसा तत्व कोई अवश्य है जो इन विविधताओं का कारण है मनोविज्ञान में इसे ही बुद्धि कहते हैं।
🌸बुद्धि एक ऐसी मानसिक तत्व है जिसके कारण दो बालक एक ही ढंग से पढ़ाई जाने पर उनको समझने में अंतर आ जाता है।

✍🏻 टर्मन के अनुसार➖
व्यक्ति जिस अनुपात में अमूर्त चिंतन करता है उसी अनुपात में बुद्धिमान कहलाता है।

✍🏻 रॉस के अनुसार➖ नई परिस्थितियों से अनुकूलन ही बुद्धि है।

✍🏻 मन के अनुसार➖ नई परिस्थितियों को झेलने की मस्तिष्क की नमनीयता ही बुद्धि है।

✍🏻 बर्ट के अनुसार➖ बुद्धि अच्छी तरह से निर्णय लेने, तर्क करने, और समझने की योग्यता है।

✍🏻 वैश्लर के अनुसार➖ बुद्धि एक समुच्चय किया सार्वजनिक क्षमता है जिसके सहारे व्यक्ति उद्देश्य पूर्ण क्रिया करता है विवेकशील चिंतन करता है वातावरण के साथ प्रभावपूर्ण समायोजन करता है।

🔥🔥 एक कारक सिद्धांत (Uni-factor theory)➖ 🌸इस सिद्धांत का प्रतिपादक अल्फ्रेड बिने (alphard Binet ) ने किया था।

🌸 बुद्धि में केवल एक तत्व है जो सभी क्रियाओं में विद्यमान है यदि व्यक्ति में बुद्धि का भंडार है तो जीवन के किसी क्षेत्र में प्रयोग कर सकता है।
🌸 और सभी क्षेत्रों में सफलता हासिल कर सकता है यह सिद्धांत सही व्याख्या नहीं करता।

🔥🔥द्बि कारक सिद्धांत(Two -factor Theory)➖

🌸 इस सिद्धांत के प्रतिपादक स्पीयर मैन(Spearman) है उनके अनुसार बुद्धि दो तत्वों का समूह है।

🎯 सामान्य योग्यता या बुद्धि (General ability)

🎯 विशिष्ट योग्यता या बुद्धि (Specific ability)

🌸 स्पीयर मैन के अनुसार,सामान्य योग्यता ही बुद्धि है जिसके द्वारा व्यक्ति सभी प्रकार के मानसिक कार्य करता है यह योगिता उसे जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सहायता पहुंचाती है।

🌸विशिष्ट मान्यता व योग्यता है जो जीवन के विशिष्ट क्षेत्रों से संबंधित होते हैं जैसे कोई व्यक्ति चित्रकार है तो उसकी चित्रकारी की योग्यता उसकी विशिष्ट योग्यता है क्योंकि वह केवल चित्र कला के क्षेत्र में ही सहायता पहुंचा सकती है अन्य क्षेत्र में नहीं किसी व्यक्ति में एक विशिष्ट योग्यता हो सकती है और एक से अधिक भी यह योग्यता व्यक्तित्व के विकास में सहायक होती है।

🖊️✍🏻📚📚 Notes by…. Sakshi Sharma📚✍🏻

🌼🌼वुध्दि(Intelligence)🌼🌼

🌺मनुष्य कई ज्ञानात्मक क्षमताओं से परिपूर्ण होते हैं। मनुष्य में तर्क,मनन,नई स्थिति का सामना करने की क्षमता होती है।
🌷 इसमें कोई संदेह नहीं है कि आपकी रूचि, अभिव्यक्ति ज्ञान कौशल आपको सफलता प्राप्ति में महत्त्वपूर्ण योगदान निभाती है लेकिन फिर भी ऐसा तत्व कोई आवश्यक है जो इन विभिन्नताओं का कारण है मनोवैज्ञानिक ने इसे ही वुध्दि कहा है।

🕊️वुध्दि का ऐसा मानसिक तत्व है जिसके कारण दो बालक को एक ही ढंग से पढ़ाएं जाने पर उनके समझने में अन्तर आ जाता है।

🍁टर्मन के अनुसार ÷ व्यक्ति जिस अनुपात में अमूर्त चिंतन करता है उसी अनुपात में वृद्धिमान कहलाता है।

राॅस के अनुसार ÷ नई परिस्थिति से अनुकूलन करना ही वुध्दि है।

🐥मन के शब्दों में ÷ नई परिस्थितियों को झेलने की मस्तिष्क की नमनीयता ही वुध्दि है।

🍂सिरिल बर्ट के अनुसार ÷ वुद्धि अच्छे तरीके से निर्णय लेने व तर्क करने और समझने की योग्यता है।

🌱बैशलर के शब्दों में ÷ वुध्दि एक समुच्चय या सार्वजनिक क्षमता है जिसके सहारे व्यक्ति उद्देश्यपूर्ण क्रिया करता है विवेकशील चिंतन करता है और वातावरण के साथ प्रभावपूर्ण समायोजन करता है।

🌻एक कारक सिद्धांत (One factor theory)🌻

🐤प्रवर्तक — अल्फ्रेड बिने

🍃वुध्दि में केवल एक तत्व है जो सभी क्रियाओं में विद्यमान है,यदि व्यक्ति में वृद्धि का भंडार है तो जीवन के किसी क्षेत्र में प्रयोग कर सकता है। और सभी क्षेत्र में सफलता हासिल कर सकता है।

🍂द्विकारक सिद्धांत (two factor theory)🍂

प्रवर्तक — स्पीयर मैन

🌱इसके दो कारक है ÷
🍁सामान्य वुध्दि
🌿विशिष्ट वुध्दि

🌼 सामान्य वुध्दि ÷ ये सामान्य वुध्दि क्रियाओं में विद्यमान रहता है।
हम दैनिक जीवन में जो कार्य करते हैं वे सभी सामान्य वुध्दि क्रियाओं में ही आते हैं।

🌻विशिष्ट शुद्धि — विशिष्ट वुध्दि , विशिष्ट कार्य में विद्यमान रहती है ।

🌺🌺 Notes by — Babita yadav 🌺🌺

🌸 बुद्धि 🌸
🌸Intelligence🌸

मनुष्य कई ज्ञानात्मक क्षमताओं से परिपूर्ण होते हैं मनुष्य में तर्क, मनन, नए स्थिति का सामना करने की क्षमता होती है।

इसमें संदेह नहीं है कि आपकी रूचि, अभिवृत्ति, ज्ञान कौशल आपके सफलता प्राप्ति में महत्वपूर्ण योगदान निभाती है, लेकिन फिर भी ऐसा तत्व कोई अवश्य है जो इन विभिन्नताओं का कारण है मनोविज्ञान में इसे ही बुद्धि कहते हैं।

बुद्धि एक ऐसा मानसिक तत्व है जिसके कारण दो बालक को एक ही ढंग से पढ़ाई जाने पर उनके समझने में अंतर आ जाता है।

जैसे एक शिक्षक कक्षा में अनेक छात्रों को एक साथ ही अधिगम कराता है किंतु उनमें कुछ ऐसे छात्र होते हैं जो एक बार में ही उस पाठ को याद कर लेते हैं या उनके स्मृति पटल पर वह पढ़ा हुआ पाठ याद हो जाता है और वहीं कुछ ऐसे बच्चे होते हैं जिन्हें दो या तीन बार समझाने पर समझ में आता है, यह सब बुद्धि के कारण ही होता है।

✳️ विभिन्न वैज्ञानिकों द्वारा बुद्धि की परिभाषा

🔹 टर्मन -:
व्यक्ति जिस अनुपात में अमूर्त चिंतन करता है उसी अनुपात में बुद्धिमान कहलाता है।

🔹 रॉस-:
नई परिस्थिति से अनुकूलन ही बुद्धि है।

🔹 मन-:
नई परिस्थिति को झेलने की मस्तिष्क की नमनीयता ही बुद्धि है।

🔹 सिरिल बर्ट-:
बुद्धि अच्छे तरह से निर्माण लेने, तर्क करने और समझने की योग्यता है।

🔹वैशलर-:
बुद्धि एक समुच्चय है या सार्वजनिक क्षमता है जिसके सहारे व्यक्ति उद्देश्य पूर्ण क्रिया करता है, विवेकशील चिंतन करता है और वातावरण के साथ प्रभावपूर्ण समायोजन करता है।

✳️ विभिन्न मनोवैज्ञानिकों द्वारा बुद्धि के प्रकार-:

🔷 एक कारक सिद्धांत/unifactor theory

— यह सिद्धांत अल्फ्रेड बिने द्वारा 1905 ई. में दिया गया।

— अल्फ्रेड बिने कहते हैं कि बुद्धि में केवल एक तत्व की उपस्थिति होती है जो सभी कार्य में विद्यमान हैं।
यदि व्यक्ति में बुद्धि का भंडार है तो वह जीवन के किसी भी क्षेत्र में प्रयोग कर सकता है और सभी क्षेत्र में सफलता हासिल कर सकता है ।
यह सिद्धांत सही व्याख्या नहीं करता।

🔷 द्वि कारक सिद्धांत /two factor theory

–जहां जहां भी बुद्धि लगनी है या जरूरत है वहां दो तरह की बुद्धि होती है –
1 . सामान्य बुद्धि General factor ( G.F )
2 . विशिष्ट बुद्धि Special factor (S.F)

सामान्य बुद्धि सामान्य बौद्धिक क्रिया में विद्यमान रहता है।

विशिष्ट कार्य में विशिष्ट बुद्धि विद्यमान रहती है।

🌸 धन्यवाद
द्वारा —
वंदना शुक्ला

बुद्धि (intelligence)🔥

बुद्धि शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग 1885 में फ्रांसिस ‘ गाल्टन ने किया।

मनुष्य कर्म ज्ञानात्मक क्षमताओं से परिपूर्ण होते हैं मनुष्य में तर्क, मनन, नई स्थिति का सामना करने की क्षमता होती है।

क्या सारे मनुष्य एक जैसे हैं?
इसमें संदेह नहीं है कि आपकी रूचि, अभिवृत्ति, ज्ञान, कौशल आपके सफलता प्राप्ति में महत्वपूर्ण योगदान निभाते हैं। लेकिन फिर भी ऐसा तत्व कोई अवश्य है जो इन विभिन्नता का कारण है मनोविज्ञान में इसे ही ‘बुद्धि’ कहते हैं।

बुद्धि एक ऐसा मानसिक तत्व है जिसके कारण दो बालक को एक ही ढंग से पढ़ाई जाने पर उनके समझने में अंतर आ जाता है।

बुद्धि की परिभाषा 🔥

👉टर्मन के अनुसार,”व्यक्ति जिस अनुपात में अमूर्त चिंतन करता है उसी अनुपात में बुद्धिमान कहलाता है।

👉रॉस के अनुसार,”नई परिस्थिति से अनुकूलन ही बुद्धि है।”

👉मन के अनुसार, “नई परिस्थिति को झेलने की मस्तिष्क की नमनीयता ही बुद्धि है।”

👉बर्ट के अनुसार,”बुद्धि अच्छी तरह से निर्णय लेने, तर्क करने और समझने की योग्यता है।”

👉वैशलर के अनुसार,”बुद्धि एक समुच्चय या सार्वजनिक क्षमता है जिसके सहारे व्यक्ति उद्देश्य पूर्ण क्रिया करता है, विवेकशील चिंतन करता है और वातावरण के साथ प्रभावपूर्ण समायोजन करता है।”

बुद्धि का सिद्धान्त 🔥

एक कारक सिद्धांत (unifactor theory)

एक कारक सिद्धांत अल्फ्रेड बिने ने दिया था। बुद्धि में केवल एक तत्व है जो सभी क्रियाओं में विद्यमान है यदि व्यक्ति में बुद्धि का भंडार है तो जीवन के किसी क्षेत्र में प्रयोग कर सकता है और सभी क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकता है। यह सिद्धांत सही व्याख्या नहीं करता। जैसे – अगर किसी बच्चे को हिंदी भाषा आती है तो आवश्यक नहीं है कि उसको अंग्रेजी, गुजराती, मराठी, आदि भाषाएं भी आए।

द्वि कराक सिद्धान्त (two factor theory)

बुद्धि का ‘द्वि कारक सिद्धांत’ स्पीयर मैन दिया था।

1. सामान्य बुद्धि (general factor)

यह सामान्य बौद्धिक क्रिया में विद्यमान रहती है।

2. विशिष्ट बुद्धि (specific factor)

विशिष्ट कार्य में विद्यमान रहता है।

✍️नोट्स – श्रेया राय 🙏

🏵️ बुद्धि( intelligence)
👉मनुष्य कई ज्ञानात्मक क्षमताओं से परिपूर्ण होते हैं मनुष्य में तर्क, मनन, नई स्थिति का सामना करने की क्षमता होती है इसमें संदेह नहीं है कि आपकी रूचि, अभिवृत्ति, ज्ञान कौशल आपके समस्या प्राप्त में महत्वपूर्ण योगदान निभाती है लेकिन फिर भी ऐसा तत्व कोई अवश्य है जो इन विभिन्नताओं का कारण है मनोविज्ञान में इसे ही बुद्धि कहते हैं।
👉 बुद्धि एक ऐसा मानसिक तत्व है जिसके कारण दो बालक को एक ही ढंग से बढ़ाए जाने पर उनके समझने में अंतर पाया जाता है।
🌸 टर्मन के अनुसार—व्यक्ति जिस अनुपात में अमूर्त चिंतन करता है उसी अनुपात में बुद्धिमान कहलाता है।
🌸 रास के अनुसार—नई परिस्थिति से अनुकूलन ही बुद्धि है।
🌸 मन के अनुसार—नई परिस्थिति को झेलने की मस्तिष्क की नवनीयता ही बुद्धि है।
🌸 बर्ट के अनुसार—बुद्धि अच्छी तरह से निर्णय लेने, तर्क करने और समझने की योग्यता है।
🌸 बैशलर के अनुसार—बुद्धि एक समुच्चय या सार्वजनिक क्षमता है जिसके सहारे व्यक्ति उद्देश्य पूर्ण क्रिया करता है। विवेकशील चिंतन करता है और वातावरण के साथ प्रभावपूर्ण समायोजन करता है।
🏵️ एक कारक सिद्धांत(one factor theory)—
👉 इस सिद्धांत को अल्फ्रेड बिने ने दिया।
👉 बुद्धि मैं केवल एक तत्व है जो सभी क्रियाओं में विद्वमान है यदि व्यक्ति में बुद्धि का भंडार है तो जीवन के किसी क्षेत्र में प्रयोग कर सकता है और सभी क्षेत्र में सफलता हासिल कर सकता है।
👉 यह सिद्धांत सही व्याख्या नहीं करता है।
🏵️ द्विकारक सिद्धांत (two factor theory)—
👉 इस सिद्धांत को स्पीयरमैन ने दिया।
👉 इस सिद्धांत को G.S factor theory के नाम से भी जाना जाता है।
👉 स्पीयरमैंन ने बुद्धि को दो भागों में बांटा है-
1-सामान्य बुद्धि(general factor) इसे G.F नाम से जाना जाता है।
👉यह सामान्य बौद्धिक क्रिया में विद्यमान रहता है।
2-विशिष्ट बुद्धि (specibic factor theory) इसे S.F नाम से जाना जाता है।
👉 यह विशिष्ट कार्य में विद्यमान रहता है।
🔸🔹🔸
🌸🏵️🌺 Notes by–Vinay Singh Thakur

Intelligence (बुद्धि)

👉🏻मनुष्य कई ज्ञानात्मक क्षमताओं से परिपूर्ण होते हैं।
मनुष्य में तर्क, मनन, तथा नई स्थिति का सामना करने की क्षमता होती है।

👉🏻प्रश्न उठता है कि–क्या सारे मनुष्य एक जैसे होते हैं?
तो जवाब मिलता है नहीं।
अर्थात, इसमें संदेह नहीं है कि आपकी रूचि,अभिवृत्ति, ज्ञान,कौशल एवं आपके सफलता प्राप्ति में महत्वपूर्ण योगदान निभाती है, लेकिन फिर भी ऐसा तत्व अवश्य है जो इन विभिन्नताओ का कारण है मनोविज्ञान में इसे ही बुद्धि कहते हैं।

👉🏻बुद्धि एक ऐसा मानसिक तत्व है जिसके कारण दो बालकों को एक ही ढंग से पढ़ाए जाने पर उनके समझने में अंतर आ जाता है।

👉🏻अर्थात हम कह सकते हैं कि बुद्धि एक सामान्य मानसिक क्षमता है।
इससे कई तरह की क्षमताओं का एक संपूर्ण योग माना गया है,जिसके सहारे व्यक्ति उद्देश्य पूर्ण क्रियाएं करता है, विवेकशील चिंतन करता है तथा वातावरण के साथ प्रभावपूर्ण ढंग से समायोजन करता है।
👉🏻व्यक्तिगत विभिन्नता के आधार पर हर व्यक्ति में बुद्धि का स्तर आनुवांशिकीय एवं पर्यावरणीय कारको के कारण अलग अलग होता है।

*बुद्धि की परिभाषाएं
१. टरमन के अनुसार—’व्यक्ति जिस अनुपात में अमूर्त चिंतन करता है उसी अनुपात में बुद्धिमान कहलाता है’।

२.रॉस के अनुसार— ’नई परिस्थिति से अनुकूलन करना ही बुद्ध है’।

३.मन के अनुसार—’नई परिस्थिति को झेलने की मस्तिष्क की नवीनता ही बुद्धि है’।

४.सिरिल बर्ट के अनुसार—’बुद्धि अच्छी तरह से निर्णय लेने, तर्क करने और समझने की योग्यता है’।

५. वेश्लर के अनुसार—’बुद्धि एक समुच्चय है या सार्वजनिक क्षमता है जिसके सहारे व्यक्ति उद्देश्य पूर्ण क्रिया करता है,विवेकशील चिंतन करता है और वातावरण के साथ प्रभावपूर्ण समायोजन करता है’।

**बुद्धि के सिद्धांत
१. एक कार के सिद्धांत (unifactor theory/one factor theory):—
यह सिद्धांत अल्फर्ट बिने के द्वारा दिया गया (1905)

इस सिद्धांत के अनुसार बुद्धि में केवल एक तत्व है जो सभी क्रियाओं में विद्यमान है। यदि व्यक्ति में बुद्धि का भंडार है तो जीवन के किसी भी क्षेत्र में प्रयोग कर सकता है और सभी क्षेत्रो में सफलता हासिल कर सकता है ।

लेकिन सभी व्यक्ति एक ही जैसा व्यवहार नहीं करते हैं इसलिए यह सिद्धांत सही व्याख्या नहीं करता।
उदाहरण के लिए जो बच्चा हिंदी में अच्छा है कोई जरूरी नहीं कि वह गणित विषय में भी अच्छा हो।

२. द्विकारक सिद्धांत (two factor theory):—
यह सिद्धांत स्पीयर मैन के द्वारा दिया गया।

Spearman ne द्वि कारक सिद्धांत के दो तत्व बताएं-
१. सामान्य कारक (general factor)— G/ s factor theory भी बोलते है।
यह सामान्य बौद्धिक क्रिया में
विद्यमान रहता है।
२. विशिष्ट कारक (specific factor):—यह विशिष्ट कार्य में विद्यमान रहता है

Notes by Shivee kumari😊

🎯बुद्धि (intelligence )🎯

मनुष्य कई ज्ञानात्मक क्षमताओं से परिपूर्ण होते हैं। मनुष्य में तर्क, मनन, नई स्थिति का सामना करने की क्षमता होती है।

इसमें संदेह नहीं है कि अपनी रुचि अभिवृत्ति ज्ञान कौशल आपके सफलता प्राप्ति मैं महत्वपूर्ण योगदान निभाती है मैं महत्वपूर्ण है। लेकिन फिर भी ऐसा कोई तत्त्व अवश्य है जो इन विभिनताओं का कारण है मनोवैज्ञानिक में इसे ही बुद्धि कहते हैं।

🌼बुद्धि एक ऐसा मानसिक तत्व है जिसके कारण दो बालक को एक ही ढंग से पढ़ाए जाने पर उनके समझने में अंतर आ जाता है।

🌈बुद्धि के संदर्भ में अलग-अलग मनोवैज्ञानिक ने अलग-अलग परिभाषा दिए…………..

💫टर्मन के अनुसार ~

व्यक्ति जिस अनुपात में अमूर्त चिंतन करता है उसी अनुपात में बुद्धिमान कहलाता हैं।

💫रॉस के अनुसार ~
नई परिस्थिति से अनुकूलन हीं बुद्धि है।

💫मन के अनुसार ~
नई परिस्थिति को झेलने की मस्तिष्क की नमनीयता ही बुद्धि हैं।

💫 बर्ट के अनुसार :-
बुद्धि अच्छे स्तर से निर्णय लेने, तर्क करने और समझने की योग्यता है।

💫वैशलर के अनुसार :-

बुद्धि एक समुच्य या सार्वजनिक क्षमता है जिसके सहारे व्यक्ति उद्देश्यपूर्ण क्रिया करता है विवेकशील चिंतन करता है और बता वरण के साथ प्रभावपूर्ण समायोजन करता है।

💫बुद्धि का सिद्धांत

💫एक कारक सिद्धांत(unifactor theory/one factor theory)

बुद्धि का एक कारक सिद्धांत अल्फ्रेड बिने ने 1905 ईस्वी में दिया।

बुद्धि में केवल एक ही तत्व है जो सभी क्रियाओं में विद्यमान है यदि व्यक्ति में बुद्धि का भंडार है तो जीवन के किसी भी क्षेत्र में प्रयोग कर सकता है और सभी क्षेत्र में सफलता हासिल कर सकता है।

यह सिद्धांत सही व्याख्या नहीं करता है जैसे -किसी बच्चों में संस्कृत का ज्ञान हैं तो आवश्यक नहीं है कि अंग्रेजी में भी उतना ही ज्ञान हो।

💫द्वि कारक सिद्धांत (two factor theory)

द्वि कारक सिद्धांत का प्रतिपादन स्पीयरमैंन किया था।

👉(1) सामान्य बुद्धि (general fector/G.F)
यह सामान्य बौद्धिक क्रिया में विद्यमान रहता है। जैसे- अपने घर में कपड़ा पहनना।

👉(2) विशिष्ट बुद्धि (specific factor/s.f)

सभी कार्य में विद्यमान नहीं रहता है यह सिर्फ विशिष्ट कार्य में विद्यमान रहता है। जैसे-शादी में जाने के लिए विशेष प्रकार का कपड़ा पहनना।

🌼💐🌻🌺🙏Notes by-SRIRAM PANJIYARA 🌈🌸💥🌺🙏