Learning theories of thorndike

थार्नडाइक के सीखने/अधिगम के नियम-जीव जंतु ,पशु पक्षी, मानव ,सभी प्रकृति के किसी न किसी नियम के अनुसार जीवन व्यतीत कर रहे हैं।
सीखने की प्रक्रिया भी इसी तरह नियमों के हिसाब से चलती है।

थार्नडाइक ने सीखने के तीन मुख्य या प्राथमिक नियम और 5 गौण या द्वितीयक नियम दिए हैं

सीखने के मुख्य नियम-3

  1. तत्परता का नियम low of readiness
    जब हम किसी कार्य को करने के लिए तत्पर होते हैं तो उसे शीघ्र सीख लेते हैं
    समस्या को हल करने के लिए प्रयत्नशील होना तत्परता है।
  2. अभ्यास का नियम law of practice
    अभ्यास कुशल बनाता है
    यदि हम किसी कार्य का अभ्यास करते हैं तो उसे सफलतापूर्वक सीख जाते हैं और उसमें कुशल हो जाते हैं
    अगर सीखे हुए कार्य का अभ्यास नहीं करते हैं तो उसे भूल जाते हैं

अभ्यास से सीखना स्थायी हो जाता है इसे उपयोग का नियम कहते हैं
बिना अभ्यास से ज्ञान विस्मृत हो जाता है इसे अनुपयोग का नियम कहते हैं।

  1. प्रभाव का नियम/परिणाम का नियम/संतोष का नियम
    Law of effect /logo of satisfaction

प्राय हम उस कार्य को ज्यादा अच्छे से करना चाहते हैं जिसका परिणाम हमारे लिए हितकर होता है जिससे हमें सुख और संतुष्टि मिलती है
यदि कष्ट होता है तो हितकर नहीं है तो कार्य को नहीं दोहराते हैं

सीखने के गौण नियम-5

  1. Law of disposition मनोवृति का नियम-
    जिस कार्य में जैसे मनोवृति या अभिवृत्ति रहते हैं हम उसी अनुपात में सीखते हैं
  2. बहु अन्य क्रिया का नियम law of multiple response
    -हम किसी नए कार्य को करने के लिए अनेक प्रकार की अनुक्रिया करते हैं जिस अनुक्रिया से हमें लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद मिलती हैं उसे आगे ले जाते हैं और जिस अनुक्रिया से लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद नहीं मिलती हैं उसे छोड़ देते हैं

3.आंशिक क्रिया का नियम low of particle activity-
समस्या को छोटे-छोटे भाग में तोड़ने पर समस्या आसान हो जाती है

  1. अनुरूपता का नियम/ सादृश्यता का नियम law of analogy –
    पूर्व अनुभव और प्रयत्न को स्मरण करना और वहां से समाधान खोजना

5.संबंधित परिवर्तन का नियम या साहचर्य का नियम law of associative shifting-
इसमें क्रिया का स्वरूप तो वही रहता है लेकिन परिस्थिति बदल जाती है

Notes by Ravi kushwah 😇

🌸 थार्नडाइक के मुख्य / गौण अधिनियम के नियम🌸

अधिगम के नियम-जीव, जंतु ,पशु ,पक्षी ,मानव सभी प्रकृति के किसी ने किसी नियम के अनुसार जीवन व्यतीत कर रहे हैं।

सीखने की प्रक्रिया भी इसी तरह नियमों के हिसाब से चलती है सीखने का प्रमुख नियम 3 हैं

1-तत्परता का नियम-जब हम किसी कार्य को करने के लिए तत्पर होते हैं तो उसे शीघ्र सीख लेते हैं समस्या को हल करने के लिए प्रयत्नशील होना तत्परता है।

2-अभ्यास का नियम-अभ्यास कुशल बनाता है यदि हम किसी कार्य का अभ्यास करते हैं तो उससे सरलता पूर्वक सीख जाते हैं तो उसमें कुशल हो जाते हैं अगर हम सीखे हुए कार्यों का अभ्यास नहीं करते हैं तो उसे भूल जाते हैं।

अभ्यास से सीखना स्थाई हो जाता है इसे उपयोग का नियम कहते हैं बिना अभ्यास के ज्ञान विस्तृत हो जाता है इसे अनुप्रयोग का नियम कहते हैं।

सीखने के गौण नियम 5 है

1-मनोवृत्ति का नियम-जिस कार्य में किसी मनोवृति या अभिवृत्ति रहती है हम उसे अनुमान से सीखते हैं।

2-बहु अनुक्रिया का नियम-इसलिए हम के अनुसार जब व्यक्ति के सामने कोई भी समस्या आती है तो वह उसे सुलझाने के लिए अनेक प्रकार की अनुक्रिया करते हैं और इन अनु क्रियाओं को करने का क्रम तब तक चलता रहता है जब तक वह सही अनुक्रिया का रूप में समस्या का समाधान नहीं कर लेता है इस प्रकार अपनी समस्या को सुलझा ने पर व्यक्ति संतोष का अनुभव करता है।

3-आंशिक क्रिया का नियम-इस नियम के अनुसार किसी कार्य को अंशत: विभाजित करके किया जाता है तो वह शीघ्रता से सीखा जा सकता है।

4-अनुरूपता का नियम-इस नियम का आधार पूर्व अनुभव है प्राणी किसी नवीन परिस्थिति या समस्या के उपस्थित होने पर उससे मिलती-जुलती अनेक परिस्थितियों यह समस्या का स्मरण करता है जिससे वह पहले भी अनुभव कर चुका है वह उसके प्रति वैसा ही प्रतिक्रिया करेगा जैसा कि उसने पहली परिस्थिति एवं समस्या के साथ की थी।

5-संबंधित परिवर्तन का नियम या साहचर्य का नियम-क्रिया का स्वरूप वही रहता है पर स्थिति बदल जाती है।

✍🏻📚📚 Notes by….. Sakshi Sharma✍🏻

Difference in special and normal child

विशिष्ट बालक एवं सामान्य बालक-

Point -1

1-विशिष्ट बालक -शारीरिक रूप से अस्वस्थ होते हैं, दुबले पतले एवं अत्यधिक लंबे होते हैं, पोलियो ग्रस्त, लंबे सिर वाले, कम सुनने वाले, कंधे तथा मोटे शरीर वाले होते हैं।
2-सामान्य बालक-सामान्य बालक शारीरिक रूप से स्वस्थ तथा खिलाड़ी शरीर के होते हैं।

Point-2

1-विशिष्ट-शारीरिक रूप से ग्रस्त होने के कारण मानसिक रूप से भी ग्रस्त होते हैं, यह जल्दी तनाव या संघर्ष में आ जाते हैं।
2-सामान्य बालक-शारीरिक रूप से स्वस्थ होने के कारण मानसिक बीमारी से ग्रस्त नहीं होता है।

Point-3

1-विशिष्ट -बुद्धि लब्धि 140 से अधिक-प्रतिभाशाली

बुद्धि लब्धि 90 से कम-मंदबुद्धि

2-सामान्य बालक- 90-100

Point-4

1-विशिष्ट बालक-खुद और साथियों के साथ समायोजन करना कठिन होता है।

2-सामान्य-स्वयं और साथी के साथ बेहतरीन तरह से समायोजन करते हैं।

Point-5

1-विशिष्ट बालक-सूचनाओं को यथाशीघ्र सीख लेता है या फिर बार-बार समझाने पर भी नहीं समझ पाता है।
2-सामान्य बालक- दी गई सूचना को भलीभांति देख लेता है।

Point-6

1-विशिष्ट बालक-विद्यालय समाज में अच्छा समायोजन नहीं कर पाता।
2-सामान्य बालक -विद्यालय समाज में अच्छा समायोजन कर लेता है।

point-7

1-विशिष्ट बालक शैक्षिक उपलब्धि या तो बहुत अच्छी होती है या बहुत न्यून या शून्य होती है, जिसके कारण प्रायः असफलता का सामना करते हैं।
2-सामान्य बालक-शैक्षिक उपलब्धि में सफल होते हैं, और उनकी शैक्षिक उपलब्धि अच्छी होती है।

Point-8

1-विशिष्ट बालक अंतर्मुखी होते हैं और अपने में खोए रहते हैं,
2-सामान्य बालक उभय मुखी होते हैं और एक दूसरे से मेलजोल बढ़ाने में निपुण होते है।

Point-9

1-विशिष्ट बालक अति आशावादी/अति निराशावादी-ज्यादा अच्छे व्यवहारिक नहीं होते हैं।
2-सामान्य बालक-आशावादी होने के साथ-साथ जीवन को व्यावहारिक ढंग से जीने की इच्छा रखते हैं।

Thank you 😊
Written by Shikhar

Specific child VS Average child
विशिष्ट बालक और सामान्य बालक में अंतर

  1. विशिष्ट बालक शारीरिक रूप से अस्वस्थ होते हैं जैसे पतले, अत्यधिक लंबे, पोलियो ग्रस्त ,लंबे सिर वाले, अंधै, कम सुनते तथा मोटे शरीर वाले होते हैं

जबकि सामान्य बालक शारीरिक रूप से स्वस्थ तथा खिलाड़ी शरीर के होते हैं

  1. विशिष्ट बालक शारीरिक रूप से ग्रस्त होने के कारण मानसिक रूप से भी ग्रस्त होते हैं यह जल्दी तनाव या संघर्ष में आ जाते हैं

जबकि सामान्य बालक शारीरिक रूप से स्वस्थ होने के कारण मानसिक बीमारी से ग्रस्त नहीं होते हैं

  1. विशिष्ट बालक की बुद्धि लब्धि या तो 140 से अधिक अर्थात प्रतिभाशाली या 90 से कम अर्थात मंदबुद्धि होते हैं

जबकि सामान्य बालक की बुद्धि लब्धि 90 से 110 होती है

  1. विशिष्ट बालक का खुद और साथियों के साथ समायोजन करना कठिन होता है

जबकि सामान्य बालक स्वयं और साथियों के साथ बेहतरीन समायोजन करते हैं।

  1. विशिष्ट बालक सूचनाओं को या तो यथाशीघ्र सीख लेता है या फिर बार-बार समझाने पर भी नहीं समझ पाते हैं

जबकि सामान्य बालक दी गई सूचनाओं को भलीभांति सीख लेता है।

  1. विशिष्ट बालक विद्यालय या समाज में अच्छा समायोजन नहीं कर पाता है

जबकि सामान्य बालक विद्यालय या समाज में अच्छा समायोजन कर लेता है

  1. विशिष्ट बालक की शैक्षिक उपलब्धि EQ या तो बहुत अच्छी या बहुत न्यून या शून्य होती हैं जिसके कारण प्राय असफलता का सामना करते हैं

जबकि सामान्य बालक सफल होते हैं और इनकी शैक्षिक लब्धि भी अच्छी होती है

  1. विशिष्ट बालक प्राय अंतर्मुखी होते हैं और अपने में खोए रहते हैं

जबकि सामान्य बालक प्राय उदय मुखी होते हैं यह एक दूसरे से मेलजोल बढ़ाने में निपुण होते हैं

  1. विशिष्ट बालक अति आशावादी/ अति निराशावादी ज्यादा व्यावहारिक नहीं होते हैं
    जबकि सामान्य बालक प्राय आशावादी होते हैं जीवन को व्यवहारिक ढंग से जीने की इच्छा रखते हैं।

Notes by Ravi kushwah

1–विशिष्ट बालक /सामान्य बालक –

शारीरिक रूप से अस्वस्थ जैसे पतले , अत्यधिक लंबे,पोलियो ग्रस्त, लंबे सिर वाले,कम सुनने वाले तथा मोटे शरीर वाले होते हैं।

सामान्य– सामान्य वाला सारे रूप से स्वस्थ तथा खिलाडी शरीर की होते है।

2– विशिष्ट शारीरिक रूप से ग्रस्त होने के कारण मानसिक रूप से भी ग्रस्त होते हैं यह जल्दी तनाव या संघर्ष में आ जाते हैं।

सामान्य– शारीरिक रूप से स्वस्थ होने के कारण मानसिक बीमारी से ग्रस्त नहीं होतेहै।

3– विशिष्ट– 140 से अधिक प्रतिभाशाली ।
90 से कम मंदबुद्धि।

सामान्य –90 से 110 के बीच

4–विशिष्ट– खुदऔर साथियों के साथ समायोजन करना कठिन होता है ।

सामान्य –स्वयं और साथियों के साथ बेहतरीन समायोजन कर पाते हैं।

5– विशिष्ट– सूचनाओं को यथा शीघ्र सीख लेते हैं ।या फिर कई बार समझाने पर भी नहीं समझ पाते ।

सामान्य –दी गई सूचनाओं को भलीभांति सीख लेता है ।
6
6–विशिष्ट– विद्यालय या समाज में अच्छा समायोजन नहीं कर पाते है।

सामान्य –इस वर्ग के बच्चे अच्छा समायोजन कर लेते हैं।

7– विशिष्ट– शैक्षिक उपलब्धि या तो बहुत अच्छी होगी या तो बहुत न्यूनतम होगी जिसके कारण असफलता का सामना करते हैं ।

सामान्य –यह सफल होते हैं। शैक्षिक उपलब्धि भी अच्छी होती है।

8– विशिष्ट –विशिष्ट बालक अंतर्मुखी होते हैं। और अपने में खोए रहते हैं।

सामान्य– प्राय यह उभय मुखी होते हैं ।एक दूसरे से मेलजोल बढ़ाने में निपुण होते हैं ।

9–विशिष्ट –यह बालक अति आशावादी या अति निराशावादी और ज्यादा व्यावहारिक नहीं होते हैं।

सामान्य– बालक आशावादी होने के साथ-साथ जीवन को व्यावहारिक ढंग से जीने की इच्छा भी होती है।

पूनम शर्मा

विशिष्ट बालक और सामान्य बालक➖

1) विशिष्ट बालक शारीरिक रूप से अस्वस्थ होते हैं जैसे पतले, अत्याधिक लंबे, पोलियोग्रस्त, लंबे सिर वाले, अंधे ,कम सुनने वाले, तथा मोटे शरीर वाले |
जबकि
सामान्य बालक शारीरिक रूप से स्वास्थ्य तथा खिलाड़ी शरीर के होते हैं |

2) विशिष्ट बालक शारीरिक रूप से ग्रस्त होने के कारण मानसिक रूप से ग्रस्त होते हैं जल्दी तनाव या संघर्ष में आ जाते हैं |
जबकि
सामान्य बालक शारीरिक रूप से स्वस्थ होने के कारण मानसिक बीमारी से ग्रस्त नहीं होते हैं |

3) विशिष्ट बालक की बुद्धि लब्धि 140 से अधिक और 90 से कम होती है |
जबकि
सामान्य बालक की बुद्धि लब्धि 90 स- 110 के बीच होती है |

4) विशिष्ट बालक को खुद और साथियों के साथ समायोजन करना कठिन होता है |
जबकि
सामान्य बालक स्वयं और साथियों के साथ बेहतरीन समायोजन करते हैं |

5) विशिष्ट बालक सूचनाओं को यथाशीघ्र सीख लेता है या फिर बार-बार समझाने पर भी नहीं सीख पाता है |
जबकि
सामान्य बालक दी गई सूचना को भलीभांति सीख लेता है |

6) सामान्य बालक विद्यालय या समाज में अच्छा समायोजन नहीं कर पाता है |
जबकि
सामान्य बालक अच्छा समायोजन करता है |

7) विशिष्ट बालक की शैक्षिक उपलब्धि या तो बहुत अच्छी होती है या न्यून / शून्य होती है जिसके कारण प्राय: सफलता का सामना करते हैं |
जबकि
सामान्य बालक सफल होते हैं उनकी शैक्षिक उपलब्धि अच्छी होती है |

8) विशिष्ट बालक अंतर्मुखी होती है और अपने में खोए रहते हैं |
जबकि
सामान्य बालक प्राय: उभयमुखी होते है एक दूसरे से मेलजोल बढ़ाने में निपुण होते हैं |

9) विशिष्ट बालक अतिआशावादी, अति निराशावादी और ज्यादा व्यावहारिक नहीं होते हैं |
जबकि
सामान्य बालक प्राय: आशावादी होते हैं जीवन को व्यवहारिक ढंग से जीने की इच्छा रखते हैं |

𝙉𝙤𝙩𝙚𝙨 𝙗𝙮 𝙍𝙖𝙨𝙝𝙢𝙞 𝙨𝙖𝙫𝙡𝙚

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🌸🌼 विशिष्ट बालक /सामान्य बालक🌼🌸

1-विशिष्ट -शारीरिक रूप से स्वस्थ होते हैं पतले ,अत्यधिक लंबे ,पोलियो ग्रस्त ,लंबे सिर वाले, अंधे, कम सुनने तथा मोटे शरीर वाले होते हैं।

सामान्य- शारीरिक रूप से स्वास्थ्य तथा खिलाड़ी शरीर के होते हैं।

2-विशिष्ट-शारीरिक रूप से ग्रस्त होने के कारण मानसिक रूप से भी ग्रस्त होते हैं यह जल्दी तनाव या संघर्ष में आ जाते हैं।

सामान्य-शारीरिक रूप से स्वस्थ होने के कारण मानसिक बीमारी से ग्रस्त नहीं होते हैं।

3-विशिष्ट-140 से अधिक प्रतिभाशाली, 90 से कम मंदबुद्धि

सामान्य-90-110 के बीच

4-विशिष्ट-खुद और साथियों के साथ समायोजन करना कठिन होता है।

सामान्य-स्वयं और साथियों के साथ बेहतरीन समायोजन करते हैं।

5-विशिष्ट-सूचनाओं को यथाशीघ्र सीख लेते हैं या फिर बार-बार सीखने में भी नहीं समझ पाते हैं।

सामान्य-दी गई सूचना को भलीभांति सीख लेते हैं।

6-विशिष्ट-विद्यालय यह समाज में अच्छा समायोजन नहीं कर पाते हैं।

सामान्य-अच्छा समय नियोजन कर पाते हैं।

7-विशिष्ट-शैक्षिक उपलब्धि या तो बहुत अच्छी यह बहुत न्यून या शून्य होती है जिसके कारण प्राय: असफलता का पालन करते हैं।

सामान्य-सफल होते हैं शैक्षिक उपलब्धि अच्छी होती है।

8-विशिष्ट-बालक प्राय: अंतर्मुखी होते हैं और अपने में खोए रहते हैं।

सामान्य-प्राय: उभयर्मुखी होते हैं एक- दूसरे से मेलजोल बढ़ाने में निपुण होते हैं।

9-विशिष्ट-अति आशावादी ,अति निराशावादी ज्यादा व्यावहारिक नहीं होते हैं।

सामान्य-प्राय: आशावादी होते हैं जीवन को व्यवहारिक ढंग से सीखने की इच्छा रखते हैं।

✍🏻📚📚 Notes by…. Sakshi Sharma✍🏻

Creating environment for learning

सीखने का वातावरण बनाना
Creating environment for learning

अधिगम का वातावरण

  1. एक पठन पर्यावरण का निर्माण करना-इससे आप छात्रों को पढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं
  2. पुस्तकों के लिए एक हिस्सा बनाना-बालकों की कक्षा कक्ष में एक मिनी लाइब्रेरी बनानी चाहिए वहां पर बालकों की रूचि के अनुसार पुस्तक के होनी चाहिए
  3. छात्रों को पठन
    पठन के बारे में छात्रों से चर्चा करेंगे
    बच्चों को अभिव्यक्ति का मौका देंगे
    बच्चों को ऊंची आवाज में पढ़ने के लिए बोला जाए इससे बच्चों में आत्मविश्वास आता है और वह स्वतंत्र अभिव्यक्ति करने मे कुशल होते हैं।
  4. छात्रों के शब्दों और चित्रों की पुस्तकें तैयार करना

Notes by Ravi kushwah

☘️🌼 अधिगम का वातावरण बनाना🌼☘️

अधिगम का वातावरण
1-एक पठन पर्यावरण निर्माण करना इससे आप छात्रों को पढ़ने के लिए प्रेरित करें।
2-पुस्तकों के लिए एक हिस्सा बनाना।
3-छात्रों को पठान
पठान के बारे में छात्रों से चर्चा करेंगे बच्चों को अभिव्यक्ति का मौका देंगे बच्चों को ऊंची आवाज में पढ़ने के लिए बोला जाए जिससे बच्चों के मन में आत्मविश्वास पैदा होगा तथा वह स्वतंत्र रूप से अपनी बात को अभिव्यक्त करने का विकास कर सके।
4-छात्रों के शब्दों और चित्रों की पुस्तक तैयार करना

✍🏻📚📚 Notes by….
Sakshi Sharma📚📚✍🏻

Special child notes

समावेशी शिक्षा
विशिष्ट बालक
CWSN-children with specific need

विशिष्ट बालक-जिन बालकों में सोचने समझने सीखने समायोजन आदि की योग्यताएं सामान्य से भिन्न होती हैं और जो किसी कार्य को सामान्य से अधिक शीघ्रता या विलंब से करते हैं विशिष्ट बालक कहलाते हैं

बौद्धिक रूप से विशिष्ट बालक
-प्रतिभाशाली
-मंद बुद्धि

शारीरिक दृष्टि से विशिष्ट बालक
-अंधे
-बहरे
-विकलांग
-वाणी दोष

सामाजिक दृष्टि से विशिष्ट
-कुसमायोजित
-समस्यात्मक बालक

जो विशिष्ट बालक की श्रेणी में आते हैं उनकी शिक्षा में निम्नलिखित चीजों का ध्यान रखना आवश्यक है
-क्षमता
-योग्यता
-रुचि
-आवश्यकता
-अभि योग्यता

क्रो एंड क्रो के अनुसार-

विशिष्ट या असाधारण शब्द ऐसे गुणों या व्यक्ति, जिसमें वह गुण है, के लिए प्रयुक्त किया जाता है जो सामान्य व्यक्ति द्वारा प्रदर्शित उन्हीं गुणों से इस सीमा तक विभिन्नता लिए होता है जिसके कारण व्यक्ति विशेष की ओर उसके साथियों को दयान देना पड़ता है या दिया भी जाता है और उसके कारण ही उनकी व्यवहारिक प्रतिक्रिया और कार्य प्रभावित होते हैं

है़क के अनुसार

विशिष्ट बालक वह है जो किसी एक अथवा कई गुणों की दृष्टि से सामान्य बालक से भिन्न होते हैं

एस ए क्रिक/किर्क-
विशिष्ट बालक वह है जो सामान्य अथवा औसत बालक से मानसिक शारीरिक तथा सामाजिक विशेषताऐ से इतना अधिक भिन्न है कि वह विद्यालय व्यवस्थाओं में संशोधन विशेष सेवाएं और पूरक शिक्षण जाता है जिससे वह अपनी अधिकतम क्षमता का विकास कर सके।

उपरोक्त परिभाषा का विस्तृत अध्ययन करने के उपरांत हम कर सकते हैं कि

विशिष्ट बालक उन से भिन्न है जो शारीरिक मानसिक संवेगात्मक या सामाजिक गुणों में औसत है

विशिष्ट बालक चार प्रकार के होते हैं

  1. शारीरिक रूप से विशिष्ट बालक

विकलांग बालक
-समायोजन एवं शिक्षा की दृष्टि से विशेष प्रबंध करने की आवश्यकता है

  1. मानसिक रूप से विशिष्ट बालक
    -प्रतिभाशाली
    -गुणवान
    -बुद्धिमान
    -पिछड़े
    -धीमी गति से सीखने वाले
    -मंदबुद्धि
  2. संवेगात्मक रूप से विशिष्ट बालक
    -अस्थिर
    -शर्मीले
    -चिंता ग्रस्त
    -क्रोधी
  3. सामाजिक रूप से विशिष्ट बालक
    -समस्यात्मक बालक
    -चोरी करने वाला बालक
    -झूठ बोलने वाला बालक
    -अपराधी बालक
    -वंचित बालक

-कुसमायोजित बालक


Notes by Ravi kushwah

समावेशी शिक्षा या विशिष्ट बालक➖

जिन बालकों में सोचने समझने सीखने या समायोजन आदि की योग्यताएं सामान्य से भिन्न होती हैं जो किसी कार्य को सामान्य से अधिक शीघ्रता या विलंब से करते हैं विशिष्ट बालक कहलाते हैं |

बौद्धिक रूप से विशिष्ट —
प्रतिभाशाली,
मंदबुद्धि आदि |

शारीरिक रूप से—
अंधे,
बहरे,
विकलांग आदि

सामाजिक दृष्टि से विशेष —
कुसमायोजित
सस्यआत्मक

जो विशिष्ट बालक किस श्रेणी में आती है उनकी शिक्षा में निम्नलिखित चीजों का ध्यान रखना आवश्यक है जैसे क्षमता, योग्यता ,रुचि आवश्यकता अभियोग्यता आदि |

क्रो और क्रो के अनुसार —
विशिष्ट या असाधारण शब्द जैसे गुणों या व्यक्ति जिसमें यह गुण है के लिए प्रयुक्त किया जाता है सामान्य व्यक्ति द्वारा प्रदर्शित उन्हीं गुणों से इस सीमा तक विभिन्नता के लिए होता है जिसके कारण व्यक्ति विशेष की और उसके साथियों का ध्यान देना पड़ता है या दिया जाता है और उसके कारण ही उनकी व्यावहारिक प्रतिक्रियाएं और कार्य प्रभावित होते हैं |

हैक के अनुसार —-
विशिष्ट बालक वह है जो किसी एक अथवा कई गुणों की दृष्टि से सामान्य बालक से भिन्न होते हैं |

क्रिक के अनुसार—-
विशिष्ट बालक वह है जो सामान्य अथवा औसत बालक से मानसिक ,शारीरिक तथा सामाजिक विशेषताएं से इतना अधिक भिन्न है कि वह विद्यालय व्यवस्थाओं में संशोधन विशेष सेवाएं और पूरक शिक्षण चाहता है जिससे वह अपनी अधिकतम क्षमता का विकास कर सके |

उपरोक्त परिभाषाओं का विस्तृत अध्ययन करने के बाद हम कह सकते हैं कि विशिष्ट बालक वह है जो उन बालकों से विशिष्ट बालक उनसे भिन्न है जो शारीरिक, मानसिक, सामाजिक गुणों में औसत है |

विशिष्ट बालक के प्रकार➖

शारीरिक रूप से विशिष्ट बालक —
शारिरिक रूप से विशिष्ट बालक में विकलांग बालक आते हैं जिनको समायोजन एवं शिक्षा की दृष्टि से विशेष प्रबंध की आवश्यकता होती है |

मानसिक रूप से विशिष्ट बालक—
प्रतिभाशाली ,
गुणवान
बुद्धिमान ,
पिछड़े
धीमी गति से सीखने वाले
,मंदबुद्धि, आदि |

संवेगात्मक रूप से विशेष बालक—
अस्थिर
शर्मीले,
चिंता ग्रस्त,
क्रोधी आदि |

सामाजिक रूप से विशिष्ट बालक—
समस्यात्मक
चोरी करने वाला
झूठ बोलने वाला
अपराधी ,नशेड़ी
वंचित और कुसमायोजित आदि |

𝙉𝙤𝙩𝙚𝙨 𝙗𝙮 𝙍𝙖𝙨𝙝𝙢𝙞 𝙎𝙖𝙫𝙡𝙚

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☘️🌸 समावेशी शिक्षा 🌸☘️

विशिष्ट बालक🧑🏼‍💼➖

जिन बालकों में सीखने, समझने, सोचने ,समायोजन आदि की योग्यताएं सामान्य में भिन्न होती है और जो किसी कार्य को सामान्य से अधिक शीघ्रता या विलंब से करते हैं विशिष्ट बालक कहलाते हैं।

☘️ बौद्धिक रूप से विशिष्ट➖ प्रतिभाशाली, मंदबुद्धि

☘️ शारीरिक रूप से विशिष्ट➖
अंधे ,बहरे ,विकलांग ,वाणी दोष

☘️ सामाजिक दृष्टि से विशिष्ट➖ कुसमायोजित ,समस्यात्मक बालक

जो विशिष्ट बालकों की श्रेणी में आते हैं उनकी शिक्षा में निम्नलिखित की चीजों का ध्यान रखना आवश्यक है ‌।

1-क्षमता
2-योगिता
3-रुचि
4-आवश्यकता
5-अभियोग्यता

क्रो एंड क्रो👨🏻‍💼➖ विशिष्ट या असाधारण शब्द ऐसे गुणों या व्यक्ति जिसमें वह गुरु हैं के लिए प्रयुक्त किया जाता है जो सामान्य व्यक्ति द्वारा प्रदर्शित उन्हीं कार्यों से उस सीमा तक विभिन्नता के लिए होता है जिसके कारण व्यक्ति विशेष की और उसके साथियों का ध्यान देना पड़ता है या दिया भी जाता है और उसके कारण हो उसकी व्यवहारिक प्रतिक्रियाओं और कार्य प्रभावित होते हैं।

हैक 🤵🏻‍♂➖ विशिष्ट बालक वह है जो किसी एक अथवा कई गुणों की दृष्टि से सामान्य रूप से भिन्न होते हैं।

क्रिक👨🏻‍💼➖ विशिष्ट बालक हुए हैं जो सामान्य अथवा औसत वालों को से मानसिक शारीरिक तथा सामाजिक विशेषताओं से इतना अधिक दिन है कि वह विद्यालय व्यवस्थाओं में संशोधन विशेष सेवाएं और पूरक शिक्षण चाहता है जिससे वह अपनी अधिकतम क्षमता का विकास कर सके।

उपयुक्त परिभाषा का विस्तृत अध्ययन करने के उपरांत हम कह सकते हैं कि—

विशिष्ट बालक उन से भिन्न है जो शारीरिक, मानसिक ,संवेगात्मक या सामाजिक गुणों में औसत है।

☘️ विशिष्ट बालक 4 प्रकार के होते हैं☘️

1-शारीरिक रूप से विशिष्ट बालक➖
विकलांग बालक

समायोजन एवं शिक्षा की दृष्टि से विशेष प्रबंध करने की आवश्यकता है।

2-मानसिक रूप से विशिष्ट बालक➖ प्रतिभाशाली, गुणवान, बुद्धिमान ,पिछड़े धीमी गति से सीखने वाला ,मंदबुद्धि

3-संवेगात्मक रूप से विशिष्ट➖ अस्थिर, शर्मिला ,चिंता ग्रस्त, क्रोधी

4-सामाजिक रूप से विशिष्ट बालक➖ समस्यात्मक ,चोरी करने वाला, झूठ बोलने वाला, अपराधी , नशेड़ी, वंचित , कुसमायोजित

✍🏻📚📚 Notes by…… Sakshi Sharma📚📚✍🏻

Theories of Intelligence

बुद्धि के सिद्धांत
समूह तत्व सिद्धांत➖
प्रवर्तक — थर्स्टन
कब–सन 1938
पुस्तक — प्राथमिक मानसिक योग्यताएं( 𝙋𝙧𝙞𝙢𝙖𝙧𝙮 𝙈𝙚𝙣𝙩𝙖𝙡 𝘼𝙗𝙞𝙡𝙞𝙩𝙮)
इन्होंने कुल 13 तत्व बताएं और इनमें से सात तत्वों को प्रमुख बताया है
प्राथमिक मानसिक योग्यता सिद्धांत
1) प्रेक्षण मानसिक योग्यता
2) अंक/ आंकिक योग्यता
3) शाब्दिक योग्यता
4) वाक् योग्यता
5) तार्किक योग्यता
6) पर्यवेक्षण योग्यता
7) स्मरण शक्ति

प्रतिदर्श का सिद्धांत ➖
प्रतिपादक — थानसन
कब– सन 1933
उपनाम — नमूना सिद्धांत
इस सिद्धांत के अनुसार व्यक्ति में सभी मानसिक योग्यताओं का थोड़ा-थोड़ा सैंपल या नमूना पाया जाता है |

त्रिआयामी सिद्धांत ➖
प्रतिपादक — गिल्फोर्ड
निवासी— रूस
कब — सन् 1967
इन्होंने त्रिआयामी सिद्धांत में 3 पद बताएं
विषय वस्तु
संक्रिया
उत्पाद
अर्थात जब हम किसी विषय वस्तु पर संक्रिया करते हैं कोई मानसिक क्रिया करते हैं तब उसके अनुसार हमें उत्पाद प्राप्त होता है |

𝙉𝙤𝙩𝙚𝙨 𝙗𝙮 𝙍𝙖𝙨𝙝𝙢𝙞 𝙎𝙖𝙫𝙡𝙚

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  1. समूह तत्व सिद्धांत
    प्रतिपादक-थर्सटन
    सन 1938
    बुक-प्राथमिक मानसिक योग्यताएं
    Primary mental ability

उन्होंने कुल 13 तत्व बताएं हैं और इनमें से सात तत्वों को प्रमुख बताया है

प्राथमिक मानसिक योग्यताएं निम्न है

  1. Spatial ability S प्रेक्षण तत्व योग्यता या स्थानिक योग्यता
  2. Number ability N अंक या आंकिक योग्यता
  3. Verbal ability V शाब्दिक योग्यता
    4 Word ability W वाक योग्यता
    5 Memory ability M स्मृति योग्यता
  4. Reasoning ability R तार्किक योग्यता
  5. Perceptual ability P पर्यवेक्षण योग्यता

S+N +V+ W+M+R+P=intelligence

  1. प्रतिदर्श का सिद्धांत sampling theory
    प्रतिपादक- थामसन
    सन 1933 में डिस्क्राइब किया
    उपनाम नमूना सिद्धांत
    थामसन के अनुसार व्यक्ति में सभी मानसिक योग्यताओं का थोड़ा-थोड़ा सैंपल पाया जाता है
  2. त्रिआयामी बुद्धि

प्रवर्तक गिलफोर्ड रूस वाले
सन 1967 में

3 पद बताएं

  1. संक्रिया operation
    2= विषय वस्तु content
  2. उत्पाद product

Notes by Ravi kushwah

Types of individual difference

व्यक्तिगत विभिन्नता के कारण एवं प्रकार

व्यक्तिगत विभिन्नता के कारण- मूल रूप से व्यक्तिगत विभिन्नता के दो कारण वंशानुक्रम और वातावरण होते हैं

व्यक्तिगत विभिन्नता के प्रकार
मानव व्यवहार केवल मूल प्रवृत्ति से प्रभावित नहीं होता है बल्कि यह चार अमूर्त तत्वों से भी प्रभावित होता है

  1. मन
  2. बुद्धि
  3. चित
  4. अहंकार
  5. शारीरिक भिन्नता

लैंगिक रूप से स्त्री है या पुरुष
आयु के आधार पर बच्चा है या बुढा
वजन कद शारीरिक गठन के आधार पर भी भिन्नता होती है
जुड़वा बच्चे भी समान नहीं होते हैं
शारीरिक अंगों की दृष्टि से किसी अंग में कमी हो सकती हैं या किसी अंग में विशेष वृद्धि हो सकती है
रंग में कोई काला कोई गोरा कोई भूरा हो सकता है

शारीरिक दृष्टि से विभिन्नता का आधार

  1. आयु
  2. वजन
  3. लिंग
  4. कद
  5. रंग
  6. किसी अंग विशेष में कमी या उभार
  7. बौद्धिक विभिन्नता-
    कोई व्यक्ति मंदबुद्धि होता है तो कोई सामान्य और कोई प्रतिभाशाली
    माता पिता और उनकी संतान में भी बौद्धिक रूप से अंतर हो सकता है
  8. सामाजिक विभिन्नता
    कोई व्यक्ति जल्दी मित्र बना लेते हैं और कोई व्यक्ति नहीं
    कुछ को लोग पसंद करते हैं और कुछ को नहीं
    कुछ सभी के साथ उठना बैठना पसंद करते हैं और कुछ नहीं
  9. नैतिक विभिन्नता-जो बात किसी को अच्छी लगती है वही बात किसी को बुरी भी लग सकती हैं
    अनैतिक कार्य-जो कार्य दूसरों के हित की परवाह ना कर के स्वार्थ सिद्धि के लिए किया जाता है अनैतिक कार्य कहलाता है
  10. सांस्कृतिक विभिन्नता-व्यक्ति के मूल्य और मान्यताओं में अंतर होता है
  11. प्रजातीय विभिन्नता-आर्यों की संतान ,शको की संतान अफ्रीका की हबी आदि प्रजातियों में विभिन्नता होते हैं
  12. धार्मिक विभिन्नता-धर्म या संप्रदाय के आधार पर सोचने में विभिन्नता होती है

Notes by Ravi kushwah