Teaching Method of Child Psychology / शिक्षा मनोविज्ञान की अध्ययन विधियाँ

शिक्षा मनोविज्ञान की अध्ययन विधियाँ-

शिक्षा मनोविज्ञान के तहत अध्ययन की अनेक विधियां हैं। इन विधियों में कुछ प्राचीन हैं तो कुछ नई विधियां है। सभी विधियां एक दूसरे से अलग हैं और इनमें से विधियों के नाम और उनके प्रवर्तकों के संबंध में सवाल पूछे जाते हैं। ये वे विधियां हैं जिनमें से सवाल लगातार आते रहे हैं। सभी परीक्षाओं में ये विधियां समान रूप से उपयोग साबित हुई हैं।

1 अन्त:दर्शन विधि
प्रवर्तक:- विलियम वुंड तथा टिचनर
अन्त:दर्शन का अर्थ है अंदर की ओर देखना। इस विधि में स्वयं के व्यवहार का अवलोकन किया जाता है। यह मनोविज्ञान की सबसे प्राचीन विधि बताई जाती है। इसे आत्मनिरीक्षण विधि भी कहा जाता है। इसमें व्यक्ति स्वयं की मानसिक क्रियाओं का अध्ययन करता है।
2 बहिर्दर्शन विधि
प्रवर्तक:- जेबी वाटसन
वाटसन व्यवहारवाद के जनक थे। इस विधि में अन्य किसी व्यक्ति के व्यवहार का अवलोकन किया जाता है।
3 जीवनवृत विधि
प्रवर्तक:- टाइडमैन
इस विधि में केस हिस्ट्री पर ध्यान दिया जाता है। यह विधि चिकित्सा क्षेत्र में अत्यंत उपयोगी है, लेकिन आजकल इसका उपयोग शिक्षा के क्षेत्र में भी किया जाने लगा है। इस विधि का मुख्य उददेश्य व्यक्ति के किसी विशिष्ट व्यवहार के कारणों की खोज करना है।
जैसे कोई बच्चा पढऩे में बहुत कमजोर या बहुत तेज है तो इस विधि से यह जानने का प्रयास किया जाता है कि इसके पीछे कारण क्या है।
4 मनोविश्लेषण विधि
प्रवर्तक:- सिग्मंड फ्रायड
यह विधि मन के विश्लेषण पर आधारित है और इसमें व्यक्ति के अचेतन मन का अध्ययन किया जाता है।
5 प्रश्नावली विधि
प्रवर्तक:- वुडवर्थ
इस विधि के माध्यम से एक ही समस्या पर अनेक व्यक्तियों की राय ली जाती है। यानि एक ही समस्या पर विभिन्न व्यक्तियों के विचार जाने जाते हैं।
6 समाजमीति विधि
प्रवर्तक:- जेएल मोरिनो
इस विधि का प्रयोग समाज मनोविज्ञान में किया जाता है। यह एक नवीन विधि है।
7 प्रयोगात्मक विधि या परीक्षण विधि
प्रवर्तक:- विलियम वुण्ट
इस विधि में चरों और घटनाओं के मध्य सम्बन्धों की की खोजबीन की जाती है। यानी चरों और घटना के बीच सम्बंध का पता लगाया जाता है।
8 रेटिंग स्केल विधि
सर्वप्रथम प्रयोग इंडियाना की न्यू होम कॉलोनी में किया गया
इस विधि में किसी व्यक्ति के व्यवहार एवं विशिष्ट गुणों का मूल्यांकन उसके संपर्क में आने वाले व्यक्तियों से उनके विचार लेकर किया जाता है। यानि किसी व्यक्ति के बारे में उसके साथियों से पूछकर पता लगाया जाता है कि उसका व्यवहार कैसा है और ऐसा है तो क्यों है।

कुछ प्रमुख विधियों का निम्नानुसार विशेष वर्णन किया गया है :-
आत्म निरीक्षण विधि (अर्न्तदर्शन विधि)
आत्म निरीक्षण विधि को अर्न्तदर्शन, अन्तर्निरीक्षण विधि (Introspection) भी कहते है। स्टाउट के अनुसार ‘‘अपना मानसिक क्रियाओं का क्रमबद्ध अध्ययन ही अन्तर्निरीक्षण कहलाता है।’’ वुडवर्थ ने इस विधि को आत्मनिरीक्षण कहा है। इस विधि में व्यक्ति की मानसिक क्रियाएं आत्मगत होती हे। आत्मगत होने के कारण आत्मनिरीक्षण या अन्तर्दर्शन विधि अधिक उपयोगी होती हे।

लॉक के अनुसार – मस्तिष्क द्वारा अपनी स्वयं की क्रियाओं का निरीक्षण।

परिचय : पूर्वकाल के मनोवैज्ञानिक अपनी मस्तिष्क क्रियाओं और प्रतिक्रियाओं का ज्ञान प्राप्त करने के लिये इसी विधि पर निर्भर थे। वे इसका प्रयोग अपने अनुभवों का पुनः स्मरण और भावनाओं का मूल्यांकन करने के लिये करते थे। वे सुख, दुख, क्रोध और शान्ति, घृणा और प्रेम के समय अपनी भावनाओं और मानसिक दशाओं का निरीक्षण करके उनका वर्णन करते थे।
अर्थ : अन्तर्दर्शन का अर्थ है- ‘‘अपने आप में देखना।’’ इसकी व्याख्या करते हुए बी.एन. झा ने लिखा है ‘‘आत्मनिरीक्षण अपने स्वयं के मन का निरीक्षण करने की प्रक्रिया है। यह एक प्रकार का आत्मनिरीक्षण है जिसमें हम किसी मानसिक क्रिया के समय अपने मन में उत्पन्न होने वाली स्वयं की भावनाओं और सब प्रकार की प्रतिक्रियाओं का निरीक्षण, विश्लेषण और वर्णन करते हैं।’’

गुण
मनोविज्ञान के ज्ञान में वृद्धि : डगलस व हालैण्ड के अनुसार – ‘‘मनोविज्ञान ने इस विधि का प्रयोग करके हमारे मनोविज्ञान के ज्ञान में वृद्धि की है।’’

अन्य विधियों में सहायक : डगलस व हालैण्ड के अनुसार ‘‘यह विधि अन्य विधियों द्वारा प्राप्त किये गये तथ्यों नियमों और सिद्धांन्तों की व्याख्या करने में सहायता देती है।’’

यंत्र व सामग्री की आवश्यकता : रॉस के अनुसार ‘‘यह विधि खर्चीली नहीं है क्योंकि इसमें किसी विशेष यंत्र या सामग्री की आवश्यकता नहीं पड़ती है।’’

प्रयोगशाला की आवश्यकता : यह विधि बहुत सरल है। क्योंकि इसमें किसी प्रयोगशाला की आवश्यकता नहीं है।

रॉस के शब्दों में ‘‘मनोवैज्ञानिकों का स्वयं का मस्तिष्क प्रयोगशाला होता है और क्योंकि वह सदैव उसके साथ रहता है इसलिए वह अपनी इच्छानुसार कभी भी निरीक्षण कर सकता है।’’

जीवन इतिहास विधि या व्यक्ति अध्ययन विधि

व्यक्ति अध्ययन विधि (Case study or case history method) का प्रयोग मनोवैज्ञानिकों द्वारा मानसिक रोगियों, अपराधियों एवं समाज विरोधी कार्य करने वाले व्यक्तियों के लिये किया जाता है। बहुधा मनोवैज्ञानिक का अनेक प्रकार के व्यक्तियों से पाला पड़ता है। इनमें कोई अपराधी, कोई मानसिक रोगी, कोई झगडालू, कोई समाज विरोधी कार्य करने वाला और कोई समस्या बालक होता है।

मनोवैज्ञानिक के विचार से व्यक्ति का भौतिक, पारिवारिक व सामाजिक वातावरण उसमें मानसिक असंतुलन उत्पन्न कर देता है। जिसके फलस्वरूप वह अवांछनीय व्यवहार करने लगता है। इसका वास्तविक कारण जानने के लिए वह व्यक्ति के पूर्व इतिहास की कड़ियों को जोड़ता है।

इस उद्देश्य से वह व्यक्ति उसके माता पिता, शिक्षकों, संबंधियों, पड़ोसियों, मित्रों आदि से भेंट करके पूछताछ करता है। इस प्रकार वह व्यक्ति के वंशानुक्रम, पारिवारिक और सामाजिक वातावरण, रूचियों, क्रियाओं, शारीरिक स्वास्थ्य, शैक्षिक और संवेगात्मक विकास के संबंध में तथ्य एकत्र करता है

जिनके फलस्वरूप व्यक्ति मनोविकारों का शिकार बनकर अनुचित आचरण करने लगता है। इस प्रकार इस विधि का उद्देश्य व्यक्ति के किसी विशिष्ट व्यवहार के कारण की खोज करना है। क्रो व क्रो ने लिखा है ‘‘जीवन इतिहास विधि का मुख्य उद्देश्य किसी कारण का निदान करना है।’’

बहिर्दर्शन या अवलोकन विधि
बहिर्दर्शन विधि (Extrospection) को अवलोकन या निरीक्षण विधि (observational method) भी कहा जाता है। अवलोकन या निरीक्षण का सामान्य अर्थ है- ध्यानपूर्वक देखना। हम किसी के व्यवहार,आचरण एवं क्रियाओं, प्रतिक्रियाओं आदि को बाहर से ध्यानपूर्वक देखकर उसकी आंतरिक मनःस्थिति का अनुमान लगा सकते है।

Child Development & Pedagogy Important Theories & Definitions for CTET/TETs/KVS etc

Child Development & Pedagogy Important Theories & Definitions for CTET/TETs/KVS etc

This notes is brought to you by CTET Qualified Top Learner Neetu Rana.

Neetu Rana

Child Development & Pedagogy Important Theories & Definitions for CTET/TETs/KVS etc

बाल विकास और शिक्षाशास्त्र के सिद्धांत और प्रतिपादक for CTET/TETs/KVS etc

बाल विकास और शिक्षाशास्त्र के सिद्धांत और प्रतिपादक for CTET/TETs/KVS etc

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Neetu Rana

बाल विकास और शिक्षाशास्त्र के सिद्धांत और प्रतिपादक for CTET/TETs/KVS etc

Assessment & Learning Important Notes for CTET, all State TETs, KVS, NVS, DSSSB etc

Assessment & Learning Important Notes for CTET, all State TETs, KVS, NVS, DSSSB etc

Q. Which type of evaluation assesses the progress of students with reference to criteria or the objectives set by their teacher?

  1. Self-referenced evaluation
  2. Criterion-referenced evaluation
  3. Norms-referenced evaluation
  4. Formative evaluation

Ans- Option B

When formative evaluation takes its last steps, there is an urgent need of summative evaluation. Class tests, unit tests, quizzes and learning tests are the parts of formative assessment and then term tests, annual tests and external exams conducted by School of public agencies are essential parts of summative assessment.

Summative evaluation may be seen in following three ways-

  1. Self-referenced evaluation

This type of evaluation assesses the progress aap students with reference to their own selves.

      2.  Criterion-referenced evaluation

This type of evaluation assesses the progress of students with reference to criteria or the objectives set by their teacher.

      3.  Norms-referenced evaluation

This type of evaluation assesses the progress of students with reference to the progress made by their peer group.

Q. निम्नलिखित में से किस प्रकार का मूल्यांकन, शिक्षक द्वारा निर्धारित उद्देश्यों के संदर्भ में छात्रों की प्रगति का आकलन करता है?

  1. स्व-संदर्भित मूल्यांकन
  2. मानदंड-संदर्भित मूल्यांकन
  3. मानक-संदर्भित मूल्यांकन
  4. निर्माणात्मक मूल्यांकन

Ans- विकल्प B

जब प्रारंभिक मूल्यांकन अपने अंतिम चरण में होता है, तो योगात्मक मूल्यांकन की तत्काल आवश्यकता होती है। कक्षा परीक्षा, मासिक परीक्षा, प्रश्नोत्तरी आदि निर्माणात्मक मूल्यांकन के भाग हैं और विद्यालय द्वारा आयोजित अर्धवार्षिक तथा वार्षिक परीक्षाएं योगात्मक मूल्यांकन के जरूरी हिस्से हैं।

निम्नलिखित तीन भागों में योगात्मक मूल्यांकन को विभाजित किया जा सकता है-

  1. स्व-संदर्भित मूल्यांकन

इस प्रकार का मूल्यांकन छात्रों की प्रगति का उनके स्वयं के संदर्भ में आकलन करता है।

      2.  मानदंड-संदर्भित मूल्यांकन

इस प्रकार का मूल्यांकन मानदंड या शिक्षक द्वारा निर्धारित उद्देश्यों के संदर्भ में छात्रों की प्रगति का आकलन करता है।

      3.  मानक-संदर्भित मूल्यांकन

इस प्रकार का मूल्यांकन छात्रों की प्रगति का आकलन उनके सहकर्मी समूह द्वारा की गई प्रगति के संदर्भ में करता है।

Q. Which one of the following is not a part of a good scheme of evaluation?

  1. Diagnosticity
  2. Easiness
  3. Comprehensiveness
  4. Reliability

Ans- Option B

Good scheme of evaluation-

A good scheme of evaluation should have the following properties-

  1. Validity
  2. Reliability
  3. Objectivity
  4. Comprehensiveness
  5. Diagnosticity
  6. Practicability
  7. Proper grading

So, Limitedness should never be a part of a good evaluation scheme.

Q. निम्नलिखित में से कौन मूल्यांकन की एक अच्छी योजना का हिस्सा नहीं है?

  1. नैदानिकता
  2. सुगमता
  3. व्यापकता
  4. विश्वसनीयता

Ans- विकल्प B

मूल्यांकन की अच्छी योजना-

मूल्यांकन की एक अच्छी योजना में निम्नलिखित गुण होने चाहिए-

  • वैधता
  • विश्वसनीयता
  • निष्पक्षतावाद
  • व्यापकता
  • नैदानिकता
  • साध्यता
  • उचित श्रेणीकरण

इसलिए, सुगमता या सरलता कभी भी अच्छी मूल्यांकन योजना का हिस्सा नहीं होनी चाहिए।

CDP: Intelligence Quotient for CTET, all State TETs, KVS, NVS, DSSSB etc

Intelligence Quotient for CTET, all State TETs, KVS, NVS, DSSSB etc

Formula of IQ (Intelligence Quotient) is given by Stanford-Binet and according to his Intelligence Test in calculation of IQ Mental age is directly proportional to chronological age and it is- Mental age / Chronological age × 100

बुद्धि लब्धांक (आईक्यू) का सूत्र स्टैनफोर्ड-बिनेट द्वारा दिया गया है। उनके बुद्धि से संबंधित परीक्षण के अनुसार बुद्धि लब्धि कालानुक्रमिक आयु के लिए सीधे आनुपातिक है और यह है- मानसिक आयु / कालानुक्रमिक आयु × 100

Question. The formula for calculating IQ is-

  1. Mental age × Chronological age
  2. Chronological age / Mental age
  3. Mental age / Chronological age × 100
  4. Chronological age + Mental age

Ans- Option C

Question . बुद्धि लब्धांक की गणना करने का सूत्र है-

  1. मानसिक आयु × कालानुक्रमिक आयु
  2. कालानुक्रमिक आयु / मानसिक आयु
  3. मानसिक आयुु / कालानुक्रमिक आयु × 100
  4. कालानुक्रमिक आयु + मानसिक आयु

Ans- विकल्प C

In science, the term intelligence typically refers to what we could call academic or cognitive intelligence. In their book on intelligence, professors Resing and Drenth (2007)* answer the question ‘What is intelligence?’ using the following definition: “The whole of cognitive or intellectual abilities required to obtain knowledge, and to use that knowledge in a good way to solve problems that have a well described goal and structure.”

The scales designed by Binet and Simon were the first intelligent tests that became widely accepted at the beginning of the 20th century. The Alpha and Beta army tests, that were used in World war I to assess military personnel, became very popular.

In recent years, the Wechsler scales are the most widely used instruments in the field of psychology for measuring intelligence. The designer of these tests, Wechsler, published his first scale in the 1930s. He used material from the Binet Alpha and Beta tests to make his test. An important feature of his test was, that when calculating the IQ, this test took age into account. In other words, in the computation of the IQ, an age-correction takes place. Because of this feature, the IQ stays constant over the life span.

IQ is an acronym for Intelligence Quotient. So what is IQ? The IQ is a measurement of your intelligence and is expressed in a number.

A person’s IQ can be calculated by having the person take an intelligence test. The average IQ is 100. If you achieve a score higher than 100, you are smarter than the average person, and a lower score means you are (somewhat) less smart.

An IQ tells you what your score is on a particular intelligence test, often compared to your age-group. The test has a mean score of 100 points and a standard deviation of 15 points. What does this standard deviation mean? It means that 68 percent of the population score an IQ within the interval 85-115. And that 95 percent of the population scores within the interval 70-130.

Some examples
What does it mean when your IQ is 100? That means that half of the population scores higher than you. The other half scores lower than you. And what does it mean when you have an IQ of 130? That means that 97,5 percent of your age group scores lower than you. Only 2,5 percent scores higher.