Theories of personality

☘️🌸 व्यक्तित्व के सिद्धांत🌸

👨🏻‍💼मुर्रे का सिद्धांत➖ इस सिद्धांत के प्रतिपादक मनोवैज्ञानिक हेनरी एवं मुर्रे के अनुसार मानव एक प्रेरित जीव है।

व्यक्तित्व क्रियात्मक रूप एवं शक्तियों को नियंत्रित है जो संगठित प्रक्रिया के रूप में जन्म से मृत्यु तक बहुर्मुखी होकर प्रकट करते हैं।

इस मन के अनुसार क्रियात्मक रूप से निरंतरता ऋणात्मक और धनात्मक संबंध मतभेद सक्रियता, निष्क्रियता आदि का योग कर व्यक्तित्व का निर्माण करती है इस मत पर आलोचना है कि अचेतन निर्धारित का व्यवहार पर प्रभाव अधिगम की भूमिका अभिप्रेरणा की स्थिति में सब भी व्यक्तित्व पर प्रभाव डालती है और अभिव्यक्ति का कारण बनती है।

🌸☘️ व्यक्तित्व के विकास के कारक या तत्व☘️🌸

आलपोर्ट अपने व्यक्तित्व को मनो दैहिक संगठन कहा है प्रत्येक व्यक्ति व्यक्तित्व का अलग-अलग आशय निकालता है।

कोई शारीरिक श्रेष्ठता को व्यक्तित्व मानता है कोई व्यक्ति बातचीत के प्रभावी ढंग को सहानुभूति व्यवहार या सहायक, सदैव तत्पर व्यक्ति, आकर्षक परिधान और मेकअप को मानता है।

मिशेल के अनुसार➖ विचार और संवेग सहित व्यक्ति व्यवहार की विशेषता की ओर संकेत करता है यह स्थिति वातावरण में उसके समायोजन की और संकेत करती है ।

व्यक्तित्व के विकास पर प्रभाव डालने वाले प्रमुख कारण निम्नलिखित है➖

☘️ शारीरिक प्रभाव
☘️ वंश परंपरा
☘️ वातावरण का प्रभाव
☘️सामाजिक वातावरण
☘️सांस्कृतिक वातावरण
☘️बाल्यावस्था के अनुभव
☘️विद्यालय का अनुभव
☘️समूह की सदस्यता
☘️अधिगम अवस्था
☘️व्यवहार की इकाई
☘️अभिप्रेरणा का बाहुल्य
☘️विकास की साम्यता (सतत)

✍🏻📚📚 Notes by…… Sakshi Sharma📚📚✍🏻

Types of Intelligence child development and pedagogy

बुद्धि के प्रकार

थार्नडाइक / गैरेट के अनुसार 3 प्रकार की बुद्धि होती है |
(1) मूर्त बुद्धि
(2) अमूर्ति बुद्धि
(3) सामाजिक बुद्धि

(1) मूर्त बुद्धि ➖ इसे गामक या यांत्रिक बुद्धि भी कहते है इस बुद्धि का संबंध यंत्रो व मशीनो से होता है |

(2) अमूर्त बुद्धि ➖ इस बुद्धि का संबंध अप्रत्यक्ष तथ्यो या पुस्तकीय ज्ञान से होता है |

(3) सामाजिक बुद्धि ➖ इस बुद्धि का संबंध सामाजिक अनुकूलनशीलता से होता है |

बुद्धि के सिद्धांत ➖

(1) एकतत्व का सिद्धांत –
प्रतिपादक – अल्फ्रेड बिने (1911)
बुद्धि सामान्य तत्व है |
सहयोगी – टर्मन , स्टर्न
इसे निरंकुशवादी सिद्धांत कहा जाता है |
1905 — मानसिक आयु (बुद्धि परीक्षण)
1911 — टर्मन

(2) द्वितत्व का सिद्धांत ➖
प्रतिपादक — स्पीयरमैन (1904)
ब्रिटेन / लंदन

बुद्धि के दो तत्व ➖

(1) सामान्य तत्व — जन्मजात
(2) विशिष्ट तत्व — अर्जित
बाद में स्पीयरमैन एक और तत्व समूह तत्व जोड़ दिया और सिद्धांत कहलाया |
त्रितत्व सिद्धांत — 1911
(G+S = Group)

बहुतत्व सिद्धांत ➖
थार्नडाइक (USA)
व्यक्ति जितनी भी मानसिक क्रियाऐ करता है उतने तत्व बुद्धि के अंतर्गत पाए जाते है |
थार्नडाइक ने अपने सिद्धांत की तुलना बालु के ढेर से करते हुए ऊँचाई , चौडाई क्षेत्र , गति की चर्चा की है |
बालु का सिद्धांत — मात्रा का सिद्धांत

Notes by ➖ Ranjana Sen

बुद्धि के प्रकार

थार्नडाइक और गैरिट के अनुसार बुद्धि तीन प्रकार की होती है

  1. मूर्त बुद्धि या गामक बुद्धि/ यांत्रिक बुद्धि
  2. अमूर्त बुद्धि
  3. सामाजिक बुद्धि
  4. मूर्त बुद्धि-इसे गामक या यांत्रिक बुद्धि भी कहते हैं इस बुद्धि का संबंधी यंत्रों व मशीनों से होता है
  5. अमूर्त बुद्धि- इस बुद्धि का संबंध अप्रत्यक्ष तत्व या पुस्तकीय ज्ञान से होता है
  6. सामाजिक बुद्धि-इस बुद्धि का संबंध सामाजिक अनुकूलन शीलता से होता है

बुद्धि के सिद्धांत

  1. एकतत्व सिद्धांत
    प्रतिपादक -अल्फ्रेड बिने
    सहयोगी-टर्मन और स्टर्न
    समय-1911
    बुद्धि एक सामान्य तत्व है
    इसे निरकुंशवादी सिद्धांत भी कहा जाता है
  2. द्वितत्व /बुद्धि का द्वय शक्ति / सामान्य और विशिष्ट बुद्धि सिद्धांत
    प्रतिपादक-स्पीयरमैन
    समय व स्थान-1904 में ब्रिटेन लंदन में

इन्होंने बुद्धि के दो तत्व माने है

  1. सामान्य तत्व G factor -जन्मजात
  2. विशिष्ट तत्व S factor -अर्जित

बाद में 1911 में स्पीयरमैन ने इसमें एक और तत्व समूह तत्व जोड़ दिया और यह सिद्धांत त्रि तत्व सिद्धांत कहलाने लगा

सामान्य तत्व + विशिष्ट तत्व= समूह तत्व

  1. बहुतत्व या बहुकारक सिद्धांत

प्रतिपादक- थार्नडाइक अमेरिका
व्यक्ति जितनी भी मानसिक क्रिया करता है उतने तत्व बुद्धि के अंतर्गत पाए जाते हैं
थार्नडाइक ने अपने सिद्धांत की तुलना ‘बालू के ढेर ‘ से करते हुए ऊंचाई, चौड़ाई, क्षेत्र, गति की चर्चा की है
बालू का सिद्धांत को मात्रा का सिद्धांत भी कहा जाता है

Notes by Ravi kushwah

Theories of personality

व्यक्तित्व का सिद्धांत –

मानव का व्यक्तित्व किसी एक नहीं बल्कि अनेक कारको का बनता है।
व्यक्ति धारणाओं के आधार पर ही व्यक्तित्व संबंधी सिद्धांत का निर्माण हुआ है ।

1–विश्लेषणात्मक सिद्धांत– इसके प्रतिपादक सिगमंड फ्रायड है।
फ्राइड के अनुसार व्यक्तित्व का निर्माण इदम् ,अहम पराअहम के द्वारा होता है ।

💐इदम– यह अचेतन मन होता है। मूल प्रवृत्ति एवं नैसर्गिक इच्छाएं रहती है।
यह शीघ्र तृप्ति चाहती है ।

💐 अहम –इगो एक चेतन अवस्था है ,इसके साथ-साथ चेतन शक्ति तर्क बुद्धि आदि सभी आते हैं ।

💐सुपर ईगो– आदर्शों से निर्मित होता है।
फ्राइड ने एगो की विषय में कहा है कि –
इगो, ईदम का वह भाग है जो वाह्य संसार के अनुमान तथा संभावना से परिषद होता है और उसका कालांतर में प्रभाव भी पड़ता है जो प्राणी को उद्दीपन करने एवं उसके इर्द-गिर्द जमी परत के अंश के रूप में व्याप्त रहता है।

फ्रायड ने सुपर ईगो के विषय में कहा है कि– सुपर ईगो, इगो का वह पक्ष हैं, जो आत्मनिरीक्षण की प्रक्रिया को संभव बनाता है। इसे सामान्य रूप से चेतना कहते हैं।

इस प्रकार मानव व्यक्तित्व का निर्माण इन्हीं तत्वों से होता है यह तत्व व्यक्ति के अनेक रूप प्रकट करते हैं।
2– रचना सिद्धांत – शेल्डन अपने व्यक्तित्व को तीन भागों में बांटा है ।

💐गोल आकृति –इस व्यक्तित्व वाले मनुष्य गोल गर्दन तथा मांसपेशियों से पूर्णतः विकसित होते हैं ।चर्बी का बढ़ना इत्यादि इसके के अंदर आता है।

💐आयत आकृति– इस प्रकार के व्यक्तित्व में हड्डियों तथा मांस पेशियों का विकास परिलक्षित होता है ।

💐लंब आकृति– इस प्रकार की व्यक्तित्व में केंद्रीय स्नायु संस्थान के मांसपेशियां तंत्र विकसित होते हैं ।
3–प्रतिकारक प्रणाली सिद्धांत– यह सिद्धांत RB कैटल द्वारा दिया गया था ।
व्यक्ति जो किसी विशेष परिस्थिति में जो भी कार्य करता है ।उसका प्रतिरूप व्यक्तित्व है।
इन्होंने कहा चरित्र एक भावात्मक एकता, सामाजिक, कल्पनाशीलता, अभिप्रेरित, उत्सुकता ,लापरवाही यह सभी चरित्र का पार्ट है ।

हम अपने अलग-अलग संवेग से अभी प्रेरणा लेते हैं। इससे हम व्यवहार करते हैं। उधर उद्देश्य की प्राप्ति करते हैं ।

4–ओलपोर्ट का सिद्धांत– गोल्डन डब्लू आलपोर्ट ने व्यक्तित्व के संबंध में जो सिद्धांत प्रतिपादित किया है वह वंश क्रम वातावरण व्यक्तिगत पर आधारित है ।
ऑलपोर्ट ने वंश द्वारा निर्धारित व्यक्तित्व के जटिल मिश्रण के प्रति न्याय करने या स्वभाव सामाजिक तथा मनोवैज्ञानिक कारणों के प्रति न्याय करने पर बना दिया है।

पूनम शर्मा

☘️🌸 व्यक्तित्व के सिद्धांत🌸☘️

मानव का व्यक्तित्व किसी एक नहीं बल्कि अनेक कारणों से बनता है।
वैयक्तित्क धारणाऐं के आधार पर व्यक्तित्व संबंधी सिद्धांतों का निर्माण हुआ है।

☘️ मनोविश्लेषणात्मक सिद्धांत➖
इसके प्रतिपादक सिगमंड फ्रायड है। राइट के अनुसार व्यक्तित्व का निर्माण Id,Ego, super Ego के द्वारा होता है।

Id( इदम्) ➖अचेतन मन होता है जिसमें मूल प्रवृत्ति एवं नैसर्गिक इच्छाएं रहती है यह शीघ्र तृप्ति चाहते हैं।

Ego( अहम्)➖ चिंतन, इच्छाशक्ति, बुद्धि ,तर्क

Super Ego( परम अहम्)➖ आदर्शों से निर्मित

फ्राइड ने Ego के विषय में कहा है-
Ego ,Id का वह भाग है जो बाहर संसार के अनुमान तथा संभावना से परिष्कृत होता है और उसका कालांतर में प्रभाव भी पड़ता है जो प्राणी को उधीजन करने एवं उसके इर्द-गिर्द जमीन परत के अंश के रूप में व्याप्त रहता है।

फ्रायड ने super Ego के विषय में कहा है कि-super Ego का वह पक्ष है जो आत्मनिरीक्षण की प्रक्रिया को संभव बनाता है जिसे सामान्य रूप से चेतना कहते हैं।

इस प्रकार मानव व्यक्तित्व का निर्माण उन्हीं तत्वों से होता है यह तत्व व्यक्ति के अनेक रूप प्रकट करते हैं।

🌸☘️ रचना सिद्धांत☘️🌸

शैल्डाॅन अपने व्यक्तित्व को तीन भागों में बांटा है।

1-गोलाकृति➖ इस व्यक्तित्व वाले मनुष्य गोल गर्दन तथा मांसपेशियों से पूर्णता विकसित होते हैं चर्बी का बढ़ना इत्यादि गुण इसके अंदर आते हैं

2-आयताकृति➖ इस प्रकार के व्यक्तित्व में हड्डियों तथा मांसपेशियों का विकास दिखता है।

3-लम्बाकृति➖ इस प्रकार के व्यक्तित्व में केंद्रीय स्नायु संस्थान में मांसपेशियां तंतु विकसित होते हैं।

🌸☘️प्रतिकारक प्रणाली सिद्धांत☘️🌸

इसके प्रतिपादक R.B. कैटल है।
व्यक्ति जो किसी विशेष परिस्थितियों में जो भी कार्य करता है उसका प्रतिरूप व्यक्तित्व है ‌

चरित्र➖ भावनात्मक ,एकता, सामाजिकता, कल्पनाशीलता, अभि प्रेरक, उत्सुकता ,लापरवाही में यह सभी आते हैं।

अलग-अलग संवेग में हमें अभी प्रेरणा मिलती है इससे हम व्यवहार करते हैं और उद्देश्य की प्राप्ति होती है।

☘️🌸आॅलपोर्ट का सिद्धांत🌸☘️

गोर्डन wआॅलपोर्ट ने व्यक्तित्व के संबंध में जो सिद्धांत प्रतिपादित किया है वह वंश क्रम ,वातावरण, व्यक्तिगत भेद पर आधारित है।

आॅलपोर्ट ने वंश क्रम, द्वारा निर्धारित व्यक्तित्व के जटिल मिश्रण के प्रति न्याय करने या स्वभाव, समाजिक तथा मनोवैज्ञानिक कारणों के प्रति न्याय करने पर बल दिया है‌।
व्यक्तित्व के नवीनीकरण को मान्यता देने पर बल दिया गया है।

✍🏻📚📚 Notes by….. Sakshi Sharma

Intelligence -1 CDP

बुद्धि ( Intelligence )

🌀 सोचने समझने की योग्यता ही बुद्धि है |

◼ बुद्धि अमूर्त विचारों के बारे में सोचने की योग्यता है – टरमन

◼ सोचने सीखने की योग्यता ही बुद्धि
है – बकिंघम

◼ बुद्धि कार्य करने की एक विधि है – वुडवर्थ

◼ नवीन परिस्थितियों को झेलने की मस्तिष्क की नमनीयता ही बुद्धि है – मन

◼ अनुभव के अनुसार लाभ उठाने की योग्यता ही बुद्धि है – डियरबर्ड /बोर्ड

◼ उचित प्रकार से समझने विचार करने व तर्क करने की योग्यता बुद्धि है – बर्ट

💫 बुद्धि की विशेषताएं ➖

(1) बुद्धि जन्मजात शक्ति व योग्यता है |

(2) बुद्धि एक विकासशील एवं परिवर्तन योग्यता है |
(3) बुद्धि पर वंशानुक्रम व वातावरण दोनों का प्रभाव पड़ता है |

(4) बुद्धि पर लिंग भेद का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है |

(5) बुद्धि आयु और परिस्थिति के अनुसार बदलती है |

(6) बुद्धि एक इकाई ना होकर कई इकाइयों का समूह होता है |

(7) उचित प्रकार से उत्तर देना ,तर्क वितर्क करना , चिंतन करना , कल्पना करना आदि योग्यता ही बुद्धि है |

(8) वातावरण की समायोजन की क्षमता ही बुद्धि है |

(9) सीखने की योग्यता ही बुद्धि है |

(10) अनुभव से लाभ उठाने की योग्यता ही बुद्धि है |

(11) अमूर्त विचारों की चिंतन की योग्यता बुद्धि है |

Notes by ➖ Ranjana Sen

Date -22/06
Time – 9.00 am

बुद्धि INTELLIGENCE

सोचने समझने की योग्यता ही बनती है

टर्मन के अनुसार- बुद्धि अमूर्त विचारों के बारे में सोचने की योग्यता है

बकिंघम के अनुसार- सीखने की योग्यता ही बुद्धि है।

वुडबर्थ के अनुसार – बुद्धि कार्य करने की एक विधि है।

मन के अनुसार -नवीन परिस्थितियों को झेलने की मस्तिष्क की नमनीयता ही बुद्धि है।

डियरवर्ड/ बोर्ड के अनुसार अनुभव के अनुसार लाभ उठाने की योग्यता ही बुद्धि है।

वर्ट के अनुसार- उचित प्रकार से समझने विचार करने व तर्क करने की योग्यता बुद्धि है।

बुद्धि की विशेषताएँ –

  1. बुद्धि जन्मजात शक्ति व योग्यता है।
  2. बुद्धि एक विकासशील एवं परिवर्तन योग्यता।
  3. बुद्धि पर वंशानुक्रम व वातावरण दोनों का प्रभाव पड़ता है।
  4. बुद्धि पर लिंग भेद का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है ।
  5. बुद्धि आयु और परिस्थिति के अनुसार बदलती है।
  6. बुद्धि एक इकाई में होकर कई इकाइयों का समूह होता है।
  7. उचित प्रकार से उत्तर देना तर्क वितर्क करना चिंतन करना कल्पना करना यह सब योग्यता वृद्धि है।
  8. वातावरण में समायोजन की क्षमता बुद्धि है।
  9. सीखने की योग्यता ही बुद्धि है।
  10. अनुभव से लाभ उठाने की योग्यता ही बुद्धि है।
  11. अमूर्त विचार के चिंतन की योग्यता ही बुद्धि है। Notes by निधि तिवारी🌿🌿🌿

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बुद्धि ( Intelligence )

सोचने समझने की योग्यता ही बुद्धि है |

बुद्धि अमूर्त विचारों के बारे में सोचने की योग्यता है – टरमन

सोचने सीखने की योग्यता ही बुद्धि
है – बकिंघम

बुद्धि कार्य करने की एक विधि है – वुडवर्थ

नवीन परिस्थितियों को झेलने की मस्तिष्क की नमनीयता ही बुद्धि है – मन

अनुभव के अनुसार लाभ उठाने की योग्यता ही बुद्धि है – डियरबर्ड /बोर्ड

उचित प्रकार से समझने विचार करने व तर्क करने की योग्यता बुद्धि है – बर्ट

बुद्धि की विशेषताएं ➖

(1) बुद्धि जन्मजात शक्ति व योग्यता है |

(2) बुद्धि एक विकासशील एवं परिवर्तन योग्यता है |
(3) बुद्धि पर वंशानुक्रम व वातावरण दोनों का प्रभाव पड़ता है |

(4) बुद्धि पर लिंग भेद का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है |

(5) बुद्धि आयु और परिस्थिति के अनुसार बदलती है |

(6) बुद्धि एक इकाई ना होकर कई इकाइयों का समूह होता है |

(7) उचित प्रकार से उत्तर देना ,तर्क वितर्क करना , चिंतन करना , कल्पना करना आदि योग्यता ही बुद्धि है |

(8) वातावरण की समायोजन की क्षमता ही बुद्धि है |

(9) सीखने की योग्यता ही बुद्धि है |

(10) अनुभव से लाभ उठाने की योग्यता ही बुद्धि है |

(11) अमूर्त विचारों की चिंतन की योग्यता बुद्धि है |

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𝙉𝙤𝙩𝙚𝙨 𝙗𝙮 𝙍𝙖𝙨𝙝𝙢𝙞 𝙨𝙖𝙫𝙡𝙚

बुद्धि (intelligence)–
सोचने समझने की योग्यता है।

💐 बुद्ध मूर्ति विचारों के बारे में सोचने की योग्यता है– टरमन
💐 सीखने की योग्यता की बुद्धि है–बैंकिंगघम
💐 बुद्धि कार्य करने की एक विधि है–वुडवर्थ
💐 नवीन परिस्थितियों को झेलने की मस्तिष्क की नमनीयता ही बुद्धि है– मन
💐 अनुभव के अनुसार लाभ उठाने की योग्यता ही बुद्धि है –डियरबर्ड/बोर्ड़
💐 उचित प्रकार से समझने विचार करने तर्क करने की योग्यता ही बुद्धि है– बर्ट

बुद्धि की विशेषता–
1– बुद्धि जन्म जात व योग्यता है।
2– एक विकासशील एवं परिवर्तनशील योग्यता है।
3–बुद्धि पर वंशानुक्रम वातावरण दोनों का प्रभाव पड़ता है।
4–बुद्धि पर लिंगभेद का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है ।
5–बुद्धि आयु और परिस्थिति के अनुसार बदलती है।
6– बुद्धि एक इकाई ना होकर कई इकाइयों का समूह होता है।
6– उचित प्रकार से उत्तर देने, तर्क वितर्क करना, चिंतन करना, कल्पना करना आदि योगिता ही बुद्धि है ।
7–वातावरण में समायोजन की क्षमता बुद्धि है।
8– सीखने की योग्यता ही बुद्धि है ।
9–अनुभव से लाभ उठाने की योग्यता ही बुद्धि है ।
10–अमूर्त विचार की चिंतन की योग्यता बुद्धि है।

पूनम शर्मा

बुद्धि intelligence

सोचने समझने की योग्यता ही बुद्धि है

टर्मन के अनुसार
बुद्धि “अमूर्त विचारों” के बारे में सोचने की योग्यता है

बंकिंघम के अनुसार
“सीखने की योग्यता” ही बुद्धि है

वुडवर्थ के अनुसार
बुद्धि “कार्य करने की एक विधि” है

मन के अनुसार
नवीन परिस्थितियों को झेलने की “मस्तिष्क की नमनीयता_ ही बुद्धि है

डियरबर्ड या बोर्ड
अनुभव के आधार पर लाभ उठाने की योग्यता ही बुद्धि है

बर्ट के अनुसार
उचित प्रकार से “समझने ,विचार करने व तर्क करने की योग्यता” बुद्धि हैं

शॉर्ट
टरमन के अमूर्त विचार
बंकिंघम की सीखने की योग्यता
वुडवर्थ की कार्य करने की विधि
मन की मस्तिष्क की नमनीयता
डियर बर्ड का अनुभव से लाभ उठाना
बर्ट का समझने विचार करने तर्क करने की योग्यता बुद्धि

बुद्धि की विशेषता

  1. बुद्धि जन्मजात शक्ति व योग्यता है।
  2. बुद्धि एक विकासशील एवं परिवर्तनशील योग्यता है
  3. बुद्धि पर वंशानुक्रम और वातावरण दोनों का प्रभाव पड़ता है
  4. बुद्धि पर लिंग भेद का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है
  5. बुद्धि आयु और परिस्थिति के अनुसार बदलती है
  6. बुद्धि एक इकाई ना होकर कई इकाइयों का समूह होता है
  7. उचित प्रकार से उत्तर देना तर्क वितर्क करना चिंतन करना कल्पना करना आदि योग्यता ही बुद्धि है
  8. वातावरण में समायोजन की क्षमता बुद्धि हैं
  9. सीखने की योग्यता ही बुद्धि है
  10. अनुभव से लाभ उठाने की योग्यता ही बुद्धि है
  11. अमूर्त विचार के चिंतन की योग्यता ही बुद्धि है

Notes by Ravi kushwah

Recognition of learning in children

बच्चों में सीखने की पहचान

एक शिक्षण विशेषज्ञ के रूप में सीखने की कठिनाइ से संबंधित कक्षा व्यवहार में आसानी से पहचान करना आवश्यक है
मनोवैज्ञानिक और विशेषज्ञ बच्चे के सीखने की पहचान करने के लिए विभिन्न उपकरण या तकनीक का उपयोग करते हैं

  1. अवलोकन तकनीक-शिक्षक द्वारा बच्चों के व्यवहार को अध्ययन करके अवलोकन द्वारा समझा जाता है यह अवलोकन सरल के साथ-साथ नियंत्रणीय परिस्थितियों में भी होते हैं।
    एक बच्चे का व्यवहार ना केवल कक्षा में बल्कि खेल के मैदान घर और समूह में भी देखा जाता है
    अवलोकन केवल बच्चों के व्यवहार को देखने और बच्चों के व्यवहार की जानकारी ग्रहण करने के लिए किया जाता है
  2. केस स्टडी विधि-बच्चों का इतिहास, उसका परिवार, प्रारंभिक जीवन और घर का वातावरण
  3. चिकित्सा परीक्षण-बच्चों के विकासात्मक इतिहास को विशेषज्ञ या चिकित्सक द्वारा सत्यापित किया जाना चाहिए
    बच्चे की विसंगति विकलांगता आदि
  4. स्कोलास्टिक टेस्ट-बच्चे की सामान्य व विशिष्ट समस्याओं को अलग किया जाता है
  5. व्यक्तित्व परीक्षण-प्रास़गिक अन्तर्बोध परीक्षण,स्हाही धब्बा परीक्षण आदि के द्वारा भावनात्मक विशेषताओं को समझा जाता है
  6. खुफिया परीक्षण या बुद्धि परीक्षण-बौद्धिक स्तर के लिए
  7. मनोवैज्ञानिक टेस्ट-तर्कशक्ति स्मृति स्थिरता श्रवण शक्ति ज्ञान की अवधि आदि के लिए

Notes by Ravi kushwah

बच्चों की सीखने की पहचान-
एक शिक्षण विशेषज्ञ के रुकने की कठिनाइयों से संबंधित जो व्यवहार में आसानी से पहचानना आवश्यक है ।
मनोवैज्ञानिक और विशेषज्ञ बच्चों के सीखने की पहचान करने के लिए विनती करने वालों को पहचान की जा सके।

1 – अवलोकन – तकनीकी शिक्षक द्वारा बच्चों के व्यवहार को अध्ययन करके अवलोकन द्वारा समझा जा सकता है। वह अवलोकन को सरल के साथ-साथ नियंत्रण परिस्थिति में भी किया जाता है ।एक बच्चे का व्यवहार न केवल कक्षा में बल्कि खेल के मैदान में घर और समूह में भी देखा जाता ।है ।
अवलोकन केवल बच्चे के व्यवहार को देखने और बच्चे के साथ आगे बढ़ने से होता है।

2– केस स्टडी विधि– बच्चों का इतिहास उनका परिवार प्रारंभिक जीवन और घर के वातावरण संबंधित है।

3– चिकित्सा परीक्षण– बच्चों की विकासात्मक इतिहास के विशेषज्ञ चिकित्सक द्वारा सत्यापित किया जाना चाहिए।

4–स्कोलिस्टिक परीक्षण– बच्चे सामान्य तथा विशिष्ट समस्याओं को अलग-अलग कर दिया जाता है।
5– व्यक्तित्व परीक्षण इसके अंतर्गत टी ए टी आईबीटी परीक्षण आता है या भावात्मक विशेषता है।
6 खुफिया परीक्षण या बुद्धि परीक्षण– यह बच्चे के बौद्धिक स्तर का होता है।
7– मनोवैज्ञानिक परीक्षण– तर्कशक्ति स्मृति स्थिरता श्रावण ध्यान की अवधि इन सब चीजों का पता चलता है।

पूनम शर्मा

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बच्चों में सीखने की पहचान

एक शिक्षण विशेषज्ञ के रूप में सीखने की कठिनाइ से संबंधित कक्षा व्यवहार में आसानी से पहचान करना आवश्यक है
मनोवैज्ञानिक और विशेषज्ञ बच्चे के सीखने की पहचान करने के लिए विभिन्न उपकरण या तकनीक का उपयोग करते हैं |

  1. अवलोकन तकनीक-शिक्षक द्वारा बच्चों के व्यवहार को अध्ययन करके अवलोकन द्वारा समझा जाता है यह अवलोकन सरल के साथ-साथ नियंत्रणीय परिस्थितियों में भी होते हैं।

एक बच्चे का व्यवहार ना केवल कक्षा में बल्कि खेल के मैदान घर और समूह में भी देखा जाता है
अवलोकन केवल बच्चों के व्यवहार को देखने और बच्चों के व्यवहार की जानकारी ग्रहण करने के लिए किया जाता है |

  1. केस स्टडी विधि-बच्चों का इतिहास, उसका परिवार, प्रारंभिक जीवन और घर का वातावरण |
  2. चिकित्सा परीक्षण-बच्चों के विकासात्मक इतिहास को विशेषज्ञ या चिकित्सक द्वारा सत्यापित किया जाना चाहिए
    बच्चे की विसंगति विकलांगता आदि |
  3. स्कोलास्टिक टेस्ट-बच्चे की सामान्य व विशिष्ट समस्याओं को अलग किया जाता है |
  4. व्यक्तित्व परीक्षण-प्रास़गिक अन्तर्बोध परीक्षण,स्हाही धब्बा परीक्षण आदि के द्वारा भावनात्मक विशेषताओं को समझा जाता है |
  5. खुफिया परीक्षण या बुद्धि परीक्षण-बौद्धिक स्तर के लिए
    |
  6. मनोवैज्ञानिक टेस्ट-तर्कशक्ति स्मृति स्थिरता श्रवण शक्ति ज्ञान की अवधि आदि के लिए |

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𝙉𝙤𝙩𝙚𝙨 𝙗𝙮 𝙍𝙖𝙨𝙝𝙢𝙞 𝙨𝙖𝙫𝙡𝙚

Date – 22/06
Time- 7.45 am

बच्चों में सीखने की पहचान-
एक शिक्षण विशेषज्ञ के रूप में सीखने की कठिनाई संबंधित कक्षा व्यवहार आसानी से पहचान करना आवश्यक है।
मनोवैज्ञानिक और विशेषज्ञ बच्चे के सीखने की पहचान करने के लिए विभिन्न उपकरण या तकनीक का उपयोग करते हैं –
1.अवलोकन तकनीक-
शिक्षक द्वारा बच्चों के व्यवहार को अध्ययन करके अवलोकन द्वारा समझा जा सकता है।
यह अवलोकन सरल के साथ-साथ नियंत्रिणीय परिस्थिति में भी किया जाता है।
एक बच्चे का व्यवहार ना केवल कक्षा में बल्कि खेल के मैदान घर और समूह में भी देखा जाता है।
अवलोकन केवल बच्चों के व्यवहार को देखने और बच्चों के साथ आगे बढ़ने से होता है।

  1. केस स्टडी विधि-
    बच्चे का इतिहास उसका परिवार प्रारंभिक जीवन और घर का वातावरण इन सब चीजों के बारे में स्टडी करता है।

3- चिकित्सा परीक्षणपरीक्षण-

बच्चों के विकासात्मक इतिहास को विशेषज्ञ द्वारा या चिकित्सक द्वारा सत्यापित किया जाना चाहिए।

  1. स्कॉलास्टिक टेस्ट –
    सामान्य और विशिष्ट समस्याओं को अलग किया जाता है।
  2. व्यक्तित्व परीक्षण –
    TAT, IBT – भावनात्मक विशेषता पता करने के लिए।
  3. खुफिया परीक्षा यह बच्चों के बौद्धिक स्तर के कारण होता है यह मौखिक भी होता है और गैर मौखिक के लिए
  4. मनोवैज्ञानिक टेस्ट –
    तर्कशक्ति स्मृति स्थिरता श्रवण शक्ति ध्यान की अवधि इन सब का पता चलता है।

Notes by निधि तिवारी🌿🌿🌿🌿🌿

🌺🌼 बच्चों में सीखने की पहचान 🌼🌺
एक शिक्षण विशेषज्ञ के रूप में सीखने की कठिनाई से संबंधित जो कक्षा व्यवहार में आसानी से पहचान करना आवश्यक है मनोवैज्ञानिक और विशेषज्ञ बच्चे की सीखने की पहचान करने के लिए विभिन्न उपकरण या तकनीक का उपयोग करते हैं |
(1) अवलोकन तकनीक ➖
शिक्षण शिक्षक द्वारा बच्चों के व्यवहार को अध्ययन करके अवलोकन द्वारा समझा जाता है |
यह अवलोकन औरल के साथ-साथ नियंत्रणीय परिस्थिति में भी किया जाता है |
एक बच्चे का व्यवहार ना केवल कक्षा में बल्कि खेल के मैदान घर और समूह में भी देखा जाता है अवलोकन केवल बच्चे के व्यवहार को देखने और बच्चो के साथ आगे बढ़ने से होता है |

(2) केस स्टडी विधि ➖ बच्चे का इतिहास उसके परिवार प्रारंभिक जीवन और घर का वातावरण है |

(3) चिकित्सा परीक्षण ➖ बच्चों की विकासात्मक इतिहास को विशेषज्ञ चिकित्सक द्वारा संप्राप्ति किया जाना चाहिए – विसंगति , विकलांगता

(4) स्कोलास्टिड टेस्ट ➖
यह बच्चे में सामान्य और विशिष्ट समस्या को अलग किया जाता है |

(5) व्यक्तित्व परीक्षण ➖
TAT IBT भावनात्मक विशेषता का पता करने के लिए |

(6) खुफिया बुद्धि परीक्षण ➖
यह परीक्षण बौद्धिक स्तर के लिए उपयगी है |

(7) मनोवैज्ञानिक टेस्ट ➖
तर्क शक्ति स्मृति स्थिरता श्रवण शक्ति ध्यान की अवधि |

Notes by ➖Ranjana Sen

Classification of Personality on the basis of values-

मूल्यों के आधार पर वर्गीकरण– स्प्रेनजर ने मूल्य को 6 भाग में बांटा है।

1– सैद्धांतिक –

   इसमें भी व्यक्ति आते हैं, जो सदैव ज्ञान प्राप्त करने को इच्छुक रहते हैं। तो येसिद्धांतों को महत्व देते हैं। कुछ कष्ट को सहन कर कर भी अपने आदर्शों का पालन करते हैं ।ऐसी व्यक्ति अव्यावहारिक होते हैं।

2– आर्थिक–

 जो भौतिक सुख की इच्छुक होते हैं। धन को महत्व देते हैं। धन उपार्जन के लिए कुछ भी कर सकते हैं ।ऐसे व्यक्ति व्यावहारिक होते हैं।

3– सामाजिक–

 जो लोग समाज और सामाजिक संबंधों को अधिक महत्व देते हैं। दयालु त्यागी परोपकारी होते हैं। समाज सेवक समाज सुधारक होते हैं। यह अति व्यवहार शील होते हैं।

4– राजनैतिक–

 जो राज कार्य में रुचि लेते हैं। राजनीति में भागीदारी निभाते हैं। ऐसी व्यक्ति राजनीतिक दांवपेच बहुत समझते हैं।

5– धार्मिक –

ईश्वर में विश्वास रखते हैं ।आध्यात्मिक मूल्यों का पालन करते हैं ।आत्म संतोषी होते हैं ,परोपकारी होते हैं, और दैवीय प्रकोप से डरते हैं।

6– सौंदर्यात्मक–

जो सौंदर्य प्रिय होते हैं ।ऐसे लोगों का झुकाव  संगीत, नृत्य आदि की ओर अधिक रहता है।

💐 सामाजिक अन्तः क्रिया के आधार पर वर्गीकरण–

1–अंतर्मुखी– आत्म केंद्रित, आत्म चिंतक, एकांत प्रिय ,संकोची, संवेदनशील, कर्तव्यनिष्ठ ,मितभाषी ,व्यवहार में कम कुशल होते हैं।

2– बहिर्मुखी –समाज केंद्रित, व्यवहार केंद्रित, व्यवहारिक, चिंता मुक्त ,आशावादी ,सामाजिक कार्यों में रुचि, और लोकप्रियता।

3– उभय मुखी– इनमें अंतर्मुखी और बहिर्मुखी दोनों व्यक्ति समान रूप से होते हैं।

💐 सृजनात्मक शक्ति के आधार पर व्यक्तित्व का वर्गीकरण–

1 – सृजनात्मक– लीक से हटकर कुछ नया सोचने और करने की इच्छा तथा शक्ति दोनों होती है। यह सोच एवं कार्य सदैव सकारात्मक एक प्रगतिशील होने चाहिए।

असृजनात्मक– जो व्यक्ति ना कभी नया सोचता है ना कभी नया कुछ करता है। जो है उसी का अनुसरण करता है असृजनात्मक होता है।

💐 समायोजन के आधार पर वर्गीकरण–

1–सुसमायोजित– जो व्यक्ति अपने आंतरिक वाही शक्ति एवं भागों का संतुलन बनाने में समर्थ होते हैं संतुलित व्यवहार करते हैं सुसमायोजित कहलाते हैं।

2–कुसमयोजित– जो व्यक्ति अपने आंतरिक और बाह्य शक्तियों एवं भागों में संतुलन नहीं बना पाता है और जिन का व्यवहार असंतुलित होता है। जो लोग असामाजिक होते हैं कु समायोजित कहलाते हैं।

Poonam sharma

मूल्यों के आधार पर वर्गीकरण
स्प्रेंजर ने मूल्यों को छह प्रकार से बांटा है
1) सैद्धांतिक
2) आर्थिक
3) सामाजिक
4) राजनीतिक
5) धार्मिक
6) सौंदर्यत्मक

सामाजिक अनुक्रिया के आधार पर वर्गीकरण
युंग के अनुसार –तीन
1)अंतर्मुखी
2) बहिर्मुखी
3) उभयमुखी

सृजनात्मक शक्ति के आधार पर वर्गीकरण–2
1) सृजनात्मक
2) असृजनात्मक

समायोजन के आधार पर वर्गीकरण–2
1) समायोजित
2) कुसमायोजित

𝙉𝙤𝙩𝙚𝙨 𝙗𝙮 𝙍𝙖𝙨𝙝𝙢𝙞 𝙨𝙖𝙫𝙡𝙚

मूल्यों के आधार पर वर्गीकरण
स्प्रेंजर ने मूल्यों को आधार पर व्यक्तित्व को 6 भागों में वर्गीकृत किया है।
Book- types of man

  1. सैद्धांतिक-इसमें वह व्यक्ति होते हैं जो सदैव ज्ञान प्राप्त करने को इच्छुक रहते हैं वह सिद्धांतों को महत्व देते हैं कुछ कष्ट सहन करके भी आदर्शों का पालन करते हैं ऐसे व्यक्ति ‘अव्यवहारिक’ होते हैं
  2. आर्थिक-जो भौतिक सुख के इच्छुक होते हैं धन को महत्व देते हैं वह धनार्जन के लिए कुछ भी कर सकते हैं ऐसे व्यक्ति “व्यवहारिक ” होते हैं।
  3. सामाजिक-जो लोग समाज और सामाजिक संबंधों को अधिक महत्व देते हैं दयालु त्यागी परोपकारी होते हैं समाज सेवक समाज सुधारक होते हैं यह “अति व्यवहारशील” होते हैं
  4. राजनीतिक-जो राज कार्य में रुचि लेते हैं राजनीति में भागीदारी निभाते हैं ऐसे व्यक्ति राजनीतिक दांवपेच को बहुत समझते हैं
  5. धार्मिक-ईश्वर में विश्वास रखते हैं आध्यात्मिक मूल्यों का पालन करते हैं आत्म संतोषी या परोपकार होते हैं लेकिन यह दैवीय प्रकोप से डरते हैं
  6. सौंदर्यात्मक या कलात्मक-जो सौंदर्य प्रिय होते हैं ऐसे लोगों का झुकाव कला संगीत नृत्य आदि के और अधिक रहता है

सामाजिक अंतर क्रिया के आधार पर वर्गीकरण

युंग या जुंग ने सामाजिक अंतर क्रिया के आधार पर व्यक्तित्व को 3 वर्गों में विभाजित किया है

Book- psychological types

  1. अंतर्मुखी-आत्म केंद्रित आत्म चिंतक एकांत प्रिय संकोची संवेदनशील कर्तव्यनिष्ठ मितभाषी व्यवहार में कुंदस होते हैं।
  2. बहिर्मुखी-समाज केंद्रित व्यवहारिक साहसिक चिंता मुक्त आशावादी, सामाजिक कार्य में रूचि, लोकप्रिय होते हैं
  3. उभयमुखी-इसमें अंतर्मुखी और बहिर्मुखी दोनों व्यक्ति को समान रूप से होते हैं

सृजनात्मक शक्ति के आधार पर व्यक्तित्व का वर्गीकरण
प्रकार-2

  1. सृजनात्मक-लीक से हटकर कुछ नया सोचने और करने की इच्छा तथा शक्ति दोनों होते हैं यह सोच एवं कार्य सदैव सकारात्मक एवं प्रगतिशील होना चाहिए
  2. असृजनात्मक-जो व्यक्ति ने कभी नया सोचता है, ना कभी नया करता है, जो है उसी का अनुसरण करता है असृजनात्मक कहलाता है।
    ऐसे व्यक्तियों में
    स्वतंत्र चिंतन की क्षमता नहीं होती हैं
    दूसरों पर निर्भर होते हैं
    रूढ़िवादी होते हैं

समायोजन के आधार पर व्यक्तित्व का वर्गीकरण
प्रकार -दो

  1. सुसमायोजित-जो व्यक्ति अपने आंतरिक व बाय शक्ति एवं मांगो में संतुलन बनाने में समर्थ होते हैं संतुलित व्यवहार करते हैं सुसमायोजित कहलाते हैं।
  2. कुसमायोजित-जो व्यक्ति अपने आंतरिक और बाह्य शक्तियों एवं मांगों के बीच संतुलन नहीं बना पाता है और जिन का व्यवहार असंतुलित होता है जो लोग सामाजिक होते हैं कुसमायोजित कहलाते हैं

Notes by Ravi kushwah

मूल्यो के आधार पर वर्गीकरण ➖

स्प्रेंजर ने मूल्य को 6 भाग में बाटा है |

(1) सैद्धांतिक :- इसमे वो व्यक्ति होते है जो सदैव ज्ञान प्राप्त करने को इच्छुक रहते है | वे सिद्धांतो को महत्व देते है कुछ कष्ट सहनकर भी आदर्शो का पालन करने है ऐसे व्यक्ति अव्यवहारिक होते है |

(2) आर्थिक :- जो भौतिक सुख के इच्छुक होते है धन को महत्व देते है वो धर्नाजन के लिए कुछ भी कर सकते है ऐसे व्यक्ति व्यवहारिक होते है |

(3) सामाजिक :- जो लोग समाज और सामाजिक संबंधो को अधिक महत्व देते है दयालु , त्यागी , परोपकारी होते है समाज सेवक समाज सुधारक होते है ये अति व्यवहार शील होते है |

(4) राजनैतिक :- जो राजकार्य में रूचि लेते है राजनीतिक मे भागीदारी निभाते है ऐसे व्यक्ति राजनीतिक दांवपेच बहुत समझते है |

(5) धार्मिक :- ईश्वर में विश्वास रखते है |
आध्यात्मिक मूल्यो का पालन करते है आत्म संतोषी / परोपकारी होते है दैवीय प्रकोप से डरते है |

(6) सौन्दर्यात्मक :- जो सौन्दर्य प्रिय होते है ऐसे लोगो का झुकाव , कला , संगीत , नृत्य आदि की ओर अधिक रहता है |

सामाजिक अंत:क्रिया के आधार पर वर्गीकरण ➖ युंग जुंग

(1) अन्तर्मुखी – आत्मकेंद्रित , आत्मचिंतक एकांतप्रिय , संकोची संवेदनशील , कर्तव्यनिष्ठ , मितभाषी , व्यवहार मे कम कुशल होते है |

(2) बहिर्मुखी – समाजकेंद्रित , व्यवहारिक , साहसिक चिंता मुक्त आशावादी ,सामाजिक कार्यो मे रूचि लोकप्रिय होते है |

(3) उभयमुखी – इनमें अन्तर्मुखी और बहिर्मुखी दोनो व्यक्तित्व समान रूप से होते है |

सृजनात्मक शक्ति के आधार पर व्यक्तित्व वर्गीकरण ➖

(1) सृजनात्मक – लीक से हटकर कुछ नया सोचने और करने की इच्छा तथा शक्ति दोनो होती है यह सोच एंव कार्य सदैव सकारात्मक एंव प्रगतिशील होने चाहिए |

(2) असृजनात्मक – जो व्यक्ति न कभी नया सोचता है ना कभी नया करता है |
जो है उसी का अनुसरण करता है असृजनात्मक होता है |

ऐसे व्यक्तिक मे
स्वतंत्र चिंतन की क्षमता नही होता है |
दसरो पर निर्भर होते है |
रूढिवादी होते है |

सृजनात्मक शक्ति के आधार पर व्यक्तित्व का वर्गीकरण
प्रकार-2

(1) सुसमायोजित ➖ जो व्यक्ति अपने आंतरिक व बाय शक्ति एवं मांगो में संतुलन बनाने में समर्थ होते हैं संतुलित व्यवहार करते हैं सुसमायोजित कहलाते हैं।

  1. कुसमायोजित-जो व्यक्ति अपने आंतरिक और बाह्य शक्तियों एवं मांगों के बीच संतुलन नहीं बना पाता है और जिन का व्यवहार असंतुलित होता है जो लोग सामाजिक होते हैं कुसमायोजित कहलाता है |
    Notes by ➖ Ranjana Sen

🌸☘️ मूल्यों के आधारों पर व्यक्तित्व का वर्गीकरण☘️🌸

स्प्रेंजर ने मूल्यों को 6 भागों में बांटा है।

1-सैद्धन्तिक➖ इसमें वह व्यक्ति आते हैं जो सदैव ज्ञान प्राप्त करने को इच्छुक रहते हैं वह सिद्धांतों को महत्व देते हैं कुछ कष्ट सहकर भी आदर्शों का पालन करते हैं। ऐसे व्यक्ति अव्यावहारिक होते हैं।

2-आर्थिक➖ जो भौतिक सुख की इच्छुक होते हैं धन को महत्व देते हैं वह धर्नाजन‌ के लिए कुछ भी कर सकते हैं ऐसे व्यक्ति व्यावहारिक होते हैं।

3-सामाजिक➖ जो लोग समाज और सामाजिक संबंधों को अधिक महत्व देते हैं दयालु, त्यागी ,परोपकारी होते हैं समाज सेवक ,समाज सुधारक होते हैं यह अति व्यवहारशील होते हैं।

4-राजनैतिक➖ जो राजकीय में रुचि लेते हैं राजनीति में भागीदारी निभाते हैं ऐसे व्यक्ति राजनीतिक दांवपेच बहुत समझते हैं।

5-धार्मिक➖ ईश्वर में विश्वास रखते हैं आध्यात्मिक मूल्यों का पालन करते हैं आत्मा संतोषी / परोपकारी होते हैं।

6-सौन्दर्यात्मक➖ जो सौंदर्य प्रेमी होते हैं ऐसे लोगों का झुकाव कला, संगीत ,नृत्य आदि कि और अधिक रहता है।

🌸 सामाजिक अंत: क्रिया के आधार पर व्यक्तित्व का वर्गीकरण🌸(युंग /जुंग)

1-अंतर्मुखी➖ आत्म केंद्रित, आत्मचिंतन, एकांत प्रिय, संकोची, संवेदनशील और कर्तव्यनिष्ठ मितभाषी व्यवहार में कम कुशल होते हैं।

2-बहुर्मुखी➖ समाज केंद्रित, व्यावहारिक ,साहसी ,चिंता मुक्त, आशावादी, सामाजिक कार्यों में रुचि लोकप्रिय होते हैं।

3-उभयर्मुखी➖ इसमें अंतर्मुखी और बहिर्मुखी दोनों व्यक्तित्व समान रूप से होते हैं।

☘️ सृजनात्मकता के आधार पर व्यक्तित्व का वर्गीकरण☘️

1-सृजनात्मकता➖लीक से हटकर कुछ नया सोचने और करने की इच्छा तथा शक्ति दोनों होती है यह सोच एवं कार्य सदैव सकारात्मक एवं प्रगतिशील होने चाहिए।

2- असृजनात्मकता➖ जो व्यक्ति ना कभी नया सोचता है और ना कभी नया करता है जो है उसी का अनुसरण करता है, असृजनात्मकता कहलाता है स्वतंत्र चिंतन की क्षमता नहीं होती है दूसरों पर निर्भर होता है।

☘️ समायोजन के आधार पर व्यक्तित्व का वर्गीकरण☘️

1-सुसमायोजित➖ जो व्यक्ति अपने आंतरिक शक्ति एवं बाह्य शक्ति एवं भागों में संतुलित बनाने में समर्थ होता है संतुलित व्यवहार करता है सुसमायोजित कहलाते हैं।

2-कुसमायोजित➖ जो व्यक्ति अपने आंतरिक और बाह्य शक्ति एवं भागों में संतुलन नहीं बना पाता है और जिसका व्यवहार असंतुलित होता है जो लोग असामाजिक होते हैं जो समायोजित कहलाते है।

✍🏻📚📚 Notes by…… Sakshi Sharma📚📚✍🏻

Indemnity Remedy – CDP

क्षतिपूर्ति उपाय या क्षतिपरक उपाय –
जिस क्षेत्र में कोई व्यक्ति कमजोर है उसकी क्षति पूर्ति किसी अन्य क्षेत्र या साधन के माध्यम से करके समायोजित करता है

आक्रामक उपाय-आक्रामक उपाय दो प्रकार के हो सकते हैं प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष
प्रत्यक्ष आक्रामक उपाय-जो ठेस पहुंचाता है उसी पर आक्रामक होकर खुद को संतुष्ट करना

अप्रत्यक्ष आक्रामक उपाय-जो ठेस पहुंचाता है उसका बदला अन्य तरीके से लेकर खुद को संतुष्ट करना

समायोजन के प्रतिमान

सिगमंड फ्रायड के अनुसार

  1. अचेतन मन समायोजन का आधार है
  2. अहम या इगो अवस्था समायोजन का आधार है
  3. लिबिडो समायोजन का आधार है

एडलर के अनुसार
श्रेष्ठता प्राप्ति ही समायोजन का आधार है

युंग के अनुसार
आत्मसिद्धि ही समायोजन का आधार है
दिल या भावनाएं ,दिमाग या विचार में संतुलन बनाना ही आत्मसिद्धि है

स्वप्न या ड्रीम

सिगमंड फ्रायड के अनुसार
स्वप्न अचेतन मन का स्वरूप है

एडलर के अनुसार
स्वप्न चेतन मन का स्वरूप है

यूंग के अनुसार
स्वप्न, चेतन ,अचेतन और अर्द्धचेतन तीनों मन का स्वरूप है

इस पूरे तथ्य में सिगमंड फ्रायड के विचारों को प्रमुखता दी जाती है।

Notes by Ravi kushwah

Date -19/06/2021
Time – 9.00am

क्षतिपूर्ति उपाय – जिस क्षेत्र में कोई व्यक्ति कमजोर है उसकी क्षतिपूर्ति के लिए किसी अन्य क्षेत्रीय साधन के माध्यम से करके समायोजित करता है।

आक्रामक उपाय- यह दो प्रकार के हैं प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष

1- प्रत्यक्ष जो ठेस पहुंचाता है उसी पर आक्रामक होकर खुद को संतुष्ट कर रहा है।
2- अप्रत्यक्ष जो ठेस पहुंचाता है उसका बदला अन्य तरीके से लेकर खुद को संतुष्ट करता है

समायोजन के प्रतिमान
सिगमंड फ्रायड के अनुसार
1.अचेतन मन समायोजन का आधार है
2.ईगो (अहम) अवस्था समायोजन का आधार है।
3.लिबिडो समायोजन का आधार है।

एडलर – श्रेष्ठता प्राप्ति ही समायोजन का आधार है
युंग- आत्मसिद्धि ही समायोजन का आधार है
दिल (भावनाएं) दिमाग (विचार) में संतुलन बनाना ही आत्मसिद्धि है।

स्वप्न( ड्रीम)
सिगमंड फ्रायड- स्वप्न अचेतन मन का स्वरूप है ।

एडलर- स्वप्न चेतन मन का स्वरूप है।

यूंग – स्वप्न चेतन अचेतन और अर्थ चेतन तीनों का स्वरूप है इस पूरे तथ्य में सिगमंड फ्रायड के विचारों को प्रमुखता दी जाती है।

Notes by निधि तिवारी🌿🌿🌿

क्षतिपूर्ति उपाय / क्षतिपरक उपाय ➖

जिस क्षेत्र में कोई व्यक्ति कमजोर है उसकी क्षतिपूर्ति किसी अन्य क्षेत्र या साधन के माध्यम से करके समायोजित करता है |

आक्रामक उपाय ➖

(1) प्रत्यक्ष :- जो ठेस पहुंचाता है उसी पर आक्रमक होकर खुद को संतुष्ट करता है |
(2) अप्रत्यक्ष :- जो ठेस पहुंचाता है उसका बदला अन्य तरीके से लेकर खुद को संतुष्ट करता है |

समायोजन के प्रतिमान ➖

सिगमंड फ्रायड के अनुसार ➖
(1) अचेतन मन समायोजन का आधार है
(2) अहम अवस्था समायोजन का आधार है |
(3) लिबिडो समायोजन का आधार है |

एडलर ➖
श्रेष्ठता प्राप्ति ही समायोजन का आधार है |

युंग ➖
आत्मसिद्धि ही समायोजन का आधार है |
दिल (भावनाएं) , दिमाग (विचार) में संतुलन बनाना ही आत्मसिद्धि है |

स्वप्न (Dream) :-
सिगमंड फ्रायड ➖ स्वप्न अचेतन मन का स्वरुप है |

एडलर ➖
स्वप्न चेतन मन का स्वरूप है |

युंग ➖
स्वप्न , चेतन , अचेतन और अर्द्ध चेतन तीनों का स्वरूप है |
इस पूरे तथ्य को सिगमंड फ्रायड के विचारों को प्रमुखता दी जाती है |
Notes by ➖ Ranjana sen

Some Statements & Psychologist

जीन पियाजे-
विकासात्मक मनोविज्ञान के जनक
संज्ञानात्मक विकास के सिद्धांत
ज्ञानात्मक विकास का सिद्धांत
The language of thought- book
बच्चे के विकास की अवस्थाएं

प्रथम अवस्था= 0-2 साल
इंद्रिय जनित गामक अवस्था
शैशव अवस्था
संवेदी पेशीय अवस्था
संवेदी प्रेरक अवस्था
Sensory motor stage

द्वितीय अवस्था=2-7 साल
पूर्व संक्रियात्मक अवस्था
पूर्व बाल्यकाल pre childhood
पाक् संक्रियात्मक अवस्था
Pre operational stage

तृतीय अवस्था 7 से 11 साल
मूर्त संक्रियात्मक अवस्था
उत्तर बाल्यावस्था later childhood
बाद का बचपन
अनौपचारिक संक्रियात्मक अवस्था
Concrete operational stage

चौथी अवस्था 11 से 18 साल
अमूर्त संक्रियात्मक अवस्था
किशोरावस्था adolescence
औपचारिक संक्रियात्मक अवस्था
Abstract operational stage
Formal operational stage

विलियम मैक्डूगल
मूल प्रवृत्ति सिद्धांत के जन्मदाता
हार्मिक सिद्धांत
प्रेरकीय संप्रदाय के जनक
प्रेरणा का सिद्धांत
Outline of psychology

मनोविज्ञान को मन या मस्तिस्क का विज्ञान-पोम्पोनोजी या पोम्पोलोजी

बीएफ स्किनर –
क्रिया प्रसूत अनुबंधन का सिद्धांत
सक्रिय अनुबंधन का सिद्धांत
नैमित्तिक सिद्धांत
साधनात्मक सिद्धांत
यांत्रिक सिद्धांत
R-S theory

इवान पेट्रोविच पावलव-
अनुकूलित अनुक्रिया का सिद्धांत
शास्त्रीय अनुबंधन का सिद्धांत
संबंध प्रत्यावर्तन का सिद्धांत
प्रतिस्थापन का सिद्धांत
प्राचीन अनुबंधन का सिद्धांत
अनुबंधित उद्दीपक का सिद्धांत

क और ख बुद्धि का सिद्धांत -‌हैब

क्लार्क एल हल-
अधिगम या व्यवहार सिद्धांत के प्रतिपादक
प्रबलन का सिद्धांत
पुनर्बलन का सिद्धांत
व्यवस्थित व्यवहार का सिद्धांत
सबलीकरण का सिद्धांत
संपोषक का सिद्धांत
चालक न्यूनता का सिद्धांत
अंतर्नोद न्यूनता का सिद्धांत
प्रणोद न्यूनता का सिद्धांत
सतत अधिगम का सिद्धांत
यथार्थ अधिगम का सिद्धांत
क्रमबद्ध अधिगम का सिद्धांत
सहज प्रवृत्ति का सिद्धांत या drive theory
गणितीय निगमन का सिद्धांत
S-O-R theory.

विलियम वु़ट-
संरचनावाद संप्रदाय के जनक 1879-विलियम वुंट
प्रायोगिक मनोविज्ञान के जनक
मनोविज्ञान की प्रथम प्रयोगशाला 1879 जर्मनी के लिपजिंग शहर में कार्ल मार्क्स विश्वविद्यालय में
चेतना का विज्ञान

आर बी कैटल
तरल ठोस बुद्धि का सिद्धांत
प्रतिकारक या विशेषक सिद्धांत के प्रतिपादक
कारक विश्लेषण सिद्धांत
तरल मोजेक सिद्धांत
“मानसिक परीक्षण” शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग 1890

Notes by Ravi kushwah

Mental Attitudes – CDP

मानसिक मनोरचनाएं
समायोजन तंत्र
आत्म सुरक्षात्मक शक्तियां
आत्म सुरक्षा अभि यंत्रिकाऐ
प्रतिरक्षण प्रणाली
रक्षा तंत्र

मानसिक मनोरचना वे साधन हैं जिनको व्यक्ति मानसिक रोग से बचने या समायोजन स्थापित करने के लिए उपयोग में लाता है

मानसिक मनोरचना के प्रकार-2

  1. प्रत्यक्ष
  2. अप्रत्यक्ष
  3. प्रत्यक्ष मनोरचना में
  4. बाधाओं को दूर करना
  5. अन्य मार्ग खोजना
  6. लक्ष्य का विस्थापन करना
  7. विश्लेषण एवं निर्णय
  8. अप्रत्यक्ष उपाय
  9. दमन-कटु अनुभूति ,दुखद बातें, अतृप्त इच्छाएं
    इन सब को बलपूर्वक बुला देना दमन कहलाता है

दमन शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम सिगमंड फ्रायड ने किया था

  1. दिवास्वप्न/ मन तरंग/ कल्पना प्रवाह-हकीकत में या वास्तव में जिन इच्छाओं की पूर्ति नहीं होती हैं उनको कल्पनाओं के माध्यम से पूर्ण करके क्षणिक आनंद या संतुष्टि प्राप्त कर लेना दिवास्वप्न कहलाता है।

दिवास्वप्न की अधिकता आपको अपराधी बना सकते हैं
दिवास्वप्न की अधिकता किशोरावस्था में होती है

  1. प्रक्षेपण-खुद की असफलता का दोष किसी और पर डालकर खुद को संतुष्ट करना
  2. औचित्य स्थापन-वस्तु या पद प्राप्ति नहीं होने पर उस वस्तु या पद में दोष निकाल कर अपने आप को संतुष्ट करना
  3. आश्रित होना-कर्म हीन व्यक्ति पूरी तरह से दूसरों पर निर्भर होकर अपने आप को समायोजित करता है
  4. प्रतिगमन-जो वर्तमान स्थिति तनाव देते हैं उससे बचने के लिए पूर्व स्थिति में चले जाते
  5. तदात्मीकरण-चाचा विधायक है हमारे
    ऐसे व्यक्ति से परिचय दिखाता है जो विशेष प्रतिष्ठा प्राप्त हो
  6. शुद्धिकरण या शोधन-असामाजिक प्रवृत्ति को सामाजिक प्रवृत्ति में करके समायोजन करना

Notes by Ravi kushwah

मानसिक मनोरचना ➖
प्रत्यक्ष उपाय
अप्रत्यक्ष उपाय

प्रत्यक्ष उपाय➖

1) बाधाओं को दूर करना
2) अन्य मार्ग खोजने में
3) लक्ष्य का विस्थापन
4) विश्लेषण एवं निर्णय

अप्रत्यक्ष उपाय ➖

1) दमन
कटु अनुभूति ,दुखद बातें, अतृप्त इच्छाएं इन सब को बलपूर्वक भुला देना दमन कहलाता है |
दमन शब्द का प्रयोग सिगमंड फ्रायड ने किया |

2) द्विवास्वप्न /मन तरंग /कल्पना/ प्रवाह ➖
हकीकत में जिन इच्छाओं की पूर्ति नहीं होती उनको कल्पनाओं के माध्यम से पूर्ण करके क्षणिक आनंद या संतुष्टि प्राप्त कर लेना द्विवास्वप्न कहलाता है |
द्विवास्वप्न की अधिकता व्यक्ति को अपराधी बन सकती है |
दिवास्वप्न की अधिकता किशोरावस्था में होती है |

3) प्रक्षेपण ➖
खुद की असफलता का दोष किसी और पर डालकर खुद को संतुष्ट करना |

4) औचित्य स्थापन ➖
कोई वस्तु या पद प्राप्त न होने पर उस पद और वस्तु में दोष डाल कर अपने आप को संतुष्ट करना |

5) आश्रित होना ➖
कर्महीन व्यक्ति पूरी तरह से दूसरों पर निर्भर होकर अपने आप को समायोजित और संतुष्ट करता है |

6) प्रतिगमन ➖
जो वर्तमान स्थिति तनाव देती है उससे बचने के लिए पूर्व स्थिति में चले जाते हैं |

7) तदात्मीकरण ➖
ऐसे व्यक्ति से तालमेल बैठाता है परिचय दिखाता है जो विशेष प्रतिष्ठा का प्राप्त हो |

8) शुद्धिकरण/ शोधन ➖
असामाजिक प्रवृत्ति को सामाजिक प्रवृत्ति में बदलकर समायोजन करना |

𝙉𝙤𝙩𝙚𝙨 𝙗𝙮 𝙍𝙖𝙨𝙝𝙢𝙞 𝙨𝙖𝙫𝙡𝙚

मानसिक मनोरचना के दो प्रकार है :-

(1) प्रत्यक्ष
(2) अप्रत्यक्ष

प्रत्यक्ष ➖
(1) बाधाओं को दूर करना
(2) अन्य मार्ग खोजना
(3) लक्ष्य का विस्थापन
(4) विश्लेषण एंव निर्णय

अप्रत्यक्ष ➖
(1) दमन – कटु अनुभूति , दु:खद बाते , अतृप्त इच्छाऐ इन सबको बलपूर्वक भूला देना , दमन कहलाता है |
दमन शब्द का प्रयोग — सिगमंड फ्रायड

(2) दिवास्वप्न / मनतरंग / कल्पना प्रवाह :-
हकीकत मे जिन इच्छाओं की पूर्ति नही होती है उनको कल्पनाओं के माध्यम से पूर्ण करके क्षणिक आनंद या संतुष्टि प्राप्त कर लेना दिवास्वप्न कहलाता है दिवास्वप्न की अधिकता आपको अपराधी बना सकती है |
दिवास्वप्न की अधिकता किशोरावस्था में होती है |

(3) प्रक्षेपण :- खुद की असफलता का दोष किसी और पर डालकर खुद को संतुष्ट करना |

(4) औचित्य स्थापन :- वस्तु / पद प्राप्ति ना होने पर उस पद / वस्तु में दोष निकालकर अपने आप को संतुष्ट करना |

(5) आश्रित होना :- कर्महीन व्यक्ति पूरी तरह से दूसरो पर निर्भर होकर अपने आप को समायोजित करना |

(6) प्रतिगमन :- जो वर्तमान स्थिति तनाव देती है उससे बचने के लिए पूर्व स्थिति में चले जाते है |

(7) तदात्मिकरण :-
” चाचा विधायक है हमारे “
ऐसे व्यक्ति से परिचय दिखाता है जो विशेष प्रतिष्ठा प्राप्त हो |

(8) शुद्धिकरण / शोधन :- असामाजिक प्रवृति को सामाजिक प्रवृति करके समायोजन करना |

Notes by ➖ Ranjana sen

PERSONALITY -2

Date ➖ 16/06/2021
Time- 8.00 am

⚫ व्यक्तित्व की विशेषताएं

  1. सामाजिकता➖ समाज में रहकर व्यक्ति समाज से अंत: क्रिया द्वारा व्यक्ति मे सामाजिक विकास होता है। समग्र व्यक्तित्व का विकास समाज में रहकर ही भली भांति होता है, सामाजिकता व्यक्तित्व की प्रमुख विशेषता है।
  2. लक्ष्य प्राप्ति की ओर अग्रसर होना➖ प्रत्येक व्यक्ति का एक उद्देश होता है उसका उद्देश्य क्या होता है, कैसे प्राप्त करता है, इन सब को देखकर व्यक्ति का अंदाजा लगाया जा सकता है।
  3. आत्म चेतना ➖आत्म चेतना का तात्पर्य है स्वयं के संबंध में सचेत रहना। आत्म चेतना के कारण व्यक्ति इस बात पर विशेष ध्यान देता है कि अन्य व्यक्ति उसे किस नजर से देखते हैं।
    लोग यह समझ पाते हैं कि किस वजह से अन्य लोग उनकी प्रशंसा करते हैं या निंदा करते हैं ,बालक या पशु में इसका अभाव होता है।
  4. परिवेश के साथ समायोजन➖ परिवेश के अनुसार ढालना और परिवेश को अपना अनुकूल बनाना।
    समायोजन के कारण ही व्यक्ति अपने व्यवहार में परिवर्तन लाता है।
    किसी के व्यवहार को देखकर यह अनुमान लगाया जा सकता है कि उन्होंने परिवेश और परिस्थिति के साथ कैसा समायोजन किया है।
  5. दैहिक और मानसिक स्वास्थ्य➖ मानव मनोदैहिक जीव है ,मन + शरीर व्यक्ति का शारीरिक स्वास्थ्य भी अच्छा हो व्यक्ति का मानसिक स्वास्थ्य भी अच्छा हो।
  6. अनवरत विकास➖ व्यक्तित्व की एक प्रधान विशेषता है कि व्यक्ति के विकास में कभी भी व्यवधान नहीं पड़ता है ।
    जन्म से मृत्यु तक जारी रहता है।
  7. अथाह उत्साह➖ जीवन में कठिन से कठिन संघर्ष में भी उत्साह से युक्त व्यक्ति कभी घबराता नहीं है, विपरीत से विपरीत परिस्थिति में भी उत्साहित व्यक्ति सफलता प्राप्त करता है।
  8. एकता➖ दैहिक, बौद्धिक, नैतिक, सामाजिक , संवेग
    व्यक्ति इन सभी तथ्यों के इकाई के रूप में कार्य करता है।

🐢🐢 व्यक्तित्व का वर्गीकरण

शारीरिक रचना के आधार पर वर्गीकरण
क्रेश्मर/ क्रेचमर का वर्गीकरण ➖

  1. लंब काय➖ लंबे दुबले पतले
    यह व्यक्ति अलग अलग रहना पसंद करते हैं ।
    दूसरों की आलोचना में आनंद लेते हैं लेकिन अपने आलोचना सहन नहीं कर पाते।
  2. सुडोल काय➖ सामान्य कद
    स्वस्थ और पुष्टकाय व्यक्ति व्यक्तित्व सामान्य रहता है
    इनमें सामंजस की क्षमता अधिक होती है।
  3. गोल काय ➖छोटा कद स्वस्थ व्यक्ति आरामतलबी, विनोही स्वभाव।
  4. मिश्रित काय➖ तीनों वर्गीकरण का मिश्रित रूप है।

🐢🐢 स्वभाव के आधार पर वर्गीकरण

गलौन अपने व्यक्तित्व को स्वभाव के आधार पर चार प्रकार बताएं➖
1: उग्र स्वभाव➖ भ शक्तिशाली, उग्र स्वभाव
ऐसे व्यक्ति को क्रोध बहुत शीघ्र जाता है

  1. चिंता ग्रस्त ➖चिंतित रहते हैं उदास दुखी दब्बू निराशावादी
  2. नीरूत्साहि ➖ उत्साह हीन शांतिप्रिय, आलसी
  3. उत्साही ➖ उत्साही से पूर्ण, व्यक्तित्व ,आशावादी, क्रियाशील

Notes by ➖ निधि तिवारी🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿

(3) आत्म चेतना ➖

आत्म चेतना से तात्पर्य है स्वयं के संबंध में सचेत रहना आत्म चेतना के कारण व्यक्ति इस बात पर विशेष ध्यान देता है कि अन्य व्यक्ति उसे किस नजर से देखते हैं |
लोग यह समझ पाते हैं कि किस वजह से अन्य लोगों की प्रशंसा करते हैं यह निंदा करते हैं बालक या पशु में इसका अभाव रहता है |

(4) परिवेश के साथ समायोजन ➖

परिवेश के अनुसार ढलना और परिवेश को अपने अनुकूल बनाना समायोजन के कारण ही व्यक्ति अपने व्यवहार में परिवर्तन लाता है |
किसी के व्यवहार को देखकर यह अनुमान लगाया जा सकता है कि उन्होंने परिवेश और परिस्थिति के साथ कैसा समायोजन किया है |

(5) दैहिक और मानसिक स्वास्थ्य ➖

मानव मनोदैहिक जीव है मन और शरीर व्यक्ति का शारीरिक स्वास्थ्य भी अच्छा वह व्यक्ति का मानसिक स्वास्थ्य अच्छा होना चाहिए |

(6) अनवरत विकास ➖ व्यक्तित्व की एक प्रधान विशेषता है कि व्यक्ति के विकास में कमी भी व्यवधान नहीं पड़ता जन्म से मृत्यु तक जारी रहता है |

(7) अथाह उत्साह ➖

जीवन के कठिन से कठिन संघर्ष में उत्साह से युक्त व्यक्ति कभी घबराता नहीं है |
विपरीत से विपरीत परिस्थिति में उत्साह ही व्यक्ति सफलता प्राप्त करता है |

(8) एकता ➖

व्यक्ति इन सभी तथ्यों के इकाई के रूप में कार्य करता है |

व्यक्तित्व – दैहिक बौद्धिक नैतिक सामाजिक संवेग

व्यक्तित्व का वर्गीकरण ➖

शारीरिक रचना के आधार पर वर्गीकरण क्रेश्मर (क्रेचमर) का वर्गीकरण ➖

(1) लंबकाय –
लंबे दुबले पतले
यह व्यक्ति अलग रहना पसंद करते हैं दूसरे दूसरों की आलोचना में आनंद लेते हैं लेकिन अपनी आलोचना सहन नहीं कर सकते |

(2) सुडौलकाय –
सामान्य कद
स्वास्थ्य और पुष्टकाय व्यक्ति
व्यक्तित्व सामान्य रहता है |
इसमें सामंजस्य की क्षमता अधिक होती है |

(3) गोलकाय –
छोटा कद स्वस्थ्य
व्यक्ति आरामतलबी विनोही स्वभाव

(4) मिश्रितकाय – तीनो वर्गीकरण का मिश्रित रूप है |

स्वभाव के आधार पर वर्गीकरण ➖

गलैन ने व्यक्तित्व को स्वभाव के आधार पर चार प्रकार में बांटा गया है
(1) उग्र स्वभावी — शक्तिशाली उग्र स्वभाव ऐसे व्यक्ति को क्रोध बहुत शीघ्र आता है
(2) चिंता ग्रस्त — जो लोग चिंतित रहते हैं उदास दब्बु निराशावादी
(3) निरूत्साही — उत्साह हीन शांतिप्रिय आलसी
(4) उत्साही — उत्साह से परिपूर्ण व्यक्तित्व आशावादी क्रियाशील

Notes by ➖ Ranjana Sen