Adjustment and mis-adjustment

Date- 15/06/2021
Time-9.00am
🕸समायोजन
समायोजन की प्रक्रिया से तात्पर्य व्यक्ति की आवश्यकताएं व उनको पूरा करने वाली परिस्थितियों के बीच तालमेल स्थापित करने से है जो व्यक्ति इन दोनों के बीच तालमेल स्थापित नहीं कर पाता है ऐसा व्यक्ति तनाव, चिंता ,कुंठा आदि का शिकार होकर आसमान्य व्यवहार करने लगता है।

इस परिस्थिति को कुसमायोजन अथवा मानसिक रोग कहते हैं।

🐢समायोजन एक अधिगम प्रक्रिया है➖ स्किनर
कुसयोजन /मानसिक के प्रकार ➖
तनाव
कुंठा /भागनासा
दुश्चिंता
द्वंद /संघर्ष
दबाव

🕸 जब व्यक्ति समय परिस्थिति आवश्यकता के अनुसार कार्य नहीं कर पाता तथा आसफल हो जाता है तो वह तनाव का शिकार हो जाता है।

🕸 दुश्चिंता➖ जब अचेतन मन की दमित इच्छा चेतन मन में आने का प्रयास करती है, या आ जाती है तो व्यक्ति दुश्चिंता का शिकार हो जाता है।

🕸दवाब ➖सफलता/ असफलता और आत्मसम्मान की रक्षा के समय व्यक्ति दबाव महसूस करता है।

🕸भागनासा/ कुंठा /निराशा ➖ बार-बार प्रयास करने के बाद भी असफल रह जाते हैं तो व्यक्ति की निराशा को मनोवैज्ञानिक भाषा में भग्नासा या कुंठा कहते हैं।

🕸 द्वंद्व/ संघर्ष➖ जब एक साथ दो अवसर उपस्थित हो जाता है और चयन किसी एक का करना होता है तो मानसिक द्वंद या संघर्ष उत्पन्न हो जाता है।

🐢 मानसिक मनो रचनाएं /समायोजन तंत्र /आत्म सुरक्षात्मक शक्तियां /आत्म सुरक्षा अभियंत्रिकाये/ प्रतिरक्षण प्रणाली तथा रक्षा तंत्र ➖

➖ मानसिक मनोरचना वे साधन है जिनको व्यक्ति मानसिक रोग से बचने या समायोजन स्थापित करने के लिए उपयोग में लाता है।

नोटस बाय➖निधि तिवारी🌿🌿🌿🌿🌿🌿

🌺🌼समायोजन🌼🌺

समायोजन की प्रकिया से तात्पर्य व्यक्ति की आवश्यकताएं व उनको पूरा करने वाली परिस्थितियो के बीच तालमेल स्थापित करने से है |
जो व्यक्ति इन दोनो के बीच तालमेल स्थापित नही कर पाता है ऐसा व्यक्ति तनाव , चिंता , कुंठा आदि का शिकार होकर असामान्य व्यवहार करने लगता है |
इस स्थिति को कुसमायोजन अथवा मानसिक रोग कहते है |

💫 समायोजन एक अधिगम प्रक्रिया है – स्किनर

कुसमायोजन / मानसिक रोग ➖
(1) तनाव
(2) कुंठा , भाग्नासा
(3) दुश्चिंता
(4) द्वन्द / संघर्ष
(5) दबाव
(6) निराशा , हताश

(1) तनाव ➖ जब व्यक्ति समय , परिस्थिति , आवश्यकता के अनुसार कार्य नही कर पाता है तथा असफल हो जाता है तो वह तनाव का शिकार हो जाता है |

(2) दुश्चिंता ➖ जब अचेतन मन की दमित इच्छा चेतना मन में आने का प्रयास करती है या आ जाती है तो व्यक्ति दुश्चिंता का शिकार हो जाता है |

(3) दबाव ➖ सफलता / असफलता और आत्मसम्मान की रक्षा के समय व्यक्ति दबाव महसूस करता है |

(4) भाग्नासा / कुंठा / निराशा ➖
बार – बार प्रयास करने के बाद भी अगर असफल रह जाते है तो व्यक्ति निराश हो जाता है निराशा को मनोवैज्ञानिक भाषा में भाग्नासा या कुंठा कहते है |

(5) द्वन्द / संघर्ष ➖ जब एक साथ दो अनुकूल अवसर उपस्थित हो जाते है और चयन किसी एक का करना होता है तो मानसिक द्वन्द या संघर्ष उत्पन्न हो जाता है |

मानसिक मनोरचनाएं / समायोजन तंत्र / आत्म सुरक्षात्मक शक्तियां आत्म सुरक्षा अभियंत्रिकाएं , प्रतिरक्षण प्रणाली तथा रक्षा तंत्र –
मानसिक मनोरचना वे साधन है जिनको व्यक्ति मानसिक रोग से बचने या समायोजन स्थापित करने के लिए उपयोग मे लाता है |

Notes by ➖Ranjana sen

समायोजन

समायोजन की प्रक्रिया से तात्पर्य व्यक्ति की आवश्यकताएं व उनको पूरा करने वाले परिस्थितियों के बीच तालमेल स्थापित करने से हैं।

जो व्यक्ति इन दोनों के बीच तालमेल स्थापित नहीं करते हैं ऐसा व्यक्ति तनाव ,चिंता ,कुंठा आदि का शिकार होकर असामान्य व्यवहार करने लगता है
इस स्थिति को कुसमायोजन अथवा मानसिक रोग कहते हैं

स्किनर के अनुसार -समायोजन एक अधिगम प्रक्रिया है।

कुसमायोजन या मानसिक रोग

  1. तनाव
  2. कुंठा या भाग्नाशा
  3. दुश्चिंता
  4. द्वन्द्व या संघर्ष
  5. दबाव
  6. निराशा या हताशा

तनाव-जब व्यक्ति समय परिस्थिति आवश्यकता के अनुसार कार्य नहीं कर पाता है तथा असफल हो जाता है तो वह तनाव का शिकार हो जाता है।

दुश्चिंता-जब अचेतन मन की दमित इच्छा चेतन मन में आने का प्रयास करते हैं या आ जाती हैं तो व्यक्ति दुश्चिंता का शिकार हो जाता है

दबाव-सफलता या असफलता और आत्मसम्मान की रक्षा के समय व्यक्ति दबाव महसूस करता है

भाग्नाशा/ कुंठा/निराशा-बार-बार प्रयास करने के बाद भी अगर असफल रह जाते हैं तो व्यक्ति निराश हो जाता है निराशा को मनोवैज्ञानिक भाषा में भाग्नाशा या कुंठा कहते हैं
द्वन्द्व या संघर्ष-जब एक साथ दो अनुकूल अवसर उपस्थित हो जाते हैं और चयन किसी एक का करना होता है तो मानसिक द्वंद्व या संघर्ष उत्पन्न हो जाता है

मानसिक मनो रचनाएं
समायोजन तंत्र
आत्म सुरक्षात्मक शक्तियां
आत्म सुरक्षा अभि यंत्रिकाऐ
प्रतिरक्षण प्रणाली
रक्षा तंत्र

मानसिक मनोरचना वे साधन हैं जिनको व्यक्ति मानसिक रोग से बचने या समायोजन स्थापित करने के लिए उपयोग में लाता है

Notes by Ravi kushwah

🔥समायोजन 🔥
⭐समायोजन का अर्थ -समायोजन का अर्थ व्यवस्था अथवा एक अच्छे ढंग से परिस्थितियों को अनुकूल बनाने की प्रक्रिया है जिससे कि व्यक्ति की आवश्यकता है ।पूरी हो जाए और उसमें मानसिक द्वंद की स्थिति उत्पन्न ना हो

⭐समायोजन की प्रक्रिया-समायोजन की प्रक्रिया से तात्पर्य यह है कि व्यक्ति की आवश्यकता एवं को पूरा करने वाली परिस्थितियों के बीच तालमेल स्थापित करने से है ।इसी प्रकार पर्यावरण की रचनाएं एवं बाधाओं को ध्यान में रखते हुए जो परिवर्तन किए जाते हैं उन्हें समायोजन कहते हैं।

🔥 जेम्स सी. कोलमैन के अनुसार-समायोजन व्यक्ति द्वारा तनाव से निपटने तथा अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए किए गए प्रयासों का परिणाम है ।

🔥 समायोजन के प्रकार-5

⭐(1) व्यवहारिक समायोजन-जन्म से लेकर मृत्यु पर्यंत तक व्यक्ति किसी न किसी रूप में समायोजन करता है।
जैसे-क्रोध ,ईर्ष्या, द्वेष, राग, प्रसन्नता आदि की अभिव्यक्ति परिस्थितियों के अनुकूल करता है। यह उसका व्यवहारिक समायोजन कहलाता है।
⭐(2) सामाजिक समायोजन-सामाजिक प्राणी होने के कारण बालक के समायोजन पर गहरा प्रभाव पड़ता है । सामाजिक वातावरण जैसे- जातीय संघर्ष ,धार्मिक उन्माद, ऊंच-नीच ,अमीर गरीब की भावना ,सामाजिक कुरीतियों, व्यक्तिगत स्वतंत्रता व सुरक्षा का अभाव । जिससे बालक के मन में तनाव उत्पन्न होता है इससे निपटने के लिए बालक स्वयं को संतुलित करता है वह सामाजिक समायोजन कहलाता है।

⭐(3) पारिवारिक समायोजन-बालक का संपूर्ण विकास परिवार में होता है तथा वह बालक के विकास के पक्ष को प्रभावित करता है । जैसे-पारिवारिक अनुशासन, आर्थिक स्थिति, उच्च महत्वाकांक्षा‌‌ए ,परिवार के सदस्यों के परस्पर संबंध बालक के समायोजन क्षमता का सार्थक ढंग से प्रभावित करते हैं।
⭐(4) शारीरिक समायोजन-बच्चों में जन्मजात या दुर्घटना के कारण आई शारीरिक विकार भी व्यक्ति के समायोजन में कठिनाई पैदा करती है। शारीरिक दोष के कारण बालकों में प्राया हीन भावना उत्पन्न हो जाती है तथा वे अपने साथियों और समकक्षियो के साथ अपना समायोजन करने में कठिनाई का अनुभव करते हैं । बालक इस परिस्थिति में स्वयं को समायोजित करते हैं वह शारीरिक समायोजन कहलाता है।
⭐(5) शैक्षिक समायोजन-शैक्षिक समायोजन जैसे-विद्यालय, महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालय से है। विद्यालय बालक के समायोजन को मुख्य रूप से प्रभावित करता है। विद्यालय का वातावरण, पाठ्यक्रम ,सहपाठी ,अध्यापक का व्यवहार आदि बालको को विभिन्न तरीके से प्रभावित करते हैं ।शैक्षिक वातावरण में छात्रों को कठोर अनुशासन एवं दंड देने की प्रवृत्ति से हटकर एक स्नेह पूर्ण एवं नचले पाठ्यक्रम से युक्त सहयोगात्मक परिवेश बनाने से छात्रों के स्वस्थ शैक्षिक समायोजन का विकास होता है।

🔥कुसुमायोजित /मानसिक रोग
🌈 तनाव
🌈 दुश्चिंता
🌈 कुंठा ,भग्नासा
🌈 द्वंद /संघर्ष
🌈 दबाव
🌈 निराशा ,हताशा
🔥 कुसुमायोजित व्यक्तियों में संवेगात्मक स्थिरता, आत्मविश्वास की कमी ,निराशा उत्पन्न हो जाती है और वो असंतुलित हो जाते हैं। जिसके फलस्वरूप उनमें मानसिक विकार जैसे भग्नासा, मानसिक द्वंद ,तनाव, हीन भावना, चिंता आदि उत्पन्न हो जाती है ।

🔥 सुसुमायोजित व्यक्तियों में आत्मविश्वास की भावना प्रबल होती है ।वह अपनी क्षमताओं का मूल्यांकन ठीक ढंग से करते हैं ।वे अपने गुण -दोषों, विचारों, इच्छाओं आदि की उपयुक्तता तथा अनुप्रयुक्तता को अच्छे से समझते हैं तथा निष्पक्ष रूप से अपने व्यवहार के औचित्य का निर्णय करते हैं। सुसुमायोजित व्यक्तियों में प्रतिबल, तनाव ,दबाव ,चिंता, अंतर्द्वंद तथा कुंठा आदि से मुक्त होते है।

✍🏻✍🏻Notes by-
☘️☘️babita pandey☘️☘️

PERSONALTY -1

PERSONALTY (व्यक्तित्व )

प्रत्येक व्यक्ति में कुछ विशेषताएं होती है उसके आधार पर वह परिस्थिति के प्रति विभिन्न प्रतिक्रिया प्रकट करना है |

इसी का सामूहिक नाम व्यक्तित्व है |

व्यक्तित्व ऐसे गुणों का योग है जिसके कारण कोई व्यक्ति आकर्षक या अनाकर्ष दिखता है हमारे अलग-अलग व्यक्तित्व के कारण ही वैयक्तिक विभिन्नता होती है | 

व्यक्तित्व में अन्तर आप आसानी से देख सकते है |

▪ कुछ व्यक्ति अपने विचारों के प्रति आशावादी रहते है |

▪ परिचर्चा में उत्साह से भाग लेते है |

▪ कुछ दब्बू घबराते है |

▪ कुछ बच्चे  चलायमान होते है इनका   कोई विचार नही होता | ये जो भी सुनता है सत्य मान लेता है |

🌀 व्यक्तित्व ➖ Personality शब्द का रूपांतरण है – अंग्रेजी में  Personality

उत्पत्ति लेटिन भाषा के शब्द PERSONA (परसोना) से होता हैं |

जिसका अर्थ होता हैं – मुखौटा , आवरण , मास्क , नकाब , नकली चेहरा यूनान में प्रारंभ में व्यक्तित्व का अर्थ व्यक्ति के बाह्य  स्वरूप से लिया जाता था लेकिन कालंतर में व्यक्ति के आंतरिक स्वरूप को भी इसमें शमिल किया गया |

 ◼ व्यक्तित्व में  एक मनुष्य के ना केवल शारीरिक और मानसिक गुण बल्कि सामाजिक गुणों का भी समावेश होता है |

◼ इसलिए मनोवैज्ञानिक कहते है व्यक्तित्व मानव के गुणों लक्षणो क्षमताओ विशेषताओ आदि की संगठित इकाई है |

◼ व्यक्तित्व को किसी निश्चित अर्थ से संबंध नही किया जा सकता है और न किसी निश्चित सीमा में बाधा जा सकता है अत: ये स्वीकार किया जाता है कि यह विचित्र है जटिल है व्याख्या से परे है |

◼ व्यक्तित्व व्यक्ति के सभी व्यवहारो का वह समायोजित संकलन है जो उसके सहयोगी में स्पष्ट दिखाई दे | – डैशियल 

◼ व्यक्तित्व उन मनोदैहिक अवस्थाओ का गत्यात्मक संगठन है जिनके आधार पर व्यक्ति अपने परिवेश के साथ समायोजन  करता है | – अलपोर्ट 

◼ किसी व्यक्ति के समस्त व्यवहार प्रतिमानो और उसकी विशेषताओ का योग ही उसका व्यक्तित्व है | – बिग तथा हंट 

◼ व्यक्तित्व , मनुष्य की आदतो , दृष्टिकोण और लक्ष्यो का संगठन है और प्राणी शास्त्रीय , सामाजिक एंव सांस्कृतिक कारको के संयुक्त कार्य से उत्पन्न होता है | – बिसेंज एंव विसेज

◼ व्यक्ति के दैहिक , मानसिक , नैतिक तथा सामाजिक गुण के गतिशील और सुसंगठित संगठन के लिए व्यक्तित्व शब्द का प्रयोग किया जाता है | – जेम्स ड्रेवर 

◼ व्यक्तित्व से अभिप्राय है व्यक्ति का अपने परिवेश के साथ स्थाई तथा अपूर्व समायोजन – बोरिंग , लैंगफिल्ड तथा वैल्ड 

◼ व्यक्तित्व जन्मजात और आर्गन प्रवृत्ति का योग है | – वैलेंटाइन 

💫 व्यक्तित्व की विशेषताऐ :- 

(1) सामाजिकता ➖ समाज से अंत: क्रिया द्वारा व्यक्ति में सामाजिक विकास होता है | समग्र व्यक्तित्व का विकास समाज में रहकर ही भली – भांति होता है | सामाजिकता व्यक्तित्व की प्रमुख विशेषता है |

(2) लक्ष्य प्राप्ति की ओर अग्रसर होना ➖ 

प्रत्येक व्यक्ति का उद्देश्य – 

(१) लक्ष्य क्या है |

(२) लक्ष्य के प्रति कितना सजग है |

(३) लक्ष्य के प्रति कितना प्रयासशील है |

इन सबको देखकर व्यक्ति का अंदाजा लगया जा सकता है |

Notes by ➖ Ranjana Sen

Projective and Non-Projective Method Techniques

5.  FWAT- free word association test

 स्वतंत्र शब्द साहचर्य परीक्षण

यह एक मनोविश्लेषणात्मक विधि हैं

प्रतिपादन -फ्रांसिस गाल्टन

सन्-1879

सहयोग- विलियम वु़ंट

इस परीक्षण में व्यक्तित्व मापन के अलावा कई वैज्ञानिक रोगों का भी इलाज किया जाता है

*….…………………………………………………………*

2. अप्रक्षेपी विधियां

 चेतन मन का अध्ययन

1. आत्म निष्ठ या व्यक्तिनिष्ठ विधियां

1. आत्मकथा  या आत्म दर्शन विधि

प्रवर्तक -विलियम वुंट और उनके शिष्य टिंचनर

यह प्राचीनतम विधि हैं

यह एक मनोवैज्ञानिक विधि नहीं है इसलिए वर्तमान में इसका उपयोग नहीं किया जाता है।

2. व्यक्ति इतिहास विधि या जीवन कृत विधि या केस स्टडी

प्रतिपादन -टाइडमैन

निदानात्मक अध्ययन की सर्वश्रेष्ठ विधि है

असामान्य बालक के निदान की सर्वश्रेष्ठ विधि है

समस्या के कारण को जानना निदान कहलाता है जो मनोविज्ञान की सहायता से होता है

कारण को दूर करना उपचार कहलाता है जो शिक्षा की सहायता से किया जाता है

*बिना निदान के उपचार संभव नहीं है*

3. प्रश्नावली विधि

प्रवर्तक-वुडवर्थ

प्रश्नावली में आमने सामने होना जरूरी नहीं है उसके उत्तर के रूप में विकल्प होते हैं। व्यक्ति इसमें पूर्ति स्वयं करता है

4. साक्षात्कार विधि

इसका प्रारंभ अमेरिका से हुआ है

इसमें प्रश्नों का बंधन नहीं होता है ना ही समय का साक्षात्कार वार्तालाप का रूप होता है

*…………………………………………………….*

2. वस्तुनिष्ठ विधियां

1.  निरीक्षण विधि या बहिर्दर्शन विधि

प्रवर्तक -वाटसन

इस विधि में सामने वाले व्यक्ति के व्यवहार का भिन्न भिन्न परिस्थितियों में अध्ययन किया जाता है।

और निष्कर्ष निकाला जाता है कि व्यक्ति का व्यक्तित्व कैसा है

2. समाजमिति विधि

प्रवर्तक- जेएल मोरेनो

व्यक्ति की सामाजिकता के बारे में समाज के व्यक्तियों से जानकारी ली जाती है पता किया जाता है कि व्यक्तित्व कैसा है

3. क्रम निर्धारण मापनी या रेटिंग स्केल

प्रवर्तक – थस्टर्न

आंकड़े एकत्रित करके निष्कर्ष निकाला जाता है

Very bad ,bad, good, very good ,excellent

4. शारीरिक परीक्षण

शारीरिक जांच करके निष्कर्ष निकाला जाता है कि निर्धारित नौकरी के लिए व्यक्ति स्वस्थ हैं या नहीं।

…………………………………………….

Notes by Ravi kushwah

5.  FWAT- free word association test

 स्वतंत्र शब्द साहचर्य परीक्षण

यह एक मनोविश्लेषणात्मक विधि हैं

प्रतिपादन -फ्रांसिस गाल्टन

सन्-1879

सहयोग- विलियम वु़ंट

इस परीक्षण में व्यक्तित्व मापन के अलावा कई वैज्ञानिक रोगों का भी इलाज किया जाता है

2. अप्रक्षेपी विधियां

 चेतन मन का अध्ययन

1. आत्म निष्ठ या व्यक्तिनिष्ठ विधियां

1. आत्मकथा  या आत्म दर्शन विधि——

प्रवर्तक -विलियम वुंट और उनके शिष्य टिंचनर

यह प्राचीनतम विधि हैं

यह एक मनोवैज्ञानिक विधि नहीं है इसलिए वर्तमान में इसका उपयोग नहीं किया जाता है।

2. व्यक्ति इतिहास विधि या जीवन कृत विधि या केस स्टडी—–

प्रतिपादन -टाइडमैन

निदानात्मक अध्ययन की सर्वश्रेष्ठ विधि है

असामान्य बालक के निदान की सर्वश्रेष्ठ विधि है

समस्या के कारण को जानना निदान कहलाता है जो मनोविज्ञान की सहायता से होता है

कारण को दूर करना उपचार कहलाता है जो शिक्षा की सहायता से किया जाता है

बिना निदान के उपचार संभव नहीं है

3. प्रश्नावली विधि—–

प्रवर्तक-वुडवर्थ

प्रश्नावली में आमने सामने होना जरूरी नहीं है उसके उत्तर के रूप में विकल्प होते हैं। व्यक्ति इसमें पूर्ति स्वयं करता है |

4. साक्षात्कार विधि——

इसका प्रारंभ अमेरिका से हुआ है

इसमें प्रश्नों का बंधन नहीं होता है ना ही समय का साक्षात्कार वार्तालाप का रूप होता है |

2. वस्तुनिष्ठ विधियां—-

1.  निरीक्षण विधि या बहिर्दर्शन विधि——

प्रवर्तक -वाटसन

इस विधि में सामने वाले व्यक्ति के व्यवहार का भिन्न भिन्न परिस्थितियों  का अध्ययन किया जाता है।

और निष्कर्ष निकाला जाता है कि व्यक्ति का व्यक्तित्व कैसा है |

2. समाजमिति विधि—–

प्रवर्तक- जेएल मोरेनो

व्यक्ति की सामाजिकता के बारे में समाज के व्यक्तियों से जानकारी ली जाती है पता किया जाता है कि व्यक्तित्व कैसा है |

3. क्रम निर्धारण मापनी या रेटिंग स्केल—–

प्रवर्तक – थस्टर्न

आंकड़े एकत्रित करके निष्कर्ष निकाला जाता है

Very bad ,bad, good, very good ,excellent 

आदि शब्दों का प्रयोग प्रोत्साहन के रूप में किया जाता है |

4. शारीरिक परीक्षण—–

शारीरिक जांच करके निष्कर्ष निकाला जाता है कि निर्धारित नौकरी के लिए व्यक्ति स्वस्थ हैं या नहीं |

𝙉𝙤𝙩𝙚𝙨 𝙗𝙮 𝙍𝙖𝙨𝙝𝙢𝙞 𝙎𝙖𝙫𝙡𝙚

Teaching Methods Based on Individual Variation -2

व्यक्तिगत विभिन्नता पर आधारित शिक्षण प्रविधियां-

6.  क्रिया योजना

क्रिया योजना कोई योजना नहीं है बल्कि शिक्षण प्रक्रिया का एक पहलू है

अध्यापक का यह प्रयास रहता है कि उसके विद्यार्थी पूरे कक्षा के दौरान सक्रिय रहे।

जब तक विद्यार्थी प्रश्न पूछ कर पाठ्यवस्तु को आत्मसात करने की कोशिश नहीं करता है तो अध्यापक को संतुष्टि नहीं होती है।

इस विधि में अध्यापक छात्र की क्रिया का निरीक्षण करता है।

छात्र को वही काम सौंपा जाता है जो उनके मानसिक स्तर के अनुकूल हो।

शोइनचेन- 

क्रिया योजना विधि का प्रयोग उस समय किया जाता है जब किसी विषय में शिक्षण लक्ष्य को आगे बढ़ाने हेतु बालको द्वारा किसी प्रकार की क्रिया की जाती है

7. अभिक्रमित अनुदेशन

यह विनेटिका प्रणाली का रूप है

जिस प्रकार विनेटिका  प्रणाली मे हम पाठ्यक्रम को छोटे-छोटे इकाइयों में बांट लेते हैं वैसे ही यह इकाइयां इस अभिक्रमित अनुदेशन में प्रोग्राम कहलाती है।

छात्र एक -एक प्रोग्राम लेकर चलता है और उसे पूरा करता है

एक प्रोग्राम के सफलता पूरा कर लेने के बाद दूसरा प्रोग्राम दिया जाता है जो विद्यार्थी प्रथम प्रयास में प्रोग्राम संपन्न नहीं कर पाता है तो उसे फीडबैक दिया जाता है और जो विद्यार्थी संपन्न कर लेता है उसे पुरस्कार दिया जाता है

छात्र को निर्धारित समय पर ही सारे प्रोग्राम संपन्न करने होते हैं

डी एल कुक-

अभिक्रमित अनुदेशन का अध्ययन स्वयं शिक्षण विधियों की विस्तृत अवधारणा को स्पष्ट करने के लिए प्रयुक्त एक पर्याय है

ब्रैड स्टोफैल-

ज्ञान के छोटे-छोटे अंगों को एक तार्किक क्रम में व्यवस्थित करने का अभिक्रम व इसकी समग्र प्रक्रिया को अभिक्रमित अध्ययन कहते हैं

8. किंडरगार्टन प्रणाली

जन्मदाता -फ्रोबेल

किंडरगार्टन एक जर्मन शब्द है जिसका अर्थ होता है -बच्चों का बगीचा

फ्रोबेल शिक्षक को माली और बच्चों को पौधा मानता है

उनका कहना है कि बच्चा एक अविकसित पौधा है जो शिक्षक रूपी मालिक के देखरेख में पनपता है

इस प्रणाली में बालक को पुस्तकों से नहीं लादा जाता है

बल्कि उसे स्वतंत्र रूप से हंसने खेलने बोलने घूमने दिया जाता है बच्चा खेल खेल में सीख लेता है

9. मांटेसरी प्रणाली

जन्म दात्री -डॉक्टर मारिया मांटेसरी1906

छोटे बच्चों को शिक्षित करने के लोकप्रिय विधि हैं

यह विधि मंदबुद्धि बालकों के लिए बहुत उपयोगी है

मनोवैज्ञानिक सिद्धांत पर आधारित है

स्वतंत्रता ,आत्म अनुशासन, आत्मनिर्भरता, व्यावहारिक शिक्षा ,व्यक्तिगत शिक्षा ,खेल व इंद्रियों द्वारा शिक्षा आदि इस प्रणाली के आधार है।

दृष्टि ,श्रवण , स्पर्श, स्वाद तथा घरेलू उपकरण द्वारा शिक्षा दी जाती है

10. ह्यूरिस्टिक पद्धति

प्रतिपादक  – डब्ल्यू एच आर्मस्ट्रांग 

इसका अर्थ होता है- मैंने खोज लिया

इसमें बालक शिक्षक निरीक्षण और पुस्तकों की सहायता से स्वयं ज्ञानार्जन करता है

यह विज्ञान के लिए लाभकारी विधि है

यह पद्धति बच्चों की जिज्ञासा प्रवृत्ति को तीव्र करती है यह बच्चों को सदैव सक्रिय बनाए रखती हैं

11. बेसिक शिक्षा प्रणाली या वर्धा शिक्षा प्रणाली

जन्मदाता- महात्मा गांधी

बालक के सर्वांगीण विकास पर बल देती है

इसमें निशुल्क शिक्षा की व्यवस्था है

यह प्रणाली हस्तकला पर आधारित है

इसमें शिक्षा का माध्यम मातृभाषा होता है

बालक में आत्मनिर्भरता और आदर्श नागरिक के गुण का विकास किया जाता है

छात्रों को देश प्रेम ,सत्य ,अहिंसा की शिक्षा दी जाती है

बाल केंद्रित शिक्षा पर बल दिया जाता है

Notes by Ravi

व्यक्तिगत विभिन्नता पर आधारित शिक्षण प्रविधियां :-

6.  क्रिया योजना :-

क्रिया योजना कोई योजना नहीं है बल्कि शिक्षण प्रक्रिया का एक पहलू है।

अध्यापक का यह प्रयास रहता है कि उसके विद्यार्थी पूरे कक्षा के दौरान सक्रिय रहे।

जब तक विद्यार्थी प्रश्न पूछ कर पाठ्यवस्तु को आत्मसात करने की कोशिश नहीं करता है तो अध्यापक को संतुष्टि नहीं होती है।

इस विधि में अध्यापक छात्र की क्रिया का निरीक्षण करता है।

छात्र को वही काम सौंपा जाता है जो उनके मानसिक स्तर के अनुकूल हो।

शोइनचेन के द्वारा:-

क्रिया योजना विधि का प्रयोग उस समय किया जाता है जब किसी विषय में शिक्षण लक्ष्य को आगे बढ़ाने हेतु बालको द्वारा किसी प्रकार की क्रिया की जाती है।

7. अभिक्रमित अनुदेशन :-

यह विनेटिका प्रणाली का रूप है।

जिस प्रकार विनेटिका  प्रणाली मे हम पाठ्यक्रम को छोटे-छोटे इकाइयों में बांट लेते हैं वैसे ही यह इकाइयां इस अभिक्रमित अनुदेशन में प्रोग्राम कहलाती है।

छात्र एक -एक प्रोग्राम लेकर चलता है और उसे पूरा करता है।

एक प्रोग्राम के सफलता पूरा कर लेने के बाद दूसरा प्रोग्राम दिया जाता है जो विद्यार्थी प्रथम प्रयास में प्रोग्राम संपन्न नहीं कर पाता है तो उसे फीडबैक दिया जाता है और जो विद्यार्थी संपन्न कर लेता है।उसे पुरस्कार दिया जाता है।

छात्र को निर्धारित समय पर ही सारे प्रोग्राम संपन्न करने होते हैं।

डी एल कुक के द्वारा:-

अभिक्रमित अनुदेशन का अध्ययन स्वयं शिक्षण विधियों की विस्तृत अवधारणा को स्पष्ट करने के लिए प्रयुक्त एक पर्याय है।

ब्रैड स्टोफैल के द्वारा:-

ज्ञान के छोटे-छोटे अंगों को एक तार्किक क्रम में व्यवस्थित करने का अभिक्रम व इसकी समग्र प्रक्रिया को अभिक्रमित अध्ययन कहते है।

8. किंडरगार्टन प्रणाली :-

जन्मदाता -फ्रोबेल

किंडरगार्टन एक जर्मन शब्द है जिसका अर्थ होता है -बच्चों का बगीचा।

फ्रोबेल शिक्षक को माली और बच्चों को पौधा मानता है।

उनका कहना है कि बच्चा एक अविकसित पौधा है जो शिक्षक रूपी मालिक के देखरेख में पनपता है।

इस प्रणाली में बालक को पुस्तकों से नहीं लादा जाता है।

बल्कि उसे स्वतंत्र रूप से हंसने खेलने बोलने घूमने दिया जाता है बच्चा खेल खेल में सीख लेता है।

9. मांटेसरी प्रणाली :- 

जन्म दात्री -डॉक्टर मारिया मांटेसरी1906

छोटे बच्चों को शिक्षित करने के लोकप्रिय विधि हैं।

यह विधि मंदबुद्धि बालकों के लिए बहुत उपयोगी है

मनोवैज्ञानिक सिद्धांत पर आधारित है।

स्वतंत्रता ,आत्

म अनुशासन, आत्मनिर्भरता, व्यावहारिक शिक्षा ,व्यक्तिगत शिक्षा ,खेल व इंद्रियों द्वारा शिक्षा आदि इस प्रणाली के आधार है।

दृष्टि ,श्रवण , स्पर्श, स्वाद तथा घरेलू उपकरण द्वारा शिक्षा दी जाती है।

10. ह्यूरिस्टिक पद्धति :-

प्रतिपादक  – डब्ल्यू एच आर्मस्ट्रांग :-

इसका अर्थ होता है- मैंने खोज लिया।

इसमें बालक शिक्षक निरीक्षण और पुस्तकों की सहायता से स्वयं ज्ञानार्जन करता है।

यह विज्ञान के लिए लाभकारी विधि है।

यह पद्धति बच्चों की जिज्ञासा प्रवृत्ति को तीव्र करती है यह बच्चों को सदैव सक्रिय बनाए रखती है।

11. बेसिक शिक्षा प्रणाली या वर्धा शिक्षा प्रणाली :-

जन्मदाता- महात्मा गांधी

बालक के सर्वांगीण विकास पर बल देती है।

इसमें निशुल्क शिक्षा की व्यवस्था है।

यह प्रणाली हस्तकला पर आधारित है।

इसमें शिक्षा का माध्यम मातृभाषा होता है।

बालक में आत्मनिर्भरता और आदर्श नागरिक के गुण का विकास किया जाता है।

छात्रों को देश प्रेम ,सत्य ,अहिंसा की शिक्षा दी जाती है।

बाल केंद्रित शिक्षा पर बल दिया जाता है।

Notes by:- Neha Kumari 

🙏🙏🙏🙏🙏

क्रिया योजना——

 यह क्रिया योजना कोई योजना नहीं है बल्कि शिक्षा प्रक्रिया का एक पहलू है 

इसमें विद्यार्थी प्रश्न पूछकर पाठ्यवस्तु  को आत्मसात करने की कोशिश करता है |

शोईचैन

 क्रिया योजना विधि का प्रयोग उस समय किया जाता है जब किसी विषय में शिक्षण लक्ष्य को आगे बढ़ाने हेतु बालकों द्वारा किसी प्रकार की क्रिया की जाती है |

अभिक्रमित अनुदेशन 

यह विनेटिका प्रणाली का एक रूप है जिस प्रकार विनेटिका प्रणाली में हर पाठ्यक्रम छोटे-छोटे ईकाइयों में बांट सकते हैं वैसे ही ये ईकाईयां इस अभिक्रमित अनुदेशन में प्रोग्राम कहलाते हैं

एक प्रोग्राम के सफलतापूर्वक कर लेने के बाद ही उसे दूसरा प्रोग्राम दिया जाता है जो विद्यार्थी प्रथम प्रयास में प्रोग्राम नहीं कर पाता है उसे फीडबैक दिया जाता है जो संपन्न कर लेता है उसे पुरस्कार दिया जाता है छात्र को निर्धारित समय पर ही सारे प्रोग्राम संपन्न करने होते हैं |

डी एस कुक

अभिक्रमित अनुदेशन का अध्ययन स्वयं शिक्षण विधियों की विस्तृत अवधारणा को स्पष्ट करने के लिए प्रयुक्त एक पर्याय है |

फ्रेड स्टोफेल

ज्ञान के छोटे अंगों को एक तार्किक क्रम में व्यवस्थित करने की अभिक्रम व इसकी समग्र प्रक्रिया को अभिक्रमित अध्ययन कहते हैं |

किंडरगार्टन प्रणाली

 प्रतिपादक — फ्रोबेल

 किंडरगार्टन शब्द का अर्थ– “बच्चों का बगीचा”

 फ्रोबेल शिक्षक को माली और बच्चे को पौधा मानता है उनका कहना है कि बच्चा एक अविकसित पौधा है जो शिक्षक रूपी माली की  देखरेख में पनपता है 

इस प्रणाली में बालक को पुस्तकों से नहीं लादा जाता है बल्कि उसे स्वतंत्र रूप से हंसने ,खेलने, बोलने, और घूमने दिया जाता है बच्चा खेल खेल में सीख लेता है |

माण्टेसरी प्रणाली—–

प्रतिपादक– मेडम मारिया माण्टेसरी (1906) 

 छोटे बच्चे को शिक्षित करने की लोकप्रिय विधि है इसकी जन्म दात्री डॉक्टर मारिया मांटेसरी है

 यह विधि मंदबुद्धि बालकों के लिए बहुत उपयोगी है

 मनोवैज्ञानिक सिद्धांत पर आधारित है 

स्वतंत्रता ,आत्म अनुशासन, आत्मनिर्भरता, व्यवहारिक शिक्षा, व्यक्तिगत शिक्षा, खेल और ज्ञानेन्द्रियाँ  आदि इस प्रणाली के आधार हैं 

दृष्टि ,श्रवण, स्पर्श ,स्वाद तथा घरेलू उपकरण द्वारा शिक्षा दी जाती है |

ह्यूरिस्टिक या खोज प्रणाली–

 प्रतिपादक नील आर्मस्ट्रांग

 इसका अर्थ है “मैंने खोज लिया”

 बेसिक शिक्षा प्रणाली —

जन्मदाता महात्मा गांधी 

इसमें बालक के सर्वांगीण विकास पर बल दिया जाता है

 इस में निशुल्क शिक्षा की अवधारणा एवं व्यवस्था है

 यह प्रणाली हस्तकला  पर आधारित होती है

 शिक्षा का माध्यम मातृभाषा होता है 

 बालक में आत्मनिर्भरता और आदर्श नागरिक के गुणों का विकास होता है 

छात्र को देश प्रेम और सत्य अहिंसा की शिक्षा दी जाती है

 इसमें बाल केंद्रित शिक्षा पर बल दिया जाता है |

𝙉𝙤𝙩𝙚𝙨 𝙗𝙮 𝙍𝙖𝙨𝙝𝙢𝙞 𝙎𝙖𝙫𝙡𝙚

वैयक्तिक विभिन्नता पर आधारित शिक्षण विधियां–

6 –  क्रिया योजना– प्रिया योजना कोई योजना नहीं है। बल्कि शिक्षण प्रक्रिया का एक पहलू है, अध्यापक का यह प्रयास रहता है कि उसके विद्यार्थी पूरे कक्षा के दौरान सक्रिय रहे।

   जब तक विद्यार्थी प्रश्न पूछकर पाठ्यवस्तु को आत्मसात करने की कोशिश नहीं करता तो अध्यापक को संतुष्टि नहीं होती।

    इस विधि में अध्यापक छात्र की क्रिया का निरीक्षण करता है। छात्र को वही काम सौंपा जाता है। जो उसके मानसिक स्तर के अनुकूल हो।

💐 शाईचेन – क्रिया योजना विधि का प्रयोग उस समय किया जाता है। जब किसी विषय में शिक्षण लक्ष्य को आगे बढ़ाने हेतु बालको द्वारा किसी प्रकार की क्रिया की जाती है।

7– अभिक्रमित अनुदेशन–

   यह विनेटिका प्रणाली का ही रूप है ।जिस प्रकार विनय टीका प्रणाली में हम पाठ्यक्रम को छोटी-छोटी कार्यों में बांट लेते हैं ।वैसी ही ये इकाइयां इस अभिक्रमित अनुदेशन में प्रोग्राम कहलाती है।

    छात्र 11 प्रोग्राम लेकर चलता है। और उसे पूरा करता है ।एक प्रोग्राम के सफलतापूर्वक कर लेने के बाद ही उसे दोबारा प्रोग्राम दिया जाता है जो विद्यार्थी प्रथम प्रयास में प्रोग्राम संपन्न नहीं कर पाता है ,तो उसे फीडबैक दिया जाता है जो संपन्न कर लेता है। उसे पुरस्कार दिया जाता है।

    छात्र को निर्धारित समय पर ही प्रोग्राम संपन्न करने होते हैं।

💐 डी. एस. कुक– 

     अभिक्रमित अनुदेशन का अध्ययन स्वयं शिक्षण विधियों की विस्तृत अवधारणा को स्पष्ट करने के लिए प्रयुक्त एक पर्याय है।

💐 फ्रेंड स्टोफैल– 

      ज्ञान की छोटी-छोटी अंगों को एक तार्किक क्रम में व्यवस्थित करने की अभिक्रम व इसकी समग्र प्रक्रिया को अभिक्रमित अध्ययन प्रोग्राम कहते हैं।

8– किंडर गार्डन प्रणाली–

  इस प्रणाली के जन्मदाता फ्रोबेल है।

   किंडरगार्टन शब्द का अर्थ है– बच्चों का बगीचा ।

फ्रोबेल शिक्षक को माली और बच्चे को पौधा मानता है ।

 इनका कहना है कि बच्चा एक अविकसित पौधा है ।जो शिक्षक रूपी माली के देखरेख में पनपता है ।

   इस प्रणाली में बालक को पुस्तकों से नहीं लादा जाता बल्कि उसे स्वतंत्र रूप से हाथ नहीं खेलने बोलने घूमने दिया जाता है। बच्चा खेल खेल में ही सीखता है।

9– मांटेसरी प्रणाली (1906)–

 छोटे बच्चों को शिक्षित करने की लोकप्रिय विधि है ।

इसकी जन्म दात्री डॉक्टर मारिया मांटेसरी है।

 यह विधि मंदबुद्धि बच्चे बालकों के लिए बहुत उपयोगी है।

 मनोवैज्ञानिक सिद्धांत पर आधारित है।

10– ह्यूरिस्टिक पद्धति /खोज/ अन्वेषण–

  प्रतिपादक आर्मस्ट्रांग जी है। इसका अर्थ होता है। मैंने खोज लिया इसमें बालक शिक्षक निरीक्षण पुस्तकों की सहायता से स्वयं ज्ञानार्जन करता है ।

यह विज्ञान के लिए ज्यादा लाभकारी है।

11– बेसिक शिक्षा प्रणाली–

इसके जन्मदाता महात्मा गांधी जी हैं। बालक के सर्वांगीण विकास पर बल देता है ।इसमें निशुल्क शिक्षा की व्यवस्था है यह प्रणाली हस्तकला पर आधारित है ।शिक्षा का माध्यम मातृभाषा होता है।

 बालक में आत्मनिर्भरता और आदर्श नागरिक के गुणों का विकास किया जाता है ।छात्रों को देश प्रेम सत्य अहिंसा की शिक्षा दी जाती है।

 इसमें बाल केंद्रित शिक्षा पर बल दिया जाता है।

 यह पद्धति बच्चों की जिज्ञासा प्रवती को तीव्र करती है ।यह बच्चों को सदैव सक्रिय बनाए रखती है।

    स्वतंत्रता आत्मानुशासन आत्मनिर्भरता व्यवहारिक शिक्षा व्यक्तिगत शिक्षा खेल और ज्ञान इंद्रियों द्वारा शिक्षा आदि इस प्रणाली के आधार हैं।

  दृष्टि श्रवण स्पर्श स्वाद तथा घरेलू उपकरण द्वारा शिक्षा दी जाती है। 

 poonam sharma

🌸🌼 वैयक्तिक विभिन्नता पर आधारित शिक्षण विधियों🌼🌸

6-क्रिया योजना➖ क्रिया योजना कोई योजना नहीं बल्कि शिक्षण का एक पहलू है अध्यापक का यह प्रयास रहता है कि उसके विद्यार्थी पूरी कक्षा के दौरान सक्रिय रहें जब तक विद्यार्थी प्रश्न पूछ कर पाठ्यवस्तु को आत्मसात करने की कोशिश नहीं करते अध्यापक को संतुष्टि नहीं होती निरीक्षण करता है छात्र को वही काम सौंपा जाता है जो उसके मानसिक स्तर के अनुकूल हो।

शोइनचेन के अनुसार➖ क्रिया योजना विधि का प्रयोग उस समय किया जाता है जब किसी विषय में शिक्षण लक्ष्य को आगे बढ़ाने हेतु बालकों द्वारा किसी प्रकार की क्रिया की जाती है।

7-अभिक्रमित अनुदेशन➖यह विनेटिका प्रणाली का रूप है जिस प्रकार विनेटिका प्रणाली में हम वातावरण को छोटे-छोटे इकाइयों में बांट देते हैं वैसे ही यह इकाइयां इस अभिक्रमित अनुदेशन में प्रोग्राम कहलाती  है छात्र एक – एक प्रोग्राम लेकर चलता है और उसे पूरा करता है।

    एक प्रोग्राम के सफलतापूर्वक कर लेने के बाद ही उसे दूसरे प्रोग्राम दिया जाता है जो विद्यार्थी प्रथम प्रयास में प्रोग्राम संपन्न नहीं कर पाता है तो उसे फीडबैक दिया जाता है जो संपन्न कर लेता है उसे पुरस्कार दिया जाता है छात्रों को निर्धारित समय पर ही करना पड़ता है सारे प्रोग्राम संपन्न करने होते हैं।

डी.एस कुक➖ अभिक्रमित अनुदेशन का अध्ययन स्वयं शिक्षण विधियों के विस्तृत आवरण को स्पष्ट करने के लिए प्रयुक्त एक पर्याय हैं।

फ्रैड स्टोफैस➖ ज्ञान के छोटे-छोटे अंगों को एक तार्किक क्रम में व्यवस्थित करने की अभिक्रम हुआ इसकी समग्र प्रक्रिया को अभिक्रमित अध्ययन कहते हैं।

8-किंडर गार्टन प्रणाली➖ इस के जन्मदाता फ्रोबेल हैं किंडरगार्टन शब्द का अर्थ है बच्चों का बगीचा

फ्रोबेल शिक्षक को माली और बच्चों को पौधा मानता है उनका कहना है कि बच्चे एक अविकसित पौधा है जो शिक्षक रूपी माली के देखरेख में पनपता है।

     इस प्रणाली में बालक को पुस्तकों से नहीं लादा जाता है बल्कि उसे स्वतंत्र रूप से हंसने, खेलने, बोलने ,घूमने, दिया जाता है खेल-खेल में बच्चा सीख लेता है।

9-मोंटेसरी प्रणाली (1906)➖ छोटे बच्चों को शिक्षित करने की लोकप्रिय विधि है कि जन्म दात्री डॉक्टर मारिया मोंटेसरी है यह विधि मंदबुद्धि बच्चों, बालकों के लिए बहुत उपयोगी है।

मनोवैज्ञानिक सिद्धांत पर आधारित है।

10-ह्यूरिस्टिक पद्धति (खोज) (अन्वेषण)➖ इसका अर्थ है “मैंने खोज लिया”

इसमें बालक शिक्षक निरीक्षण और पुस्तकों की सहायता से स्वयं ज्ञानार्जन करता है यह विज्ञान के लिए ज्यादा लाभकारी है।

11-बेसिक शिक्षा प्रणाली➖ इस के जन्मदाता महात्मा गांधी हैं।

बालक केसर घोड़ी विकास पर बल देता है इसमें निशुल्क शिक्षा की व्यवस्था है यह प्रणाली हस्तकला पर आधारित है शिक्षा का माध्यम मातृभाषा होती है।

बालक में आत्मनिर्भरता और आदर्श नागरिक के गुण विकास किए जाते हैं यह पद्धति बच्चों के जिज्ञासा प्रवृत्ति को तीव्र करती है यह बच्चों को सदैव सक्रिय बनाए रखती है।

    स्वतंत्रता ,आत्म अनुशासन, आत्मनिर्भरता ,व्यावहारिक शिक्षा, व्यक्तिगत शिक्षा, खेल और ज्ञानेंद्रियों द्वारा शिक्षा आदि इस प्रणाली के आधार हैं।

    दृष्टि ,श्रवण ,स्पर्श ,स्वाद तथा घरेलू उपकरण द्वारा शिक्षा दी जाती है।

✍🏻📚📚 Notes by…… Sakshi Sharma📚📚✍🏻

TAT, CAT, IBT, SCT – Child Development and Pedagogy

–––––––––––––––––

1– TAT (Thematic apperception test) 

–  प्रासंगिक अंतर्बोध परीक्षण 

– कथा प्रसंग परीक्षण

– कथानक बोध परीक्षण

💐 प्रतिपादक– मॉर्गन एवम मुर्रे

     – सन ( 1935)

        इन्होंने कार्ड के सहारे व्यक्तित्व का परीक्षण किया था।

💐 कुल कार्ड की संख्या – 30+1=31

💐 इस परीक्षण में 10 कार्ड पुरुषों से संबंधित होते हैं।

– और 10 कार्ड महिला से संबंधित होते हैं।

 – तथा 10 कार्ड दोनों से संबंधित होते हैं।

   और एक कार्ड खाली रहता है।

– इसमें बालकों को चित्र दिखाकर कहानी लिखने को कहा जाता है। कम से कम 10 कार्ड पर कहानी लिखवाये जाते है।

– इसका प्रयोग 14 वर्ष से अधिक बालकों पर ही किया जाता है।

– इसमें व्यक्ति की रुचियां इच्छा और आवश्यकताओं की जानकारी होती है।

💐 CAT ( Children appriciation test) बाल अंतर्बोध परीक्षण– 

  प्रतिपादक–  लियोपोर्ट बैलक1948)

– विकास में योगदान– डॉ अर्नेस्ट क्रिस

– इसमें कार्ड की संख्या 10 होती है ।

इस परीक्षण में 10 कार्ड पर जानवरों के चित्र बने होते हैं।

– बालक को चित्र दिखाकर कहानी लिखने के लिए कहा जाता है।

–  यह परीक्षण 3 से 11 वर्ष के बच्चों के लिए था।

💐IBT(Ink bolt test) श्याही धब्बा परीक्षण– इसके प्रतिपादन हरमन ररोर्स है।

 इस परीक्षण में 10 कार्ड पर स्याही के धब्बे बने होते हैं ।5 कार्ड पर काले और सफेद बाकी पांच पर विभिन्न रंग के धब्बे होते हैं ।

  –बालक को आकृति दिखाकर उसके बारे में पूछा जाता है।

–  इसमें बालक के क्रियात्मक, भावात्मक, संज्ञानात्मक परीक्षण किए जाते हैं। 

Poonam sharma

T.A.T ( Thematic Appreciation Test )

प्रासंगिक अंतर्बोध परीक्षण 

कथा प्रसंग परीक्षण 

कथानक बोध परीक्षण 

प्रतिपादक ➖ मार्गन व मुर्रे 

सन् — 1935 

कार्ड के सहारे व्यक्तित्व परीक्षण किया था |

इस परीक्षण में 10 कार्ड पर पुरूषो से संबंधित 10 कार्ड पर महिला से संबंधित 

10 कार्ड पर दोनो से संबंधित 

1 कार्ड खाली रहता है |

बालको को चित्र दिखाकर कहानी लिखने को कहा जाता है |

कम से कम 10 कार्ड पर कहानी लिखवाई जाती है |

इसका प्रयोग 4वर्ष से अधिक बालको पर ही किया जाता है |

इसमें व्यक्ति की रूचियां इच्छा और आवश्यकता की जानकारी होता है |

(2) C.A.T ( Children Appreciation Test) 

बाल अन्तर्बोध परीक्षण ➖ 

 प्रतिपादक  — लियोपोल्ड बैलक 

सन् — 1948

विकास में योगदान — डा. अरनेष्ट क्रिस कार्ड की संख्या — 10 

इस परीक्षण मे 10 कार्ड पर जानवर के चित्र बने होते है |

बालक को चित्र दिखाकर कहानी लिखने को कहा जाता है |

यह परीक्षण 3-11 वर्ष के बच्चो के लिए था |

(3) IBT ( Ink block test ) 

   स्याही धब्बा परीक्षण ➖ 

प्रतिपादक — हरमन रोर्शा 

सन् — 1921

कार्ड की संख्या — 10 

इस परीक्षण मे 10 कार्ड पर स्याही के धब्बे बने होते है 

5 कार्ड पर काले व सफेद तथा बाकि 5 पर विभिन्न रंग के धब्बे होते है |

बालक को आकृति दिखाकर उसके बारे मे पूछा जाता है |

इसम बालक के क्रियात्मक भावात्मक व संज्ञानात्मक परीक्षण किए जाते है |

(4) S.C.T ( Sentence com…….. Test )

वाक्य पूर्ति परीक्षण ➖ 

प्रतिपादक —- पाइन & टैण्ड्रलर

सन् — 1930 

विकास मे योगदान — रोटर्स 

Notes by ➖Ranjana Sen

1. T A T-thematic appreciation test

प्रासंगिक अंतर्बोध परीक्षण

कथा प्रसंग परीक्षण

कथानक बोध परीक्षण

प्रतिपादन – मार्गन व मुर्रे

सन् -1935

कार्ड के सहारे व्यक्तित्व परीक्षण किया जाता था

कुल कार्ड की संख्या=30+1=31

इस परीक्षण में 10 कार्ड पर पुरुषों से संबंधित

10 कार्ड पर महिलाओं से संबंधित

10 कार्ड पर दोनों से संबंधित

और एक कार्ड खाली रहता है

बालकों को चित्र दिखाकर कहानी लिखने को कहा जाता है कम से कम 10 कार्ड पर कहानी लिखवाई जाती है

इसका प्रयोग 14 वर्ष से अधिक बालकों पर ही किया जाता है

इसमें व्यक्ति की रूचियों, इच्छा और आवश्यकता की जानकारी होती है

2. C A T- children appreciation test

बाल अंतर्बोध परीक्षण

प्रतिपादक -लियोपोल्ड बेलक 1948

विकास में योगदान- अर्नेस्ट क्रिस

कार्ड की संख्या 10

इस परीक्षण में 10 कार्ड पर जानवर के चित्र बने होते हैं

बालक को चित्र दिखाकर कहानी लिखने को कहा जाता है

यह परीक्षण 3 से 11 वर्ष के बच्चों के लिए था

3. I B T- inkblot test

स्याही धब्बा परीक्षण

प्रतिपादक- हरमन रोर्शा1921 स्विट्जरलैंड

कार्ड की संख्या 10

इस परीक्षण में 10 कार्ड पर  स्याही के धब्बे बने होते हैं

5 कार्ड पर काले और सफेद

5  पर विभिन्न रंग के धब्बे होते हैं

बालक को आकृति दिखाकर उसके बारे में पूछा जाता है

इसमें बालक की क्रियात्मक ,भावात्माक व संज्ञानात्मक परीक्षण किए जाते हैं

यह परीक्षण 3 से 14 वर्ष के बच्चों के लिए किया जाता है

4. SCT- sentence completion test

वाक्य पूर्ति परीक्षण

प्रतिपादन- पाईन व टैंडलर 1930

विकास में योगदान- रोटर्स

मैं बहुत खुश होता हूं जब कोई मेरी………………………………………………………. ( तारीफ प्रशंसा कुटाई खिंचाई इज्जत)……  करते हैं।

Notes by Ravi kushwah

Teaching Methods Based on Individual Variation

Date➖09/06/2021

Time ➖8. 00am

🌸🌸🌸🌸🌸

वैयक्तिगत विभिन्नता पर आधारित शिक्षण विधियां ➖

🌸प्रोजेक्ट प्रणाली ➖1918 

इस पद्धति का जन्म अमेरिका में हुआ इस के प्रतिपादक किलापैट्रिक थे

 प्रोजेक्ट पूरे मन से किया जाने वाला एक उद्देश्य पुर्ण  कार्य है जो सामाजिक वातावरण में संपन्न होता है 

इससे छात्र अपने रुचि से योजना का चयन करता है। 

इससे बच्चों की रुचि बढ़ेगी यह विधि करके सीखना सिद्धांत पर बल देता है इस विधि में छात्र को कार्य सौंप दिया जाता है और वह मिलजुल कर कार्य करते हैं । 

🌸अगर प्रोजेक्ट बना ले हम अपनाना चाहते हैं तो सबसे पहले

1  परिस्थिति निर्माण करेंगे 

2 चयन करेंगे

3  नियोजन करेंगे 

4  पूर्ण करेंगे 

5 मूल्यांकन

6  अंकन करेंगे

🌿किलपैट्रिक के अनुसार योजना सामाजिक वातावरण में पूर्ण सलंग्नता से किया जाने वाला उद्देश्य पूर्ण कार्य है।

🌸 डाल्टन प्रणाली ➖इस प्रणाली को मिस हेलेन पार्क हर्स्ट ने दिया 

छात्र को अपने योग्यता क्षमता रूचि के अनुसार कार्य करने की स्वतंत्रता होती है

 उसी समय के बंधन में बांधा जाता है

 विद्यार्थी चाहे सारे दिन एक ही विषय को पढ़ सकता है । 

इसमे प्रत्येक विषय के लिए प्रयोगशाला बनाई जाती है । 

वर्ष के कार्य को महीने सप्ताह दिन में बांट सकते हैं ।

अध्यापक पथ प्रदर्शक के रूप में कार्य करता है । 

🌿मिस हेलेन ने योजना के अर्थ को स्पष्ट करते हुए बताया कि ➖डाल्टन प्रयोगशाला योजना शिक्षण की प्रणाली अथवा पद्धति नहीं है यह शैक्षिक पुनर्गठन की एक विधि है जो सीखने की संबंध क्रियाओं में एकता स्थापित करती है। 

🌸 विनेटिका प्रणाली ➖

इस योजना का प्रतिपादन डॉक्टर कार्लटन  वॉशवर्न ने किया। 

➖बालक को कार्य करने की पूर्ण स्वतंत्रता तथा रहती है । 

➖इसमें पूरी पाठ्यक्रम को छोटी-छोटी इकाईयो में बांटा जाता है। 

➖छात्र एक इकाई का सफलतापूर्वक अध्ययन करते हैं बाद में दूसरी इकाई का अध्ययन करते हैं । 

➖छात्रों के ज्ञान की परीक्षा बच्चे स्वयं करती हैं । 

➖अध्यापन मार्गदर्शक होता है । 

➖इसमें बालक अनुत्तीर्ण नहीं होता है । 

➖प्रत्येक विषय में बालक को ग्रेड देते हैं 

➖इस विधि में बालक का ईमानदार होना आवश्यक होता है। 

🌸 डिक्रोली प्रणाली ➖

 इस प्रणाली के जन्मदाता डॉक्टर ओविड  डिक्रोली  थे। जो विलियम के के प्रोफेसर थे । 

➖बालक को शिक्षा उसके जीवन से ही मिलने चाहिए इस विधि में बालक का विभाजन होता था उनकी रूचि क्षमता और स्तर के अनुसार । 

➖स्कूल का वातावरण प्राकृतिक होता है बालकों को उदार शिक्षा दी जाती है । 

➖लड़के लड़कियों को एक साथ शिक्षा दी जाती है 20 से 25 बच्चे का ग्रुप होता है । 

➖माता-पिता पिता का भी सहयोग लिया जाता है । 

➖बालक के सामूहिक भावना का विकास होता है । 

🌿हयूज तथा हयूज के द्वारा➖

  डिक्रोली विधि बालकों को मुर्त तथा अमूर्त कार्य को करने का अवसर प्रदान कर आत्म प्रकाशन को उत्साहित करती है । 

यह विधि जीवन के लिए जीवन द्वारा सिद्धांत पर आधारित है।

🌸 कॉन्ट्रैक्ट प्रणाली ➖

डाल्टन और विनेटिका का मिलाजुला रूप । 

➖इसमें बच्चों को सप्ताह महीने और वर्ष भर का कार्य एक साथ दे दिया जाता है। 

➖समय सारणी या बंधन नहीं होता है। 

➖काम जल्दी भी कर सकता है या बचे रहने पर अगले वर्ष भी कर सकता है। 

➖कार्य समाप्ति पर परीक्षा ली जाती है 

➖असफल होने पर कारणों को जानने का प्रयास किया जाता है। 

नोटस बाय✍✍ निधि तिवारी🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿

व्यक्तिगत विभिन्नता पर आधारित शिक्षण पद्धतियां

1. प्रोजेक्ट प्रणाली

प्रतिपादक -जॉन डीवी के शिष्य किलपैट्रिक द्वारा

सन 1918 में अमेरिका में

शिक्षा के क्षेत्र में प्रोजेक्ट शब्द का प्रयोग 1908 में किया गया था

किलपैट्रिक के अनुसार 

प्रोजेक्ट पूरे मन से किया जाने वाला एक उद्देश्य पूर्ण कार्य है जो सामाजिक वातावरण में संपन्न होता है

इसमें छात्र अपने रुचि से योजना का चयन करता है जैसे नाटक खेलना बागवानी करना गुड़िया का घर बनाना आदि

इससे बच्चों की रुचि बढ़ेगी 

यह विधि करके सीखने पर बल देते 

इस विधि में छात्र को कार्य सौंप दिया जाता है और वह मिलजुल कर इसे पूरा करते हैं

अगर हम प्रोजेक्ट प्रणाली को अपनाना चाहते हैं प्रोजेक्ट प्रणाली के चरण  या सोपान निम्न है

1. परिस्थिति का निर्माण

2. परियोजना का चयन

3. परियोजना का नियोजन या परियोजना की योजना बनाना

4. परियोजना का क्रियान्वयन या परियोजना को पूर्ण करना

5. मूल्यांकन

6. अंकन

किलपैट्रिक अनुसार

 योजना, सामाजिक वातावरण में पूर्ण संलग्नता से किया जाने वाला उद्देश्य पूर्ण कार्य है

2. डाल्टन प्रणाली

प्रतिपादक-अमेरिकन शिक्षा शास्त्रिणी मिस हेलेन पार्क हर्स्ट

छात्रों को अपनी योग्यता क्षमता रूचि के अनुसार कार्य करने की स्वतंत्रता होती हैं

उसे समय के बंधन में नहीं बांधा जाता है विद्यार्थी चाहे तो सारा दिन एक ही विषय पढ़ सकता है

इसमें प्रत्येक विषय के लिए प्रयोगशाला बनाई जाती है

वर्ष के कार्य को महीने सप्ताह या दिन में बांट सकता है

अध्यापक पथ प्रदर्शक के रूप में कार्य करता है

मिस  हेलेन ने योजना के अर्थ को स्पष्ट करते हुए कहा कि

डाल्टन प्रयोगशाला योजना शिक्षण की प्रणाली अथवा पद्धति नहीं है यह शैक्षिक पुनर्गठन की एक विधि है जो सीखने की संबंध क्रियाओं में एकता स्थापित करती है

3. विनेटिका प्रणाली

प्रतिपादन-डा कार्लटन वाशबर्न

बालक को कार्य करने की पूर्ण स्वतंत्रता रहती है

इसमें पूरे का पाठ्यक्रम को छोटी-छोटी कार्यों में बांटा जाता है छात्र एक इकाई का सफलता पूर्ण अध्ययन करने के बाद ही दूसरी इकाई का अध्ययन करते हैं

छात्रों के ज्ञान की परीक्षा बच्चे स्वयं करते हैं

अध्यापक मार्गदर्शक होता है

इसमें बालक अनुत्तीर्ण नहीं होता है प्रत्येक विषय में बालक को ग्रेड देते हैं

इस विधि में बालक का ईमानदार होना आवश्यक है

4. डेक्रोली प्रणाली

प्रतिपादक-बेल्जियम के प्रोफेसर डॉ ओविड डेक्रोली

बालक को शिक्षा उसके जीवन से ही मिलनी चाहिए

इस विधि में बच्चों का विभाजन उनकी रूचि क्षमता और स्तर के अनुसार किया जाता था ताकि उन्हें उनकी क्षमता के अनुसार आगे बढ़ाया जा सके

स्कूल का वातावरण प्राकृतिक होता है

बालकों को उदार शिक्षा दी जाती है

लड़के लड़कियों को एक साथ शिक्षा दी जाती है

20 से 25 बच्चों का एक ग्रुप होता है

माता-पिता का भी सहयोग लिया जाता है

सामूहिक भावना का विकास होता है

ह्यूज तथा ह्यूज –

डेक्रोली विधि बालक को मूर्त तथा अमूर्त कार्यों का अवसर प्रदान कर आत्म प्रकाशन को उत्साहित करती है यह विधि *जीवन के लिए जीवन द्वारा शिक्षा* सिद्धांत पर आधारित है।

5. कॉन्ट्रैक्ट प्रणाली

यह डाल्टन और विनेटीका का मिलाजुला रूप है

इसमें बच्चे को सप्ताह महीने और वर्षभर का कार्य एक साथ दे दिया जाता है

 समय सारणी का बंधन नहीं होता

काम जल्दी भी कर सकता है  या बचे रहने पर अगले वर्ष भी कर सकते हैं

कार्य समाप्ति पर परीक्षा ली जाती है और असफल होने पर कारणों को जानने का प्रयास किया जाता है

Notes by Ravi kushwah

वैयक्तिक विभिन्नता पर आधारित शिक्षण विधियां–

1– प्रोजेक्ट प्रणाली–  इस पद्धति का जन्म अमेरिका में हुआ इसके प्रतिपादक किलपैट्रिक थे। यह जॉन डीवी के शिष्य( 1918) थे।

     प्रोजेक्ट पूरे मन से किया जाने वाला एक उद्देश्य पूर्ण कार्य है ।जो सामाजिक वातावरण में संपन्न होता है ।

  इसमें छात्र अपनी रुचि से योजना का चयन करता है। जैसे– नाटक, खेलना ,बागवानी करना ,गुड़िया का घर बनाना, मिट्टी के बर्तन बनाना ।

     इसमें बच्चे की रूचि बढ़ेगी। यह विधि करके सीखने के सिद्धांत पर बल देती है ।

  इस विधि में छात्र को कार्य सौंप दिया जाता है ।और वे मिलजुल कर इसे पूरा करते हैं ।

       अगर प्रोजेक्ट प्रणाली हम अपनाना चाहते हैं।

1– परिस्थिति निर्माण 

2–चयन

3– नियोजन 

4–पूर्ण करना( क्रियान्वयन)

5– मूल्यांकन 

6–अंकन

💐 किलपैट्रिक के अनुसार– योजना सामाजिक वातावरण में पूर्ण संलग्नता से किया जाने वाला उद्देश्य पूर्ण कार्य है।

2– डाल्टन प्रणाली –

  इस प्रणाली को मिस हेलेन पार्क हर्स्ट ने दिया। इसमें छात्र को अपनी योग्यता क्षमता रूचि के अनुसार कार्य करने की स्वतंत्रता होती है ।उसे समय के बंधन में नहीं बांधा जाता । विद्यार्थी चाहे सारे दिन में एक ही विषय पर ध्यान दें ,या पढ़े ।

  इसी प्रत्येक विषय के लिए प्रयोगशाला बनाई जाती है। वर्ष की कार्य को महीने ,सप्ताह या दिन में बांट सकते हैं ।

  अध्यापक पथ प्रदर्शक के रूप में कार्य करता है ।

   मिस मिस हेलेन ने योजना के अर्थ को स्पष्ट करते हुए बताया कि –

    डाल्टन प्रयोगशाला योजना शिक्षण का प्रणाली अथवा पद्धति नहीं है। यह शैक्षिक पुनर्गठन की एक विधि है। जो सीखने के संबंध क्रिया में एकता स्थापित करती है।

3– विनेटिका प्रणाली –

  इस योजना का प्रतिपादन डॉक्टर कार्लटन वॉशवार्न ने किया। 

   बालक को कार्य करने की पूर्ण स्वतंत्रता रहती है ।इसमें पूरी पाठ्यक्रम को छोटी-छोटी कार्यों में बांटा जाता है। छात्र एक इकाई का सफलता पूर्ण अध्ययन करने के बाद दूसरी इकाई का अध्ययन करते हैं।

    छात्रों के ज्ञान की परीक्षा बच्चे स्वयं करते हैं। अध्यापक मार्गदर्शक होता है इसमें बालक अनुत्तीर्ण नहीं होता है। प्रत्येक विषय में बालक को ग्रेट देते हैं। और इस विधि को बालक ईमानदार होना आवश्यक है।

4– डेक्रोली प्रणाली–

   इस प्रणाली के जन्मदाता डॉक्टर ओपीड डेक्रोली थे। बालक को शिक्षा उसके जीवन से ही मिलनी चाहिए। इसमें बच्चों का विभाजन उनकी रूचि क्षमता और स्तर के अनुसार किया जाता था ।ताकि उन्हें क्षमता के अनुसार आगे बढ़ाया जाए।

💐 स्कूल का वातावरण प्राकृतिक होना ।

💐बालकों को उदार शिक्षा दी जाती है ।

💐लड़के लड़कियों को एक साथ शिक्षा दी जाती है।

💐 20 से 25 बच्चों का ग्रुप होता है ।

💐माता पिता का भी सहयोग किया जाता है ।

💐बालक में सामूहिक भावना का विकास होता है।

♦️ ह्यूज तथा ह्यूज के द्वारा–

      डेक्रोली विधि बालक को मूर्त तथा अमूर्त कार्यों का करने का अवसर प्रदान कर ,आत्म प्रकाशन को उत्साहित करती है। यह विधि जीवन के लिए जीवन के द्वारा सिद्धांत पर आधारित है।

5– कॉन्ट्रैक्ट प्रणाली –

   डाल्टन और विनेटिक का मिलाजुला रूप है ।इसमें बच्चे को सप्ताह महीने और वर्ष भर का कार्य एक साथ दे दिया जाता है ।समय सारणी का बोधन नहीं होता है ।

    काम जल्दी भी कर सकता है। या बचे रहने पर अगले वर्ष भी कर सकता है।

    कार्य समाप्ति पर परीक्षा ली जाती है। असफल होने पर कारणों को जानने का प्रयास किया जाता है।

Nores by poonam sharma

🌺व्यक्तिगत विभिन्नता पर आधारित शिक्षण विधियां🌺 –>>

▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬

🌺प्रोजेक्ट प्रणाली🌺=>>1918

▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬

🌺 पद्धति का जन्म –अमेरिका

🌺 प्रतिपादक — किलपैट्रिक, जॉन डीवी के शिष्य 

🌺 प्रोजेक्ट पूरे मन से किया जाने वाला एक उद्देश्य पूर्ण कार्य है जो सामाजिक वातावरण में ही संपन्न होता है।

 🌺 इसे छात्र अपनी रुचि से योजना का चयन करता है।

 🌺उदाहरण– नाटक खेलना, बागवानी करना, गुड़िया का घर बनाना, मिट्टी के बर्तन बनाना,

 इससे बच्चों की रुचि बढ़ेगी।

 🌺 यह विधि “करके सीखना” सिद्धांत पर बल देता है।

🌺इस विधि में छात्र को कार्य सौंप दिया जाता है और वह मिलजुल कर इसे पूरा करते हैं।

 🌺अगर प्रोजेक्ट प्रणाली हम अपनाना चाहते हैं तो निम्न बातों का ध्यान रखना आवश्यक है —

1.परिस्थिति निर्माण 

2.चयन

3.नियोजन 

4.पूर्ण करना या क्रियान्वयन

5.मूल्यांकन

6.अंकन 

🌺किलपैट्रिक के अनुसार–>>” योजना, सामाजिक वातावरण में पूर्ण संलग्नता से किया जाने वाला एक उद्देश्य पूर्ण कार्य है। “

🌺Note–प्रोजेक्ट शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग शिक्षा के क्षेत्र में 1908 में किया गया था।

🌺 डाल्टन प्रणाली🌺 =>>

▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬

🌺 प्रतिपादक– मिस हेलन पार्कहर्स्ट 

🌺इस प्रणाली में छात्र को उसकी योग्यता, क्षमता एवं रूचि के अनुसार कार्य करने की स्वतंत्रता होती है।

🌺 उसे समय के बंधन में नहीं बांधा जाता है।

🌺 छात्र चाहे तो सारे दिन एक ही विषय पढ़ सकता है।

🌺 इसमें प्रत्येक विषय के लिए प्रयोगशाला बनाई जाती है।

🌺 वर्ष के कार्य को महीने, दिन सप्ताह में बांटा जा सकता है।

🌺 अध्यापक पथ- प्रदर्शक के रूप में कार्य करता है।

 🌺 मिस हेलन पार्कहर्स्ट ने योजना के अर्थ को स्पष्ट करते हुए बताया कि–

” डाल्टन प्रयोगशाला योजना शिक्षण की प्रणाली नहीं है, यह शैक्षिक पुनर्गठन की एक विधि है जो सीखने के संबंध में क्रियाओं में एकता स्थापित करती है।”

🌺 विनेटीका प्रणाली 🌺=>>

▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬

🌺 प्रतिपादक–>> डॉ० कार्लटर्न वाशबर्न

🌺 इसमें बालक को कार्य करने की पूर्ण स्वतंत्रता रहती है।

🌺 पूरे पाठ्यक्रम को छोटी-छोटी इकाईयों में बांटा जाता है।

🌺 छात्र एक इकाई को सफलतापूर्वक अध्ययन करने के बाद ही दूसरी इकाई का अध्ययन करते हैं।

🌺 छात्रों के ज्ञान की परीक्षा बच्चे स्वयं करते हैं।

🌺 अध्यापक मार्गदर्शक होता है।

🌺 इसमें बालक अनुत्तीर्ण नहीं होता है।

🌺 एक विषय में बालक का ईमानदार होना आवश्यक है।

🌺डेक्रोली प्रणाली🌺=>>

▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬

🌺प्रतिपादक– डॉ० ओविड डेक्रोली, बेल्जियम के प्रोफेसर

 🌺 छात्रों को शिक्षा उसके जीवन से ही मिलनी चाहिए।

 इसमें बच्चे का विभाजन उसके रूचि, क्षमता तथा स्तर के अनुसार किया जाता है ताकि उन्हें उनकी क्षमता के अनुसार आगे बढ़ाया जाए।

🌺 स्कूल का वातावरण प्राकृतिक होता है।

 🌺बालकों को उदार शिक्षा दी जाती है।

🌺 लड़के लड़कियों को एक साथ शिक्षा दी जाती है।

🌺 20 से 25 बालकों का एक ग्रुप होता है।

🌺माता पिता का भी सहयोग लिया जाता है।

🌺 बालक में सामूहिक भावना का विकास होता है।

🌺 ह्यूज एवं ह्यूज के अनुसार–  डेक्रोली प्रणाली बालकों को मूर्त और अमूर्त कार्यों को करने का अवसर प्रदान कर आत्म- प्रकाशन को उत्साहित करती है।

 🌺यह विधि “जीवन के लिए जीवन द्वारा” सिद्धांत पर आधारित है।

🌺कॉन्ट्रैक्ट प्रणाली 🌺=>>

▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬

🌺डाल्टन +विनेटीका का मिलाजुला रूप 

🌺इसमें बच्चे को सप्ताह, महीने, वर्ष भर का कार्य एक साथ दे दिया जाता है।

🌺 बच्चा काम को जल्दी भी कर सकता है या बचे रहने पर अगले साल भी कर सकता है।

🌺 कार्य समाप्ति पर परीक्षा ली जाती है।

🌺 असफल होने पर कारणों को जानने का प्रयास किया जाता है।

                             ✍🏻 Sïyã

व्यक्तिगत विभिन्नता पर आधारित शिक्षण प्रविधियाँ :- 

(1) प्रोजेक्ट प्रणाली ➖ 

    इस पद्धति का जन्म अमेरिका मे हुई | इसके प्रतिपादक किलपैट्रिक थे |

कलपैट्रिक जाॅन डी वी के शिष्य (1918)

प्रोजेक्ट शब्द का उपयोग शिक्षा के क्षेत्र में 1908 में किया गया था |

 प्रोजेक्ट पूरे मन से किया जाने वाला एक उद्देश्य पूर्ण कार्य है जो सामाजिक वातावरण में संपन्न होता है |

 इसमें छात्र अपनी रुचि से योजना का चयन करता है |

नाटक खेलना , बागवानी करना ,  गुड़िया का घर बनाना , मिट्टी के बर्तन बनाना | इससे बच्चे की रूचि बढ़ेगी यह विधि करके सीखने सिद्धांत पर बल देता है | इस विधि में छात्र को कार्य सौप दिया जाता है और वे मिल जुल कर इसे पूरा करते हैं |

अगर प्रोजेक्ट प्रणाली हम अपनाना चाहते हैं :- 

(1) परिस्थिति निर्माण 

(2) चयन 

(3) नियोजन  

(4) पूर्ण करना (क्रियान्वयन)

(5) मूल्यांकन 

(6) अंकन

किलपैट्रिक के अनुसार  योजना सामाजिक वातावरण में पूर्ण संलग्नता से किया जाने वाला उद्देश्य पूर्ण कार्य है |

(2) डाल्टन प्रणाली ➖ 

   इस प्रणाली को मिस हेलेन पार्कहसर्ट ने दिया | छात्र को अपनी योग्यता क्षमता रूचि के अनुसार कार्य करने की स्वतंत्रता होती है उसे समय के बंधन में नहीं माना जाता है विद्यार्थी चाहे सारे दिन एक ही विषय ही पड़ सकता है |

 इसमें प्रत्येक विषय के लिए प्रयोगशाला बनाई जाती है |

वर्ष के कार्य को महीने सप्ताह या दिन में बांट सकता है |

अध्यापक पथ प्रदर्शक के रूप में कार्य करता है |

मिस हेलेन ने योजना के अर्थ को स्पष्ट करते हुए बताया है कि  – 

डाल्टन प्रयोगशाला योजना शिक्षण की प्रणाली अथवा पद्धति नहीं है यह शैक्षिक पुनर्गठन की एक विधि है | जो सीखने की संबंध क्रियाओं में एकता स्थापित करती है |

(3) विनेटिका प्रणाली ➖ 

  इस योजना का प्रतिपादन डॉक्टर कार्लटन  वाशबर्न ने किया |

बालक को कार्य करने की पूर्ण स्वतंत्रता रहती है इसमें पूरे पाठ्यक्रम को छोटी छोटी इकाइयों में बांटा जाता है छात्र एक इकाई का सफलतापूर्वक अध्ययन करने के बाद ही दूसरी इकाई का अध्ययन करते हैं |

छात्रों के ज्ञान की परीक्षा बच्चे स्वयं करते हैं अध्यापक मार्गदर्शक होता है इसमें बालक अनुतीर्ण नहीं होता प्रत्येक विषय में बालक को ग्रेड देते हैं इस विधि में बालक का ईमानदार होना आवश्यक है |

डेक्रोली प्रणाली ➖ 

 इस प्रणाली के जन्मदाता डॉक्टर ओविड डेक्रोली थे | जो  बेल्जियम के प्रोफेसर थे                 बालक को शिक्षा उनके जीवन से ही मिलनी चाहिए इसमें बच्चे का विभाजन उनकी रूचि , क्षमता और स्तर के अनुसार किया जाता था | ताकि उन्हें उनकी क्षमता के अनुसार आगे बढाया जाए |

स्कूल का वातावरण प्राकृतिक होता है |

बालको को उदार शिक्षा दी जाती है |

लड़के लड़कियों को एक साथ शिक्षा दी जाती है |

20 से 25 बच्चों का ग्रुप होता है |

माता पिता का भी सहयोग लिया जाता है 

बालक में सामूहिक भावना का विकास होता है |

हयूज तथा हयूज के द्वारा ➖ 

डेक्रोली विधि बालक को मूर्त तथा अमूर्त कार्यो को करने का अवसर प्रदान कर आत्म प्रकाशन को उत्साहित करती है यह विधि जीवन के लिए जीवन सद्वारा स्थान सिद्धांत पर आधारित हैं |

(5) काॅन्ट्रेक्ट  प्रणाली ➖ 

डाल्टन और विनेटिका का मिला जुला रूप |

 इसमें बच्चों को सप्ताह महीने और वर्ष भर का कार्य एक साथ दे दिया जाता है |

 समय सारणी या बंधन नहीं होता है काम जल्दी भी कर सकता है  या बचे रहने पर अगले वर्ष भी कर सकता है कार्य समाप्ति पर परीक्षा ली जाती है असफल होने पर कारणों को जानने का प्रयास किया जाता है |

Notes by ➖Ranjana Sen

वैयक्तिगत विभिन्नता पर आधारित शिक्षण विधियां :-

प्रोजेक्ट प्रणाली 1918 :- 

इस पद्धति का जन्म अमेरिका में हुआ इस के प्रतिपादक किलापैट्रिक थे

 प्रोजेक्ट पूरे मन से किया जाने वाला एक उद्देश्य पुर्ण  कार्य है जो सामाजिक वातावरण में संपन्न होता है 

इससे छात्र अपने रुचि से योजना का चयन करता है। 

इससे बच्चों की रुचि बढ़ेगी यह विधि करके सीखना सिद्धांत पर बल देता है इस विधि में छात्र को कार्य सौंप दिया जाता है और वह मिलजुल कर कार्य करते हैं । 

अगर प्रोजेक्ट बना ले हम अपनाना चाहते हैं तो सबसे पहले

1  परिस्थिति निर्माण करेंगे 

2 चयन करेंगे

3  नियोजन करेंगे 

4  पूर्ण करेंगे 

5 मूल्यांकन

6  अंकन करेंगे

किलपैट्रिक के अनुसार योजना सामाजिक वातावरण में पूर्ण सलंग्नता से किया जाने वाला उद्देश्य पूर्ण कार्य है।

 डाल्टन प्रणाली :-

इस प्रणाली को मिस हेलेन पार्क हर्स्ट ने दिया 

छात्र को अपने योग्यता क्षमता रूचि के अनुसार कार्य करने की स्वतंत्रता होती है

 उसी समय के बंधन में बांधा जाता है

 विद्यार्थी चाहे सारे दिन एक ही विषय को पढ़ सकता है । 

इसमे प्रत्येक विषय के लिए प्रयोगशाला बनाई जाती है । 

वर्ष के कार्य को महीने सप्ताह दिन में बांट सकते हैं ।

अध्यापक पथ प्रदर्शक के रूप में कार्य करता है । 

मिस हेलेन ने योजना के अर्थ को स्पष्ट करते हुए बताया कि  :-

डाल्टन प्रयोगशाला योजना शिक्षण की प्रणाली अथवा पद्धति नहीं है यह शैक्षिक पुनर्गठन की एक विधि है जो सीखने की संबंध क्रियाओं में एकता स्थापित करती है। 

 विनेटिका प्रणाली :-

इस योजना का प्रतिपादन डॉक्टर कार्लटन  वॉशवर्न ने किया। 

बालक को कार्य करने की पूर्ण स्वतंत्रता तथा रहती है । 

इसमें पूरी पाठ्यक्रम को छोटी-छोटी इकाईयो में बांटा जाता है। 

छात्र एक इकाई का सफलतापूर्वक अध्ययन करते हैं बाद में दूसरी इकाई का अध्ययन करते हैं । 

छात्रों के ज्ञान की परीक्षा बच्चे स्वयं करती हैं । 

अध्यापन मार्गदर्शक होता है । 

इसमें बालक अनुत्तीर्ण नहीं होता है । 

प्रत्येक विषय में बालक को ग्रेड देते हैं 

इस विधि में बालक का ईमानदार होना आवश्यक होता है। 

 डिक्रोली प्रणाली :-

 इस प्रणाली के जन्मदाता डॉक्टर ओविड  डिक्रोली  थे। जो विलियम के के प्रोफेसर थे । 

बालक को शिक्षा उसके जीवन से ही मिलने चाहिए इस विधि में बालक का विभाजन होता था उनकी रूचि क्षमता और स्तर के अनुसार । 

स्कूल का वातावरण प्राकृतिक होता है बालकों को उदार शिक्षा दी जाती है । 

लड़के लड़कियों को एक साथ शिक्षा दी जाती है 20 से 25 बच्चे का ग्रुप होता है । 

माता-पिता पिता का भी सहयोग लिया जाता है । 

बालक के सामूहिक भावना का विकास होता है । 

हयूज तथा हयूज के द्वारा :-

  डिक्रोली विधि बालकों को मुर्त तथा अमूर्त कार्य को करने का अवसर प्रदान कर आत्म प्रकाशन को उत्साहित करती है । 

यह विधि जीवन के लिए जीवन द्वारा सिद्धांत पर आधारित है।

 कॉन्ट्रैक्ट प्रणाली :-

डाल्टन और विनेटिका का मिलाजुला रूप । 

इसमें बच्चों को सप्ताह महीने और वर्ष भर का कार्य एक साथ दे दिया जाता है। 

समय सारणी या बंधन नहीं होता है। 

काम जल्दी भी कर सकता है या बचे रहने पर अगले वर्ष भी कर सकता है। 

कार्य समाप्ति पर परीक्षा ली जाती है 

असफल होने पर कारणों को जानने का प्रयास किया जाता है। 

Notes by  :- Neha Kumari 

🙏🙏🙏🙏🙏

🌼🌸 व्यक्तिगत विभिन्नता पर आधारित शिक्षण प्रविधियां🌸🌼

☘️1-प्रोजेक्ट प्रणाली➖ प्रोजेक्ट प्रणाली का उपयोग शिक्षा के क्षेत्र में सन 1908 में किया गया था इस पद्धति का जन्म अमेरिका में हुआ इसके प्रतिपादक किलपैट्रिक थे।

    प्रोजेक्ट प्रणाली  पूरे मन से किया जाने वाला एक उद्देश्य पूर्ण कार्य है जो सामाजिक वातावरण में संपन्न होता है।

     इसमें छात्र अपनी रुचि से योजना का चयन करता है नाटक खेलना, बागवानी करना, गुड़िया का घर बनाना, मिट्टी के बर्तन बनाना इसमें बच्चे की रुचि बढ़ेगी यह विधि करके सीखना सिद्धांत पर बल देती।

     इस विधि में छात्र को कार्य सौंप दिया जाता है और वह मिलजुल कर इसे पूरा करते हैं अगर प्रोजेक्ट प्रणाली हम अपनाना चाहते हैं।

🔸 परिस्थिति निर्माण

🔸 चयन

🔸नियोजन

🔸पूर्ण करना

🔸मूल्यांकन

🔸अंकन

      👨🏻‍💼 किलपैट्रिक के अनुसार➖ योजना सामाजिक वातावरण में पूर्ण संलग्नता से किया जाने वाला उद्देश्य पूर्ण कार्य है।

☘️ डाल्टन विधि➖ इस प्रणाली को मिस हेलन पार्क ने किया छात्र को अपनी योग्यता, क्षमता रूचि के अनुसार कार्य करने की स्वतंत्रता होती है उसे समय के बंधन में नहीं बांधा जाता विद्यार्थी चाहे सारे दिन एक ही विषय ही पड़ सकता है इसमें प्रत्येक विषय के लिए प्रयोगशाला बनाई जाती है।

    वर्ष के कार्यों को महीने सप्ताह या दिन में बांट सकते हैं अध्यापक पथ प्रदर्शक के रूप में कार्य करता है मिस हेलन ने योजना के अर्थ को स्पष्ट करते हुए बताया है कि-डाल्टन प्रयोगशाला योजना शिक्षण की प्रणाली अथवा पद्धति नहीं क्षणिक पुनर्गठन की एक विधि है जो सीखने की संबंध क्रियाओं में एकता स्थापित करती है।

☘️3-विनेटिका प्रणाली➖ बालक को कार्य करने की पूर्ण स्वतंत्रता रहती है इसके पूरे पाठ्यक्रम को छोटे-छोटे इकाइयों में बांटा जाता है छात्र एक ही इकाई का सफलतापूर्वक अध्ययन करने के बाद ही दूसरी इकाई का अध्ययन करते हैं छात्रों के ज्ञान की परीक्षा बच्चे स्वयं करते हैं अध्यापक मार्गदर्शक होते हैं।

    इसमें बालक अंतर नहीं होता है प्रत्येक विषय में बालक को ग्रेट देते हैं इस विधि में बालक का ईमानदार होना आवश्यक है।

☘️4-डेक्रोली प्रणाली➖ इस प्रणाली के जन्मदाता डॉक्टर जैविड डेक्रोली  थे जो बेल्जियम मैं प्रोफेसर थे बालक को शिक्षा उनके जीवन से ही मिलती चाहिए इसमें बच्चे का विभाजन उनकी रूचि, क्षमता और स्तर के अनुसार किया जाता है ताकि उन्हें उनकी क्षमता के अनुसार आगे बढ़ाया जाए।

   स्कूल का वातावरण प्राप्त होता है बालकों को उधार शिक्षा दी जाती है लड़के लड़कियों को एक साथ शिक्षा दी जाती है 20 से 25 पर बच्चों का ग्रुप होता है माता पिता का भी सहयोग लिया जाता है बालक में सामूहिक भावना का विकास होता है।

ह्यूज तथा हयूज के द्वारा➖ डेक्रोली   विधि बालक को मूर्त अथवा अमूर्त कार्यों को करने का अवसर प्रदान कर आत्म प्रकाशन को उत्साहित करती है यह विधि जीवन के लिए जीवन द्वारा सिद्धांत पर आधारित है।

☘️5-काॅन्टैक्ट प्रणाली➖ डाल्टन और विनोटिका का मिलाजुला रूप इसमें बच्चों को सप्ताह, महीनों और वर्षों भर का कार्य एक साथ करा दिया जाता है।

समय सारणी का  बंधन नहीं होता है काम जल्दी भी कर सकते हैं या बचे रहने पर अगले वर्ष भी कर सकते हैं कार्य समाप्ति पर परीक्षा ली जाती है असफल होने पर कारणों को जानने का प्रयास किया जाता है।

✍🏻📚📚 Notes by……. Sakshi Sharma📚📚✍🏻

Personality Methods child development and pedagogy

Date- 08/06/2021

Time- 9:00 am

लिबिडो ➖प्रेम स्नेह काम प्रवत्ति को लिबिडो कहते हैं । 

यह एक स्वाभाविक प्रकृति है और यदि इस प्रवृत्ति का दमन किया जाता है तो व्यक्ति को  असमायोजित हो जाता है। 

शैशव कामुकता -सिगमंड फ्रायड व इनके शिष्य यूंग से मतभेद हुआ 

फिर  युंग ने इसे विश्लेषणात्मक सिद्धांत बताया । 

🌸व्यक्तित्व मापन की विधियां➖ प्रक्षेपी और अप्रक्षेपी

✍ प्रक्षेपी ➖ CAT   TAT    SCT     IBT  FWAT

✍ अप्रक्षेपी ➖ 

1.  आत्मनिष्ठ या व्यक्तिनिष्ठ

2. वस्तुनिष्ठ

 ✍ आत्मनिष्ठ या व्यक्तिनिष्ठ➖

1. आत्मकथा विधि

2. व्यक्ति इतिहास विधि

3. साक्षात्कार विधि

4. प्रश्नावली विधि

✍ वस्तुनिष्ठ➖

1   समाजमिति विधि 

2   कार्य/कर्म  निर्धारण  विधि 

3   शारीरिक परिश्रम 

4    निरीक्षण विधि 

✍मानकीकृत ( प्रमापीकृत )➖

जिस परीक्षण की वैधता और विश्वसनीयता की जांच की जा चुकी हो तो ऐसा परीक्षण मानकीकृत कहलाता है।

✍विश्वसनीयता ➖ 

एक ही परीक्षण को एक ही समूह द्वारा बार-बार प्रयोग किए जाने पर भी यदि अंकों में या परिणाम मे समानता पाई जाती है तो ऐसा परिणाम विश्वसनीय न कहलाता है। 

✍ वैधता जिस उद्देश्य की पूर्ति के लिए परीक्षण बनाया जाता है अगर वह उद्देश्य पर खरा उतरता है तो वह परीक्षण वैध होता है। 

✍ प्रक्षेपी विधियां➖ प्रक्षेपी विधि का सबसे पहले प्रयोग सिगमंड फ्रायड ने किया था ।

प्रक्षेप का अर्थ अपनी बात, विचार, भावनाएं ,अनुभव को स्वयं नहीं बता कर किसी अन्य उद्दीपक या पदार्थ के माध्यम से व्यक्त करना । 

👉प्रक्षेपण विधियों के माध्यम से अचेतन मन की बातों को ज्ञात किया जाता है। 

नोटस बाय➖ निधि तिवारी🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿

लिबिडो

प्रेम स्नेह और काम प्रवृत्ति को लिबिडो कहते हैं।

यह एक संभावित प्रकृति है और यदि इस प्रवृत्ति का दमन किया जाता है तो व्यक्ति  कुसमायोजित हो जाता है।

शैशव कामुकता

इस पर सिगमंड फ्रायड एवं इनके शिष्य युग में मतभेद है,

यूंग -विश्लेषणात्मक सिद्धांत

व्यक्तित्व मापन की विधियां निम्नलिखित हैं

1-प्रक्षेपी विधि इसके अंतर्गत-

T.A.T.

C.A.T

I.B.T

S.C.T.

F.W.At.

2-अप्रक्षेपी विधि

आत्म निष्ठ या व्यक्तिनिष्ठत

वस्तुनिष्ठ

1-आत्म निष्ठ या व्यक्तिनिष्ठत

आत्म कथा विधि

व्यक्ति इतिहास विधि

साक्षात्कार विधि

प्रश्नावली विधि

2-वस्तुनिष्ठ विधि

समाजमिति विधि

कर्मनिर्धारण विधि

शारीरिक परीक्षण

निरीक्षण विधि

मानकीकृत (प्रमापीकृत) जिस परीक्षण की वैधता और विश्वसनीयता की जांच की जा चुकी हो ऐसा परीक्षण मानकीकृत कहलाता है।

विश्वसनीयता-एक ही परीक्षण को एक ही समूह द्वारा बार-बार प्रयोग किए जाने पर भी यदि अंकों में समानता पाई जाती है तो ऐसा परीक्षण विश्वसनीयता कहलाता है।

वैधता-जिस उद्देश्य की पूर्ति के लिए परीक्षण बनाया जाता है अगर वह उस उद्देश्य पर खरा उतरता है तो ऐसा परीक्षा वैद्य कहलाता है।

प्रक्षेपी विधि-इस विधि को सबसे पहले सिगमंड फ्रायड ने प्रयोग किया था।

प्रक्षेप का अर्थ-अपनी बात विचार भावना अनुभव को स्वयं ना बता कर किसी अन्य उद्दीपक या पदार्थ के माध्यम से व्यक्त करना।

प्रक्षेपण विधियों के माध्यम से अचेतन मन की बातों को ज्ञात किया जाता है।

Shikhar Pandey

Libido लिबिडो ➖ 

प्रेम स्नेह और काम  प्रवृत्ति को लिबिडो कहते हैं |

यह एक स्वाभाविक प्रकृति है और यदि इस प्रवृत्ति का दमन किया जाता है तो व्यक्ति कुसमायोजित हो जाता है |

शैशव कामुकता ➖ 

इस पर सिगमंड फ्रायड इनके शिष्य युग में मतभेद है |

 युगं ➖ विश्लेषणात्मक सिद्धांत

 व्यक्तित्व मापन की विधियां ➖ 

(1) प्रेक्षपी      (2) अप्रेक्षपी 

(1) प्रेक्षपी ➖ 

TAT

CAT

IBT

SCT

FWAT

अप्रेक्षपी ➖ 

(1) आत्मनिष्ठ या व्यक्तिनिष्ठ

(2) वस्तुनिष्ठ 

(1) आत्मनिष्ठ या व्यक्तिनिष्ठ ➖ 

आत्मकथा विधि 

व्यक्ति इतिहास विधि 

साक्षात्कार विधि

प्रश्नावली विधि

(2) वस्तुनिष्ठ विधि ➖ 

समाजमिति विधि 

कार्य/क्रम निर्धारण विधि 

शारीरिक परीक्षण विधि 

निरीक्षण विधि 

मानकीकृत ( प्रमापीकृत) ➖  

जिस परीक्षण की वैधता और विश्वसनीयता की जांच की जा चुकी हो ऐसा परीक्षण मानकीकृत परीक्षण किया जाता है |

विश्वसनीयता ➖ 

एक ही परीक्षण को एक ही समूह द्वारा बार-बार प्रयोग किए जाने पर भी यदि अंकों में समानता पाई जाती है तो ऐसा परीक्षण विश्वसनीय कहलाता है |

वैघता ➖ 

जिस उद्देश्य की पूर्ति के लिए परीक्षण बनाया जाता है अगर वह उस उद्देश्य पर खडा़ उतरता है तो ऐसा परीक्षण वैघ कहलाता है |

प्रक्षेपी विधियाँ ➖ प्रक्षेपी विधि का सबसे पहले प्रयोग सिगमंड फ्रायड ने किया था |

प्रेक्षप का अर्थ ➖ 

अपनी बात विचार भावनाएं अनुभव को स्वयं नहीं पता कर किसी अन्य उद्दीपक या पदार्थ के माध्यम से व्यक्त करना |

 प्रक्षेपण विधियों के माध्यम से अचेतन मन की बातों को ज्ञात किया जाता है |

Notes by ➖Ranjana sen

Libido लिबिडो- प्रेम ,स्नेह और काम प्रवृत्ति को लिबिडो कहते हैं

यह एक स्वाभाविक प्रवृत्ति हैं और यदि इस प्रवृत्ति का दमन किया जाता है तो व्यक्ति  कुसमायोजित हो जाता है

शैशव कामुकता-इस पर सिगमंड फ्रायड और इनके शिष्य युंग में मतभेद हैं

युंग-विश्लेषणात्मक सिद्धांत

व्यक्तित्व मापन की विधियां-

व्यक्तित्व मापन की विधियां दो प्रकार की होती है

………………………….

1. प्रक्षेपी

2. अप्रक्षेपी

1. प्रक्षेपी विधियों में निम्नलिखित विधियां आती है

1. Ta T

2. CAT

3. IBT

4. SCT

5. FWAT

2.अप्रक्षेपी विधियां भी दो प्रकार की होती हैं

…………………………………..

1. आत्म निष्ठ या व्यक्ति निष्ठ- यह विधियां भी निम्नलिखित हैं

1. आत्मकथा विधि

2. व्यक्ति इतिहास विधि या केस स्टडी

3. साक्षात्कार विधि

4. प्रश्नावली विधि

2. वस्तुनिष्ठ विधि-यह विधियां भी निम्नलिखित प्रकार होते हैं

1. समाजमिति विधि

2. कार्य या क्रम निर्धारण मापनी

3. शारीरिक परीक्षण

4. निरीक्षण विधि

मानकीकृत या प्रमापीकृत परीक्षण-

जिस परीक्षण की वैधता और विश्वसनीयता की जांच की जा चुकी हो ऐसा परीक्षण मानकीकृत परीक्षण कहलाता है

विश्वसनीयता -एक ही परीक्षण को एक ही समूह द्वारा बार-बार प्रयोग किए जाने पर भी यदि अंकों में समानता पाए जाते हैं तो ऐसा परीक्षण विश्वसनीय कहलाता है

वैधता-जिस उद्देश्य की पूर्ति के लिए परीक्षण बनाया जाता है वह उस उद्देश्य पर खरा उतरता है तो ऐसा परीक्षण वैद्य परीक्षण कहलाता है

1. प्रक्षेपी विधियां

प्रक्षेपी विधि का सबसे पहले प्रयोग सिगमंड फ्रायड ने किया था

प्रक्षेप का अर्थ-अपनी बात, विचार, भावनाएं, अनुभव को स्वयं नहीं बताकर किसी अन्य उद्दीपक या पदार्थ के माध्यम से व्यक्त करना

प्रक्षेपण विधियों के माध्यम से अचेतन मन की बातों को ज्ञात किया जाता है

Notes by Ravi kushwah

लिबिडो :- प्रेम स्नेह काम प्रवत्ति को लिबिडो कहते हैं । 

यह एक स्वाभाविक प्रकृति है और यदि इस प्रवृत्ति का दमन किया जाता है तो व्यक्ति को  असमायोजित हो जाता है। 

शैशव कामुकता -सिगमंड फ्रायड व इनके शिष्य यूंग से मतभेद हुआ 

फिर  युंग ने इसे विश्लेषणात्मक सिद्धांत बताया । 

व्यक्तित्व मापन की विधियां :-

प्रक्षेपी और अप्रक्षेपी

 प्रक्षेपी :-

 CAT   

TAT

SCT

 IBT  

FWAT

 अप्रक्षेपी  :-

1.  आत्मनिष्ठ या व्यक्तिनिष्ठ

2. वस्तुनिष्ठ

  आत्मनिष्ठ या व्यक्तिनिष्ठ :-

1. आत्मकथा विधि

2. व्यक्ति इतिहास विधि

3. साक्षात्कार विधि

4. प्रश्नावली विधि

 वस्तुनिष्ठ :-

1   समाजमिति विधि 

2   कार्य/कर्म  निर्धारण  विधि 

3   शारीरिक परिश्रम 

4    निरीक्षण विधि 

मानकीकृत ( प्रमापीकृत ) :-

जिस परीक्षण की वैधता और विश्वसनीयता की जांच की जा चुकी हो तो ऐसा परीक्षण मानकीकृत कहलाता है।

विश्वसनीयता  :- 

एक ही परीक्षण को एक ही समूह द्वारा बार-बार प्रयोग किए जाने पर भी यदि अंकों में या परिणाम मे समानता पाई जाती है तो ऐसा परिणाम विश्वसनीय न कहलाता है। 

वैधता जिस उद्देश्य की पूर्ति के लिए परीक्षण बनाया जाता है अगर वह उद्देश्य पर खरा उतरता है तो वह परीक्षण वैध होता है। 

 प्रक्षेपी विधियां :-

 प्रक्षेपी विधि का सबसे पहले प्रयोग सिगमंड फ्रायड ने किया था ।

प्रक्षेप का अर्थ अपनी बात, विचार, भावनाएं ,अनुभव को स्वयं नहीं बता कर किसी अन्य उद्दीपक या पदार्थ के माध्यम से व्यक्त करना । 

प्रक्षेपण विधियों के माध्यम से अचेतन मन की बातों को ज्ञात किया जाता है। 

Notes by  :- Neha Kumari 

🙏🙏🙏🙏🙏

👉🏻लिबिडो ➖प्रेम, स्नेह, काम प्रवत्ति को लिबिडो कहते हैं । 

यह एक स्वाभाविक प्रकृति है और यदि इस प्रवृत्ति का दमन किया जाता है ,तो व्यक्ति असमायोजित हो जाता है। 

शैशव कामुकता ➖ सिगमंड फ्रायड व इनके शिष्य युंग मे मतभेद हुआ 

फिर  युंग ने इसे विश्लेषणात्मक सिद्धांत बताया । 

👉🏻 *व्यक्तित्व मापन की विधियां➖ प्रक्षेपी और अप्रक्षेपी*

👉🏻प्रक्षेपी ➖ C.A.T  , T.A.T   , S.C.T  ,   I.B.T , F.W.A.T

👉🏻अप्रक्षेपी ➖ 

1➖आत्मनिष्ठ या व्यक्तिनिष्ठ

2➖वस्तुनिष्ठ

 👉🏻आत्मनिष्ठ या व्यक्तिनिष्ठ➖

A➖ आत्मकथा विधि

B➖व्यक्ति इतिहास विधि

C➖साक्षात्कार विधि

D➖ प्रश्नावली विधि

👉🏻 वस्तुनिष्ठ➖

A ➖ समाजमिति विधि 

B➖ कार्य/कर्म  निर्धारण  विधि 

C➖ शारीरिक परिश्रम 

D➖    निरीक्षण विधि 

👉🏻मानकीकृत ( प्रमापीकृत )➖

जिस परीक्षण की वैधता और विश्वसनीयता की जांच की जा चुकी हो तो ऐसा परीक्षण मानकीकृत कहलाता है।

👉🏻विश्वसनीयता ➖ 

एक ही परीक्षण को एक ही समूह द्वारा बार-बार प्रयोग किए जाने पर भी यदि अंकों में या परिणाम मे समानता पाई जाती है तो ऐसा परिणाम विश्वसनीय कहलाता है। 

👉🏻वैधता ➖

जिस उद्देश्य की पूर्ति के लिए परीक्षण बनाया जाता है अगर वह उद्देश्य पर खरा उतरता है तो वह परीक्षण वैध होता है। 

👉🏻प्रक्षेपी विधियां➖ 

प्रक्षेपी विधि का सबसे पहले प्रयोग सिगमंड फ्रायड ने किया था ।

प्रक्षेप का अर्थ अपनी बात, विचार, भावनाएं ,अनुभव को स्वयं नहीं बता कर किसी अन्य उद्दीपक या पदार्थ के माध्यम से व्यक्त करना । 

प्रक्षेपण विधियों के माध्यम से अचेतन मन की बातों को ज्ञात किया जाता है। 

📝दीपिका राय📝

Psychologist and statement of child development and pedagogy Part-3

Date -08/06/2021

Time-07.45 am

✍ कथन (statement) 

🕸किंडर गार्डन विधि का प्रतिपादक➖ फ्रोवेल

 🕸डाल्टन विधि के प्रतिपादक ➖मिस हेलेन पार्कहर्स्ट 

🕸मांटेसरी विधि के प्रतिपादक ➖मारिया मांटेसरी 

🕸संज्ञानात्मक आंदोलन के जनक➖ अल्बर्ट बंडूरा 

🕸 गेस्टाल्ट वाद 1912 ➖कोहलर  कोफ्का वर्दीमर लेविंन

🕸संरचनाबाद (1879) ➖ विलियम वुंट

🕸 व्यवहारवाद 1912➖जीबी वॉटसन

🕸मनोविश्लेषणवाद सिद्धांत 1900➖ सिगमंड फ्रायड 

🕸विकासात्मक संज्ञानात्मक तथ्य ➖ जीन पियाजे

🕸 संज्ञानात्मक अधिगम सिद्धांत 1986 ➖अल्बर्ट बंडूरा

🕸 संज्ञानात्मक अधिगम की अवधारणा  ➖जेरोम ब्रूनर

🕸  सामाजिक अधिगम का सिद्धांत 1986 ➖ अल्बर्ट  बंडूरा

🕸 संबंध बाद 1913 ➖ थोर्नडाइक

🕸 अनुकूलित अनुक्रिया का सिद्धांत 1904  ➖पावलव

🕸 क्रिया प्रसूत अनुबंधन का सिद्धांत 1938➖ स्किनर

🕸 पुनर्बलन का सिद्धांत 1915 ➖सी एल हल 

🕸अंतर्दृष्टि सूझ का सिद्धांत 1912➖ कोहलर

🕸 विकास के सामाजिक प्रवर्तक➖ एरिक्सन। 

🕸 प्रोजेक्ट प्रणाली ( करके सीखना का ) की अवधारणा ➖जॉन डीवी 

🕸🕸 प्रोजेक्ट प्रणाली ( करके सीखना)  के प्रतिपादक ➖ किलपैट्रिक्

🕸अधिगम मनोविज्ञान के जनक➖ एविंगहोस

🕸अधिगम अवस्थाओं के प्रतिपादक➖ जेरोम ब्रूनर 

🕸संरचनात्मक अधिगम का सिद्धांत➖    जेरोम ब्रूनेर

🕸   सामान्य करण का सिद्धांत ➖चार्ल्स जुड़ 

🕸 शक्ती मनोविज्ञान के जनक ➖ वोल्फ

🕸 भाषा विकास का सिद्धांत ➖नोम चोमस्की 

🕸मांग पूर्ति का सिद्धांत /आवश्यकता पदानुक्रम ➖अब्राहम मस्लो 

🕸स्व- यथार्थीकरण अभिप्रेरणा का सिद्धांत – अब्राहम मस्लो

🕸आत्मज्ञान का सिद्धांत➖ अब्राहम मस्लो 

🕸प्रस्थान का सिद्धांत ➖ बोल्स  व कौफमैन

🕸 शीलगुण सिद्धांत के प्रतिपादक/ विशेषक सिद्धांत ➖ऑलपोर्ट

🕸 व्यक्तित्व मापन का मांग का सिद्धांत➖ हेनरी मूर रे 

🕸कथानक बोध परीक्षण विधि के प्रतिपादक➖ मोरगन मूर्रे

🕸 प्रासंगिक अंतर्बोध परीक्षण TAT ➖मोरगन मुर्रे

🕸 बाल अंतर्बोध परीक्षण CAT ➖ लियोपोर्ड बेलक 

🕸 स्याही धब्बा परीक्षण IBT ➖हरमन रोर्शा। 

🕸वाक्य पूर्ति परीक्षण SCT ➖पाईन एण्ड टेंडलर 

🕸 व्यवहार परीक्षण विधि के प्रतिपादक ➖ में एंड हार्टसन। 

🕸बाल- उद्यान विधि के प्रतिपादक➖ फ्रोबेल । 

🕸खेल प्रणाली के प्रतिपादक➖ फ्रोबेल । 

🕸मनोविश्लेषण विधि के जन्मदाता➖ सिगमंड फ्रायड। 

नोटस बाय➖ निधि तिवारी 🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿

फ्रोबेल-

किंडर गार्डन विधि के प्रतिपादक

बालोद्यान विधि के प्रतिपादक

खेल विधि के जन्मदाता

डाल्टन विधि के प्रतिपादक -मिस हेलन पार्क हर्स्ट

मांटेसरी विधि के प्रतिपादक- मैडम मारिया मांटेसरी

संज्ञानात्मक आंदोलन के जनक -अल्बर्ट बंडूरा

संज्ञानात्मक अधिगम सिद्धांत 1986 -अल्बर्ट बंडूरा

सामाजिक अधिगम सिद्धांत 1986 -अल्बर्ट बंडूरा

अधिगम मनोविज्ञान के जनक -एविंग हॉस

संरचनावाद 1879-विलियम वुंट

विकासात्मक या संज्ञानात्मक तथ्य -जीन पियाजे

संज्ञानात्मक अधिगम की अवधारणा- जेरोम ब्रूनर

अधिगम अवस्थाओं के प्रतिपादक -जेरोम ब्रूनर

संरचनात्मक अधिगम का सिद्धांत -जेरोम ब्रूनर

गेस्टाल्ट वाद 1912 – कोहलर कोफ्का वर्दीमर लेविन

व्यवहारवाद 1912- जेबी वाटसन

मनोविश्लेषणवाद 1900-सिग्मंड फ्रायड

संबंधवाद 1913- थार्नडाइक

विकास के सामाजिक प्रवर्तक -एरिक एरिकसन

प्रोजेक्ट प्रणाली से करके सीखने का सिद्धांत- जॉन डीवी

सामान्यीकरण का सिद्धांत-सी एच जुड

शक्ति मनोविज्ञान के जनक -वाल्फ

भाषा विकास का सिद्धांत -चामस्की

मांग पूर्ति का सिद्धांत -अब्राहम मास्लो

आवश्यकता पदानुक्रम-अब्राहम मास्लो

स्वयथार्थीकरण अभिप्रेरणा -अब्राहम मास्लो

आत्मज्ञान का सिद्धांत- अब्राहम मस्लो

प्रोत्साहन का सिद्धांत -बॉल्स और काफमैन

शीलगुण सिद्धांत के प्रतिपादक- ऑलपोर्ट

विशेषक सिद्धांत -आलपोर्ट

व्यक्तित्व मापन का मांग का सिद्धांत -हेनरी मूर्रे

कथानक बहुत परीक्षण विधि के प्रतिपादक -मोर्गन व मुर्रे

प्रासंगिक अंतर्बोध  परीक्षण टी ए टी- मार्गन व मुर्रे

बाल अंतर्बोध परीक्षण सी ए टी-लियोपोल्ड बेलक

स्याही धब्बा परीक्षण आई बी टी-हरमन रोर्शा

वाक्य पूर्ति परीक्षण एस सि टी- पाईन व टैंडलर

व्यवहार परीक्षण विधि के प्रतिपादक- मै. एवं हार्टशन

मनोविश्लेषण विधि के जन्मदाता -सिगमंड फ्रायड

Notes by Ravi kushwah

कथन(statement)

1– किंडर गार्डन विधि के प्रतिपादक – फ्रोबेल

2– डाल्टन विधि के प्रतिपादक– मिस हेलेन पार्क हर्स्ट

3– मांटेसरी विधि के प्रतिपादक– मारिया मांटेसरी

4– संज्ञानात्मक आंदोलन के जनक –अल्बर्ट बंडूरा 

5– गेस्टाल्ट वाद(1912) के जनक – कोहलर,कोफ़्का,वर्दीमर,लेविन

5– संरचनावाद(1879) के जनक– विलियम वुंट

6– व्यवहारवाद (1912)के जनक– जीबी वाटसन

7– मनोविश्लेषणवाद(1900) के जनक– सिगमंड फ्रायड

8– विकासात्मक /संज्ञानात्मक तथ्य –जीन पियाजे

9– संज्ञानात्मक अधिगम सिद्धांत 1986– अल्बर्ट बंदुरा

10– संज्ञानात्मक अधिगम की अवधारणा– जेरोम ब्रूनर

11– सामाजिक अधिगम का सिद्धांत 1986 –अल्बर्ट बंडूरा

12– संबंध बाद (1913 )के जनक –थार्नडाइक

13– अनुकूलित अनुक्रिया का सिद्धांत (1904 )–पावलव

14– क्रिया प्रसूत अनुबंधन का सिद्धांत (1938)– स्किनर

15– प्रबलन/ पुनर्बलन का सिद्धांत (1915)– CL hull

16– अंतर्दृष्टि /सूझ का सिद्धांत (1912)– कोहलर

17– विकास के सामाजिक प्रवर्तक –एरिकसन

18– प्रोजेक्ट प्रणाली (करके सीखने का सिद्धांत)– जॉन डीवी

19– अधिगम मनोविज्ञान के जनक– एविंग हॉर्स

20– अधिगम अवस्थाओं के प्रतिपादक –जीनोम ब्रूनर

21– शक्ति मनोविज्ञान के जनक– वॉल्फ

22– भाषा विकास का सिद्धांत – चोमस्की

23– मांग पूर्ति का सिद्धांत/ आवश्यकता पदानुक्रम का सिद्धांत –मैस्लो

24– स्व यथाथिकर्ण अभिप्रेरणा– मैस्लो

25– आत्मज्ञान का सिद्धांत –मैस्लो

26– प्रोत्साहन का सिद्धांत –बॉस और कौफमैन

27– शीलगुण के सिद्धांत के प्रतिपादक विशेषक सिद्धांत– ऑल पोर्ट

28– व्यक्तित्व मापन का मांग का सिद्धांत –हेनरी /मुर्रे

29– तुलनात्मक बोध परीक्षण के प्रतिपादक– मोरगन /मुर्रे

30– प्रासंगिक अंतर बोध परीक्षण – मोर्गन/मुर्रे

31– बाल अंतर्बोध परीक्षण– लियोपोर्ट बैलक

32– स्याही धब्बा परीक्षण –हरमन रोर्षा

33– वाक्य पूर्ति परीक्षण– वाइन व टेण्डलर

34– व्यवहार परीक्षण विधि के प्रतिपादक– में एवं हार्टशन

35– बालोधान विधि के प्रतिपादक – फ्रोबेल

36– खेल प्रणाली के जन्मदाता– फ्रोबेल

Notes by POONAM SHARMA

किंडरगार्डन विधि के प्रतिपादक ➖ फ्रोबेल 

डाल्टन विधि के प्रतिपादक ➖ मिस हेलन पार्क हर्स्ट 

मांटेसरी विधि के प्रतिपादक ➖ मैडम मारिया मोंटेसरी 

संज्ञानात्मक आंदोलन के जनक ➖ अल्बर्ट बंडूरा 

गेस्टाल्टवाद (1912) ➖ कोहलर कोफ्का वर्दीमर

संरचनावाद (1879) ➖ विलियम वुण्ट

व्यवहारवाद (1912) ➖  जे. वी. वाटसन

मनोविश्लेषणवाद (1900) ➖ सिगमंड फ्रायड

विकासात्मक /संज्ञानात्मक तथ्य ➖ जीन पियाजे

संज्ञानात्मक अधिगम सिद्धांत (1986) ➖ अल्बर्ट बंडूरा 

संज्ञानात्मक अधिगम की अवधारणा ➖ जेरोम ब्रूनर 

सामाजिक अधिगम सिद्धांत(1986) ➖ अल्बर्ट बन्डूरा 

संबंधवाद 1913) ➖ थार्नडाइक

अनुकूलित अनुक्रिया का सिद्धांत (1904) ➖ पावलव 

क्रिया प्रसूत अनुबंधन का सिद्धांत (1938) ➖  स्किनर 

प्रबलन / पुनर्बलन का सिद्धांत (1915) ➖ सी एल हल 

अंतर्दृष्टि / सूझ का सिद्धांत (1912) ➖ कोहलर 

विकास के सामाजिक प्रवर्तक ➖ एरिक्शन 

प्रोजेक्ट प्रणाली (करके सीखने का सिद्धांत ) ➖ जॉन ड्यूवी

अधिगम मनोविज्ञान के जनक ➖ एविंग ह्रास 

अधिगम अवस्थाओं के प्रतिपादक ➖ जेरोम ब्रूनर

संरचनावाद अधिगम का सिद्धांत ➖ जेरोम ब्रूनर 

सामान्यीकरण का सिद्धांत ➖ सी. एल. हल 

शक्ति मनोविज्ञान का जनक ➖ वाॅल्फ 

भाषा विकास का सिद्धांत ➖ चोमस्की 

मांग पूर्ति का सिद्धांत ➖ मास्लो

आवश्यकता पदानुक्रम का सिद्धांत ➖ मास्लो

स्व यथार्थीकरण अभिप्रेरणा ➖ मास्लो

आत्मज्ञान का सिद्धांत ➖ मास्लो 

प्रोत्साहन का सिद्धांत ➖ बोल्स और काफमैन 

शीलगुण सिद्धांत के प्रतिपादक ➖आलपोर्ट

विशेषक सिद्धांत के प्रतिपादक ➖ आलपोर्ट 

व्यक्तित्व मापन का मांग का सिद्धांत ➖

हेनरी / मुर्रे

कथानक बोध परीक्षण विथि के प्रतिपादक ➖ मोर्गन / मुर्रे 

प्रसांगिक अंतबोर्ध परीक्षण (TAT)

 ➖मोर्गन/ मुर्रे 

 बाल अन्तर्बोध परीक्षण (CAT) ➖लियोपोल्ड बैलक

स्याही धब्बा परीक्षण (IBT) ➖ हरमन रोर्शा

वाक्य पूर्ति परीक्षण (SCT) ➖ पाईन व टेंडलर

व्यवहार परीक्षण विधि के प्रतिपादक ➖ 

में एंव हार्टशन

बालोघान विधि के प्रतिपादक ➖ फ्रोबेल 

खेल प्रणाली के जन्मदाता ➖ फ्रोबेल 

मनोविश्लेषण विधि के जन्मदाता ➖ सिगमंड फ्रायड 

अधिगम अंतरण का मूल्यो के अभिज्ञान का सिद्धांत ➖ बगले 

Notes by ➖Ranjana Sen

किंडर गार्डन विधि के प्रतिपादक – फ्रोबेल

 डाल्टन विधि के प्रतिपादक– मिस हेलेन पार्क हर्स्ट

मांटेसरी विधि के प्रतिपादक– मारिया मांटेसरी

 संज्ञानात्मक आंदोलन के जनक –अल्बर्ट बंडूरा 

 गेस्टाल्ट वाद(1912) के जनक – कोहलर,कोफ़्का,वर्दीमर,लेविन

 संरचनावाद(1879) के जनक– विलियम वुंट

 व्यवहारवाद (1912)के जनक– जीबी वाटसन

 मनोविश्लेषणवाद(1900) के जनक– सिगमंड फ्रायड

 विकासात्मक /संज्ञानात्मक तथ्य –जीन पियाजे

 संज्ञानात्मक अधिगम सिद्धांत 1986– अल्बर्ट बंदुरा

 संज्ञानात्मक अधिगम की अवधारणा– जेरोम ब्रूनर

 सामाजिक अधिगम का सिद्धांत 1986 –अल्बर्ट बंडूरा

 संबंध बाद (1913 )के जनक –थार्नडाइक

 अनुकूलित अनुक्रिया का सिद्धांत (1904 )–पावलव

क्रिया प्रसूत अनुबंधन का सिद्धांत (1938)– स्किनर

प्रबलन/ पुनर्बलन का सिद्धांत (1915)– सी.एल.हल

 अंतर्दृष्टि /सूझ का सिद्धांत (1912)– कोहलर

 विकास के सामाजिक प्रवर्तक –एरिकसन

 प्रोजेक्ट प्रणाली (करके सीखने का सिद्धांत)– जॉन डीवी

 अधिगम मनोविज्ञान के जनक– एविंग हॉर्स

 अधिगम अवस्थाओं के प्रतिपादक –जीनोम ब्रूनर

शक्ति मनोविज्ञान के जनक– वॉल्फ

 भाषा विकास का सिद्धांत – चोमस्की

 मांग पूर्ति का सिद्धांत/ आवश्यकता पदानुक्रम का सिद्धांत –मैस्लो

 स्व यथाथिकर्ण अभिप्रेरणा– मैस्लो

 आत्मज्ञान का सिद्धांत –मैस्लो

 प्रोत्साहन का सिद्धांत –बॉस और कौफमैन

 शीलगुण के सिद्धांत के प्रतिपादक विशेषक सिद्धांत– ऑल पोर्ट

 व्यक्तित्व मापन का मांग का सिद्धांत –हेनरी /मुर्रे

 तुलनात्मक बोध परीक्षण के प्रतिपादक– मोरगन /मुर्रे

 प्रासंगिक अंतर बोध परीक्षण – मोर्गन/मुर्रे

 बाल अंतर्बोध परीक्षण– लियोपोर्ट बैलक

 स्याही धब्बा परीक्षण –हरमन रोर्षा

 वाक्य पूर्ति परीक्षण– वाइन व टेण्डलर

 व्यवहार परीक्षण विधि के प्रतिपादक– में एवं हार्टशन

 बालोधान विधि के प्रतिपादक – फ्रोबेल

खेल प्रणाली के जन्मदाता– फ्रोबेल

Notes by :- Neha Kumari 

🙏🙏🙏🙏🙏

कथन 

किंडर गार्डन विधि का प्रतिपादक➖ फ्रोवेल

 डाल्टन विधि के प्रतिपादक ➖मिस हेलेन पार्कहर्स्ट 

मांटेसरी विधि के प्रतिपादक ➖मारिया मांटेसरी 

संज्ञानात्मक आंदोलन के जनक➖ अल्बर्ट बंडूरा 

गेस्टाल्ट वाद 1912 ➖कोहलर , कोफ्का ,वर्दीमर, कार्ट लेविंन

संरचनाबाद 1879➖ विलियम वुंट

व्यवहारवाद 1912➖जी वी वॉटसन

मनोविश्लेषणवाद सिद्धांत 1900➖ सिगमंड फ्रायड 

विकासात्मक /संज्ञानात्मक तथ्य ➖ जीन पियाजे

संज्ञानात्मक अधिगम सिद्धांत 1986 ➖अल्बर्ट बंडूरा

संज्ञानात्मक अधिगम की अवधारणा  ➖जेरोम ब्रूनर

सामाजिक अधिगम का सिद्धांत 1986 ➖ अल्बर्ट  बंडूरा

संबंधवाद 1913 ➖ थोर्नडाइक

अनुकूलित अनुक्रिया का सिद्धांत 1904  ➖पावलव

 क्रिया प्रसूत अनुबंधन का सिद्धांत 1938➖ स्किनर

पुनर्बलन का सिद्धांत 1915 ➖सी एल हल 

अंतर्दृष्टि /सूझ का सिद्धांत 1912➖ कोहलर

विकास के सामाजिक प्रवर्तक➖ एरिक्सन। 

प्रोजेक्ट प्रणाली ( करके सीखना का ) ➖जॉन डीवी 

प्रोजेक्ट प्रणाली के प्रतिपादक ➖ किल पैट्रिक्

अधिगम मनोविज्ञान के जनक➖ एविंगहाॅस

अधिगम अवस्थाओं के प्रतिपादक➖ जेरोम ब्रूनर 

संरचनात्मक अधिगम का सिद्धांत➖    जेरोम ब्रूनेर

सामान्यीकरण का सिद्धांत ➖चार्ल्स जुड़ 

शक्ती मनोविज्ञान के जनक ➖ वोल्फ

भाषा विकास का सिद्धांत ➖नोम चोमस्की 

मांग पूर्ति का सिद्धांत /आवश्यकता पदानुक्रम ➖अब्राहम मस्लो 

स्व- यथार्थीकरण अभिप्रेरणा का सिद्धांत – अब्राहम मस्लो

आत्मज्ञान का सिद्धांत➖ अब्राहम मस्लो 

प्रस्थान का सिद्धांत ➖ बोल्स  व कौफमैन

शीलगुण सिद्धांत के प्रतिपादक/ विशेषक सिद्धांत ➖ऑलपोर्ट

व्यक्तित्व मापन का मांग का सिद्धांत➖ हेनरी ,मूर्रे 

कथानक बोध परीक्षण विधि के प्रतिपादक➖ मोर्गन, मूर्रे

प्रासंगिक अंतर्बोध परीक्षण (TAT) ➖मोर्गन, मुर्रे

बाल अंतर्बोध परीक्षण (CAT) ➖ लियोपोर्ड बेलक 

स्याही धब्बा परीक्षण (IBT) ➖हरमन रोर्शा। 

वाक्य पूर्ति परीक्षण (SCT) ➖पाईन एण्ड टेंडलर 

व्यवहार परीक्षण विधि के प्रतिपादक ➖ में एंड हार्टसन। 

बाल- उद्यान विधि के प्रतिपादक➖ फ्रोबेल । 

खेल प्रणाली के प्रतिपादक➖ फ्रोबेल।

☺️दीपिका राय🙏🏻

Importance of individual difference child development and pedagogy

Date➖07/06/2021
Time➖8. 00 am

🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸
शिक्षा के क्षेत्र में व्यक्तिगत विभिन्नता का महत्व एवं उपयोगिता➖
✍मनोवैज्ञानिक ने व्यक्तिगत भिन्नता के अध्ययन शिक्षा को पूर्ण रूप से बाल केंद्रित बनाने की कोशिश की है |
✍वर्तमान में व्यक्ति विभिन्नता का महत्व बढ़ गया है इससे शिक्षा के क्षेत्र में इसकी उपयोगिता भी बढ़ गई है |

✍ शिक्षा के क्षेत्र में वैयक्तिक विभिन्नता का महत्व निम्न प्रकार से समझाया जा सकता है➖

  1. शिक्षा का उद्देश्य निर्धारण में➖
    ✍वर्तमान में किसी भी स्तर की शिक्षा के उद्देश्य उस स्तर के औसत शिक्षार्थियों की दृष्टि से निर्धारित किए जाते हैं।
    यह सारे तथ्य यथार्थ के आधार पर निश्चित किए जाते हैं।
  2. शिक्षा की पाठ्यचर्या के निर्माण में ➖
    ✍70% पाठ्यचर्या औसत बच्चों को ध्यान में रखकर बनाया जाता है
    15% औसत बच्चो से नीचे बनाया जाता है
    15% औसत से उच्च को ध्यान में रखकर बनाया जाता है
  3. छात्रों के वर्गीकरण में➖
    ✍निम्न ,औसत और उच्च
    आदर्श स्थिति यह होगी तीनों वर्ग के छात्रों की शिक्षा व्यवस्था अलग- अलग की जाए लेकिन अगर ऐसा संभव नहीं है तो व्यक्तिगत रूप से ध्यान दीजिए।
  4. कक्षा के आकार निर्धारण करने में➖
    ✍निम्न ,औसत, उच्च ➖एक साथ पढ़ रहे हैं तो कक्षा का आकार छोटा होना चाहिए।
    व्यक्तिगत विभिन्नन्ताओ के आधार पर व्यक्तिगत रूप से मदद कर सकते हैं ।
    एक कक्षा में शिशु स्तर पर एक कक्षा में बच्चे की संख्या 15
    बालअवस्था के बच्चों की कक्षा मे 30 बच्चों के तक
    किशोर बच्चों की कक्षा मे 40 बच्चे
    और किशोर के ऊपर 50 बच्चे
  5. शिक्षण विधि के चरण में ➖
    ✍वर्तमान में शिक्षा विधि को अलग माना जाता है जो कक्षा विशेष के छात्रों के अनुकूल है। जिसमें अधिकतर छात्रों की रुचि हो ।
    शिशु स्तर पर – मांटेसरी, किंडरगार्डन ।
    बाल किशोरों के लिए योजना विधि अनुदेशन विधि
  6. शिक्षण साधन के चयन में ➖ प्रोजेक्टर ,कंप्यूटर ,टीवी
    जिसमें बच्चे रुचि लेगा, उसी तरह सिखाना चाहिए
  7. वैयक्तिक सहायता में ➖
    ✍कई रूप में सहायता दे सकते हैं प्रश्न का वितरण उचित तरह से करें ।
    सरल प्रश्न निम्न स्तर के बच्चों के लिए होने चाहिए ।
    सामान्य प्रश्न सामान्य स्तर के लिए
    कठिन प्रश्न उच्च स्तर के लिए और कमजोर को अलग से समय दिया जाना चाहिए।

8.गृह कार्य की मात्रा ➖
✍यदि शिशु है तो उनको कोई गृह कार्य ना दिया जाए या कम मात्रा में दिया जाए ।
✍किशोर को बच्चे शिशुओ थोड़ा स अधिक दिया जाए । उससे ऊपर के बच्चों को स्वाध्याय दिया जाए।

  1. शैक्षिक व्यवसायिक निर्देशन में➖
    ✍ छात्रों को शारीरिक मानसिक क्षमता रुचि के आधार पर अध्ययन का विषय और क्षेत्र चुनने में सहायता करना चाहिए
    ✍ प्रशिक्षण कौशल देना चाहिए ।

नोट्स बाय निधि तिवारी🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿

शिक्षा के क्षेत्र में व्यक्तिगत विभिन्नता का महत्व एवं उपयोगिता—-
मनोवैज्ञानिक ने व्यक्तिगत भिन्नता के अध्ययन शिक्षा को पूर्ण रूप से बाल केंद्रित बनाने की कोशिश की है |
वर्तमान में व्यक्ति विभिन्नता का महत्व बढ़ गया है इससे शिक्षा के क्षेत्र में इसकी उपयोगिता भी बढ़ गई है |
शिक्षा के क्षेत्र में वैयक्तिक विभिन्नता का महत्व निम्न प्रकार से समझाया जा सकता है—

  1. शिक्षा का उद्देश्य निर्धारण में–
    वर्तमान में किसी भी स्तर की शिक्षा के उद्देश्य उस स्तर के औसत शिक्षार्थियों की दृष्टि से निर्धारित किए जाते हैं।
    यह सारे तथ्य यथार्थ के आधार पर निश्चित किए जाते हैं।
  2. शिक्षा की पाठ्यचर्या के निर्माण में —
    70% पाठ्यचर्या औसत बच्चों को ध्यान में रखकर बनाया जाता है
    15% औसत बच्चो से नीचे बनाया जाता है
    15% औसत से उच्च को ध्यान में रखकर बनाया जाता है
  3. छात्रों के वर्गीकरण में
    निम्न ,औसत और उच्च —
    आदर्श स्थिति यह होगी तीनों वर्ग के छात्रों की शिक्षा व्यवस्था अलग- अलग की जाए लेकिन अगर ऐसा संभव नहीं है तो व्यक्तिगत रूप से ध्यान दीजिए।
  4. कक्षा के आकार निर्धारण करने में—-
    निम्न ,औसत, उच्च —
    एक साथ पढ़ रहे हैं तो कक्षा का आकार छोटा होना चाहिए।
    व्यक्तिगत विभिन्नन्ताओ के आधार पर व्यक्तिगत रूप से मदद कर सकते हैं ।
    एक कक्षा में शिशु स्तर पर एक कक्षा में बच्चे की संख्या 15
    बालअवस्था के बच्चों की कक्षा मे 30 बच्चों के तक
    किशोर बच्चों की कक्षा मे 40 बच्चे
    किशोर के ऊपर 50 बच्चे
  5. शिक्षण विधि के चरण में —
    वर्तमान में शिक्षा विधि को अलग माना जाता है जो कक्षा विशेष के छात्रों के अनुकूल है। जिसमें अधिकतर छात्रों की रुचि हो । शिशु स्तर पर – मांटेसरी, किंडरगार्डन ।
    बाल/ किशोरों के लिए — योजना विधि अनुदेशन विधि
  6. शिक्षण साधन के चयन में — प्रोजेक्टर ,कंप्यूटर ,टीवी
    जिसमें बच्चा रुचि ले उसे उसी तरह सिखाना चाहिए
  7. वैयक्तिक सहायता में —
    कई रूपों में सहायता दे सकते हैं जैसे, प्रश्न का वितरण उचित तरह से करके
    सरल प्रश्न निम्न स्तर के बच्चों के लिए होने चाहिए ।
    सामान्य प्रश्न सामान्य स्तर के बच्चों लिए
    कठिन प्रश्न उच्च स्तर के लिए और
    कमजोर को अलग से समय दिया जाना चाहिए।

8.गृह कार्य की मात्रा —
यदि शिशु है तो उनको कोई गृह कार्य ना दिया जाए या कम मात्रा में दिया जाए ।
बार /किशोर बच्चों को शिशुओ से थोड़ा सा अधिक गृहकार्य दिया जाए ।
उससे ऊपर के बच्चों को स्वाध्याय दिया जाए |

  1. शैक्षिक व्यवसायिक निर्देशन में—-
    छात्रों को शारीरिक मानसिक क्षमता और रुचि के आधार पर अध्ययन का विषय और क्षेत्र चुनने में सहायता करना चाहिए |
    और उसी के अनुसार प्रशिक्षण कौशल दिया जाना चाहिए |

𝙉𝙤𝙩𝙚𝙨 𝙗𝙮 𝙍𝙖𝙨𝙝𝙢𝙞 𝙎𝙖𝙫𝙡𝙚

शिक्षा के क्षेत्र में व्यक्तिक विभिन्नता का महत्व और उपयोगिता ➖
मनोवैज्ञानिकों ने व्यक्तिक भिन्नता के अध्ययन से शिक्षा को पूर्ण रूप से बाल केंद्रित बनाने की कोशिश की है |
वर्तमान में व्यक्तिगत विभिन्नता का महत्व बढ़ गया है इससे शिक्षा के क्षेत्र में इसकी उपयोगिता भी बढ़ गई है |
शिक्षा के क्षेत्र में वैयक्तिक विभिन्नता का महत्व निम्न प्रकार समझा जा सकता है |

🔅शिक्षा के उद्देश्य निर्धारण में ➖ वर्तमान में किसी भी स्तर की शिक्षा के उद्देश्य उच्च स्तर के शिक्षार्थियों की दृष्टि से निर्धारित किए जाते हैं के आधार पर निश्चित किए जाते हैं |

🔅शिक्षा की पाठ्यचर्या के निर्माण में ➖ 70 % पाठयचार्य — औरत बच्चे को ध्यान में रखकर
15% पाठ्यचर्या — औरसत से नीचे बच्चों को ध्यान में रखकर
15% पाठ्यचर्या –औसत बच्चों को ध्यान में रखकर

🔅छात्रों के वर्गीकरण में ➖
निम्न
औसत
उच्च
आदर्श स्थिति यह होगी कि तीनों पर यह कि छात्रों की शिक्षा व्यवस्था अलग-अलग की जाए लेकिन अगर ऐसा संभव नहीं है तो व्यक्तिगत रूप से ध्यान दीजिए |

🔅कक्षा के आकार निर्धारण में ➖
निम्न औसत उच्च एक साथ पढ़ा रहे हैं तो उसका आकार छोटा होना चाहिए | व्यक्तिगत विभिन्नता के आधार पर व्यक्तिगत रूप से मदद कर सकते हैं |
एक कक्षा में —
शिशु स्तर पर — 25 बच्चे कक्षा में
बाल स्तर पर –30 बच्चे एक कक्षा में किशोर स्तर पर –40 बच्चे कक्षा में
किशोर से ऊपर — 50 बच्चे एक कक्षा में
इससे अधिक नहीं होनी चाहिए |

🔅शिक्षण विधि के चयन में ➖
वर्तमान में उच्च शिक्षण विधि को अच्छा माना जाता है जो कक्षा विशेष के छात्रों के अनुरूप हो जिसमें अधिकतर छात्रों को रूचि हो |
शिशु स्तर पर — माण्टेसरी , किण्डरगार्डन
बाल/ किशोर — योजना विधि , अभिक्रमित अनुदेशन |

🔅शिक्षा साधन के चयन में ➖ प्रोजेक्ट कंप्यूटर टीवी जो जिसमें रूचि लेगा उसी तरह सीखना चाहिए |

🔅वैयक्तिक सहायता में ➖
कई रूप में सहायता दे सकते हैं |
प्रश्न का विवरण कुछ इस तरह से करें – सरल प्रश्न –निम्न स्तर के बच्चो से सामान्य प्रश्न — सामान्य स्तर के बच्चे से कठिन प्रश्न — उच्च स्तर के बच्चे से कमजोर को अलग से समय दे |

🔅गृह कार्य की मात्रा ➖
शिशु — नहीं / कम मात्रा
बाल/किशोर — उससे अधिक
उसके ऊपर के बच्चे — स्वाध्याय

🔅शैक्षिक व्यवसायिक निर्देशन में ➖
छात्रों को शारीरिक मानसिक क्षमता सूची के आधार पर अध्ययन का विषय और क्षेत्र सुनने में सहायता करना चाहिए प्रशिक्षण कौशल देना चाहिए |
📚 ✍🏻✍🏻 Notes by ➖Ranjana Sen

Psychologist and statement of child development and pedagogy Part-2

Date – 03/06/2021

Time- 7.45 am

🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸

बुद्धि इकाई का सिद्धांत➖ स्टर्न एवं जॉनसन

लिपज़िग जर्मनी की पहली प्रयोगशाला किसने और कब ➖ विलियम वुण्ट /=1879

विकासात्मक मनोविज्ञान के प्रतिपादक➖ जीन पियाजे

 संज्ञानात्मक विकास के ➖ जीन पियाजे

मूल प्रवत्ति सिद्धांत के जन्मदाता➖ विलियम मेक डुगल

हार्मिक सिद्धांत➖ विलियम मैकडुग्गल

मनोविज्ञान – मन मस्तिष्क का विज्ञान- पोम्पोलॉजी

क्रिया प्रसूत अनुबंधन -बी. एफ. स्किनर

 सक्रिय अनुबंधन -बी. एफ. स्किनर

अनुकूलित अनुक्रिया का सिद्धांत➖ पावलव

समीप्य सम्बंधवाद का ➖ गुथरी

Sign/  चिन्ह का सिद्धांत➖ टॉलमेन

संभावना सिद्धांत के प्रतिपादक➖ टॉलमेन

अग्रिम संगठन प्रतिमान के प्रतिपादक➖ डेविड आशुवेल

मनोविज्ञान के व्यव्हारवादी संप्रदाय के जनक➖ जे. बी. वॉटसन

अधिगम या व्यवहार सिद्धांत के प्रतिपादक➖ सी. एल. हल

सामाजिक अधिगम सिद्धांत के प्रतिपादक➖ अल्बर्ट बंडूरा

पुनरावृत्ति का सिद्धांत➖ स्टेनले हाल

अधिगम सोपान के प्रतिपादक➖ गैने

मनोसामाजिक विकास का सिद्धांत➖ एरिक्सन

प्रोजेक्ट प्रणाली से करके सीखना ➖ जॉन डीवी

शास्त्रीय अनुबंधन का सिद्धांत ➖ पावलव

संबंध प्रत्यावर्तन का सिद्धांत➖ आई. पी. पावलव

प्रबलन / पुनर्बलन का सिद्धांत➖ सी. एल. हल

व्यवस्थित व्यवहार का सिद्धांत➖ सी. एल. हल

सबलीकरन का सिद्धांत➖ सी. एल. हल

संपोषक का सिद्धांत➖ सी. एल. हल

चालक / अंतर्नोद का सिद्धांत➖सी. एल. हल

अधिगम का सूक्ष्म सिद्धांत➖ कोहलर

सूझ/  अंतर्दृष्टि का सिद्धांत➖ कोहलर, वर्दीमर, कोफ्का

क्षेत्रीय सिद्धांत➖ कुर्ट लेविन

तलरूप सिद्धांत➖ कुर्ट लेविन

समूह गतिशीलता संप्रत्यय के प्रतिपादक➖ कुर्ट लेविन

आधुनिक मनोविज्ञान के प्रथम मनोवैज्ञानिक ➖ डेकार्टे

Thanks

Notes ✍✍ by निधि तिवारी🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿

Date – 03/06/21

Time-07.45

🌸🌼🌸🌼🌸🌼🌸🌼

 🔸बुद्धि इकाई का सिद्धांत -स्टर्न एवं जाॅनसन

🔸 लिपजिग में जर्मनी की पहली प्रयोगशाला किसने और कब स्थापित की-विलियम वुण्ट 1879

🔸 विकासात्मक मनोविज्ञान के प्रतिपादक-जीन पियाजे

🔸 संज्ञानात्मक सिद्धांत के जनक-जीन पियाजे

🔸 मूल प्रवृत्ति सिद्धांत के जन्मदाता-विलियम मेग्डूगल

🔸हार्मिक सिद्धांत-मेग्डूगल

🔸 मनोवैज्ञानिक मन मस्तिष्क का विज्ञान- पाम्पोलोजी

🔸 क्रिया प्रसूत अनुबंधन का सिद्धांत-स्किनर

🔸 सक्रिय अनुबंधन का सिद्धांत-स्किनर

🔸 अनुकूलित अनुक्रिया का सिद्धांत-पावलव

🔸सामीज्य संबंध वाद का सिद्धांत- गुजरी

🔸 साइमन चिन्ह का सिद्धांत-एडवर्ड टोलमैन

🔸 संभावना सिद्धांत के प्रतिपादक-एडवर्ड टोलमैन

🔸 अग्रिम संगठन प्रतिमान के प्रतिपादक-डेविड आसु बैल

🔸 मनोविज्ञान के व्यवहारवादी संप्रत्यय के जनक-वाटसन

🔸 अधिगम या व्यवहार सिद्धांत के प्रतिपादक-C.L.हल

🔸 सामाजिक अधिगम सिद्धांत के प्रतिपादक-अल्बर्ट बंडूरा

🔸 पुनरावृति का सिद्धांत-स्टेनले हाॅल

🔸 मनोसामाजिक विकास का सिद्धांत-एरिक्सन

🔸 प्रोजेक्ट प्रणाली से करके सीखना-जॉन ड्यूवी

🔸 शास्त्रीय अनुबंधन का सिद्धांत-पावलव

🔸 संबंध प्रत्यावर्तन का सिद्धांत-पावलव

🔸 व्यवस्थित विज्ञान का सिद्धांत-C.L.हल

🔸 संपोषक का सिद्धांत-C.L.हल

🔸 चालक / अन्तर्नोद /प्रणोद का सिद्धांत-C.L.हल

🔸अधिगम का सूक्ष्म सिद्धांत-कोहलर

🔸 सूझ/अंतर्दृष्टि का सिद्धांत-कोहलर ,कोफ्ता, वर्दी मर

🔸 क्षेत्रीय सिद्धांत-कर्ट लेविन 

🔸तलरूप सिद्धांत-कर्ट लेविन

🔸 समूह गतिशीलता संप्रत्य प्रतिपादक-कर्ट लेविन

🔸 आधुनिक मनोविज्ञान के प्रथम मनोवैज्ञानिक- डेकार्टे

✍🏻📚📚 Notes by…… Sakshi Sharma📚📚✍🏻

• बुद्धि इकाई का सिद्धांत :-

          स्टर्न व जॉनसन

• लिंपजिंग में जर्मनी की पहली प्रयोगशाला किसने और कब स्थापित की:-

           विलियम वुणट=1879

• विकासात्मक मनोविज्ञान के जनक:-

      जीन पियाजे 

• संज्ञानात्मक विकास के जनक :-

        जीन पियाजे 

• मूल प्रवृत्ति सिद्धांत के जनक :-

       विलियम मैकडूगल 

• हार्मिक सिद्धांत :-

         पोंपोनोजी 

• क्रिया प्रसूत अनुबंधन का सिद्धांत :-

        बीएफ स्किनर 

• सक्रिय अनुबंधन सिद्धांत :-

        बीएफ स्किनर 

• अनुकूलित अनुक्रिया का सिद्धांत :-

        पावलव 

• सामीप्य संबंध वाद का सिद्धांत :-

          गुथरी 

• साइंन चिन्ह का सिद्धांत :-

       टोलमैन 

• संभावना सिद्धांत के प्रतिपादक :-

      टॉल मैन 

• अग्रिम संगठन प्रतिमान के सिद्धांत :-

      सीएल हल 

• मनोविज्ञान के व्यवहारवादी संप्रदाय के जनक :-

      वाटसन 

• अधिगम या व्यवहार सिद्धांत के प्रतिपादक:-

       सी एल हल 

• सामाजिक अधिगम सिद्धांत के प्रतिपादक :-

        अल्बर्ट बंडूरा 

• पुनरावृति का सिद्धांत:-

       स्टैनले हॉल 

• अधिगम सोपानकी के प्रतिपादक:-

        गेने 

• मनोसामाजिक विकास का सिद्धांत :-

      एरिकसन 

• प्रोजेक्ट प्रणाली से करके सीखना का सिद्धांत :-

       जॉन डीयूबी 

• शासीय अनुबंध का सिद्धांत :-

      पावलव 

• संबंध प्रत्यावर्तन का सिद्धांत:-

       आईपी पावलव 

• प्रबलन/ पुनर्बलन का सिद्धांत :-

      सीएल हल 

• व्यवस्थित व्यवहार का सिद्धांत :-

          सीएल हल

•  सबलीकरण का सिद्धांत :-

         सीएल हल 

•  संपोषक का सिद्धांत :-

          सीएल हल 

• चालक या अंतर्नोद / प्रणोद का सिद्धांत :-

       सीएल हल 

• अधिगम का सूक्ष्म सिद्धांत :-

         कोहलर 

• सूक्ष्म/अंतर्दृष्टि का सिद्धांत :-

        कोहलर/ वर्दीमर/कोफ्का 

• क्षेत्रीय सिद्धांत :-

         लेविन 

• तलरूप सिद्धांत :-

            लेविन 

• समूह गतिशीलता संप्रत्यय के प्रतिपादक :-

          लेविन 

• आधुनिक मनोविज्ञान के प्रथम मनोवैज्ञानिक:-

           डैकार्ट 

                Notes by:- Mahima🦚🦚

बुद्धि का इकाई सिद्धांत -स्टर्न एवं जॉनसन

मनोविज्ञान की पहली प्रयोगशाला जर्मनी के लिपजिंग शहर में कार्ल मार्क्स विश्वविद्यालय में 1879 में स्थापित हुई-विलियम वु़ंट

प्रायोगिक मनोविज्ञान के जनक- विलियम वुंट

जीन पियाजे-

विकासात्मक मनोविज्ञान के जनक

संज्ञानात्मक विकास के सिद्धांत

विलियम मैक्डूगल

मूल प्रवृत्ति सिद्धांत के जन्मदाता

हार्मिक सिद्धांत

मनोविज्ञान को मन या मस्तिस्क का विज्ञान-पोम्पोनोजी या पोम्पोलोजी

बीएफ स्किनर –

क्रिया प्रसूत अनुबंधन का सिद्धांत

सक्रिय अनुबंधन का सिद्धांत

इवान पेट्रोविच पावलव-

अनुकूलित अनुक्रिया का सिद्धांत

शास्त्रीय अनुबंधन का सिद्धांत

संबंध प्रत्यावर्तन का सिद्धांत

एडविन गुथरी-

सामीप्य संबंध वाद का सिद्धांत

टोलमैन-

साइंन या चिह्न का सिद्धांत

संभावना सिद्धांत के प्रतिपादक

अग्रिम संगठन प्रतिमान के प्रतिपादक- डेविड जे आशु बेल

जे बी वाटसन-

मनोविज्ञान के व्यवहारवादी संप्रदाय के जनक

अल्बर्ट बंडूरा फ्रॉम कनाडा

सामाजिक अधिगम सिद्धांत के प्रतिपादक

स्टैनले हॉल-

पुनरावृति का सिद्धांत

एरिक एरिकसन-

मनोसामाजिक विकास का सिद्धांत

रॉबर्ट गैने-

अधिगम सोपान की के सिद्धांत के प्रतिपादक

जॉन डीवी-

प्रोजेक्ट प्रणाली से करके सीखना

प्रगतिशील शिक्षा के प्रतिपादक

क्लार्क एल हल-

अधिगम या व्यवहार सिद्धांत के प्रतिपादक

प्रबलन का सिद्धांत

पुनर्बलन का सिद्धांत

व्यवस्थित व्यवहार का सिद्धांत

सबलीकरण का सिद्धांत

संपोषक का सिद्धांत

चालक न्यूनता का सिद्धांत

अंतर्नोद न्यूनता का सिद्धांत

प्रणोद न्यूनता का सिद्धांत

सतत अधिगम का सिद्धांत

यथार्थ अधिगम का सिद्धांत

क्रमबद्ध अधिगम का सिद्धांत

कोहलर-अधिगम का सूक्ष्म सिद्धांत

सूझ या अंतर्दृष्टि का सिद्धांत -कोहलर वर्दी मर और कोफ्का

कर्ट लेविन-

क्षेत्रीय सिद्धांत

तल रूप का सिद्धांत

समूह गतिशीलता संप्रदाय के प्रतिपादक

आधुनिक मनोविज्ञान के प्रथम मनोवैज्ञानिक- डेकार्टे या डेकार्ते

notes by Ravi kushwah

बुद्धि इकाई का सिद्धांत ➖ स्टर्न एवं जॉनसन 

लिपजिंग में जर्मनी की पहली प्रयोगशाला किसने और कब स्थापित की ➖ विलियम वुण्ट (1879)

 विकासात्मक मनोविज्ञान के प्रतिपादक ➖   जीन पियाजे 

संज्ञानात्मक विकास के सिद्धांत ➖ 

जीन पियाजे 

मूल प्रवृत्ति सिद्धांत के जन्मदाता ➖ 

विलियम मेक्डूगल 

ह्रार्मिक सिद्धांत ➖ मेक्डूगल

मनोविज्ञान – मन मस्तिष्क का विज्ञान ➖  पोम्मोलॉजी

क्रिया प्रसूत अनुबंधन ➖ बी . एफ . स्किनर 

सक्रिय अनुबंध ➖ बी. एफ. स्किनर

अनुकूलित अनुक्रिया का सिद्धांत ➖ पावलव 

—-     संबंध वाद का सिद्धांत ➖ गुथरी

साइन/ चिन्ह का सिद्धांत ➖ टोलमैन

संभावना सिद्धांत के प्रतिपादक ➖ टोलमैन 

अग्रिम संगठन प्रतिमान के प्रतिपादक ➖ डेविड आसुबेल

 मनोविज्ञान के व्यवहारवादी संप्रदाय के जनक ➖ वाटसन

अधिगम या व्यवहार सिद्धांत के प्रतिपादक ➖ सी. एल. हल

सामाजिक अधिगम सिद्धांत के प्रतिपादक ➖  अल्बर्ट बंडूरा 

पुनरावृति का सिद्धांत ➖ स्टेनले हाॅल

अधिगम सोपानकी के प्रतिपादक ➖ गेने 

मनोसामाजिक विकास का सिद्धांत ➖ एरिक्शन 

प्रोजेक्ट प्रणाली से करके सूचना ➖ जॉन ड्यूवी 

शास्त्रीय अनुबंधन का सिद्धांत ➖ पावलव 

संबंध प्रत्यावर्तन का सिद्धांत ➖ आई.पी. पावलव

प्रबलन/ पुनर्बलन का सिद्धांत ➖ 

सी. एल. हाल  

व्यवस्थित व्यवहार का सिद्धांत ➖ 

सी.एल. हल

 सबलीकरण का सिद्धांत ➖ 

सी.एल.हल 

संपोषक का सिद्धांत ➖ सी.एल.हाल 

चालक /अंतर्नोद /प्रणोद का सिद्धांत ➖ सी. एल . हल

अधिगम का सूक्ष्म सिद्धांत ➖ कोहलर

 सूक्ष्म /अंतर्दृष्टि का सिद्धांत ➖ कोहलर वर्दीमर , कोफ्का 

क्षेत्रीय सिद्धांत ➖ कुर्ट लेविन

तलरूप सिद्धांत ➖ कुर्ट लेविन 

समूह गतिशीलता सम्प्रत्यय के प्रतिपादक ➖ कुर्ट लेविन

आधुनिक मनोविज्ञान के प्रथम मनोवैज्ञानिक ➖ डेकार्ट

Notes by ➖Ranjana sen

बुद्धि इकाई का सिद्धांत – स्टर्न एवं जॉनसन

लिपज़िग जर्मनी की पहली प्रयोगशाला किसने और कब – विलियम वुण्ट /=1879

विकासात्मक मनोविज्ञान के प्रतिपादक – जीन पियाजे

 संज्ञानात्मक विकास के – जीन पियाजे

मूल प्रवत्ति सिद्धांत के जन्मदाता – विलियम मेक डुगल

हार्मिक सिद्धांत – विलियम मैकडुग्गल

मनोविज्ञान – मन मस्तिष्क का विज्ञान – पोम्पोलॉजी

क्रिया प्रसूत अनुबंधन – बी. एफ. स्किनर

 सक्रिय अनुबंधन – बी. एफ. स्किनर

अनुकूलित अनुक्रिया का सिद्धांत – पावलव

समीप्य सम्बंधवाद का – गुथरी

Sign/  चिन्ह का सिद्धांत – टॉलमेन

संभावना सिद्धांत के प्रतिपादक – टॉलमेन

अग्रिम संगठन प्रतिमान के प्रतिपादक – डेविड आशुवेल

मनोविज्ञान के व्यव्हारवादी संप्रदाय के जनक – जे. बी. वॉटसन

अधिगम या व्यवहार सिद्धांत के प्रतिपादक – सी. एल. हल

सामाजिक अधिगम सिद्धांत के प्रतिपादक – अल्बर्ट बंडूरा

पुनरावृत्ति का सिद्धांत – स्टेनले हाल

अधिगम सोपान के प्रतिपादक – गैने

मनोसामाजिक विकास का सिद्धांत – एरिक्सन

प्रोजेक्ट प्रणाली से करके सीखना – जॉन डीवी

शास्त्रीय अनुबंधन का सिद्धांत – पावलव

संबंध प्रत्यावर्तन का सिद्धांत – आई. पी. पावलव

प्रबलन / पुनर्बलन का सिद्धांत – सी. एल. हल

व्यवस्थित व्यवहार का सिद्धांत – सी. एल. हल

सबलीकरन का सिद्धांत – सी. एल. हल

संपोषक का सिद्धांत – सी. एल. हल

चालक / अंतर्नोद का सिद्धांत – सी. एल. हल

अधिगम का सूक्ष्म सिद्धांत – कोहलर

सूझ/  अंतर्दृष्टि का सिद्धांत – कोहलर, वर्दीमर, कोफ्का

क्षेत्रीय सिद्धांत – कुर्ट लेविन

तलरूप सिद्धांत – कुर्ट लेविन

समूह गतिशीलता संप्रत्यय के प्रतिपादक – कुर्ट लेविन

Notes by  :- Neha Kumari

🌸🙏🌸🙏🌸🙏🌸

आधुनिक मनोविज्ञान के प्रथम मनोवैज्ञानिक – डेकार्टे