Importance of individual difference child development and pedagogy

Date➖07/06/2021
Time➖8. 00 am

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शिक्षा के क्षेत्र में व्यक्तिगत विभिन्नता का महत्व एवं उपयोगिता➖
✍मनोवैज्ञानिक ने व्यक्तिगत भिन्नता के अध्ययन शिक्षा को पूर्ण रूप से बाल केंद्रित बनाने की कोशिश की है |
✍वर्तमान में व्यक्ति विभिन्नता का महत्व बढ़ गया है इससे शिक्षा के क्षेत्र में इसकी उपयोगिता भी बढ़ गई है |

✍ शिक्षा के क्षेत्र में वैयक्तिक विभिन्नता का महत्व निम्न प्रकार से समझाया जा सकता है➖

  1. शिक्षा का उद्देश्य निर्धारण में➖
    ✍वर्तमान में किसी भी स्तर की शिक्षा के उद्देश्य उस स्तर के औसत शिक्षार्थियों की दृष्टि से निर्धारित किए जाते हैं।
    यह सारे तथ्य यथार्थ के आधार पर निश्चित किए जाते हैं।
  2. शिक्षा की पाठ्यचर्या के निर्माण में ➖
    ✍70% पाठ्यचर्या औसत बच्चों को ध्यान में रखकर बनाया जाता है
    15% औसत बच्चो से नीचे बनाया जाता है
    15% औसत से उच्च को ध्यान में रखकर बनाया जाता है
  3. छात्रों के वर्गीकरण में➖
    ✍निम्न ,औसत और उच्च
    आदर्श स्थिति यह होगी तीनों वर्ग के छात्रों की शिक्षा व्यवस्था अलग- अलग की जाए लेकिन अगर ऐसा संभव नहीं है तो व्यक्तिगत रूप से ध्यान दीजिए।
  4. कक्षा के आकार निर्धारण करने में➖
    ✍निम्न ,औसत, उच्च ➖एक साथ पढ़ रहे हैं तो कक्षा का आकार छोटा होना चाहिए।
    व्यक्तिगत विभिन्नन्ताओ के आधार पर व्यक्तिगत रूप से मदद कर सकते हैं ।
    एक कक्षा में शिशु स्तर पर एक कक्षा में बच्चे की संख्या 15
    बालअवस्था के बच्चों की कक्षा मे 30 बच्चों के तक
    किशोर बच्चों की कक्षा मे 40 बच्चे
    और किशोर के ऊपर 50 बच्चे
  5. शिक्षण विधि के चरण में ➖
    ✍वर्तमान में शिक्षा विधि को अलग माना जाता है जो कक्षा विशेष के छात्रों के अनुकूल है। जिसमें अधिकतर छात्रों की रुचि हो ।
    शिशु स्तर पर – मांटेसरी, किंडरगार्डन ।
    बाल किशोरों के लिए योजना विधि अनुदेशन विधि
  6. शिक्षण साधन के चयन में ➖ प्रोजेक्टर ,कंप्यूटर ,टीवी
    जिसमें बच्चे रुचि लेगा, उसी तरह सिखाना चाहिए
  7. वैयक्तिक सहायता में ➖
    ✍कई रूप में सहायता दे सकते हैं प्रश्न का वितरण उचित तरह से करें ।
    सरल प्रश्न निम्न स्तर के बच्चों के लिए होने चाहिए ।
    सामान्य प्रश्न सामान्य स्तर के लिए
    कठिन प्रश्न उच्च स्तर के लिए और कमजोर को अलग से समय दिया जाना चाहिए।

8.गृह कार्य की मात्रा ➖
✍यदि शिशु है तो उनको कोई गृह कार्य ना दिया जाए या कम मात्रा में दिया जाए ।
✍किशोर को बच्चे शिशुओ थोड़ा स अधिक दिया जाए । उससे ऊपर के बच्चों को स्वाध्याय दिया जाए।

  1. शैक्षिक व्यवसायिक निर्देशन में➖
    ✍ छात्रों को शारीरिक मानसिक क्षमता रुचि के आधार पर अध्ययन का विषय और क्षेत्र चुनने में सहायता करना चाहिए
    ✍ प्रशिक्षण कौशल देना चाहिए ।

नोट्स बाय निधि तिवारी🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿

शिक्षा के क्षेत्र में व्यक्तिगत विभिन्नता का महत्व एवं उपयोगिता—-
मनोवैज्ञानिक ने व्यक्तिगत भिन्नता के अध्ययन शिक्षा को पूर्ण रूप से बाल केंद्रित बनाने की कोशिश की है |
वर्तमान में व्यक्ति विभिन्नता का महत्व बढ़ गया है इससे शिक्षा के क्षेत्र में इसकी उपयोगिता भी बढ़ गई है |
शिक्षा के क्षेत्र में वैयक्तिक विभिन्नता का महत्व निम्न प्रकार से समझाया जा सकता है—

  1. शिक्षा का उद्देश्य निर्धारण में–
    वर्तमान में किसी भी स्तर की शिक्षा के उद्देश्य उस स्तर के औसत शिक्षार्थियों की दृष्टि से निर्धारित किए जाते हैं।
    यह सारे तथ्य यथार्थ के आधार पर निश्चित किए जाते हैं।
  2. शिक्षा की पाठ्यचर्या के निर्माण में —
    70% पाठ्यचर्या औसत बच्चों को ध्यान में रखकर बनाया जाता है
    15% औसत बच्चो से नीचे बनाया जाता है
    15% औसत से उच्च को ध्यान में रखकर बनाया जाता है
  3. छात्रों के वर्गीकरण में
    निम्न ,औसत और उच्च —
    आदर्श स्थिति यह होगी तीनों वर्ग के छात्रों की शिक्षा व्यवस्था अलग- अलग की जाए लेकिन अगर ऐसा संभव नहीं है तो व्यक्तिगत रूप से ध्यान दीजिए।
  4. कक्षा के आकार निर्धारण करने में—-
    निम्न ,औसत, उच्च —
    एक साथ पढ़ रहे हैं तो कक्षा का आकार छोटा होना चाहिए।
    व्यक्तिगत विभिन्नन्ताओ के आधार पर व्यक्तिगत रूप से मदद कर सकते हैं ।
    एक कक्षा में शिशु स्तर पर एक कक्षा में बच्चे की संख्या 15
    बालअवस्था के बच्चों की कक्षा मे 30 बच्चों के तक
    किशोर बच्चों की कक्षा मे 40 बच्चे
    किशोर के ऊपर 50 बच्चे
  5. शिक्षण विधि के चरण में —
    वर्तमान में शिक्षा विधि को अलग माना जाता है जो कक्षा विशेष के छात्रों के अनुकूल है। जिसमें अधिकतर छात्रों की रुचि हो । शिशु स्तर पर – मांटेसरी, किंडरगार्डन ।
    बाल/ किशोरों के लिए — योजना विधि अनुदेशन विधि
  6. शिक्षण साधन के चयन में — प्रोजेक्टर ,कंप्यूटर ,टीवी
    जिसमें बच्चा रुचि ले उसे उसी तरह सिखाना चाहिए
  7. वैयक्तिक सहायता में —
    कई रूपों में सहायता दे सकते हैं जैसे, प्रश्न का वितरण उचित तरह से करके
    सरल प्रश्न निम्न स्तर के बच्चों के लिए होने चाहिए ।
    सामान्य प्रश्न सामान्य स्तर के बच्चों लिए
    कठिन प्रश्न उच्च स्तर के लिए और
    कमजोर को अलग से समय दिया जाना चाहिए।

8.गृह कार्य की मात्रा —
यदि शिशु है तो उनको कोई गृह कार्य ना दिया जाए या कम मात्रा में दिया जाए ।
बार /किशोर बच्चों को शिशुओ से थोड़ा सा अधिक गृहकार्य दिया जाए ।
उससे ऊपर के बच्चों को स्वाध्याय दिया जाए |

  1. शैक्षिक व्यवसायिक निर्देशन में—-
    छात्रों को शारीरिक मानसिक क्षमता और रुचि के आधार पर अध्ययन का विषय और क्षेत्र चुनने में सहायता करना चाहिए |
    और उसी के अनुसार प्रशिक्षण कौशल दिया जाना चाहिए |

𝙉𝙤𝙩𝙚𝙨 𝙗𝙮 𝙍𝙖𝙨𝙝𝙢𝙞 𝙎𝙖𝙫𝙡𝙚

शिक्षा के क्षेत्र में व्यक्तिक विभिन्नता का महत्व और उपयोगिता ➖
मनोवैज्ञानिकों ने व्यक्तिक भिन्नता के अध्ययन से शिक्षा को पूर्ण रूप से बाल केंद्रित बनाने की कोशिश की है |
वर्तमान में व्यक्तिगत विभिन्नता का महत्व बढ़ गया है इससे शिक्षा के क्षेत्र में इसकी उपयोगिता भी बढ़ गई है |
शिक्षा के क्षेत्र में वैयक्तिक विभिन्नता का महत्व निम्न प्रकार समझा जा सकता है |

🔅शिक्षा के उद्देश्य निर्धारण में ➖ वर्तमान में किसी भी स्तर की शिक्षा के उद्देश्य उच्च स्तर के शिक्षार्थियों की दृष्टि से निर्धारित किए जाते हैं के आधार पर निश्चित किए जाते हैं |

🔅शिक्षा की पाठ्यचर्या के निर्माण में ➖ 70 % पाठयचार्य — औरत बच्चे को ध्यान में रखकर
15% पाठ्यचर्या — औरसत से नीचे बच्चों को ध्यान में रखकर
15% पाठ्यचर्या –औसत बच्चों को ध्यान में रखकर

🔅छात्रों के वर्गीकरण में ➖
निम्न
औसत
उच्च
आदर्श स्थिति यह होगी कि तीनों पर यह कि छात्रों की शिक्षा व्यवस्था अलग-अलग की जाए लेकिन अगर ऐसा संभव नहीं है तो व्यक्तिगत रूप से ध्यान दीजिए |

🔅कक्षा के आकार निर्धारण में ➖
निम्न औसत उच्च एक साथ पढ़ा रहे हैं तो उसका आकार छोटा होना चाहिए | व्यक्तिगत विभिन्नता के आधार पर व्यक्तिगत रूप से मदद कर सकते हैं |
एक कक्षा में —
शिशु स्तर पर — 25 बच्चे कक्षा में
बाल स्तर पर –30 बच्चे एक कक्षा में किशोर स्तर पर –40 बच्चे कक्षा में
किशोर से ऊपर — 50 बच्चे एक कक्षा में
इससे अधिक नहीं होनी चाहिए |

🔅शिक्षण विधि के चयन में ➖
वर्तमान में उच्च शिक्षण विधि को अच्छा माना जाता है जो कक्षा विशेष के छात्रों के अनुरूप हो जिसमें अधिकतर छात्रों को रूचि हो |
शिशु स्तर पर — माण्टेसरी , किण्डरगार्डन
बाल/ किशोर — योजना विधि , अभिक्रमित अनुदेशन |

🔅शिक्षा साधन के चयन में ➖ प्रोजेक्ट कंप्यूटर टीवी जो जिसमें रूचि लेगा उसी तरह सीखना चाहिए |

🔅वैयक्तिक सहायता में ➖
कई रूप में सहायता दे सकते हैं |
प्रश्न का विवरण कुछ इस तरह से करें – सरल प्रश्न –निम्न स्तर के बच्चो से सामान्य प्रश्न — सामान्य स्तर के बच्चे से कठिन प्रश्न — उच्च स्तर के बच्चे से कमजोर को अलग से समय दे |

🔅गृह कार्य की मात्रा ➖
शिशु — नहीं / कम मात्रा
बाल/किशोर — उससे अधिक
उसके ऊपर के बच्चे — स्वाध्याय

🔅शैक्षिक व्यवसायिक निर्देशन में ➖
छात्रों को शारीरिक मानसिक क्षमता सूची के आधार पर अध्ययन का विषय और क्षेत्र सुनने में सहायता करना चाहिए प्रशिक्षण कौशल देना चाहिए |
📚 ✍🏻✍🏻 Notes by ➖Ranjana Sen

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