Sternberg triarchic theory for CTET and TET by India’s top learners

*स्टर्नबर्ग का त्रितंत्र सिद्धांत (बुद्धि)* *Sternberg triarchic theory* 💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥 ✨बुद्धि कई प्रकार के बेसिक स्किल (मूल तत्वों)से बनी होती है और प्रत्येक skills से व्यक्ति को सूचना प्राप्त होती है । ✨त्रितंत्र सिद्धांत मानव बुद्धि को एक क्षमता के बजाय अलग-अलग घटनाओं में तोड़कर समझाने का प्रयास करता है। *व्यवहारिक बुद्धि (संदर्भ-आत्मक बुद्धि)* *Contextual intelligence* 💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥 ✨बुद्धि के तीन तन्त्र सिद्धांत के अनुसार, व्यावहारिक बुद्धि वह बुद्धि होती है जिसका उपयोग करके आप अपने आसपास की चीजों से अपना काम कर ले। ✨व्यावहारिक बुद्धि एक प्रकार से अपने प्रैक्टिकल ज्ञान पर आधारित है। ✨व्यावहारिक बुद्धि को संदर्भ-आत्मक बुद्धि भी कहा जाता है। ✨जैसा कि नाम से ही पता चलता है यह आपके व्यवहार में साफ तौर पर देखी जा सकती है । ✨व्यावहारिक बुद्धि का ही प्रयोग करके आप अपने आसपास की चीजों से सामंजस्य स्थापित कर सकते हैं। ✨ व्यक्ति इस से सूचनाओं को इस ढंग से लिखने में सफल होता है जिससे उसको अधिकाधिक लाभ हो। *सृजनात्मक/ रचनात्मक/ अनुभव- आत्मक / अनुभवजन्य बुद्धि* 💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥 ✨स्टर्नबर्ग के तीन तंत्र सिद्धांत के अनुसार यह बुद्धि का दूसरा घटक है। ✨रचनात्मक या अनुभव- आत्मक बुद्धि में व्यक्ति अपने पिछले जिंदगी के घटनाक्रम और अनुभव का इस्तेमाल करके कुछ क्रिएटिव या सृजनात्मक करने की कोशिश करता है। ✨रचनात्मक बुद्धि का ही प्रयोग करके व्यक्ति कुछ नया करने की कोशिश करते हैं। ✨रचनात्मक बुद्धि से ही जीवन के नए आयामों और सिद्धांत का निर्माण किया जाता है। ✨इसकी आवश्यकता नए समस्या के समाधान करने में पड़ती है। *विश्लेषणात्मक बुद्धि/ ghtakiy बुद्धि* *(Analytical method)* 💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥 ✨यह बुद्धि का तीनतंत्र सिद्धांत का तीसरा घटक है। ✨ इसका प्रयोग करके व्यक्ति किसी समस्या को छोटे-छोटे भाग में तोड़कर उसको हल करने की कोशिश करता है। ✨व्यक्ति को तार्किक समस्या को सुलझाने में मदद मिलती है । ✨इसका प्रयोग करके व्यक्ति किसी सवाल का तुरंत जवाब दे पाने में सक्षम हो पाता है । ✨एक प्रकार से विश्लेषणात्मक बुद्धि को आप बुद्धि तत्परता(presence of mind) भी कह सकते हैं। ✨किसी वाद विवाद में अपना पक्ष रखने की क्षमता आती है। *नोट्स📝 श्रेया राय 🙏* 🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳 _____________________________ ⭐⭐स्टर्नबर्ग का बुद्धि का त्रि-तंत्र सिद्धांत (Sternberg’s Triarchic Theory of Intelligence)⭐⭐⭐25 Jan 21⭐⭐ _____________________________ ↪️बुद्धि कई प्रकार के मूल कौशलों (Basic Skills) में बटी होती है। और प्रत्येक कौशल (skill) से व्यक्ति को सूचना प्राप्त होती है। ↪️त्रि-तंत्र सिद्धांत मानव बुद्धि को एक ही क्षमता के बजाय अलग-अलग घटकों में तोड़कर समझाने का प्रयास करता है। 🥀🥀 ⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐ 🕯️व्यावहारिक बुद्धि/संदर्भात्मक बुद्धि (Contextual Intelligence) ⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐ ↪️बुद्धि के त्रि-तंत्र सिद्धांत के अनुसार, व्यावहारिक बुद्धि वह बुद्धि होती है जिनका उपयोग करके आप अपने आसपास की चीजों से अपना काम कर सकें। ↪️व्यावहारिक बुद्धि एक तरह से अपने प्रायोगिक ज्ञान (Practical Knowledge) पर आधारित है। ↪️व्यावहारिक बुद्धि को संदर्भात्मक बुद्धि भी कहते हैं। जैसा कि नाम से पता चलता है यह अनेक व्यवहार में साफ तौर पर देखी जा सकती है। ↪️व्यावहारिक बुद्धि का प्रयोग करके आप अपने आसपास की चीजों से सामंजस्य स्थापित कर सकते हैं। ↪️व्यक्ति इससे सूचनाओं को इस ढंग से लिखने में सफल होता है कि जिससे उसको अधिकाधिक लाभ हो। 🥀🥀 ⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐ सृजनात्मक/रचनात्मक/अनुभवात्मक/अनुभवजन्य बुद्धि(Creative Intelligence) ⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐ ↪️स्टर्नबर्ग के त्रि-तंत्र सिद्धांत के अनुसार, यह बुद्धि का दूसरा घटक है। ↪️रचनात्मक या अनुभवजन्य बुद्धि से व्यक्ति अपनी पिछली जिंदगी के घटनाक्रम और अनुभव का इस्तेमाल करके कुछ सृजनात्मक करने की कोशिश करता है। ↪️रचनात्मक बुद्धि का ही प्रयोग करके व्यक्ति कुछ नया करने की कोशिश करता है। ↪️रचनात्मक बुद्धि से ही जीवन के नए आयामों और सिद्धांत का निर्माण किया जाता है। ↪️इसकी आवश्यकता नए समस्या के समाधान में पड़ता है और यहां व्यावहारिक ज्ञान की अधिकता होती है क्योंकि सृजनात्मक होने के लिए व्यावहारिक होना पड़ता है। 🥀🥀 ⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐ विश्लेषणात्मक बुद्धि या घटकीय बुद्धि (Analytical Intelligence) ⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐ ↪️यह बुद्धि के त्रि-तंत्र का तीसरा घटक है। इसका प्रयोग करके व्यक्ति किसी समस्या को छोटे-छोटे भागों में तोड़कर उसको हल करने की कोशिश करता है। ↪️ इससे व्यक्ति को तार्किक समस्या को सुलझाने में मदद मिलती है। इसी बुद्धि का प्रयोग करके व्यक्ति किसी सवाल का तुरंत जवाब दे पाने में सक्षम हो पाता है। ↪️एक प्रकार से विश्लेषणात्मक बुद्धि को आप *बुद्धि तत्परता (Presence of Mind)* भी कह सकते हैं। ↪️किसी वाद विवाद में अपना पक्ष रखने की क्षमता इसी से आती है। 🥀🥀 🙏🙏 📕📓📗🇮🇳🇮🇳🇮🇳📙📙📘 ✍️Notes By Awadhesh Kumar ✍️👁️‍🗨️ 🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳 _____________________________ 🌟 *स्टर्नबर्ग का त्रि – तंत्र बुद्धि सिद्धांत (Sternberg triarchic theory’s)* 🌟 ✨ बुद्धि कई प्रकार के “Basic skills” (मूल तत्वों ) से बनी होती है। और प्रत्येक skill से व्यक्ति को सूचना प्रदान होती है। ✨ त्रि–तंत्र सिद्धांत मानव बुद्धि को एक क्षमता के बजाय अलग-अलग घटकों में तोड़ने का समाधान प्रयास करता है। 🌟 *१.* *व्यावहारिक बुद्धि /संदर्भ आत्मक बुद्धि (contextual intelligence)* 🌟 ✨ बुद्धि के त्रि–तंत्र के अनुसार, व्यवहारिक बुद्धि वह बुद्धि होती है, जिसका उपयोग करके आप अपने आसपास की चीजों से अपना काम कर ले। ✨ व्यावहारिक बुद्धि एक तरह से अपने “प्रैक्टिकल ज्ञान” पर आधारित है। ✨ व्यावहारिक बुद्धि को “संदर्भ आत्मक बुद्धि” भी कहा जाता है। ✨जैसा कि, नाम से ही पता चलता है यह आपके व्यवहार को साफ तौर पर देखी जा सकती है। ✨ व्यावहारिक बुद्धि का प्रयोग करके आप अपने आसपास की चीजों से सामंजस्य स्थापित करते हैं। ✨ व्यक्ति इससे सूचनाओं को इस ढंग से सीखने में सफल होता है, जिससे उसको अधिकाधिक लाभ है। 🌟 *२.* *सृजनात्मक/रचनात्मक/अनुभवात्मक/ अनुभवजन्य बुद्धि ( Creative intelligence)* 🌟 ✨ स्टर्नबर्ग के त्रि–तंत्र सिद्धांत के अनुसार, यह बुद्धि का दूसरा घटक है। ✨ रचनात्मक या अनुभावात्मक बुद्धि में व्यक्ति अपने पिछले जिंदगी के घटनाक्रम और अनुभव का इस्तेमाल करके कुछ सृजनात्मक करने की कोशिश करता है। ✨ रचनात्मक बुद्धि का ही, प्रयोग करके व्यक्ति कुछ नया करने की कोशिश करता है। ✨ रचनात्मक बुद्धि से ही जीवन के नए आयामों और सिद्धांत का निर्माण किया जाता है। ✨ इसकी आवश्यकता नए समस्या के समाधान में पढ़ती है तथा व्यावहारिक ज्ञान की अधिकता होती है। 🌟 *३.* *विश्लेषणात्मक बुद्धि/घटकीय बुद्धि (Analytical method)* 🌟 ✨ बुद्धि के त्रि– तंत्र सिद्धांत का तीसरा घटक है, इसका प्रयोग करके व्यक्ति किसी समस्या को छोटे-छोटे भाग में तोड़कर उसको हल करने की कोशिश करता है। ✨ इससे व्यक्ति को तार्किक समस्या को सुलझाने में मदद मिलती है। ✨ इस बुद्धि का प्रयोग करके व्यक्ति किसी सवाल का तुरंत जवाब दे पाने में सक्षम हो पाता है। ✨ एक प्रकार से विश्लेषणात्मक बुद्धि को आप “बुद्धि तत्परता (Presence of mind)” भी कह सकते हैं। ✨ इससे किसी वाद– विवाद मैं अपना पक्ष रखने की क्षमता आती है। ✍🏻✍🏻✍🏻 *Notes by–Pooja* ✍🏻✍🏻✍🏻 🌀🔥 (Sternberg Triarchic theory of Intelligence)🔥🌀 स्टर्नबर्ग का त्रितंत्र सिद्धांत (बुद्धि) ➖ बुद्धि कई प्रकार के Basic Skills (मूल तत्वों) में बटी होती है और प्रत्येक Skill से व्यक्ति को सूचना प्राप्त होती है त्रितंत्र सिद्धांत मानव बुद्धि को एक ही क्षमता के बजाय अलग-अलग घटकों में तोड़कर समाधान का प्रयास करता है | 1⃣ व्यावहारिक बुद्धि (संदर्भात्मक बुद्धि) [contextual Intelligence] ➖ बुद्धि के त्रितंत्र सिद्धांत के अनुसार, व्यावहारिक बुद्धि वह बुद्धि होती है जिसका उपयोग करके आप अपने आसपास की चीजों से अपना काम कर ले | ◼ व्यावहारिक बुद्धि इस एक तरह से अपने प्रैक्टिकल ज्ञान पर आधारित है | ◼ व्यावहारिक बुद्धि को संदर्भात्मक बुद्धि भी कहते हैं जैसा कि नाम से पता से चलता है यह आपके व्यवहार को साफ तौर पर देखी जा सकती है | ◼ व्यावहारिक बुद्धि का ही प्रयोग करके आप अपने आसपास की चीजों से सामंजस्य स्थापित करते हैं | ◼ व्यक्ति इससे सूचनाओं को इस ढंग से लिखने में सफल होता है जिससे उसको अधिकाधिक लाभ हो | 2⃣ सृजनात्मक (रचनात्मक)/ अनुभवात्मक (अनुभवजन्य) बुद्धि (Creative Intelligence) ➖ स्टर्न बर्ग के त्रितंत्र सिद्धांत के अनुसार यह बुद्धि का दूसरा घटक है रचनात्मक या अनुभावत्मक बुद्धि में व्यक्ति अपनी पिछली जिंदगी के घटनाक्रम और अनुभव का इस्तेमाल करके कुछ सृजनात्मक करने की कोशिश करता है | ◼ रचनात्मक बुद्धि का ही प्रयोग करके व्यक्ति कुछ नया करने की कोशिश करते हैं | ◼ रचनात्मक बुद्धि से ही जीवन के नए आयामों और सिद्धांत का निर्माण किया जाता है | ◼ इसकी आवश्यकता नई समस्या के समाधान में पढ़ती है व्यवहारिक ज्ञान की अधिकता | 3⃣ विश्लेषणात्मक बुद्धि / घटकीय बुद्धि (Analytical method) ◼ त्रितंत्र सिद्धांत का तीसरा घटक है इसका प्रयोग करके व्यक्ति किसी समस्या को छोटे-छोटे भाग में तोड़कर उसको हल करने की कोशिश करता है | ◼ व्यक्ति को तार्किक समस्या को सुलझाने में मदद मिलती है ◼ इसी बुद्धि का प्रयोग करके व्यक्ति किसी सवाल का तुरंत जवाब दे पाने में सक्षम हो पाता है | ◼ एक प्रकार से विश्लेषणात्मक बुद्धि आप “बुद्धि तत्परता” (presence of mind) भी कह सकते हैं | ◼ किसी वाद-विवाद में अपना पक्ष रखने की क्षमता इसी से आती है | Notes by ➖Ranjana sen रॉबर्ट स्टर्नवर्ग के त्रितंत्र सिद्धांत ( बुद्धि ) Robert Sternberg triarchic theory 💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥 बुद्धि कई प्रकार के basic skills (मूल तत्वों) में बँधी होती है और प्रत्येक skills से व्यक्ति को सूचना प्राप्त होती है। त्रितंत्र सिद्धांत मानव बुद्धि को एक ही क्षमता की बजाए अलग-अलग घटनाओं में तोड़कर समझाने का प्रयास करता है। 🌺🌺 स्टर्नवर्ग ने अपने त्रितंत्र सिद्धांत में तीन प्रकार की बुद्धि (उपश्रेणी) बतायी हैं :- 1.🌻 🌻 व्यावहारिक बुद्धि / संदर्भात्मक बुद्धि / स्थैतिक उपश्रेणी बुद्धि के त्रितंत्र सिद्धांत के अनुसार व्यावहारिक बुद्धि वह होती है जिसका उपयोग करके आप अपने आसपास की चीजों से अपना काम करते हैं। व्यावहारिक बुद्धि एक तरह से अपने ( व्यवहारिकता practical ) पर आधारित है। व्यवहारिक बुद्धि को संदर्भात्मक बुद्धि भी कहते हैं । जैसा कि नाम से ही पता चलता है की यह आपके व्यवहार में एक तौर पर देखी जा सकती है। व्यावहारिक बुद्धि का ही प्रयोग करके व्यक्ति अपने आसपास की चीजों / वातावरण से सामंजस्य स्थापित करते हैं। व्यक्ति इससे सूचनाओं को इस ढंग से सीखने में सफल होते हैं जिससे उनको अधिकाधिक लाभ हो। 2.🌻🌻 सृजनात्मक / रचनात्मक / अनुभवजन्य बुद्धि (अनुभवात्मक उपश्रेणी ) स्टर्नवर्ग के त्रितंत्र सिद्धांत के अनुसार यह बुद्धि का दूसरा घटक है। रचनात्मक या अनुभवात्मक बुद्धि में व्यक्ति अपने पिछले (बीते हुए) जीवन के घटनाक्रम और अनुभव का इस्तेमाल करके कुछ सृजनात्मक करने की कोशिश करते हैं। रचनात्मक बुद्धि का ही प्रयोग करके व्यक्ति कुछ नया करने की कोशिश करते हैं रचनात्मक बुद्धि से ही जीवन के नए आयामों और सिद्धांतों का निर्माण किया जाता है। अनुभवात्मक बुद्धि की आवश्यकता नयी समस्या के समाधान में पढ़ती है। इसमें व्यवहारिक ज्ञान की अधिकता होती है। 3. 🌻🌻विश्लेषणात्मक बुद्धि / घटकीय बुद्धि / प्रासंगिक उपश्रेणी यह बुद्धि के त्रितंत्र सिद्धांत का तीसरा घटक है। इसका प्रयोग करके व्यक्ति किसी समस्याओं को छोटे-छोटे भागों में तोड़कर ( विश्लेषण करके) उसको हल करने की कोशिश करते हैं। इस बुद्धि से व्यक्ति को समस्या सुलझाने में मदद मिलती है। इसी बुद्धि का प्रयोग करके व्यक्ति किसी सवाल का तुरंत जवाब दे पाने में सक्षम हो पाते हैं। इस प्रकार से विश्लेषणात्मक बुद्धि को आप बुद्धि तत्परता ( Presence of mind ) भी कह सकते हैं। इसी बुद्धि के आधार पर ही व्यक्तियों में किसी वाद-विवाद में अपना पक्ष रखने की क्षमता आती है। 🌹✒️Notes by – जूही श्रीवास्तव✒️🌹 🔆स्टर्नबर्ग का त्रि तंत्रीय सिद्धांत (Sternberg Triarcharchic Theory)➖ स्टर्नबर्ग के अनुसार बुद्धि कई प्रकार की मूल तत्वो में बटी होती है और इसी मूल तत्व या कुशलता (Basic Skills) से कुछ ना कुछ सूचना प्राप्त होती है। स्टर्नवर्ग ने इस कुशलता को तीन भागों में बांटा अर्थात त्रितंत्र सिद्धांत मानव को एक ही क्षमता के बजाय अलग-अलग घटको में तोड़कर समझाने का प्रयास करता है । हमारे अंदर जो बुद्धि है वह कई चीजें हो या घटकों का संग्रह है जिसके तीन भाग है 🔅1 व्यवहारिक बुद्धि/संदर्भात्मक बुद्धि/ (Contexual intelligence) ➖:: ▪️जो भी हमारे दैनिक जीवन के कार्य या जरूरतें हैं उन जरूरतों को पूरा करने के लिए अपने प्रैक्टिकली ज्ञान या व्यवहारिक ज्ञान से आसपास की चीजों से सामंजस्य स्थापित करते हैं। ▪️व्यावहारिक बुद्धि के द्वारा अलग अलग परिस्थिति में अलग अलग तरीके से हमारा जो प्रैक्टिकली ज्ञान है उस ज्ञान का प्रयोग करके हम अपना काम निकालते और आसपास की चीजों से अपना सामंजस्य स्थापित करके वही व्यवहारिक बुद्धि कहलाती है। ▪️ किसी व्यक्ति के पास किसी कार्य को करने की थियोरीटिकल ज्ञान है तो यह जरूरी नहीं है कि वह अपने काम को बढ़िया या बेहतर रूप से कर पाए। यदि व्यक्ति उस कार्य को बेहतर या प्रभावी या लाभान्वित रूप से करना चाहता या उस कार्य में तभी सफल होगा जब वह उस कार्य को उस ढंग से अर्थात प्रैक्टिकली अर्थात अपने व्यवहार में लाकर करे। ▪️यदि व्यावहारिक बुद्धि नहीं होती तो इलेक्ट्रीशियन का बच्चा बिना किसी थेयोरीटिकल ज्ञान के व्यवहारिक बुद्धि से किसी भी इलेक्ट्रिक काम को नहीं कर पाता। मतलब अपने वह अपने व्यवहार से चीजों को ठीक करता व समझता और उसका अवलोकन कर पाता है। ▪️व्यावहारिक बुद्धि को संदर्भात्मक बुद्धि भी बोलते हैं मतलब आप जिस भी कार्य को करना चाहते हैं वह कार्य तभी प्रभावी और बेहतर रूप से कर पाएंगे जब उस कार्य के संदर्भ में समझ या जानकारी होगी । किसी भी कार्य के संदर्भ में समझ या उस विषय में जानकारी होने पर ही उस कार्य को माहिर रूप से कर सकते हैं। ▪️ हमें किसी भी संदर्भ में जो ज्ञान होता है वह हमारी व्यवहारिक बुद्धि में होता है। ▪️जैसा कि नाम से भी पता चलता है यह व्यवहार से साफ तौर पर देखी जा सकती है और व्यवहारिक बुद्धि का ही प्रयोग करके अपने आसपास की चीजों से संबंधित स्थापित कर पाते हैं। व्यक्ति इस बुद्धि से ही सूचनाओ को इस ढंग से लिखने में सफल होता है जिससे उसमें अधिकाधिक लाभ हो। ▪️व्यक्ति में व्यावहारिक बुद्धि जैसी होती है वह उतना ही प्रभावशाली और प्रतिभाशाली माने जाते हैं क्योंकि उसके काम करने की क्षमता है तीव्र होती है । ▪️जैसे यदि व्यक्ति अपनी व्यवहारिक बुद्धि का प्रयोग समय या परिस्थितियां या जरूरत के हिसाब से नहीं कर पाता है तो उस बुद्धि का कोई मतलब नहीं। 🔅 2 सृजनात्मक बुद्धि /रचनात्मक बुद्धि/ अनुभवात्मक बुद्धि (Creative intelligence)➖:: यह बुद्धि समस्या समाधान कौशल से आती है। जब हम किसी समस्या का समाधान करते हैं तो हमें पता होता है अर्थात हमारे पास अनुभव होते हैं कि हम उस समस्या का कैसे बेहतर रूप से समाधान निकाल सकते हैं। ▪️ जब हम किसी भी चीज या कार्य के अंदर पहले की घटना क्रम को ध्यान में रखकर करते हैं तो इस चीजें कार्य को बेहतर रूप से कर पाते हैं। अर्थात हमें जो परिणाम प्राप्त होते हैं वह परिणाम बहुत ही सोचे हुए और बहुत ही विश्लेषित किए हुए होते हैं। ▪️ स्टर्नबर्ग के त्रि तंत्र सिद्धांत के अनुसार यह बुद्धि का दूसरा घटक है। सृजनात्मक और अनुभवात्मक बुद्धि में व्यक्ति अपनी पिछली जिंदगी के घटनाक्रम और अनुभव का प्रयोग करके कुछ रचनात्मक करने की कोशिश करता है। ▪️रचनात्मक बुद्धि का ही प्रयोग करके व्यक्ति कुछ नया करने की कोशिश करते हैं ▪️ रचनात्मक बुद्धि से ही जीवन के नए आयामों और सिद्धांतों का निर्माण किया जाता है। ▪️ इसकी आवश्यकता नए समस्या के समाधान में पड़ती है व्यवहारिक ज्ञान की अधिकता होती है। 🔅3 विश्लेषणात्मक बुद्धि /घटकीय बुद्धि (Analytical intelligence)➖:: ▪️यह बुद्धि की त्रि तंत्र सिद्धांत का तीसरा घटक है। इसका प्रयोग करके व्यक्ति किसी समस्या को हल करने की कोशिश करता है। ▪️व्यक्ति को तार्किक समस्या को सुलझाने में मदद मिलती है इसी बुद्धि का प्रयोग करके व्यक्ति किसी सवाल का तुरंत जवाब दे पाने में सक्षम हो पाता है। ▪️ इस प्रकार से विश्लेषणात्मक बुद्धि को हम बुद्धि तत्परता (presences of mind) भी कह सकते हैं। ▪️ किसी बात विवाद में अपना पक्ष रखने की क्षमता भी इसी बुद्धि से प्राप्त होती है। ✍🏻 *Notes By-Vaishali Mishra*

नई शिक्षा नीति, 2020

हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लाई गई जिसे सभी के परामर्श से तैयार किया गया है। इसे लाने के साथ ही देश में शिक्षा के पर व्यापक चर्चा आरंभ हो गई है। शिक्षा के संबंध में गांधी जी का तात्पर्य बालक और मनुष्य के शरीर, मन तथा आत्मा के सर्वांगीण एवं सर्वोत्कृष्ट विकास से है। इसी प्रकार स्वामी विवेकानंद का कहना था कि मनुष्य की अंर्तनिहित पूर्णता को अभिव्यक्त करना ही शिक्षा है। इन्हीं सब चर्चाओं के मध्य हम देखेंगे कि 1986 की शिक्षा नीति में ऐसी क्या कमियाँ रह गई थीं जिन्हें दूर करने के लिये नई राष्ट्रीय शिक्षा नति को लाने की आवश्यकता पड़ी। साथ ही क्या यह नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति उन उद्देश्यों को पूरा करने में सक्षम होगी जिसका स्वप्न महात्मा गांधी और स्वामी विवेकानंद ने देखा था?

सबसे पहले ‘शिक्षा’ क्या है इस पर गौर करना आवश्यक है। शिक्षा का शाब्दिक अर्थ होता है सीखने एवं सिखाने की क्रिया परंतु अगर इसके व्यापक अर्थ को देखें तो शिक्षा किसी भी समाज में निरंतर चलने वाली सामाजिक प्रक्रिया है जिसका कोई उद्देश्य होता है और जिससे मनुष्य की आंतरिक शक्तियों का विकास तथा व्यवहार को परिष्कृत किया जाता है। शिक्षा द्वारा ज्ञान एवं कौशल में वृद्धि कर मनुष्य को योग्य नागरिक बनाया जाता है।

गौरतलब है कि नई शिक्षा नीति 2020 की घोषणा के साथ ही मानव संसाधन मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है। इस नीति द्वारा देश में स्कूल एवं उच्च शिक्षा में परिवर्तनकारी सुधारों की अपेक्षा की गई है। इसके उद्देश्यों के तहत वर्ष 2030 तक स्कूली शिक्षा में 100% GER के साथ-साथ पूर्व-विद्यालय से माध्यमिक स्तर तक शिक्षा के सार्वभौमिकरण का लक्ष्य रखा गया है।

महत्त्वपूर्ण तथ्य
अंतिम राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 में बनाई गई थी जिसमें वर्ष 1992 में संशोधन किया गया था।
वर्तमान नीति अंतरिक्ष वैज्ञानिक के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट पर आधारित है।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के तहत वर्ष 2030 तक सकल नामांकन अनुपात (Gross Eurolment Ratio-GER) को 100% लाने का लक्ष्य रखा गया है।
नई शिक्षा नीति के अंतर्गत केंद्र व राज्य सरकार के सहयोग से शिक्षा क्षेत्र पर जीडीपी के 6% हिस्से के सार्वजनिक व्यय का लक्ष्य रखा गया है।
नई शिक्षा नीति की घोषणा के साथ ही मानव संसाधन प्रबंधन मंत्रालय का नाम परिवर्तित कर शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रमुख बिंदु
स्कूली शिक्षा संबंधी प्रावधान
नई शिक्षा नीति में 5 + 3 + 3 + 4 डिज़ाइन वाले शैक्षणिक संरचना का प्रस्ताव किया गया है जो 3 से 18 वर्ष की आयु वाले बच्चों को शामिल करता है।
पाँच वर्ष की फाउंडेशनल स्टेज (Foundational Stage) – 3 साल का प्री-प्राइमरी स्कूल और ग्रेड 1, 2
तीन वर्ष का प्रीपेट्रेरी स्टेज (Prepatratory Stage)
तीन वर्ष का मध्य (या उच्च प्राथमिक) चरण – ग्रेड 6, 7, 8 और
4 वर्ष का उच (या माध्यमिक) चरण – ग्रेड 9, 10, 11, 12
NEP 2020 के तहत HHRO द्वारा ‘बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान पर एक राष्ट्रीय मिशन’ (National Mission on Foundational Literacy and Numeracy) की स्थापना का प्रस्ताव किया गया है। इसके द्वारा वर्ष 2025 तक कक्षा-3 स्तर तक के बच्चों के लिये आधारभूत कौशल सुनिश्चित किया जाएगा।
भाषायी विविधता का संरक्षण
NEP-2020 में कक्षा-5 तक की शिक्षा में मातृभाषा/स्थानीय या क्षेत्रीय भाषा को अध्ययन के माध्यम के रूप में अपनाने पर बल दिया गया है। साथ ही इस नीति में मातृभाषा को कक्षा-8 और आगे की शिक्षा के लिये प्राथमिकता देने का सुझाव दिया गया है।
स्कूली और उच्च शिक्षा में छात्रों के लिये संस्कृत और अन्य प्राचीन भारतीय भाषाओं का विकल्प उपलब्ध होगा परंतु किसी भी छात्र पर भाषा के चुनाव की कोई बाध्यता नहीं होगी।
शारीरिक शिक्षा
विद्यालयों में सभी स्तरों पर छात्रों को बागवानी, नियमित रूप से खेल-कूद, योग, नृत्य, मार्शल आर्ट को स्थानीय उपलब्धता के अनुसार प्रदान करने की कोशिश की जाएगी ताकि बच्चे शारीरिक गतिविधियों एवं व्यायाम वगैरह में भाग ले सकें।
पाठ्यक्रम और मूल्यांकन संबंधी सुधार
इस नीति में प्रस्तावित सुधारों के अनुसार, कला और विज्ञान, व्यावसायिक तथा शैक्षणिक विषयों एवं पाठ्यक्रम व पाठ्येतर गतिविधियों के बीच बहुत अधिक अंतर नहीं होगा।
कक्षा-6 से ही शैक्षिक पाठ्यक्रम में व्यावसायिक शिक्षा को शामिल कर दिया जाएगा और इसमें इंटर्नशिप (Internship) की व्यवस्था भी की जाएगी।
‘राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद’ (National Council of Educational Research and Training- NCERT) द्वारा ‘स्कूली शिक्षा के लिये राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रूपरेखा’ (National Curricular Framework for School Education) तैयार की जाएगी।
छात्रों के समग्र विकास के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए कक्षा-10 और कक्षा-12 की परीक्षाओं में बदलाव किया जाएगा। इसमें भविष्य में समेस्टर या बहुविकल्पीय प्रश्न आदि जैसे सुधारों को शामिल किया जा सकता है।
छात्रों की प्रगति के मूल्यांकन के लिये मानक-निर्धारक निकाय के रूप में ‘परख’ (PARAKH) नामक एक नए ‘राष्ट्रीय आकलन केंद्र’ (National Assessment Centre) की स्थापना की जाएगी।
छात्रों की प्रगति के मूल्यांकन तथा छात्रों को अपने भविष्य से जुड़े निर्णय लेने में सहायता प्रदान करने के लिये ‘कृत्रिम बुद्धिमत्ता’ (Artificial Intelligence- AI) आधारित सॉफ्टवेयर का प्रयोग।
शिक्षण व्यवस्था से संबंधित सुधार
शिक्षकों की नियुक्ति में प्रभावी और पारदर्शी प्रक्रिया का पालन तथा समय-समय पर किये गए कार्य-प्रदर्शन आकलन के आधार पर पदोन्नति।
राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद द्वारा वर्ष 2022 तक ‘शिक्षकों के लिये राष्ट्रीय व्यावसायिक मानक’ (National Professional Standards for Teachers- NPST) का विकास किया जाएगा।
राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद द्वारा NCERT के परामर्श के आधार पर ‘अध्यापक शिक्षा हेतु राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा’ [National Curriculum Framework for Teacher Education-NCFTE) का विकास किया जाएगा।
वर्ष 2030 तक अध्यापन के लिये न्यूनतम डिग्री योग्यता 4-वर्षीय एकीकृत बी.एड. डिग्री का होना अनिवार्य किया जाएगा।
उच्च शिक्षा से संबंधित प्रावधान
NEP-2020 के तहत उच्च शिक्षण संस्थानों में ‘सकल नामांकन अनुपात’ (Gross Enrolment Ratio) को 26.3% (वर्ष 2018) से बढ़ाकर 50% तक करने का लक्ष्य रखा गया है, इसके साथ ही देश के उच्च शिक्षण संस्थानों में 3.5 करोड़ नई सीटों को जोड़ा जाएगा।
NEP-2020 के तहत स्नातक पाठ्यक्रम में मल्टीपल एंट्री एंड एक्ज़िट व्यवस्था को अपनाया गया है, इसके तहत 3 या 4 वर्ष के स्नातक कार्यक्रम में छात्र कई स्तरों पर पाठ्यक्रम को छोड़ सकेंगे और उन्हें उसी के अनुरूप डिग्री या प्रमाण-पत्र प्रदान किया जाएगा (1 वर्ष के बाद प्रमाण-पत्र, 2 वर्षों के बाद एडवांस डिप्लोमा, 3 वर्षों के बाद स्नातक की डिग्री तथा 4 वर्षों के बाद शोध के साथ स्नातक)।
विभिन्न उच्च शिक्षण संस्थानों से प्राप्त अंकों या क्रेडिट को डिजिटल रूप से सुरक्षित रखने के लिये एक ‘एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट’ (Academic Bank of Credit) दिया जाएगा, ताकि अलग-अलग संस्थानों में छात्रों के प्रदर्शन के आधार पर उन्हें डिग्री प्रदान की जा सके।
नई शिक्षा नीति के तहत एम.फिल. (M.Phil) कार्यक्रम को समाप्त कर दिया गया।
भारतीय उच्च शिक्षा आयोग
नई शिक्षा नीति (NEP) में देश भर के उच्च शिक्षा संस्थानों के लिये एक एकल नियामक अर्थात् भारतीय उच्च शिक्षा परिषद (Higher Education Commision of India-HECI) की परिकल्पना की गई है जिसमें विभिन्न भूमिकाओं को पूरा करने हेतु कई कार्यक्षेत्र होंगे। भारतीय उच्च शिक्षा आयोग चिकित्सा एवं कानूनी शिक्षा को छोड़कर पूरे उच्च शिक्षा क्षेत्र के लिये एक एकल निकाय (Single Umbrella Body) के रूप में कार्य करेगा।

HECI के कार्यों के प्रभावी निष्पादन हेतु चार निकाय-

राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा नियामकीय परिषद (National Higher Education Regulatroy Council-NHERC) : यह शिक्षक शिक्षा सहित उच्च शिक्षा क्षेत्र के लिये एक नियामक का कार्य करेगा।
सामान्य शिक्षा परिषद (General Education Council – GEC) : यह उच्च शिक्षा कार्यक्रमों के लिये अपेक्षित सीखने के परिणामों का ढाँचा तैयार करेगा अर्थात् उनके मानक निर्धारण का कार्य करेगा।
राष्ट्रीय प्रत्यायन परिषद (National Accreditation Council – NAC) : यह संस्थानों के प्रत्यायन का कार्य करेगा जो मुख्य रूप से बुनियादी मानदंडों, सार्वजनिक स्व-प्रकटीकरण, सुशासन और परिणामों पर आधारित होगा।
उच्चतर शिक्षा अनुदान परिषद (Higher Education Grants Council – HGFC) : यह निकाय कॉलेजों एवं विश्वविद्यालयों के लिये वित्तपोषण का कार्य करेगा।
नोट: गौरतलब है कि वर्तमान में उच्च शिक्षा निकायों का विनियमन विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी), अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) और राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) जैसे निकायों के माध्यम से किया जाता है।

देश में आईआईटी (IIT) और आईआईएम (IIM) के समकक्ष वैश्विक मानकों के ‘बहुविषयक शिक्षा एवं अनुसंधान विश्वविद्यालय’ (Multidisciplinary Education and Reserach Universities – MERU) की स्थापना की जाएगी।
विकलांग बच्चों हेतु प्रावधान
इस नई नीति में विकलांग बच्चों के लिये क्रास विकलांगता प्रशिक्षण, संसाधन केंद्र, आवास, सहायक उपकरण, उपर्युक्त प्रौद्योगिकी आधारित उपकरण, शिक्षकों का पूर्ण समर्थन एवं प्रारंभिक से लेकर उच्च शिक्षा तक नियमित रूप से स्कूली शिक्षा प्रक्रिया में भागीदारी सुनिश्चित करना आदि प्रक्रियाओं को सक्षम बनाया जाएगा।
डिजिटल शिक्षा से संबंधित प्रावधान
एक स्वायत्त निकाय के रूप में ‘‘राष्ट्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी मंच’’ (National Educational Technol Foruem) का गठन किया जाएगा जिसके द्वारा शिक्षण, मूल्यांकन योजना एवं प्रशासन में अभिवृद्धि हेतु विचारों का आदान-प्रदान किया जा सकेगा।
डिजिटल शिक्षा संसाधनों को विकसित करने के लिये अलग प्रौद्योगिकी इकाई का विकास किया जाएगा जो डिजिटल बुनियादी ढाँचे, सामग्री और क्षमता निर्माण हेतु समन्वयन का कार्य करेगी।
पारंपरिक ज्ञान-संबंधी प्रावधान
भारतीय ज्ञान प्रणालियाँ, जिनमें जनजातीय एवं स्वदेशी ज्ञान शामिल होंगे, को पाठ्यक्रम में सटीक एवं वैज्ञानिक तरीके से शामिल किया जाएगा।

विशेष बिंदु

आकांक्षी जिले (Aspirational districts) जैसे क्षेत्र जहाँ बड़ी संख्या में आर्थिक, सामाजिक या जातिगत बाधाओं का सामना करने वाले छात्र पाए जाते हैं, उन्हें ‘विशेष शैक्षिक क्षेत्र’ (Special Educational Zones) के रूप में नामित किया जाएगा।
देश में क्षमता निर्माण हेतु केंद्र सभी लड़कियों और ट्रांसजेंडर छात्रों को समान गुणवत्ता प्रदान करने की दिशा में एक ‘जेंडर इंक्लूजन फंड’ (Gender Inclusion Fund) की स्थापना करेगा।
गौरतलब है कि 8 वर्ष की आयु के बच्चों के लिये प्रारंभिक बचपन देखभाल और शिक्षा हेतु एक राष्ट्रीय पाठ‍्यचर्या और शैक्षणिक ढाँचे का निर्माण एनसीआरटीई द्वारा किया जाएगा।
वित्तीय सहायता

एससी, एसटी, ओबीसी और अन्य सामाजिक और आर्थिक रूप से वंचित समूहों से संबंधित मेधावी छात्रों को प्रोत्साहन के रूप में वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 1986
इस नीति का उद्देश्य असमानताओं को दूर करने विशेष रूप से भारतीय महिलाओं, अनुसूचित जनजातियों और अनुसूचित जाति समुदायों के लिये शैक्षिक अवसर की बराबरी करने पर विशेष ज़ोर देना था।
इस नीति ने प्राथमिक स्कूलों को बेहतर बनाने के लिये “ऑपरेशन ब्लैकबोर्ड” लॉन्च किया।
इस नीति ने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय के साथ ‘ओपन यूनिवर्सिटी’ प्रणाली का विस्तार किया।
ग्रामीण भारत में जमीनी स्तर पर आर्थिक और सामाजिक विकास को बढ़ावा देने के लिये महात्मा गांधी के दर्शन पर आधारित “ग्रामीण विश्वविद्यालय” मॉडल के निर्माण के लिये नीति का आह्वान किया गया।

पूर्ववर्ती शिक्षा नीति में परिवर्तन की आवश्यकता क्यों?
बदलते वैश्विक परिदृश्य में ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था की आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिये मौजूदा शिक्षा प्रणाली में परिवर्तन की आवश्यकता थी।
शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने, नवाचार और अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिये नई शिक्षा नीति की आवश्यकता थी।
भारतीय शिक्षण व्यवस्था की वैश्विक स्तर पर पहुँच सुनिश्चित करने के लिये शिक्षा के वैश्विक मानकों को अपनाने के लिये शिक्षा नीति में परिवर्तन की आवश्यकता थी।


नई शिक्षा नीति से संबंधित चुनौतियाँ
राज्यों का सहयोगः शिक्षा एक समवर्ती विषय होने के कारण अधिकांश राज्यों के अपने स्कूल बोर्ड हैं इसलिये इस फैसले के वास्तविक कार्यान्वयन हेतु राज्य सरकारों को सामने आना होगा। साथ ही शीर्ष नियंत्रण संगठन के तौर पर एक राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा नियामक परिषद को लाने संबंधी विचार का राज्यों द्वारा विरोध हो सकता है।
महँगी शिक्षाः नई शिक्षा नीति में विदेशी विश्वविद्यालयों में प्रवेश का मार्ग प्रशस्त किया गया है। विभिन्न शिक्षाविदों का मानना है कि विदेशी विश्वविद्यालयों में प्रवेश से भारतीय शिक्षण व्यवस्था के महँगी होने की आशंका है। इसके फलस्वरूप निम्न वर्ग के छात्रों के लिये उच्च शिक्षा प्राप्त करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
शिक्षा का संस्कृतिकरणः दक्षिण भारतीय राज्यों का यह आरोप है कि ‘त्रि-भाषा’ सूत्र से सरकार शिक्षा का संस्कृतिकरण करने का प्रयास कर रही है।
फंडिंग संबंधी जाँच का अपर्याप्त होनाः कुछ राज्यों में अभी भी शुल्क संबंधी विनियमन मौजूद है, लेकिन ये नियामक प्रक्रियाएँ असीमित दान के रूप में मुनाफाखोरी पर अंकुश लगाने में असमर्थ हैं।
वित्तपोषणः वित्तपोषण का सुनिश्चित होना इस बात पर निर्भर करेगा कि शिक्षा पर सार्वजनिक व्यय के रूप में जीडीपी के प्रस्तावित 6%खर्च करने की इच्छाशक्ति कितनी सशक्त है।
मानव संसाधन का अभावः वर्तमान में प्रारंभिक शिक्षा के क्षेत्र में कुशल शिक्षकों का अभाव है, ऐसे में राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के तहत प्रारंभिक शिक्षा हेतु की गई व्यवस्था के क्रियान्वयन में व्यावहारिक समस्याएँ भी हैं।
निष्कर्ष
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 21वीं सदी के भारत की जरूरतों को पूरा करने के लिये भारतीय शिक्षा प्रणाली में बदलाव हेतु जिस नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 को मंज़ूरी दी है अगर उसका क्रियान्वयन सफल तरीके से होता है तो यह नई प्रणाली भारत को विश्व के अग्रणी देशों के समकक्ष ले आएगी। नई शिक्षा नीति, 2020 के तहत 3 साल से 18 साल तक के बच्चों को शिक्षा का अधिकार कानून, 2009 के अंतर्गत रखा गया है। 34 वर्षों पश्चात् आई इस नई शिक्षा नीति का उद्देश्य सभी छात्रों को उच्च शिक्षा प्रदान करना है जिसका लक्ष्य 2025 तक पूर्व-प्राथमिक शिक्षा (3-6 वर्ष की आयु सीमा) को सार्वभौमिक बनाना है। स्नातक शिक्षा में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, थ्री-डी मशीन, डेटा-विश्लेषण, जैवप्रौद्योगिकी आदि क्षेत्रों के समावेशन से अत्याधुनिक क्षेत्रों में भी कुशल पेशेवर तैयार होंगे और युवाओं की रोजगार क्षमता में वृद्धि होगी।

Personality test notes part 2 for CTET and TET by India’s top learners

🔆 *प्रासंगिक अंतः बोध परीक्षण, { Thematic appreception Test } ,( T A T)* 🔆 👉 सन् 1935 में मुरे एवं मार्गन ने इस का प्रतिपादन किया है। इस परीक्षण में 30 चित्रों के कई कार्ड होते हैं तथा एक कार्ड खाली रहता है । 👉 सभी चित्र अर्ध निर्देशित होते हैं । 👉 10 पुरुषों के लिए ,10 महिला के लिए, 10 दोनों के लिए होता है। 👉 परीक्षण के समय किसी एक प्रयोज्य पर 👉 20 कार्ड का प्रशासन किया जाता है 👉 दो सत्रों में इसे प्रकाशित किया जाता है 👉 प्रत्येक सत्र में 10 कार्ड का प्रशासन किया जाता है 👉 प्रत्येक कार्ड को दिखाकर अलग-अलग कहानी लिखी जाती है 👉 प्रत्येक कहानी के लिए 5- 5 मिनट का समय दिया जाता है। 👉 अंतिम खाली कार्ड पर अलग से विषय या प्रयोज्य से कहानी लिखी जाती है। इसके बाद उसका विश्लेषण किया जाता है । कहानी में वर्णित पात्र एवं उनके चरित्र चित्रण से विषय के व्यक्तित्व की झलक मिलती है इस प्रकार निर्मित कहानी की व्याख्या से व्यक्ति अंतर्द्वंद, संवेगात्मक की स्थिति, आवश्यकता ,असामान्य व्यवहार, एवं समस्या के बारे में पता लगाया जा सकता हैं। 🌀 *बालकों का अंतः बोध परीक्षण (Children Apperception Test ) {C A T}* 🌀 ➡️ T A T का परीक्षण वयस्कों पर किया जाता हैं। वही C A T बालकों के लिए उपयुक्त है। लियोपोल्ड बैलक ने 1948 में इसका प्रतिपादन किया। *भारतीय परिस्थिति के लिए इसका संशोधन एवं अनुकूलन कोलकाता में उमा चौधरी ने किया था सन् 1993 में* 👉 यह परीक्षण 3 से 11 वर्ष की आयु वाले बच्चे के व्यक्तित्व मूल्यांकन के लिए उपयुक्त हैं। 👉 इसमें कुल 10 चित्र होते हैं। 👉 प्रत्येक पर जानवर के चित्र अंकित होते हैं । 👉 इस चित्र के माध्यम से बालक के – परिवार संबंधी, सफाई संबंधी , प्रशिक्षण इत्यादि समस्या एवं आदतों की जानकारी होती हैं। बुद्धि का स्तर, चिंतन की विशेषताएं, मानसिक द्वंद, सामाजिक संबंध ,अहम की शक्ति इत्यादि विशेषताओं का पता लगाया जा सकता है। 🍀 रोजेनविग P F परीक्षण 🍀 👉 अमेरिका के मनोवैज्ञानिक थे । ◼️ इस परीक्षण के तीन रूप हैं – 1) 4 से 13 वर्ष के बालक के लिए 2) किशोरावस्था के लिए 3) वयस्कता अवस्था के लिए 👉 *उदयपारिक ने*➖ इस परीक्षण का भारतीय परिस्थिति में अनुकूलन किया। 👉 इस परीक्षण में 24 चित्र होते हैं। 👉 प्रत्येक चित्र में व्यक्ति की कुंठा को दर्शाया जाता है उत्तर देने वाला एक वाक्य में उसकी प्रतिक्रिया देता है । इस तरह प्रत्येक वाक्य का मूल्यांकन विश्लेषक के द्वारा किया जाता है जिसके आधार पर आक्रमकता ,समूह ,अनुरूपता समायोजन ,कुसामायोजन की जानकारी होती है। 🌀 वाक्य पूर्ति परीक्षण (Sentence completion Test ) 🌀 👉 पाइने और टेण्डलर ने सन् 1930 में इस का प्रतिपादन किया । अधूरे वाक्य को शीघ्र पूरा करने के लिए किया जाता है। व्यक्ति के गुणों को अभिव्यक्त करवाया जाता है 👉 यह लिखित रूप से होते हैं इसलिए एक शिक्षित व्यक्ति ही इसका परीक्षण दे सकता है इसमें कुल 20 sentence होते हैं। 👉 इच्छा, भय ,आदि संबंधित व्यवहार का पता चलता है । 🌀 शब्द साहचर्य परीक्षण (Word Association Test )🌀 सर्वप्रथम इसका प्रयोग गाल्टन ने 18 79 में किया था।। 👉 75 शब्दों की सूची बनाई। उन्होंने देखा कि साहचर्य शब्दों के स्मरण से कुछ मानसिक चित्र आदि प्रतिमाएं मस्तिष्क में अंकित हो जाती हैं। 👉 इसके बाद युंग (yung) ने 1910 में संवेगात्मक मनो ग्रंथियों का पता लगाने के लिए शब्द साहचर्य विधि को पूर्ण रूप से विकसित कर दिया । युंग ने प्रतिक्रिया शब्दों को 5 तरीकों से विभाजित किया – 1) अहम केंद्रित 2) वर्गोंपरि 3) विरोधी शब्द 4) अन्यान्य 5) बोलने की आदत ✍️✍️ notes by Pragya shukla

💫🔆व्यक्तित्व मापन की विधियां 🔆💫
2. प्रासंगिक अंतर्बोध परीक्षण ( Thematic Appreception test) [TAT] ➖
मुरे व मार्गन (1935) में प्रतिपादन किया |
◼ इस परीक्षण में 30 चित्रों के कार्ड होते हैं तथा एक कार्ड खाली रहता है सभी चित्र अर्थ निर्देशित निर्देशित चित्र अर्थ निर्देशित होते हैं |
◼ 10 पुरुषों के लिए 10 महिलाओं के लिए 10 दोनों के लिए परीक्षण के समय किसी एक प्रायोज्य पर |
◼ इसके बाद उसका विश्लेषण किया जाता है |
◼ कहानी में वर्णित पात्र एवं उनके चरित्र चित्रण से विषय के व्यक्तित्व की झलक मिलती है |
◼ इस प्रकार निर्मित कहानी की व्यवस्था से व्यक्ति अंतर्द्वंद संवेगात्मक स्थिति आवश्यकता असामान्य व्यवहार एवं समस्या के बारे में पता लगाया जा सकता है |

3. बालकों का अंतर्बोध परीक्षण (Children Appreception test)[CAT]

◼ TATका परीक्षण वयस्कों पर किया जाता है वही CAT बालकों के लिए उपयुक्त है |

लियोपोल्ड बैलक – 1948 में प्रतिपादन किया |
◼ भारतीय के परिस्थिति के लिए इसका संशोधन एवं अनुकूलन कोलकाता में उमा चौधरी ने किया था | 1993 में किया |
◼ यह परीक्षण 3 से 11 वर्ष की आयु वाले बच्चे के व्यक्तित्व मूल्यांकन के लिए उपयुक्त है |
◼ इसमें कुल 10 चित्र होते हैं |
◼ प्रत्येक पर जानवर के चित्र अंकित होते हैं |
◼ इन चित्र के माध्यम से बालक के :-
▪ परिवार संबंधी
▪ सफाई संबंधी
▪प्रशिक्षण इत्यादि |
समस्या एवं आदतों की जानकारी होती है |
◼ बुद्धि का स्तर चिंतन की विशेषताएं मानसिक द्वंद सामाजिक संबंध अहम की शक्ति इत्यादि |
◼ इसमे विशेषताओं का पता लगाया जाता है |
4. रोजेनविग P.F. परीक्षण ➖
🔸अमेरिका वैज्ञानिक थे |
🔸परीक्षण तीन रूप है |
◼ 4 से 13 वर्ष के बालक के लिए
◼किशोरावस्था के लिए
◼ व्यस्कता अवस्था के लिए
🔸उदयपारिक इस परीक्षण का भारतीय परिस्थिति में अनुकूलन किया जाता है |

◼ इस परीक्षण में 24 चित्र होती है प्रत्येक चित्र व्यक्ति की कुंठा को दर्शाया जाता है उत्तर देने वाला एक वाक्य में उसकी प्रतिक्रिया देता है इस तरह प्रत्येक वाक्य का मूल्यांकन विश्लेषक के द्वारा किया जाता है जिसके आधार पर आक्रामकता अनुरूपता समायोजन को कुसमायोजन की जानकारी होती है |

5. वाक्य पूर्ति परीक्षण (Sentence completion test) ➖
पाइने और टेण्डलर – 1930 का प्रतिपादन किया |
◼ व्यक्ति के वाक्य को शीघ्र पूरा करने के लिए कहा जाता है |
◼ व्यक्ति के गुणों को अवगत करवाया जाता है |
◼ ये लिखित रूप से होते है इसलिए एक अशिक्षित व्यक्ति ही इसका प्रशिक्षण दे सकता है |
◼ इसमें कुल 20 (sentence) होते हैं |
◼ मैं सुख का अनुभव करता हूं क्योंकि इच्छा भय आदि संबंधित व्यवहार का पता चलता है |
6. शब्द साहचर्य परीक्षण (Word Association test) ➖
◼ सर्वप्रथम इसका प्रयोग गाल्टन में 1879 में किया था
◼ 75 शब्दों की सूची बनाई |
◼ उन्होंने देखा कि साहचर्य शब्दों के स्मरण से कुछ मानसिक चित्र और प्रतिभाऐ मस्तिष्क में अंकित हो जाती है |
◼ इसके बाद “yung” “युंग” ने 1910 में संवेगात्मक मनोग्रंथियो का पता लगाने के लिए शब्द साहचार्य विधि को पूर्ण रूप से विकसित कर दिया |
🔸 युंग ने प्रतिक्रिया शब्दों को 5 तरीके से विभाजित किया :-
१. अहम केंद्रित
२. वर्गोपरि
३. विरोधी शब्द
४. अन्यान्य
५. बोलने की आदत

Notes by :- Ranjana sen

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व्यक्तित्व मापन की प्रक्षेपी विधियां
(Projective Method of Personality Measurement)
Part 2
__________⭐⭐22 Jan 21 ⭐⭐__
📝प्रासंगिक अन्तर्बोध परीक्षण
(Thematic Apperception Test :TAT)
🕯️प्रतिपादक : मुरे व मॉर्गन (1935)
↪️यह परीक्षण वयस्कों पर किया जाता है।
↪️इस परीक्षण में 30 चित्रों के कार्ड होते हैं तथा एक कार्ड खाली (कुल 31 कार्ड) रहता है।
↪️सभी चित्र अर्द्धनिर्देशित होते हैं।
↪️जिसमें :-
⏩10 कार्ड पुरुषों के लिए
⏩10 कार्ड महिलाओं के लिए तथा
⏩10 कार्ड दोनों(पुरुष + महिला) के लिए होते हैं।

↪️परीक्षण के समय किसी एक प्रायोज्य पर 20 कार्ड की प्रशासन किया जाता है। यह परीक्षण दो सत्रों में प्रकाशित किया जाता है।
प्रत्येक सत्र में 10 कार्ड का प्रशासन किया जाता है।

↪️प्रत्येक कार्ड को दिखाकर अलग-अलग कहानी लिखी जाती है। प्रत्येक कहानी के लिए 5 – 5 मिनट का समय दिया जाता है।

↪️ अंतिम खाली कार्ड पर अलग से विषय या प्रायोज्य से कहानी लिखी जाती है।

↪️इसके बाद उसका विश्लेषण किया जाता है। कहानी वर्णित पात्र एवं उनके चरित्र चित्रण से विषय के व्यक्तित्व की झलक मिलती है।

↪️इस प्रकार निर्मित कहानी की व्याख्या से व्यक्ति अंतर्द्वंद, संवेगात्मक स्थिति, आवश्यकता, असामान्य व्यवहार एवं समस्या के बारे में पता लगाया जा सकता है।

🥀🥀

📝बालकों का अन्तर्बोध परीक्षण
(Children Apperception Test :CAT)
🕯️प्रतिपादक : लियोपोल्ड बैलक (1948)

↪️यह परीक्षण बालकों के लिए उपयुक्त है।

↪️भारतीय परिस्थिति के लिए इसका संशोधन एवं अनुकूलन कोलकाता में उमा चौधरी ने 1993 में किया था।

↪️यह परीक्षण 3 से 11 वर्ष की आयु वाले बच्चे के व्यक्तित्व मूल्यांकन के लिए उपयुक्त है।

↪️इसमें कुल 10 चित्र होते हैं प्रत्येक पर जानवर के चित्र अंकित होते हैं।

↪️इन चित्रों के माध्यम से बालक के परिवार संबंधी, सफाई संबंधी, प्रशिक्षण इत्यादि समस्या एवं आदतों की जानकारी होती है।

↪️बुद्धि का स्तर, चिंतन की विशेषताएं, मानसिक द्वंद, सामाजिक संबंध, अहम की शक्ति इत्यादि विशेषताओं का पता लगाया जा सकता है।
🥀🥀

📝रोजेनविग का P.F. परीक्षण

↪️ रोजनविग अमेरिका के मनोवैज्ञानिक थे।
↪️इस परीक्षण के तीन रूप हैं :-
⏩1🥀 4 से 13 वर्ष के बालक के लिए
⏩2🥀 किशोरावस्था के लिए
⏩3🥀 वयस्कता के लिए

↪️ इस परीक्षण का भारतीय परिस्थिति में अनुकूलन *उदय पारीक* ने किया।

↪️ इस परीक्षण में 24 चित्र होते हैं। प्रत्येक चित्र में व्यक्ति की कुंठा को दर्शाया जाता है।

↪️उत्तर देने वाला एक वाक्य में इसकी प्रतिक्रिया देता है।

↪️इस तरह प्रत्येक वाक्य का मूल्यांकन विश्लेषक के द्वारा किया जाता है। जिसके आधार पर आक्रमकता, समूह अनुरूपता, समायोजन – कुसमयोजन आदि की जानकारी होती है।
🥀🥀

📝वाक्य पूर्ति परीक्षण
(Sentence Completion Test : SCT)
🕯️प्रतिपादक : पाइने और टेण्डलर (1930)

↪️ इस परीक्षण में अधूरे वाक्य को शीघ्र पूरा करने के लिए कहा जाता है।
↪️ इसमें व्यक्ति के गुणों को अभिव्यक्त करवाया जाता है।
↪️यह लिखित रूप से होते हैं इसलिए एक शिक्षित व्यक्ति ही इसका परीक्षण दे सकता है।
↪️इसमें कुल 20 वाक्य (Sentence) होते हैं।

उदाहरणार्थ- मैं सुख का अनुभव करता हूं क्योंकि……………….।

↪️ इससे व्यक्ति के इच्छा, भय आदि संबंधित व्यवहार का पता चलता है।
🥀🥀

📝शब्द साहचर्य परीक्षण
(Word Association Test : WAT)
↪️सर्वप्रथम इसका प्रयोग *गाल्टन* ने 1879 ईस्वी में किया था।
↪️ 75 शब्दों की सूची बनाई गई।
↪️ उन्होंने देखा कि *साहचर्य शब्दों* के स्मरण से कुछ मानसिक चित्र और प्रतिमाएं मस्तिष्क में अंकित हो जाती हैं।
↪️ इसके बाद युंग ने 1910 में संवेगात्मक मनोंग्रंथियों का पता लगाने के लिए शब्द साहचर्य विधि को पूर्ण रूप से विकसित कर दिया।
↪️युंग ने प्रतिक्रिया शब्दों को 5 तरीके से विभाजित किया है-
⏩1🥀 अहम केंद्रित
⏩2🥀 वर्गोपरि
⏩3🥀 विरोधी शब्द
⏩4🥀 अन्यान्य
⏩5🥀 बोलने की आदत

🥀🥀
🙏🙏

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✍️Notes By Awadhesh Kumar ✍️👁️‍🗨️
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*2.* 🌟 *प्रासंगिक अंतर्बोध परीक्षण ( Thermatic apperception test/TET)*🌟

✨ यह परीक्षण “मॉर्गन व मुरे” के द्वारा “1935″में दिया गया था।

👉🏻 इस परीक्षण में कार्डो की कुल संख्या 30 (चित्र के सहित) होती है तथा एक कार्ड खाली ( सादा) रहता है।

👉🏻 सभी चित्र अर्ध निर्देशित होते हैं।

👉🏻 जिसमें 10 पुरुषों के लिए और 10 महिलाओं के लिए तथा 10 दोनों के लिए होता है।

👉🏻 परीक्षण के समय किसी एक पर प्रयोज्य है।

👉🏻 इस परीक्षण में 20 कार्डो का प्रशासन किया जाता है।

👉🏻 दो सत्र में इसे प्रकाशित किया जाता है।

👉🏻 प्रत्येक सत्र में दस कार्ड का प्रकाशन किया जाता है।

👉🏻 प्रत्येक कार्ड को दिखाकर अलग-अलग कहानी लिखी जाती है।

👉🏻 प्रत्येक कहानी के लिए पांच – पांच मिनट का समय दिया जाता है।

👉🏻 अंतिम खाली कार्ड पर अलग से विषय या प्रायोज्य से कहानी लिखी जाती है, उसके बाद उसका विश्लेषण किया जाता है। कहानी में वर्णित पात्र एवं उनके चरित्र चित्रण से विषय के व्यक्तित्व की झलक मिलती है।
इस प्रकार निर्मित कहानी की व्याख्या से अंतर्द्वंद, संवेगात्मक की स्थिति, आवश्यकता, असामान्य व्यवहार एवं समस्या के बारे में पता लगाया जा सकता है

*3.* 🌟 *बालकों का अंतर्बोध परीक्षा(Children apperception test / CAT)* 🌟

👉🏻 *Note :-* TAT परीक्षण वयस्कों पर किया जाता है,वहीं
CAT परीक्षण बालकों के लिए उपयुक्त है।

✨ इस परीक्षण का निर्माण “लियोपोर्ड बैलक” ने “1948″ में इस परीक्षण का प्रतिपादन किया।

👉🏻 *भारतीय परिस्थिति के लिए इसका संशोधन एवं अनुकूलन कोलकाता में “उमा चौधरी”ने सन् “1993″ में किया था।*

👉🏻 यह परीक्षण तीन से ग्यारह वर्ष के आयु वाले बच्चे के व्यक्तित्व मूल्यांकन के लिए उपयुक्त है।

👉🏻 इसमें कार्डों की कुल 10 संख्या होती है।

👉🏻 प्रत्येक पर जानवर के चित्र अंकित होते हैं।

👉🏻 इस परीक्षण के माध्यम से परिवार संबंधी, सफाई संबंधी, प्रशिक्षण इत्यादि समस्याओं एवं आदतों की जानकारी प्राप्त होती है। तथा बुद्धि का स्तर चिंतन की विशेषताएं मानसिक द्वंद, सामाजिक संबंध, हम की शक्ति इत्यादि विशेषताओं का पता लगाया जा सकता है।

*4.* 🌟 *रोजेनविगा P.F. परीक्षण* 🌟

✨ रोजेनविगा एक अमेरिकी है मनोवैज्ञानिक थे, इन्होंने पूरे तीन परीक्षण दिए–

💫 *(i). चार से तेरह वर्ष के बालक के लिए*

💫 *(ii). किशोरावस्था*

💫 *(iii). वयस्कता*

👉🏻 “उदय पारीक” ने बाल को और वयस्क को के लिए इस परीक्षण का भारतीय परिस्थिति में अनुकूलन किया।

👉🏻 इस परीक्षण में चौबीस चित्र होते हैं।

👉🏻 प्रत्येक चित्र में व्यक्ति की कुंठा को दर्शाया जाता है और उत्तर देने वाला एक वाक्य में उसकी प्रतिक्रिया देता है।

👉🏻 इस तरह प्रत्येक वाक्य का मूल्यांकन विश्लेषण के द्वारा किया जाता है। जिसके आधार पर आक्रामकता, समूह अनुरूपता, समायोजन, कुरुसमायोजन की जानकारी होती है।

*5.* 🌟 *वाक्य पूर्ति परीक्षण ( Sentence completion test )* 🌟

👉🏻 “पाइने ” एवं “टेण्डलर” ने 1930 में दिया।

👉🏻 इसमें अधूरे वाक्य को शीघ्र पूरा करने के लिए कहा जाता है ।

👉🏻 व्यक्ति के गुणों को अभिव्यक्त कराया जाता है।

👉🏻 यह लिखित रूप से होता है, इसीलिए एक शिक्षित व्यक्ति ही इसका परीक्षण दे सकता है।

👉🏻 इसमें कुल 20 वाक्य (Sentence) होते हैं।

👉🏻 *जैसे:-* “मैं सुख का अनुभव करता हूं, क्योंकि………..।”

👉🏻 इच्छा, भय आदि संबंधित व्यवहार का पता चलता है।

*6.* 🌟 *शब्द साहचर्य परीक्षण ( Word association test)* 🌟

👉🏻 सर्वप्रथम इनका प्रयोग “गाल्टन” ने “1879″ में किया था।

👉🏻 उन्होंने 75 शब्दों की सूची बनाई।

👉🏻 जिसमें उन्होंने देखा कि “साहचर्य शब्दों” के स्मरण से कुछ मानसिक चित्र और प्रतिमाएं मस्तिष्क में अंकित हो जाती है।

👉🏻 इसके बाद “ युंग(Yong) ” ने “1910″ में संवेगतमक मनोग्रंथियों का पता लगाने के लिए, शब्द साहचर्य विधि को पूर्ण रूप से विकसित कर दिया।

👉🏻 युंग ने प्रतिक्रिया शब्द को पांच तरीके से विभाजित किया है–

💫 *(i). अहम केंद्रित*

💫 *(ii). वर्गोपरी*

💫 *(iii). विरोधी*

💫 *(iv). अन्यान्य*

💫 *(v). बोलने की आदत*

✍🏻✍🏻✍🏻 *Notes by–Pooja* ✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻

2- 💫 प्रासंगिक अंत: बोध परीक्षण (thematic application test) (T.A.T.) 💫

🌸 इस विधि का निर्माण सन 1935 में मरे वह मोर्गन ने किया।

🌸 इस परीक्षण में 30 चित्रों के कार्ड होते हैं। तथा 1 कार्ड खाली रहता है सभी चित्र अर्ध निर्देशित होते हैं।

🌸 10 पुरुषों के लिए, 10 महिलाओं के लिए, 10 दोनों के लिए परीक्षण के समय किसी एक प्रायोज्य पर।

🌸 इसमें एक व्यक्ति को दो बार में 20 चित्र दिखाए जाते हैं तथा उन चित्रों के आधार पर कहानी लिखने के लिए कहा जाता है।

🌸 प्रत्येक कार्ड को देखकर अलग-अलग कहानी लिखी जाती है।

🌸 प्रत्येक कहानी के लिए 5- 5 मिनट का समय दिया जाता है।

🌸 अंतिम खाली कार्ड पर अलग से विषय, या प्रयोज्य से कहानी लिखी जाती है।

3. 💫बालकों का अतंर्बोध परीक्षण (children application test) (C.A.T.)

🌸 इस विधि का निर्माण सन 1948 में लियोपोल्ड बैरक ने किया।

🌸 भारतीय के परिस्थिति के लिए इसका संशोधन एवं अनुकूलन कोलकाता में उमा चौधरी ने सन 1993 में किया।

🌸 यह परीक्षण 3 से 11 वर्ष की आयु के बालकों पर प्रशासित किया जा सकता है।

🌸 इसमें कुल 10 चित्र होते हैं।

🌸 प्रत्येक पर जानवर के चित्र अंकित होते हैं जो जानवरों के व्यवहार को प्रदर्शित करता है।

🌸 इन चित्र के माध्यम से बालक के➖

✍🏻 परिवार संबंधी
✍🏻 सफाई संबंधी
✍🏻 प्रशिक्षण इत्यादि

🌸 समस्या एवं आदतों की जानकारी मिलती है

🌸 बुद्धि का स्तर चिंतन की विशेषताएं मानसिक सामाजिक संबंध अहम की शक्ति इत्यादि।

🌸 इसमें विशेषताओं का पता लगाया जाता।

4-💫 रोजेनविग P.F. परीक्षण

🌸 अमेरिका वैज्ञानिक थे

🌸 परीक्षण का तीन रूप है।

🌸 4 से 13 वर्ष के बालकों के लिए किया जाता है।

🌸 यह परीक्षण किशोरावस्था के बालकों में किया जाता है।

🌸 वयस्कता अवस्था के लिए

🌸 उदयपारिक इस परीक्षण का भारतीय परिस्थिति में अनुकूलन किया जाता है।

🌸 इस परीक्षण में 24 चित्र होते हैं प्रत्येक चित्र व्यक्ति की कुंठा को दर्शाता है उत्तर देने वाला एक वाक्य मैं उसकी प्रतिक्रिया देता है इस तरह प्रत्येक वाक्य का मूल्यांकन विश्लेषक के द्वारा किया जाता है जिसके आधार पर आक्रामकता, अनुरूपता, समायोजन को को समायोजन की जानकारी होती है।

5-💫 वाक्य पूर्ति परीक्षण (sentence complete test)

🌸 इस परीक्षण को पाइन और टेण्डर ने सन 1930 में किया।

🌸 व्यक्ति के वाक्य को शीघ्र पूरा करने के लिए कहा जाता है।

🌸 व्यक्ति के गुणों को अवगत कराया जाता है।

🌸 यह लिखित रूप से होता है इसलिए एक अशिक्षित व्यक्ति ही इसका प्रशिक्षण दे सकता है।

🌸 इसमें कुल 20 वाक्य होते हैं।

🌸 मैं सुख का अनुभव करता हूं क्योंकि इच्छा ,भय आदि संबंधित व्यवहार का पता चलता है।

6-💫 शब्द साहचर्य परीक्षण (Word association Method)

🌸 इसका परीक्षण गाल्टन में सन 18 79 में किया।

🌸 इसमें 75 शब्दों की सूची बनाई जाती है।

🌸उन्होंने देखा कि साहचर्य शब्दों के स्मरण से कुछ मानसिक चित्र और प्रतिमाएं मस्तिष्क में अंकित हो जाती हैं।

🌸 इसके बाद युंग ने सन 1910 में संवेगात्मक मनोग्रंथियों का पता लगाने के लिए शब्द साहचार्य विधि को पूर्ण रूप से विकसित कर दिया।

🌸 युंग ने प्रतिक्रिया शब्दों को 5 तरीके से विभाजित किया➖
1-अहम केंद्रित
2-वर्गोपरि
3-विरोधी शब्द
4-अन्यान्य
5-बोलने की आदत

✍🏻📚📚 Notes by….. Sakshi Sharma📚📚✍🏻

*प्रासंगिक , अंतर्बोध परीक्षण*

*Thermostatic apperception test/ TAT परीक्षण)*
💥💥💥💥💥💥💥💥💥

✨यह परीक्षण मुर्रे एवं मार्गन ने 1935 में दिया था।

✨ इस परीक्षण में 30 चित्रों के cards होते हैं तथा एक कार्ड खाली रहता है।

✨सभी चित्र अर्ध निर्देशित होते हैं जिसमें 10 पुरुषों के लिए 10 महिलाओं के लिए तथा 10 दोनों के लिए होता है।

✨परीक्षण के समय किसी एक पर प्रयोज्य है।इस परीक्षण में 20 कार्डों का प्रशासन किया जाता है।

✨दो सत्रों में इसे प्रकाशित किया जाता है।

✨प्रत्येक सत्र में 10 कार्डों का प्रकाशन किया जाता है।

✨ प्रत्येक कार्ड को दिखाकर अलग-अलग कहानी लिखी जाती है। प्रत्येक कहानी के लिए पांच-पांच मिनट समय दिया जाता है।

✨अंतिम खाली कार्ड पर अलग से विषय या प्रायोज्य से कहानी लिखी जाती है। इसके बाद उसका विश्लेषण किया जाता है।

✨कहानी में वर्णित पात्र एवं उनके चरित्र चित्रण से विषय के व्यक्तित्व की झलक मिलती है।

✨इस प्रकार निर्मित कहानी की व्याख्या से अन्तर्द्वन्द, संवेगात्मक स्थिति, आवश्यकता, असामान्य व्यवहार एवं समस्या के बारे में पता लगाया जा सकता है।

*बालकों का अंतर्बोध परीक्षण*
*(Children apperception test/CAT)*
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✨ टी. ए. टी. परीक्षा वयस्कों पर किया जाता है वही सी. ए. टी. परीक्षण बालकों के लिए उपयुक्त है।

✨ इस परीक्षण का निर्माण “लियोपोल्ड बैलक” ने 1948 में किया था।

✨भारतीय परिस्थिति के लिए इसका संशोधन एवं अनुकूलन कोलकाता में उमा चौधरी ने किया था 1993 में।

✨यह परीक्षण 3 से 11 वर्ष की आयु वाले बच्चे के व्यक्तित्व मूल्यांकन के लिए उपयुक्त है।

✨ इसमें कुल 10 cards होते हैं तथा प्रत्येक पर जानवरों के चित्र अंकित होते हैं।

✨इस चित्र के माध्यम से बालक के परिवार संबंधी, सफाई संबंधी, प्रशिक्षण की तैयारी समस्या एवं आदतों की जानकारी होती है।

✨बुद्धि का स्तर, चिंतन की विशेषताएं, मानसिक द्वंद्व, सामाजिक संबंध, अहम की शक्ति आदि विशेषताओं का पता लगाया जाता है।

*रोजेनविगा pf परीक्षण*
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रोजेनविगा एक अमेरिकी वैज्ञानिक थे। इन्होंने पूरे तीन परीक्षण किए-

✨1). 4 से 13 वर्ष के बालकों के लिए

✨2). किशोरावस्था

✨3). वयस्क अवस्था

✨”उदय पारीक” ने बालकों और वयस्कों के लिए इस परीक्षण का भारतीय परिस्थिति में अनुकूलन किया।

✨इस परीक्षण में 24 चित्र होते हैं।

✨प्रत्येक चित्र में व्यक्ति की कुंठा को दर्शाया जाता है और उत्तर देने वाला एक वाक्य में उसकी प्रतिक्रिया देता है।

✨किस तरह प्रत्येक वाक्य का मूल्यांकन विश्लेषण के द्वारा किया जाता है जिसके आधार पर आक्रामकता, समूह अनुरूपता, समायोजन, कुसमायोजन की जानकारी होती है।

*वाक्य पूर्ति परीक्षण*
*(Sentence completion test)*

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✨”पाइने” एवं “टेंडलर” ने 1930 में यह परीक्षण किया था।

✨इसमें अधूरे वाक्यों को शीघ्र पूरा करने के लिए कहा जाता है ।

✨व्यक्ति के गुणों को अभिव्यक्त कराया जाता है।

✨ यह लिखित रूप से होता है। इसलिए एक शिक्षित व्यक्ति की इसका परीक्षण दे सकता है।

✨ इसमें कुल 20 वाक्य होते हैं, जैसे- मैं सुख का अनुभव करता हूं क्योंकि……….???

✨इस परीक्षण से इच्छा, भय आदि संबंधित व्यवहार का पता चलता है।

*शब्द साहचर्य परीक्षण*
*(World association test)*
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✨सर्वप्रथम इनका प्रयोग “गाल्टन” – 1879 में किया था।

✨उन्होंने 75 शब्दों की सूची बनाई। जिसमें उन्होंने देखा कि साहचर्य शब्दों के स्मरण से कुछ मानसिक चित्र और प्रतिमाएं मस्तिष्क में अंकित हो जाती है।

✨इसके बाद युंग ने 1910 में संवेगात्मक मनु ग्रंथियों का पता लगाने के लिए शब्द साहचर्य विधि को पूर्ण रूप से विकसित कर दिया।

✨ युंग ने प्रतिक्रिया शब्द को 5 तरीके से विभाजित किया है-

1). अहम केंद्रित

2). वर्गोपरि

3). विरोधी

4). अन्यान्य

5). बोलने की आदत

*Notes by Shreya Rai*✍️

🌹🌹 व्यक्तित्व मापन की प्रक्षेपी विधियां 🌹🌹

🌹Projective Methods Of Personality🌹

♣️ *हरमन रोर्शाक स्याही धब्बा परीक्षण ♣️*

🎴 ♣️ *Ink – Blot Test* *[ I. B. T. ]* ♣️🎴

प्रतिपादक

स्विट्जरलैंड के मनोचिकित्सक ” हरमन रोर्शाक ”

परीक्षण का प्रतिपादन किया :-

सन् 1921 में

इस परीक्षण का प्रयोग किया जाता है :-

3 – 14 वर्ष के बच्चों पर

इस परीक्षण में प्रयोग किये जाने बाले , गत्ते के कार्डों पर स्याही के धब्बे लगे हुये कुल 10 कार्ड होते हैं , जिसमें से :-

5 कार्डों पर :- काले रंग के स्याही के धब्बे

2 कार्डों पर :- काले व लाल रंग के स्याही के धब्बे तथा

3 कार्डों पर :- अनेक रंगों के स्याही के धब्बे लगे होते हैं।

इन कारणों के माध्यम से व्यक्ति के अचेतन मन की स्थिति की जानकारी प्राप्त होती है।

जिन व्यक्तियों (बच्चों) का व्यक्तित्व मापन करना होता है उन्हें परीक्षण कर्ता एक कार्ड देता और व्यक्ति / बच्चे उसे देखकर कोई विवरण कहानी प्रस्तुत कर देते हैं उस परीक्षण के माध्यम से उसकी बुद्धि सामाजिकता , समायोजन , संवेगात्मक स्थिति , कल्पनाशीलता , अहम की शक्ति आदि पक्षों का अध्ययन किया जाता है।

एक प्रशिक्षित मनोवैज्ञानिक ही उसका अध्ययन कर सकता है।

*क्रो & क्रो के अनुसार :* –

धब्बों की व्याख्या करके परीक्षार्थी अपने व्यक्तित्व का संपूर्ण चित्र प्रस्तुत कर देता है।
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🌺प्रासंगिक अंतर्बोध परीक्षण / कथानक बोध परीक्षण
🌺 Thematic Ap perception Test [T.A.T.]🌺

प्रतिपादक :- हेनरी ए मुर्रे एवं क्रिस्टियान डी मार्गन

परीक्षण का प्रतिपादन किया सन् :- 1935

कार्डों की संख्या होती है:-30 + 1

परीक्षण किया जाता है :- 14 वर्ष से अधिक उम्र के ( वयस्कों ) पर

👉 इस परीक्षण में चित्र बने हुए 30 कार्ड होते हैं तथा 1 कार्ड खाली रहता है।

👉 सभी कार्डों पर अर्ध निर्देशित चित्र बने होते हैं।

👉 10 कार्ड पुरुषों के लिए , 10 कार्ड महिलाओं के लिए तथा अन्य 10 कार्ड पुरुषों एवं महिलाओं दोनों के लिए होते हैं।

👉 परीक्षण के समय किसी एक प्रयोज्य पर 20 कार्डों का प्रशासन किया जाता है।

👉 यह परीक्षण दो सत्रों में प्रकाशित किया जाता है।

👉 प्रत्येक सत्र में 10 कार्डों का प्रशासन किया जाता है और प्रत्येक कार्ड को दिखाकर अलग-अलग कहानी लिखी जाती है।

👉 प्रत्येक कहानी के लिए पांच 5 – 5 मिनट का समय निर्धारित किया जाता है।

👉 अंतिम खाली कार्ड पर अलग से विषय या प्रयोज्य से कहानी लिखी जाती है। इसके बाद उसका विश्लेषण किया जाता है।

👉 कहानी में वर्णित पात्र एवं उनके चरित्र – चित्रण के विषय से व्यक्तित्व की झलक मिलती है।

👉 इस प्रकार निर्मित कहानी की व्याख्या से व्यक्ति के अंतर्द्वंद , संवेगात्मक स्थिति , आवश्यकता , असामान्य व्यवहार एवं समस्या के बारे में पता लगाया जा सकता है।

👉 अतः इस परीक्षण के द्वारा व्यक्ति के व्यक्तित्व की विशेषता की जांच की जाती है।

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🌺 बालकों का अंतर्बोध परीक्षण / बाल सम्प्रत्यक्ष परीक्षण 🌺
🌺 Children Apperception Test [C.A.T. ] 🌺

प्रतिपादक :- लियोपोल्ड बैलक

इस परीक्षण का प्रतिपादन किया सन् :- 1948

इस परीक्षण में चित्रों की संख्या होती है :- 10

इस परीक्षण का प्रयोग किया जाता है :- 3 – 11 वर्ष के बच्चों पर

👉 भारतीय परिस्थिति के लिए इस परीक्षण का संशोधन एवं अनुकूलन ” सन् 1993 में कोलकाता की उमा चौधरी ने किया था । ”

👉 यह परीक्षण 3 – 11 वर्ष की आयु वाले बच्चों के व्यक्तित्व मूल्यांकन के लिए उपयुक्त है।

👉 इसमें कुल 10 कार्ड होते हैं जिन पर जानवरों के चित्र अंकित होते हैं।

👉 इन्हीं चित्रों के माध्यम से बालक के परिवार संबंधी , सफाई संबंधी परीक्षण इत्यादि समस्या एवं आदतों की जानकारी की जाती है।

👉 बुद्धि का स्तर , चिंतन की विशेषताएं , मानसिक द्वंद , सामाजिक संबंध , अहम की शक्ति इत्यादि विशेषताओं का पता लगाया जाता है।

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🌺. रोजेनविग P . F. परीक्षण🌺

प्रतिपादक :- अमेरिकी मनोवैज्ञानिक रोजेनविग

यह अर्ध प्रक्षेपण परीक्षण है जो कि निम्नलिखित तीन रूपों में है :-

1. 4 – 13 वर्ष के बालकों के लिए
2. किशोरावस्था -किशोरों के लिए
3. वयस्कता – वयस्कों के लिए

👉 ” उदय पारीक ” ने इस परीक्षण का भारतीय परिस्थिति में अनुकूलन किया था।

👉 इस परीक्षण में 24 चित्र होते हैं।

👉 प्रत्येक चित्र में व्यक्ति की कुंठा को दर्शाया जाता है।

👉उत्तर देने वाला (परीक्षार्थी) एक वाक्य में उसकी प्रतिक्रिया लिख देता है।

👉इस तरह प्रत्येक वाक्य का मूल्यांकन विश्लेषक के द्वारा किया जाता है जिसके आधार पर आक्रामकता , समूह अनुरूपता , समायोजन , कुसमायोजन की जानकारी होती है।

👉इस परीक्षण में ऐसे कुंठित (frustration) बाले चित्रों के माध्यम से प्रतिकूल परिस्थितियों को दिखाकर व्यक्ति की सोचने, समझने, निर्णय लेने और विवेकशीलता का पता लगाया जाता है।

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🌺 वाक्य पूर्ति परीक्षण 🌺
🌺 Sentence Completion Test 🌺

प्रतिपादक :- पाइने एवं टेण्डलर

इस परीक्षण का प्रतिपादन किया सन् :- 1930

👉इसमें अधूरे वाक्यों को शीघ्र पूरा करने के लिए यह परीक्षण किया जाता है।

👉इस परीक्षण के माध्यम से व्यक्ति के गुणों को अभिव्यक्त करवाया जाता है।

👉यह लिखित रूप से होता है इसलिए एक शिक्षित व्यक्ति ही इसका परीक्षण दे सकता है।

👉इस परीक्षा में कुल 20 वाक्य निर्धारित किए गए हैं, जैसे :-

*” मैं सुख का अनुभव करती हूं क्योंकि ……… । “*

👉इस परीक्षण से व्यक्ति की इच्छा , भय आदि संबंधित व्यवहार का पता चलता है।

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🌺 शब्द साहचर्य परीक्षण 🌺🌺Word Association test 🌺

👉इस परीक्षण का सर्वप्रथम प्रयोग ” गॉल्टन “ने सन 1879 में किया था।

👉सर्वप्रथम उन्होंने 75 शब्दों की सूची बनाई थी।

👉उन्होंने देखा कि साहचर्य शब्दों के स्मरण से कुछ मानसिक चित्र और प्रतिमाएं मस्तिष्क में अंकित हो जाती हैं।

👉इसके बाद ( Yung युंग ) ने 1910 में संवेगात्मक मनोग्रंथियों का पता लगाने के लिए शब्द साहचर्य विधि को पूर्ण रूप से विकसित कर दिया।

👉युंग ने प्रतिक्रिया शब्दों को 5 तरीके से विभाजित किया है :-

1. अहम केंद्रित
2. वर्गोपरि
3. विरोधी शब्द
4. अन्यान्य
5. बोलने की आदत

👉इसके आधार पर व्यक्ति के व्यक्तित्व की विशेषताओं का पता लगाया जाता है।

✍️ Notes by – जूही श्रीवास्तव ✍️

💫🔆व्यक्तित्व मापन की प्रक्षेपी विधियां :-
2. प्रासंगिक अंतर्बोध परीक्षण ( Thematic Apperception test) [TAT] ➖
मुरे व मार्गन (1935) में प्रतिपादन किया |
◼ इस परीक्षण में 30 चित्रों के कार्ड होते हैं तथा एक कार्ड खाली रहता है सभी चित्र अर्थ निर्देशित निर्देशित चित्र अर्थ निर्देशित होते हैं |
◼ 10 पुरुषों के लिए 10 महिलाओं के लिए 10 दोनों के लिए परीक्षण के समय किसी एक प्रायोज्य पर |
◼ इसके बाद उसका विश्लेषण किया जाता है |
◼ कहानी में वर्णित पात्र एवं उनके चरित्र चित्रण से विषय के व्यक्तित्व की झलक की झलक मिलती है |
◼ इस प्रकार निर्मित कहानी की व्यवस्था से व्यक्ति अंतर्द्वंद संवेगात्मक स्थिति आवश्यकता असामान्य व्यवहार एवं समस्या के बारे में पता लगाया जा सकता है |

3. बालकों का अंतर्बोध परीक्षण (Children Apperception test) [CAT] ➖
◼ (TAT) का परीक्षण वयस्कों पर किया जाता है वही जाता है वही (CAT) बालकों के लिए उपयुक्त है |

◼ लियोपोल्ड बैलक – 1948 में प्रतिपादन किया |
◼ भारतीय के परिस्थिति के लिए इसका इसका परिस्थिति के लिए इसका इसका संशोधन एवं अनुकूलन कोलकाता में उमा चौधरी ने किया था | 1993 में
◼ यह परीक्षण 3 से 11 वर्ष की आयु वाले बच्चे के व्यक्तित्व मूल्यांकन के लिए उपयुक्त है |
◼ इसमें कुल 10 चित्र होते हैं |
◼ प्रत्येक पर जानवर के चित्र अंकित होते हैं |
◼ इन चित्र के माध्यम से बालक के :-
▪ परिवार संबंधी
▪ सफाई संबंधी
▪प्रशिक्षण इत्यादि |
समस्या एवं आदतों की जानकारी होती है |
◼ बुद्धि का स्तर चिंतन की विशेषताएं मानसिक द्वंद सामाजिक संबंध अहम की शक्ति इत्यादि |
◼ इसमे विशेषताओं का पता लगाया जाता है |
4. रोजेनविग P.F. परीक्षण ➖
🔸अमेरिका वैज्ञानिक थे |
🔸परीक्षण तीन रूप है |
◼ 4 से 13 वर्ष के के वर्ष के के 13 वर्ष के के वर्ष के के बालक के लिए
◼किशोरावस्था के लिए
◼ व्यस्कता अवस्था के लिए
🔸उदयपारिक इस परीक्षण का भारतीय परिस्थिति में अनुकूलन किया जाता है |

◼ इस परीक्षण में 24 चित्र होती है प्रत्येक चित्र व्यक्ति की कुंठा प्रत्येक चित्र व्यक्ति की कुंठा व्यक्ति की कुंठा को दर्शाया जाता है उत्तर देने वाला एक वाक्य में उसकी प्रतिक्रिया देता है इस तरह प्रत्येक वाक्य का मूल्यांकन विश्लेषक के द्वारा किया जाता है जिसके आधार पर आक्रामकता अनुरूपता समायोजन को कुसमायोजन की जानकारी होती है |

5. वाक्य पूर्ति परीक्षण (Sentence completion test) ➖
पाइने और टेण्डलर – 1930 का प्रतिपादन किया |
◼ व्यक्ति के वाक्य को शीघ्र पूरा करने के लिए कहा जाता है |
◼ व्यक्ति के गुणों को अवगत करवाया जाता है |
◼ ये लिखित रूप से होते है इसलिए एक अशिक्षित व्यक्ति ही इसका प्रशिक्षण दे सकता है |
◼ इसमें कुल 20 (sentence) होते हैं |
◼ मैं सुख का अनुभव करता हूं क्योंकि इच्छा भय आदि संबंधित व्यवहार का पता चलता है |
6. शब्द साहचर्य परीक्षण (Word Association test) ➖
◼ सर्वप्रथम इसका प्रयोग गाल्टन में 1879 में किया था
◼ 75 शब्दों की सूची बनाई |
◼ उन्होंने देखा कि साहचर्य शब्दों के स्मरण से कुछ मानसिक चित्र और प्रतिभाऐ मस्तिष्क में अंकित हो जाती है |
◼ इसके बाद “yung” “युंग” ने 1910 में संवेगात्मक मनोग्रंथियो का पता लगाने के लिए शब्द साहचार्य विधि को पूर्ण रूप से विकसित कर दिया |
🔸 युंग ने प्रतिक्रिया शब्दों को 5 तरीके से विभाजित विभाजित किया :-
१. अहम केंद्रित
२. वर्गोपरि
३. विरोधी शब्द
४. अन्यान्य
५. बोलने की आदत
Notes by :- Ranjana sen

🔆व्यक्तित्व मापन की प्रक्षेपी विधियां

🔅प्रासंगिक अंतर बोध परीक्षण [Thematic Appreciation Test] (TAT) ➖

▪️इसका परीक्षण मुर्रे एवम् मॉर्गन ने 1935 में दिया था।
▪️ इस परीक्षण में चित्र वाले 30 कार्ड होते हैं और एक खाली कार्ड होता है।
(30 चित्र वाले कार्ड्स + 1 बिना चित्र वाला कार्ड = 31 कार्ड्स)

▪️ कार्ड में दिए गए चित्र अर्ध निर्देशित मतलब आधा निर्देशित होते हैं। जिसमें से
✓10 पुरुष के लिए कार्ड
✓10 महिलाओं के लिए कार्ड
✓10 कार्ड पुरुष और महिला दोनों के लिए ही होते हैं।

▪️ परीक्षण के समय में केवल 20 कार्ड का प्रयोजन या प्रेजेंटेशन किया जाता है जिसे दो बार या केवल दो सत्र में किया जाता है।
अर्थात एक सत्र में 10 कार्ड से और दूसरे सत्र में बाकी के 10 कार्ड से परीक्षण करते हैं।

▪️प्रत्येक कार्ड को दिखाकर अलग-अलग कहानी लिखवाई जाती है और प्रत्येक कहानी के लिए 5 मिनट का समय दिया जाता है।
और बाकी के अंतिम खाली कार्ड पर अलग से विषय या प्रयोज्य से कहानी लिखी जाती है।
इसके बाद उसका विश्लेषण किया जाता है।

▪️ कहानी में जो पात्र या कैरेक्टर होते हैं उनके चरित्र चित्रण को देखकर या उनका विश्लेषण करके व्यक्ति के व्यक्तित्व का पता लगाया जा सकता है।
अर्थात कहानी में वर्णित पात्र एवं उनके चरित्र चित्रण के विषय से व्यक्तित्व की झलक मिलती है।

▪️ हर व्यक्ति के अपने परिस्थिति के हिसाब से शब्द होते हैं और इन्हीं शब्दों से प्रयोजन लगाया जाता है कि उन्होंने जो कहानी बताई है या जो कहानी में पात्रों का चरित्र चित्रण किया है उसके आधार पर ही व्यक्ति के व्यक्तित्व का पता चलता है।

इस प्रकार निर्मित कहानी की व्याख्या से व्यक्तित्व की अंतर्द्वंद, संवेगात्मक स्थिति, आवश्यकता और सामान्य व असामान्य व्यवहार एवं समस्या के बारे में पता लगाया जा सकता है।

▪️हर व्यक्ति के लिए हर परिस्थिति को देखने का अपना एक नजरिया होता है अर्थात सबका अलग अलग नजरिया होता है इसीलिए इन कार्ड्स को दिखाकर व्यक्ति के सोच का पता किया जा सकता है।

▪️कोई भी व्यक्ति किसी भी विषय के बारे में अपनी समझ,सोच और अपने संज्ञान के आधार पर ही उस विषय के बारे में बताता है अर्थात् वह अपने व्यक्तित्व के आधार पर ही उस विषय के बारे में बताता है इसे यूनिवर्सल सच्चाई नहीं कहा जा सकता क्योंकि हर एक व्यक्ति की अपनी सोच ,समझ, संज्ञान तथा उसका अपना अलग एक नजरिया होता है जो व्यक्तित्व के रूप में दिखाई देता है।

🔅बालकों का अंतर बोध परीक्षण
[Children Appreciation Test (CAT)]➖
CAT परीक्षण बालकों के लिए उपयुक्त होता है।

▪️ इस परीक्षण को सर्वप्रथम लियोपोल्ड बैलक ने 1948 में दिया था।
▪️इसमें भारतीय बच्चों की परिस्थितियों के हिसाब से इसका संशोधन व अनुकूलन उमा चौधरी द्वारा कोलकाता में 1993 में किया गया था।

▪️ यह परीक्षण 3 से 11 वर्ष की आयु वाले बच्चों के व्यक्तित्व के मूल्यांकन के लिए उपयुक्त है।

▪️ परीक्षण में कुल 10 कार्ड होते हैं।
▪️प्रत्येक कार्ड पर जानवर के चित्र अंकित होते हैं।

▪️इन चित्र के माध्यम से बालक के परिवार संबंधी, सफाई संबंधी, प्रशिक्षण इत्यादि संबंधित समस्याओं व आदतों की जानकारी प्राप्त होती है
क्योंकि बच्चा उन चित्रों को देखता है तो वह उस पर अपनी प्रतिक्रिया या अपने तौर तरीके व्यक्त करता है जिसके माध्यम से उस बच्चे के जो भाव, संवेग, मानसिक द्वंद ,चित्रण की विशेषताएं ,बुद्धि स्तर ,सामाजिक संबंध, अहम की शक्ति इत्यादि विशेषताओं के बारे में पता लगाया जा सकता है।

🔅रोजेंविग PF परीक्षण ➖
▪️रोजेनविग अमेरिकी मनोवैज्ञानिक है।
▪️ इन्होंने अपने परीक्षण के तीन रूप बताएं।
1 4 से 13 वर्ष के बालकों के लिए परीक्षण
2 किशोरावस्था के लिए परीक्षण
3 वयस्कता के लिए परीक्षण

▪️ भारतीय परिस्थिति में इसका अनुकूलन “उदय पारीक” द्वारा किया गया था।
(भारतीय पारिस्थितिकी मतलब वयस्क की अवस्था में जो हमारी सोच, व्यक्तित्व है ,जो हमारा नजरिया है वह उस वातावरण में परिस्थिति के अनुसार होता है ठीक इसी प्रकार भारत के निवासियों की सोच, व्यक्तित्व व व्यवहार भी वैसा ही होगा जैसे भारत की परिस्थिति है।

▪️इस परीक्षण में 24 चित्र होते हैं और प्रत्येक चित्र में एक व्यक्ति की कुंठा या हीन भावना या कमी को बताने वाला या क्षीणता को उत्पन्न करने वाला वाक्य होता है और इस चित्र को देखकर उत्तर देने वाला एक वाक्य में अपनी प्रतिक्रिया दे देता है और इस तरह से हर प्रतिक्रिया का या वाक्य का मूल्यांकन विश्लेषक द्वारा किया जाता है जिसके आधार पर आक्रमकता, कुसमायोजन, समूह अनुरूपता इत्यादि की जानकारी मिलती है।

▪️चित्र में कुछ ऐसी बातें लिखी होती हैं जिसे देखने वाले व्यक्ति में कुंठा उत्पन्न होती है अर्थात इस परीक्षण से यह पता किया जाता है कि व्यक्ति किस प्रकार कुंठा (विपरीत परिस्थिति) के उत्पन्न होने पर कैसा सोचते हैं यह कैसा व्यवहार करते हैं इस ओर से ही व्यक्ति के बेहतर व्यक्तित्व का पता किया जा सकता है।

🔅 वाक्य पूर्ति परीक्षण
[Sentence Completion Test (SCT)]➖

▪️ यह परीक्षण पाईने एवम् टैण्डलर ने 1930 में प्रतिपादित किया।

▪️ इसमें अधूरे वाक्य को शीघ्र पूरा करने के लिए कहा जाता है।

▪️यदि हम कोई भी अधूरे वाक्य को शीघ्र पूरा करना चाहते हैं तो हमारी जो अभिव्यक्ति है जिसकी मदद से हम वाक्य पूरा करते हैं तो वहीं अभिव्यक्ति हमारी सोच को दिखाती है।

▪️इस प्रकार की अभिव्यक्ति केवल वही व्यक्ति कर पाएंगे जिनके पास उस दिए गए वाक्य को समझने की समझ या उस वाक्य के बारे में जानकारी है।

▪️इसमें व्यक्ति के गुणों को अभिव्यक्त किया जाता है यह लिखित रूप में होता है चूंकि यह लिखित रूप में होता है इसीलिए एक शिक्षित व्यक्ति पर ही इसका परीक्षण किया जा सकता है ।

▪️ इस परीक्षण में कुल 20 वाक्य होते हैं जिसमें से एक-
मैं सुख का अनुभव करती हूं क्योंकि…………..।

▪️ इस परीक्षण के माध्यम से व्यक्ति की अभिव्यक्ति के द्वारा व्यक्ति की इच्छाएं,भय आदि संबंधी व्यवहार का पता चलता है।

🔅 शब्द साहचर्य परीक्षण
(Word Association Test)➖

▪️ सर्वप्रथम इसका प्रयोग गार्डन 1879 में किया था।

▪️ जिसमें उन्होंने 75 शब्दों की सूची बनाई।

▪️शब्द साहचर्य परीक्षण में साहचर्य से तात्पर्य है जो मैत्री है या बंधुत्व है यह एक दूसरे से जुड़े या मिले हुए शब्द होते हैं उन शब्दों के स्मरण से हमारी कुछ मानसिक प्रतिभा या चित्र हमारे दिमाग में अंकित हो जाते हैं।

जैसे जब हमें कोई चीज पता होती है तो उस पता हुई चीज से जोड़कर ही हम किसी दूसरी बात को अपने दिमाग में याद रख पाते हैं।

▪️ अर्थात गाल्टन ने देखा कि साहचर्य शब्दों के स्मरण से कुछ मानसिक चित्र और प्रतिभा मस्तिष्क में अंकित हो जाती हैं।

▪️ साहचर्य शब्द मतलब ऐसा कुछ जो किसी कारण से हमारे किसी ना किसी परिस्थिति से जुड़ा हुआ होता है।
अर्थात शब्द का शब्द से मिलन तो होता ही है लेकिन साथ ही 7 शब्द का परिस्थिति से भी मिलन होता है

इस परीक्षण में यह बोला गया कि उस शब्द से हमें क्या याद है इससे हमारे माइंड सेट के बारे में पता चलता है।

किसी भी शब्द को बोलने के बाद उससे सुनने पर हमारे मस्तिष्क में तुरंत क्या आता है उसकी अभिव्यक्ति से ही व्यक्ति के सोच का या व्यक्तित्व का या माइंडसेट का पता चलता है।

▪️युंग ने 1910 में संवेगात्मक मनो ग्रंथियों का पता लगाने के लिए शब्द साहचर्य विधि को पूर्ण रूप से विकसित कर दिया।

▪️ युंग ने प्रतिक्रिया शब्दों को 5 तरीकों से विभाजित किया
1 अहम केंद्रित
2 वर्गो परि
3 विरोधी शब्द
4 अन्यान्य
5 बोलने की आदत

1 अहम केंद्रित – ऐसी प्रतिक्रिया जो केवल अपने ऊपर अपने बारे में जैसे- मैं ,मेरा, मुझसे, मेरा वाला इत्यादि

2 वर्गो परि -व्यक्ति चीजों को अलग-अलग तौर तरीके से सोचते हैं या उसको अलग-अलग रूप में वर्गीकृत कर सकते हैं या उस चीज के निश्चित वर्ग या निश्चित क्षेत्र या उसके निश्चित सेक्शन के बारे में क्या सोचते हैं।

3 विरोधी शब्द – जिस भी विषय पर बात करते हैं उस विषय पर अपनी विरोधी प्रतिक्रिया देते हैं।

4 अन्यान्य – किसी भी अन्य विषय या विषय से हटकर उस विषय पर अन्य प्रकार से प्रतिक्रिया देते हैं।

5 बोलने की आदत – कुछ विषय में इसीलिए प्रतिक्रिया देते हैं कि उसे विषय में बोलने की आदत या उस विषय में कॉमन या हमेशा एक ही तरह के शब्द बोलने की आदत होती है।

✍🏻
Notes By-Vaishali Mishra

Evs ( ncert – notes for ctet,uptet,mptet,kvs,dsssb

*Evs ( ncert – notes for ctet,uptet,mptet,kvs,dsssb etc. )*

💥💥 *मधुबनी पेंटिंग*

✨बिहार में मधुबनी नामक जिला है।

✨ त्योहारों और खुशियों के मौकों पर वहां की घर की दीवारों पर वह आंगन में चित्र बनाए जाते हैं।

✨यह चित्र पिसे हुए चावल के घोल के रंग में मिलाकर बनाए जाते हैं।

✨ इन रंगों को बनाने के लिए नील हल्दी फूल पेड़ों के रंग आदि का इस्तेमाल किया जाता है।

✨चित्रों में इंसान जानवर पेड़ फूल पक्षी मछलियां आदि जीव जंतु साथ में बनाए जाते हैं।

💥💥 *बेलनिका का गांव*

✨जुलाई के महीने में प्याज उगाने का काम शुरू होता है।

✨खूंटी की मदद से खेत की मिट्टी को नरम किया जाता है।

✨कर्नाटक में हल को “कुरिगे” को कहा जाता है।

✨ समय से प्याज ना खो दी जाए तो वह जमीन के अंदर ही सड़ जाती हैं।

✨ कर्नाटका में हंसिआ को “इलिगे” कहा जाता है।

✨जमीन से खरपतवार निकालना जरूरी होता है नहीं तो सारा पानी खाद वही ले लेगी और पैदावार कम होगी।

💫 उत्तर प्रदेश में कचनार के फूलों की सब्जी बनाई जाती है।

💫 केरल मैं केले के फूल की सब्जी बनती है।

💫 महाराष्ट्र में सहजन के फूल की सब्जी प्रसिद्ध है।

💫 गुदावरी, जीनिया से रंग बनाए जाते हैं व इनसे कपड़े भी रंगे जाते हैं।

💫 उत्तर प्रदेश का कन्नौज जिला इत्र के लिए प्रसिद्ध है।

💫 यहां पर गुलाब जल केवड़ा वह गुलाब के इत्र बनाया जाता है।

💫 मिट्टी में गोबर मिलाने से मिट्टी में कीड़ा नहीं लगता है।

💫 लकड़ी को दीमक से बचाने हेतु नीम व कीकर की लकड़ियां फ्रेम पर बिछा दी जाती हैं।

💫 सोहना गांव हरियाणा में है।

💫 सोहना से दिल्ली जाने में रास्ते में गुड़गांव मिलता है।

💫 पानी को साफ करने का सबसे अच्छा तरीका है उबालना।

💫 *कलचिडी/ इंडियन रोबिन* इसके घोसले में पौधे के नाजुक जड़े, टहनी, रूई, ऊन, बाल बिछा होता है।
जो छोटे-छोटे कीड़े खाते हैं इनकी जांच अंदर से लाल होती है।

💫 कौवे के घोसले में लोहे के तार व लकड़ी जैसी शाखाएं भी होती है।

💫 *शक्कर खोरा* किसी छोटे पेड़ या झाड़ी की लटकती डाली पर अपना लटकता घोंसला बनाती है इनका घोंसला बाल बारीक घास सूखे पत्ते रुई पेड़ की छाल के टुकड़े कपड़ों के चिथड़े मकड़ी के जालों से बना होता है।

💫 नर वीवर पक्षी अपने अपने घोसले बनाते हैं मादा वीवर उन सभी दोस्तों को देखते हैं उन में से उनको जो सबसे अच्छा लगता है उसमें ही अंडे देती हैं।

💫पक्षी केवल अंडे देने के लिए घोंसला बनाते हैं जब अंडों से बच्चे निकल आते हैं तो वह घोंसला छोड़ कर उड़ जाते हैं।

💫 घोंसला छोड़कर पक्षी अलग-अलग जगह चले जाते हैं जैसे पानी में जमीन पर पेड़ों आदि पर।

💫 गाय के आगे के दांत पत्तों को काटने के लिए छोटे होते हैं वही घास जलाने के लिए पीछे के दांत चपटे और बड़े होते हैं।

💫 बिल्ली के दांत नुकीले होते हैं जो मांस को फाड़ने व काटने के लिए काम आते हैं।

💫 सांप के दांत भी नुकीले होते हैं पर वह अपने शिकार को चबाकर नहीं खाता, पूरा निकल जाता है।

💫गिलहरी के दांत हमेशा बढ़ते रहते हैं दांतो से कुतरने व काटने के कारण इनका दांत गिर जाता है।

💫 *दर्जिन चिड़िया* अपने नुकीले चोंच से पत्तों को सी लेती है और उसके बीच के बने थैली को अंडे देने हेतु तैयार करती है।

💫 कोयल अपना घोंसला नहीं बनाती वह कव्वे के घोसले में अपना अंडा देती है वह अपने अंडे के साथ कोयल के अंडे को भी सेता है।

💫कौवा पेड़ की ऊंची डाल पर घोंसला बनाता है।

💫 फाख्ता पक्षी कैक्टस के कांटे के बीच या मेहंदी के पेड़ पर अपना घोंसला बनाती है।

💫 गोरिया अलमारी के ऊपर आईने के पीछे अपना घोंसला बनाती है।

💫 कबूतर पुराने मकान या खंडहर में।

💫 बसंत गौरी पक्षी गर्मियों में टुकटुक करते रहते हैं पेड़ के तने में गहरा छेद बनाकर उसमें अंडे रखते हैं।

💫 पर्यावरण शिक्षा केंद्र-अहमदाबाद, गुजरात

💫 नल्लामडा- आंध्र प्रदेश

💫 बाजारगांव- महाराष्ट्र

💫 होली गुंडी – कर्नाटका

💫 बच्चों की पंचायत- भीमा संघ,होलगुंडी गांव( कर्नाटका)

💫गंदा पानी पीने से फैजाबाद दस्त हो जाता है फिर दस्त या उल्टी से शरीर का पानी बाहर निकल जाता है इसलिए पानी की कमी को पूरा करने हेतु थोड़ा-थोड़ा पानी पीते रहना चाहिए।

💫 घास की जड़े बहुत मजबूत होती हैं इन्हें खुरपी से खोदकर ही निकाला जा सकता है इनकी जड़ें जितनी जमीन से बाहर निकली हुई होती हैं उससे कहीं ज्यादा जमीन के अंदर फैली होती हैं।

💫 बिहार के मुजफ्फरपुर में लोचाहा गांव की लीची की खेती प्रसिद्ध है।

💫बरगद के पेड़ की लटकन उसकी जड़े होती हैं वह टहनियों से निकलती हैं और बढ़ते बढ़ते जमीन के अंदर चली जाती हैं ‌। यह जड़े मजबूत खंभों की तरह पेड़ को सहारा देते हैं।

💫 ऑस्ट्रेलिया में रेगिस्तानी ओक पाया जाता है इसकी ऊंचाई 11 से 12 फिट होती है और इसमें पत्तियां बहुत कम होती हैं इनकी जड़ें जमीन में 250 से 300 सीट तक जाती हैं जब तक वह पानी तक ना पहुंच जाए यह पानी पेड़ के तने में जमा होता रहता है जब कभी इस इलाके में पानी नहीं होता है तो वहां के लोग इसके तने के अंदर पतला पाइप डालकर पानी निकाल कर पीते हैं।

*💥💥बिहू का त्योहार* यह त्योहार चावल की नई फसल कटने पर आसाम में मनाया जाता है। भेला घर घास व बास से बनाया जाता है । उरूका बिहू से पिछले दिन की शाम को कहते हैं। बोरा,व चेवा चावल के दो प्रकार हैं जो पकने के बाद चिपचिपी हो जाते हैं इसे आसाम में खाया जाता है।

💫 पोचमपल्ली गांव आंध्र प्रदेश में है इस जिले में अधिकतर लोग बुनकर हैं और इसी बुनाई को पोचमपल्ली के नाम से जाना जाता है ।

💫 – कुल्लू की शाल, मधुबनी पेंटिंग, आसाम की सिल्क, कश्मीरी कढ़ाई।

💫 पहली महिला जिन्होंने पूरी परेड की कमान संभाली थी । ले कमांडर वहीदा प्रिज्म, जब परेड होते हैं तो पीछे चार तोगड़िया चलते हैं वही पूरी परेड में 36 निर्देश देने होते हैं।

💫 स्किपटो पुल – लद्दाख का एक गांव (लद्दाख में मां को आमाले, पिता को आबाले , दादी जी को मेमेले कहां जाता है)।

💫 *स्लाथ* भालू जैसे दिखाई देते हैं लेकिन भालू नहीं होते यह दिन में करीब 17 घंटे पेड़ों से उल्टे सिर लटक कर मस्ती से सोते हैं सप्ताह में एक बार शौच के लिए पेड़ों से नीचे उतरते हैं जिस पेड़ पर रहते हैं उसी की पत्तियां खाते हैं और इनकी आयु 40 वर्ष होती है यह अपने जीवन में 8 पेड़ों पर घूमने की तकलीफ उठाते हैं।

💫 *बाघ* यह अंधेरे में हम से 6 गुना बेहतर देखते हैं बाघ की मूछें हवा में हुए कंपन को भाप लेती है और उससे शिकार की सही स्थिति का पता चलता है अंधेरे में रास्ता खोज सकते हैं मौके के हिसाब से आवाज में परिवर्तन कर लेते हैं बाघ का गुराना 3 किलोमीटर दूर तक सुनाई पड़ता है यह अपने इलाके में मूत्र करके अपनी गंध छोड़ते हैं दूसरा भाग इसी से उसकी पहचान करता है भाग हवा से पत्तों का हिलना व शिकार के झाड़ियों में हिलने से हुई आवाज में अंतर भाग लेता है बाग के दोनों कान बाहर की आवाज इकट्ठा करने के लिए अलग-अलग दिशाओं में काफी घूम भी जाते हैं।

💫 *हाथी* एक बड़ा हाथी 1 दिन में 100 किलोग्राम से ज्यादा पत्ते व झाड़ियां खा जाता है यह बहुत कम आराम करता है दिन में 2 से 4 घंटे केवल । इन्हें पानी व कीचड़ में खेलना पसंद है शरीर को ठंडक मिलती है इससे। इनके कान पंखे जैसे होते हैं गर्मी लगने पर कान हिलाकर हवा करते हैं। 3 माह के हाथी का वजन 200 किलोग्राम होता है। हाथी के झुंड में केवल हथिनिया व बच्चे ही रहते हैं। झुंड की सबसे बुजुर्ग हथिनी पूरे झुंड के नेता होती है। झुंड में 10 से 12 हथिनी वह बच्चे होते हैं। 14 से 15 साल तक हाथी इस झुंड में रहता है वह बाद में झुंड छोड़ देता है। हाथी परेशानी आने पर एक दूसरे की मदद करते हैं।

💫 *लोचाहा गांव मुजफ्फरपुर बिहार* लीची की खेती हेतु प्रसिद्ध है लीची के पेड़ मधुमक्खियों को बहुत दुख आते हैं इसलिए इस क्षेत्र के लोग मधुमक्खी पालन कर शहद निकालते हैं। मधुमक्खी पालन का सरकारी कोर्स भी होता है। अक्टूबर-नवंबर मधुमक्खी के अंडे देने का समय और मधुमक्खी पालन शुरू करने का उपयुक्त समय है ‌ मधुमक्खी के एक बक्से में 12 किलोग्राम शहद प्राप्त होता है।

💫 *मधुमक्खी का छत्ता* हर छत्ते में एक रानी मक्खी होती है जो अंडे देती है। छत में कुछ नर मक्खी भी होते हैं । छत्ते में बहुत सारी काम करने वाली मक्खियां भी होती हैं । यह दिन भर काम करते हैं और शहद हेतु फूलों का रस खोजती हैं । जब किसी मक्खी को रस मिल जाता है तो वह एक तरीके का नाच करती हैं उससे दूसरे मक्खी को पता चल जाता है कि रस कहां पर है। वे रस से शहद बनाती हैं वही छत्ता बनाने का काम भी इन्हीं का होता है और बच्चों को पालना भी नर मक्खी छत्ते के लिए कुछ खास काम नहीं करती।

💫 *चीटियां* चीटियां भी मिलजुल कर रहती हैं। इनमें भी सब का काम अलग अलग होता है। रानी चींटी अंडे देती है सिपाही चीटियां बिल का ध्यान रखती हैं काम करने वाली चीटियां भोजन खोज कर बिल तक लाती हैं।

💫नोट – दीमक व ततैया भी समूह में रहते हैं।

*Notes by Shreya Rai📝🙏*

Projective method of personality part 1 for CTET and TET notes by India’s top learners

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व्यक्तित्व मापन की प्रक्षेपी विधियां
(Projective Method of Personality)
__________⭐⭐20 Jan 21⭐⭐__
🌾प्रक्षेपण (Projection)
↪️ *प्रक्षेपण* शब्द का प्रयोग सबसे पहले मनोविश्लेषणवादी *सिगमंड फ्रायड* ने 1849 ईस्वी में किया। जिसका अर्थ होता है – फेंकना।

↪️ यह वह क्रिया है जिसमें प्रत्येक व्यक्ति अपने विचारों, भावनाओं, इच्छाओं, संवेगों आदि का अन्य व्यक्ति या बाह्य जगत के माध्यम से सुरक्षात्मक रूप प्रस्तुत करता है।

👤 वारेन के अनुसार, “प्रक्षेपण वह प्रकृति है जिसमें व्यक्ति बाह्य जगत में अपने दमित मानसिक प्रक्रिया का प्रक्षेपण करता है।”

↪️व्यक्ति के अचेतन मन में अनेक भावनाएं, इच्छाएं, संवेगात्मक द्वंद आदि दबे रहते हैं जो आप के संतुलन को प्रभावित करते हैं।

↪️प्रक्षेपण विधियों के माध्यम से इन छिपे व्यवहारों का अध्ययन किया जाता है और उन्हें बाहर निकाला जाता है। अर्थात् जैसा व्यक्ति के मन में होता है वह बाह्य वस्तु को वैसे ही देखता है।

👤फ्रीमैन के अनुसार , “प्रक्षेपी विधियों का संबंध व्यक्तित्व के अचेतन पक्ष से होता है अर्थात् प्रक्षेपी विधियां व्यक्ति के चेतन व्यक्तित्व से संबंधित सूचना प्रदान करने के अतिरिक्त अचेतन स्तर पर दबी हुई आंतरिक भावनाओं और व्यक्तित्व संरचना का मापन करती है।”

↪️यह व्यक्ति के अचेतन मन का मापन करती है जो संपूर्ण मन का 9/10 होता है।👁️‍🗨️
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📝रोर्शा का स्याही धब्बा परीक्षण
(Rorschach Ink Blot Test)
↪️ स्याही धब्बा परीक्षण के प्रतिपादक ‘स्विट्जरलैंड’ के मनोचिकित्सक *हरमन रोर्शा* ने की।

↪️ इस परीक्षण का निर्माण 1921 ईस्वी में, *3 से 14 वर्ष के बच्चों के लिए* किया गया।

↪️ इस परीक्षण में 10 कार्ड होते हैं जिनपर स्याही के धब्बे बने होते हैं।
जिसमें से :-
⏩5 कार्ड पर : काले एवं सफेद
⏩2 कार्ड पर : लाल एवं काला
⏩3 कार्ड पर : अलग-अलग आकृति बना होता है।

↪️इन कार्ड के माध्यम से व्यक्ति के अचेतन मन की स्थिति की जानकारी प्राप्त होती है।

↪️ जिस व्यक्ति का व्यक्तित्व मापन करना होता है उसे परीक्षणकर्ता एक कार्ड देता है और व्यक्ति उसे देख कर कोई विवरण कहानी प्रस्तुत कर देता है।

↪️ इस परीक्षण के माध्यम से उसकी बुद्धि, सामाजिकता, समायोजन, संवेगात्मक स्थिति, कल्पनाशीलता, अहम की शक्ति आदि पक्षों का अध्ययन किया जाता है।

↪️एक प्रशिक्षित मनोवैज्ञानिक ही उसका अध्ययन कर सकता है।👁️‍🗨️

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✍️Notes By Awadhesh Kumar ✍️👁️‍🗨️
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✒️✒️व्यक्तित्व मापन की प्रक्षेपी विधियां✒️✒️
(Projective methods of personality)

🖋️ प्रक्षेपण (projection)➖

प्रक्षेपण शब्द का प्रयोग सबसे पहले मनोविश्लेषण वादी सिग्मंड फ्रायड ने सन् 1849 में किया था,जिसका अर्थ होता है – फेंकना

यह वो क्रिया है जिसमे प्रत्येक व्यक्ति अपने विचारों ,भावनाओं ,संवेग, इच्छाओं आदि का अन्य व्यक्ति या बाहरी जगत के माध्यम से सुरक्षात्मक रूप प्रस्तुत करता है।

🖊️वारेन के अनुसार➖”प्रक्षेपण वह प्रवृत्ति है जिसमे व्यक्ति वाह्य जगत में अपनी दमित मानसिक प्रक्रियाओं का प्रक्षेपण करता है।”

🖊️व्यक्ति के अचेतन मन में अनेक भावनाएं , इच्छाएं ,संवेगतमक द्वंद आदि देव रहते है।जो आपके संतुलन को प्रभावित करते है।

🖊️प्रक्षेपण विधियों के माध्यम से छिपे व्यवहारों का अध्ययन किया जाता है और उन्हें बाहर निकाला जाता है अर्थात जैसा व्यक्ति के मन में होता है वह वस्तु को वैसा ही देखता है।

🖋️ फ्रीमैन के अनुसार➖

“प्राक्षेपी विधियों का सम्बन्ध व्यक्तित्व के अचेतन मन से होता है अर्थात प्रक्षेपी विधियां व्यक्ति के अचेतन व्यक्तित्व से सम्बन्धित सूचना प्रदान करने के अतिरिक्त अचेतन स्तर पर दवी हुई आंतरिक भावनाओं और व्यक्तित्व संरचना का मापन करता है।

🔥यह व्यक्तित्व के अचेतन मन का मापन करता है जो सम्पूर्ण मन का 9/10 होता है।

🖋️ हरमन रोर्शा स्याही धब्बा परीक्षण
(Rorschach ink bolt test)➖
स्याही धब्बा परीक्षण का प्रतिपादन स्विट्जलैंड के मनोचिकित्सक हरमन रॉर्शा हैं।

🖊️इन्होंने सन् 1921में परीक्षण का निर्माण किया था।
🖊️यह परीक्षण 3से4 वर्ष के बच्चों के लिए उपयोगी है।
🖊️इसमें 10 कार्ड होते हैं जिन पर स्याही के धब्बे बने होते हैं
🍁जिनमे से :-

🖊️5 कार्ड पर – काले एवं सफेद रंग की , 2 कार्ड पर – लाल एवं कला रंग की ,3 कार्ड पर – अलग – अलग रंग की आकृति बनी होती हैं।

🖊️इन कार्ड के माध्यम से व्यक्ति के अचेतन मन की स्थिति की जानकारी प्राप्त होती है।

🖋️ जिस व्यक्ति का व्यक्तित्व मापन करता है उसे परिक्षणाकर्ता एक कार्ड देता है और व्यक्ति उसे देखकर कोई विवरण कहानी प्रस्तुत करता है

🖊️इस परीक्षण के माध्यम से उसकी बुद्धि ,सामाजिकता , समायोजन, संवेगत्मक स्थिति, कल्पनाशील ,अहम की शक्ति आदि पक्षों का अध्ययन किया जाता है।

🖊️एक प्रशिक्षित मनोवैज्ञानिक ही उसका अध्ययन करता है।

✒️✒️आरती सविता 🙏🙏🙏🌺🌺

🌼🌼व्यक्तित्व मापन की प्रक्षेपी विधियां🌼
(Projective Method of Personality)

🌼🌼प्रक्षेपण (Projection)🌼🌼
🌼”प्रक्षेपण “शब्द का प्रयोग सबसे पहले मनोविश्लेषणवादी “सिगमंड फ्रायड” ने 1849 ईस्वी में किया। जिसका अर्थ होता है :- फेंकना।

🌼यह वह क्रिया है जिसमें प्रत्येक व्यक्ति अपने विचारों, भावनाओं, इच्छाओं, संवेगों आदि का अन्य व्यक्ति या बाह्य जगत के माध्यम से सुरक्षात्मक रूप प्रस्तुत करता है।

🌼🌼 वारेन के अनुसार,:- “प्रक्षेपण वह प्रकृति है जिसमें व्यक्ति बाह्य जगत में अपने दमित मानसिक प्रक्रिया का प्रक्षेपण करता है।”

🌼🌼व्यक्ति के अचेतन मन में अनेक भावनाएं, इच्छाएं, संवेगात्मक द्वंद आदि दबे रहते हैं जो आप के संतुलन को प्रभावित करते हैं।

🌼🌼प्रक्षेपण विधियों के माध्यम से इन छिपे व्यवहारों का अध्ययन किया जाता है और उन्हें बाहर निकाला जाता है। अर्थात् जैसा व्यक्ति के मन में होता है वह बाह्य वस्तु को वैसे ही देखता है।

🌼🌼फ्रीमैन के अनुसार , :–“प्रक्षेपी विधियों का संबंध व्यक्तित्व के अचेतन पक्ष से होता है अर्थात् प्रक्षेपी विधियां व्यक्ति के चेतन व्यक्तित्व से संबंधित सूचना प्रदान करने के अतिरिक्त अचेतन स्तर पर दबी हुई आंतरिक भावनाओं और व्यक्तित्व संरचना का मापन करती है।”

🌼🌼यह व्यक्ति के अचेतन मन का मापन करती है जो संपूर्ण मन का 9/10 होता है।

🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼

🌼🌼रोर्शा का स्याही धब्बा परीक्षण🌼🌼
(Rorschach Ink Blot Test)
🌼 स्याही धब्बा परीक्षण के प्रतिपादक “स्विट्जरलैंड”के मनोचिकित्सक “हरमन रोर्शा” ने की।

🌼🌼 इस परीक्षण का निर्माण 1921 ईस्वी में, “3 से 14 वर्ष के बच्चों के लिए” किया गया।

🌼🌼 इस परीक्षण में 10 कार्ड होते हैं जिनपर स्याही के धब्बे बने होते हैं।
जिसमें से :-
🌼5 कार्ड पर : -काले एवं सफेद
🌼2 कार्ड पर : -लाल एवं काला
🌼3 कार्ड पर : -अलग-अलग आकृति बना होता है।

🌼🌼इन कार्ड के माध्यम से व्यक्ति के अचेतन मन की स्थिति की जानकारी प्राप्त होती है।

🌼🌼 जिस व्यक्ति का व्यक्तित्व मापन करना होता है उसे परीक्षणकर्ता एक कार्ड देता है और व्यक्ति उसे देख कर कोई विवरण कहानी प्रस्तुत कर देता है।

🌼🌼 इस परीक्षण के माध्यम से उसकी बुद्धि, सामाजिकता, समायोजन, संवेगात्मक स्थिति, कल्पनाशीलता, अहम की शक्ति आदि पक्षों का अध्ययन किया जाता है।

🌼🌼एक प्रशिक्षित मनोवैज्ञानिक ही उसका अध्ययन कर सकता है।

🌼🌼🌼🌼manjari soni 🌼🌼🌼🌼
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*व्यक्तित्व मापन की प्रक्षेपी विधियां*
*( Projective methods of personality )*

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💫 *प्रक्षेपण(Projection)*

प्रक्षेपण शब्द का प्रयोग सबसे पहले मनोविश्लेषण वादी सिगमंड फ्रायड ने 1849 में किया। इसका अर्थ होता है_ *फेंकना*।
यह वह क्रिया है जिसमें प्रत्येक व्यक्ति अपने विचारों , भावनाओं , इच्छाओं , संवेगों आदि का अन्य व्यक्ति या बाहरी जगत के माध्यम से सुरक्षात्मक रूप प्रस्तुत करता है।

✨ *वारेन के अनुसार*, “प्रक्षेपण वह प्रकृति है जिसमें व्यक्ति बाह्य जगत में अपनी दमित मानसिक प्रक्रियाओं का प्रक्षेपण करता है।”

व्यक्ति के अचेतन मन में अनेक भावनाएं , इच्छाएं , संवेगात्मक द्वंद आदि दबे रहते हैं जो आप के संतुलन को प्रभावित करती है।
प्रक्षेपण विधियों के माध्यम से छिपे व्यवहारों का अध्ययन किया जाता है और उन्हें बाहर निकाला जाता है अर्थात जैसा व्यक्ति के मन में होता है वह बाह्य वस्तु को वैसे ही देखता है।

💫 *फ्रीमैन के अनुसार*,” प्रक्षेपी विधियों का संबंध व्यक्तित्व के अचेतन पक्ष से होता है अर्थात प्रक्षेपी विधियां व्यक्ति के अचेतन व्यक्तित्व से संबंधित सूचना प्रदान करने के अतिरिक्त अचेतन स्तर पर दबी हुई आंतरिक भावनाओं और व्यक्तित्व संरचना का मापन करती है।”
यह व्यक्तित्व के अचेतन मन का मापन करते हैं। जो संपूर्ण मन का 9/10 होता है।

✨ *हरमन रोर्शा स्याही धब्बा परीक्षण*
*( Rorschach ink blot test )*

✨ स्याही धब्बा परीक्षण का प्रतिपादन स्विट्जरलैंड के मनोचिकित्सक *हर्मन रोर्शा* हैं ।

✨जिन्होंने 1921 में परीक्षण का निर्माण किया था।

✨यह परीक्षण 3 से 14 वर्ष के बच्चों के लिए उपयोगी है।

✨इसमें 10 कार्ड होते हैं।

✨जिनमें से 5 कार्डो पर काले /सफेद

✨2 कार्ड लाल और काले

✨3 कार्डों पर विभिन्न रंग की आकृतियां बनी होती है।

💫इन कार्डों के माध्यम से व्यक्ति के अचेतन मन की स्थिति की जानकारी प्राप्त होती है जिस व्यक्ति का व्यक्तित्व मापन करना होता है उससे परीक्षण करता कार्ड देता है और व्यक्ति उसे देख कर कोई विवरण कहानी प्रस्तुत करता है इस परीक्षण के माध्यम से उसकी बुद्धि सामाजिक समायोजन संवेगात्मक स्थिति कल्पनाशीलता अहम की शक्ति आदि पक्षों का अध्ययन किया जाता है एक प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक ही उसका अध्ययन कर सकता है।

*Notes by Shreya Rai*📝🙏😊

🌟 *व्यक्तिक मापन की प्रक्षेपी विधियां ( Projective Methods Of Personality)* 🌟

✨ *प्रक्षेपण (Projectoin):-*

👉🏻 प्रक्षेपण शब्द का प्रयोग सबसे पहले मनोविश्लेषणवादी “सिग्मंड फ्रायड” ने 1849 में किया था।

👉🏻 इसका अर्थ होता है,“फेकना” , यह वह क्रिया है, जिसमें प्रत्येक व्यक्ति अपने विचारों, भावनाओं, इच्छाओं, संवेगो आदि का अन्य व्यक्ति या बाह्य जगत के माध्यम से सुरक्षात्मक रूप से प्रस्तुत करता है।

✨ *वारेन के अनुसार:-* “प्रक्षेपण वह प्रवृत्ति है, जिसमें व्यक्ति बाह्य जगत में अपनी दमित मानसिक प्रक्रिया का प्रक्षेपण करता है”।

👉🏻 व्यक्ति के अचेतन मन में अनेक भावनाएं, इच्छाएं, संवेगात्मक, द्वंद आदि दबे रहते हैं, जो आपके संतुलन को प्रभावित करते हैं। प्रक्षेपण विधियों के माध्यम से छिपे व्यवहारों का अध्ययन किया जाता है और बाहर निकाला जाता है।
अर्थात जैसा व्यक्ति के मन में होता है, वह बाह्य वस्तु को वैसे ही देखता है।

✨ *फ्रीमेंन के अनुसार:-* “प्रक्षेपी विधियों का संबंध व्यक्तित्व के अचेतन 5 से होता है अर्थात प्रक्षेपी विधियां व्यक्ति के चेतन व्यक्तित्व से संबंधित सूचना प्रदान करने के अतिरिक्त अचेतन स्तर पर दबी हुई आंतरिक भावनाओं और व्यक्तिक संरचना का मापन करती है”।

👉🏻 यह व्यक्ति के अचेतन मन का मापन करती है, जो संपूर्ण मन का 9/10 होता है।

🌟 *रोर्शा स्याही धब्बा परीक्षण ( Rarschach Ink bolt test)* 🌟

👉🏻 स्याही धब्बा परीक्षण का प्रतिपादक स्वीटजरलैंड के मनोचिकित्सक “हरमन रॉर्शा ” ने की।

👉🏻 1921 मैं इस परीक्षण का निर्माण किया गया।

👉🏻 3–14 साल के बच्चो के लिए किया गया है।

👉🏻 इस परीक्षण में 10 कार्ड होते है।

👉🏻 जिसमें से 5 कार्ड पर काले एवं परीक्षण में गत्ते पर स्याही के 10 धब्बे होते थे।

👉🏻 2 कार्ड पर लाल/काला धब्बे होते है।

👉🏻 3 कार्ड पर अलग–अलग आकृतियां बनी होती है ।

👉🏻 इन कार्डो के माध्यम से व्यक्ति के अचेतन मन की स्थिति की जानकारी प्राप्त होती है।
जिस व्यक्ति का व्यक्तित्व मापन करना होता है, उससे परीक्षण कर्ता एक कार्ड देता है और व्यक्ति उसे देख कर कोई विवरण कहानी प्रस्तुत कर देता है। इस परीक्षण के माध्यम से जो उसकी बुद्धि सामाजिकता, समायोजन, सम्वेगात्मक , स्थिति, कल्पनाशीलता अहम की शक्ति आदि पक्षों का अध्ययन किया जाता है। एक प्रशिक्षित मनोवैज्ञानिक ही उसका अध्ययन कर सकता है।

✍️✍️✍️ *Notes by–Pooja* ✍️✍️✍️

🌈 व्यक्तित्व मापन की प्रक्षेपी विधियां 🌈 🔱 *प्रेक्षण (projection )*➖ ➡️ प्रक्षेपण शब्द का प्रयोग सबसे पहले मनोविश्लेषण वादी सिगमंड फ्रायड ने 1849 में किया । ➡️ इसका अर्थ है – फेंकना यह वह क्रिया है जिसमें प्रत्येक व्यक्ति अपने, विचारों ,भावनाओं , इच्छाओं , संवेगो आदि का अन्य व्यक्ति या वाहृय जगत के माध्यम से सुरक्षात्मक रूप प्रस्तुत करता है । *वारेन के अनुसार*➖ प्रक्षेपण वह प्रवृत्ति है जिसमें व्यक्ति वाहृय जगत में अपनी दमित मानसिक प्रक्रिया का प्रक्षेपण करता है। व्यक्ति के अचेतन मन में अनेक भावनाएं ,इच्छाएं ,संवेगात्मक द्वंद आदि दबे रहते हैं जो आप के संतुलन को प्रभावित करते हैं । अर्थात जैसा व्यक्ति के मन में होता है वह वाहृय वस्तु को वैसे ही देखता है । *”फ्रीमेन” के अनुसार*➖ प्रक्षेपी विधियों का संबंध व्यक्तित्व के अचेतन पक्ष से होता है अर्थात प्रक्षेपी विधियां व्यक्ति के चेतन व्यक्तित्व से संबंधित सूचना प्रदान करने के अतिरिक्त अचेतन स्तर पर दबी हुई आंतरिक भावनाओं और व्यक्तित्व संरचना का मापन करती है। यह व्यक्ति के अचेतन मन का मापन करती है जो संपूर्ण मन का 9 /10 होता है। 1️⃣ *Rorschach Ink Bolt Test { रोर्शा स्याही धब्बा परीक्षण }*➖ ➡️ स्याही धब्बा परीक्षण का प्रतिपादन स्विट्जरलैंड के मनोचिकित्सक हर्मन रोर्शा ने की । ➡️ सन् 1921में इस परीक्षण का निर्माण किया गया । ➡️ 13-14 साल के बच्चों के लिए किया जाता है। ➡️ इस परीक्षण में 10 कार्ड होते हैं । 👉 5 कार्ड पर काले एवं परीक्षण में गत्ते पर स्याही के 10 धब्बे होते हैं ➡️ 2 कार्ड पर लाल / काला ➡️ 3 कार्ड पर अलग-अलग आकृति। इन कार्ड के माध्यम से व्यक्ति के अचेतन मन की स्थिति की जानकारी प्राप्त होती है। जिस व्यक्ति का व्यक्तित्व मापन करना होता है उसे परीक्षण करता एक कार्ड देता है और व्यक्ति उसे देख कर कोई विवरण कहानी प्रस्तुत कर देता है इस परीक्षण के माध्यम से उसकी बुद्धि, सामाजिकता, समायोजन , संवेगात्मक स्थिति ,कल्पनाशीलता , अहम की शक्ति, आदि पक्षों का अध्ययन किया जाता है । एक प्रशिक्षित मनोवैज्ञानिक ही उसका अध्ययन कर सकता हैं। धन्यवाद ✍️✍️✍️ Notes by Pragya Shukla…….

💥 व्यक्तित्व मापन की प्रक्षेपी विधियां💥
(Projective methods of personality)

🌀प्रक्षेपण (Projection) ➖
प्रक्षेपण शब्द का प्रयोग सबसे पहले मनोविश्लेषणवादी सिगमंड फ्रायड ने 1849 में किया |
इसका अर्थ होता है ” फेंकना ”
यह वह प्रक्रिया है जिसमें प्रत्येक व्यक्ति अपने विचारों भावनाओं इच्छाओं संवेगो आदि का अन्य व्यक्ति या बाह्य जगत के माध्यम से सुरक्षात्मक उपाय प्रस्तुत करता है |

💫वारेन के अनुसार ➖ प्रक्षेपण वह प्रवृत्ति है जिसमें व्यक्ति बाह्य जगत में अपनी दमित मानसिक प्रक्रिया का प्रक्षेपण करता है |

🔥व्यक्ति के अचेतन मन में अनेक भावनाएं इच्छाएं संवेगात्मक द्वंद आदि दबे रहते है जो आपके संतुलन को प्रभावित करते हैं |
प्रक्षेपण विधियों के माध्यम से इन छुपे व्यवहारों का अध्ययन किया जाता है और उन्हें बाहर निकाला जाता है अर्थात् जैसा व्यक्ति के मन में होता है वह बाह्य वस्तु को वैसा ही देखता है |

🌀फ्रीमेन के अनुसार ➖ प्रक्षेपी विधियों का संबंध व्यक्तित्व के अचेतन पक्ष से होता है अर्थात प्रक्षेपी विधियां व्यक्ति के चेतन व्यक्तित्व से संबंधित सूचना प्रदान करने के अतिरिक्त अचेतन स्तर पर दबी हुई आंतरिक भावनाओं और व्यक्तित्व संरचना का मापन करती है |
यह व्यक्ति के अचेतन मन का मापन करती हैं जो संपूर्ण मन का 9/10 होता है |
🔥1. Rorschach Ink Bolt test :-
रोर्शा स्याही धब्बा परीक्षण ➖ स्याही धब्बा परीक्षण का प्रतिपादन स्विट्जरलैंड की मनो चिकित्सक हरमन रोर्शा ने किया |
🌟 1921 में इस परीक्षण का निर्माण किया गया |
🌟3-14 साल के बच्चे के लिए किया गया |
🌟इस परीक्षण में 10 कार्ड हैं |
🌟5 कार्ड पर काले एवं परीक्षण में गत्ते पर स्याही के 10 धब्बे होते हैं |
🌟2 कार्ड पर लाल / काला
🌟3 कार्ड पर अलग-अलग आकृति
💫इन कार्ड के माध्यम से व्यक्ति के अचेतन मन की स्थिति की जानकारी प्राप्त होती है |
💫जिस व्यक्ति का व्यक्तित्व मापन करना होता है उसे परीक्षण कर्ता एक कार्ड देता है और व्यक्ति उसे देखकर कोई विवरण कहानी प्रस्तुत कर देता है इस परीक्षण के माध्यम से उसकी सामाजिकता समायोजन संवेगात्मक स्थिति कल्पनाशीलता अहम की शक्ति आदि पक्षों का अध्ययन किया जाता है एक प्रशिक्षित मनोवैज्ञानिक कि उसका अध्ययन कर सकता है |
Notes bye ➖ Ranjana Sen

💫 व्यक्तिगत मापन की प्रक्षेपी (projective methods of personality)💫

🌺प्रक्षेपण (projection)

✍🏻 प्रक्षेपण शब्द का प्रयोग सबसे पहले मनोवैज्ञानिक 🤵🏻‍♂ सिगमंड फ्रायड ने 1849 नहीं किया था।

✍🏻 इसका अर्थ होता है फेंकना
यह क्रिया है, जिसमें प्रत्येक व्यक्ति अपने विचारों, भावनाओं, इच्छाओं, संवेगों आदि का अध्ययन व्यक्ति या बाहा जगत के माध्यम से सुरक्षात्मक रूप प्रस्तुत करता है।

💫वारेन के अनुसार➖ प्रक्षेपण वह प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति वाह्य जगत में अपनी दमित मानसिक प्रक्रिया का प्रक्षेपण करता है।

✍🏻 व्यक्ति के अचेतन मन में अनेक भावनाएं, इच्छाएं, संवेगात्मक द्वंद आदि दबे रहते हैं जो आपके संतुलन को प्रभावित करते है।

✍🏻प्रक्षेपण विधियों के माध्यम से छिपे व्यवहारों का अध्ययन किया जाता है और उन्हें बाहर निकाला जाता है।
अर्थात जैसा व्यक्ति के मन में होता है वह वह वस्तुओं को वैसा ही देखता है।

💫फ्रीमैन के अनुसार➖ प्रक्षेपी विधियों का संबंध व्यक्तिगत के अचेतन पक्ष से होता है।
अर्थात प्रक्षेपी विधियां व्यक्तियों के चेतन व्यक्तित्व से संबंधित सूचना प्रदान करने के अतिरिक्त अचेतन स्तर पर दबी आंतरिक भावनाओं और व्यक्तित्व संरचना का मापन करती है।

✍🏻 यह व्यक्ति के अचेतन मन का मापन करती है संपूर्ण मन का 9/10 होता है।

💫 रोर्शा स्याही धब्बा परीक्षण
(Rorschach ink blot test)

✍🏻 इस परीक्षण का निर्माण 1921 में एक स्विट्जरलैंड के मनोचिकित्सक हरमन रोर्शा ने किया।
✍🏻 3 से 14 साल तक के बच्चों के लिए यह परीक्षण किया जाता है।
✍🏻 इस परीक्षण में 10 कार्ड होते हैं 5 कार्ड पर काले एवं परीक्षण में गत्ते पर स्याही के दाग धब्बे होते हैं।

✍🏻 दो कार्ड पर लाल / काला धब्बे होते हैं।
✍🏻 3 कार्ड पर अलग-अलग आकृति होती है। मन की स्थिति की जानकारी प्राप्त होती है।
✍🏻जिस व्यक्ति का व्यक्तित्व मापन करना होता है उसे परीक्षण करता एक काट देता है और व्यक्ति उसे लगाकर कोई विवरण कहानी प्रस्तुत कर देता है इस परीक्षण के माध्यम से उसकी बुद्धि, सामाजिकता, समायोजन, संवेगात्मक स्थिति, कल्पनाशीलता अहम की शक्ति आदि पक्षों का अध्ययन किया जाता है।
✍🏻 एक प्रशिक्षित मनोवैज्ञानिक ही उसका अध्ययन कर सकता है

✍🏻 इस परीक्षण से मानसिक रोगी का निदान व उपचार किया जाता है।

✍🏻📚📚 Notes by….. Sakshi Sharma
📚📚✍🏻

🌹🌹 व्यक्तित्व मापन की प्रक्षेपी विधियां 🌹🌹

🌹Projective Methods Of Personality🌹

🌻 प्रक्षेपण :-

प्रक्षेपण शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग मनोविश्लेषणवादी सिग्मंड फ्रायड ने 1849 में किया था।

प्रक्षेपण का अर्थ होता है :- फेंकना

अर्थात् प्रक्षेपण वह क्रिया है जिसमें प्रत्येक व्यक्ति अपने विचारों , भावनाओं , इच्छाओं , संवेगों आदि का अन्य व्यक्ति या बाह्य जगत के माध्यम से सुरक्षात्मक रूप प्रस्तुत करता है।

🌺 वारेन के अनुसार :-

प्रक्षेपण वह प्रवृत्ति है जिसमें व्यक्ति बाह्य जगत में अपनी दमित मानसिक प्रक्रिया का प्रक्षेपण करता है।

व्यक्ति के अचेतन मन में अनेक भावनाएं , इच्छाएं , संवेगात्मक द्वंद आदि दबे रहते हैं जो उनके संतुलन को प्रभावित करते हैं।

प्रक्षेपण विधियों के माध्यम से इन (दबे) छुपे व्यवहारों का अध्ययन किया जाता है और उन्हें बाहर निकाला जाता है।

अर्थात जैसा व्यक्ति का मन में होता है वह बाह्यवस्तु को वैसे ही देखता है।

🌺 फ्रीमैन के अनुसार :-

प्रक्षेपी विधियों का संबंध व्यक्तित्व के अचेतन पक्ष से होता है।
अर्थात प्रक्षेपी विधियां व्यक्ति के चेतन व्यक्तित्व से संबंधित सूचना प्रदान करने के अतिरिक्त अचेतन स्तर पर दबी हुई आंतरिक भावनाओं और व्यक्तित्व संरचना का मापन करती हैं।

यह व्यक्ति के अचेतन मन का मापन करती हैं जो संपूर्ण मन का ” *9/10* ” होता है।

🌻 निम्नलिखित विधियां हैं :-

♣️ *हरमन रोर्शाक स्याही धब्बा परीक्षण ♣️*

🎴 ♣️ *Ink – Blot Test* *[ I. B. T. ]* ♣️🎴

प्रतिपादक

स्विट्जरलैंड के मनोचिकित्सक ” हरमन रोर्शाक ”

परीक्षण का निर्माण किया :-

सन् 1921 में

इस परीक्षण का प्रयोग किया जाता है :-

3 – 14 वर्ष के बच्चों पर

इस परीक्षण में प्रयोग किये जाने बाले , गत्ते के कार्डों पर स्याही के धब्बे लगे हुये कुल 10 कार्ड होते हैं , जिसमें से :-

5 कार्डों पर :- काले रंग के स्याही के धब्बे

2 कार्डों पर :- काले व लाल रंग के स्याही के धब्बे तथा

3 कार्डों पर :- अनेक रंगों के स्याही के धब्बे लगे होते हैं।

इन कारणों के माध्यम से व्यक्ति के अचेतन मन की स्थिति की जानकारी प्राप्त होती है।

जिन व्यक्तियों (बच्चों) का व्यक्तित्व मापन करना होता है उन्हें परीक्षण कर्ता एक कार्ड देता और व्यक्ति / बच्चे उसे देखकर कोई विवरण कहानी प्रस्तुत कर देते हैं उस परीक्षण के माध्यम से उसकी बुद्धि सामाजिकता , समायोजन , संवेगात्मक स्थिति , कल्पनाशीलता , अहम की शक्ति आदि पक्षों का अध्ययन किया जाता है।

एक प्रशिक्षित मनोवैज्ञानिक ही उसका अध्ययन कर सकता है।

*क्रो & क्रो के अनुसार :* –

धब्बों की व्याख्या करके परीक्षार्थी अपने व्यक्तित्व का संपूर्ण चित्र प्रस्तुत कर देता है।

🌹✒️ Notes by – जूही श्रीवास्तव ✒️🌹

🔆 *व्यक्तित्व मापन की प्रक्षेपी विधियां*➖

(Projective Methods Of Personality)

🔅 प्रक्षेपण :-
प्रक्षेपण शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग मनोविश्लेषणवादी सिग्मंड फ्रायड ने 1849 में किया था।

प्रक्षेपण का अर्थ होता है :- फेंकना

अर्थात् प्रक्षेपण वह क्रिया है जिसमें प्रत्येक व्यक्ति अपने विचारों , भावनाओं , इच्छाओं , संवेगों आदि का अन्य व्यक्ति या बाह्य जगत के माध्यम से सुरक्षात्मक रूप प्रस्तुत करता है।

🔅 वारेन के अनुसार :-

प्रक्षेपण वह प्रवृत्ति है जिसमें व्यक्ति बाह्य जगत में अपनी दमित मानसिक प्रक्रिया का प्रक्षेपण करता है।
व्यक्ति के अचेतन मन में अनेक भावनाएं , इच्छाएं , संवेगात्मक द्वंद आदि दबे रहते हैं जो उनके संतुलन को प्रभावित करते हैं।

प्रक्षेपण विधियों के माध्यम से इन (दबे) छुपे व्यवहारों का अध्ययन किया जाता है और उन्हें बाहर निकाला जाता है।

अर्थात जैसा व्यक्ति का मन में होता है वह बाह्यवस्तु को वैसे ही देखता है।

🔅 फ्रीमैन के अनुसार :-

प्रक्षेपी विधियों का संबंध व्यक्तित्व के अचेतन पक्ष से होता है।
अर्थात प्रक्षेपी विधियां व्यक्ति के चेतन व्यक्तित्व से संबंधित सूचना प्रदान करने के अतिरिक्त अचेतन स्तर पर दबी हुई आंतरिक भावनाओं और व्यक्तित्व संरचना का मापन करती हैं।

यह व्यक्ति के अचेतन मन का मापन करती हैं जो संपूर्ण मन का ” *9/10* ” होता है।

निम्नलिखित विधियां हैं :-
🔅 *हरमन रोर्शाक स्याही धब्बा परीक्षण*
🔅 *Ink – Blot Test* *[ I.B.T.]
प्रतिपादक
स्विट्जरलैंड के मनोचिकित्सक ” हरमन रोर्शाक ”

*परीक्षण का निर्माण किया* :-
सन् 1921 में
इस परीक्षण का प्रयोग किया जाता है :-
3 – 14 वर्ष के बच्चों पर

इस परीक्षण में प्रयोग किये जाने बाले , गत्ते के कार्डों पर स्याही के धब्बे लगे हुये कुल 10 कार्ड होते हैं , जिसमें से :-

5 कार्डों पर :- काले रंग के स्याही के धब्बे

2 कार्डों पर :- काले व लाल रंग के स्याही के धब्बे तथा

3 कार्डों पर :- अनेक रंगों के स्याही के धब्बे लगे होते हैं।
इन कारणों के माध्यम से व्यक्ति के अचेतन मन की स्थिति की जानकारी प्राप्त होती है।
जिन व्यक्तियों (बच्चों) का व्यक्तित्व मापन करना होता है उन्हें परीक्षण कर्ता एक कार्ड देता और व्यक्ति / बच्चे उसे देखकर कोई विवरण कहानी प्रस्तुत कर देते हैं उस परीक्षण के माध्यम से उसकी बुद्धि सामाजिकता , समायोजन , संवेगात्मक स्थिति , कल्पनाशीलता , अहम की शक्ति आदि पक्षों का अध्ययन किया जाता है।

एक प्रशिक्षित मनोवैज्ञानिक ही उसका अध्ययन कर सकता है।

*क्रो & क्रो के अनुसार :* –

धब्बों की व्याख्या करके परीक्षार्थी अपने व्यक्तित्व का संपूर्ण चित्र प्रस्तुत कर देता है।
✍️
*Notes by – Vaishali Mishra*

Right to education act for CTET and TET notes by India’s top learners

शिक्षा का अधिकार अधिनियम – 2009
Right to Education – 2009
(RTE ACT 2009)⭐⭐⭐(18 Jan 21)
_____________________________
🌱संविधान के 86 में संशोधन, 2002 ने भारत के संविधान में अंतः स्थापित अनुच्छेद 21(क), ऐसे ढंग से जैसा कि राज्य कानून द्वारा निर्धारित करता है।
↪️मौलिक अधिकार के रूप में 6 से 14 वर्ष के आयु समूह के बच्चे को मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान करता है।👁️‍🗨️

🌱निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा के लिए RTE Act 2009 में बच्चे का अधिकार, अनुच्छेद 21(क) के तहत ही परिणामी विधान प्रतिनिधित्व करता है।
↪️ इसका अर्थ है कि औपचारिक स्कूल, जो अनिवार्य मानदंडों और मानकों को पूरा करता है, में संतोषजनक और एक समान गुणवत्ता वाले पूर्णकालिक प्रारंभिक शिक्षा के लिए प्रत्येक बच्चे का अधिकार है।👁️‍🗨️

🌱 अनुच्छेद 21(क) और RTE Act अधिनियम 1 April 2010 को लागू हुआ। RTE अधिनियम के शीर्षक में “निःशुल्क और अनिवार्य” शब्द सम्मिलित है।

↪️ ⏩🌱*निशुल्क शिक्षा* का तात्पर्य है कि किसी बच्चे जिसके माता-पिता द्वारा स्कूल में दाखिल किया गया है, को छोड़कर कोई बच्चा जो उचित सरकार द्वारा समर्थित नहीं है, किसी किस्म की फीस या प्रभातिया व्यय जो प्रारंभिक शिक्षा जारी रखने और पूरा करने से उसको रोके, अदा करने के लिए उत्तरदायी नहीं होगा।

↪️⏩🌱*अनिवार्य शिक्षा* – उचित सरकार और स्थानीय पदाधिकारियों पर 6 से 14 आयु समूह के सभी बच्चे को प्रवेश,उपस्थिति और प्रारंभिक शिक्षा को पूरा करने का प्रावधान और सुनिश्चित करने की बाध्यता रखता है।👁️‍🗨️

💩💩इससे भारत अधिकार आधारित जांच के लिए आगे बढ़ा है और आरटीआई अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार संविधान के अनुच्छेद 21(क) में यथा प्रतिष्ठित बच्चे के इस मौलिक अधिकार को क्रियान्वित करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार पर कानूनी बाध्यता रखता है।👁️‍🗨️

🌱🌱RTE Act के प्रावधान
⚠️RTE Act निम्नलिखित का प्रावधान करता है-

0️⃣1️⃣⚠️किसी पड़ोस के स्कूल में प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने तक “निशुल्क और अनिवार्य” शिक्षा के लिए बच्चे का अधिकार।

0️⃣2️⃣⚠️यह स्पष्ट करता है कि अनिवार्य शिक्षा का तात्पर्य 6 से 14 वर्ष के प्रत्येक बच्चे को नि:शुल्क प्रारंभिक शिक्षा प्रदान करने के लिए और अनिवार्य प्रवेश उपस्थिति और प्रारंभिक शिक्षा को पूरा करने का सुनिश्चित करने के लिए, उचित सरकार की बाध्यता।

↪️🌿 *निशुल्क का तात्पर्य* यह है कि कोई भी बच्चा प्रारंभिक शिक्षा को जारी रखने और पूरा करने से रोकने वाली फीस या प्रभार व्यय को अदा करने के लिए उत्तरदाई नहीं होगा।

0️⃣3️⃣⚠️यह गैर प्रवेश (जो प्रवेश नहीं लिए हैं) दिए गए बच्चे के लिए उचित आयु कक्षा में प्रवेश किए जाने का प्रावधान करता है।

0️⃣4️⃣⚠️यह *निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा* प्रदान करने में उचित सरकारों, स्थानीय प्राधिकारी और अभिभावकों के कर्तव्य और दायित्व को, केंद्र तथा राज्य सरकार के बीच वित्तीय और अन्य जिम्मेदारी को बांटते हैं।

0️⃣5️⃣⚠️यह अन्य कार्यों के साथ-साथ छात्र शिक्षक अनुपात, भवन और संरचना, स्कूल के कार्य दिवस, शिक्षा के कार्य के घंटों से संबंधित मानदंड और मानक को निर्धारित करता है।

0️⃣6️⃣⚠️छात्र शिक्षक अनुपात सुनिश्चित करने के लिए अध्यापक की तैनाती का प्रावधान करता है। अध्यापक की तैनाती में शहरी-ग्रामीण संतुलन को सुनिश्चित करता है। यह 10 वर्षीय जनगणना, स्थानीय प्राधिकरण, राज्य विधानसभा और संसद के लिए चुनाव, आपदा राहत को छोड़कर किसी गैर शैक्षिक कार्य के लिए अध्यापक की तैनाती का निषेध करता है।

0️⃣7️⃣⚠️यह उपयुक्त रूप से प्रशिक्षित अध्यापकों की नियुक्ति का प्रावधान करता है अर्थात अपेक्षित प्रवेश और शैक्षिक योग्यता के साथ अध्यापक

0️⃣8️⃣⚠️🚫मना है-?
🚫1🚫शारीरिक दंड मानसिक उत्पीड़न।
🚫2🚫बच्चे को प्रवेश के लिए अन्वीक्षण प्रक्रिया।
🚫3🚫प्रति व्यक्ति शुल्क।
🚫4🚫अध्यापकों का निजी ट्यूशन।
🚫5🚫 बिना मान्यता का स्कूल चलाना।

0️⃣9️⃣⚠️संविधान के अनुसार पाठ्यक्रम में विकास हो। बच्चे का समग्र विकास, बच्चे का ज्ञान, संभावना, प्रतिभा निखारना, मित्रवत प्रणाली, एक बाल केंद्रित शिक्षा के माध्यम से बच्चे की डर, चोट, चिंता से मुक्त करना।
🙏🙏

📕📓📗🇮🇳🇮🇳🇮🇳📙📙📘
✍️Notes By Awadhesh Kumar ✍️👁️‍🗨️
🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
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🌼🌼🌼शिक्षा का अधिकार अधिनियम – 2009
🌼🌼Right to Education – 2009
(RTE ACT 2009)(18 Jan 21)
🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼

🌼🌼संविधान के 86 वे संशोधन, 2002 ने भारत के संविधान में अंतः स्थापित अनुच्छेद 21(क), ऐसे ढंग से जैसा कि राज्य कानून द्वारा निर्धारित करता है।

🌼🌼मौलिक अधिकार के रूप में 6 से 14 वर्ष के आयु समूह के बच्चे को मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान करता है।

🌼🌼निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा के लिए RTE Act 2009 में बच्चे का अधिकार, अनुच्छेद 21(क) के तहत ही परिणामी विधान प्रतिनिधित्व करता है।

🌼🌼इसका अर्थ है कि औपचारिक स्कूल, जो अनिवार्य मानदंडों और मानकों को पूरा करता है, में संतोषजनक और एक समान गुणवत्ता वाले पूर्णकालिक प्रारंभिक शिक्षा के लिए प्रत्येक बच्चे का अधिकार है।

🌼🌼 अनुच्छेद 21(क) और RTE Act अधिनियम 1 April 2010 को लागू हुआ। RTE अधिनियम के शीर्षक में “निःशुल्क और अनिवार्य” शब्द सम्मिलित है।

🌼🌼”निशुल्क शिक्षा” का तात्पर्य है कि किसी बच्चे जिसके माता-पिता द्वारा स्कूल में दाखिल किया गया है, को छोड़कर कोई बच्चा जो उचित सरकार द्वारा समर्थित नहीं है, किसी किस्म की फीस या प्रभातिया व्यय जो प्रारंभिक शिक्षा जारी रखने और पूरा करने से उसको रोके, अदा करने के लिए उत्तरदायी नहीं होगा।

🌼🌼”अनिवार्य शिक्षा” – उचित सरकार और स्थानीय पदाधिकारियों पर 6 से 14 आयु समूह के सभी बच्चे को प्रवेश,उपस्थिति और प्रारंभिक शिक्षा को पूरा करने का प्रावधान और सुनिश्चित करने की बाध्यता रखता है।

🌼🌼इससे भारत अधिकार आधारित जांच के लिए आगे बढ़ा है और आरटीआई अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार संविधान के अनुच्छेद 21(क) में यथा प्रतिष्ठित बच्चे के इस मौलिक अधिकार को क्रियान्वित करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार पर कानूनी बाध्यता रखता है।

🌼🌼RTE Act के प्रावधान🌼🌼🌼
🌼RTE Act निम्नलिखित का प्रावधान करता है-

🌼🌼1.किसी पड़ोस के स्कूल में प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने तक “निशुल्क और अनिवार्य” शिक्षा के लिए बच्चे का अधिकार।

🌼🌼2.यह स्पष्ट करता है कि अनिवार्य शिक्षा का तात्पर्य 6 से 14 वर्ष के प्रत्येक बच्चे को नि:शुल्क प्रारंभिक शिक्षा प्रदान करने के लिए और अनिवार्य प्रवेश उपस्थिति और प्रारंभिक शिक्षा को पूरा करने का सुनिश्चित करने के लिए, उचित सरकार की बाध्यता।

🌼🌼 “निशुल्क का तात्पर्य” यह है कि कोई भी बच्चा प्रारंभिक शिक्षा को जारी रखने और पूरा करने से रोकने वाली फीस या प्रभार व्यय को अदा करने के लिए उत्तरदाई नहीं होगा।

🌼🌼3.यह गैर प्रवेश (जो प्रवेश नहीं लिए हैं) दिए गए बच्चे के लिए उचित आयु कक्षा में प्रवेश किए जाने का प्रावधान करता है।

🌼🌼4.यह “निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा” प्रदान करने में उचित सरकारों, स्थानीय प्राधिकारी और अभिभावकों के कर्तव्य और दायित्व को, केंद्र तथा राज्य सरकार के बीच वित्तीय और अन्य जिम्मेदारी को बांटते हैं।

🌼🌼5.यह अन्य कार्यों के साथ-साथ छात्र शिक्षक अनुपात, भवन और संरचना, स्कूल के कार्य दिवस, शिक्षा के कार्य के घंटों से संबंधित मानदंड और मानक को निर्धारित करता है।

🌼🌼6.छात्र शिक्षक अनुपात सुनिश्चित करने के लिए अध्यापक की तैनाती का प्रावधान करता है। अध्यापक की तैनाती में शहरी-ग्रामीण संतुलन को सुनिश्चित करता है। यह 10 वर्षीय जनगणना, स्थानीय प्राधिकरण, राज्य विधानसभा और संसद के लिए चुनाव, आपदा राहत को छोड़कर किसी गैर शैक्षिक कार्य के लिए अध्यापक की तैनाती का निषेध करता है।

🌼🌼7.यह उपयुक्त रूप से प्रशिक्षित अध्यापकों की नियुक्ति का प्रावधान करता है अर्थात अपेक्षित प्रवेश और शैक्षिक योग्यता के साथ अध्यापक

🌼🌼🌼🌼8.मना है-?🌼🌼🌼
🌼1.शारीरिक दंड मानसिक उत्पीड़न।
🌼2.बच्चे को प्रवेश के लिए अन्वीक्षण प्रक्रिया।
🌼3.प्रति व्यक्ति शुल्क।
🌼4.अध्यापकों का निजी ट्यूशन।
🌼5. बिना मान्यता का स्कूल चलाना।

🌼🌼संविधान के अनुसार पाठ्यक्रम में विकास हो। बच्चे का समग्र विकास, बच्चे का ज्ञान, संभावना, प्रतिभा निखारना, मित्रवत प्रणाली, एक बाल केंद्रित शिक्षा के माध्यम से बच्चे के डर , चोट, चिंता से मुक्त करना ।।

🌼🌼🌼manjari soni🌼🌼🌼
🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼
🌀 RTE ACT – 2009 🌀
( Right to Educational Act )
💥शिक्षा का अधिकार अधिनियम💥

💫संविधान के 86 वे संशोधन 2002 ने भारत संविधान में अत: स्थापित अनुच्छेद 21 (क) (A) ऐसे ढंग से जैसा कि राज्य कानून द्वारा निर्धारित करता है | मौलिक अधिकार के रूप में 6-14 वर्ष आयु समूह के बच्चे को मुफ्त / अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान करता है |
💫 नि : शुल्क और अनिवार्य शिक्षा के लिए RTE ACT 2009 में बच्चे का अधिकार अनुच्छेद 21 (A) के तहत ही परिणामी विधान प्रतिनिधित्व करता है |
इसका अर्थ है कि औपचारिक स्कूल जो अनिवार्य मानदंडो और मानको को पूरा करता है इसमें संतोषजनक और एक समान गुणवत्ता वाले पूर्णकालिक प्रारंभिक शिक्षा के लिए प्रत्येक बच्चे का अधिकार है |

💫अनुच्छेद 21 (A) और RTE Act अनिवार्य 1 अपैल 2010 को लागू हुआ |RTE अधिकार के शीर्षक में ” नि: शुल्क ” और “अनिवार्य” शब्द सम्मलित है |
नि: शुल्क शिक्षा का तात्पर्य है कि किसी बच्चे जिसके माता – पिता द्वारा स्कूल में दाखिल किया गया है को छोड़कर कोई बच्चा जो उचित सरकार द्वारा समर्थित नही है, किसी किस्म की फीस या प्रभार या व्यय जो प्रारंभिक शिक्षा जारी रखने और पूरा करने से उसको रोके अदा करने के लिए उत्तरदायी नही होगा |

💫अनिवार्य शिक्षा ➖ उचित सरकार और स्थानीय प्राधिकारियो पर 6-14 आयु समूह के सभी बच्चे को प्रवेश उपस्थिति और प्रारंभिक शिक्षा को पूरा करने का प्रावधान करने और सुनिश्चित करने की बाध्यता रखता है |
💫 इससे भारत अधिकार आधारित ढा़चे के लिए आगे बढा़ है और RTE अधिनियम के प्रावधानो के अनुसार संविधान के अनुच्छेद 21 (A) में यथा प्रतिष्ठित बच्चे के इस मौलिक अधिकार को क्रियान्वित करने के लिए केन्द्र और राज्य सरकार पर कानूनी बाध्यता रखता है |

💥RTE Act निम्नलिखित का प्रावधान करता है –
1⃣ किसी पडो़स के स्कूल में प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने तक नि : शुल्क और अनिवार्य शिक्षा के लिए बच्चो का अधिकार है|
2⃣ यह स्पष्ट करता है कि अनिवार्य शिक्षा का तात्पर्य 6-14 वर्ष के प्रत्येक बच्चे को नि : शुल्क प्रारंभिक शिक्षा प्रदान करने और अनिवार्य प्रवेश उपस्थिति और प्रारंभिक शिक्षा को पूरा करने को सुनिश्चित करने के लिए उचित सरकार की बाध्यता से है |
नि :शुल्क का तात्पर्य यह है कि कोई भी बच्चा प्रारंभिक शिक्षा को जारी रखने पूरी करने से रोकने वाली फीस या प्रभार या व्यय को अदा करने के लिए उत्तरदायी नही होगा |
3⃣ यह गैर प्रवेश दिए बच्चे के लिए उचित आयु कक्षा में प्रवेश किए जाने का प्रावधान करता है |
4⃣ यह नि : शुल्क और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने उचित सरकारो स्थानीय प्राधिकारी और अभिभावको के कर्तव्यों और दायित्वों और केंद्र तथा राज्य सरकारों के बीच वित्तीय और अन्य जिम्मेदारियों को बांटता है |
5⃣ यह अन्य कार्यों के साथ-साथ छात्र शिक्षक अनुपात भवन / संरचना स्कूल के कार्य दिवस शिक्षक के कार्य के घंटों घंटों से संबंधित मानदंड और मानक निर्धारित करता है |
6⃣ छात्र शिक्षक अनुपात सुनिश्चित करने के लिए अध्यापक की तैनाती का प्रावधान करता है अध्यापक की तैनाती में शहरी संतुलन को सुनिश्चित करता है यह दस वर्षीय जनगणना स्थानीय प्राधिकरण राज्य विधानसभा और संसद के लिए चुनाव आपदा राहत को छोड़कर गैर शैक्षिक कार्य के लिए अध्यापक की तैनाती का निषेध करता है |
7⃣ यह उपयुक्त रूप से प्रशिक्षित अध्यापकों की नियुक्ति का प्रावधान करता है अर्थात अपेक्षित प्रवेश और और शैक्षिक योग्यता के साथ अध्यापक |
8⃣ मना है –
▪ शारीरिक दंड मानसिक उत्पीड़न
▪ बच्चे को प्रवेश के लिए अनुवेक्षण प्रक्रियाए
▪ प्रति व्यक्ति शुल्क
▪अध्यापकों द्वारा निजी ट्यूशन
▪ बिना मान्यता के स्कूल चलाना
9⃣ संविधान के अनुसार पाठ्यक्रम में विकास हो बच्चे का समग्र विकास बच्चे का ज्ञान संभावना , प्रतिभा निखारना , मित्रवत प्रणाली , एक बाल केंद्रित शिक्षा के माध्यम से बच्चे का डर चोट चिंता चिंता से मुक्त करना |
💫 Notes by ➖ Ranjana Sen

🔅 *R T E Act 2009* 🔅 *{Right to education Act },{ शिक्षा का अधिकार अधिनियम }* ☑️ *संविधान के 86 वें संशोधन ,2002 में भारत के संविधान में अंत:स्थापित अनुच्छेद 21 (क)(A), ऐसे ढंग से जैसा कि राज्य कानून द्वारा निर्धारित करता है ।* ➡️ मौलिक अधिकार के रूप में 6 -14 वर्ष आयु समूह के बच्चे को मुफ्त या अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान करता है । निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा के लिए आरटीई एक्ट 2009 में बच्चे का अधिकार ,अनुच्छेद 21(A)के तहत ही परिणामी विधान प्रतिनिधित्व करता है । इसका अर्थ है – कि औपचारिक स्कूल ,जो अनिवार्य मानदंडों और मानकों को पूरा करता है ,में संतोषजनक और एक समान गुणवत्ता वाले पूर्णकालिक प्रारंभिक शिक्षा के लिए प्रत्येक बच्चे का अधिकार है । *अनुच्छेद 21(A) और आरटीई एक्ट अधिनियम 1 अप्रैल 2010 को लागू हुआ* आरटीई अधिनियम के शीर्षक में “निशुल्क “और “अनिवार्य “शब्द सम्मिलित है निशुल्क शिक्षा का तात्पर्य यह है कि , किसी बच्चे जिसके माता-पिता द्वारा स्कूल में दाखिला किया गया है , को छोड़कर कोई बच्चा जो उचित सरकार द्वारा समर्थित नहीं है ; किसी किस्म की फीस या प्रभार या जो प्रारंभिक शिक्षा जारी रखने और पूरा करने से उसको रोके अदा करने के लिए उत्तरदाई नहीं होगा ⚜️ *अनिवार्य शिक्षा* ➖ उचित सरकार और स्थानीय प्राधिकारियों पर 6 – 14 आयु समूह के सभी बच्चे को प्रवेश, उपस्थिति और प्रारंभिक शिक्षा को पूरा करने का प्रावधान करने और सुनिश्चित करने का करने की बाध्यता रखता है । इसमें भारत अधिकार आधारित ढांचे के लिए आगे बढ़ा है , और आरटीआई अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार संविधान के अनुच्छेद 21(A) में यथा प्रतिष्ठित बच्चे के इस मौलिक अधिकार को क्रियान्वित करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार पर कानूनी बाध्यता रखता है । ⚜️ *आरटीई एक्ट निम्नलिखित का प्रावधान करता है* 1️⃣ किसी पड़ोस के स्कूल में प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने तक निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा के लिए बच्चों का अधिकार । 2️⃣ यह स्पष्ट करता है कि अनिवार्य शिक्षा का तात्पर्य 6 – 14 वर्ष के प्रत्येक बच्चे को निशुल्क प्रारंभिक शिक्षा प्रदान करने , अनिवार्य प्रवेश ,उपस्थिति, और प्रारंभिक शिक्षा को पूरा करने को सुनिश्चित करने के लिए उचित सरकार की बाध्यता से है । ➡️ निशुल्क शिक्षा का तात्पर्य है कि कोई भी बच्चा प्रारंभिक शिक्षा को जारी रखने और पूरा करने से रोकने वालों रोकने वालों फीस या प्रभार या व्यय को अदा करने के लिए उत्तरदाई नहीं होगा । 3️⃣ यह गैर प्रवेश दिए गए बच्चे के लिए उचित आयु कक्षा में प्रवेश किए जाने का प्रावधान करता है । 4️⃣ यह निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने में उचित सरकारों , स्थानीय प्राधिकारी , और अभिभावकों कर्तव्यों और दायित्वों और केंद्र तथा राज्य सरकारों के बीच वित्तीय और अन्य जिम्मेदारी को बांटता है । 5️⃣ यह अन्य कार्यों के साथ-साथ छात्र – शिक्षक अनुपात , भवन / संरचना , स्कूल के कार्य दिवस शिक्षक के कार्य के घंटों से संबंधित जो मानदंड और मानक को निर्धारित करता है । 6️⃣ छात्र शिक्षक अनुपात सुनिश्चित करने के लिए अध्यापक की तैनाती का प्रावधान करता है , अध्यापक की तैनाती में शहरी ग्रामीण संतुलन को सुनिश्चित करता है – यह 10 वर्षीय जनगणना , स्थानीय प्राधिकरण , राज्य विधानसभा और संसद के लिए चुनाव , आपदा राहत को छोड़कर गैर शैक्षिक कार्य के लिए अध्यापक की तैनाती का निषेध करता है । 7️⃣ यह उपयुक्त रूप से प्रशिक्षित अध्यापकों की नियुक्ति का प्रावधान करता है । अर्थात अपेक्षित प्रवेश और शैक्षिक योग्यता के साथ अध्यापक 8️⃣ *मना है* ➖ 1 शारीरिक दंड / मानसिक उत्पीड़न 2 बच्चों को प्रवेश के लिए अनुवेक्षण प्रक्रियाएं 3 अध्यापकों द्वारा निजी ट्यूशन 4 बिना मान्यता के स्कूल चलाना 9️⃣ संविधान के अनुसार पाठ्यक्रम में विकास हो । बच्चे का समग्र विकास , बच्चे का ज्ञान , संभावना , प्रतिभा निखार- ना ,मित्रवत प्रणाली ,एक बाल केंद्रित शिक्षा के माध्यम से बच्चों को डर ,चोट, चिंता से मुक्त करना। धन्यवाद ✍️✍️ notes ,by PRAGYA SHUKLA

🔷🔷🔷🔷आरटीई एक्ट 2009
(right to education act)
🔷🔷🔷🔷 शिक्षा का अधिकार अधिनियम

संविधान के 86 वें संशोधन 2002 में भारत के संविधान में 21a अंतः स्थापित अनुच्छेद 21 A. ऐसे ढंग से जैसा कि राज्य कानून द्वारा निर्धारित करता है मौलिक अधिकार के रूप में 6 से 14 वर्ष के आयु समूह के बच्चों को मुफ्त या अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान करता है

निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा के लिए आरटीई एक्ट 2009 में बच्चे का अधिकार अनुच्छेद 21a के तहत ही परिणामी विधान प्रतिनिधित्व करता है

इसका अर्थ है कि औपचारिक स्कूल जो अनिवार्य मानदंडों और मानकों को पूरा करता है में संतोषजनक और एक समान गुणवत्ता वाले पूर्ण काले प्रारंभिक शिक्षा के लिए प्रत्येक बच्चे का अधिकार है

21A 2002 और आरटीई एक्ट 2009 दोनों ही 1 अप्रैल 2010 में लागू किए गए

आरटीई अधिनियम के शीर्षक में निशुल्क और अनिवार्य शब्द सम्मिलित है

निशुल्क शिक्षा का तात्पर्य है कि किसी बच्चे जिसके माता-पिता द्वारा स्कूल में दाखिल किया गया है को छोड़कर कोई बच्चा उचित सरकार द्वारा समर्थित नहीं है किसी किस्म की फीस या प्रभार या वह जो प्रारंभिक शिक्षा जारी रखने और पूरा करने से उसको रोके अदा करने के लिए उत्तरदाई नहीं होगा

अनिवार्य शिक्षा:- उचित सरकार और स्थानीय प्राधिकारी यों पर 6 से 14 आयु समूह के सभी बच्चों को प्रवेश उपस्थिति और प्रारंभिक शिक्षा को पूरा करने का प्रावधान करने और सुनिश्चित करने की बाध्यता रखता है

इससे भारत अधिकार आधारित ढांचे के लिए आगे बढ़ा है और आरटीई अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार संविधान के अनुच्छेद 21 Aप्रतिष्ठित बच्चे के इस नैतिक अधिकार को क्रियान्वित करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार पर कानूनी बाध्यता रखता है

आरटीई एक्ट निम्नलिखित का प्रावधान करता है:-
1 किसी पड़ोस के स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने तक निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा के लिए बच्चों का अधिकार

2 यह स्पष्ट करता है कि अनिवार्य स्थित का तात्पर्य है 6 से 14 वर्ष के प्रत्येक बच्चे को निशुल्क प्रारंभिक शिक्षा प्रदान करने अनिवार्य प्रवेश उपस्थिति और प्रारंभिक शिक्षा को पूरा करने की सुनिश्चित करने के लिए उचित सरकार की बाध्यता से हैं

निशुल्क का तात्पर्य है कि कोई भी बच्चा प्रारंभिक शिक्षा को जारी रखने और पूरा करने से रोकने वाली फीस या प्रकार या व्यय को अदा करने के लिए उत्तरदाई नहीं होगा

3यह गैर प्रवेश दिए गए बच्चे के लिए उचित आयु कक्षा में प्रवेश किए गए जाने का प्रावधान करता है

4 यह निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने में उचित सरकारी स्थानीय प्राधिकारी और अभिभावकों कर्तव्य और दायित्व और केंद्र तथा राज्य सरकारों के बीच वित्तीय और अन्य जिम्मेदारी को बांटता है

5 यह अन्य कार्यों के साथ-साथ छात्र शिक्षक अनुपात भवन संरचना स्कूल के कार्य दिवस शिक्षक के कार्य के घंटों से संबंधित मानदंड और मानव को निर्धारित करता है

6 छात्र शिक्षक अनुपात सुनिश्चित करने के लिए अध्यापक की तैनाती का प्रावधान करता है अध्यापक की तैनाती में शहरी ग्रामीण संतुलन को सुनिश्चित करता है यह 10 वर्षीय जनगणना स्थानीय प्राधिकरण राज्य विधान सभा और संवाद के लिए चुनाव आपदा राहत को छोड़कर गैर शैक्षिक कार्य के लिए अध्यापक को तैनाती का निषेध करता है

7 यह उपयुक्त रूप से प्रशिक्षित अध्यापकों की नियुक्ति का प्रावधान करता है अर्थात आपेक्षित प्रवेश और शैक्षिक योग्यता के साथ अध्यापक

8 मना है:- शारीरिक दंड मानसिक उत्पीड़न बच्चे को प्रवेश के लिए अनुवेक्षण प्रतिक्रियाएं प्रति व्यक्ति शुल्क अध्यापकों द्वारा निजी ट्यूशन बिना मान्यता के स्कूल चलाना

9 संविधान के अनुसार पाठ्यक्रम में विकास हो बच्चों का समग्र विकास बच्चों का ज्ञान संभावना प्रतिभा निखार ना मित्रवत प्रणाली एक बाल केंद्रित शिक्षा के माध्यम से बच्चे की दर चोट चिंता से मुक्त करना

🍃🍃🍃🍃🔷🔷🔷🔷🔷🔷🔷🔰🔰🔰🔰🔰🍃🍃सपना साहू 🍃🍃🍃🍃🍃🔰🔰🔰🔷🔷🔷

[18/01, 20:10] +91 79050 03729: 🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
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शिक्षा का अधिकार अधिनियम – 2009
Right to Education – 2009
(RTE ACT 2009)⭐⭐⭐(18 Jan 21)
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🌱संविधान के 86 वें संशोधन, 2002 ने भारत के संविधान में अंतः स्थापित अनुच्छेद 21(क), ऐसे ढंग से जैसा कि राज्य कानून द्वारा निर्धारित करता है।
↪️मौलिक अधिकार के रूप में 6 से 14 वर्ष के आयु समूह के बच्चे को मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान करता है।👁️‍🗨️

🌱निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा के लिए RTE Act 2009 में बच्चे का अधिकार, अनुच्छेद 21(क) के तहत ही परिणामी विधान प्रतिनिधित्व करता है।
↪️ इसका अर्थ है कि औपचारिक स्कूल, जो अनिवार्य मानदंडों और मानकों को पूरा करता है, में संतोषजनक और एक समान गुणवत्ता वाले पूर्णकालिक प्रारंभिक शिक्षा के लिए प्रत्येक बच्चे का अधिकार है।👁️‍🗨️

🌱 अनुच्छेद 21(क) और RTE Act अधिनियम 1 April 2010 को लागू हुआ। RTE अधिनियम के शीर्षक में “निःशुल्क और अनिवार्य” शब्द सम्मिलित है।

↪️ ⏩🌱*निशुल्क शिक्षा* का तात्पर्य है कि किसी बच्चे जिसके माता-पिता द्वारा स्कूल में दाखिल किया गया है, को छोड़कर कोई बच्चा जो उचित सरकार द्वारा समर्थित नहीं है, किसी किस्म की फीस या प्रभातिया व्यय जो प्रारंभिक शिक्षा जारी रखने और पूरा करने से उसको रोके, अदा करने के लिए उत्तरदायी नहीं होगा।

↪️⏩🌱*अनिवार्य शिक्षा* – उचित सरकार और स्थानीय पदाधिकारियों पर 6 से 14 आयु समूह के सभी बच्चे को प्रवेश,उपस्थिति और प्रारंभिक शिक्षा को पूरा करने का प्रावधान और सुनिश्चित करने की बाध्यता रखता है।👁️‍🗨️

💩💩इससे भारत अधिकार आधारित जांच के लिए आगे बढ़ा है और आरटीआई अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार संविधान के अनुच्छेद 21(क) में यथा प्रतिष्ठित बच्चे के इस मौलिक अधिकार को क्रियान्वित करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार पर कानूनी बाध्यता रखता है।👁️‍🗨️

🌱🌱RTE Act के प्रावधान
⚠️RTE Act निम्नलिखित का प्रावधान करता है-

0️⃣1️⃣⚠️किसी पड़ोस के स्कूल में प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने तक “निशुल्क और अनिवार्य” शिक्षा के लिए बच्चे का अधिकार।

0️⃣2️⃣⚠️यह स्पष्ट करता है कि अनिवार्य शिक्षा का तात्पर्य 6 से 14 वर्ष के प्रत्येक बच्चे को नि:शुल्क प्रारंभिक शिक्षा प्रदान करने के लिए और अनिवार्य प्रवेश उपस्थिति और प्रारंभिक शिक्षा को पूरा करने का सुनिश्चित करने के लिए, उचित सरकार की बाध्यता।

↪️🌿 *निशुल्क का तात्पर्य* यह है कि कोई भी बच्चा प्रारंभिक शिक्षा को जारी रखने और पूरा करने से रोकने वाली फीस या प्रभार व्यय को अदा करने के लिए उत्तरदाई नहीं होगा।

0️⃣3️⃣⚠️यह गैर प्रवेश (जो प्रवेश नहीं लिए हैं) दिए गए बच्चे के लिए उचित आयु कक्षा में प्रवेश किए जाने का प्रावधान करता है।

0️⃣4️⃣⚠️यह *निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा* प्रदान करने में उचित सरकारों, स्थानीय प्राधिकारी और अभिभावकों के कर्तव्य और दायित्व को, केंद्र तथा राज्य सरकार के बीच वित्तीय और अन्य जिम्मेदारी को बांटते हैं।

0️⃣5️⃣⚠️यह अन्य कार्यों के साथ-साथ छात्र शिक्षक अनुपात, भवन और संरचना, स्कूल के कार्य दिवस, शिक्षा के कार्य के घंटों से संबंधित मानदंड और मानक को निर्धारित करता है।

0️⃣6️⃣⚠️छात्र शिक्षक अनुपात सुनिश्चित करने के लिए अध्यापक की तैनाती का प्रावधान करता है। अध्यापक की तैनाती में शहरी-ग्रामीण संतुलन को सुनिश्चित करता है। यह 10 वर्षीय जनगणना, स्थानीय प्राधिकरण, राज्य विधानसभा और संसद के लिए चुनाव, आपदा राहत को छोड़कर किसी गैर शैक्षिक कार्य के लिए अध्यापक की तैनाती का निषेध करता है।

0️⃣7️⃣⚠️यह उपयुक्त रूप से प्रशिक्षित अध्यापकों की नियुक्ति का प्रावधान करता है अर्थात अपेक्षित प्रवेश और शैक्षिक योग्यता के साथ अध्यापक

0️⃣8️⃣⚠️🚫मना है-?
🚫1🚫शारीरिक दंड मानसिक उत्पीड़न।
🚫2🚫बच्चे को प्रवेश के लिए अन्वीक्षण प्रक्रिया।
🚫3🚫प्रति व्यक्ति शुल्क।
🚫4🚫अध्यापकों का निजी ट्यूशन।
🚫5🚫 बिना मान्यता का स्कूल चलाना।

0️⃣9️⃣⚠️संविधान के अनुसार पाठ्यक्रम में विकास हो। बच्चे का समग्र विकास, बच्चे का ज्ञान, संभावना, प्रतिभा निखारना, मित्रवत प्रणाली, एक बाल केंद्रित शिक्षा के माध्यम से बच्चे की डर, चोट, चिंता से मुक्त करना।
🙏🙏

📕📓📗🇮🇳🇮🇳🇮🇳📙📙📘
✍️Notes By Awadhesh Kumar ✍️👁️‍🗨️
🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
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[18/01, 21:26] 95841 16666: 🔥🔥🔥RTE ACT 2019
(Right to education act)➖ शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2019

🖊️ संविधान के 86 वे संशोधन 2002 में भारत के संविधान में 21a अंत: स्थापित अनुच्छेद 21A ऐसे ढंग से जैसे कि राज्य कानून द्वारा निर्धारित करता है । मौलिक अधिकार के रूप में 6 से 14 वर्ष की आयु समूह के बच्चों को मुफ्त या अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान है।

🖊️इसका अर्थ है कि औपचारिक स्कूल को अनिवार्य मानदंडों और मानकों को पूरा करता है,में संतोषजनक और एक समान गुणवत्ता वाले पूर्णकालिक प्रारम्भिक शिक्षा के लिए प्रत्येक बच्चे का अधिकार है।

🖊️अनुच्छेद 21(क) और RTE act अधिनियम 1अप्रैल 2010को लागू हुआ। RTE अधिनियम के शीर्षक में “निः शुल्क और अनिवार्य”शब्द सम्मिलित है।

🖊️”नि:शुल्क शिक्षा “का तात्पर्य है। कि किसी बच्चे जिसके माता – पिता द्वारा 🏫 स्कूल में दाखिल किया गया है, को छोड़कर कोई बच्चा जो उचित सरकार द्वारा समर्थित नहीं है, किसी प्रकार की फीस या प्रभातिया व्यय को अदा करने के लिए उत्तरदाई नहीं है

🖊️यह नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने में उचित सरकारों ,स्थानीय प्राधिकारी ,और अभिभावकों कर्तव्यों और दायित्वों और केंद्र तथा राज्य सरकारों के बीच वित्तीय और अन्य जिम्मेदारी को बाटता है।

🖊️अन्य कार्यों के साथ – साथ छात्र शिक्षक अनुपात , भवन संरचना , स्कूल के कार्य दिवस शिक्षक के कार्य के घंटो से सम्बन्धित जो मानदंड और मानक को निर्धारित करता है ।

🖊️छात्र शिक्षक अनुपात सुनिश्चित करने के लिए अध्यापक की तैनाती का प्रावधान करता है, अध्यापक की तैनाती में शहरी ग्रामीण संतुलन को सुनिश्चित करता है ,यह 10वर्षीय जनगणना ,स्थानीय प्राधिक रण ,राज्य विधानसभा और सांसद के लिए चुनाव,आपदा राहत को छोड़कर गैर शिक्षक कार्य के लिए अध्यापक की तैनाती का निषेध करता है।

🖊️यह उपयुक्त रूप से प्रशिक्षित शिक्षको की नियुक्ति का प्रावधान करता है। अर्थात अपेक्षित प्रवेश के शैक्षिक योग्यता के साथ अध्यापक माना है।

🖊️1शारीरिक /मानसिक उत्पीड़न

2बच्चों को प्रवेश के लिए अनुवेक्षण प्रक्रियाएं

3अध्यापकों द्वारा निजी ट्यूशन

4बिना मान्यता के स्कूल चलाना

🖊️संविधान के अनुशार पाठ्यक्रम में विकास हो । बच्चे का समग्र विकास ,बच्चे का ज्ञान, संभावना,प्रतिभा निखार, ना मित्रवत प्रणाली,एक बाल केंद्रित शिक्षा के माध्यम से बच्चों को डर , चोट , चिंता से मुक्त करना ।🙏🙏

आरती सविता 🙏🙏🙏🙏🎉🎉🎉🎉

*शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009* 💥💥💥💥

*( right to education act -2009)*🔥🔥🔥🔥

*(rte act-2009)*👉

🔰संविधान के संशोधन 2002 में भारत के संविधान में अंतर स्थापित अनुच्छेद 21(a) ऐसे ढंग से जैसा कि राज्य कानून द्वारा निर्धारित करता है मौलिक अधिकार के रूप में 6 से 14 वर्ष के आयु समूह के सभी बच्चों को निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान करता है।

💫 नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा के लिए आरटीई एक्ट 2009 में बच्चे का अधिकार, अनुच्छेद 21 (a) के तहत परिणामी विधान प्रतिनिधित्व करता है।

💫इसका अर्थ है कि औपचारिक स्कूल के जो अनिवार्य मानदंडों और मानकों को पूरा करता है, संतोषजनक और एक समान गुणवत्ता वाले पूर्णकालिक प्रारंभिक शिक्षा के लिए प्रत्येक बच्चे का अधिकार है ।

💫 अनुच्छेद 21(a) और आरटीई एक्ट अधिनियम 1 अप्रैल 2010 को लागू हुआ आरटीई अधिनियम के शीर्षक में, “निशुल्क” और “अनिवार्य” शब्द सम्मिलित है।

💫निशुल्क शिक्षा का तात्पर्य है कि किसी बच्चे जिसके माता-पिता द्वारा स्कूल में दाखिल किया गया है को छोड़कर कोई बच्चा जो उचित सरकार द्वारा समर्थित नहीं है किसी किस्म की वेश्या प्रभार या व्यस्त जो प्रासंगिक शिक्षा जारी रखने और पूरा करने से उसको रोके अदा करने के लिए उत्तरदाई नहीं होगा।

💫अनिवार्य शिक्षा उचित सरकार और स्थानीय पदाधिकारियों पर 6 से 14 वर्ष समूह के सभी बच्चे को प्रवेश उपस्थिति और प्रारंभिक शिक्षा को पूरा करने का प्रावधान करने और सुनिश्चित करने की बाध्यता रखता है।

💫इसमें भारत अधिकार आधारित ढांचे के लिए आगे बढ़ा है और आरटीई अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार संविधान के अनुच्छेद 21(a) में यथा प्रतिष्ठित बच्चे के किस मौलिक अधिकार को क्रियान्वित करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार पर कानून बाध्यता रखता है।

🔰 *RTE act निम्नलिखित का प्रावधान करता है* 👉

💫1. किसी पड़ोस के स्कूल में प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने तक निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा के लिए बच्चों का अधिकार।

💫2. यह स्पष्ट करता है कि अनिवार्य शिक्षा का तात्पर्य 6 से 14 वर्ष के प्रत्येक बच्चे को निशुल्क प्रारंभिक शिक्षा प्रदान करने अनिवार्य प्रवेश उपस्थिति और प्रारंभिक शिक्षा को पूरा करने को सुनिश्चित करने के लिए उचित सरकार की बाध्यता से है।
निशुल्क का तात्पर्य यह है कि कोई भी बच्चा प्रारंभिक शिक्षा को जारी रखने और पूरा करने से रोकने वाले फीस या प्रभार या व्यय को अदा करने के लिए उत्तरदाई नहीं होगा।

💫3. यह गैर प्रवेश दिए गए बच्चे के लिए उचित आयु कक्षा में प्रवेश किए जाने का प्रावधान करता है।

💫4. यह नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने में उचित सरकारी, स्थानीय प्राधिकारी और अभिभावकों और दायित्वों और केंद्र तथा राज्य सरकारों के बीच वित्तीय और आने जिम्मेदारी को बांटता है।

💫5. यह अन्य कार्यों के साथ-साथ छात्र शिक्षक अनुपात, भवन /संरचना, स्कूल के कार्य दिवस, शिक्षक के कार्य के घंटों से संबंधित मानदंड और मानक को निर्धारित करता है।

💫6. छात्र शिक्षक अनुपात सुनिश्चित करने के लिए अध्यापक की तैनाती का प्रावधान करता है। अध्यापक की तैनाती में शहरी ग्रामीण संतुलन को सुनिश्चित करता है यह 10 वर्षीय जनगणना ,स्थानीय प्राधिकरण, राज्य विधानसभा और संसद के लिए चुनाव आपदा राहत को छोड़कर गैर शैक्षिक कार्य के लिए अध्यापक की तैनाती का निषेध करता है।

💫7. उपायुक्त रूप से प्रशिक्षित अध्यापकों की नियुक्ति का प्रावधान करता है अर्थात अपेक्षित प्रवेश और शैक्षिक योग्यता के साथ अध्यापक।

💫8. *मना है*

✨ शारीरिक दंड/ मानसिक उत्पीड़न

✨ बच्चे को प्रवेश के लिए अनुवेक्षण प्रक्रिया है

✨ प्रति व्यक्ति शुल्क

✨ अध्यापकों द्वारा निजी ट्यूशन

✨ बिना मान्यता के स्कूल चलाना

💫9. संविधान के अनुसार पाठ्यक्रम में विकास हो बच्चे का समग्र विकास, बच्चे का ज्ञान, संभावना , प्रतिभा निखारने, मित्रवत प्रणाली, एक बाल केंद्रित शिक्षा के माध्यम से बच्चे की डर, चोट,चिंता से मुक्त करना।

*Notes by Shreya Rai*🙏📝

⛳Right to Education-2009⛳ (शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009)

🌸संविधान के 86 वें संशोधन 2002 में भारत के संविधान में अंत: स्थापित अनुच्छेद 21(A), ऐसे ढंग से जैसा कि राज्य कानून द्वारा निर्धारित करता है कि मौलिक अधिकार के रूप में 6 से 14 वर्ष आयु समूह के बच्चों को नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान करता है।

👉निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा के लिए आरटीई एक्ट 2009 में बच्चे का अधिकार, अनुच्छेद 21(A) के तहत ही परिणामी विधान प्रतिनिधित्व करता है।

👉इसका अर्थ है कि औपचारिक स्कूल जो अनिवार्य मानदंडों को पूरा करता है में संतोषजनक और एक समान गुणवत्ता वाले पूर्णकालिक प्रारंभिक शिक्षा के लिए प्रत्येक बच्चे का अधिकार है।
👉आर्टिकल 21(A) और आरटीई एक्ट 1 अप्रैल 2010 को लागू हुआ।

आरटीई अधिनियम के शीर्षक में नि:शुल्क और अनिवार्य शब्द सम्मिलित है।

👉नि:शुल्क शिक्षा का तात्पर्य है कि किसी बच्चे जिसके माता-पिता द्वारा स्कूल में दाखिला किया गया है को छोड़कर कोई बच्चा जो उचित सरकार द्वारा समर्थित नहीं है, किसी किस्म की फीस या व्यय जो प्रारंभिक शिक्षा जारी रखने और पूरा करने से उसको रोके(रूपये) अदा करने के लिए उत्तरदाई नहीं होगी।

👉अनिवार्य शिक्षा का तात्पर्य उचित सरकार और स्थानीय प्राधिकारीयो पर 6 से 14 वर्ष आयु समूह के सभी बच्चों को प्रवेश,उपस्थिति और प्रारंभिक शिक्षा को पूरा करने का प्रावधान करने और सुनिश्चित करने की बाध्यता रखता है।

👉इससे भारत अधिकार आधारित ढांचे के लिए आगे बढ़ा है और आरटीआई अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार संविधान के अनुच्छेद 21(A) में यथा प्रतिष्ठित बच्चे (उसके अंदर आने वाले बच्चे) के इस मौलिक अधिकार को क्रियान्वित करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार पर कानूनी बाध्यता रखता है।

🌸आरटीई 2009 के प्रावधान🌸
आरटीई 2009 निम्नलिखित प्रावधान करता है —

1. किसी पड़ोस के स्कूल में प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने तक नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा के लिए बच्चों का अधिकार।
2. यह स्पष्ट करता है कि अनिवार्य शिक्षा का तात्पर्य 6 से 14 वर्ष के प्रत्येक बच्चे को नि:शुल्क प्रारंभिक शिक्षा प्रदान करने और अनिवार्य प्रवेश ,उपस्थिति और प्रारंभिक शिक्षा को पूरा करने को सुनिश्चित करने के लिए उचित सरकार की बाध्यता से है।
👉 नि:शुल्क का तात्पर्य यह है कि कोई भी बच्चा प्रारंभिक शिक्षा को जारी रखने और पूरा करने से रोकने वाली फीस या प्रभार या व्यय को अदा करने के लिए उत्तरदाई नहीं होगा।

3. यह गैर प्रवेश दिए गए बच्चे के लिए उचित आयु कक्षा में प्रवेश किए जाने का प्रावधान करता है ।

4. यह नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने में उचित सरकारी स्थानीय अधिकारी और अभिभावकों के कर्तव्यों, दायित्वों और केंद्र तथा राज्य सरकारों के बीच वित्तीय और अन्य जिम्मेदारी को बांटता है ।

5. यह अन्य कार्यों के साथ-साथ छात्र शिक्षक अनुपात, भवन और संरचना स्कूल के कार्य दिवस, शिक्षक के कार्य के घंटों से संबंधित मानदंड और मानक को निर्धारित करता है।

6. छात्र शिक्षक अनुपात सुनिश्चित करने के लिए अध्यापक की तैनाती का प्रावधान करता है। अध्यापक की तैनाती में शहरी ग्रामीण संतुलन को सुनिश्चित करता है।
👉यह 10 वर्षीय जनगणना, स्थानीय प्राधिकरण, राज्य विधानसभा और संसद के लिए चुनाव, आपदा राहत को छोड़कर, गैर सरकारी कार्य के लिए अध्यापक की तैनाती का निषेध करता है।

7. यह उपयुक्त रूप से प्रशिक्षित अध्यापकों की नियुक्ति का प्रावधान करता है अर्थात अपेक्षित प्रवेश और शैक्षिक योग्यता के साथ अध्यापक की नियुक्ति का प्रावधान करता है।

9.★मना है★—
– शारीरिक दंड, मानसिक उत्पीड़न।
-बच्चों को प्रवेश के लिए अनुवेक्षण प्रक्रियाएं
– प्रति व्यक्ति शुल्क
– अध्यापक द्वारा निजी ट्यूशन
-बिना मान्यता के स्कूल चलाना ।

10 संविधान के अनुसार पाठ्यक्रम में विकास हो और बच्चे का समग्र विकास, बच्चे का ज्ञान, संभावना, प्रतिभा निखारना, मित्रवत प्रणाली एवं बाल केंद्रित शिक्षा के माध्यम से बच्चे को डर, चोट, चिंता से मुक्त करना।

By Shivee Kumari😊
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🌼🌼Right to Education Act 2009🌼🌼

👉Article 21(A),embedded in the Constitution of India in the 86th Amendment 2002 of the Constitution,in a manner as prescribed by state law.As a fundamental right provides free and compulsory education to children in the age group of 6-14 years.

👉RTE Act 2009 for free and compulsory education,the right of the child represents the resulting legislation only under Article 21(A).

👉This means that a formal school that meets the mandatory criteria and standards,each child has the right to a full-time elementary education that is satisfactory and of equal quality.

👉Article 21(A) and RTE Act came into force on 1 April 2010.

👉”Free” and “Compulsory” in RTE Act title words are included.

👉”Free”education means any child with admitted to school by parents,except any child who is not supported by the appropriate government.Any fees or charges or expenses which prevent him from continuing and completing elementary education,there will be no answer to pay.

👉Compulsory education appropriate government and local authorities but all children in the age group of 6-14 are obliged to make provision and ensure admission,attendance and completion of elementary education.

👉With this,India has moved towards a rights-based framework,and in accordance with the provisions of the RTE Act,Article 21(A) of the Constitution places the legal obligation on the Central and State Government to implement this fundamental right of the child as distinguished.

🌼🌼शिक्षा का अधिकार अधिनियम2009🌼🌼

👉संविधान के 86 वें संशोधन 2002 में भारत के संविधान में अंतः स्थापित अनुच्छेद 21(क),ऐसे ढंग से जैसा कि राज्य कानून द्वारा निर्धारित करता है।मौलिक अधिकार के रूप में
6-14 वर्ष आयु समूह के बच्चे को मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान करता है।

👉निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा के लिए RTE Act 2009
बच्चे का अधिकार,अनुच्छेद 21(क) के तहत ही परिणामी विधान प्रतिनिधित्व करता है।
👉 इसका अर्थ है कि औपचारिक स्कूल जो अनिवार्य मानदंडों और मानकों को पूरा करता है,में संतोषजनक और एक समान गुणवत्ता वाले पूर्णकालिक प्रारंभिक शिक्षा के लिए प्रत्येक बच्चे का अधिकार है।

👉अनुच्छेद 21(क) और RTE Act अधिनियम 1 अप्रैल 2010 को लागू हुआ।

👉RTE अधिनियम के शीर्षक में “निशुल्क” और “अनिवार्य”शब्द सम्मिलित हैं।

👉”निशुल्क” शिक्षा का तात्पर्य है कि किसी बच्चे जिसके
माता-पिता द्वारा स्कूल में दाखिल किया गया हो,को छोड़कर
कोई बच्चा जो उचित सरकार द्वारा समर्थित नहीं है।किसी किस्म की फीस या प्रभार या व्यय जो प्रारंभिक शिक्षा जारी रखने और पूरा करने से उसको रोके,अदा करने के लिए उत्तरदाई नहीं होगीं।

👉अनिवार्य शिक्षा उचित सरकार और स्थानीय प्राधिकारियों
पर 6-14 आयु समूह के सभी बच्चे को प्रवेश,उपस्थिति और प्रारंभिक शिक्षा को पूरा करने का प्रावधान करने और सुनिश्चित करने की बाध्यता रखता है।

👉इससे भारत अधिकार आधारित ढ़ांचे के लिए आगे बढ़ा है,और RTE अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार संविधान के अनुच्छेद 21(क) में यथा-प्रतिष्ठित बच्चे के इस मौलिक अधिकार को क्रियान्वित करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार पर कानूनी बाध्यता रखता है।

🙏Notes by-Preetam Srivastava🙏

Learning theory part 2 for CTET and TET by India’s top learners

*️⃣ अन्वेषण का सिद्धांत (Theory of Investigation)
🕯️प्रतिपादक : आर्मस्टांग (Armstrong)
🕉️अन्य नाम :
🌿खोज का सिद्धांत
🌿Hueristic Method

📎Hueristic शब्द की उत्पत्ति ग्रीक (Greek) भाषा के ‘ह्यूरिस्को(Huerisco)’ शब्द से हुई है जिसका अर्थ है “मैं खोज करता हूं।”

🔷तथ्य (Fact) :
#️⃣इसकी उत्पत्ति का कारण प्रसिद्ध वैज्ञानिक *आर्कमिडीज* है।
#️⃣ जब उन्होंने सोने (Gold) का आपेक्षिक घनत्व निकाला था तो उन्होंने “यूरेका (Eureka)” नामक शब्द को कहा था जिसका अर्थ है “मैंने पता लगा लिया।”
#️⃣ प्रोफेसर *आर्मस्ट्रांग* ने इस पद्धति को रसायन विज्ञान शिक्षण में प्रयोग किया और इस पद्धति की विशेषता है विद्यार्थी को अपने निरीक्षण तथा प्रयोग से स्वयं खोज करना।
#️⃣अध्यापक विद्यार्थी को क्रियाकलाप बताते हैं और शिक्षार्थी स्वयं के प्रयोग से निष्कर्ष निकालते हैं।
🧭

*️⃣शाब्दिक-अशाब्दिक श्रृंखला अधिगम
(Verbal-non verbal chain learning)
🕯️प्रतिपादक : रॉबर्ट गैने (Robert Gagne)

1️⃣ शाब्दिक (verbal) : इस प्रकार के अधिगम में अध्यापक विषय वस्तु को एक क्रम में प्रस्तुत करता है जिससे अधिगम के स्थानांतरण में सुगमता होती है।

2️⃣ अशाब्दिक (Non Verbal) : इस प्रकार के अधिगम में चित्रों या अन्य दृश्य साधनों को क्रमानुसार एक क्रम में प्रस्तुत किया जाता है जैसे : बच्चे की अवस्था को दर्शाना।
🧭

*️⃣ अधिगम सोपानिकी सिद्धांत
🕯️प्रतिपादक : रॉबर्ट गैने (Robert Gagne)

☘️अधिगम की क्षमता को आठ प्रतिमाओं में बताया गया है-
🌿संकेत अधिगम
🌿 उद्दीपन अनुक्रिया अधिगम
🌿 गत्यात्मक श्रृंखलन
🌿 शाब्दिक श्रृंखलन
🌿 अपवत्र विभेदन
🌿 संप्रत्यय अधिगम
🌿 अधिनियम अधिगम
🌿 समस्या समाधान
🧭

*️⃣सामाजिक अधिगम का सिद्धांत
(Social learning theory)
🕯️प्रतिपादक : Albert Bandura

🔷तथ्य (Fact) : यह सिद्धांत कहता है कि व्यक्ति जैसा सामाजिक व्यवहारों का अवलोकन करते हैं, वैसा ही व्यवहार खुद भी करते हैं।
🧭

💎💎💎
✍️✍️ By Awadhesh Kumar ✍️✍️
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💫 *१०.अन्वेषण का सिद्धांत (Theory of investigation):-*

✨ *खोज का सिद्धांत (Heuristic method)*

👉🏻 *Heuristic* *ग्रीक* भाषा के *”Heurisco”* शब्द से बना है, इसका अर्थ है– *”मै खोज करता हूं”*।

✨ इस उत्पत्ति के कारण प्रसिद्ध वैज्ञानिक “आर्कमिडीज” है, जब उन्होंने सोने का अपेक्षित घनत्व निकाला था, उन्होंने एक शब्द दिया “यूरेका ( Eureka )” नामक शब्द को कहा था। इसका मतलब है, “मैंने पता लगा लिया”। प्रो. आर्मस्ट्रॉन्ग ने इस पद्धति को रसायन विज्ञान में प्रयोग किया।
इस पद्धति की विशेषता है , की विद्यार्थी को अपने निरीक्षण तथा प्रयोग से स्वयं खोज करना है। अध्यापक विद्यार्थी को क्रियाकलाप बताए है और शिक्षार्थी स्वयं के प्रयोग से निष्कर्ष निकलते हैं।

💫 *११. शाब्दिक/ अशाब्दिक श्रृंखला अधिगम (Verbal / Nonverbal chain learning)*

👉🏻 यह सिद्धांत “रोबर्ट गैने ” के द्वारा दिया गया है

✨ *(i). शाब्दिक:-* इस अधिगम में अध्यापक विषय– वस्तु को एक क्रम में प्रस्तुत करता है , जिससे अधिगम के “स्थानांतरण” सुगमता आती है।

✨ *(ii). अशाब्दिक :-* अधिगम हेतु चित्रों या अन्य दृश्य साधनों को क्रमानुसार प्रस्तुत किया जाता है, जैसे बच्चे की को दर्शाता है।

✨ *अधिगम सोपान की सिद्धांत:-*

👉🏻 *रोबर्ट गेन*

✨ अधिगम की क्षमता को 8 प्रतिमान में बताया गया है-

✨ *१. संकेत अधिगम*
✨ *२. उद्दीपन अनुक्रिया अधिगम*
✨ *३. गत्यात्मक श्रृंखला (Daynamic chain)*
✨ *४. शाब्दिक श्रृंखला*
✨ *५. आपवत्र विभेदन*
✨ *६. संप्रत्य अधिगम*
✨ *७. अधिनियम*
✨ *८. समस्या समाधान*

💫 *१२. सामाजिक अधिगम का सिद्धांत (Social learning theory):-*

👉🏻 अल्बर्ट बंडुरा ( Albert Bandura)

✨ यह सिद्धांत कहता है, कि व्यक्ति सामाजिक व्यवहारों का प्रेक्षण करते हैं और वैसे ही व्यवहार खुद भी करता है।

✍️✍️✍️ *Notes by –Pooja* ✍️✍️✍️

🌼🌼 अन्वेषण का सिद्धांत (Theory of Investigation)🌼🌼
🌼 प्रवर्तक – आर्मस्टांग (Armstrong)
🌼🌼🌼अन्य नाम 🌼🌼🌼
🌼खोज का सिद्धांत
🌼Hueristic Method
🌼Hueristic शब्द की उत्पत्ति ग्रीक (Greek) भाषा के “ह्यूरिस्को(Huerisco)” शब्द से हुई है जिसका अर्थ है “मैं खोज करता हूं।”
🌼🌼🌼तथ्य (Fact) 🌼🌼🌼
🌼इसकी उत्पत्ति का कारण प्रसिद्ध वैज्ञानिक “आर्कमिडीज” है।
🌼 जब उन्होंने सोने (Gold) का आपेक्षिक घनत्व निकाला था तो उन्होंने “यूरेका (Eureka)” नामक शब्द को कहा था जिसका अर्थ है “मैंने पता लगा लिया।”
🌼प्रोफेसर “आर्मस्ट्रांग” ने इस पद्धति को रसायन विज्ञान शिक्षण में प्रयोग किया और इस पद्धति की विशेषता है विद्यार्थी को अपने निरीक्षण तथा प्रयोग से स्वयं खोज करना।
🌼अध्यापक विद्यार्थी को क्रियाकलाप बताते हैं और शिक्षार्थी स्वयं के प्रयोग से निष्कर्ष निकालते हैं।

🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼

🌼🌼शाब्दिक-अशाब्दिक श्रृंखला अधिगम
(Verbal-non verbal chain learning)🌼 प्रवर्तक – रॉबर्ट गैने (Robert Gagne)

🌼1.शाब्दिक (verbal) – इस प्रकार के अधिगम में अध्यापक विषय वस्तु को एक क्रम में प्रस्तुत करता है जिससे अधिगम के स्थानांतरण में सुगमता होती है।

🌼2. अशाब्दिक (Non Verbal) – इस प्रकार के अधिगम में चित्रों या अन्य दृश्य साधनों को क्रमानुसार एक क्रम में प्रस्तुत किया जाता है जैसे – बच्चे की अवस्था को दर्शाना।

🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼

🌼🌼 अधिगम सोपानिकी सिद्धांत
🌼 प्रवर्तक – रॉबर्ट गैने (Robert Gagne)

🌼अधिगम की क्षमता को आठ प्रतिमाओं में बताया गया है-
🌼1.संकेत अधिगम
🌼 2.उद्दीपन अनुक्रिया अधिगम
🌼 3.गत्यात्मक श्रृंखलन
🌼4. शाब्दिक श्रृंखलन
🌼5. अपवत्र विभेदन
🌼6. संप्रत्यय अधिगम
🌼7. अधिनियम अधिगम
🌼8. समस्या समाधान

🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼

🌼🌼सामाजिक अधिगम का सिद्धांत
(Social learning theory)
🌼 प्रवर्तक- Albert Bandura

🌼🌼🌼तथ्य (Fact) 🌼🌼
🌼 यह सिद्धांत कहता है कि व्यक्ति जैसा सामाजिक व्यवहारों का अवलोकन करते हैं, वैसा ही व्यवहार खुद भी करते हैं।

🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼
🌼🌼🌼by manjari soni🌼🌼🌼
🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼

*अधिगम का सिद्धांत*
*(Part – 2)*👉👉

💥 *10. अन्वेषण का सिद्धांत*💥
*(Theory of investigation)*

इसका अन्य नाम “खोज का सिद्धांत”, “ह्युरिस्टिक विधि”है।
Heuristic ग्रीक भाषा के “heurisco” शब्द से बना है जिसका अर्थ है 👉” मैं खोज करता हूं”।

💫इसकी उत्पत्ति का कारण प्रसिद्ध वैज्ञानिक आर्कमिडीज हैं। जब उन्होंने सोने का अपेक्षित घनत्व निकाला था तो उन्होंने यूरेका ( Eureka)नाम शब्द को कहा जिसका अर्थ है 👉 मैंने पता लगा लिया।
✨ प्रोफेसर आर्मस्ट्रांग ने इस पद्धति को रसायन विज्ञान शिक्षण में प्रयोग किया।
✨ इस पद्धति की विशेषता है कि विद्यार्थी को अपने निरीक्षण तथा प्रयोग से स्वयं खोज करना है। अध्यापक विद्यार्थी को क्रियाकलाप बताते हैं और विद्यार्थी स्वयं के प्रयोग से निष्कर्ष निकालते हैं।

💥 *11. शाब्दिक /अशाब्दिक श्रृंखला अधिगम* 💥
*(Verbal/ nonverbal chain learning)*

💫 यह सिद्धांत Robert gene ने दिया था।

*शाब्दिक*✨अधिगम में अध्यापक विषय वस्तु को एक रूप में प्रस्तुत करता है जिससे अधिगम के स्थानांतरण में सुगमता आती है।

*अशाब्दिक*✨ अधिगम हेतु चित्र या अन्य दृश्य साधनों को क्रमानुसार प्रस्तुत किया जाता है ।
👉जैसे- बच्चे की अवस्था को दर्शना।

💥 *12. अधिगम के सोपानिकी का सिद्धांत* 💥

✨यह सिद्धांत रॉबर्ट गेने ने दिया था।
अधिगम की क्षमता को आठ प्रतिमान में बताया गया है 👉

💫1. संकेत अधिगम

💫2. उद्योग अनुक्रिया अधिगम

💫3. गत्यात्मक श्रृंखलन

💫4. शाब्दिक श्रृंखलन

💫5. अपवत्र्य विभेदन

💫6. संप्रत्यय अधिगम

💫7. अधिनियम अधिगम

💫8. समस्या समाधान

✨ इस सिद्धांत के अनुसार अधिगम प्रभाव संचय होता है और अधिगम का हर प्रकार उत्तरोत्तर सरलतम से जटिलतम अधिगम तक सोपानवत जुड़ा हुआ है । यहां सरलतम से अर्थ संकेत अधिगम और जटिलतम से अर्थ समस्या समाधान अधिगम है।

💥 *13. सामाजिक अधिगम का सिद्धांत* 💥
*(Social learning theory)*

✨सिद्धांत अल्बर्ट बंडूरा ने दिया था ।
यह सिद्धांत कहता है कि व्यक्ति जैसा सामाजिक व्यवहारों का अवलोकन करता है वैसा ही व्यवहार खुद भी सीखता है।
👉 जैसे- कोई बच्चा टीवी पर कोई मॉडल को देखता है तो वह भी उसी के जैसा मॉडलिंग करता है। यदि कोई बच्चा किसी को कोई वीरता वाला कार्य करते देखता है तो वह खुद भी वैसा करने लगता है।

*Notes by Shreya Rai* 📝🙏😊

💫 🔅अन्वेषण का सिद्धान्त (Theory of investigation) ➖
खोज का सिद्धांत (Huristic method )
इसकी उत्पत्ति ग्रीक शब्दसे हुई है जिसका (Heurisco) इसका अर्थ है – मैं कुछ करता हूं
प्रवर्तक :- आर्मस्ट्रांग
इसकी उत्पत्ति का कारण प्रसिद्ध वैज्ञानिक आर्कमीडिज है जब उसने सोने का आपेक्षिक घनत्व घनत्व निकाला था तो उन्होंने एक शब्द बोला “यूरेका”” Eureka” नामक शब्द को कहा था – मैंने पता लगा लिया |

प्रोफ़ेसर आर्मस्ट्रांग में इस पद्धति को रसायन विज्ञान शिक्षा में प्रयोग किया इस पद्धति की विशेषता है कि विद्यार्थी को और अपने निरीक्षण तथा प्रयोग से स्वयं खोज करना है अध्यापक विद्यार्थी को क्रियाकलाप बताते हैं और शिक्षार्थी स्वयं के प्रयोग से निष्कर्ष निकालते हैं |

💫🔅 शब्दिक / अशाब्दिक श्रृंखला अधिगम ( Verbal / Nonverbal chain learning ) ➖
प्रवर्तक :- राबर्ट गेने
▪ शाब्दिक श्रृंखला – अधिगम में अध्यापक विषय वस्तु को एक क्रम में प्रस्तुत करता है जिससे अधिगम के स्थानांतरण में सुगमता आती है |
▪ अशाब्दिक श्रंखला – अधिगम हेतु चित्रों या अन्य दृश्य साधनों को क्रमानुसार प्रस्तुत किया जाता है जिससे बच्चे की अवस्था को दर्शाना |

💫 🔅अधिगम सोपनिकी सिद्धांत ➖
राबर्ट गेने ने सोपनिकी सिद्धांन्त दिया है |
अधिगम की अक्षमता को 8 प्रतिमान में बताया गया है |
1. संकेत अधिगम
2. उद्दीपन अनुक्रिया अधिगम
3. गत्यात्मक श्रृंखलन
4. शब्दिक श्रृंखलन
5.अपवत्रय विभेदन
6. संप्रत्यय अधिगम
7. अधिनियम अधिगम
8. समस्या समाधान

💫🔅 सामाजिक अधिगम का सिद्धांत (Social learning theory) ➖ प्रवर्तक :- अल्बर्ट बंडूरा
यह सिद्धान्त कहता है कि व्यक्ति सामाजिक व्यवहारों का प्रेक्षण करते हैं और वैसा ही व्यवहार खुद भी करता है |
Notes by :- Ranjana Sen

🔰🔰🔰🔰 अधिगम सिद्धांत

🔰🔰🔰🔰🔰 अन्वेषण का सिद्धांत theory of Investigation

इसे खोज का सिद्धांत भी कहते हैं heuristic method
ह्यूरिस्टिक ग्रीक भाषा का शब्द है इसका अर्थ होता है मैं खोज करता हूं

इसकी उत्पत्ति का कारण👉 प्रसिद्ध वैज्ञानिक आर्कमिडीज हैं जिन्होंने सोने का आपेक्षिक घनत्व निकाला था तो उन्होंने यूरेका यूरेका नामक शब्द को कहा था यूरेका का अर्थ होता है मैंने पता लगा लिया
प्रोफ़ेसर आर्मस्ट्रांग ने इस पद्धति को रसायन विज्ञान शिक्षण में प्रयोग किये इस पद्धति की विशेषता है कि विद्यार्थी को अपने निरीक्षण तथा प्रयोग से क्रियाकलाप बताते हैं और शिक्षार्थी स्वयं के प्रयोग से निष्कर्ष निकालते हैं

🔰🔰🔰🔰🔰 शाब्दिक अशाब्दिक श्रंखला अधिगम wearable non variable chain learning

इसी रावर्ट gene ने दिया है

शाब्दिक👉 अधिगम में अध्यापक विषय वस्तु को एक क्रम में प्रस्तुत करता है जिससे अधिगम के स्थानांतरण में सुगमता आती है

अशाब्दिक👉 अशाब्दिक अधिगम हेतु चित्रों या अन्य दृश्य साधनों को क्रमानुसार प्रस्तुत किया जाता है जैसे बच्चे की अवस्था को दर्शाना है

🔰🔰🔰 अधिगम सोपनकी सिद्धांत

इसी रावर्ट gene ने दिया
अधिगम की क्षमता को 8 प्रतिमान में बताया गया है
1 संकेत अधिगम
2 उद्दीपन अनुक्रिया अधिगम
3 गत्यात्मक संकलन
4शाब्दिक srankhlan
5 अपवत्रय विभेदन
6 संप्रत्यय अधिगम
7 समस्या समाधान
8 अधिनियम अधिगम

🍃🔰🔰🔰🔰 सामाजिक अधिगम का सिद्धांत सोशल लर्निंग थ्योरी
अल्बर्ट बंडूरा

यह सिद्धांत कहता है कि व्यक्ति सामाजिक व्यवहारों का परprechanK करता है और वैसा ही व्यवहार खुद भी करता है

🔰🔰🔷🔷🔷🍃🍃🍃सपना साहू

Learning theory part-1 for ctet and tet notes by indias top learners

🔆 अधिगम सिद्धांत ( Learning theory) 🔆
1. प्रयत्न और भूल का सिद्धांत का सिद्धांत ➖ थार्नडाईक (अमेरिका)
अन्य नाम से भी जानते हैं :-
उद्दीपन अनुक्रिया का सिद्धांत (S-R theory)
अधिगम का बंध सिद्धांत ( एस आर थ्योरी )
संबंध बाद या व्यवहार बांध से संबंधित है |
थार्नडाईक ने बिल्ली पर प्रयोग किया है |
यह सिद्धांत अभ्यास द्वारा सीखने पर बल देता है यह गणित और विज्ञान के लिए ज्यादा उपयोगी है इसमें त्रुटियों का निराकरण पर बल दिया जाता है |
2. अनुकूलित अनुक्रिया का सिद्धांत ( Classical conditioning theory) ➖
प्रवर्तक – पावलव (रूस)
शास्त्रीय अनुबंधन का सिद्धांत
प्राचीन अनुबंधन का सिद्धांत
संबंध प्रतिक्रिया का सिद्धांत
प्रयोग :- कुत्ता पर
यह सिद्धांत कहता है आदतो का निर्माण कृत्रिम उद्दीपक से संबंध प्रतिक्रिया द्वारा होता है इसी सिद्धांत के संबंध प्रतिवर्त सहज विधि का जन्म हुआ है
यह सिद्धांत भाषा विकास मनोवृति का निर्माण बुरी आदत से छुटकारा सुलेख अक्षर विन्यास जैसे विषय में उपयोगी है |
3. अंतर्दृष्टि का सिद्धांत / सूझ का सिद्धांत (Insight theory)➖
अन्य नाम :-
गेस्टाल्ट सिद्धांत
संबंधवाद व्यवहारवाद
प्रवर्तक कोहलर कोफ्का वर्दीमर
वनमानुष सुल्तान चिंपांजी पर प्रयोग
यह सिद्धांत स्वयं समस्या का हल खोजने के लिए प्रेरित करता है |
4. क्रिया प्रसूत अनुबंधन /सक्रिय अनुबंध का सिद्धांत / नैमित्तिक अनुबंधन थ्योरी ➖
यह संबंधवादी या व्यवहारवादी से संबधित है
प्रवर्तक बी एफ स्किनर
प्रयोग :- कबूतर और चूहा पर
यह सिद्धांत कहता है कि किसी को पुनर्बलन देखकर अच्छे कार्य के लिए प्रेरित किया जा सकता है यहां सही कार्य के लिए सकारात्मक और गलत कार्य के लिए नकारात्मक पुनर्बलन दिए जाने की बात कही गई है |
पुनर्बलन का मतलब है प्रेरक |
यह पुरस्कार भी हो सकता है और दंड भी |
5. प्रबलन का सिद्धांत (Reinforcement) ➖ पुनर्बलन
प्रवर्तक सी . एल . हल
न्यूनतम आवश्यकता का सिद्धांत ( Principal of mine requirement)
विधिक सिद्धांत (Legal principal theory)
ये संबंधबाद व्यवहारवाद से संबंधित है प्रयोग :- चूहों पर
इस सिद्धांत में व्यक्तिगत शिक्षा पर बल दिया जाता है यह सिद्धांत कहता है कि शिक्षक को विषय वस्तु तथा अधिगम को दोहराने पर बल देना चाहिए से बालक की आदत को बेहतर बनाया जा सकता है |
6. अनुकरण द्वारा अधिगम (Learning of simulation) ➖
प्रवर्तक मनोवैज्ञानिक – हैगार्ट
अधिगम की प्रक्रिया अनुकरण द्वारा पूर्ण की जा सकती है बच्चा जैसा देखता है वैसा करने का प्रयास करता है |
7. क्षेत्रीय सिद्धांत (Field theory) तलरूप सिद्धांत (Topology theory) अधिगम का प्राकृतिक दशा का सिद्धांत (Natural conditioning theory of learning)
प्रवर्तक :- कर्ट लेविन (Kurt Levin)
शिक्षक द्वारा आदि विद्यार्थियों को उनकी योग्यता और शक्ति के अनुसार उपयुक्त मनोवैज्ञानिक वातावरण उपलब्ध कराना चाहिए साथ ही प्राप्त उद्देश्यों को प्रभावी तरीके से निर्देशित किया जाना चाहिए इस सिद्धांत के तहत व्यवहार पर जोर देते हुए अभिप्रेरणा पर जोर दिया जाता है |
8. समीपता का सिद्धांत (Principal of proximity)
स्थानापन्न का सिद्धांत
प्रतिस्थापन का सिद्धांत
( Principal of substitution / Replacement) ➖
प्रवर्तक :- एडविन गुथरी (Edwin Guthrie)
यह सिद्धांत कहता है कि उत्तेजना और अनुक्रिया के बीच अधिकतम साहचर्य स्थापित करना चाहिए ताकि अधिगम की प्रक्रिया को प्रभावशाली बनाया जा सके |
9. अव्यक्त अधिगम का सिद्धांन्त ( Latent learning theory) /
चिन्ह आकार अधिगम का सिद्धान्त(Symbol size theory) /
चिन्ह पूर्णाकार वाद संभावना सिद्धांत (Symbol round possibility theory) ➖
प्रवर्तक – एडवर्ड टाॅलमैन ( Edward tolmen)
प्रतीक अधिगम –
अप्रकट अधिगम –
यह सिद्धांत कहता है कि सीखना संज्ञानात्मक मानचित्र बनाना है अध्यापक को चाहिए कि शैक्षिक उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए इनाम और दंड का प्रयोग करें |

Notes by ➖Ranjana Sen

🌟 *अधिगम सिद्धांत (Learning theory’s)* 🌟

अधिगम सिद्धांत को कई मनोवैज्ञानिकों के द्वारा दिया गया है,जो जो निम्न है-

💫 *१. प्रयत्न और भूल का सिद्धांत:-*
यह सिद्धांत अमेरिकी मनोवैज्ञानिक थोर्नडाइक के द्वारा दिया गया है।
प्रयत्न और भूल के सिद्धांत को कई नामों से जाना जाता है जो इस प्रकार हैं–

✨ *उद्दीपन अनुक्रिया सिद्धांत (S.R. Theory’s)*

✨ *अधिगम का बंध सिद्धांत*

👉🏻 थार्नडाइक संबंधवाद और व्यवहारवाद दोनों के अंतर्गत आते हैं।

👉🏻 इन्होंने ने अपना प्रयोग – “भूखी बिल्ली (🐈)”पर किया था।

✨ थार्नडाइक द्वारा यह सिद्धांत अभ्यास द्वारा सीखने पर बल देता है। और यह घड़ी और विज्ञान में ज्यादा उपयोगी है। इस सिद्धांत में कृतियों का निराकरण हो इस पर बल दिया जाता है।

💫 *२. अनुकूलित अनुक्रिया का सिद्धांत:-*

✨ अनुकूलित अनुक्रिया के जनक रूसी वैज्ञानिक “I.P. पावलाव” है।

✨ *शास्त्रीय अनुबंध का सिद्धांत (Classical conditional theory)*

✨ *प्राचीन अनुबंधन का सिद्धांत*

✨ *संबद्ध प्रतिक्रिया का सिद्धांत (Theory of relative response)*

👉🏻 *प्रयोग – कुत्ते (🐕) पर*

✨ यह सिद्धांत कहता है ,कि आदतों का निर्माण “कृत्रिम उद्दीपक” से संबद्ध प्रतिक्रिया द्वारा होता है।
इस सिद्धांत से संबद्ध प्रतिवर्ष (सहज) विधि का जन्म हुआ। यह सिद्धांत भाषा विकास, मनोवृति का निर्माण, बुरी आदत से छुटकारा, सुलेख, अक्षर विन्यास जैसे विषय में उपयोगी है।

💫 *३. अंतर्दृष्टि का सिद्धांत/सूझ का सिद्धांत (Insight theory)*

यह सिद्धांत गेस्टाल्ट/ गेस्टालट्वाद , संबंधवाद, व्यवहारवाद से जुड़ा हुआ है।

👉🏻 इस सिद्धांत में “कोहलर, कोफका और वर्दीइमर” का नाम आता है।

👉🏻 *प्रयोग – वनमानुष (सुल्तान नामक चिंपैंजी) 🦍 पर किया था।*

✨ यह सिद्धांत स्वयं समस्या का हल खोजने के लिए प्रेरित करता है।

💫 *क्रिया प्रसूत अनुबंधन का सिद्धांत:-*

✨ *सक्रिय अनुबंधन का सिद्धांत (Operent conditioning theory)*

✨ *नैमित्तिक/अनुबंध थ्योरी (Causal contact)*

👉🏻 यह सिद्धांत “B.F. स्किन” द्वारा दिया गया है। यह संबंधवाद और व्यवहारवाद दोनों के अंतर्गत आते हैं।

👉🏻 *प्रयोग–चूहा (🐁) और कबूतर (🕊️)*

✨ यह सिद्धांत कहता है, कि किसी को पुनर्बलन देकर अच्छे कार्य के लिए प्रेत किया जा सकता है। इसमें सही कार्य के लिए सकारात्मक और गलत कार्य के लिए नकारात्मक पुनर्बलन दिए जाने के बाद कहीं गई है।

👉🏻 पुनर्बलन (Reinforcement) का मतलब है “प्रेरक”।

👉🏻 यह पुरस्कार भी हो सकता है और दंड भी हो सकता है।

💫 *५. प्रबलन का सिद्धांत (Reinforcement):-*

👉🏻 प्रबलन का सिद्धांत “C.L Hull” के द्वारा दिया गया है।
यह व्यवहारवादी और संबंधवादी दोनों के अंतर्गत आते हैं।

✨ *न्यूनतम आवश्यकता का सिद्धांत (Principle of minimum requirement)*

👉🏻 *विधिक सिद्धांत (Legal principle theory)*

👉🏻 *प्रयोग–चूहा (🐁)*

✨ इस सिद्धांत में “व्यक्तिगत शिक्षा”पर बल दिया जाता है।

✨ यह सिद्धांत कहता है ,कि शिक्षक को विषय वस्तु तथा अधिगम को दोहराने पर बल देना चाहिए। इससे बालक के आदत को बेहतर बनाया जा सकता है।

💫 *६. अनुकरण द्वारा अधिगम/अनुकरण का सिद्धांत (Learning by simulation):-*

👉🏻 यह सिद्धांत मनोवैज्ञानिक “हैगार्ट”के द्वारा दिया गया है।

✨ इस सिद्धांत में अधिगम की प्रक्रिया “अनुकरण द्वारा”ही पूर्ण की जा सकती है। बच्चा जैसा देखता है वैसा करने का प्रयास करता है।

💫 *७. क्षेत्रीय सिद्धांत (Field theory):-*

✨ *तल रूप सिद्धांत (Topology theory)*

✨ *अधिगम का प्राकृतिक दशा का सिद्धार्थ (Natural conditioning theory of learning)*

👉🏻 यह सिद्धांत “कर्ट लेविन (Kurt levin)”के द्वारा दिया गया है।

✨ यह सिद्धांत शिक्षक द्वारा विद्यार्थियों की उनकी योग्यता और शक्ति के अनुसार उपयुक्त मनोवैज्ञानिक वातावरण उपलब्ध कराना चाहिए, साथ ही साथ प्राप्त उद्देश्य को प्रभावी तरीके से निर्देशित किया जाना चाहिए।

✨ इस सिद्धांत के तहत व्यवहार पर जोर देते हुए“अभिप्रेरणा”पर जोर दिया जाता है।

💫 *८. समीपता का सिद्धांत (Principle of proximity):-*
✨ *स्थापना का सिद्धांत*

✨ *समिपय का सिद्धांत*

✨ *प्रतिस्थापना का सिद्धांत (principle of substitution replacement)*

👉🏻 यह सिद्धांत “एडविन गुथरी(Edwin Guthrie) के द्वारा दिया गया है।

✨ यह सिद्धांत कहता है, की “उत्तेजना”और “अनुक्रिया”के बीच अधिकतम साहचर्य स्थापित करना चाहिए, ताकि अधिगम की प्रक्रिया को और प्रभावशाली बनाया जा सके।

💫 *९.अव्यक्त अधिगम का सिद्धांत (Lalent learning theory):-*

✨ *चिन्ह आकार अधिगम सिद्धांत (Symbol size theory)*

✨ *चिन्ह पूर्णाकावाद सिद्धांत ( Symbol round possibility theory)*

✨ *अप्रकटअधिगम (अव्यक्त)*

👉🏻 यह सिद्धांत “एडवर्ड टोलमान (Edward Tollman)”के द्वारा दिया गया है।

✨ यह सिद्धांत कहता है, कि सीखना “संज्ञानात्मक मानचित्र”बनाता है।

👉🏻 अध्यापक के शैक्षिक उद्देश्य– अध्यापक को चाहिए कि शैक्षिक उद्देश्य प्राप्त करने के लिए, इनाम और दंड का प्रयोग करें।

✍🏻✍🏻✍🏻 *Notes by – Pooja* ✍🏻✍🏻✍🏻

🌼🌼अधिगम सिद्धांत(learning theories)🌼🌼

🌼🌼1. प्रयत्न और भूल का सिद्धांत–
🌼 प्रवर्तक- थार्नडाइक (अमेरिका )
🌼अधिगम का सिद्धांत
🌼 एस .आर . थ्योरी
🌼 उद्दीपन अनुक्रिया सिद्धांत
🌼संबंधबाद
🌼व्यवहारवाद
🌼प्रयोग- बिल्ली पर प्रयोग
🌼🌼यह सिद्धांत अभ्यास के द्वारा सीखने पर बल देता है चर गणित और विज्ञान के लिए ज्यादा उपयोगी है इसमें त्रुटियों का निराकरण पर बल दिया जाता है

🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼

🌼🌼2.अनुकूलित अनुक्रिया का सिद्धांत-
🌼 classical conditional theory
🌼शास्त्रीय अनुबंधन का सिद्धांत
🌼प्राचीन अनुबंधन का सिद्धांत
🌼संबंधित प्रतिक्रिया का सिद्धांत
🌼 प्रवर्तक- पावलव (रूस)
🌼 प्रयोग-कुत्ता पर
🌼🌼यह सिद्धांत कहता है कि आदतों का निर्माण क्रतिम् उद्दीपक से संबंध में प्रतिक्रिया द्वारा होता है इसी सिद्धांत से संबंध प्रतिवर्ष (सहज )विधि का जन्म हुआ यह सिद्धांत भाषा विकास, मनोवृति का निर्माण बुरी आदत से छुटकारा सुलेख ,अक्षर ,विन्यास जैसे विषय में उपयोगी है

🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼

🌼🌼3.अंतर्दृष्टि का सिद्धांत-
🌼 सूझ का सिद्धांत
🌼 insight theory
🌼गेस्टाल्ट सिद्धांत
🌼संबंधबाद
🌼व्यवहारवाद
🌼प्रवर्तक- कोहलर ,कोफका, वर्दिमर वनमानुष
🌼 प्रयोग-सुल्तान चिंपैंजी पर प्रयोग
🌼🌼यह सिद्धांत स्वयं समस्या का हल खोजने के लिए प्रेरित करता है

🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼

🌼🌼4.क्रिया प्रसूत अनुबंधन का सिद्धांत
🌼 सक्रिय अनुबंधन का सिद्धांत
🌼नैमित्तिक अनुबंधन थ्योरी
🌼 संबंधवादी
🌼व्यवहारवादी
🌼 प्रवर्तक- बीएफ स्किनर
🌼 प्रयोग- कबूतर और चूहा पर प्रयोग
🌼🌼यह सिद्धांत कहता है कि किसी को पुनर्बलन देकर अच्छे कार्य के लिए प्रेरित किया जा सकता है यह सही कार्य के लिए सकारात्मक और गलत कार्य के लिए नकारात्मक पुनर्बलन दिए जाने की बात कही गई है पुनर्बलन का मतलब होता है यह पुरस्कार भी हो सकता है और दंड भी।।

🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼

🌼🌼5.प्रबलन का सिद्धांत( पुनर्बलन)
🌼 प्रवर्तक- C. L. Hull
🌼विधि का सिद्धांत (legal principal theory)
🌼न्यूनतम आवश्यकता का सिद्धांत
🌼 प्रयोग- चूहा
🌼 इस सिद्धांत में व्यक्तिगत शिक्षा पर बल दिया जाता है सिद्धांत कहता है कि शिक्षक को विषय वस्तु तथा अधिगम को दोहराने पर बल देना चाहिए इससे बालक की आदत को बेहतर बनाया जा सकता है
🌼 संबंधबाद
🌼व्यवहारवाद

🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼

🌼🌼6.अनुकरण द्वारा अधिगम
🌼learning of stimulation
🌼 अनुकरण का सिद्धांत
🌼 प्रवर्तक-मनोवैज्ञानिक हैगार्ट
🌼अधिगम की प्रक्रिया अनुकरण द्वारा पूर्ण की जा सकती है बच्चा जैसा देखता है वैसा करने का प्रयास करता है

🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼

🌼🌼7.क्षेत्रीय सिद्धांत ( field theory)
🌼 तलरूप सिद्धांत (topology theory)
🌼अधिगम का प्राकृतिक दशा का सिद्धांत
🌼 प्रवर्तक- kurt levin ( कर्ट लेविन)
🌼🌼शिक्षक द्वारा विद्यार्थी को उनकी योग्यता और शक्ति के अनुसार उपयुक्त मनोवैज्ञानिक वातावरण उपलब्ध कराना चाहिए साथ ही प्राप्त उद्देश्यों को प्रभावी तरीके से निर्देशित किया जाना चाहिए इस सिद्धांत के तहत व्यवहार पर जोर देते हुए अभिप्रेरणा पर जोर दिया जाता है

🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼

🌼🌼8. समीपता का सिद्धांत
🌼principle of proximity)
🌼स्थानापन्न का सिद्धांत
🌼प्रतिस्थापन का सिद्धांत
🌼 प्रवर्तक- एडविन गुथरी
🌼 यह सिद्धांत कहता है कि उत्तेजना और अनुक्रिया के बीच अधिगम साहचर्य स्थापित करना चाहिए ताकि अधिगम की प्रक्रिया को और प्रभावशाली बनाया जा सके

🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼

🌼 🌼9. अव्यक्त अधिगम का सिद्धांत
🌼 latent learning theory
🌼 चिन्ह आकार अधिगम
🌼 चिन्ह पूर्णकार वाद संभावना सिद्धांत
🌼 प्रतीक अधिगम
🌼 अप्रकट अधिगम
🌼🌼 यह सिद्धांत कहता है कि सीखना ज्ञानात्मक मानचित्र बनाना है अध्यापक को चाहिए कि शैक्षिक उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए इनाम और दंड का ही प्रयोग करें

🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼

By manjari soni🌼🌼🌼

🔆 अधिगम के सिद्धांत➖

🎯 प्रयत्न और त्रुटि का सिद्धांत➖

इस सिद्धांत को

1) उद्दीपन अनुक्रिया का सिद्धांत(S-R THEORY )

2)अधिगम का बंध सिद्धांत

3) यह सिद्धांत संबंध बाद एवं व्यवहार बाद से संबंधित है |

इस सिद्धांत का प्रतिपादन थार्नडाइक ने किया था |

इन्होंने बिल्ली पर प्रयोग किया था | इस सिद्धांत के अनुसार अभ्यास द्वारा सीखने पर बल दिया जाता है यह गणित और विज्ञान के लिए ज्यादा उपयोगी इसलिए इसमें त्रुटियों के निराकरण पर बल दिया जाता है |

🎯 अनुकूलित अनुक्रिया का सिद्धांत( Conditioning thepry) ➖

इस सिद्धांत को

1) शास्त्रीय अनुबंधन सिद्धांत,

2) प्राचीन अनुबंधन का सिद्धांत

3) संबध प्रतिक्रिया का सिद्धांत (Theory off relative response)

आदि नामों से जाना जाता है

इस सिद्धांत के प्रतिपादक पावलव है और इसका प्रयोग कुत्ते पर किया गया था |

यह सिद्धांत कहता है कि आदतों का निर्माण कृत्रिम उद्दीपक से संबंधित प्रतिक्रिया द्वारा होता है |

इस सिद्धांत से संबंध प्रतिवर्त (सहज )विधि का जन्म हुआ है |

यह सिद्धांत भाषा विकास, मनोवृति का निर्माण, बुरी आदत से छुटकारा, सुलेख, अक्षर विन्यास, जैसे विषयों का में उपयोगी है |

🎯 अंतर्दृष्टि का सिद्धांत या सूझ का सिद्धांत ( Insight theory)➖

इस सिद्धांत को गेस्टाल्ट सिद्धांत के नाम से भी जाना जाता है |

यह सिद्धांत भी संबंध बाद एवं व्यवहार बाद से जुड़ा हुआ है |

इस के प्रतिपादक कोहलर, कोफ्का और वर्दाइमर को माना जाता है |

इन्होंने वनमानुष सुल्तान चिंपैंजी पर प्रयोग किया था यह सिद्धांत स्वयं समस्या का हल खोजने के लिए प्रेरित करता है |

🎯 क्रिया प्रसूत अनुबंध का सिद्धांत➖

इस सिद्धांत को

1) सक्रिय अनुबंध का सिद्धांत

2) ऑपरेटर कंडीशनिंग थ्योरी
(Operant conditong theory)

3) नैमित्तिक अनुबं थ्योरी (Casual contract)

आदि नामों से जाना जाता है |

यह सिद्धांत भी संबंध बाद और व्यवहारवाद से जुड़ा हुआ है |

इस सिद्धांत के प्रवर्तक बी.एफ स्किनर को माना जाता है |

इन्होंने कबूतर और चूहे पर प्रयोग किया था |

यह सिद्धांत कहता है कि किसी को का पुनर्बलन देकर प्रेरित किया जा सकता है |

यह सही कार्य के लिए सकारात्मक और गलत कार्य के लिए नकारात्मक पुूनर्बलन देने की बात कही गई है |

पुनर्बलन का मतलब होता है प्रेरक |

यह पुरस्कार भी हो सकता है और दंड भी हो सकता है |

नोट्स बाय➖ रश्मि सावले

🌻🌸🍀🌻🌼🌸🌺🍀🌻🌼🌸🌺🍀🌻🌼🌺🍀🌸🌼🌺🍀🌸🌸🌸

🏵️🏵️ अधिगम सिद्धांत 🏵️🏵️
*🏵️1- प्रयत्न और भूल का सिद्धांत (trail error)*
🔹 थार्नडाइक(अमेरिका)
🔸 उद्दीपन अनुक्रिया सिद्धांत (S-R theory)
🔸 अधिगम का बंध सिद्धांत (एस.आर थ्योरी)
🔹 थार्नडाइक संबंध बाद और व्यवहारवाद विचारधाराओं को मानने वाले थे।
🔹 इन्होंने बिल्ली पर प्रयोग किया था।
👉 यह सिद्धांत अभ्यास द्वारा सीखने पर बल देता है।
👉 एक गणित और विज्ञान के लिए ज्यादा उपयोगी है।
👉इसमें त्रुटियों का निराकरण हो इस पर बल दिया जाता है।
*🏵️2-अनुकूलित अनुक्रिया का सिद्धांत(classical conditioning theory)*
🔹 शास्त्रीय अनुबंध का सिद्धांत
🔹 प्राचीन अनुबंध का सिद्धांत
🔹 संबंध प्रतिक्रिया का सिद्धांत
🔹 Theory of relative response
🔸 इन सिद्धांतों को पावलव ने दिया जो रूस के मनोवैज्ञानिक थे।
🔸 इन्होंने कुत्ते पर प्रयोग किया था।
👉 यह सिद्धांत कहता है, आदतों का निर्माण कृत्रिम उद्दीपक से संबद्ध प्रतिक्रिया द्वारा होता है।
👉 इसी सिद्धांत से संबद्ध प्रतिवर्त (सहज) विधि का जन्म हुआ।
👉 यह सिद्धांत भाषा विकास, मनोवृति का निर्माण, बुरी आदत से छुटकारा, सुलेख, अक्षर विन्यास जैसे विषय में उपयोगी है।
🏵️3- *अंतर्दृष्टि का सिद्धांत/ (सूझ का सिद्धांत) insight theory*
🔸 गेस्टाल्ट सिद्धांत
🔸 यह भी संबंध बाद और व्यवहारवाद से जुड़ा हुआ है।
🔹 इस सिद्धांत में कोहलर, कोफ्का और वर्दीमर का नाम आता है।
👉 बनमानुस सुल्तान नामक चिंपांजी पर प्रयोग किया था।
👉 यह सिद्धांत स्वयं समस्या पर हल खोजने के लिए प्रेरित करता है।
🏵️4- *क्रिया प्रसूत अनुबंधन का सिद्धांत*
🔹 सक्रिय अनुबंधन का सिद्धांत
🔹 Operent conditioning theory
🔹 नैमित्तिक अनुबंधन थ्योरी (causal contact)
🔸 इस सिद्धांत को *B.F Skinner* ने दिया।
🔸 यह भी संबंध बाद और व्यवहारवाद दोनों को मानने वाले थे।
🔸 इन्होंने कबूतर और चूहा पर प्रयोग किया।
👉 यह सिद्धांत कहता है कि किसी को पुनर्बलन देकर अच्छे कार्य के लिए प्रेरित किया जा सकता है।
यहां सही कार्य के लिए सकारात्मक और गलत कार्य के लिए नकारात्मक पुनर्बलन दिए जाने की बात कही गई है।
पुनर्बलन का मतलब होता है- *प्रेरक* यह पुरस्कार भी दे सकता है और दंड भी।
*🏵️ *5-प्रबलन का सिद्धांत* (Reinforcement theory)
🔸 प्रबलन का सिद्धांत *C. L hall* के द्वारा दिया गया है यह व्यवहारवादी और संबंध वादी को मानने वाले थे।
*🔹न्यूनतम आवश्यकता का सिद्धांत* (principle of minimum requirement
🔹 विधिक सिद्धांत legal principle theory
🔸 *प्रयोग -चूहे पर*
👉 इस सिद्धांत में व्यक्तिगत शिक्षा पर बल दिया जाता है।
👉 यह सिद्धांत कहता है कि शिक्षक को विषय वस्तु तथा अधिगम को दोहराने पर बल देना चाहिए इससे बालक की आदत को बेहतर बनाया जा सकता है।
*🏵️6-अनुकरण द्वारा अधिगम/ अनुकरण का सिद्धांत* (learning by simulation)
🔸 यह सिद्धांत मनोवैज्ञानिक *हैगार्ट* के द्वारा दिया गया है।
👉 इस सिद्धांत में अधिगम की प्रक्रिया अनुकरण द्वारा ही पूर्ण की जा सकती है बच्चा जैसा देखता है वैसा करने का प्रयास करता है।
🏵️7- *क्षेत्रीय सिद्धांत* (field theory)
🔹 *तल रूप सिद्धांत(Topology theory*
🔹 _*अधिगम का प्राकृतिक दशा का सिद्धांत (natural conditioning theory of learning)*_
🔸 यह सिद्धांत *kurt levin* के द्वारा दिया गया है।
👉 यह सिद्धांत शिक्षक द्वारा विद्यार्थियों को उनकी योग्यता और शक्ति के अनुसार उपयुक्त मनोवैज्ञानिक वातावरण उपलब्ध कराना चाहिए साथ ही प्राप्त उद्देश्यों को प्रभावी तरीकों से निर्देशित किया जाना चाहिए।
इस सिद्धांत के तहत व्यवहार पर जोर देते हुए अभिप्रेरणा पर जोर दिया जाता है।
🏵️ *8-समीपता का सिद्धांत* (principle of of proximity)
🔸 स्थानापन्न का सिद्धांत
🔸 प्रतिस्थान का सिद्धांत
(Principle of substitution replacement)
🔹 यह सिद्धांत Edwin Guthri के द्वारा दिया गया है।
👉 यह सिद्धांत कहता है की उत्तेजना और अनुक्रिया के बीच अधिकतम साहचर्य स्थापित करना चाहिए।
ताकि अधिगम की प्रक्रिया को और प्रभावशाली बनाया जा सके।
*🏵️9-अव्यक्त अधिगम का सिद्धांत* (lalent learning theory)
🔹 इस सिद्धांत को Edward Tolman द्वारा दिया गया है।
🔸 चिन्ह आकार अधिगम
(Symbol size theory)
🔸 चिन्ह पूर्णाकारबाद संभावना सिद्धांत
(Symbol round possibility theory)
🔹 प्रतीक अधिगम
🔹 अप्रकट अधिगम
👉 यह सिद्धांत कहता है कि सीखना संज्ञानात्मक मानचित्र बनाना है।
अध्यापक को चाहिए कि शैक्षिक उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए इनाम और दंड का प्रयोग करें।

🔹🔸🔹
🏵️🌸🏵️✍️ *NOTES BY≈VINAY SINGH THAKUR*

*अधिगम का सिद्धांत*💥
*(Learning theories)*💥

*1. प्रयत्न और भूल का सिद्धांत*🌸🌸

यह सिद्धांत थार्नडाइक ने दिया था। वह अमेरिका के मनोवैज्ञानिक थे।
इस सिद्धांत का अन्य नाम ” अनुक्रिया सिद्धांत” , “अधिगम का बंध सिद्धांत” , “संबंध वाद”, “व्यवहारवाद” आदि नामों से जाना जाता है। थार्नडाइक ने बिल्ली पर अपना प्रयोग किया था।
यह सिद्धांत अभ्यास द्वारा सीखने पर बल देता है। यह गणित और विज्ञान के लिए ज्यादा उपयोगी है इसमें त्रुटियों का निराकरण पर बल दिया जाता है।

*2. अनुकूलित अनुक्रिया का सिद्धांत*🌸🌸

यह सिद्धांत रूसी मनोवैज्ञानिक पावलव ने दिया था।
इन्होंने अपना प्रयोग कुत्ते पर किया था।
इस सिद्धांत का अन्य नाम “शास्त्रीय अनुबंधन का सिद्धांत”, “प्राचीन अनुबंधन का सिद्धांत”, “संबंध प्रतिक्रिया का सिद्धांत” है।

यह सिद्धांत कहता है आदतों का निर्माण कृत्रिम उद्दीपक से संबद्ध प्रतिक्रिया द्वारा होता है। इस सिद्धांत से संबद्ध प्रतिवर्त(सहज) विधि का जन्म हुआ।
यह सिद्धांत भाषा विकास, मनोवृति का निर्माण, बुरी आदत से छुटकारा, सुलेख, अक्षर विन्यास जैसे विषय में उपयोगी है।

*3. अंतर्दृष्टि का सिद्धांत* 🌸🌸

इसका अन्य नाम “सूझ का सिद्धांत”,”गेस्टाल्ट का सिद्धांत”,”संबंध वाद का सिद्धांत”,”व्यवहारवाद का सिद्धांत”आदि नामों से जाना जाता है।
यह सिद्धांत कोहलर, कोफ्का , वर्दीमर ने दिया था।
इस सिद्धांत का प्रयोग ‘सुल्तान’ नामक चिंपांजी (वनमानुष) पर किया गया था।
यह सिद्धांत स्वयं समस्या का हल खोजने के लिए प्रेरित करता है।

*4. क्रिया प्रसूत अनुबंधन का सिद्धांत*🌸🌸

इसका अन्य नाम “सक्रिय अनुबंधन का सिद्धांत”,”नैमित्तिक अनुबंधन सिद्धांत”,”संबंध वादी का सिद्धांत”,”व्यवहारवादी का सिद्धांत” आदि है।
यह सिद्धांत बी एफ स्किनर ने दिया था। इन्होंने चूहे और कबूतर पर अपना प्रयोग किया था।
यह सिद्धांत कहता है कि किसी को पुनर्बलन देकर अच्छे कार्य के लिए प्रेरित किया जा सकता है यहां सही कार्य के लिए सकारात्मक और गलत कार्य के लिए नकारात्मक पुनर्बलन दिये जाने की बात कही गई है। पुनर्बलन का मतलब होता है प्रेरक। यह पुरस्कार भी हो सकता है और दंड भी।

*5. प्रबलन का सिद्धांत*🌸🌸

इस सिद्धांत को सी.एच.हल ने दिया था। इसका अन्य नाम “पुनर्बलन का सिद्धांत”, “विधिक सिद्धांत”, “न्यूनतम आवश्यकता का सिद्धांत”, “संबंध वाद का सिद्धांत”, “व्यवहारवाद का सिद्धांत” आदि है।
इन्होंने चूहे पर अपना प्रयोग किया था। इस सिद्धांत में व्यक्तिगत शिक्षा पर बल दिया जाता है यह सिद्धांत कहता है कि शिक्षकों विषय वस्तु तथा अधिगम को दोहराने पर बल देना चाहिए इससे बालक की आदत को बेहतर बनाया जा सकता है।

*6. अनुकरण द्वारा अधिगम*🌸🌸

यह सिद्धांत हैगार्ट ने दिया था।
अधिगम की प्रक्रिया अनुकरण द्वारा भी पूर्ण की जा सकती है बच्चा जैसा देखता है वैसा करने का प्रयास करता है। यही अनुकरण का सिद्धांत है।

*7. क्षेत्रीय सिद्धांत*🌸🌸

इस सिद्धांत कर्ट लेविन ने दिया था।
इसका अन्य नाम “तलरुप सिद्धांत”, “अधिगम का प्राकृतिक दिशा का सिद्धांत” है।
शिक्षक द्वारा विद्यार्थी को उनकी योग्यता और शक्ति के अनुसार उपयुक्त मनोवैज्ञानिक वातावरण उपलब्ध कराना चाहिए साथ ही प्राप्त उद्देश्यों को प्रभावी तरीके से निर्देशित किया जाना चाहिए। सिद्धांत के तहत व्यवहार पर जोर देते हुए अभिप्रेरणा पर जोर दिया जाता है।

*8. समीपता का सिद्धांत*🌸🌸

यह सिद्धांत एडविन गुथरी ने दिया था।
इसका अन्य नाम “स्थानापन्न का सिद्धांत”,”प्रतिस्थापन का सिद्धांत”है।
यह सिद्धांत कहता है कि उत्तेजना और अनुक्रिया के बीच अधिकतम साहचर्य स्थापित करना चाहिए ताकि अधिगम की प्रक्रिया को और प्रभावशाली बनाया जा सके।

*9. अव्यक्त अधिगम का सिद्धांत*🌸🌸

यह सिद्धांत एडवर्ड टोलमैन ने दिया था। इसका अन्य नाम “चिन्हाकार अधिगम”, “चिन्ह पूर्ण आकारवाद संभावना सिद्धांत”,” प्रतीक अधिगम” “अप्रकट अधिगम” है।
रस सिद्धांत कहता है कि सीखना संज्ञानात्मक मानचित्र बनाना है अध्यापक को चाहिए कि शैक्षिक उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए पुरस्कार और दंड का प्रयोग करें।

*नोट्स – श्रेया राय*✍️🙏😊

🖊️ अधिगम के सिद्धांत🖊️

🌹 प्रयत्न और भूल का सिद्धांत( trial and error theory)➖

♦️ यह सिद्धांत थ्रोनडाईक में 1903 ईस्वी में दिया।

♦️यह सिद्धांत संबंध बाद और व्यवहारवाद पर आधारित है।

♦️ इन्होंने बिल्ली पर प्रयोग किया।

♦️ यह सिद्धांत अभ्यास द्वारा सीखने पर बल देता है।

♦️ यह गणित और विज्ञान के लिए ज्यादा उपयोगी है।

♦️ इसमें त्रुटियों का निराकरण हो,इस पर बल दिया जाता है।

♦️इस सिद्धांत के अन्य नाम:

➖ उद्दीपन-अनुक्रिया सिद्धांत
➖ अधिगम का बंध सिद्धांत
➖ stimulus response theory(S-R Theory)

🌹 अनुकूलित अनुक्रिया का सिद्धांत:-

♦️ यह सिद्धांत पावलव(रूस ) ने 1904 में दिया।

♦️ इन्होंने कुत्तों पर प्रयोग किया.

♦️ इस सिद्धांत का कहना है कि आदतों का निर्माण कृत्रिम उद्दीपक से संबंध प्रतिक्रिया द्वारा होता है।

♦️ इसी सिद्धांत से संबंध प्रतिवर्त (सहज)विधि का जन्म हुआ। इसे ही artificial stiumulus कहते हैं।

♦️ यह सिद्धांत निम्न रूप से उपयोगी है:-
➖ भाषा विकास
➖ मनोवृति का निर्माण
➖ बुरी आदत से छुटकारा
➖ सुलेख
➖ अक्षर विन्यास

🌹 अंतर्दृष्टि का सिद्धांत( Insight theory):

♦️ इस सिद्धांत को सोच के सिद्धांत के नाम से जाना जाता है।

♦️ सूझ का सिद्धांत गेस्टाल्टवादी सिद्धांत है। गेस्टाल्ट का अर्थ पूर्ण आकार होता है।

♦️ यह सिद्धांत संबंध बाद और व्यवहारवाद से संबंधित है।

♦️ यह सिद्धांत कोहलर, कोफ़ा और वरदाइमर द्वारा दिया गया।

♦️यह प्रयोग सुल्तान चिंपांजी पर किया गया ।

♦️यह सिद्धांत स्वयं समस्या का हल खोजने के लिए प्रोत्साहित करता है।

🌹 क्रिया प्रसूत अनुबंधन का सिद्धांत:

♦️ इस सिद्धांत के अन्य नाम:
➖ सक्रिय अनुबंधन का सिद्धांत (operate conditioning theory)
➖ नैमित्तिक अनुबंध थ्योरी
➖ Response Stimulus Theory

♦️ यह सिद्धांत संबंध बाद और व्यवहारवाद से संबंधित है।

♦️ इस सिद्धांत को बी.एफ स्किनर ने दिया। इन्होंने कबूतर और चूहों पर प्रयोग किया।

♦️ सिद्धांत कहता है कि किसी को पुनर्बलन देकर अच्छे कार्य के लिए प्रेरित किया जा सकता है।

♦️ यहां सही कार्य के लिए नकारात्मक और गलत कार्य के लिए नकारात्मक पुनर्बलन दिए जाने की बात कही गई है।

♦️ पुनर्बलन का मतलब यह होता है ‘प्रेरक’। यह पुरस्कार भी हो सकता है और दंड भी।

🎊Notes By Akanksha🎊
🌸🙏
💫 अधिगम सिद्धांत💫 (earning theories)

🌸1-प्रयत्न और भूल का सिद्धांत➖
🌺 प्रवर्तक-थार्नडाइक यह अमेरिका के निवासी थे
🌺 अधिगम का सिद्धांत
🌺 एस .आर .थ्योरी
🌺 उद्दीपन अनुक्रिया सिद्धांत
🌺 संबंधवाद
🌺 व्यवहारवाद
🌺 प्रयोग-बिल्ली पर

🌸🌸 यह सिद्धांत अभ्यास के द्वारा सीखने पर बल देता है

💫 अनुकूलित अनुक्रिया का सिद्धांत➖
🌺 शास्त्रीय अनुबंधन का सिद्धांत
🌺 प्राचीन अनुबंधन का सिद्धांत
🌺 संबंध प्रतिक्रिया का सिद्धांत
🌺 प्रवर्तक-पावलव रूस के निवासी थे
🌺 प्रयोग-कुत्ते पर
🌸🌸 यह सिद्धांत कहता है की आदतों का निर्माण कृत्रिम उद्दीपक से संबंध में प्रतिक्रिया द्वारा होता हैएक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा उद्दीपन तथा अनुक्रिया के बीच एक साहचर्य स्थापित हो जाता है इस सिद्धांत का प्रतिपादन 1904 में हुआ था।

3.💫 अंतर्दृष्टि का सिद्धांत➖

🌺 सूझ का सिद्धांत
🌺 गेस्टाल्ट सिद्धांत
🌺 संबंधवाद
🌺 व्यवहारवाद
🌺 प्रवर्तक-कोहलर, कोफ्फा, वर्दीमर
🌺 प्रयोग-वनमानुष सुल्तान नामक चिंपौजी
🌺 यह सिद्धांत स्वयं समस्या का हल खोजने के लिए प्रेरित करता है।

💫 4, क्रिया प्रसूत अनुबंधन का सिद्धांत➖
🌺 सक्रिय अनुबंधन का सिद्धांत
🌺नैमित्तिक अनुबंधन थ्योरी
🌺 संबंधवादी
🌺 व्यवहारवादी
🌺 प्रयोग-कबूतर और चूहे पर
यह सिद्धांत कहता है कि किसी को पुनर्बलन देकर अच्छे कार्य के लिए प्रेरित किया जा सकता है यह सही कार्य के लिए सकारात्मक और गलत कार्य के लिए नकारात्मक पुनर्बलन किए जाने की बात कही गई है पुनर्बलन का मतलब होता है यह पुरस्कार भी हो सकता है और दंड भी।

💫 5, प्रबलन का सिद्धांत
🌺 प्रवर्तक-C.L.Hull
🌺 बुद्धि का सिद्धांत
🌺 न्यूनतम आवश्यकता का सिद्धांत
🌺 प्रयोग-चूहा
🌺 इस सिद्धांत में व्यक्तिगत शिक्षा पर बल दिया जाता है सिद्धांत कहता है कि शिक्षक को विषय वस्तु तथा अधिगम को दोहराने पर बल देना चाहिए इससे बालक की आदत को बेहतर बनाया जा सकता है।
🌺 संबंधवाद
🌺 व्यवहारवाद

💫 6. अनुकरण द्वारा सिद्धांत➖
🌺 अनुकरण का सिद्धांत
🌺 प्रवर्तक-मनोवैज्ञानिक हैगार्ट
🌺 अधिगम की प्रक्रिया अनुकरण द्वारा पूर्ण की जा सकती है बच्चा जैसा दिखता है वैसा करने का प्रयास करता है।

💫7. क्षेत्रीय सिद्धांत➖
🌺 तलरुप सिद्धांत
🌺 अधिगम का प्राकृतिक दशा का सिद्धांत
🌺 प्रवर्तक-कर्ट लेविन
🌺 शिक्षक द्वारा विद्यार्थी को उसकी योगिता और शक्ति के अनुसार उपयुक्त मनोवैज्ञानिक वातावरण उपलब्ध कराना चाहिए साथ ही प्राप्त उद्देश्य को प्रभावी तरीके से निर्देशित किया जाना चाहिए इस सिद्धांत के तहत व्यवहार पर जोर देते हुए अभिप्रेरणा पर जोर दिया जाता है।

💫8. समीपता का सिद्धांत➖
🌺 स्थानापन्न का सिद्धांत
🌺 प्रति स्थापन का सिद्धांत
🌺 प्रवर्तक-एडमिन गुथरी
🌺 यह सिद्धांत कहता है कि उत्तेजना और अनुक्रिया के बीच अधिगम सहचर्य स्थापित करना चाहिए ताकि अधिगम की प्रक्रिया को और प्रभावशाली बनाया जा सके।

💫9. अव्यक्त अधिगम का सिद्धांत➖

🌺 चिन्ह आकार अधिगम
🌺 चिन्ह पूर्णकार वाद संभावना सिद्धांत
🌺 प्रतीक अधिगम
🌺अप्रकट अधिगम
🌺 यह सिद्धार्थ कहता है कि सीखना ज्ञानात्मक मानचित्र बनाना है अध्यापक को चाहिए कि शैक्षणिक उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए इनाम और दंड का ही प्रयोग करें।

✍🏻📚📚 Notes by..,… Sakshi Sharma📚📚✍🏻

_____________________________
अधिगम सिद्धांत
(Learning Theories)
_____________________________
*️⃣ प्रयास और भूल का सिद्धांत
(Trial and Error theory)
🕯️प्रतिपादक : थार्नडाइक (Thorndike)
🕉️अन्य नाम :
🌿उद्दीपन अनुक्रिया सिद्धांत (S-R Theory)
🌿अधिगम का बंध सिद्धांत

📎संबंधवाद एवम् व्यवहारवाद से संबंधित है।

☯️प्रयोग (experiment) : बिल्ली (Cat) पर

🔷तथ्य (Fact)
#️⃣यह सिद्धांत अभ्यास द्वारा सीखने पर बल देता है।
#️⃣यह गणित और विज्ञान के लिए ज्यादा उपयोगी है।
#️⃣इसमें त्रुटियों के निराकरण पर बल दिया जाता है।

*️⃣ अनुकूलित अनुक्रिया का सिद्धांत (Classical Conditioning T)
🕯️प्रतिपादक : पावलव (I. P. Pavlov)

🕉️अन्य नाम
🌿शास्त्रीय अनुबंधन का सिद्धांत
🌿प्राचीन अनुबंधन का सिद्धांत
🌿संबंध प्रतिक्रिया का सिद्धांत

☯️प्रयोग : कुत्ते(🐕) पर

🔷तथ्य (Fact)
#️⃣यह सिद्धांत कहता है कि अल्टो का निर्माण कृत्रिम उद्दीपक से संबंध प्रतिक्रिया द्वारा होता है।
#️⃣इसी सिद्धांत से संबद्ध प्रतिवर्ष सहज विधि का जन्म हुआ।
#️⃣यह सिद्धांत भाषा विकास मनोवृत्ति का निर्माण बुरी आदत से छुटकारा सुलेख अंतर विन्यास जैसे विषय के लिए उपयोगी हैं।

*️⃣ अंतर्दृष्टि का सिद्धांत अथवा सिद्धांत (Insight Theory)
🕯️प्रतिपादक : कोहलर, कोफ्का, वर्दीमर
🕉️अन्य नाम :
🌿गेस्टाल्टवाद का सिद्धांत
🌿संबंध का सिद्धांत
🌿व्यवहारवाद का सिद्धांत

🔷तथ्य (Fact) : #️⃣यह सिद्धांत समस्या का हल स्वयं ही खोजने के लिए प्रेरित करता है।

*️⃣ क्रिया प्रसूत अनुबंधन का सिद्धांत (Operant Conditioning Theory)
🕯️प्रतिपादक : बीएफ स्किनर (BF Skinner)
🕉️अन्य नाम :
🌿सक्रिय अनुबंधन का सिद्धांत
🌿नैमित्तिक अनुबंधन का सिद्धांत
🌿यांत्रिक अनुबंधन का सिद्धांत
🌿साधनात्मक अनुबंधन का सिद्धांत
🌿R-S theory

☯️प्रयोग : कबूतर और चूहा पर

*️⃣ प्रबलन का सिद्धांत (Reinforcement Theory)
🕯️प्रतिपादक : C L Hull

🕉️अन्य नाम
🌿न्यूनतम आवश्यकता का सिद्धांत (Principle of Minimum Requirement)
🌿विधिक सिद्धांत (Legal Principle)
☯️प्रयोग : चूहा

🔷तथ्य (Fact) :
#️⃣इस सिद्धांत में व्यक्तिगत शिक्षा पर बल दिया जाता है।
#️⃣सिद्धांत कहता है कि शिक्षक को विषय वस्तु तथा अधिगम को दोहराने पर बल देना चाहिए इससे बालक की आदत को बेहतर बनाया जा सकता है।

*️⃣ अनुकरण द्वारा अधिगम
अनुकरण का सिद्धांत (Learning pp Simulation)
🕯️प्रतिपादक : हैगार्ट

🔷तथ्य (Fact) :
#️⃣अधिगम की प्रक्रिया अनुकरण द्वारा भी पूर्ण की जा सकती है।
#️⃣बच्चा जैसा दिखता है वैसा करने का प्रयास करता है।

*️⃣ क्षेत्रीय सिद्धांत (field theory)
🕯️प्रतिपादक : कर्ट लेविन (Kurt Lewin)
🕉️अन्य नाम
🌿तलरूप का सिद्धांत
🌿अधिगम का प्राकृतिक दशा का सिद्धांत

🔷तथ्य (Fact) :
#️⃣शिक्षक द्वारा विद्यार्थियों को उनकी योग्यता और शक्ति के अनुसार उपयुक्त मनोवैज्ञानिक वातावरण उपलब्ध कराना चाहिए। साथ ही प्राप्त उद्देश्यों को प्रभावी तरीके से निर्देशित किया जाना चाहिए।
#️⃣इस सिद्धांत के तहत व्यवहार पर जोर देते हुए अभिप्रेरणा पर जोर दिया जाता है।

*️⃣ समीपता का सिद्धांत (Principle of Proximity)
🕯️प्रतिपादक : एडविन गुथरी (Edwin Guthari)
🕉️अन्य नाम :
🌿स्थानापन्न का सिद्धांत(Principle of Placement)
🌿प्रतिस्थापन का सिद्धांत (Principle of Sinstitution)
🔷तथ्य (Fact) :
#️⃣यह सिद्धांत कहता है कि उत्तेजना और अनुक्रिया के बीच अधिकतम साहचर्य स्थापित करना चाहिए ताकि अधिगम की प्रक्रिया को और अधिक प्रभावशाली कराया जा सके।

*️⃣ अव्यक्त अधिगम का सिद्धांत(Latent Learning Theory)
🕯️प्रतिपादक : एडवर्ड टालमैन(Edward Tolman)
🕉️अन्य नाम :
🌿चिह्न आकार अधिगम (Symbol Size Theory)
🌿 चिन्ह पूर्णाकारवाद संभावना सिद्धांत (Symbol Round Position Theory)
🌿अप्रकट अधिगम

🔷तथ्य (Fact) :
#️⃣यह सिद्धांत कहता है कि शिक्षा संज्ञानात्मक मानचित्र बनाना है।
#️⃣अध्यापक को चाहिए कि शैक्षिक उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए इनाम और दंड का प्रयोग करें।

💎💎💎
✍️✍️ By Awadhesh Kumar ✍️✍️
_____________________________

Community of Psychology notes by India’s top learners

______________________
मनोविज्ञान के संप्रदाय
(Community of Psychology)
___________________________

✨एक जैसी विचारधारा वाले लोग को एक संप्रदाय के अंतर्गत रखा जाता है।

इन संप्रदायों का विवरण निम्नवत है-
🌡️संरचनावाद (Structuralism)
🌡️प्रकार्यवाद (Functionalism)
🌡️व्यवहारवाद (Behaviorism)
🌡️मनोविश्लेषणवाद (Psychoanalism)
🌡️गेस्टाल्टवाद (Gestaltism)

🌜संरचनावाद (Structuralism)
🧚मनोविज्ञान को दर्शनशास्त्र से अलग करके क्रमबद्ध अध्ययन करने का श्रेय संरचनावाद को जाता है।

🧚संरचनावाद के प्रवर्तक विलियम वुण्ट और E.B. टीचनर हैं।

🧚विलियम वुण्ट ने मनोविज्ञान के स्वरूप को प्रयोगात्मक बताया।

🧚विलियम वुण्ट ने मनोविज्ञान की प्रथम प्रयोगशाला लिपजिग विश्वविद्यालय जर्मनी (Lipzig University Germany) में 1879 ई में स्थापित की।

🧚विलियम वुण्ट ने मनोविज्ञान को “चेतना अनुभूति” का अध्ययन करने वाला माना।

🌜प्रकार्यवाद (Functionalism)
💫प्रकार्यवाद संप्रदाय के जनक विलियम जेम्स है।
💫इसमें मानसिक क्रिया और अनुकूल व्यवहार को महत्व दिया जाता है।

Note:- इसमें व्यक्ति क्या करते हैं और क्यों कोई व्यवहार करते हैं इसकी समझ विकसित होती है।

🌜व्यवहारवाद (Behaviorism)
🌈व्यवहारवाद संप्रदाय के जनक जेबी वाटसन है
🌈मनोविज्ञान व्यवहार का विज्ञान है।
🌈व्यवहारवाद को आगे बढ़ाने का प्रयास हल, स्किनर, टोलमैन और गुथरी ने किया।

🌜मनोविश्लेषणवाद (Psychoanalysis)

👉मनोविश्लेषण संप्रदाय के जनक सिगमंड फ्रायड है।

👉इन्होंने व्यक्तित्व मापन की स्वप्न विश्लेषण विधि का प्रतिपादन किया।

🌜गोस्टाल्टवाद (Gestaltism)

👉गोस्टाल्टवाद के जनक कोहलर, कोफ्का और वर्दिमर है।

👉गोस्टाल्ट का मतलब समग्र अथवा पूर्ण आकार है अर्थात किसी वस्तु को समग्र रूप से समझा जाता है।

👉गोस्टाल्टवाद की स्थापना सर्वप्रथम 1912 ईस्वी में वर्दीमर ने से शुरुआत किया था।

🌑🌑🌑
✍️✍️ By Awadhesh Kumar ✍️✍️
———————————————

🔆 मनोविज्ञान के संप्रदाय ( Community of psychologically ) ➖

एक जैसी विचारधारा वाले लोगों को एक संप्रदाय के अन्तर्गत रखा जाता है |

⭕ मनोविज्ञान के संप्रदाय के प्रकार ➖

1) संरचनावाद ( Structuralism)

2)प्रकार्यवाद (Functionalism)

3) व्यवहारवाद (Behaviourism)

4) मनोविश्लेषण
( Psychoanalysim)

5) गेस्टाल्टवाद
(Gastaltisam)

🎯 संरचनावाद➖

मनोविज्ञान को दर्शनशास्त्र से अलग करके क्रमबद्ध अध्ययन करने का श्रेय संरचनावाद को ही जाता है |

संरचनावाद के जनक या प्रवर्तक “विलियम वुण्ट ” और “ई. बी. टिचनर ” को माना जाता है |

इन्होंने मनोविज्ञान के स्वरूप को प्रयोगात्मक बनाया |

विलियम वुण्ट ने सन् 1879 में लिपजिंग विश्वविद्यालय जर्मनी में मनोविज्ञान की प्रथम प्रयोगशाला स्थापित की |

विलियम वुण्ट ने मनोविज्ञान को “चेतन अनुभूति का अध्ययन” करने वाला माना |

🎯 प्रकार्यवाद ➖

प्रकार्यवाद संप्रदाय के जनक विलियम जेम्स को माना जाता है |

इन्होंने “मानसिक क्रिया अनुकूली व्यवहार “को महत्व दिया |

इसमें व्यक्ति क्या करते हैं और क्यों व्यवहार करते हैं इसकी समझ विकसित होती है |

🎯 व्यवहारवाद ➖

व्यवहारवाद संप्रदाय के जनक “जे.बी .वाटसन” को माना जाता है |

उन्होंने कहा कि मनोविज्ञान व्यवहार का विज्ञान है यह बताता है कि व्यक्ति का मनोविज्ञान कैसा है |

वाटसन के बाद व्यवहारवाद को आगे बढ़ाने का प्रयास ” सी.एल.हल.,,, स्किनर ,,, टाॅलमैन ,,, तथा,,, गुथरी ” ,ने किया |

🎯 मनोविश्लेषण ➖

मनोविश्लेषण संप्रदाय के जनक सिगमंड फ्रायड को माना जाता है |

इन्होंने व्यक्तित्व मापन की “स्वपन विश्लेषण ” विधि का प्रतिपादन किया |

इन्होंने अपने मनोविश्लेषणवादी सिद्धांत के अंतर्गत “इदम्, अहम्, और परम अहम ” को केंद्र बिंदु माना |

जिनके अनुसार व्यक्ति इदम् की स्थिति में तत्कालिक सुख की प्राप्ति चाहता है और वह अपने सुख के लिए कुछ भी करना चाहता है बस अपने सुख की तत्काल प्राप्ति चाहता है इसके अंतर्गत दमित इच्छाएं होती है जिन की पूर्ति व्यक्ति शीघ्र चाहता है |
अहम की स्थिति को मैं व्यक्ति समाज के नियमों का पालन करता है समाज के मानदंडों को ध्यान में रखते हुए अपने क्रियाकलाप को आगे बढ़ाता है |
और परम अहम को देवत्व का प्रतीक माना जाता है |

🎯गेस्टाल्टवादी ➖

गेस्टाल्टवादी संप्रदाय के जनक तीन व्यक्ति” कोहलर कोफ्का और वर्दाइमर ” को माना जाता है |

यहां गैस्टाल्ट का अर्थ पूर्णाकार या समग्र आकार है यदि कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति के चिंतन, स्मृति या अधिगम आदि को समझता है और उसे संपूर्णता की ओर ले जाता है तो वह हमारा गेस्टाल्टबाद है |

सबसे पहले 1912 में इसकी स्थापना वर्दाइमर ने की थी |

नोट्स बाय ➖रश्मि सावले

🌻🌼🌸🍀🌺🌻🌼🌸🍀🌺🌻🌼🌸🍀🌺🌻🌼🌸🍀🌺

🌟 *मनोविज्ञान के संप्रदाय ( Community of psychology)* 🌟

एक जैसी विचार धारा वाले लोगों को एक संप्रदाय के अंतर्गत रखा जाता है।
मनोविज्ञान के संप्रदाय निम्न प्रकार के हैं–

✨ *संरचनावाद(Structuralism)*

✨ *प्रकार्यवाद (Functionalism)*

✨ *व्यवहारवाद (Behaviourism)*

✨ *मनोविश्लेषण ( Psychoanalysis)*

✨ *गेस्टालटवाद(Gestalism)*

💫 *१.संरचनावाद (Structuralism):-*
मनोविज्ञान को दर्शनशास्त्र से अलग करके क्रमबद्ध अध्ययन करने का श्रेय संरचनावाद को ही जाता है।

🌟 *संरचनावाद के प्रवर्तक:-* संरचनावाद के प्रवर्तक में दो लोगों का नाम आता है–

✨ *(i) विलियम वुंट*
✨ *(ii)E.B. टिचनर*

*Note:-* 👉🏻 विलियम वुंट ने मनोविज्ञान के स्वरूप को “प्रयोगात्मक” बनाया।

👉🏻 विलियम वुंट की प्रयोगशाला जर्मनी के लिपजिंग विश्वविद्यालय 1879 में मनोविज्ञान की प्रथम प्रयोगशाला स्थापित की गई।

👉🏻 विलियम वुंट ने मनोविज्ञान को “चेतन अनुभूति का अध्ययन” करने वाला माना है।

💫 *२. प्रकार्यवाद (Functionalism):-*
प्रकार्यवाद संप्रदाय के जनक “विलियम जेम्स” है।
इसमें “मानसिक क्रिया” , “अनुकूलित व्यवहार” को महत्व दिया जाता है।

*Note:-* 👉🏻 इसमें व्यक्ति क्या करते हैं और क्यों कोई व्यवहार करते हैं, इसकी समझ विकसित होती है।

💫 *३. व्यवहारवाद (Behaviourlism):-*
व्यवहारवाद संप्रदाय के जनक J.B. वाटसन है।

*वाटसन के अनुसार:-* “मनोविज्ञान व्यवहार का विज्ञान है”

👉🏻 व्यवहारवाद को आगे बढ़ाने का प्रयास –“हल, स्किनर, टॉलमैन व गुथरी ”के द्वारा किया गया है।

💫 *४.मनोविश्लेषणवाद ( Psychoanalysis):-*
मनोविश्लेषण संप्रदाय के जनक “सिग्मंड फ्रायड” है।
इन्होंने व्यक्तित्व मापन की “स्वपन विश्लेषण विधि” का प्रतिपादन किया।

💫 *५गेस्टालट्वादी(Gestalism):-*
गेस्टालट्वादी के तीन जनक है–

✨ *१. कोहलर*
✨ *२. कोफ्का*
✨ *३. वर्दाइमर*

गेस्टालट्वाद काम मतलब पूर्णआकार (समग्र आकार) किसी भी चीज की चिंतन/स्मृति/अधिगम को पूर्ण रूप से समझना तथा सभी को मिलाकर संपूर्णता की तरफ जाना गेस्टालट्वादी है।

*Note:-* 👉🏻“1912 में वर्दीइमर ने सबसे पहले “गेस्टालट्वादी” की शुरुआत की, फिर कोहलर, कोफ्का जुड़े थे”।

✍️✍️✍️ *Notes by – Pooja* ✍️✍️✍️

🌹मनोविज्ञान के संप्रदाय🌹 (community of psychology)

🙇🏼‍♀️एक जैसे विचारधारा वाले लोगों को इस संप्रदाय के अंतर्गत रखा जाता है।

🥳 मनोविज्ञान के संप्रदाय के अंतर्गत निम्न संप्रदाय आते है।

♦️ संरचनावाद

♦️ प्रकार्यवाद

♦️ व्यवहारवाद

♦️ मनोविश्लेषणवाद

♦️ गेस्टाल्टवाद

🌸 संरचनावाद➖
मनोविज्ञान को दर्शन से अलग करके क्रम बंद अध्ययन करने का श्रेय संरचनावाद को ही जाता है।

➖ संरचनावाद के प्रवर्तक:-
🌸 विलियम वूंट
🌸 इ.बी.टिंचर

🌹 विलियम वूंट ने मनोविज्ञान के स्वरूप को प्रयोगात्मक बनाया।

🌹 विलियम वूंट की प्रयोगशाला लिपजिंग विश्वविद्यालय,जर्मनी में 1879, में खोली गई।

🌹 यह मनोविज्ञान की प्रथम प्रयोगशाला थी ।

🌹 विलियम वूंट ने मनोवैज्ञानिक को➖
“चेतन अनुभूति का अध्ययन करने वाला माना”

🔆 प्रकार्यवाद:-

♦️ प्रकार्यवाद संप्रदाय के जनक विलियम जेम्स है।

♦️ इसमें “मानसिक क्रिया” “अनुकूल व्यवहार” को महत्ता दिया जाता है।

नोट:-
इसमें व्यक्ति क्या करते हैं और क्यों कोई व्यवहार करता है इसकी समझ विकसित होती है।

🌹 व्यवहारवाद:-

♦️व्यवहारवाद संप्रदाय के जनक J. B. Watson है।

♦️व्यवहारवाद को आगे बढ़ाने का श्रेय:-
हल, स्किनर, टॉलमैन,गुथरी को दिया जाता है।

🌹 मनोविश्लेषणात्मक:-

♦️ इस संप्रदाय के जनक सिगमंड फ्रायड है।

♦️ इन्होंने व्यक्तित्व मापन की “स्वप्न विश्लेषण विधि” का प्रतिपादन किया।

🌹 गेस्टाल्टवादी:-

♦️गेस्टाल्ट वादी में कोफ्क़ा, कोहलर और वरदाईमर का नाम आता है।

♦️ गेस्टाल्टवादी का अर्थ पूर्णआकार होता है।

Notes By Akanksha

🙏🌸🤗
✴️ *मनोविज्ञान के संप्रदाय* ✴️
*(Community of psychology)*

एक जैसी विचारधारा वाले लोगों को एक संप्रदाय के अंतर्गत रखा जाता है।

*मनोविज्ञान के संप्रदाय*✴️👉

1. संरचनावाद(structuralism)

2. प्रकार्यवाद(functionalism)

3. व्यवहारवाद(behaviorism)

4. मनोविश्लेषणवाद(psychoanalism)

5. गेस्टाल्ट वाद(gestalism)

*संरचनावाद*👉

🌸मनोविज्ञान को दर्शनशास्त्र से अलग करके क्रम बद्ध अध्ययन करने का श्रेय संरचनावाद को जाता है।

✍️संरचनावाद के प्रवर्तक विलियन वुंट एवं ई.बी. टिचनर थे।

विलियम वुंट ने मनोविज्ञान के स्वरूप को प्रयोगात्मक बनाया।

इन्होंने की प्रथम प्रयोगशाला ‘लिपजिंग विश्वविद्यालय’ जर्मनी में 1879 में खोला था ।
विलियम वुंट ने “मनोविज्ञान को चेतन अनुभूति का अध्ययन” करने वाला माना।

*प्रकार्यवाद*👉

🌸 प्रकार्यवाद संप्रदाय के जनक विलियम जेम्स हैं इसमें मानसिक क्रिया और अनुकूलित व्यवहार को महत्व दिया जाता है।

✍️ इसमें व्यक्ति क्या करते हैं और क्यों कोई व्यवहार करते हैं इसकी समझ विकसित होती है।

*व्यवहारवाद*👉

🌸 व्यवहारवाद संप्रदाय के जनक
वाटसन है ।

“मनोविज्ञान व्यवहार का विज्ञान है।”

✍️ व्यवहारवाद को आगे बढ़ाने का प्रयास हल, स्किनर , टालमैन और गुथरी ने किया था।

*मनोविश्लेषणवाद*👉

🌸 मनोविश्लेषणवाद संप्रदाय के जनक सिगमंड फ्रायड हैं इन्होंने व्यक्तित्व मापन की स्वप्न विश्लेषण विधि का प्रतिपादन किया।

*गेस्टाल्ट वादी*👉

🌸गेस्टाल्ट वाद जर्मन भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है पूर्ण आकार या समग्र आकार।

इस सिद्धांत के प्रवर्तक कोहलर , कोफ्का,मैक्स वर्दीमर थे। इनको गेस्टाल्ट वादी कहा जाता है।

✍️ *नोट्स – श्रेया राय* 🙏

🌺 मनोवैज्ञानिक के संप्रदाय🌺
(Community of psychology)

एक जैसी विचारधारा वाले लोगों को एक संप्रदाय के अंतर्गत रखा जाता है
मनोवैज्ञानिक के संप्रदाय प्रकार के हैं

🎯 रचनावाद (streamlism)

🎯 प्रकार्यवाद (functionalism)

🎯 व्यवहारवाद (behaviourism)

🎯 मनोविश्लेषण (psychonalysis)

🎯 गेस्टालटवाद (Gestalism)

💫 1-संरचनावाद ➖मनोविज्ञान को दर्शन साथ से अलग करके क्रमबद्ध अध्ययन करने का श्रेय सृजनात्मक बाद को जाता है।

✨ संरचनावाद के जनक / प्रवर्तक

1-विलियम वुण्ट
2-E.B.टिचनर

✨ वुण्ट ने मनोविज्ञान के स्वरूप को प्रयोगात्मक बताया है

✨विलियम वुण्ट की प्रयोगशाला लिपजिंग विश्वविद्यालय जर्मनी ने खोली गई।
✨यह मनोविज्ञान की प्रथम प्रयोगशाला थी।

✨ विलियम वुण्ट मनोविज्ञान को चेतन अनुभूति का अध्ययन करने वाला माना।

💫 प्रकार्यवाद ➖

✨प्रकार्यवाद संप्रदाय के जनक विलियम जेम्स हैं

✨ इसने मानसिक क्रिया अनुकुली व्यवहार को महत्व दिया जाता है।

✨ इसमें व्यक्ति क्या करता है और क्यों कोई व्यवहार करता है उसकी समझ विकसित होती है।

💫 व्यवहारवाद➖

✨ व्यवहारवाद संप्रत्यय के जनक J.B. वाटसन है

✨ मनोविज्ञान व्यवहार का विज्ञान है।

✨ इसे आगे बढ़ाने का प्रयास कुछ वैज्ञानिकों ने किया
हल, स्पिनर, टॉल मैन, गुथरी

💫 मनोविश्लेषण➖

✨ मनोविश्लेषण संप्रत्यय के जनक सिगमंड फ्रायड हैं।

✨ इन्होंने व्यक्तित्व मापन की स्वरूप विश्लेषण विधि का प्रतिपादन किया।

💫 गेस्टालवाद ➖

✨ गेस्टाल्ट बाद जर्मन भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है पूर्ण आकार या समग्र आकार।

✨ इस सिद्धांत के प्रवर्तक कोहलर फूफा मैक्स वर्दीमर थे इसको गेस्टाल्ट वादी कहा जाता है।

✍🏻📚📚 Notes by….. Sakshi Sharma
📚📚✍🏻

*🌹 मनोविज्ञान के सम्प्रदाय* 🌹
🌹 **Community Of Psychology 🌹**

एक जैसी विशेष विचारधारा वाले लोगों को एक संप्रदाय के अंतर्गत रखा जाता है।

🌻 मनोविज्ञान के संप्रदाय :-

1. संरचनावाद structuralism

2. प्रकार्यवाद functionalism

3. व्यवहारवाद Behaviorism

4. मनोविश्लेषण Psychoanalysis

5. गेस्टाल्टवाद Gestaltism

1. 🌺 संरचनावाद

“मनोविज्ञान” को “दर्शनशास्त्र” से अलग करके क्रमबद्ध अध्ययन करने का श्रेय “संरचनावाद” को ही जाता है ।

संरचनावाद के जनक / प्रवर्तक हैं :-

” *विलियम वुन्ट” और
“E. B. टिचनर”*

विलियम वुन्ट ने “लिम्पजिंग विश्वविद्यालय” , जर्मनी” में “1879” में मनोविज्ञान की “प्रथम प्रयोगशाला” स्थापित की।

विलियम वुन्ट ने मनोविज्ञान के स्वरूप को “प्रयोगात्मक” बनाया है।

विलियम वुन्ट ने मनोविज्ञान को “चेतन अनुभूति” का अध्ययन करने वाला माना है।

2. 🌺 प्रकार्यवाद

प्रकार्यवाद के जनक हैं :-

*विलियम जेम्स*

प्रकार्यवाद में “मानसिक क्रिया” और “अनुकूली व्यवहार” को महत्व दिया जाता है।

प्रकार्यवाद में व्यक्ति क्या करते हैं और , क्यों कोई व्यवहार करते हैं इसकी समझ विकसित होती है।

3. 🌺 व्यवहारवाद

व्यवहारवाद के जनक हैं :-

*J. B. वाटसन*

” मनोविज्ञान व्यवहार का विज्ञान है ।”

व्यवहार को आगे बढ़ाने का प्रयास निम्नलिखित 4 वैज्ञानिकों ने भी किया है जैसे :-

1. *C. L. हल*
2. *B. F. स्किनर*
3. *टॉलमैन*
4. *गुथरी*

4. 🌺 मनोविश्लेषण

मनोविश्लेषण के जनक हैं :-

” *ऑस्ट्रिया मनोवैज्ञानिक सिग्मंड फ्रायड* ”

इन्होंने व्यक्तित्व मापन की स्वप्न विश्लेषण विधि का प्रतिपादन किया।

5. 🌺 गेस्टॉल्टवादी

गेस्टाल्टवादी के जनक / प्रवर्तक हैं :-

1. *मैक्स बरदाईमर*
2. *कर्ट कौफ़्का*
3. *ओल्फगैंग कोहलर*

गेस्टाल्टवाद की स्थापना सबसे पहले 1912 में मैक्स बरदाईमर ने की थी।

गेस्टाल्ट का अर्थ होता है – पूर्णाकार
अर्थात जिसमें की व्यक्ति के चिंतन / स्मृति / अधिगम को समझकर आगे अध्ययन को समझा / बढ़ाया जाता है।

🌹✒️ *Notes by – जूही श्रीवास्तव ✒️🌹*

🌼🌼मनोविज्ञान के संप्रदाय🌼🌼 (community of psychology)

🌼एक जैसे विचारधारा वाले लोगों को इस संप्रदाय के अंतर्गत रखा जाता है।

🌼 मनोविज्ञान के संप्रदाय के अंतर्गत निम्न संप्रदाय आते है।

🌼1. संरचनावाद

🌼2. प्रकार्यवाद

🌼3. व्यवहारवाद

🌼4.मनोविश्लेषणवाद

🌼5. गेस्टाल्टवाद

🌼🌼🌼 संरचनावाद 🌼🌼🌼
मनोविज्ञान को दर्शन से अलग करके क्रम बंद अध्ययन करने का श्रेय संरचनावाद को ही जाता है।

🌼🌼 संरचनावाद के प्रवर्तक:-
🌼विलियम वूंट
🌼 इ.बी.टिंचर

🌼 विलियम वूंट ने मनोविज्ञान के स्वरूप को प्रयोगात्मक बनाया।

🌼 विलियम वूंट की प्रयोगशाला लिपजिंग विश्वविद्यालय,जर्मनी में 1879, में खोली गई।

🌼 यह मनोविज्ञान की प्रथम प्रयोगशाला थी ।

🌼 विलियम वूंट ने मनोवैज्ञानिक को-
“चेतन अनुभूति का अध्ययन करने वाला माना”

🌼🌼🌼 प्रकार्यवाद🌼🌼🌼

🌼🌼 प्रकार्यवाद संप्रदाय के जनक विलियम जेम्स है।

🌼🌼 इसमें “मानसिक क्रिया” “अनुकूल व्यवहार” को महत्ता दिया जाता है।

🌼🌼🌼नोट—
🌼इसमें व्यक्ति क्या करते हैं और क्यों कोई व्यवहार करता है इसकी समझ विकसित होती है।

🌼🌼🌼🌼 व्यवहारवाद🌼🌼🌼🌼

🌼व्यवहारवाद संप्रदाय के जनक J. B. Watson है।

🌼व्यवहारवाद को आगे बढ़ाने का श्रेय–
हल, स्किनर, टॉलमैन,गुथरी को दिया जाता है।

🌼🌼🌼 मनोविश्लेषणात्मक🌼🌼🌼

🌼 इस संप्रदाय के जनक सिगमंड फ्रायड है।

🌼 इन्होंने व्यक्तित्व मापन की “स्वप्न विश्लेषण विधि” का प्रतिपादन किया।

🌼🌼🌼 गेस्टाल्टवादी🌼🌼🌼

🌼गेस्टाल्ट वादी में कोफ्क़ा, कोहलर और वरदाईमर का नाम आता है।

🌼 गेस्टाल्टवादी का अर्थ पूर्णआकार होता है।

Notes By manjari soni 🌼🌼

🏵️ मनोविज्ञान के संप्रदाय 🏵️
(Community of psychology)
🏵️👉 एक जैसी विचारधारा वाले लोगों को एक संप्रदाय में रखा जाता है।
🏵️👉 मनोविज्ञान के संप्रदाय—
🏵️1•संरचनावाद (structuralism)
🏵️2•प्रकार्यवाद (functionalism)
🏵️3•व्यवहारवाद (behaviourism)
🏵️4•मनोविश्लेषण (psychoanalysim)
🏵️5•गेस्टाल्टबाद (gastaltism)
🏵️1-संरचनावाद:-
मनोविज्ञान को दर्शनशास्त्र से अलग करके क्रमबद्ध अध्ययन करने का श्रेय संरचनावाद को जाता है।
🔹संरचनावाद के प्रवर्तक “William bunt” और “E.B टिचनर”
🔸 William bunt ने मनोविज्ञान के स्वरूप को प्रयोगात्मक बनाया।
🔹 William bunt की प्रयोगशाला लिपजिंग विश्वविद्यालय, जर्मनी में 1879में स्थापित हुई यह मनोविज्ञान की प्रथम प्रयोगशाला थी।
🔹 William bunt ने मनोविज्ञान को ‘चेतन अनुभूति का अध्ययन’ करने वाला माना है।
🏵️2-प्रकार्यवाद:-
प्रकार्यवाद संप्रदाय के जनक विलियम जेम्स है।
🔸 इसमें ‘मानसिक क्रिया’ ‘अनुकूली’ व्यवहार को महत्व दिया जाता है।
नोट:—इसमें व्यक्ति क्या करते हैं और क्यों कोई व्यवहार करते हैं इसका पता चल जाता है।
🏵️3-व्यवहारवाद:-
व्यवहारवाद संप्रदाय के जनक “जे बी वाटसन” को माना जाता है।
उन्होंने कहा कि मनोविज्ञान व्यवहार का विज्ञान है ।
व्यवहारवाद को आगे बढ़ाने का प्रयास सी.एल.हल, Skinner, टोलमैन, गुथरी ने किया।
🏵️4-मनोविश्लेषण:-
मनोविश्लेषण संप्रदाय के जनक सिगमंड फ्रायड है।
🔸 इन्होंने व्यक्तित्व मापन की स्वप्न विश्लेषण विधि का प्रतिपादन किया।
🏵️ 5-गेस्टाल्टबादी:-
🔹गेस्टाल्ट वादी के जनक कोहलर, कोफ्का, वर्दीमर है।
🔸 गेस्टाल्टबाद का अर्थ:-
पूर्ण आकार या समग्र आकर/ चिंतन/ स्मृति/ अधिगम
1912 में वर्दीमर ने सबसे पहले गेस्टाल्ट बादी की शुरुआत की फिर इसके बाद कोहलर, कोफ्का आकर शामिल हुए थे।

🔹🔸🔹
🏵️🌸🏵️✍️ Notes by≈Vinay Singh Thakur

🤔🤔🤔🤔🤔मनोविज्ञान के संप्रदाय🤔🤔🤔🤔( community of psychology)

मनोविज्ञान के 5 संप्रदाय हैं
1 संरचनावाद (structuralism)
2 प्रकार्यवाद (functionalism)
3 व्यवहारवाद (behaviourism)
4 मनोविश्लेषण(psyenanlisis)
5 गेस्टाल्टवाद(gestaltism)

💠💠💠💠 संरचनावाद💠💠💠💠💠💠
मनोविज्ञान को दर्शनशास्त्र से अलग करके क्रमबद्ध अध्ययन करने का श्रेय संरचनावाद को जाता है
संरचनावाद के प्रवर्तक
1 विलियम wynt
2 EB tichner

विलियम wynt ने मनोविज्ञान के स्वरूप को प्रयोगात्मक बताया है
इन्होंने मनोविज्ञान को चेतन अनुभूति का अध्ययन करने वाला माना है
सन 1879 में जर्मन मनोवैज्ञानिक विलियम wynt लिपजिंग में बुद्धि मापन के लिए मनोवैज्ञानिक प्रयोगशाला स्थापित की

💠💠💠💠💠 प्रकार्यवाद💠💠💠💠💠
प्रकार्यवाद संप्रदाय के जनक विलियम जेम्स हैं इसमें मानसिक क्रिया अनुकूल व्यवहार को महत्व दिया जाता है

नोट:- इसमें व्यक्ति क्या करते हैं और क्यों कोई व्यवहार करते हैं इसकी समझ विकसित होती है

💠💠💠💠💠 व्यवहारवाद 💠💠💠💠💠

व्यवहारवाद संप्रदाय के जनक JB watson है
मनोविज्ञान त्यौहार का विज्ञान है
इसे आगे बढ़ाने का प्रयास किया
हल स्किनर टोलमैन गुथरी

💠💠💠💠 मनोविश्लेषण 💠💠💠💠

मनोविश्लेषण संप्रदाय के जनक सिगमंड फ्रायड हैं
इन्होंने व्यक्तित्व मापन की सपने विश्लेषण विधि का प्रतिपादन किया

💠💠💠💠गेस्टाल्टवादी 💠💠💠💠

गेस्टाल्ट का मतलब पूर्ण आकार ( पूर्णाकार)या समग्र आकार होता है
ऐसे तीन वैज्ञानिकों ने मिल कर दिया कोफ्ता Kofta Kolar vardaimar

note ;:- इसकी शुरुआत सबसे पहले 1912 में vardaimar ने की थी

💠💠💠💠sapna sahu 💠💠💠💠

स्मृति एवं विस्मृति for ctet and tet by india top learners

✴️ *स्मृति एवं विस्मृति* ✴️

*स्मृति (memory)*✴️

👉स्मृति वह मानसिक प्रक्रिया है जिसके द्वारा मनुष्य अपने पूर्व अनुभव को मानसिक संस्कार के रूप में अपने अचेतन मन में संचित रखता है और आवश्यकता पड़ने पर अपनी वर्तमान चेतना में ले आता है।
स्मृति एक जटिल मानसिक प्रक्रिया है।

*स्मृति की परिभाषा (Definition of memory)*

👉 *वुडवर्थ के अनुसार*, “पहले सीखी जा चुकी बात का स्मरण करना ही स्मृति है।”

👉 *रायबर्न के अनुसार*,”अपने अनुभव के संचित रखने और उनको प्राप्त करने के कुछ समय बाद चेतना के क्षेत्र में लाने की जो शक्ति हमें होती है उसे स्मृति कहते हैं।”

*स्मृति के अंग(part of memory)*

वुडवर्थ के अनुसार स्मरण प्रक्रिया को चार भागों में बांटा है

*1. सीखना या अधिगम (learning)*
किसी विषय को स्मरण करने के लिए सर्वप्रथम उसे सीखना पड़ता है बिना सीखे किसी भी विषय को अपनी स्मृति में धारण नहीं कर सकते।

*2. धारण करना(retention)*
जब हम किसी कार्य को सीखते हैं तो उसकी छाप हमारे चेतन मन में स्थापित हो जाती है फिर उस को अचेतन मन में स्थापित कर देते हैं ताकि आवश्यकता पड़ने पर चेतन मन में प्रयोग किया जा सके।

*3. पुनः स्मरण करना(recall)*
पूर्व अनुभव अथवा सीखी गई बातों को अचेतन मन से चेतन मन में लाना ही पुन:स्मरण प्रक्रिया कहलाता है।

*4. पहचान (recognition)*
पहचान से तात्पर्य उस विषय वस्तु को ठीक ढंग से जानने से है जिसे पूर्व समय में धारण किया गया हो। अतः अच्छी स्मृति वही मानी जाती है जिसमें सही ज्ञान का स्मरण किया गया हो।

*अच्छी स्मृति की विशेषताएं* ✴️

👉 *1. शीघ्र सीखना /अधिगम*
अच्छी स्मृति वही होती है जिसमें कोई बच्चा पाठ्य वस्तु या कोई विषय तुरंत याद कर लेता हो।

👉 *2. उत्तम धारण शक्ति*
पढ़ी गई विषय वस्तु अधिक दिनों तक याद रहती है तो इसका मतलब यह है कि बच्चे की धारण शक्ति बहुत अच्छी है।

👉 *3. शीघ्र पुन: स्मरण*
शीघ्र पुन: स्मरण अच्छी स्मृति के लिए आवश्यक है।

👉 *4. शीघ्र एवं स्पष्ट पहचानना*
यदि स्मरण शीघ्र एवं स्पष्ट हो तो यह अच्छे स्मृति का संकेत है। जैसे बच्चा पूरे वर्ष कई विषयों का अध्ययन करता है जब वह परीक्षा देने के लिए जाता है तो जिस विषय का परीक्षा है उस विषय में पढ़ी गई जानकारी का शीघ्र एवं स्पष्ट याद आ जाना।

👉 *5. अनावश्यक बातों का विस्मरण*
अच्छी स्मृति का यह गुण भी होना चाहिए कि जो अनावश्यक बातें हमारे मस्तिष्क में है उसको भूल जाना क्योंकि अनावश्यक बातें हमारे जीवन में चिंता एवं तनाव उत्पन्न करती हैं जो हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है।

*स्मृति के प्रकार*✴️

👉1. तत्कालिक स्मृति(instant memory)

👉2. स्थाई स्मृति(permanent memory)

👉3. व्यक्तिगत स्मृति(personal memory)

👉4. अव्यक्तिगत स्मृति(impersonal memory)

👉5. सक्रिय स्मृति(active memory)

👉6. निष्क्रिय स्मृति(idle memory)

👉7. यांत्रिक स्मृति (mechanical memory)

👉8. तार्किक स्मृति (logical memory)

👉9. आदत स्मृति (habit memory)

👉10. इंद्रिय अनुभव स्मृति (sense experience memory)

👉11. शारीरिक स्मृति (physical memory)

👉12. वास्तविक स्मृति(real memory)

*विस्मृति(forgetting)*✴️

किसी सीखी हुई वस्तु को स्मरण न कर पाना विस्मृति या विस्मरण कहलाता है।
मानव जीवन के लिए जिस प्रकार स्मृति की आवश्यकता होती है उसी प्रकार विस्मृति भी आवश्यक है।
जैसे- कोई दुख की बात को भूल जाना ही हमारे लिए बेहतर है यदि वह हमारी स्मृति में रहेगा तो हमें मानसिक तनाव देगा।

*विस्मृति की परिभाषाएं( definition of forgetting)*✴️

👉 *मन के अनुसार*, “सीखी बात को धारण करना और पुनः स्मरण में असफलता विस्मृति कहलाती है।”

👉 *ड्रेवर के अनुसार*,”विस्मृति का अर्थ है किसी समय प्रयास करने पर भी किसी पूर्व अनुभव का स्मरण करने या पहले सीखे हुए किसी क्रिया को करने में असफलता।”

*विस्मृति के कारण(causes of forgetting)*✴️

विस्मृति के दो कारण हैं-

👉1. सैद्धांतिक कारण
(theoretical causes)
👉2. सामान्य कारण
(general causes)

1) *विस्मृति के सैद्धांतिक कारण*

👉1. अनाभ्यास का सिद्धांत

👉2. दमन का सिद्धांत

👉3. बाधा का सिद्धांत

2) *विस्मृति के सामान्य कारण*

👉1. विषय सामग्री का स्वरूप

👉2. सीखने की मात्रा

👉3. सीखने की दोषपूर्ण विधि

👉4. रुचि और ध्यान का अभाव

👉5. सीखने वाले की आयु और बुद्धि

👉6. पुनरावृति का अभाव

👉7. मस्तिष्क की चोट

👉8. मानसिक आघात

👉9. मानसिक द्वंद

👉10. मादक वस्तुओं का सेवन

👉11. मानसिक रोग।

*Notes by Shreya Rai* ✍️
🌟 *स्मृति और विस्मृत* 🌟

💫 *स्मृति (Memory):–*
स्मृति को कुछ विद्वानों के द्वारा परिभाषित किया गया है –

🌟 *वुडवर्थ के अनुसार:-* “पहले सीखी जा चुकी बात का स्मरण करना ही स्मृति है ।”

🌟 *रायबर्न के अनुसार:-* “अपने अनुभव को संचित रखने और उनको प्राप्त करने के कुछ समय बाद चेतना के क्षेत्र में लाने की को शक्ति होती हैं,उसे ही स्मृति कहते है।”

💫 *स्मृति के अंग ( वुडवर्थ ने स्मरण प्रक्रिया को चार भागों में बांट है):-*

✨ *१.सीखना या अधिगम ( Learning)*

✨ *२. धारण करना (Retention)*

✨ *३. पुनः स्मरण ( Recall)*

✨ *४. पहचान (Recognition)*

💫 *अच्छी स्मृति की विशेषताएं:-* अच्छी स्मृति की विशेषताएं निम्न हैं–

✨ *१.* शीघ्र सीखना या अधिगम।

✨ *२.* उत्तरम धारणा शक्ति।

✨ *३.* शीघ्र पुनः स्मरण ।

✨ *४.* शीघ्र स्वयं स्पष्ट पहचान।

✨ *५.* अनावश्यक बातों का विस्मरण

✨ *६.* उपदियता ( utility)

💫 *स्मृति के प्रकार:-*
स्मृति के प्रकार निम्नलिखित है–

✨ *१. तात्कालिक स्मृति ( Instand memory)*

✨ *२. स्थाई स्मृति ( Permanent memory)*

✨ *३. व्यक्तिगत स्मृति ( Personal memory )*

✨ *४. अवयक्गितगत स्मृति ( Impersonal memory )*

✨ *५. सक्रिय स्मृति ( Active memory )*

✨ *६. निष्क्रिय स्मृति ( Idle memory)*

✨ *७. यांत्रिक स्मृति ( Mechanical memory)*

✨ *८. तार्किक स्मृति ( Logical memory )*

✨ *९. आदत स्मृति (Habit memory)*

✨ *१०. इंद्रिय अनुभव स्मृति (Sense memory)*

✨ *११. शारीरिक स्मृति ( Physical memory)*

✨ *१२. वास्तविक स्मृति ( Real memory )*

🌟 *विस्मृत( Forgotten)*

चीजों को भूलना या जो स्मरण ना हो , विस्मृत कहलाती हैं।

💫 *मन के अनुसार:-* “सीधी बात को धारण करना और पुनः स्मरण में असफलता विस्मृति कहलाती है।”

💫 *ड्रेवर के अनुसार:-* “विस्मृति का अर्थ है किसी समय प्रयास करने पर भी किसी पूर्व अनुभव का स्मरण करने या पहले सीखे हुए किसी क्रिया को करने में असफलता।”

🌟 *विस्मृति के कारण:-*
विस्मृति के कारणों को जानकर उसे ठीक करने की कोशिश कर सकते हैं। विस्मृति के दो कारण है–

💫 *१. सैध्दानिक कारण*
💫 *२. सामान्य कारण*

🌟 *सैध्दानिक कारण :-*

इसके निम्न भागों में बांट गया है–

✨ *१. अनाभ्यस का सिद्धांत*

✨ *२. दमन का सिद्धांत*

✨ *३. बाधा का सिद्धांत*

🌟 *सामान्य कारक:-*
सामान्य कारक को भी निम्न कारक हैं–

✨ *१. विषम सामग्री का स्वरूप*

✨ *२. सीखने की मात्रा ज्यादा*

✨ *३. दोषपूर्ण विधि*

✨ *४. रुचि, ध्यान का अभाव*

✨ *५. सीखने की आयु और बुद्धि*

✨ *६. पुनरावृति का अभाव*

✨ *७. मस्तिष्क के चोट*

✨ *८. मानसिक आघात*

✨ *९. मादक वस्तुओं का सेवन*

✨ *१०. मानसिक रोग*

✍🏻✍🏻✍🏻 *Notes By–Pooja*✍🏻✍🏻✍🏻

🤔 स्मृति और विस्मृति 🤔

स्मृति वह होती है जो हमें याद रहती है जैसे कोई घटना या कोई सूचना हमें याद रहती है यह हमारे माइंड में हमेशा रहती है उसे हम स्मृति कहते हैं

वुडवर्थ के अनुसार:- पहले सीखी जा चुकी बात का स्मरण करना ही स्मृति है

raybarn के अनुसार:- अपने अनुभव को संचित रखने और उनको प्राप्त करने की कुछ समय बाद चेतना क्षेत्र में लाने की जो शक्ति हमें होती है उसे स्मृति कहते हैं

🤔स्मृति के अंग 🤔

वुडवर्थ को स्मरण प्रक्रिया को चार भागों में बांटा है

1 सीखना या अधिगम लर्निंग
2 धारण करना retention
3 पुनः स्मरण recoll
4 पहचान reagition

अच्छी स्मृति की विशेषता

1 शीघ्र सीखना अधिगम करना
2 उत्तम धारण शक्ति
3शीघ्र पुण्यस्मरण
4 शीघ्र एवं स्पष्ट पहचान
5 अनावश्यक बातों का विस्मरण
6 उपादेयता utility

स्मृति के प्रकार

1 तत्कालीन स्मृद्धि( instant memory )
2 स्थाई स्मृति (permanent memory)
3 व्यक्तिगत स्मृति ( personal memory)
4 व्यक्तिगत स्मृति( impersonal memory)
5 सक्रिय स्मृति (active memory)
6 निष्क्रिय स्मृति (idle memory )
7 यांत्रिक स्मृति
8 तार्किक स्मृति( logical memory)
9 आदत स्मृति( habit memory)
10 इंद्रिय अनुभव स्मृति (since experience memory)
11 शारीरिक स्मृति( physical memory)
12 वास्तविक स्मृति (real memory )

🤔 विस्मृति 🤔

मन के अनुसार:- सी की बात को धारण करना और पुनः स्मरण में असफलता विस्मृति कहलाती है

जेम्स ड्रेवर के अनुसार:- विस्मृति का अर्थ किसी समय प्रयास करने पर भी किसी पूर्व अनुभव का स्मरण करने या पहले सीखे हुए किसी क्रिया को करने में असफलता

🤔विस्मृति के कारण 🤔

सैद्धांतिक कारण:- 1 अनाभ्यास का सिद्धांत
2 दमन का सिद्धांत
3 बाधा का सिद्धांत

2 सामान्य कारण;- विषय सामग्री का स्वरूप
सीखने की मात्रा
दोषपूर्ण विधि
सीखने वाले की आयु और बुद्धि
पुनरावृति का भाव
मस्तिष्क चोट
मानसिक आघात
मानसिक द्वंद
मादक वस्तुओं का सेवन
मानसिक रोग

🙏🙏🙏🙏🙏sapna sahu🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

🌼🌼🌼स्मृति और विस्मृत🌼🌼🌼

🌼🌼🌼स्मृति (Memory):–
स्मृति को कुछ विद्वानों के द्वारा परिभाषित किया गया है –

🌼🌼वुडवर्थ के अनुसार:- “पहले सीखी जा चुकी बात का स्मरण करना ही स्मृति है ।”

🌼🌼रायबर्न के अनुसार:-“अपने अनुभव को संचित रखने और उनको प्राप्त करने के कुछ समय बाद चेतना के क्षेत्र में लाने की को शक्ति होती हैं,उसे ही स्मृति कहते है।”

🌼🌼स्मृति के अंग ( वुडवर्थ ने स्मरण प्रक्रिया को चार भागों में बांट है)

🌼1.सीखना या अधिगम ( Learning)

🌼2. धारण करना (Retention)

🌼3. पुनः स्मरण ( Recall)

🌼4. पहचान (Recognition)

🌼🌼अच्छी स्मृति की विशेषताएं:- अच्छी स्मृति की विशेषताएं निम्न हैं–

🌼1.शीघ्र सीखना या अधिगम।
🌼2. उत्तरम धारणा शक्ति।
🌼3. शीघ्र पुनः स्मरण ।
🌼4. शीघ्र स्वयं स्पष्ट पहचान।
🌼5.अनावश्यक बातों का विस्मरण
🌼6.उपदियता ( utility)

🌼🌼🌼स्मृति के प्रकार🌼🌼🌼
स्मृति के प्रकार निम्नलिखित है–

🌼1.तात्कालिक स्मृति ( Instand memory)

🌼2. स्थाई स्मृति ( Permanent memory)

🌼3.व्यक्तिगत स्मृति ( Personal memory )

🌼4. अव्यक्तितगत स्मृति ( Impersonal memory )

🌼5. सक्रिय स्मृति ( Active memory )

🌼6. निष्क्रिय स्मृति ( Idle memory)

🌼7. यांत्रिक स्मृति ( Mechanical memory)

🌼8. तार्किक स्मृति ( Logical memory )

🌼9. आदत स्मृति (Habit memory)

🌼 10. इंद्रिय अनुभव स्मृति (Sense memory)

🌼11. शारीरिक स्मृति ( Physical memory)

🌼12. वास्तविक स्मृति ( Real memory )

🌼🌼🌼विस्मृत( Forgotten)🌼🌼

चीजों को भूलना या जो स्मरण ना हो , विस्मृत कहलाती हैं।

🌼🌼मन के अनुसार:-“सीधी बात को धारण करना और पुनः स्मरण में असफलता विस्मृति कहलाती है।”

🌼🌼ड्रेवर के अनुसार:-“विस्मृति का अर्थ है किसी समय प्रयास करने पर भी किसी पूर्व अनुभव का स्मरण करने या पहले सीखे हुए किसी क्रिया को करने में असफलता।”

🌼🌼 विस्मृति के कारण:-
विस्मृति के कारणों को जानकर उसे ठीक करने की कोशिश कर सकते हैं। विस्मृति के दो कारण है–

🌼1.. सैध्दानिक कारण
🌼2. सामान्य कारण

🌼🌼सैध्दानिक कारण 🌼🌼
इसके निम्न भागों में बांट गया है

🌼1. अनाभ्यस का सिद्धांत
🌼2. दमन का सिद्धांत
🌼3. बाधा का सिद्धांत

🌼🌼सामान्य कारक🌼🌼
सामान्य कारक को भी निम्न कारक हैं–

🌼1. विषम सामग्री का स्वरूप
🌼2. सीखने की मात्रा ज्यादा
🌼3. दोषपूर्ण विधि
🌼4. रुचि, ध्यान का अभाव
🌼5. सीखने की आयु और बुद्धि
🌼6. पुनरावृति का अभाव
🌼7. मस्तिष्क के चोट
🌼8. मानसिक आघात
🌼9. मादक वस्तुओं का सेवन
🌼10. मानसिक रोग

By manjari soni🌼🌼🌼
🏵️🏵️ स्मृति और विस्मृति 🏵️🏵️
🏵️👉 स्मृति:~
🔸 वुडवर्थ के अनुसार :~पहले सीखी जा चुकी बात का स्मरण करना ही स्मृति है।
🔹 रायबर्न के अनुसार:~अपने अनुभव को संचित रखने और उनको प्राप्त करने के कुछ समय बाद चेतना के क्षेत्र में लाने की जो शक्ति हमें होती है उसे स्मृति कहते हैं।
🏵️👉 स्मृति के अंग:~
वुडबर्थ ने स्मरण प्रक्रिया को चार भागों में बांटा है:-
🏵️1-सीखना या अधिगम (learning)
🏵️2-धारण करना (Retention)
🏵️3-पुनः स्मरण (recall)
🏵️4-पहचान (Recoginetion)
🏵️👉 अच्छी स्मृति की विशेषता:~
🏵️1•शीघ्र सीखना / अधिगम
🏵️2•उत्तम धारण शक्ति
🏵️3•शीघ्र पुनः स्मरण
🏵️4•शीघ्र एवं स्पष्ट पहचान
🏵️5•अनावश्यक बातों का विस्मरण
🏵️6•उपादेयता
🏵️👉 स्मृति के प्रकार:~
🏵️1-तत्कालिक स्मृति (instant memory)
🏵️2-स्थाई स्मृति(permanent memory)
🏵️3-व्यक्तिगत स्मृति (personal memory)
🏵️4-अव्यक्तिगत स्मृति (impersonal memory)
🏵️5-सक्रिय स्मृति (active memory)
🏵️6-निष्क्रिय स्मृति(idle memory)
🏵️7-यांत्रिक स्मृति(mechanical memory)
🏵️8-तार्किक स्मृति(logical memory)
🏵️9-आदत स्मृति(habit memory)
🏵️10-इंद्रिय अनुभव स्मृति(sense experience memory)
🏵️11-शारीरिक स्मृति(physical memory)
🏵️12-वास्तविक स्मृति(real memory)
🏵️👉 विस्मृति:~
🔸 मन के अनुसार:~सीखी बात को धारण करना और पुनः स्मरण में असफलता विस्मृति है।
🔹 ड्रेवर के अनुसार:~विस्मृति का अर्थ है किसी समय प्रयास करने पर भी किसी पूर्व अनुभव का स्मरण करने या पहले सीखे हुए किसी क्रिया को करने में असफलता ही विस्मृति है।
🏵️👉 विस्मृति के कारण:~
🏵️1-सैद्धांतिक कारण:~
•अनाभ्यास का सिद्धांत
•दमन का सिद्धांत
•वाधा का सिद्धांत
🏵️2-सामान्य कारण:~
•विषय सामग्री का स्वरूप
•सीखने की मात्रा
•दोषपूर्ण विधि
•रुचि और ध्यान का अभाव
•सीखने की आयु और बुद्धि
•पुनरावृति का अभाव
•मस्तिक चोट
•मानसिक आघात
•मानसिक द्वंद
•मादक वस्तुओं का सेवन
•मानसिक रोग
🔹🔸🔹
🔸🏵️🔹 Notes by~VINAY SINGH THAKUR

🖊️ स्मृति और विस्मृति🖊️

🔆 स्मृति:

🔹वुडवर्थ के अनुसार:
पहले सीखी जा चुकी बात का स्मरण करना ही स्मृति है।

🔹रायबर्न के अनुसार:
अपने अनुभव को संचित रखने और उनको प्राप्त करने के कुछ समय बाद चेतना के क्षेत्र में लाने की जो शक्ति हमें होती है, उसे स्मृति करते हैं।

🖊️ स्मृति के अंग:

🔹 सीखना या अधिगम( Learning
🔹 धारण करना( Retention)
🔹 पुनः स्मरण( Recall)
🔹 पहचान( Recognition)

🖊️अच्छी स्मृति की विशेषताएं:

1) शीघ्र सीखना/अधिगम।
2) उत्तम धारण शक्ति।
3) शीघ्र पुनः स्मरण।
4) शीघ्र एवं स्पष्ट पहचान।
5) उपादेयता( यूटिलिटी)

🎊 स्मृति के प्रकार:
1) तत्कालिक स्मृति
2) स्थाई स्मृति
3) व्यक्तिगत स्मृति
4) अव्यक्तिगत स्मृति
5) सक्रिय स्मृति
6) निष्क्रिय स्मृति
7) यांत्रिकी स्मृति
8) तार्किक स्मृति
9) आदत स्मृति
10) इंद्रिय अनुभव स्मृति
11) शारीरिक स्मृति
12) वास्तविक स्मृति

🔆विस्मृति:

🔹मन :
सीखी की गई बात को धारण करना और पुण्य स्मरण में असफलता विस्मृति कहलाती है।

🔹 ड्रेवर:
स्मृति का अर्थ है किसी समय प्रयास करने पर भी किसी पूर्व अनुभव का स्मरण करने या पहले सीखी हुई किसी क्रिया को करने में असफलता।

🎊 विस्मृति के कारण:

1) सैद्धांतिक कारण
a) अनाभ्यास का सिद्धांत।
b) दमन का सिद्धांत।
c) बाधा का सिद्धांत।

2) सामान्य कारण:
a) विषय सामग्री का स्वरूप।
b) सीखने की मात्रा।
c) दोषपूर्ण विधि।
d) रुचि और ध्यान का अभाव।
e) सीखने वाले की आयु और वृद्धि।
f) पुनरावृति का अभाव।
g) मस्तिष्क की चोट।
h) मानसिक आघात।
i) मानसिक द्वंद।
j) मादक वस्तुओं का सेवन।
k) मानसिक रोग।

Notes By Akanksha
?🎊🥰🤟🏻🙏🏻
_________________________
स्मृति और विस्मृति
(Memory and Forgetting)
_________________________
⚡स्मृति (Memory)

🎉वुडवर्थ के अनुसार, “पहले सीखी जा चुकी बात का स्मरण करना ही स्मृति है।”

🎉रायबर्न के अनुसार, “अपने अनुभव को संचित करने और उनको प्राप्त करने के कुछ समय बाद चेतना के क्षेत्र में लाने की जो शक्ति होती है उसे स्मृति कहते हैं।”

⚡स्मृति के अंग (वुडवर्थ ने स्मरण प्रक्रिया को 4 भागों में बांटा है)
⭐सीखना/अधिगम(Learning)
⭐धारण करना (Retention)
⭐पुनः स्मरण (Recall)
⭐पहचान (Recognition)

⚡अच्छे स्मृति की विशेषताएं
💦शीघ्र सीखना/अधिगम
💦उत्तम धारण शक्ति
💦शीघ्र पुनः स्मरण
💦शीघ्र एवं स्पष्ट पहचान
💦अनावश्यक बातों का विस्मरण
💦उपादेयता

⚡स्मृति के प्रकार (Types of memory)
👉तात्कालिक स्मृति (instant memory)
👉स्थाई स्मृति (permanent memory)
👉व्यक्तिगत स्मृति (personal memory)
👉अव्यक्तिगत स्मृति (impersonal memory)
👉सक्रिय स्मृति (active memory)
👉निष्क्रिय स्मृति (idle memory)
👉यांत्रिक स्मृति (mechanical memory)
👉तार्किक स्मृति (logical memory)
👉आदत स्मृति (habit memory)
👉इंद्रिय अनुभव स्मृति (sense experience memory)
👉शारीरिक स्मृति (physical memory)
👉वास्तविक स्मृति(real memory)

⚡विस्मृति(Forgetting)
✨मन के अनुसार, “सीखी बात को धारण करना और पुनः स्मरण में असफलता विस्मृति कहलाती है।”

✨ड्रेवर के अनुसार, “विस्मृति का अर्थ है किसी समय प्रयास करने पर भी किसी पूर्व अनुमान का स्मरण करने या पहले सीखे हुए किसी क्रिया को करने में असफलता।”

⚡विस्मृति के कारण(Causes of forgetting)

⚡सैद्धांतिक कारण
💫 अनाभ्यास का सिद्धांत
💫दमन का सिद्धांत
💫बाधा का सिद्धांत

⚡सामान्य कारण
🌿विषय सामग्री का स्वरूप
🌿सीखने की मात्रा
🌿दोषपूर्ण विधि
🌿रुचि और ध्यान का अभाव
🌿सीखने वाले की आयु और बुद्धि
🌿पुनरुक्ति का अभाव
🌿मस्तिष्क की चोट
🌿मानसिक आघात
🌿मानसिक द्वंद
🌿मादक वस्तुओं का सेवन
🌿मानसिक रोग

✍️✍️ By Awadhesh Kumar ✍️✍️
⭐⭐⭐
_____________________________

🔆 स्मृति और विस्मृति ➖

⭕ स्मृति ➖

स्मृति को कुछ विद्वानों द्वारा परिभाषित किया गया है ➖

🍀 वुडवर्थ के अनुसार ➖

“पहले सीखी जा चुकी बात का स्मरण करना ही स्मृति है ” |

🍀 रायवर्न के अनुसार ➖

“अपने अनुभव को संचित रखने और उनको प्राप्त करने में करने के लिए कुछ समय बाद चेतना के क्षेत्र में लाने की शक्ति होती है उसे स्मृति कहते हैं “|

⭕ स्मृति के अंग ➖

इस प्रक्रिया को वुडवर्थ ने चार भागों में बांटा है ➖

1) सीखना या अधिगम (Learning) |

2) धारण करना (Retention )|

3) पुनः स्मरण ( Recall)|

4) पहचान (Reconation )|

⭕ अच्छी स्मृति की विशेषताएं ➖

1) शीघ्र सीखना/ अधिगम |

2) उत्तम धारण शक्ति |

3) शीघ्र पुनः स्मरण करना |

4) शीघ्र एवं स्पष्ट पहचान |

5) आवश्यक बातों का भी विस्मरण |

6) उपादेयता ( Utility) ➖

ऐसी स्मृति जो हम उपयोग में ला सकें उपादेयता कहलाती है |

🎯 स्मृति के प्रकार (Types of Memory)➖

🍀 तत्कालिक स्मृति( Instant Memory)➖

ऐसी स्मृति जो तत्काल के लिए होती है तत्कालिक स्मृति कहलाती है |

🍀 स्थाई स्मृति (Permanent Memory)➖

ऐसी स्मृति जो अधिक समय के लिए होती है स्थाई स्मृति कहलाती है |

🍀 व्यक्तिगत स्मृति ( Personal Memory)➖

ऐसी स्मृति जिसमें व्यक्ति अपनी चीजों को याद रखता है उसे अपनी ही चीजों का स्मरण रहता है अर्थात बाहरी कारकों का प्रभाव नहीं रहता है व्यक्तिगत स्मृति कहलाती है |

🍀 अव्यक्तिगत स्मृति (Impersonal Memory) ➖

इस प्रकार की स्मृति को बाहरी कारक प्रभावित नहीं करते हैं जिसको स्मरण करने के लिए बाहरी कारकों की आवश्यकता नहीं होती है अव्यक्तिगत स्मृति कहलाती है |

🍀 सक्रिय स्मृति ( Active Memory ) ➖

इस प्रकार की स्मृति में व्यक्ति का मस्तिष्क किसी कार्य को करने के लिए अत्यधिक सक्रिय रहता है वह हर समय इस बात का अनुभव करता है कि कौन सा कार्य कब और किस प्रकार से किया जा सकता है किस बात की प्रति उत्तर देना है या नहीं देना है और उस कार्य को करने के लिए जिस भी प्रकार के तर्क वितर्क की आवश्यकता होती है वह उस तरीके या उस स्तर से उस कार्य को क्रिएट करता है वह उसकी सक्रिय स्मृति है |

🍀 निष्क्रिय स्मृति(Idle Memory)➖

ऐसी स्मृति जिसके लिए मस्तिष्क सक्रिय नहीं होता है अर्थात किसी कार्य को करने के लिए हमारा मन सक्रिय नहीं होता है निष्क्रिय रहता है ऐसी स्मृति निष्क्रिय स्मृति कहलाती है |

🍀 यांत्रिक स्मृति (Mechanical Memory)➖

ऐसी स्मृति जो व्यक्ति करके सीखता है जिसको करने के लिए बल का प्रयोग किया जाता है इसमें शारीरिक या मानसिक रूप से कार्य किया जाता है यांत्रिक स्मृति कहलाती है |

🍀 तार्किक स्मृति(Logical Memory) ➖

ऐसी स्मृति जिसमें कई चीजों के मध्य तर्क वितर्क करके उसको समझना तार्किक स्मृति है |

🍀 आदत स्मृति (Habit Memory)➖

इस प्रकार की स्मृति किसी कार्य को करने के लिए उसकी आदत होती है उस कार्य को करने के लिए आदत के अनुसार किया जाता है तो वह हमारी आदत स्मृति कहलाती है |

🍀 इन्द्रिय अनुभव स्मृति
(Sense Experiences Memory)➖

इस प्रकार की स्मृति में इन्द्रियों के द्वारा अनुभव किया जाता है यदि व्यक्ति किसी कार्य को करता है तो वह उस कार्य को अपनी इंद्रियों के द्वारा अनुभव करता है फिर उस कार्य को अपनी स्मृति के अनुसार करता है इन्द्रिय अनुभव स्मृति कहलाती है |

🍀 शारीरिक स्मृति (Physical Memory)➖

इस प्रकार की स्थिति में शरीर अनुभव करता है |

🍀 वास्तविक स्मृति (Real Memory)➖

इस प्रकार की स्मृति में व्यक्ति जो भी कार्य करते हैं उसमें वास्तविकता की आवश्यकता होती है वास्तविक स्मृति कहलाती है |

⭕ विस्मृति➖

🍀 मन के अनुसार➖

” सीखी गई बातों को धारण करना और पुनः स्मरण करने में असफलता भी विस्मृति कहलाती है ” |

🍀 ड्रेवर के अनुसार➖

विस्मृति का अर्थ है किसी समय प्रयास करने पर भी किसी पूर्व अनुभव का स्मरण करने या पहले से सीखे हुए किसी क्रिया करने में असफलता ” |

🎯 विस्मृति के कारण ➖

🍀 सैद्धांतिक कारण➖

1) अनाभ्यास का सिद्धांत

2) दमन का सिद्धांत

3) बाधा का सिद्धांत

🍀 सामान्य कारण➖

1) विषय सामग्री का स्वरूप |

2) सीखने की अधिक मात्रा |

3) दोषपूर्ण विधि |

4) रुचि और ध्यान का अभाव |

5) सीखने वाले की आयु और बुद्धि |

6) पुनरावृत्ति करना |

7) मस्तिष्क चोट |

8) मानसिक आघात |

9) मानसिक द्वंद् |

10) मादक वस्तुओं का सेवन |

11) मानसिक रोग |

नोट्स बाय➖ रश्मि सावले

🌻🍀🌼🌸🌺🌻🍀🌼🌸🌺🌻🍀🌼🌺🌸🌻🍀🌼🌺🌸
🌸🌸 स्मृति -विस्मृति🌸🌸

🌺🌺 स्मृति🌺🌺

✍🏻 वुडवर्थ➖ पहले सीखी जा चुकी बातों का स्मरण करना ही स्मृति है।

Memory consists in remembering what has previously been learned,,,,,, woodworth

✍🏻 रायबर्न ➖ अपने अनुभव को संचित रखने और उन उनको प्राप्त करने के कुछ समय बाद चेतना के क्षेत्र में पुनः लाने की जो शक्ति हमें होती है उसी को स्मृति कहते हैं।

The power that we have a store our experiences and to bring them into the the field of consciousness sometime after the experience have occurred,is termed memory,,,,,,,,Rayburn

🌸🌺 स्मृति के अंग🌺🌸

1-सीखना या अधिगम
2-धारण करना
3-पुन:स्मरण
4-पहचान

🌸🌺 अच्छी स्मृति की विशेषताएं /चिन्ह🌺🌸

1-शीघ्र सीखना /अधिगम

2-उत्तम धारण शक्ति

3-शीघ्र पुनः स्मरण

4-शीघ्र एवं स्पष्ट पहचान

5-उपादेयता (यूटिलिटी)

🌸🌺 स्मृति के प्रकार🌸🌺

1-तत्कालीन स्मृति

2-स्थाई स्मृति

3-व्यक्तिगत स्मृति

4-अव्यक्तिगत स्मृति

5-सक्रिय स्मृति

6-निष्क्रिय स्मृति

7-यांत्रिकी स्मृति

8-आदत स्मृति

9-तार्किक स्मृति

10-इंद्रिय अनुभव स्मृति

11-शारीरिक स्मृति

12-वास्तविक स्मृति

🌸🌺 विस्मृति🌺🌸
जब हम कोई नई बात सीखते हैं या नए अनुभव प्राप्त करते हैं तब हमारे मस्तिष्क में उसका चित्र अंकित हो जाता है हम अपनी स्मृति की सहायता से उस अनुभव को अपनी चेतन में फिर लेकर उसका स्मरण कर सकते हैं पर कभी-कभी हमें ऐसा करने में सफलता नहीं मिलती है हमारी यह असफलता क्रिया विस्मृति कहलाती है।

✍🏻 मन के अनुसार➖सीखी हुई बातों को स्मरण रखने या पुनः स्मरण करने की असफलता को विस्मृति कहते हैं

Forgetting is failing to retain or be able to recall what has been acquired,,,,,Munn

✍🏻 ड्रेवर के अनुसार➖विस्मृति का अर्थ है किसी समय प्रयास करने पर किसी पूर्व अनुभव या स्मरण करने या पहले सीखे हुए किसी कार्य को करने में असफलता।

Forgetting means failure at any time to recall an experii, when attempting to do so ,or to perform an action previously learned,,,,,Drever

🌸🌺 विस्मृति के कारण🌺🌸

1-सैद्धांतिक कारण

(a) अनाभ्यास का सिद्धांत

(b) दमन का सिद्धांत

(c) बाधा का सिद्धांत

2-सामान्य कारण

(a) विषय सामग्री का स्वरूप

(b) सीखने की मात्रा

(c) दोषपूर्ण विधि

(d) रुचि और ध्यान का अभाव

(e) सीखने वाले की आयु और वृद्धि

(f) पुनरावृति का अभाव

(g) मस्तिष्क की चोट

(h) मानसिक आघात

(i) मानसिक द्वंद

(j) मादक वस्तुओं का सेवन

(k) मानसिक रोग

✍🏻📚📚 Notes by…… Sakshi Sharma📚📚✍🏻
🌹 स्मृति , विस्मृति 🌹

🌲🌹 स्मृति 🌹🌲

स्मृति अर्थात पहले घटित हुयी कोई घटना ( वाक्यांश ) या पहले से सीखी हुयी बातें जो हमारे मस्तिष्क में विद्यमान रहतीं हैं तो जरूरत या वक़्त के अनुसार उन्ही का स्मरण ( याद ) करना ही स्मृति कहलाती है।
अतः स्मृति एक जटिल मानसिक प्रक्रिया है।

👉 वुडवर्थ के अनुसार :-

पहले सीखी जा चुकी बात का स्मरण (याद) करना ही ” स्मृति ” है।

👉 रायबर्न के अनुसार :-

अपने अनुभव को संचित रखने और उनको प्राप्त करने के कुछ समय बाद चेतना के क्षेत्र में लाने की जो शक्ति हममें होती है , उसे ही स्मृति कहते हैं।

🌹. स्मृति के अंग 🌹

🌲. वुडवर्थ ने स्मरण प्रक्रिया को निम्नलिखित चार भागों में बांटा है :-

1. सीखना या अधिगम ( Learning )

2. धारण करना ( Retention )

3. पुनः स्मरण ( Recall )

4. पहचान ( Recognition )

🌹🌿. अच्छी स्मृति की विशेषताएं :-

🌺 शीघ्र सीखना / अधिगम

🌺 उत्तम धारणा शक्ति

🌺 शीघ्र पुनः स्मरण

🌺 शीघ्र एवं स्पष्ट पहचान

🌺 अनावश्यक बातों का विस्मरण

🌺 उपादेयता Utility

🌹🌿. स्मृति के प्रकार :-

1. तात्कालिक स्मृति Instant memory

2. स्थाई स्मृति. Permanent Memory

3. व्यक्तिगत स्मृति Personal memory

4. अव्यक्तिगत स्मृति Impersonal memory

5. सक्रिय स्मृति Active. Memory

6. निष्क्रिय स्मृति Idle memory

7. यांत्रिक स्मृति Mechanical memory

8. तार्किक स्मृति Logical memory

9. आदत स्मृति Habit memory

10. इंद्रिय अनुभव स्मृति Sense Experience memory

11. शारीरिक स्मृति. Physical memory

12. वास्तविक स्मृति Real memory

🌲🌹 विस्मृति 🌹🌲

👉 मन के अनुसार :-

सीखी हुई बात को धारण करना और पुनः स्मरण में असफलता , ही ” विस्मृति ” कहलाती है।

👉 जेम्स ड्रेवर के अनुसार :-

विस्मृति का अर्थ है किसी समय प्रयास करने पर भी किसी पूर्व अनुभव का स्मरण करने या पहले सीखी हुई किसी क्रिया को करने में असफलता ।

🌹 विस्मृति के कारण :-

🌲 1. सैद्धांतिक कारण :-

🌺 अनाभ्यास का सिद्धांत

🌺 दमन का सिद्धांत

🌺 बाधा का सिद्धांत

🌲 2. सामान्य कारण :-

🌺 विषय सामग्री का स्वरूप

🌺 सीखने की मात्रा ज्यादा

🌺 दोषपूर्ण विधि

🌺 रुचि और ध्यान का अभाव

🌺 सीखने वाले की आयु और बुद्धि

🌺 पुनरावृति का अभाव

🌺 मस्तिष्क चोट

🌺 मानसिक आघात

🌺 मानसिक द्वंद

🌺 मानसिक रोग

🌺 मादक पदार्थों का सेवन ।

🌹✒️ Notes by – जूही श्रीवास्तव ✒️🌹
🔆स्मृति और विस्मृत🔆

स्मृति (Memory) :- वह मानसिक प्रक्रिया है जिसके द्वारा मनुष्य अपने पूर्व अनुभव को मानसिक रूप से अपने अचेतन मन मे रखता है और आवश्यकता पढ़ने पर अपनी वर्तमान चेतना मे लाता है |
स्मृति को कुछ विद्वानों के द्वारा परिभाषित किया गया है –

◼ वुडवर्थ के अनुसार:- “पहले सीखी जा चुकी बात का स्मरण करना ही स्मृति है ।”
🔥रायबर्न के अनुसार:-“अपने अनुभव को संचित रखने और उनको प्राप्त करने के कुछ समय बाद चेतना के क्षेत्र में लाने की को शक्ति होती हैं,उसे ही स्मृति कहते है।”

स्मृति के अंग (Part of memory) वुडवर्थ के अनुसार स्मरण प्रक्रिया को चार भागों में बांटा गया है |

1.सीखना या अधिगम ( Learning)

2. धारण करना (Retention)

3. पुनः स्मरण ( Recall)

4. पहचान (Recognition)

अच्छी स्मृति की विशेषताएं :- अच्छी स्मृति की विशेषताएं जो निम्न हैं–

1.शीघ्र सीखना या अधिगम।
2. उत्तरम धारणा शक्ति।
3. शीघ्र पुनः स्मरण ।
4. शीघ्र स्वयं स्पष्ट पहचान।
5.अनावश्यक बातों का विस्मरण
6.उपदियता ( utility)

🔥स्मृति के प्रकार निम्नलिखित है–

1.तात्कालिक स्मृति ( Instand memory)

2. स्थाई स्मृति ( Permanent memory)

3.व्यक्तिगत स्मृति ( Personal memory )

4. अव्यक्तितगत स्मृति ( Impersonal memory )

5. सक्रिय स्मृति ( Active memory )

6. निष्क्रिय स्मृति ( Idle memory)

7. यांत्रिक स्मृति ( Mechanical memory)

8. तार्किक स्मृति ( Logical memory )

9. आदत स्मृति (Habit memory)

10. इंद्रिय अनुभव स्मृति (Sense memory)
11. शारीरिक स्मृति ( Physical memory)

12. वास्तविक स्मृति ( Real memory )

विस्मृत( Forgotten)

किसी चीजों को भूलना या जो स्मरण ना हो सके उसे विस्मृति कहलाती हैं।

◼मन के अनुसार:-“सीधी बात को धारण करना और पुनः स्मरण में असफलता विस्मृति कहलाती है।”

◼ड्रेवर के अनुसार:-“विस्मृति का अर्थ है किसी समय प्रयास करने पर भी किसी पूर्व अनुभव का स्मरण करने या पहले सीखे हुए किसी क्रिया को करने में असफलता।”
🔅 विस्मृति के कारण:-
विस्मृति के कारणों को जानकर उसे ठीक करने की कोशिश कर सकते हैं। विस्मृति के दो कारण है–

◼1. सैध्दानिक कारण
◼2. सामान्य कारण

🔥सैध्दानिक कारण
इसके निम्न भागों में बांट गया है

1. अनाभ्यास का सिद्धांत
2. दमन का सिद्धांत
3. बाधा का सिद्धांत

🔥सामान्य कारक को भी निम्न कारक हैं–

1. विषम सामग्री का स्वरूप
2. सीखने की मात्रा ज्यादा
3. दोषपूर्ण विधि
4. रुचि, ध्यान का अभाव
5. सीखने की आयु और बुद्धि
6. पुनरावृति का अभाव
7. मस्तिष्क के चोट
8. मानसिक आघात
9. मादक वस्तुओं का सेवन
10. मानसिक रोग
Notes by ➖Ranjana Sen