35. CDP – Heredity and Environment PART- 7

वातावरण के प्रकार (type of environment) 🌸

वातावरण  मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं

1. भौगोलिक वातावरण (physical environment)

2. सामाजिक वातावरण(social environment)

भौगोलिक वातावरण🌱🌳🌴🌄🌤️🌦️🌍🦋🕊️🦒🦧

इस वातावरण में प्रकृति के सभी तत्व सम्मिलित होते हैं जैसे जलवायु ,मिट्टी, जीव -जंतु ,वनस्पति ,स्थिति इत्यादि।

भौगोलिक वातावरण मानव के क्रियाकलाप को प्रभावित करते हैं।

सामाजिक वातावरण👩‍🦰👳🏻‍♀️🧕🏻👳‍♂️🕵🏻‍♀️👩‍🏫👰🏻‍♀👸🏻

सामाजिक वातावरण मानव समुदाय से मिलकर बना होता है इसमें आपके रिती रिवाज ,परंपरा, भाषा, शिष्टाचार, समाज में अंत: क्रिया आदि यह सब सामाजिक वातावरण के अंतर्गत आते हैं। सामाजिक वातावरण भी दो भागों में विभाजित किया गया है 

1. सांस्कृतिक वातावरण एवं

2.  मानसिक वातावरण

       सांस्कृतिक वातावरण जीवन जीने की तकनीक और शिष्टाचार प्रदान करता है। जबकि मानसिक वातावरण बालक की मानसिक योग्यताओं के विकास में योगदान देता है। इस प्रकार के वातावरण व्यक्ति के अलग-अलग पक्षों शारीरिक, सामाजिक, मानसिक एवं आर्थिक इत्यादि तथ्यों को प्रभावित करते हैं।

बालक पर वातावरण का प्रभाव 🧍🧍‍♀️

शिक्षाविदों ने अनेक अध्ययन और परीक्षण से यह सिद्ध किया है कि बालक के व्यक्तित्व के प्रत्येक पहलू पर भौगोलिक, सामाजिक और सांस्कृतिक वातावरण का व्यापक प्रभाव पड़ता है।

1. शारीरिक अंतर का प्रभाव

फ्रेंज बोंस के अनुसार,”अलग-अलग प्रजाति के शारीरिक अंतर का कारण सिर्फ वंशानुक्रम न होकर वातावरण भी होता है।”

उन्होंने अनेक उदाहरण देकर यह सिद्ध किया कि जो जापानी और यहूदी अमेरिका में अनेक पीढ़ियों से निवास कर रहे हैं उनकी लंबाई भौगोलिक वातावरण के कारण बढ़ गई है।

2. मानसिक विकास पर प्रभाव

गोर्डन का मत है किउचित सामाजिक और सांस्कृतिक वातावरण ना मिलने पर मानसिक विकास की गति धीमी हो जाती है।

उन्होंने यह बात नदियों के किनारे रहने वाले बच्चे का अध्ययन करके सिद्ध किया इन बच्चों का वातावरण गंदा और सामाजिक अच्छे प्रभाव  से दूर था।

3. बुद्धि पर प्रभाव

केंडोल के अनुसार , बुद्धि का विकास वंशानुक्रम की अपेक्षा वातावरण पर निर्भर करता है उन्होंने फ्रांस के 552 विद्वानों का अध्ययन करके पता लगाया कि उनमें से अधिकांश धनी वर्ग से संबंधित थे इसलिए उन्हें उचित शिक्षा की सुविधा मिली।

स्टीफेंस ने भी बुद्धि लब्धि के संबंध में विचार प्रकट किया और कहा कि अगर बालक को अच्छा वातावरण मिले तो बुद्धि लब्धि बढ़ सकती है।

4. व्यक्तित्व का प्रभाव

कुले महोदय ने 71 साहित्यकार का अध्ययन किया जिसमें दो साहित्यकार निर्धन थे लेकिन वह महान साहित्यकार बने। 

इनका मानना था कि यदि बच्चे/व्यक्ति को उत्तम वातावरण मिले तो वह अच्छा व्यक्तित्व का हो सकता है।

✍🏻 Notes by Shreya Rai 😊🙏

🔆 वातावरण के प्रकार:- 

(Types of environment)

▪️सामान्यत: वातावरण के सभी पक्षों को देखने या अवलोकन करने पर इसे दो भागों में बांटा गया है।

1 भौगोलिक वातावरण

2 सामाजिक वातावरण

🌠1 भौगोलिक वातावरण :- 

इस वातावरण में प्रकृति के सभी तत्व सम्मिलित हैं जैसे जलवायु, मृदा ,जीव जंतु ,वनस्पति ,नदियां स्थिति इत्यादि।

भौगोलिक वातावरण मानव के क्रियाकलाप को प्रभावित करता है।

🌠2 सामाजिक वातावरण :- 

▪️सामाजिक वातावरण मानव समुदाय से मिलकर बना होता है।

इससे हमारे रीति रिवाज, परंपरा, भाषा ,शिष्टाचार, समाज में अंत:क्रिया यह सब सामाजिक वातावरण के अंतर्गत आते हैं।

▪️बालकों के विकास को भौगोलिक वातावरण तो प्रभावित करता ही है बल्कि इसके साथ-साथ सामाजिक वातावरण का भी प्रभाव बालक के विकास पर पड़ता है।

▪️सामाजिक वातावरण के प्रकार:- 

1 सांस्कृतिक वातावरण

2 मानसिक वातावरण

🔹1 सांस्कृतिक वातावरण :- जीवन जीने की तकनीक और शिष्टाचार प्रदान करता है।

किसी भी कार्य को करने का उचित तरीका यह समाज के उचित नियमों से अंतः क्रिया करना ही शिष्टाचार है।

संस्कृति वही है जिसे समाज में स्वीकार किया जाए अर्थात् जिस वातावरण की जो संस्कृति है वह उसी वातावरण में स्वीकृत की जाती हैं।

🔹2 मानसिक वातावरण:- 

मानसिक वातावरण बालक की मानसिक योग्यताओं के विकास में योगदान देता है।

इस प्रकार के वातावरण यह व्यक्ति के अलग-अलग पक्ष शारीरिक, सामाजिक ,मानसिक एवं आर्थिक इत्यादि तथ्यों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करते हैं।

❄️बालक पर वातावरण का प्रभाव:-

कई शिक्षाविदों ने अनेक अध्ययन और परीक्षण से यह सिद्ध किया है कि बालक की व्यक्तित्व के प्रत्येक पहलू पर भौगोलिक सामाजिक और सांस्कृतिक वातावरण का व्यापक प्रभाव पड़ता है।

❇️1 शारीरिक अंतर का प्रभाव :- 

▪️फ्रेंच बोन्स के अनुसार

अलग-अलग प्रजाति की शारीरिक अंतर का कारण सिर्फ वंशानुक्रम ना होकर वातावरण भी होता है।

▪️इन्होंने अनेक उदाहरण देकर यह सिद्ध किया है कि जापानी और युहुदी अमेरिका में अनेक पीढ़ियों से निवास कर रहे उनकी लंबाई भौगोलिक वातावरण के कारण बढ़ गई है।

❇️2 मानसिक विकास पर प्रभाव:-

▪️गोल्डन के अनुसार

▪️गॉर्डन का मत है कि उचित सामाजिक और सांस्कृतिक वातावरण ना मिलने पर मानसिक विकास की गति धीमी हो जाती है

▪️उन्होंने यह बात नदी किनारे रहने वाले बच्चों का अध्ययन करके सिद्ध की है

इस तरह के बच्चों का वातावरण गंदा और समाज के अच्छे प्रभावों से दूर था।

❇️3 बुद्धि पर प्रभाव :-

▪️कैरोल द्वारा अध्ययन किया गया कि

बुद्धि का विकास वंशानुक्रम की अपेक्षा वातावरण पर निर्भर करता है।

उन्होंने फ्रांस के 552 विद्वानों का अध्ययन करके यह पता लगाया कि उनमें से अधिकतर धनी वर्ग से संबंधित है इसीलिए उन्हें उचित शिक्षा की सुविधा मिली और वे भी विद्वान बने।

▪️स्टीफन ने भी बुद्धि लब्धि के संबंध में विचार प्रकट किया और कहा कि अगर बालक को अच्छा वातावरण मिले तो बुद्धि लब्धि बढ़ सकती है।

❇️4 व्यक्तित्व का प्रभाव:-

▪️उत्तम वातावरण में जो बच्चा पलता है उसका व्यक्तित्व अच्छा होता है और वह बहुमुखी प्रतिभा का धनी होता है

यदि गरीब माता-पिता के बच्चे भी उत्तम वातावरण में पल जाए तो उनका भी व्यक्तित्व अच्छा हो सकता है।

▪️व्यक्तित्व का सीधा संबंध उत्तम वातावरण से है

▪️कूले ने 71 साहित्यकारो का अध्ययन किया जिसमें दो साहित्यकार निर्धन थे लेकिन वह महान साहित्यकार बने।

✍️

     Notes By-‘Vaishali Mishra’

💐वातावरण के प्रकार 💐

वातावरण के दो प्रकार है 

भौगोलिक वातावरण और सामाजिक वातावरण

सामाजिक वातावरण में सांस्कृतिक वातावरण और मानसिक वातावरण आता है

1  भौगोलिक वातावरण:- इस वातावरण में प्रकृति के सभी तत्व सम्मिलित है जैसे जलवायु ,मिट्टी, जीव-जंतु  वनस्पति नदियां इत्यादि

                             . भौगोलिक वातावरण मानव के क्रियाकलाप को प्रभावित करता है

2 सामाजिक वातावरण:- सामाजिक वातावरण मानव समुदाय से मिलकर बना होता है इसमें अनेक रीति रिवाज परंपरा भाषा शिष्टाचार समाज से अंतः क्रिया यह सब सामाजिक वातावरण के अंतर्गत आते हैं

 सामाजिक वातावरण:-

                              .1 सांस्कृतिक वातावरण

                               .2 मानसिक वातावरण

1 सांस्कृतिक वातावरण:- जीवन जीने की तकनीक और शिष्टाचार प्रदान करता है

                                        . जबकि मानसिक वातावरण बालक की मानसिक योग्यता के विकास में योगदान देता है इस प्रकार यह वातावरण यह व्यक्ति के अलग-अलग पक्ष शारीरिक ,सामाजिक, इत्यादि तत्व को प्रभावित करते हैं

          💐बालक पर वातावरण का प्रभाव💐

शिक्षाविदों ने अनेक अध्ययन और परीक्षणों से यह सिद्ध किया है कि बालक के व्यक्तित्व के प्रत्येक पहलू पर भौगोलिक ,सामाजिक और सांस्कृतिक वातावरण का व्यापक प्रभाव पड़ता है

1 शारीरिक अंतर का प्रभाव:-

फ्रेंज बोन्स:- अलग-अलग प्रकृति के सारे अंतर का कारण सिर्फ वंशानुक्रम ना होकर वातावरण भी होता है तो उन्होंने अनेक उदाहरण देकर यह      सिद्ध किया कि जो जापानी और यहूदी अमेरिका में अनेक पीढ़ियों से निवास कर रहे थे उनकी लंबाई भौगोलिक वातावरण के कारण बढ़ गई

2 मानसिक विकास का प्रभाव

गोर्डन  के अनुसार:- गोर्डन का मत है कि उचित सामाजिक और सांस्कृतिक वातावरण न मिलने पर मानसिक विकास की गति धीमी हो जाती है   

उन्होंने यह बात नदियों के किनारे रहने वाले बच्चे का अध्ययन करके सिद्ध किया इन बच्चों का वातावरण गंदा और अच्छे सामाजिक  प्रभाव से दूर था

3 बुद्धि का प्रभाव

केडोल  के अनुसार:- बुद्धि का विकास वंशानुक्रम की अपेक्षा वातावरण पर निर्भर करता है उन्होंने फ्रांस के 552 विद्वानों का अध्ययन करके पता लगाया कि उनमें से अधिकांश धनी वर्ग से संबंधित थे इसलिए उन्हें उचित शिक्षा की सुविधा मिली

 स्टीफेंस के अनुसार स्टीफेंस ने भी बुद्धि लब्धि के संबंध में विचार प्रकट किया और कहा कि अगर बालक को अच्छा वातावरण मिले तो बुद्धि लब्धि बढ़ सकती हैं

4 व्यक्तित्व का प्रभाव

 कुले का अध्ययन  

71 साहित्यकार का अध्ययन किया

इनमें से दो साहित्य का निर्धन थी लेकिन महान साहित्यकार थे इनके अनुसार यदि वातावरण अच्छा मिले तो व्यक्ति का व्यक्तित्व अच्छा हो सकता है

Nots by सपना साहू

➡️🥀🥀🥀वातावरण के प्रकार (type of environment) 🥀🥀🥀🥀

👉🏻🖊️वातावरण  मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं

🖊️1.भौगोलिक वातावरण (physical environment)

2. सामाजिक वातावरण(social environment)

📚भौगोलिक वातावरण☔🌧️🌩️🌨️⛅🥀💦🪐🪐🌏

इस वातावरण में प्रकृति के सभी तत्व सम्मिलित होते हैं  इसके अंतर्गत पृथ्वी , चन्द्र , सूर्य , नदियां , पहाड़ , समुद्र , रेड – पौधे , जीव – जन्तु ,वनस्पति ,स्थिति इत्यादि।

भौगोलिक वातावरण मानव के क्रियाकलाप को प्रभावित करती हैं। ये सभी प्रकृति प्रदत्त वस्तुएं आती हैं जो किसी न किसी प्रकार व्यक्ति को आजन्म प्रभावित करती रहती हैं।

  ➡️सामाजिक वातावरण 

सामाजिक वातावरण मानव समुदाय से मिलकर बना होता है। सामाजिक वातावरण का तात्पर्य उन सभी परिस्थितियों से है जो बालक के शारीरिक , मानसिक और सामाजिक विकास पर प्रभाव डालती है । मानव समाज में प्रचलित सभी सामाजिक परिस्थितियों , रीति – रिवाज , प्रथाएँ , रूढ़ियां , रहन – सहन आदि सामाजिक वातावरण  मे परम्परा भाषा, शिष्टाचार, समाज में अंत: क्रिया आदि यह सब सामाजिक वातावरण के अन्तर्गत आता हैं। सामाजिक वातावरण दो भागों में विभाजित किया गया है 

👉🏻१. सांस्कृतिक वातावरण 

👉🏻 २.मानसिक वातावरण

    सांस्कृतिक वातावरण जीवन जीने की तकनीक और शिष्टाचार प्रदान करता है। जबकि मानसिक वातावरण बालक की मानसिक योग्यताओं के विकास में योगदान देता है। इस प्रकार के वातावरण व्यक्ति के अलग-अलग पक्षों शारीरिक, सामाजिक, मानसिक एवं आर्थिक इत्यादि तथ्यों को प्रभावित करते हैं।

           👶🏻बालक पर वातावरण का   

                  प्रभाव 🥀🥀🥀🥀

🧑🏼‍💼🧑🏼‍💼🧑🏼‍💼🧑🏼‍💼शिक्षाविदों ने अनेक अध्ययन और परीक्षण से यह सिद्ध किया है कि बालक के व्यक्तित्व के प्रत्येक पहलू पर भौगोलिक, सामाजिक और सांस्कृतिक वातावरण का व्यापक प्रभाव पड़ता है।

➡️1. शारीरिक अंतर का प्रभाव

👉🏻फ्रेंज बोंस के अनुसार,”अलग-अलग प्रजाति के शारीरिक अंतर का कारण सिर्फ वंशानुक्रम न होकर वातावरण भी होता है।”

उन्होंने अनेक उदाहरण देकर यह सिद्ध किया कि जो जापानी और यहूदी अमेरिका में अनेक पीढ़ियों से निवास कर रहे हैं उनकी लंबाई भौगोलिक वातावरण के कारण बढ़ गई है।

➡️2. मानसिक विकास पर प्रभाव

गोर्डन का मत है कि उचित सामाजिक और सांस्कृतिक वातावरण ना मिलने पर मानसिक विकास की गति धीमी हो जाती है।

उन्होंने यह बात नदियों के किनारे रहने वाले बच्चे का अध्ययन करके सिद्ध किया इन बच्चों का वातावरण गंदा और सामाजिक अच्छे प्रभाव  से दूर था।

➡️3. बुद्धि पर प्रभाव

केंडोल के अनुसार , बुद्धि का विकास वंशानुक्रम की अपेक्षा वातावरण पर निर्भर करता है उन्होंने फ्रांस के 552 विद्वानों का अध्ययन करके पता लगाया कि उनमें से अधिकांश धनी वर्ग से संबंधित थे इसलिए उन्हें उचित शिक्षा की सुविधा मिली।

स्टीफेंस ने भी बुद्धि लब्धि के संबंध में विचार प्रकट किया और कहा कि अगर बालक को अच्छा वातावरण मिले तो बुद्धि लब्धि बढ़ सकती है।

➡️4. व्यक्तित्व का प्रभाव

  कुले महोदय के अनुसार,” 71 साहित्यकार का अध्ययन किया जिसमें दो साहित्यकार निर्धन थे। लेकिन वह महान साहित्यकार बने। 

इनका मानना था कि यदि बच्चे/व्यक्ति को उत्तम वातावरण मिले तो वह अच्छा व्यक्तित्व का हो सकता है।

🖊️📚📝Notes by shikha tripathi📚📚🥀🥀

🌼🌼🌼वातावरण के प्रकार 🌼🌼🌼

🌼🌼वातावरण  मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं

🌼1. भौगोलिक वातावरण 

🌼2. सामाजिक वातावरण

🌼🌼1.भौगोलिक वातावरण :-इस वातावरण में प्रकृति के सभी तत्व सम्मिलित होते हैं जैसे जलवायु ,मिट्टी, जीव -जंतु ,वनस्पति ,स्थिति इत्यादि।

🌼भौगोलिक वातावरण मानव के क्रियाकलाप को प्रभावित करते हैं।

🌼🌼2.सामाजिक वातावरण:-सामाजिक वातावरण मानव समुदाय से मिलकर बना होता है इसमें आपके रिती- रिवाज ,परंपरा, भाषा, शिष्टाचार, समाज में अंत: क्रिया आदि यह सब सामाजिक वातावरण के अंतर्गत आते हैं। सामाजिक वातावरण भी दो भागों में विभाजित किया गया है 

🌼1. सांस्कृतिक वातावरण 

🌼2. मानसिक वातावरण

 🌼🌼1. सांस्कृतिक वातावरण:- सांस्कृतिक वातावरण जीवन जीने की तकनीक और शिष्टाचार प्रदान करता है। 

🌼🌼2. मानसिक वातावरण:- मानसिक वातावरण बालक की मानसिक योग्यताओं के विकास में योगदान देता है।

🌼 इस प्रकार के वातावरण व्यक्ति के अलग-अलग पक्षों शारीरिक, सामाजिक, मानसिक एवं आर्थिक इत्यादि तथ्यों को प्रभावित करते हैं।

🌼बालक पर वातावरण का प्रभाव 🌼

🌼शिक्षाविदों ने अनेक अध्ययन और परीक्षण से यह सिद्ध किया है कि बालक के व्यक्तित्व के प्रत्येक पहलू पर भौगोलिक, सामाजिक और सांस्कृतिक वातावरण का व्यापक प्रभाव पड़ता है।

🌼1.शारीरिक अंतर का प्रभाव:-

🌼🌼फ्रेंज बोंस के अनुसार,”अलग-अलग प्रजाति के शारीरिक अंतर का कारण सिर्फ वंशानुक्रम न होकर वातावरण भी होता है।”

उन्होंने अनेक उदाहरण देकर यह सिद्ध किया कि जो जापानी और यहूदी अमेरिका में अनेक पीढ़ियों से निवास कर रहे हैं उनकी लंबाई भौगोलिक वातावरण के कारण बढ़ गई है।

🌼2. मानसिक विकास पर प्रभाव:-

🌼गोर्डन के अनुसार :-“उचित सामाजिक और सांस्कृतिक वातावरण ना मिलने पर मानसिक विकास की गति धीमी हो जाती है।”

उन्होंने यह बात नदियों के किनारे रहने वाले बच्चे का अध्ययन करके सिद्ध किया इन बच्चों का वातावरण गंदा और सामाजिक अच्छे प्रभाव  से दूर था।

🌼🌼3. बुद्धि पर प्रभाव:-

🌼केंडोल के अनुसार:- “बुद्धि का विकास वंशानुक्रम की अपेक्षा वातावरण पर निर्भर करता है “

🌼उन्होंने फ्रांस के 552 विद्वानों का अध्ययन करके पता लगाया कि उनमें से अधिकांश धनी वर्ग से संबंधित थे इसलिए उन्हें उचित शिक्षा की सुविधा मिली।

🌼🌼स्टीफेंस ने भी बुद्धि लब्धि के संबंध में विचार प्रकट किया और कहा कि अगर बालक को अच्छा वातावरण मिले तो बुद्धि लब्धि बढ़ सकती है।

🌼🌼4.व्यक्तित्व का प्रभाव:-

🌼🌼कुले महोदय ने 71 साहित्यकार का अध्ययन किया जिसमें दो साहित्यकार निर्धन थे लेकिन वह महान साहित्यकार बने। 

इनका मानना था कि यदि बच्चे/व्यक्ति को उत्तम वातावरण मिले तो वह अच्छा व्यक्तित्व का हो सकता है।

🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼

🌼🌼🌼🌼manjari soni🌼🌼🌼🌼

☘️ वातावरण के प्रकार ☘️

🌼(Types of environment🌼

☘️ वातावरण मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं

1

🌼1-भौगोलिक वातावरण

🌼2-सामाजिक वातावरण

🌼1-भौगोलिक वातावरण➖ इस वातावरण में प्रकृति के सभी तत्व सम्मिलित हैं जैसे जलवायु, मिट्टी ,जीव ,जंतु ,वनस्पति स्थिति इत्यादि।

☘️ भौगोलिक वातावरण मानव के क्रियाकलाप को प्रभावित करते हैं।

🌼2-सामाजिक वातावरण➖ सामाजिक वातावरण मानव समुदाय से मिलकर बने होते हैं इसमें आप के रीति रिवाज ,परंपरा ,भाषा ,शिष्टाचार, समाज में अंत:क्रिया से सभी सामाजिक वातावरण के अंतर्गत आते हैं।

🌼☘️ सामाजिक वातावरण के प्रकार☘️🌼

☘️ सामाजिक वातावरण को दो भागों में विभाजित किया गया है ।

🌼1-सांस्कृतिक वातावरण

🌼2-मानसिक वातावरण

☘️🌼 सांस्कृतिक वातावरण➖जीवन जीने की तकनीक और शिष्टाचार प्रदान करता है जबकि मानसिक वातावरण बालक की मानसिक योग्यताओं के विकास में योगदान देता है।

🌼 इस प्रकार यह वातावरण यह व्यक्ति के अलग-अलग पक्ष शारीरिक ,सामाजिक, मानसिक, और आर्थिक इत्यादि तथ्यों को प्रभावित करते हैं।

☘️🌼 बालक पर वातावरण का प्रभाव🌼☘️

शिक्षाविदों ने अनेक अध्ययन और परीक्षण से यह सिद्ध किया है कि बालक के व्यक्तित्व के प्रत्येक पहलू पर भौगोलिक सामाजिक और सांस्कृतिक वातावरण का व्यापक प्रभाव पड़ता है।

☘️🌼 शारीरिक प्रभाव ➖फ्रेंज बोन्स ( Franz Bons)का मत है कि अलग-अलग प्रजाति के सारे अंतर का कारण सिर्फ वंशानुक्रम ना होकर वातावरण भी होता है।

🌼उन्होंने अनेक उदाहरण देकर यह सिद्ध किया है कि जो जापानी और यहूदी अमेरिका में अनेक यहूदी  में निवास करते थे उनकी लंबाई भौगोलिक वातावरण के कारण बढ़ रहे हैं।

☘️🌼 मानसिक विकास का प्रभाव➖ गोर्डन (Gordon) का मत है की उचित सामाजिक और सांस्कृतिक वातावरण ना मिलने पर मानसिक विकास की गति धीमी हो जाती है।

🌼उन्होंने यह बात नदियों के किनारे रहने वाले बच्चों का अध्ययन कर कर सिद्ध किया है इन बच्चों का वातावरण गंदा और समाज के अच्छे प्रभाव से दूर था।

☘️🌼 बुद्धि पर प्रभाव ➖कैंडोल (Condolle)का मत है कि बुद्धि का विकास वंशानुक्रम की अपेक्षा वातावरण पर निर्भर करता है उन्होंने फ्रांस के 552 विद्वानों का अध्ययन करके यह पता लगाया कि उनमें से अधिकांश धनी वर्ग से संबंधित है इसलिए उन्हें उचित शिक्षा की सुविधा मिली।

🌼स्टीफैस ने भी बुद्धि लब्धि के संबंध में विचार प्रकट किया और कहा कि अगर को अच्छा वातावरण मिले तो बुद्धि लब्धि बढ़ सकती है।

☘️🌼 व्यक्तित्व का प्रभाव ➖ व्यक्तित्व का सीधा संबंध उत्तम वातावरण से होता है।

🌼कूले (Colley)का मत है कि व्यक्तित्व के निर्माण में वंशानुक्रम की अपेक्षा वातावरण का अधिक प्रभाव पड़ता है उन्होंने यह सिद्ध किया कि कोई भी व्यक्ति उपयुक्त वातावरण पर रहकर अपने व्यक्तित्व का निर्माण कर के महान बन सकता है।

✍🏻📚📚 Notes by…… Sakshi Sharma📚📚✍🏻

✴️🌲वातावरण के प्रकार🌲✴️

🌲वातावरण  दो प्रकार होते हैं🌲

1-भौगोलिक वातावरण 2-सामाजिक वातावरण

🍀1-भौगोलिक वातावरण इस वातावरण में प्रकृति के सभी तत्व सम्मिलित होते है जैसे  मिट्टी,जलवायु,जीव जंतु, पेड़पौधे,पहाड़,समुद्र ,पृथ्वी,चंद्रमा,सूरज,नदियां,वनस्पति, स्थिति इत्यादि।

🍀भौगोलिक वातावरण मानव के क्रियाकलाप को प्रभावित करती हैं यह सभी प्रकृति से प्राप्त वस्तुएं होती हैं जो मानव को किसी ना किसी प्रकार से आजीवन प्रभावित करता है इन सब चीजों की मानव को बहुत ही आवश्यकता होती है

🍀2-सामाजिक वातावरण सामाजिक वातावरण मानव समुदाय से मिलकर बना होता है इसमें सभी प्रकार के समुद्र शामिल होते हैं इसमें अपने रीति रिवाज,परंपरा,भाषा, शिष्टाचार,समाज में अंतर क्रिया आदि यह सब सामाजिक वातावरण अंतर्गत आते हैं

🍀सामाजिक वातावरण के अंतर्गत आते हैं ➖️जो इस प्रकार हैं और सांस्कृतिक वातावरण, और मानसिक वातावरण दो प्रकार के आते हैं

🌸सांस्कृतिक वातावरण ➖️सांस्कृतिक वातावरण जीवन जीने की तकनीक और शिष्टाचार प्रदान करता है 🌸मानसिक वातावरण ➖️वातावरण बालक की मानसिक योग्यता के विकास में योगदान देता है मानसिक वातावरण में हमें बालक के मानसिक में जो भी विकास होता है वह मानसिक वातावरण द्वारा ही होता है

इस प्रकार के वातावरण व्यक्ति के अलग-अलग पक्ष शारीरिक सामाजिक मानसिक एवं आर्थिक तथ्यों को प्रभावित करता है

🌲🔅बालक पर वातावरण का प्रभाव➖️

🔅 शिक्षाविद ने अनेक अध्ययन और परीक्षण से यह सिद्ध किया है कि बालक के व्यक्तित्व के प्रत्येक पहलू प्रभाव को लेकर सामाजिक,और सांस्कृतिक वातावरण का व्यापक प्रभाव पड़ता है इन सभी पहलुओं का बहुत ही प्रभाव पड़ता है 

🌲🔅1 शारीरिक अंतर का प्रभाव ➖️✏️फ्रेंज वोन्स के अनुसार➖️ अलग-अलग प्रजाति केशारीरिक अंतर का कारण सिर्फ वंशानुक्रम ना होकर वातावरण भी है

🔅उन्होंने अनेक उदाहरण देकर यह सिद्ध किया है➖️ कि जो जापानी और यहूदी अमेरिका में अनेक पीढ़ियों से निवास कर रहे हैं उनकी लंबाई भौगोलिक वातावरण के कारण बढ़ गई है

जैसे हमारे गांव का आदमी बाहर चले गए वह उनके बच्चे का जन्म हुआ वह अपने यहां आया तो उसमें अंतर रहेगा उसके रंग-रूप आकार सभी में अंतर रहेगा इसका मतलब यह है कि वातावरण ही महत्वपूर्ण है

🌲🔅2.मानसिक वातावरण का प्रभाव➖️✏️ गार्डन का मत है कि ➖️उचित  सामाजिक और सांस्कृतिक वातावरण ना मिलने पर मानसिक विकास की गति धीमी हो जाती है 🔅उन्होंने यह बात कही नदियों के किनारे रहने वाले बच्चों का अध्ययन करके सिद्ध किया है इन बच्चों का वातावरण गंदा थाऔर वह अच्छे सामाजिक प्रभाव से दूर थे उन बच्चों को अच्छा सामाजिक प्रभाव नहीं मिल पाया था

🌲🔅3.बुद्धि पर प्रभाव ➖️✏️    केंडोल के मत से➖️ बुद्धि का विकास वंशानुक्रम की अपेक्षा वातावरण पर ज्यादा निर्भर करता है

🔅उन्होंने फ्रांस के 552 विद्वानों का अध्ययन करके पता लगाया कि उनमें से अधिकांश धनी वर्ग से संबंधित है इसलिए उन्हें उचित शिक्षा की सुविधा मिली इसलिए विद्वान बने इनके कहने का मतलब है कि आर्थिक कारण भी वातावरण पर प्रभाव डालता है अमीरी और गरीबी का प्रभाव भी बच्चों पर पड़ता है

🔅✏️स्टीफेंस ने कहा➖️ बुद्धि लब्धि के संबंध में विचार प्रकट किया और कहा कि अगर बालक को अच्छा वातावरण मिले तो बुद्धि लब्धि बढ़ सकती है उनके कहने का मतलब यह है कि बालक को अच्छा वातावरण अगर मिल जाता है तो बालक की बुद्धि लब्धि बढ़ जाती हैं वातावरण के द्वारा ही बुद्धि लब्धि बढ़ती है

🌲🔅4.व्यक्तित्व का प्रभाव,➖️व्यक्तित्व का सीधा संबंध उत्तम वातावरण से होता है

🔅कूले ने अध्ययन किया ➖️उन्होंने 71साहित्यकार का अध्ययन किया तो उसमे 2साहित्य  निर्धन थे लेकिन  महान साहित्यकार बने क्योंकि भले ही निर्धन थी उनके पास धन की कमी थी पर उनका व्यक्तित्व अच्छा था  उत्तम वातावरण के थे❇️❇️❇️❇️❇️❇️❇️🌸🌸🌸🌸notes by sapna yadav

🥀🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🥀         

            🥀 Types of Enviroment🥀

                   🥀 वातावरण के प्रकार🥀

🥀🌺 वातावरण दो प्रकार के होते हैं ÷

🥀🌸1-भौगोलिक वातावरण जिसके अंतर्गत धूल, मिट्टी ,हवा पेड़-पौधे ,जीव- जंतु ,जलवायु, नदी ,पर्वत इत्यादि आते हैंl

🥀🌸2- सामाजिक वातावरण जिसके अंतर्गत मनुष्य का  मन, संस्कृति ,मानसिक वातावरण, शारीरिक वातावरण व आर्थिक वातावरण, इत्यादि आते हैं।

🥀🌸1-भौगोलिक वातावरण इस वातावरण में प्रकृति के सभी तत्व सम्मिलित हैंl

🥀🧠जैसे÷ जलवायु मिट्टी जीव जंतु वनस्पति स्थिति नदी तालाब पर्वत बादल हिमालय इत्यादि।

🥀🌸1-भौगोलिक वातावरण मानव के क्रियाकलाप को प्रभावित करता है।

🥀🌸2-सामाजिक वातावरण सामाजिक वातावरण मानव समुदाय से मिलकर बना होता है।

🥀🌸बच्चों के विकास के लिए भौगोलिक वातावरण के साथ-साथ सामाजिक वातावरण भी आवश्यक है।

🥀🌸इसमें समाज के रीति रिवाज परंपरा भाषा शिष्टाचार समाज में अंतर क्रिया यह सब समाज के अंतर्गत  आते है।

🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️

      🌺🌺सामाजिक वातावरण के प्रकार🌺🌺

🥀🌸1-सांस्कृतिक वातावरण

🥀🌸सांस्कृतिक वातावरण जीवन जीने की तकनीकी और शिष्टाचार प्रदान करता है।

🥀🌸संस्कृति के अनुसार मनुष्य बदलता है, ना कि मनुष्य के अनुसार संस्कृति बदलती है।

🥀🌸इस प्रकार से वातावरण प्रत्येक व्यक्ति के अलग-अलग पदों चाहे शारीरिक को सामाजिक को मानसिक को या आर्थिक इत्यादि तत्वों को प्रभावित करता है।

🥀🌺2-मानसिक वातावरण-मानसिक वातावरण बालक की मानसिक योग्यताओ के विकास में योगदान देता है।

🧠🧠🧠🧠🧠🧠🧠🧠🧠🧠🧠🧠🧠🧠🧠

       💞 💞बालक पर वातावरण का प्रभाव💞💞

🥀🌺शिक्षाविदों ने अनेक अध्ययन और परीक्षण से यह  सिद्ध किया है कि बालक के व्यक्तित्व के प्रत्येक पहलू पर चाहे वह भौगोलिक ,सामाजिक और सांस्कृतिक हो प्रत्येक का व्यापक प्रभाव पड़ता है।

🥀🌸1-शारीरिक अंतर का प्रभाव

🥀💞फ्रेंच बोंस-अलग-अलग प्रजाति के शारीरिक अंतर का कारण सिर्फ वंशानुक्रम ना होकर वातावरण भी होता है।

                                                                      उन्होंने 🥀🌸अनेक उदाहरण देकर यह सिद्ध किया कि जो जापानी और यहूदी अमेरिका में अनेक पीढ़ी से निवास कर रहे हैं उनकी लंबाई भौगोलिक वातावरण के कारण बढ़ गई।

🥀🌸2-मानसिक विकास पर प्रभाव

🥀💞गोर्डन -इनका मत है कि उचित सामाजिक और सांस्कृतिक वातावरण ना मिलने पर मानसिक विकास की गति धीमी हो जाती है, उन्होंने यह बात नदियों के किनारे रहने वाले बच्चे का अध्ययन करके सिद्ध किया; इन बच्चों का वातावरण गंदा और समाज के अच्छे प्रभाव से दूर था।

🥀🌸3-बुद्धि विकास पर प्रभाव

🥀💞केंडोल-इनके अनुसार बुद्धि का विकास वंशानुक्रम की अपेक्षा वातावरण पर निर्भर करता है,इन्होंने फ्रांस के 552 विद्वानों का अध्ययन करके पता लगाया कि उनमें से अधिकांश विद्वान धनी वर्ग से संबंधित थे इसलिए उन्हें उचित शिक्षा की सुविधा मिली;

🥀💞स्टीफन÷इन्होंने भी बुद्धि लब्धि के संबंध में विचार प्रकट किया और कहा कि बालों को अच्छा वातावरण मिले तो बुद्धि लब्धि बढ़ सकती है।

🥀🌸4-व्यक्तित्व का प्रभाव

उत्तम वातावरण में पलने वाले बालक का एक अच्छा उत्तम व्यक्तित्व हो सकता हैl

🥀💞कूले का अध्ययन-इन्होंने 71 साहित्यकार का अध्ययन किया था, इनमें से 2 निर्धन परिवार के साहित्यकार थे किंतु उत्तम वातावरण के कारण वह भी महान साहित्यकार बने।

🎶 Noted by shikhar pandey 🥀

🔆🍀 वातावरण के प्रकार🍀🔆

वातावरण दो प्रकार के होते हैं➖

💥 भौगोलिक वातावरण (Physical Environment) 

💥  सामाजिक वातावरण (Social Environment) 

⭕ भौगोलिक वातावरण (Physical Environment) ➖

भौगोलिक वातावरण में प्रकृति के सभी तत्व सम्मिलित होते हैं जैसे सूर्य ,चंद्रमा ,नदी ,हवा, पानी,नदियाँ, समुद्र, पहाड़,मैदान, रोड पेड़ पौधे जलवायु व्यक्ति जीव जंतु ,वनस्पति, और स्थिति इत्यादि भौगोलिक वातावरण मानव के क्रियाकलाप को प्रभावित करते हैं |

 मानव जो भी क्रियाकलाप करता है उन सभी पर  भौगोलिक वातावरण। अपना प्रभाव डालते हैं  |

जैसे यदि मनुष्य कृषि करता है तो  कृषि पर जलवायु और मौसम परिवर्तन दोनों का प्रभाव पड़ता है यदि वर्षा ऋतु में वर्षा अच्छी नहीं होगी तो उसे फसल की बर्बादी होगी और इस प्रकार से मनुष्य के दैनिक दिनचर्या और उसके क्रियाकलाप में भौगोलिक वातावरण अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं |

⭕ सामाजिक वातावरण(Social Environment) ➖

सामाजिक वातावरण मानव समुदाय से मिलकर बना है जिसके अंतर्गत रीति रिवाज,  परंपरा, शिष्टाचार ,समाज में अन्त: क्रिया ,आदि सामाजिक वातावरण के अंतर्गत आते हैं जिनकी शिक्षा समाज में रहकर ही  दी  जाती है |

सामाजिक वातावरण को भी दो भागों में बांटा गया➖

💥 सांस्कृतिक वातावरण➖

 💥 मानसिक वातावरण 

व्यक्ति को जीवन जीने  की तकनीक और शिष्टाचार प्रदान करता है |

💥 मानसिक वातावरण➖ 

मानसिक वातावरण बालक की मानसिक  योग्यता के विकास में योगदान देता है इस प्रकार मानसिक वातावरण के  मानसिक योगदान देता है |

इस प्रकार वातावरण व्यक्ति के अलग अलग पक्ष को देखते हुए जैसे शारीरिक, सामाजिक, मानसिक और आर्थिक तथ्यों को प्रभावित करता है |

⭕ बालक पर वातावरण का प्रभाव ➖

शिक्षाविदों ने अनेक अध्ययन और परीक्षण से यह सिद्ध किया है कि बालक के व्यक्तित्व के प्रत्येक पहलू पर भौगोलिक, सामाजिक, और सांस्कृतिक  वातावरण का व्यापक प्रभाव पड़ता है |

🎯 शारीरिक अंतर का प्रभाव ➖

 फ्रेज  बोंस  के अनुसार 

” अलग-अलग प्रजाति के  शारीरिक अंतर का कारण सिर्फ बल जाने का ना होकर वातावरण भी होता है  |”

उन्होंने अनेक उदाहरण देकर यह सिद्ध किया कि जो व्यक्ति जापानी और यहूदी अमेरिका में अनेक पीढ़ियों से निवास कर रहे हैं उनकी लंबाई भौगोलिक वातावरण के कारण बढ़ गई हैं |

🎯 मानसिक विकास पर प्रभाव ➖

 जोर्डन का मत है कि

 ” उचित सामाजिक और सांस्कृतिक वातावरण ना मिलने पर मानसिक विकास की गति धीमी हो जाती है  |”

उन्होंने यह बात नदियों के किनारे रहने वाले बच्चों का अध्ययन करके सिद्ध किया | इन बच्चों का वातावरण  गंदा और सामाजिक सामाजिक  अच्छे प्रभाव से दूर था |

🎯 बुद्धि पर प्रभाव ➖

 केंडोल का मत है कि

 ” बुद्धि का विकास वंशानुक्रम की अपेक्षा वातावरण पर निर्भर करता है |”

 उन्होंने फ्रांस के 552 विद्वानों का अध्ययन करके पता लगाया कि उनमें से अधिकांश  धनी वर्ग से संबंधित थे इसलिए उन्हें उचित शिक्षा की सुविधा मिली और  वे  विद्वान  बने |

स्टीफैन्स ने भी बुद्धि लब्धि के संबंध में  कहा कि 

“बालक को अच्छा वातावरण मिले तो बुद्धि लब्धि बढ़ सकती है |” 

🎯 व्यक्तित्व का प्रभाव ➖

 व्यक्तित्व का सीधा संबंध उत्तम वातावरण से है |

” कूले ने ” अध्ययन किया उन्होंने 71 साहित्यकारों का अध्ययन किया उनमें से 2 निर्धन परिवार से थे लेकिन उनका वातावरण अच्छा होने के कारण वे महान साहित्यकार बने | 

नोट्स बाय➖ रश्मि सावले

🌻🌼🌺🌸🍀🍀🌼🌻🌺🌸🍀🌸🌺🌼🌻🍀🌻🌼🌺🌸🍀

💦✨💫 Types of Environment💫✨💦

💦✨💫 वातावरण के प्रकार 💫✨

💦

1. भौगोलिक वातावरण।   

 2 . सामाजिक वातावरण।

🌎 भौगोलिक वातावरण

 इस वातावरण में प्रकृति के सभी तत्व सम्मिलित हैं जैसे जलवायु , मिट्टी , जीव , जंतु , वनस्पति , स्थिति , आदि भौगोलिक वातावरण मानव के क्रियाकलाप को प्रभावित करते हैं ।

👥 सामाजिक वातावरण सामाजिक वातावरण मानव समुदाय से मिलकर बना होता है।

 इसमें आप के रीति रिवाज , परंपरा , भाषा , शिष्टाचार , समाज में अंत:क्रिया ये सब सामाजिक वातावरण के अंतर्गत आते हैं।

 सामाजिक वातावरण को दो भागों में विभाजित किया जाता है -:

1 . सांस्कृतिक वातावरण एवं 

2 . मानसिक वातावरण

☣️ सांस्कृतिक वातावरण 

हमें जीवन जीने की तकनीक और शिष्टाचार प्रदान करता है ।

जो कार्य जिस तरीके से करना चाहिए उसे उसी प्रकार से करना ही शिष्टाचार है ।

जैसे जिस प्रकार से एक मनुष्य को अपने बड़ों से बात अपने छोटू से बात करनी चाहिए एवं किसी भी परेशानी में दुविधा में किस तरीके से उसे सुलझाना चाहिए कि किसी को भी परेशानी ना हो। सांस्कृतिक वातावरण में आता है।

शिष्टाचार समाज के नियमों का उचित प्रकार से अन्त:क्रिया करना है।

☢️ जबकि मानसिक वातावरण बालक की मानसिक योग्यताओं के विकास में योगदान देता है ।

इस प्रकार के वातावरण व्यक्ति के अलग-अलग पक्ष शारीरिक ,  सामाजिक , मानसिक एवं आर्थिक इत्यादि तथ्यों को प्रभावित करते हैं।

☘️☘️ बालक पर वातावरण का प्रभाव 

शिक्षाविदो ने अनेक अध्ययन और परीक्षण से यह सिद्ध किया है कि बालक के प्रत्येक पहलू पर भौगोलिक सामाजिक और सांस्कृतिक वातावरण का व्यापक प्रभाव पड़ता है। 

❇️ 1 शारीरिक अंतर का प्रभाव

 फ्रेंज बोन्स 

फ्रेंज बोन्स के अनुसार अलग-अलग प्रजाति के शारीरिक अंतर का कारण सिर्फ वंशानुक्रम ना होकर वातावरण भी होता है।

 उन्होंने अनके उदाहरण देकर यह सिद्ध किया कि जो जापानी यहूदी अमेरिका में अनेक पीढ़ियों से निवास कर रहे हैं उनकी लंबाई भौगोलिक वातावरण के कारण बढ़ गई है।

-+- कई पीढ़ियों तक एक ही  जलवायु में निवास करने पर उनकी वंशजों में उसी वातावरण/जलवायु के अनुसार लक्षण दिखाई देने लगते हैं जैसे कोई छोटी काठी का व्यक्ति अगर ऐसी जलवायु में रहे जहां पर लोग लंबे होते हैं तो 4-5 पीढ़ियों के बाद उनके आने वाले वंशजों में भी ऊंचे कद के व्यक्ति का जन्म होने लगेगा।

🌟 2 मानसिक विकास पर प्रभाव 

गोर्उन का मत है कि उचित सामाजिक और सांस्कृतिक वातावरण ना मिलने पर मानसिक विकास की गति धीमी हो जाती है।

 उन्होंने यह बात नदियों के किनारे रहने वाले बच्चों का अध्ययन करके सिद्ध किया इन बच्चों का वातावरण गंदा और सामाजिक अच्छे प्रभाव से दूर था।

जैसे अगर बच्चों को हम निम्नकोटि वातावरण में रखते हैं तो बच्चे जैसी भाषा सुनते हैं उसी को अनुकरण करके वैसा ही बोले लगते हैं । और आसपास के वातावरण का उनमे शारीरिक रूप से भी प्रभाव पड़ता है

☀️ 3 बुद्धि पर प्रभाव 

केंडोल —  बुद्धि का विकास वंशानुक्रम की अपेक्षा वातावरण पर निर्भर करता है ।

उन्होंने फ्रांस के 552 विद्वानों का अध्ययन करके पता लगाया कि उनमें से अधिकांश धनी वर्ग से संबंधित थे।

 इसलिए उन्हें उचित शिक्षा की सुविधा मिली।

जो बच्चे धनी परिवार में पलते बढ़ते हैं , उनको प्रगति करने की सारी सुविधाएं मिलती हैं इन सुविधाओं के कारण उनकी बुद्धि लब्धि बढ़ती है।

☘️ स्टोफैंस  

स्टोफैंस ने भी बुद्धि लब्धि के संबंध में विचार प्रकट किया ।

और कहा कि अगर बालक को अच्छा वातावरण मिले तो बुद्धि लब्धि बढ़ सकती है।

 ⚡4 व्यक्तित्व का प्रभाव

 व्यक्तित्व = उत्तम वातावरण 

अगर उत्तम वातावरण मिले तो व्यक्तित्व अच्छा हो जाता है।

कूले ने अध्ययन  71 साहित्यकार पर अध्ययन किया ।

उनमें से दो साहित्यकार निर्धन थे लेकिन वह महान साहित्यकार बने।

 क्योंकि उन्हें अच्छा वातावरण मिला।

 व्यक्तित्व भी महत्वपूर्ण है अगर माता-पिता अच्छे व्यक्तित्व के हैं तो उनको अच्छा वातावरण मिलेगा।

भले वे निम्न जाति के हैं  या दरिद्र है , पर उनके आसपास का वातावरण अच्छा होगा तो वह भी अच्छे ही होंगे और विद्वान होंगे।

धन्यवाद 

वंदना शुक्ला

🦇वातावरण के प्रकार (type of environment) 🦅

वातावरण  मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं ➖

1. भौगोलिक वातावरण (physical environment)

2. सामाजिक वातावरण(social environment)

1️⃣भौगोलिक वातावरण🌚🌜🌙🌈💫🌞🐚🪨🌾🌧️🌊🌤️🌴🎄🪴🦨🦚🐕🐘🦒🐈

इस वातावरण में प्रकृति के सभी तत्व सम्मिलित होते हैं जैसे जलवायु ,मिट्टी, जीव -जंतु ,वनस्पति ,स्थिति इत्यादि।

भौगोलिक वातावरण मानव के क्रियाकलाप को प्रभावित करते हैं।

2️⃣सामाजिक वातावरण👨‍👩‍👦‍👦👩‍👩‍👧‍👦

सामाजिक वातावरण मानव समुदाय से मिलकर बना होता है। इसमें आपके रीति-रिवाज ,परंपरा, भाषा, शिष्टाचार व समाज में अंत: क्रिया आदि यह सब सामाजिक वातावरण के अंतर्गत आते हैं। 

सामाजिक वातावरण को दो भागों में विभाजित किया गया है –

🅰️ सांस्कृतिक वातावरण (Cultural Enviroment)

🅱️ मानसिक वातावरण ( Mental Environment )

🅰️ सांस्कृतिक वातावरण ➖

                                    सांस्कृतिक वातावरण जीवन जीने की तकनीक और शिष्टाचार प्रदान करता है।

🅱️मानसिक वातावरण ➖

                                  मानसिक वातावरण बालक की मानसिक योग्यताओं के विकास में योगदान देता है। इस प्रकार के वातावरण व्यक्ति के अलग-अलग पक्षों शारीरिक, सामाजिक, मानसिक एवं आर्थिक इत्यादि तथ्यों को प्रभावित करते हैं।

🕉️☯️बालक पर वातावरण का प्रभाव ➖

शिक्षाविदों ने अनेक अध्ययन और परीक्षण से यह सिद्ध किया ➖

 “बालक के व्यक्तित्व के प्रत्येक पहलू पर भौगोलिक, सामाजिक, मानसिक और सांस्कृतिक वातावरण का व्यापक प्रभाव पड़ता है।”

🚹 शारीरिक अंतर का प्रभाव ➖

फ्रेंज बोंस :-

“अलग-अलग प्रजाति के शारीरिक अंतर का कारण सिर्फ वंशानुक्रम न होकर वातावरण भी होता है।”

प्रयोग ➖

जापानी और यहूदी अमेरिका में अनेक पीढ़ियों से निवास कर रहे थे। जिससे उनकी लंबाई भौगोलिक वातावरण के कारण बढ़ गई है।

🧠 मानसिक विकास पर प्रभाव ➖

गोर्डन :-

 “उचित सामाजिक और सांस्कृतिक वातावरण ना मिलने पर मानसिक विकास की गति धीमी हो जाती है।”

प्रयोग ➖

नदियों के किनारे रहने वाले बच्चे का अध्ययन करके सिद्ध किया इन बच्चों का वातावरण गंदा और सामाजिक अच्छे प्रभाव  से दूर था।

🤯 बुद्धि पर प्रभाव ➖

केंडोल:-

 “बुद्धि का विकास वंशानुक्रम की अपेक्षा वातावरण पर निर्भर करता है।”

प्रयोग ➖

 फ्रांस के 552 विद्वानों पर अध्ययन।

जिसमें अधिकांश धनी वर्ग से संबंधित थे इसलिए उन्हें उचित शिक्षा की सुविधा मिली।

स्टीफेंस:-

“अगर बालक को अच्छा वातावरण मिले तो बुद्धि लब्धि बढ़ सकती है।”

👺 व्यक्तित्व का प्रभाव ➖

कुले :-

“यदि व्यक्ति को उत्तम वातावरण मिले तो उसका व्यक्तित्व अच्छा हो सकता है।”

प्रयोग ➖

🛑71 साहित्यकार का अध्ययन

 📛02 साहित्यकार निर्धन थे।

 *लेकिन वह महान साहित्यकार बने*। 

✍🏻🤳🏻 Deepika Ray 💃🏻💃🏻💃🏻💃🏻💃🏻💃🏻💃🏻💃🏻💃🏻💃🏻💃🏻

वातावरण के प्रकार

💥💥💥💥💥💥💥💥

18  march  2021

वातावरण के निम्नलिखित दो प्रकार हैं   :-

🌿  1. भौगोलिक वातावरण 

🌿  2. सामाजिक वातावरण 

1.    🍁   भौगोलिक  वातावरण :-

भौगोलिक वातावरण में प्रकृति के सभी तत्व सम्मिलित होते हैं जैसे  –

जलवायु , मिट्टी , जीव – जंतु , वनस्पति , स्थिति , समुद्र ,  नदी / तालाब , पर्वत इत्यादि।

भौगोलिक वातावरण मानव के क्रियाकलाप को प्रभावित करता है।

2.  🍁  सामाजिक वातावरण  :-

सामाजिक वातावरण मानव समुदाय से मिलकर बना होता है।

 हमारे रीति – रिवाज , परंपराएं , भाषा , शिष्टाचार ,   सामाजिक अंतःक्रिया आदि यह सब सामाजिक वातावरण के अंतर्गत आते हैं।

💮💮. सामाजिक वातावरण को निम्नलिखित दो भागों में बांटा गया है  :-

👉  1.  सांस्कृतिक  वातावरण

👉  2.  मानसिक    वातावरण 

1.  💐  सांस्कृतिक वातावरण :-

सांस्कृतिक वातावरण मनुष्य को जीवन जीने की तकनीकि /  कला और शिष्टाचार प्रदान करता है। 

2. 💐  मानसिक   वातावरण 

मानसिक वातावरण मनुष्यों ( बालकों )  की मानसिक योग्यताओं के विकास में योगदान देता है।

इस प्रकार से वातावरण व्यक्ति के अलग-अलग पक्ष जैसे :- 

 शारीरिक , सामाजिक , मानसिक एवं आर्थिक इत्यादि तथ्यों को प्रभावित करता है।

🌹  बच्चों पर वातावरण का प्रभाव 🌹

शिक्षाविदों ने अनेक अध्ययन और परीक्षणों से यह सिद्ध किया है कि बालक के व्यक्तित्व के प्रत्येक पहलू पर भौगोलिक , सामाजिक और सांस्कृतिक वातावरण का व्यापक प्रभाव पड़ता है ।  जैसे  –

1.  🌺  शारीरिक अंतर का प्रभाव  :-

🌻🌻  फ्रेंज  बोन्स  के अनुसार  –

अलग-अलग प्रजाति के शारीरिक अंतर का कारण सिर्फ वंशानुक्रम न होकर वातावरण भी होता है।

              अतः इसी संदर्भ में इन्होंने अनेक उदाहरण देकर यह सिद्ध किया है कि –

👉👉  जो मनुष्य  ‘ जापानी ‘  और  ‘ यहूदी अमेरिका ‘  में अनेक पीढ़ियों से निवास कर रहे हैं उनकी लंबाई भौगोलिक वातावरण के कारण बढ़ गई है।

2. 🌺  मानसिक विकास पर प्रभाव   :-

🌻🌻  गोर्डन   के अनुसार  –

उचित सामाजिक और सांस्कृतिक वातावरण न मिलने पर मानसिक विकास की गति धीमी हो जाती है।

          अतः उन्होंने यह बात नदियों के किनारे रहने वाले बच्चों का आकलन करके सिद्ध किया है कि इन बच्चों का वातावरण गंदा और सामाजिकता के अच्छे प्रभाव से दूर था।

3. 🌺   बुद्धि पर प्रभाव  :-

🌻🌻  केंडोल   के अनुसार  –

बुद्धि का विकास वंशानुक्रम की अपेक्षा वातावरण पर निर्भर करता है।

      अतः उन्होंने फ्रांस के 552 विद्वानों का अध्ययन करके पता लगाया है कि उनमें से अधिकांश व्यक्ति धनी वर्ग से संबंधित थे इसलिए उन्हें उचित शिक्षा की सुविधा मिल सकी।

🌻🌻  ‘ स्टीफेंस ‘  ने  भी बुद्धि लब्धि के संबंध में अपने विचार प्रकट किये और कहा है कि यदि बालक को अच्छा वातावरण मिले तो  बुद्धि लब्धि बढ़ सकती है।

4.  🌺  व्यक्तित्व का प्रभाव   :-

👉  व्यक्तित्व  अर्थात   उत्तम वातावरण 

🌻🌻  कूले  का अध्ययन  :-

अतः कूले  ने 71 साहित्यकारों का अध्ययन किया जिनमें से 2 साहित्यकार निर्धन थे ,  लेकिन वे महान साहित्यकार बने ।

      अतः उनका मत था कि निम्न व्यक्तित्व के बच्चों /  मनुष्यों पर भी यदि उच्च व्यक्तित्व का प्रभाव पड़े तो वह भी उच्च व्यक्तित्व के बन सकते हैं।

✍️Notes by – जूही श्रीवास्तव✍️

🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻18032021🌻🌻

वातावरण के प्रकार : वातावरण दो प्रकार के होते हैं-

१. भौगोलिक वातावरण 

२.सामाजिक वातावरण

भौगोलिक वातावरण : इस वातावरण में प्रकृति के सभी तत्व सम्मिलित हैं।जैसे – जलवायु,मिट्टी,जीव जन्तु, पेड़ – पौधे, वनस्पति, स्थिति इत्यादि।

भौगोलिक वातावरण मानव के क्रियाकलाप को प्रभावित करते हैं।

सामाजिक वातावरण : सामाजिक वातावरण मानव समुदाय से मिलकर बना होता है। इसमें आपके रीति-रिवाज़, परम्परा, भाषा, शिष्टाचार, समाज में अंतः क्रिया ये सब सामाजिक वातावरण के भाग हैं।

सामाजिक वातावरण के दो भाग हैं- १.सांस्कृतिक वातावरण 

२.मानसिक वातावरण

सांस्कृतिक वातावरण में जीवन जीने की तकनीक और शिष्टाचार प्रदान करता है। जबकि मानसिक वातावरण बालक की मानसिक योग्यताओं के विकास में योगदान देता है। इसप्रकार ये वातावरण यह व्यक्ति के अलग अलग पक्ष शारीरिक , सामाजिक, मानसिक और आर्थिक इत्यादि तथ्यों को प्रभवित करते हैं।

बालक पर वातावरण का प्रभाव : शिक्षाविदों ने अनेक अध्ययन और परीक्षण से यह सिद्ध किया है कि बालक के व्यक्तित्व के प्रत्येक पहलू पर भौगोलिक, सामाजिक और सांस्कृतिक वातावरण का व्यापक प्रभाव पड़ता है।

1. शारीरिक अंतर का प्रभाव –

फ्रेंच बोंस के अनुसार, “अलग-अलग प्रजाति के शारीरिक अंतर का कारण सिर्फ वंशानुक्रम ना होकर वातावरण भी होता है।” उन्होंने अनेक उदाहरण देकर यह सिद्ध किया कि जो जापानी और यहूदी अमेरिका में अनेक पीढ़ियों से निवास कर रहे हैं उनकी लंबाई भौगोलिक वातावरण के कारण बढ़ गई है।”

2. मानसिक विकास पर प्रभाव : गोर्डन का मत है कि उचित सामाजिक और सांस्कृतिक वातावरण ना मिलने पर मानसिक विकास की गति धीमी हो जाती है। उन्होंने यह बात नदियों के किनारे रहने वाले बच्चों का अध्ययन करके सिद्ध किया। इन बच्चों का वातावरण गंदा औरअच्छे सामाजिक प्रभाव से दूर था

3. बुद्धि पर प्रभाव : कैडोल के अनुसार, “बुद्धि का विकास वंशानुक्रम की अपेक्षा वातावरण पर निर्भर करता है। उन्होंने फ्रांस के 552 विद्वानों का अध्ययन करके पता लगाया कि उनमें से अधिकांश धनी वर्ग के थे इसलिए उन्हें उचित शिक्षा की सुविधा मिली।

👤स्टीफेंस ने भी बुद्धि लब्धि के संबंध में विचार प्रकट किया और कहा कि अगर बालक को अच्छा वातावरण मिले तो बुद्धि लब्धि बढ़ सकती है।

4. व्यक्तित्व का प्रभाव : व्यक्तित्व का सीधा संबंध उत्तम वातावरण से है। अर्थात यदि हमारा वातावरण उत्तम होगा तो हमारा व्यक्तित्व भी उत्तम होगा।

कूले का अध्ययन : कूले ने  71 साहित्यकारों का अध्ययन किया, जिनमें दो साहित्यकार निर्धन थे लेकिन महान साहित्यकार बने।

🙏

🥀Notes by Awadhesh Kumar 🥀🥀

🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻

👩‍🏫  वातावरण के प्रकार 👩‍🏫

🌱 वातावरण के दों प्रकार होते है।🌱

🏵️ भौगोलिक वातावरण🏵️

🏵️सामाजिक वातावरण🏵️

🥏 भौगोलिक वातावरण- भौगोलिक वातावरण में प्रकृति के वे सभी तत्व सम्मिलित है जिनमें- जलवायु,मिट्टी वनस्पति,स्थिती

 इत्यादि।

भौगोलिक वातावरण में मानव के क्रियाकलाप को प्रभावित करते है।

🥏सामाजिक वातावरण- सामाजिक वातावरण मानव समुदाय से मिलकर बना है।

समाज में आपके रिती-रिवाज , परंपरा,भाषा,शिष्टाचार , समाज में अनुक्रिया ये सब सामाजिक वातावरण के अन्तरगत आते है।

सामाजिक वातावरण के दो प्रकार होते है।

🎍सांस्कृतिक वातावरण ।

🎍मानशिक वातावरण।

🎍सांस्कृतिक वातावरण-यह वातावरण सांस्कृतिक वातावरण से मिलकर बना है जो जिवन जिने कि तकनिक और शिष्टाचार प्रदान करता है।  

इसी प्रकार,

🎍मानशिक वातावरण-मानशिक वातावरण बालक के मानशिक योग्यताओ के विकाश में योगदान देता है।

इस प्रकार ये वातावरण शारिरीक,मानशिक ,व्यवहारिक  सामाजिक, सांस्कृतिक ,भौतिक एंव आर्थिक इस प्रकार कई तथ्यो से प्रभावित करते हैं।

🐥 बालक का वातावरण पर प्रभाव- कुछ शिक्षाविदों ने अध्ययन और परीक्षण करके यह सिध्द किया कि बालक के प्रत्येक पहलु पर भौगोलिक ,सामाजिक और सांस्कृतिक वातावरण का व्यापक प्रभाव पड़ता हैं।

✨ शारिरीक अतंर का प्रभाव- फ्रेंज बोन्स के अनुसार- अलग-अलग प्रजाति के शारिरीक  अन्तर का कारण सिर्फ वंशानुक्रम  न होकर वातावरण भी होता है।

उन्होने ने अनेक उदाहरण देकर यह सिध्द किया कि जो जापानि और यहूदी अमेंरिका में अनेक पिढ़ीयो से निवास कर है और उनकी लंबाई भौगोलिक वातावरण के कारण बढ़ गई है।

🐥मानशिक विकाश पर प्रभाव-

गोर्डन के अनुसार-का कथन है कि उचित सामाजिक और सांस्कृतिक वातावरण न मिलने के कारण मानशिक विकाश की गति धिमी हो जाती है।

उन्होने यह बात नदियों के किनारे रहने वाले बच्चे का अध्दयन किया।

इन बच्चो का वातावरण गंदा और सामाजिकता के अच्छे प्रभाव के दूर रहने से।

🐥बुध्दी पर प्रभाव-

केंडोल के अनुसार-बुध्दी का प्रभाव वंशानुक्रम कि अपेक्षा वातावरण का भी प्रभाव पड़ता है,उन्होने फ्रांस के 552 विव्दानों का अध्दयन करके पता लगाया कि उनमें से अधिकांश धनी कार्य से संबंधीत थे।

इसलिए उन्हे उचित शिक्षा की सुविधा मिले।

स्टीफैस के अनुसार-ने भी बुध्दी लब्धी के संबंध में विचार प्रकट करता है कि अगर बालक को अच्छा वातावरण मिले तो बुध्दी लब्धि भी बढ़ सकती है।

🐥व्तक्तित्व का प्रभाव-व्यक्तित्व का सीधा संबंध उत्तम वातावरण से होता है।

🐥कूले के अनुसार-व्यक्तित्व के निर्माण में वंशानुक्रम कि अपेक्षा वातावरण का अधिक प्रभाव पड़ता है उन्होने यह सिध्द किया कि व्यक्ति वातारण में रहकर व्यक्तित्व का निर्माण कर सकता है एक महान साहित्यकार बन सकता है।

  Notes by_Puja Murkhe

18/03/2021

Today class…वातावरण के प्रकार

🥏इनके दो प्रकार होते हैं

(1)भौगोलिक वातावरण

(2)सामाजिक वातावरण

🥏भौगोलिक वातावरण:—- इस वातावरण में प्रकृति की सभी तत्व सम्मिलित है

 👉जैसे :—जलवायु, मिट्टी ,जीव, जंतु ,वनस्पति, स्थिति ,पेड़-पौधे, नदिया, इत्यादि…

🥏 सामाजिक वातावरण:— सामाजिक वातावरण मानव के समुदाय से मिलकर बना होता है इसमें आपके रिती- रिवाज, परंपरा भाषा, शिष्टाचार,रहन-सहन ,परंपराएं ,धार्मिक कृत्य, यह सब सामाजिक संबंध आदि बहुत से तत्व है जो मनुष्य के शारीरिक ,मानसिक तथा भावात्मक तथा बौद्धिक विकास को किसी न किसी ढंग से अवश्य प्रभावित करते हैं जो सामाजिक वातावरण के अंतर्गत आती है

    🥏 सामाजिक वातावरण

👉 इनके दो प्रकार हैं

(1) सांस्कृतिक वातावरण

(2) मानसिक वातावरण

👉 सांस्कृतिक वातावरण:— जीवन जीने के तरीके और शिष्टाचार प्रदान करता है सांस्कृतिक वातावरण जिंदगी के हर पल में हमारे अंतर्गत आते रहते धर्म और संस्कृति मनुष्य के विकास को अत्यधिक प्रभावित करती है l खाने का ढंग ,रहन-सहन ,पूजा-पाठ, समारोह मनाने ,संस्कार आदि हमारी संस्कृति है जिन संस्कृतियों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण समाहित है इनका विकास ठीक ढंग से होता है lलेकिन जहां अंधविश्वास और रूढ़िवाद का समावेश है तो संस्कृति से उस समाज का विकास नहीं है और हमारे संस्कृति समाज के साथ अंतर क्रिया करती है

 👉मानसिक वातावरण :— जबकि मानसिक वातावरण बालक की मानसिक योग्यता के विकास में योगदान देता है इस प्रकार यह बता बड़ा व्यक्ति के अलग-अलग पद शारीरिक सामाजिक मानसिक एवं आर्थिक इत्यादि तथ्यों को प्रभावित करते हैं

🥏 बालक पर वातावरण का प्रभाव

👉 शिक्षाविदों ने अनेक अध्ययन और परीक्षण से यह सिद्ध किया है कि बालक के व्यक्तित्व के प्रत्येक पहलू पर भौगोलिक, सामाजिक और सांस्कृतिक वातावरण का व्यापक प्रभाव पड़ता है

🥏(1) शारीरिक अंतर का प्रभाव

फ्रेज बोन्स:– अलग-अलग प्रजाति के शारीरिक अंतर का कारण सिर्फ वंशानुक्रम ना होकर वातावरण है

👉 इन्होंने अनेक उदाहरण देकर सिद्ध किया है कि जो जापानी और यहूदी अमेरिका में अनेक पीढियों से निवास कर रहे हैं उनकी लंबाई भौगोलिक वातावरण के कारण बढ़ गई है

🥏(2) मानसिक विकास पर प्रभाव 

गोर्डन:— इनका मत है कि वह चित्र सामाजिक और सांस्कृतिक वातावरण ना मिलने पर मानसिक विकास की गति धीमी हो जाती है

👉 इन्होंने यह मत नदियों के किनारे रहने वाले बच्चों का अध्ययन करके सिद्ध की ।इन बच्चों का वातावरण गंदा और समाज के अच्छे प्रभाव से दूर था

     🥏(3) बुद्धि पर प्रभाव

 कैंडोल:— बुद्धि का विकास वंशानुक्रम की अपेक्षा वातावरण पर निर्भर करता है उन्होंने फ्रांस के 552 विद्वानों का अध्ययन करके पता लगाया कि उनमें अधिकांश धनी वर्ग से संबंधित थे इसलिए उन्हें उचित शिक्षा की सुविधा मिले

👉 स्टीफेंस:— ने भी बुद्धि लब्धि के संबंध में विचार प्रकट किया और कहा कि अगर बालक को अच्छा वातावरण मिले तो बुद्धि लब्धि बढ़ सकती है

   (4)   🥏व्यक्तित्व का प्रभाव 

कूले का अध्ययन:— व्यक्तित्व__ उत्तम वातावरण

👉 इन्होंने 71 साहित्यकार का अध्ययन किया जिनमें दो साहित्यकार निर्धन थे

👉 उदाहरण देकर बताया कि बनयान और बर्नस का जन्म निर्धन परिवार में हुआ था, फिर भी वह अपने व्यक्तित्व का निर्माण करके महान बन सके। इसका कारण केवल यह था कि उनके माता-पिता ने उनको उत्तम वातावरण में रखा ।

⚛⚛⚛⚛⚛⚛⚛⚛⚛

✍Notes by:—संगीता भारती✍

         Thank you 🙏🙏

34. CDP – Heredity and Environment PART- 6

🗯️  🌳अनुवांशिकता और वातावरण🌳🗯️

        🗯️🌳  वातावरण (environment)🌳🗯️

🌴 बालक के व्यक्तित्व के विकास में वातावरण का महत्व भी कम नहीं है

                           . वंशानुक्रम से एक बात तय है कि बालक वंशानुक्रम में अनेक शक्तियां या क्षमता ग्रहण करके ही जन्म लेता है लेकिन इन शक्तियों का विकास वातावरण में होता है

                                       . यदि बच्चों को अच्छा वातावरण मिल जाता है तो बच्चे की शक्तियों का विकास बेहतर तरीके से होगा और यही वातावरण पोषक या पर्यावरण कहलाता है

                    . पर्यावरण दो शब्दों से मिलकर बना है परि + आवरण 

 परि= चारों ओर 

आवरण= ढकने वाला

                            . व्यक्ति के चारों ओर जो भी कुछ है उसका पर्यावरण हैं इसमें वे सब तत्व सम्मिलित किए जा सकते हैं जो व्यक्ति के जीवन में और व्यवहार को प्रभावित करते हैं

🌴जिस्बर्ट के अनुसार:- वातावरण वह हर वस्तु है जो किसी अन्य वस्तु को घेरे हुए हैं और उस पर सीधे अपना प्रभाव डालती है

🌴एनी अनास्टासी  के अनुसार:- वातावरण में भी सभी वस्तुएं सम्मिलित है जो व्यक्ति के पित्रैक के अतिरिक्त उसके सभी पक्षों को प्रभावित करती हैं

🌴  मेकाइवर एवं पेज के अनुसार:-  स्वयं प्राणी उसके जीवन का ढांचा बीते हुए जीवन एवं अतीत पर्यावरण  का फल है

                             , पर्यावरण जीवन के प्रारंभ से यहां तक के उत्पाद कोषों में भी  निहित  है

🌴 बोरिंग ,लैगफील्ड एवं वेल्ड के अनुसार:- एक व्यक्ति के वातावरण के अंतर्गत उन सभी  उत्तेजनाओ का योग आ जाता है जिसको वह जन्म से मृत्यु तक ग्रहण करता है

🌴 जे एस रॉस के अनुसार:- वातावरण एक वह शक्ति है जो हमें प्रभावित करती है

🌴   woodworth के अनुसार:- वातावरण में भी समस्त तत्व सम्मिलित हैं जिन्होंने व्यक्ति को जीवन प्रारंभ करने के समय से प्रभावित किया

🌴 डगलस व हॉलैंड के अनुसार:- वातावरण शब्द का प्रयोग उन समस्त भाग शक्तियां, प्रभावों और दशाओं के योग के वर्णन के लिए किया जाता है जो जीवित प्राणी के जीवन, स्वभाव ,व्यवहार विकास और परिपक्वता को प्रभावित करते हैं

   ☺️😊सपना साहू 😊☺️

🔆 वातावरण (Environment) 

▪️बालक के व्यक्तित्व के विकास में वातावरण का भी महत्व कम नहीं है। वंशानुक्रम से एक बात तय है कि बालक वंशानुक्रम से अनेक शक्तियां या क्षमता ग्रहण करके ही जन्म लेता है लेकिन इन शक्तियों क्षमताओं का विकास वातावरण में ही होता है।

▪️यदि हम बच्चों की इन शक्तियों क्षमताओं को विकसित होने के लिए वैसा या उचित या अनुचित वातावरण नहीं देंगे तो वह शक्ति और क्षमता कभी भी विकसित नहीं हो पाएगी।

▪️जन्मजात शक्तियों क्षमताओं को पोषित करने का कार्य वातावरण का ही है जब तक यह शक्तियां क्षमता है वातावरण द्वारा पोषित नहीं होती तब तक उनका कोई भी महत्व या उनकी कोई उपयोगिता नहीं रह जाएगी।

▪️वंशानुक्रम व वातावरण एक दूसरे से अंतः संबंधित है।

▪️वंशानुक्रम से प्राप्त शक्तियां या विशेषताओं का विकास वातावरण में ही होता है यदि बच्चे को अच्छा वातावरण मिल जाता है तो उनकी शक्तियों का विकास बेहतर तरीके से होगा और यही वातावरण इन शक्तियों का पोषक या पर्यावरण कहलाता है।

❄️वातावरण का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning and Definition of Environment)

▪️‘वातावरण‘ के लिए ‘पर्यावरण’ शब्द का भी प्रयोग किया जाता है। पर्यावरण दो शब्दों से मिलकर बना है- ‘परि + आवरण‘। ‘परि‘ का अर्थ है- ‘चारों ओर’ एवं ‘आवरण‘ का अर्थ है-‘ढकने वाला‘।  

▪️इस प्रकार पर्यावरण या वातावरण वह वस्तु है जो चारों ओर से ढके हुए है। अतः हम कह सकते हैं कि व्यक्ति के चारों ओर जो कुछ है, वह उसका वातावरण है। इसमें वे सभी तत्व सम्मिलित है, जो मानव के जीवन व व्यवहार को प्रभावित करते हैं।  

▪️कोई भी चीज या कोई भी कार्य या कोई भी बात जो भी हमारे आसपास घटित हो रही है उसका कुछ ना कुछ प्रभाव हमारे ऊपर निश्चित रूप से पड़ता है।

▪️पर्यावरण में केवल कोई वस्तु ही नहीं बल्कि इसके साथ-साथ पर्यावरण की जो गतिविधि हैं जो घटित हो रही हैं वह भी व्यक्ति के व्यक्तित्व को यह हमारी मानसिकता वह हमारे मनोविज्ञान को निश्चित रूप से प्रभावित करती है।

▪️वातावरण के अर्थ को और अधिक स्पष्ट करने के लिए कुछ परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं-

❇️(1) जिस्बर्ट के शब्दों में –

‘‘वातावरण वह हर वस्तु है जो किसी अन्य वस्तु को घेरे हुए है और उस पर सीधे अपना प्रभाव डालती है।‘‘

❇️(2) एनास्टासी के अनुसार –

‘‘वातावरण वह प्रत्येक वस्तु है, जो व्यक्ति के जीन्स के अतिरिक्त प्रत्येक वस्तु को प्रभावित करती है।‘‘

❇️(3) मैकाइवर व पेज के अनुसार –

“स्वयं प्राणी, उसके जीवन का ढांचा ,बीते हुए जीवन एवं अतीत पर्यावरण का फल है।

पर्यावरण जीवन के प्रारंभ से यहां तक के उत्पादक कोषो में भी निहित है।”

❇️(4) बोरिंग लैंगफील्ड एवं बेल्ड के अनुसार – 

“एक व्यक्ति के वातावरण के अंतर्गत उन सभी उत्तेजनाओं का योगा जाता है जिनको वह जन्म से मृत्यु तक ग्रहण करता है।”

❇️(5) जे.एस.रॉस के अनुसार –

 ‘‘वातावरण वह बाहरी शक्ति है जो हमें प्रभावित करती है।‘‘ 

❇️(6) वुडवर्थ के शब्दो में – 

‘‘वातावरण में सब वाह्य तत्व आ जाते हैं जिन्होंने व्यक्ति को जीवन आरम्भ करने के समय से प्रभावित किया है।‘‘

❇️(7) डग्लस एवं हॉलैंड के अनुसार – 

“वातावरण शब्द का प्रयोग उन समस्त बाह्य शक्तियों, प्रभावों और दशाओं के योग के वर्णन के लिए किया जाता है जो जीवित प्राणी के जीवन, स्वभाव, व्यवहार ,विकास और परिपक्वता को प्रभावित करते हैं।

🌠वातावरण के प्रभाव को ना तो खत्म किया जा सकता है और ना ही अनदेखा । लेकिन यह जागरूक हो सकते हैं कि किसका कैसा प्रभाव या क्या सही है या क्या गलत है प्रभाव हमारे ऊपर पड़ रहा है।

🌠उपर्युक्त परिभाषाओं से स्पष्ट है कि वातावरण व्यक्ति को प्रभावित करने वाला तत्व है। इसमें बाह्य तत्त्व आते हैं। यह किसी एक तत्त्व का नहीं अपितु एक समूह तत्त्व का नाम है। वातावरण व्यक्ति को उसके विकास में वांछित सहायता प्रदान करता है।

✍️

   Notes By-‘Vaishali Mishra’

🌼☘️ वातावरण ☘️🌼

         (Environment)

👉🏼 🧍🏻बालक के व्यक्तित्व के विकास में वातावरण का महत्व कम नहीं है वंशानुक्रम से एक बात तय है कि बालक वंशानुक्रम से अनेक शक्तियों या क्षमता ग्रहण करके ही जन्म लेता है।

👉🏼 इन शक्तियों का विकास वातावरण से होता है यदि बच्चे को अच्छा वातावरण मिल जाता है तो उनकी शक्तियों का विकास बेहतर तरीके से होगा और यही वातावरण पोषण या पर्यावरण कहलाता है।

☘️ परि ➡️ चारों ओर

☘️ आवरण➡️ ढकने वाला

👉🏼व्यक्ति के चारों और जो कुछ भी होता है उसका पर्यावरण है उसमें वह सब तत्व सम्मिलित किए जा सकते हैं जो व्यक्ति के जीवन और व्यवहार को प्रभावित करते हैं।

✍🏻 जिस्बर्ट के अनुसार➖”वातावरण वह हर वस्तु है जो किसी अन्य वस्तु को घेरे हुए हैं और उस पर सीधे प्रभाव डालती है”।

✍🏻 एनी एनास्टासी के अनुसार➖ “वातावरण को सभी वस्तुएं सम्मिलित हैं जो व्यक्ति के पित्रैक के अंतर्गत सभी पक्षों को प्रभावित करती है”।

✍🏻 मेकाइवर एवं पेज के अनुसार➖”स्वयं प्राणी उसके जीवन का ढांचा बीते हुए जीवन एवं अतीत पर्यावरण का फल है”।

“पर्यावरण जीवन के प्रारंभ  से यहां तक के उत्पादक कोषों में भी निहित “।

✍🏻 बोरिंग,लैगफील्ड एवं वील्ड के अनुसार➖”एक व्यक्ति के वातावरण के अंतर्गत उन सभी उत्तेजना ओं का योग आ जाता है जिन्हें वह जन्म से मृत्यु तक ग्रहण करता है”।

✍🏻 जे.एस.राॅस के अनुसार➖”वातावरण एक बाह्य शक्ति है जो हमें प्रभावित करती है”।

✍🏻 वुडवर्थ के अनुसार➖”वातावरण में वह समस्त तत्व सम्मिलित हैं जिन्होंने व्यक्ति को जीवन प्रारंभ करने के समय से प्रभावित किया है”।

✍🏻 डगलस व हॉलैंड के अनुसार➖”वातावरण शब्द का प्रयोग उन समस्त बाह्य शक्तियों, प्रभावों और दशाओं के योग के वर्णन के लिए किया जाता है जो जीवित प्राणी के जीवन स्वभाव व्यवहार विकास और परिपक्वता को प्रभावित करते हैं”।

✍🏻📚📚 Notes by…. Sakshi Sharma📚📚✍🏻

🥀🥀वातावरण🥀🥀

👉🏻 बालक के व्यक्तित्व के विकास मे वातावरण का महत्व भी कम नहीं है। वंशानुक्रम से एक बात तय है कि बालक वंशानुक्रम से एक बात तय हो कि बालक वंशानुक्रम से अनेक शक्तियां या क्षमता ग्रहण करते ही जन्म लेता है। शक्तियों का विकास वातावरण मे होता है। यदि बच्चे को अच्छा वातावरण मिल जाता हैं तो उनके शक्तियों का विकास वह बेहतर तरीके से होगा और यही वातावरण पोषक या पर्यावरण कहलाता हैं।

➡️वातावरण का अर्थ और परिभाषा          

                🥀🥀🥀🥀

➡️वातावरण का अर्थ – 

वातावरण का अर्थ पर्यावरण , पर्यावरण दो शब्दों से मिलकर बना हुआ है। परि + आवरण। परि का अर्थ होता है चारों ओर आवरण का अर्थ होता है ढकना। इस प्रकार से पर्यावरण का अर्थ हुआ जो हमें चारों ओर से घेरे हुए है।उसे हम पर्यावरण कहते हैं। व्यक्ति या मनुष्य, जलवायु, वनस्पति पहाड़ ,पठार नदी वस्तु आदि से घिरा हुआ है यही सब मिलकर पर्यावरण का निर्माण करते हैं इसे वातावरणीय पोषण के नाम से भी जाना जाता है वातावरण मानव जीवन के विकास पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है। मानव विकास में जितना योगदान आनुवंशिकता का है। उतना ही वातावरण का भी है इसीलिए कुछ मनोवैज्ञानिक वातावरण को सामाजिक वंशानुक्रम भी कहते हैं।

➡️वातावरण की परिभाषा 

वातावरण की परिभाषा विभिन्न शिक्षणशत्रियो के अनुसार निम्नलिखित हैं।

➡️जिसबर्ट के अनुसार ,

” जो किसी एक वस्तु को चारों ओर से घेरे हुए है घेरे हुए है, तथा उस पर प्रत्यक्ष प्रभाव डालता है वह पर्यावरण होता है।”

➡️ एनीअनस्तासी के अनुसार,

” पर्यावरण व हर चीज है ,जो व्यक्ति के जीवन के अलावा उसे प्रभावित करती है ।”

मैकाइवर और पेज के अनुसार,

” स्वयं प्राणी उसके जीवन का ढांचा बीते हुए जीवन एवं अतीत पर्यावरण का फल है।पर्यावरण जीवन के प्रारंभ से यहां तक कि उत्पादक कोषों में भी निहित होती है।”

➡️बोरिंग , लैंगफील्ड एवम वेल्ड के अनुसार,

” अनुवांशिकी के अलावा व्यक्ति को प्रभावित करने वाली वस्तु वातावरण हैं। “

➡️वुडवर्थ के अनुसार ,

” वातावरण में वह सब बाह्य तत्व आ जाते हैं जिन्होंने व्यक्ति को जीवन आरंभ करने के समय से प्रभावित किया है।”

➡️डगलस व हॉलैंड के अनुसार ,”वातावरण शब्द का प्रयोग उन सबका शक्तियों शक्तियों प्रभाव दशाओं का सामूहिक रूप का सामूहिक रूप से वर्णन करने के लिए किया जाता है जो जीवित प्राणियों के जीवन ,स्वभाव, व्यवहार बुद्धि विकास और परिपक्वता पर प्रभाव डालते हैं।”

➡️जे एस रॉस के अनुसार ,

” वातावरण व बाहरी शक्ति है जो  हमें प्रभावित करती हैं।

🥀📚📚📝🖊️🖋️notes by shikha tripathi📚📚📝🥀🥀🥀🥀

🌻🌻🌼🌼💥💥🌺🌺

🌴💫 वातावरण 💫🌴

 🦚 बालक के व्यक्तित्व के विकास में व्यक्तित्व के विकास में वातावरण का महत्व कम नही है।

  वंशानुक्रम से एक बात तय है कि बालक वंशानुक्रम से अनेक शक्तियों या क्षमता ग्रहण करके जन्म लेता है।और इन शक्तियों का विकास वातावरण में ही होता है।

    यदि बच्चे को अच्छा वातावरण मिल जाता है तो उसकी शक्तियों का वीक बेहतर तरीके से होता है और यह वातावरण पोषक या पर्यावरण कहलाता है।

   जब बच्चा गर्भ में होता है उस समय भी बच्चा वातावरण के बीच मे ही रहता है। उस समय का वातावरण एक अलग प्रकार का होता है। और जन्म के बाद दूसरे वातावरण में रहता है। उस समय के वातावरण से प्रभावित होता है।

💫🌴पर्यावरण― पर्यावरण दो शब्दों से मिलकर बना है परि +आवरण । जहाँ परि का अर्थ होता है – चारो ओर।  और आवरण का अर्थ होता है -ढकने वाला या ढका हुआ ।

  व्यक्ति के चारो ओर जो कुछ भी है। वह उसका पर्यावरण है। व्यक्ति अपने चारों ओर पर्यावरण से घिरा हुआ है। इसमें वे सब तत्व सम्मिलित किया जाता है जो व्यक्ति के जीवन और व्यवहार को प्रभावित करते हैं।

🌻विभिन्न प्रकार के शिक्षण शास्त्रियों ने अपनी -अपनी  अलग- अलग परिभाषा दी।

🌺जिस्बर्ट के अनुसार –वातावरण वह हर वस्तु है जो किसी अन्य बस्तु को घेरे हुए है और उस पर सीधा अपना प्रभाव डालती है।

🌺एनी एनास्टासी (एनास्तासकी) के अनुसार― वातावरण में वे सभी वस्तुए सम्मिलित हैं जो व्यक्ति की पैतृक के अतिरिक्त उनमे सभी पक्षो को प्रभावित करती है।

🌺मैकाइवर एवं पेज  के अनुसार― स्वयं प्राणी ,उसके जीवन का ढांचा , बीते हुए जीवन  एवं अतीत पर्यावरण का फल है।

   पर्यावरण, जीवन के प्रारंभ से यहाँ तक उत्पाद कोषों में भी निहित होते हैं।

🌺बेरिंग,लैंगफील्ड एवं वेल्ड के अनुसार – एक व्यक्ति के वातावरण के अंतर्गत उन सभी उत्तेजनाओं का योग आ जाता है।जिनको वह जन्म से मृत्यु तक ग्रहण करता है।

🌺 जे.एस. रॉस के अनुसार– वातावरण वह वाह्य शक्ति है जो हमे प्रभावित करती है।

🌺वुडवर्थ के अनुसार― वातावरण में वे सभी तत्व सम्मिलित होते हैं। जिन्होंने व्यक्ति को जीवन प्रारंभ करने के समय से प्रभावित किया है।

🌺 डगलस व हॉलैंड के अनुसार– वातावरण शब्द का प्रयोग उन समस्त वाह्य शक्तियों, प्रभावों और दशाओ के योग के वर्णन के लिए किया जाता है। जो जीवित प्राणी के जीवन स्वभाव, व्यवहार विकास और परिपक्वता को प्रभावित करते हैं।

📚📚📚📚Notes by Poonam sharma🦚

🍒🍒(Environment)🍒🍒

                       ✋वातावरण✋

💨बालक के व्यक्तित्व के विकास में वातावरण का महत्व भी कम नहीं है, वंशानुक्रम से एक बात तय है कि बालक वंशानुक्रम से अनेक शक्तियां वा  क्षमताएं ग्रहण करके ही जन्म लेता है लेकिन इन शक्तियों का विकास वातावरण में ही होता है।

💦उदाहरण÷ पौधों की नर्सरी से हम एक उच्च किस्म के व गुणवत्ता वाले आम के  पौधे को घर लेकर आते हैं जो कि बहुत ही मीठे फल देगा किंतु लाने के बाद उसकी देखभाल हम वह उसको पोषण नहीं दे पाते हैं तो ऐसे में कुछ-कुछ में किस्म के पौधे का कोई मतलब नहीं रह गया क्योंकि उसको पोषण अच्छा मिला ही नहीं जिसकी वजह से या तो वह अच्छे व मीठे फल नहीं दे पाएगा या फिर वह मुरझा जायेगा।

💨यदि बच्चे को अच्छा वातावरण मिल जाता है तो उनकी शक्तियों ,क्षमताओं का विकास बेहतर तरीके से होता है और यही वातावरण पोषक या पर्यावरण कहलाता है।

         ‌    🍒🍒पर्यावरण🍒🍒

🌸पर्यावरण दो शब्दों से मिलकर बना हुआ है÷

🌸परि +आवरण जिसका अर्थ है;

🌸परि =चारो ओर 

🌸आवरण=घिरा हुआ/ढ़का हुआ

💦व्यक्ति के चारों ओर जिससे वह घिरा हुआ है वह पर्यावरण ही है,इसमें वे सब तत्व सम्मिलित किए जा सकते हैं जो व्यक्ति के जीवन और व्यवहार को प्रभावित करते हैं।

💨पर्यावरण वह हर एक विषय वस्तु या घटना है जो आसपास घटित हो रही है।

💨हमारे आसपास की की हो रही  गतिविधियां भी हमारा पर्यावरण कहलाती है।

🌸🗣️जिसबर्ट÷ वातावरण वह वस्तु है जो किसी अन्य वस्तु को घेरे हुए हैं और उस पर सीधे अपना प्रभाव डालती है।

🌸🗣️एनी एनास्तासी (एनास्तास्की)÷वातावरण में वैसे भी वस्तु में सम्मिलित हैं जो व्यक्ति के चित्र के अतिरिक्त सभी पक्षों को प्रभावित करती हैं।

🌸🗣️मैकाइवर एवं पेज ÷स्वयं प्रणाली व उसके जीवन का ढांचा एवं बीते हुए जीवन एवं अतीत वातावरण का फल है; पर्यावरण जीवन के प्रारंभ से यहां तक के उत्पाद कोषो मे  भी निहित है।

🌸🗣️बोरिंग लैंड फील्ड एवं वेल्ड के अनुसार÷एक व्यक्ति के वातावरण के अंतर्गत उन सभी उत्तेजनाओं का योग आ जाता है जिनको वह जन्म से मृत्यु तक ग्रहण करता है।

🌸🗣️जे .एस .रॉस÷वातावरण एक बाह्य शक्ति है जो हमें प्रभावित करती है।

🌸🗣️वुडवर्थ के अनुसार÷वातावरण में वे समस्त तत्व सम्मिलित हैं जिन्होंने व्यक्ति को जीवन प्रारंभ करने के समय से प्रभावित किया है।

🌸🗣️डग्लस व हालैंड के अनुसार÷वातावरण शब्द का प्रयोग उन समस्त बाह्य शक्तियों, प्रभाव और दशाओं के योग के वर्णन के लिए किया जाता है जो जीवित प्राणी के जीवन, स्वभाव व्यवहार, विकास और परिपक्वता को प्रभावित करती हैं।

🧠😘Written÷Shikhar pandey🧠

🍀🔅बाल विकास का वातावरण पर प्रभाव🔅🍀

बालक के व्यक्तित्व के विकास में वातावरण का महत्व भी कम नहीं है वंशानुक्रम मैं यह बात तय है कि बालक वंशानुक्रम से अनेक शक्तियां या क्षमता ग्रहण करके ही जन्म लेता है

यदि बच्चे को अच्छा वातावरण मिल जाता है तो उसकी शक्तियों का विकास भी अच्छी तरीके से हो जाता है और यदि वातावरण वातावरण अच्छी नहीं मिलता है तो इसका प्रभाव बालक पर बहुत ही पड़ता है इसी को वातावरण पोषण या पर्यावरण कहा जाता है

   🔅 पर्यावरण =परि +आवरण🔅

    ➖️  परि -➖️ चारों ओर

     ➖️ आवरण ➖️-ढकने वाला

💮व्यक्ति के चारों और जो कुछ भी हो उसका पर्यावरण है बेशक तत्व सम्मिलित किए जा सकते हैं जो व्यक्ति के जीवन और व्यवहार को प्रभावित करते हैं जिस वस्तु द्वारा जो हमारे चारों ओर है जिससे जो क्षेत्र ढकता है वह सब पर्यावरण के अंतर्गत आता है हमारे चारों ओर के वातावरण वस्तु सब कुछ पर्यावरण कहलाता है जो व्यक्ति के जीवन और व्यवहार को पूरी तरीके से प्रभावित करता है जैसे मानव, चीज, वस्तुए,पेड़-पौधे, जीव जंतु पशु पक्षी, नदियां पठार पर्वत  मकान  हर चीज स्थान घेरती है अनेक प्रकार की ऐसी चीजें हैं जो पर्यावरण के अंतर्गत आते हैं

❇️✏️जिस्वर्ट के अनुसार- ➖️वातावरण वह हर वस्तु है जो किसी अन्य वस्तु को घेरे हुए हैं और उस पर अपना प्रभाव डालती है

💮✏️एनास्तासी के अनुसार➖️ वातावरण में वे सभी वस्तुएं सम्मिलित हैं जो व्यक्ति के जीन के अतिरिक्त उनके सभी  पहलूओ को प्रभावित करती हैं

💮✏️मैकाइवर एवं पेज के अनुसार ➖️इसमें स्वयं प्राणी उसके जीवन का ढांचा बीते हुए जीवन एवं अधिक पर्यावरण का फल है

पर्यावरण, जीवन के प्रारंभ से यहां तक कि उत्पादक कोसों में निहित है

💮✏️बोरिंग, लेंगफील्ड एवं वेल्ड के अनुसार ➖️एक व्यक्ति के वातावरण के अंतर्गत उन सभी योजनाओं का योग आ जाता है जिसको वह जन्म से मृत्यु तक ग्रहण करता है

💮✏️J. S. Ras के अनुसार➖️ वातावरण एक  वाह्य शक्ति है जो हमें प्रभावित करती है

💮✏️वुडवर्थ के अनुसार ➖️वातावरण में वे सब तत्व सम्मिलित हैं जिन्होंने व्यक्ति को जीवन प्रारंभ करने के समय से प्रभावित किया है

💮✏️डग्लस और हॉलैंड के अनुसार ➖️वातावरण शब्द का प्रयोग उन समस्त शक्तियों प्रभाव दशाओं के वर्णन के लिए किया जाता है जो जीवित प्राणी के जीवन स्वभाव, व्यवहार,विकास और परिपक्वता को प्रभावित करता है🌸🌸🌸🌸🌸🌸

Notes by sapna yadav 🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸

🔆 वातावरण (Environment) ➖

बालक के व्यक्तित्व के विकास में वातावरण का  महत्व भी कम नहीं है वंशानुक्रम से एक बात तो तय है कि बालक वंशानुक्रम से अनेक शक्तियों, या क्षमता ग्रहण करके ही जन्म लेता है |

बच्चे के जन्म के समय उसको जो भी गुण  प्राप्त होते हैं वे स्थायी होते हैं |  जब बच्चा मां के गर्भ में  होता है तो वहां पर मां के गर्भ का वातावरण निर्भर करता है कि मां उसको कैसा वातावरण देती है  माँ की सोच और उसके खानपान का प्रभाव भी बच्चे पर पड़ता है |

       लेकिन जब बच्चा जन्म लेता है तो उसमें जो भी गुण  आते हैं उसको वंशानुक्रम से प्राप्त होते हैं जो कि स्थाई होते हैं और उनका पोषण वातावरण  में रहकर ही किया जाता है |

      यदि बच्चे के जन्म के बाद का वातावरण अच्छा है तो उसका विकास अच्छा होगा और यदि अच्छा नहीं है तो  अच्छा नहीं होगा  |

      जैसे यदि किसी पौधे को एक जगह से दूसरी जगह लगाया जाता है यदि उस पौधे को अच्छे अच्छा वातावरण या अच्छे से उसका पोषण नहीं किया जाता तो वह मुरझा जायेगा |

 इसी प्रकार यदि बच्चे का वातावरण अच्छा  नहीं होगा तो उसका विकास भी ठीक प्रकार से नहीं हो पायेगा |

             यदि बच्चे को अच्छा वातावरण मिल जाता है तो उनकी शक्तियों का विकास बेहतर तरीके से होगा और यही शक्तियां यही वातावरण  पोषण या पर्यावरण कहलाता है  |

पर्यावरण शब्द  ” परि + आवरण”  शब्दों से मिलकर बना है  अर्थात 

परि ➖ चारों ओर

आवरण ➖ढकने वाला होता है |

अर्थात व्यक्ति के चारों ओर जो कुछ भी है वह उसका वातावरण ही  है |

वातावरण में वे सभी तत्व शामिल किए जा सकते हैं जो व्यक्ति के जीवन और व्यवहार को प्रभावित करते हैं |

वातावरण से संबंधित मनोवैज्ञानिकों की कथन➖

🎯 जिस्बर्ट के अनुसार ➖

“वातावरण हर वस्तु है जो किसी अन्य वस्तु को घेरे हुए है और  और उस पर सीधे अपना प्रभाव डालती है |”

🎯 एन एनास्तास्की के अनुसार➖

“वातावरण में भी सभी वस्तुएं संबंधित है जो व्यक्ति के पित्रैक के अतिरिक्त उसके सभी पक्षों को प्रभावित करती है ` |”

🎯 मैकाइवर एवं पेज के अनुसार➖ 

“स्वयं प्राणी उसके जीवन का ढांचा बीते हुए जीवन एवं अतीत के पर्यावरण का फल है पर्यावरण जीवन के प्रारंभ से यहां तक कि उत्पाद कोषों में भी निहित है | “

🎯 वुडवर्थ के अनुसार➖

 वातावरण में वे समस्त तत्व सम्मिलित हैं जिन्होंने व्यक्ति को जीवन आरंभ करने के समय से प्रभावित किया है |”

🎯डगलस और हालैंड के अनुसार ➖

 “वातावरण शब्द का प्रयोग उन समस्त  बाह्य शक्तियों प्रभावों और  दशाओं के योग के  वर्णन के लिए किया जाता है |

जो  जीवित प्राणी के जीवन ,स्वभाव और परिपक्वता को प्रभावित करते हैं |”

🎯 बोरिंग , लैंडफील्ड एवं वेल्ड के अनुसार ➖

एक व्यक्ति के वातावरण के अंतर्गत उन सभी उत्तेजनाओं उनका योग आ जाता है जिनको वह जन्म से मृत्यु तक ग्रहण करता है |

🎯 जी एस राॅस के अनुसार➖

 वातावरण एक बाह्य  शक्ति है जो हमें प्रभावित करती है |

नोट्स बाय➖ रश्मि सावले

🌸🌺🍀🌼🌻🌸🌺🍀🌼🌻🌺🍀🌼🌻🌸🌺🍀🌼🌻🌸🌺🍀🌼🌻

🌺🌱🪴🍁🍀☘🍂🍃🌳🌴🌵🌿⚘🌷🌼🌻🌺💐💮🌸🌹🏵🦈🐌🐠🪰🪱

*बालक के व्यक्तित्व के विकास में वातावरण का महत्व* ➖

 🏞वंशानुक्रम से एक बात तय है कि बालक वंशानुक्रम में अनेक शक्तियों और क्षमताओं के साथ जन्म लेता है, लेकिन इन शक्तियों का विकास वातावरण में होता है। बच्चों को अच्छा वातावरण मिले तो बच्चे की शक्तियों का विकास बेहतर तरीके से होगा और यही वातावरण पोषक या पर्यावरण कहलाता है।

                        पर्यावरण

                           ⬇️

 (परि= चारों ओर ) ➕(आवरण= ढकने वाला)

 🤹🏻‍♀️व्यक्ति के चारों ओर जो भी कुछ है, उसका पर्यावरण हैं। इसमें वे सब तत्व सम्मिलित किए जा सकते हैं जो व्यक्ति के जीवन और व्यवहार को प्रभावित करते हैं।

🪀GISBERT :- वातावरण वह हर वस्तु है जो किसी अन्य वस्तु को घेरे हुए हैं और उस पर सीधे अपना प्रभाव डालती है।

🥏N. ANATORCY :- वातावरण में वे सभी वस्तुएं सम्मिलित है जो व्यक्ति के पित्रैक के अतिरिक्त उसके सभी पक्षों को प्रभावित करती हैं।

🏓MELCYVER AND PAGE :- प्राणी व उसके जीवन का ढांचा, बीते हुए जीवन एवं अतीत, पर्यावरण  का फल है। पर्यावरण जीवन के प्रारंभ से, यहां तक के उत्पाद कोषों में भी  निहित  है।

🥋BORING, LAYFIELD AND VELT :- एक व्यक्ति के वातावरण के अंतर्गत उन सभी  उत्तेजनाओ का योग आ जाता है, जिसको वह जन्म से मृत्यु तक ग्रहण करता है।

🏂J. S. ROSS :- वातावरण एक वह शक्ति है, जो हमें प्रभावित करती है।

🛹WOODWORTH :- वातावरण में वे समस्त तत्व सम्मिलित हैं, जो व्यक्ति को जीवन प्रारंभ करने के समय से प्रभावित किया है। 

 🤼‍♂️DUGLAS AND HOLAND :- वातावरण शब्द का प्रयोग उन समस्त शक्तियां, प्रभावों और दशाओं के योग के वर्णन के लिए किया जाता है, जो जीवित प्राणी के जीवन, स्वभाव ,व्यवहार, विकास और परिपक्वता को प्रभावित करते हैं।

   👩🏻‍💻Deepika Ray👩🏻‍🏫

वातावरण

बालक के व्यक्तित्व के विकास में वातावरण का महत्व भी कम नहीं हैं।

वंशानुक्रम से एक बात तय है कि बालक वंशानुक्रम से अनेक शक्तियां या क्षमता ग्रहण करके ही जन्म लेता है इन शक्तियों का विकास वातावरण में होता है।

यदि बच्चे को  अच्छा वातावरण मिल जाता है उनकी शक्तियों का विकास बेहतर तरीके से होगा और यही वातावरण पोषक या पर्यावरण कहलाता है।

पर्यावरण दो शब्दों से मिलकर बना होता है

परि+ आवरण

परि का अर्थ होता है चारों ओर

आवरण का अर्थ होता है ढकने वाला

अर्थात

व्यक्ति के चारों ओर जो कुछ भी है उसका पर्यावरण है।

इसमें वे सभी तत्व सम्मिलित किए जा सकते हैं जो व्यक्ति के जीवन और व्यवहार को प्रभावित करते हैं।

जिस्बर्ट के अनुसार 

वातावरण वह हर वस्तु है जो किसी अन्य वस्तु को घेरे हुए हैं और उस पर सीधा अपना प्रभाव डालती है।

एनी एनास्तास्की के अनुसार

वातावरण में वे सभी वस्तुएं सम्मिलित हैं जो व्यक्ति के पित्रैक या जीन के अतिरिक्त उसके सभी पक्षो को प्रभावित करती है।

मैकाइबर और पेज के अनुसार

स्वयं प्राणी, उसके जीवन का ढांचा, बीते हुए जीवन एवं अतीत पर्यावरण का फल है।

पर्यावरण, जीवन के प्रारंभ से यहां तक की उत्पादक कोषों में भी निहित है।

बोरिंग लैंगफील्ड और वेल्ड के अनुसार

एक व्यक्ति के वातावरण के अंतर्गत उन सभी उत्तेजना ओं का योग आ जाता है जिनको वह जन्म से मृत्यु तक ग्रहण करता है।

जे एस रॉस के अनुसार

वातावरण एक बाह्य शक्ति हैं जो हमें प्रभावित करती हैं।

वुडवर्थ के अनुसार

वातावरण में वे समस्त तत्व सम्मिलित हैं जिन्होंने व्यक्ति के जीवन को प्रारंभ करने के समय से प्रभावित किया है।

डगलस और होलैंड के अनुसार

वातावरण शब्द का प्रयोग उन समस्त बाह्य शक्तियों, प्रभावों और दशाओं के योग के वर्णन के लिए किया जाता है जो प्राणी के जीवन, स्वभाव, व्यवहार ,विकास और परिपक्वता को प्रभावित करते हैं।

Notes by Ravi kushwah

वातावरण   Environment

💥💥💥💥💥💥💥💥

17 march 2021

बालक के व्यक्तित्व के विकास में वातावरण का महत्व भी कम नहीं है।

वंशानुक्रम से एक बात तो तय है कि बालक वंशानुक्रम से अनेक शक्तियां , क्षमता आदि ग्रहण करके ही जन्म लेता है।

       अतः इन शक्तियों का विकास वातावरण में होता है। 

यदि बच्चों को अच्छा वातावरण मिल जाता है तो उनकी शक्तियों का विकास बेहतर तरीके से होता है , 

और यही वातावरण ‘ पोषक  या  पर्यावरण ‘ कहलाता है।

पर्यावरण दो शब्दों से मिलकर बना है  :-  

परि   ➕   आवरण  

अर्थात् 

परि         ➡️     चारों ओर 

आवरण   ➡️     ढकने वाला

अर्थात् व्यक्ति को चारों ओर से जो कुछ भी ढके हुए हैं /  आवरण किए हुए हैं वहीं पर्यावरण / वातावरण है। 

वातावरण में वे सभी तत्व शामिल किए जा सकते हैं जो व्यक्ति के जीवन और व्यवहार को प्रभावित करते हैं।

वातावरण के संदर्भ में कुछ मनोवैज्ञानिकों के कथन निम्न प्रकार है   :-

1.🌺   जिस्बर्ट  के अनुसार  :-

वातावरण वह हर वस्तु है जो किसी अन्य वस्तु को घेरे हुए हैं और उस पर सीधा अपना प्रभाव डालती है।

2.  🌺  N . एनास्तास्की  के अनुसार  :-

वातावरण में वे सभी वस्तुएं सम्मिलित हैं जो व्यक्ति के gene / पित्रैक के अतिरिक्त उसके सभी पक्षों को प्रभावित करती है।

3.🌺  मैकाइवर  एवं   पेज   के अनुसार  :-

स्वयं प्राणी उसके जीवन का ढांचा बीते हुए जीवन एवं अतीत के पर्यावरण का फल है ,  पर्यावरण जीवन के प्रारंभ से यहां तक कि उत्पाद कोषों में भी निहित है।

4.  🌺 बोरिंग  ,  लैंगफील्ड  एवं  वेल्ड  के अनुसार  :-

एक व्यक्ति के वातावरण के अंतर्गत उन सभी उत्तेजनाओं का योग आ जाता है जिनको वह जन्म से मृत्यु तक ग्रहण करता है।

5. 🌺   J .  S . रॉस   के अनुसार   :-

वातावरण एक बाह्य शक्ति है जो हमें प्रभावित करती है।

6.🌺   वुडवर्थ   के अनुसार :-

वातावरण में वे समस्त तत्व सम्मिलित हैं जिन्होंने व्यक्ति को जीवन आरंभ करने के समय से प्रभावित किया है।

7. 🌺  डगलस  व  हॉलैंड  के अनुसार  :-

वातावरण शब्द का प्रयोग उन समस्त बाह्य शक्तियों ,  प्रभावों और दशाओं के योग के वर्णन के लिए किया जाता है , जो जीवित प्राणी के जीवन , स्वभाव , व्यवहार ,   विकास और परिपक्वता को प्रभावित करते हैं।

✍️ Notes by  – जूही श्रीवास्तव ✍️

🎄 वातावरण(Environment )🎄

☄️ बालक के व्यक्तित्व के विकास में वातावरण का महत्व भी कम नहीं है।

✨ वंशानुक्रम से एक बात तय है कि बालक वंशानुक्रम से अनेक शक्तियों  या क्षमता  ग्रहण करके ही,  जन्म लेता है, इन शक्तियों का विकास वातावरण में होता है।

✨ यदि बच्चों को अच्छा वातावरण मिल जाता है तो उनकी शक्तियों का विकास बेहतर तरीके से होगा और   यही वातावरण पोषक या  पर्यावरण कहलाता है।

🎄 पर्यावरण का अर्थ ➖

✨ परि ➕ आवरण

🌱 परि ➖ चारों ओर।

🌱 आवरण ➖ ढकने वाला।

✨ व्यक्ति के चारों और जो कुछ भी है उसका पर्यावरण है इसमें वह सब तत्व सम्मिलित किए जा सकते हैं जो व्यक्ति के जीवन और व्यवहार को प्रभावित करते हैं।

🟣 कुछ पर्यावरणविदों ने, अपने राय निम्न रूप से पर्यावरण के बारे में रखें।

✨ जिसबर्ट के अनुसार ➖

 वह हर वस्तु है जो किसी अन्य वस्तु को घेरे हुए हैं और उस पर सीधा अपना प्रभाव डालती है।

✨एनी एनास्तसकी (एनास्टासी)के अनुसार ➖

 वातावरण में, वे सभी वस्तुएं सम्मिलित है जो व्यक्ति के पैतृक के अतिरिक्त उसके सभी बच्चों को प्रभावित करती है।

✨ मैकाइवर एवं पेज के अनुसार➖

स्वय प्रार्णी उसके जीवन का ढांचा, बीते हुए जीवन एवं अतीत पर्यावरण का फल है।

          पर्यावरण, जीवन के प्रारंभ से यहां तक के उत्पाद कोशो में भी निहित हों।

✨ बोरिंग, लैकफील्ड एवं वोल्ड  के अनुसार,

➖ एक व्यक्ति के वातावरण के अंतर्गत उन सभी योजनाओं का योग आ जाता है जिनको वह जन्म से मृत्यु तक ग्रहण करता है।

✨ जे एस बॉस के अनुसार➖

 वातावरण एक बाह्य सकती है जो हमें प्रभावित करती है।

✨ वुडवर्थ के अनुसार ➖

 वातावरण में, वे समस्त तत्व सम्मिलित हैं जिन्होंने व्यक्ति को जीवन प्रारंभ करने के समय से प्रभावित किया है।

✨ डग्लस व हॉलैंड के अनुसार➖

 पर्यावरण शब्द का प्रयोग समस्त बाह्य शक्तियों, प्रभावऔर दशाओं के युग के वर्णन के लिए किया जाता है जो जीवित प्राणी के जीवन, स्वभाव, व्यवहार, विकास और परिपक्वता को प्रभावित करते हैं।

📝NOTES BY “AkaNksHa”📝

🤓✨🙏🥰🤗

33. CDP – Heredity and Environment PART- 5

🥀🥀🥀🥀🥀🥀📚📚📝

➡️1.वंशानुक्रम का मूल शक्तियों पर प्रभाव :-🧑🏼‍💼थॉर्नडाइक ने बालक 👶🏻के जीवन और विकास में बालक की मूल शक्तियों में वंशानुक्रम के प्रभाव को वरीयता दी है।🧑🏼‍💼👉🏻 थॉर्नडाइक का मानना है कि बालक की मूल शक्तियों का मुख्य कारण उसका वंशानुक्रम है।

➡️2. वंशानुक्रम का शारीरिक लक्षणों पर प्रभाव :-वंशानुक्रम का प्रभाव मानव के शारिरिक लक्षणों में भी पड़ता है।

🧑🏼‍💼कार्ल पीयरसन वंशानुक्रम के शारिरिक लक्षणों के प्रभावों के संबंध में अपना मत दिया है कि यदि ”माता-पिता की लम्बाई का असर उनकी संतानों में भी पड़ता है, जो कि एक प्रकार का शारिरिक लक्षण है।

➡️3. वंशानुक्रम का प्रजाति की श्रेष्ठता पर प्रभाव :-वंशानुक्रम का प्रजातियों की श्रेष्ठता में गहरा प्रभाव पड़ता है, इसके संबंध में 🧑🏼‍💼क्लिनबर्ग ने अपने विचार देते हुए कहा है कि “बुद्धि की श्रेष्ठता का कारण प्रजाति है। यही कारण है कि अमरीका की श्वेत प्रजाति, नीग्रो प्रजाति से श्रेष्ठ है।” 

हैनलकक हांलाकि क्लिनबर्ग के इस📚 विचार में बहुत से मनोवैज्ञानिकों में मतभेद भी रहा है।

➡️4. वंशानुक्रम का व्यावसायिक योग्यता पर प्रभाव :-🧑🏼‍💼👉🏻कैटल ने व्यावसायिक योग्यता का मुख्य कारण वंशानुक्रम को ही मानते हैं। कैटल ने व्यावसायिक में वंशानुक्रम का प्रभाव का पता करने के लिए अमेरिका के 885 वैज्ञानिकों के परिवारों का की योग्यता का अध्ययन किया और बताया कि कुल 885 वैज्ञानिक परिवारों में से व्यवसायी वर्ग से संबंध रखने वाले परिवारों की संख्या कुल संख्या का 2/5 थी, इसी प्रकार उत्पादक वर्ग के 1/2 और कृषि वर्ग के केवल 1/4 परिवार थे।

➡️5. वंशानुक्रम का सामाजिक स्थिति पर प्रभाव :-🧑🏼‍💼विनशिप ने वंशानुक्रम का सामाजिक स्थिति पर प्रभाव के संबंध में अपने विचार देते हुए कहा है, कि गुणवान और प्रतिष्ठित माता-पिता की सन्तान भी अपने जीवनकाल में प्रतिष्ठा प्राप्त करती है।

विनशिप ने वंशानुक्रम के सामाजिक स्थिति पर प्रभाव में अपना मत देने से पहले उन्होंने एडवर्ड और उनकी पत्नी एलिजाबेथ के परिवार का अध्ययन किया जो कि (एडवर्ड और एलिजाबेथ) एक प्रतिष्ठित परिवार से संबंध रखते थे। जिनके वंशजों ने प्रतिष्ठित पदों पर कार्य किया और उनके वंशजों में से एक अमेरिका का उपराष्ट्रपति भी बना।

➡️6. वंशानुक्रम का चरित्र पर प्रभाव :-🧑🏼‍💼डगडेल का वंशानुक्रम का चरित्र पर प्रभाव पर मानना है कि चरित्रहीन माता-पिता की सन्तान चरित्रहीन होती है। और इसी प्रकार अच्छे चरित्र वाले माता पिता की संतानें भी अच्छी चरित्र वाली होती हैं।

डगडेल🧑🏼‍💼 ने वंशानुक्रम का चरित्र पर प्रभाव पर अपना विचार सन 1877 ई. में ज्यूकस के वंशजों का अध्ययन करके दिया था।

➡️7. वंशानुक्रम का महानता पर प्रभाव :-गाल्टन का वंशानुक्रम का महानता पर प्रभाव के बारे में सीधा मत है, कि व्यक्ति की महानता का कारण उसका वंशानुक्रम है।

व्यक्ति का कद, वर्ण, स्वास्थ्य, बुद्धि, मानसिक शक्ति आदि उसके वंशानुक्रम पर आधारित होते हैं। वंशानुक्रम का महानता पर प्रभाव में 🧑🏼‍💼गॉल्टन कहते हैं कि–,”

महान न्यायाधीशों, राजनीतिज्ञों, सैनिक पदाधिकारियों, साहित्यकारों, वैज्ञानिकों और खिलाड़ियों के जीवन चरित्रों का अध्ययन करने से ज्ञात होता है, कि इनके परिवारों में इन्हीं क्षेत्रों में महान कार्य करने वाले अन्य व्यक्ति भी हुए हैं।

– गाल्टन

➡️8. वंशानुक्रम का वृद्धि पर प्रभाव :-

गोडार्ड ने वंशानुक्रम का वृद्धि पर प्रभाव पर कहा है, कि मन्द बुद्धि माता-पिता की सन्तान मन्द बुद्धि और तेज बुद्धि के माता-पिता की सन्तान तीव्र वाली होती है।

🧑🏼‍💼कॉलसेनिक  केअनुसार,”जिस सीमा तक व्यक्ति की शारीरिक रचना को उसके पित्रैक निश्चित करते है।उसके मस्तिष्क एवम अन्य लक्षण खेल कूद सम्बंधी कुशलता और गणित सम्बन्धित योग्यता ये सभी बाते उसके वंशानुक्रम पर निर्भर होती है।

उपर्युक्त कथनों से पता चलता है कि व्यक्ति के शारीरिक तथा मानसिक विकास पर वंशानुक्रम का प्रभाव पड़ता है।📚📖📝 Notes by shikha Tripathi📚📚📚📚

🔆 बालक के विकास में वंशानुक्रम का प्रभाव :-

( Factor affecting of heredity in child development)

▪️बच्चों के विकास पर वंशानुक्रम का प्रभाव पड़ता है प्रारंभिक है एक बार माता-पिता या पूर्वजों से मिल जाने पर बदला नहीं जा सकता अर्थात यह पूर्वजो या माता-पिता से मिल जाने के बाद स्थिर हो जाते हैं लेकिन इनका प्रभाव या असर जीवन भर बना रहता है।

▪️व्यक्ति के व्यक्तित्व की प्रत्येक पहलू मतलब व्यक्ति के बोलने व्यवसाय करने ,उसकी शक्ति कार्य को करने के चरण या तरीके, महानता इन सभी बातों को वंशानुक्रम से जुड़ा जाता है।

▪️व्यक्ति के किसी भी विषय वस्तु पर की गई अभिव्यक्ति चाहे वह मौखिक हो या लिखित इससे उस व्यक्ति के संस्कार व परिवार का पता चलता है।

▪️व्यक्ति के व्यक्तित्व को जब हम देखते हैं तो प्रारंभिक रूप से वंशानुक्रम को प्रायिकता देते हैं इसके बाद वातावरण को।

▪️व्यक्तित्व के हर पहलू या कोई भी गतिविधि पर वंशानुक्रम का प्रभाव पड़ता है।

▪️वंशानुक्रम का बाल विकास पर प्रभाव कई रूपों में पड़ता है जिस पर कई मनोवैज्ञानिकों ने अपने मत प्रस्तुत किए है।

❇️ 1 मूल शक्तियों पर प्रभाव: – 

थोर्नडायक का मानना है कि बालक की मूल शक्तियों का प्रधान कारण उसका वंशानुक्रम है।

▪️हम देखते हैं कि हमें 

जो कुछ भी गुण या जीन जो हमें अपने माता-पिता या अन्य पूर्वज से मिले हैं वह स्थिर हो गए हैं, लेकिन जो भी वातावरण या पर्यावरण से  मिला है वह कभी भी स्थिर नहीं हुआ है।

▪️हमारे माता-पिता से मिले गुण या जो जीन है वो वातावरण  या पर्यावरण या परिस्थिति या समय अनुसार ही  ओवरलैप या अपडेट होते रहते हैं। अर्थात यह गुण वातावरण से प्रभावित होते हैं।

❇️ 2 शारीरिक लक्षणों पर प्रभाव: –

▪️कार्ल पीटरसन ने संदर्भ में कहा है कि

“अगर माता-पिता की लंबाई तो बच्चे की लंबाई भी कम या अधिक होती है।”

❇️ 3 प्रजाति की श्रेष्ठता पर प्रभाव:-

▪️किलनबर्ग का मत है कि

“बुद्धि की श्रेष्ठता का कारण प्रजाति है यही कारण है कि अमेरिका की स्वेत प्रजाति नीग्रो प्रजाति से श्रेष्ठ है।”

▪️भारत में भी हिंदू वर्ग के अंतर्गत जाति को चार आधार पर विभाजित किया गया ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र।

इन चारों ही वर्णों को कर्मों के आधार पर विभाजित किया गया

▪️जिसमें उच्च स्तर के कर्म ,सोच या विचार से कोई व्यक्ति कार्य करेगा तो उसका यह प्रभाव उनकी प्रजाति की आगे आने वाली पीढ़ी में दिखेगा।

▪️इसी प्रकार किलन वर्ग ने यह उदाहरण देकर  बताया या समझाया कि अमेरिका के जो प्रजाति के लोग है उनका कुछ अलग वातावरण,अलग स्तर, अलग तरह का रहन-सहन, अलग तरह का खान पान होगा जिससे उनकी आगे आने वाली पीढ़ी में भी यह प्रभाव रहा होगा।

▪️जबकि दूसरी ओर नीग्रो प्रजाति का अलग वातावरण, अलग स्तर ,अलग रहन-सहन या अलग खानपान रहा होगा जिससे उनकी आगे आने वाली प्रजाति में इसका प्रभाव रहा होगा।

▪️इसी आधार पर उन्होंने श्वेत प्रजाति को नीग्रो प्रजाति से श्रेष्ठ बताया।

❇️ 4 व्यवसायिक योग्यता का प्रभाव :- 

▪️व्यवसायिक योग्यता भी किसी न किसी रूप में वंशानुक्रम से आती है यदि हमारे माता-पिता या किसी पूर्वज में व्यवसाय का वह गुण है तो इसे हमारे अंदर भी है देखा जा सकता है।

▪️इस संदर्भ में कैटल का विचार है कि

▪️व्यवसायिक योग्यता का मुख्य कारक वंशानुक्रम है।

▪️यदि हम कभी किसी चीज को अपनाते हैं स्वीकारते हैं तो इसीलिए कि वह हमारी जो वर्तमान परिस्थिति है या समय है उसके अनुकूल है जिसके लिए हम उसे अपनाते हैं, लेकिन कहीं ना कहीं हमारे अंदर वंशानुक्रम कि वह योग्यता रह जाती है जो पहले के वातावरण या परिस्थिति या उस समय में नहीं थी मतलब वैसी सोच ,वैसी समझ जो कि अब नहीं है।

▪️कैटल ने उस निष्कर्ष पर अमेरिका के 885 वैज्ञानिकों के परिवार का अध्ययन करके पहुंचे और उन्होंने बताया कि इन परिवारों में से

      🔸 2/5 व्यवसायिक वर्ग के

      🔸1/2 उत्पादक वर्ग के

      🔸1/4 कृषि वर्ग के थे।

❇️ 5 सामाजिक स्थिति पर प्रभाव :- 

▪️विनशिप का कहना है कि

“गुणवान और प्रतिष्ठित माता-पिता की संतान प्रतिष्ठा प्राप्त करती हैं।”

▪️जिसमें इन्होंने रिचर्ड एडवर्ड पर अध्ययन किया ।

▪️इस अध्ययन में उन्होंने रिजल्ट और उनकी पत्नी एलिजाबेथ पर अध्ययन किया यह दोनों ही प्रतिष्ठित थी और उनकी जो संतान हुई वह भी प्रतिष्ठित हुई जिसमें कई संतान विधानसभा में सदस्य, महाविद्यालय के अध्यक्ष व अमेरिका के उपराष्ट्रपति रहे।

योन का एक वास्तविक अध्ययन था उन्होंने इसे इसके माध्यम से पेश किया।

❇️ 6 चरित्र का प्रभाव :-

▪️डगडेल का कथन है कि

“डगडेल का वंशानुक्रम का चरित्र पर प्रभाव पर मानना है कि चरित्रहीन माता-पिता की सन्तान चरित्रहीन होती है। और इसी प्रकार अच्छे चरित्र वाले माता पिता की संतानें भी अच्छी चरित्र वाली होती हैं।”

▪️डगडेल ने वंशानुक्रम का चरित्र पर प्रभाव पर अपना विचार सन 1877 ई. में ज्यूकस के वंशजों का अध्ययन करके दिया था।

▪️ज्यूक एक भ्रष्ट आचरण वाला व्यक्ति था उसने अपनी ही जैसी स्त्री के साथ विवाह किया। जिससे उसकी पांच पीढ़ी में 1000 व्यक्ति का जन्म हुआ 1000 व्यक्तियों के अध्ययन पर देखा गया कि

300 व्यक्तियों की – शैशवाकाल आयु लोगो की मृत्यु हो गई।

440 व्यक्ति – रोगग्रस्त

130 व्यक्ति- कई अपराधी

20 व्यक्ति – कुछ व्यवसाय सीख रहे थे।

✳️7. वंशानुक्रम का महानता पर प्रभाव :-

▪️गाल्टन का वंशानुक्रम का महानता पर प्रभाव के बारे में सीधा मत है, कि व्यक्ति की महानता का कारण उसका वंशानुक्रम है।

▪️व्यक्ति का कद, वर्ण, स्वास्थ्य, बुद्धि, मानसिक शक्ति आदि उसके वंशानुक्रम पर आधारित होते हैं। वंशानुक्रम का महानता पर प्रभाव में गॉल्टन कहते हैं कि–

▪️महान न्यायाधीशों, राजनीतिज्ञों, सैनिक पदाधिकारियों, साहित्यकारों, वैज्ञानिकों और खिलाड़ियों के जीवन चरित्रों का अध्ययन करने से ज्ञात होता है, कि इनके परिवारों में इन्हीं क्षेत्रों में महान कार्य करने वाले अन्य व्यक्ति भी हुए हैं।

✳️8. वंशानुक्रम का वृद्धि पर प्रभाव :-

▪️गोडार्ड ने वंशानुक्रम का वृद्धि पर प्रभाव पर कहा है, कि मन्द बुद्धि माता-पिता की सन्तान मन्द बुद्धि और तेज बुद्धि के माता-पिता की सन्तान तीव्र बुद्धि वाली होती है।

▪️गोडार्ड ने कालीकाक के सैनिक वंशज पर अध्ययन किया।

▪️इसमें कालीकॉक दो स्त्रियों से विवाह किया जिसमें एक स्त्री मंदबुद्धि तथा दूसरी स्त्री तीव्र बुद्धि वाली थी।

▪️मंदबुद्धि स्त्री की 480 वंशज मे अध्यन कर यह देखा गया कि

143व्यक्ति- मंदबुद्धि

46व्यक्ति -सामान्य

36 व्यक्ति-अवैध

32व्यक्ति -चरित्रहीन

24व्यक्ति- शराबी

8व्यक्ति -चरित्रहीन संस्था के संस्थापक

3व्यक्ति -मिर्गी रोगी थे।

▪️तीव्र बुद्धि वाली स्त्री की 496 वंशजों में अध्ययन कर यह देखा गया कि

 3 व्यक्ति – मंदबुद्धि

और बाकी सभी व्यक्ति-  बिजनेसमैन, डॉक्टर ,शिक्षक, वकील और सामान्य थे।

उपरोक्त कथनों से स्पष्ट रूप से पता चलता है कि व्यक्ति के शारीरिक तथा मानसिक विकास पर वंशानुक्रम का प्रभाव पड़ता है।

✍🏻

Notes By-‘Vaishali Mishra’

🦚 बालक के विकाश में 

वंशानुक्रम का प्रभाव🦚 

बालक के विकाश में वंशानुक्रम का  प्रभाव कई प्रकार से देखने को मिलता है शारिरीक मानशिक  ,व्यवहारिक कई प्रकार से देखने को मिलता है।

इस प्रकार कई प्रभाव है-

🌲मूल शक्तियो का प्रभाव- बालक कि मुल शक्तियो का प्रमुख कारण उसका वंशानुक्रम ही है,मुल शक्तियो पर भी वंशानुक्रम का प्रभाव पड़ता है।

🌲 शारिरीक लक्षणों पर प्रभाव – शारिरीक लक्षणों पर भी वंशानुक्रम का षप्रभाव पड़ता है  माता-पिता की लंबाई कम है तो उनके बच्चे कि भी लंबाई कम होगी अगर माता-पिता की लंबाई अधिक है तो उनकी संतान कि लंबाई भी अधीक होगी ।

यह कथन कार्ल पिटरसन ने कहा है।

🌲 प्रजाति की श्रेष्ठता पर प्रभाव –  मनुष्य कि श्रेष्ठता का प्रभाव बुध्दी पर भी पड़ता है वातावरण का तो पड़ता है ही प्रजाति की श्रेष्ठता पर भी पड़ता है।

क्लिनबर्ग के अनुसार- बुध्दी की श्रेष्ठता का कारण प्रजाति है यहि कारण  है कि अमेरिका की  श्वेत प्रजाति निग्रो प्रजाति से श्रेष्ठ है।

🌲 व्यवसायिक योग्यता का प्रभाव – व्यवसायिक योग्यता का भी प्रभाव बालक के विकाश पर भी पड़ता है ।

जैसे- बड़ई के बेटे बड़ई के गुण तथा शिक्षक के बच्चे में शिक्षक जैसे गुण।इस प्रकार व्यवसाय का भी प्रभाव पड़ता है।

कैटल ने अपने मत दिये है कि- व्यवसायिक योग्यता का मुख्य कारण वंशानुक्रम हैं।

वह इस निष्कर्ष पर अमेरिका के 885 वैज्ञानिक परिवार का अध्यन करके पहुंचे और उन्होने बताया कि परिवार में से 2/5 व्यवसायिक वर्ग के  1/2 उत्पाद वर्ग के  और केवल 1/4 कृषि वर्ग के।

🌲 सामाजिक स्थिती का प्रभाव – सामाजिक स्थिती का भी प्रभाव बालक के विकाश पर भी पड़ता है अगर गुणवान माता-पिता है तो उनकि संतान भी गुणवान होगी।

विनशिप के अनुशार- एडवर्ड और उनकी पत्नी (एलीजाबेथ) एक अच्छे परिवार से थे । जिनके वंशजो ने प्रतिष्ठा परिवार पदो पर कार्य किया और उनके वंशजो में से एक विधान सभा के सदस्य महाविधान  सभा के अध्यक्ष और अमेरिका के उपराष्ट्पति बने।

🌲 चरित्र पर प्रभाव- बालक के विकाश पर चरित्र का भी प्रभाव पड़ता है, अगर माता-पिता का चरित्र अच्छा है तो उनकी संतान का भी चरित्र अच्छा होगा। कुछ मनोवैज्ञानिक के अनुशार-

डगडेल के अनुशार- चरित्रहीन माता-पिता कि संतान भी चरित्रहीन होती है।

🌲 महानता का प्रभाव- महानता का प्रभाव व्यक्ति के शारिरीक मानशिक लक्षणों पर भी प्रभाव पड़ता हैं ।

गाल्टन का मत है कि- महानता का कारण उसका वंशानुक्रम है। यह वंशानुक्रम का हि प्रभाव व्यक्तियों की शारिरीक मानशिक लक्षणों में विभीन्नताएं पायी जाति है।व्यक्ति का कद वर्ण स्वास्थ्य  बुध्दी मानशिक शक्ति यह  सब वंशानुक्रम पर आधारित होते हैं। 

🌲 वृध्दी का प्रभाव- बालक के विकाश में वृध्दी का भी प्रभाव पड़ता है।

गोडार्ड के अनुशार मंद बुध्दी माता-पिता की संतान मंद बुध्दी बुध्दीमान माता-पिता कि संतान भी बुध्दीमान ।

काल्सनिक के अनुशार- व्यक्ति के  शारिरीक मानशिक चरित्र पर पित्रक का प्रभाव पड़ता है वंशानुक्रम का भी प्रभाव। पड़ता है।

कालीकाक – ने दो स्त्रीयों से सादी की पहली पत्नी मंद बुध्दी की तथा दूसरी पत्नी तीवृ बुध्दी की।

पहली पत्नी का वंशज 480 रहा उसमें से 143 मंद बुध्दी 46सामान्य 36अवैध 32चरित्रहीन 24शराबी 8चरित्रहीन संस्था के संस्थापक 3मृगी रोग हुए 3 अपराधि हुए।

दूसरी पत्नी के 496वंशज 3मंद बुध्दी  बाकि के शिक्षक वकिल डाक्टर बिजनेशमैंन सम्मानिय थे।

Notes by _Puja Murkhe

🏵🏵बालक के विकास में वंशानुक्रम का प्रभाव🏵🏵

🌲मूल शक्तियों पर प्रभाव ➖

🖊थार्नडाइक का मानना है कि ➖बालक की मूल शक्ति का प्रधान कारण उसका वंशानुक्रम है

बच्चों में जो मूल शक्ति प्रदान होती है वह है अपने पूर्वजों से माता-पिता द्वारा प्राप्त होती हैं और माता-पिता से संतानों में आते हैं

🌲शारीरिक  लक्षणों पर प्रभाव ➖🖊 कार्ल पीटरसन ने कहा ➖माता-पिता की लंबाई कम या अधिक होती है तो बच्चों की लंबाई भी कम और अधिक होगी जिसके माता-पिता की लंबाई जिस प्रकार की होती है उनकी बच्चों की लंबाई भी उसी प्रकार से होती है शरीर का बनावट जिस प्रकार का होगा बालक का आकार और बनावट भी उसी प्रकार का होगा

🌲प्रजाति की श्रेष्ठता पर प्रभाव ➖🖊विलनवर्ग का मत है कि➖ बुद्धि की योग्यता का कारण प्रजाति जाती हैं यदि यही कारण है कि अमेरिका की शोध प्रजाति नीग्रो प्रजाति से श्रेष्ठ है प्रजाति का प्रभाव पीढ़ी दर पीढ़ी चलता जाता है जो लोग इस प्रजाति के होंगे वह प्रजाति पीढी दर पीढ़ी चलती जाती है जैसे पूर्वजों ब्राह्मण ,क्षत्रिय ,वैश्य प्रजाति के लोग होते हैं तो उनके जो बच्चे होंगे वह ऐसी प्रजाति के माने जाएंगे और उसी प्रजाति का पालन करते हैं अनुवांशिकता में इसका प्रभाव पड़ता है

🌲व्यावसायिक योग्यता का प्रभाव ➖🖊कैटल के विचार द्वारा➖ व्यवसाय योग्यता का मुख्य कारण वंशानुक्रम है अपने पूर्वज जो कार्य करते हैं उसका प्रभाव बच्चों पर पड़ता है बच्चा भी उसी व्यवसाय को आगे बढ़ाता है और इसका प्रभाव बच्चों पर जरूर ही पड़ता है भले ही वह नौकरी करें या कुछ भी कार्य करें लेकिन जो कार्य उनके पूर्वज करते हैं और उसका मन उस कार्य में अवश्य ही लगने लगता है और उसी कार्य को वह आगे  बढ़ाने लगते हैं

🌲सामाजिक स्थिति पर प्रभाव➖🖊 विनशिप का कहना है कि ➖गुणवान और प्रतिष्ठित माता-पिता की जो संतान होती है वही वही गुणवान और प्रतिष्ठित होती है समाज में उनकी प्रतिष्ठा ज्यादा होती है और समाज के लोगों द्वारा ज्यादा प्रतिष्ठा प्राप्त होती है जिनके माता-पिता का सम्मान ज्यादा होता है समाज में  होने के बच्चों का भी  सम्मान ज्यादा होता है

🖊📂विपशिप 

 ने रिचर्ड वर्ड पर अध्ययन ➖किया है उन्होंने रिचर्डवर् की पत्नी एलिजाबेथ थी उनकी जो संतान हुई वह प्रतिष्ठित हुई उन्हें प्रतिष्ठा प्राप्त हुई कोई विधानसभा सदस्य बने तो कोई विधि महाविद्यालय के अध्यक्ष है और कोई अमेरिका के राष्ट्रपति बने इससे यह ज्ञात होता है कि माता-पिता की समाज में जिस प्रकार की स्थिति होती है उसी प्रकार के उनके बच्चे होते हैं

🌲चरित्र पर प्रभाव ➖🖊डगडील➖ का कथन है कि चरित्रहीन माता पिता की संतान चरित्रहीन होती है और चरित्रवान माता-पिता की संतान चरित्रवान

लेकिन देखा जाए तो वंशानुक्रम का काम वातावरण का ज्यादा प्रभाव पढ़ रहा है वर्तमान समय में।

🌲महानता का प्रभाव ➖🖊गार्डन का विचार है कि ➖महानता का कारण उसका वंशानुक्रम है यह वंशानुक्रम का ही प्रभाव है कि व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक लक्षणों में विभिन्नता पाई जाती है व्यक्ति का कद, स्वास्थ्य,शक्ति वृद्धि ,मानसिक ,वृद्धि सब वंशानुक्रम पर आधारित होता है

🌲बुद्धि का प्रभाव➖🖊 गोडार्ड के अनुसार➖ तेज बुद्धि वाले माता-पिता की संतान तेज होती है और मंद बुद्धि वाले माता-पिता की संतान मंदबुद्धि की होती है बुद्धि पर वंशानुक्रम का प्रभाव बहुत ही पड़ता है

📁 इन्होंने कालीकाक के वंशज पर अध्ययन किया

कालिका अपने दो शादी की थी पहली स्त्री मंदबुद्धि की थी और दूसरी स्त्री स्त्री तेज बुद्धि की थी 

🌺मंदबुद्धि स्त्री की 480 वंशज थे और 

🌺दूसरी स्त्री के 496 वंशज थे

🌺मंद बुद्धि स्त्री के वंशज ➖इस प्रकार हुए 143 मंदबुद्धि ,

46 सामान्य बुद्धि 

36 अवैध संतान

 32चरित्रहीन 

24 शराबी

 8 चरित्रहीन 

3अवैध 

और मृगरोगी हुए

🌺तीव्र बुद्धि स्त्री के वंशज➖ इस प्रकार हुए जिसमें 496 में से तीन मंद बुद्धि के और बाकी सब अच्छी बुद्धि के और अच्छे पद पर कार्य करने वाले बच्चे हुए जिसमें कोई वकील के ,डॉक्टर ,शिक्षक ,इंजीनियर अनेक पदों पर गए

 Notes by sapna yadav 🏵🏵🏵🏵

🔆 बालक के विकास पर वंशानुक्रम का प्रभाव➖

1) मूल शक्तियों पर प्रभाव

2) शारीरिक लक्षणों पर प्रभाव

3) प्रजाति की श्रेष्ठता पर प्रभाव

4) व्यवसायिक योग्यता का प्रभाव

5) सामाजिक स्थिति पर प्रभाव

6) चरित्र पर प्रभाव

7) महानता का प्रभाव

8) वृद्धि का प्रभाव

🎯 मूल शक्तियों पर प्रभाव➖

थार्नडाइक का मानना है कि बालक की मूल शक्तियों का प्रधान या मुख्य कारण उसका वंशानुक्रम ही है  | क्योंकि व्यक्ति को जो वंशानुक्रम से गुण प्राप्त होते हैं वह स्थाई होती हैं |

🎯शारीरिक लक्षणों पर प्रभाव➖

कार्लपिटरसन के अनुसार अगर माता-पिता की लंबाई कम या अधिक होती है तो बच्चे की लंबाई भी कम या अधिक होती है |

🎯 प्रजाति की श्रेष्ठता का प्रभाव ➖

 क्लिनवर्ग का मत है कि बुद्धि  की श्रेष्ठता का कारण प्रजाति है यही कारण है कि अमेरिका की श्वेत प्रजाति निग्रो प्रजाति से श्रेष्ठ है |

🎯व्यवसायिक योग्यता का प्रभाव➖

कैटल ने कहा कि “व्यवसायिक योग्यता का मुख्य कारक वंशानुक्रम है |”

                              वह   इस निष्कर्ष पर अमेरिका के 885  वैज्ञानिकों के परिवार का अध्ययन करने पहुंचे |

इस अध्ययन में उन्होंने पाया कि इन परिवारों में से 2/5 व्यवसायिक वर्ग के, 1/2 उत्पादक वर्ग के और केवल 1/4 कृषि वर्ग के थे |

🎯 सामाजिक स्थिति पर प्रभाव ➖

 “विनशिप”  का कहना है कि गुणवान और प्रतिष्ठित माता-पिता की संतान प्रतिष्ठा प्राप्त करती है |

                 इस कथन की पुष्टि करने के लिए विनशिप ने रिचर्ड एडवर्ड के परिवार का अध्ययन किया जिसमें एडवर्ड  और उनकी पत्नी  एलिजाबेथ थी जोकि बहुत प्रतिष्ठित थे |

   जिससे उनकी संतान ने भी  बहुत प्रतिष्ठा प्राप्त की, जिसमें से कुछ विधानसभा के सदस्य कुछ महाविद्यालय के अध्यक्ष और कुछ अमेरिका के राष्ट्रपति हुए |

🎯 चरित्र पर प्रभाव ➖

डगडेल का कहना है कि “चरित्रहीन माता पिता की संतान चरित्रहीन होते हैं |”

        इस कथन की पुष्टि करने के लिए उन्होंने 1877  में ज्यूकस नामक व्यक्ति  के परिवार पर अध्ययन किया |

 जिसके अंतर्गत उनकी पांच पीढ़ी चरित्रहीन थी जिसमें 1000 व्यक्ति थे ,,,,  उसमें से 300 की बाल्यावस्था में मृत्यु हो गई,,,   310 दरिद्रग्रह में,,,,,  440 रोग के कारण,,,,    130 पर हत्या करने के आरोप का मुकदमा चलाया गया,,,तथा 20 व्यक्तियों ने व्यवसाय किया |

🎯 महानता का प्रभाव➖

गाल्टन का विचार है कि” महानता का कारण उसका वंशानुक्रम है |”

 यह वंशानुक्रम का ही प्रभाव है कि व्यक्तियों के शारीरिक और मानसिक लक्षणों में विविधता पाई जाती है व्यक्ति का कद, वर्ण(रंग) ,स्वास्थ्य ,बुद्धि और मानसिक शक्ति सब कुछ वंशानुक्रम पर आधारित होते हैं |

🎯 वृद्धि पर प्रभाव➖

गोडार्ड का विचार है कि “मंदबुद्धि माता पिता होने पर संतान भी मंदबुद्धि होती है और तीव्र बुद्धि माता-पिता होने पर उनकी संतान भी तीव्र बुद्धि की होती है |”

       इस कथन को स्पष्ट करने के लिए उन्होंने कॉलिकाॅक  नामक सैनिक के वंशज का अध्ययन किया जिसमें काॅलिकाॅक ने दो विवाह किया था  |

जिसमें से एक पत्नी मंदबुद्धि और दूसरी पत्नी तीव्र बुद्धि की थी |

जिसमें उनकी  मंदबुद्धि पत्नी के 480 वंशज में से     140 मंदबुद्धि ,,,  46 सामान्य,,,,   36 अवैध संतान ,,,,   32 चरित्रहीन 24 चरित्रहीन  संस्था के संस्थापक तथा ,,,,,,  3 मृगी रोग से ग्रसित,,, तथा 3 अपराधी हुए |

 एवं  तीव्र बुद्धि वाली पत्नी के 496 वंशज में से  3 मंदबुद्धि  और बाकी व्यवसाय,,, शिक्षक /शिक्षिका ,,,,वकील  आदि सम्मानित व्यक्ति हुए |

नोटस बाय ➖रश्मि सावले

🌸🌺🍀🌼🌻🌸🍀🌼🌻🌸🌺🍀🌼🌻

☘️🌼 बालक के विकास में वंशानुक्रम का प्रभाव🌼☘️

(Effect of Heredity in child development)

1-🌼 मूल शक्तियों का प्रभाव➖ थार्नडाइक का मत हैं,कि बालक की मूल शक्तियों का प्रभाव उसका वंशानुक्रम है।

2-शारीरिक लक्षणों पर प्रभाव➖

कार्ल पीयरसन का मत है ,कि यदि माता-पिता की लंबाई कम या अधिक होती है तो उनके बच्चों की भी लंबाई कम अधिक होती है।

3-🌼 प्रजाति की श्रेष्ठता पर प्रभाव➖ क्लिनबर्ग का  मत हैं कि बुद्धि की श्रेष्ठता का कारण प्रजाति है यही कारण है कि अमेरिका के श्वेत प्रजाति निग्रो प्रजाति से श्रेष्ठ है।

4-🌼 व्यवसायिक  योग्यता का प्रभाव ➖कैटल का विचार है की व्यवसायिक योग्यता का मुख्य कारक वंशानुक्रम है, वह इस निष्कर्ष पर अमेरिका के 885 वैज्ञानिकों के परिवार का अध्ययन करके पहुंचे। उन्होंने बताया कि इन परिवारों में से 2/5  व्यवसायी – वर्ग के,1/2 उत्पादक- वर्ग के और केवल 1/4 कृषि-वर्ग के थे।

5-🌼 सामाजिक स्थिति पर प्रभाव➖विनशिप आप कहना है गुणवान और प्रतिष्ठित माता-पिता की संतान प्रतिष्ठा प्राप्त करती  हैं।

☘️ रिचर्ड  एडवर्ड ➖ उनकी पत्नी एलीजाबेल एक प्रतिष्ठित थे, और उनकी संतान भी प्रतिष्ठित हुए उनकी संतान भी विधानसभा के सदस्य, महाविद्यालय में अध्यक्ष और अमेरिका के उपराष्ट्रपति बने।

6-🌼 चरित्र पर प्रभाव➖ डगडेल का मत है कि चरित्रहीन माता पिता की संतान चरित्रहीन होती है। न्यूयॉर्क में जन्म लेने वाला ज्यूकस एक चरित्रहीन मनुष्य था और उसकी पत्नी भी उसके समान चरित्रहीन थी इन दोनों के वंशजों के संबंध में नन ने लिखा है-

☘️”5 पीढ़ियों में लगभग 1000 व्यक्तियों में से 300 बाल्यावस्था में मारे गए, 310 ने 2,300 दरिद्रगृहों में व्यतीत किए, 440 रोग के कारण मर गए, 130 दंड प्राप्त अपराधी थे और केवल 20 ने कोई व्यवसाय करना सीखा”।

7-🌼 महानता का प्रभाव➖डाल्टन का विचार है कि महानता का कारण उसका वंशानुक्रम है यह वंशानुक्रम का ही प्रभाव है कि व्यक्तियों में शारीरिक और मानसिक लक्षणों में भिन्नता पाई जाती है व्यक्ति का कद, वर्ण, स्वास्थ्य, बुद्धि, मानसिक शक्ति, वजन सब वंशानुक्रम पर आधारित है।

8-🌼 वृद्धि का प्रभाव➖ गोडार्ड का मत है कि मंद -बुद्धि पिता के संतान मंदबुद्धि और तीव्र बुद्धि वाली माता पिता के संतान तीव्र बुद्धि वाले होते हैं।

☘️ कालीकाॅक नामक एक सैनिक के वंशजों का अध्ययन करके सिद्ध की ।उन्होंने सबसे पहले एक मंदबुद्धि स्त्री से और कुछ समय के बाद एक तीव्र बुद्धि की स्त्री से विवाह किया। पहले स्त्री के 480 वंशजों में से 143 मंदबुद्धि, 46 सामान्य, 36 अवैध संतान, 32 वेश्यायें, 24 शराबी, 8 वेश्यालय- स्वामी,3मृगी रोगी वाले और 3 अपराधी थे। दूसरी स्त्री के 496 वर्षों में से केवल तीन मंदबुद्धि और चरित्रहीन थे।शेष ने व्यवसायियों ,डॉक्टरों, शिक्षकों, वकीलों आदि के रूप में समाज में सम्मानित स्थान प्राप्त किया।

✍🏻📚📚 Notes by….. Sakshi Sharma📚📚✍🏻

🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻

 🌈मूल शक्तियों का प्रभाव― बालक की मूल शक्तियां उनके पूर्वजों के द्वारा जीन के माध्यम से स्थानांतरित होती है।    

👉थार्नडाइक का मानना है कि बालक की मूल शक्तियों का प्रधान कारण उसका वंशानक्रम है।

🌈शारीरिक लक्षणों पर प्रभाव― किसी बालक कुछ शारीरिक लक्षण जैसे कि माता पिता की लंबाई और भी कई चीज़े होती है जो माता पिता से बच्चे में प्रभाव देखने को मिलता है।

👉कार्लपीटरसन ने कहा कि अगर माता पिता की लंबाई कम या अधिक है।तो बच्चे की लंबाई भी अधिक होती है।

🌈प्रजाति की श्रेष्ठता पर प्रभाव– जैसे कि किसी बालक की वंशानुक्रम का प्रजातियों की श्रेष्ठता पर गहरा प्रभाव पड़ता है।

।👉 क्लिसन वर्ग का मत है कि बुद्धि की श्रेष्ठता का कारण है प्रजाति है। यही कारण है कि अमेरिका की श्वेत प्रजाति नीग्रो प्रजाति से श्रेष्ठ है।

🌈व्यावसायिक योग्यता का प्रभाव― जैसे कि कहा जाता है कि कुछ व्यवसाय ऐसे होते है जो पारम्परिक होते हैं जो पूर्वजो के समय से करते आ रहे हैं और आगे आने वाली पीढ़ी भी वही व्यवसाय करती है बस थोड़ा वातावरण के प्रभाव पर उसे थोड़ा अलग तरीके से करते हैं।

👉 कैटल ने विचार है व्यवसाय योग्यता का मुख्य कारक वंशानुक्रम है।

    वह इस निष्कर्ष पर अमेरिका के 885 वैज्ञानिकों के परिवार का अध्ययन करके पहुचे । उन्होंने बताया कि इन परिवारों में से 2/5 व्यवसायी वर्ग के,1/2 उत्पादक वर्ग के और केवल 1/4 कृषि वर्ग के थे।

🌈सामाजिक स्थिति पर

 प्रभाव―   

   🌻💥 विनशिप का कहना है कि गुणवान और प्रतिष्ठित माता – पिता की संतान प्रतिष्ठा प्राप्त करती है।

   इन्होंने रिचर्ड एडवर्ड पर अपना अध्ययन किया था इनकी पत्नी एलिज़ाबेथ थी। ये दोनों ही प्रतिष्ठित व्यक्ति थे ।तो इनसे प्राप्त संताने भी प्रतिष्ठित हुई। जिनमे से कुछ विधानसभा के सदस्य हुए कुछ महाविद्यालय के अध्यक्ष हुए और अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में भी प्रतिष्ठा प्राप्त की।

🌈चरित्र पर प्रभाव― एक बच्चे पर उसके माता पिता तथा पूर्वजो के चारित्र का भी प्रभाव देखा जाता है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए  ” डगडेल ने कहा”है कि चरित्र हीन माता पिता की संताने चरित्र हीन होते हैं। इसका अध्ययन1877 में ज्यूकस पर किया गया था।

🌈महानता का प्रभाव―  गॉल्टन का विचार है कि महानता का कारण उसका वंशानुक्रम है। यह वंशानुक्रम का ही प्रभाव है कि व्यक्तियों के शारीरिक और मानसिक लक्षणों में विभिन्नता पाई जाती है। व्यक्ति का कद,वर्ण,स्वास्थ्य, बुद्धि, मानसिक शक्ति सब वंशानुक्रम पर आधारित होते हैं।

🌈वृद्धि का प्रभाव― 

  👉गोडार्ड का विचार है कि मंद बुद्धि माता पिता की संतान मंद तथा तीब्र माता पिता की संतान तीब्र होती है।

  इन्होंने अपने प्रयोग कॉलीकॉक नाम का एक सैनिक था उसके वंशज पर उन्होंने अध्ययन किया।

 कॉलिकॉक की दो पत्नी थी जिसमे से एक मंदबुद्धि वाली थी और दूसरी तीब्र बुद्धि वाली थी। जिसमे की मन्द बुध्दि वाली से 480 वंशज हुए जिनमे से 143 मंद,46 सामान्य,36 अवैध ,32 चरित्र हीन,24 शराबी ,8 चरित्रहीन संस्था के संस्थापक हुए और 3 मृगी रोगी , 3 अपराधी हुए।  और दूसरी जो तीब्र बुद्धि वाली थी उससे 496 वंशज मिले  जिनमे 3 मंद बुद्धि वाले थे और बाकी के बिजनेस मैन ,डॉक्टर, वकील, शिक्षक  आदि से सम्मानित हुए।

💥💥💥💥💥💥💥💥Notes by Poonam sharma🌻🌻🌻🌻🌻

🌈बालक के विकास में वंशानुक्रम का प्रभाव🌈

💥1- मूल शक्तियों पर प्रभाव – थार्नडाइक का मानना है कि बालक की मूल शक्तियों का प्रधान कारण उसका वंशानुक्रम है।

💥2- शारीरिक लक्षणों पर  प्रभाव -काल्र पीटरसन ने कहा कि अगर माता-पिता की लंबाई कम या अधिक होती है तो बच्चे की लंबाई भी कम या अधिक होती है।

💥3- प्रजाति की श्रेष्ठता पर प्रभाव – क्लिनबर्ग का मत है कि बुद्धि की श्रेष्ठता का कारण प्रजाति ही है यही कारण है कि अमेरिका की श्वेत  प्रजाति नीग्रो प्रजाति से श्रेष्ठ है।

💥4- व्यवसायिक योग्यता का प्रभाव – कैटल का  विचार है कि व्यवसायिक योग्यता का मुख्य कारक वंशानुक्रम है।

🌟 वह उस निष्कर्ष पर अमेरिका के 885 वैज्ञानिकों के परिवार का अध्ययन करके पहुंचे उन्होंने बताया कि इन परिवार में से 2/5 व्यवसाई वर्ग के ,1/2 उत्पादक वर्ग के और केवल 1/4 कृषि वर्ग के थे।

💥5- सामाजिक स्थिति पर प्रभाव –  विनशिप का कहना है कि गुणवान और प्रतिष्ठित माता-पिता की संतान प्रतिष्ठा प्राप्त करती है विनशिप ने रिचर्ड एडवर्ड पर अध्ययन किया। 

🌟जो विधानसभा के सदस्य ,महाविद्यालय के अध्यक्ष, अमेरिका के उप राष्ट्रपति थे।

💥6 – चरित्र पर प्रभाव – डगडेल का कथन है कि चरित्रहीन माता -पिता की संतान चरित्रहीन होते हैं।1877 मे ज्यूकस के वंशज पर अध्ययन किया।

💥 7-  महानता का प्रभाव – गाल्टन का विचार है कि महानता का कारण उसका वंशानुक्रम है यह वंशानुक्रम का ही प्रभाव है कि व्यक्तियों के शारीरिक और मानसिक लक्षणों में विभिन्नता पाई जाती है कि व्यक्ति का कद, वण्, स्वास्थ्य, बुद्धि, मानसिक शक्ति सब वंशानुक्रम पर आधारित होते हैं।

💥8 – वृद्धि का प्रभाव  – गोडार्ड का विचार है कि मंद माता पिता के बच्चे मंद होते हैं तीव्र माता पिता के बच्चे तीव्र होते हैं गोडार्ड ने कालिकॉक पर अध्ययन किया।

📝 notes by suchi Bhargav………🖊️🖊️🖊️🖊️🖊️

🤰🏻🤰🏻 बालक के विकास में वंशानुक्रम का प्रभाव🤱🏻👩🏻‍🍼

(Effect of Heredity in child development)

1- 💪🏻🤝🏻मूल शक्तियों का प्रभाव➖ THORNDYKE का मत हैं,कि बालक की मूल शक्तियों का प्रभाव उसका वंशानुक्रम है।

2-☠️💀शारीरिक लक्षणों पर प्रभाव➖

CARL PEARSON का मत है ,कि यदि माता-पिता की लंबाई कम या अधिक होती है, तो उनके बच्चों की भी लंबाई कम या अधिक होती है।

3-🥸 प्रजाति की श्रेष्ठता पर प्रभाव➖ CLINBURG का  मत हैं ,कि बुद्धि की श्रेष्ठता का कारण प्रजाति है। यही कारण है कि अमेरिका के श्वेत प्रजाति, निग्रो प्रजाति से श्रेष्ठ है।

4-💂🏻‍♀️🕵🏻‍♀️👩🏻‍🏫👩🏻‍💻👩🏻‍🔬👸🏻👩🏻‍⚖️व्यवसायिक  योग्यता का प्रभाव ➖CAITAL का विचार है, की व्यवसायिक योग्यता का मुख्य कारक वंशानुक्रम है। वह इस निष्कर्ष पर अमेरिका के 885 वैज्ञानिकों के परिवार का अध्ययन करके पहुंचे। उन्होंने बताया कि इन परिवारों में से 2/5  व्यवसायी – वर्ग के,1/2 उत्पादक- वर्ग के और केवल 1/4 कृषि-वर्ग के थे।

5- 🤓🧐सामाजिक स्थिति पर प्रभाव➖VINSHIP आप कहना है, कि गुणवान और प्रतिष्ठित माता-पिता की संतान प्रतिष्ठा प्राप्त करती  हैं।

RECHURD ADBERD🧑🏻‍✈️ AND ALIZABETH👰🏻‍♀ एक प्रतिष्ठित दंपति थे और उनकी संतान भी प्रतिष्ठित हुए । उनकी संतान विधानसभा के सदस्य, महाविद्यालय में अध्यक्ष और अमेरिका के उपराष्ट्रपति बने।

6-🫂 चरित्र पर प्रभाव➖ DOGDEL का मत है कि चरित्रहीन माता पिता की संतान चरित्रहीन होती है। न्यूयॉर्क में जन्म लेने वाला ज्यूकस🤢 एक चरित्रहीन मनुष्य था और उसकी पत्नी भी उसके समान चरित्रहीन थी इन दोनों के वंशजों के संबंध में लिखा है-

“5 पीढ़ियों में लगभग 1000 व्यक्तियों में से 300 बाल्यावस्था में मारे गए, ,300 दरिद्रगृहों में व्यतीत किए, 440 रोग के कारण मर गए, 130 दंड प्राप्त अपराधी थे और केवल 20 ने कोई व्यवसाय करना सीखा”।

7- 👳🏻‍♀️महानता का प्रभाव➖ DALTON का विचार है कि महानता का कारण उसका वंशानुक्रम है। यह वंशानुक्रम का ही प्रभाव है कि व्यक्तियों में शारीरिक और मानसिक लक्षणों में भिन्नता पाई जाती है। व्यक्ति का कद, वर्ण, स्वास्थ्य, बुद्धि, मानसिक शक्ति, वजन सब वंशानुक्रम पर आधारित है।

8- 🧍🏻‍♀️वृद्धि का प्रभाव➖ GODARD का मत है कि मंद -बुद्धि पिता के संतान मंदबुद्धि और तीव्र बुद्धि वाली माता पिता के संतान तीव्र बुद्धि वाले होते हैं।

🦍 KALICOCK नामक एक सैनिक के वंशजों का अध्ययन करके सिद्ध किया ।उन्होंने सबसे पहले एक मंदबुद्धि स्त्री से और कुछ समय के बाद एक तीव्र बुद्धि की स्त्री से विवाह किया। पहले स्त्री के 480 वंशजों में से 143 मंदबुद्धि, 46 सामान्य, 36 अवैध संतान, 32 वेश्यायें, 24 शराबी, 8 वेश्यालय- स्वामी,3 मिर्गी रोगी वाले और 3 अपराधी थे। दूसरी स्त्री के 496 वर्षों में से केवल तीन मंदबुद्धि और चरित्रहीन थे।शेष ने व्यवसायियों ,डॉक्टरों, शिक्षकों, वकीलों आदि के रूप में समाज में सम्मानित स्थान प्राप्त किया।

✍🏻@Deepika_Ray@✍🏻

🧠🧠(Effects of heredity in child development)🧠🧠

   💦 बालक के विकास में वंशानुक्रम का प्रभाव💦

🍒व्यक्तित्व के प्रत्येक पहलू पर वंशानुक्रम का प्रभाव पड़ता है।

💦बालक के विकास में वंशानुक्रम के प्रभाव पढ़ने वाले निम्नलिखित कारक है÷

🗣️1-मूल शक्तियों पर प्रभाव

🕵️थार्नडाइक का मानना है कि बालक की मूल शक्तियों का प्रधान उसका वंशानुक्रम ही है।

💦मूल प्रवृत्तियां जो वंशानुक्रम से मिली है जीवनपर्यंत तक रहती हैं किंतु वातावरण उन सभी अवस्थाओं  व समय व माहौल के अनुसार अलग-अलग प्रभाव डालता है।

🗣️2-शारीरिक लक्षणों पर प्रभाव

🕵️कॉल पीटरसन ने कहा है कि अगर माता-पिता की लंबाई कम या अधिक होती है तो बच्चे की लंबाई भी कम या अधिक होती है।

💦माता-पिता या पूर्व जो द्वारा आए गुणो का प्रभाव बच्चे पर होता है इससे उसकी लंबाई व आंखों का रंग,  बालों का रंग व शारीरिक बनावट भी उन्ही की तरह की ही होती है।

🗣️3-प्रजाति की श्रेष्ठता पर प्रभाव

💦क्लिनवर्ग का मत है कि बुद्ध की श्रेष्ठता का कारण प्रजाति है, यही कारण है कि अमेरिका की श्वेत प्रजाति नीग्रो प्रजाति से श्रेष्ठ है।

💦उदाहरण जैसे मनुष्य ही पृथ्वी पर एक ऐसा प्रजाति है जो पूरी तरह से विकसित है क्योंकि उसका मस्तिष्क परिपक्व है,वह अन्य प्राणियों के साथ सामंजस्य पूर्ण व्यवहार कर सकता है , उनके साथ स्वयं को समायोजित कर सकता है।

🗣️4-व्यवसाय की योग्यता का प्रभाव

💦केटल का विचार है कि व्यवसाय की योग्यता का मुख्य कारण वंशानुक्रम है।

💦इन्होंने इस निष्कर्ष पर अमेरिका के 805 वैज्ञानिकों के परिवार का अध्ययन करके उन्होंने बताया कि इन परिवारों में से 2/5 व्यवसाय वर्ग के 1/2 उत्पाद वर्ग के वह केवल 1/4 कृषि वर्ग के थे।

🗣️4-सामाजिक स्थिति पर प्रभाव -विनशिप का कहना है कि गुणवान और प्रतिष्ठित माता-पिता की संतान प्रतिष्ठता प्राप्त करती है।

💦उदाहरण÷रिचर्ड एडवर्ड नामक इंसान की पत्नी जिनका नाम एलिजाबेथ था ये दोनों एक प्रतिष्ठित व्यक्ति थे,इनकी संता ने भी प्रतिष्ठित रही हैं अर्थात यह भी अलग-अलग क्षेत्रों में जाकर अपनी प्रतिभा से समाज प्रतिष्ठा फैलाई, इनमें से कुछ सभा के सदस्य थे तो कुछ महा विद्यालय के अध्यापक एवं कुछ ऐसे भी थे जो अमेरिका के राष्ट्रपति तक हुए।

🗣️5-चरित्र पर प्रभाव÷ डगडेल ने कहा है कि चरित्रहीन माता पिता की संतान चरित्रहीन होते हैं।

💦इन्होंने में ज्यूकस नामक व्यक्ति के ५ पीढ़ी के १००० सदस्यों पर अध्ययन किया जिसका विवरण निम्नानुसार रह÷

💦इस पीढ़ी में 300 बालक वा बालिकाए ऐसी हुए  जिनका बाल्यावस्था में ही मृत्यु हो गई ;

318 के आसपास बच्चे दलित ग्रह में चले गए;

440 आसपास के बच्चे विभिन्न प्रकार के रोगो के कारण उनकी आकस्मिक मृत्यु हो गई;

130 बच्चों में 7 पर हत्या करने वाले मुकदमे चलाए गए इसी प्रकार बच्चा चोरी करने वाले 55 के आसपास निठल्ले कामचोर आदि निकले, किंतु कुल 20 ही सदस्य ऐसे थे जो व्यवसाय करने वाले निकले।

💦 धन्यवाद🧠💦

👭 बालक के विकास में वंशानुक्रम का प्रभाव👭

🔅 मूल शक्तियों का प्रभाव :-

 ➖Thorndike का मानना है कि बालक की मूल शक्तियों का प्रधान कारण उसका वंशानुक्रम है।

🔅 शारीरिक लक्षणों पर प्रभाव:-

➖ कार्ल  पीटरसन ने कहा कि अगर माता-पिता की लंबाई कम या अधिक होती है तो बच्चे की लंबाई भी कम या अधिक होती है।

🔅 प्रजाति की श्रेष्ठता पर प्रभाव :-

➖ क्लीनबर्ग  का मत है कि बुद्धि के श्रेष्ठाता का कारण प्रजाति ही यही कारण है कि अमेरिका कि श्वेत  प्रजाति,नीग्रो प्रजाति से  श्रेष्ठ है।

🔅व्यवसाहयिक योग्यता का प्रभाव :-

 ➖केटल का विचार है,व्यवसायिक योग्यता का मुख्य कारक वंशानुक्रम है।

➖ वह इस निष्कर्ष पर, अमेरिका के 885 वैज्ञानिकों के परिवार का अध्ययन करके पहुंचे। उन्होंने बताया कि इन परिवार में से….

➖2/5= व्यवसायी वर्ग के।

➖1/2= उत्पादक वर्ग के।

➖ केवल 1/4= कृषि वर्ग के थे।

🔅 सामाजिक स्थिति पर प्रभाव:-

 विनशिप का कहना है, गुणवान और प्रतिष्ठा प्राप्त माता पिता की संतान प्रतिष्ठा प्राप्त करती है।

➖ रिचर्ड एडवर्ड ने एक प्रयोग में बताया कि उनकी पत्नी,, एलिजाबेथ जो प्रतिष्ठित थी,, और उनके संतान में प्रतिष्ठित हुए जो विधानसभा के सदस्य,, महाविद्यालय के अध्यक्ष बाद में अमेरिका के उप राष्ट्रपति बने।

🔅 चरित्र पर प्रभाव :

 ➖डकडेल  के अनुसार, चरित्रहिन माता पिता के संतान चरित्रहीन  होते हैं।

➖ इन्होंने 1877 में, ज़युकस  के वंशज पर अध्ययन किया।

🔅 महानता  का प्रभाव:-

➖ गार्डन का विचार है कि महानता का कारण उसका वंशानुक्रम है। यह वंशानुक्रम का यह प्रभाव है कि व्यक्तियों में शारीरिक और मानसिक लक्षणों में विविधता पाई जाती है।

➖ व्यक्ति का कद, वर्ण, स्वास्थ्य, बुद्धि, मानसिक शक्ति,वजन सब वंशानुक्रम पर आधारित है।

🔅 वृद्धि का प्रभाव :-

➖GODARd का मत है कि मंदबुद्धि पिता के संतान,मंद बुद्धि और तीव्र बुद्धि वाले माता-पिता के संतान, तीव्र बुद्धि वाले होते हैं।

➖कालिकॉक, नामक एक सैनिक के वंशजों का अध्ययन करके यह सिद्ध किया।

➖ उन्होंने सबसे पहले एक मंदबुद्धि स्त्री से और कुछ समय के बाद एक तीव्र बुद्धि की स्त्री से विवाह किया

✨ पहली  स्त्री के :-

➖480 वंशजों  में से 143 मंदबुद्धि।

➖ 46 सामान्य।

➖ 36 अवैध संतान।

➖ 24 शराबी।

➖8 वेश्यालय।

➖3 मिर्गी रोगी वाले।

➖3 अपराधी

✨ दूसरी स्त्री के :-

➖496 बच्चों में से, केवल तीन मंद बुद्धि और चरित्रहीन थे।

➖ शेष में व्यवसायियों, डॉक्टरों, शिक्षकों, वकीलों आदि के रूप में समाज में सम्मानित स्थान प्राप्त किया।

 📝NOTES BY “AkAnKsHa”📝

  🤓🙏🏻🌹💐🤗

✍            16/03/2021.     ✍

            Today class..

बालक के विकास में वंशानुक्रम का प्रभाव

👉 व्यक्ति के हर पहलू पर वंशानुक्रम का प्रभाव पड़ता है

✊(1)- मूल शक्तियों पर प्रभाव – थार्नडाइक:— का मानना है कि बालक की मूल शक्तियों का प्रधान कारण उसका वंशानुक्रम है।

👉 क्योंकि बालक के माता -पिता के गुण से जो मिला वो स्थिर हो गया । लेकिन कोई भी इन्वायरमेंट हमारे पास स्थिर नहीं रहा वह चाहे 10 साल पहले की हो या आज की या आने वाले कल की लेकिन माता-पिता से जो मूल शक्तियां मिली वो रह गया जीवन पर्यंत के लिये।

✊(2)- शारीरिक लक्षणों पर  प्रभाव कार्ल पीटरसन:— ने कहा कि अगर माता-पिता की लंबाई कम या अधिक होती है तो बच्चे की लंबाई भी कम या अधिक होती है।

✊(3)-प्रजाति की श्रेष्ठता पर प्रभाव:—क्लिनबर्ग :—का मत है कि बुद्धि की श्रेष्ठता का कारण प्रजाति है यही कारण है कि अमेरिका की श्वेत  प्रजाति नीग्रो प्रजाति से श्रेष्ठ है।

👉अत: प्रजाति की श्रेषठता का प्रभाव मनुष्य की बुद्धि पर पड़ता है

✊(4)-व्यवसायिक योग्यता का प्रभाव :—कैटल :—का  विचार है कि व्यवसायिक योग्यता का मुख्य कारक वंशानुक्रम है।

👉 जैसे हमारे परिवार में कोई शिक्षक ,डॉक्टर,वकील है तो वह गुण हमारे अंदर खुद व खुद आता है

👉वह इस निष्कर्ष पर अमेरिका के 885 वैज्ञानिकों के परिवार का अध्ययन करके पहुंचे । उन्होंने बताया कि इन परिवार में से..

👉 2/5 व्यवसाई वर्ग के 

👉1/2 उत्पादक वर्ग के

 और केवल 

👉1/4 कृषि वर्ग के थे।

✊(5) सामाजिक स्थिति पर प्रभाव:—  विनशिप :—का कहना है कि गुणवान और प्रतिष्ठित माता-पिता की संतान प्रतिष्ठा प्राप्त करता है ।

👉 विनशिप ने :—रिचर्ड एडवर्ड पर अध्ययन किया। 

रिचार्ज एडवर्ड एक परिवार था उसके परिवार पर इन्होंने अध्ययन करके इसमें पहुंचा रिचर्ड काफी गुणवान और प्रतिष्ठित मनुष्य था और उसके एलिजावेथ नामक स्त्री से विवाह किया जो वह भी गुणवत्ता में उसी के सामान थी तो इस दोनों के वंशजों  जो हुए वह काफी प्रतिष्ठित हुए वह बाद में विधानसभा के सदस्य बने, विश्वविद्यालय के अध्यक्ष बने ,उनमें से एक वंशज अमेरिका का उपराष्ट्रपति भी बना

✊(6)  चरित्र पर प्रभाव:—डगडेल ने 1877 मे ज्युकस वंश का अध्ययन किया जिसमें उन्होंने कहा चरित्रहीन माता-पिता के बच्चे चरित्रहीन होते हैं

👉 5 पीढी में 1000बच्चे थे जिसमे..

👉 300 बाल्यावस्था में मर गए

👉310 दरिद्र ग्रह हो गया 

👉440 रोग के कारण मर गए

👉 130 में 7 पर हत्या का केस चला

👉10 ने व्यवसाय किया 

इस अध्ययन में

 स्ट्र्वूक :– ने सहयोग किया।

✊ (7) महानता का प्रभाव :— गाल्टन :–का विचार है कि महानता का कारण उसका वंशानुक्रम है यह वंशानुक्रम का ही प्रभाव है कि व्यक्तियों के शारीरिक और मानसिक लक्षणों में विभिन्नता पाई जाती है कि व्यक्ति का कद, वण्, स्वास्थ्य, बुद्धि, मानसिक शक्ति सब वंशानुक्रम पर आधारित होते हैं।

👉 अतः किसी इंसान का व्यक्तित्व उसके हर चीज पर निर्भर करता है

✊(7) वृद्धि का प्रभाव :—

गोडार्ड :—का विचार है कि मंद माता पिता के बच्चे मंद होते हैं तीव्र माता पिता के बच्चे तीव्र होते हैं 

👉गोडार्ड ने कालिकॉक सैनिक पर अध्ययन किया।

कालिकाक ने दो स्त्री से शादी की जिसमें पहला ।

👉मंदबुद्धि स्त्री थी जिसमें 480 वंशज थे इनमें 

👉143 मन बुद्धि

 👉46 सामान्य हुए

 👉36 अवैध संतान

 👉32 चरित्रहीन

👉24 शराबी 

👉8 चरित्रहीन संस्था के संस्थापक

👉3 मिर्गी रोगी 

👉3 अपराधी ।

👉 तीर्व बुद्धि वाली स्त्री:– के 496 में वंशजों मे ….

👉3 मंदबुद्धि 

👉और बाकी बिजनेसमैन ,डॉक्टर, शिक्षक ,वकील, सम्मानित व्यक्ति हुए।

🧚‍♀️🧚‍♀️🧚‍♀️🧚‍♀️🧚‍♀️🧚‍♀️🧚‍♀️🧚‍♀️🧚‍♀️

✍Notse by:–संगीता भारती✍

            🙏Thank you 🙏

💫  Effects of heredity in child development 💫

💫 बालक के विकास में वंशानुक्रम का प्रभाव💫

🌟 मूल प्रवृत्तियों पर प्रभाव

 थार्नडाइक  का मानना है कि बालक की मूल शक्तियों का प्रधान कारण उनका वंशानुक्रम है।

 जिस प्रकार से उनके माता-पिता आपस में व्यवहार करते हैं बातचीत करते हैं आदर करते हैं बड़ों का छोटू का सम्मान करते हैं, इसी तरह से बच्चे भी उनका अनुसरण करके धीरे-धीरे उन्हीं की तरह  आचरण करने लगते हैं, और उनकी भी मूल प्रवृत्तियां अपने माता पिता की तरह हो जाती है।

🌟 शारीरिक लक्षणों का प्रभाव

 कार्ल पीटरसन ने कहा कि अगर माता-पिता की लंबाई कम या अधिक होती है तो बच्चों की भी लंबाई कम या अधिक होती है।

 इस कथन का अभिप्राय है कि अगर किसी बच्चे के माता-पिता की लंबाई कद काठी बड़ी होती है तो उसके बच्चे की भी कद काठी बड़ी होने की संभावना ज्यादा होती है ।

जिस प्रकार से उनके माता-पिता का रंग रूप होगा , आंखों का रंग होगा बालों का रंग होगा उसी प्रकार से उनके बच्चों का रंग , आंखों के रंग का एवं बालों के रंग का होता है ।

🌟 प्रजाति की श्रेष्ठता का प्रभाव

 क्लिनबर्ग का मत है कि बुद्धि की श्रेष्टता का कारण प्रजाति है यही कारण है कि अमेरिका की श्वेत प्रजाति नीग्रो प्रजाति से श्रेष्ठ है।

क्लिनबर्ग का कहना था कि बालक के वंशानुक्रम मे उसकी प्रजाति का भी योगदान होता है जो उच्च जाति के लोग होते हैं उनकी बुद्धि अधिक श्रेष्ठ होती है निम्न जाति वालों से।

✨व्यवसायिक योग्यता का प्रभाव कैटल का विचार है कि व्यवसायिक योग्यता का मुख्य कारक वंशानुक्रम है।

वह इस निष्कर्ष पर अमेरिका के 885 वैज्ञानिकों के परिवार का अध्ययन करके पहुंचे ।

उन्होंने बताया कि इन परिवार में से  2 / 5 व्यवसायि वर्ग के ,

    1 / 2 उत्पादक वर्ग के और          

   1  / 4 कृषि वर्ग के थे।

✨ सामाजिक स्थिति पर प्रभाव

विनशिप का कहना है कि गुणवान और प्रतिष्ठित माता-पिता की संतान प्रतिष्ठा प्राप्त करती है।

 उन्होंने रिचर्ड एडवर्ड पर अपना रिसर्च किया।

 रिजर्ड एडवर्ड और उनकी पत्नी एलिजाबेथ दोनों प्रतिष्ठित व्यक्तित्व वाले व्यक्ति थे ।

उनके संताने भी प्रतिष्ठित ही हुई।

 जिनमें से अमेरिका के राष्ट्रपति हुए विधानसभा के सदस्य हुए महाविद्यालय के अध्यक्ष  जैसै  प्रतिष्ठित पदों  को प्राप्त किए।

✨ चरित्र पर प्रभाव 

चरित्रहीन माता-पिता की संताने चरित्रहीन होती है।

 इस कथन के अनुसार चरित्रहीन माता-पिता की संताने भी अपने माता-पिता के प्रकार ही चरित्रहीन होती है ।

जैसे 1877 में ज्यूकस एक चरित्रहीन व्यक्ति के ऊपर शोध करके पाया गया कि ज्युकस ने एक चरित्रहीन महिला से शादी की।

 उसकी 5 तक 1000 संताने हुई।

– इन 1000 संतानों में 300 संताने बाल्यावस्था में मर गए।

– 300 बहुत गरीब हालत में दरिद्र ग्रह में जीवन यापन किया।

–  440 रोग से ग्रस्त हो गए ।

– 130 में से 7 ने आत्महत्या कर ली ।

– 130 में से 20 ने व्यवसाय किया।

 – और बाकियों का पता नहीं।

✨ महानता का प्रभाव

 गाल्टन का विचार है कि महानता का कारण  उसका वंशानुक्रम है।

 यह वंशानुक्रम का ही प्रभाव है कि व्यक्तियों के शारीरिक और मानसिक लक्षणों में विभिन्नता पाई जाती है।

 व्यक्ति का कद, स्वास्थ्य बुद्धि मानसिक शक्ति सब वंशानुक्रम पर आधारित होते हैं।

✨  वृद्धि का प्रभाव

 गोडार्ड का विचार है कि मन्दबुद्धि माता-पिता की संतान मन्दबुद्धि और तीव्र माता-पिता की संतान तीव्र बुद्धि की होती है।

 उन्होंने कालीकॉक नामक सैनिक पर अपना प्रशिक्षण किया ।

कालीकॉक ने दो शादियां की थी।

 एक शादी मंदबुद्धि स्त्री से तथा दूसरी शादी तीव्र बुद्धि स्त्री से।

-मंदबुद्धि स्त्री से 480 वंशज हुए जिनमें से 

143 मंदबुद्धि

  46 सामान्य

  36अवैध संतान 

  32 चरित्रहीन 

  24 शराबी 

  18 चरित्रहीन संस्था के संस्थापक 

  3 मिर्गी रोगी और 

  3 अपराधी संताने हुई।

तीव्र बुद्धि शादी से 496 वंशज हुए।

 जिसमें से 3 मंदबुद्धि 

 बाकियों में से बिजनेसमैन, डॉक्टर ,शिक्षक, वकील आदि हुए।

धन्यवाद 

द्वारा 

वंदना शुक्ला

32. CDP – Heredity and Environment PART- 4

🔆 वंशानुक्रम के संदर्भ में कई महत्वपूर्ण नियम 🔆

❇️ अर्जित गुणों के संक्रमण का नियम : – 

▪️इस नियम के अनुसार माता-पिता द्वारा अपने जीवन काल में अर्जित किए जाने वाले गुण उनके संतान को प्राप्त नहीं होते हैं।

 ▪️बल्कि हमारे जो कुछ भी गुण होते हैं हम अर्जित करते हैं या जो कुछ भी हम सीखते हैं वह किसी ना किसी रूप में हमारे अंदर आता ही है लेकिन उसका व्यक्ति के आगे आने वाली पीढ़ी के लिए भी वह महत्वपूर्ण हो जाता है।

▪️यदि इन गुणों का महत्व नहीं होता तो यह आगे की पीढ़ी में स्थानांतरित ही नहीं होता व्यक्ति को जो अपनी पीढ़ी से मिलने वाले गुण है ।वह कहीं ना कहीं किसी की पीढ़ी ने अर्जित तो किए ही होंगे तभी जाकर वह उसको आगे आने वाली पीढ़ी को विरासत में प्राप्त हुए हैं।

▪️इन सभी कारणों से इस नियम को अस्वीकार करते हुए विकासवादी लैमार्कवाद कहते हैं कि 

▪️व्यक्तियों द्वारा अपने जीवन काल में जो कुछ भी अर्जित किया जाता है वह उनके द्वारा उत्पन्न किए जाने वाले व्यक्तियों को संक्रमित करता है।

▪️इसका उदाहरण देते हुए कहा कि

▪️जिराफ की गर्दन पहले घोड़े के समान थी पेड़ से पत्ते खाने के लिए जिराफ ने अपनी गर्दन को ऊपर की तरफ खींच आया उठाया तो इस विशेष परिस्थिति के कारण उसकी गर्दन लंबी होती चली गई कालांतर में उसकी लंबी गर्दन का गुण अगली पीढ़ी में भी संक्रमित हुआ।

▪️व्यक्ति या कोई भी प्राणी अपनी परिस्थितियां वातावरण के अनुसार चीजों को अर्जित करते हैं और उसे अपने आगे आने वाली किसी ना किसी पीढ़ी में स्थानांतरित करते हैं।

▪️जैसे मां के गर्भ में बच्चा भी बाहरी वातावरण से गर्भ के अंदर भी कई चीजों को सीखता या अर्जित करता है अर्थात वह बाहरी वातावरण भी बच्चों को प्रभावित करता है।

▪️लैमार्क के इस कथन की पुष्टि मेगडुग्ल और पावलाव ने चूहों पर।

हैरिसन ने पतंगों पर परीक्षण करके की।

▪️आज के युग में विकास वाद या अर्जित गुणों के संक्रमण का सिद्धांत स्वीकार नहीं किया जाता है।

▪️वंशानुक्रम की प्रक्रिया के अपने आधुनिक ज्ञान से सोचने पर यह बात प्राय: असंभव जान पड़ती है कि अर्जित गुणों को संगठित किया जा सके।

▪️यदि आप कोई भाषा बोलना सीख नहीं तो क्या आप जीने के माध्यम से बच्चों में भी उसे संक्रमित कर सकते हैं?

▪️इस प्रकार की किसी भी प्रमाण की पुष्टि नहीं हुई है।

❇️ मेंडल का नियम :- 

▪️इस नियम के अनुसार वर्णसंकर प्राणी या वस्तु में अपने मौलिक वा  सामान्य रूप की ओर अग्रसर होती हैं इस नियम को जेकोस्लोवेलिया के मेंडल नामक पादरी ने प्रतिपादित किया।

🔹 मेंडल का मटरो पर प्रयोग:-

 मेंडल ने अपने प्रयोग मटर के पौधे पर किया।

▪️जिसमें उन्होंने अपने बगीचे में छोटी व बड़ी मटर  बराबर संख्या में मिलाकर बोई तत्पश्चात उगने वाली मटर में सब वर्ण संकर जाति की थी। मेंडल ने इन वर्णसंकर मटरो को फिर बोया और इस प्रकार उन्होंने उगने वाली मटर को कई बार बोया ,अंत में उन्हे ऐसी मटर मिली जो वर्णसंकर होने के बजाय शुद्ध थी ।

 शुद्ध बड़ी मटर + शुद्ध छोटी  मटर

 = वर्णसंकर मटर 

वर्णसंकर मटर = शुद्ध बड़ी मटर(25%), वर्णसंकर बड़ी मटर(50%) ,शुद्ध छोटी मटर (25%)

🔹मेंडल का चूहों पर प्रयोग :- 

इस प्रकार मेंडल ने चूहों पर भी प्रयोग किया।

 ▪️इस प्रयोग में उन्होंने सफेद और काले चूहों को एक साथ रखा। जिसमें उन्होंने देखा कि उन्हें  आगे आने वाली चूहों की इस पीढ़ी में काले प्रजाति के चूहे प्राप्त हुए।

      काला🐀  + सफेद🐁  =काला🐀 ,🐀

▪️एक बार फिर उन्होंने वर्णसंकर काले और काले चूहों को एक साथ रखा जिसमें उन्होंने देखा कि आगे आने  वाली चूहों को इस पीढ़ी में काले वह सफेद दोनों प्रजाति के चूहे उत्पन्न हुए

काला 🐀 + 🐀 := काला🐀, सफेद🐁

                    🐀🐁

                      !      

         🐀       🐀         🐀

            !           !             !

       🐀   🐀      🐀       🐁

         !       !          !           !    !    !

   🐀  🐀  🐀  🐀 🐀  🐁🐁🐁

▪️अपने प्रयासों के आधार मेंडल ने सिद्धांत प्रतिपादित किया कि वर्णसंकर प्राणी या वस्तुएं अपने मौलिक या सामान्य रूप की ओर अग्रसर होती हैं यही सिद्धांत मेंडल वाद के नाम से प्रसिद्ध है इसकी व्याख्या करते हुए बीएन झा ने लिखा कि 

“जब वर्णसंकर अपने स्वयं केपितृ या मात्र उत्पादक कोषो का निर्माण करते हैं ,तब वे प्रमुख गुणों से युक्त माता पिता के समान शुद्ध प्रकारों को जन्म देते हैं।”

✍🏻

Notes By-‘Vaishali Mishra’

➡️वंशानुक्रम का अर्जित गुणों के संक्रमण का नियम :-

वंशानुक्रम का अर्जित गुणों के संक्रमण के नियम के अनुसार, माता-पिता द्वारा अपने जीवनकाल में अर्जित किये जाने वाले गुण उनकी सन्तान को प्राप्त नहीं होते हैं।  

लेमार्क के इस कथन की पुष्टि मैग्डूगल और पावलव ने चूहों पर एवम हैरिसन ने पतंगो पर परीक्षण करके किया।

👉🏻 इस नियम को अस्वीकार करते हुए विकासवादी लेमार्क कहते है कि वंशानुक्रम का अर्जित गुणों के संक्रमण का नियम के बारे में कहा कि–

“व्यक्तियों द्वारा अपने जीवन में जो कुछ भी अर्जित किया जाता है, वह उनके द्वारा उत्पन्न किये जाने वाले संतानों को संक्रमित करता है।”

👉🏻लेमार्क ने वंशानुक्रम का अर्जित गुणों के संक्रमण का नियम के लिए अपने मत को साबित करने के लिए उदाहरण के तौर पर कहतें हैं कि–🦄

जिराफ की गर्दन पहले लगभग घोड़े 🐴की गर्दन के समान ही होती थी, लेकिन कुछ विशेष परिस्थितियों के कारण वह पीढ़ी-दर-पीढ़ी लम्बी हो गई जिससे पता चलता है कि 🦓जिराफ की लम्बी गर्दन का गुण अगली पीढ़ी में संक्रमित होने हुआ।

👉🏻आज के समय में विकासवाद या अर्जित गुणों के संक्रमण का सिद्धान्त स्वीकार नहीं किया जाता है। 

📝इसके बारे में वुडवर्थ ने अपना मत रखा है जो कि निम्नलिखित है👉🏻

यदि आप कोई भाषा बोलना सीख लें, तो क्या आप पित्रैकों द्वारा इस ज्ञान को अपने बच्चे को संक्रमित कर सकते हैं? इस प्रकार के किसी प्रमाण की पुष्टि नहीं हुई है। क्षय या सूजाक ऐसा रोग, जो बहुधा परिवारों में पाया जाता है, यह रोग संतानों में परिवार में छुआ-छूत की वजह से होता है, न कि संक्रमण से।

➡️(मैण्डल का वंशानुक्रम का नियम) :-मेंडल ने मटरो पर परीक्षण कर यह सिद्धांतप्रतिपादितकिया कि वर्णसंकर प्राणी अथवा जीव  वस्तुएँ अपने मौलिक या सामान्य रूप की ओर अग्रसर होती है। 

👉🏻इस नियम को जेकोस्लोवेकिया के मैण्डल नामक पादरी ने प्रतिपादित किया था।

मैण्डल नेे बड़ी और छोटी मटरें बराबर संख्या में मिलाकर बोयीं। उगने वाली मटरों में सब वर्णसंकर जाति की थीं। मैण्डल ने इस वर्णसंकर मटरों को फिर बोया और इस क्रिया को कई बार दोहराया और अंत में मैण्डल को वर्णसंकर के बजाय शुद्ध मटर प्राप्त हुईं।

             बड़ी मटर+छोटी मटर

                         ⬇️

                  वर्णसंकर मटर

                          ⬇️

     ⬇️               ⬇️            ⬇️  

शुद्ध बड़ी       बड़ी संकर      शुद्ध छोटी      

मटर50%        मटर50%     मटर50% 

  ⬇️                  ⬇️              ⬇️

शुद्ध बड़ी    बड़ीवर्णसंकर    शुद्ध छोटी

मटर 25%    मटर 50%       मटर25%

ग्रेगर जॉन मैण्डल ने जो प्रयोग किये, उनसे प्राप्त निष्कर्षों से वंशानुक्रम तथा वातावरण के प्रभावों के अध्ययन में अत्यधिक उपयोगी साबित हुए।

अधिक जाग्रत या प्रबल गुण, सुप्त गुण को निष्क्रिय कर देता है। सुप्तावस्था में रहने वाले व्यक्त गुण जब प्रकट होकर मुख्य गुण का रूप धारण कर लेते हैं।

                 🐀🐁

➡️ [चूहों पर प्रयोग]÷ मेंडल ने सफेद और काले चूहे को एक साथ रखा इन चूहों के बच्चे हुए वे सभी काले रंग के थे। फिर इन वर्णसंकर काले चूहे को एक साथ रखा गया इनसे उत्पन्न होने वाले चूहे काले और सफेद दोनो रंग के थे तथा काले और सफेद चूहों का अनुपात 3: 1था।इस तरह उत्पन्न सफेद चूहों से केवल सफेद चूहे उत्पन्न हुए, किन्तु काले चूहों मे से एक तिहाई ने केवल काले चूहे उत्पन्न किए और दो तिहाई ने काले (3)और सफेद (1)दोनों प्रकार के बच्चे उत्पन्न किए। 

             🐀+🐁

                  ⬇️

🐀     🐀     🐀        🐁

                  ×

⬇️      ⬇️      ⬇️      ⬇️

🐀      🐀        🐀        🐁

25%   25%    25%         25%

                     (50%)

⬇️                                 ⬇️

🐀                                  🐁

100%                             100%

⬇️       ⬇️        ⬇️            ⬇️

🐀       🐀        🐀            🐁

25%             50%               25%

           75%

🥀 उपर्युक्त परीक्षणों से निष्कर्ष निकलता हैंकि नर और मादा के गुण सूत्रों में से कुछ तो व्यक्त और कुछ सुप्त रूप में होते हैं। व्यक्त गुण के अभाव से सुप्त गुण प्रधान हो जाता है।

वर्तमान ने इस सिद्धांत को अपेक्षाकृत अधिक मान्यता प्राप्त है। परन्तु मेंडल ने जो प्रतिशत निशिचत किया है वह सब मनुष्यों पर लागू नहीं होता,यह तो पैत्रको के संयोग पर निर्भर करता है जो किसी विशेष क्रम में नही होता, चान्स फैक्टर पर निर्भर करता है।

📚📖📝 Notes by shikha tripathi

☘️🌼 वंशानुक्रम के सिद्धांत🌼☘️

🌼 अर्जित बड़ों के संक्रमण का नियम (Law of Transmission of acquired Traits)

👉🏼 इस नियम के अनुसार,माता-पिता द्वारा अपने जीवन काल में अर्जित किए जाने वाले गुण उनके संतान को प्राप्त नहीं होती है।

👉🏼 इस नियम को अस्वीकार करते हुए विकासवादी 🤵🏻‍♂लेमार्क कहते हैं, “व्यक्तियों द्वारा अपने जीवन काल में जो कुछ भी अर्जित किया जाता है वह उसके द्वारा उत्पन्न किए जाने वाले व्यक्तियों को संक्रमित करता है।”

👉🏼 इसका उदाहरण देते हुए🤵🏻‍♂ लेमार्क  ने कहा है कि 🦒 की गर्दन पहले 🐎 के समान थी पेड़ से पत्ते खाने के लिए🦒ने अपनी गर्दन को ऊपर की ओर उठाया तो इस विशेष परिस्थिति के कारण उसकी गर्दन लंबी होती चली गई कालांतर में इसकी लंबी गर्दन का गो अगली पीढ़ी में संक्रमित हुआ।

👉🏼🤵🏻‍♂लैमार्क के इस कथन की पुष्टि मैण्डूगल 🤵🏻 और पावलव🧑🏼‍💼 ने 🐀 पर एवं हैरीसन👨🏻‍🔬 ने कीट पतंगा पर परीक्षण करके किया है।

🧑🏽‍🔬  वुडवर्थ के अनुसार➖आज के युग में विकासवाद या अर्जित गुणों के संक्रमण का सिद्धांत को स्वीकार नहीं किया जाता है।

👉🏼 वंशानुक्रम के प्रक्रिया को अपने आधुनिक ज्ञान से संपन्न होने पर यह बात पर आया असंभव जान पड़ती है।कि अर्जित गुरु को संक्रमित किया जा सके यदि आप कोई भाषा बोलना सीख ले तो क्या आप जिनके माध्यम से बच्चों में संक्रमित कर सकते हैं इस प्रकार के किसी प्रकार की पुष्टि नहीं हुई है।

🌼☘️ मेंडल का नियम (Law of Mendel)

👉🏼इस नियम का प्रतिपादन मेंडल ने किया। उनका सिद्धांत मेंडलवाद के नाम से भी प्रसिद्ध हुआ। सर्वप्रथम उसने छोटी और बड़ी मटर को अलग-अलग बोया तो छोटी मटर से छोटी तथा बड़े मटर से बड़ी मटर पैदा हुई।

👉🏼किंतु जब छोटी और बड़ी मटर को बराबर संख्या में मिलाकर वो या तो केवल बड़ी मटर ही पैदा हुई अतः छोटेपन का गुण सुप्त रह गया और बड़ेपन  का गुण व्याप्त हो गया जिससे सिद्ध हुआ कि प्रकृति सदैव गुण वाले संतति को बढ़ाती है।

👉🏼 मटरों  के समान मेंडल🧑🏼‍💼 ने 🐀पर प्रयोग किया उसने सफेद🐁 और काले🐀 चूहे को साथ-साथ रखा इनसे जो चूहे उत्पन्न हुए वह काले🐀 थे फिर उसने वर्णसंकर काले🐀 चूहे को एक साथ रखा इससे उत्पन्न चूहे काले 🐀व सफेद🐁 दोनों रंग के थे।

 बी एन झा के अनुसार➖जब वर्णसंकर अपने स्वयं के पितृ या मातृ  उत्पादक कोशो का निर्माण करता है तो वह मुख्य गुणों से युक्त माता पिता के समान शुद्ध प्रकार को जन्म देता है।

👉🏼🤵🏻‍♂मेंडल ने जो प्रयोग किया उससे प्राप्त निष्कर्ष से वंशानुक्रम तथा वातावरण के प्रभाव के अध्ययन में सहयोग मिला।

✍🏻📚📚 Notes by…. Sakshi Sharma📚📚✍🏻

➡️अर्जित गुणों का के संक्रमण का नियम = 

इस नियम के अनुसार माता-पिता द्वारा अपने जीवन काल में अर्जित किए जाने वाले गुण उनके संतान को प्राप्त नहीं होते हैं

इस नियम को अस्वीकार करते हुए विकासवादी लैमार्क कहते हैं कि व्यक्तियों द्वारा अपने जीवन काल में जो कुछ भी अर्जित किया जाता है वह उनके द्वारा उत्पन्न किए जाने वाले व्यक्तियों को संक्रमित किया करता है

➡️इसका उदाहरण देते हुए लैमार्क ने कहा कि कि जिराफ की गर्दन वाले घोड़े के समान थी पेड़ से पत्ते खाने के लिए जीराफ अपने-अपने गर्दन को ऊपर की ओर खींचा तो इस विशेष परिस्थिति के कारण उनकी गर्दन लंबी होती चली गई

➡️कालांतर में उनकी लंबी गर्दन का गुण अगली पीढ़ी में भी संक्रमित हो गया

➡️लैमार्क के इस कथन की पुष्टि.   मैकडुग्गल और पावलव  ने चूहे पर और हैरिसन ने  पतंगो पर परीक्षण करके किया है

लेकिन   वुडवर्थ ने इसको सही नहीं माना |

➡️आज के युग में विकासवाद या अर्जित गुणों के संक्रमण का सिद्धांत स्वीकार नहीं किया जाता है

➡️ वंशानुक्रम की प्रक्रिया के अपने आधुनिक ज्ञान से संपन्न होने पर यह बात प्राय: असंभव जान पड़ती है कि अर्जित गुणों को संक्रमित किया जा सके यदि आप कोई भाषा बोलना सीख ले ,तो क्या आप जीन के माध्यम से बच्चों में संक्रमित कर सकते है| 

इस प्रकार के किसी प्रमाण की पुष्टि नहीं हुई है

🖤मेंडल का वंशानुक्रम का नियम=

मेंडल ने अपने बगीचे में बड़ी और छोटी मटर के दानों को बराबर संख्या में मिलाकर बोया –

🖤 मेंडल ने मटर पर परीक्षण कार्य सिद्धांत का प्रतिपादन किया उन्होंने दो प्रकार के मटर के पौधे पर परीक्षण किया एक शुद्ध बड़ी मटर एक शुद्ध छोटी मटर उनके बीच क्रॉस करवाया उन्होंने पाया वर्णसंकर मटर की नई प्रजाति आई फिर वर्णसंकर मटर पर प्रयोग कर पाया कि शुद्ध बड़ी मटर- 25 परसेंट,,, बड़ी वर्णसंकर मटर -50 परसेंट और शुद्ध छोटी मटर -25 परसेंट आया

            बड़ी मटर➕छोटी मटर

                         ⬇️

                  वर्णसंकर मटर

                          ⬇️

     ⬇️               ⬇️            ⬇️  

शुद्ध बड़ी       बड़ी संकर        शुद्ध छोटी      

मटर50%      मटर50%     मटर50% 

  ⬇️                  ⬇️              ⬇️

शुद्ध बड़ी    बड़ीवर्णसंकर       शुद्ध छोटी

मटर 25%    मटर 50%    मटर25%

🖤मटर के प्रयोग के बाद  मेंडल ने चूहे पर प्रयोग किया उन्होंने एक काले चूहे और एक सफेद चूहे पर अपना प्रयोग किया उन्होंने पाया कि जब एक काला चूहा और एक का सफेद चूहे के  बीच क्रॉस कराया गया तो प्रथम पीढ़ी में सारे काले बच्चे पैदा हुए फिर उन काले  बच्चों में प्रयोग कराया गया तो सेकेंड पीढ़ी में एक सफेद बच्चा और बाकी सभी काले बच्चे पैदा हुए ,फिर उन  सफेद और काले बच्चों में प्रयोग कराया गया तो कुछ काले कुछ सफेद बच्चे पैदा हुए| 

              🐀➕🐁

                  ⬇️

🐀     🐀        🐀        🐁

                  ✖️

⬇️      ⬇️        ⬇️        ⬇️

🐀      🐀        🐀        🐁

⬇️                 ✖️               ⬇️

🐀                                     🐁

⬇️       ⬇️        ⬇️            ⬇️

🐀       🐀        🐀            🐁

बीएन झा  के अनुसार 

जब वर्णसंकर अपने स्वयं के पित् या मात्  उत्पादक कोषों का निर्माण करते हैं तब वह प्रमुख गुणों से युक्त माता पिता के समान शुद्ध प्रकार को जन्म देते हैं

मेंडल ने जो प्रयोग किए उनसे प्राप्त कर से वंशानुक्रम तथा वातावरण के प्रभाव के अध्ययन में सहयोग किया              

     *Notes by malti sahu*

          🖊️ *Thanku* 🖊️

🌸🔅अर्जित गुणों के  संक्रमण का नियम🔅🌸

🔅इस नियम में जो गुण माता-पिता अपने जीवन काल में अर्जित करते हैं वह गुण  संतान में उत्पन्न नहीं होते हैं

🔅 इस नियम को स्वीकार करते हुए विकासवादी लैमार्क कहते हैं ➖️कि व्यक्ति अपने जीवन काल में गुण के अलावा जो भी अर्जित करते हैं वह है उनके द्वारा उत्पन्न किए गए संतानों को संक्रमित किया जाता है

✏️इसका उदाहरण बताते हुए लैमार्क कहते हैं ➖️की जिराफ की गर्दन पहले घोड़े के समान थी वह पेड़ की पत्तियां खाते-खाते उसकी गर्दन लंबी हो गई जरा आप अपनी गर्दन को ऊपर की ओर खींच कर पेड़ की पत्तियां खाता तो जेवर आपकी गर्दन लंबी हो गई इस लंबी गर्दन का गुण पीढ़ी दर पीढ़ी चलता गया जिराफ की गर्दन लंबी होने से उनकी जो भी बच्चे पैदा हुए उनकी गर्दन भी लंबी हो गई यह प्रक्रिया पीढ़ी दर पीढ़ी चलती गई

लेमार्क के कथन की पुष्टि करते हुए ⚜️मेडयुगल और ⚜️पावलाव में➖️ चूहे पर और ⚜️हैरिसन ➖️ने पतंग पर परीक्षण करके किया है

लेकिन ✏️वुडवर्ड ➖️ने इसको सही नहीं माना है वह कहते हैं कि आज के युग में विकासवादी या अर्जित गुणों के संक्रमण का सिद्धांत स्वीकार नहीं किया जाता है

 वंशानुक्रम के प्रक्रिया के अपने आधुनिक ज्ञान से उत्पन्न होने पर यह बात प्रायः असंभव जान पड़ती है कि अर्जित गुण को संक्रमित किया जा सके यदि आप कोई भाषा बोलना सीख लेते है तो क्या आप जीन माध्यम से बच्चों में संक्रमित कर सकते हैं इस प्रकार के किसी प्रकार की पुष्टि नहीं हुई है

🔅✏️मेंडल का वंशानुक्रम पर नियम➖️

 मेंडल ने मटर पर परीक्षण किया और यह सिद्धांत का 🔅प्रतिपादन ➖️ मेंडल  ने दिया उन्होंने दो प्रकार के मटर लिए छोटे मटर और बड़े मटर इन दोनों को अलग-अलग बोया तो छोटे मटर से छोटी और बड़े मटर से बड़ी मटर पैदा हुई

लेकिन जब उन्होंने छोटी मटर और बड़ी मटर दोनों को मिलाकर एक साथ हो या तो दोनों ही प्रकार के मटर पैदा हुई आता छोटे पन का गुणसूत्र रह गया और बड़े पन का गुण व्याप्त हो गया मटर समान प्रकार में पैदा हुई इस प्रक्रिया को कई बार दोहराया और अंत में मेंडल को वर्णसंकर  के बजाय शुद्ध मटर प्राप्त हुई

उन्होंने मटर जैसे चूहों🐀🐁 पर प्रयोग किया उन्होंने दो प्रकार के चूहे ले काला 🐀और दूसरा सफेद 🐁और दोनों को एक साथ रखा जो चूहे उत्पन्न हुई वह काले🐀🐀 थे फिर उसने वर्णसंकर काले 🐀चूहे को एक साथ रखा इससे उत्पन्न चूहे सफेद🐁 और काले 🐀दोनों प्रकार के हुए इससे यह पता चलता है कि एक काले 🐀चूहे और सफेद 🐁चूहे से उत्पन्न चूहा सफेद🐁 भी हो सकता है और काले भी हो सकता है किसी भी प्रकार के चूहे हो सकते हैं सफेद🐁 या काले🐀 दोनों में से दोनों रंग में से कोई भी रंग हो सकता है

🔅✏️बीएन झा के अनुसार➖️ जयशंकर अपने स्वयं के माता-पिता उत्पादक कोषों का निर्माण करता है तो वह मुख्य गुणों से युक्त माता पिता के समान सरकार को जन्म देता है

🔅मेंडल ने जो प्रयोग की  उससे प्राप्त निष्कर्षों से वंशानुक्रम तथा वातावरण के प्रभाव के अध्ययन में सहयोग मिला

Notes by sapna yadav

🔆 वंशानुक्रम के सिद्धांत➖

1) बीजकोष की निरंतरता का सिद्धांत 

2)समानता का सिद्धांत 

3) विभिन्नता का नियम

4) प्रत्यागमन का नियम 

5) अर्जित गुणों के संक्रमण का नियम

6) मेंडल का नियम

🎯 अर्जित गुणों के संक्रमण का नियम➖

इस नियम के अनुसार माता-पिता द्वारा अपने जीवन काल में अर्जित किए  किए जाने वाले गुण उनके संतान को प्राप्त नहीं होते हैं |

          इस नियम को अस्वीकार करते हुए   “विकासवादी लैमार्क”    कहते हैं कि व्यक्तियों द्वारा अपने जीवन काल में जो कुछ भी अर्जित किया जाता है वह उनके द्वारा उत्पन्न किए जाने वाले व्यक्तियों को संक्रमित किया जाता है |

 इसका उदाहरण देते हुए लैमार्क ने कहा कि जिराफ की गर्दन पहले घोड़े की गर्दन के समान थी पेड़ से पत्ते खाने के लिए जिराफ़ ने अपनी गर्दन को ऊपर की तरफ खींचा तो इस विशेष परिस्थिति के कारण उनकी गर्दन लंबी होती चली गई |

कालांतर में उनकी लंबी गर्दन का गुण अगली पीढ़ी में संक्रमित होता गया |

                   लैमार्क के  इस कथन की पुष्टि मेक्डूगल और पावलव ने चूहों पर एवं हैरिसन ने पतंगों पर परीक्षण करके किया |

 आज के युग में विकासवाद या अर्जित गुणों के संक्रमण का सिद्धांत स्वीकार नहीं किया जाता है |      क्योंकि 

वंशानुक्रम की प्रक्रिया के अपने आधुनिक ज्ञान से संपन्न होने पर यह बात प्रायः असंभव जान पड़ती है कि अर्जित गुणों को संक्रमित किया जा सके इस प्रकार के किसी भी प्रमाण की पुष्टि नहीं हुई है  |

🎯 मेंडल का नियम➖

मेंडल ने अपने बगीचे में बड़े और छोटी मटर बराबर संख्या या मात्रा में लगाई  जिसमें उगने वाले मटर वर्णसंकर मटर थे |

 इस प्रकार अलग-अलग प्रकार के  मटर पाए गए उन्होंने मटर को फिर बोया और फिर अलग-अलग प्रकार की मटर पाया और यह प्रक्रिया बार-बार करने के दौरान उन्होंने पाया कि जो मटर है वह वर्णसंकर ना होकर शुद्ध मटर के रूप में था गोल और सफेद थे |

और  यह प्रयोग उन्होंने चूहों पर भी किया जिसमें उन्होंने सफेद और काले चूहों को एक साथ रखा जिसमें जो  भी चूहे  हुए वह काले हुए और फिर उन्होंने वर्णसंकर चूहों को एक साथ रखा जिसमें उन्होंने उनसे होने वाले काले चूहों को एक साथ रखा जिससे उन से होने वाले चूहे काले और सफेद भी थे |

  जिससे यह निष्कर्ष निकाला गया कि मौलिकता में जो विशेष गुण होते हैं  वह पूर्वजों से प्राप्त होते हैं |

इसी संदर्भ में  बी.एन. झा.➖

                         ने कहा कि “जब वर्णसंकर अपने स्वयं के पितृ या मातृ उत्पादक कोषों का निर्माण करते हैं तो वे प्रमुख गुणों से युक्त माता पिता के समान शुद्ध प्रकार को जन्म देते हैं  | 

मेंडल ने  जो प्रयोग किए उनसे प्राप्त निष्कर्ष से वंशानुक्रम  तथा वातावरण के प्रभाव के अध्ययन में सहयोग मिला  | 

नोट्स बाय➖ रश्मि सावले

🌻🌼🍀🌺🌸🌻🌼🍀🌺🌸🌻🌼🍀🌺🌸🌻🌼🍀🌺🌸

🥀🥀  अर्जित गुणों के संक्रमण का सिद्धांत🥀🥀

🗣️इस नियम के अनुसार माता-पिता द्वारा अपने जीवन काल में आयोजित किए जाने वाले गुण के संतान को प्राप्त नहीं होते हैं।

✋इस नियम को अस्वीकार करते हुए विकासवादी के लैमार्क जी कहते हैं कि”व्यक्तियों द्वारा अपने जीवन काल में जो कुछ भी अर्जित किया जाता है वह उनके द्वारा उत्पन्न किए जाने वाले व्यक्तियों को संक्रमित करता है।

इसका उदाहरण देते हुए लैमार्क ने कहा कि “पुराने समय में जिराफ की गर्दन घोड़े के गर्दन के समान ही होती थी किंतु पेड़ से पत्तियां खाने के लिए जिराफ ने अपनी गर्दन को ऊपर की तरफ उठाया और इस क्रिया को निरंतर करने के कारण उसकी गर्दन पीढ़ी दर पीढ़ी लंबी होती चली गई और कालांतर में उसकी लंबी गर्दन का गुण अगली पीढ़ी में संक्रमित हुआ।

🗣️लैमार्क के इस कथन की पुष्टि मैक्डूगल वा पावलाव ने चूहों पर एवं हैरिसन ने कीट -पतंगों पर परीक्षण करके किया है।

🙄आज के युग में विकासवाद या अर्जित गुणों के संक्रमण का सिद्धांत स्वीकार नहीं किया जाता है।

🌻🏵️वंशानुक्रम की प्रक्रिया के अपने आधुनिक ज्ञान से संपन्न होने पर यह बात पर आया असंभव जान पड़ती है कि अर्जित गुणों को संक्रमित किया जा सकता है,यदि आप कोई भाषा बोलना सीख ले तो क्या आप जिनके माध्यम से बच्चों में उस भाषा को संक्रमित कर सकते हैं, इस प्रकार के संक्रमण की किसी प्रकार की पुष्टि नहीं हुई है।

      🕵️मेंडलवाद का नियम🕵️

    (Mendelism Theory)

   (प्रयोग वर्ष÷1856-1863)

👩‍🎓मेंडल का पूरा नाम÷ग्रेगर जॉन रे मेंडल

🍒प्रयोग÷उद्यान मटर (Garden pea)scinitific name-Pisium sativum(pea)

🏵️🌻ग्रेगर जॉन मेंडल ने अपने बगीचे में मीठी मटर के बड़े और छोटे दानों को आपस में मिलाकर अपने उद्यान में बो दिए, उगने वाली मटर में सब वर्णसंकर जाति की मटर थी वह पहली पीढ़ी की थी  (Filial generation-1)(F1 -generation)

🌻🏵️मेंडल ने इन वर्णसंकर मटरो को फिर से बोया, प्राप्त वर्णसंकर मटरे  दूसरी पीढ़ी अर्थात (F2 -Generation)की थी ,इसी तरह उसने अलग-अलग पीढ़ीयों के गुणों का पता लगाने के लिए वर्णसंकर मटरो को बार-बार बोया और फिर अंतिम में प्राप्त हुई मटर बिल्कुल शुद्ध  प्रकार की थी, ना ही छोटी थी ना ही अत्यधिक बढी ना ही झुर्रीदार ना ही सूखी।

🌻🏵️इसी प्रकार मेंडल ने चूहों पर भी अपना प्रयोग किया

उसने अपने चूहों के प्रयोग के लिए सफेद एवं काले चूहो को चुना और इन चूहों को एक साथ रखा जिससे प्राप्त होने वाले  पहली पीढ़ी (F1 -generation)के सभी चूहे पूर्णता वर्णसंकर काले थे;

🌻🏵️फिर उसने इन चूहों को एक साथ रखा तो इससे प्राप्त होने वाले कुछ चूहे काले एवं कुछ सफ़ेद थे दूसरी पीढ़ी (F2 -Generation); प्राप्त इन काले एवं सफेद चूहों में से काले चूहों को काले के साथ ,एवं सफेद चूहों को सफेद के साथ रखने पर सफेद चूहों में से सिर्फ सफेद रंग के चूहे की निकले किंतु काले चूहो में से काले चूहे एवं सफेद दोनों की वर्णशंकर जाति रंग के चूहे  निकले;

इससे उन्होंने अपने मेंडल वाद नियम का प्रतिपादन किया और उसने कहा कि अगर हम मौलिकता (विशिष्ट गुण)की बात करें तो गुण एक पीढ़ी से दूरी दूसरी पीढ़ी हस्तांतरित होते रहते हैं किंतु उनका प्रभाव सभी पीढ़ी में समान नहीं रहता।

🗣️बी एन झा के अनुसार÷जब वर्णसंकर अपने स्वयं के पित्र या मात्र उत्पादक कोशो का निर्माण करते हैं,तब वह प्रमुख गुणों से युक्त माता पिता के समान शुद्ध प्रकार को जन्म देते हैं।

🗣️मंडल ने जो प्रयोग किए,उनके प्राप्त निष्कर्ष से वंशानुक्रम तथा वातावरण के प्रभाव के अध्ययन में सहयोग मिला।

written by-shikhar

अनुवांशिकता एवं वातावरण

 अर्जित गुणों के संक्रमण का नियम:– इस नियम के अनुसार माता-पिता के द्वारा अपने जीवन काल में अर्जित किए जाने वाले गुण उनकी संतान को प्राप्त नहीं होते हैं

इस नियम को अस्वीकार करते हुए विकासवादी लैमार्क कहते हैं कि👉” व्यक्तियों द्वारा अपने जीवन काल में जो कुछ भी अर्जित किया जाता है उनके द्वारा उत्पन्न में किए जाने वाले व्यक्तियों को संक्रमित किया जाता है”

इसका उदाहरण देते हुए लैमार्क ने कहा है कि जिराफ की गर्दन पहले घोड़े के समान थी पेड़ से पत्ते खाने के लिए फिर आपने अपनी गर्दन के ऊपर की तरफ खींचा तो इस विशेष परिस्थिति के कारण उनकी गर्दन लंबी होती चली गई कालांतर में उसकी लंबी गर्दन का गुण अगली पीढ़ी में संक्रमित हुआ

लैमार्क के इस कथन की पुष्टि  maikdugal और  पावलव  ने चूहों पर एवं हैरिसन ने पतंगों (कीट पतंगों )पर परीक्षण करके किया

” आज के युग में विकासवाद या अर्जित गुणों के संक्रमण का सिद्धांत स्वीकार नहीं किया जाता”

” वंशानुक्रम की प्रक्रिया के अपने अनुवांशिक ज्ञान से संपन्न होने से यह बात पर यह असंभव जान पड़ती है कि अर्जित गुणों को संक्रमित किया जा सके यदि आप कोई भाषा बोलना सीख ले तो क्या  आप जीन के माध्यम से बच्चों में संक्रमित कर सकते हैं इस प्रकार के किसी प्रमाण की पुष्टि नहीं हुई है”

 मेंडल का नियम🍃🍃

मेंडल ने मटर पर प्रयोग किया है

मेंटल में शुद्ध बड़ी मटर एवं शुद्ध छोटे मटर को एक साथ बराबर संख्या में बोया तो उनमें से वर्णसंकर मटर उत्पन्न हुए जब इन्होंने वर्णसंकर मटर को बोया तो उसमें से 25% शुद्ध बड़ी मटर 25% शुद्ध छोटी मटर एवं 50% बड़ी वर्णसंकर मटर उत्पन्न हुई

इस प्रकार से मेंडल ने निष्कर्ष निकाला कि प्रकृति अपने शुद्ध लक्षणों के साथ संतान पैदा करने के लिए प्रोत्साहित करती है इस सिद्धांत को अनुवांशिकता के सिद्धांत के रूप में जाना जाता है और इस सिद्धांत को मंडेलिज्म  के नाम से जाना जाता है

इसी प्रकार मेंडल ने चूहों पर भी प्रयोग किया

पहले इन्होंने दो प्रकार के काले और सफेद चूहों को एक साथ रखा उसमें उन्होंने देखा कि काले चूहे प्राप्त हुए फिर उन्होंने सिर्फ काले काले  चूहों को साथ में रखा तो उनसे उन्होंने देखा कि सफेद और काले दोनों प्रकार के चूहे प्राप्त हुए

इससे हम निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि संतान में जो गुण आते हैं वह उनके माता-पिता से ही नहीं बल्कि उनके पूर्वजों से भी प्राप्त होते हैं

 बीएन झा के अनुसार:- जब   वर्णसंकर  अपने स्वयं के  पितृ या मातृ उत्पादक कोषों का निर्माण करते हैं तब वह प्रमुख गुणों से युक्त माता पिता के समान शुद्ध प्रकार को जन्म देते हैं

मेंडल जो प्रयोग किए उनसे प्राप्त निष्कर्षों से वंशानुक्रम तथा वातावरण के प्रभाव के अध्ययन में सहयोग करता है

सपना साहू 

🍃🍃📚📚📚📚📚🔰🔰🔰🔰🔰💠💠💠💠💠

वंशानुक्रम के सिद्धांत

💥💥💥💥💥💥💥💥

15 march  2021

🌻 5.  अर्जित गुणों के संक्रमण का नियम  :-

इस नियम के अनुसार माता-पिता द्वारा अपने जीवनकाल में अर्जित किए जाने वाले गुण उनकी संतान को प्राप्त नहीं होते हैं।

                        🍁 इस नियम को अस्वीकार करते हुए   “विकासवादी लैमार्क ”  कहते हैं कि  :-

व्यक्तियों द्वारा अपने जीवनकाल में जो कुछ भी अर्जित किया जाता है वह उनके द्वारा उत्पन्न किए जाने वाले व्यक्तियों को संक्रमित करता है।

अतः इसका उदाहरण देते हुए ” लैमार्क ” ने कहा है कि –

👉👉 ” जिराफ की गर्दन पहले घोड़े के समान थी पर ,  पेड़ों से पत्तियां खाने के लिए जिराफ ने अपनी अपनी गर्दन को ऊपर की तरफ खींचा / उठाया तो इस विशेष परिस्थिति के कारण उनकी गर्दन लंबी होती चली गई तथा कालांतर में उनकी लंबी गर्दन का गुण अगली पीढ़ी में संक्रमित होता चला गया। “

🌿🌿 लैमार्क के इस कथन की पुष्टि –

👉 मैक्डुगल  और पावलव  ने   :-   चूहों पर 

👉 तथा हैरिसन ने                  :-    पतंगों( कीट )

पर परीक्षण करके की है।

🌺  वुडवर्थ  के अनुसार  :-

आज के युग में विकासवाद या अर्जित गुणों के संक्रमण का सिद्धांत स्वीकार नहीं किया जाता है।

     वंशानुक्रम की प्रक्रिया के अपने आधुनिक ज्ञान से संपन्न होने पर यह बात प्रायः असंभव जान पड़ती है कि अर्जित गुणों को संक्रमित किया जा सके।

यदि आप कोई भाषा बोलना सीख ले तो क्या आप gene पित्रैक के  माध्यम से बच्चों में संक्रमित कर सकते हैं –  

[ बिल्कुल भी नहीं ]

अतः इस प्रकार के किसी भी प्रमाण की पुष्टि नहीं हुई है।

🌻  6. मेंडलवाद  का नियम   :-

पूरा नाम :- ग्रेगर जॉन मेंडल 

इस नियम के प्रयोग करने का वर्ष है :- 1856 – 1863

प्रयोग किया  :- मटर पर

👉 मेंडल ने अपने बगीचे में शुद्ध बड़ी मटर और शुद्ध छोटी मटर के बीजों को मिलाकर सर्वप्रथम  एक साथ बोया जिससे वर्णसंकर मटर की प्रजाति उत्तपन्न हुयी ।

 👉 इसके बाद वर्णसंकर मटर को बार – बार बोया तो उससे 

👉 25% शुद्ध बड़ी मटर

👉 25% शुद्ध छोटी मटर 

👉 तथा 50% वर्णसंकर मटर

की प्रजाति की पैदावार हुई और ।

🌿🌿🌿 इसी प्रकार से मेंडल ने चूहों पर अपना प्रयोग किया  :-

👉 सबसे पहले मेंडल ने एक काले और एक सफेद चूहों को एक साथ रखा ( क्रॉस करवाया ) जिससे होने बाली नयी प्रजाति काले रंग के चूहों की हुई।

👉 इसके बाद काले रंग के नए चूहों को क्रॉस करवाया जिससे कुछ काले रंग के चूहों के साथ सफेद रंग के चूहे भी पैदा हुए ।

👉 अब जो नये चूहे पैदा हुए उनमे से सफेद रंग के चूहों को क्रॉस करवाने पर सिर्फ सफेद

👉 और काले रंग के चूहों को क्रॉस करवाने पर सिर्फ काले 

👉 तथा कुछ अन्य काले रंग के चूहों को क्रॉस करवाने पर काले और सफेद दोनों रंगों के चूहों का जन्म हुआ । 

🌹🌹अंततः मेंडल के प्रयोग से निष्कर्ष निकलता है कि नई पीढ़ी की मौलिकता में सिर्फ उनके माता पिता के गुण ही नहीं बल्कि उनके पूर्वजों के भी गुण, gene आते हैं।

🌻  इसी संदर्भ में  B . N . झाँ  ने कहा है कि  –

 जब वर्णसंकर अपने स्वयं के पितृ या मातृ उत्पादक कोषों का निर्माण करते हैं तो वे प्रमुख गुणों से युक्त माता पिता के समान शुद्ध प्रकार को जन्म देते हैं।

        अतः मेंडल ने जो प्रयोग किए उनसे प्राप्त निष्कर्षों से वंशानुक्रम तथा वातावरण के प्रभाव के अध्ययन में सहयोग मिला है।

✍️Notes by – जूही श्रीवास्तव✍️

DATE   15/03/2021

 🌵अनुवांशिकता एवं वातावरण🌵

🙏समानता का नियय

🙏विभिन्नता का नियम

🙏 भिन्नता का नियम

🙏प्रत्यागमन का नियम

          Today class….

🙏अर्जित गुणों के संक्रमण का नियम:– 

🐒इस नियम के अनुसार माता-पिता के द्वारा अपने जीवन काल में अर्जित किए जाने वाले  गुण उनकी संतान को प्राप्त नहीं होते हैं

🌲इस नियम को अस्वीकार करते हुए विकासवादी:– लैमार्क कहते हैं कि:–

” व्यक्तियों द्वारा अपने जीवन काल में जो कुछ भी अर्जित किया जाता है उनके द्वारा उत्पन्न में किए जाने वाले व्यक्तियों को संक्रमित करता है”

🐒इसका उदाहरण देते हुए लैमार्क ने कहा है कि :–

🦕 जिराफ की गर्दन पहले घोड़े के समान थी । पेड़ से पत्ते खाने के लिए जिराफ ने अपनी गर्दन को ऊपर की तरफ खींचा तो इस विशेष परिस्थिति के कारण उनकी गर्दन लंबी होती चली गई । कालांतर में उसकी लंबी गर्दन का गुण अगली पीढ़ी में संक्रमित हुआ ।

🐒लैमार्क:– के इस कथन की पुष्टि  मैक्डूगल और पावलव  ने चूहों पर एवं हैरिसन ने पतंगों (कीट पतंगों )पर परीक्षण करके किया ।

🌵वुडवर्थ ने इस पर कहा वंशानुक्रम की प्रकिया मे अपने आधुनिक ज्ञान से सम्पन्न होने पर यह बात प्रायः असम्भव जान परती है की अर्जित गणों को संक्रमित किया जा सके।

🤔अर्थात यदि आप कोई भाषा बोलना सिख ले तो क्या आपके (Jean)के द्वारा इस भाषा का ज्ञान बच्चों मे चला जाता है। तो इस प्रकार से किसी प्रमाण के पुस्ठी नही हुई 

🌵” आज के युग में विकासवाद या अर्जित गुणों के संक्रमण का सिद्धांत स्वीकार नहीं किया जाता”

🦠 वंशानुक्रम की प्रक्रिया के अपने आधुनिक  ज्ञान से संपन्न होने से यह बात पर यह असंभव जान पड़ती है कि अर्जित गुणों को संक्रमित किया जा सके यदि आप कोई भाषा बोलना सीख ले तो क्या  आप जीन के माध्यम से बच्चों में संक्रमित कर सकते हैं इस प्रकार के किसी प्रमाण की पुष्टि नहीं हुई है”

 🌵मेंडल का नियम

इस नियम के अनुसार :— जो भी अलग-अलग प्रकार के जीव-जन्तु है उनका सबका अपना विकास का नियम होता है उन्होने अपने बगीचे मे बड़ी और छोटी मटर बराबर संख्या में मिलाकर वोया। उगने वाला जो मटर था सब वर्ण संकर जाति (अलग-अलग तरह के मटर उगे) मैन्ड़ल ने इसको फिर से वोया इस प्रकार उन्होने कई बार वोया एसे मे अंत में उन्होने देखा वर्णसंकर मटर नही थे सारे मटर शुद्ध मटर था 

इस प्रकार से मेंडल ने निष्कर्ष निकाला कि प्रकृति अपने शुद्ध लक्षणों के साथ संतान पैदा करने के लिए प्रोत्साहित करती है इस सिद्धांत को अनुवांशिकता के सिद्धांत के रूप में जाना जाता है और इस सिद्धांत को मंडेलिज्म  के नाम से जाना जाता है

🐀🐁इसी प्रकार मेंडल:– ने चूहों पर भी प्रयोग किया

पहले इन्होंने दो प्रकार के काले और सफेद चूहों को एक साथ रखा उसमें उन्होंने देखा कि काले चूहे प्राप्त हुए फिर उन्होंने सिर्फ काले काले  चूहों को साथ में रखा तो उनसे उन्होंने देखा कि सफेद और काले दोनों प्रकार के चूहे उत्पन्न हुए ।

इससे हम निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि संतान में जो गुण आते हैं वह उनके माता-पिता से ही नहीं बल्कि उनके पूर्वजों से भी स्थानांतरण होते रहते हैं वे दिखे जिस भी जेनरेसंन में।

🐧 बीएन झा के अनुसार:- जब   वर्णसंकर  अपने स्वयं के  पितृ या मातृ उत्पादक कोषों का निर्माण करते हैं, तब वह प्रमुख गुणों से युक्त माता पिता के समान शुद्ध प्रकार को जन्म देते हैं

मेंडल जो प्रयोग किए उनसे प्राप्त निष्कर्षों से वंशानुक्रम तथा वातावरण के प्रभाव के अध्ययन में सहयोग मिला है

🦓🦓🦓🦓🦓🦓🦓🦓🦓

Notes by:– संगीता भारती 🙏🙏

               Thank you

💥💥💥💥💥💥💥💥

 वंशानक्रम के नियम―

🌴अर्जित गुणों के संक्रमण का नियम― 

 💐 इस नियम के अनुसार,” माता पिता द्वारा अपने जीवन काल मे अर्जित किये जाने वाले गुण उनके संतान को प्राप्त नही होते हैं।”

       🦚  इस नियम को अस्वीकार करते हुए विकास वादी लैमार्क कहते हैं कि,

        ” व्यक्तियों द्वारा अपने जीवन काल मे जो भी अर्जित किया जाता है वह उनके द्वारा उत्पन्न होने वाले व्यक्तियों को संक्रमित करता है।

👉इसका उदाहरण देते हुए लैमार्क ने कहा है कि गर्दन पहले घोड़े के समान थी। पेड़ के पत्ते खाने के लिए जिराफ ने अपने गर्दन को ऊपर की तरफ खिंचा तो इस विशेष परिस्थिति के कारण उनकी गर्दन लंबी होती चली गयी । कालांतर में उनकी लंबी गर्दन के गुण उनकी अगली पीढ़ी में संक्रमित हो गया।

       👉लैमार्क के इस नियम की पुष्टि मैकडुगल और पावलव ने चूहों पर एवं हैरिसन ने पतंग पर परीक्षण करके किया ।

🌼🦚वुडवर्थ के अनुसार―

      🌈आज के युग मे विकासवाद या अर्जित गुणों के संक्रमण के सिद्धांत को स्वीकार नहीं किया जाता है।

  🌻💫वंशानक्रम की प्रक्रिया के अपने आधुनिक ज्ञान से सम्पन्न होने पर यह बात प्रायः असम्भव जान पड़ती है कि अर्जित गुणों को संक्रमित किया जा सके। यदि आप भाषा को बोलना सीख ले तो क्या जीन के माध्यम से यह बच्चो में संक्रमित कर सकता है।  ( बिल्कुल भी नही)

💐 इस प्रकार किसी प्रमाण की पुष्टि नही हुई है।

👨‍✈️मेंडल के नियम―  ग्रेगर जॉन मेंडल ने अपना प्रयोग मटर पर किया था। इस प्रयोग में इन्होंने मटर के कुछ बड़े तथा कुछ छोटे पौधों के बीजों को बोया । उससे प्राप्त होने वाली वर्णसंकर मटर प्राप्त हुए । उसके बाद उन्होंने ने बार बार मटर की वर्णसंकर बीजो को बोया । जिसमे उन्हें  शुद्ध बड़ी मटर 25%, शुद्ध छोटी मटर25%,  और वर्णसंकर 50% प्राप्त हुई। 

👨‍✈️🌻 इसी प्रकार मेंडल ने चूहों 🐀पर भी प्रयोग किया । इस प्रयोग में इन्होंने कुछ सफेद तथा कुछ काले चूहों को एक साथ रखा । जिससे इनसे प्राप्त होने वाली नई प्रजाति में सिर्फ काले चूहे ही हुए उसके बाद इन्होंने इन काले चूहों को एक साथ रखा । और उससे प्राप्त नई पीढ़ी में काले तथा सफेद रंग के चूहे प्राप्त हुए। 

 अतः मेंडल के इस प्रयोग से निष्कर्ष निकलता है।कि नई पीढ़ी की मौलिकता केवल माता पिता की ही नही बल्कि पूर्वजो के भी जीन्स होते हैं।

👨🏼‍💼 बी.एन. झा के अनुसार― जब वर्ण संकर स्वयं के पितृ तथा मातृ उत्पादक कोषों का निर्माण करते हैं तो वे प्रमुख गुणों से युक्त माता पिता के समान शुद्ध प्रकार को जन्म देते हैं।

🌴🌻 मेंडल ने जो प्रयोग किये उनसे प्राप्त निष्कर्ष से वंशानुक्रम तथा वातावरण के प्रभाव को अध्ययन में बहुत सहयोग मिला ।

 💥💥💥💥💥💥💥💥

Notes by Poonam sharma🌻🌻

31. CDP – Heredity and Environment PART- 3

☘️🌻 वंशानुक्रम के नियम🌻☘️

☘️🌼 समानता का नियम (Law of Resemblance)

👉🏼जैसे माता-पिता होते हैं वैसे ही संतान होती है इसे स्पष्ट करते हुए 🤵🏻‍♂सोरेन्सन ने कहा है कि बुद्धिमान माता-पिता के बच्चे बुद्धिमान साधारण माता-पिता के बच्चे साधारण और मूर्ख माता-पिता के बच्चे मूर्ख होते हैं।

👉🏼इस प्रकार शारीरिक संरचना की दृष्टि से भी बच्चे माता पिता के समान होते हैं यह नियम भी अपूर्ण है,क्योंकि प्राय: देखा जाता है कि काले माता-पिता की संतान गोरी, गोरे माता पिता के संतान काले मंदबुद्धि माता पिता के संतान बुद्धिमान बुद्धिमान माता पिता के संतान मंद बुद्धि होते हैं।

☘️🌼 भिन्नता का नियम (Law of Variation)➖

👉🏼बालक अपने माता-पिता के बिल्कुल सम्मान ना होकर उनसे कुछ भिन्न होते हैं 

👉🏼एक ही माता-पिता के बालक एक दूसरे के समान होते हुए भी बुद्धि, स्वभाव इत्यादि में एक दूसरे से भिन्न होते हैं कभी-कभी उनमें पर्याप्त शारीरिक, मानसिक भिन्नता पाई जाती है।

👉🏼 जुड़वा बच्चे में भी भिन्नता पाई जाती है इसका कारण बताते हुए 🤵🏻‍♂सोरेन्सन ने कहा—इस भिन्नता का कारण के उत्पादक कोष की विशेषता है उत्पादक कोष में अनेक जीन  होते हैं जो भिन्न प्रकार से संयुक्त होकर एक दूसरे से भिन्न बच्चों का निर्माण करते हैं।

👉🏼भिन्नता का नियम देने वालों में डार्विन और लेमार्क ने अनेक प्रयोग या विचार से बताया कि उपयोग न करने वाले अवयव तथा विशेषताओं का लोप आगामी पीढ़ी में हो जाता है।

☘️🌼 प्रत्यागमन का नियम (Law of Regression)➖

👉🏼 माता पिता के विपरीत गुण बच्चों में पाए जाते हैं।

👉🏼🤵🏻‍♂सोरेनसन के अनुसार–बहुत प्रतिभाशाली माता-पिता के बच्चों में कम प्रतिभा होने की प्रवृत्ति और बहुत निम्न कोटि के माता-पिता के बच्चों में प्रतिभाशाली होने की प्रवृत्ति प्रत्यागमन है।

👉🏼इस नियम के अनुसार बालक अपने माता-पिता के विशिष्ट गुणों का त्याग कर कर सामान्य गुणों को ग्रहण करता है।

🌼1-माता पिता के पैत्रिक में से एक कम और एक अधिक शक्तिशाली होता है।

🌼2-माता-पिता में उनके पूर्वजों में से किसी एक पित्रैक अधिक शक्तिशाली है।

✍🏻📚📚 Notes by….. Sakshi Sharma📚📚✍🏻

🔆 वंशानुक्रम के सिद्धांत ➖

❇️ वंशानुक्रम का समानता का नियम :-

वंशानुक्रम के समानता के नियम के अनुसार, जैसे माता-पिता होते हैं, वैसी ही उनकी सन्तान होती है। वंशानुक्रम के समानता के नियम के बारे में

 ▪️मनोवैज्ञानिक सोरेनसन ने अपना मत दिया है। सोरेनसन वंशानुक्रम के समानता का नियम का अर्थ और स्पष्टीकरण करते हुए कहा है कि :-

” बुद्धिमान माता-पिता के बच्चे बुद्धिमान साधारण माता-पिता के बच्चे साधारण और मंदबुद्धि माता-पिता के बच्चे मंदबुद्धि होते हैं।”

▪️इस प्रकार शारीरिक संरचना की दृष्टि से भी बच्चे माता पिता के समान होते हैं अर्थात इस नियम के अनुसार बच्चे माता-पिता से शारीरिक व मानसिक रूप में समान होते हैं।

▪️वंशानुक्रम का समानता का नियम भी पूरी तरह से सही नहीं प्रतीत होता है क्योंकि, समाज में ऐसे बहुत से उदाहरण देखने को मिलते हैं, जिसमें काले माता-पिता की सन्तान गोरी होती है, और ऐसे भी उदाहरण हैं, जिसमें मन्द बुद्धि माता-पिता की सन्तान बुद्धिमान होती है।

▪️इससे सिद्ध होता है कि वंशानुक्रम का समानता का नियम पूरी तरह से सही नहीं है, मतलब संतान और उसके माता-पिता में समानता तो होती है, लेकिन इसके बहुत से अपवाद भी हैं।

▪️अर्थात यह नियम अपूर्ण  है क्योंकि प्राय यह देखा जाता है कि काले माता-पिता की संतान गोरी तथा गोरे माता-पिता की संतान काली 

या मंदबुद्धि माता-पिता की संतान बुद्धिमान, बुद्धिमान माता-पिता की संतान मंदबुद्धि होती हैं।

❇️ 2 वंशानुक्रम का विभिन्नता का नियम :-

▪️वंशानुक्रम का विभिन्नता का नियम के अनुसार, बच्चे अपने माता-पिता के बिल्कुल समान न होकर उनसे कुछ भिन्न होते हैं। इसी प्रकार, एक ही माता-पिता के दो बच्चे भी एक दूसरे से भिन्न हो सकते हैं।

▪️वंशानुक्रम का विभिन्नता का नियम के अनुसार, हो सकता है, कि एक ही माता-पिता की संताने रंग में समान हों लेकिन बुद्धि, और स्वभाव में एक-दूसरे से अलग-अलग होते हों। या फिर हो सकता है उनका रंग अलग-अलग हो और उनकी बुद्धि में समानता हो।

▪️वंशानुक्रम के विभिन्नता के नियम के बारे में सोरेन्सन का मत :-

✨वंशानुक्रम का विभिन्नता का नियम के विषय में सोरेन्सन ने बताया है कि –

▪️एक ही माता-पिता की संतानों में, विभिन्नता के कारण माता – पिता के उत्पादक कोषों की विशेषताएँ हैं । उत्पादक कोषों में अनेक पित्रैक होते हैं, जो विभिन्न प्रकार से संयुक्त होकर एक – दूसरे से भिन्न बच्चों का निर्माण करते हैं।

✨ वंशानुक्रम के विभिन्नता के नियम के संबंध में डार्विन और लेमार्क का मत :-

✨डार्विन और लेमार्क ने अनेक प्रयोगों के आधार पर वंशानुक्रम का विभिन्नता का नियम का प्रतिपादन किया है, डार्विन और लेमार्क ने वंशानुक्रम के विभिन्नता के नियम के संबंध में निम्नलिखित विचार प्रस्तुत किये हैं –

▪️”वंशानुक्रम में उपयोग न करने वाले अवयवों और विशेषताओं का विलोपन आने वाली पीढ़ियों में होता रहता है, और नवोत्पत्ति (नये गुणों और विशेषताओं) और प्राकृतिक चयन द्वारा वंशानुक्रमीय (आनुवंशिक) विशेषताओं और गुणों का उन्नयन (सुधार) होता रहता है।”   

▪️जो भी नए बच्चे का जन्म होता है उसमें दो चीजें का बहुत महत्वपूर्ण प्रभाव होता है ।

एक माता पिता के अंदर का गुण और दूसरा बाहरी वातावरण।

▪️आज के समय में बच्चे पर किसका कितना प्रभाव पड़ेगा यह अनुवांशिक परिस्थिति व वातावरण की उस परिस्थिति पर निर्भर करता है जिसमें बालक का जन्म हुआ है।

▪️आज के समय में बच्चों के बीच कई चीजों का उपयोग बढ़ गया है जिसकी कई हानिकारक प्रभाव देखने को मिलते हैं इसका दोष यह नहीं है कि इसका उपयोग बच्चे ने किया बल्कि यह वंशानुक्रम की परिस्थिति व वातावरण की वह परिस्थिति है जिसमें बच्चे का जन्म हुआ है।

▪️किसी भी नई या आगामी पीढ़ी  में अनुवांशिक परिस्थिति वंशानुक्रम परिस्थिति के अनुसार ही किसी भी चीज का लोप हो जाना या आ जाना दोनों ही चीजें होती हैं।

▪️किसी भी प्राणी की या नई उत्पत्ति उसमें जो उस समय का वंशानुक्रम या लेटेस्ट वंशानुक्रम, जिसमें बच्चे की उत्पत्ति हुई है और उसी उत्पत्ति के समय का प्राकृतिक चयन वह दोनों ही अत्यंत महत्वपूर्ण है।

▪️इसीलिए किसी भी बच्चे की तुलना आगे आने वाली पीढ़ी या जो पिछली पीढ़ी है या जो वर्तमान पीढ़ी है उस से तुलना नहीं की जा सकती है।

▪️जो भी सकारात्मक या नकारात्मक परिवर्तन या बदलाव  है वह सब वंशानुक्रम और वातावरण की परिस्थिति पर ही निर्भर करते हैं।

❇️ 3 वंशानुक्रम का प्रत्यागमन का नियम :-

▪️बहुत प्रतिभाशाली माता-पिता के बच्चों में कम प्रतिभा होने की प्रवृत्ति और बहुत कम प्रतिभाशाली के माता-पिता के बच्चों में कम प्रतिभा होने की प्रवृत्ति ही प्रत्यागमन है।

▪️वंशानुक्रम का प्रत्यागमन का नियम, प्रकृति द्वारा विशिष्ट गुणों की जगह सामान्य गुणों का ज्यादा वितरण करके एक जाति के जीवों को एक ही स्तर पर रखने का प्रयास करती है।

प्रत्यागमन नियम के अनुसार,

“बच्चे अपने माता-पिता के विशिष्ट गुणों को ना अपनाकर सामान्य गुणों को ज्यादा ग्रहण करते हैं। वंशानुक्रम के प्रत्यागमन नियम के कारण ही महान व्यक्तियों की सन्तानें ज्यादातर उनके बराबर महान नहीं होते हैं।”

उदाहरण के लिए – बाबर की संतान अकबर में, बाबर की तुलना में बहुत कम प्रभावशाली गुण थे।

❄️प्रत्यागमन के कारण :-

प्रत्यागमन के निम्नलिखित दो प्रमुख कारण–

☄️● माता-पिता के पित्रैकों में से एक कम और एक अधिक शक्तिशाली होता है।

☄️● माता-पिता में उनके पूर्वजों में से किसी का पित्रैक अधिक शक्तिशाली होता है।

▪️ माता-पिता के गुण व दोषों का संतुलन आगे आने किसी भी आगे आने वाली पीढ़ी में बहुत आवश्यक है। जिससे वह किसी भी परिस्थिति में बेहतर रूप से समायोजन कर पाए।

▪️यह तीनों ही नियम अलग-अलग प्रकार की परिस्थिति है जो तीनों ही सत्य है।

जिसमें बच्चे माता -पिता के समान भी हो सकते हैं ।

बच्चे माता-पिता से  भिन्न भी हो सकते हैं ।

और बच्चे माता-पिता से विपरीत भी हो सकते हैं।

✍️

     Notes By-‘Vaishali Mishra’

🌤️वंशानुक्रम के संबंध में कई सिद्धांत दिए गए हैं जिनमें से कुछ निम्न प्रकार है।🌤️

🌸1)बीज कोष की निरंतरता का सिद्धांत :- 

▪️इस सिद्धांत के प्रतिपादक – “बीजमैन” है।

बालक को जन्म देने वाला बीज कोष कभी नष्ट नहीं होता है।

▪️इस सिद्धांत के अनुसार बीज कोष का कार्य केवल उत्पादक कोषो का निर्माण करना ही नही बल्कि इसके साथ साथ  जो बीज कोष बालक को अपने माता-पिता से मिलता है उसे वह अगली पीढ़ी को हस्तांतरित कर देता है इस प्रकार बीजकोष पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहता है ।

🌸 बी. एन.झा के अनुसार – 

बीज कोष सिद्धांत के पक्ष में अपना मत दिया कि

” माता पिता जन्मदाता ना होकर बीच कोष के   संरक्षक हो जो बीज कोष को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को इस प्रकार से स्थानांतरित किया जाता है कि मानो एक बैंक से निकाल कर दूसरे बैंक में रख दिया गया हो।”

🌸बीज मैन का सिद्धांत ना तो वंशानुक्रम की संपूर्ण प्रक्रिया की व्याख्या करता है और ना ही संतोषजनक है इसीलिए यह सिद्धांत अमान्य  है।

2)समानता का नियम =

जैसे माता-पिता होते हैं वैसे ही उसकी संतान होती है इससे स्पष्ट करते हुए सोरेन्सन  ने कहा बुद्धिमान माता-पिता के बच्चे बुद्धिमान साधारण माता-पिता के बच्चे साधारण और मंदबुद्धि माता-पिता के बच्चे मंदबुद्धि होते हैं 

🤩इस प्रकार शारीरिक रचना की दृष्टि से भी बच्चे माता पिता के समान होते हैं  | 🤩

➖लेकिन यह नियम भी अपूर्ण माना गया क्योंकि प्राह: देखा जाता है-

 कि काले माता-पिता के बच्चे गोरे, और गोरे माता-पिता के बच्चे काले ……. मंदबुद्धि माता-पिता के बच्चे बुद्धिमान … और बुद्धिमान माता-पिता के बच्चे मंद हो जाते हैं|

2)🌸विभिन्नता का नियम-

बालक अपने माता-पिता के बिल्कुल समान ना होकर उनसे कुछ भिन्न होता है एक ही माता-पिता के बालक एक दूसरे से सामान होते हुए भी रंग रूप, बुद्ध,  स्वभाव इत्यादि में एक दूसरे से भिन्न होते हैं कभी-कभी उन्हें पर्याप्त शारीरिक और मानसिक भिन्नता पाई जाती हैĺ 

➖उदाहरण के लिए एक ही घर में दो बच्चे बिल्कुल अलग होते हैं हमारे ही घर में  मेरा भाई और मैं बिल्कुल अलग अलग हैl मेरा भाई बिल्कुल पढ़ता नही और मै पढ़ती हूँ।

➖इसका कारण बताते हुए सोरेनसन ने कहा,

 इस भिन्नता का कारण ,उत्पादक कोषो की भिन्नता है उत्पादक कोष में अनेक जीन होते हैं जो विभिन्न प्रकार  से संयुक्त होकर एक दूसरे से अलग-अलग या भिन्न-भिन्न  बच्चे का निर्माण करते हैं|

😎भिन्नता का नियम देने वालों में डार्विन और लैमार्क ने  भी अनेक प्रयोग  या विचार से बताया कि उपयोग ना करने वाले अवयव तथा विशेषता का लोप आगामी पीढ़ी में हो जाता है|😎

3)🌸प्रत्यागमन का नियम  =   

माता-पिता से विपरीत गुण बच्चों में पाए जाते है| 

🤖सोरेनसन के अनुसार __बहुत प्रतिभाशाली माता-पिता के बच्चे कम प्रतिभाशाली होने की प्रवृत्ति और बहुत निम्न कोटि के माता-पिता के बच्चे प्रतिभाशाली होने की प्रकृति , प्रत्यागमन है |

🤖इस नियम के अनुसार बालक अपने माता पिता के विशिष्ट गुणो का त्याग करके सामान्य गुणों को ग्रहण करता है 

 इसका प्रमुख कारण —

1)माता पिता के जिनमें से एक कम और एक अधिक शक्तिशाली होता है|

2)माता-पिता में उनके पूर्वजों में से किसी एक जीन अधिक  शक्तिशाली  होते हैं l

 🖊️Notes by malti sahu 🖊️

              😎Thanku😎

🔆वंशानुक्रम के सिद्धांत🔆

🌲 बीज कोष की निरंतरता का सिद्धांत ➖️बालक को जन्म देने बाद भी बीज कोष कभी नष्ट नहीं होता है

✏️🔅इस कथन के प्रतिपादक ➖️बीजमेन में हैं

 उन्होंने कहा बीजकोष का  कार्य केवल उत्पादक कोष का निर्माण करना है जो बीच  बालक को अपने माता पिता से मिलता है उसे वह अगली पीढ़ी को हस्तांतरित करता है इस प्रकार बीजकोष पीढ़ी दर पीढ़ी चलता जाता है

✏️🔅बीएन झा के अनुसार➖️

इस सिद्धांत के अनुसार माता-पिता जन्मदाता ना होकर बीच कोष के संरक्षक हैं बीच को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को इस प्रकार स्थानांतरित किया जाता है मानो कि एक बैंक से पैसा निकाल कर दूसरे बैंक में पैसा रख दिया गया हो

 बीजकोष का सिद्धांत ना तो वंशानुक्रम की संपूर्ण व्याख्या करता है और ना ही संतोषजनक है

🌲समानता का सिद्धांत है➖️

जैसे माता-पिता होंगे वैसे ही उनकी संतान होगी इसे स्पष्ट करते हुए

✏️🔅सोरेनसन ने कहा ➖️बुद्धिमान माता-पिता की संतान बुद्धिमान और मंदबुद्धि माता-पिता की संतान मंदबुद्धि और साधारण बुद्धि माता पिता की संतान साधारण होती हैं इस प्रकार शारीरिक रचना की दृष्टि से भी बच्चे माता पिता के समान होते हैं यह नियम भी बीजमेन के नियम जैसा अपूर्ण है क्योंकि  देखा गया है कि तेज बुद्धि माता पिता की संतान मंदबुद्धि की हो सकती है और मंद बुद्धि के माता-पिता की संतान तेज बुद्धि हो सकती है इसी प्रकार अगर किसी के माता-पिता काले है तो उसकी संतान गोरी हो सकती है और गोरे माता-पिता की संतान काली हो सकती है इसमें भिन्नता पाई जा सकती है

🌲विभिन्नता का सिद्धांत ➖️बालक अपने माता पिता के समान ना होकर उसमें कुछ भिन्नता होती हैं एक ही माता-पिता के बालक एक दूसरे से समान होते हुए भी वह है बुद्धि,रूप रंग,स्वभाव, आकार में भिन्न भिन्न हो सकते हैं कभी-कभी उनमें पर्याप्त शारीरिक और मानसिक रूप से भिन्नता पाई जाती है

✏️🔅इस कारण बताते हुए सोसेन्सन ने कहा इस बिभिन्नता कारण माता-पिता के उत्पादकों की विशेषताओं के कारण है उत्पादक कोसों में अनेक जीन होते हैं जो विभिन्न प्रकार से संयुक्त होकर एक दूसरे से विभिन्न बच्चे का निर्माण करते हैं

✏️विभिन्नता के नियम देने वाले में डार्विन और लैमार्क➖️ ने अनेक प्रयोग या विचार से बताया कि उपयोग ना करने वाले अवयब,विशेषताओं का लोप आगामी पीढ़ी में हो जाता है जैसे हम कोई भी विशेषता या अवयव का प्रयोग नहीं करें करेंगे

इस नियम को लेमार्क और डार्विन ने दिया गया है

🌲प्रत्यागामन का सिद्धांत ➖️माता पिता के विपरीत गुण बच्चों में पाए जाते हैं ✏️🔅सोरेनसन ने कहा ➖️बहुत बुद्धिशाली माता-पिता के बच्चे कम बुद्धिशाली और बहुत निम्न कोटि वाले माता-पिता के बच्चे प्रतिभाशाली होने की प्रवृत्ति प्रत्यागमन कहलाती है

 इस नियम के अनुसार बालक अपने माता-पिता के विशिष्ट गुणों का त्याग करके सामान बड़ों को ग्रहण कर लेते हैं 1-माता-पिता में पैतृक में वे एक कम और एक अधिक शक्तिशाली होता है

 2-माता पिता के उनके पूर्वजों में किसी एक पैतृक अधिक शक्तिशाली होते है 🍀🍀🍀

Notes by sapna yadav

🔆वंशानुक्रम के सिद्धांत

1) बीजकोष की निरंतरता का सिद्धांत

2) समानता का सिद्धांत

3) विभिन्नता का नियम 

4) प्रत्यागमन का सिद्धांत

🎯 समानता का सिद्धांत➖

🍀 इस सिद्धांतके अनुसार जैसे माता-पिता होते हैं वैसे उनकी संतान होती है जैसे कि मंदबुद्धि माता-पिता की संतान मंदबुद्धि और विद्वान माता-पिता की संतान विद्वान होती है |

 इस कथन को स्पष्ट करते हुए

 सोरेन्सन ने कहा➖

              कि बुद्धिमान माता-पिता की संतान बुद्धिमान, साधारण माता-पिता की संतान साधारण, और मंदबुद्धि माता पिता की संतान मंदबुद्धि होती है |

इस प्रकार शारीरिक रचना की दृष्टि से भी बच्चे माता पिता के समान होते हैं |

यह नियम भी अपूर्ण है क्योंकि प्रायः देखा जाता है कि काली माता पिता की संतान गोरी और गोरी माता की संतान काली, तथा मंद बुद्धि माता पिता की संतान विद्वान और विद्वान माता पिता की संतान मंदबुद्धि होती है |

🎯 विभिन्नता का नियम ➖

इस नियम के अनुसार बालक अपने माता-पिता के बिल्कुल सामान ना होकर उनसे सभी शारीरिक और मानसिक गुणों में कुछ भिन्न  होता है |

एक ही माता-पिता की बालक एक दूसरे के समान होते हुए भी बुद्धि, रंग, रूप,और स्वभाव इत्यादि में एक दूसरे से भिन्न होते हैं कभी-कभी उनमें पर्याप्त शारीरिक और मानसिक भिन्नता पाई जाती है |

इसका कारण बताते हुए  ” सोरेन्सन “कहा कि इस विभिन्नता का कारण माता-पिता के उत्पादक कोषों की विभिन्नता है उत्पादक कोषों में  अनेक पित्रैक (जीन)  होते हैं जो विभिन्न प्रकार से होकर एक दूसरे से भिन्न बच्चे का निर्माण करते हैं |

भिन्नता का नियम देने वाले “डार्विन  और लैमार्क ” ने अपने अनेक प्रयोग या विचार से बताया कि उपयोग न करने वाले अवयव तथा विशेषता का लोप आगामी पीढ़ी में हो जाता है |

नई उत्पत्ति में प्राकृतिक चयन और वर्तमान वंशानुक्रम की महत्वपूर्ण भूमिका होती है |

🎯 प्रत्यागमन का नियम ➖

 इस नियम के अनुसार माता-पिता के विपरीत गुण बच्चों में पाए जाते हैं |

 सोरेन्सन ने कहा कि बहुत प्रतिभाशाली माता-पिता के बच्चों में कम प्रतिभा होने की प्रवृत्ति और बहुत निम्न कोटि के माता-पिता के बच्चों में प्रतिभाशाली होने की प्रवृत्ति प्रत्यागमन है |

 इस नियम के अनुसार बालक अपने माता-पिता के विशिष्ट गुणों का त्याग करके सामान्य गुणों को ग्रहण करता है |

🌼माता पिता के पित्रैक में से एक कम और एक अधिक शक्तिशाली होता है |

🌼  माता-पिता में उनके पूर्वजों में  से कोई एक पित्रैक  अधिक शक्तिशाली होता है |

𝙉𝙤𝙩𝙚𝙨 𝙗𝙮 ➖ 𝙍𝙖𝙨𝙝𝙢𝙞 𝙎𝙖𝙫𝙡𝙚

🌼🍀🌺🌸🌻🌼🍀🌺🌸🌻🌻🌸🌺🍀🌼🌻🌸🌺🍀🌼

(वंशानुक्रम के सिद्धांत)–

🌻बीजकोष के निरंतरता का सिद्धांत (Law of continuity of germ plasm)

👉🏻इस नियम के अनुसार बालक को जन्म देने वाला बीजकोष कभी नष्ट नहीं होता है। 

👉🏻इस नियम के प्रतिपादक बीजमैन थे।

इनके अनुसार बीजकोष का कार्य केवल उत्पादक कोषो का निर्माण करना है। जो बीचकोष बालक को अपने माता-पिता से मिलता है।

उसे वह अगली पीढ़ी को स्थानांतरित कर देता है।

इस प्रकार बीज कोष पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहता है।

🌻बी एन झा ने अनुसारक ― “माता-पिता बालक के जन्मदाता ना होकर केवल बीजकोष के संरक्षक है जिसे वह अपनी संतानों को देते हैं।”

बीजकोष एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को इस प्रकार स्थानांतरित किया जाता है।

👉🏻 वंशानुक्रम व्यक्ति की जन्म जात विशेषताओं का पूर्ण योग है

(🌻) समानता का सिद्धांत(Law of resemblance)

इस नियम के अनुसार जैसे माता-पिता होते हैं वैसे उनकी संतान होती है।

👉🏻सोरेनसन ने कहा है-“कि बुद्धिमान माता-पिता के बालक बुद्धिमान,मंदबुद्धि माता -पिता के बालक मंदबुद्धि व सामान्य माता -पिता के पुत्र सामान्य बुद्धि वाले होते हैं।

“इसी तरह शारीरिक दृष्टि से सुन्दर माता पिता के बच्चों में प्राय: सुन्दर होने की संभावना होती है जबकि कुरूप माता पिता के बच्चों में प्रायः कुरूप होने की संभावना रहती है।

(🌻) विभिन्नता का सिद्धांत(Law of variation)

इस नियम के अनुसार एक ही माता पिता से उत्पन्न बालक भिन्न-भिन्न हो सकते हैं ।

👉🏻उनके रंग रूप,बुद्धि, ज्ञान ,समझ, योग्यता अलग अलग होती है।

🍀इस भिन्नता के कारण माता पिता के उत्पादक कोषो के वंशसूत्र के विभिन्न समुच्चय बनने के कारण वे भिन्न भिन्न गुणों से युक्त संतानों को जन्म देते हैं।

(🌻) प्रत्यागमन का सिद्धांत(Law of regression)

प्रत्यागमन का नियम सोरेनसन ने दिया उन्होंने बताया कि माता पिता के विपरीत गुण भी बालक में उत्पन्न होते हैं।

अर्थात इसके अनुसार प्रतिभाशाली माता-पिता के बच्चों में कम प्रतिभा होने के की प्रवृत्ति और बहुत निम्न कोटि के माता-पिता के बच्चों में प्रतिभाशाली होने की प्रवृत्ति होती है और इसे  ही प्रत्यागमन कहते है।

👉🏻इस नियम के अनुसार बालक अपने माता-पिता के विशिष्ट गुणों को त्यागकर सामान्य गुणों को ग्रहण करते हैं।

और सामान्य गुण सभी स्त्री पुरुषों में होते हैं इसलिए वंशानुक्रम की प्रवृत्ति सामान्य तथा औसत की ओर होती है ।

यही कारण है कि महान व्यक्तियों के पुत्र साधारणतः उनके सामान महान नहीं होते है।

                          👉🏻 Notes by शिखा त्रिपाठी🍀🍀🌻🌻

🥀वंशानुक्रम के सिद्धांत🥀

🌸बीजकोश की निरंतरता का सिद्धांत

बीजकोष नश्वर होते हैं, ये एक पीढ़ी के गुण दूसरी पीढ़ी में हस्तांतरित करते  है,इस प्रकार बीजकोष पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहता है।

🌸समानता का नियम

जैसे माता-पिता होते हैं वैसे ही उनकी संताने होती हैं;

🤷🏻‍♂️🧠 स्पष्ट करते हुए सोरेनसन ने कहा है÷

बुद्धिमान माता-पिता के बच्चे बुद्धिमान, साधारण माता-पिता के बच्चे साधारण, एवं मंदबुद्धि माता-पिता के बच्चे मंदबुद्धि, वा प्रतिभाशाली माता-पिता के बच्चे प्रतिभाशाली होते हैं; इस प्रकार शारीरिक रचना की दृष्टि से भी बच्चे माता पिता के समान होते हैं।

💥यह नियम भी अपूर्ण है क्योंकि प्राय देखा जाता है कि काले माता-पिता की संताने गोरी, गोरी माता-पिता की संताने काली ,मंदबुद्धि माता-पिता की संताने बुद्धिमान और बुद्धिमान माता-पिता की संताने मंदबुद्धि होती हैं।

🌸विभिन्नता का नियम

🥀🤷🏻‍♂️ अपने माता पिता के बिल्कुल समाना होकर उनसे कुछ भिन्न होता है एक ही माता-पिता के दो  बालक एक दूसरे के समान होते हुए भी बुद्धि, रंग, स्वभाव, हाव भाव ,इत्यादि में एक दूसरे से भिन्न होते हैं कभी-कभी उनमें पर्याप्त शारीरिक मानसिक भिन्नता भी पाई जाती है।

🥀🧠 कारण बताते हुए सोरेनसन ने कहा÷

एसपी भिन्नता का कारण  उत्पादक कोसों की विशेषता है,उत्पादक कोष में अनेक पित्रैक होते हैं जो विभिन्न प्रकार से संयुक्त होकर एक दूसरे से भिन्न में बच्चे का निर्माण होते हैं।

🥀🧠 का नियम देने वालो मे  डार्विन और लैमार्क ने अनेक प्रयोग या विचार से बताया कि उपयोग न करने वाले अवयव तथा विशेषता का लोक आगामी पीढ़ी में हो जाता है।

🧠🌷जैसे÷पुराने समय में मनुष्य के पास भी पूछ हुआ करती थी किंतु धीरे-धीरे उसके उपयोग ना होने की वजह से वह विलुप्त हो गई, ठीक इसी प्रकार पहले मनुष्य भी जानवरों की तरह हरी घास , पत्तियां वा अन्य कच्चे पदार्थ खा लेता था किन्तु पकाकर खाने से धीरे-धीरे सेलुलोज पाचन की ग्रंथियों से स्रावित होने वाला व सेलुलोज को पचाने वाला हार्मोन स्रावित होना ही बंद हो गया वा विलुप्त हो गया।

🌸प्रत्यागमन का नियम

🌷🧠 पिता के विपरीत गुण बच्चों में पाए जाते हैं।

🤷🏻‍♂️🌸 के अनुसार

🌷🧠 प्रतिभाशाली माता-पिता के बच्चों ने कम प्रतिभा होने का प्रवृत्ति और बहुत निम्न कोटि के माता-पिता के बच्चों में प्रतिभाशाली होने की प्रवृत्ति प्रत्यागमन कहलाती है।

🧠🥀 नियम के अनुसार बालक अपने माता-पिता के विशिष्ट गुणों का त्याग करके सामान्य गुणों को ग्रहण करता है।

🥀🧠 पिता के पित्रैक में से एक कम और एक अधिक शक्तिशाली होता है।

🥀🧠 में उनके पूर्वजों से किसी एक पित्रैक अधिक शक्तिशाली होते हैं।

🌷🥀 by shikhar pandey 🙏

🌼🌼🌼वंशानुक्रम के संबंध में  दिए गए कुछ सिद्धांत  निम्न प्रकार है।🌼🌼🌼

🌼🌼1.बीज कोष की निरंतरता का सिद्धांत :- 

🌼इस सिद्धांत के प्रतिपादक :-“बीजमैन” है।

🌼बालक को जन्म देने वाला बीज कोष कभी नष्ट नहीं होता है।

🌼इस सिद्धांत के अनुसार बीज कोष का कार्य केवल उत्पादक कोषो का निर्माण करना ही नही बल्कि इसके साथ-साथ  जो बीज कोष बालक को अपने माता-पिता से मिलता है उसे वह अगली पीढ़ी को हस्तांतरित कर देता है इस प्रकार बीजकोष पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहता है ।

🌼 बी. एन.झा के अनुसार :-

🌼बीज कोष सिद्धांत के पक्ष में अपना मत दिया कि “माता पिता जन्मदाता ना होकर बीज कोष के संरक्षक हो जो बीज कोष को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को इस प्रकार से स्थानांतरित किया जाता है कि मानो एक बैंक से निकाल कर दूसरे बैंक में रख दिया गया हो।”

🌼बीज मैन का सिद्धांत ना तो वंशानुक्रम की संपूर्ण प्रक्रिया की व्याख्या करता है और ना ही संतोषजनक है इसीलिए यह सिद्धांत अमान्य  है।

🌼2.समानता का नियम :-

🌼जैसे माता-पिता होते हैं वैसे ही उसकी संतान होती है इससे स्पष्ट करते हुए सोरेन्सन  ने कहा बुद्धिमान माता-पिता के बच्चे बुद्धिमान साधारण माता-पिता के बच्चे साधारण और मंदबुद्धि माता-पिता के बच्चे मंदबुद्धि होते हैं 

🌼इस प्रकार शारीरिक रचना की दृष्टि से भी बच्चे माता पिता के समान होते हैं  | 

🌼लेकिन यह नियम भी अपूर्ण माना गया है क्योंकि यह देखा जाता है कि काले माता-पिता के बच्चे गोरे, और गोरे माता-पिता के बच्चे काले ,मंदबुद्धि माता-पिता के बच्चे बुद्धिमान और बुद्धिमान माता-पिता के बच्चे मंद हो जाते हैं|

🌼3.विभिन्नता का नियम:-

🌼बालक अपने माता-पिता के बिल्कुल समान ना होकर उनसे कुछ भिन्न होता है एक ही माता-पिता के बालक एक दूसरे से सामान होते हुए भी रंग रूप, बुद्ध,  स्वभाव इत्यादि में एक दूसरे से भिन्न होते हैं कभी-कभी उन्हें पर्याप्त शारीरिक और मानसिक भिन्नता पाई जाती हैĺ 

🌼इसका कारण बताते हुए सोरेनसन ने कहा,कि इस भिन्नता का कारण ,उत्पादक कोषो की भिन्नता है उत्पादक कोष में अनेक जीन होते हैं जो विभिन्न प्रकार  से संयुक्त होकर एक दूसरे से अलग-अलग या भिन्न-भिन्न  बच्चे का निर्माण करते हैं|

🌼भिन्नता का नियम देने वालों में डार्विन और लैमार्क ने  भी अनेक प्रयोग  या विचार से बताया कि उपयोग ना करने वाले अवयव तथा विशेषता का लोप आगामी पीढ़ी में हो जाता है|

🌼4.प्रत्यागमन का नियम  :-

🌼माता-पिता से विपरीत गुण बच्चों में पाए जाते है| 

🌼सोरेनसन के अनुसार :- “बहुत प्रतिभाशाली माता-पिता के बच्चे कम प्रतिभाशाली होने की प्रवृत्ति और बहुत निम्न कोटि के माता-पिता के बच्चे प्रतिभाशाली होने की प्रकृति , प्रत्यागमन है |”

🌼इस नियम के अनुसार बालक अपने माता पिता के विशिष्ट गुणो का त्याग करके सामान्य गुणों को ग्रहण करता है 

 🌼इसका प्रमुख कारण —

🌼1.माता पिता के जिनमें से एक कम और एक अधिक शक्तिशाली होता है|

🌼2.माता-पिता में उनके पूर्वजों में से किसी एक जीन अधिक  शक्तिशाली  होते हैं l

🌼🌼🌼🌼manjari soni🌼🌼🌼🌼

🦚 वंशानुक्रम का सिध्दान्त🦚

1 बीजकोष के निरन्तरता का सिध्दान्त 

2  समानता का सिध्दान्त

3 विभिन्नता का सिध्दान्त

4  प्रत्यागमन का सिध्दान्त

बिजकोष के निरन्तरता का सिध्दान्त- बालक को जन्म से देने वाला बिज कोष कभी न होने वाला है।

इसके प्रतिपादक बिजमैंन है।

बिजकोष का कार्य केवल उत्पादक कोषो का निर्माण करना है जो बिजकोष बालक को अपने माता-पिता से मिलता है उसे वह अगली पिढ़ी को हस्तान्तरित कर देता है इस प्रकार बिज कोष पिढ़ी दर पिढ़ी चलते रहता है।

बी एन झा के अनुसार- माता-पिता जन्मदाता न होकर बिजकोष के संरक्षक है जो एक पिढ़ी से दुसरी पिढ़ी हस्तान्तरित करते है मानो एक बैंक से निकालकर दूसरे बैंक रख दिया हो।

बिजमैन का सिध्दान्त ना तो वंशानुक्रम का संपूर्ण प्रक्रिया की व्याख्या करता है और न हि संतोषजनक है इसलिए यह अमान्य है।

समान्ता का सिध्दान्त- जैसे माता-पिता वैसे ही उनकी संतान होती है।

सोरेन्सन के अनुसार-  बुध्दीमान माता-पिता की सन्तान भी बुध्दीमान तथा मंद बुध्दीमान माता-पिता की सन्तान मंद बुध्दी प्रखर बुध्दीमान माता-पिता की सन्तान भी प्रखर बुध्दीमान ही होगी ।

लेकिन यह नियम भी अरपूर्ण है क्योकिं सावले रंग के माता-पिता की संतान गोरी तथा गोरे रंग के माता-पिता की संतान सावले मंद बुध्दी माता -पिता की संतान बुध्दीमान है ।

विभीन्नता का सिध्दान्त- विभीन्नता का सिध्दान्त यह कहता है कि बालक अपने माता-पिता के बिल्कुल समान न होकर शारीरिक   मानशिक रुप से भिन्न होते है।

सोरेन्सन के अनुसार- इस विभीन्नता के कारण माता-पिता के उत्पादक कोष की विशेषता है। 

उत्पादक कोष में अनेक पित्रैक होते है जो विभीन्न प्रकार से संयुक्त होकर एक-दूसरे से भिन्न बच्चे का‌ निर्माण करते है।

भिन्नता के नियम में डार्विन और लैमार्क के भी महत्वपूर्ण विचार व प्रयोग रहे है और इन्होने बताया कि उपयोग ना करने वाले अवयव  तथा विशेषता का लोप आगामी पिढ़ी से होता है।

प्रत्यागमन का सिध्दान्त-  प्रत्यागमन का सिध्दान्त यह कज्हता है कि माता-पिता के विपरीत गुण बच्चो में पाए जाते है।

सोरेन्सन के‌ अनुसार- प्रतिभाशाली माता-पिता की संतान कम प्रतिभाशाली तथा बहुत निम्नकोटी के माता-पिता की संतान में प्रतिभाशालि होने की प्रवृति पाई जाति है। यहि प्रत्यागमन का सिध्दान्त हैं।

इस नियम के अनुसार- बालक अपने माता-पिता के  विशीष्ट गुणों को त्यागकर सामान्य‌  गुणों को ग्रहण करता है।

1 माता-पिता के पैत्रक में से एक कम और एक अधीक शक्तीशाली होता है।

2 माता-पिता में से उनके पूर्वोजो में से किसी एक का पैत्रक शक्तीशाली होता हैं।

Notes by  _Puja murkhe

🌟 वंशानुक्रम का सिद्धांत🌟

💥 बीजकोष की निरंतरता का सिद्धांत💥

🌈बालक को जन्म देने वाला बीजकोष  कभी खत्म नहीं होता इस कथन के प्रतिपादक बीजमैन है उन्होंने कहा बीज कोष का कार्य केवल उत्पादक कोषो का निर्माण करता है जो बीज कोष बालक को अपने माता-पिता से मिलता है उससे वह अगली पीढ़ी को  हस्तांतरित कर देता है इस प्रकार बीजकोष पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहता है।

🌈समानता का सिद्धांत –  जैसे माता-पिता होते है वैसी ही उनकी संतान होती है इसे स्पष्ट करते हुए “सोरेनसन ने कहा है”-

🎊 बुद्धिमान माता-पिता के बच्चे बुद्धिमान ,साधारण माता-पिता के बच्चे साधारण ,और मंदबुद्धि माता-पिता के बच्चे मंदबुद्धि होते हैं ,इस प्रकार शारीरिक रचना की दृष्टि से भी बच्चे माता पिता के समान होते हैं।

🌸 यह नियम ही अपूर्ण है क्योंकि प्रायः देखा जाता है कि काले माता पिता की संतान गौरी गोरे माता पिता की संतान काली मंदबुद्धि माता पिता के संतान बुद्धिमान और बुद्धिमान माता-पिता की संतान मंदबुद्धि होते हैं।

🌈 विभिन्नता का नियम – बालक अपने माता-पिता के बिल्कुल समान ना होकर उनसे कुछ भिन्न होते हैं एक ही माता-पिता के बालक एक दूसरे के समान होते हुए भी बुद्धि ,रंग ,स्वभाव ,इत्यादि में एक दूसरे से भिन्न होते हैं कभी-कभी उनमें पर्याप्त शारीरिक /मानसिक भिन्नता पाई जाती है।

🎊 इसका कारण बताते हुए “सोरेनसन ने कहा”-इस विभिन्नता का कारण के उत्पादक कोषों की विशेषता है उत्पादक कोष में अनेक पैतृक (जीन) होते हैं जो विभिन्न प्रकार के संयुक्त होकर एक दूसरे से भिन्न बच्चे का निर्माण करते हैं।

🌸 भिन्नता का नियम – इस नियम को देने वाले डार्विन और लैमार्क ने अनेक प्रयोग या विचार से बताया कि उपयोग न करने वाले अवयव तथा विशेषता का लोप आगामी पीढ़ी में हो जाता है।

🌈प्रत्यागमन का नियम – माता पिता के विपरीत गुण बच्चों में पाए जाते हैं “सोरेनसन “ने कहा बहुत प्रतिभाशाली माता-पिता के बच्चों में कम प्रतिभा होने की प्रवृत्ति, और बहुत निम्न कोटि के माता-पिता के बच्चों में प्रतिभाशाली होने की प्रवृत्ति प्रत्यागमन है।

💥 इस नियम के अनुसार बालक अपने माता-पिता के विशिष्ट गुणों का त्याग करके सामान्य गुणों को ग्रहण करता है।

1- माता-पिता की पैतृक में से एक कम और एक अधिक

 शक्तिशाली होता है।

2-माता-पिता में उनके पूर्वजों में से किसी एक पित्रैक अधिक शक्तिशाली हो जाये। 

📝Notes by suchi Bhargav…….

heredity and environment (वंशानुक्रम और वातावरण)

                       💐 वंशानुक्रम💐

1  बीज कोष  की निरंतरता का सिद्धांत:- बालक  को जन्म देने  वाला बीज कोष कभी खत्म नहीं होता है

2 समानता का नियम:- जैसे माता-पिता होते हैं वैसे ही उनकी संतान होती है इसे स्पष्ट करते हुए

सोरेनसन ने कहा है कि बुद्धिमान माता-पिता के बच्चे बुद्धिमान साधारण माता-पिता के बच्चे साधारण और मंदबुद्धि माता-पिता के बच्चे मंदबुद्धि होते हैं

इस प्रकार शारीरिक रचना की दृष्टि से भी बच्चे माता पिता के समान होते हैं

यह नियम भी अपूर्ण हैं क्योंकि  प्रायः देखा जाता है कि  काले माता पिता की संतान गोरी  गोरे माता-पिता की संतान काली मंदबुद्धि माता-पिता के बच्चे बुद्धिमान और बुद्धिमान माता-पिता के बच्चे मंदबुद्धि होते हैं

3  विभिन्नता का नियम:- बालक अपने माता-पिता की बिल्कुल समान ना होकर उनसे कुछ भिन्न होता है एक ही माता-पिता के बालक एक दूसरे से समान होते हुए भी बुद्धि रंग स्वभाव इत्यादि में एक दूसरे से भिन्न होते हैं कभी-कभी उनमें पर्याप्त शारीरिक मानसिक  भिन्नता पाई जाती हैं

इसका कारण बताते हुए सोरेनसन ने कहा है:- इस विभिन्नता का कारण उत्पादक कोषों की विशेषता है उत्पादक कोष  में अनेक पैतृक जीन होते हैं जो विभिन्न प्रकार से संयुक्त होकर एक दूसरे से भिन्न बच्चे का निर्माण करते हैं

विभिन्नता का नियम देने वाली डार्विन और लैमार्क ने अनेक प्रयोग या विचार से बताया कि उपयोग न करने वाले अवयव तथा विशेषता का लोप आगामी पीढ़ी में हो जाता है

4 प्रत्यागमन का नियम:- माता पिता के विपरीत गुण बच्चों में पाए जाते हैं

 सोरेनसन के अनुसार:- बहुत प्रतिभाशाली माता-पिता के बच्चों में कम प्रतिभा होने की प्रकृति और बहुत निम्न कोटि माता-पिता के बच्चों में प्रतिभाशाली होने की प्रवृत्ति प्रत्यागमन है

इस नियम के अनुसार बालक अपने माता-पिता के विशिष्ट गुणों का त्याग करके सामान्य गुणों को ग्रहण करता है

1 माता पिता के पैत्रिक में से एक कम और एक अधिक प्रतिभाशाली होता है

2 माता-पिता में उनके पूर्वजों से किसी एक पैत्रिक अधिक शक्तिशाली होता है

नोट्स by सपना साहू 

🍃🍃🍃🍃📚📚📚📚📚🖋️🖋️🖋️🖋️

🌸🌻वंशानुक्रम के सिद्धांत 🌻🌸

1.बीजकोष के निरंतरता का सिद्धांत

2.  समानता का नियम

3.  विभिन्नता का नियम

 4.प्रत्यागमन का नियम

✍🏻 बीजकोष की निरंतरता का सिद्धांत :-   बालक को जन्म देने वाला भी और कभी नष्ट नहीं होता।

 इस कथन के प्रतिपादक बीजमैन ने  कहा है कि बीजकोष का कार्य केवल उत्पादक कोषों का निर्माण करना है।

जो बीजकोष बालक को अपने माता पिता से मिलता है उसे वहां अगली पीढ़ी को हस्तांतरित कर देता है इस प्रकार बीज कोष पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहता है।

🌸बी.एन. झा:- इस सिद्धांत के अनुसार माता-पिता जन्मदाता ना होकर बीजकोष के संरक्षक हैं बीजकोष एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को इस प्रकार स्थानांतरित किया जाता है जैसे मानो एक बैंक से निकाल कर दूसरे बैंक में रख दिया गया हो।

✍🏻 समानता का नियम:-  इस सिद्धांत के अनुसार जैसे माता-पिता होते हैं वैसे ही उनकी संतान होती है।

🌸इसे स्पष्ट करते हुए सोरेन्सन ने कहा है कि बुद्धिमान माता पिता की संतान बुद्धिमान तथा मंदबुद्धि माता-पिता की संतान होती है।

🌸इस प्रकार शारीरिक रचना की दृष्टि से जी बच्चे माता पिता के समान होते हैं।

✍🏻 विभिन्नता का नियम:-  इस सिद्धांत के अनुसार बच्चे अपने माता-पिता के बिल्कुल समान ना होकर उनसे कुछ भिन्न होते हैं, एक ही माता-पिता के बालक एक दूसरे के समान होते हुए भी बुद्धि, रंग, स्वभाव इत्यादि में एक दूसरे से भिन्न होते हैं।

🌸 इसका कारण बताते हुए सोरेन्सन में कहा है कि

 इस विभिन्नता का कारण उत्पादक कोषों की विशेषता है उत्पादक कोष में अनेक पैतृक (जीन) होते हैं जो विभिन्न प्रकार से संयुक्त होकर एक दूसरे से बच्चे का निर्माण करते हैं।

🌸 विभिन्नता का नियम देने वाले में डार्विन और लैमार्क में अनेक प्रयोग या विचार से बताया कि उपयोग ना करने वाले अवयव तथा विशेषता का लोप आगामी पीढ़ी में हो जाता है।

✍🏻प्रत्यागमन का नियम:- माता पिता के बिल्कुल विपरीत गुण बच्चों में पाए जाते है।

सोरेन्सन :- बहुत प्रतिभाशाली माता-पिता के बच्चों में कम प्रतिभा होने की प्रवृत्ति और बहुत निम्न कोटि के माता-पिता के बच्चों में प्रतिभाशाली होने की प्रवृत्ति प्रत्यागमन है।

🌸 इस नियम के अनुसार बालक अपने माता-पिता के विशिष्ट गुणों को त्याग करके सामान गुणों को ग्रहण करता है।

🌸 माता पिता के पैतृक में से एक कम और एक अधिक शक्तिशाली होता है।

🌸 माता-पिता में अनेक पूर्वजों में से किसी एक पैतृक अधिक शक्तिशाली  होता है।

           🌟🌟🌟🌟🌟

Notes by

            Shashi Chaudhary

         🔸🔸🔸🔸🔸🔸

वंशानुक्रम  के  सिद्धांत

💥💥💥💥💥💥💥💥

13 march 2021

1. बीजकोष की निरंतरता का सिद्धांत 

2. समानता का नियम

3. विभिन्नता का नियम

4. प्रत्यागमन का नियम

उपर्युक्त लिखित सिद्धांतों के बारे में विस्तार से जानते हैं :-

🌹  1.  बीजकोष की निरंतरता का सिद्धांत   :-

बालक को जन्म देने वाला बीजकोष कभी नष्ट नहीं होता है।

🌺🌺   इस कथन के प्रतिपादक बीजमैंन ने  कहा है कि :- 

बीजकोष का कार्य केवल उत्पादक कोषों का निर्माण करना है , जो बीजकोष बालक को अपने माता पिता से मिलता है उसे वह आगामी पीढ़ी को हस्तांतरित कर देता है इस प्रकार बीजकोष पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहता है।

🌺  B . N .  झाँ   के अनुसार  :-

इस सिद्धांत के अनुसार माता-पिता जन्मदाता ना होकर बीजकोष के संरक्षक हैं।

बीजकोष को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को इस प्रकार स्थानांतरित किया जाता है,  मानो एक बैंक से निकाल कर दूसरे बैंक में रख दिया गया हो।

👉 अतः  B . N .  झाँ ने , बीजमैन के इस सिद्धांत को उचित नहीं माना है क्योंकि एक नये जीवन को बनाने में माता पिता का बहुत महत्वपूर्ण योगदान होता है जो कि इस सिद्धांत के अनुसार केवल एक छोटे रूप में बीजकोष को उत्पादक कोषों का निर्माण करना बताया गया है इसीलिये ये अनुचित है।

             अतः बीजमैन का सिद्धांत ना तो वंशानुक्रम की संपूर्ण प्रक्रिया की व्याख्या करता है और ना ही संतोषजनक है ,  इसीलिए अमान्य है।

🌹  2.  समानता का नियम  :-

इस नियम के अनुसार जैसे माता-पिता होते हैं वैसी ही उनकी संतान होती है।

इसे स्पष्ट करते हुए  सॉरेन्सन  ने कहा है कि  :-

👉 बुद्धिमान माता-पिता के बच्चे   :-  बुद्धिमान

👉 साधारण माता-पिता के बच्चे :-  साधारण

👉 मंदबुद्धि माता-पिता के बच्चे :- मंदबुद्धि ,    

होते हैं। 

इस प्रकार शारीरिक रचना की दृष्टि से भी बच्चे माता पिता के समान होते हैं।

💐   यह नियम भी अपूर्ण है क्योंकि प्रायः देखा जाता है कि –

 👉 काले माता-पिता की संतान       :-  गोरी

👉 गोरे माता-पिता की संतान         :-  काली 

👉 मंदबुद्धि माता-पिता की संतान :- बुद्धिमान

👉 बुद्धिमान माता-पिता की संतान :- मंदबुद्धि 

भी हो जाती है।

🌹  3.  विभिन्नता का नियम  :-

बालक अपने माता-पिता से पूरी तरह समान न होकर  उनसे कुछ भिन्न भी होते हैं।

        एक ही माता-पिता के बालक एक दूसरे से समान होते हुए भी वह बुद्धि , रंग , स्वभाव और आदतों आदि में एक-दूसरे से भिन्न होते हैं।

और कभी-कभी उनमें पर्याप्त शारीरिक / मानसिक भिन्नताएं भी पायी जाती हैं।

👉 इसका कारण बताते हुए सॉरेन्सन ने कहा कि :-

इस विभिन्नता का कारण माता-पिता के उत्पादक कोषों की विशेषता है।

उत्पादक कोष में अनेक तरह के gene / पित्रैक होते हैं जो विभिन्न प्रकार से संयुक्त होकर माता पिता ( एक दूसरे से भिन्न )  ,  बच्चे का निर्माण करते हैं।

👉 भिन्नता का नियम देने वालों में : –

🍁🍁  डार्विन और लैमार्क ने 

अपने अनेक प्रयोग या विचार से बताया है कि उपयोग न करने वाले अवयव , ज्ञान तथा विशेषता का लोप आगामी पीढ़ी आने तक हो जाता है।

जैसे कि :- 

👉 मनुष्य की पूंछ का लोप होना , और

👉 सिर को ऊपर करके पत्तियां खाने से  जिराफ  की गर्दन का लंबा होना।

🌹 4.  प्रत्यागमन का नियम  :-

इस नियम के अनुसार  बच्चों में ,  अपने माता पिता से विपरीत गुण पाए जाते हैं।

जैसे :-

👉👉    *असुरराज हिरण्यकश्यप के बेटे प्रह्लाद में अपने पिता से विपरीत गुण पाये गये थे।* 

🌺 सॉरेन्सन  के अनुसार  :-

बहुत प्रतिभाशाली माता-पिता के बच्चों में कम प्रतिभा होने की प्रवृत्ति और

बहुत निम्न कोटि के माता-पिता के बच्चों में प्रतिभाशाली होने की प्रवृत्ति ही ” प्रत्यागमन का नियम ” है।

इस नियम के अनुसार बालक अपने माता-पिता के विशिष्ट गुणों का त्याग करके सामान्य गुणों को ग्रहण करता है। 

🌿 जिसका कारण है कि  :-

👉 माता-पिता के पित्रैक / gene में से एक कम और दूसरा अधिक शक्तिशाली होता है।

👉 माता-पिता में उनके पूर्वजों में से किसी एक का gene बहुत अधिक शक्तिशाली हो जाता है तब ।

Notes by – 

✍️ जूही श्रीवास्तव  ✍️

🧬  heredity🧬

🧬वंशानुक्रम🧬

💫   विभिन्न मनोवैज्ञानिकों द्वारा दिए गए वंशानुक्रम के लिए कुछ सिद्धांत

 🇧🇻 बीज कोष की निरंतरता का सिद्धांत

 🇧🇻 समानता का नियम 

🇧🇻  विभिन्नता का नियम  

🇧🇻 प्रत्यागमन का नियम

💮 बीजकोष की निरंतरता का सिद्धांत

 इस सिद्धांत के अनुसार बालक को जन्म देने वाला बीजकोष कभी नष्ट नहीं होता।

 इस सिद्धांत के प्रतिपादक बीजमैन कहा कि , 

बीजकोष का कार्य केवल उत्पादक कोषों का निर्माण करना है । जो बीजकोष बालक को अपने माता पिता से मिलता है उसे वह अगली पीढ़ी को स्थानांतरित कर देता है ।

इस प्रकार बीजकोष पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहता है।

💮 समानता का नियम 

जैसे माता – पिता होते हैं , वैसी ही उनकी संतान होती है ।

इसे स्पष्ट करते हुए सोरेनसन ने कहा कि,

 बुद्धिमान माता-पिता के बच्चे बुद्धिमान, साधारण माता-पिता के बच्चे साधारण और मंदबुद्धि माता-पिता के बच्चे मंदबुद्धि होते हैं ।

इस प्रकार शारीरिक रचना की दृष्टि से भी बच्चे माता-पिता के समान होते हैं ।

यह नियम भी अपूर्ण हैं क्योंकि प्रायः देखा जाता है कि काले माता-पिता की संतान गोरी, गोरे माता-पिता की संतान काली होती है ।

या मंदबुद्धि माता-पिता की संतान बुद्धिमान या बुद्धिमान माता-पिता की संतान मंदबुद्धि होती  है।

💮 विभिन्नता का नियम 

बालक अपने माता-पिता के बिल्कुल समान ना होकर उनसे कुछ भिन्न होता है।

 एक ही माता-पिता के  बालक एक दूसरे से समान होते हुए भी बुद्धि , रंग , स्वभाव इत्यादि में एक दूसरे से भिन्न होते हैं।

 कभी-कभी उनमें पर्याप्त शारीरिक , मानसिक भिन्नता पाई जाती है ।

इसका कारण बताते हुए सोरेनसन ने कहा कि ,

इस विभिन्नता का कारण वे उत्पादक कोषों की विशेषता है। उत्पादक कोष में अनेक पित्रैक (जीन) होते हैं जो विभिन्न प्रकार से संयुक्त होकर एक दूसरे से भिन्न बच्चे का निर्माण करता है।

✍️  विभिन्नता के नियम देने वाले में डार्विन और लैमार्क ने अनेक प्रयोग या विचार से बताया कि उपयोग ना करने वाले अवयव तथा विशेषता का लोप आगामी पीढ़ी में होता जाता है।

इसका तात्पर्य इस बात से है कि ऐसे अंग या अवयव  जिनका प्रयोग हम आगे आने वाले समय पर नहीं करते हैं या नहीं करेंगे उनका धीरे-धीरे लोप होता जाता है ,

जैसे मनुष्य पहले झुक कर चलता था लेकिन धीरे-धीरे उसका काम झुककर बंद हो गया और वह खड़े होकर के चलने लगा, अगर जिस प्रकार हम मोबाइल का इस्तेमाल करते हैं, अपने सर को 24 घंटे नीचे झुका के रखते हैं तो  आगे आने वाले दिनों में हमारा सर इसी प्रकार झुक सकता है।

 उन्होंने कुछ और उदाहरण दिए जैसे 

 कि पहले मनुष्यो के पूंछ होती थी लेकिन जैसे-जैसे उन्होंने उस पूंछ का उपयोग बंद कर दिया तो वह  पूंछ हमारी लुप्त हो गई इसी प्रकार से अपेंडिक्स है और भी कई अंग है जो मानव के अस्तित्व में अब नहीं है क्योंकि उनका प्रयोग हम इस समय नहीं करते हैं।

💮 प्रत्यागमन का नियम 

माता पिता के विपरीत गुण बच्चों में पाए जाते हैं ।

✍️ सोरेनसन

बहुत प्रतिभाशाली माता-पिता के बच्चों में कम प्रतिभा होने की प्रवृत्ति और बहुत निम्न कोटि के माता-पिता के बच्चों में प्रतिभाशाली होने की प्रवृत्ति प्रत्यागमन है ।

इस नियम के अनुसार बालक अपने माता-पिता के विशिष्ठ गुणों का त्याग करके सामान्य गुणों को ग्रहण करता है।

 माता पिता के पित्रैक में से एक कम और एक अधिक शक्तिशाली होता है ।

माता-पिता में उनेक पूर्वजों में से किसी एक का पित्रैक अधिक शक्तिशाली हो जाए।

 धन्यवाद वंदना शुक्ला

Important Statements related to Child Development BY Rashmi Savle

🔆 बाल विकास और शिक्षा शास्त्र से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण कथन ➖ 

1) थार्नडाइक ➖

” सत्य या तथ्य के दृष्टिकोण से उत्तम प्रतिक्रियाओं की शक्ति ही बुद्धि है |”

 2) रैमर्स ➖

“अधिगम का वक्र  या सीखने का वक्र किसी दी हुई क्रिया को आंशिक रूप से सीखने की पद्धति है |”

3) स्किनर ➖

“अधिगम का वक्र किसी दी हुई क्रिया की उन्नति का कागज पर विवरण है |”

4) डेविड आसुबेल ➖

 ” बहुत से गणित को जानने की अपेक्षा यह जानना आवश्यक है कि गणित को हल कैसे किया जाता है |”

5) डेविड  व्हीलर ➖

“बहुत सारे गणित को जानने की तुलना में गणितीय करण को जानना अति आवश्यक है |”

6) स्पेन्सर ➖

“बालकों को जितना ससंभव हो ताया ना जाए बल्कि उन्हें खोजने के लिए प्रोत्साहित किया जाए |”

7) मैस्लो ➖

 ” बच्चे अपनी बुद्धि का विकास करने  हेतु कठिन परिश्रम करते हैं |”

8) एल्किंड और बैनर ➖

“समाजीकरण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा बच्चे उन सामाजिक निर्णय और आत्म नियंत्रण को प्राप्त करते जो उनके समाज के जिम्मेदार  प्रौढ़ सदस्यों के लिए आवश्यक होते हैं | “

9) स्किनर ➖ 

 ” व्यक्तिगत विभिन्नता से  हमारा अर्थ व्यक्ति के उन सभी पहलुओं से है जिनका मापन एवं मूल्यांकन किया जा सके | “

10) बोरिंग ➖ 

“व्यक्ति का वातावरण उन सभी उत्तेजनाओं का योग है जिसको वह जन्म से लेकर मृत्यु तक ग्रहण करता है |”

11)  वाइगोत्सकी ➖

” बच्चे का संज्ञानात्मक विकास भाषा ,संस्कृति ,पुस्तकों, आदि  जैसे सामाजिक कारकों से प्रभावित होता है |”

12) हरलाॅक ➖

” मानव विकास एक निरंतर एवं प्रगतिशील प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति में मात्रात्मक एवं गुणात्मक वृद्धि होती है नई-नई योग्यताएं और विशेषताएं प्रकट होती हैं और उसके व्यवहार में परिवर्तन होते हैं |”

13) जैम्स ड्रेवर ➖

” औसत समूह से मानसिक और शारीरिक विशेषताओं के संदर्भ में समूह के सदस्य के रूप में बिताया अंतर को व्यक्तिगत भेद कहते हैं |”

14) मैकाइवर और पेज ➖

” जीवन की हर घटना अनुवांशिकता और पर्यावरण दोनों का उत्पाद है प्रत्येक का परिणाम  आवश्यक है जिसको ना तो कभी समाप्त किया जा सकता है और न ही कभी अलग किया जा सकता है |”

15) हरलाॅक➖

“विकास का अर्थ है परिवर्तनों की एक प्रगतिशील श्रृंखला जो परिपक्वता और अनुभव के परिणाम स्वरुप  एक क्रमिक रूप से अनुमानित पैटर्न में होती है |”

16) थार्नडाइक➖

” जब बच्चे एक अवधारणा को सीखते हैं और उसका प्रयोग करते हैं तो अभ्यास उनके द्वारा की जाने वाली त्रुटियों को कम करने में मदद करता है |”

17) वुडवर्थ  ➖

” बालक का विकास आनुवंशिकता तथा वातावरण दोनों का गुणनफल है |”

18) सोरेन्सन ➖ 

” सीखने की अवधि में पठार कुछ दिन, सप्ताह, या महीने पर चलता है |”

18)  क्रोध एवं क्रो  ➖

” विशिष्ट प्रकार या विशिष्ट पद किसी गुण या उन गुणों से युक्त व्यक्ति पर लागू होता है जिसके कारण व्यक्ति साथियों का ध्यान अपनी और विशिष्ट प्रकार से आकृष्ट करता है जिससे उसके व्यवहार की अनुक्रियाएं भी प्रभावित होती है |”

19) एस ए किर्क ➖

” एक विशिष्ट बालक वह  है जो कि  शारीरिक, मानसिक, संवेगात्मक एवं सामाजिक विशेषताओं में किसी सामान्य बालक से उस सीमा तक विचलित होता है जब वह अपनी क्षमताओं के अधिकतम विकास हेतु सहायता निर्देशन विद्यालयी कार्यक्रम में परिमार्जन तथा विशिष्ट शैक्षिक सेवाओं की आवश्यकता रखता है |”

20) जेम्स ड्रेवर➖

” सृजनात्मकता मुख्यतः नवीन उत्पादन में होती है |”

22) क्रो एवं क्रो➖

 “सृजनात्मकता मौलिक – मौलिक परिणामों को अभिव्यक्त करने की एक मानसिक प्रक्रिया है |”

23) बैरेन ➖

“जो सृजनात्मक बालक है वह पहले से मौजूद वस्तुओं और तत्वों को संयुक्त कर नया निर्माण करता है |”

24) वैलेंटाइन ➖ 

” समस्यात्मक बालक वह होता है जिसका व्यवहार और व्यक्तित्व किसी बात में गंभीर रूप से असाधारण होता है |”

25) सोरेन्सन➖

” अभिवृद्धि शब्द का प्रयोग शरीर और उसके अंगों के भार और आकार में वृद्धि के लिए किया जाता है |”

26) फ्रेन्क ➖

” अभिवृद्धि का प्रयोग कोशिय वृद्धि के संदर्भ में प्रयुक्त होता है शरीर और व्यवहार में से पहले जिस में जो परिवर्तन होता है उसे अभिवृद्धि कहते हैं |”

27) हरलाॅक➖

” विकास की सीमा वृद्धि तक सीमित नहीं है बल्कि प्रौढ़ावस्था के लक्ष्य की ओर परिवर्तन का गतिशील क्रम है और  विकास के परिणाम स्वरुप व्यक्ति में अनेक नई विशेषताएं और योग्यताएं प्रकट होती है |”

28) वाइगोत्सकी➖

” प्रौढ़ संज्ञानात्मक विकास के प्रमुख साधन है जो संस्कृति के बौद्धिक अनुकूलन को बच्चों में स्थानांतरित करते हैं |”

29) हागबैन ➖

” गणित संस्कृति का दर्पण है |”

30) क्रो एवं क्रो ➖

” अधिगम आदतों ज्ञान एवं अभिवृत्तियों का अर्जन है |”

31) बैकन  ➖

” गणित सभी विज्ञानों का प्रवेश द्वार है |”

32) बनार्ड शो ➖

” तार्किक चिंतन के लिए गणित एक शक्तिशाली साधन है |”

34) आइन्स्टाइन् ➖

” गणित उस मानव चिंतन का प्रतिफल है जो अनुभव से स्वतंत्र तथा सत्य के अनुरूप है |”

35) पियर्स ➖ 

” गणित एक विज्ञान ही है जिसकी सहायता से जरूरी निष्कर्ष निकाले जाते हैं |”

36) वुडवर्थ➖

” संवेग व्यक्ति की उत्तेजित दशा है |”

37) क्रो एवं क्रो ➖ 

“संवेग हमारी भावनात्मक अनुभूति  है जो किसी व्यक्ति की मानसिक और शारीरिक उत्तेजनाओं  से जुड़ी होती है और यह आंतरिक समायोजन के साथ जुड़ी होती है |”

38) स्किनर➖

” अभिप्रेरणा सीखने का राजमार्ग है |”

39) गुड ➖

” अभिप्रेरणा किसी कार्य को आरंभ करना, जारी रखना नियमित रखना आदि की प्रक्रिया है |”

40) लाॅक ➖ 

” गणित वह मार्ग है जिसके द्वारा बच्चों के मन  या मस्तिष्क में तर्क करने की आदत का विकास होता है |”

41) वर्नाडिशा ➖

” तार्किक चिंतन के लिए गणित एक शक्तिशाली साधन है |”

42) यंग ➖ 

” यदि समस्त विज्ञान में से तार्किक गणित को हटा दिया जाए तो उसकी उपयोगिता शून्य हो जाती है |”

43) मार्शल ➖

” गणित एव ऐसी व्यवस्था का अध्ययन है जो अमूर्त तत्वों से मिलकर बना होता है इन तत्वों को मूर्त रूप में परिभाषित किया जाता है |”

44) गैलिलियो ➖

” गणित वह भाषा है जिसमें परमेश्वर ने संपूर्ण जगत या ब्रह्मांड को लिख दिया है |”

45) वेदांग ज्योतिष ➖

” जिस रूप में मयूरों के सिर पर मुकुट शोभायमान होता है तथा सर्पों के सिर पर मणियाँ, वही सर्वोच्च स्थान वेदांग नाम परिचित विज्ञानों में गणित का है |”

46) क्रिस पार्क ➖

” पर्यावरण उन दशाओं का योग कहलाता है जो मानव को निश्चित समय अवधि में नियत स्थान पर आवृत करते हैं |”

47) डांडेकर ➖

” मूल्यांकन  एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें यह पता लगाया जाता है कि बच्चे ने किस सीमा तक उद्देश्यों को प्राप्त किया है |”

48) लूसी मेयर ➖

” परिवार एक गृहस्थ समूह है जिसमें माता-पिता और उनकी संतान साथ साथ रहते हैं इनके मूल में दंपति और संतान रहती है |”

49) वुडवर्थ➖

” वातावरण में वे सभी बाहरी तत्व आ जाते हैं जिन्होंने व्यक्ति को जीवन आरंभ करने के समय प्रभावित किया है |”

50) एन एनास्तास्की ➖

” वातावरण वह हर वस्तु है जो व्यक्ति के जींस के अतिरिक्त प्रत्येक वस्तु को प्रभावित करता है |”

51) डगलस और हाॅलेड ➖

” एक व्यक्ति की वंशानुक्रम में वे सभी शारीरिक बनावटें, विशेषताएं क्रियाएँ, और क्षमताएं सम्मिलित रहती है जिनको वह अपने माता-पिता ,पूर्वजों या प्रजाति से प्राप्त करते हैं |”

52) मुनरो ➖

” विकास परिवर्तन श्रृंखला की व्यवस्था है जिसमें भ्रूणावस्था से लेकर  प्रौढावस्था तक गुजारना है विकास कहलाता है |

53) जैम्स ड्रेवर➖ 

” विकास वह दिशा है जो प्रगतिशील परिवर्तन के रूप में सतत रूप से व्यक्त होती है यह प्रगतिशील परिवर्तन किसी भी प्राणी में भ्रूणावस्था  से प्रौढ़ावस्था तक होती है यह विकास तंत्र को सामान्य रूप से नियंत्रित करता है यह प्रकृति का मानदंड है और इसका आरंभ शून्य से होता है |”

54)  हरलाॅक➖

” विकास अभिवृद्धि तक सीमित नहीं है इसके बजाय इसके प्रौढ़ावस्था के लक्ष्य की ओर परिवर्तनों का प्रगतिशील क्रम निहित रहता है और विकास के परिणाम स्वरुप व्यक्ति में  नवीन विशेषताएं और योग्यताएं प्रकट होती है |”

55) स्किनर➖

” विकास प्रक्रियाओं की निरंतरता का सिद्धांत इस बात पर जोर देता है कि विकास में कोई आकस्मिक परिवर्तन ना हो |”

56) गैरिसन  ➖

” शरीर संबंधी दृष्टिकोण व्यक्ति के विभिन्न अंगों के विकास में सामंजस्य और परस्पर संबंध पर बल देता है |”

56) हरलाॅक➖

” विकास की सभी अवस्था में बालक की प्रतिक्रिया विशिष्ट बनाने की पूर्व सामान्य प्रकार की होती है बालक का विकास सामान्य अनुक्रिया से वशिष्ठ प्रतिक्रिया तक होता है |”

57) हरलाॅक➖

” प्रत्येक जाति चाहे वह पशु जाति हो या मनुष्य जाति हो अपनी जाति के अनुरूप ही विकास के प्रतिमान का अनुसरण करती है |

       मनुष्य का बच्चा दुनिया के किसी कोने में  जन्म वह केवल रोना जानता है वही गाय का बच्चा जन्म लेकर खड़ा हो जाता है अर्थात वे अपनी अपनी जातियों का अनुसरण करते हैं |”

58) स्किनर➖

” विकास के स्वरूप में व्यापक व्यक्तिक विभिन्नता पाई जाती है |”

59) स्किनर➖

” वंशानुक्रम उन सीमाओं को निश्चित करता है जिनके आगे बालक का विकास नहीं किया जा सकता है |

60) वुडवर्थ➖

” एक पौधे का वंशानुक्रम उसके बीज में निहित रहता है और  उसके पोषण का दायित्व उसके वातावरण पर निर्भर करता है वंशानुक्रम तथा वातावरण का अध्ययन प्राणी के विकास तथा वातावरण की अंतः क्रिया का परिणाम है |”

61) वुडवर्थ➖

” वंशानुक्रम में वे सभी बातें आ जाती है जो जीवन का आरंभ करते समय व्यक्ति में उपस्थित थी यह जन्म के समय नहीं बल्कि गर्भाधान के समय से लगभग 9 माह पूर्व बच्चों में पैदा हो जाता है |”

62) जे.ऐ.थाॅम्पसन➖

” वंशानुक्रम क्रमबद्ध पीढ़ियों के बीच उत्पत्ति संबंधी संबंध के लिए सुविधाजनक है  |”

63) एच. ए. पीटरसन ➖

” वंशानुक्रम को इस प्रकार परिभाषित किया जा सकता है कि व्यक्ति अपने माता-पिता के माध्यम से पूर्वजों के जो कुछ गुण प्राप्त करता है वही वंशानुक्रम है |”

64) पी जिस्बर्ट ➖

” प्रकृति में प्रत्येक पीढ़ी का कार्य माता-पिता ,संतानों में कुछ जैविकीय या मनोवैज्ञानिक विशेषताओं का हस्तांतरण करता है इस प्रकार हस्तांतरित विशेषताओं की मिली-जुली गठरी को वंशानुक्रम के नाम से पुकारा जाता है |”

65) डगलस/हाॅलेड ➖

” माता-पिता या अन्य पूर्वजों या प्रजाति से प्राप्त समस्त शारीरिक रचनाएँ, विशेषताएं, क्रियाएं और क्षमताएं व्यक्ति के वंशानुक्रम में  सम्मिलित रहती हैं |”

66) जैम्स ड्रेवर➖

” माता – पिता की शारीरिक विशेषताओं का संतानों में संक्रमण होना वंशानुक्रम है |”

 67) बी.एन.झा➖

” वंशानुक्रम व्यक्ति की जन्मजात विशेषताओं का पूर्ण योग है |”

68) सोरेन्सन➖

” पित्रैक के द्वारा बालक के प्रमुख गुण निर्धारित होते हैं और पित्रैक के सम्मेलन के परिणाम को ही वंशानुक्रम कहते हैं  |”

69) बीजमैन ➖

” बालक को जन्म देने वाला बीजकोष  कभी नष्ट नहीं होता है बीज कोष का कार्य केवल उत्पादक कोषों का निर्माण करना है जो बीजकोष बालक को अपने माता पिता से मिलता है और उसे वह अगली पीढ़ी को हस्तांतरित कर देता है  इस प्रकार बीजकोष  पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहता है  |”

70) महात्मा गांधी ➖ 

” शिक्षा से अभिप्राय बालक या मनुष्य के शरीर मस्तिष्क या आत्मा के सर्वांगीण एवं सर्वोत्तम विकास से है |”

71) क्लार्क एल हल ➖

” शिक्षण उन गतिविधियों को संदर्भित करता है जिन्हें छात्र के व्यवहार में परिवर्तन लाने हेतु डिजाइन और प्रदर्शित किया जाता है |”

72) एलेक्जेंडर ➖

” व्यक्तित्व का निर्माण शून्य में नहीं होता है सामाजिक घटनाएं और प्रक्रियाएं बालक की मानसिक प्रक्रियाओं तथा व्यक्तित्व के प्रतिमानों  को अनवरत प्रभावित करती रहती हैं |”

73) क्रो एवं क्रो➖

” जब बालक लगभग 6 वर्ष की आयु पूरी कर लेता है तब उसकी मानसिक शक्तियों और योग्यताओं का पूर्ण विकास हो जाता है |”

74) स्टनवर्ग ➖

” व्यवहारिक  बुद्धि का अर्थ है कि बुद्धि संस्कृति का उत्पाद होती है |”

75) चोमस्की ➖

” भाषा सीखे जाने के क्रम में वैज्ञानिक पड़ताल के साथ-साथ चलती रहती है |”

76) टर्मन ➖ 

” बुद्धि अमूर्त विचारों के बारे में सोचने की योग्यता है |”

77) राॅस  ➖

” मानसिक क्रिया का  भावात्मक पक्ष या मनोवैज्ञानिक पक्ष से संबंधित क्रिया है |”

78) गैरेट ➖ 

” चिंतन अव्यक्त एवं आदृश्य  व्यवहार है जिसमें प्रतीकों का उपयोग किया जाता है |”

79) मोहिसन ➖

” चिंतन समस्या समाधान संबंधी अव्यक्त व्यवहार है |”

80) हुबा और फ्रीड ➖

” आकलन सूचना संग्रहण तथा उस पर विचार विमर्श की प्रक्रिया है जिन्हें हम विभिन्न माध्यमों से प्राप्त कर सकते हैं कि विद्यार्थी क्या जानता है समझता है अपने शैक्षिक अनुभव से प्राप्त ज्ञान को परिणाम के रूप में व्यक्त कर सकता है जिसके द्वारा छात्र अधिगम में वृद्धि होती है |”

81) गुड➖ 

” प्रेरणा किसी कार्य को आरंभ करने ,जारी करने ,नियमित रखने की प्रक्रिया है  |”

82) प्रोफेसर यंग➖

” संश्लेषण विधि से सूखी घास से तिनका निकाला जा सकता है लेकिन विश्लेषण विधि से स्वयं तिनका बाहर निकलना चाहता है |”

83) डेशिल➖

” चालक शक्ति का वह श्रोत है जो व्यक्ति को क्रियाशील कर देता है |”

84) हिलगार्ड ➖

” अधिगम वह प्रक्रिया है जिसमें किसी नयी क्रिया का जन्म होता है या सामने आई हुई परिस्थिति के  अनुकूल उसमें उचित परिवर्तन किया जाता है  |”

85) डार्विन ➖

” केवल वही जीव जीवित रह सकते हैं जो बदलते पर्यावरण के साथ संघर्ष करने की क्षमता रखते हैं अर्थात सर्वोत्तम उत्तरजीविता |”

86) लेव वाइगोत्सकी➖

” छात्रों के भाषागत  विकास में सबसे अधिक प्रभाव डालने भाज्य है सामाजिक विकास |”

87) चोमस्की➖

” बालक का शब्द या भाषा का सीखना अंकुरण और पुनर्बलन पर आधारित अवश्य है परंतु अनुकरण और पुनर्बलन दोनों ही बालक के द्वारा बच्चों को सीखने की प्रक्रिया   को भलीभाँति स्पष्ट नहीं करते हैं  |”

88) स्किनर➖

” वैयक्तिक विभिन्नता से तात्पर्य उन सभी पहलु से है जिसका मापन या मूल्यांकन किया जाता है |”

89) मन ➖

” नई परिस्थिति को झेलने की मस्तिष्क की नमनीयता ही बुद्धि है |”

90) सिरिल बर्ट ➖

”  बुद्धि अच्छी तरह से निर्णय लेने, तर्क करने ,और समझने की योग्यता है  |”

91) वैशलर ➖

” बुद्धि एक समुच्चय या सार्वजनिक क्षमता है जिसके सहारे व्यक्ति उद्देश्य पूर्ण क्रिया करता है विवेकशील  चिंतन करता है और वातावरण के साथ समायोजन करता है  |”

92) जैम्स ड्रेवर➖

” सामाजिकरण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति अपने सामाजिक पर्यावरण के साथ अनुकूलन करता है और इस प्रकार उस समाज का मान्य सहयोगी और कुशल सदस्य बन जाता है |”

93) ग्रीन ➖ 

 “समाजीकरण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा बालक सांस्कृतिक विशेषताएं ,,आत्म गौरव और व्यक्तित्व,,को प्राप्त करता है |”

94) ओगबर्न ➖

” समाजीकरण समूह और समाज के मानदंडों को सीखने की प्रक्रिया है |”

95) बोगार्डस ➖

” समाजीकरण एक साथ रहना और काम सीखने की प्रक्रिया है |”

95) स्किनर➖

” किसी अभिप्रेरणा से उत्पन्न क्रियाशीलता ही सीखने का आधार है |”

96) वुडवर्थ➖

” संवेग किसी प्राणी की गति मय और हलचल पूर्ण अवस्था है व्यक्ति को स्वयं अपनी भावनाओं को उत्तेजना पूर्ण स्थिति प्रतीत होती है दूसरे व्यक्ति को उत्तेजित अथवा अशांत मांसपेशियों और ग्रंथियों की प्रक्रिया के रूप में दिखाई देती है |”

97) हरलाॅक➖

” भाषा के विकास में अनुकरण का विशेष प्रभाव पड़ता है तुतलिना, हकलाना इत्यादि बच्चा पड़ोस से ही सीखता है |”

98)  सोरेन्सन➖

” अधिगम की आधारित प्रक्रिया में अभिप्रेरणा क्रिया तथा पुनर्बलन निहित है |”

99) स्टीवेन्सन ➖

” प्रयोजना एक समस्या प्रधान कार्य है जो अपनी स्वाभाविक परिस्थितियों के अंतर्गत पूर्णता को प्राप्त करता है |”

100) जोल्टन डायनेस ➖

” मुझे एक गणित की संरचना दें और मैं उसे एक खेल में बदल दूंगा |”

नोट्स बाय➖ रश्मि सावले

🌸🍀🌻🌼🌺🌻🌸🍀🌼🌺🌻🌸🍀🌺🌼🌻🌸🍀🌺🌼

30. CDP – Heredity and Environment PART- 2

🔆 वंशानुक्रम के संदर्भ में कई मनोवैज्ञानिक कथन

✨एन.एनास्तास्की  के अनुसार :- 

“वंशानुक्रम के तत्व जन्म के बहुत समय बाद तक व्यक्तित्व के विकास को प्रभावित कर सकते हैं और वास्तव में यह प्रभाव भी जीवन पर्यंत चलता रहता है।”

▪️व्यक्ति को वंशानुक्रम के जो भी तत्व है उनका प्रभाव जीवन भर चलता रहता है अर्थात वंशानुक्रम में जो भी तत्व होते हैं वह तत्व हमें जायगोट के  फर्टिलाइजेशन या निषेचन के फलस्वरूप जो भी जीन आने होते हैं वह आ जाते हैं लेकिन उसका प्रभाव हमारे व्यक्तित्व पर जीवन भर बना रहता है।

▪️व्यक्ति के व्यक्तित्व में वंशानुक्रम और वातावरण दोनों का ही प्रभाव होता है अर्थात यह दोनों आपस में मिलकर एक सम्मिश्रण बनाते हैं इनको पृथक पृथक नहीं किया जा सकता यदि कोई एक ज्यादा भी है तो ऐसा नहीं है कि दूसरे का प्रभाव बिल्कुल ही खत्म हो जाएगा कोई भी  ज्यादा या कम हो सकता है ।

▪️इसीलिए पर्यावरण में वंशानुक्रम का व्यक्ति पर कितना प्रभाव पड़ेगा इसको मात्रात्मक रूप से मापा नहीं जा सकता।

✨जेम्स ड्रेवर के अनुसार :- 

“माता-पिता की शारीरिक विशेषताओं का संतानों में संक्रमण होना ही वंशानुक्रम है ।”

▪️अर्थात बच्चे को जो भी शारीरिक विशेषताएं प्राप्त होती हैं वह माता-पिता की शारीरिक विशेषताओं से ही प्राप्त होती है यहां संक्रमण से तात्पर्य एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में शारीरिक विशेषताओं के स्थानांतरण से है।

✨बी. एन. झा के अनुसार :- 

“वंशानुक्रम व्यक्ति की जन्मजात विशेषताओं का पूर्ण योग है।”

▪️अर्थात व्यक्ति को जन्म से पूर्व प्राप्त मतलब जन्मजात विशेषता जो पहले से ही बन गई हैं जिनमें किसी भी प्रकार का बदलाव या हेर फेर नहीं किया जा सकता, उन सभी विशेषताओं का योग या जोड़ वंशानुक्रम कहलाता है।

🔆 वंशानुक्रम की यंत्र रचना या प्रक्रिया :- 

▪️मानव शरीर की यंत्र संरचना बहुत ही जटिल है जिसकी रचना कई अलग-अलग कोषो/सेल्स से होती है।

▪️यह कोष या सेल्स दो प्रकार के होते हैं।

      🔸 संयुक्त कोष

      🔸 एकल कोष

▪️प्रारंभिक रूप से गर्भावस्था में भ्रूण का निर्माण केवल एक कोष से होता है इसे संयुक्त कोष या 

जायगोट कहा जाता है।

संयुक्त कोष की आंतरिक संरचना दो उत्पादक कोषो से मिलकर हुई है।

      💫1 उत्पादक कोष – पिता के शुक्राणु 

     💫 2  उत्पादक कोष – माता के अंडाणु

▪️माता पिता के यही दोनों उत्पादक कोष आपस में मिलकर या निषेचन के पश्चात जायगोट का निर्माण करते है।

अर्थात 

▪️संयुक्त कोष की संरचना दो उत्पादक कोषो (germ cells) के मिलने से होती है। और इन उत्पादक कोष में से एक उत्पादक कोष पिता का होता है जिसे शुक्राणु(sperm) कहते हैं दूसरा कोष माता का होता है जिसे अंडाणु(ovam) कहते हैं।

▪️संयुक्त कोष और उत्पादक कोष 2,4,8,16,32…… क्रम में ही बढ़ते हैं।

▪️प्राणी में गुण व दोषों का स्थानांतरण शुक्राणु और अंडाणु दोनों ही उत्पादक कोष के रूप में होता है।

▪️यही गुण और दोष है जो भ्रूण में प्रवेश करते हैं जिन्हे जन्म के बाद वंशानुक्रम कहते हैं।

▪️यह निश्चित है कि अंडाणु और शुक्राणु में 23 23 गुणसूत्र निहित होते हैं। अर्थात गुणसूत्रों का यह जोड़ा(23जोड़े) संयुक्त कोष के अंदर होता है। या इस प्रकार से संयुक्त कोष (zygote)) में गुणसूत्र(chromosome))के जोड़े होते है।

▪️प्रत्येक गुणसूत्र मैं कुछ और भी सूक्ष्म पदार्थ होते हैं जिन्हें पित्रैक (gene) कहा जाता है प्रत्येक गुणसूत्र में जीन की संख्या 40 से 100 होती है।

▪️वास्तव में यह जीन ही गुण के वास्तविक निर्धारक होते हैं।

▪️जीन की रचना एक आरेखीय आकृति होती हैं।

✨ सोरेंसन के अनुसार :- 

पित्रैक (gene)के द्वारा बालक के प्रमुख गुण निर्धारित होते हैं और पित्रैक के सम्मेलन के परिणाम को ही वंशानुक्रम कहते हैं।

🔆 वंशानुक्रम के संबंध में कई सिद्धांत दिए गए हैं जिनमें से कुछ निम्न प्रकार है।

❇️ बीज कोष की निरंतरता का सिद्धांत :- 

▪️इस सिद्धांत के प्रतिपादक – “बीजमैन” है।

बालक को जन्म देने वाला बीज कोष कभी नष्ट नहीं होता है।

▪️इस सिद्धांत के अनुसार बीज कोष का कार्य केवल उत्पादक कोषो का निर्माण करना ही नही बल्कि इसके साथ साथ  जो बीज कोष बालक को अपने माता-पिता से मिलता है उसे वह अगली पीढ़ी को हस्तांतरित कर देता है इस प्रकार बीजकोष पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहता है ।

✨ बी. एन.झा के अनुसार – 

बीज कोष सिद्धांत के पक्ष में अपना मत दिया कि

” माता पिता जन्मदाता ना होकर बीच कोष के   संरक्षक हो जो बीज कोष को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को इस प्रकार से स्थानांतरित किया जाता है कि मानो एक बैंक से निकाल कर दूसरे बैंक में रख दिया गया हो।”

▪️बीज मैन का सिद्धांत ना तो वंशानुक्रम की संपूर्ण प्रक्रिया की व्याख्या करता है और ना ही संतोषजनक है इसीलिए यह सिद्धांत अमान्य  है।

✍🏻

    Notes By-‘Vaishali Mishra’

🖊️एन एनास्तास्की =वंशानुक्रम के तत्व जन्म के बाद व्यक्ति के विकास को प्रभावित कर सकते हैं और वास्तव में यह जीवन पर्यंत चलता है।

🖊️जेम्स ड्राइवर =माता-पिता की शारीरिक विशेषताओं का संतानों में संक्रमण होना ही वंशानुक्रम है।

🖋️वंशानुक्रम के यंत्र रचना \प्रक्रिया🖋️

✒️मानव शरीर की रचना को कोष  से होती है प्रारंभ में गर्भावस्था में भूण का निर्माण केवल एक कोष से होता है जिसे संयुक्त कोष  या  zygote कहते हैं।

📍संयुक्त कोष की रचना दो उत्पादक कोषों से होती हैं ।

📍 उत्पादक कोष में एक पिता का होता है जिसे शुक्र शुक्राणु   कहते हैं दूसरा कोष माता का होता है जिसे अंड या अंडाणु कहते हैं  ।

📌पिता के शुक्राणु और माता के अंडाणु के निषेचन से  zygote  का निर्माण होता है जिससे भूर्ण  का निर्माण होता है।

📌संयुक्त कोष और उत्पादन कोर्स 2,4,8 ,16,32 ,के क्रम में बढ़ते हैं।

 📝शुक्र और अन्ड दोनों उत्पादक कोषो  के रूप में गुण  और दोष का स्थानांतरण करते हैं ।

यह गुण और दोष भूण में प्रवेश करते हैं  इसे ही जन्म के बाद वंशानुक्रम कहते हैं।

📝यह निश्चित है कि शुक्राणु और अंडाणु में 2323 गुणसूत्र होते हैं।

✏️लेकिन कुछ  वैज्ञानिकों का मानना है कि 23, 24 भी होते हैं-

इस प्रकार संयुक्त कोष  (zygote)में गुणसूत्र के 23 जोड़े होते हैं।

✏️गुणसूत्र में कुछ और भी सूक्ष्म पदार्थ होते हैं जिसे हम जीन या पितै्क कहते हैं |

✏️प्रत्येक गुणसूत्र  (क्रोमोजोम)में इनकी संख्या 40 -100 होती है-

वास्तव में जीन गुण के वास्तविक निर्धारक होते हैं जीन की रचना एक रेखीय आकृति होती है|

🖊️सोरेन्सन के अनुसार=   (जीन) के द्वारा बालक के प्रमुख गुण निर्धारित होते हैं जीन के सम्मेलन के परिणाम को ही वंशानुक्रम कहते हैं|

(1)बीजकोष की निरंतरता का सिद्धांत= बालक को जन्म देने वाला बीच कोर्स कभी नष्ट नहीं होता है |

📍इस कथन के प्रतिपादक बिजमैन थे📍  

📌बीज कोष का कार्य केवल उत्पादक कोषों का निर्माण करना है जो  बीज कोष  बालक को अपने माता-पिता से मिलता है उसे वह अगली पीढ़ी को हस्तांतरित कर देता है इस प्रकार बीज कोष पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहता है।📌

🖊️बीएन झा के अनुसार= इस सिद्धांत के अनुसार माता-पिता जन्मदाता ना होकर  बीज कोष  के संरक्षक हैं जो बीज को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी  को इस प्रकार स्थानांतरित किया जाता है मानो एक बैंक से निकाल कर दूसरे बैंक में रख दिया गया है

बीज मैन का सिद्धांत ना तो वंशानुक्रम की संपूर्ण प्रक्रिया की व्याख्या करता है और ना ही संतोषजनक है इसलिए अमान्य है

📝 note by malti sahu📝

        🙏🏻Thank you 🙏🏻

🌳वंशानुक्रम और वातावरण🌳

                12/03/2021

🐭 एन एनतास्की:— वंशानुक्रम के तत्व जन्म के बहुत बाद तक व्यक्तित्व के विकास को प्रभावित कर सकते हैं और वास्तव में यह प्रभाव जीवन प्रयत्न चलता है

🐭 जेम्स ड्रेवर:— माता पिता के शारीरिक विशेषताओं का संतानों में संक्रमण होना ही वंशानुक्रम है

🐭 बीएन झा:— वंशानुक्रम व्यक्ति की जन्मजात विशेषताओं का पूर्ण योग है

🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳

🌻वंशानुक्रम की यंत्र रचना /प्रक्रिया

👉

👉 मानव शरीर की रचना कोषों(cells) से होती है 

👉 प्रारंभ में गर्भावस्था मैं भूर्ण  का निर्माण केवल एक कोष से होता है इस संयुक्त कोष ( chromosome) zygote कहते हैं

👉 गुणसूत्र:—46

👉 जोड़ें:—-23

👉female:—xx /Male:—xy

👉44 ऑटोसम्स x कायरोथाइम y क्रोमोसोम्स = 46

👉 संयुक्त कोषों की रचना दो उत्पादक कोषों के मिलने से होता है

👉 इन उत्पादक कोष में एक कोष पिता का होता है जिसे शुक्र या शुक्राणु कहते हैं दूसरा कोष माता का होता है जिसे अंड या अंडाणु कहते हैं

👉 संयुक्त कोष उत्पादक कोष 2,4,8,16,32….. के कर्म में बढ़ते हैं

👉 शुक्राणु और अंडाणु दोनों ही उत्पादक कोषों के रूप में गुण और दोष दोनों का स्थानांतरण करते हैं

👉 यह गुण और दोष भूर्ण में प्रवेश करते हैं इसे ही जन्म के बाद वंशानुक्रम  क्रम कहते हैं

👉 यह निश्चित है कि शुक्राणु और अंडाणु में 23,23 गुणसूत्र होते हैं

Note:— कुछ विद्वानों का मानना है कि 23,24 गुणसूत्र भी होते हैं और कभी-कभी यह रियलिटी में भी होता है

👉 इस प्रकार zygote हो या संयुक्त कोष में गुणसूत्र के 23 जोड़े होते हैं

👉 प्रत्येक गुणसूत्र में कुछ और भी सूछ्म पदार्थ होते हैं जिसे पित्रैक (jean) कहते हैं प्रत्येक गुणसूत्र में इसकी संख्या 40- 100 होती है 

👉वास्तव में जीन गुण के वास्तविक निर्धारक होते हैं जीन की रचना एक रेखीय आकृति होती है

🐭 सोरेनसन:— पित्रैक (jean) के द्वारा बालक के प्रमुख गुण निर्धारित होते हैं पित्रे के सम्मेलन के परिणाम को ही वंशानुक्रम कहते हैं

🌻 बीज कोष की निरंतरता का सिद्धांत

👉बालक को जन्म देने वाला बीज कोष कभी नष्ट नहीं होता

👉 इस कथन के प्रतिपादक बीज मैंने कहा :—बीजकोष का कार्य केवल उत्पादक कोष का निर्माण करना है। जो बीज कोष बालक को अपने माता-पिता से मिलता है उसे वह अगली पीढ़ी को हस्तांतरित कर देता है 

👉इस प्रकार बीज कोष पीढी दर पीढ़ी चलता रहता है

🐭बी एन झा :— इस सिद्धांत के अनुसार माता-पिता जन्म दाता ना होकर बीज कोष के संरक्षक है

👉 बीजकोष एक पीढ़ी से दूसरी को इस प्रकार स्थानांतरित किया जाता है मानो एक बैंक से निकाल कर दूसरे बैंक मैं रख दिया गया 

➡️ प्रतिपादक:— बीज मैन

➡️ आलोचक:— बीएन झा

🐭 बीज मैन का सिद्धांत:— ना तो बनसा अनुक्रम की संपूर्ण प्रक्रिया की व्याख्या करता है और ना ही संतोषजनक है इसलिए अमान्य है

🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳

Notes by:–संगीता भारती

वातावरण और वंशानुक्रम

एन एनास्तास्की

वंशानुक्रम के तत्व जन्म के बहुत बाद तक व्यक्तित्व के विकास को प्रभावित कर सकते हैं और वास्तव में यह प्रभाव जीवनपर्यंत चलता है।

जेम्स ड्रेवर

माता-पिता की शारीरिक विशेषताओं का संतानों में संक्रमण होना ही वंशानुक्रम है।

बी एन झा

वंशानुक्रम, व्यक्ति की जन्मजात विशेषता का पूर्ण योग है।

वंशानुक्रम की यंत्र रचना या प्रक्रिया

मानव शरीर की रचना कोषों cells से होती है

प्रारंभ में गर्भावस्था में भ्रूण का निर्माण केवल एक कोष से होता है इसे संयुक्त कोष या zygote कहते हैं।

       भ्रूण

        ⬇️

 Zygote  संयुक्त कोष

        ⬇️

उत्पादक कोष germ cells

    ↙️        ↘️

शुक्राणु और अंडाणु

⬇️                ⬇️

पिता।             माता

संयुक्त कोष  की संरचना दो उत्पादक कोषो के मिलने से होती है।

इन उत्पादक कोष में एक कोष पिता का होता है। जिसे शुक्र या शुक्राणु कहते हैं।

दूसरा कोष माता का होता है जिसे अंड या अंडाणु कहते हैं।

संयुक्त कोष और उत्पादक कोष  2 4 8 16 32 ….के क्रम में बढ़ते हैं।

शुक्र और अंड दोनों ही उत्पादक कोषों के रूप में गुण और दोष दोनों  का स्थानांतरण करते हैं।

यह गुण और दोष भ्रूण में प्रवेश करते हैं। इसे ही जन्म के बाद वंशानुक्रम कहते हैं।

यह निश्चित है कि शुक्राणु और अंडाणु में 23-23 गुणसूत्र होते हैं।

इस प्रकार संयुक्त कोष में गुणसूत्र के 23 जोड़े होते हैं।

प्रत्येक गुणसूत्र में कुछ और भी सूक्ष्म पदार्थ होते हैं जिसे पित्रैक Jean या जींन कहते हैं प्रत्येक गुणसूत्र में इनकी संख्या 40 से 100 होती है।

वास्तव में जीन उनके वास्तविक निर्धारक होते हैं

जीन की रचना एकरेखीय आकृति होती है। 

सोरेनसन- पित्रैक के द्वारा बालक के प्रमुख गुण निर्धारित होते हैं पित्रैक सम्मेलन के परिणाम को ही वंशानुक्रम कहते हैं।

जीन शब्द का प्रयोग सबसे पहले जोहानसन ने किया था

जेनेटिक्स शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम 1950 में विलियम वाटसन ने किया था

गुणसूत्रों में पाए जाने वाले अनुवांशिक पदार्थ को जिनोम कहते हैं।

गुणसूत्र का नामकरण डब्ल्यू वाल्टेयर ने किया था।

बीजकोष  की निरंतरता का सिद्धांत

बालक को जन्म देने वाला बीजकोष कभी नष्ट नहीं होता है

इस कथन के प्रतिपादक बीजमैन ने कहा

बीजकोष का कार्य केवल उत्पादक कोषो का निर्माण करना है जो बीजकोष बालक को अपने माता पिता से मिलता है उसे वह अगली पीढ़ी में हस्तानांतरित कर देता है इस प्रकार बीजकोष पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहता है।

आलोचना

बी एन झा

इस सिद्धांत के अनुसार माता-पिता जन्मदाता ना होकर बीजकोष  के संरक्षक है। बीजकोष  एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को इस प्रकार स्थानांतरित किया जाता है मानो एक बैंक से निकाल कर दूसरे बैंक में रख दिया जाता है।

बीजमैन का सिद्धांत न तो वंशानुक्रम की संपूर्ण प्रक्रिया की व्याख्या करता है और ना ही संतोषजनक है इसलिए यह अमान्य है।

 Notes by Ravi kushwah

💥 Heredity and Environment💥

         🌷 ( वंशानुक्रम एवं वातावरण)🌷

एन एनास्तास्की÷वंशानुक्रम के तत्व जन्म के बहुत बाद तक व्यक्तित्व के विकास को प्रभावित कर सकते हैं और वास्तव में यह प्रभाव जीवन पर्यंत चलता है।

जेम्स ड्रेवर÷ माता-पिता की शारीरिक विशेषताओं को संतानों में संक्रमण होना ही वंशानुक्रम है।

बी एन झा के अनुसार÷ वंशानुक्रम व्यक्ति की जन्मजात विशेषता का प्रयोग है।

  🤷🏻‍♂️वंशानुक्रम की यंत्र रचना /प्रक्रिया🤷🏻‍♂️

मानव शरीर की यंत्र रचना व प्रक्रिया बहुत ही जटिल है।

मानव शरीर की रचना 2 प्रकार के कोषो से होती है जो निम्नलिखित है÷

1-संयुक्त कोष

2-उत्पादक कोष

संयुक्त कोष÷प्रारंभ में गर्भावस्था में भवन निर्माण केवल एक को से होता है इसको जाईगोट(n) कहते है, जिसका निर्माण नर व मादा के युग्मनज से होता है।

जाएगोट का निर्माण उत्पादक कोष से होता है जो नर के संग शुक्राणु व मादा के अंडाणु से मिलकर बनता है।

संयुक्त कोष की रचना दो उत्पादक कोषो के मिलने से होती है ;उत्पादक कोशिश में एक लड़का शुक्राणु होता है दूसरा माता का होता है इसे अन्ड या अंडाणु कहते हैं।

संयुक्त कोष और उत्पादक कोष 2,4,8,16,32,64,128…,

के क्रम में बढ़ते हैं।

शुक्राणु और अंडाणु दोनों ही उत्पादक कोषो के रूप में गुण और दोष दोनों का स्थानांतरण करते हैं।

यह गुण और दोष भ्रूण में प्रवेश करते हैं इसे ही जन्म के बाद वंशानुक्रम कहते हैं।

यह निश्चित है कि शुक्राणु और अंडाणु में 23-23 गुणसूत्र होते हैं।

इस प्रकार जाएगोट (संयुक्त कोष)मैं गुणसूत्र के 23 जोड़े अर्थात 46 गुणसूत्र होते हैं।

प्रत्येक गुणसूत्र में कुछ अन्य भी सूक्ष्म में पदार्थ होते हैं जिसे पित्रैक(जीन) कहते हैं प्रत्येक गुणसूत्र में इसकी संख्या 40 से 100 तक होती है।

एक जीव की सभी कोशिकाओं में तथा एक जाति के सभी जीवो में अनुवांशिक पदार्थ की मात्रा समान होनी चाहिए।

जैसे-मनुष्य =46गुणसूत्र

वास्तव में जीन गुण के वास्तविक निर्धारक होते हैं जीन की रचनाएं एक रेखीय  आकृति की होती है।

सोरेनसन÷पित्रैक (जीन) के अंश में बालक के प्रमुख गुण निर्धारित होते हैं,पित्रैक के सम्मेलन के परिणाम को ही वंशानुक्रम कहते हैं।

बीज कोष की निरंतरता का सिद्धांत ÷

बालक को जन्म देने वाला बीज कोष नश्वर होता है इस कथन के प्रतिपादक बीच में ने कहा है कि बीज कोष का कार्य केवल उत्पादक कोशो का निर्माण करना है जो बीच को बालक अपने माता-पिता से प्राप्त करते हैं उसे वह अगली पीढ़ी को हस्तांतरित कर देता है इस प्रकार बीच कोष पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहता है।

बी एन झा के अनुसार÷

 इस सिद्धांत के अनुसार माता-पिता जन्मदाता ना होकर बीच कोष के संरक्षक हैं बीज को से एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को इस प्रकार स्थानांतरित किया जाता है मानो एक बैंक  से निकाल कर दूसरे बैंक में रख दिया गया हो।

बीज मैन का सिद्धांत ना  तो वंशानुक्रम की संपूर्ण प्रक्रिया की व्याख्या करता है और ना ही संतोषजनक है इसलिए यह अमान्य है।

🌸हस्तलिखित शिखर पाण्डेय 🌸

💮✏️N. एनास्तास्की  के अनुसार ➖️वंशानुक्रम के तत्व जन्म के बाद तक व्यक्तित्व के विकास को प्रभावित कर सकते हैं और वास्तविक में यह है जीवन पर्यंत चलता है

✏️जेम्स ड्रेवर के अनुसार ➖️माता-पिता की शारीरिक विशेषताओं का संतान में संक्रमण होना ही वंशानुक्रम है

✏️B. N. Jha के अनुसार ➖️वंशानुक्रम व्यक्ति की जन्मजात विशेषता का पूर्ण योग है

✴️वंशानुक्रम की यंत्र रचना प्रक्रिया✴️

मानव शरीर की रचना को सबसे होती है इनमें 2 गुण पाए जाते हैं

संयुक्त कोष और उत्पादक को कोष

संयुक्त को कोश प्रारंभ में गर्भाधान में यह भ्रूण का निर्माण केवल एक कोष में होता है इसमें संयुक्त कोष कहते हैं याzygote भी कहते हैं

इसमें इसकी रचना दो उत्पादक कोषों से मिलकर बनी होती है जिसेgerm cell हम कहते हैं संयुक्त को मैं एक माता अंडाणु और दूसरे पिता शुक्राणु कोष होते हैं संयुक्त कोष और उत्पादक कोष  2,4,6,8,के क्रम में बढ़ते हैं

शुक्राणु और अंडाणु दोनों ही संयुक्त कोष के रूप में होते हैं

यह गुण और दोष भ्रूण में प्रवेश करते हैं इसे ही जन्म के बाद वंशानुक्रम कहते हैं

यह निश्चित है कि शुक्राणु और अंडाणु दोनों में ही 23,23 गुणसूत्र होते हैं

 कुछ मनोवैज्ञानिक 24 और 23 गुणसूत्र मानते हैं और यह होते भी हैं

इस प्रकार संयुक्त कोष में गुणसूत्रों के 23 जोड़े होते हैं

हर गुणसूत्र में कुछ और भी सूक्ष्म पदार्थ होते हैं जिसे हम लोग पेत्रक(jeen )कहते हैं प्रत्येक गुणसूत्र में इसकी संख्या 40 से 100 तक होती हैं

यह गुणसूत्र में प्रत्येक jeenको नियंत्रित करके रखता है जीन गुण के वास्तविक निर्धारित होते हैं

जिनकी रचनाएं एक रेखीय आकृति की आवृत्ति में होती है

✏️सोरेनसन के अनुसार ➖️जीन द्वारा बालक में प्रमुख गुण निर्धारित होते हैं जीन सम्मेलन के परिणाम को ही वंशानुक्रम कहते हैं

इसके सिद्धांत 🍀बीज कोस की निरंतरता का सिद्धांत ➖️बालक को जन्म देने वाला बीज को कभी नष्ट नहीं होता है

इस कथन के प्रतिपादक ➖️बीजमेन  है

उन्होंने कहा बीज कोस का कार्य केवल उत्पादकों का निर्माण करना है जो बीच उस बालक को अपने माता पिता से मिलता है उसे वह अगली पीढ़ी को हस्तांतरित करता है इस प्रकार बीज कोष पीढ़ी दर पीढ़ी चलता जाता है

✏️बीएन झा ने कहा ➖️इस सिद्धांत के अनुसार माता-पिता जन्मदाता का होकर बीज कोष के संरक्षक हैं बीज को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को इस प्रकार स्थानांतरित किया जाता है मानो एक बैंक से दूसरे बैंक में रख दिया गया बीज मैन का सिद्धांत ना तो वंशानुक्रम की संपूर्ण प्रक्रिया की व्याख्या करता है और ना ही संतोषजनक है

📋Notes by sapna yadav

🌼🌼 वंशानुक्रम एवं वातावरण🌼🌼

🌼एन एनास्तास्की के अनुसार :- “वंशानुक्रम के तत्व जन्म के बहुत बाद तक व्यक्तित्व के विकास को प्रभावित कर सकते हैं और वास्तव में यह प्रभाव जीवन पर्यंत चलता है।”

🌼जेम्स ड्रेवर के अनुसार :-” माता-पिता की शारीरिक विशेषताओं को संतानों में संक्रमण होना ही वंशानुक्रम है।”

🌼बी एन झा के अनुसार:- “वंशानुक्रम व्यक्ति की जन्मजात विशेषता का प्रयोग है।”

 🌼 वंशानुक्रम की यंत्र रचना /प्रक्रिया:-

मानव शरीर की यंत्र रचना व प्रक्रिया बहुत ही जटिल है।

🌼मानव शरीर की रचना 2 प्रकार के कोषो से होती है जो निम्नलिखित है÷

🌼1:-संयुक्त कोष

🌼2:-उत्पादक कोष

🌼1.संयुक्त कोष:-प्रारंभ में गर्भावस्था में भवन निर्माण केवल एक कोष से होता है इसको जाईगोट(n) कहते है, जिसका निर्माण नर व मादा के युग्मनज से होता है।

🌼जाईगोट का निर्माण उत्पादक कोष से होता है जो नर के संग शुक्राणु व मादा के अंडाणु से मिलकर बनता है।

🌼संयुक्त कोष की रचना दो उत्पादक कोषो के मिलने से होती है ;उत्पादक कोष में एक कोष पिता का होता है जिसे शुक्र या शुक्राणु कहते है दूसरा माता का होता है इसे अन्ड या अंडाणु कहते हैं।

🌼संयुक्त कोष और उत्पादक कोष 2,4,8,16,32,64,128…,

के क्रम में बढ़ते हैं।

🌼शुक्राणु और अंडाणु दोनों ही उत्पादक कोषो के रूप में गुण और दोष दोनों का स्थानांतरण करते हैं।

🌼यह गुण और दोष भ्रूण में प्रवेश करते हैं इसे ही जन्म के बाद वंशानुक्रम कहते हैं।

🌼यह निश्चित है कि शुक्राणु और अंडाणु में 23-23 गुणसूत्र होते हैं।

इस प्रकार जाएगोट (संयुक्त कोष)में गुणसूत्र के 23 जोड़े अर्थात 46 गुणसूत्र होते हैं।

🌼प्रत्येक गुणसूत्र में कुछ अन्य भी सूक्ष्म में पदार्थ होते हैं जिसे पित्रैक (जीन) कहते हैं प्रत्येक गुणसूत्र में इसकी संख्या 40 से 100 तक होती है।

🌼एक जीव की सभी कोशिकाओं में तथा एक जाति के सभी जीवो में अनुवांशिक पदार्थ की मात्रा समान होनी चाहिए।

जैसे-मनुष्य =46गुणसूत्र

🌼वास्तव में जीन गुण के वास्तविक निर्धारक होते हैं जीन की रचनाएं एक रेखीय  आकृति की होती है।

🌼सोरेनसन के अनुसार :- “पित्रैक (जीन) के अंश में बालक के प्रमुख गुण निर्धारित होते हैं,पित्रैक के सम्मेलन के परिणाम को ही वंशानुक्रम कहते हैं।”

🌼बीज कोष की निरंतरता का सिद्धांत :-

“बालक को जन्म देने वाला बीज कोष नश्वर होता है इस कथन के प्रतिपादक बीच में ने कहा है कि बीज कोष का कार्य केवल उत्पादक कोषों का निर्माण करना है जो बीच को बालक अपने माता-पिता से प्राप्त करते हैं उसे वह अगली पीढ़ी को हस्तांतरित कर देता है इस प्रकार बीच कोष पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहता है।”

🌼बी एन झा के अनुसार:-

” इस सिद्धांत के अनुसार माता-पिता जन्मदाता ना होकर बीच कोष के संरक्षक हैं बीज को से एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को इस प्रकार स्थानांतरित किया जाता है मानो एक बैंक  से निकाल कर दूसरे बैंक में रख दिया गया हो।”

🌼बीज मैन का सिद्धांत:-” ना  तो वंशानुक्रम की संपूर्ण प्रक्रिया की व्याख्या करता है और ना ही संतोषजनक है इसलिए यह अमान्य है।”

🌼🌼🌼🌼manjari soni🌼🌼🌼🌼

👩🏻‍🦳🧑🏻‍🦰👵🏻👱🏻‍♀️वंशानुक्रम और वातावरण🐍🪱🐛🦎

                12/03/2021

🐻‍❄ एन एनतास्की :➖ वंशानुक्रम के तत्व जन्म के बहुत बाद तक व्यक्तित्व के विकास को प्रभावित कर सकते हैं और वास्तव में यह प्रभाव जीवन प्रयत्न चलता है।

🦇 जेम्स ड्रेवर :➖ माता पिता के शारीरिक विशेषताओं का संतानों में संक्रमण होना ही वंशानुक्रम है।

🐸 बीएन झा :➖ वंशानुक्रम व्यक्ति की जन्मजात विशेषताओं का पूर्ण योग है।

वंशानुक्रम की यंत्र रचना /प्रक्रिया

      🦧🦍🐒👹🥸☺️

💡 मानव शरीर की रचना कोषों(cells) से होती है।

 💡प्रारंभ में गर्भावस्था मैं भ्रुण का निर्माण केवल एक कोष से होता है। इसे संयुक्त कोष (zygote) कहते हैं।

 गुणसूत्र(Chromosome) = 46

जोड़ें(Pair) = 23

महिला (female) = xx 

आदमी (Male) = xy

44 + xy /xx = 46

💡संयुक्त कोषों की रचना दो उत्पादक कोषों के मिलने से होता है।

💡इन उत्पादक कोष में एक कोष पिता का होता है, जिसे शुक्र या शुक्राणु कहते हैं तथा दूसरा कोष माता का होता है, जिसे अंड या अंडाणु कहते हैं।

💡उत्पादक कोष 2,4,8,16,32….. के कर्म में बढ़ते हैं।

💡शुक्राणु और अंडाणु दोनों ही उत्पादक कोषों के रूप में गुण और दोष दोनों का स्थानांतरण करते हैं।

💡यह गुण और दोष भ्रुण में प्रवेश करते हैं। इसे ही जन्म के बाद वंशानुक्रम  क्रम कहते हैं।

💡यह निश्चित है कि शुक्राणु और अंडाणु में 23,23 गुणसूत्र होते हैं।

📝 कुछ विद्वानों का मानना है कि 23,24 गुणसूत्र भी होते हैं और कभी-कभी यह वास्तव में भी होता है।

💡इस प्रकार zygote हो या संयुक्त कोष में गुणसूत्र के 23 जोड़े होते हैं।

💡प्रत्येक गुणसूत्र में कुछ और भी सूक्ष्म पदार्थ होते हैं, जिसे पैतृक (jean) कहते हैं। प्रत्येक गुणसूत्र में इसकी संख्या 40➖100 होती है। 

💡वास्तव में जीन गुण के वास्तविक निर्धारक होते हैं। जीन की रचना एक रेखीय आकृति( linear shape) होती है।

🦚सोरेनसन :➖ पैतृक (jean) के द्वारा बालक के प्रमुख गुण निर्धारित होते हैं। पैतृक के सम्मेलन के परिणाम को ही वंशानुक्रम कहते हैं।

🐞बीज कोष की निरंतरता का सिद्धांत: ➖

🕸️बालक को जन्म देने वाला बीज कोष कभी नष्ट नहीं होता।

🌵इस कथन के प्रतिपादक बीज मैंने कहा :➖ बीजकोष का कार्य केवल उत्पादक कोष का निर्माण करना है। जो बीज कोष बालक को अपने माता-पिता से मिलता है, उसे वह अगली पीढ़ी को हस्तांतरित कर देता है ।

🕸️इस प्रकार बीज कोष पीढी दर पीढ़ी चलता रहता है।

🐻‍❄बी एन झा :➖ इस सिद्धांत के अनुसार माता-पिता जन्म दाता ना होकर बीज कोष के संरक्षक है।

🌿 बीजकोष एक पीढ़ी से दूसरी को इस प्रकार स्थानांतरित किया जाता है मानो एक बैंक से निकाल कर दूसरे बैंक मैं रख दिया गया ।

🐞 प्रतिपादक ➖ बीज मैन

🐻‍❄आलोचक ➖ बीएन झा

🐞 बीज मैन का सिद्धांत :➖ ना तो वंशानुक्रम की संपूर्ण प्रक्रिया की व्याख्या करता है और ना ही संतोषजनक है, इसलिए अमान्य है।

🥳🥳🥳🥳🥳🥳🥳🥳

📜🧠💡Deepika Ray 👱🏻‍♀️🧑🏻‍🦰👩🏻‍🦳

🔆 वंशानुक्रम और वातावरण ➖

🎯 एन एनास्तास्की के अनुसार ➖

” वंशानुक्रम के तत्व जन्म के बहुत बाद तक व्यक्तित्व के विकास को प्रभावित कर सकते हैं और वास्तव में यह प्रभाव जीवन पर्यंत चलता है |”

🎯 जैम्स ड्रेवर के अनुसार ➖

” माता-पिता की शारीरिक विशेषताओं का संतानों में संक्रमण होना ही वंशानुक्रम है |”

🎯 बी.एन . झा के अनुसार➖

“वंशानुक्रम व्यक्ति की जन्मजात विशेषताओं का पूर्ण योग है | “

⭕ वंशानुक्रम की यंत्र रचना या प्रक्रिया ➖ 

🍀 मानव शरीर की रचना अलग-अलग कोषों  से होती है प्रारंभ में गर्भावस्था में भ्रूण का निर्माण केवल कोष से होता है इसे संयुक्त कोष या  zygote  कहते हैं |

🍀 इस संयुक्त घोष की रचना दो उत्पादक कोषों से मिलकर होती है  इन उत्पादक कोषों  में एक पिता का होता है जिसे  शुक्र या  शुक्राणु कहते हैं तथा एक माता का उत्पादक कोष होता है जिसे अंड या अंडाणु कहते हैं | 

🍀 संयुक्त कोष और दोनों उत्पादक कोष    2,4,8,16 , 32 – – – – के क्रम में बढ़ते हैं शुक्र और अण्ड दोनों ही उत्पादक कोषों के रूप में गुण और दोष दोनों का स्थानांतरण करते हैं |  ये गुण और दोष भ्रूण में प्रवेश करते हैं और इसे ही जन्म के बाद वंशानुक्रम कहते हैं |

🍀यह निश्चित है कि शुक्राणु और अंडाणु में 23,,23 गुणसूत्र होते हैं इस प्रकार संयुक्त कोष में गुणसूत्र के 23 जोड़े होते हैं |

कुछ अन्य वैज्ञानिकों का कहना है कि मनुष्यों में गुणसूत्रों की संख्या 23 और 24 भी होती हैं और वास्तव में कभी-कभी यह सत्य भी होता है |

 गुणसूत्रों की संख्या ➖ 46

 पुरुष ( Male) ➖ 23 (XX) 

  महिला( Female) ➖ 23(XY) 

🍀 प्रत्येक गुणसूत्र में कुछ और भी सूक्ष्म पदार्थ होते हैं जिसे पित्रैक या जीन (jean)कहते हैं प्रत्येक गुणसूत्र या क्रोमोजोम्स (Charomozoms) में इनकी संख्या 40 -100  के बीच होती है |  

🍀 ये गुण सूत्र  प्रत्येक जीन को नियंत्रित करते हैं वास्तव  में जीन गुण के वास्तविक निर्धारक होते हैं जिनकी रचना” एक रेखीय आकृति ” होती है | 

🍀 🎯 सोरेन्सन के अनुसार➖

” पित्रैक(Jean) के द्वारा बालक के प्रमुख गुण निर्धारित होते हैं और पित्रैक के सम्मेलन के परिणाम को ही वंशानुक्रम कहते हैं |”

⭕ बीज कोष की निरंतरता का सिद्धांत ➖ 

प्रतिपादक ➖ बीजमैन

आलोचक ➖ बी.एन. झा

” बालक को जन्म देने वाला बीज कोष कभी नष्ट नहीं होता है | “

इस कथन के प्रतिपादक बीजमैन ने कहा कि ” बीज कोष का कार्य केवल उत्पादक कोषों का निर्माण करना है जो बीजकोष  बालक को अपने माता-पिता से प्राप्त होते हैं और वह उसे अगली पीढ़ी को हस्तांतरित कर देता है  इस प्रकार बीज कोष पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहता है | “

लेकिन इस कथन की आलोचना की गई इस कथन की आलोचना करते हुए 

बी.एन.झा ने कहा कि ➖

इस सिद्धांत के अनुसार माता-पिता जन्मदाता न होकर बीज कोष के संरक्षक है बीजकोष को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को इस प्रकार स्थानांतरित किए जाते हैं कि मानो एक बैंक से निकाल कर दूसरे बैंक में रख दिया गया हो |

 बीजमैन का सिद्धांत ना तो वंशानुक्रम की संपूर्ण प्रक्रिया की व्याख्या करता है और ना ही संतोषजनक है और ना ही मान्य है  इसलिए यह अमान्य है

𝙉𝙤𝙩𝙚𝙨 𝙗𝙮 ➖ 𝙍𝙖𝙨𝙝𝙢𝙞 𝙎𝙖𝙫𝙡𝙚

🌼🌺🍀🌸🌻🌼🌺🍀🌸🌻🌼🌺🍀🌸🌻🌼🌺🍀🌸🌻🌼🌺🍀🌸🌻

heredity and environment

 वंशानुक्रम और वातावरण

           Heredity वंशानुक्रम

एन anataskiके अनुसार:-  वंशानुक्रम के जन्म की बहुत बाद तक व्यक्ति के विकास को प्रभावित करते हैं और वास्तव में यह जीवन पर्यंत चलता है

 जेम्स  ड्रेवर के अनुसार:- माता-पिता की शारीरिक विशेषताओं का संतानों में संक्रमण होना ही वंशानुक्रम है

 बीएन झा के अनुसार:- वंशानुक्रम व्यक्ति की जन्मजात विशेषताओं का पूर्ण योग है

    वंशानुक्रम की यंत्र रचना

मानव शरीर की रचना कोषों से बनी होती

 प्रारंभ में गर्भावस्था में भ्रूण का निर्माण केवल कोष से होता है इसे संयुक्त kosh या zygoteको कहते हैं

   संयुक्त कोष की रचना दो उत्पादक कोष के मिलने से होती है इनमें से एक पिता का होता है जिसे शुक्र या शुक्राणु कहते हैं दूसरा कोर्स माता का होता है जिसे अंड या अंडाणु कहते हैं  संयुक्त कोष और उत्पादक कोष 2,4,8,16,32 के क्रम में बढ़ते हैं

शुक्र और अंडे दोनों ही उत्पादक  kosho के रूप में गुण और दोष दोनों का स्थानांतरण करते हैं यह गुण और दोष भ्रूण में प्रवेश करते ही ऐसे ही जन्म के बाद वंशानुक्रम कहते हैं

यह निश्चित है कि शुक्राणु और अंडाणु में 23 23 गुणसूत्र होते हैं इस प्रकार zygote( संयुक्त कोष) में गुणसूत्र (chromosome) के 23 जोड़े होते हैं

प्रत्येक गुणसूत्र में कुछ और भी सूक्ष्म पदार्थ होते हैं जिन्हें पैत्रेक (जीन )कहते हैं प्रत्येक गुणसूत्र में इनकी संख्या 40 से 100 होती है

 वास्तव में जीन गुण के वास्तविक निर्धारक होते हैं  जीन की रचना एक  रेखीय  आकृति होती हैं

 सोरेनसन के अनुसार:- पित्रैक जीन जिनके द्वारा बालक के प्रमुख गुण निर्धारक होते हैं पित्रैक के सम्मेलन के परिणाम को ही वंशानुक्रम कहते हैं

   बीज कोष की निरंतरता का सिद्धांत

 बालक को जन्म देने वाले बीज कोष कभी खत्म नहीं होते  होता है

इस कथन के प्रतिपादक बीज मैन ने कहा बीज कोष का कार्य केवल उत्पादक कोषो का निर्माण करता है जो बीज कोष बालक को अपने माता पिता से मिलता है उसे वह अगली पीढ़ी को हस्तांतरित कर देता है इस प्रकार बीजकोष  पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहता है

 बीएन झा के अनुसार:- इस सिद्धांत के अनुसार माता पिता जन्मदाता ना होकर बीज कोष के संरक्षक हो गए बीजकोष एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को इस प्रकार स्थानांतरित किया जाता है मानो एक बैंक से निकाल कर दूसरे बैंक में रख दिया गया 

बीज मैन का सिद्धांत ना तो वंशानुक्रम की संपूर्ण प्रक्रिया की व्याख्या करता है और ना ही संतोषजनक है और ना ही मान्य है इसलिए यह अमान्य है

🍃🍃🍃🍃🍃🍃सपना साहू 🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃

वंशानुक्रम और वातावरण

💥💥💥💥💥💥💥💥

12 March 2021

🌹 N. एनास्तास्की  के अनुसार:-

वंशानुक्रम के तत्व जन्म की बहुत बाद तक व्यक्तित्व के विकास को प्रभावित कर सकते हैं ,  और वास्तव में यह प्रभाव जीवन पर्यंत चलता रहता है।

🌹 जेम्स ड्रेवर  के अनुसार  :-

माता-पिता की शारीरिक विशेषताओं का संतानों में संक्रमण होना ही वंशानुक्रम है।

🌹 B. N. झाँ  के अनुसार  :-

वंशानुक्रम ,  व्यक्ति की जन्मजात विशेषताओं का पूर्ण योग है।

🌺  वंशानुक्रम की यंत्र रचना / प्रक्रिया  🌺

मानव शरीर की रचना कोषों से होती है।

प्रारंभ में गर्भावस्था में भ्रूण का निर्माण केवल एक कोष से   होता है , जिसे संयुक्त कोष या ( zygot )  कहते हैं।

संयुक्त कोष की रचना दो उत्पादक कोषों के मिलने से होती है।

इन उत्पादक कोषों में एक कोष पिता का होता है ,  जिसे  शुक्र या  शुक्राणु कहते हैं।

तथा दूसरा कोष माता का होता है,  जिसे अंड या अंडाणु कहते हैं।

पिता के शुक्राणु एवं माता के अंडाणु के निषेचन से zygot का निर्माण होता है , जिससे भ्रूण का निर्माण होता है।

संयुक्त कोष और उत्पादक कोष [ 2 , 4, 8, 11 , 32 ]  के क्रम में बढ़ते हैं।

शुक्र और अंड दोनों ही उत्पादन कोषों के रूप में गुण और दोष दोनों का स्थानांतरण करते हैं।

और जब ये गुण और दोष भ्रूण में प्रवेश करते हैं तो इन्हीं को जन्म के बाद वंशानुक्रम / अनुवंशिकता कहते हैं।

यह निश्चित है कि शुक्राणु और अंडाणु में  23  –  23    गुणसूत्र होते हैं।

परंतु कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि शुक्राणु और अंडाणु में 23 या 24 गुणसूत्र भी होते हैं।

किस प्रकार zygot ( संयुक्त कोष ) में 23 जोड़े गुणसूत्र होते हैं। 

प्रत्येक गुणसूत्र में कुछ और भी सूक्ष्म पदार्थ होते हैं  जिसे  gene ( पित्रैक ) कहते हैं ।

          अतः प्रत्येक गुणसूत्र में इनकी संख्या  40 – 100   होती है।

वास्तव में जीन ( gene )  गुणों के वास्तविक निर्धारक होते हैं।

जीन gene की  संरचना एक ”  रेखीय आकृतिनुमा ”  होती है।

🌻  सॉरेन्सन के अनुसार :-

 पित्रैक ( gene ) के द्वारा बालक के प्रमुख गुण निर्धारित होते हैं।   अतः पित्रैक  gene)  के सम्मेलन के परिणाम को ही वंशानुक्रम कहते हैं।

🍁  बीजकोष की निरंतरता का सिद्धांत  🍁 

बालक को जन्म देने वाला बीजकोष कभी नष्ट नहीं होता है।

👉  इस कथन के प्रतिपादक बीजमैंन ने  कहा कि  :-

बीजकोष  का कार्य केवल उत्पादक कोषों का निर्माण करना है  ,  जो बीजकोष बालक को अपने माता-पिता से मिलता है उसे वह आगामी पीढ़ी को हस्तांतरित कर देता है , …. 

                इस प्रकार बीजकोष पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहता है।

💐  B. N. झाँ  के अनुसार :-

इस सिद्धांत के अनुसार माता-पिता जन्मदाता ना होकर बीजकोष के  संरक्षक हैं।

बीजकोष  एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को इस प्रकार स्थानांतरित किया जाता है मानो एक बैंक से निकाल कर दूसरे बैंक में रख दिया गया है।

                 अतः बीजमैंन का सिद्धांत न तो वंशानुक्रम  की संपूर्ण प्रक्रिया की व्याख्या करता है और न ही संतोषजनक है ,  इसीलिए अमान्य है।

✍️ Notes by – जूही श्रीवास्तव✍️

EVS- Different types of agriculture by Priyanka Ahirwar

🌺🌿🌺 विभिन्न प्रकार की कृषियाँ 🌺🌿🌺

हम जानते हैं कि भारत एक कृषि प्रधान देश है, जिसमें विभिन्न प्रकार की कृषि की जाती हैं। व्यक्ति अपनी आवश्यकता की पूर्ति करने के लिए कई प्रयास करते हैं। एवं अपने व अपने परिवार की मूलभूत आवश्यकताओं व भोजन की पूर्ति कर पाता है।

भारत में की जाने वाली मुख्य कृषियाँ निम्नलिखित है ~

झूम खेती ~

👉🏻 अन्य नाम ~ स्थानांतरण प्रणाली, दहन प्रणाली, पैडा व कर्तन पद्धति।
यह कृषि की सर्वाधिक प्राचीन पद्धतियों मे से एक हैं। इसके अन्तर्गत किसी स्थान विशेष की वनस्पतियो को जलाकर साफ किया जाता है। तत्पश्चात उस स्थान पर कृषि की जाती हैं। जब इस जमीन मे खेती की जाती है, तब उसमें बीज छिड़का जाता हैं। बीजो को छिड़कने से पूर्व मिट्टी को भुरभुरी बनाया जाता हैं। इसके लिए उसे हल्का- हल्का जोता जाता हैं।

जीविकोपार्जन कृषि ~

इस प्रकार की कृषि जिसमें कि कृषक अपने परिवार व अपनी जीविका चलाने के लिए खेती करते है। जिसमें वह अपनी व अपने परिवार की मूलभूत आवश्यकताओं व भोजन की पूर्ति कर पाता हैं।
👉🏻 अन्य नाम ~ जीवन निर्वाह कृषि।

मिश्रित कृषि ~

इस कृषि के अन्तर्गत ऐसी खेती की जाती हैं जिसमें कि कृषक खेती/ फसल के साथ-साथ एक छोटा मोटा व्यवसाय भी करते है।
जैसे कि किसी भी फसल के साथ पशु पालन, मधुमक्खी पालन, मुर्गी पालन इत्यादि किसी भी तरह का एक व्यवसाय करना ही मिश्रित कृषि के अन्तर्गत आता है।

संविदा कृषि ~

एक ऐसी खेती जिसमें कृषक किसी कम्पनी के प्रदान की गई भूमि पर खेती करते हैं, इसमें कृषक को कम्पनी को तय की गई राशि/ फसल देना होता हैं।

शुष्क भूमि कृषि ~

ऐसी खेती जिसमें कम पानी की आवश्यकता होती है। यह खेती शुष्क क्षेत्र में देखने को मिलती हैं।
यह खेती ऐसे स्थानो पर की जाती है, जहां 75 सेंमी से कम होती है।

सहकारी कृषि ~

जिन किसानो के पास अपनी स्वयं की कम खेती होती है, तो वह दो या दो से अधिक कृषक मिलकर एक साथ कृषि करते है। जिससे कि सभी को लाभ मिल सके।

जैविक कृषि ~

हम सभी जानते हैं कि कृषक कृषि के लिए आवश्यक खाद का प्रयोग करते है। लेकिन इस खेती के लिए वह रासायनिक कीटनाशकों व खाद के स्थान पर जैविक खाद का प्रयोग करते है।
जैसे कि गोवर की खाद, हरी सब्जियों से बनी हुई खाद, वर्मी कम्पोस्ट इत्यादि अनेक प्रकार की आवश्यक चीजो को उपयोग में लाया जाता है।

✍🏻 PRIYANKA AHIRWAR ✍🏻

🙏🏻🌺🌿🌻🌿🌻🌺🙏🏻🌺🌻🌿🌻🌺🙏🏻🌺🌻🌿🌻🌺

Hindi- कवि एवं उनकी रचनाएं – Shikhar Pandey

✍️कवि एवं उनकी रचनाएं✍️ ✍️ संतकबीर दास✍️

जीवन परिचय
संत कबीरदास का जन्म 1440 ईस्वी में हुआ था।
जन्म स्थल- काशी
गुरु-” रामानंद “(शेख तकी नाम के सूफी संत को भी कबीर का गुरु कहा जाता है किंतु उसकी पुष्टि नहीं है।
मृत्यु 1518 के आसपास मानी जाती है।

महत्वपूर्ण तथ्य÷
कबीर ने एकदम सरल और सहज शब्दों में राम और रहीम के एक होने की बात कही है।

कबीर दास जी ने कबीर पंथ चलाया था।।

कबीर की भाषा में पंजाबी राजस्थानी अवधि आदि अनेक प्रांतीय भाषाओं के शब्दों की खिचड़ी मिलती है।

श्लोक-माया मरी न मन मरा, मर मर गए शरीर।
आशा तृष्णा ना मरी कह गए दास कबीर।।

ऐसी बानी बोलिए मन का आपा खोए।
औरन को शीतल करे आपहु शीतल होय।।

रचनाएं-बीजक नामक ग्रंथ
साखी ,सबद ,रमैनी ,कबीर ग्रंथावली, और कबीर रचनावली आदि है। ✍️ सूरदास✍️ (वात्सल्य रस सम्राट) (हिंदी साहित्य का सूरज)

जन्म- लगभग 1535 ईसवी माना जाता है।
जन्म स्थान-रुनकता अथवा रेणुका क्षेत्र (वर्तमान जिला आगरा)
“भावप्रकाश” में सूर का जन्म स्थान “सीही”नामक गांव बताया गया है।

महत्वपूर्ण तथ्य-

सूरदास जी वात्सल्य रस के सम्राट माने जाते हैं उन्होंने श्रृंगार और शांत रस का बड़ा मर्मस्पर्शी वर्णन किया है।

ये शाश्वत ब्राम्हण थे और जन्म से दृष्टिहीन थे।

मृत्यु- संवत् 1620 से 1648 के मध्य मानी जाती है।

महत्वपूर्ण रचनाएं
इनकी रचनाओं में पांच ग्रंथ बताए जाते हैं जो निम्नलिखित हैं÷
१-सूरसागर
२-सूरसरावली
३-साहित्य लहरी
४-नल -दमयंती
५-ब्याहलो

नोट÷नागरी प्रचारिणी सभा द्वारा प्रकाशित हस्तलिखित पुस्तकों की विवरण तालिका में सूरदास के १६ ग्रंथो का उल्लेख है (नाग लीला, भागवत ,गोवर्धन लीला, सूरपच्चीसी ,सूरसागर सार, प्राण प्यारी, दशमस्कंधटीका। ✍️ तुलसीदास✍️

पूरा नाम -गोस्वामी तुलसीदास
जन्म-संवत- 1589
जन्म स्थान- राजापुर (उत्तर प्रदेश)
पिता -आत्माराम
माता- हुलसी
विवाह -रत्नावली के साथ
शिक्षा- बचपन से ही वेद पुराण एवं उपनिषदो की शिक्षा मिली थी।
मृत्यु- संवत 1680 में हुआ था

महत्वपूर्ण तथ्य

तुलसीदास जी अपने प्रसिद्ध दोहे और कविताओं के लिए जाने जाते हैं और साथ ही अपने द्वारा लिखित महाकाव्य”रामचरितमानस “के लिए संपूर्ण भारत में लोकप्रिय हैं, इन्होंने ही रामचरितमानस संस्कृत में रचित रामायण का देसी भाषा में अनुवाद किया था।

रचनाएं एवं कृतियां÷
इनके द्वारा 12 रचनाएं काफी लोकप्रिय हैं, छह उनकी मुख्य रचनाएं हैं और 6 छोटी रचनाएं हैं।
अवधी कार्य-रामचरितमानस, रामलाल नहछू ,बरवै रामायण, पार्वती मंगल ,जानकी मंगल, और रामाज्ञा प्रश्न।
ब्रजकार्य-कृष्ण गीतावली ,गीतावली, साहित्य रत्न दोहावली, वैराग्य संदीपनी, और विनय पत्रिका आदि।

कुछ अन्य रचनाएं-हनुमान चालीसा, हनुमान अष्टक ,हनुमान बहुक ,तुलसी सतसई आदि। ✍️ रसखान✍️

जन्म -1558 ईस्वी
वास्तविक नाम- सैयद इब्राहिम
गुरु -विट्ठलनाथ
मृत्यु- सन 1618 ईसवी के लगभग

महत्वपूर्ण तथ्य

रसखान की गणना भक्तिकाल के कवियों में की जाती है।

रसखान नई परंपरा के जनक माने जाते हैं।

रसखान की संपूर्ण रचना मधुर ब्रजभाषा में है।

रचना एवं कृतियां÷
सुजान रसखान” एवं” प्रेम वाटिका” ✍️मीराबाई✍️

जन्म -संवत् 1573 ईसवी
जन्म स्थल- जोधपुर के चौकड़ी नामक गांव।
विवाह -महाराणा कुमार भोजराज के साथ हुआ था
मृत्यु सन 15 से 46 ईसवी ।

महत्वपूर्ण तथ्य
यह बचपन से ही कृष्ण भक्ति में रुचि लेने लगी थी।

रचनाएं एवं कृतियां

नरसी जी का मायरा ,”रामगोविंद”
गीत गोविंद का टीका।

written by -Shikhar pandey

29. CDP – Heredity and Environment PART- 1

वंशानुक्रम और वातावरण

              11/03/2021

👉  मनुष्य का विकास इन दो कारकों से हुआ…..

1) जैविक विकास 

 2)सामाजिक विकास

👉 जैविक विकास का दायित्व माता-पिता से होता है

👉 सामाजिक विकास का दायित्व वातावरण से होता है

➡️ गर्भ:— heridty 

➡️ जन्म:—Enviroment

➡️ वंशानुक्रम :—- प्रकृति (nature)

➡️ वातावरण :—-पोषण (nurture)

😎 वुड बर्थ के अनुसार :—-एक पौधा का वंशानुक्रम उसके बीच में निहित है, और उसके पोषण का दायित्व वातावरण पर निर्भर है

अतः वंशानुक्रम तथा वातावरण का अध्ययन प्राणी के विकास तथा वातावरण का अंतर क्रिया का फल है

👉 मनोवैज्ञानिक ने यह चर्चा और मतभेद रहता है कि वंशानुक्रम और वातावरण में किस का सहयोग ज्यादा है अतः इन दोनों को मापा नहीं जा सकता

                🚻वंशानुक्रम🚻

जैसे माता-पिता होते हैं वैसे संतान होती है बालक शारीरिक गुण में माता-पिता के अनुरूप होते हैं

 👉मनोवैज्ञानिक का मत यहां तक है, बालक अपने माता पिता से शारीरिक गुण ही नहीं बल्कि मानसिक, सामाजिक गुण प्राप्त करते हैं

                🤔अपवाद🤔

👉 इस मत के अनुसार स्वस्थ एवं विद्वान माता-पिता के बच्चे स्वस्थ एवं विद्वान जन्म लेते हैं l

👉 कई बार विद्वान माता-पिता के बच्चे मंद- बुद्धि और मंद -बुद्धि माता पिता के बच्चे विद्वान होते हैं

👉 इसका कारण अन्य पूर्वजों के गुणों का स्थानांतरण माता-पिता के द्वारा ही होता है

अतः  शारीरिक, मानसिक गुण अपने माता-पिता से नहीं ,बल्कि पूर्वजों से भी प्राप्त होता है lयह कुछ ऐसे गुण है जो आया था माता-पिता से लेकिन वह प्रबल नहीं थे लेकिन वह गुण जो बच्चों में आया वह प्रबल हो गया l

😎  वुडबर्थ के अनुसार:— वंशानुक्रम में वे सभी बातें आ जाती है जो जीवन का आरंभ करते समय व्यक्ति में उपस्थित थे । यह जन्म के समय नहीं बल्कि गर्भाधान के समय जन्म से लगभग 9 माह पूर्व बच्चा पैदा हो जाता है

😎 ज. ए . थॉम्पसन:— वंशानुक्रम,  कर्मवध पीढ़ियों  के बीच उत्पत्ति संबंधी संबंध के लिए सुविधाजनक है।

😎H. A. पीटरसन:— वंशानुक्रम को इस प्रकार परिभाषित किया जा सकता है कि व्यक्ति अपने माता-पिता के माध्यम से पूर्वजों के जो कुछ गुण प्राप्त करता है वही वंशानुक्रम है

😎 P .gisbert:— प्रकृति में प्रत्येक पीढ़ी का कार्य माता-पिता संतानों में कुछ जैविकीय या मनोवैज्ञानिक विशेषताओं का हस्थानांतरण करना है । इस प्रकार हैं हस्थानांतरित विशेषताओं की मिली जुली गठरी को वंशानुक्रम के नाम से पुकारा जाता है

😎 डगलस/ हॉलैंड के अनुसार:— माता-पिता या अन्य पूर्वजों या प्रजाति से प्राप्त समस्त शारीरिक रचनाएं, विशेषताएं, क्रियाएं अथवा क्षमताओं व्यक्ति के वंशानुक्रम में सम्मिलित हैं

🕉🕉🕉🕉🕉🕉🕉🕉🕉

Notes by :— संगीता भारती 🙏

*Heredity and Environment*

  मनुष्य का विकास इन दो कारकों से हुआ □

■जैविक विकास 

 ■सामाजिक विकास

 *जैविक विकास का दायित्व माता-पिता से होता है।*

*सामाजिक विकास का दायित्व वातावरण से होता है।*

 *गर्भाधान के समय — Heredity  जन्म के बाद—Enviroment*

 *वंशानुक्रम — प्रकृति — Nature                          वातावरण — पोषण — Nurture*

 🧱 *Woodworth*:—- एक पौधा का *वंशानुक्रम उसके बीज़ में निहित है और उसके पोषण का दायित्व वातावरण* पर निर्भर है।

अतः वंशानुक्रम तथा वातावरण का अध्ययन प्राणी के विकास तथा वातावरण का अंतर क्रिया का फल है।

 मनोवैज्ञानिक ने यह चर्चा और मतभेद रहता है कि वंशानुक्रम और वातावरण में किसका सहयोग ज्यादा है, अतः इन दोनों को मापा नहीं जा सकता हैं। 

                *Heredity*

*जैसे माता-पिता होते हैं वैसे संतान* होती है । बालक शारीरिक गुण में माता-पिता के अनुरूप होते हैं।

💡 मनोवैज्ञानिक का मत यहां तक है, बालक अपने माता पिता से शारीरिक गुण ही नहीं बल्कि मानसिक व सामाजिक गुण भी प्राप्त करते हैं।

 इस मत के अनुसार स्वस्थ एवं विद्वान माता-पिता के बच्चे स्वस्थ एवं विद्वान जन्म लेते हैं — *Heredity ka sidhyant* 

 विद्वान माता-पिता के बच्चे मंद- बुद्धि और मंद -बुद्धि माता पिता के बच्चे विद्वान होते हैं — *Pratyagaman ka sidhyant* 

🕯️ इसका कारण अन्य पूर्वजों के गुणों का स्थानांतरण माता-पिता के द्वारा ही होता है।

अतः  *शारीरिक, मानसिक गुण अपने माता-पिता से नहीं ,बल्कि पूर्वजों से भी प्राप्त होता है* l यह कुछ ऐसे गुण है जो आया तो दादा दादी  व नाना नानी से माता-पिता में लेकिन वह प्रबल नहीं थे परन्तु जब वह गुण बच्चों में आया तो वह प्रबल हो गया , जिससे वह दिखने लगा l

🧱  *Woodworth*:— वंशानुक्रम में वे सभी बातें आ जाती है जो जीवन का आरंभ करते समय व्यक्ति में उपस्थित थे । यह *जन्म के समय नहीं बल्कि गर्भाधान के समय जन्म से लगभग 9 माह पूर्व बच्चो में पैदा हो जाता है*।

 🥸 *J•A•Thompson*:— वंशानुक्रम,  क्रमबद्ध पीढ़ियों  के बीच उत्पत्ति संबंधी संबंध के लिए सुविधाजनक है।

👶🏻 *H. A. Piterson*:— वंशानुक्रम को इस प्रकार परिभाषित किया जा सकता है कि व्यक्ति अपने माता-पिता के माध्यम से पूर्वजों के जो कुछ गुण प्राप्त करता है वही वंशानुक्रम है।

 👽 *P•Gisbert*:— प्रकृति में प्रत्येक पीढ़ी का कार्य माता-पिता संतानों में कुछ जैविकीय या मनोवैज्ञानिक विशेषताओं का हस्थानांतरण करना है । इस प्रकार हैं हस्थानांतरित विशेषताओं की मिली जुली गठरी को वंशानुक्रम के नाम से पुकारा जाता है

👿😈 *डगलस और हॉलैंड के अनुसार* :— माता-पिता या अन्य पूर्वजों या प्रजाति से प्राप्त समस्त शारीरिक रचनाएं, विशेषताएं, क्रियाएं अथवा क्षमताओं व्यक्ति के वंशानुक्रम में सम्मिलित हैं।

📜 _*Deepika Ray*_

💞  New chapter💞

  🗣️(Effects of Hereditary and Environment on      children)

💦🧠वंशानुक्रम और वातावरण🧠

🤷🏻‍♂️मनुष्य का विकास जिन दो कारणों की वजह से होता है उन्हें समानता हम निम्नलिखित नामो से  पुकारते हैं;

🌸१- जैविक कारक ( अनुवांशिकता)

🌸२-सामाजिक कारक (वातावरण)

🌸जैविक कारक का दायित्व माता-पिता पर होता है।

🌸सामाजिक विकास का दायित्व वातावरण पर होता है।

🌸माता पिता जी शिशु को जन्म देते हैं उसका शारीरिक विकास गर्भकाल से ही शुरू हो जाता है और  विकास जन्म के उपरांत वातावरण में भी होता है।

🌸जब बच्चा गर्भ में रहता है तो उस पर अनुवांशिकता का महत्वपूर्ण प्रभाव रहता है।

🌸जन्म के उपरांत बच्चे पर वातावरण का अधिक प्रभाव पड़ता है अनुवांशिकता के परिप्रेक्ष्य में, क्योंकि जीन के  द्वारा जो भी गुण आने थे आ चुके है।

🌸वंशानुक्रम अर्थात अनुवांशिकता का अन्य नाम प्रकृति भी है जिसको( Nature) कहते हैं;

🌸वातावरण का अन्य नाम पोषण है जिसको (Nuture) कहते हैं।

🌺वुडवर्थ के अनुसार÷  एक पौधे का वंशानुक्रम उसके बीच में निहित है और उसके पोषण का दायित्व उसके वातावरण पर निर्भर करता है।

🌸वंशानुक्रम तथा वातावरण का अध्ययन प्राणी के विकास तथा वातावरण की अंतः क्रिया का फल है।

🌸मनोवैज्ञानिकों में अनेकों मतभेद रहता है कि वंशानुक्रम और वातावरण में किस का सहयोग कितना है प्राणी के विकास या परिवर्तन में;

                🎉 वंशानुक्रम🎉

           🌷   (Hereditary)🌷

🌸वंशानुक्रम में जैसे माता-पिता होते हैं वैसे ही उनकी संतानें भी होती हैं;

💥💥(Be like begets like)💥💥

🌸बालक शारीरिक गुण में माता-पिता के अनुरूप होते हैं।

🌸मनोवैज्ञानिक का मत यहां तक है कि बालक अपने माता पिता से केवल शारीरिक गुण ही नहीं, बल्कि मानसिक सामाजिक गुण भी प्राप्त करते हैं।

🌸यदि स्वास्थ्य व विद्वान माता पिता है तो उनके बच्चे भी स्वास्थ्य व विद्वान होते हैं;

किंतु इसके अनेक अपवाद भी हैं

✋जैसे÷कई बार विद्वान व स्वस्थ माता-पिता के बच्चे मंदबुद्धि भी हो जाते हैं 

                        व

✋मंदबुद्धि माता-पिता के बच्चे विद्वान हो जाते हैं, इसका कारण यह है कि शारीरिक, मानसिक गुण केवल माता-पिता से ही नहीं आते बल्कि पूर्वजों से भी आ जाते हैं।

✋कई बार ऐसा भी होता है कि पूर्वजों से आए गुण माता-पिता में सक्रिय नहीं रहते हैं किंतु उनके बच्चों में आकर सक्रिय हो जाते हैं।

🌸पूर्वजों के गुणों का स्थानांतरण माता पिता के द्वारा ही होता है ना कि की पूर्वजों से सीधे बच्चों में हो जाए;

🗣️वुडवर्थ का कथन÷वंशानुक्रम में सभी बातें आ जाती हैं जो जीवन का आरंभ करते समय व्यक्ति में थी,यह जन्म के समय नहीं बल्कि गर्भाधान के समय जन्म से लगभग ९ माह पूर्व बच्चा पैदा हो जाता है।

🗣️जे जे थॉम्पसन का कथन ÷वंशानुक्रम क्रमबद्ध पीढ़ियों के बीच उत्पत्ति संबंधी के लिए सुविधाजनक है।

🗣️एच ए पीटरसन का कथन÷वंशानुक्रम को इस प्रकार परिभाषित किया जा सकता है कि व्यक्ति अपने माता-पिता के माध्यम से पूर्वजों के जो कुछ गुण प्राप्त करता है वही वंशानुक्रम है।

🗣️पी.जिसबर्ट का कथन÷प्रकृति में प्रत्येक पीढ़ी का कार्य माता-पिता संतानों में कुछ जैविकीय  या मनोवैज्ञानिक विशेषताओं का हस्तांतरण करता है इस प्रकार का हस्तांतरण विशेषताओं की मिली-जुली गठरी को वंशानुक्रम के नाम से पुकारा जाता है।

🗣️डग्लस व हालैंड का कथन÷माता-पिता या अन्य पूर्वजों या प्रजाति से प्राप्त समस्त शारीरिक रचनाएं विशेषताएं क्रिया अथवा क्षमताएं व्यक्ति के वंशानुक्रम में सम्मिलित रहती हैं।

🥀Written by shikhar pandey 🥀

✴️ वंशानुक्रम और वातावरण✴️

➖️ मनुष्य का विकास इन 2 कारणों से होता है 

जैविक क और सामाजिक कारण

💮जैविक विकास➖️ जैविक विकास का दायित्व माता-पिता से होता है 💮सामाजिक विकास➖️ सामाजिक विकास का दायित्व वातावरण पर निर्भर करता है

🍀 गर्भ ➖️जो बच्चा गर्भ में होता है तो वंशानुक्रम पर निर्भर होता है

🍀 जन्म ➖️के बाद जब बच्चे का जन्म हो जाता है तो जन्म के बाद वातावरण पर निर्भर हो जाता है

🍀वंशानुक्रम ➖️को प्रकृति भी माना जाता है वातावरण को पोषण भी माना जाता है वंशानुक्रम को प्रकृति और वातावरण को पोषण कह सकते हैं

✏️बुडबर्थ ➖️एक पौधे का वंशानुक्रम उसके बीज मे निहित है उसके पोषण का दायित्व वातावरण पर निर्भर है

जैसे हम किसी के बारे में बोलते हैं कि उसका प्रकृति ही ऐसा ऐसी है मतलब उसका स्वभाव  ही ऐसा है  वंशानुक्रम  पर प्रभाव पड़ता है

🌲वंशानुक्रम तथा वातावरण का अध्ययन प्राणी के विकास तथा वातावरण की अंतः क्रिया का फल है

मनोविज्ञान मे यह चर्चा और मतभेद रहता है कि वंशानुक्रम और वातावरण में किसका संबंध ज्यादा है हम बता नहीं सकते है और इन दोनों की तुलना नहीं की जा सकती है हर इंसान में अलग-अलग परिवर्तन होते हैं

🌲वंशानुक्रम➖️ वंशानुक्रम का मतलब यह है कि जैसे माता-पिता होते हैं वैसे ही संतान पैदा होती है इन में शारीरिक गुण माता पिता के जैसे ही होते हैं जैसे माता-पिता होंगे वैसे ही बच्चे का शारीरिक गुण होते है जैसे आंख नाक कान हाथ पैर ऊंचाई यह सारे गुण के अंतर्गत आते हैं

मनोवैज्ञानिक का यह मत भी है कि बालक अपने माता पिता से शारीरिक गुण ही नहीं बल्कि मानसिक गुण भी प्राप्त करता है जिस बच्चे के माता-पिता स्वास्थ्य और बुद्धिमान होते हैं उनका बच्चा भी स्वस्थ और बुद्धिमान होता है

अपवाद ➖️इसमें अपवाद भी हैं अगर माता-पिता विद्वान है तो बच्चे मंदबुद्धि का हो सकता है और मंदबुद्धि माता-पिता की संतान तीव्र बुद्धि की हो सकती है

  इसका प्रमुख कारण यह है कि शारीरिक मानसिक और माता-पिता से प्राप्त ना होकर उनके पूर्वजों से भी प्राप्त हो सकते हैं जैसे दादा-दादी परदादा परदादी नाना नानी से भी हो सकते हैं क्योंकि दादा दादी नाना नानी से माता-पिता में जो गुण आना था वह पूर्ण विकसित नहीं हो पाता है  और बच्चों में हो जाता है वह माता-पिता में ना दिखकर बच्चों में दिख जाता है माता-पिता में पूर्ण तरीके से प्रबल नहीं हो पाता है बालकों में पूर्ण तरीके से प्रबल हो जाता है और यह माता-पिता द्वारा बच्चों में आ जाते हैं

✏️बुडबर्थ ➖️वंशानुक्रम में भी सभी बातें आ जाती है जो जीवन का आरंभ करते समय व्यक्ति में उपस्थित थे यह जन्म के समय नहीं बल्कि गर्भाधान के समय जन्म से लगभग 9 माह पूर्व बच्चा पैदा हो जाता है

✏️j. a.थॉमसन ➖️वंशानुक्रम क्रमबद्ध पीढ़ी के बीच उपस्थित संबंधी संबंध के लिए सुविधाजनक है

✏️एच ए पीटशन ➖️वंशानुक्रम को एक प्रकार की परिभाषित किया जा सकता है कि व्यक्ति अपने माता-पिता के माध्यम से पूर्वजों के जो कुछ गुण प्राप्त करता है वही वंशानुक्रम है

✏️P. Gisbbert ➖️प्रकृति के प्रत्येक कार्य माता-पिता संतानों में कुछ जैविकीय या मनोवैज्ञानिक विशेषताओं का हस्तांतरण करना है इस प्रकार है हस्तांतरित विशेषताओं में मिली जुली गठरी को वंशानुक्रम के नाम से पुकारा जाता है

 ✏️डग्लस हॉलेंस के अनुसार➖️ माता-पिता  अन्य पूर्वजों या प्रजाति से प्राप्त शारीरिक रचनाएं विशेषताएं क्रियाएं और क्षमता व्यक्तियों के वंशानुक्रम से संबंधित है

Notes by sapna yadav

🌼🌼वंशानुक्रम और वातावरण🌼🌼

🌼🌼  मनुष्य का विकास  दो कारकों से हुआ है….

🌼1.जैविक विकास 

 🌼2.सामाजिक विकास

🌼 जैविक विकास का दायित्व माता-पिता से होता है तथा

 🌼सामाजिक विकास का दायित्व वातावरण से होता है

🌼 गर्भ:- heredity 

🌼 जन्म:-Environment

🌼 वंशानुक्रम :- प्रकृति (nature)

🌼वातावरण :-पोषण (nurture)

🌼🌼 वुड बर्थ के अनुसार :-

“एक पौधा का वंशानुक्रम उसके बीच में निहित है, और उसके पोषण का दायित्व वातावरण पर निर्भर है अतः वंशानुक्रम तथा वातावरण का अध्ययन प्राणी के विकास तथा वातावरण का अंत:क्रिया का फल है”

 मनोवैज्ञानिक ने यह चर्चा और मतभेद रहता है कि वंशानुक्रम और वातावरण में कौन सबसे ज्यादा महत्व पूर्ण है अतः इन दोनों को मापा नहीं जा सकता

🌼🌼🌼वंशानुक्रम:-

जैसे माता-पिता होते हैं वैसे संतान होती है बालक शारीरिक गुण में माता-पिता के अनुरूप होते हैं

 🌼मनोवैज्ञानिक का मत यहां तक है, बालक अपने माता पिता से शारीरिक गुण ही नहीं बल्कि मानसिक, सामाजिक गुण प्राप्त करते हैं

 🌼🌼अपवाद:-

 इस मत के अनुसार स्वस्थ एवं विद्वान माता-पिता के बच्चे स्वस्थ एवं विद्वान जन्म लेते हैं l

 कई बार विद्वान माता-पिता के बच्चे मंद- बुद्धि और मंद -बुद्धि माता पिता के बच्चे विद्वान होते हैं

🌼 इसका कारण अन्य पूर्वजों के गुणों का स्थानांतरण माता-पिता के द्वारा ही होता है

अतः  शारीरिक, मानसिक गुण अपने माता-पिता से नहीं ,बल्कि पूर्वजों से भी प्राप्त होता है कुछ ऐसे गुण होते है जो पूर्वजो से माता-पिता को प्राप्त हुए होंगे लेकिन वह प्रबल नहीं थे लेकिन वह गुण जो बच्चों में आया तो वह प्रबल हो गया l

🌼🌼  वुडबर्थ के अनुसार:-” वंशानुक्रम में वे सभी बातें आ जाती है जो जीवन का आरंभ करते समय व्यक्ति में उपस्थित थे । यह जन्म के समय नहीं बल्कि गर्भाधान के समय जन्म से लगभग 9 माह पूर्व बच्चा पैदा हो जाता है”

 🌼 J. या. थॉम्पसन:-” वंशानुक्रम,  कर्मवध पीढ़ियों  के बीच उत्पत्ति संबंधी संबंध के लिए सुविधाजनक है।”

🌼H. A. पीटरसन:-” वंशानुक्रम को इस प्रकार परिभाषित किया जा सकता है कि व्यक्ति अपने माता-पिता के माध्यम से पूर्वजों के जो कुछ गुण प्राप्त करता है वही वंशानुक्रम है”

🌼 P . गिस्वर्ट:-” प्रकृति में प्रत्येक पीढ़ी का कार्य माता-पिता संतानों में कुछ जैविकीय या मनोवैज्ञानिक विशेषताओं का हस्थानांतरण करना है  इस प्रकार हैं हस्तानांतरित विशेषताओं की मिली जुली गठरी को वंशानुक्रम के नाम से पुकारा जाता है”

🌼 डगलस/ हॉलैंड के अनुसार:-” माता-पिता या अन्य पूर्वजों या प्रजाति से प्राप्त समस्त शारीरिक रचनाएं, विशेषताएं, क्रियाएं अथवा क्षमताओं व्यक्ति के वंशानुक्रम में सम्मिलित हैं”

🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼

🌼🌼🌼🌼Manjari soni🌼🌼🌼🌼

💫🌻 वंशानुक्रम और वातावरण🌻💫

🤷🏻‍♀️ मनुष्य का विकास इन दो कारकों से हुआ है।

☘️ जैविक विकास

☘️ सामाजिक विकास

☘️ जैविक विकास➖ जैविक विकास का दायित्व माता-पिता से होता है।

☘️ सामाजिक विकास➖ सामाजिक विकास का दायित्व वातावरण से होता है।

🌼 गर्भ 

🌼 जन्म

🌼 वंशानुक्रम—प्रकृति

🌼 वातावरण—पोषण

☘️🤵🏻‍♂वुडवर्थ  के अनुसार➖”एक पौधे का वंशानुक्रम उसके बीच में निहित हैं और उसके पोषण का दायित्व वातावरण  पर निर्भर करता है”।

अतः वंशानुक्रम तथा वातावरण का अध्ययन प्राणी के विकास तथा वातावरण का अंत:क्रिया का

 फल है।

☘️🌻 वंशानुक्रम ☘️🌻(Heredity)

कोई भी बालक अपने माता-पिता तथा अन्य पूर्वजों के जो विभिन्न शारीरिक और मानसिक गुण गर्भाधान के समय प्राप्त करते हैं वह उसके वंशानुगत गुण ( heredity traits) कहलाते हैं

मनोवैज्ञानिकों का मत यहां तक है बालक शारीरिक गुण  ही नहीं बल्कि मानसिक सामाजिक गुण प्राप्त करते हैं।

☘️🌼 अपवाद☘️🌼

इस मत के अनुसार स्वस्थ एवं विद्वान माता-पिता के बच्चे स्वस्थ एवं विद्वान जन्म लेते हैं।

कई बार विद्यमान माता-पिता के बच्चे मंदबुद्धि और मंदबुद्धि माता-पिता के बच्चे विद्यमान होते हैं।

इसका कारण अन्य पुरुषों के गुणों का स्थानांतरण माता-पिता के द्वारा ही होता है अतः शारीरिक मानसिक वह अपने माता-पिता से नहीं बल्कि पूर्वजों से भी प्राप्त होता है यह कुछ ऐसे गुण हैं जो आया था माता-पिता से लेकिन वह प्रबल नहीं था लेकिन वह गुण जो बच्चों में आया वह प्रबल हो जाता है।

☘️🤵🏻जे. जे. थाॅम्पसन का कथन➖ “वंशानुक्रम क्रमबद्ध पीढ़ियों के बीच उत्पत्ति संबंधी  के लिए सुविधाजनक है”।

☘️👨🏻‍🔬एच.ए.पीटरसन➖”व्यक्ति अपने माता-पिता के माध्यम से पूर्वजों की जो भी विशेषताएं प्राप्त होती है उसे वंशानुक्रम कहते हैं”।

☘️🧑🏼‍💼पी. जिसबर्ट का कथन➖”प्रकृति में पीढ़ी का प्रत्येक कार्य कुछ जैविक अथवा मनोवैज्ञानिक विशेषताओं को माता-पिता द्वारा उनके संतानों में हस्तांतरित करना है”।

☘️ 🤵🏻/🤵🏻‍♂डगलस /हालैंड का कथन➖माता-पिता या अन्य पुरुषों या प्रजाति से प्राप्त समस्त शारीरिक , संरचनाएं, विशेषताएं, क्रियाएं अथवा क्षमताएं व्यक्ति के वंशज क्रम में सम्मिलित है।

✍🏻📚📚 Notes by,…… Sakshi Sharma📚📚✍🏻

अनुवांशिकता  और  वातावरण

   Heredit  &  Environment

💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥

11 march 2021

मनुष्य का विकास निम्नलिखित दो कारकों से होता है :- 

👉 1. जैविक विकास        ( अनुवांशिकता )

👉 2. सामाजिक विकास   ( वातावरण / परिवेश )

अतः जैविक विकास का दायित्व माता-पिता अर्थात वंशानुक्रम पर होता है।

सामाजिक विकास का दायित्व वातावरण पर होता है।

गर्भ में रहने वाले बच्चे पर अपने अनुवांशिकता का प्रभाव होता है। तथा –

जन्म के उपरांत बच्चे पर बाहरी वातावरण / अपने सामाजिक परिवेश का प्रभाव होता है।

अनुवांशिकता के रूप में ( जीन Gene ) के द्वारा बच्चों में अनुवांशिक गुण गर्भाधान के समय से ही आ जाते हैं।  

तथा अन्य सामाजिक गुण बच्चों में जन्मोपरांत अपने वातावरण से आते हैं।

               अतः मानव जीवन में अनुवांशिकता और वातावरण का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान होता है।

🌺  वंशानुक्रम और वातावरण को अन्य नाम से भी जानते हैं जैसे  :-

👉 वंशानुक्रम  —   प्रकृति     ( Nature   )

👉वातावरण  —  पोषण     ( Nurture ) 

💐  वुडवर्थ   के अनुसार  :-

एक पौधे का ‘ वंशानुक्रम ‘ उसके बीज में निहित है , और उसके ‘ पोषण ‘ का दायित्व उसके ‘ वातावरण ‘ पर निर्भर है।

                 वंशानुक्रम तथा वातावरण का अध्ययन प्राणी के विकास तथा वातावरण की अंतःक्रिया का फल है। 

मनोविज्ञान में यह चर्चा और मतभेद रहता है कि वंशानुक्रम और वातावरण में किस का सहयोग ज्यादा है। 

         अतः वंशानुक्रम और वातावरण से आए हुए लक्षणों को ‘ मापा ‘ नहीं जा सकता है ,  एवं 

वंशानुक्रम से आए हुए लक्षण कभी बदलते नहीं हैं वह हमेशा ‘ स्थिर ‘ रहते हैं।

        🌺  वंशानुक्रम  🌺

💥💥💥💥💥💥💥💥

वंशानुक्रम से तात्पर्य है कि बच्चों में उपस्थित ऐसे गुण जो कि उन्हें अपने माता-पिता से जन्म के माध्यम से प्राप्त हुए हैं।

जैसे माता-पिता होते हैं वैसी संतान होती है।

बालक शारीरिक गुणों में अपने माता – पिता के अनुरूप होते हैं।

मनोवैज्ञानिकों का मत यहां तक है कि बालक अपने माता-पिता से शारीरिक गुण ही नहीं बल्कि मानसिक ,  सामाजिक और संवेगात्मक गुण भी प्राप्त करते हैं।

🌻  यदि माता-पिता स्वस्थ्य और विद्वान हैं तो उनके बच्चे भी स्वस्थ्य और विद्वान होते हैं ।

परंतु इसमें भी कुछ अपवाद हैं जैसे कि :-

👉 स्वस्थ्य और विद्वान माता-पिता के बच्चे :-

अस्वस्थ और मूर्ख / क्षीण बुद्धि के भी हो सकते हैं।

👉 विद्वान माता पिता के बच्चे :-

मंदबुद्धि भी हो सकते हैं।

👉 मंदबुद्धि माता – पिता के बच्चे :-

बुद्धिमान भी हो सकते हैं।

इसका कारण है कि शारीरिक , मानसिक गुण सिर्फ अपने माता-पिता से नहीं बल्कि अपने पूर्वजों से भी प्राप्त होते हैं।

        अतः पूर्वजों के गुणों का स्थानांतरण माता-पिता के माध्यम से ही होता है।

कई बार पूर्वजों के गुण माता-पिता में भले ही सक्रिय ना रहें परन्तु बच्चों में अपने पूर्वजों के गुणों की सक्रियता देखी जाती है।

💐  वुडवर्थ  के अनुसार  :-

वंशानुक्रम में वे सभी बातें आ जाती हैं जो जीवन का आरंभ करते समय व्यक्ति में उपस्थित थीं।

            अतः ये जन्म के समय से नहीं बल्कि जन्म से 9 माह पूर्व गर्भाधान के समय ही बच्चों में पैदा हो जाती हैं।

👉  अर्थात्  वंशानुक्रम के लक्षण मनुष्य में जन्म के उपरांत नहीं बल्कि गर्भाधान के समय से ही आ जाते हैं जो कि जीवन पर्यंत मनुष्यों में स्थिर रूप से समाहित रहते हैं। 

💐  J . A. थॉम्पसन  के अनुसार :-

वंशानुक्रम , क्रमबद्ध पीढ़ियों के बीच उत्पत्ति संबंधी,  संबंध के लिए सुविधाजनक है।

💐 H . A .  पीटरसन  के अनुसार  :-

वंशानुक्रम को इस प्रकार परिभाषित किया जा सकता है कि व्यक्ति अपने माता-पिता के माध्यम से पूर्वजों के जो कुछ गुण प्राप्त करता है , वही वंशानुक्रम है।

💐  P . जिसबर्ट   के अनुसार :-

प्रकृति में प्रत्येक पीढ़ी का कार्य माता-पिता ,  संतानों में कुछ जैवकीय या मनोवैज्ञानिक विशेषताओं का हस्तांतरण करते हैं , इस प्रकार हस्तांतरित विशेषताओं की मिली-जुली गठरी को वंशानुक्रम के नाम से पुकारा जाता है।

💐  डगलस व हॉलैंड   के अनुसार  :-

माता-पिता , अन्य पूर्वजों या प्रजाति से प्राप्त समस्त शारीरिक रचनाएं , विशेषताएं , क्रियाएं अथवा क्षमताएं व्यक्ति के वंशानुक्रम में सम्मिलित रहती हैं।

✍️Notes by  – जूही श्रीवास्तव✍️

🔆   वंशानुक्रम और वातावरण ➖

मनुष्य का विकास दो कारको से हुआ है।

1 जैविक कारक / वंशानुक्रम/प्रकृति

2 सामाजिक कारक /वातावरण/पोषण

▪️जैविक विकास का दायित्व माता पिता पर निर्भर करता है जबकि सामाजिक विकास का दायित्व वातावरण पर निर्भर करता है

▪️जब बच्चा गर्भ में होता है तो केवल उस पर अनुवांशिकता का प्रभाव  पड़ता बल्कि इसके साथ साथ जन्म के पश्चात वातावरण भी  प्रभावित करता है 

🔹वुडवर्थ :-“एक पौधे का वंशानुक्रम उसके बीज में निहित होता है और उसके पोषण का दायित्व उसके वातावरण पर निर्भर करता है वंशानुक्रम तथा वातावरण का अध्ययन प्राणी के विकास तथा वातावरण की अंतः क्रिया का फल है।”

मनोविज्ञान में यह चर्चा या मतभेद भी रहा है कि वंशानुक्रम और वातावरण में किसका कितना सहयोग है वंशानुक्रम वातावरण में किसका प्रभाव ज्यादा या कम होगा इसको मात्रात्मक रूप से मापा नहीं जा सकता।

❇️ वंशानुक्रम  जैसे माता-पिता होते हैं वैसे ही संतान होती है बालक शारीरिक उनमें माता-पिता के अनुरूप होते हैं।

मनोविज्ञान का यह मत है कि बालक अपने माता पिता से शारीरिक गुण ही नहीं बल्कि मानसिक व सामाजिक गुणों को भी प्राप्त करते हैं।

▪️इस नियम के अनुसार स्वस्थ् (शारीरिक) एवम् विद्वान (मानसिक) माता पिता के बच्चे भी  स्वस्थ (शारीरिक) एवं विद्वान (मानसिक) होते हैं ।

▪️लेकिन कुछ अपवाद भी हैं यदि माता-पिता विद्वान है तो उनके बच्चे मंदबुद्धि हो जाते हैं और कभी-कभी मंदबुद्धि माता-पिता के बच्चे विद्वान भी हो जाते हैं।

▪️इसका कारण है कि शारीरिक मानसिक गुण अपने माता-पिता से नहीं बल्कि पूर्वजों से मतलब एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी से भी प्राप्त होते हैं।

▪️दादा दादी से कई गुना ऐसे होते हैं जो माता-पिता से बच्चों तक स्थानांतरित होते हैं जबकि कुछ बुरे ऐसे भी होते हैं जो दादा दादी से माता-पिता में स्थानांतरित तो होते हैं लेकिन प्रबल नहीं होते कभी-कभी ऐसे गुण माता-पिता के बाद बच्चों में प्रबल रूप से दिखाई देते हैं बच्चों में पूर्वजों के गुणों का स्थानांतरण माता-पिता द्वारा होता है।

▪️वंशानुक्रम के संदर्भ में कुछ मनोवैज्ञानिक कथन :-

▪️वुडवर्थ वंशानुक्रम में सभी बातें आ जाती हैं जो जीवन का आरंभ करते समय व्यक्ति में उपस्थित थी यह जन्म के समय नहीं बल्कि गर्भाधान के साथ जन्म से लगभग 9 माह पूर्व बच्चा पैदा हो जाता है।

🔹जे. ए. थॉम्पसन :- वंशानुक्रम क्रमबद्ध पीढ़ियों के बीच उत्पत्ति संबंधी संबंध के लिए सुविधाजनक है।

🔹एच. ए. पीटरसन :- वंशानुक्रम को इस प्रकार परिभाषित किया जा सकता है कि व्यक्ति अपने माता-पिता के माध्यम से पूर्वजों के जो कुछ गुण प्राप्त करता है वही वंशानुक्रम है।

🔹पी जिसबर्ट :-  प्रकृति में प्रत्येक बीड़ी का कार्य माता-पिता संतानों में कुछ जैविक की है या मनोवैज्ञानिक विशेषताओं का स्थानांतरण है इस प्रकार हस्तांतरित विशेषताओं की मिली-जुली गठरी को वंशानुक्रम के नाम से पुकारा जाता है।

🔹डग्लस व हॉलैंड :- माता-पिता या अन्य पूर्वजों या प्रजाति से प्राप्त समस्त शारीरिक रचनाएं विशेषताएं क्रियाएं अथवा क्षमताएं व्यक्ति के वंशानुक्रम में सम्मिलित रहती हैं।

✍️

Notes By-‘Vaishali Mishra’

🏵 Heridity  and Environment  🏵

🎗वंशानुक्रम  और वातावरण 🎗

 मनुष्य का विकास दो बातों पर निर्भर होता है  

🔸जैविक विकास पर और   

          🔸सामाजिक विकास पर 

💧 जैविक विकास का दायित्व माता-पिता पर होता है। सामाजिक विकास का दायित्व वातावरण पर होता है।

🔹जब बच्चा गर्भ में आता है याजन्म से पूर्व की जो अवस्था होती है उस समय उसके विकास में उसके वंशानुक्रम का प्रभाव होता है। 

🔹और जन्म के बाद उसके विकास में वातावरण का योगदान होता है।

 वंशानुक्रम  = प्रकृति  (नेचर)

 वातावरण  = पोषण  ( नर्चर )

🌳 वुडवर्थ का कथन 

एक पौधे का वंशानुक्रम उसके बीज  में निहित है और उसके पोषण का दायित्व उसके वातावरण पर निर्भर है ।

 वंशानुक्रम तथा वातावरण का अध्ययन प्राणी के विकास तथा वातावरण की अंतः क्रिया का फल है ।

 मनोविज्ञानिकों में यह चर्चा और मतभेद रहता है कि वंशानुक्रम और वातावरण में किस का सहयोग ज्यादा है।

 क्योंकि कुछ मैंनोवैज्ञानिकों का मानना होता है कि वंशानुक्रम ज्यादा महत्वपूर्ण है और वातावरण कम और कुछ मनोवैज्ञानिक यह मानते हैं कि वातावरण का योगदान कम है लेकिन यह निष्कर्ष नहीं निकलता कि वातावरण का या वंशानुक्रम का किसका कितना कितना योगदान है ।

🌟    Heridity 

 🌟   वंशानुक्रम 

 * जैसे  माता-पिता होते हैं वैसे ही संतान होती है । 

* बालक शारीरिक गुण में माता-पिता के अनुरूप होते हैं ।

 मनोवैज्ञानिको का मत यहां तक है कि बालक अपने माता पिता से सारे गुण ही नहीं बल्कि मानसिक सामाजिक गुण भी प्राप्त करते   हैं।

 माता-पिता स्वस्थ / विद्वान होंगे तो बच्चे भी स्वस्थ और विद्वान  होंगे ।

 कुछ अपवाद भी है -:

 जैसे –

: विद्वान माता-पिता के मंदबुद्धि बालक और 

मंदबुद्धि माता-पिता के बुद्धिमान बालक

* इसका कारण यह है कि शारीरिक मानसिक गुण अपने माता-पिता से ही नहीं बल्कि पूर्वजों से भी प्राप्त होता है ।

🍁 विभिन्न वैज्ञानिकों द्वारा वंशानुक्रम के लिए दिए गए कथन

🫐  वुडवर्थ 

वंशानुक्रम में वे सभी बातें आ जाती हैं जो जीवन का आरंभ करते समय व्यक्ति में उपस्थित 

थी। 

यह जन्म के समय नहीं बल्कि  गर्भाधान के समय जन्म से लगभग 9 माह पूर्व बच्चों में पैदा हो जाती है।

☀ जे. ए.  थॉम्पसन 

 वंशानुक्रम क्रमबद्ध पीढ़ियों के बीच उत्पत्ति संबंधी संबंध के लिए सुविधाजनक है ।

🌟 एच. ए. पीटरसन 

वंशानुक्रम को इस प्रकार परिभाषित किया जा सकता है कि व्यक्ति अपने माता-पिता के माध्यम से पूर्वजों के जो कुछ गुण प्राप्त करता है वही वंशानुक्रम है।

🫐 पी जिसबर्ट 

 प्रकृति में प्रत्येक पीढ़ी का कार्य माता-पिता संतानों में कुछ जैवकिय  या मनोवैज्ञानिक विशेषताओं का हस्तानांतरण  करना है, इस प्रकार हस्तानांतरित विशेषताओं की मिली जुली गठरी को वंशानुक्रम के नाम से पुकारा जाता है।

 🍀 डग्लस / हॉलैंड

 माता-पिता या अन्य पूर्वजों या प्रजाति से प्राप्त समस्त  रचनाएं, विशेषताएं, क्रियाएं अथवा  क्षमताएं व्यक्ति के वंशानुक्रम में  सम्मिलित रहती हैं।

 धन्यवाद

 वंदना शुक्ला