🔆 वंशानुक्रम के संदर्भ में कई मनोवैज्ञानिक कथन
✨एन.एनास्तास्की के अनुसार :-
“वंशानुक्रम के तत्व जन्म के बहुत समय बाद तक व्यक्तित्व के विकास को प्रभावित कर सकते हैं और वास्तव में यह प्रभाव भी जीवन पर्यंत चलता रहता है।”
▪️व्यक्ति को वंशानुक्रम के जो भी तत्व है उनका प्रभाव जीवन भर चलता रहता है अर्थात वंशानुक्रम में जो भी तत्व होते हैं वह तत्व हमें जायगोट के फर्टिलाइजेशन या निषेचन के फलस्वरूप जो भी जीन आने होते हैं वह आ जाते हैं लेकिन उसका प्रभाव हमारे व्यक्तित्व पर जीवन भर बना रहता है।
▪️व्यक्ति के व्यक्तित्व में वंशानुक्रम और वातावरण दोनों का ही प्रभाव होता है अर्थात यह दोनों आपस में मिलकर एक सम्मिश्रण बनाते हैं इनको पृथक पृथक नहीं किया जा सकता यदि कोई एक ज्यादा भी है तो ऐसा नहीं है कि दूसरे का प्रभाव बिल्कुल ही खत्म हो जाएगा कोई भी ज्यादा या कम हो सकता है ।
▪️इसीलिए पर्यावरण में वंशानुक्रम का व्यक्ति पर कितना प्रभाव पड़ेगा इसको मात्रात्मक रूप से मापा नहीं जा सकता।
✨जेम्स ड्रेवर के अनुसार :-
“माता-पिता की शारीरिक विशेषताओं का संतानों में संक्रमण होना ही वंशानुक्रम है ।”
▪️अर्थात बच्चे को जो भी शारीरिक विशेषताएं प्राप्त होती हैं वह माता-पिता की शारीरिक विशेषताओं से ही प्राप्त होती है यहां संक्रमण से तात्पर्य एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में शारीरिक विशेषताओं के स्थानांतरण से है।
✨बी. एन. झा के अनुसार :-
“वंशानुक्रम व्यक्ति की जन्मजात विशेषताओं का पूर्ण योग है।”
▪️अर्थात व्यक्ति को जन्म से पूर्व प्राप्त मतलब जन्मजात विशेषता जो पहले से ही बन गई हैं जिनमें किसी भी प्रकार का बदलाव या हेर फेर नहीं किया जा सकता, उन सभी विशेषताओं का योग या जोड़ वंशानुक्रम कहलाता है।
🔆 वंशानुक्रम की यंत्र रचना या प्रक्रिया :-
▪️मानव शरीर की यंत्र संरचना बहुत ही जटिल है जिसकी रचना कई अलग-अलग कोषो/सेल्स से होती है।
▪️यह कोष या सेल्स दो प्रकार के होते हैं।
🔸 संयुक्त कोष
🔸 एकल कोष
▪️प्रारंभिक रूप से गर्भावस्था में भ्रूण का निर्माण केवल एक कोष से होता है इसे संयुक्त कोष या
जायगोट कहा जाता है।
संयुक्त कोष की आंतरिक संरचना दो उत्पादक कोषो से मिलकर हुई है।
💫1 उत्पादक कोष – पिता के शुक्राणु
💫 2 उत्पादक कोष – माता के अंडाणु
▪️माता पिता के यही दोनों उत्पादक कोष आपस में मिलकर या निषेचन के पश्चात जायगोट का निर्माण करते है।
अर्थात
▪️संयुक्त कोष की संरचना दो उत्पादक कोषो (germ cells) के मिलने से होती है। और इन उत्पादक कोष में से एक उत्पादक कोष पिता का होता है जिसे शुक्राणु(sperm) कहते हैं दूसरा कोष माता का होता है जिसे अंडाणु(ovam) कहते हैं।
▪️संयुक्त कोष और उत्पादक कोष 2,4,8,16,32…… क्रम में ही बढ़ते हैं।
▪️प्राणी में गुण व दोषों का स्थानांतरण शुक्राणु और अंडाणु दोनों ही उत्पादक कोष के रूप में होता है।
▪️यही गुण और दोष है जो भ्रूण में प्रवेश करते हैं जिन्हे जन्म के बाद वंशानुक्रम कहते हैं।
▪️यह निश्चित है कि अंडाणु और शुक्राणु में 23 23 गुणसूत्र निहित होते हैं। अर्थात गुणसूत्रों का यह जोड़ा(23जोड़े) संयुक्त कोष के अंदर होता है। या इस प्रकार से संयुक्त कोष (zygote)) में गुणसूत्र(chromosome))के जोड़े होते है।
▪️प्रत्येक गुणसूत्र मैं कुछ और भी सूक्ष्म पदार्थ होते हैं जिन्हें पित्रैक (gene) कहा जाता है प्रत्येक गुणसूत्र में जीन की संख्या 40 से 100 होती है।
▪️वास्तव में यह जीन ही गुण के वास्तविक निर्धारक होते हैं।
▪️जीन की रचना एक आरेखीय आकृति होती हैं।
✨ सोरेंसन के अनुसार :-
पित्रैक (gene)के द्वारा बालक के प्रमुख गुण निर्धारित होते हैं और पित्रैक के सम्मेलन के परिणाम को ही वंशानुक्रम कहते हैं।
🔆 वंशानुक्रम के संबंध में कई सिद्धांत दिए गए हैं जिनमें से कुछ निम्न प्रकार है।
❇️ बीज कोष की निरंतरता का सिद्धांत :-
▪️इस सिद्धांत के प्रतिपादक – “बीजमैन” है।
बालक को जन्म देने वाला बीज कोष कभी नष्ट नहीं होता है।
▪️इस सिद्धांत के अनुसार बीज कोष का कार्य केवल उत्पादक कोषो का निर्माण करना ही नही बल्कि इसके साथ साथ जो बीज कोष बालक को अपने माता-पिता से मिलता है उसे वह अगली पीढ़ी को हस्तांतरित कर देता है इस प्रकार बीजकोष पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहता है ।
✨ बी. एन.झा के अनुसार –
बीज कोष सिद्धांत के पक्ष में अपना मत दिया कि
” माता पिता जन्मदाता ना होकर बीच कोष के संरक्षक हो जो बीज कोष को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को इस प्रकार से स्थानांतरित किया जाता है कि मानो एक बैंक से निकाल कर दूसरे बैंक में रख दिया गया हो।”
▪️बीज मैन का सिद्धांत ना तो वंशानुक्रम की संपूर्ण प्रक्रिया की व्याख्या करता है और ना ही संतोषजनक है इसीलिए यह सिद्धांत अमान्य है।
✍🏻
Notes By-‘Vaishali Mishra’
🖊️एन एनास्तास्की =वंशानुक्रम के तत्व जन्म के बाद व्यक्ति के विकास को प्रभावित कर सकते हैं और वास्तव में यह जीवन पर्यंत चलता है।
🖊️जेम्स ड्राइवर =माता-पिता की शारीरिक विशेषताओं का संतानों में संक्रमण होना ही वंशानुक्रम है।
🖋️वंशानुक्रम के यंत्र रचना \प्रक्रिया🖋️
✒️मानव शरीर की रचना को कोष से होती है प्रारंभ में गर्भावस्था में भूण का निर्माण केवल एक कोष से होता है जिसे संयुक्त कोष या zygote कहते हैं।
📍संयुक्त कोष की रचना दो उत्पादक कोषों से होती हैं ।
📍 उत्पादक कोष में एक पिता का होता है जिसे शुक्र शुक्राणु कहते हैं दूसरा कोष माता का होता है जिसे अंड या अंडाणु कहते हैं ।
📌पिता के शुक्राणु और माता के अंडाणु के निषेचन से zygote का निर्माण होता है जिससे भूर्ण का निर्माण होता है।
📌संयुक्त कोष और उत्पादन कोर्स 2,4,8 ,16,32 ,के क्रम में बढ़ते हैं।
📝शुक्र और अन्ड दोनों उत्पादक कोषो के रूप में गुण और दोष का स्थानांतरण करते हैं ।
यह गुण और दोष भूण में प्रवेश करते हैं इसे ही जन्म के बाद वंशानुक्रम कहते हैं।
📝यह निश्चित है कि शुक्राणु और अंडाणु में 2323 गुणसूत्र होते हैं।
✏️लेकिन कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि 23, 24 भी होते हैं-
इस प्रकार संयुक्त कोष (zygote)में गुणसूत्र के 23 जोड़े होते हैं।
✏️गुणसूत्र में कुछ और भी सूक्ष्म पदार्थ होते हैं जिसे हम जीन या पितै्क कहते हैं |
✏️प्रत्येक गुणसूत्र (क्रोमोजोम)में इनकी संख्या 40 -100 होती है-
वास्तव में जीन गुण के वास्तविक निर्धारक होते हैं जीन की रचना एक रेखीय आकृति होती है|
🖊️सोरेन्सन के अनुसार= (जीन) के द्वारा बालक के प्रमुख गुण निर्धारित होते हैं जीन के सम्मेलन के परिणाम को ही वंशानुक्रम कहते हैं|
(1)बीजकोष की निरंतरता का सिद्धांत= बालक को जन्म देने वाला बीच कोर्स कभी नष्ट नहीं होता है |
📍इस कथन के प्रतिपादक बिजमैन थे📍
📌बीज कोष का कार्य केवल उत्पादक कोषों का निर्माण करना है जो बीज कोष बालक को अपने माता-पिता से मिलता है उसे वह अगली पीढ़ी को हस्तांतरित कर देता है इस प्रकार बीज कोष पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहता है।📌
🖊️बीएन झा के अनुसार= इस सिद्धांत के अनुसार माता-पिता जन्मदाता ना होकर बीज कोष के संरक्षक हैं जो बीज को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को इस प्रकार स्थानांतरित किया जाता है मानो एक बैंक से निकाल कर दूसरे बैंक में रख दिया गया है
बीज मैन का सिद्धांत ना तो वंशानुक्रम की संपूर्ण प्रक्रिया की व्याख्या करता है और ना ही संतोषजनक है इसलिए अमान्य है
📝 note by malti sahu📝
🙏🏻Thank you 🙏🏻
🌳वंशानुक्रम और वातावरण🌳
12/03/2021
🐭 एन एनतास्की:— वंशानुक्रम के तत्व जन्म के बहुत बाद तक व्यक्तित्व के विकास को प्रभावित कर सकते हैं और वास्तव में यह प्रभाव जीवन प्रयत्न चलता है
🐭 जेम्स ड्रेवर:— माता पिता के शारीरिक विशेषताओं का संतानों में संक्रमण होना ही वंशानुक्रम है
🐭 बीएन झा:— वंशानुक्रम व्यक्ति की जन्मजात विशेषताओं का पूर्ण योग है
🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳
🌻वंशानुक्रम की यंत्र रचना /प्रक्रिया
👉
👉 मानव शरीर की रचना कोषों(cells) से होती है
👉 प्रारंभ में गर्भावस्था मैं भूर्ण का निर्माण केवल एक कोष से होता है इस संयुक्त कोष ( chromosome) zygote कहते हैं
👉 गुणसूत्र:—46
👉 जोड़ें:—-23
👉female:—xx /Male:—xy
👉44 ऑटोसम्स x कायरोथाइम y क्रोमोसोम्स = 46
👉 संयुक्त कोषों की रचना दो उत्पादक कोषों के मिलने से होता है
👉 इन उत्पादक कोष में एक कोष पिता का होता है जिसे शुक्र या शुक्राणु कहते हैं दूसरा कोष माता का होता है जिसे अंड या अंडाणु कहते हैं
👉 संयुक्त कोष उत्पादक कोष 2,4,8,16,32….. के कर्म में बढ़ते हैं
👉 शुक्राणु और अंडाणु दोनों ही उत्पादक कोषों के रूप में गुण और दोष दोनों का स्थानांतरण करते हैं
👉 यह गुण और दोष भूर्ण में प्रवेश करते हैं इसे ही जन्म के बाद वंशानुक्रम क्रम कहते हैं
👉 यह निश्चित है कि शुक्राणु और अंडाणु में 23,23 गुणसूत्र होते हैं
Note:— कुछ विद्वानों का मानना है कि 23,24 गुणसूत्र भी होते हैं और कभी-कभी यह रियलिटी में भी होता है
👉 इस प्रकार zygote हो या संयुक्त कोष में गुणसूत्र के 23 जोड़े होते हैं
👉 प्रत्येक गुणसूत्र में कुछ और भी सूछ्म पदार्थ होते हैं जिसे पित्रैक (jean) कहते हैं प्रत्येक गुणसूत्र में इसकी संख्या 40- 100 होती है
👉वास्तव में जीन गुण के वास्तविक निर्धारक होते हैं जीन की रचना एक रेखीय आकृति होती है
🐭 सोरेनसन:— पित्रैक (jean) के द्वारा बालक के प्रमुख गुण निर्धारित होते हैं पित्रे के सम्मेलन के परिणाम को ही वंशानुक्रम कहते हैं
🌻 बीज कोष की निरंतरता का सिद्धांत
👉बालक को जन्म देने वाला बीज कोष कभी नष्ट नहीं होता
👉 इस कथन के प्रतिपादक बीज मैंने कहा :—बीजकोष का कार्य केवल उत्पादक कोष का निर्माण करना है। जो बीज कोष बालक को अपने माता-पिता से मिलता है उसे वह अगली पीढ़ी को हस्तांतरित कर देता है
👉इस प्रकार बीज कोष पीढी दर पीढ़ी चलता रहता है
🐭बी एन झा :— इस सिद्धांत के अनुसार माता-पिता जन्म दाता ना होकर बीज कोष के संरक्षक है
👉 बीजकोष एक पीढ़ी से दूसरी को इस प्रकार स्थानांतरित किया जाता है मानो एक बैंक से निकाल कर दूसरे बैंक मैं रख दिया गया
➡️ प्रतिपादक:— बीज मैन
➡️ आलोचक:— बीएन झा
🐭 बीज मैन का सिद्धांत:— ना तो बनसा अनुक्रम की संपूर्ण प्रक्रिया की व्याख्या करता है और ना ही संतोषजनक है इसलिए अमान्य है
🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳
Notes by:–संगीता भारती
वातावरण और वंशानुक्रम
एन एनास्तास्की
वंशानुक्रम के तत्व जन्म के बहुत बाद तक व्यक्तित्व के विकास को प्रभावित कर सकते हैं और वास्तव में यह प्रभाव जीवनपर्यंत चलता है।
जेम्स ड्रेवर
माता-पिता की शारीरिक विशेषताओं का संतानों में संक्रमण होना ही वंशानुक्रम है।
बी एन झा
वंशानुक्रम, व्यक्ति की जन्मजात विशेषता का पूर्ण योग है।
वंशानुक्रम की यंत्र रचना या प्रक्रिया
मानव शरीर की रचना कोषों cells से होती है
प्रारंभ में गर्भावस्था में भ्रूण का निर्माण केवल एक कोष से होता है इसे संयुक्त कोष या zygote कहते हैं।
भ्रूण
⬇️
Zygote संयुक्त कोष
⬇️
उत्पादक कोष germ cells
↙️ ↘️
शुक्राणु और अंडाणु
⬇️ ⬇️
पिता। माता
संयुक्त कोष की संरचना दो उत्पादक कोषो के मिलने से होती है।
इन उत्पादक कोष में एक कोष पिता का होता है। जिसे शुक्र या शुक्राणु कहते हैं।
दूसरा कोष माता का होता है जिसे अंड या अंडाणु कहते हैं।
संयुक्त कोष और उत्पादक कोष 2 4 8 16 32 ….के क्रम में बढ़ते हैं।
शुक्र और अंड दोनों ही उत्पादक कोषों के रूप में गुण और दोष दोनों का स्थानांतरण करते हैं।
यह गुण और दोष भ्रूण में प्रवेश करते हैं। इसे ही जन्म के बाद वंशानुक्रम कहते हैं।
यह निश्चित है कि शुक्राणु और अंडाणु में 23-23 गुणसूत्र होते हैं।
इस प्रकार संयुक्त कोष में गुणसूत्र के 23 जोड़े होते हैं।
प्रत्येक गुणसूत्र में कुछ और भी सूक्ष्म पदार्थ होते हैं जिसे पित्रैक Jean या जींन कहते हैं प्रत्येक गुणसूत्र में इनकी संख्या 40 से 100 होती है।
वास्तव में जीन उनके वास्तविक निर्धारक होते हैं
जीन की रचना एकरेखीय आकृति होती है।
सोरेनसन- पित्रैक के द्वारा बालक के प्रमुख गुण निर्धारित होते हैं पित्रैक सम्मेलन के परिणाम को ही वंशानुक्रम कहते हैं।
जीन शब्द का प्रयोग सबसे पहले जोहानसन ने किया था
जेनेटिक्स शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम 1950 में विलियम वाटसन ने किया था
गुणसूत्रों में पाए जाने वाले अनुवांशिक पदार्थ को जिनोम कहते हैं।
गुणसूत्र का नामकरण डब्ल्यू वाल्टेयर ने किया था।
बीजकोष की निरंतरता का सिद्धांत
बालक को जन्म देने वाला बीजकोष कभी नष्ट नहीं होता है
इस कथन के प्रतिपादक बीजमैन ने कहा
बीजकोष का कार्य केवल उत्पादक कोषो का निर्माण करना है जो बीजकोष बालक को अपने माता पिता से मिलता है उसे वह अगली पीढ़ी में हस्तानांतरित कर देता है इस प्रकार बीजकोष पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहता है।
आलोचना
बी एन झा
इस सिद्धांत के अनुसार माता-पिता जन्मदाता ना होकर बीजकोष के संरक्षक है। बीजकोष एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को इस प्रकार स्थानांतरित किया जाता है मानो एक बैंक से निकाल कर दूसरे बैंक में रख दिया जाता है।
बीजमैन का सिद्धांत न तो वंशानुक्रम की संपूर्ण प्रक्रिया की व्याख्या करता है और ना ही संतोषजनक है इसलिए यह अमान्य है।
Notes by Ravi kushwah
💥 Heredity and Environment💥
🌷 ( वंशानुक्रम एवं वातावरण)🌷
एन एनास्तास्की÷वंशानुक्रम के तत्व जन्म के बहुत बाद तक व्यक्तित्व के विकास को प्रभावित कर सकते हैं और वास्तव में यह प्रभाव जीवन पर्यंत चलता है।
जेम्स ड्रेवर÷ माता-पिता की शारीरिक विशेषताओं को संतानों में संक्रमण होना ही वंशानुक्रम है।
बी एन झा के अनुसार÷ वंशानुक्रम व्यक्ति की जन्मजात विशेषता का प्रयोग है।
🤷🏻♂️वंशानुक्रम की यंत्र रचना /प्रक्रिया🤷🏻♂️
मानव शरीर की यंत्र रचना व प्रक्रिया बहुत ही जटिल है।
मानव शरीर की रचना 2 प्रकार के कोषो से होती है जो निम्नलिखित है÷
1-संयुक्त कोष
2-उत्पादक कोष
संयुक्त कोष÷प्रारंभ में गर्भावस्था में भवन निर्माण केवल एक को से होता है इसको जाईगोट(n) कहते है, जिसका निर्माण नर व मादा के युग्मनज से होता है।
जाएगोट का निर्माण उत्पादक कोष से होता है जो नर के संग शुक्राणु व मादा के अंडाणु से मिलकर बनता है।
संयुक्त कोष की रचना दो उत्पादक कोषो के मिलने से होती है ;उत्पादक कोशिश में एक लड़का शुक्राणु होता है दूसरा माता का होता है इसे अन्ड या अंडाणु कहते हैं।
संयुक्त कोष और उत्पादक कोष 2,4,8,16,32,64,128…,
के क्रम में बढ़ते हैं।
शुक्राणु और अंडाणु दोनों ही उत्पादक कोषो के रूप में गुण और दोष दोनों का स्थानांतरण करते हैं।
यह गुण और दोष भ्रूण में प्रवेश करते हैं इसे ही जन्म के बाद वंशानुक्रम कहते हैं।
यह निश्चित है कि शुक्राणु और अंडाणु में 23-23 गुणसूत्र होते हैं।
इस प्रकार जाएगोट (संयुक्त कोष)मैं गुणसूत्र के 23 जोड़े अर्थात 46 गुणसूत्र होते हैं।
प्रत्येक गुणसूत्र में कुछ अन्य भी सूक्ष्म में पदार्थ होते हैं जिसे पित्रैक(जीन) कहते हैं प्रत्येक गुणसूत्र में इसकी संख्या 40 से 100 तक होती है।
एक जीव की सभी कोशिकाओं में तथा एक जाति के सभी जीवो में अनुवांशिक पदार्थ की मात्रा समान होनी चाहिए।
जैसे-मनुष्य =46गुणसूत्र
वास्तव में जीन गुण के वास्तविक निर्धारक होते हैं जीन की रचनाएं एक रेखीय आकृति की होती है।
सोरेनसन÷पित्रैक (जीन) के अंश में बालक के प्रमुख गुण निर्धारित होते हैं,पित्रैक के सम्मेलन के परिणाम को ही वंशानुक्रम कहते हैं।
बीज कोष की निरंतरता का सिद्धांत ÷
बालक को जन्म देने वाला बीज कोष नश्वर होता है इस कथन के प्रतिपादक बीच में ने कहा है कि बीज कोष का कार्य केवल उत्पादक कोशो का निर्माण करना है जो बीच को बालक अपने माता-पिता से प्राप्त करते हैं उसे वह अगली पीढ़ी को हस्तांतरित कर देता है इस प्रकार बीच कोष पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहता है।
बी एन झा के अनुसार÷
इस सिद्धांत के अनुसार माता-पिता जन्मदाता ना होकर बीच कोष के संरक्षक हैं बीज को से एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को इस प्रकार स्थानांतरित किया जाता है मानो एक बैंक से निकाल कर दूसरे बैंक में रख दिया गया हो।
बीज मैन का सिद्धांत ना तो वंशानुक्रम की संपूर्ण प्रक्रिया की व्याख्या करता है और ना ही संतोषजनक है इसलिए यह अमान्य है।
🌸हस्तलिखित शिखर पाण्डेय 🌸
💮✏️N. एनास्तास्की के अनुसार ➖️वंशानुक्रम के तत्व जन्म के बाद तक व्यक्तित्व के विकास को प्रभावित कर सकते हैं और वास्तविक में यह है जीवन पर्यंत चलता है
✏️जेम्स ड्रेवर के अनुसार ➖️माता-पिता की शारीरिक विशेषताओं का संतान में संक्रमण होना ही वंशानुक्रम है
✏️B. N. Jha के अनुसार ➖️वंशानुक्रम व्यक्ति की जन्मजात विशेषता का पूर्ण योग है
✴️वंशानुक्रम की यंत्र रचना प्रक्रिया✴️
मानव शरीर की रचना को सबसे होती है इनमें 2 गुण पाए जाते हैं
संयुक्त कोष और उत्पादक को कोष
संयुक्त को कोश प्रारंभ में गर्भाधान में यह भ्रूण का निर्माण केवल एक कोष में होता है इसमें संयुक्त कोष कहते हैं याzygote भी कहते हैं
इसमें इसकी रचना दो उत्पादक कोषों से मिलकर बनी होती है जिसेgerm cell हम कहते हैं संयुक्त को मैं एक माता अंडाणु और दूसरे पिता शुक्राणु कोष होते हैं संयुक्त कोष और उत्पादक कोष 2,4,6,8,के क्रम में बढ़ते हैं
शुक्राणु और अंडाणु दोनों ही संयुक्त कोष के रूप में होते हैं
यह गुण और दोष भ्रूण में प्रवेश करते हैं इसे ही जन्म के बाद वंशानुक्रम कहते हैं
यह निश्चित है कि शुक्राणु और अंडाणु दोनों में ही 23,23 गुणसूत्र होते हैं
कुछ मनोवैज्ञानिक 24 और 23 गुणसूत्र मानते हैं और यह होते भी हैं
इस प्रकार संयुक्त कोष में गुणसूत्रों के 23 जोड़े होते हैं
हर गुणसूत्र में कुछ और भी सूक्ष्म पदार्थ होते हैं जिसे हम लोग पेत्रक(jeen )कहते हैं प्रत्येक गुणसूत्र में इसकी संख्या 40 से 100 तक होती हैं
यह गुणसूत्र में प्रत्येक jeenको नियंत्रित करके रखता है जीन गुण के वास्तविक निर्धारित होते हैं
जिनकी रचनाएं एक रेखीय आकृति की आवृत्ति में होती है
✏️सोरेनसन के अनुसार ➖️जीन द्वारा बालक में प्रमुख गुण निर्धारित होते हैं जीन सम्मेलन के परिणाम को ही वंशानुक्रम कहते हैं
इसके सिद्धांत 🍀बीज कोस की निरंतरता का सिद्धांत ➖️बालक को जन्म देने वाला बीज को कभी नष्ट नहीं होता है
इस कथन के प्रतिपादक ➖️बीजमेन है
उन्होंने कहा बीज कोस का कार्य केवल उत्पादकों का निर्माण करना है जो बीच उस बालक को अपने माता पिता से मिलता है उसे वह अगली पीढ़ी को हस्तांतरित करता है इस प्रकार बीज कोष पीढ़ी दर पीढ़ी चलता जाता है
✏️बीएन झा ने कहा ➖️इस सिद्धांत के अनुसार माता-पिता जन्मदाता का होकर बीज कोष के संरक्षक हैं बीज को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को इस प्रकार स्थानांतरित किया जाता है मानो एक बैंक से दूसरे बैंक में रख दिया गया बीज मैन का सिद्धांत ना तो वंशानुक्रम की संपूर्ण प्रक्रिया की व्याख्या करता है और ना ही संतोषजनक है
📋Notes by sapna yadav
🌼🌼 वंशानुक्रम एवं वातावरण🌼🌼
🌼एन एनास्तास्की के अनुसार :- “वंशानुक्रम के तत्व जन्म के बहुत बाद तक व्यक्तित्व के विकास को प्रभावित कर सकते हैं और वास्तव में यह प्रभाव जीवन पर्यंत चलता है।”
🌼जेम्स ड्रेवर के अनुसार :-” माता-पिता की शारीरिक विशेषताओं को संतानों में संक्रमण होना ही वंशानुक्रम है।”
🌼बी एन झा के अनुसार:- “वंशानुक्रम व्यक्ति की जन्मजात विशेषता का प्रयोग है।”
🌼 वंशानुक्रम की यंत्र रचना /प्रक्रिया:-
मानव शरीर की यंत्र रचना व प्रक्रिया बहुत ही जटिल है।
🌼मानव शरीर की रचना 2 प्रकार के कोषो से होती है जो निम्नलिखित है÷
🌼1:-संयुक्त कोष
🌼2:-उत्पादक कोष
🌼1.संयुक्त कोष:-प्रारंभ में गर्भावस्था में भवन निर्माण केवल एक कोष से होता है इसको जाईगोट(n) कहते है, जिसका निर्माण नर व मादा के युग्मनज से होता है।
🌼जाईगोट का निर्माण उत्पादक कोष से होता है जो नर के संग शुक्राणु व मादा के अंडाणु से मिलकर बनता है।
🌼संयुक्त कोष की रचना दो उत्पादक कोषो के मिलने से होती है ;उत्पादक कोष में एक कोष पिता का होता है जिसे शुक्र या शुक्राणु कहते है दूसरा माता का होता है इसे अन्ड या अंडाणु कहते हैं।
🌼संयुक्त कोष और उत्पादक कोष 2,4,8,16,32,64,128…,
के क्रम में बढ़ते हैं।
🌼शुक्राणु और अंडाणु दोनों ही उत्पादक कोषो के रूप में गुण और दोष दोनों का स्थानांतरण करते हैं।
🌼यह गुण और दोष भ्रूण में प्रवेश करते हैं इसे ही जन्म के बाद वंशानुक्रम कहते हैं।
🌼यह निश्चित है कि शुक्राणु और अंडाणु में 23-23 गुणसूत्र होते हैं।
इस प्रकार जाएगोट (संयुक्त कोष)में गुणसूत्र के 23 जोड़े अर्थात 46 गुणसूत्र होते हैं।
🌼प्रत्येक गुणसूत्र में कुछ अन्य भी सूक्ष्म में पदार्थ होते हैं जिसे पित्रैक (जीन) कहते हैं प्रत्येक गुणसूत्र में इसकी संख्या 40 से 100 तक होती है।
🌼एक जीव की सभी कोशिकाओं में तथा एक जाति के सभी जीवो में अनुवांशिक पदार्थ की मात्रा समान होनी चाहिए।
जैसे-मनुष्य =46गुणसूत्र
🌼वास्तव में जीन गुण के वास्तविक निर्धारक होते हैं जीन की रचनाएं एक रेखीय आकृति की होती है।
🌼सोरेनसन के अनुसार :- “पित्रैक (जीन) के अंश में बालक के प्रमुख गुण निर्धारित होते हैं,पित्रैक के सम्मेलन के परिणाम को ही वंशानुक्रम कहते हैं।”
🌼बीज कोष की निरंतरता का सिद्धांत :-
“बालक को जन्म देने वाला बीज कोष नश्वर होता है इस कथन के प्रतिपादक बीच में ने कहा है कि बीज कोष का कार्य केवल उत्पादक कोषों का निर्माण करना है जो बीच को बालक अपने माता-पिता से प्राप्त करते हैं उसे वह अगली पीढ़ी को हस्तांतरित कर देता है इस प्रकार बीच कोष पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहता है।”
🌼बी एन झा के अनुसार:-
” इस सिद्धांत के अनुसार माता-पिता जन्मदाता ना होकर बीच कोष के संरक्षक हैं बीज को से एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को इस प्रकार स्थानांतरित किया जाता है मानो एक बैंक से निकाल कर दूसरे बैंक में रख दिया गया हो।”
🌼बीज मैन का सिद्धांत:-” ना तो वंशानुक्रम की संपूर्ण प्रक्रिया की व्याख्या करता है और ना ही संतोषजनक है इसलिए यह अमान्य है।”
🌼🌼🌼🌼manjari soni🌼🌼🌼🌼
👩🏻🦳🧑🏻🦰👵🏻👱🏻♀️वंशानुक्रम और वातावरण🐍🪱🐛🦎
12/03/2021
🐻❄ एन एनतास्की :➖ वंशानुक्रम के तत्व जन्म के बहुत बाद तक व्यक्तित्व के विकास को प्रभावित कर सकते हैं और वास्तव में यह प्रभाव जीवन प्रयत्न चलता है।
🦇 जेम्स ड्रेवर :➖ माता पिता के शारीरिक विशेषताओं का संतानों में संक्रमण होना ही वंशानुक्रम है।
🐸 बीएन झा :➖ वंशानुक्रम व्यक्ति की जन्मजात विशेषताओं का पूर्ण योग है।
वंशानुक्रम की यंत्र रचना /प्रक्रिया
🦧🦍🐒👹🥸☺️
💡 मानव शरीर की रचना कोषों(cells) से होती है।
💡प्रारंभ में गर्भावस्था मैं भ्रुण का निर्माण केवल एक कोष से होता है। इसे संयुक्त कोष (zygote) कहते हैं।
गुणसूत्र(Chromosome) = 46
जोड़ें(Pair) = 23
महिला (female) = xx
आदमी (Male) = xy
44 + xy /xx = 46
💡संयुक्त कोषों की रचना दो उत्पादक कोषों के मिलने से होता है।
💡इन उत्पादक कोष में एक कोष पिता का होता है, जिसे शुक्र या शुक्राणु कहते हैं तथा दूसरा कोष माता का होता है, जिसे अंड या अंडाणु कहते हैं।
💡उत्पादक कोष 2,4,8,16,32….. के कर्म में बढ़ते हैं।
💡शुक्राणु और अंडाणु दोनों ही उत्पादक कोषों के रूप में गुण और दोष दोनों का स्थानांतरण करते हैं।
💡यह गुण और दोष भ्रुण में प्रवेश करते हैं। इसे ही जन्म के बाद वंशानुक्रम क्रम कहते हैं।
💡यह निश्चित है कि शुक्राणु और अंडाणु में 23,23 गुणसूत्र होते हैं।
📝 कुछ विद्वानों का मानना है कि 23,24 गुणसूत्र भी होते हैं और कभी-कभी यह वास्तव में भी होता है।
💡इस प्रकार zygote हो या संयुक्त कोष में गुणसूत्र के 23 जोड़े होते हैं।
💡प्रत्येक गुणसूत्र में कुछ और भी सूक्ष्म पदार्थ होते हैं, जिसे पैतृक (jean) कहते हैं। प्रत्येक गुणसूत्र में इसकी संख्या 40➖100 होती है।
💡वास्तव में जीन गुण के वास्तविक निर्धारक होते हैं। जीन की रचना एक रेखीय आकृति( linear shape) होती है।
🦚सोरेनसन :➖ पैतृक (jean) के द्वारा बालक के प्रमुख गुण निर्धारित होते हैं। पैतृक के सम्मेलन के परिणाम को ही वंशानुक्रम कहते हैं।
🐞बीज कोष की निरंतरता का सिद्धांत: ➖
🕸️बालक को जन्म देने वाला बीज कोष कभी नष्ट नहीं होता।
🌵इस कथन के प्रतिपादक बीज मैंने कहा :➖ बीजकोष का कार्य केवल उत्पादक कोष का निर्माण करना है। जो बीज कोष बालक को अपने माता-पिता से मिलता है, उसे वह अगली पीढ़ी को हस्तांतरित कर देता है ।
🕸️इस प्रकार बीज कोष पीढी दर पीढ़ी चलता रहता है।
🐻❄बी एन झा :➖ इस सिद्धांत के अनुसार माता-पिता जन्म दाता ना होकर बीज कोष के संरक्षक है।
🌿 बीजकोष एक पीढ़ी से दूसरी को इस प्रकार स्थानांतरित किया जाता है मानो एक बैंक से निकाल कर दूसरे बैंक मैं रख दिया गया ।
🐞 प्रतिपादक ➖ बीज मैन
🐻❄आलोचक ➖ बीएन झा
🐞 बीज मैन का सिद्धांत :➖ ना तो वंशानुक्रम की संपूर्ण प्रक्रिया की व्याख्या करता है और ना ही संतोषजनक है, इसलिए अमान्य है।
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📜🧠💡Deepika Ray 👱🏻♀️🧑🏻🦰👩🏻🦳
🔆 वंशानुक्रम और वातावरण ➖
🎯 एन एनास्तास्की के अनुसार ➖
” वंशानुक्रम के तत्व जन्म के बहुत बाद तक व्यक्तित्व के विकास को प्रभावित कर सकते हैं और वास्तव में यह प्रभाव जीवन पर्यंत चलता है |”
🎯 जैम्स ड्रेवर के अनुसार ➖
” माता-पिता की शारीरिक विशेषताओं का संतानों में संक्रमण होना ही वंशानुक्रम है |”
🎯 बी.एन . झा के अनुसार➖
“वंशानुक्रम व्यक्ति की जन्मजात विशेषताओं का पूर्ण योग है | “
⭕ वंशानुक्रम की यंत्र रचना या प्रक्रिया ➖
🍀 मानव शरीर की रचना अलग-अलग कोषों से होती है प्रारंभ में गर्भावस्था में भ्रूण का निर्माण केवल कोष से होता है इसे संयुक्त कोष या zygote कहते हैं |
🍀 इस संयुक्त घोष की रचना दो उत्पादक कोषों से मिलकर होती है इन उत्पादक कोषों में एक पिता का होता है जिसे शुक्र या शुक्राणु कहते हैं तथा एक माता का उत्पादक कोष होता है जिसे अंड या अंडाणु कहते हैं |
🍀 संयुक्त कोष और दोनों उत्पादक कोष 2,4,8,16 , 32 – – – – के क्रम में बढ़ते हैं शुक्र और अण्ड दोनों ही उत्पादक कोषों के रूप में गुण और दोष दोनों का स्थानांतरण करते हैं | ये गुण और दोष भ्रूण में प्रवेश करते हैं और इसे ही जन्म के बाद वंशानुक्रम कहते हैं |
🍀यह निश्चित है कि शुक्राणु और अंडाणु में 23,,23 गुणसूत्र होते हैं इस प्रकार संयुक्त कोष में गुणसूत्र के 23 जोड़े होते हैं |
कुछ अन्य वैज्ञानिकों का कहना है कि मनुष्यों में गुणसूत्रों की संख्या 23 और 24 भी होती हैं और वास्तव में कभी-कभी यह सत्य भी होता है |
गुणसूत्रों की संख्या ➖ 46
पुरुष ( Male) ➖ 23 (XX)
महिला( Female) ➖ 23(XY)
🍀 प्रत्येक गुणसूत्र में कुछ और भी सूक्ष्म पदार्थ होते हैं जिसे पित्रैक या जीन (jean)कहते हैं प्रत्येक गुणसूत्र या क्रोमोजोम्स (Charomozoms) में इनकी संख्या 40 -100 के बीच होती है |
🍀 ये गुण सूत्र प्रत्येक जीन को नियंत्रित करते हैं वास्तव में जीन गुण के वास्तविक निर्धारक होते हैं जिनकी रचना” एक रेखीय आकृति ” होती है |
🍀 🎯 सोरेन्सन के अनुसार➖
” पित्रैक(Jean) के द्वारा बालक के प्रमुख गुण निर्धारित होते हैं और पित्रैक के सम्मेलन के परिणाम को ही वंशानुक्रम कहते हैं |”
⭕ बीज कोष की निरंतरता का सिद्धांत ➖
प्रतिपादक ➖ बीजमैन
आलोचक ➖ बी.एन. झा
” बालक को जन्म देने वाला बीज कोष कभी नष्ट नहीं होता है | “
इस कथन के प्रतिपादक बीजमैन ने कहा कि ” बीज कोष का कार्य केवल उत्पादक कोषों का निर्माण करना है जो बीजकोष बालक को अपने माता-पिता से प्राप्त होते हैं और वह उसे अगली पीढ़ी को हस्तांतरित कर देता है इस प्रकार बीज कोष पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहता है | “
लेकिन इस कथन की आलोचना की गई इस कथन की आलोचना करते हुए
बी.एन.झा ने कहा कि ➖
इस सिद्धांत के अनुसार माता-पिता जन्मदाता न होकर बीज कोष के संरक्षक है बीजकोष को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को इस प्रकार स्थानांतरित किए जाते हैं कि मानो एक बैंक से निकाल कर दूसरे बैंक में रख दिया गया हो |
बीजमैन का सिद्धांत ना तो वंशानुक्रम की संपूर्ण प्रक्रिया की व्याख्या करता है और ना ही संतोषजनक है और ना ही मान्य है इसलिए यह अमान्य है
𝙉𝙤𝙩𝙚𝙨 𝙗𝙮 ➖ 𝙍𝙖𝙨𝙝𝙢𝙞 𝙎𝙖𝙫𝙡𝙚
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heredity and environment
वंशानुक्रम और वातावरण
Heredity वंशानुक्रम
एन anataskiके अनुसार:- वंशानुक्रम के जन्म की बहुत बाद तक व्यक्ति के विकास को प्रभावित करते हैं और वास्तव में यह जीवन पर्यंत चलता है
जेम्स ड्रेवर के अनुसार:- माता-पिता की शारीरिक विशेषताओं का संतानों में संक्रमण होना ही वंशानुक्रम है
बीएन झा के अनुसार:- वंशानुक्रम व्यक्ति की जन्मजात विशेषताओं का पूर्ण योग है
वंशानुक्रम की यंत्र रचना
मानव शरीर की रचना कोषों से बनी होती
प्रारंभ में गर्भावस्था में भ्रूण का निर्माण केवल कोष से होता है इसे संयुक्त kosh या zygoteको कहते हैं
संयुक्त कोष की रचना दो उत्पादक कोष के मिलने से होती है इनमें से एक पिता का होता है जिसे शुक्र या शुक्राणु कहते हैं दूसरा कोर्स माता का होता है जिसे अंड या अंडाणु कहते हैं संयुक्त कोष और उत्पादक कोष 2,4,8,16,32 के क्रम में बढ़ते हैं
शुक्र और अंडे दोनों ही उत्पादक kosho के रूप में गुण और दोष दोनों का स्थानांतरण करते हैं यह गुण और दोष भ्रूण में प्रवेश करते ही ऐसे ही जन्म के बाद वंशानुक्रम कहते हैं
यह निश्चित है कि शुक्राणु और अंडाणु में 23 23 गुणसूत्र होते हैं इस प्रकार zygote( संयुक्त कोष) में गुणसूत्र (chromosome) के 23 जोड़े होते हैं
प्रत्येक गुणसूत्र में कुछ और भी सूक्ष्म पदार्थ होते हैं जिन्हें पैत्रेक (जीन )कहते हैं प्रत्येक गुणसूत्र में इनकी संख्या 40 से 100 होती है
वास्तव में जीन गुण के वास्तविक निर्धारक होते हैं जीन की रचना एक रेखीय आकृति होती हैं
सोरेनसन के अनुसार:- पित्रैक जीन जिनके द्वारा बालक के प्रमुख गुण निर्धारक होते हैं पित्रैक के सम्मेलन के परिणाम को ही वंशानुक्रम कहते हैं
बीज कोष की निरंतरता का सिद्धांत
बालक को जन्म देने वाले बीज कोष कभी खत्म नहीं होते होता है
इस कथन के प्रतिपादक बीज मैन ने कहा बीज कोष का कार्य केवल उत्पादक कोषो का निर्माण करता है जो बीज कोष बालक को अपने माता पिता से मिलता है उसे वह अगली पीढ़ी को हस्तांतरित कर देता है इस प्रकार बीजकोष पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहता है
बीएन झा के अनुसार:- इस सिद्धांत के अनुसार माता पिता जन्मदाता ना होकर बीज कोष के संरक्षक हो गए बीजकोष एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को इस प्रकार स्थानांतरित किया जाता है मानो एक बैंक से निकाल कर दूसरे बैंक में रख दिया गया
बीज मैन का सिद्धांत ना तो वंशानुक्रम की संपूर्ण प्रक्रिया की व्याख्या करता है और ना ही संतोषजनक है और ना ही मान्य है इसलिए यह अमान्य है
🍃🍃🍃🍃🍃🍃सपना साहू 🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃
वंशानुक्रम और वातावरण
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12 March 2021
🌹 N. एनास्तास्की के अनुसार:-
वंशानुक्रम के तत्व जन्म की बहुत बाद तक व्यक्तित्व के विकास को प्रभावित कर सकते हैं , और वास्तव में यह प्रभाव जीवन पर्यंत चलता रहता है।
🌹 जेम्स ड्रेवर के अनुसार :-
माता-पिता की शारीरिक विशेषताओं का संतानों में संक्रमण होना ही वंशानुक्रम है।
🌹 B. N. झाँ के अनुसार :-
वंशानुक्रम , व्यक्ति की जन्मजात विशेषताओं का पूर्ण योग है।
🌺 वंशानुक्रम की यंत्र रचना / प्रक्रिया 🌺
मानव शरीर की रचना कोषों से होती है।
प्रारंभ में गर्भावस्था में भ्रूण का निर्माण केवल एक कोष से होता है , जिसे संयुक्त कोष या ( zygot ) कहते हैं।
संयुक्त कोष की रचना दो उत्पादक कोषों के मिलने से होती है।
इन उत्पादक कोषों में एक कोष पिता का होता है , जिसे शुक्र या शुक्राणु कहते हैं।
तथा दूसरा कोष माता का होता है, जिसे अंड या अंडाणु कहते हैं।
पिता के शुक्राणु एवं माता के अंडाणु के निषेचन से zygot का निर्माण होता है , जिससे भ्रूण का निर्माण होता है।
संयुक्त कोष और उत्पादक कोष [ 2 , 4, 8, 11 , 32 ] के क्रम में बढ़ते हैं।
शुक्र और अंड दोनों ही उत्पादन कोषों के रूप में गुण और दोष दोनों का स्थानांतरण करते हैं।
और जब ये गुण और दोष भ्रूण में प्रवेश करते हैं तो इन्हीं को जन्म के बाद वंशानुक्रम / अनुवंशिकता कहते हैं।
यह निश्चित है कि शुक्राणु और अंडाणु में 23 – 23 गुणसूत्र होते हैं।
परंतु कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि शुक्राणु और अंडाणु में 23 या 24 गुणसूत्र भी होते हैं।
किस प्रकार zygot ( संयुक्त कोष ) में 23 जोड़े गुणसूत्र होते हैं।
प्रत्येक गुणसूत्र में कुछ और भी सूक्ष्म पदार्थ होते हैं जिसे gene ( पित्रैक ) कहते हैं ।
अतः प्रत्येक गुणसूत्र में इनकी संख्या 40 – 100 होती है।
वास्तव में जीन ( gene ) गुणों के वास्तविक निर्धारक होते हैं।
जीन gene की संरचना एक ” रेखीय आकृतिनुमा ” होती है।
🌻 सॉरेन्सन के अनुसार :-
पित्रैक ( gene ) के द्वारा बालक के प्रमुख गुण निर्धारित होते हैं। अतः पित्रैक gene) के सम्मेलन के परिणाम को ही वंशानुक्रम कहते हैं।
🍁 बीजकोष की निरंतरता का सिद्धांत 🍁
बालक को जन्म देने वाला बीजकोष कभी नष्ट नहीं होता है।
👉 इस कथन के प्रतिपादक बीजमैंन ने कहा कि :-
बीजकोष का कार्य केवल उत्पादक कोषों का निर्माण करना है , जो बीजकोष बालक को अपने माता-पिता से मिलता है उसे वह आगामी पीढ़ी को हस्तांतरित कर देता है , ….
इस प्रकार बीजकोष पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहता है।
💐 B. N. झाँ के अनुसार :-
इस सिद्धांत के अनुसार माता-पिता जन्मदाता ना होकर बीजकोष के संरक्षक हैं।
बीजकोष एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को इस प्रकार स्थानांतरित किया जाता है मानो एक बैंक से निकाल कर दूसरे बैंक में रख दिया गया है।
अतः बीजमैंन का सिद्धांत न तो वंशानुक्रम की संपूर्ण प्रक्रिया की व्याख्या करता है और न ही संतोषजनक है , इसीलिए अमान्य है।
✍️ Notes by – जूही श्रीवास्तव✍️