☘️🌻 वंशानुक्रम के नियम🌻☘️
☘️🌼 समानता का नियम (Law of Resemblance)
👉🏼जैसे माता-पिता होते हैं वैसे ही संतान होती है इसे स्पष्ट करते हुए 🤵🏻♂सोरेन्सन ने कहा है कि बुद्धिमान माता-पिता के बच्चे बुद्धिमान साधारण माता-पिता के बच्चे साधारण और मूर्ख माता-पिता के बच्चे मूर्ख होते हैं।
👉🏼इस प्रकार शारीरिक संरचना की दृष्टि से भी बच्चे माता पिता के समान होते हैं यह नियम भी अपूर्ण है,क्योंकि प्राय: देखा जाता है कि काले माता-पिता की संतान गोरी, गोरे माता पिता के संतान काले मंदबुद्धि माता पिता के संतान बुद्धिमान बुद्धिमान माता पिता के संतान मंद बुद्धि होते हैं।
☘️🌼 भिन्नता का नियम (Law of Variation)➖
👉🏼बालक अपने माता-पिता के बिल्कुल सम्मान ना होकर उनसे कुछ भिन्न होते हैं
👉🏼एक ही माता-पिता के बालक एक दूसरे के समान होते हुए भी बुद्धि, स्वभाव इत्यादि में एक दूसरे से भिन्न होते हैं कभी-कभी उनमें पर्याप्त शारीरिक, मानसिक भिन्नता पाई जाती है।
👉🏼 जुड़वा बच्चे में भी भिन्नता पाई जाती है इसका कारण बताते हुए 🤵🏻♂सोरेन्सन ने कहा—इस भिन्नता का कारण के उत्पादक कोष की विशेषता है उत्पादक कोष में अनेक जीन होते हैं जो भिन्न प्रकार से संयुक्त होकर एक दूसरे से भिन्न बच्चों का निर्माण करते हैं।
👉🏼भिन्नता का नियम देने वालों में डार्विन और लेमार्क ने अनेक प्रयोग या विचार से बताया कि उपयोग न करने वाले अवयव तथा विशेषताओं का लोप आगामी पीढ़ी में हो जाता है।
☘️🌼 प्रत्यागमन का नियम (Law of Regression)➖
👉🏼 माता पिता के विपरीत गुण बच्चों में पाए जाते हैं।
👉🏼🤵🏻♂सोरेनसन के अनुसार–बहुत प्रतिभाशाली माता-पिता के बच्चों में कम प्रतिभा होने की प्रवृत्ति और बहुत निम्न कोटि के माता-पिता के बच्चों में प्रतिभाशाली होने की प्रवृत्ति प्रत्यागमन है।
👉🏼इस नियम के अनुसार बालक अपने माता-पिता के विशिष्ट गुणों का त्याग कर कर सामान्य गुणों को ग्रहण करता है।
🌼1-माता पिता के पैत्रिक में से एक कम और एक अधिक शक्तिशाली होता है।
🌼2-माता-पिता में उनके पूर्वजों में से किसी एक पित्रैक अधिक शक्तिशाली है।
✍🏻📚📚 Notes by….. Sakshi Sharma📚📚✍🏻
🔆 वंशानुक्रम के सिद्धांत ➖
❇️ वंशानुक्रम का समानता का नियम :-
वंशानुक्रम के समानता के नियम के अनुसार, जैसे माता-पिता होते हैं, वैसी ही उनकी सन्तान होती है। वंशानुक्रम के समानता के नियम के बारे में
▪️मनोवैज्ञानिक सोरेनसन ने अपना मत दिया है। सोरेनसन वंशानुक्रम के समानता का नियम का अर्थ और स्पष्टीकरण करते हुए कहा है कि :-
” बुद्धिमान माता-पिता के बच्चे बुद्धिमान साधारण माता-पिता के बच्चे साधारण और मंदबुद्धि माता-पिता के बच्चे मंदबुद्धि होते हैं।”
▪️इस प्रकार शारीरिक संरचना की दृष्टि से भी बच्चे माता पिता के समान होते हैं अर्थात इस नियम के अनुसार बच्चे माता-पिता से शारीरिक व मानसिक रूप में समान होते हैं।
▪️वंशानुक्रम का समानता का नियम भी पूरी तरह से सही नहीं प्रतीत होता है क्योंकि, समाज में ऐसे बहुत से उदाहरण देखने को मिलते हैं, जिसमें काले माता-पिता की सन्तान गोरी होती है, और ऐसे भी उदाहरण हैं, जिसमें मन्द बुद्धि माता-पिता की सन्तान बुद्धिमान होती है।
▪️इससे सिद्ध होता है कि वंशानुक्रम का समानता का नियम पूरी तरह से सही नहीं है, मतलब संतान और उसके माता-पिता में समानता तो होती है, लेकिन इसके बहुत से अपवाद भी हैं।
▪️अर्थात यह नियम अपूर्ण है क्योंकि प्राय यह देखा जाता है कि काले माता-पिता की संतान गोरी तथा गोरे माता-पिता की संतान काली
या मंदबुद्धि माता-पिता की संतान बुद्धिमान, बुद्धिमान माता-पिता की संतान मंदबुद्धि होती हैं।
❇️ 2 वंशानुक्रम का विभिन्नता का नियम :-
▪️वंशानुक्रम का विभिन्नता का नियम के अनुसार, बच्चे अपने माता-पिता के बिल्कुल समान न होकर उनसे कुछ भिन्न होते हैं। इसी प्रकार, एक ही माता-पिता के दो बच्चे भी एक दूसरे से भिन्न हो सकते हैं।
▪️वंशानुक्रम का विभिन्नता का नियम के अनुसार, हो सकता है, कि एक ही माता-पिता की संताने रंग में समान हों लेकिन बुद्धि, और स्वभाव में एक-दूसरे से अलग-अलग होते हों। या फिर हो सकता है उनका रंग अलग-अलग हो और उनकी बुद्धि में समानता हो।
▪️वंशानुक्रम के विभिन्नता के नियम के बारे में सोरेन्सन का मत :-
✨वंशानुक्रम का विभिन्नता का नियम के विषय में सोरेन्सन ने बताया है कि –
▪️एक ही माता-पिता की संतानों में, विभिन्नता के कारण माता – पिता के उत्पादक कोषों की विशेषताएँ हैं । उत्पादक कोषों में अनेक पित्रैक होते हैं, जो विभिन्न प्रकार से संयुक्त होकर एक – दूसरे से भिन्न बच्चों का निर्माण करते हैं।
✨ वंशानुक्रम के विभिन्नता के नियम के संबंध में डार्विन और लेमार्क का मत :-
✨डार्विन और लेमार्क ने अनेक प्रयोगों के आधार पर वंशानुक्रम का विभिन्नता का नियम का प्रतिपादन किया है, डार्विन और लेमार्क ने वंशानुक्रम के विभिन्नता के नियम के संबंध में निम्नलिखित विचार प्रस्तुत किये हैं –
▪️”वंशानुक्रम में उपयोग न करने वाले अवयवों और विशेषताओं का विलोपन आने वाली पीढ़ियों में होता रहता है, और नवोत्पत्ति (नये गुणों और विशेषताओं) और प्राकृतिक चयन द्वारा वंशानुक्रमीय (आनुवंशिक) विशेषताओं और गुणों का उन्नयन (सुधार) होता रहता है।”
▪️जो भी नए बच्चे का जन्म होता है उसमें दो चीजें का बहुत महत्वपूर्ण प्रभाव होता है ।
एक माता पिता के अंदर का गुण और दूसरा बाहरी वातावरण।
▪️आज के समय में बच्चे पर किसका कितना प्रभाव पड़ेगा यह अनुवांशिक परिस्थिति व वातावरण की उस परिस्थिति पर निर्भर करता है जिसमें बालक का जन्म हुआ है।
▪️आज के समय में बच्चों के बीच कई चीजों का उपयोग बढ़ गया है जिसकी कई हानिकारक प्रभाव देखने को मिलते हैं इसका दोष यह नहीं है कि इसका उपयोग बच्चे ने किया बल्कि यह वंशानुक्रम की परिस्थिति व वातावरण की वह परिस्थिति है जिसमें बच्चे का जन्म हुआ है।
▪️किसी भी नई या आगामी पीढ़ी में अनुवांशिक परिस्थिति वंशानुक्रम परिस्थिति के अनुसार ही किसी भी चीज का लोप हो जाना या आ जाना दोनों ही चीजें होती हैं।
▪️किसी भी प्राणी की या नई उत्पत्ति उसमें जो उस समय का वंशानुक्रम या लेटेस्ट वंशानुक्रम, जिसमें बच्चे की उत्पत्ति हुई है और उसी उत्पत्ति के समय का प्राकृतिक चयन वह दोनों ही अत्यंत महत्वपूर्ण है।
▪️इसीलिए किसी भी बच्चे की तुलना आगे आने वाली पीढ़ी या जो पिछली पीढ़ी है या जो वर्तमान पीढ़ी है उस से तुलना नहीं की जा सकती है।
▪️जो भी सकारात्मक या नकारात्मक परिवर्तन या बदलाव है वह सब वंशानुक्रम और वातावरण की परिस्थिति पर ही निर्भर करते हैं।
❇️ 3 वंशानुक्रम का प्रत्यागमन का नियम :-
▪️बहुत प्रतिभाशाली माता-पिता के बच्चों में कम प्रतिभा होने की प्रवृत्ति और बहुत कम प्रतिभाशाली के माता-पिता के बच्चों में कम प्रतिभा होने की प्रवृत्ति ही प्रत्यागमन है।
▪️वंशानुक्रम का प्रत्यागमन का नियम, प्रकृति द्वारा विशिष्ट गुणों की जगह सामान्य गुणों का ज्यादा वितरण करके एक जाति के जीवों को एक ही स्तर पर रखने का प्रयास करती है।
प्रत्यागमन नियम के अनुसार,
“बच्चे अपने माता-पिता के विशिष्ट गुणों को ना अपनाकर सामान्य गुणों को ज्यादा ग्रहण करते हैं। वंशानुक्रम के प्रत्यागमन नियम के कारण ही महान व्यक्तियों की सन्तानें ज्यादातर उनके बराबर महान नहीं होते हैं।”
उदाहरण के लिए – बाबर की संतान अकबर में, बाबर की तुलना में बहुत कम प्रभावशाली गुण थे।
❄️प्रत्यागमन के कारण :-
प्रत्यागमन के निम्नलिखित दो प्रमुख कारण–
☄️● माता-पिता के पित्रैकों में से एक कम और एक अधिक शक्तिशाली होता है।
☄️● माता-पिता में उनके पूर्वजों में से किसी का पित्रैक अधिक शक्तिशाली होता है।
▪️ माता-पिता के गुण व दोषों का संतुलन आगे आने किसी भी आगे आने वाली पीढ़ी में बहुत आवश्यक है। जिससे वह किसी भी परिस्थिति में बेहतर रूप से समायोजन कर पाए।
▪️यह तीनों ही नियम अलग-अलग प्रकार की परिस्थिति है जो तीनों ही सत्य है।
जिसमें बच्चे माता -पिता के समान भी हो सकते हैं ।
बच्चे माता-पिता से भिन्न भी हो सकते हैं ।
और बच्चे माता-पिता से विपरीत भी हो सकते हैं।
✍️
Notes By-‘Vaishali Mishra’
🌤️वंशानुक्रम के संबंध में कई सिद्धांत दिए गए हैं जिनमें से कुछ निम्न प्रकार है।🌤️
🌸1)बीज कोष की निरंतरता का सिद्धांत :-
▪️इस सिद्धांत के प्रतिपादक – “बीजमैन” है।
बालक को जन्म देने वाला बीज कोष कभी नष्ट नहीं होता है।
▪️इस सिद्धांत के अनुसार बीज कोष का कार्य केवल उत्पादक कोषो का निर्माण करना ही नही बल्कि इसके साथ साथ जो बीज कोष बालक को अपने माता-पिता से मिलता है उसे वह अगली पीढ़ी को हस्तांतरित कर देता है इस प्रकार बीजकोष पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहता है ।
🌸 बी. एन.झा के अनुसार –
बीज कोष सिद्धांत के पक्ष में अपना मत दिया कि
” माता पिता जन्मदाता ना होकर बीच कोष के संरक्षक हो जो बीज कोष को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को इस प्रकार से स्थानांतरित किया जाता है कि मानो एक बैंक से निकाल कर दूसरे बैंक में रख दिया गया हो।”
🌸बीज मैन का सिद्धांत ना तो वंशानुक्रम की संपूर्ण प्रक्रिया की व्याख्या करता है और ना ही संतोषजनक है इसीलिए यह सिद्धांत अमान्य है।
2)समानता का नियम =
जैसे माता-पिता होते हैं वैसे ही उसकी संतान होती है इससे स्पष्ट करते हुए सोरेन्सन ने कहा बुद्धिमान माता-पिता के बच्चे बुद्धिमान साधारण माता-पिता के बच्चे साधारण और मंदबुद्धि माता-पिता के बच्चे मंदबुद्धि होते हैं
🤩इस प्रकार शारीरिक रचना की दृष्टि से भी बच्चे माता पिता के समान होते हैं | 🤩
➖लेकिन यह नियम भी अपूर्ण माना गया क्योंकि प्राह: देखा जाता है-
कि काले माता-पिता के बच्चे गोरे, और गोरे माता-पिता के बच्चे काले ……. मंदबुद्धि माता-पिता के बच्चे बुद्धिमान … और बुद्धिमान माता-पिता के बच्चे मंद हो जाते हैं|
2)🌸विभिन्नता का नियम-
बालक अपने माता-पिता के बिल्कुल समान ना होकर उनसे कुछ भिन्न होता है एक ही माता-पिता के बालक एक दूसरे से सामान होते हुए भी रंग रूप, बुद्ध, स्वभाव इत्यादि में एक दूसरे से भिन्न होते हैं कभी-कभी उन्हें पर्याप्त शारीरिक और मानसिक भिन्नता पाई जाती हैĺ
➖उदाहरण के लिए एक ही घर में दो बच्चे बिल्कुल अलग होते हैं हमारे ही घर में मेरा भाई और मैं बिल्कुल अलग अलग हैl मेरा भाई बिल्कुल पढ़ता नही और मै पढ़ती हूँ।
➖इसका कारण बताते हुए सोरेनसन ने कहा,
इस भिन्नता का कारण ,उत्पादक कोषो की भिन्नता है उत्पादक कोष में अनेक जीन होते हैं जो विभिन्न प्रकार से संयुक्त होकर एक दूसरे से अलग-अलग या भिन्न-भिन्न बच्चे का निर्माण करते हैं|
😎भिन्नता का नियम देने वालों में डार्विन और लैमार्क ने भी अनेक प्रयोग या विचार से बताया कि उपयोग ना करने वाले अवयव तथा विशेषता का लोप आगामी पीढ़ी में हो जाता है|😎
3)🌸प्रत्यागमन का नियम =
माता-पिता से विपरीत गुण बच्चों में पाए जाते है|
🤖सोरेनसन के अनुसार __बहुत प्रतिभाशाली माता-पिता के बच्चे कम प्रतिभाशाली होने की प्रवृत्ति और बहुत निम्न कोटि के माता-पिता के बच्चे प्रतिभाशाली होने की प्रकृति , प्रत्यागमन है |
🤖इस नियम के अनुसार बालक अपने माता पिता के विशिष्ट गुणो का त्याग करके सामान्य गुणों को ग्रहण करता है
इसका प्रमुख कारण —
1)माता पिता के जिनमें से एक कम और एक अधिक शक्तिशाली होता है|
2)माता-पिता में उनके पूर्वजों में से किसी एक जीन अधिक शक्तिशाली होते हैं l
🖊️Notes by malti sahu 🖊️
😎Thanku😎
🔆वंशानुक्रम के सिद्धांत🔆
🌲 बीज कोष की निरंतरता का सिद्धांत ➖️बालक को जन्म देने बाद भी बीज कोष कभी नष्ट नहीं होता है
✏️🔅इस कथन के प्रतिपादक ➖️बीजमेन में हैं
उन्होंने कहा बीजकोष का कार्य केवल उत्पादक कोष का निर्माण करना है जो बीच बालक को अपने माता पिता से मिलता है उसे वह अगली पीढ़ी को हस्तांतरित करता है इस प्रकार बीजकोष पीढ़ी दर पीढ़ी चलता जाता है
✏️🔅बीएन झा के अनुसार➖️
इस सिद्धांत के अनुसार माता-पिता जन्मदाता ना होकर बीच कोष के संरक्षक हैं बीच को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को इस प्रकार स्थानांतरित किया जाता है मानो कि एक बैंक से पैसा निकाल कर दूसरे बैंक में पैसा रख दिया गया हो
बीजकोष का सिद्धांत ना तो वंशानुक्रम की संपूर्ण व्याख्या करता है और ना ही संतोषजनक है
🌲समानता का सिद्धांत है➖️
जैसे माता-पिता होंगे वैसे ही उनकी संतान होगी इसे स्पष्ट करते हुए
✏️🔅सोरेनसन ने कहा ➖️बुद्धिमान माता-पिता की संतान बुद्धिमान और मंदबुद्धि माता-पिता की संतान मंदबुद्धि और साधारण बुद्धि माता पिता की संतान साधारण होती हैं इस प्रकार शारीरिक रचना की दृष्टि से भी बच्चे माता पिता के समान होते हैं यह नियम भी बीजमेन के नियम जैसा अपूर्ण है क्योंकि देखा गया है कि तेज बुद्धि माता पिता की संतान मंदबुद्धि की हो सकती है और मंद बुद्धि के माता-पिता की संतान तेज बुद्धि हो सकती है इसी प्रकार अगर किसी के माता-पिता काले है तो उसकी संतान गोरी हो सकती है और गोरे माता-पिता की संतान काली हो सकती है इसमें भिन्नता पाई जा सकती है
🌲विभिन्नता का सिद्धांत ➖️बालक अपने माता पिता के समान ना होकर उसमें कुछ भिन्नता होती हैं एक ही माता-पिता के बालक एक दूसरे से समान होते हुए भी वह है बुद्धि,रूप रंग,स्वभाव, आकार में भिन्न भिन्न हो सकते हैं कभी-कभी उनमें पर्याप्त शारीरिक और मानसिक रूप से भिन्नता पाई जाती है
✏️🔅इस कारण बताते हुए सोसेन्सन ने कहा इस बिभिन्नता कारण माता-पिता के उत्पादकों की विशेषताओं के कारण है उत्पादक कोसों में अनेक जीन होते हैं जो विभिन्न प्रकार से संयुक्त होकर एक दूसरे से विभिन्न बच्चे का निर्माण करते हैं
✏️विभिन्नता के नियम देने वाले में डार्विन और लैमार्क➖️ ने अनेक प्रयोग या विचार से बताया कि उपयोग ना करने वाले अवयब,विशेषताओं का लोप आगामी पीढ़ी में हो जाता है जैसे हम कोई भी विशेषता या अवयव का प्रयोग नहीं करें करेंगे
इस नियम को लेमार्क और डार्विन ने दिया गया है
🌲प्रत्यागामन का सिद्धांत ➖️माता पिता के विपरीत गुण बच्चों में पाए जाते हैं ✏️🔅सोरेनसन ने कहा ➖️बहुत बुद्धिशाली माता-पिता के बच्चे कम बुद्धिशाली और बहुत निम्न कोटि वाले माता-पिता के बच्चे प्रतिभाशाली होने की प्रवृत्ति प्रत्यागमन कहलाती है
इस नियम के अनुसार बालक अपने माता-पिता के विशिष्ट गुणों का त्याग करके सामान बड़ों को ग्रहण कर लेते हैं 1-माता-पिता में पैतृक में वे एक कम और एक अधिक शक्तिशाली होता है
2-माता पिता के उनके पूर्वजों में किसी एक पैतृक अधिक शक्तिशाली होते है 🍀🍀🍀
Notes by sapna yadav
🔆वंशानुक्रम के सिद्धांत
1) बीजकोष की निरंतरता का सिद्धांत
2) समानता का सिद्धांत
3) विभिन्नता का नियम
4) प्रत्यागमन का सिद्धांत
🎯 समानता का सिद्धांत➖
🍀 इस सिद्धांतके अनुसार जैसे माता-पिता होते हैं वैसे उनकी संतान होती है जैसे कि मंदबुद्धि माता-पिता की संतान मंदबुद्धि और विद्वान माता-पिता की संतान विद्वान होती है |
इस कथन को स्पष्ट करते हुए
सोरेन्सन ने कहा➖
कि बुद्धिमान माता-पिता की संतान बुद्धिमान, साधारण माता-पिता की संतान साधारण, और मंदबुद्धि माता पिता की संतान मंदबुद्धि होती है |
इस प्रकार शारीरिक रचना की दृष्टि से भी बच्चे माता पिता के समान होते हैं |
यह नियम भी अपूर्ण है क्योंकि प्रायः देखा जाता है कि काली माता पिता की संतान गोरी और गोरी माता की संतान काली, तथा मंद बुद्धि माता पिता की संतान विद्वान और विद्वान माता पिता की संतान मंदबुद्धि होती है |
🎯 विभिन्नता का नियम ➖
इस नियम के अनुसार बालक अपने माता-पिता के बिल्कुल सामान ना होकर उनसे सभी शारीरिक और मानसिक गुणों में कुछ भिन्न होता है |
एक ही माता-पिता की बालक एक दूसरे के समान होते हुए भी बुद्धि, रंग, रूप,और स्वभाव इत्यादि में एक दूसरे से भिन्न होते हैं कभी-कभी उनमें पर्याप्त शारीरिक और मानसिक भिन्नता पाई जाती है |
इसका कारण बताते हुए ” सोरेन्सन “कहा कि इस विभिन्नता का कारण माता-पिता के उत्पादक कोषों की विभिन्नता है उत्पादक कोषों में अनेक पित्रैक (जीन) होते हैं जो विभिन्न प्रकार से होकर एक दूसरे से भिन्न बच्चे का निर्माण करते हैं |
भिन्नता का नियम देने वाले “डार्विन और लैमार्क ” ने अपने अनेक प्रयोग या विचार से बताया कि उपयोग न करने वाले अवयव तथा विशेषता का लोप आगामी पीढ़ी में हो जाता है |
नई उत्पत्ति में प्राकृतिक चयन और वर्तमान वंशानुक्रम की महत्वपूर्ण भूमिका होती है |
🎯 प्रत्यागमन का नियम ➖
इस नियम के अनुसार माता-पिता के विपरीत गुण बच्चों में पाए जाते हैं |
सोरेन्सन ने कहा कि बहुत प्रतिभाशाली माता-पिता के बच्चों में कम प्रतिभा होने की प्रवृत्ति और बहुत निम्न कोटि के माता-पिता के बच्चों में प्रतिभाशाली होने की प्रवृत्ति प्रत्यागमन है |
इस नियम के अनुसार बालक अपने माता-पिता के विशिष्ट गुणों का त्याग करके सामान्य गुणों को ग्रहण करता है |
🌼माता पिता के पित्रैक में से एक कम और एक अधिक शक्तिशाली होता है |
🌼 माता-पिता में उनके पूर्वजों में से कोई एक पित्रैक अधिक शक्तिशाली होता है |
𝙉𝙤𝙩𝙚𝙨 𝙗𝙮 ➖ 𝙍𝙖𝙨𝙝𝙢𝙞 𝙎𝙖𝙫𝙡𝙚
🌼🍀🌺🌸🌻🌼🍀🌺🌸🌻🌻🌸🌺🍀🌼🌻🌸🌺🍀🌼
(वंशानुक्रम के सिद्धांत)–
🌻बीजकोष के निरंतरता का सिद्धांत (Law of continuity of germ plasm)
👉🏻इस नियम के अनुसार बालक को जन्म देने वाला बीजकोष कभी नष्ट नहीं होता है।
👉🏻इस नियम के प्रतिपादक बीजमैन थे।
इनके अनुसार बीजकोष का कार्य केवल उत्पादक कोषो का निर्माण करना है। जो बीचकोष बालक को अपने माता-पिता से मिलता है।
उसे वह अगली पीढ़ी को स्थानांतरित कर देता है।
इस प्रकार बीज कोष पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहता है।
🌻बी एन झा ने अनुसारक ― “माता-पिता बालक के जन्मदाता ना होकर केवल बीजकोष के संरक्षक है जिसे वह अपनी संतानों को देते हैं।”
बीजकोष एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को इस प्रकार स्थानांतरित किया जाता है।
👉🏻 वंशानुक्रम व्यक्ति की जन्म जात विशेषताओं का पूर्ण योग है
(🌻) समानता का सिद्धांत(Law of resemblance)
इस नियम के अनुसार जैसे माता-पिता होते हैं वैसे उनकी संतान होती है।
👉🏻सोरेनसन ने कहा है-“कि बुद्धिमान माता-पिता के बालक बुद्धिमान,मंदबुद्धि माता -पिता के बालक मंदबुद्धि व सामान्य माता -पिता के पुत्र सामान्य बुद्धि वाले होते हैं।
“इसी तरह शारीरिक दृष्टि से सुन्दर माता पिता के बच्चों में प्राय: सुन्दर होने की संभावना होती है जबकि कुरूप माता पिता के बच्चों में प्रायः कुरूप होने की संभावना रहती है।
(🌻) विभिन्नता का सिद्धांत(Law of variation)
इस नियम के अनुसार एक ही माता पिता से उत्पन्न बालक भिन्न-भिन्न हो सकते हैं ।
👉🏻उनके रंग रूप,बुद्धि, ज्ञान ,समझ, योग्यता अलग अलग होती है।
🍀इस भिन्नता के कारण माता पिता के उत्पादक कोषो के वंशसूत्र के विभिन्न समुच्चय बनने के कारण वे भिन्न भिन्न गुणों से युक्त संतानों को जन्म देते हैं।
(🌻) प्रत्यागमन का सिद्धांत(Law of regression)
प्रत्यागमन का नियम सोरेनसन ने दिया उन्होंने बताया कि माता पिता के विपरीत गुण भी बालक में उत्पन्न होते हैं।
अर्थात इसके अनुसार प्रतिभाशाली माता-पिता के बच्चों में कम प्रतिभा होने के की प्रवृत्ति और बहुत निम्न कोटि के माता-पिता के बच्चों में प्रतिभाशाली होने की प्रवृत्ति होती है और इसे ही प्रत्यागमन कहते है।
👉🏻इस नियम के अनुसार बालक अपने माता-पिता के विशिष्ट गुणों को त्यागकर सामान्य गुणों को ग्रहण करते हैं।
और सामान्य गुण सभी स्त्री पुरुषों में होते हैं इसलिए वंशानुक्रम की प्रवृत्ति सामान्य तथा औसत की ओर होती है ।
यही कारण है कि महान व्यक्तियों के पुत्र साधारणतः उनके सामान महान नहीं होते है।
👉🏻 Notes by शिखा त्रिपाठी🍀🍀🌻🌻
🥀वंशानुक्रम के सिद्धांत🥀
🌸बीजकोश की निरंतरता का सिद्धांत
बीजकोष नश्वर होते हैं, ये एक पीढ़ी के गुण दूसरी पीढ़ी में हस्तांतरित करते है,इस प्रकार बीजकोष पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहता है।
🌸समानता का नियम
जैसे माता-पिता होते हैं वैसे ही उनकी संताने होती हैं;
🤷🏻♂️🧠 स्पष्ट करते हुए सोरेनसन ने कहा है÷
बुद्धिमान माता-पिता के बच्चे बुद्धिमान, साधारण माता-पिता के बच्चे साधारण, एवं मंदबुद्धि माता-पिता के बच्चे मंदबुद्धि, वा प्रतिभाशाली माता-पिता के बच्चे प्रतिभाशाली होते हैं; इस प्रकार शारीरिक रचना की दृष्टि से भी बच्चे माता पिता के समान होते हैं।
💥यह नियम भी अपूर्ण है क्योंकि प्राय देखा जाता है कि काले माता-पिता की संताने गोरी, गोरी माता-पिता की संताने काली ,मंदबुद्धि माता-पिता की संताने बुद्धिमान और बुद्धिमान माता-पिता की संताने मंदबुद्धि होती हैं।
🌸विभिन्नता का नियम
🥀🤷🏻♂️ अपने माता पिता के बिल्कुल समाना होकर उनसे कुछ भिन्न होता है एक ही माता-पिता के दो बालक एक दूसरे के समान होते हुए भी बुद्धि, रंग, स्वभाव, हाव भाव ,इत्यादि में एक दूसरे से भिन्न होते हैं कभी-कभी उनमें पर्याप्त शारीरिक मानसिक भिन्नता भी पाई जाती है।
🥀🧠 कारण बताते हुए सोरेनसन ने कहा÷
एसपी भिन्नता का कारण उत्पादक कोसों की विशेषता है,उत्पादक कोष में अनेक पित्रैक होते हैं जो विभिन्न प्रकार से संयुक्त होकर एक दूसरे से भिन्न में बच्चे का निर्माण होते हैं।
🥀🧠 का नियम देने वालो मे डार्विन और लैमार्क ने अनेक प्रयोग या विचार से बताया कि उपयोग न करने वाले अवयव तथा विशेषता का लोक आगामी पीढ़ी में हो जाता है।
🧠🌷जैसे÷पुराने समय में मनुष्य के पास भी पूछ हुआ करती थी किंतु धीरे-धीरे उसके उपयोग ना होने की वजह से वह विलुप्त हो गई, ठीक इसी प्रकार पहले मनुष्य भी जानवरों की तरह हरी घास , पत्तियां वा अन्य कच्चे पदार्थ खा लेता था किन्तु पकाकर खाने से धीरे-धीरे सेलुलोज पाचन की ग्रंथियों से स्रावित होने वाला व सेलुलोज को पचाने वाला हार्मोन स्रावित होना ही बंद हो गया वा विलुप्त हो गया।
🌸प्रत्यागमन का नियम
🌷🧠 पिता के विपरीत गुण बच्चों में पाए जाते हैं।
🤷🏻♂️🌸 के अनुसार
🌷🧠 प्रतिभाशाली माता-पिता के बच्चों ने कम प्रतिभा होने का प्रवृत्ति और बहुत निम्न कोटि के माता-पिता के बच्चों में प्रतिभाशाली होने की प्रवृत्ति प्रत्यागमन कहलाती है।
🧠🥀 नियम के अनुसार बालक अपने माता-पिता के विशिष्ट गुणों का त्याग करके सामान्य गुणों को ग्रहण करता है।
🥀🧠 पिता के पित्रैक में से एक कम और एक अधिक शक्तिशाली होता है।
🥀🧠 में उनके पूर्वजों से किसी एक पित्रैक अधिक शक्तिशाली होते हैं।
🌷🥀 by shikhar pandey 🙏
🌼🌼🌼वंशानुक्रम के संबंध में दिए गए कुछ सिद्धांत निम्न प्रकार है।🌼🌼🌼
🌼🌼1.बीज कोष की निरंतरता का सिद्धांत :-
🌼इस सिद्धांत के प्रतिपादक :-“बीजमैन” है।
🌼बालक को जन्म देने वाला बीज कोष कभी नष्ट नहीं होता है।
🌼इस सिद्धांत के अनुसार बीज कोष का कार्य केवल उत्पादक कोषो का निर्माण करना ही नही बल्कि इसके साथ-साथ जो बीज कोष बालक को अपने माता-पिता से मिलता है उसे वह अगली पीढ़ी को हस्तांतरित कर देता है इस प्रकार बीजकोष पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहता है ।
🌼 बी. एन.झा के अनुसार :-
🌼बीज कोष सिद्धांत के पक्ष में अपना मत दिया कि “माता पिता जन्मदाता ना होकर बीज कोष के संरक्षक हो जो बीज कोष को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को इस प्रकार से स्थानांतरित किया जाता है कि मानो एक बैंक से निकाल कर दूसरे बैंक में रख दिया गया हो।”
🌼बीज मैन का सिद्धांत ना तो वंशानुक्रम की संपूर्ण प्रक्रिया की व्याख्या करता है और ना ही संतोषजनक है इसीलिए यह सिद्धांत अमान्य है।
🌼2.समानता का नियम :-
🌼जैसे माता-पिता होते हैं वैसे ही उसकी संतान होती है इससे स्पष्ट करते हुए सोरेन्सन ने कहा बुद्धिमान माता-पिता के बच्चे बुद्धिमान साधारण माता-पिता के बच्चे साधारण और मंदबुद्धि माता-पिता के बच्चे मंदबुद्धि होते हैं
🌼इस प्रकार शारीरिक रचना की दृष्टि से भी बच्चे माता पिता के समान होते हैं |
🌼लेकिन यह नियम भी अपूर्ण माना गया है क्योंकि यह देखा जाता है कि काले माता-पिता के बच्चे गोरे, और गोरे माता-पिता के बच्चे काले ,मंदबुद्धि माता-पिता के बच्चे बुद्धिमान और बुद्धिमान माता-पिता के बच्चे मंद हो जाते हैं|
🌼3.विभिन्नता का नियम:-
🌼बालक अपने माता-पिता के बिल्कुल समान ना होकर उनसे कुछ भिन्न होता है एक ही माता-पिता के बालक एक दूसरे से सामान होते हुए भी रंग रूप, बुद्ध, स्वभाव इत्यादि में एक दूसरे से भिन्न होते हैं कभी-कभी उन्हें पर्याप्त शारीरिक और मानसिक भिन्नता पाई जाती हैĺ
🌼इसका कारण बताते हुए सोरेनसन ने कहा,कि इस भिन्नता का कारण ,उत्पादक कोषो की भिन्नता है उत्पादक कोष में अनेक जीन होते हैं जो विभिन्न प्रकार से संयुक्त होकर एक दूसरे से अलग-अलग या भिन्न-भिन्न बच्चे का निर्माण करते हैं|
🌼भिन्नता का नियम देने वालों में डार्विन और लैमार्क ने भी अनेक प्रयोग या विचार से बताया कि उपयोग ना करने वाले अवयव तथा विशेषता का लोप आगामी पीढ़ी में हो जाता है|
🌼4.प्रत्यागमन का नियम :-
🌼माता-पिता से विपरीत गुण बच्चों में पाए जाते है|
🌼सोरेनसन के अनुसार :- “बहुत प्रतिभाशाली माता-पिता के बच्चे कम प्रतिभाशाली होने की प्रवृत्ति और बहुत निम्न कोटि के माता-पिता के बच्चे प्रतिभाशाली होने की प्रकृति , प्रत्यागमन है |”
🌼इस नियम के अनुसार बालक अपने माता पिता के विशिष्ट गुणो का त्याग करके सामान्य गुणों को ग्रहण करता है
🌼इसका प्रमुख कारण —
🌼1.माता पिता के जिनमें से एक कम और एक अधिक शक्तिशाली होता है|
🌼2.माता-पिता में उनके पूर्वजों में से किसी एक जीन अधिक शक्तिशाली होते हैं l
🌼🌼🌼🌼manjari soni🌼🌼🌼🌼
🦚 वंशानुक्रम का सिध्दान्त🦚
1 बीजकोष के निरन्तरता का सिध्दान्त
2 समानता का सिध्दान्त
3 विभिन्नता का सिध्दान्त
4 प्रत्यागमन का सिध्दान्त
बिजकोष के निरन्तरता का सिध्दान्त- बालक को जन्म से देने वाला बिज कोष कभी न होने वाला है।
इसके प्रतिपादक बिजमैंन है।
बिजकोष का कार्य केवल उत्पादक कोषो का निर्माण करना है जो बिजकोष बालक को अपने माता-पिता से मिलता है उसे वह अगली पिढ़ी को हस्तान्तरित कर देता है इस प्रकार बिज कोष पिढ़ी दर पिढ़ी चलते रहता है।
बी एन झा के अनुसार- माता-पिता जन्मदाता न होकर बिजकोष के संरक्षक है जो एक पिढ़ी से दुसरी पिढ़ी हस्तान्तरित करते है मानो एक बैंक से निकालकर दूसरे बैंक रख दिया हो।
बिजमैन का सिध्दान्त ना तो वंशानुक्रम का संपूर्ण प्रक्रिया की व्याख्या करता है और न हि संतोषजनक है इसलिए यह अमान्य है।
समान्ता का सिध्दान्त- जैसे माता-पिता वैसे ही उनकी संतान होती है।
सोरेन्सन के अनुसार- बुध्दीमान माता-पिता की सन्तान भी बुध्दीमान तथा मंद बुध्दीमान माता-पिता की सन्तान मंद बुध्दी प्रखर बुध्दीमान माता-पिता की सन्तान भी प्रखर बुध्दीमान ही होगी ।
लेकिन यह नियम भी अरपूर्ण है क्योकिं सावले रंग के माता-पिता की संतान गोरी तथा गोरे रंग के माता-पिता की संतान सावले मंद बुध्दी माता -पिता की संतान बुध्दीमान है ।
विभीन्नता का सिध्दान्त- विभीन्नता का सिध्दान्त यह कहता है कि बालक अपने माता-पिता के बिल्कुल समान न होकर शारीरिक मानशिक रुप से भिन्न होते है।
सोरेन्सन के अनुसार- इस विभीन्नता के कारण माता-पिता के उत्पादक कोष की विशेषता है।
उत्पादक कोष में अनेक पित्रैक होते है जो विभीन्न प्रकार से संयुक्त होकर एक-दूसरे से भिन्न बच्चे का निर्माण करते है।
भिन्नता के नियम में डार्विन और लैमार्क के भी महत्वपूर्ण विचार व प्रयोग रहे है और इन्होने बताया कि उपयोग ना करने वाले अवयव तथा विशेषता का लोप आगामी पिढ़ी से होता है।
प्रत्यागमन का सिध्दान्त- प्रत्यागमन का सिध्दान्त यह कज्हता है कि माता-पिता के विपरीत गुण बच्चो में पाए जाते है।
सोरेन्सन के अनुसार- प्रतिभाशाली माता-पिता की संतान कम प्रतिभाशाली तथा बहुत निम्नकोटी के माता-पिता की संतान में प्रतिभाशालि होने की प्रवृति पाई जाति है। यहि प्रत्यागमन का सिध्दान्त हैं।
इस नियम के अनुसार- बालक अपने माता-पिता के विशीष्ट गुणों को त्यागकर सामान्य गुणों को ग्रहण करता है।
1 माता-पिता के पैत्रक में से एक कम और एक अधीक शक्तीशाली होता है।
2 माता-पिता में से उनके पूर्वोजो में से किसी एक का पैत्रक शक्तीशाली होता हैं।
Notes by _Puja murkhe
🌟 वंशानुक्रम का सिद्धांत🌟
💥 बीजकोष की निरंतरता का सिद्धांत💥
🌈बालक को जन्म देने वाला बीजकोष कभी खत्म नहीं होता इस कथन के प्रतिपादक बीजमैन है उन्होंने कहा बीज कोष का कार्य केवल उत्पादक कोषो का निर्माण करता है जो बीज कोष बालक को अपने माता-पिता से मिलता है उससे वह अगली पीढ़ी को हस्तांतरित कर देता है इस प्रकार बीजकोष पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहता है।
🌈समानता का सिद्धांत – जैसे माता-पिता होते है वैसी ही उनकी संतान होती है इसे स्पष्ट करते हुए “सोरेनसन ने कहा है”-
🎊 बुद्धिमान माता-पिता के बच्चे बुद्धिमान ,साधारण माता-पिता के बच्चे साधारण ,और मंदबुद्धि माता-पिता के बच्चे मंदबुद्धि होते हैं ,इस प्रकार शारीरिक रचना की दृष्टि से भी बच्चे माता पिता के समान होते हैं।
🌸 यह नियम ही अपूर्ण है क्योंकि प्रायः देखा जाता है कि काले माता पिता की संतान गौरी गोरे माता पिता की संतान काली मंदबुद्धि माता पिता के संतान बुद्धिमान और बुद्धिमान माता-पिता की संतान मंदबुद्धि होते हैं।
🌈 विभिन्नता का नियम – बालक अपने माता-पिता के बिल्कुल समान ना होकर उनसे कुछ भिन्न होते हैं एक ही माता-पिता के बालक एक दूसरे के समान होते हुए भी बुद्धि ,रंग ,स्वभाव ,इत्यादि में एक दूसरे से भिन्न होते हैं कभी-कभी उनमें पर्याप्त शारीरिक /मानसिक भिन्नता पाई जाती है।
🎊 इसका कारण बताते हुए “सोरेनसन ने कहा”-इस विभिन्नता का कारण के उत्पादक कोषों की विशेषता है उत्पादक कोष में अनेक पैतृक (जीन) होते हैं जो विभिन्न प्रकार के संयुक्त होकर एक दूसरे से भिन्न बच्चे का निर्माण करते हैं।
🌸 भिन्नता का नियम – इस नियम को देने वाले डार्विन और लैमार्क ने अनेक प्रयोग या विचार से बताया कि उपयोग न करने वाले अवयव तथा विशेषता का लोप आगामी पीढ़ी में हो जाता है।
🌈प्रत्यागमन का नियम – माता पिता के विपरीत गुण बच्चों में पाए जाते हैं “सोरेनसन “ने कहा बहुत प्रतिभाशाली माता-पिता के बच्चों में कम प्रतिभा होने की प्रवृत्ति, और बहुत निम्न कोटि के माता-पिता के बच्चों में प्रतिभाशाली होने की प्रवृत्ति प्रत्यागमन है।
💥 इस नियम के अनुसार बालक अपने माता-पिता के विशिष्ट गुणों का त्याग करके सामान्य गुणों को ग्रहण करता है।
1- माता-पिता की पैतृक में से एक कम और एक अधिक
शक्तिशाली होता है।
2-माता-पिता में उनके पूर्वजों में से किसी एक पित्रैक अधिक शक्तिशाली हो जाये।
📝Notes by suchi Bhargav…….
heredity and environment (वंशानुक्रम और वातावरण)
💐 वंशानुक्रम💐
1 बीज कोष की निरंतरता का सिद्धांत:- बालक को जन्म देने वाला बीज कोष कभी खत्म नहीं होता है
2 समानता का नियम:- जैसे माता-पिता होते हैं वैसे ही उनकी संतान होती है इसे स्पष्ट करते हुए
सोरेनसन ने कहा है कि बुद्धिमान माता-पिता के बच्चे बुद्धिमान साधारण माता-पिता के बच्चे साधारण और मंदबुद्धि माता-पिता के बच्चे मंदबुद्धि होते हैं
इस प्रकार शारीरिक रचना की दृष्टि से भी बच्चे माता पिता के समान होते हैं
यह नियम भी अपूर्ण हैं क्योंकि प्रायः देखा जाता है कि काले माता पिता की संतान गोरी गोरे माता-पिता की संतान काली मंदबुद्धि माता-पिता के बच्चे बुद्धिमान और बुद्धिमान माता-पिता के बच्चे मंदबुद्धि होते हैं
3 विभिन्नता का नियम:- बालक अपने माता-पिता की बिल्कुल समान ना होकर उनसे कुछ भिन्न होता है एक ही माता-पिता के बालक एक दूसरे से समान होते हुए भी बुद्धि रंग स्वभाव इत्यादि में एक दूसरे से भिन्न होते हैं कभी-कभी उनमें पर्याप्त शारीरिक मानसिक भिन्नता पाई जाती हैं
इसका कारण बताते हुए सोरेनसन ने कहा है:- इस विभिन्नता का कारण उत्पादक कोषों की विशेषता है उत्पादक कोष में अनेक पैतृक जीन होते हैं जो विभिन्न प्रकार से संयुक्त होकर एक दूसरे से भिन्न बच्चे का निर्माण करते हैं
विभिन्नता का नियम देने वाली डार्विन और लैमार्क ने अनेक प्रयोग या विचार से बताया कि उपयोग न करने वाले अवयव तथा विशेषता का लोप आगामी पीढ़ी में हो जाता है
4 प्रत्यागमन का नियम:- माता पिता के विपरीत गुण बच्चों में पाए जाते हैं
सोरेनसन के अनुसार:- बहुत प्रतिभाशाली माता-पिता के बच्चों में कम प्रतिभा होने की प्रकृति और बहुत निम्न कोटि माता-पिता के बच्चों में प्रतिभाशाली होने की प्रवृत्ति प्रत्यागमन है
इस नियम के अनुसार बालक अपने माता-पिता के विशिष्ट गुणों का त्याग करके सामान्य गुणों को ग्रहण करता है
1 माता पिता के पैत्रिक में से एक कम और एक अधिक प्रतिभाशाली होता है
2 माता-पिता में उनके पूर्वजों से किसी एक पैत्रिक अधिक शक्तिशाली होता है
नोट्स by सपना साहू
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🌸🌻वंशानुक्रम के सिद्धांत 🌻🌸
1.बीजकोष के निरंतरता का सिद्धांत
2. समानता का नियम
3. विभिन्नता का नियम
4.प्रत्यागमन का नियम
✍🏻 बीजकोष की निरंतरता का सिद्धांत :- बालक को जन्म देने वाला भी और कभी नष्ट नहीं होता।
इस कथन के प्रतिपादक बीजमैन ने कहा है कि बीजकोष का कार्य केवल उत्पादक कोषों का निर्माण करना है।
जो बीजकोष बालक को अपने माता पिता से मिलता है उसे वहां अगली पीढ़ी को हस्तांतरित कर देता है इस प्रकार बीज कोष पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहता है।
🌸बी.एन. झा:- इस सिद्धांत के अनुसार माता-पिता जन्मदाता ना होकर बीजकोष के संरक्षक हैं बीजकोष एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को इस प्रकार स्थानांतरित किया जाता है जैसे मानो एक बैंक से निकाल कर दूसरे बैंक में रख दिया गया हो।
✍🏻 समानता का नियम:- इस सिद्धांत के अनुसार जैसे माता-पिता होते हैं वैसे ही उनकी संतान होती है।
🌸इसे स्पष्ट करते हुए सोरेन्सन ने कहा है कि बुद्धिमान माता पिता की संतान बुद्धिमान तथा मंदबुद्धि माता-पिता की संतान होती है।
🌸इस प्रकार शारीरिक रचना की दृष्टि से जी बच्चे माता पिता के समान होते हैं।
✍🏻 विभिन्नता का नियम:- इस सिद्धांत के अनुसार बच्चे अपने माता-पिता के बिल्कुल समान ना होकर उनसे कुछ भिन्न होते हैं, एक ही माता-पिता के बालक एक दूसरे के समान होते हुए भी बुद्धि, रंग, स्वभाव इत्यादि में एक दूसरे से भिन्न होते हैं।
🌸 इसका कारण बताते हुए सोरेन्सन में कहा है कि
इस विभिन्नता का कारण उत्पादक कोषों की विशेषता है उत्पादक कोष में अनेक पैतृक (जीन) होते हैं जो विभिन्न प्रकार से संयुक्त होकर एक दूसरे से बच्चे का निर्माण करते हैं।
🌸 विभिन्नता का नियम देने वाले में डार्विन और लैमार्क में अनेक प्रयोग या विचार से बताया कि उपयोग ना करने वाले अवयव तथा विशेषता का लोप आगामी पीढ़ी में हो जाता है।
✍🏻प्रत्यागमन का नियम:- माता पिता के बिल्कुल विपरीत गुण बच्चों में पाए जाते है।
सोरेन्सन :- बहुत प्रतिभाशाली माता-पिता के बच्चों में कम प्रतिभा होने की प्रवृत्ति और बहुत निम्न कोटि के माता-पिता के बच्चों में प्रतिभाशाली होने की प्रवृत्ति प्रत्यागमन है।
🌸 इस नियम के अनुसार बालक अपने माता-पिता के विशिष्ट गुणों को त्याग करके सामान गुणों को ग्रहण करता है।
🌸 माता पिता के पैतृक में से एक कम और एक अधिक शक्तिशाली होता है।
🌸 माता-पिता में अनेक पूर्वजों में से किसी एक पैतृक अधिक शक्तिशाली होता है।
🌟🌟🌟🌟🌟
Notes by
Shashi Chaudhary
🔸🔸🔸🔸🔸🔸
वंशानुक्रम के सिद्धांत
💥💥💥💥💥💥💥💥
13 march 2021
1. बीजकोष की निरंतरता का सिद्धांत
2. समानता का नियम
3. विभिन्नता का नियम
4. प्रत्यागमन का नियम
उपर्युक्त लिखित सिद्धांतों के बारे में विस्तार से जानते हैं :-
🌹 1. बीजकोष की निरंतरता का सिद्धांत :-
बालक को जन्म देने वाला बीजकोष कभी नष्ट नहीं होता है।
🌺🌺 इस कथन के प्रतिपादक बीजमैंन ने कहा है कि :-
बीजकोष का कार्य केवल उत्पादक कोषों का निर्माण करना है , जो बीजकोष बालक को अपने माता पिता से मिलता है उसे वह आगामी पीढ़ी को हस्तांतरित कर देता है इस प्रकार बीजकोष पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहता है।
🌺 B . N . झाँ के अनुसार :-
इस सिद्धांत के अनुसार माता-पिता जन्मदाता ना होकर बीजकोष के संरक्षक हैं।
बीजकोष को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को इस प्रकार स्थानांतरित किया जाता है, मानो एक बैंक से निकाल कर दूसरे बैंक में रख दिया गया हो।
👉 अतः B . N . झाँ ने , बीजमैन के इस सिद्धांत को उचित नहीं माना है क्योंकि एक नये जीवन को बनाने में माता पिता का बहुत महत्वपूर्ण योगदान होता है जो कि इस सिद्धांत के अनुसार केवल एक छोटे रूप में बीजकोष को उत्पादक कोषों का निर्माण करना बताया गया है इसीलिये ये अनुचित है।
अतः बीजमैन का सिद्धांत ना तो वंशानुक्रम की संपूर्ण प्रक्रिया की व्याख्या करता है और ना ही संतोषजनक है , इसीलिए अमान्य है।
🌹 2. समानता का नियम :-
इस नियम के अनुसार जैसे माता-पिता होते हैं वैसी ही उनकी संतान होती है।
इसे स्पष्ट करते हुए सॉरेन्सन ने कहा है कि :-
👉 बुद्धिमान माता-पिता के बच्चे :- बुद्धिमान
👉 साधारण माता-पिता के बच्चे :- साधारण
👉 मंदबुद्धि माता-पिता के बच्चे :- मंदबुद्धि ,
होते हैं।
इस प्रकार शारीरिक रचना की दृष्टि से भी बच्चे माता पिता के समान होते हैं।
💐 यह नियम भी अपूर्ण है क्योंकि प्रायः देखा जाता है कि –
👉 काले माता-पिता की संतान :- गोरी
👉 गोरे माता-पिता की संतान :- काली
👉 मंदबुद्धि माता-पिता की संतान :- बुद्धिमान
👉 बुद्धिमान माता-पिता की संतान :- मंदबुद्धि
भी हो जाती है।
🌹 3. विभिन्नता का नियम :-
बालक अपने माता-पिता से पूरी तरह समान न होकर उनसे कुछ भिन्न भी होते हैं।
एक ही माता-पिता के बालक एक दूसरे से समान होते हुए भी वह बुद्धि , रंग , स्वभाव और आदतों आदि में एक-दूसरे से भिन्न होते हैं।
और कभी-कभी उनमें पर्याप्त शारीरिक / मानसिक भिन्नताएं भी पायी जाती हैं।
👉 इसका कारण बताते हुए सॉरेन्सन ने कहा कि :-
इस विभिन्नता का कारण माता-पिता के उत्पादक कोषों की विशेषता है।
उत्पादक कोष में अनेक तरह के gene / पित्रैक होते हैं जो विभिन्न प्रकार से संयुक्त होकर माता पिता ( एक दूसरे से भिन्न ) , बच्चे का निर्माण करते हैं।
👉 भिन्नता का नियम देने वालों में : –
🍁🍁 डार्विन और लैमार्क ने
अपने अनेक प्रयोग या विचार से बताया है कि उपयोग न करने वाले अवयव , ज्ञान तथा विशेषता का लोप आगामी पीढ़ी आने तक हो जाता है।
जैसे कि :-
👉 मनुष्य की पूंछ का लोप होना , और
👉 सिर को ऊपर करके पत्तियां खाने से जिराफ की गर्दन का लंबा होना।
🌹 4. प्रत्यागमन का नियम :-
इस नियम के अनुसार बच्चों में , अपने माता पिता से विपरीत गुण पाए जाते हैं।
जैसे :-
👉👉 *असुरराज हिरण्यकश्यप के बेटे प्रह्लाद में अपने पिता से विपरीत गुण पाये गये थे।*
🌺 सॉरेन्सन के अनुसार :-
बहुत प्रतिभाशाली माता-पिता के बच्चों में कम प्रतिभा होने की प्रवृत्ति और
बहुत निम्न कोटि के माता-पिता के बच्चों में प्रतिभाशाली होने की प्रवृत्ति ही ” प्रत्यागमन का नियम ” है।
इस नियम के अनुसार बालक अपने माता-पिता के विशिष्ट गुणों का त्याग करके सामान्य गुणों को ग्रहण करता है।
🌿 जिसका कारण है कि :-
👉 माता-पिता के पित्रैक / gene में से एक कम और दूसरा अधिक शक्तिशाली होता है।
👉 माता-पिता में उनके पूर्वजों में से किसी एक का gene बहुत अधिक शक्तिशाली हो जाता है तब ।
Notes by –
✍️ जूही श्रीवास्तव ✍️
🧬 heredity🧬
🧬वंशानुक्रम🧬
💫 विभिन्न मनोवैज्ञानिकों द्वारा दिए गए वंशानुक्रम के लिए कुछ सिद्धांत
🇧🇻 बीज कोष की निरंतरता का सिद्धांत
🇧🇻 समानता का नियम
🇧🇻 विभिन्नता का नियम
🇧🇻 प्रत्यागमन का नियम
💮 बीजकोष की निरंतरता का सिद्धांत
इस सिद्धांत के अनुसार बालक को जन्म देने वाला बीजकोष कभी नष्ट नहीं होता।
इस सिद्धांत के प्रतिपादक बीजमैन कहा कि ,
बीजकोष का कार्य केवल उत्पादक कोषों का निर्माण करना है । जो बीजकोष बालक को अपने माता पिता से मिलता है उसे वह अगली पीढ़ी को स्थानांतरित कर देता है ।
इस प्रकार बीजकोष पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहता है।
💮 समानता का नियम
जैसे माता – पिता होते हैं , वैसी ही उनकी संतान होती है ।
इसे स्पष्ट करते हुए सोरेनसन ने कहा कि,
बुद्धिमान माता-पिता के बच्चे बुद्धिमान, साधारण माता-पिता के बच्चे साधारण और मंदबुद्धि माता-पिता के बच्चे मंदबुद्धि होते हैं ।
इस प्रकार शारीरिक रचना की दृष्टि से भी बच्चे माता-पिता के समान होते हैं ।
यह नियम भी अपूर्ण हैं क्योंकि प्रायः देखा जाता है कि काले माता-पिता की संतान गोरी, गोरे माता-पिता की संतान काली होती है ।
या मंदबुद्धि माता-पिता की संतान बुद्धिमान या बुद्धिमान माता-पिता की संतान मंदबुद्धि होती है।
💮 विभिन्नता का नियम
बालक अपने माता-पिता के बिल्कुल समान ना होकर उनसे कुछ भिन्न होता है।
एक ही माता-पिता के बालक एक दूसरे से समान होते हुए भी बुद्धि , रंग , स्वभाव इत्यादि में एक दूसरे से भिन्न होते हैं।
कभी-कभी उनमें पर्याप्त शारीरिक , मानसिक भिन्नता पाई जाती है ।
इसका कारण बताते हुए सोरेनसन ने कहा कि ,
इस विभिन्नता का कारण वे उत्पादक कोषों की विशेषता है। उत्पादक कोष में अनेक पित्रैक (जीन) होते हैं जो विभिन्न प्रकार से संयुक्त होकर एक दूसरे से भिन्न बच्चे का निर्माण करता है।
✍️ विभिन्नता के नियम देने वाले में डार्विन और लैमार्क ने अनेक प्रयोग या विचार से बताया कि उपयोग ना करने वाले अवयव तथा विशेषता का लोप आगामी पीढ़ी में होता जाता है।
इसका तात्पर्य इस बात से है कि ऐसे अंग या अवयव जिनका प्रयोग हम आगे आने वाले समय पर नहीं करते हैं या नहीं करेंगे उनका धीरे-धीरे लोप होता जाता है ,
जैसे मनुष्य पहले झुक कर चलता था लेकिन धीरे-धीरे उसका काम झुककर बंद हो गया और वह खड़े होकर के चलने लगा, अगर जिस प्रकार हम मोबाइल का इस्तेमाल करते हैं, अपने सर को 24 घंटे नीचे झुका के रखते हैं तो आगे आने वाले दिनों में हमारा सर इसी प्रकार झुक सकता है।
उन्होंने कुछ और उदाहरण दिए जैसे
कि पहले मनुष्यो के पूंछ होती थी लेकिन जैसे-जैसे उन्होंने उस पूंछ का उपयोग बंद कर दिया तो वह पूंछ हमारी लुप्त हो गई इसी प्रकार से अपेंडिक्स है और भी कई अंग है जो मानव के अस्तित्व में अब नहीं है क्योंकि उनका प्रयोग हम इस समय नहीं करते हैं।
💮 प्रत्यागमन का नियम
माता पिता के विपरीत गुण बच्चों में पाए जाते हैं ।
✍️ सोरेनसन
बहुत प्रतिभाशाली माता-पिता के बच्चों में कम प्रतिभा होने की प्रवृत्ति और बहुत निम्न कोटि के माता-पिता के बच्चों में प्रतिभाशाली होने की प्रवृत्ति प्रत्यागमन है ।
इस नियम के अनुसार बालक अपने माता-पिता के विशिष्ठ गुणों का त्याग करके सामान्य गुणों को ग्रहण करता है।
माता पिता के पित्रैक में से एक कम और एक अधिक शक्तिशाली होता है ।
माता-पिता में उनेक पूर्वजों में से किसी एक का पित्रैक अधिक शक्तिशाली हो जाए।
धन्यवाद वंदना शुक्ला