अधिगम के सिद्धान्त – Theories of learning

1 प्रयत्न एवं भूल का सिद्धान्त

अन्य नाम:- उद्दीपन अनुक्रिया सिद्धान्त, अधिगम का बंध सिद्धान्त, एसआर थ्योरी, संबंधवादी, व्यवहारवादी
प्रवर्तक:- एडवर्ड ली थार्नडाइक, अमेरिका
बिल्ली पर प्रयोग
यह सिद्धान्त अभ्यास द्वारा सीखने पर बल देता है। यह गणित और विज्ञान के लिए उपयोगी सिद्धान्त है। इसमें त्रुटियों का निराकरण पर बल दिया जाता है।

2 अनुकूलित अनुक्रिया सिद्धान्त

अन्य नाम:- प्राचीन अनुबंध का सिद्धान्त, शास्त्रीय अनुबंध का सिद्धान्त, संबंद्ध प्रतिक्रिया का सिद्धान्त, कंडीशनल रिस्पोंस थ्योरी
प्रवर्तक:- इवान पैट्रोविच, रूस
कुत्ता पर प्रयोग
यह सिद्धान्त कहता है कि आदतों का निर्माण कृत्रिम उद्दीपकों से संबंद्ध प्रतिक्रिया द्वारा होता है। इसी सिद्धान्त से सम्बद्ध प्रतिवर्त (सहज) विधि का जन्म हुआ। यह सिद्धांत भाषा विकास, मनोवृतियों का निर्माण, बुरी आदतों से छुटकारा पाना, सुलेख, अक्षर विन्यास जैसे विषयों में उपयोगी है। इस सिद्धांत के तहत छोटे बच्चों को वस्तुएं दिखाकर शब्दों का ज्ञान कराया जाता है।

3 अंतदृष्टि या सूझ का सिद्धान्त

अन्य नाम:- गेस्टाल्ट सिद्धान्त, संबंधवादी/व्यवहारवादी
प्रवर्तक:- वर्दिमिर, कोफ्का और कोहलर
वनमानुष सुल्तान चिंपांजी पर प्रयोग
यह सिद्धांत समस्या का हल स्वयं को ही खोजने के लिए प्रेरित करता है।

4 क्रिया प्रसूत अनुबंध का सिद्धांत

अन्य नाम:- सक्रिय अनुबंध का सिद्धान्त, नैमित्तिक अनुबंध, संबंधवादी /व्यवहार वादी
प्रवर्तक:- ब्यूरहस फ्रेडरिक स्किनर
कबूतर, चूहा पर प्रयोग
यह सिद्धांत कहता है कि किसी को पुनर्बलन देकर अच्छे कार्य के लिए प्रेरित किया जा सकता है। यहां सही कार्य के लिए सकारात्मक और गलत कार्य के लिए नकारात्मक पुनर्बलन दिए जाने की बात कही गई है। पुनर्बलन का अर्थ होता है प्रेरक। यह पुरस्कार भी हो सकता है ओर दंड भी।


5 प्रबलन का सिद्धान्त

अन्य नाम:- न्यूनतम आवश्यकता का सिद्धान्त, विधिक सिद्धान्त, संबंधवादी/व्यवहारवादी
प्रवर्तक:- सीएलहल
चूहा पर प्रयोग
इस सिद्धांत में व्यक्तिगत शिक्षा पर बल दिया गया है। सिद्धांत कहता है कि शिक्षक को विषयवस्तु तथा अधिगम को दोहराने पर बल देना चाहिए। इससे बालक की आदतों को बेहतर बनाया जा सकता है।

6 अनुकरण द्वारा अधिगम

प्रवर्तक:- हेगरटी
यह सिद्धांत कहता है कि अधिगम की प्रक्रिया अनुकरण द्वारा भी पूर्ण की जा सकती है। बच्चा जैसा देखता है वैसा ही करने का प्रयास करता है।

7 अधिगम का प्राकृतिक दशा सिद्धान्त

अन्य नाम:- क्षेत्र सिद्धान्त, तलरूप सिद्धान्त
प्रवर्तक:- कुर्टलेविन
यह सिद्धांत कहता है कि शिक्षकों द्वारा विद्यार्थियों को उनकी योग्यता और शक्ति के अनुसार उपयुक्त मनोवैज्ञानिक वातावरण उपलब्ध कराना चाहिए। साथ ही प्राप्त उद्देश्यों को प्रभावी तरीके से निर्देशित किया जाना चाहिए। इस सिद्धांत के तहत व्यवहार पर जोर देते हुए अभिप्रेरणा पर जोर दिया जाता है।

8 स्थानापन्न / प्रतिस्थापन या समीपता का सिद्धांत

प्रवर्तक:- एडविन गुथरी
यह सिद्धांत कहता है कि शिक्षक को उत्तेजना और अनुक्रिया के बीच अधिकतम साहचर्य स्थापित करना चाहिए ताकि अधिगम की प्रक्रिया को और अधिक प्रभावशाली बनाया जा सके।

9 अव्यक्त अधिगम

अन्य नाम:- चिह्न आकार अधिगम, चिह्न पूर्णाकारवाद संभावना सिद्धांत, प्रतीक अधिगम, अप्रकट अधिगम
प्रवर्तक:- एडवर्ड टोलमैन
चूहा पर प्रयोग
यह सिद्धांत कहता है कि सीखना संज्ञानात्मक मानचित्र बनाना है। साथ ही यह भी कहता है कि अध्यापक को चाहिए कि वह उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए इनाम व दंड का प्रयोग करे। उद्देश्य प्राप्त करने का अर्थ है शिक्षा के उद्देश्य प्राप्त करना। बच्चे को सिखाना। इसके लिए अध्यापक इनाम व दंड का प्रयोग कर सकता है।

10 अन्वेषण का सिद्धान्त

प्रवर्तक:- जेराम एस बू्रनर
यह सिद्धांत कहता है कि शिक्षक द्वारा बच्चों में अधिगम के प्रति रुझान पैदा करना चाहिए। इसके लिए विषय वस्तु को क्रमबद्ध रूप से प्रभावी तरीके से बच्चों के सामने प्रस्तुत करना चाहिए।

11 शाब्दिक अधिगम का सिद्धान्त

अन्य नाम:-प्राप्त अधिगम का सिद्धांत
प्रवर्तक:- आसुबेल
यह सिद्धांत विषय वस्तु को विद्यालयी परिस्थितियों में प्रस्तुत करने पर जोर देता है और कॉलेज स्तर के लिए अनुकूल है।

12 अधिगम सोपानिकी सिद्धान्त

प्रवर्तक:- राबर्ट गेने
इस सिद्धांत के अनुसार अधिगम की क्षमताओं के आठ प्रतिमान माने गए हैं।
1 संकेत अधिगम
2 उद्दीपक-अनुक्रिया अधिगम
3 गत्यात्मक शृंखलन
4 शाब्दिक शृंखलन
5 अपवत्र्य विभेदन
6 सम्प्रत्यय अधिगम
7 अधिनियम अधिगम
8 समस्या समाधान
यह सिद्धांत कहता है कि अधिगम प्रभाव संचय होता है और अधिगम का हर प्रकार उत्तरोत्तर सरलतम से जटिलतम अधिगम तक सोपानवत जुड़ा हुआ है। यहां सरलतम से अर्थ संकेत अधिगम और जटिलतम से अर्थ है समस्या समाधान अधिगम।

13 सामाजिक अधिगम सिद्धांत

अन्य नाम:- प्रेक्षणात्मक अधिगम
प्रवर्तक:-अल्बर्ट बंडुरा
यह सिद्धांत कहता है कि व्यक्ति सामाजिक व्यवहारों का प्रेक्षण करता है और फिर वैसा ही व्यवहार करता है। जैसे हम टीवी पर फैशन शो या विज्ञापन देखकर यथावत व्यवहार का प्रयास करते हैं।

Child Development and Pedagogy Important Question Series -2 for CTET, all State TETs, KVS, NVS, DSSSB etc

Child Development and Pedagogy Important Question Series -2 for CTET, all State TETs, KVS, NVS, DSSSB etc

1. In an elementary classroom it is important to ________ the experiences that a child brings with him/her-

  1. Neglect
  2. Deny
  3. Build on
  4. Ignore

Ans- Option C

It is necessary to understand the child’s background and support him/her to build on the experiences that Child have before.

1. एक प्राथमिक कक्षा में उन अनुभवों को ________ करना महत्वपूर्ण है जो एक बच्चा अपने साथ लाता है-

  1. तिरस्कार
  2. ख़ारिज
  3. निर्माणित
  4. नज़रअंदाज

Ans- विकल्प सी

यह आवश्यक है कि बच्चे की पृष्ठभूमि को समझें और उस अनुभव का निर्माण करने में उसका समर्थन करें जो बच्चे के पास है।

( Child Development and Pedagogy: Learning and Pedagogy )

2. The development, proceeds from centre to outwards is known as-

  1. Maturation
  2. Cephalocaudal
  3. Proximodistal 
  4. Conative development

Ans- Option C

According to the principles of child development, the development proceeds from centre to outwards of body this phenomenon is known as proximodistal development. Example- first spinal cord develops then outer parts develop in an embryo.

2. विकास का केंद्र से बाहर की ओर बढ़ना, निम्न के रूप में जाना जाता है-

  1. परिपक्वता का सिद्धांत
  2. सिर से पांव की ओर वृद्धि का सिद्धांत
  3. समीप से दूर का सिद्धांत
  4. क्रियात्मक विकास

Ans- विकल्प C

बाल विकास के सिद्धांतों के अनुसार, इस घटना में केंद्र से शरीर के बाहर तक विकास आगे बढ़ता है, जिसे वृद्धि का समीप से दूर का सिद्धांत कहा जाता है। उदाहरण-एक भ्रूण में पहले रीढ़ की हड्डी विकसित होती है फिर बाहरी भाग विकसित होते हैं।

(Child Development and Pedagogy: Child Development-principles)

3. Who gave the example of Heinz Dilemma in the context of Moral Development-

  1. Jean Piaget
  2. Lawrence Kohlberg 
  3. Lev Vygotsky 
  4. Robert Zajonc 

Ans- Option B

Kohlberg modified and expanded the theory of Jean Piaget’s cognitive development by adding factors of Moral Development on it. The Heinz Dilemma is a thought exercise that is used to study ethics and morality scenarios.

3. नैतिक विकास के संदर्भ में हाइन्ज़ दुविधा का उदाहरण किसने दिया-

  1. जीन पियाजे
  2. लॉरेंस कोहलबर्ग
  3. लेव वायगोत्स्की
  4. रॉबर्ट जाजोंक

Ans- विकल्प B

कोहलबर्ग ने जीन पियाजे के संज्ञानात्मक विकास के सिद्धांत को संशोधित किया और उस पर नैतिक विकास के कारकों को जोड़ दिया। हाइन्ज़ दुविधा एक विचार अभ्यास है जिसका उपयोग नैतिकता और नैतिकता परिदृश्यों का अध्ययन करने के लिए किया जाता है।

( Child Development and Pedagogy:  Piaget, Kohlberg and Vygotsky )

4. Errors of learners often indicate-

  1. How they learn
  2. Socio-economic status of the learners
  3. The need for mechanical drill
  4. Absence of learning

Ans- Option A

Errors of learners show the status of that learner and how he/she is learning the lesson. The Teacher should understand his/her learning problem first and then try to remove the problem calmly

4. शिक्षार्थियों की त्रुटियां अक्सर संकेत देती हैं-

  1. वे कैसे सीखते हैं
  2. शिक्षार्थियों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति का
  3. निरंतर अभ्यास की जरूरत का
  4. सीखने की इच्छा की अनुपस्थिति का

Ans- विकल्प A

शिक्षार्थियों की त्रुटियों से उस शिक्षार्थी की स्थिति का पता चलता है और वह कैसे सीख रहा है इसका ज्ञान भी होता है। शिक्षक को पहले उसकी सीखने की समस्या को समझना चाहिए और फिर धैर्य से समस्या को दूर करने का प्रयास करना चाहिए।

( Child Development and Pedagogy: Child Centred Education and Learning Problems)

5. Which of the following is related to creativity- 

  1. Divergent thinking
  2. Convergent thinking
  3. Emotional thinking
  4. Egoistic thinking

Ans- Option A

Creativity is something which is applied to create new ideas, inventions and discoveries. It should be original. Creativity applies diverse knowledge and thinking capabilities.

5. निम्नलिखित में से कौन सी रचनात्मकता से संबंधित है-

  1. अलग सोच
  2. अभिसारी सोच
  3. भावनात्मक सोच
  4. अहंकारी सोच

Ans- विकल्प A

रचनात्मकता एक ऐसी चीज है जिसे नए विचारों, आविष्कारों और खोजों को बनाने के लिए लागू किया जाता है। यह मूल होना चाहिए। रचनात्मकता विविध ज्ञान और सोच क्षमताओं को लागू करती है।

( Child Development and Pedagogy: Multidimensional Intelligence )

6. Development proceeds from_______ to _______.

  1. Complex, hard
  2. Concrete, abstract
  3. Abstract, concrete
  4. Simple, easy

Ans- Option B

A child learns step by step from simple to complex. So development proceeds from simple(concrete or general) to complex(abstract or specific).

6. विकास _______ से _______ की ओर बढ़ता है।

  1. जटिल, कठोर
  2. साकार, निराकार
  3. निराकार, साकार
  4. सरल, आसान

Ans- विकल्प b

एक बच्चा सरल से जटिल की ओर धीरे धीरे सीखता है। अतः विकास सरल (ठोस या सामान्य) से जटिल (अमूर्त या विशिष्ट) की ओर बढ़ता है।

( Child Development and Pedagogy: Concepts of Development )

7. Inclusive Education assumes that we should change the ________ to fit the ________.

  1. System, child
  2. Environment, family
  3. Child, environment
  4. Child, system

Ans- Option A

Inclusive Education is based on the simple idea that every child should be valued equally with the same opportunities and experiences. Inclusion in education refers to a model wherein special needs students spend most or all of their time with non-special (general education) needs students and participate in everyday activities, just like they would if their disability were not present.

7. समावेशी शिक्षा मानती है कि हमें ________ को स्वस्थ रखने के लिए ________ को बदलना चाहिए।

  1. बच्चे, प्रणाली
  2. पर्यावरण, परिवार
  3. बच्चे, पर्यावरण
  4. प्रणाली, बच्चे 

Ans- विकल्प A

समावेशी शिक्षा सरल विचार पर आधारित है कि प्रत्येक बच्चे को समान अवसरों और अनुभवों के साथ समान रूप से महत्व दिया जाना चाहिए। शिक्षा में समावेश एक ऐसे मॉडल को संदर्भित करता है, जिसमें विशेष आवश्यकता वाले छात्रों को अपना अधिकांश या सभी समय गैर-विशेष (सामान्य छात्रों) के साथ बिताना पड़ता है, छात्रों को रोज़मर्रा की गतिविधियों में भाग लेना पड़ता है, ठीक वैसे ही जैसे कि अगर उनकी विकलांगता मौजूद नहीं होती तब करना पड़ता।

( Child Development and Pedagogy: Inclusive Education )

8. The Rights of Persons with Disabilities Act has been passed on the year- 

  1. 2014
  2. 2015
  3. 2016
  4. 2017

Ans- Option C

The Rights of Persons with Disabilities Act, 2016 is the disability legislation passed by the Indian Parliament to fulfill its obligation to the United Nations Convention on the Rights of Persons with Disabilities, which India ratified in 2007. The Act replaces the existing Persons with Disabilities (Equal Opportunity Protection of Rights and Full Participation) Act, 1995.

8. दिव्यांग अधिकार अधिनियम को पारित किया गया है-

  1. 2014
  2. 2015
  3. 2016
  4. 2017

Ans- विकल्प C

दिव्यांग अधिकार अधिनियम, 2016 वह विकलांगता कानून है, जिसे भारतीय संसद ने विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन के अपने दायित्व को पूरा करने के लिए पारित किया है, जिसे भारत ने 2007 में मंजूरी दे दी थी। अधिनियम विकलांग व्यक्तियों के मौजूदा अधिकारों की जगह लेता है जो कि समान अवसर संरक्षण अधिकार और पूर्ण भागीदारी अधिनियम, 1995 है।

( Child Development and Pedagogy: Inclusive education )

9. The full form of CLL is-

  1. Communicative language library
  2. Communicative language lessons
  3. Communicative language learning
  4. Communicative language liberty 

Ans- Option C

CLL is the method in which students work together to develop the aspects of a language which they would like to learn. Here, the Teacher acts as a counselor while learners act as collaborators or clients. This method is used for beginners to teach speaking and listening skills.

9. सीएलएल (CLL) का पूर्ण रूप है-

  1. संचारी भाषा पुस्तकालय (Communicative language library)
  2. संचारी भाषा पाठ (Communicative language lessons)
  3. संचारी भाषा सीखना (Communicative language learning)
  4. संचारी भाषा की स्वतंत्रता (Communicative language liberty)

Ans- विकल्प C

सीएलएल एक ऐसी विधि है जिसमें छात्र एक भाषा के पहलुओं को विकसित करने के लिए मिलकर काम करते हैं जिसे वे सीखना चाहते हैं। यहाँ, शिक्षक परामर्शदाता के रूप में कार्य करता है जबकि शिक्षार्थी सहयोगी या ग्राहक के रूप में कार्य करते हैं। इस पद्धति का उपयोग शुरुआती स्तर पर लोगों को बोलने और सुनने के कौशल सिखाने के लिए किया जाता है।

( Child Development and Pedagogy: Language and Thought )

10. Continuous and Comprehensive Evaluation is essential for-

  1. Minimizing the accountability of the Board of Education
  2. Comparing the students
  3. Correcting less frequent errors than more frequent errors
  4. Understanding how learning can be observed, recorded and improved

Ans- Option D

Continuous and Comprehensive Evaluation (CCE) is a process of assessment, mandated by the Right to Education Act, of India in 2009. The main aim of CCE is to evaluate every aspect of the child during their presence at the school. The CCE method is claimed to bring enormous changes from the traditional chalk and talk method of teaching, provided it is implemented accurately.

10. सतत और व्यापक मूल्यांकन के लिए आवश्यक है-

  1. शिक्षा बोर्ड की जवाबदेही को न्यूनतम करना
  2. छात्रों की तुलना करना
  3. अधिक लगातार त्रुटियों की तुलना में कम लगातार त्रुटियों को ठीक करना
  4. यह समझना कि अधिगम प्रेक्षण कैसे किया जा सकता है, रिकॉर्ड कैसे किया जा सकता है और बेहतर कैसे किया जा सकता है

Ans- विकल्प D

सतत और व्यापक मूल्यांकन (सीसीई) 2009 में भारत के शिक्षा के अधिकार अधिनियम द्वारा अनिवार्य मूल्यांकन की एक प्रक्रिया है। सीसीई का मुख्य उद्देश्य स्कूल में उनकी उपस्थिति के दौरान बच्चे के हर पहलू का मूल्यांकन करना है। CCE पद्धति का प्रयोग पारंपरिक शिक्षण पद्धति में भारी बदलाव लाने के लिए किया गया है, बशर्ते इसे सही तरीके से लागू किया जाए।

( Child Development and Pedagogy: School-based Assessment )

CDP: Operant Conditioning Theory for CTET, all State TETs, KVS, NVS, DSSSB etc

Operant Conditioning Theory for CTET, all State TETs, KVS, NVS, DSSSB etc

B.F Skinner gave the Operant conditioning theory. It is also known as Theory of Reinforcement.

अधिगम का क्रिया-प्रसूत सिद्धांत (Operant Conditioning Theory) सिद्धांत फेडरिक स्किनर (Burrhus Frederic Skinner) द्वारा दिया गया। इसे पुनर्बलन का सिद्धांत भी कहा जाता है।

Operant conditioning theory is given by-

  1. Skinner
  2. Thorndike
  3. Pavlov
  4. Kohle

Ans- Option A

अधिगम का क्रिया-प्रसूत सिद्धांत किसके द्वारा दिया गया-

A. स्किनर

B. थार्नडाइक

C. पावलोव

D. कोहलर

Ans- विकल्प A

conditioning is a method of learning that occurs through rewards and punishments for behaviour. Through operant conditioning, an individual makes an association between a particular behaviour and a consequence (Skinner, 1938).

By the 1920s, John B. Watson had left academic psychology, and other behaviorists were becoming influential, proposing new forms of learning other than classical conditioning. Perhaps the most important of these was Burrhus Frederic Skinner. Although, for obvious reasons, he is more commonly known as B.F. Skinner.

क्रिया प्रसूत अनुबंधन सिद्धांत के प्रवर्तक हावर्ड विश्वविद्यालय के मनोवैज्ञानिक प्रोफ़ेसर बीएफ स्किनर थे।यह हावर्ड विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान के प्रोफेसर थे।इन्होंने अधिगम की प्रक्रिया को समझने के लिए अनेक पशु पक्षियों पर अपना प्रयोग किया।परंतु चूहे और कबूतर पर किया गया प्रयोग सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है।
स्किनर ने अधिगम से संबंधित प्रयोग के लिए एक समस्यात्मक बॉक्स बनाया। उन्होंने इसका नाम स्किनर बॉक्स रखा। स्किनर ने इस बॉक्स में जालीदार फर्श ,प्रकाश, ध्वनि व्यवस्था, लीवर तथा भोजन तश्तरी आदि रखी। स्किनर बॉक्स लीवर दबने पर प्रकाश या ध्वनि के साथ भोजन तश्तरी सामने आ जाती थी। प्रयोग के लिए स्किनर ने भूखे चूहों के इस बॉक्स में बंद कर दिया।

भूख के कारण कुछ देर तक चूहा इधर-उधर उछल रहा था।और जैसे ही वह उछलता है तो उसे लीवर दब जाता है।और घंटी की आवाज़ के साथ भोजन तश्तरी सामने आ जाती है।और चूहा भोजन खा लेता है।इस प्रकार कुछ प्रयासों के बाद चूहा लीवर दबाकर के,भोजन प्राप्त आसानी से प्राप्त कर लेता है।
उपर्युक्त उपयोगों के द्वारा स्किनर ने यह निष्कर्ष निकाला कि व्यवहार की पुनरावृत्ति व परिमार्जन उसके परिणामों के द्वारा निर्देशित होता है।व्यक्ति व्यवहार को संचालित करता है। जबकि अपने व्यवहार को बनाए रखना उसके परिणाम पर निर्भर करता है।स्किनर ने इस प्रकार के व्यवहार को क्रिया प्रसूत व्यवहार तथा इस प्रकार के व्यवहार को सीखने की प्रक्रिया क्रिया प्रसूत अनुबंधन कहा है।

इस प्रकार इस प्रयोग से समझा जा सकता है।कि चूहे को लीवर दबाने पर भोजन की प्राप्ति नहीं होती।तो वह लीवर दबाने की क्रिया को नहीं सीख पाता।भोजन के रूप में जो पुनर्बलन था उसे प्रेरित कर रहा था।और जिसकी वजह से वह भोजन की प्राप्ति कर सका।

यद्यपि अधिकांश मनोवैज्ञानिक ने इस सिद्धांत की प्रशंसा की है । परंतु कुछ शिक्षण शास्त्रियों ने स्किनर के सिद्धांत की आलोचना भी की है। उन्होंने यह माना है कि यह सिद्धांत एक नियंत्रित परिस्थितियों में किया गया है।और नियंत्रित परिस्थितियों में किए गए इस सिद्धांत के प्रयोग को हम प्राकृतिक परिस्थितियों में कैसे लागू कर सकते हैं।

और उनका यह भी कहना है।कि इस प्रकार के प्रयोग में पशु या अन्य जीव थे। उन पर आधारित नियम सीखने की सामाजिक परिस्थितियों में कैसे उपयोगी हो सकते हैं।इसी प्रकार कार्यात्मक पुनर्बलन प्रणाली मानव की स्वेच्छा, उत्सुकता और क्रियात्मकता पर ध्यान देने में असफल रही है। प्रयोजनमूलक शिक्षण में एक कमी यह है कि विद्यालय की पूर्ण पाठ्यक्रम के प्रोग्राम उपलब्ध नहीं है।