Teaching Skills Notes

शिक्षण कौशल(Teaching Skills)

शिक्षण कौशल क्या है ?

शिक्षण कौशल – प्रत्यक्ष रूप से अध्यापक अधिगम को सरल एवं सहज बनाने के उद्देश्य से किये जाने वाले शिक्षण कार्यों का व्यवहारों का समूह शिक्षण कौशल या अध्यापन कौशल कहलाता है।

शिक्षण एक विज्ञान है। इस आधार पर प्रशिक्षण द्वारा अच्छे शिक्षक तैयार किये जा सकते हैं। उनमें शिक्षण के लिए आवश्यक कौशलों को विकसित किया जा सकता है। इन्हीं कौशलों का उपयोग कर कक्षा में प्रभावी शिक्षण कर अच्छे शिक्षक बन सकते है। अतः शिक्षक प्रशिक्षण में इन कौशलों का विकास महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है।

शिक्षण कौशल की परिभाषाएं (Teaching Skills Definition)

डॉक्टर बी के पासी के अनुसार- “शिक्षण कौशल, छात्रों के सीखने के लिए सुगमता प्रदान करने के विचार से संपन्न की गई संबंधित शिक्षण क्रियाओं या व्यवहारिक का समूह है।”

मेकइंटेयर एवं व्हाइट के अनुसार- “शिक्षण कौशल, शिक्षण व्यवहार से संबंधित वह स्वरूप है ,जो कक्षा की अंतः प्रक्रिया द्वारा उन विशिष्ट परिस्थितियों को जन्म देता है। जो शैक्षिक उद्देश्यों की प्राप्ति में सहायक होती है और सीखने में सुगमता प्रदान करती है।”

डॉ कुलश्रेष्ठ के अनुसार- ” शिक्षण कौशल शिक्षक की हाथ में वह शस्त्र है। जिसका प्रयोग करके शिक्षक अपनी कक्षा शिक्षण को प्रभावी तथा सक्रिय बनाता है एवं कक्षा की अंतर प्रक्रिया में सुधार लाने का प्रयास करता है।”

भारत देश में अध्यापन-कुशलताओं पर कार्य 1972 में आरंभ हुआ और कुछ प्रशिक्षण-महाविद्यालयों ने इस पर अनुसंधान और प्रयोग किए। 1975 तक यहाँ के अनुकूल कुछ कुशलताओं की सूची तैयार की गई।
वह इस प्रकार हैं –

⇒ अध्यापन के उद्देश्य लिखने की कुशलता।
⇔ किसी पाठ की प्रस्तावना करने की कुशलता।
⇒ प्रश्नों में प्रवाह लाने की कुशलता।
⇔ उत्खन्न करने की कुशलता या खोजी प्रश्न करने की कुशलता।
⇒ व्याख्या करने की कुशलता या उदाहरणों द्वारा समझाने की कुशलता।
⇔ उद्दीपनों में विविधता लाने की कुशलता।
⇒ मौन सम्प्रेषण की कुशलता।
⇔ पुनर्बलन की कुशलता।
⇒ छात्रों का प्रतिभागित्व बढ़ाने की कुशलता।
⇔ श्यामपट्ट के उपयोग की कुशलता।
⇒ पाठ के समापन की कुशलता।

शिक्षण कौशल के प्रकार (Types of teaching skills)

प्रमुख शिक्षण कौशल –

  • प्रस्तावना कौशल
  • प्रश्न सहजता कौशल
  • खोजपूर्ण प्रश्न कौशल
  • प्रदर्शन कौशल
  • व्याख्या कौशल
  • प्रबलन कौशल
  • श्यामपट्ट कौशल।

1. प्रस्तावना कौशल

प्रस्तावना कौशल का सम्बन्ध पाठ को प्रारम्भ करने से पूर्व किया जाता है।
इस कौशल से सम्बन्धित सूक्ष्म पाठ तैयार करने के लिये हमें पूर्वज्ञान, सम्बन्ध-शृंखलाबद्धता सहायक सामग्री का ध्यान रखना चाहिए।
प्रस्तावना कौशल में प्रस्तावना अधिक लम्बी या अधिक छोटी नहीं होनी चाहिए। इस कौशल में 5 से 7 मिनट का समय लगता है। प्रस्तावना से बालक पाठ के अध्ययन में रुचि लेगा।
इस कौशल में अध्यापक छात्रों से प्रश्न, कहानी कह कर या किसी का उदाहरण देकर या निदर्शेन से या पाठ का सार या मन्तव्य बताकर इसमें से किसी भी तकनीक या कथन का सहारा ले सकता है।
इसके लिए तीन प्रकार के प्रश्नों का उपयोग भी करता है –

1. प्रत्यास्मरण प्रश्न – ऐसे प्रश्न जिनका जवाब बालक पूर्व ज्ञान पर आधारित एवं आसानी से दे सकें।
2. निबंधात्मक प्रश्न – शिक्षक ही पूछता है एवं स्वयं ही जवाब देता है।
3. आज्ञापालन प्रश्न – जिनका जवाब ’हाँ’ या ’ना’ में दे सके।

2. प्रश्न सहजता कौशल

कक्षा-शिक्षण में प्रश्न पूछने की प्रक्रिया का बङा महत्व है प्रश्न के माध्यम से अध्यापक बालक को अधिक चिन्तनशील बनाता है तथा विद्यार्थियों के ज्ञान, बोध, रुचि, अभिवृत्ति आदि का पता लगाता रहता है। सहज प्रश्न कौशल से अभिप्राय है – प्रश्न एवं शिक्षक की भाषा सहज हो।
शिक्षण प्रक्रिया के आधार पर तीन प्रकार के प्रश्न होते हैं –
(।) प्रस्तावना प्रश्न, (।। ) शिक्षणात्मक प्रश्न (।।। ) परीक्षणात्मक प्रश्न।

अध्यापक को प्रश्न पूछते समय धैर्य तथा सहानूभूतिपूर्ण व्यवहार रखना चाहिए।
विषय-वस्तु व्याकरण की दृष्टि से शुद्ध प्रश्न बालकों से पूछना चाहिए। इसमें गति और विराम का भी ध्यान रखना चाहिए।

इसमें उचित संख्या में प्रश्न होने चाहिए। अध्यापक को सरल एवं स्पष्ट तथा संक्षिप्त प्रश्न पूछना चाहिए।

3. खोजपूर्ण प्रश्न कौशल

शिक्षक अपने विद्यार्थियों से विषय-वस्तु के गहन अध्ययन एवं गहराई तक पहुँचने के लिए विद्यार्थियों से खोजपूर्ण प्रश्न पूछता है।
यह एक ऐसा कौशल है जो विद्यार्थियों की नई खोज, नवीन जानकारी कल्पना करने आदि के लिए प्रेरित करता है।
खोजपूर्ण प्रश्न पूछने से विद्यार्थियों के ज्ञान को काम में लिया जा सकता है।

शिक्षक द्वारा पूछे गये प्रश्न का उत्तर देने में असमर्थता प्रकट करे तो शिक्षक को विषय-वस्तु से सम्बन्धित आलोचनात्मक सजगता के लिए खोजपूर्ण प्रश्न पूछता है।

ध्यान रखने योग्य –

  • छात्रों का ध्यान केन्द्रित करने वाले प्रश्न होना।
  • आगे की सूचना खोजने वाला प्रश्न होगा।
  • अर्थ संकेतकता होना – इसमें छात्र को किस दशा में उत्तर की खोज करनी है।
  • बातों को अन्य की ओर मोङना
  • गलत उत्तर देने पर प्रश्नों के माध्यम से धीरे-धीरे सही उत्तरों की ओर ले जाना।

4. प्रदर्शन कौशल

शिक्षण की सम्पूर्ण प्रक्रिया केवल मौखिक रूप से नहीं चल सकती इसीलिए इस कौशल में किसी विषय-वस्तु को स्पष्ट करने के लिए तथा रोचक बनाने के उद्देश्य से सहायक सामग्री जैसे चित्र, आर्ट आदि से प्रदर्शन किया जाता है।
किसी पदार्थ या उत्पादन के बारे में एक सार्वजनिक प्रदर्शन और उसके मुख्य-मुख्य गुणों, उपयोगिता, कार्य-कुशलता आदि पर जोर देना ही प्रदर्शन है। प्रदर्शन कौशल से पूर्व अध्यापक को प्रशिक्षण की आवश्यकता रहती है।

ध्यान रखने योग्य –

  • बालकों की सहभागिता
  • विषय-वस्तु से सम्बद्धता
  • प्रदर्शन का स्पष्ट उद्देश्य
  • प्रदर्शन की उपयुक्त गति, रोचकता।
  •  छात्रों के स्तर के अनुकूल
  • ध्यान के क्रम, प्रदर्शन, योजनाबद्ध एवं पूर्व अभ्यास किया हुआ हो।

5. व्याख्या कौशल

उच्च कक्षाओं में से गद्य, पद्य कविता आदि का भाव प्रकट करने, अर्थ बताने या अपने विचारों और सिद्धातों को शाब्दिक रूप में पहुँचाना ही व्याख्या कौशल कहलाती है –
थाॅमस एम. रिस्क – ने अपनी पुस्तक ’’Principle and Practices of Teaching in Secondary School’’ ने कहा है कि –
व्याख्यान उन तथ्यों, सिद्धान्तों या अन्य सम्बन्धों का स्पष्टीकरण है, जिनको शिक्षक चाहता है कि उसके सुनने वाले समझे।
व्याख्या – वर्णनात्मक, व्याख्यात्मक, तर्कात्मक
सहायक सामग्री से भी चार्ट, चित्र, टेप रिकाॅर्डर आदि के प्रयोग से या माध्यम से भी व्याख्या की जाती है।

ध्यान रखने योग्य –

  • व्याख्यान की भाषा सरल होनी चाहिए।
  • पाठ की गति प्रारम्भ में मंद फिर सतत् हो।
  •  दृश्य-श्रव्य सामग्री का प्रयोग होना चाहिए।
  •  आवाज का स्पष्ट होना आवश्यक है।
  • निष्कर्षात्मक कथन आवश्यक है।
  • छात्र से जाँच प्रश्न पूछे जाने चाहिए।
  •  उपयुक्त मुहावरों, शब्दों एवं उदाहरणों का प्रयोग
  • कथनों की तारत्मयता, कथन में सहजता होनी चाहिए।

6. प्रबलन कौशल

इसे प्रतिपुष्टि या सुदृढ़ीकरण कौशल भी कहते हैं। प्रबलन का पुनःबल देना है।
सकारात्मक शब्दों, व्यवहार एवं माध्यम से अधिगम की प्रक्रिया से जोङना व रुचि उत्पन्न करने का कार्य करना है। इससे सीखने की प्रक्रिया में गति आती है।

सकारात्मक पुनर्बलन – वह घटना जो किसी उद्दीपन को वैसी ही परिस्थितियों में पैदा करने पर दोबारा अनुक्रिया की सम्भावना बढ़ती है।

नकारात्मक पुनर्बलन – यदि घटना के समाप्त होने पर अनुक्रिया के नहीं होने की सम्भावना बढ़ती है तो इसे नकारात्मक पुनर्बलन कहते हैं।

शाब्दिक सकारात्मक – बालक के सही एवं संतोषजनक उत्तर देने पर अध्यापक द्वारा उसी समय प्रोत्साहन एवं उत्साहवर्द्धक शब्दों का प्रयोग करता है। जैसे- अच्छा, बहुत अच्छा, शाबाश, उत्तम इन सभी क्रियाओं को शाब्दिक सकारात्मक प्रबलन कहते हैं।

सांकेतिक सकारात्मक प्रबलन – शिक्षक छात्र को प्रोत्साहित करने के लिये अशाब्दिक संकेतों का प्रयोग करता है। जैसे- सिर हिलाना, मुस्कुराना, बालक की पीठ थपथपाना आदि।

शाब्दिक नकारात्मक प्रबलन -बालकों के अशुद्ध या असन्तोषजनक उत्तर या कार्य के लिए शिक्षक द्वारा नकारात्मक शब्दों का प्रयोग किया जाता है। जैसे – गलत, ठीक नहीं, रुको, ऐसे नहीं, गोबर गणेश, मूर्ख, बेवकूफ, पागल कहीं का आदि। लेकिन इनके प्रयोग से विद्यार्थियों को यह लगेगा कि अध्यापक कक्षा में उनकी आलोचना कर रहा है अतः इस प्रकार के प्रबलन नहीं देना चाहिए।

सांकेतिक नकारात्मक – बालक के गलत या असंतोषजनक कार्य पर शिक्षक सांकेतिक नकारात्मक पुनर्बलन का प्रयोग करता है, जैस – गुस्से से देखना, आंखें दिखाना आदि।

7. श्यामपट्ट कौशल

शिक्षण प्रक्रिया में श्यामपट्ट का विशेष महत्व है। कक्षा में श्यामपट्ट अध्यापक का मित्र होता है।
शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को सही, प्रभावपूर्ण एवं समुन्नत बनाने के लिये अध्यापक अनेक प्रकार से स्वकौशल का प्रदर्शन श्यामपट्ट के माध्यम से करता है। उदाहरण के लिये कार्टून, चित्र ग्राफ, समय-सारणी आदि का श्यामपट्ट के माध्यम से विद्यार्थियों को अवगत कराना। एक कुशल शिक्षक बिन्दु का नाम लिखना नहीं भूलता तथा प्रमुख बिन्दुओं को भी अंकित करता है।

घटक –

  • स्पष्ट लेखन, स्वच्छ एवं सुन्दर लेखन होना चाहिए।
  • अक्षरों का आकार और लिखने का क्रम सही होना चाहिए।
  • मुख्य बिन्दुओं को रेखांकित करना।
  • शब्दों के बीच में उचित अंतराल होना।
  • श्यामपट्ट का उचित प्रयोग आवश्यक है।
  • चमकदार स्याही से लिखना चाहिए।
  • श्याम के सामने खङा नहीं होना चाहिए।
  • कक्षा की समाप्ति पर श्यामपट्ट को स्वच्छ करना चाहिए।

शिक्षण कौशल से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर (Important questions related to teaching skills)

  • सूक्ष्म- शिक्षण का विकास किसने किया।  – डी.डब्लू.एलेन
  • डॉ.वी.के. पासी ने अपने अध्ययन के आधार पर कितने शिक्षण कौशल की सूची तैयार की थी।– 13
  • शिक्षण कौशल के विकास एवं सुधार की प्रविधि किसे कहा जाता है। –  सूक्ष्म शिक्षण
  • चित्र तथा पोस्टर कौन से साधन/ सामग्री है। –  दृश्य
  • अभिक्रमित अनुदेशन का विकास किसने किया था। –  बी. एफ. स्किनर ने
  • रेखीय विक्रम का प्रतिपादक किसे माना जाता है। –  बी.एफ स्किनर को
  • रेखीय अभिक्रमित अन्य किस नाम से जाना जाता है।  -बाहय अभिक्रम
  • चलचित्र कैसा साधन है। –  दृश्य- श्रव्य
  • ” एजुकेशन टेक्नोलॉजी” शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम किसने किया था। –  ब्रायनमोर जोंस(1967)
  • शैक्षिक तकनीकी  केंद्र किसने प्रारंभ किया था ।–  NCERT नई दिल्ली
  • आधारभूत शिक्षण प्रतिमान किसके द्वारा दिया गया था। –  रॉबर्ट  ग्लेजर
  • शिक्षण मशीन का निर्माण किसके द्वारा किया गया। –  सिडनी एल  प्रेसी(अमेरिका में 1926)
  • “Technology”शब्द की उत्पत्ति किस किस भाषा से हुई है। – Technikos(कला)
  • शिक्षण प्रतिमान के कितने तत्व होते हैं। –  4(उद्देश्य, संरचना, सामाजिक प्रणाली,मूल्यांकन)
  • साखी अभिक्रम का विकास किसके द्वारा किया गया। -नार्मन ए. क्राउडर
  • एलेन  एवं रेयान  ने सूक्ष्म शिक्षण के कितने कौशल बताए हैं। – 14
  • अभिक्रमित अनुदेशन कितने प्रकार के होते हैं। –  3(रेखीय, शाखीय,मैथेटिक्स)
  • OHP  का पूरा नाम है।-Over Head Projector  (ओवरहेड प्रोजेक्टर)
  • सूक्ष्म शिक्षण में एक समय में कितने शिक्षण कौशल का विकास किया जाता है। – एक
  • भारत में दूरदर्शन सेवा का औपचारिक रूप से उद्घाटन कब हुआ। –  15 सितंबर 1959 ई
  • टेलीकॉन्फ्रेसिंग कितने प्रकार की होती है। –  3( टेलीकॉन्फ्रेसिंग, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, कंप्यूटर कॉन्फ्रेंसिंग)
  • श्रव्य दृश्य सामग्री के उपागम के अंतर्गत आती है। –  हार्डवेयर
  • कठोर शिल्प उपागम का संबंध अनुदेशन के किस पक्ष से होता है। – ज्ञानात्मक
  • खोजपूर्ण प्रश्न पूछने से छात्रों में किस का विकास होता है। –  ज्ञानात्मक
  • किस शिक्षण कौशल के अंतर्गत शिक्षक द्वारा हावभाव एवं अपनी स्थिति को बदला जाता है। -उद्दीपन भिन्नता
  • बोध स्तर के शिक्षण प्रतिमान का प्रतिपादन किसके द्वारा किया गया।  –  बी एस ब्लूम
  • एजर डेल के अनुसार किस प्रकार का अनुभव सबसे स्थाई होता है। –  प्रत्यक्ष अवलोकन
  • शिक्षक की योग्यता एवं आचरण का मूल्यांकन सबसे भली प्रकार कौन करता है। –  छात्र/ शिष्य
  • शिक्षण की समस्याओं को हल करने का दायित्व किस का होता है। –  शिक्षक का
  • विद्यालय परिसर के बाहर एक शिक्षक को अपने छात्र से किस प्रकार का व्यवहार करना चाहिए। –  मैत्रीपूर्ण
  • निगमनात्मक शिक्षण प्रविधि किसके अंतर्गत आती है। –  सामान्य से विशिष्ट की ओर
  • अध्यापक के लिए सबसे मूल्यवान वस्तु क्या होती है। –  छात्रों का विश्वास
  • ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों के स्कूल से भागने तथा पढ़ाई छोड़ने का क्या कारण होता है। –  नीरज वातावरण
  • भारत में शिक्षित बेरोजगारी का प्रमुख कारण होता है। –  उद्देश्यहीन शिक्षा
  • किस प्रकार का कक्षा नेतृत्व सबसे उत्तम माना गया है। –  लोकतांत्रिक
  • किसी भी विषय वस्तु को छात्रों को सरलता से सिखाने के लिए आवश्यक गुण अध्यापक के लिए कौन सा है। –  प्रभावी अभिव्यक्ति
  • वर्तमान समय में प्राइमरी शिक्षा की दुर्दशा का मुख्य कारण बतलाइए। –  शिक्षक- छात्र विषम अनुपात
  • छोटे बच्चों की शिक्षा देना जरूरी है, लेकिन बच्चों पर कौन सा बोझ नहीं डालना चाहिए। –  गृह
  • जब छात्र उन्नति करते हैं तो उनका अध्यापक कैसा महसूस करता है। –  आत्म संतोष
  • शिक्षा से किस का कल्याण होता है। –  समाज के सभी वर्गों का
  • यह किसने कहा है कि“ शिशु का मस्तिष्क कोरी स्लेट होता है”।–  प्लेटो ने
  • किस विद्वान के द्वारा सीखने के पांच चरण बतलाए गए हैं। –  हरबर्ट स्पेंसर
  • “  किंडरगाटेर्न ” स्कूल सबसे पहले किस देश में खोले गए थे। –  जर्मनी
  • भाषा सीखने का सबसे प्रभावी उपाय है। – वार्तालाप करना
  • नर्सरी स्कूलों की शुरुआत किसने की थी। –  फ्रोबेल
  • कौन सी शिक्षण विधि वास्तविक अनुभवों को प्रदान करने के लिए उत्तम मानी जाती है। –  भ्रमण विधि
  • किस विद्वान के अनुसार शिक्षा के क्षेत्र में” अभिरुचि” को सबसे महत्वपूर्ण तत्व बताया गया है। –  टी पी नन
  • आज के आवासीय स्कूल किस भारतीय पद्धति के समान है। –  गुरुकुल
  • भारत में स्त्री शिक्षा के महान समर्थक कौन थे। –  कार्वे
  • ज्ञान इंद्रियों का प्रशिक्षण किस प्रकार का होता है। –  अभ्यास द्वारा
  • प्रयोजनवादी विचारधारा के प्रवर्तक थे। –  विलियम जेम्स
  • यह किसने कहा है कि”बच्चों के लिए सबसे उत्तम शिक्षक वह होता है जो स्वयं बालक जैसा हो”। –  मैकेन
  • गणित शिक्षण की कौन सी संप्रेषण रणनीति सर्वाधिक उत्तम उपयुक्त मानी गई है। –  एल्गोरिथ्म
  • एक शिक्षक के घर में किस वस्तु का होना ज्यादा जरूरी है। –  पुस्तकालय
  • किस सिद्धांत द्वारा बालक में रूचि का विकास होता है। –  प्रेरणा का सिद्धांत
  • अधिगम का एक महत्वपूर्ण सिद्धांत बतलाइए। –  क्रिया का सिद्धांत
  • वैदिक काल में परिवार में विद्या का प्रारंभ करते समय कौन सा संस्कार होता था। –  विद्यारंभ संस्कार( चूड़ाकर्म)
  • शिक्षा की अवधि क्या है। –  500 ईसा पूर्व से 1200 तक