Difference in heredity and environment notes by India’s top learners for CTET and all state TET child development and pedagogy

📖 वृद्धि और विकास में संबंध 📖

🌺🌿🌺 वृद्धि और विकास के संबंध में हम सब यह अच्छी तरह से समझते या जानते हैं, कि दोनों ही एक दूसरे के बिना पूर्ण नहीं है। वृद्धि विकास का ही एक भाग है, इनके संबंध में कुछ महत्वपूर्ण भिन्नताऐ निम्नलिखित है।—

  1. वृद्धि परिमाणात्मक है, जबकि विकास गुणात्मक है।
    🍃इसके अंतर्गत हम यह कह सकते हैं, कि वृद्धि में भार, वजन एवं ऊंचाई के आधार पर हम इसकी पहचान कर सकते हैं।
    🍂लेकिन विकास के संबंध में ऐसा नहीं है विकास कार्य कुशलता, दक्षता एवं व्यवहार के आधार पर देखा जाता है। इसमें भार, वजन व ऊंचाई का कोई संबंध नहीं होता है।
  2. वृद्धि सीमित समय के लिए होती है, जबकि विकास विस्तृत अर्थ रखता है।
    🍃वृद्धि एक समय के बाद रुक जाती है अतः वृद्धि सीमित होती है। एक स्थिति आने के बाद में वृद्धि अपनी पूर्णता को प्राप्त कर लेती है। यह संपूर्ण विकास की प्रक्रिया का केवल एक चरण मात्र है।
    🍂लेकिन विकास सीमित नहीं होता है, इसका क्षेत्र बहुत विस्तृत होता है। वृद्धि विकास का ही एक भाग है। विकास व्यक्ति में होने वाले सभी परिवर्तनों को प्रकट करता है। यह संकुचित नहीं होता है। वृद्धि के अलावा भी विकास में कई और अन्य चरण समाहित है।
  3. वृद्धि परिपक्वता के साथ खत्म हो जाती है, जबकि विकास निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है। यह जीवन पर्यंत चलती रहती है।
    🍃 वृद्धि का एक समय निश्चित होता है, उस समय के पूर्ण होने पर वृद्धि समाप्त हो जाती हैं। अतः वृद्धि परिपक्वता तक पहुंचने के पश्चात पूर्ण हो जाती है। परिपक्वता के बाद व्यक्ति के जीवन में वृद्धि का कोई संबंध नहीं होता है, यह संबंध केवल परिपक्वता तक ही होता है।
    🍂 लेकिन विकास एक जीवन पर्यंत चलने वाली निरंतर प्रक्रिया है। जो कि मृत्यु के पश्चात ही समाप्त होती है। जब तक मनुष्य का जीवन चलता रहता है। उसके साथ साथ विकास भी चलता रहता है। विकास कभी न समाप्त होने वाली प्रक्रिया है। मनुष्य का विकास प्रत्येक क्षण में होता ही रहता है।
  4. वृद्धि में होने वाले परिवर्तन दिखाई देते हैं अतः वृद्धि प्रत्यक्ष होती है बल्कि विकास में होने वाले परिवर्तन दिखाई नहीं देते हैं अतः विकास अप्रत्यक्ष होता है।
    🍃 वृद्धि में होने वाले परिवर्तन दिखाई देते हैं, अर्थात वृद्धि के अंतर्गत वजन, ऊंचाई, आकार इत्यादि हमें प्रत्यक्ष रुप से दिखाई देते हैं। हम इनको देख पाते हैं। उसके पश्चात हम यह भी कह सकते हैं, कि इस को मापा जा सकता है। अतः वृद्धि प्रत्यक्ष होती है।
    🍂 लेकिन विकास के संदर्भ में हम ऐसा नहीं कह सकते हैं। विकास दिखाई नहीं देता है, बल्कि महसूस किया जा सकता है। यह अप्रत्यक्ष होता है। इसको प्रत्यक्ष देखना कठिन है, बल्कि इसमें व्यवहार का निरीक्षण करके हम इसे ज्ञात कर सकते हैं। इसके माध्यम से हम कह सकते हैं, कि व्यक्ति अपना विकास कर रहा है। अर्थात उच्च स्थिति को प्राप्त कर रहा है। सम्मानित स्थिति को प्राप्त कर रहा है। 👆🏻 उपरोक्त तथ्यों से यह स्पष्ट किया जा सकता है कि वृद्धि और विकास में काफी हद तक विभिन्नताएं पाई जाती है। यह समान नहीं होते हैं, इन तथ्यों के माध्यम से हम इनको पूर्णता स्पष्ट कर सकते हैं। 🌷🌻🌿🌻🌷 विकास के कारण 🌷🌻🌿🌻🌷

🎀 विकास के दो कारण हैं, परिपक्वता और अधिगम।

👉🏻 परिपक्वता~
🍁 परिपक्वता का संबंध वंशानुक्रम से होता है।
वंशानुक्रम अर्थात वह गुण जो बालक को उसके माता-पिता से प्राप्त होते हैं, उन्हें गुणों के माध्यम से बालक के अंदर परिपक्वता होती है। वह वृद्धि के लिए आगे बढ़ता है।

🍁 परिपक्वता का अर्थ आंतरिक अंगों का प्रौढ या बूढ़ा होना है।
आंतरिक अंगों का प्राण या बूढ़ा होने का अर्थ है, कि बालक के शारीरिक अंग जो कि विकसित हुए थे। जिन्हें हम देख सकते हैं, वह एक निश्चित समय के बाद बूढ़े होने लगते हैं। या कमजोर होने लगते हैं।

🍁 उन गुणों का विकसित होना जो, कि उसे उसके वंशानुक्रम से प्राप्त हुए हैं।
बालक के वह गुण जो कि उसे उसके पूर्वजों से प्राप्त हुए हैं, जिसके अंतर्गत हम बालक का रंग उसका आकार एवं उसकी ऊंचाई इत्यादि को रखते हैं। इन सब की वृद्धि काफी हद तक बालक के वंशानुक्रम पर निर्भर करती हैं।

🍁 परिपक्वता की जो प्रक्रिया है। वह तब तक चलती रहती है जब तक की दृढ़ता और पूर्णता पूर्ण रूप से पाना ले।
लेकिन एक समय के पश्चात यह धीरे-धीरे घटने लगती है जैसा कि हम पूर्व में ही स्पष्ट कर चुके हैं कि परिपक्वता एक समय के बाद रुक जाती है और फिर धीरे-धीरे घटने लगती है।

🍁 परिपक्वता विकास की आंतरिक प्रक्रिया है, इसके कारण बच्चे का शारीरिक अवयव (जो कि शरीर का भाग है) मे नई क्रियाएं सीखने की क्षमता होती है।
बालक में परिपक्वता आने पर बालक अपने कई शारीरिक अंगों का प्रयोग करके नए कार्य करता है। अर्थात वह अपने आप से कई कार्यों को पूर्ण करने लगता है, जिसमें बालक भोजन करना, स्कूल जाना, खेलना इत्यादि क्रियाएं बालक अपने शरीर के अंगों के माध्यम से ही करता है।

👉🏻 अधिगम~
अपने वातावरण के साथ सामंजस्य स्थापित करते समय व्यक्ति के शारीरिक व मानसिक क्रियाओं में जो परिवर्तन होते हैं, उसे ही अधिगम या सीखना कहते हैं।
बालक या व्यक्ति अपने जीवन में जो भी कार्य करता है, या जो भी परिवर्तन करता है। वह सभी सीखने के अंतर्गत आता है। बालक प्रत्यक्षण जो नई क्रियाएं करता है, वही सीखना है। उन क्रियाओं के द्वारा बालक के जीवन में जो भी परिवर्तन होते हैं, वह सभी सीखना है। उसकी आदत में परिवर्तन, उसके कार्य करने की स्थिति में परिवर्तन, उसके ज्ञान में परिवर्तन इत्यादि सभी को हम अधिगम के अंतर्गत ही रखते हैं।

🌿🌻🌺🌻🌿परिपक्वता व अधिगम में संबंध🌿🌻🌺🌻🌿
अधिगम एवं परिपक्वता में काफी हद तक विभिन्नताएं होती हैं, इसके पश्चात भी यह दोनों एक दूसरे से संबंधित है। जिनके संबंध में कुछ तथ्य निम्नलिखित हैं:-

👉🏻 परिपक्वता का अधिगम दोनों में घनिष्ठ संबंध होता है।
👉🏻 अधिगम व परिपक्वता परस्पर एक दूसरे के पूरक हैं।
👉🏻 परिपक्वता का अधिगम दोनों ही एक दूसरे को प्रभावित करते हैं।
👉🏻 विकास के अंतर्गत परिपक्वता अधिगम दोनों ही महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। अतः परिपक्वता वंशानुक्रम से एवं अधिगम वातावरण से संबंधित है। 📚📗 समाप्त 📗📚

✍🏻 PRIYANKA AHIRWAR ✍🏻

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🔰 वृद्धि एवं विकास🔰

👉 वृद्धि:- विभिन्न अंगों का बढ़ना वृद्धि को दर्शाता है वृद्धि में भार वचन ऊंचाई की वृद्धि होती है वृद्धि सीमित समय के लिए होती है परिपक्वता के साथ वृद्धि रुक जाती है वृद्धि वाले परिवर्तनों को हम सामान्यता देख सकते हैं इसमें हमारा शरीर अर्थात शरीर के अंग बड़े होते है
वृद्धि परिमाणात्मक होती है
वृद्धि को नापातोला जा सकता है
वृद्धि संवेग के संप्रत्यय है

👉 विकास:- इसमें कार्यकुशलता क्षमता व्यवहार आदि का विकास होता है
यदि हम किसी प्रकार की ख्याति प्राप्त कर लेते हैं तो हम कह सकते हैं कि हमारा विकास हुआ है
विकास में गुणात्मक परिवर्तन होता है
विकास गर्भावस्था से लेकर मृत्यु पर्यंत तक चलता है
विकास विस्तृत अर्थ रखता है वृद्धि इसका भाग है यह व्यक्ति में होने वाले सभी परिवर्तन प्रकट
करता है
विकास अप्रत्यक्ष होता है इसे प्रत्यक्ष देखना कठिन है परंतु व्यवहार का निरीक्षण करके देखा जा सकता है
संवेगात्मक बृद्धि नैतिक मानसिक तथा शारीरिक पक्ष में वृद्धि होती है
विकास को मापा नहीं जा सकता

विकास का कारण
1 परिपक्वता heredity
2 अधिगम एनवायरमेंट
परिपक्वता का अर्थ:- आंतरिक अंगों का बूढ़ा होना या प्रौढ़ होना परिपक्वता कहलाता है उम्र के साथ-साथ हमारे अंगों अंगों में शिथिलता आने लगती है और हमारे आंतरिक अंग धीरे-धीरे कमजोर होने लगते हैं अर्थात वह प्रौढ़ता की ओर कदम बढ़ा लेते हैं

वैसे गुणों का विकसित होना जो वंशानुक्रम से मिले हैं :- वंशानुक्रम से हमें अनेक प्रकार के गुण मिलते हैं जब यह गुण अच्छी तरह से विकसित हो जाते हैं तब हम इन्हें परिपक्वता की अवस्था कह सकते हैं
इसमें तब तक वृद्धि होती है जब तक दृढ़ता और प्रोढता पूर्ण रूप से नहीं पा लेता

परिपक्वता विकास की आंतरिक प्रक्रिया है इसके कारण बच्चे के शारीरिक अवयव में नई क्रिया सीखने की क्षमता आती है 🔰 अधिगम एनवायरमेंट 🔰

वातावरण के साथ जो सामंजस्य स्थापित करते समय व्यक्ति की शारीरिक मानसिक क्रिया में जो परिवर्तन होता है उसे अधिगम या सीखना बोलते हैं

परिपक्वता और अधिगम में घनिष्ठ संबंध है दोनों एक दूसरे के पूरक हैं दोनों का प्रभाव दोनों पर पड़ता है विकास के अंतर्गत दोनों महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं

अधिगम सिर्फ किसी चीज को जान लेना नहीं होता उसे आत्मसात करना या उसे महसूस करना है

👉 परिपक्वता वंशानुक्रम से अधिक वातावरण से संबंधित है🙏🙏🙏 Sapna Sahu 🙏🙏🙏

📚 वृद्धि एवं विकास में अंतर📚

🌺🌿🌺 वृद्धि और विकास में संबंध होने के साथ-साथ अनेक विभिन्नताएं भी हैं जो इन्हें एक दूसरे से भिन्न करती है लेकिन ये दोनों एक दूसरे को पूर्ण भी करते हैं।

🍃वृद्धि और विकास में निम्नलिखित अंतर है➖

1️⃣ वृद्धि (growth) परिमाणात्मक होता है (मात्रा, भार, लंबाई, चौड़ाई, ऊंचाई, आकार में वृद्धि)

जबकि विकास (development) गुणात्मक होता है (कार्यकुशलता ,क्षमता ,व्यवहार, मानसिक वृद्धि ,संवेगात्मक , क्रियात्मक ,संज्ञानात्मक, भाषागत एवं सामाजिक विकास इत्यादि)

2️⃣ वृद्धि सीमित होता है, जबकि विकास विस्तृत अर्थ रखता है।

3️⃣ वृद्धि संपूर्ण विकास की प्रक्रिया का बस एक चरण है, जबकि
वृद्धि विकास का भाग है यह व्यक्ति में होने वाले सभी परिवर्तन प्रकट करता है।

4️⃣ वृद्धि परिपक्वता के साथ खत्म हो जाती हैअर्थात वृद्धि एक समय के बाद रुक जाती है,

जबकि विकास निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है अर्थात विकास जीवन पर्यंत होते रहता है।

5️⃣ वृद्धि में होने वाले परिवर्तन समान्यत: दिख जाते हैं जैसे किसी व्यक्ति में लंबाई ,वजन ,ऊंचाई ,मोटापा में वृद्धि होता है तो आसानी से देखा जा सकता है

जबकि विकास अप्रत्यक्ष नहीं दिखता है विकास के फलस्वरूप होने वाले परिवर्तन को प्रत्यक्ष देखना कठिन होता है इसे देखने के लिए किसी व्यक्ति के व्यवहार का निरीक्षण करना अत्यंत आवश्यक है।

6️⃣ वृद्धि होने का अर्थ संख्या या आकार में बढ़ना है

जबकि विकास का अर्थ किसी की क्षमता व जरूरतों को पूरा करने की ललक को बढ़ाने के साथ ही उनकी आवश्यकताओं को विधिक बनाना भी है जो कि मात्र उनसे संबंधित ना होकर सभी के लिए हो।

7️⃣ वृद्धि पर अनुवांशिकता का सकारात्मक एवं नकारात्मक दोनों प्रकार के प्रभाव पड़ते हैं

जबकि विकास अनुवांशिकता और वातावरण दोनों का प्रभाव पड़ता है।

8️⃣ वृद्धि को हम माप भी सकते हैं ,
जबकि विकास को सामान्यतः मापना कठिन है।

9️⃣ वृद्धि की प्रक्रिया आंतरिक एवं बाह्य दोनों रूप में होता है ,
जबकि विकास की प्रक्रिया आंतरिक रूप में होता है।

उपर्युक्त अंतर को देखते हुए यह कह सकते हैं कि वृद्धि और विकास एक दूसरे से भिन्न है लेकिन व्यवहारिक दृष्टिकोण से देखें तो इन दोनों के अलग अलग रास्ते होते हुए भी वृद्धि विकास के अंदर समाहित होता है और वृद्धि, विकास का ही एक भाग है।

🍃 विकास के कारण 🍃

विकास के मुख्यतः दो कारण हैं परिपक्वता और अधिगम।

परिपक्वता( heredity) ➖ परिपक्वता का संबंध अनुवांशिकता या वंशानुक्रम से होता है। परिपक्वता वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा शारीरिक संरचनाओं के विकास और विकास के परिणाम स्वरूप व्यवहार को संशोधित किया जाता है। परिपक्वता व्यक्तिगत विकास और विकास के साथ ही आती है।

☘️ आंतरिक अंगों का प्रौढ़ या बूढ़ा होना ➖ किसी व्यक्ति के आंतरिक अंगों का प्रौढ़ या बूढ़ा होना का अर्थ यह है कि व्यक्ति के शारीरिक अंगों में जो विकास हुआ है जिसे हम देख सकते हैं वह एक निश्चित समय के बाद विकास कमजोर या रुक जाते हैं।

☘️ किसी व्यक्ति के ऐसे गुणों का विकसित होना जो वंशानुक्रम से मिले हैं➖ किसी व्यक्ति के ऐसे गुण जैसे रंग ,रूप, आकार ,ऊंचाई ,वजन इत्यादि जो भी माता पिता से विरासत में प्राप्त हुए हैं इन सब की वृद्धि व्यक्ति की अनुवांशिकता पर निर्भर करती है।

(जैसे 18 से 25 साल में व्यक्ति जवानी में प्रौढ़ता पूर्ण रूप से पा लेते हैं। ऐसा कह सकते हैं कि ना तो समय के पहले और ना तो समय के बाद परिपक्वता सही है)

☘️ परिपक्वता विकास की एक आंतरिक प्रक्रिया है इसके कारण बच्चे का शारीरिक अवयव में नई क्रिया सीखने की क्षमता आती है➖ परिपक्वता विकास की एक आंतरिक प्रक्रिया है परिपक्वता आने से ही बालक शारीरिक क्रियाएं जैसे खेलना ,कूदना इत्यादि नई क्रियाएं सीखता है बालक में किसी भी नई क्रिया को सीखने की क्षमता परिपक्वता से ही आती है।

🌺 अधिगम ➖ अधिगम का संबंध वातावरण से होता है।

वातावरण के साथ सामंजस्य स्थापित करते समय व्यक्ति की शारीरिक और मानसिक क्रियाओं में जो परिवर्तन होता है उसे अधिगम या सीखना कहते हैं

जैसा कि हम जानते हैं कि मनुष्य जन्म के उपरांत ही सीखना प्रारंभ कर देते हैं वह जीवन भर कुछ न कुछ सीखता है और क्रियाएं करता है धीरे-धीरे वह वातावरण से समायोजित करने का प्रयत्न करता है सीखने की प्रक्रिया में व्यक्ति अनेक क्रियाएं एवं उप क्रियाएं भी करता है अतः वातावरण का अधिगम की क्रिया में महत्वपूर्ण योगदान होता है।

🍂 परिपक्वता और अधिगम में संबंध➖ परिपक्वता और अधिगम में घनिष्ठ संबंध है यह एक दूसरे से परस्पर संबंधित होते हैं परिपक्वता और अधिगम एक दूसरे के पूरक हैं दोनों का प्रभाव एक दूसरे पर पड़ता है विकास के अंतर्गत दोनों ही महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं परिपक्वता सीखने की प्रक्रिया को प्रभावित करता है

✔️परिपक्वता व्यक्ति के भीतर से आती है क्योंकि यह बढ़ता और विकसित होता है जबकि सीखना अनुभव ज्ञान और अभ्यास से होता है।

उदाहरण के लिए ऐसे समझ सकते हैं की जैसे 2 साल का बालक किताब पढ़ना नहीं सीख सकता जब तक वह परिपक्व ना हो जाए जबकि जरूरी नहीं है कि 2 साल के बच्चे को मांसपेशियों तथा अंगों के विकास के लिए सीखना पड़े।

उपर्युक्त तथ्यों से यह निष्कर्ष निकलता है कि अगर परिपक्वता और अधिगम दोनों में से एक नहीं होगा तो विकास भी नहीं होगा।

☘️🍂manisha gupta 🍂☘️

⭐🍁⭐🍁⭐ वृद्धि और विकास⭐🍁⭐🍁⭐

🎯 वृद्धि :–
वृद्धि परिमाणात्मक होती है इसके अंतर्गत बजन ,भार ,ऊंचाई शारीरिक बाहरी कारक आते हैं
वृद्धि सीमित समय के लिए होती है संपूर्ण विकास की प्रक्रिया का बल एक चरण है
वृद्धि का क्षेत्र सीमित होता है वृद्धि एक समय पर रुक जाती है परिपक्वता के साथ वृद्धि रुक जाती है वृद्धि परिपक्वता के साथ खत्म हो जाती है वृद्धि संवेग के संप्रत्यय है

🎯 विकास:—

विकास से आता है इसमें कार्यकुशलता क्षमता व्यवहार आदि का विकास होता है विकास गुणात्मक परिवर्तन है विकास निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है विकास कभी खत्म नहीं होता है विकास विस्तृत अर्थ रखता है इसका भाग है या व्यक्ति में होने वाले परिवर्तन को प्रकट करता है विकास अप्रत्यक्ष होता है इसे प्रत्यक्ष देखा नहीं जा सकता है परंतु व्यवहार का निरीक्षण करके देखा जा सकता है विकास संवेगात्मक वृद्धि नैतिक मानसिक तथा सहायक पक्ष में वृद्धि होती है और विकास को मापा नहीं जा सकता है

🌺🌺 विकास के कारण🌺🌺

⭐ परिपक्वता heredity/ वंशानुक्रम

⭐ अधिगम एनवायरमेंट/ वातावरण

🎆 परिपक्वता का अर्थ है परिपक्वता वंशानुक्रम से आती है इसमें आंतरिक अंगों का प्रौढ़ बूढ़ा होना या उसके वैसे गुणों का विकसित होना जो वंशानुक्रम से मिले हैं मनुष्य के उम्र के साथ-साथ कमजोर होने लगते हैं वह धीरे-धीरे प्रौढ़ता की ओर बढ़ते जाते है
जब यह गुण अच्छी तरह से विकसित हो जाते हैं

तब हम उन्हें परिपक्वता की अवस्था कहते हैं

गुणों का विकसित होना जो वंशानुक्रम से मिलते हैं
एक जटिल परिस्थिति में जब तक बढ़ती जाती है तब तक दृढ़ता और प्रौढ़ता पूर्ण रूप से नहीं पा लेते है
परिपक्वता विकास की आंतरिक प्रक्रिया है इसके कारण बच्चे का शारीरिक अवयव ( शरीर के भाग)
नहीं क्रिया सीखने की क्षमता आती है

🎆अधिगम:—

अधिगम पर्यावरण से प्रभावित होता है यह कभी कम या ज्यादा हो जाता है अधिगम वातावरण के साथ जो सामंजन स्थापित करते समय व्यक्ति की शारीरिक व मानसिक प्रक्रिया में जो परिवर्तन होता है उसे अधिगम कहते हैं
बालक क्या व्यक्ति अपने जीवन में जो कार्य करते हैं और उसमें जो भी परिवर्तन होता है उसे हम सीखना या अधिगम कहते हैं
बालक प्रत्यक्ष रूप से जो नई क्रिया को करता है
या उन क्रियाओं को सीखता है उनकी आदत में परिवर्तन उसके कार्य करने की स्थिति में परिवर्तन आदि से हम कह सकते हैं कि इसके अंदर का अधिगम या सीखना आता है

⭐🍁⭐ परिपक्वता व अधिगम में संबंध⭐🍁⭐

🎯परिपक्वता और अधिगम एक दूसरे के पूरक होते हैं

🎯 अभी काम और परिपक्वता का घनिष्ठ संबंध होता है

🎯 अधिगम और परिपक्वता दोनों को प्रभाव एक दूसरे का पड़ता है

🎯 विकास के अंतर्गत दोनों का महत्वपूर्ण स्थान होता है

🎯 परिपक्वता वंशानुक्रम से आती है और अधिगम वातावरण से संबंधित है
हम कह सकते हैं कि अधिगम और परिपक्वता दोनों की आवश्यकता होती है मानव विकास के लिए इन दोनों के बिना मानव विकास संभव नहीं है परिपक्वता एवं अधिगम में काफी हद तक भिन्नता होती हैं

✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻Menka patel ✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻

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🔆 वृद्धि और विकास में अंतर (Growth and Development)

🌀 वृद्धि क्या है:(what is growth)
बालकों की शारीरिक संरचना का विकास जिसके अंतर्गत लंबाई, भार और मोटाई तथा अन्य अंगों का विकास आता है इस प्रकार का विकास वृद्धि के अंतर्गत आता है। वृद्धि की प्रक्रिया आंतरिक एवं बाहरी दोनों रूपों में होती है। वृद्धि भी एक निश्चित आयु तक होती है।वृद्धि पर अनुवांशिकता का सकारात्मक एवं नकारात्मक दोनों प्रकार से प्रभाव पड़ता है।

🌀 विकास क्या है (what is development)

विकास की प्रक्रिया पूरी जीवन भर चलती है। विकास की प्रक्रिया में बालक का शारीरिक, क्रियात्मक, संज्ञानात्मक ,भाषागत, संवेगात्मक एवं सामाजिक विकास होता है। बालक में क्रमबद्ध रूप से होने वाले सुसंगत परिवर्तन की क्रमिक श्रंखला को ही विकास कहते हैं।

🔆 वृद्धि और विकास में अंतर (Difference between growth and development)

▪️1 वृद्धि परिमाणात्मक
(quantitative) परिवर्तन है जबकि विकास गुणात्मक (qualitative) परिवर्तन है।

व्यक्ति की वृद्धि को अर्थात ऊंचाई, चौड़ाई,वजन और मोटाई को मापा जा सकता है लेकिन व्यक्ति की कार्यकुशलता, व्यवहार, कार्य क्षमता, विकास को मापा नहीं जा सकता।

▪️2 वृद्धि सीमित समय के लिए होती हैं जबकि विकास असीमित समय तक होता है।
संपूर्ण विकास की प्रक्रिया का वृद्धि बस एक चरण या भाग मात्र है जबकि विकास विस्तृत अर्थ रखता है। विकास व्यक्ति में होने वाले सभी परिवर्तनों को प्रकट करता है।

▪️3 वृद्धि परिपक्वता के साथ खत्म हो जाती है जबकि विकास निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है।

▪️4 वृद्धि के दौरान होने वाले परिवर्तन में सामान्यत: दिख जाते हैं जबकि विकास के फल स्वरुप होने वाले परिवर्तनों को देखना कठिन है।
दूसरे रूप में हम कह सकते हैं वृद्धि प्रत्यक्ष दिखाई देती है जबकि विकास अप्रत्यक्ष होता है, जिसमें व्यवहार को देखकर निरीक्षण किया जाता है।

वृद्धि एवं विकास एक दूसरे से भिन्न या अलग है लेकिन व्यवहारिक दृष्टिकोण की दृष्टि से अलग-अलग रहते हुए दोनों एक दूसरे में समाए हुए हैं।

विकास का कारण दो रूप से होता है।
1 परिपक्वता (Maturity)
2 अधिगम (Learning)

परिपक्वता व अधिगम को निम्नानुसार समझा जा सकता है।

🔅 1 परिपक्वता(Maturity)

इसका संबंध अनुवांशिकता (Heridity) से है।

▪️”हमारे जो आंतरिक अंग है उनका बूढ़ा होना या प्रौढ होना ही परिपक्वता है।”

व्यक्ति की गर्भ से लेकर बुढ़ापा तक की अवस्था तक पहुंचते पहुंचते सभी आंतरिक अंग प्रोढ़ या बूढ़े या परिपक्व होते जाते है यही परिपक्वता कहलाती है।
▪️परिपक्वता में वैसे गुणों का विकास होता है जो वंशानुक्रम से मिले हैं।
▪️जब व्यक्ति जवान होता है तो उसके आंतरिक अंगों धीरे धीरे बूढ़े होते जाते हैं । इसे बदला रोका नहीं जा सकता।
▪️बालक के विकास की परिपक्वता जन्म से लेकर तब तक चलती रहती है जब तक कि उसकी मांसपेशियां बढ़ती है और वह जब तक एक परिपक्व या पूर्ण अवस्था तक नहीं पहुंच जाती।

▪️परिपक्वता विकास की आंतरिक प्रक्रिया है उसके कारण बच्चे का जो शारीरिक अवयव या भाग या कोशिका में नई क्रिया सीखने कि क्षमता आती है।

▪️परिपक्वता व्यक्ति के शारीरिक विकास के साथ-साथ मानसिक विकास से भी जुड़ी होती है।

▪️व्यक्ति का यदि मानसिक विकास हो जाए लेकिन शारीरिक विकास ना हो पाए तो वह किसी भी कार्य को स्वयं से करके (प्रैक्टिकली) ही नहीं सीख पाएंगे।
जैसे यदि कोई बच्चे का मानसिक विकास हुआ है लेकिन शारीरिक विकास नहीं हुआ तब इस स्थिति में उसे कोई कार्य करने के लिए जैसे पानी लाने के लिए बोला जाए तो वह खुद से पानी नहीं ला सकता।
हर मानसिक विकास का संतुलन शारीरिक विकास के साथ बना होता है और जब भी कभी यह संतुलन बिगड़ता है तो व्यक्ति को शारीरिक विकास में समस्या आती है।

▪️बच्चे के शारीरिक विकास की क्षमता के हिसाब से ही सीखने की क्षमता आती है ।जैसे हम बताते हैं कि बच्चा बाल्यअवस्था में कुछ सीखता है, कुछ किशोरावस्था में सीखता है अर्थात यहां पर हम शारीरिक विकास के हिसाब से मानसिक विकास को बताते हैं लेकिन जब यह मानसिक और शारीरिक विकास परिवर्तन ठीक समय पर नहीं होता या इसका संतुलन बिगड़ता है तो परेशानी आती है ।

▪️आजकल कुछ बच्चों का मानसिक विकास बहुत जल्दी हो जाता है अर्थात शारीरिक विकास से पहले हो जाता है या शारीरिक विकास उसे मदद या सहयोग नहीं कर पाता तब ऐसे बच्चों को समस्या आती है।
जैसे –
*यदि कोई परिपक्व व्यक्ति कुछ नशीले पदार्थों का सेवन करता है तो उसके शरीर की शारीरिक क्षमता या हार्मोनल कोऑपरेटिव के कारण वह उसे संतुलित कर लेते हैं।

*लेकिन ऐसी स्थिति में जब 11 वर्ष का बालक इन पदार्थों का सेवन करता है तो उस बालक की शरीर की एंटीबायोटिक क्षमता या हारमोनस कॉपरेटिव ना होने के कारण उसे संतुलित नहीं कर पाती है या उसका असर हो जाता है।

▪️यह कार्य या सेवन दोनों ही व्यक्तियों के लिए गलत है लेकिन अधिक उम्र वाले व्यक्ति का शरीर उसे रेसिस्ट कर पाता है जबकि कम उम्र वाले व्यक्ति का शरीर उसे resist नहीं कर पाता जिसकी वजह से समस्या आती है।

▪️यदि कोई भी कार्य परिपक्वता से पहले या परिपक्वता हो रही होती है या पूरी नहीं हुई होती तब हम परिपक्वता पूर्ण जैसे कार्य करते हैं तो उसका हानिकारक प्रभाव हमारे शरीर पर पड़ता है ।

▪️यदि किसी भी प्रकार का मानसिक परिवर्तन पहले हो जाता है तो शारीरिक विकास उस हिसाब से रिएक्ट नहीं करता तो ऐसी स्थिति में परेशानी आती है यह हमारे शरीर पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है।

▪️समय के साथ-साथ अर्थात मानसिक विकास के साथ साथ ही शारीरिक विकास होता है तब वह संतुलित बना रहता है। मानसिक परिपक्वता भी शारीरिक परिपक्वता को प्रभावित करती है।

🔆 अधिगम(Learning)

▪️ इसका संबंध वातावरण (Environment) से हैं।
अधिगम वातावरण से प्रभावित होता है।

▪️”वातावरण के साथ सामंजस्य स्थापित करते समय व्यक्ति की शारीरिक व मानसिक क्रियाओं में जो परिवर्तन होता है उसे अधिगम या सीखना कहते हैं ।

🔆 परिपक्वता और अधिगम में संबंध

*दोनों का एक दूसरे से घनिष्ठ संबंध है अर्थात दोनों एक दूसरे के पूरक हैं।

*दोनों का प्रभाव एक दूसरे पर या दोनों पर पड़ता है।

*विकास के अंतर्गत परिपक्वता और अधिगम दोनों ही महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं।

*परिपक्वता वंशानुक्रम से जबकि अधिगम वातावरण से संबंधित है।

✍🏻
Notes By-Vaishali Mishra

Date ,6/11/2020

📒 वृद्धि और विकास 📒
Growth and development

▪️ विकास और वृद्धि दोनों एक दूसरे से भिन्न
▪️ वृद्धि एक शारीरिक प्रक्रिया है
▪️ विकास एक बहुमुखी की प्रक्रिया है
▪️ शरीर के किसी पहलू में होने वाले परिवर्तन वृद्धि कहलाती हैं
▪️ और समय के साथ व्यक्ति में दिन-प्रतिदिन जो परिवर्तन होता वह विकास कहलाता है

👤 वृद्धि और विकास अंतर ,
Difference in growth and development

🔘 वृद्धि growth

▪️ वृद्धि परिमाणात्मक है शरीर के विभिन्न अंगो में जैसे ऊंचाई ,लंबाई ,कद ,भार , में परिवर्तन होना वृद्धि कहलाती है

▪️वृद्धि सीमित समय के लिए होती है यह संपूर्ण विकास की प्रक्रिया का बस एक चरण है

▪️ वृद्धि में होने वाले परिवर्तन दिख जाते हैं

▪️ वृद्धि व्यक्ति के परिपक्व होने के साथ ही समाप्त हो जाती है

▪️ वृद्धि , संपूर्ण विकास का मात्र एक शारीरिक पहलू है

🔘 विकास development

▪️ विकास गुणात्मक है
▪️ विकास निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है
▪️व्यक्ति के कार्य कुशलता, क्षमता ,व्यवहार में परिवर्तन ,मानसिक ,बौद्धिक, संवेगात्मक रूप से बढ़ना ही विकास कहलाता है

▪️ विकास अपने आप विस्तृत अर्थ रखता है
यह व्यक्ति में होने वाले सभी परिवर्तन को यह प्रकट करता है
▪️ व्यक्ति के व्यवहार का निरीक्षण करके ही विकास का पता लगाया जा सकता है

▪️विकास को अप्रत्यक्ष रूप से देखना कठिन है इसे सिर्फ महसूस किया जा सकता है

🔘 विकास का कारण Reason for development

👤 परिपक्वता एवं अधिगम

🔹 परिपक्वता Maturity➖ अनुवांशिकता से संबंधित है

▪️ परिपक्वता का अर्थ ➖ व्यक्ति के आंतरिक व शारीरिक अंगों का पूर्ण रूप से स्थाई होना या प्रोढ़ या बूढ़ा होना
▪️18 से 25 तक व्यक्ति पूर्ण रूप प्रोढ़ अवस्था पा लेता है वह मानसिक और शारीरिक दृष्टि से परिपक्व हो जाता है
▪️परिपक्वता विकास की आंतरिक प्रक्रिया है इसके कारण बच्चे के शारीरिक अवव्य में नई क्रिया सीखने की क्षमता आती है

🔹 अधिगम Learning ➖ वातावरण से संबंधित है

▪️वातावरण के साथ सामंजस्य स्थापित करते समय व्यक्ति की शारीरिक मानसिक क्रियाओं में जो परिवर्तन होता है उसे अधिगम या सिखना कहते हैं

▪️ व्यक्ति का विकास अधिगम के द्वारा ही होता है नई ,नई,आदतों का निर्माण , निर्णय ,निर्यात,एंव सौंदर्य की अवधारणा अधिगम के द्वारा ही विकसित होती है

▪️ परिपक्वता और अधिगम में घनिष्ठ संबंध है यह एक दूसरे के पूरक है
▪️दोनों का प्रभाव दोनों पर पड़ता है विकास के अंतर्गत दोनों महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं
▪️ परिपक्वता वंशानुक्रम से और अधिगम वातावरण से संबंधित है

👤 Notes by Sanu sanwle 👤

🦚🍁🦚 वृद्धि और विकास🦚🍁🦚

🌟 जैसा कि हम सभी जानते हैं कि,वृद्धि और विकास एक दूसरे से अंतर संबंधित हैं। यह हर एक व्यक्ति विशेष के जीवन का एक अत्यंत महत्वपूर्ण भाग है। हर एक प्राणी विशेष के जीवन में इनका अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका होता है। इसके बिना किसी भी प्राणी का जीवन संभव नहीं है। तथा वृद्धि विकास का एक भाग है।

🌳 वृद्धि और विकास के संबंध में कुछ महत्वपूर्ण भूमिकाएं निम्नलिखित हैं :-

🌿 वृद्धि परिमाणात्मक होता है जबकि विकास गुणात्मक होता है।
🌿वृद्धि सीमित शब्द रखती है जबकि विकास विस्तृत शब्द रखता है।
🌿 वृद्धि परिपक्वता के साथ खत्म हो जाती है बल्कि विकास निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है।
🌿 वृद्धि दिखाई देती है परंतु विकास को हम देख नहीं सकते।
🌿 और विकास दोनों पर वंशानुक्रम और वातावरण दोनों के प्रभाव पड़ते हैं।

🌿 वृद्धि परिमाणात्मक होती है जबकि विकास गुणात्मक होता है :-

🌟 इसके अंतर्गत,मात्रा,भार,लंबाई,चौड़ाई,मोटाई इत्यादि यह सारे गुण वृद्धि के हैं जिसे हम देख के हम माप – तोल सकते हैं। इसे हम देख माफिया तो सकते हैं इसलिए कहा गया है कि विधि परिमाणात्मक होती है जिसे आसानी से मापा या तोला जा सकता है।

🌟 जबकि विकास के बारे में बिल्कुल इसके विपरीत है। विकास अनेक प्रकार की होती है।
जैसे कि :- मानसिक,शारीरिक,सामाजिक,संवेगात्मक,भावनात्मक और संज्ञानात्मक इत्यादि अनेक प्रकार के विकास होते हैं।जिसे हम देख या माप – तोल नहीं कर सकते।बल्कि हम उन्हें केवल भावनात्मक,संज्ञानात्मक,मानसिक और संवेगात्मक इत्यादि अनेक प्रकार की उनकी कार्यकुशलताओं को देखते हुए इसका अंदाजा लगा सकते हैं। या कहें कि इसे केवल महसूस किया जा सकता हैं।विकास के इसी गुण के कारण इसे गुणात्मक कहा गया है।

🌿 वृद्धि सीमित समय के लिए होता है जबकि विकास विस्तृत् अर्थ रखता है :-

🌟 वृद्धि अत्यंत सीमित समय के लिए होती है एक समय आने के बाद अचानक से वृद्धि रुक जाती है तथा अपनी पूर्णता को प्राप्त कर लेती है।अतः वृद्धि सीमित होती है।

🌟 जबकि विकास सीमित नहीं होता यह एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है। जो गर्भावस्था से लेकर जीवन पर्यंत तक चलती रहती है। विकास एक व्यक्ति में होने वाले सभी परिवर्तनों को समाहित करती है। तथा वृद्धि विकास का ही एक भाग है।विकास का अत्यंत विस्तृत है।इसमें और भी कई सारे चरण समाहित हैं।

🌿 वृद्धि परिपक्वता के साथ खत्म हो जाती है बल्कि विकास निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है :-

🌟 वृद्धि एक सीमित समय तक के लिए होती है।जो कि परिपक्वता अवस्था में जाकर खत्म हो जाती है। तथा इसके बाद प्राणी के जीवन में वृद्धि का कोई स्थान नहीं होता बल्कि या परिपक्वता तक ही सीमित रह जाती है।

🌟 लेकिन विकास निरंतर चलने वाली एक जीवन पर्यंत प्रक्रिया है जो प्रत्येक व्यक्ति में गर्भावस्था से लेकर जीवन पर्यंत तक चलने वाली एक निरंतर प्रक्रिया है। विकास व्यक्ति में होने वाले हर एक प्रकार के परिवर्तनों को प्रकट करता है इसकी दिशा सीमित नहीं होती है

🌿 वृद्धि देखी जा सकती है परंतु विकास हम देख नहीं सकते :-

🌟 वृद्धि में होने वाले परिवर्तन प्रत्यक्ष रूप से होते हैं जिसे हम अपने दिन प्रतिदिन के जीवन में देखते रहते हैं।
जैसे कि :- आकार मात्र आकार,लंबाई – चौड़ाई,ऊंचाई,मोटाई इत्यादि को आसानी से देखा और मापा – तोला जा सकता है।अतः वृद्धि प्रत्यक्ष और सीमित होती है।

🌟 जबकि विकास वृद्धि के बिल्कुल विपरीत होता है।यह असीमित चलने वाली प्रक्रिया है साथ ही यह का प्रत्यक्ष प्रक्रिया भी है तथा इसे मापा – तोला भी नहीं जा सकता बल्कि इसे हम महसूस करके या व्यक्ति के व्यवहार इत्यादि से निरीक्षण कर सकते हैं। इसके अनुसार हम यह कह सकते हैं कि व्यक्ति कितना विकास कर रहा है तथा कितना सक्षम है।

🌿 वृद्धि और विकास दोनों पर अनुवांशिकता और पर्यावरण दोनों का प्रभाव पड़ता है :-

🌟 वृद्धि और विकास दोनों पर अनुवांशिकता और पर्यावरण का प्रभाव पड़ता है इसका मतलब यह है। कि इन दोनों में ही हमारे अनुवांशिकता और पर्यावरण के गुण आते हैं।परंतु वृद्धि में इनके गुण नकारात्मक और सकारात्मक दोनों रूप से आते हैं।तथा विकास में भी इनके गुण नकारात्मक और सकारात्मक रूप में ही आते हैं। परंतु इसमें ज्यादातर सकारात्मक रूप में आते हैं।

🌷🌷 अत: उपरोक्त निष्कर्ष द्वारा यह स्पष्ट होता है कि दोनों एक – दूसरे से सामान्यतः विभिन्न होते हैं। इनमें कुछ समानताएं तथा कुछ और असमानताएं अवश्य पाई जाती है परंतु दोनों एक – दूसरे से अंतः संबंधित होते हैं।अथवा यह कह सकते हैं कि दोनों एक दूसरे के बिना अधूरे होते हैं।🌷🌷

🦚🍁🦚विकास के कारण 🦚🍁🦚

🌳 विकास के दो कारण होते हैं :-
1️⃣ अधिगम
2️⃣ परिपक्वता

🌷🌷🌷🌷🌷 अधिगम🌷🌷🌷🌷🌷

🌟 अधिगम का संबंध वातावरण से होता है।
🍁अतः वातावरण के साथ सामंजस्य स्थापित करते समय व्यक्ति में जो शारीरिक मानसिक भावनात्मक प्रक्रियाओं में बदलाव या जो प्रतिक्रियाएं होती है उन्हें सीखने में अधिगम कहते हैं।
जैसा कि हम जानते हैं कि मनुष्य जन्म के बाद से ही सीखना प्रारंभ कर देते हैं। और जीवन भर कुछ न कुछ सीखते रहते हैं तथा धीरे-धीरे वातावरण में समायोजित होने की क्रिया – प्रतिक्रिया करते रहते हैं। अतः वातावरण का अधिगम प्रक्रिया में बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान होता है।

🌷🌷🌷🌷 परिपक्वता🌷🌷🌷🌷

🌟 परिपक्वता का संबंध वंशानुक्रम से होता है।परिपक्वता का अर्थ है कि जो हमें अनुवांशिकता से मिलने वाली एक ऐसी प्रक्रिया है जो कि हमारे आंतरिक विकास या वृद्धि का बढना,प्रौढ़ या बूढ़ा होने या उसके ऐसे गुणों को विकसित करना जो वंशानुक्रम से मिले हैं।तथा दिन-प्रतिदिन उनकी क्षमता का विघटन होना इसके साथ ही शरीर धीरे-धीरे कमजोर होने लगता है। तथा परिपक्वता बढ़ने के साथ-साथ ही प्रौढ़ता भी बढ़ती रहती है।अतः परिपक्वता में वंशानुक्रम का बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान होता है।

🌳अधिगम और परिपक्वता में संबंध🌳

🌟 परिपक्वता और अधिगम दोनों एक दूसरे घनिष्ठ से संबंध है। दोनों एक दूसरे से अंत: संबंधित होते हैं।
🌟 परिपक्वता और अधिगम दोनों एक दूसरे के पूरक हैं।
🌟 परिपक्वता और अधिगम दोनों का एक दूसरे के बिना अस्तित्व नहीं है।
🌟 परिपक्वता का संबंध वंशानुक्रम से होता है तथा अधिगम का संबंध वातावरण से होता है

🌸🌸🌸🌸समाप्त🌸🌸🌸🌸

🌷🌷Notes by :- Neha Kumari 😊

🌷🌷🙏🙏धन्यवाद् 🙏🙏🌷🌷

🔆 वृद्धि और विकास में अंतर🔆

✨वृद्धि:-
बालकों की शारीरिक संरचना का विकास जिसके अंतर्गत लंबाई, भार और मोटाई तथा अन्य अंगों का विकास आता है। इस प्रकार का विकास वृद्धि के अंतर्गत आता है। वृद्धि की प्रक्रिया आंतरिक एवं बाहरी दोनों रूपों में होती है। वृद्धि एक एक सीमा तक होती है और उसके बाद रुक जाती है।

✨विकास:-

विकास की प्रक्रिया निरंतर चलती है। विकास की प्रक्रिया में बालक का शारीरिक, क्रियात्मक संज्ञानात्मक ,भाषागत, संवेगात्मक एवं सामाजिक विकास होता है। विकास की प्रक्रिया में रुचि आदतों व्यक्तित्व व्यवहार आदि का विकास भी हो शामिल है।

🔆 वृद्धि और विकास में अंतर:-

  1. वृद्धि परिमाणात्मक परिवर्तन है जबकि विकास गुणात्मक परिवर्तन है।

व्यक्ति की वृद्धि को अर्थात ऊंचाई, चौड़ाई,वजन और मोटाई को मापा जा सकता है लेकिन व्यक्ति की कार्यकुशलता, व्यवहार, कार्य क्षमता, विकास को मापा नहीं जा सकता।

2.वृद्धि सीमित समय के लिए होती हैं जबकि विकास असीमित समय तक होता है।
संपूर्ण विकास की प्रक्रिया का वृद्धि बस एक चरण या भाग मात्र है जबकि विकास विस्तृत अर्थ रखता है। विकास व्यक्ति में होने वाले सभी परिवर्तनों को प्रकट करता है।

  1. वृद्धि परिपक्वता के साथ खत्म हो जाती है जबकि विकास निरंतर जारी रहता है।

4.वृद्धि के दौरान होने वाले परिवर्तन सामान्यत: दिख जाते हैं जबकि विकास के दौरान होने वाले परिवर्तनों को देखा नहीं जा सकता। या हम यह कह सकते हैं कि वृद्धि प्रत्यक्ष दिखाई देती है जबकि विकास अप्रत्यक्ष होता है इसे हम व्यवहार को देख कर निरीक्षण कर सकते हैं।

🌟विकास का कारण दो रूप से होता है:-
1 परिपक्वता
2 अधिगम

परिपक्वता व अधिगम को निम्नानुसार समझा जा सकता है।

🔅 परिपक्वता:-

इसका संबंध अनुवांशिकता से होता है
1️⃣आंतरिक अंगो का बूढ़ा होना या प्रौढ होना ही परिपक्वता है।

बालक जन्म लेता है और उसके बाद वह धीरे धीरे बढ़ता चला जाता है उसकी उम्र के बढ़ने के साथ-साथ उसके आंतरिक अंग भी बढ़ते चले जाते हैं और वह बूढ़े या प्रौढ़ होते चले जाते हैं यही परिपक्वता कहलाती हैं।

2️⃣परिपक्वता में वैसे गुणों का विकास होता है जो वंशानुक्रम से मिले हैं:-बालक में परिपक्वता में ऐसे गुणों का विकास होता है जो बालों को वंशानुक्रम से प्राप्त होते हैं जैसे किसी बालक का उसके पिता के समान चलना या बात करने का तरीका।

3️⃣जब व्यक्ति जवान होता है तो उसके आंतरिक अंगों धीरे धीरे बूढ़े होते जाते हैं । इसे बदला रोका नहीं जा सकता।
4️⃣बालक के विकास की परिपक्वता में तब तक वृद्धि होती है जब तक बालक दृढ़ता और प्रौढ़तापूर्वक रूप नहीं पा लेते हैं।

5️⃣परिपक्वता विकास की आंतरिक प्रक्रिया है उसके कारण बच्चे का जो शारीरिक अवयव में नई क्रिया सीखने कि क्षमता आती है

6️⃣पहले की अपेक्षा अभी के समय में बच्चों का मानसिक विकास बहुत जल्दी हो जाता है अर्थात शारीरिक विकास से पहले हो जाता हैै।

🔆 अधिगम:-

🔅 अधिगम कासंबंध वातावरण से हैं।
✨वातावरण के साथ सामंजस्य स्थापित करते समय व्यक्ति की शारीरिक व मानसिक क्रियाओं में जो परिवर्तन होता है उसे अधिगम या सीखना कहते हैं ।

🔆 परिपक्वता और अधिगम में संबंध:-
दोनों का एक दूसरे से घनिष्ठ संबंध है और दोनों एक दूसरे के पूरक हैं दोनों का प्रभाव एक दूसरे पर पड़ता है।
विकास के अंतर्गत परिपक्वता और अधिगम दोनों ही महत्व रखते हैं।
परिपक्वता वंशानुक्रम से जबकि
अधिगम वातावरण से संबंधित है।

✍🏻✍🏻Notes by-Raziya khan✍🏻✍🏻

🦚वृद्धि और विकास में अन्तर 🦚

🌺वृद्धि :-
वृद्धि के अन्तर्गत बालकों कि शारीरिक संरचना का विकास होता है जिसके अन्तर्गत लम्बांई, भार , मोटाई तथा अन्य अंगो का विकास होता है वृद्धि परिणात्मक होती है वृद्धि को हम माप सकते हैं वृद्धि कि प्रक्रिया सीमित समय के लिए होती है वृद्धि की प्रक्रिया आंतरिक और बाहय दोनों रुपो में होती है ये सम्पूर्ण प्रक्रिया विकास का एक चरण है और परिपक्वता के साथ ये समाप्त हो जाती है तथा वृद्धि में होने वाले जो परिवर्तन है उसे सामान्य रुप से जीवन में देखा जा सकता है और वृद्धि से होने वाले परिवर्तन सामान्यतः दिख जाते हैं वृद्धि को हम माप सकते हैं |

🏵विकास :-

विकास शब्द का प्रयोग गुणात्मक परिवर्तन के लिए प्रयोग में लाया जाता है
जैसे:- बालक में कार्यकुशलता , कार्यक्षमता आदि कि वृद्धि होती है विकास विस्तृत अर्थ रखता है वृद्धि इसका भाग है यह व्यक्ति में होने वाले सभी परिवर्तन को प्रकट करता है विकास निरन्तर चलने वाली प्रक्रिया है
विकास अप्रत्यक्ष है इसे प्रत्यक्ष रुप से नहीं देखा जा सकता है विकास को मापना सामान्यतः कठिन है विकास आजीवन चलने वाली प्रक्रिया है |

🌈विकास का कारण :-

इसके निम्नलिखित दो कारण है –

🌷परिपक्वता :-
शारीरिक एवं मानसिक विकास को ही परिपक्वता कहते हैं
परिपक्वता का अर्थ होता है –
आन्तरिक अंगो का बुढ़ा होना तथा किसी भी कार्य को सीखने के लिए मानसिक व शारीरिक रूप से सक्षम होनी ही परिपक्वता है बालक का वह गुण जो उसके पुर्वजो से उसे मिलता है आकार , रंग , लम्बार्इ ईत्यादि वृद्धि बालक के वंशानुक्रम पर निर्भर करती है |
परिपक्वता विकास की आन्तरिक प्रक्रिया है इसके कारण बच्चे का शारीरिक रुप से अवयव में नई क्रिया सीखने की क्षमता आती है तथा परिपक्वता एक समय के लिए रुक जाती है और धीरे- धीरे घटने लगती है और उम्र के साथ इनमें शिथिलता आने लगती है जब यह गुण अच्छी तरह से विकसित हो जाते हैं तब इस अवस्था को परिपक्वता की अवस्था कहेंगे इस अवस्था में बच्चे नई – नई क्रियाएँ सीखने के लिए उत्साहित होते हैं |

🌹अधिगम :-
अधिगम में वातावरण के समय सामंजस्य स्थापित करते समय व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक क्रियाएँ जो परिवर्तन होता है उसे अधिगम या सीखना बोलते है तथा बालक अपने जीवन में जो भी कार्य करता है जो परिवर्तन आता है वह सीखने के अन्तर्गत आता है इन क्रियाओं के द्वारा ही बालक के जीवन में परिवर्तन आता है परिपक्वता और अधिगम एक – दूसरे के पूरक है दोनों का प्रभाव दोनों पर पड़ता है विकास के अन्तर्गत दोनों महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं परिपक्वता वंशानुक्रम से अधिगम वातावरण से सम्बन्धित है |

🌹🌹Thank you 🌹🌹

Notes by –
🏵Meenu Chaudhary 🏵

❄ वृद्धि और विकास ( growth and development ) ❄ 🌀 विकास :➖ विकास एक सार्वभौमिक प्रक्रिया हैं। जो जन्म से लेकर मृत्यु तक अविराम चलता रहता हैं। विकास केवल शारीरिक वृद्धि की बात नहीं करता हैं बल्कि यह शारीरिक मानसिक ,सामाजिक, और संवेगात्मक परिवर्तन सम्मिलित होते हैं। विकास गर्भ काल से लेकर मृत्यु तक निरंतर प्राणी में प्रकट होते रहते हैं। प्रौढ़ावस्था में पहुंचकर मनुष्य स्वयं को जिन गुणों से संपन्न पाता है वही विकास की प्रक्रिया के परिणाम होते हैं । 🌀 वृद्धि ➖ वृद्धि में हम शारीरिक संरचना की बात करते हैं। जैसे कि वजन, भार, लंबाई यह हमारे शरीर से संबंधित होता हैं। इस प्रकार के होने वाले परिवर्तन को हम प्रत्यक्ष देख सकते हैं । वृद्धि की प्रक्रिया बाहृ एवं आंतरिक दोनों रूप से हो सकती हैं। परिपक्वता आने के बाद वृद्धि रुक जाती हैं। अतः यह कह सकते हैं कि एक समय आता है जब वृद्धि रुक जाती है वृद्धि सीमित समय के लिए होती हैं। ▪️ वृद्धि और विकास में अंतर ▪️ ♦️ वृद्धि ( growth ) ♦️ ➖ 1 – वृद्धि परिमाणात्मक ( quantitative) होती हैं। इसमें वजन भार लंबाई इत्यादि शारीरिक संरचना होती है 2 – वृद्धि सीमित समय के लिए होती है वृद्धि संपूर्ण विकास की प्रक्रिया का बस एक चरण मात्र है 3 – वृद्धि परिपक्वता आने के साथ समाप्त हो जाती हैं। 4 – वृद्धि में होने वाले परिवर्तन प्रत्यक्ष दिखाई देते हैं ♦️ विकास ( development ) ♦️➖ 1- विकास गुणात्मक( qualitative) परिवर्तन होते हैं ।( जैसे जब हम किसी पद या प्रतिष्ठा को प्राप्त करते हैं तो मिलने वाला सम्मान ही विकास हैं। ) कार्यकुशलता क्षमता व्यवहार इत्यादि इसमें आते हैं । 2 – विकास विस्तृतअर्थ रखता है वृद्धि इसका भाग हैं। यह व्यक्ति में होने वाले सभी परिवर्तन प्रकट करता हैं। 3 – विकास निरंतर चलने वाली प्रक्रिया हैं। 4 – विकास में होने वाले परिवर्तन अप्रत्यक्ष होते हैं उनको हम देख नहीं पाते व्यवहारों का निरीक्षण करके हम पता करते हैं। विकास मात्रात्मक एवं गुणात्मक दोनों हो सकता हैं। ▪️ विकास का कारण ▪️ विकास का कारण निम्नलिखित दो प्रकार से होता है 1 परिपक्वता (heredity),…2 अधिगम (learning) 1 परिपक्वता ➖ परिपक्वता का अर्थ है हमारा शरीर किसी कार्य को करने के लिए तैयार हो जाता हैं । अ) आंतरिक अंगों का प्रौढ़ या बूढ़ा होना । वैसे गुणों का विकसित होना जो वंशानुक्रम से मिलते हैं। इसमें तब तक वृद्धि होती है जब तक दृढ़ता और प्रौढ़ता पूर्ण रूप से नहीं पा लेते हैं परिपक्वता विकास की आंतरिक प्रक्रिया है इसके कारण बच्चे के शारीरिक अवयव में नई क्रिया सीखने की क्षमता आती हैं। 2 अधिगम ➖ वातावरण के साथ सामंजस्य स्थापित करते समय व्यक्ति की शारीरिक मानसिक क्रियाओं में जो परिवर्तन होता है उसे अधिगम या सीखना बोलते हैं। 👉 ** परिपक्वता और अधिगम का घनिष्ठ संबंध हैं।** दूसरे शब्दों में परिपक्वता और अधिगम एक दूसरे के पूरक हैं दोनों का प्रभाव दोनों पर पड़ता है विकास के अंतर्गत दोनों महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। परिपक्वता वंशानुक्रम से अधिगम वातावरण से संबंधित हैं। धन्यवाद ✍️ notes by Pragya shukla

🎻वृद्धि और विकास में अंतर (Growth and Development)
🌻⛲वृद्धि :-
ःवृद्धी की प्रक्रिया आंतरिक और बाहरी दोनो रूपो में होती हैं।
ःवृद्धि निश्चित आयु के बाद रूक जाती हैं।
ःवृद्धि को मापा नही जा सकता हैं।
ःवृद्धि में ऊँचाई, भार और मोटाई तथा अन्य अंगो का विकास होता है।
ःवृद्धि सकारात्मक और नकारात्मक दोनों होती हैं।

🌻⛲विकास :-
विकास की प्रक्रिया में बालक का संज्ञानात्मक, शारीरिक, संवेगात्मक और सामाजिक विकास होता है।
⛲वृद्धि और विकास में अंतर ( Difference Between Growth and Development)
ःवृद्धी परिमाणात्मक परिवर्तन (Quantitative)होता है वृद्धि में ऊँचाई, भार, मोटापा, को मापा जा सकता है और विकास गुणात्मक (Quantity) परिवर्तन होता है और विकास को मापा नही जा सकता है।
👁‍🗨वृद्धि सीमित समय के लिए होती हैं जबकि विकास जीवन भर चलती रहती हैं।
👁‍🗨वृद्धि परिवक्ता के साथ खत्म हो जाती हैं जबकि विकास निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है, विकास जितना होता है उतना परिपक्वता बढ़ती रहती हैं।
👁‍🗨वृद्धि में होने वाले परिवर्तन दिख जाते हैं जबकि विकास में परिवर्तन सरल रूप से नहीं दिखते हैं, वृद्धि प्रत्यक्ष रूप से दिखाई देती हैं जबकि विकास अप्रत्यक्ष रूप से दिखाई देती हैं क्योंकि विकास को प्रत्यक्ष रुप से देखना कठिन है, जिसमें व्यवहार को देखकर निरीक्षण किया जाता है।
👁‍🗨वृद्धि एवं विकास दोनों भिन्न है मगर व्यवहारिक दृष्टिकोण से समाहित हैं और दोनों एक दूसरे से अलग होते हुए भी एक दूसरे के पूरक हैं
🌻विकास का कारण :-
विकास का कारण दो रूप से होता है:-
1.परिपक्वता (maturity)

  1. अधिगम (Learning)
    1.परिपक्वता (Maturity)
    ःइसका संबंध अनुवांशिकता से है।
    👁‍🗨 आंतरिक अंगों का प्रोढ़ या बुढ़ा होना ही परिपक्वता कहलाता है जैसे :- जैसे जैसे हम बड़े होते हैं तो हमारी परिपक्वता बढ़ती है वैसे वैसे ही उम्र भी हमारी घटती रहती है।
    👁‍🗨 परिपक्वता में वैसे गुणों का विकास होता है जो वंशानुक्रम से मिले हैं जैसे जो हमारे पूर्वजों से मिली है आंखों का रंग बालों का रंग उनके जैसा व्यवहार जो यह सब हमारे पूर्वजों से मिली है।
    👁‍🗨 विकास जब तक बढ़ती है जब तक प्रोढ़ पूर्ण अवस्था तक ना पहुंच जाए प्रोढ़ पूर्ण रूप से पा लेते हैं।
    आजकल बहुत से ऐसे बच्चे हैं जिनका शारीरिक मानसिक विकास उनकी उम्र के पहले ही हो जाता है यह दोनों रूप में हानिकारक है विकास का होना एक सीमित समय पर ही है अगर जल्दी भी होती है तो हानिकारक है अगर लेट से भी होती है तो वह भी हानिकारक है सही समय पर शारीरिक और मानसिक विकास का होना ही सही बालक की पहचान है बच्चे गलत रास्ते पर नहीं जाए इसलिए उन्हें सही रास्ता दिखाना भी हमारा कर्तव्य हैं।
    👁‍🗨 परिपक्वता के पहले ही बहुत पहले ही बच्चे हैं वह नशीली पदार्थों का सेवन करना शुरू कर देते हैं मगर ये किशोरावस्था के नीचे वाले बच्चों के लिए हानिकारक है कुछ ऐसे लोग होते हैं जो अपनी उम्र के अनुसार करते हैं तो उनका हार्मोन एक्सेप्ट कर लेता है मगर बाल्यावस्था किशोरावस्था के जो बच्चे हैं उनके लिए बहुत ही हानिकारक है इसलिए उन्हें सही रास्ता दिखाना भी जरूरी है
    👁‍🗨 अगर किसी प्रकार का शारीरिक या मानसिक विकास समय के पहले भी आता है तो वह भी हानिकारक है।
    🌻अघिगम (Learning)
    इसका संबंध पर्यावरण से है।
    अधिगम वातावरण को प्रभावित करता है।
    ः वातावरण के साथ सामंजस्य स्थापित करते समय व्यक्ति की शारीरिक या मानसिक क्रियाओं में जो परिवर्तन होता है उसे अधिगम या सीखना कहते हैं।
    🌴परिपक्वता और अघिगम में संबंध :-
    परिपक्वता और अधिगम का एक दूसरे से घनिष्ठ संबंध है ।परिपक्वता और अधिगम में एक दूसरे के पूरक हैं ।दोनों का प्रभाव दोनों पर पड़ता है ।
    ःविकास के अंतर्गत दोनों महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं।
    🌻परिपक्वता का संबंध है वंशानुक्रम से है और अधिगम का संबंध वातावरण से है।

Notes By:-Neha Roy

🌱🌸🌱 वृद्धि और विकास🌱🌸🌱

🌱 वृद्धि (Growth)– वृद्धि का अर्थ “आगे बढ़ना या समय के साथ परिवर्तन होना” “वृद्धि” कहलाती है। बाल विकास में वृद्धि शब्द का प्रयोग बालक के शारीरिक संरचना जैसे,लंबाई– चौड़ाई, मोटाई, भार–आकर तथा शरीर के अंगों में होने वाले परिवर्तन से होता है। यह आंतरिक तथा बाह्य दोनों प्रकार से होती है ।वृद्धि विकास का एक भाग है।

🌱 विकास (Development)– विकास शब्द का प्रयोग व्यापक रूप से किया जा सकता है। जैसे किसी व्यक्ति की कार्यकुशलता का विकास, उनकी कार्य क्षमता का विकास, व्यवहार में परिवर्तन आदि का विकास होना, “विकास” कहलाता है।तथा विकास “जीवन पर्यंत” होता/चलता रहता है ।

🍃🌸🍃 वृद्धि एवं विकास में अंतर– जैसा कि वृद्धि और विकास एक–दूसरे के पर्याय हैं और एक–दूसरे से सम्बंधित होने के साथ–साथ इन दोनों में काफी अंतर भी पाया जाता है,जो निम्नलिखित रूप से है–

🌱 वृद्धि शारीरिक होती है।और विकास शारीरिक के साथ-साथ मानसिक, सामाजिक ,नैतिक व संवेगिक होती है।

🌱 वृद्धि परिमाणात्मक होती है जैसे–लंबाई–चौड़ाई, ऊंचाई, भार, आकार को मापा जा सकता है। जबकि विकास गुणात्मक होता है। जैसे–किसी व्यक्ति की कार्यकुशलता, क्षमता, व्यवहार आदि विकास में परिवर्तन को मापा नहीं जा सकता।अर्थात केवल इसका अनुभव किया जा सकता है।

🌱 वृद्धि एक सीमित समय पर आ कर रुक जाती है। जबकि विकास असीमित समय तक चलता रहता है।

🌱 वृद्धि संपूर्ण विकास की प्रक्रिया का बस एक चरण है। वहीं विकास विस्तृत अर्थ रखता है वृद्धि इसका भाग है यह व्यक्ति में होने वाली सभी परिवर्तन को प्रकट करता है।

🌱 वृद्धि परिपक्वता के साथ खत्म हो जाती है जबकि विकास निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है।

🌱 वृद्धि में होने वाले परिवर्तन सामान्यत: देखे जाते हैं जबकि विकास की प्रगति को प्रत्यक्ष रूप से देखना कठिन है अर्थात् विकास अप्रत्यक्ष होता है जिसमें व्यवहार को देखकर निरीक्षण किया जाता है।

🌱“वृद्धि और विकास एक दूसरे से भिन्न है, लेकिन व्यवहारिक दृष्टिकोण से देखें तो यह ज्ञात होगा,कि विकास की अवधारणा में वृद्धि की अवधारणा समयी हुई है।”

🌱🌸🌱 विकास का कारण– विकास को मुख्यतः दो भागों में बांटा गया है–

🌸 १. परिपक्वता (Maturity)
🌸 २. अधिगम (Leraning)

🌱🌸🌱 परिपक्वता ( Maturity)– यहां परिपक्वता का संबंध– “अनुवांशिकता (Heridity)” से है।

🌱 हमारे शरीर के आंतरिक अंगों का बूढ़ा/प्रौढ होना या ऐसे गुणों का विकसित होना जो, वंशानुक्रम से मिले हैं ,“परिपक्वता” कहलाती है।

🌱 जन्म से लेकर बुढ़ापा तक की अवस्था तक, पहुंचते-पहुंचते सभी आंतरिक अंग प्रौढ़ , बूढ़े या परिपक्व हो जाते है , “परिपक्वता” कहलाती है।

🌱 जब व्यक्ति जवान होता है, तो उसके आंतरिक अंग धीरे-धीरे बूढ़े होते जाते हैं अतः इस प्रक्रिया को बदला या रोका नहीं जा सकता।

🌱 बालक के विकास में तब तक वृद्धि होती रहती है, जब तक कि उनकी मांसपेशियां दृढ़ता और प्रौढ़ता पूर्ण रूप से न पा ले।

🌱 परिपक्वता विकास की आंतरिक प्रक्रिया है। इसके कारण बच्चे का शारीरिक अवयव (शरीर के भाग) में नई क्रिया सीखने की क्षमता आती है।

🌱 परिपक्वता व्यक्ति के शारीरिक विकास के साथ-साथ मानसिक विकास से भी जुड़ी होती है।

🌱 शारीरिक विकास के साथ-साथ मानसिक विकास भी होना जरूरी है, क्योंकि यदि किसी बच्चे का मानसिक विकास जल्दी हो गया है ,किन्तु उसका शारीरिक विकास अभी नहीं हुआ है या पूर्ण रूप से परिपक्व नहीं हुआ है तो वह किसी भी कार्य को शारीरिक रूप से नहीं कर पाएगा।जैसे– बच्चे को इस बात ज्ञान है की साइकिल कैसे चलाई जाती है , लेकिन जब उसे साईकिल चलने के लिए बोला जाएगा तो वह उस साईकिल को नहीं चला पाएगा इसलिए बच्चे का मानसिक विकास और शारीरिक विकास दोनों सही समय पर ना हो तो समस्या हो सकती है। इसलिए बच्चे के शारीरिक विकास के साथ–साथ मानसिक विकास या मानसिक विकास के साथ-साथ शारीरिक विकास भी होना बहुत आवश्यक है।

🌱🌸🌱 अधिगम ( Lerning)– अधिगम का संबंध “वातावरण (Environment)”है।

🌱“वातावरण के साथ सामंजस्य स्थापित करते समय व्यक्ति की शारीरिक/मानसिक क्रियाओं में जो परिवर्तन होता है, उसे “अधिगम” या “सीखना” कहते हैं।

🌱🌸🌱 परिपक्वता और अधिगम का संबंध–

🌱परिपक्वता और अधिगम दोनों का एक दूसरे से घनिष्ठ संबंध रखते है ।तथा एक-दूसरे के पूरक हैं।

🌱 परिपक्वता और अधिगम का प्रभाव एक दूसरे पर पड़ता है।

🌱 विकास के अंतर्गत दोनों ही अपना महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं।

🌱 परिपक्वता वंशानुक्रम से तथा अधिगम वातावरण से संबंधित है।

🌱 अतः वातावरण अधिगम को प्रभावित करता है।
जिससे यह कहा जा सकता है कि, अगर दोनो में से कोई एक नहीं होगा, तो विकास सही से नहीं हो पाएगा। 🍃🌸🍃🌸🍃🌸🍃

✍🏻Notes by–pooja

वृद्धि और विकास👫👫

🍃🍃 साधारण तौर पर कहा जाए तो वृद्धि और विकास के बीच घनिष्ठ संबंध होता है अर्थात् मनुष्य के जीवन में वृद्धि और विकास का एक अहम हिस्सा है इसके कारण ही मनुष्य की शारीरिक मानसिक व्यवहारों में अलग-अलग प्रकार की भिन्नता आती है ।

🔅वृद्धि और विकास में अलग-अलग प्रकार के अंतर देखने को मिलता है जो निम्न प्रकार से हैं:

(1) वृद्धि परिमाणात्मक होती हैं जबकि विकास गुणात्मक:- वृद्धि के अंतर्गत हम शरीर से वृद्धि करते हैं अर्थात् इसमें मात्रा भार लंबाई चौड़ाई मोटापा काला गोरा शरीर की बनावट शारीरिक सुंदरता इत्यादि चीजों की विश्लेषण करते हैं मनुष्य की शारीरिक बनावट को हम माफ -तोल सकते हैं। जबकि दूसरी और *विकास में गुणात्मक परिवर्तन होता है* :➖

इसमें शारीरिक बनावट या सुंदरता से कोई मतलब नहीं होता बल्कि मनुष्य की कार्यकुशलता, क्षमता ,व्यवहार आदि साधारण तौर पर हम कर सकते हैं कि इसके के अंदर हम आंतरिक सुंदरता को परखते हैं।
इसके अंदर हम मनुष्य के हाव-भाव मानसिक शारीरिक सामाजिक और उनके कार्य कुशलता को आंक सकते हैं इसके विकास को हम देख या माप-तोल नहीं सकते हैं बल्कि महसूस कर सकते हैं।

(2) वृध्दि सीमित समय तक होता है जबकि विकास विस्तृत अर्थ रखता है:-

🟢वृद्धि संपूर्ण विकास की प्रक्रिया का बस एक चरण हैं। यह सीमित समय के लिए होती है एक समय आने के बाद यह रुक जाती है।

🟢विकास वृद्धि का ही हिस्सा है या विस्तृत अर्थ रखता है तथा व्यक्ति में होने वाले सभी परिवर्तन को प्रकट करता है।

(3) वृद्धि परिपक्वता के साथ खत्म हो जाती है जबकि विकास निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है:-
वृद्धि एक सीमित समय तक ही होती है एक समय के बाद वह रुक जाती है ।

🟢विकास सीमित नहीं होता या निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है यह गर्भावस्था से लेकर मृत्योपरांत तक कुछ ना कुछ प्रक्रिया होती रहती है जो अप्रत्यक्ष होते हैं दिखाई नहीं देते इसके अंदर हम मनुष्य के व्यक्तित्व ,व्यवहारों का निरीक्षण करते हैं।

(4) वृद्धि देखी जा सकती है जबकि विकास को हम देख नहीं सकते:-

🔅साधारण तौर पर हम वृद्धि के शारीरिक संरचना, ऊंचाई ,चौड़ाई, लंबाई ,भार ,मोटापा इत्यादि चीजों को माप तोल या देख सकते हैं।

☘️वहीं दूसरी और विकास में हम मनुष्य की शारीरिक बनावट को देख नहीं सकते बल्कि महसूस कर सकते कि वह कितना विकास कर रहा है और उसके अंदर कौन-कौन सी क्षमताएं हैं।

🟢 विकास के 2 कारण होते हैं:-

1️⃣ परिपक्वता
2️⃣ अधिगम

🌼 परिपक्वता🌼:➖

परिपक्वता का संबंध वंशानुक्रम से होता है या विकास की आंतरिक प्रक्रिया है आंतरिक अंगों का बूढ़ा होना ,प्रौढ़ अवस्था की तरफ बढ़ना।

🌼 वैसे गुणों का विकसित होना जो मानसिक रूप से मिले हैं बालक के विकास के परिपक्वता की प्रक्रिया जन्म से लेकर तब तक चलते रहता है जब तक उसकी मांसपेशी एक परिपक्व या प्रौढ़ पूर्ण अवस्था में नहीं पहुंच जाती है।
इसमें तब तक वृद्धि होती जब तक दृढ़ता और प्रौढ़ता पूर्ण रूप से नहीं पा लेता हैं।

🌼परिपक्वता विकास की आर्थिक प्रक्रिया है इसके कारण बच्चे के शारीरिक अवयवों में नई-नई क्रिया को सीखने की क्षमता होती हैं। *मानसिक परिपक्वता ही शारीरिक परिपक्वता को प्रभावित करते हैं*।

🌼 अधिगम🌼:➖
वातावरण के साथ सामंजस्य स्थापित करते समय व्यक्ति के सामाजिक और वातावरण के कारण शारीरिक और मानसिक क्रियाओं में जो परिवर्तन होता है उसे अधिगम (सीखना या बोलना) कहते हैं। ☘️ उपरोक्त कथन से यह निष्कर्ष निकलता है कि परिपक्वता और अधिगम में घनिष्ठ संबंध( पूरक) है। दोनों का प्रभाव एक दूसरे पर पड़ता है विकास के अंतर्गत दोनों महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं और परिपक्वता वंशानुक्रम से तथा अधिगम वातावरण से संबंधित है।

Notes by ➖Mahima kumari
🤍🤍🤍🤍

🌻 वृद्धि:- वे शारीरिक परिवर्तन जिसमें लंबाई, भार ,मोटाई, ऊंचाई, एवं अन्य अंगों के विकास संबंधी परिवर्तन जिसमें व्यक्ति के आंतरिक एवं बाह्य दोनों में परिवर्तन देखा जाता है, एक निश्चित समय तक होने वाला परिवर्तन जिससे शारीरिक संरचना में बदलाव आता है वृद्धि कहा जाता है।

🌻 विकास:- विकास की वह संपूर्ण प्रक्रिया जिसमें एक बालक के शारीरिक ,संवेगिक, संज्ञानात्मक, क्रियात्मक, नैतिक, सामाजिक विकास होता है विकास जीवन भर निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है क्रमबद्ध रूप से होने वाली सुसंगत परिवर्तन की क्रमिक श्रंखला को विकास कहते हैं।
🍁🍀 वृद्धि और विकास में अंतर🍀🍁
1 वृद्धि परिमाणात्मक होता है जिसे मात्रा,भार लंबाई, चौड़ाई, ऊंचाई के द्वारा मापा जा सकता है जबकि विकास गुणात्मक होता है जिसमें कार्यकुशलता, क्षमता, व्यवहार ,आदि का मापन नहीं किया जा सकता।
2- वृद्धि सीमित समय के लिए होती है संपूर्ण विकास की प्रक्रिया का एक पहलू है जबकि विकास विस्तृत अर्थ रखता है वृद्धि इसका भाग है यह व्यक्ति में होने वाले सभी परिवर्तन को प्रकट करता है।
3- वृद्धि परिपक्वता के साथ खत्म हो जाती है जबकि विकास निरंतर जीवन भर चलने वाली प्रक्रिया है।
4-वृद्धि के फलस्वरुप होने वाले परिवर्तन प्रत्यक्ष रुप से दिखाई देते हैं जबकि विकास की प्रक्रिया में ऐसे परिवर्तन दिखाई नहीं देते हैं या अप्रत्यक्ष होते हैं विकास का पता केवल व्यवहार का निरीक्षण करके किया जाता है।
अर्थात हम यह कह सकते हैं कि वृद्धि एवं विकास एक दूसरे से भिन्न होकर भी संबंधित है या एक दूसरे के पूरक है क्योंकि किसी एक पहलू का ना होना बालक की संपूर्ण विकास की प्रक्रिया को प्रक्रिया को बाधित करता है।

✍️ विकास का कारण🍀
1 परिपक्वता
2 अधिगम

🌸 परिपक्वता🌸 व्यक्ति के आंतरिक अंगों का प्रौढ होना या बूढा होना ही परिपक्वता है परिपक्वता का संबंध अनुवांशिकता से होता है।
🌸 परिपक्वता में वैसे गुणों का विकसित होना जो वंशानुक्रम से मिले हैं।
🌸 परिपक्वता मे तब तक वृद्धि होती है जब तक दृढ़ता और पूर्णता पूर्ण रूप से नहीं पा लेते हैं अर्थात व्यक्ति की मांसपेशियों एवं शारीरिक संरचना में दृढ़ता का होना परिपक्वता को प्रदर्शित करता है।
🌸 परिपक्वता विकास की आंतरिक प्रक्रिया है इसके कारण बच्चे की शारीरिक अवयव में नई क्रिया सीखने की क्षमता या गतिशीलता आती है।

✍️ अधिगम:- अधिगम का संबंध वातावरण से है।
वातावरण के साथ सामंजस्य स्थापित करते समय व्यक्ति की शारीरिक मानसिक क्रियाओं में जो परिवर्तन होता है उसे अधिगम यह सीखना बोलते हैं
व्यक्ति प्राप्त वातावरण में समायोजन स्थापित करता है और उस वातावरण में स्थाई परिवर्तन लाता है उसे अधिगम कहते हैं।।

✍️🌸✍️ परिपक्वता और अधिगम में संबंध:-
🌸 परिपक्वता और अधिगम घनिष्ठ रूप से संबंधित है यह दोनों एक दूसरे के पूरक हैं।
🌸 परिपक्वता के कारण आए हुए परिवर्तन का प्रभाव अधिगम पर पड़ता है और व्यक्ति जितना अधिक सीखता है उतना अधिक परिपक्व होता है।
🌸 विकास के अंतर्गत दोनों महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं।
🌸 परिपक्वता का संबंध है जहां वंशानुक्रम से होता है वही अधिगम का संबंध वातावरण से। 🍀 परिपक्वता और अधिगम एक दूसरे से जुड़े हुए हैं दोनों पहलू में से किसी एक का ना होना बालक के विकास को प्रभावित करता है।🍀 Notes by- Abhilasha pandey

🌾🌻वृद्धि और विकास में अंतर (Diffrence between growth and development)🌻🎯

🌹वृद्धि(growth) परिमाणात्मक(Quantitative) होता है। जैसे:
🧚‍♀️भार (weight)
🧚‍♀️उंचाई (height)
🧚‍♀️आकार (size) etc
🧚‍♀️चौड़ाई (breadth)
🍁जबकि विकास (development) गुणात्मक (quality) होता है। जैसे:
🌿कार्य कुशलता
🌿क्षमता
🌿व्यवहार
🌿संज्ञानात्मक etc

🌹वृद्धि(growth) सीमित(limit) होता है।
🍁जबकि विकास(development) विस्तृत(extensive) अर्थ रखता है।

🌹वृद्धि(growth) संपूर्ण विकास की प्रक्रिया का बस एक चरण है।
🍁जबकि वृद्धि विकास का भाग है, यह व्यक्ति में होने वाले सभी परिवर्तन प्रकट करता है।

🌹वृद्धि परिपक्वता के साथ खत्म हो जाती है।
🍁जबकि विकास निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है।
अर्थात यह जीवन पर्यंत चलने वाली प्रक्रिया है

🌹वृद्धि के फलस्वरूप होने वाले परिवर्तन सामान्यतः दिख जाती हैं।
🍁जबकि विकास अप्रत्यक्ष रूप से नहीं दिखता है, विकास के फलस्वरूप होने वाले सभी परिवर्तन को प्रत्यक्ष देखना कठिन होता है, इसे देखने के लिए किसी व्यक्ति के व्यवहार का निरिक्षण करना होता है।

🌹वृद्धि आंतरिक(internal) और बाह्य(external) दोनों रूप से होता है।
🍁जबकि विकास आंतरिक(internal) रूप से होता है।

🍂🌳विकास का कारण (Reason for development)🌳🍂

🐒विकास के दो कारण होते है:
🅰️अधिगम Learning
🅱️परिपक्वता Maturity

📒📙📕⚘अधिगम (Learning)⚘📕📙📒

🦜अधिगम का संबंध पर्यावरण(environment) से है।
🦜अधिगम वातावरण को प्रभावित करता है।
🦜अधिगम वातावरण के साथ सामंजस्य स्थापित करते समय व्यक्ति की शारीरिक/मानसिक क्रियाओं में जो परिवर्तन होता है, उसे अधिगम/सीखना कहते हैं।

🍃👨‍👧👩‍👦परिपक्वता (Maturity)👩‍👦👨‍👧🍃

🍒Maturity का संबंध अनुवांशिकता (heridity) से है।
🍒हमारे internal part का प्रौढ़/बूढ़ा होना ही परिपक्वता कहलाता है।
जैसे जैसे हम बड़े होते जाते है, वैसे वैसे हमारे उम्र घटती जाती हैं और हमारी परिपक्वता भी बढ़ती जाती हैं।
🍒वैसे गुणों का विकास होता है जो वंशानुक्रम से मिले हो।
जैसे जो कुछ हमारे पूर्वजों से मिली है उनका व्यवहार, उनका रंग- रूप, आदि। यह सब हमे हमारे पूर्वजों से मिलती है।
🍒विकास तब तक वृद्धि होती है, जब तक दृढ़ता और प्रोढ़तापूर्ण रूप से नहीं पा लेते हैं।
जैसे बच्चों में आजकल देखा जा रहा है, जिनका शारीरिक और मानसिक विकास उनके उम्र से पहले/बाद ही आ जा रहा है। जबकि यह सही नहीं होती।
शारीरिक/मानसिक विकास सही समय पर होना ही एक अच्छे बालक की पहचान करता है।
🍒परिपक्वता विकास की एक आतंरिक प्रक्रिया है, इसके कारण बच्चे का शारीरिक अवयव(शरीर के अंग) में नई क्रिया सीखने की क्षमता आती है।

🍄🍃परिपक्वता और अधिगम का संबंध 🍃🍄

🌾इन दोनों का एक दूसरे से घनिष्ठ संबंध है और एक दूसरे के पूरक है।
🌾इन दोनों का प्रभाव एक दूसरे पर पड़ता है।
🌾विकास के अंतर्गत दोनों ही अपना महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
🌾परिपक्वता वंशानुक्रम से संबंधित है और अधिगम वातावरण से संबंधित है।

🦚🦚🦚अंतः हम यह कह सकते हैं कि दोनों का अपना-अपना स्थान है। दोनों में से कोई एक नहीं होगा, तो development सही से नहीं हो सकता है।🦚🦚🦚

🌸🍃🌸🍃🌻END🌻🍃🌸🍃🌸

📚Noted by🦩 Soni Nikku✍

Difference between growth and development वृद्धि और विकास में अंतर

1.वृद्धि परिमाणात्मक होती हैं इसमें व्यक्ति में हो रहे शारीरिक परिवर्तनों को देखते है जैसे भार में वृद्धि, लंबाई का बढ़ना आदि होता है ,जबकि विकास गुणात्मक परिवर्तन है इसे व्यक्ति के व्यवहार, कार्यकुशलता, क्षमता ,नाम से बड़ा होना आदि को एक लंबे समय तक निरंतर अवलोकन करके दो समय अंतराल के बीच अंतर (भिन्नता) करके महसूस किया जा सकता है ।

2.वृध्दि सीमित समय के लिए होती है अर्थात यह कुछ समय के बाद रुक जाती है वृद्धि संपूर्ण विकास की प्रक्रिया का एक चरण मात्र है। जबकि विकास विस्तृत अर्थ रखता है वृद्धि इसका भाग है यह व्यक्ति में होने वाले सभी परिवर्तनों को प्रकट करता है। सभी परिवर्तन मतलब मानसिक, बौद्धिक, सामाजिक ,संवेगात्मक आदि हो सकते हैं।

3.वृध्दि परिपक्वता के साथ खत्म हो जाती है जबकि विकास गर्भावस्था से शुरू होकर मृत्यु तक आजीवन निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है।

4.वृध्दि के फलस्वरूप होने वाले परिवर्तनों को सामान्यतः देखा जा सकता है और मापा जा सकता है जैसे हम किसी व्यक्ति की लंबाई को, वजन को माप सकते ।जबकि विकास अप्रत्यक्ष होता है यह दिखाई नहीं देता है इसको महसूस किया जा सकता है प्रत्यक्ष देखना कठिन है इसे लंबे समय तक निरंतर व्यवहार का निरीक्षण या अवलोकन करके महसूस किया जा सकता है। जैसे किसी के व्यवहार में 2 किलो परिवर्तन हुआ उसको मापना असंभव है वैसे ही विकास को मापना कठिन है।

विकास दो कारणों से हो सकता है –
परिपक्वता (heredity)( nature) (आनुवांशिकता )और अधिगम (environment)(nurture) (पर्यावरण)

परिपक्वता का अर्थ –

1.आंतरिक अंगों का प्रोढ़ या बूढ़ा होना ।
2.वैसे गुणों का विकास होना जो वंशानुक्रम से मिले हैं अतः माता-पिता से संतान में उपहार के स्वरुप आए हैं

  1. इसमें तब तक वृद्धि होती है जब तक की दृढ़ता और पूर्णता पूर्ण रूप से नहीं पा लेते ।
    4.परिपक्वता विकास की आंतरिक प्रक्रिया है इसके कारण बच्चे के शारीरिक अवयव में नई क्रिया सीखने की क्षमता होती है ।
    अर्थात जब तक बच्चे का शारीरिक और मानसिक विकास समान रूप से नहीं हो जाता तब तक यह प्रक्रिया चलती रहती हैं
    जैसे कोई 5 साल का बच्चा अपने कपड़े को ठीक से पहनना सीख जाता है तो यहां पर बच्चे की शारीरिक और मानसिक परिपक्वता दोनों साथ साथ विकसित हो जाती है लेकिन कभी-कभी बच्चे की मानसिक प्रक्रिया जल्दी विकसित हो जाती है और शारीरिक प्रक्रिया थोड़े समय बाद विकसित होती हैं जैसे 12 साल के बच्चे साइकिल की जगह मोटरसाइकिल को चलाने की कोशिश करते हैं और गिर जाते हैं क्योंकि इस समय उनके अंग उस कार्य को करने के लिए पूर्ण रूप से परिपक्व नहीं होते हैं लेकिन उनकी मानसिक क्षमता परिपक्व हो जाती है।

अधिगम -वातावरण के साथ सामंजस्य स्थापित करते समय व्यक्ति की शारीरिक और मानसिक क्रिया में जो परिवर्तन होता है उसे अधिगम या सीखना बोलते हैं।

💣परिपक्वता और अधिगम में घनिष्ठ संबंध है
यह एक दूसरे के पूरक हैं
दोनों का प्रभाव एक दूसरे पर पड़ता है।
विकास के अंतर्गत दोनों महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं
परिपक्वता को वंशानुक्रम से तथा अधिगम को वातावरण से संबंधित मान सकते हैं ।

Notes by Ravi kushwah

🔆 वृद्धि और विकास में अंतर

💫 वृद्धि

व्यक्ति या बालकों की शारीरिक संरचना का विकास जिसके अंतर्गत लंबाई, ऊंचाई ,भार, वजन, मोटाई तथा अन्य अंगों का विकास होता है और इस प्रकार का विकास वृद्धि के अंतर्गत आता है वृद्धि की प्रक्रिया शरीर के आंतरिक एवं बाहरी दोनों रूपों में होती है जो कि एक निश्चित समय के पश्चात रुक जाती है वृद्धि का संबंध अनुवांशिकता से है जिसका प्रभाव नकारात्मक एवं सकारात्मक हो सकता है वृद्धि विकास का एक भाग है जो कि एक निश्चित समय के पश्चात रुक जाती है |

💫 विकास

विकास एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है जो कि बालक के गर्भ से लेकर मृत्यु तक चलती है बालक का विकास मानसिक, संज्ञानात्मक, भावात्मक, क्रियात्मक ,संवेगात्मक ,एवं सामाजिक आदि हो सकता है विकास के अंतर्गत नए- नए अवसरों को खोजा जाता है और वही विकास कहलाता है अर्थात विकास हमारे मानसिक रूप से होने वाले क्रमबद्ध परिवर्तन का एक रूप है |

💫 वृद्धि और विकास में अंतर

🔹 वृद्धि परिमाण पर निर्भर करती है जो कि मात्रात्मक होती है अर्थात बालक के लंबाई ,ऊंचाई भार , वजन आदि हो सकते हैं जो कि शरीर के बाहरी कारक होते हैं |
जबकि विकास गुणात्मक परिवर्तन है इसको मापा नहीं जा सकता है जो कि व्यक्ति की कार्यकुशलता ,क्षमता, व्यवहार आदि पर निर्भर करता है विकास व्यक्ति के आंतरिक कारकों पर निर्भर करता है |

🔹 वृद्धि सीमित समय के लिए होती है कुछ समय के पश्चात रुक जाती है यह संपूर्ण विकास की प्रक्रिया का बस एक चरण मात्र है |
जबकि विकास विस्तृत अर्थ रखता है वृद्धि इसका भाग है यह व्यक्ति में होने वाले सभी परिवर्तन को प्रकट करता है |

🔹 वृद्धि परिपक्वता के साथ खत्म हो जाती है वृद्धि निश्चित समय के बाद रुक जाती है |
जबकि विकास निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है यह गर्भावस्था से शुरू होकर मृत्यु तक चलता रहता है और दिनों -दिन miture और होता जाता है |

🔹 वृद्धि वृद्धि में होने वाले परिवर्तन दिख जाते हैं क्योंकि वृद्धि शारीरिक बनावट को प्रदर्शित करती है |
जबकि विकास अप्रत्यक्ष होता है दिखता नहीं है इसको प्रत्यक्ष देखना कठिन है व्यवहार का निरीक्षण किया जा सकता है अर्थात विकास व्यावहारिक भी हो सकता है |

🔅 वृद्धि और विकास एक दूसरे से भिन्न है यदि व्यवहारिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो वृद्धि विकास का ही एक भाग है जो कि कुछ समय पश्चात रुक जाती है और विकास निरंतर चलते रहता है |

🔅 बच्चे के विकास का जो कारण है वह परिपक्वता और अधिगम पर निर्भर करता है जो अनुवांशिकता और वातावरण से प्राप्त होते हैं जहां परिपक्वता का संबंध वंशानुक्रम से तथा अधिगम का संबंध वातावरण से होता है |

विकास का कारण दो प्रकार का या दो रूपों में हो सकता है ➖
1) परिपक्वता
2) अधिगम

🍀 परिपक्वता

इस का संबंध अनुवांशिकता से है|

🔸परिपक्वता का अर्थ हमारे जो आंतरिक अंग है उनका प्रौढ़ होना या बूढ़ा होना होता है हमारी शारीरिक स्थिति हर दिन हर समय बदलती रहती है |

🔸परिपक्वता में शारीरिक अंगों का बूढ़ा होने का जो काम है वह चलते रहता है और वैसे गुण विकसित होते हैं जो अनुवांशिकता या वंशानुक्रम से मिले होते हैं |

🔸 “इसमें तब तक वृद्धि होती है जब तक कि वह दृढ़ता या प्रौढ़तापूर्ण रूप नहीं ले लेती है “|
अर्थात बालक के विकास की परिपक्वता जन्म से लेकर तब तक चलती है जब तक की उसकी मांसपेशियां परिपक्व या प्रौढ़ पूर्ण अवस्था तक नहीं पहुंच जाती है और प्रौढ़ तक की स्थिति में नहीं आ जाती है जब तक परिपक्वता चलते रहती है |

🔸 परिपक्वता विकास की आंतरिक प्रक्रिया इसके कारण बच्चे का शारीरिक अवयव या भाग में नई क्रिया सीखने की क्षमता होती है |

🔸 शारीरिक और मानसिक विकास दोनों एक दूसरे से जुड़े होते हैं और यदि दोनों का संबंध नहीं हो पाता है तो उस बालक का विकास नहीं हो सकता यदि दोनों में गड़बड़ी आई तो विकास में समस्या उत्पन्न हो जाती है और दोनों का विकास होना अति आवश्यक है अन्यथा यह उस बच्चे के लिए दुखदाई होगा और इस स्थिति में वह कुछ भी कर सकता है तथा उसका विकास पूर्ण रूप से नहीं होता है इसलिए परिपक्वता ना तो समय से पहले और ना ही समय के बाद आना अच्छा है यदि वह समय पर ही आए तो यह शारीरिक और मानसिक विकास दोनों के लिए ठीक है |

🍀 अधिगम

अधिगम का संबंध वातावरण से है |

🔸 “वातावरण के साथ सामंजस्य स्थापित करते समय व्यक्ति की शारीरिक और मानसिक क्रियाओं में जो परिवर्तन होता है उसे अधिगम या सीखना कहते हैं ये हमारे व्यवहार से भी प्राप्त होता है |

🌻 परिपक्वता और अधिगम में संबंध

∆ परिपक्वता और अधिगम दोनों में बहुत अधिक घनिष्ठ संबंध है अर्थात दोनों एक दूसरे के पूरक हैं |

∆ दोनों का एक दूसरे पर प्रभाव पड़ता है |

∆विकास के अंतर्गत परिपक्वता और अधिगम दोनों ही महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं |

∆ परिपक्वता वंशानुक्रम से तथा अधिगम वातावरण से संबंधित है |

𝙉𝙤𝙩𝙚𝙨 𝙗𝙮➖ 𝙍𝙖𝙨𝙝𝙢𝙞 𝙨𝙖𝙫𝙡𝙚

🌻🍀🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🍀🌻

🔆वृध्दि (Growth) and विकास (development)🔆
वृद्धि और विकास एक दूसरे से भिन्न है व्यावहारिक दृष्टि से देखें तू यह दोनों अलग-अलग होते हुए भी वृद्धि विकास के अंदर समाहित हो होता है वृद्धि विकास का एक भाग है वृद्धि और विकास के साथ-साथ बुनियादी सिद्धांतों को भी समझना चाहिए जिससे कि वह बच्चों के सामंजस्यपूर्ण विकास के लिए प्रभावी मार्गदर्शन प्रदान कर सकते हैं एक बच्चा अपने आसपास के वातावरण से काफी प्रभावित होता है और निरंतर अपना व्यवहार बदलता रहता है|
वृद्धि और विकास में अंतर
1.वृद्धि – परिमाणात्मक (quantitative) वृद्धि में बच्चों में लंबाई चौड़ाई आकार भार वजन काफी अंतर देखा जा सकता है
जबकि विकास गुणात्मक परिवर्तन(quality) जैसे कार्यकुशलता क्षमता व्यवहार मानसिक सामाजिक संवेगात्मक संज्ञानात्मक वृद्धि आदि आते हैं|
2.वृद्धि सीमित समय के लिए होती है संपूर्ण विकास की प्रक्रिया का बस एक चरण है|
जबकि विकास विस्तृत अर्थ रखता है वृध्दि किसका भाग है यह व्यक्ति में होने वाली सभी परिवर्तन प्रकट करता है

  1. वृद्धि परिपक्वता के साथ खत्म हो जाती है
    जबकि विकास निरंतर चलता रहता है|
  2. वृद्धि में होने वाले परिवर्तन सामान्यतः दिख जाते हैं|
    जबकि विकास एक अप्रत्यक्ष नहीं दिखता है प्रत्यक्ष देखना कठिन है व्यवहार का निरीक्षण करना |
    विकास का कारण हैं|
    ▪ परिपक्वता
    ▪ अधिगम वातावरण
    परिपक्वता का अर्थ –
    शारीरिक और मानसिक दृष्टि से परिपक्व बालक बालिकाएं सीखने के लिए सदा तैयार रहते हैं| परिपक्वता जन्मजात, अभ्यास से अप्रभावित , प्रेरणा जरूरी नहीं, आंतरिक होता है प्रजातीय प्रकिया कुछ समय तक ही रहती है|
    आंतरिक अंगों का प्रोढ़/बुढ़ा होना |
    ऐसे गुणों का विकसित होना जो वंशानुक्रम से मिलते हैं |
    इसमें तब तक वृद्धि होती है जब तक दृढ़ता और प्रोढ़ता पूर्ण रूप से नहीं |
    परिपक्वता विकास की एक आंतरिक प्रक्रिया है जिसके कारण बच्चे का शारीरिक अवयव मे नई क्रिया सीखने की क्षमता आती है |
    अधिगम (environment) –
    अधिगम जो वातावरण के साथ सामंजस्य स्थापित करते समय व्यक्ति की शारीरिक या मानसिक क्रियाओं में जो परिवर्तन होता है उसे अधिगम या सीखना बोलते हैं|
    सीखना अनुभव अर्जित अभ्यास सवस्थिरता प्रेरणा जरूरी बाहा होता है व्यक्तिगत प्रक्रिया जन्म से मृत्यु तक |
    🍁परिपक्वता और अधिगम का दृष्टि संबंध है पूरक है |
    🍁दोनों का प्रभाव दोनों पर पड़ता है |
    🍁विकास के अंतर्गत दोनों महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं |
    🍁परिपक्वता वंशानुक्रम से अधिगम वातावरण संबंधित है| Notes by – Ranjana sen

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