Nature and reason of problematic students notes by India’s top learners

⭐🍁⭐🍁 समस्यात्मक बालक⭐🍁⭐🍁

🌈 समस्यात्मक बालक के लक्षण🌈

🎆 निम्न मानसिक परेशानी

🌺 पैसे एवं वस्तु की चोरी करने:- समस्यात्मक बालक पर ऐसी वस्तु की चोरी जैसे कार्य करते हैं

🌺 स्कूल के कार्यों में सक्रिय न होना:– समस्यात्मक बालक की स्कूल के कार्यों में सक्रिय रूप से भाग नहीं लेते हैं

🌺 किसी दूसरे को शारीरिक व मानसिक कष्ट देकर आनंद लेना:– समस्यात्मक बालक को किसी व्यक्ति को कष्ट देने में आनंद की अनुभूति होती है चाहे वह शारीरिक कष्ट में या मानसिक कष्ट हो

🌺 अनुशासन का विरोध करना:- समस्यात्मक बालक अनुशासन का पालन नहीं करते हुए अनुशासन विरोधी होते हैं

🌺असहयोग की प्रवृत्ति करना:–
समस्यात्मक बालक किसी भी काम में सहयोग नहीं देते हैं बाल की समस्या उत्पन्न करते हैं

🌺 बुरा आचरण करना:-
समस्यात्मक बालक का व्यवहार ठीक नहीं होता है वह सभी के साथ बुरा आचरण करते हैं

🌺 संदेह करना:- समस्यात्मक बालक मैथ अंबे की भावना होती है

🌺 धोखा देना :– समस्यात्मक बालक धोखा देना जैसे कार्य करते हैं वह किसी को भी विश्वास नहीं दिला पाते हैं

🌺 अश्लील बातें करना

🌺बिस्तर गीला करना

🌈 अत्यधिक मानसिक परेशानी

⭐ मानसिक द्वंद से ग्रसित होना:–
जब बालक में अनेक प्रकार की उलझनें होती है इससे मानसिक ढंग से ग्रसित हो जाते हैं

⭐ हीन भावना का शिकार होना:-
बालक में जब हीन भावना आ जाती है तो वह समस्यात्मक बालक होती है

⭐ सीमा से अधिक कठोर व्यवहार करना;- समस्यात्मक बालक सीमा से अधिक कठोर व्यवहार करते हैं मैं किसी के बारे में नहीं सोचते हैं

⭐ अप्रसन्न और चिड़चिड़ी रहना;- समस्यात्मक बालक अप्रसन्न और चिड़चिड़ी होती हैं

⭐ भयभीत और आत्म केंद्रित होते हैं:-
इन बालकों को अगर किसी चीज से डर लगता है लेकिन दिखा नहीं रहे हैं इससे हीन भावना से ग्रसित होने लगते हैं और वह समस्यात्मक बालक कहलाते हैं

🎯 समस्यात्मक व्यवहार के कारण

🍁 वंशानुक्रम:- वंशानुक्रम के अंतर्गत की बच्ची में समस्यात्मक बालक होते हैं जैसे IQ शारीरिक दोस्त आदि

🍁 मूल प्रवृत्तियों का दमन:–
मूल प्रवृत्तियों का दमन होने से उनकी भावना की ग्रंथि दब जाती है और असामाजिक व्यवहार बढ़ने लगते हैं

🍁 शारीरिक दोष:- बच्चे में शारीरिक दोष के कारण उसमें हीन भावना आने लगती है और वह समस्यात्मक बालक कहलाते हैं

🍁 वातावरण:-
बच्चे को सही बात आवन उपलब्ध नहीं होता है शिवा समस्यात्मक बालक होते हैं

🍁 माता पिता शिक्षकों का व्यवहार:-
माता-पिता और शिक्षकों का व्यवहार बच्चे के प्रति अच्छा होना चाहिए नहीं तो बच्चे समस्यात्मक हो जाते हैं

🍁 नैतिक शिक्षा का अभाव:-
समस्यात्मक बालक में नैतिक शिक्षा का अभाव पाया जाता है

🍁 परिवार का वातावरण:-
परिवार में माता-पिता और अन्य सदस्यों का व्यवहार यह लड़ाई झगड़े से बच्चे समस्यात्मक बालक हो जाते हैं

🍁 सांवेगिक दोष

✍🏻✍🏻✍🏻Menka patel ✍🏻✍🏻✍🏻

🍁⭐🍁⭐🍁⭐🍁⭐🍁⭐🍁⭐🍁

🙎🏼‍♂️ समस्यात्मक बालक🙎🏼‍♂️

🔆 समस्यात्मक बालक के लक्षण🔆

1️⃣ निम्न मानसिक परेशानी:-समस्यात्मक बालक के विभिन्न लक्षण है जिसके कारण पालक मानसिक वा शारीरिक दोनों रूपों से परेशान रहता है या दूसरों को परेशान करता है:-

1.पैसे एवं वस्तु की चोरी करने:- समस्यात्मक बालक किसी वस्तु की जरूरत पड़ने पर या उससे ऐसा महसूस होता है कि यह वस्तु भी मेरे पास होनी चाहिए तो वह किसी दूसरे के या अपने ही घर के सदस्यों के पैसे चुराने या वस्तुओं को चुराने का गलत काम करने लगता है।

2.स्कूल के कार्यों में सक्रिय न होना:-समस्यात्मक बालक की स्कूल के कार्यों में सक्रिय रूप से भाग नहीं लेते हैं। और दूसरे किसी दोस्त जिसमें स्कूल के कामों में भाग लिया है उन्हें भी वह तंग करता रहता है। समस्यात्मक बालक को किसी कार्य के लिए बार-बार बोलना पड़ता है उसके बावजूद भी वह उन कार्यों को नहीं करता जिन्हें शिक्षकों ने बताया था।

3.किसी दूसरे को शारीरिक व मानसिक कष्ट देकर आनंद लेना:-समस्यात्मक बालक अपने सहपाठी को या किसी शारीरिक या मानसिक रूप से कष्ट पहुंचा कर आनंद का अनुभव करता है। जैसे किसी बुजुर्ग को यदि दिखाई नहीं देता है तो वह बालक उस व्यक्ति की लाठी को कहीं छिपा देता है और जब वह बुजुर्ग उस लाठी को ढूंढता है तो उस बालक को आनंद का अनुभव होता है।

4.अनुशासन का विरोध करना:- समस्यात्मक बालक अनुशासन का पालन नहीं करते हुए अनुशासन विरोधी होते हैं ऐसे बालक कक्षा में अनुशासन के नियमों को तोड़ते हैं तथा अपने अनुसार कक्षा में शिक्षण प्रक्रिया को पूरा करना चाहते हैं।

5.असहयोग की प्रवृत्ति करना:-
समस्यात्मक बालक किसी भी काम में सहयोग नहीं करते हैं ऐसी बालक किसी भी काम को किसी दूसरे बालक पर थोपने का प्रयास करते हैं।

6.बुरा आचरण करना:-
समस्यात्मक बालक का व्यवहार ठीक नहीं होता है वह सभी के साथ बुरा आचरण करते हैं।

7.संदेह करना:- समस्यात्मक बालक हर बात पर संदेश करता है उसे किसी दोस्त पर जल्दी यकीन नहीं होता है।

8.धोखा देना :– समस्यात्मक बालक धोखा देना जैसे कार्य करते हैं।

  1. अश्लील बातें करना:-समस्यात्मक बालक कक्षा में शिक्षण के समय अपने सहपाठियों के साथ शिक्षण ना करके अश्लील बातें करते हैं जोकि समस्यात्मक बालक की एक पहचान है। 10.बिस्तर गीला करना:-समस्यात्मक बालक नींद में बिस्तर गीला कर देते हैं।

🔆 अत्यधिक मानसिक परेशानी🔆

1️⃣ मानसिक द्वंद से ग्रसित होना:-
जब बालक में अनेक प्रकार की उलझनें होती हैं तो इससे बालक मानसिक रूप से ग्रसित हो जाते हैं।

2️⃣ हीन भावना का शिकार होना:-समस्याएं उत्पन्न करने के कारण सामान्य बालक उनके साथ रहना खेलना लंच करना तथा कक्षा में उनके साथ बैठना पसंद नहीं करते हैं जिससे उनमें हीन भावना आ जाती है इस प्रकार वहीं भावना का शिकार होते जाते हैं।

3️⃣सीमा से अधिक कठोर व्यवहार करना;- समस्यात्मक बालक सीमा से अधिक कठोर व्यवहार करते हैं ऐसे बालक सामान्य बालकों को मारपीट करना गाली गलौज करना या किसी के कुछ पूछने पर भी एक शब्द भी ना बोलना आदि।

4️⃣अप्रसन्न और चिड़चिड़े रहना;- समस्यात्मक बालक हमेशा अप्रसन्न और चिड़चिड़ा रहता है। सामान्य बालक ओं के साथ कठोर व्यवहार करने के कारण सामान्य बालक समस्यात्मक बालक के साथ रहना पसंद नहीं करते हैं जिससे वह कक्षा के वातावरण नहीं कर पाता है और धीरे-धीरे अपने सहपाठियों के साथ ऑपरेशन और चिड़चिड़ा होता जाता है।

5️⃣भयभीत और आत्म केंद्रित होते हैं:-
ऐसी बालक वातावरण में भयभीत और आत्म केंद्रित होते हैं।

💦 समस्यात्मक व्यवहार के कारण

✨वंशानुक्रम:- वंशानुक्रम के कारण भी कभी-कभी बालक समस्यात्मक हो सकता है क्योंकि यह गुण हो सकता है कि उसके माता या पिता में भी हो सकता है गर्भ में बालक के विकास के समय उसमें आ गया हो जिससे बालक समस्यात्मक हो जाता है।

✨ मूल प्रवृत्तियों का दमन:-
मूल प्रवृत्तियों का दमन होने से उनकी भावना की ग्रंथि दब जाती है और असामाजिक व्यवहार बढ़ने लगते हैं।

✨शारीरिक दोष:-जब बालक सामान्य बालक से अलग होता है या बच्चे में शारीरिक दोष पाए जाते हैं तो उसमें हीन भावना आने लगती है और वह समस्यात्मक बालक का रूप ले लेता है।

✨ वातावरण:-
बच्चे को सही वातावरण उपलब्ध नहीं होता है तब भी बालक समस्यात्मक का रूप ले लेता है।

✨ माता पिता शिक्षकों का व्यवहार:-
माता-पिता और शिक्षकों का व्यवहार बच्चे के प्रति अच्छा होना चाहिए यदि ऐसा नहीं हुआ तो बालक समस्यात्मक हो जाते हैं।

✨ नैतिक शिक्षा का अभाव:-
समस्यात्मक बालक में नैतिक शिक्षा का अभाव पाया जाता है।

✨ परिवार का वातावरण:-
परिवार में माता-पिता और अन्य सदस्यों के या लड़ाई झगड़े से बच्चे समस्यात्मक हो जाते हैं

✨ सांवेगिक दोष:- समस्यात्मक बालकों में संवेग दोष होते हैं।

✍🏻✍🏻Notes by Raziya khan✍🏻✍🏻

🌷🌷 समस्यात्मक बालक🌷🌷

🌲 🌸🌸🌲समस्यात्मक बालक के लक्षण🌲🌸🌸🌲

🌳 निम्न मानसिक परेशानी :-

🌟 पैसे एवं वस्तुओं की चोरी करना।
🌟 स्कूल के कार्यों में सक्रिय ना होना।
🌟 किसी दूसरे को शारीरिक व मानसिक कष्ट देकर आनंद लेना।
🌟 अनुशासन का विरोध करना।
🌟 असहयोग की प्रवृत्ति।
🌟 बुरा आचरण करना।
🌟संदेह करना।
🌟 धोखा देना।
🌟 अश्लील बातें करना।
🌟 बिस्तर गिला करना।

🌟 पैसे एवं वस्तुओं की चोरी करना :-
🌸 पैसे एवं वस्तुओं की चोरी करना,बात – बात पर लड़ना झगड़ना, तथा दूसरों के लिए समस्याएं उत्पन्न करना समस्यात्मक बालकों की पहचान है।

🌟 स्कूल के कार्यों में सक्रिय ना होना :-
🌸 समस्यात्मक बालक स्कूल के कार्यों में सक्रिय रूप से भाग नहीं लेते बल्कि उनकी प्रक्रिया है सभी के लिए समस्याएं उत्पन्न करने वाला हीं होता है।

🌟 किसी दूसरे को शारीरिक व मानसिक कष्ट देकर आनंद लेना :-
🌸 समस्यात्मक बालकों की मानसिक स्थिति ऐसे होती है कि वह किसी भी व्यक्ति को मानसिक शारीरिक व अन्य किसी भी प्रकार का कष्ट देकर खुद आनंद उठाते हैं।

🌟 अनुशासन का विरोध करना :-
🌸समस्यात्मक बालक किसी भी अनुशासन का पालन नहीं करते,किसी से भी नहीं डरते।बल्कि कठोरता से उनका विरोध करते हैं।

🌟 असहयोग प्रवृत्ति :-
🌸 इस प्रकार के समस्यात्मक बालक किसी को भी किसी कार्य में सहायता नहीं देते बल्कि विभिन्न प्रकार की समस्याएं उत्पन्न करते रहते हैं।

🌟 बुरा आचरण करना :-
🌸 इस प्रकार के समस्यात्मक बालक उनकी मानसिक संतुलन ठीक नहीं होने के कारण किसी से भी अच्छा व्यवहार नहीं करते बल्कि सबके साथ उनका आचरण विचारणीय होता है।

🌟 संदेह करना :-
🌸 इस प्रकार के समस्यात्मक बालकों की मानसिक प्रक्रियाएँ ठीक नहीं होने के कारण ऐसे लोगों को किसी पर भी भरोसा करने की क्षमता नहीं होती है। ऐसे लोगों को किसी पर भी विश्वास नहीं होता है।जिससे वे हर एक व्यक्ति पर हमेशा संदेहात्मक निगाह से देखते हैं।

🌟 धोखा देना :-
🌸 समस्यात्मक बालकों का मानसिक संतुलन तथा सामंजस्य की स्थिति ठीक ना होने के कारण ऐसे लोग किसी की मदद करने के बजाय अपनी मानसिक प्रक्रिया संदेह के आवेश में आकर लोगों को धोखा दे देते हैं।

🌟 अश्लील बातें करना :-
🌸 ऐसे बालक दिन में कम उम्र में ही परिपक्वता आ जाती है और अश्लील बातें करना तथा अपराधिक कार्य करना पाया जाता है।वैसे लोगों को भी समस्यात्मक बालक कहा जाता है।क्योंकि समाज के लिए बहुत ही बड़ी समस्या उत्पन्न कर सकते हैं ।

🌟 बिस्तर गिला करना :-
🌸 बिस्तर गिला करना भी समस्यात्मक कार्य में आता है। क्योंकि यह भी एक उम्र तक ही सही रहता है अगर बड़े होने पर भी बिस्तर गिला करने की आदत रहे या हो जाए तो यह भी समस्यात्मक होता है। इसलिए इसका उपचार करना चाहिए।

🌳 अत्यधिक मानसिक परेशानी :-

🌟 मानसिक द्वंद्व से ग्रसित होना।
🌟 हीन भावना का शिकार होना।
🌟सीमा से अधिक कठोर व्यवहार करना।
🌟 अप्रसन्न और चिड़चिड़ा होना।
🌟 भयभीत और आत्म केंद्रित होना

🌟 मानसिक द्वंद्व से ग्रसित होना :-
🌸 ऐसी बालकों का मानसिक संतुलन ठीक नहीं होने के कारण उनके मन में अनेक प्रकार की उलझने होती है।तथा वे मानसिकता से ग्रसित होते हैं।

🌟 हीन भावना का शिकार होना :-
🌸 ऐसे बालक जब उनमें मानसिक द्वंद्व आ जाती है तथा परेशान रहते हैं तो उन्हें खुद के प्रति हीनभावना आ जाती है ।

🌟 सीमा से अधिक कठोर व्यवहार करना :-
🌸 समस्यात्मक बालक किसी से भी सामान्य रूप से व्यवहार नहीं करते तथा ऐसे बालक हमेशा विचलित रहते हैं।तथा सबसे बहुत अधिक कठोरता पूर्वक व्यवहार करते हैं।

🌟 अप्रसन्न और चिड़चिड़ा होना :-
🌸 जैसा कि हम जानते हैं कि इस प्रकार की समस्यात्मक बालकों में अत्यधिक अप्रसन्नता और चिड़चिड़ापन पाई जाती है।

🌟 भयभीत और आत्म केंद्रित होना :-
🌸 ऐसे समस्यात्मक बालक भयभीत होने के साथ – साथ आत्म केंद्रित भी होते हैं।

🌳 समस्यात्मक व्यवहार के कारण :-

🌟 वंशानुक्रम
🌟मूल प्रवृत्तियों का दमन
🌟 शारीरिक दोष
🌟 वातावरण
🌟 माता-पिता शिक्षकों का व्यवहार
🌟 नैतिक शिक्षा का अभाव
🌷 परिवार का वातावरण
🌷सांवेगिक दोष

🌿🌟🍁 वंशानुक्रम🍁🌟🌿

🌷 मूल प्रवृत्तियों का दमन
🌷 शारीरिक दोष

🌟 वंशानुक्रम :-
🌸 जो गुण हमें अपने अनुवांशिकता से प्राप्त होती है उसे वंशानुक्रम कहते हैं। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जो पीढ़ी दर पीढ़ी है स्थानांतरित होती रहती है। इसके कारण भी बच्चे EQ/IQ में दोष के कारण समस्यात्मक हो जाते हैं।

🌷 मूल प्रवृत्तियों का दमन :-
🌸 ऐसे बालकों में मूल प्रवृत्तियों का दमन हो जाने के कारण भावनाओं की ग्रंथि दब जाती है जिससे उनमें असामाजिकता की भावना उत्पन्न हो जाती है।

🌷 शारीरिक दोष :
🌸 बच्चों में शारीरिक दोष होने के कारण उनमें हीन भावना आने लगती है तथा वे असामाजिक कार्य करने लगते हैं। जिससे उन्हें समस्यात्मक बालक माना जाने लगता है।

🌿🌟🍁वातावरण🍁🌟🌿

🌷 माता-पिता शिक्षकों का व्यवहार।
🌷नैतिक शिक्षा का अभाव।
🌷 परिवार का वातावरण।
🌷 सांवेगिक दोष।

🌟 वातावरण :-
🌸 यह एक ऐसी प्रक्रिया है जो हमें अपने आसपास की परिवेश या घर – परिवार से प्राप्त होते हैं। तथा अगर उन्हें अपने इस वातावरण में सुदृढ़ और समायोजित स्थान ना मिले तो भी बच्चे समस्यात्मक हो जाते हैं।

🌷 माता-पिता तथा शिक्षकों का व्यवहार :-
🌸 अगर माता-पिता तथा शिक्षकों का व्यवहार उनके प्रति सकारात्मक ना हो तो भी बच्चे समस्यात्मक होने लगते हैं तथा वहीं बच्चे आगे चलकर अपराधी बच्चे बन जाते हैं।

🌷 नैतिक शिक्षा का अभाव :-
🌸 नैतिक शिक्षा का अभाव होने के कारण भी बच्चे समस्यात्मक बन जाते हैं।

🌷 परिवार का वातावरण :-
🌸 जैसा कि हम जानते हैं एक बच्चे की वृद्धि और विकास में परिवार का बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान होता है अगर परिवार में बच्चे को उचित स्थान ना मिले तथा उनके परिवार में उन्हें हमेशा कलह – द्वेष तथा झगड़ा – झंझट देखने को मिले तो भी बच्चे अपराधिक प्रवृत्ति के हो जाते हैं।

🌷 सांवेगिक दोष :-
🌸 समस्यात्मक बालकों में अनेक प्रकार के दोषों पाए जाते हैं जिसमें से एक दोस्त संवेगात्मक दोष भी होता है। किसी भी व्यक्ति में संवेगात्मक दोष होने से उनमें किसी भी चीज या वस्तु के प्रति किसी भी प्रकार की रूचि या भावना नहीं होती है।

🌟🍁🌿समाप्त 🌿🍁🌟

🌷🦚🌷Notes by :- Neha Kumari 😊

🙏🙏🙏🙏🙏धन्यवाद् 🙏🙏🙏🙏🙏

🌺☘️🍂 समस्यात्मक बालक 🍂☘️🌺

🍃 समस्यात्मक बालक के लक्षण 🍃

1️⃣ निम्न मानसिक परेशानी

💎 पैसे या वस्तु की चोरी करना➖ समस्यात्मक बालक अपनी जरूरतों या आवश्यकता को पूरा करने के लिए पैसे या वस्तु की चोरी करना प्रारंभ कर देते हैं।

💎 स्कूल के कार्यों में सक्रिय ना होना➖ समस्यात्मक बालक स्कूल के किसी भी कार्यों में भाग नहीं लेते हैं एवं किसी भी कार्य के लिए सक्रिय या क्रियाशील नहीं होते हैं अर्थात समस्यात्मक बालक को विद्यालय के किसी भी कार्य में करने में रूचि नहीं लेते हैं।

💎 किसी दूसरे को शारीरिक और मानसिक कष्ट देकर आनंद लेना➖ समस्यात्मक बालक कक्षा के या अन्य जगहों में दूसरे बालकों को शारीरिक व मानसिक कष्ट देकर आनंद की अनुभूति लेते हैं।

(जैसे कक्षा में किसी लड़की का बाल खींचना या किसी बालक को depression Me lana)

💎 अनुशासन का विरोध करना➖ समस्यात्मक बालक विद्यालय के अनुशासन या नियम का पालन नहीं करते हैं यह बालक हमेशा नियमों का विरोध करते हैं और हमेशा अनुशासन हीनता प्रदर्शित करते हैं।
(जैसे स्कूल समय से नहीं आना, क्लास बंक करना)

💎 बुरा आचरण करना➖ समस्यात्मक बालकों का छात्रों से या शिक्षकों से आचरण बुरा होता है अर्थात वह सभी के साथ बुरा व्यवहार करता है किसी से भी अच्छे से बात नहीं करता है।

💎 असहयोग की प्रवृत्ति➖ समस्यात्मक बालक किसी भी कार्य में किसी का सहयोग या मदद नहीं करते हैं और दूसरों के कार्य में बाधा उत्पन्न करते हैं।

💎 संदेह करना➖ समस्यात्मक बालक में संदेह की भावना होती है । अर्थात यदि समस्यात्मक बालक की इच्छा का दमन किया जाता है तो उनमें संदेह की भावना आ जाती है।

💎 धोखा देना➖ समस्यात्मक बालक धोखा देना जैसा कार्य भी करते हैं इन्हें ना किसी पर विश्वास होता है और ना ही दूसरों को इन बालकों पर विश्वास होता है अर्थात समस्यात्मक बालक किसी को भी अपने ऊपर भरोसा नहीं दिला पाते हैं। ये अपना काम निकलवाने के लिए धोखा देने का काम करते हैं।

💎 अश्लील बातें करना➖ समस्यात्मक बालक अश्लील बातें भी करते हैं जो सही नहीं है।

💎 बिस्तर गीला करना➖ मुख्यतः यदि 0-2 आयु के बच्चे बिस्तर गीला करते हैं तो ठीक है लेकिन एक समय के बाद बिस्तर गीला करना समस्यात्मक बालक की श्रेणी में आते हैं।

2️⃣ अत्यधिक मानसिक समस्या से ग्रसित

💎 मानसिक द्वंद से ग्रसित होना➖ समस्यात्मक बालक मानसिक द्वंद से ग्रसित होते हैं ये अनेक प्रकार के उलझनों में उलझे हुए होते हैं और किसी भी कार्य के लिए सही निर्णय नहीं ले पाते हैं।

💎 हीन भावना का शिकार➖ जब बालक को ऐसा लगने लगता है कि वह अब कुछ नहीं कर पाएगा या कुछ नहीं कर सकता तो उस बालक में हीन भावना आ जाती है तब वह बालक समस्यात्मक बालक कहलाता है।

💎 सीमा से अधिक कठोर व्यवहार करना➖ ऐसे बालक पत्थर दिल के हो जाते हैं जो सीमा से अधिक कठोर या दूसरों को कष्ट देने वाले व्यवहार करने लगते हैं और कुछ भी बोलने से पहले सोचते नहीं हैं कि वे क्या बोल रहे हैं । अर्थात किसी को emotionally कष्ट पहुंचा कर इन्हें आनंद की प्राप्ति होती है तो ऐसे बालक समस्यात्मक बालक होते हैं।

💎 अप्रसन्न और चिड़चिड़े रहते हैं➖ समस्यात्मक बालक अप्रसन्न और चिड़चिड़े होते हैं यह बालक किसी के खुशी में भी प्रसन्न नहीं होते हैं और इनमे हर बात के लिए चिड़चिड़ापन होता है। ऐसे बालक किसी सही बात के लिए भी चिड़चिड़ाने लगते हैं।

💎 भयभीत मगर आत्मकेंद्रित होते हैं➖ समस्यात्मक बालक भयभीत तो होते हैं लेकिन आत्म केंद्रित होते हैं ऐसे बालकों को किसी चीज से डर तो लगता है लेकिन वे दिखाते नहीं है और इस डर को मन ही मन रखे होने के कारण ये समस्या उत्पन्न करने लगते हैं। तो ऐसे बालक समस्यात्मक बालक की श्रेणी में आते हैं।

🧿 समस्यात्मक बालक के कारण➖ ऐसे अनेक कारण हैं जिसके कारण बालक समस्या से ग्रसित हो जाते हैं और समस्यात्मक बालक की श्रेणी में आते हैं➖

🍃🍂 वंशानुक्रम➖ वंशानुक्रम या अनुवांशिकता एक बड़ा कारण है जिसके कारण बालक समस्यात्मक बालक की श्रेणी में आ जाते हैं जैसे IQ, कोशिकाओं का विकास, हीन भावना अर्थात जो भी माता-पिता या विरासत से मिले हैं उसके कारण बालक समस्यात्मक बालक बन जाते हैं ‌।

🍂🍃 मूल प्रवृत्ति का दामन➖ मूल प्रवृत्तियों का दामन होने से उनकी भावना ग्रंथि दब जाती है और वह असामाजिक व्यवहार की तरफ बढ़ने लगते हैं।

(असामाजिक व्यवहार जैसे समाज की नियमों का हमेशा विरोध करना, समाज के कार्यों में सहयोग नहीं करना इत्यादि)

🍃🍂 शारीरिक दोष➖ बच्चों में शारीरिक दोष जैसे रूप, रंग, आकार इत्यादि के कारण भी इन बालकों में हीन भावना आ जाती है और यह शारीरिक दोष ही बालकों के लिए कारण बन जाता है,
समस्यात्मक बालक कहलाते हैं।

🍂🍃 वातावरण➖ वातावरण एक प्रमुख कारण है जिससे बालक समस्यात्मक बालकों के लक्षण प्रदर्शित करते हैं यदि बालकों को सही माहौल या उचित वातावरण नहीं मिलता है तो वे समस्यात्मक बालकों की तरह व्यवहार करने लगते हैं।

🍃🍂 माता-पिता शिक्षकों का व्यवहार➖ यदि माता पिता और शिक्षकों का व्यवहार बच्चे के लिए अच्छा या भावपूर्ण नहीं होता है तो बच्चे समस्यात्मक हो जाते हैं माता पिता और शिक्षकों का व्यवहार भी एक मुख्य कारण है जिससे बच्चे समस्यात्मक बालक की श्रेणी में आ जाते हैं।

🍂🍃 नैतिक शिक्षा का अभाव➖ समस्यात्मक बालकों में नैतिक शिक्षा का अभाव होता है बालकों में नैतिकता जैसे संस्कृति, सकारात्मक दृष्टिकोण, सोच, संस्कार ,अच्छे आचरण आदि का अभाव होने से बालक समस्यात्मक बालक हो जाते हैं।

🍂🍃 पारिवारिक वातावरण➖ परिवार में माता पिता और अन्य लोगों में आपसी कलह या लड़ाई झगड़े होने से भी बच्चे समस्यात्मक हो जाते हैं।

🍃🍂 सांवेगिक दोष➖ समस्यात्मक बालकों में सांवेगिक दोष और मनोवैज्ञानिक दोष भी होते हैं। इनमें किसी भी प्रकार की रुचि या किसी के लिए भी भावना नहीं होती है।

✍🏻notes by manisha gupta ✍🏻

🌺समस्यातमक बालक🌺
समस्यातमक बालक के लक्षण निम्न है –
📖 निम्न स्तर की मानसिक परेशानियां
🩸 चोरी करना – किसी के घर में या खुद के घर में ही पैसों ओर वस्तुओं को चुराना ।
🩸 कार्यों में सक्रिय ना होना – घर या स्कूल के कार्यों में बराबर सक्रिय ना होना ।
🩸दूसरों को दुख देना – ऐसे बालक दूसरों को शारीरिक या मानसिक पीड़ा पहुंचा कर आनन्द लेते है।
🩸 अनुशासन का विरोध – समस्यातमक बालक किसी भी अनुशासन को नहीं मानता है और अनुशासन विरोधी हो जाता है।
🩸असहयोग की प्रवृति – यह बालक किसी भी प्रकार के कार्यों में सहयोग नहीं करते है असहयोग की भावना में रहते है।
🩸 बुरा व्यवहार – ऐसे बालक सब के साथ बुरा व्यवहार करते है और परिवार के लिए समस्या उत्पन्न करते है।
🩸संदेह करना – समस्यातमक बालक हर बात पर संदेह करते है । आत्मविश्वास की कमी आ जाती है ।
🩸 धोखा देना – ऐसे बालक किसी के साथ भी विश्वाश पूर्ण व्यवहार नहीं रख पाते है इसलिए धोखा देने में सहज होते है।
🩸अश्लील बातें – ये बालक समय से पूर्व मानसिक रूप से परिपक्व होने लगते है । अपनी उम्र से ज्यादा मानसिक वृद्धि हो जाती है । इसलिए ऐसा होता है ।
🩸 बिस्तर गीला करना – यह प्रक्रिया मानसिक या शारीरिक रूप से समस्या के कारण हो सकती है।

📖 गंभीर मानसिक परेशानी 📖
🩸मानसिक द्वंद से ग्रसित – जब बालक एक ही समस्या में कई प्रकार से उलझ जाता है या असमंजस की भावना होती है ।
,🩸हीन भावना – बालक में शारीरिक मानसिक या समाजिक रूप से कोई ना कोई कमी होने के कारण हीन भावना आ जाती है जो समस्या उत्पन्न करती है।
🩸 अधिक कठोर व्यवहार – ऐसे बालक भावना हीन होते है उनमें कठोरता आ जाती है जिससे वह सीमा से अधिक कठोर हो जाते है ।
🩸 अप्रसन्न और चिड़चिड़ा – समस्यातमक बालक हमेशा अप्रसन्न और चिड़चिड़े होते है ।
🩸 भयभीत व आत्मकेंद्रित – ऐसे बालक जल्दी भयभीत और आत्मकेंद्रित होते है और जल्दी में कुछ गलत कर बैठते है ।

🌺 समस्यातमक। बालक के व्यवहार के कारण
🩸वंशा नुक्रम – माता पिता के कारण से बालक में अक्सर मानसिक या शारीरिक क्षमता की कमी आ जाती है ।
🩸मुल प्रवृत्तियों का दमन – बालक की मनो भावना को दबाने से उनमें हीन भावना आ जाती है और व्यवहार म परिवर्तन हो जाता है।
🩸शारीरिक दोष – इसके कारण बालक दूसरों से अपने आप को कम पता है और कुंठित हो जाता है ।
🩸 वातावरण – बालक को सही वातावरण ना मिल पाने के कारण भी बालक समस्यातमक बालक बन जाता है
🩸 माता पिता व अध्यापक का व्यवहार – बालक के प्रति अभिभावक और शिक्षक का व्यवहार सहानुभूति पूर्ण होना चाहिए जिससे बालक अपने भावों को सहजता से व्यक्त कर सके
🩸 नैतिक शिक्षा का अभाव – बालक को सामान्य नैतिक व्यवहार नहीं सीखने पर वह समाज में अव्हेलना का पत्र हो जाता है जिससे उसका समजिक व्यवहार नहीं हो पाता है।
,🩸परिवार का वातावरण – बालक के सर्वांगीण विकास के लिए परिवार का माहौल सकारात्मक होना जरूरी है अगर ऐसा नहीं है तो बालक पर विपरीत प्रभाव पड़ता है और वह समस्या उत्पन्न करता है।
🩸संवेगिक दोष – इस दोष के कारण बालक में भावनात्मक विकास नहीं हो पाता और वह अधिक कठोर या भयभीत रहने लगते है जो समस्यातमक बालक में आ जाते है।
Notes by – shubha dwivedi
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

📒 समस्यात्मक बालक 📒
problem child

🔵 समस्यात्मक बालक के लक्षण
Symptoms of problematic child

▪️ निम्न मानसिक परेशानी ➖ समस्यात्मक बालक मानसिक रूप से परेशान रहते हैं किसी भी कार्य को सही ढंग से नहीं कर पाते हैं
जैसे-
▪️स्कूल के कार्यों में सक्रिय रूप से भाग नहीं लेते हैं।

▪️किसी दूसरे को शारीरिक और मानसिक कष्ट देकर मजे लेना और उनकी हंसी उड़ाना।

▪️पैसे ,वस्तु की चोरी करना➖ ऐसे बालक हमेशा अपने स्वार्थ के लिए चोरी करते हैं

▪️अनुशासन का विरोध करना➖ ऐसे बालक खुद भी अनुशासन हीन होते हैं और दूसरों को भी अनुशासन नहीं करने के विरोध में उकसाना गलत रास्ता दिखाते हैं

▪️बुरा आचरण करते➖ घर, परिवार, या समाज में बच्चों को बुरा भला कहते हैं किसी की इज्जत नहीं करते हैं

▪️ संदेह करना➖ ऐसे बालक हमेशा अपने मन में संदेह रखते हैं वह किसी भी सत्य ,असत्य को स्वीकार नहीं पाते हैं उन्हें हमेशा संदेह रहता है

▪️ धोखा देना ➖ हमेशा धोखा देते हैं छल कपट करते हैं और लोगों को ठगते हैं ।

▪️ अश्लील बातें करना ➖ जो बातें समाज में स्वीकार नहीं है वह बातें करना, असामाजिक कार्य के लिए बच्चों को हतोत्साहित करना

▪️ बिस्तर गिला करना ➖कहीं बच्चे बड़े होने के बाद भी बिस्तर गिला करते हैं यह एक समस्यात्मक बालक की श्रेणी में आते हैं

🔵 अत्यधिक मानसिक समस्या से ग्रसित
Suffering from severe mental problems

▪️ मानसिक द्वंद से ग्रसित होना
ऐसे बालक के अंदर हमेशा प्रतिद्वंदी की भावना होती है यह संघर्ष करने के लिए लोगों से हमेशा टकराते रहते हैं

▪️ हीन भावना का शिकार होना
यह अपना आत्मविश्वास खो देते हैं यह निर्णय लेने से डरते हैं किसी नया काम करने से पहले ही असफलता की चिंता होती है

▪️ सीमा से अधिक कठोर व्यवहार करना
यह अत्यधिक कठोर व्यवहार करते हैं इनका व्यवहार सभी से अलग होता है

▪️ अप्रसन्न और चिड़चिड़ी रहते हैं
यह हमेशा चिड़चिड़ा स्वभाव के रहते हैं इन्हें कोई खुशी नहीं होती किसी कार्य को देखकर

▪️ भयभीत मगर आत्म केंद्रित होते हैं
यह हमेशा दु:खी और भयभीत रहते हैं लेकिन यह आत्म केंद्रित होते हैं इन्हे किसी से मतलब नहीं होता है यह स्वयं में ही खोये रहते हैं

🔵 समस्यात्मक व्यवहार के कारण

🔹 वंशानुक्रम ➖ इनकी IQ कमजोर होती कोशिका का विकास सहि ढंग से नहीं होता हैं ऐसे कारणों से व्यक्ति गलत रास्ते पर चले जाते हैं

🔹 मूल प्रवृत्ति का दामन ➖ ऐसे बालकों की भावनाओं की ग्रंथि दब जाती है जिससे यह असामाजिक व्यवहार की तरफ बढ़ते हैं

🔹 शारीरिक दोष ➖ शारीरिक दोष के कारण यह हीन भावाना से ग्रस्त रहते हैं

🔹 वातावरण ➖ वातावरण के कारण भी अधिक समस्यात्मक होते हैं

🔹 माता, पिता, शिक्षक का व्यवहार
अगर माता-पिता ,शिक्षक का व्यवहार ठीक तरीके से नहीं होता है तो यह चिड़चिड़ा हो जाते हैं

🔹 परिवार का व्यवहार
अगर परिवार में भाई-बहन माता-पिता के लड़ाई झगड़े होते रहते हैं तो यह उनके लिए समस्यात्मक बन जाते हैं

🔹 नैतिक शिक्षा का अभाव
इनमें सामाजिक नैतिकता का अभाव पाया जाता है सामाजिक मर्यादा को यह तोड़ देते हैं

🔹 संवेगी दोष
संवेगात्मक दोष के कारण यह किसी भी कार्य में रुचि नहीं लेते हैं संवेगात्मक व्यवहार के कारण यह हमेशा ही समस्या उत्पन्न करते हैं

📒Notes by Sanu sanwle

∆ समस्यात्मक बालक :-
✓ वे बालक जिनका व्यवहार अथवा व्यक्तित्व किसी बात में गंभीर रूप से असाधारण होता है समस्यात्मक बालक होते हैं ” ……………. वैलेन्टाइन

∆ समस्यात्मक बालक के प्रकार :-

  1. अति कुशाग्र बालक
  2. अकाल प्रौढ़ बालक
  3. पिछड़े बालक

∆ समस्यात्मक बालक के गुण :-

  1. चोरी करना
  2. झूठ बोलना
  3. झगड़ा करना
    4.विद्यालय से भाग जाना
  4. छोटे बालकों को तंग करना
  5. गृहकार्य न करना
  6. कक्षा में देर से आना
  7. भयभीत रहना

∆ समस्यात्मक बालक बनने के कारण :-

  1. वातावरण
  2. शारीरिक दोष
  3. मूल प्रवृत्तियो का दमन
  4. नैतिकता का अभाव

∆ समस्यात्मक बालकों के निदान :-

  1. नैतिक शिक्षा
    2.संगति पर नजर
  2. मनोरंजन का अवसर
  3. संतुलित पाठ्यक्रम
  4. अध्यापक का आदर्शपूर्ण व्यवहार
  5. उचित जेब खर्च
  6. पुरस्कार

✴️ अपराधी बालक :-
✓ ऐसे बालक जो सामाजिक नियमों के प्रतिकूल व्यवहार करते हैं । उन्हे अपराधी बालक कहते हैं ‘ ………. न्यूमेयर
✓ 18 वर्ष तक की आयु के बालकों को बाल अपराध की श्रेणी में रखा जाता है ।
✓ ऐसे बालकों के लिए बाल सुधार गृह या बाल संप्रेषण गृह का प्रबन्ध किया जाता है ।
✓ भारत में 1897 ई . में 15 वर्ष के बालकों के समाज विरोधी व्यवहार को बाल अपराध माना गया है ।
✓ ऐसे बालक जिनकी समाज विरोधी प्रवृत्तियाँ इतनी गंभीर हो जाती हैं कि उनके प्रति सरकारी कार्यवाही आवश्यक हो जाती है ।

✴️ बाल अपराध के कारण :-

  1. आनुवांशिकता
    2.वातावरण
  2. पारिवारिक कारण
  3. सामाजिक कारण
  4. मन्द बुद्धि
  5. विमाता

✴️ अपराधी बालकों को सुधारने के उपाय :-
✓ अमेरिका में 1899 ई . में किशोर न्यायालय की स्थापना हुई । इसमें 13 वर्ष तक के अपराधियों का न्याय होता था ।
✓ वर्तमान में आयु 13 वर्ष से बढ़ाकर 21 वर्ष कर दी गयी है । भारत में दिल्ली और मुम्बई में किशोर न्यायालय की स्थापना

🇧 🇾 – ᴊᵃʸ ᴘʳᵃᵏᵃˢʰ ᴍᵃᵘʳʸᵃ

📖 समास्यात्मक बालक 📖

🌺🌻🌿🌻🌺 समस्यात्मक बालक के लक्षण🌺🌻🌿🌻🌺 समस्यात्मक बालक को पहचानने के लिए हमें कुछ विशेष लक्षण उस बालक में दिखाई देते हैं। उन लक्षणों के आधार पर हम यह पहचान कर सकते हैं, कि कौन सा बालक समस्यात्मक बालक है? एवं कौन सा बालक समस्यात्मक बालक नहीं है? क्योंकि हम यह जानते हैं, कि पहले हमें बालक की समस्या की पहचान करना होता है। उसके बाद ही हम उस वाला की समस्या का उपचार कर पाएंगे।

🌷🌿🌷 निम्न मानसिक परेशानी 🌷🌿🌷 यह समस्याएं निम्न स्तर की होती है। यह छोटे बालक बालिकाओं के लिए कह सकते हैं। यह बालक की समस्याओं पर सबसे नीचे स्तर होता है, जिस के निम्नलिखित लक्षण है~

👉🏻 रूपए, पैसे एवं वस्तुओं की चोरी करना~
जब बालक किसी भी प्रकार के कारण से रुपए की चोरी करता है, एवं छोटी मोटी वस्तुओं की चोरी करता है। तो हम पहचान कर पाते हैं, कि यह बालक समस्यात्मक बालक की श्रेणी में आता है। क्योंकि चोरी करना नैतिक नियमों के विरुद्ध है, लेकिन बालक समस्यात्मक बालक है, तो वह इस कार्य को करता है।

👉🏻 स्कूल के कार्यों में सक्रिय न होना~
समस्यात्मक बालक की पहचान करने में हमें एक पहलू दिखाई देता है, कि वह स्कूल द्वारा दिए गए कार्यों को एवं शिक्षक द्वारा दिए गए कार्यों को पूर्ण नहीं करता है। उन कार्यों में अपनी सक्रिय भागीदारी नहीं होता है। इस आधार पर हम यह जान सकते हैं, कि बालक समस्यात्मक वर्ग में है।

👉🏻 अन्य व्यक्तियों को शारीरिक व मानसिक कष्ट देकर आनंद लेना~
समस्यात्मक बालकों में ऐसी प्रवृत्ति होती है, जिससे कि वह दूसरे व्यक्तियों को परेशान करते हैं। उन्हें शारीरिक रूप से हानि पहुंचाते हैं, उन्हें मानसिक पीड़ा देना इत्यादि अन्य प्रकार के कार्य समस्यात्मक बालक करते हैं। वह कई ऐसे व्यक्ति जो कि शारीरिक व मानसिक रूप से पहले से ही ग्रसित हैं। उन व्यक्तियों को वह समस्या देते हैं, कष्ट पहुंचाते हैं, इन सब प्रकार के कार्य करने में समस्यात्मक बालक को आनंद की अनुभूति होती है।

👉🏻 अनुशासन का विरोध करना~
समस्यात्मक बालक हमेशा अनुशासन का पालन नहीं करते हैं, वह किसी न किसी प्रकार से अनुशासन में भंग डालने का प्रयास करते हैं। अगर कोई उन्हें किसी भी प्रकार का कार्य है, जो कि अनुशासन से संबंधित हो या अनुशासन में रहकर किया जाए तो वह उस अनुशासन को जरूर तोड़ते हैं। अर्थात हम कह सकते हैं, कि वह अनुशासन का पालन नहीं करते, वे अनुशासन विरोधी होते हैं।

👉🏻 असहयोग की प्रवृत्ति~
समस्यात्मक बालक किसी भी असहाय या जरूरतमंद व्यक्तियों की कभी भी किसी भी प्रकार से मदद नहीं करते हैं। वह अन्य व्यक्तियों को सहयोग ना करने की प्रवृत्ति रखते हैं। अर्थात हम कह सकते हैं, कि समस्यात्मक बालक मे सहयोग की प्रवृत्ति नहीं होती है। बल्कि असहयोग की भावना निवासित रहती है।

👉🏻 संदेह करना एवं धोखा देना~
समस्यात्मक बालक की यह विशेषता होती है, कि वह हमेशा ही अन्य व्यक्तियों पर संदेह करते रहते हैं। अतः हम कह सकते हैं, कि समस्यात्मक बालक में संदेह की प्रवृत्ति होती है।
और समस्यात्मक बालकों में धोखा देने की प्रवृत्ति भी होती है, वह किसी भी अन्य व्यक्तियों को किसी भी प्रकार का धोखा देते रहते हैं। अतः वह एक पल में कुछ ओर एवं दूसरे ही पल में कुछ ओर दिखाते जाते हैं।

👉🏻 बुरा आचरण करना~
जैसा कि पिछले लक्षणों से यह स्पष्ट हो चुका है, कि समस्यात्मक बालक किसी भी प्रकार का मदद कार्य या सहयोग भरा कार्य नहीं करते हैं। इसी के साथ-साथ वह हमेशा ही अन्य व्यक्तियों से बुरा आचरण करते हैं। उन बालको में अच्छे आचरण करने की प्रवृत्ति नहीं पाई जाती है।

👉🏻 अश्लील बातें करना~
जब बालक कुछ इस प्रकार की बातें करने लगता है जिन बातों का या जिन बातों को समाज में एवं घर में मान्यता नहीं दी जाती है इस प्रकार की बातों को हम कह सकते हैं कि बालक अश्लील बातें करने लगता है।

👉🏻विस्तार गीला करना~
सामान्यता हम सभी जानते हैं कि यह छोटे बालकों के लक्षण है लेकिन यही लक्षण एक उम्र के पश्चात बड़े बच्चों में भी होने लगती है तो यह समस्या का स्वरूप धारण कर लेते हैं अर्थात जब बालक बाल अवस्था से निकलने लगता है उसके पश्चात अगर इस प्रकार के लक्षण दिखाई दे तो बालक समस्यात्मक होगा।

🌷🌿🌷 अत्याधिक मानसिक परेशानी 🌷🌿🌷 यह परेशानियां उच्च स्तर पर होती है। अर्थात जब बालक बड़ा हो जाता है। जब इस प्रकार के लक्षण उसमें दिखाई देते हैं। पूर्व में लिखित लक्षण निम्न स्तर के होते हैं। वह बालक के शुरुआती लक्षण होते हैं, लेकिन इन लक्षणों के पश्चात बालक कभी-कभी अपराधी एवं आतंकवादी स्वरूप धारण कर लेता है। वह लक्षण निम्नलिखित है~

👉🏻 मानसिक द्वंद से ग्रसित होना~
समस्यात्मक बालक जब अत्यधिक मानसिक द्वंद से ग्रसित हो जाता है। अर्थात जब बालक अन्य विभिन्न प्रकार की समस्याओं में से या विभिन्न प्रकार के कार्यों में से एक का चयन नहीं कर पाता है। तब हम कह सकते हैं, कि बालक मानसिक द्वंद्व से ग्रसित है।

👉🏻 हीन भावना का शिकार होना~
अगर बालक किसी व्यक्ति के साथ वार्तालाप करता है। लेकिन उसी बीच में बालक को उस व्यक्ति की कुछ बातें उसे पसंद नहीं आती है। या उन बातों का वह गलत अर्थ निकाल लेता है। तो उस व्यक्ति के प्रति बालक की हीन भावना होने लगती है।

👉🏻 सीमा से अधिक कठोर व्यवहार करना~
इन बालकों में ऐसी प्रवृत्ति पाई जाती है, जिससे कि यह अन्य व्यक्तियों के साथ कठोर व्यवहार करते हैं। सामान्यता कठोर व्यवहार कुछ हद तक ठीक है, लेकिन समस्यात्मक बालक का व्यवहार सीमा से अधिक कठोरता दर्शाता है। जो कि किसी भी प्रकार से ठीक नहीं है। अतः सीमा से अधिक व्यवहार या कठोर व्यवहार करना अनुचित है।

👉🏻 अप्रसन्न एवं चिड़चिड़े रहना~
समस्यात्मक बालक अधिकतर प्रसन्न नहीं रहते हैं। उनकी प्रसन्नता का कारण है, कि वह कठोर व्यवहार करते हैं। अन्य व्यक्तियों को परेशान करते हैं, जिससे कि वह व्यक्ति समस्यात्मक बालक से संबंध नहीं रखना चाहते हैं। जिस कारण से समस्यात्मक बालक अप्रसन्न एवं चिड़चिड़ा व्यवहार प्रारंभ कर देते हैं।

👉🏻 भयभीत एवं आत्म केंद्रित रहना~
समस्यात्मक बालक अपनी परेशानियों एवं अपनी भावनाओं को दूसरे के सामने प्रस्तुत नहीं कर पाते हैं। जिससे कि वह अंदर ही अंदर भयभीत होते रहते हैं, और उन में भय की प्रवृत्ति रहने लगती है। जिस कारण से बालक आत्म केंद्रित हो जाते हैं। अन्य व्यक्तियों के साथ वह अपने व्यवहार नहीं बाट पाते हैं।

🌷🌿🌷समस्यात्मक व्यवहार के कारण 🌷🌿🌷 समस्यात्मक बालकों में समस्यात्मक व्यवहार होने के कई कारण होते हैं जिन कारणों से बालक समस्यात्मक प्रगति का हो जाता है उन कारणों में से कुछ कारणों का वर्णन निम्नलिखित हैं~

👉🏻 वंशानुक्रम~
समस्यात्मक बालकों के समस्यात्मक व्यवहार का यह कारण हो सकता है, कि अगर के माता-पिता या उसके वंशानुक्रम में समस्यात्मक व्यवहार करने वाले व्यक्ति है, तो सामान्यतः बालक वही समस्यात्मक ही होगा। इन बालकों की बुद्धि लब्धि एवं इनकी बुद्धि पर भी वंशानुक्रम का प्रभाव पड़ता है।

👉🏻 मूल प्रवृत्तियों का दमन~
समस्यात्मक बालकों की समस्या अथवा प्रवृत्ति के होने का एक कारण यह भी हो सकता है, कि बालक की मूल प्रवृत्तियां पूर्ण नहीं हो पाती है, या उनका दमन किया जाता है। जिससे कि उनमें हीन भावना उत्पन्न होने लगती है। अतः वह समस्यात्मक बालक का स्वरूप धारण कर लेते हैं।

👉🏻 शारीरिक दोष~
कुछ बालक इस प्रकार के होते हैं, जो कि अपने शारीरिक दोषों के कारण से समस्यात्मक व्यवहार करने लगते हैं। जैसे कि एक बालक दिव्यांग है, उस बालक को कई बार शारीरिक एवं मानसिक रूप से परेशान किया जाता है। जिससे कि वह समस्यात्मक स्वरूप ले लेता है। अतः समस्यात्मक व्यवहार का कारण शारीरिक दोष भी हो सकते हैं।

👉🏻 वातावरण~
हम सभी यह भली-भांति प्रकार से जानते हैं, कि बालक का किसी भी प्रकार का विकास हो चाहे वह अच्छा हो या बुरा हो वातावरण सदैव ही संबंधित रहता है। अतः बालक का जिस प्रकार का वातावरण होगा बालक भी उसी प्रकार का आचरण करेगा। अतः हम कह सकते हैं, कि बालक के समस्यात्मक होने का एक कारण वातावरण भी है।

👉🏻 माता पिता एवं शिक्षक का व्यवहार~
बालक जन्म से ही अपने माता-पिता एवं परिवार के साथ रहता है। उनका व्यवहार बालक के लिए सबसे महत्वपूर्ण होता है। जिस प्रकार का व्यवहार माता पिता एवं परिवार वाले करेंगे बालक भी उसी प्रकार का व्यवहार करेगा, एवं माता पिता के पश्चात बालक शिक्षक के संपर्क में अधिक रहता है। माता पिता एवं शिक्षक के व्यवहार से ही बालक अत्यधिक प्रभावित होता है। अगर इनका व्यवहार बालक के प्रति अनुचित रहा तो बालक समस्यात्मक स्वरूप धारण कर लेगा।

👉🏻 नैतिक शिक्षा का अभाव~
जैसा कि हम जानते हैं, अगर समस्यात्मक बालक का वातावरण, माता पिता एवं अन्य संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों का व्यवहार अनुचित होगा। तो बालक का व्यवहार भी अनुचित होगा। ठीक उसी प्रकार से अगर बालक को नैतिक शिक्षा की प्राप्ति नहीं होती है। तो बालक अनैतिक होने लगता है, एवं अनैतिक कार्यों को भी करने लगता है। अतः हम कह सकते हैं, कि समस्यात्मक व्यवहार का कारण बालक में नैतिक शिक्षा के अभाव से होता है।

👉🏻 परिवार का वातावरण~
परिवार का वातावरण बालक के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जैसा कि हम पूर्व में जान चुके हैं, कि माता-पिता एवं शिक्षक बालक के लिए महत्वपूर्ण होता है। एवं माता-पिता के अलावा अन्य परिवार के व्यक्ति भी बालक के लिए उतने ही महत्वपूर्ण होते हैं। अगर परिवार के अन्य सदस्यों का व्यवहार भी बालक के प्रति ठीक नहीं होगा, तो बालक समस्यात्मक हो जाता है। अतः आप परिवार का अनुच्छेद वातावरण भी बालक को प्रभावित करता है।

👉🏻 सांवेगिक दोष~
बालक कठोर व्यवहार करने लगता है। बालक में मानसिक दद्वंता होती है, जिससे कि वह अपने संबंधों को व्यवस्थित नहीं रख पाता है। एवं बालक में सांवेगिक रूप से दोष पाए जाते हैं। बालक भावात्मक रूप से भी स्थिर नहीं रहता है। 📚📚📗 समाप्त 📗📚📚

✍🏻 PRIYANKA AHIRWAR ✍🏻

🙏🌺🌿🌻🙏🌺🌿🌻🙏🌺🌿🌻🙏🌺🌿🌻🙏🌺🌿

💐💐 समस्यात्मक बालक💐
🌸 समस्यात्मक बालक का व्यवहार समस्या उत्पन्न करना है और सामान्य नहीं होता है वो समस्यात्मक बालक कहलाते हैं।

💐💐 समस्यात्मक बालक के लक्षण💐💐
⛲ सभी बच्चे अलग-अलग तरह के समस्या उत्पन्न करते हैं।
🌻🌻 समस्यात्मक बालक दो तरह के होते हैं🌻🌻
👁‍🗨 निम्न मानसिक परेशानी
1.⛲पैसे या वस्तु की चोरी करना किसी के साथ झगड़ा करना बात बात पर यह सब समस्यात्मक बालक के लक्षण है।

2.⛲ स्कूल के कार्यों में सक्रिय ना होना क्या पढ़ रहा है वह ध्यान नहीं देते हैं वह दूसरे बच्चों को पढ़ने में परेशानी करते हैं और शिक्षक को भी पढ़ाने में समस्या उत्पन्न करते हैं यह समस्यात्मक बालक के लक्षण है।
3⛲ समस्यात्मक बालक के किसी दूसरे को शारीरिक और मानसिक कष्ट देकर उन्हें बहुत आनंद आता है।
4⛲ अनुशासन का विरोध करना:- अगर बच्चे कोई बात नहीं मानता और अनुशासन का पालन नहीं करते हैं जैसे-स्कूल में स्कूल ड्रेस नहीं पहन कर जाते हैं और वह अनुशासन तोड़ते हैं मगर नहीं मानते हैं वह अनुशासन का विरोध करते हैं विद्यार्थी को ऐसा नहीं करना चाहिए यह समस्यात्मक बालक के लक्षण है।

5⛲ बुरा आचरण करना:- गाली देना असाधारण व्यवहार करना किसी की बात नहीं मानना यह सब बुरा आचरण है जो कि समस्यात्मक बालक के लक्षण है।
6⛲ असहयोग की प्रवृत्ति:- किसी को सहयोग नहीं करना यह भी समस्यात्मक बालक की लक्षण है असहयोग की प्रवृत्ति नहीं रखनी चाहिए यह बालक किसी को भी सहायता नहीं करते हैं बल्कि यह विभिन्न प्रकार के समस्या उत्पन्न करते हैं।
7⛲ संदेह करना:- किसी काम के प्रति संदेह करना समस्यात्मक बालक किसी पर विश्वास नहीं करते हैं और और वह हमेशा सभी पर संदेह करते रहते हैं।
8⛲ धोखा देना:- धोखा देना भी समस्यात्मक श्रेणी में आता है इसे हमारा व्यवहार सोच पता चलता है।
9⛲ अश्लील बातें करना:- समस्यात्मक बालक के जो बहुत कम उम्र में ही इनमें परिपक्वता आ जाती है और यह अश्लील बातें करते हैं जो कि समाज के लिए सही नहीं है और ये बालक समस्यात्मक उत्पन्न करते हैं।

  1. बिस्तर गिला करना:- बिस्तर गिला करना भी यह भी समस्यात्मक बालक के लक्षण है क्योंकि एक समय तक ही सही है अगर उम्र के बाद भी अगर ऐसा काम करते हैं यह समस्यात्मक होता है और इसका उपचार करना चाहिए ।
    💐💐 अत्यधिक मानसिक समस्या से ग्रसित है💐💐
    1⛲ मानसिक मंद से ग्रसित होना:- ऐसे बालों को मानसिक रूप से बहुत ही उथल-पुथल होती रहती है जिसके कारण उनके मन में अनेक प्रकार की उलझनें होती है ये मानसिक रूप से ग्रसित होते हैं।
    2⛲ हीन भावना का शिकार होना:- जो मन में आए वह बोलना चाहिए मन में किसी बात को नहीं रखना चाहिए ऐसे में मानसिक परेशानी आती है जो खुद के प्रति हीन भावना आती है।

3⛲ सीमा से अधिक कठोर व्यवहार करना:- ऐसे बालक हमेशा सामान्य रूप से व्यवहार नहीं करते हैं और सीमा से अधिक कठोर व्यवहार करते हैं।
4⛲अप्रसन्न और चिड़चिडे होते हैं:- ऐसे बालक हमेशा प्रश्न और चित्र होते हैं किसी के भी खुशी में यह खुश नहीं होते हैं किसी भी बात पे चिढ़ने लगते हैं।
5⛲ भयभीत मगर आत्म केंद्रित होते हैं:- डर किसी भी चीज से लगती है आत्म केंद्रित हो जाते हैं तो हीन भावना का शिकार खुद नहीं हो पाते हैं इन सभी के कारण हीन भावना का द्ववनद होते है बोल रहे हैं तो डर लगता है और बोल नहीं रहे होते हैं तो डर नहीं लगता है।
💐💐 समस्यात्मक व्यवहार के कारण💐💐
1⛲ वंशानुक्रम:- कई बार अक्षमता से ग्रसित होते हैं उनमें हीनता की भावना आती है जैसे काला गोरा या कोई और अक्षमता होती है जो समाज में सही नहीं मानते हैं और बुद्धि लब्धि किसी का कम होता है तो हीन भावना आती है वह ठीक करने के बजाय गलत रास्ते में चले जाते हैं कुछ लोग गलत दिशा में चले जाते हैं कुछ लोग सही दिशा में रहते हैं अब उनमें यह निर्णय खुद का होता है।
2⛲ मूल प्रवृत्ति का दमन:- मूल प्रवृत्ति का दमन भावना गलती से दब जाती है और इससे असामाजिक व्यवहार की तरफ बढ़ने लगते हैं अनेक प्रकार के मूल प्रवृत्ति होते हैं। जैसे जैसे समाज के नियमों का नहीं मानना उनका विरोध करना यह सब असामाजिक व्यवहार में आएगा।
3⛲ शारीरिक दोष:- वंशानुक्रम या किसी कारण से हो जाता है और उनमें हीन भावना आ जाती है जैसे काला गोरा रंग यह सब हीन भावना बच्चों में उत्पन्न करती हैं।
4⛲ वातावरण:- वातावरण अगर सही है तो बच्चे अच्छा व्यवहार सीखते है बालक को अगर सही वातावरण नहीं मिलता है तो वह समस्यात्मक बालको की तरह व्यवहार करने लगते है क्योंकि बच्चे के विकास में वातावरण का बहुत बड़ा हाथ होता है।
5⛲ माता-पिता और शिक्षकों का व्यवहार:- माता पिता का भी बच्चों के व्यवहार पर निर्भर करता अगर शिक्षक अच्छे से पढ़ाते हैं तो बच्चे ध्यान देकर पढ़ते अगर कोई शिक्षक बच्चे को नीचा दिखाने की कोशिश करते हैं तो वह बच्चों को समझते नहीं है इसलिए बच्चे भी समस्यात्मक बालक की तरह ही व्यवहार करते हैं क्योंकि माता पिता और शिक्षक का बहुत बड़ा हाथ होता है अगर सही दिशा नहीं मिलता है तो वह बच्चे समस्यात्मक बालक की श्रेणी में आ जाते है।
6⛲ परिवार का वातावरण:- परिवार का वातावरण भी बच्चों के लिए समस्यात्मक उत्पन्न करती है जैसे किसी के सिंगल पैरंट्स होते हैं जो उन्हें सही से ध्यान नहीं दे पाते हैं इससे बच्चे में समस्या उत्पन्न होती है।
7⛲ नैतिक शिक्षा का अभाव:- नैतिक शिक्षा का होना बहुत जरूरी है से सामाजिकता का साथ होता है समस्यात्मक बालकों में नैतिक शिक्षा का अभाव होता जैसे संस्कृति सोच अच्छे आचरण का भाव होता है ऐसे बालक समस्यात्मक हो जाते हैं।
8⛲ सांवेगिक दोष:- ऐसे बालक में सांवेगिक दोष और मनोवैज्ञानिक दोष दोनों होता है जिसे किसी भी प्रकार की रुचि का विकास नहीं हो पाता है।

💐💐Notes By :-Neha Roy

🔰 समस्यात्मक बालक के लक्षण🔰

समस्यात्मक बालक के निम्न लक्षण हैं

A निम्न मानसिक परेशानी

1 पैसे या वस्तु की चोरी करना:- समस्यात्मक बालक बाल होते हैं जो अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए किसी और के पैसे या किसी वस्तु की चोरी करते हैं जैसे पेंसिल चुराना बुक slate आदि चुराना

2 स्कूल के कार्य में सक्रिय ना होना:- समस्यात्मक बालक स्कूल के किसी कार्य में सक्रिय नहीं होते हैं स्कूल में क्या हो रहा है उन्हें उससे किसी भी प्रकार का मतलब नहीं होता

3 किसी दूसरे को शारीरिक या मानसिक कष्ट देकर उसका आनंद लेना:- समस्यात्मक बालक किसी भी व्यक्ति को शारीरिक या मानसिक कष्ट दे सकता है तथा उसने वह अपने आनंद की अनुभूति करता है जैसे खेलते हुए किसी को धक्का दे देना किसी भी बच्चे को उल्टा सीधा बोल देना आदि

4 अनुशासन का विरोध करना:- समस्यात्मक बालक से हम अनुशासन की कल्पना भी नहीं कर सकते क्योंकि यह बालक अनुशासन भंग करने में सबसे आगे होते हैं जैसे शिक्षक कोई कार्य को देता है तो वह कभी करके नहीं लाते स्कूल देर से आना स्कूल यूनिफॉर्म में स्कूल नहीं आना गृह कार्य करके नहीं लाना

5 बुरा आचरण करना:- समस्यात्मक बालक किसी के साथ भी अच्छा व्यवहार नहीं करते हमेशा दूसरों से ऐसे बात करते हैं जिससे लोगों को बुरा लगता है वह ऐसा करके अपने आप में खुशी का अनुभव करते हैं वह सोचते हैं कि स्कूल में हमारा राज चलता है स्कूल में अपनी दादागिरी दिखाते हैं गाली गलौच करते हैं

6 असहयोग की प्रवृत्ति करना :- समस्यात्मक बालक किसी भी बच्चे को सहयोग प्रदान नहीं करते वह हमेशा असहयोग की प्रवृत्ति को निभाते हैं

7 संदेह करना:- समस्यात्मक बालक किसी सामने वाले बच्चे से यदि किसी प्रकार की अपेक्षा रखता है और वह पूरी नहीं होती है तो उसे संदेह की दृष्टि से देखता है

8 धोखा देना:- समस्यात्मक बालक हमेशा दूसरों को धोखा देता रहता है वह कभी किसी के विश्वास का पात्र नहीं बन पाता

9 अश्लील बातें करना:- समस्यात्मक बालक अश्लील बातें करते हैं एवं वहां के माहौल को गंदा बनाते हैं यह बहुत ही बड़ी समस्या है इसका प्रभाव दूसरे लोगों पर भी पड़ता है

10 बिस्तर गीला करना:- बिस्तर गीला करने की आदत छोटे बच्चों में तो नॉर्मल होती है परंतु एक उम्र के बाद जब बच्चे स्कूल जाने लगता है उसके बाद यदि वह बिस्तर को गीला करता है तो वह समस्यात्मक बालक हो सकता है

B अत्यधिक मानसिक समस्या से ग्रसित

1 मानसिक द्वंद से ग्रसित:- कोई भी व्यक्ति यदि उसके मन में किसी भी प्रकार की शंका या कोई बात होती है तो वह साफ-साफ किसी और से कह देता है तो अच्छा होता है परंतु जो बच्चे अपने मन की बातों को अपने मन में ही रखते हैं और अंदर ही अंदर उसमें घुटते रहते है तो यह उनकी दिमाग को भारी क्षति पहुंचाता है

2 हीन भावना का शिकार होना:- मानसिक रूप से ग्रसित बच्चे दूसरों को देखकर अपने आप में हीन भावना का व्यवहार अपना लेते हैं

3 सीमा से अधिक कठोर व्यवहार करना:- समस्यात्मक बालक व्यवहार्यता की हद को पार कर देते हैं मैं अपने आप में इतना कठोर व्यवहार करते हैं कि उस से निकलना नामुमकिन सा लगता है

4 अप्रसन्न और चिड़चिड़े रहते हैं:- समस्यात्मक बालक हमेशा अप्रसन्न मिजाज मे रहते हैं वह छोटी छोटी सी बातों पर चिड़चिड़े हो जाते हैं उनमे उत्साह की कमी होती है

5 भयभीत मगर आत्म केंद्रित होते हैं:- समस्यात्मक बालक परेशानियों से तो घबराते हैं और वह किसी के साथ उन परेशानियों को शेयर नहीं करते हैं वह अपने आप में आत्म केंद्रित रहते हैं यह एक बहुत ही दुखद समस्या है

C समस्यात्मक व्यवहार के कारण

1 वंशानुक्रम:- वंशानुक्रम के कारण भी निम्न प्रकार की समस्याएं आ जाती हैं
आई क्यू लेवल कम होना कोशिकाओं का विकास सही तरीके से ना होना जिससे बच्चों में हीन भावना आ जाती है

2 मूल प्रवृति का दमन :- भावनात्मक ग्रंथियों का दमन हो जाता है बच्चे असामाजिक व्यवहार करने लगते हैं

3 शारीरिक दोष :- कई बार देखा जाता है कि बच्चों का शरीर ही उनकी समस्या का कारण बन जाता है शरीर की बनावट या शरीर अच्छा ना होना यह भी समस्या का एक कारण बन जाता है जिससे दूसरे बच्चे उनको चढ़ाने लगते हैं और वह समस्या गत व्यवहार करने लगता है

4 वातावरण:- वातावरण के कारण भी बच्चे समस्या की प्रवृत्ति को अपनाते हैं बच्चों को वैसा माहौल नहीं मिल पाता जिस प्रकार से उन्हें मिलना चाहिए बच्चा बचपन से जिस प्रकार से देखता है वह उसी प्रकार से सीखता है

5 माता-पिता और शिक्षकों का व्यवहार:- यदि बच्चे के माता-पिता और शिक्षकों का व्यवहार बच्चों के प्रति सही नहीं है तो बच्चा समस्यात्मक बालक बन जाता है

6 परिवार का वातावरण:- यदि बच्चे के परिवार का वातावरण सही नहीं है तो भी वह समस्यात्मक बालक बन जाता है

7 नैतिकता शिक्षा का अभाव:- समस्यात्मक बालक कहीं भी किसी भी प्रकार की नैतिकता नहीं दिखाते हैं उनमें नैतिक शिक्षा का अभाव होता है परंतु सभी में नैतिक शिक्षा होना जरूरी है हमें बंद कमरे में भी अपनी नैतिकता दिखानी चाहिए

8 सांवेगिक दोष :- संवेद मनोवैज्ञानिक रुप में समस्यात्मक व्यवहार है समस्यात्मक बालक अपने संबंधों पर नियंत्रण नहीं रख पाते जिससे वह समस्यात्मक बालक की श्रेणी में आते हैं।🙏🙏 सपना साहू 🙏🙏

◼️ समस्यात्मक बालक के लक्षण– जैसा कि समस्यात्मक बालक किसी न किसी रूप में समस्या उत्पन्न करते हैं, तथा प्रत्येक बच्चे अलग-अलग प्रकार से समस्याएं उत्पन्न करते है तो, जिसके कारण समस्यात्मक बालक के लक्षण को दो भागों में बांटा गया है–

A. निम्न मानसिक परेशानी
B. अत्यधिक मानसिक दक्षता

▪️ A. निम्न मानसिक परेशानी– इसमें बच्चे की समस्या को एक छोटे स्तर पर देखा जाता हैं, जैसे कि,जो बच्चे शुरुआती अवस्था के समय समस्या उत्पन्न करते है उनमें समस्या निम्न मानसिक परेशानी के कारण से उत्पन्न होती है , जो जो निम्न है–

▪️ १. पैसे/वस्तु की चोरी करना– चोरी करना भी समस्यात्मक बालक का एक लक्षण है । जैसे कि कुछ बच्चे अपने घर से ,पास–पड़ोस के घर से या विद्यालय में किसी के भी वस्तु , समान या पैसे को चुरा लेते हैं और ऐसे बच्चों को चोरी करने की आदत भी पड़ जाती है जिसके कारण यह दूसरों के लिए समस्या उत्पन्न कर देते हैं।

▪️ २. स्कूल के कार्यों में सक्रिय ना होना– समस्यात्मक बच्चे स्कूल के कार्यक्रम जैसे–गणतंत्र दिवस,स्वतंत्रता दिवस, बाल दिवस एवं स्कूल द्वारा कराए गए किसी भी प्रकार गतिविधियों में सक्रिय नहीं रहते हैं।तथा ऐसे बच्चो को इन सभी कार्यों से कोई मतलब भी नहीं रहता है।

▪️ ३. किसी दूसरे को शारीरिक व मानसिक कष्ट देकर आनंद लेना– समस्यात्मक बालक किसी दूसरे को शारीरिक व मानसिक रूप से कष्ट देकर आनंद प्राप्त करते हैं जैसे–हमेशा किसी न किसी का मजाक उड़ाना , मजाक– मजाक में किसीको पीट देना या चोट मार देना, बेवजह किसी बच्चे को परेशान करना, अपने पैर से फंसाकर गिरा या धक्का दे देना आदि तरीकों से ये शारीरिक व मानसिक रूप से कष्ट देकर सबके लिए समस्या उत्पन्न कर देते हैं और खुद आनंद लेते हैं।

▪️ ४. अनुशासन का विरोध करना– समस्यात्मक बच्चे विद्यालय के अनुशासन व नियमों का विरोध या उल्लंघन करते हैं जैसे– सभी बच्चे को स्कूल/कक्षा में एक लाइन से बैठने के लिए कहा जाता है तो, कुछ बच्चे उस लाइन में न बैठ कर अपनी अलग लाइन में बैठ जाते हैं। और वे शिक्षक कि बातों व नियमों को न मानकर उनका उल्लंघन करते हैं और कक्षा में समस्या उत्पन्न करते हैं।

▪️ ५. बुरा आचरण करना– समस्यात्मक बालक अपने से बड़े व छोटे के साथ बुरा आचरण करते हैं। जैसे– गाली देना, बड़ों की बात को दोहराना व न मानना, किसी के ऊपर थूक देना या काट लेना , आदि बुरे आचरण करते हैं।

▪️ ६. असहयोग की प्रवृत्ति रखना– समस्यात्मक बालक किसी के कार्यों में असहयोग की भावना रखते हैं तथा उनके कार्यों में बाधा उत्पन्न करते हैं जैसे– अगर कोई व्यक्ति कहता है कि बच्चे मेरे इस काम या वस्तु को यहां से वहां ले जाने में मेरी थोड़ी मदद कर दो ,तो वह उस कार्य को करने से मना कर देता है और उल्टा उस व्यक्ति को परेशान करता है।

▪️ ७. संदेह करना– समस्यात्मक बालक को हमेशा किसी ने किसी बात पर संदेह रहता है तथा सही और गलत में अंतर नहीं कर पाते हैं।

▪️ ८. धोखा देना– जैसा कि समस्यात्मक बालक किसी न किसी रूप में हमेशा समस्या उत्पन्न करते रहते हैं , जिसके कारण इनके ऊपर कोई भी जल्दी भरोसा नहीं करता है। जैसे– किसी बच्चे से उसकी कॉपी घर ले जाने के लिए मांगता है और कहता है कि मुझे दे दो में तुम्हें तुम्हारी कॉपी कल लाकर दे दूंगा किंतु वह कॉपी को सही समय पर लाकर नहीं देता है।

▪️ ९. अश्लील बातें करना– समस्यात्मक बालक ऐसी बातें करते हैं जो सामाजिक स्तर पर या सामाजिक तौर पर गलत हो वैसी बातें करते हैं या ऐसी बातें जो चार लोगो के सामने या बीच में नहीं कही जा सकती है, वैसी बातो वो समाज में खुलेआम या सबके सामने कर देते है ,जिससे ये समाज के लिए बहुत बड़ी समस्या उत्पन करते है।

▪️ १०. बिस्तर गिला कर देना– जैसे कि छोटे बच्चे रात में बिस्तर गिला या पेशाब कर देते है ,जिसे एक उम्र तक तो ठीक माना जाता है । मगर उसके बाद ( ज्यदा उम्र के बाद ) भी कोई बच्चा ऐसा करता है तो यह दूसरे के लिए समस्या कर रहा है ।

▪️ B. अत्यधिक मानसिक दक्षता– जब समस्यात्मक बालक अत्यधिक मानसिक दक्षता से दूसरे के लिए समस्या उत्पन्न करने लगता है तो वह बहुत बड़ा आतंकवादी का रूप ले सकता है , जो सभी के लिए एक बहुत ही बड़ी समस्या हो सकती है।

▪️ १.–मानसिक द्वंद से ग्रसित– ऐसे बालक अगर किसी मानसिक द्वंद प्रक्रिया से ग्रसित होते हैं तो यह उनके लिए बहुत ही खतरनाक साबित होता है ।जैसे इनके किसी कार्य को करने के लिए इनके दिमाग में एक बार बैठ जाए तो क्या गलत है क्या सही है बिना सोचे समझे उससे संघर्ष करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं।

▪️ २. हीन भावना का शिकार होना– अगर यह किसी स्थिति में खुद को असफल मानने लगते हैं , तो इनके अंदर उस कार्य के प्रति हीन भावना उत्पन्न हो जाती है ।और यह उस हीन भावना का शिकार हो जाते है।

▪️ ३.सीमा से अधिक कठोर व्यवहार करना– समस्यात्मक बालक को कितना भी कुछ कह ले लेकिन इनके ऊपर या इनके व्यवहार में कोई प्रभाव नहीं पड़ता है जैसे– पत्थर दिल हो ना, चाहे आंधी–तूफान आ जाए या जैसे इनको कितना कुछ भी कर लो इनको कुछ फर्क नहीं पड़ने वाला है।

▪️ ४. अप्रसन्न और चिड़चिडे रहना– स्मायात्मक बालक हमेशा अप्रसन्न और चिड़चिड़ा रहते हैं जैसे– अगर कोई कुछ बोलता है या कहता है तो उसकी बातों से चिड़ जाते है ।

▪️ ५. भयभीत मगर आत्म केंद्रित होते हैं– ऐसे बच्चे भयभीत मगर आत्म केंद्रित होते हैं ,जैसे ये किसी कार्य को करने से डरते है मगर उसमें वह आत्मकेंद्रित होते हैं ।

◼️ समस्यात्मक व्यवहार के कारण– समस्यात्मक व्यवहार के कारण निम्नलिखित है–

▪️ १. वंशानुक्रम– कई बार लोग अक्षमता से ग्रसित हो जाते हैं जिसके कारण उनके अंदर हीनता आ जाती है ,जैसे–किसी बच्चे से उनकी बुद्धि –लब्धि (IQ) का कम होना, कोशिका व शारीरिक विकास का सही ढंग से विकास न हो पाना आदि चीजें जिससे यह लोग गलत रास्ता पकड़ लेते हैं।

▪️ २. मूल प्रवृत्तियों का दामन– इसमें बालक की भावनाओं की ग्रंथियां दब जाती है और जिससे यह असामाजिक व्यवहार की तरफ बढ़ जाते हैं।

▪️ ३. शारीरिक दोष– शारीरिक दोष के कारण भी इनके अंदर हीन भावना आ जाती है, जिससे यह समस्या के रास्ते पर चले जाते हैं।

▪️ ४. वातावरण– अगर बच्चे को सही वातावरण प्रदान न किया जाए तो सही वातावरण न मिलने के कारण भी बच्चा समस्यात्मक बालक तथा तरह-तरह की समस्याएं उत्पन्न कर सकता है।इसलिए बच्चे के आस –पास का वातावरण उसके विकास के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

▪️ ५. माता–पिता और शिक्षकों का व्यवहार– अगर बच्चे को माता–पिता तथा शिक्षक के द्वारा बच्चे के साथ उचित व्यवहार नहीं किया जाता है ,तो उससे भी बच्चा समस्यात्मक हो सकता है तथा टीचर को बच्चे को पढ़ाने पर नहीं बच्चे के व्यवहार पर ध्यान देना चाहिए।

▪️ ६. परिवार का वातावरण– अगर बच्चे के परिवार में हमेशा किसी ना किसी से लड़ाई –झगड़े होते रहते हैं तो इससे भी बच्चा समस्यात्मक बन सकता है। अतः बच्चे का जैसा पारिवारिक वातावरण होगा, बच्चा वैसा ही करेगा।

▪️ ७. नैतिक शिक्षा का अभाव– बच्चे के विकास में नैतिक शिक्षा का हर जगह पर महत्व होता है , अगर बच्चे में नैतिक शिक्षा का अभाव पाया जाए ,जैसे सामाजिक नैतिकता का ज्ञान आदि बच्चे में नहीं है ,तो वह समाज के मर्यादा का पालन नहीं करता है , अतः नैतिकता व्यक्तित्व की छवि पर निर्भर करती है।

▪️ ८. संवेगिक दोष– अगर किसी बच्चे की आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं होती है तो वह संवेग व मनोवैज्ञानिक रूप से समस्या उत्पन्न करता है।

▪️▪️▪️▪️▪️▪️▪️▪️▪️▪️▪️

✍🏻Notes by–pooja

🌈समस्यात्मक बालक के लक्षण🌈

🏵निम्न मानसिक परेशानी :-

🌷पैसे / वस्तु की चोरी करना :-
समस्यात्मक बालक परिवार में किसी की जेब से तिजोरी से , विद्यालय में बच्चों की पुस्तके, पेन, पेन्सिल , किताबें , काॅपी व अन्य वस्तुएँ चुरा लेते हैं समस्यात्मक होते हैं |

🌷विद्यालय के कार्यो में सक्रिय न होना :-
ऐसे बालक विद्यालय के किसी भी कार्य में रुचि नहीं लेते हैं कक्षा में क्या पढ़ाया जा रहा है कौन – सी प्रतियोगिता हो रही है इन्हें कुछ लेना – देना नहीं होता है |
🌷किसी दूसरे को शारीरिक और मानसिक कष्ट देना :-
ऐसे बालकों को दूसरे लोगों को शारीरिक और मानसिक कष्ट देकर आनन्द मिलता है ये दूसरे के कामों को खराब करते हैं जानबुझकर तो इन्हें खुशी मिलती है |

🌷अनुशासन का विरोध करना :-
ऐसे बालक हमेशा अनुशासन का विरोध करते हैं ये किसी भी नियम का पालन नहीं करते हैं उल्टा उसका विरोध करते हैं |

🌷बुरा आचरण :- ऐसे बालकों का आचरण बहुत ही बुरा होता है ये लोगों के साथ गलत व्यवहार करते हैं सबका निरादर करते हैं |

🌷असहयोग कि प्रवृत्ति :-
ऐसे बालक असहयोग की प्रवृत्ति रखते हैं ये किसी की भी सहायता नहीं करते हैं इनके मन में दूसरो के घृणा होती है |

🌷संदेह करना :- ऐसे बालक किसी भी काम में हमेशा संदेह करने की आदत होती हैं चाहे इनका कोई अच्छा करे तब भी यह संदेह करते हैं |

🌷धोखा देना :-
ये किसी को भी धोखा दे देते हैं पैसे में , काम में हर चीज में इन्हें धोखा देने की आदत होती है |

🌷अश्लील बातें करना :-
ऐसे बालक अश्लील बातें करते हैं फोटो देखते हैं अश्लील विडियो देखते हैं गंदी गालियाँ देते हैं |

🌷विस्तर गीला करना:-
ऐसे बालक उम्र अधिक हो जाने पर भी विस्तर गीले कर देते हैं |

🦚अत्यधिक मानसिक समस्या से ग्रस्त :-

🌹मानसिक द्वंद्व से ग्रसित होना :-
ऐसे बालक अपने मन की बातें किसी से नहीं कहते हैं मन में ही रखते हैं और मानसिक द्वंद् से ग्रसित हो जाते हैं |

🌹हीन भावना का शिकार होना :-
ऐसे बालकों को किसी से बात करना किसी के पास बैठना बिल्कुल नहीं पसंद आता है ये दूसरे के प्रति हीन भावना रखते हैं |

🌹सीमा से अधिक कठोर व्यवहार करना :-
ये लोगों से अपनी सीमा से अधिक कठोर व्यवहार करते हैं |

🌹अप्रसन्न और चिड़चिड़ा :-
ऐसे बालक किसी भी बात पर चिढ़ जाते हैं इन्हें अच्छी बात बोलने पर भी गुस्सा आता है और ये चिड़चिड़ा व्यवहार करते हैं |

🌹भयभीत और आत्मकेंद्रित :-
ऐसे बालक अन्दर से भयभीत होते हैं ये अपनी बात किसी को बताने से डरते हैं ये आत्मकेंद्रित नहीं होते हैं इनके अन्दर डर होता है हर चीज को लेकर |

🌼समस्यात्मक व्यवहार के कारण :-

🌷वंशानुक्रम :-
वंशानुक्रम में समस्यात्मक बालक का IQ कमजोर होता है इनकी कोशिका कि विकास नहीं हो पाता है |

🌷मूल प्रवृत्ति का दमन:-
इसमें इनकी भावनायें दब जाती है ये अपनी बातें किसी से नहीं कह पाते हैं इनकी इच्छाओं को कोई नहीं समझता है और ये तब असमाजिक व्यवहार करने लगते हैं |

🌷शारीरिक दोष :- ये शारीरिक दोष के कारण खुद को हीन भावना से ग्रस्त महसूस करते हैं अगर इनकी लंबाई किसी से कम है या शरीर का आकार नहीं सही है तो अन्दर से ये खुद को दूसरो से कम समझते हैं |

🌷वातावरण दोष :-
वातावरण में खुद को न ढाल पाना और चिड़चिड़ा महसूस होना इसके कारण दूसरो से असामाजिक व्यवहार करने लगना |

🌷माता -पिता और शिक्षको का व्यवहार :-
ऐसे बालकों को परिवार में माता – पिता से शिक्षकों से तिरस्कार मिलता है उनके साथ अच्छा व्यवहार न करना ऐसे बालक समस्या से ग्रस्त हो जाते हैं और वे गलत काम करने लगते हैं |

🌷परिवार का वातावरण :-
परिवार में लड़ाई – झगड़ा होना , माता – पिता , का लड़ना आपस में बच्चे को तनाव होता है जिससे बालक को परेशानी होती है |

🌷नैतिक शिक्षा का अभाव :-
ऐसे बालकों में नैतिक शिक्षा का अभाव होता है इनमें सकारात्मक दृष्टिकोण, अच्छे संस्कार , का अभाव होता है |

🌷सांवेगिक दोष :-
जब इनकी इच्छाओं कि पुर्ति नहीं हो पाती है जो ये करना चाहते हैं जो इन्हें चाहिए होता है इन्हें नहीं मिलता है इसके कारण इनमें हीन भावना आ जाती है |

🦚🦚Thank you 🦚🦚

Notes by –

Meenu Chaudhary
🎄🎄🎄🎄🎄🎄🎄🎄🎄🎄🎄🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺

‌समस्यात्मक बालक के लक्षण-

समस्यात्मक बालक के लक्षणों को दो प्रकार से देखा जा सकता है –
निम्न मानसिक परेशानी वाले बालक और अत्यधिक मानसिक समस्या से ग्रसित बालक।

  1. निम्न मानसिक परेशानी से ग्रसित बालक –

1.ऐसे बालक पैसे, वस्तुओं की चोरी करते हैं
2.स्कूल के कार्य में सक्रिय नहीं होते हैं
3.किसी दूसरे को शारीरिक और मानसिक कष्ट देकर आनंद का अनुभव करते हैं
4.अनुशासन का विरोध करते हैं
5.बुरा आचरण करते हैं
6.असहयोग की प्रवृत्ति रखते हैं
7.संदेह करते हैं
8.धोखा देते हैं

  1. अश्लील बातें करते हैं
  2. बिस्तर गिला करते हैं

2.अत्यधिक मानसिक समस्या से ग्रसित बालक-

  1. मानसिक द्वंद्व से ग्रसित होना -ऐसे बालक अपने मन में दो मानसिक विचारों में से एक के चुनाव को लेकर बहुत ज्यादा असमंजस में पड़े रहते हैं जैसे कि किसी व्यक्ति से पूछा जाए कि तुम अपनी पत्नी और अपनी माता में से किसे चुने तो वह व्यक्ति द्वंद में पड़ जाएगा ।वह ना अपनी पत्नी की तरफ जाएगा ना अपनी माता की तरफ जाएगा।
  2. हीन भावना का शिकार होना -ऐसे बालक अपने आप को किसी से दूसरे से कमजोर पाते हैं तो उनमें नकारात्मक सोच विकसित होती जाती है जो बाद में बहुत बडी‌ हो जाती है जिससे यह हीन भावना का शिकार हो जाते हैं।
  3. सीमा से अधिक कठोर व्यवहार प्रदर्शित करना -ऐसे बालक अपने आप में ज्यादा खड़ूस होते हैं कठोर नियमों का अधिक पालन करने के लिए बोलते हैं

4.अप्रसन्न और चिड़चिड़ा रहना- ऐसे बालक अपने व्यवहार ,समस्या उत्पन्न करने के कारण चिड़चिड़ा और अप्रसन्न रहते हैं ।

5.भयभीत मगर आत्म केंद्रित होते हैं -ऐसे बालक किसी चीज से डरते हैं तो यह उस डर को किसी दूसरे को नहीं बताते हैं और अपने अंदर रखते हैं उसे छुपाते रहते हैं और अंत में जाकर यह डर उनके अंदर घर बना लेता है और यह बाद में तोप के गोले की तरह फूटता है

समस्यात्मक व्यवहार के कारण-

समस्यात्मक बालक ऐसा व्यवहार क्यों करते हैं इसके कारण निम्नलिखित हैं

  1. वंशानुक्रम -ऐसे बालकों की बुद्धि लब्धि कम होती हैं कोशिकाओं का विकास बाधित होता है यदि यह शारीरिक रूप से कमजोर होते हैं दुबले पतले होते हैं काले होते हैं नाटा अर्थात कद से छोटे होते हैं जिसके कारण इनमें हीन भावना आ जाती है।

2.मूल प्रवृत्ति का दमन – ऐसे बालकों को यदि अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त करने का पर्याप्त अवसर नहीं मिलता या उनकी उपेक्षा की जाती हैं तो यह अपनी मूल प्रवृत्ति के अनुसार व्यवहार नहीं करते हैं इनकी मूल प्रवृत्ति दबी की दबी रह जाती है और यह असामाजिक व्यवहार करने की ओर बढ़ने लगते हैं

3.शारीरिक दोष -ऐसे बालक यदि शारीरिक रूप से दुबले पतले होते हैं नाटा होते हैं या लंबाई में छोटे होते हैं रंग में काले होते हैं तो अपने आप को हीन समझने लगते है

  1. वातावरण -यदि ऐसे बालकों को अपनी अभिव्यक्ति करने के लिए स्वस्थ वातावरण नहीं मिल पाता है तो यह असामाजिक व्यवहार करने लगते हैं
  2. माता-पिता शिक्षकों का व्यवहार- यदि बालकों के प्रति माता-पिता और शिक्षकों का व्यवहार अच्छा नहीं होता है तो यह समस्यात्मक हो जाते हैं
  3. परिवार का वातावरण -यदि बालकों के परिवार का वातावरण इनके अनुरूप नहीं होने के कारण यह समस्यात्मक हो जाते।
  4. नैतिक शिक्षा का अभाव -ऐसे बालकों में नैतिक शिक्षा का अभाव होता है ।
  5. सांवेगिक दोष -ऐसे बालक संवेगात्मक और मनोवैज्ञानिक रूप से समस्यात्मक व्यवहार करते हैं।

Notes by Ravi kushwah

🔆 समस्यात्मक बालकों के लक्षण
समस्यात्मक बालक किसी न किसी रूप में या अलग अलग तरीके से समस्या उत्पन्न करते हैं ।
जिन बालकों के व्यवहार में कोई असामान्य बात होती है जिसके कारण व समस्या बन जाती है।

“समस्या के स्तर के आधार पर इन लक्षणों को दो भागों में बांटा गया है।”

🌀 निम्न मानसिक समस्या से ग्रसित बालक

निम्न मानसिक समस्या निम्न रूपों में हो सकती हैं।
जैसे-
✓पैसे या किसी वस्तु की चोरी करना।
✓विद्यालय के कार्यों में सक्रिय ना होना।
✓किसी दूसरे को शारीरिक या मानसिक कष्ट देकर स्वयं आनंद लेना।
✓अनुशासन का विरोध करना।
✓बुरा आचरण करना।
✓असहयोग की प्रवृत्ति रखना।
✓संदेह करना।
✓धोखा देना।
✓अश्लील बातें करना।
✓बिस्तर गिला करना।

🌀 अत्यधिक मानसिक समस्या से ग्रसित बालक
यह कई रूपों में हो सकती है।
जैसे
✓मानसिक द्वंद्घ से ग्रस्त होना।
✓हीन भावना का शिकार होना।
✓सीमा से अधिक या जरूरत से ज्यादा कठोर व्यवहार करना।
✓अप्रसन्न और चिड़चिड़े रहते है।
✓ऐसे बच्चे भयभीत मगर आत्मकेंद्रित होते है।
(यदि बालक को किसी चीज से डर लगता है और यदि वह उस डर में आत्मकेंद्रित हो जाता है जिससे वह डर उस बच्चे के अंदर ग्रसित होने लगता है।)

🌀 समस्यात्मक व्यवहार के कारण
1 वंशानुक्रम
2 मूल प्रवृत्ति का दमन
3 शारीरिक दोष
4 वातावरण
5 माता-पिता ,शिक्षकों का व्यवहार
6 परिवार का वातावरण
7 नैतिक शिक्षा का अभाव
8 सांवेगिक दोष
उपर्युक्त व्यवहारों का वर्णन निम्न अनुसार है।

💠 1 वंशानुक्रम

▪️वंशानुक्रम के कारण कई बार कमजोर बुद्धि लब्धि(IQ) ,कोशिकाओं का विकास सही ढंग से नहीं हो पाया हो या ऐसी कई आदतें जो विरासत में मिलती हैं जिससे व्यक्ति गलत रास्ता पकड़ लेते हैं और उनके मन में हीन भावना आने लग जाती है । वह इन गलत रास्तों को सही करने में कुछ गलत कर जाते है, जो असामाजिक व्यवहार या समस्या के रूप में दिखाई देने लगता है।

💠 मूल प्रवृत्ति का दमन

▪️मूल प्रवृत्ति का दमन होने से भावना ग्रंथि दब जाती हैं और बालक असामाजिक व्यवहार करने लगते हैं।

▪️यदि किसी व्यक्ति की कार्य को अपने मूल प्रवृत्ति या बेसिक नेचर से करता है तो वह उस कार्य में बहुत ही बेहतर रूप से प्रदर्शन करता है या उसके परिणाम सफल रूप से प्राप्त होते है। तथा इसके साथ बालक की भावना की ग्रंथि उभर कर आती है और वह सामाजिक व्यवहार करने लगते हैं।

💠 शारीरिक दोष

▪️यदि किसी व्यक्ति में कोई शारीरिक दोष होता है तो उसके मन में ही हीन भावना आने लगती है कि वह अन्य लोगों से भिन्न या अलग है। और वहां और असामाजिक व्यवहार करने लगते हैं जो समस्या के रूप में दिखाई देता है।

💠 वातावरण

▪️वातावरण यदि सही है तो सकारात्मक प्रभाव पड़ता है लेकिन यदि घर, समाज का वातावरण दूषित है तो व्यक्ति बहुत ही अवांछनीय व्यवहार करने लगते हैं जो समस्यात्मक रूप में दिखाई देते हैं।

💠 माता-पिता शिक्षकों का व्यवहार

▪️बच्चे शिक्षक के व्यवहार का और माता पिता के व्यवहार का अनुकरण करते हैं,यदि माता-पिता और शिक्षक का व्यवहार समस्यात्मक या ठीक नहीं होगा तो इसका प्रभाव बच्चों पर भी दिखाई पड़ेगा।

▪️कई शिक्षक केवल पढ़ाने पर ध्यान देते हैं लेकिन व्यवहार पर नहीं ।जैसे कि बालक यदि कोई गलत कार्य करता है तो शिक्षक छात्र को बताते नहीं है कि वह कार्य गलत है तब इस स्थिति में यह कार्य समस्या के रूप में सामने आता है।
▪️शिक्षक को पढ़ाने के साथ-साथ व्यवहारिक ध्यान रखना भी जरूरी है जिसमें वह बच्चे को क्या सही है क्या गलत है यह बताते हैं तथा प्रोत्साहित करते हैं और बढ़ावा देते हैं जिससे छात्रा आगे बढ़ते हैं।

💠 परिवार का वातावरण

▪️यदि परिवार में आपसी कलह, झगड़ा या कोई अन्य अनुशासनहीनता होती है तो इसका प्रभाव बच्चों पर पड़ता है और बच्चे असामाजिक व्यवहार करने लगते हैं जो समस्या के रूप में दिखाई देते है।

💠 नैतिक शिक्षा का अभाव

▪️जब हम किसी भी कार्य को करते हैं तो उसमें नैतिकता का होना बहुत जरूरी है। नैतिकता हमारी सामाजिकता में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है और साथ ही अच्छे इंसान की छवि को बनाने में नैतिकता महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

💠 संवेगिक दोष

▪️यदि बच्चे की आवश्यकता की पूर्ति नहीं हो पाती है तो बच्चा अपने भावनात्मक ,संवेगात्मक या मनोवैज्ञानिक रूप से समस्या व्यवहार को जन्म देता है।

▪️उपयुक्त जितनी भी अलग-अलग प्रकार के कारण है उनमें सभी कारणों में से किसी न किसी रूप में कोई ना कोई समस्या होती है।
व्यक्ति की इन समस्या को सही व्यवहार से सुधारा जा सकता है ओर व्यवहार सोच पर निर्भर करता है क्योंकि व्यक्ति की सोच ही व्यक्ति को आगे लेकर जाती है और सोच से ही उसका व्यवहार प्रदर्शित होता है और वही व्यवहार से व्यक्ति आगे बढ़ता है।

✍🏻
Notes By-Vaishali Mishra

🌳🌺🌳समस्यत्माक बालक के लक्षण (Symptoms of problematic child)🌳🌺🌳

🎯निम्न मानसिक परेशानी से ग्रसित 🎯

🌿पैसे/वस्तु की चोरी करना:
ऐसे बच्चे किसी तरह की वस्तु को देखते जो उन्हे पसंद हो अपने पास लेना चाहते और वह उस सामान की चोरी कर लेते चाहे वो विद्यालय, घर, अपने पड़ोसी आदि हो जबकि ये गलत आदत है।

🌿स्कूल के कार्यो में सक्रिय ना होना:
ऐसे बच्चे अपने स्कूल में होने वाले किसी भी तरह के कार्य में जिज्ञासू नहीं होते, उन्हे मतलब ही नहीं होता कि उनके स्कूल मे क्या चल रहा क्या नहीं।

🌿किसी दूसरे को शारीरिक/ मानसिक कष्ट दे कर आनंद लेना:
ऐसे बच्चे दूसरो को परेशान कर खुद आनंद लेते हैं, ये तक अनुभव नहीं करते की इस वजह से किसी को हम मानसिक या शारीरिक insult कष्ट पहुंचा रहे।

🌿अनुशासन का विरोध करना:
ऐसे बच्चे अनुशासन का विरोध करते चाहे वो समाज का हो/ विधालय का आदि, वो पालन नहीं करते।

🌿बुरा आचरण करना:
ऐसे बच्चे को कब क्या बोलना कैसे व्यवहार करना किसके साथ क्या बोलना ये नहीं आता, ऐसे में इनका सबके सामने बुरा आचरण/ छवि बन जाती।

🌿असहयोग की प्रवृति:
ऐसे बच्चे किसी की सहयोग नहीं करते, चाहे सामने वाले की कितनी भी जरूरत क्यो न हो।

🌿संदेह करना:
ऐसे बच्चे दूसरो पर हर वक्त संदेह की प्रवृति होती है।

🌿धोखा देना:
इन बालको में धोखा देने जैसी प्रवृति होती है,यह किसी को भी विश्वास जैसे कार्य ही नहीं करते।

🌿अश्लील बातें करना:
जो हमारे society में accepted नहीं है या अच्छे विचार/ discussion नहीं मानी जाती, ऐसी बातें करना अश्लील बातों में आती हैं।

🌿विस्तर गीला करना:
जब एक उम्र के बाद भी यह आदत बनी रहती हैं, तो यह समस्यत्माक बालक में आता है।

🌹अत्यधिक मानसिक समस्या से ग्रसित 🌹

🍃मानसिक द्वंद से ग्रसित होना:
ऐसे बच्चो में जब कभी किसी प्रकार का उलझन आती हैं तो सही निर्णय नहीं ले पाते हैं और यह अनेक प्रकार के उलझनों में ही उलझे हुए रहते हैं।

🍃हीन भावना का शिकार होना:
हीन भावना तब आती है जब बच्चे को ऐसा महसूस होने लगता है कि अब उससे कुछ नहीं हो पायेगा या कुछ नहीं कर सकता।

🍃सीमा से अधिक कठोर व्यवहार करना:
इनका व्यवहार कठोर होता, यह किसी के emotion के साथ खेल जाते।

🍃अप्रसन्न और चिड़चिड़े रहते है:
ऐसे बच्चे की मानसिक/ शारीरिक कुछ ठीक नहीं होते, जिस वजह से यह प्रसन्न नहीं होते, हर बात पर चिड़चिड़ापन होता है।

🍃भयभीतर मगर आत्म केंद्रित होते है:
ऐसे बच्चे को डर तो लगता है लेकिन वे दिखता नहीं है, और इस डर को मन ही मन रखने के कारण बच्चो में ये समस्या उत्पन्न होती हैं।

🌻समस्यात्मक व्यवहार के कारण 🌻
📍वंशानुक्रम:
वंशानुक्रम/Heriedity/अनुवांशिक यह भी एक बड़ा कारण है हमारे व्यवहार का, जिसके कारण बच्चे में समस्यत्माक बालक के श्रेणी में आते हैं। जैसे-
🔖IQ (intellency quotient)
🔖कोशिकाओं का विकास
🔖हीन भावना आदि।

📍मूल प्रवृति का दमन:
इसमें भावना ग्रंथि दब जाती हैं। और बच्चे असमाजिक व्यवहार करते। समाज के नियमों का पालन नहीं करते, समाज के कार्यो में सक्रिय नही होते।

📍शारीरिक दोष:
ऐसे बच्चे जिसमें शारीरिक दोष होने के कारण मन में ही हीन भावना आने लगती हैं, जैसे-
🎐 रंग
🎐रूप
🎐 आकार
🎐 कद
🎐 ऊँचाई आदि।

📍वातावरण:
जिस प्रकार का वातावरण मिलता, वैसा हम सीखते है। इसलिए बच्चे को सही माहौल या उचित वातावरण नहीं मिलता, तो वैसे बच्चे समस्यत्माक बालक में आता है।

📍माता-पिता/ शिक्षकों का व्यवहार:
माता पिता और शिक्षको का व्यवहार भी एक मुख्य कारण है, क्योकि इनका व्यवहार भी बच्चो के लिए अच्छा या भावपूर्ण नहीं होने से बच्चे समस्यत्माक बालक में आ जाते है।

📍परिवार का वातावरण:
अगर परिवार का वातावरण सही नहीं हो, आपसी कलह/ लड़ाई- झगड़ा हो तो भी समस्यात्माक बालक हो जाते है।

📍नैतिक शिक्षा का अभाव:
बच्चों में नैतिक शिक्षा का अभाव होने से बच्चे समस्यत्माक बालक हो जाते है, जैसे-
🔖 संस्कृति
🔖 संस्कार
🔖 अच्छे आचरण
🔖 सकारात्मक दृष्टिकोण आदि।

📍सांवेगिक दोष:
ऐसे बच्चो में किसी प्रकार की रूचि/ feeling/ भावना/ emotion नहीं होती हैं। 🦚🍒 END 🍒🦚

📚 Noted by 🦩Soni Nikku ✍

📚✍🏻Notes by
~Nisha sky yadav
🎯समस्यात्मक बालक🎯
समस्यात्मक बालक उस बालक को कहते है, जिसके व्यवहार में कोई ऐसी असामान्य बात होती हैं जिसके कारण वह समस्या बन जाती हैं।
जैसे- चोरी करना, झूठ बोलना आदि।

्यात्मक बालकों के प्रकार)🌸*

🌈 1)चोरी करने वाला बालक_
इसके अनेक कारण हो सकते हैं।जैसे – अज्ञानता,माता पिता के द्वारा अव्हेलना करने से, उच्च स्थिति की ईच्छा,आत्म – नियंत्रण का अभाव,चोरी की लत्त, आवश्यकताओं की पूर्ति ना होने आदि।

🌈 2) झूठ बोलने वाला बालक_
दुविधा, मनोविनोद ( मज़ाक), प्रतिशोध, स्वार्थ, वफादारी, मिथ्याभिमान या भय के कारण बालकों में झूठ बोलने की प्रवृति आ जाती हैं।

🌈 3)क्रोध करने वाला बालक_
ईर्ष्या, कार्य,खेल या ईच्छा पूरी न होने,किसी वस्तु को छीन लेने, अस्वस्थ कार्य में असमर्थता, व्यवहार व काम में दोष निकालना,माता या पिता के क्रोधी स्वभाव के प्रभाव इत्यादि के कारण बालक क्रोध करने लगते है।

✍🏻 💫 वैलेंटाइन के अनुसार
“समस्यात्मक बच्चे वे बच्चे है,जिनके व्यवहार तथा व्यक्तित्व इस सीमा तक असामान्य होते है कि वे घर, विद्यालय तथा समाज में
समस्याओं के जनक बन जाते हैं।”
🎯(समस्यात्मक बालकों की पहचान )🎯
समस्यात्मक बालकों की पहचान निम्न प्रकार से की जा सकती ह
💫निरीक्षण विधि का प्रयोग करके
💫 साक्षात्कार द्वारा।
💫 अभिभावकों,शिक्षकों तथा मित्रों से वार्तालाप करके।
💫 कथात्मक अभिलेख द्वारा।
💫 संचय अभिलेख द्वारा।
💫 मनोवैज्ञानिक परीक्षणों द्वारा।

🎯(समस्यात्मक बालक के लक्षण)🎯

🌸न्यून मानसिक दक्षता और समस्यात्मक लक्षण🌸
💫 पैसे या अन्य किसी वस्तु की चोरी करना ।
💫 स्कूल के कार्यों के साथ साथ अन्य किसी कार्य में अपनी सक्रिय भागीदारी न दिखाना ।
💫किसी दूसरे को शारीरिक एवं मानसिक कष्ट देकर आनन्द लेना।
💫 अनुशासन का विरोध करना।
💫किसी के साथ बुरा आचरण करना।
💫 असहयोग की प्रवृति रखना।
💫किसी पर बिना सोचे समझे संदेह करना।
💫किसी को धोखा देना।
💫अश्लील बातें करना।
💫बिस्तर गीला करना।

🌸अत्यधिक मानसिक समस्या से ग्रसित🌸
💫हीन भावना का शिकार होना।
💫सीमा से अधिक
व्यवहार का होना।
💫मानसिक द्वंद से ग्रसित होना।
💫अप्रसन्न और चिड़चिड़े होना।
💫भयभीत परन्तु आत्मकेंद्रित होना।
💫लोगों के विरोध का शिकार होना।
💫अनावश्यक तर्क आधारित आख्यान प्रस्तुत करना।

🎯समस्यात्मक व्यवहार के कारण🎯
💫आनुवांशिक कारण
जो चीज़े बालकों के अन्दर पहले से ही विद्यमान होती है।
💫 शारीरिक कारण
किसी शारीरिक अक्षमता के कारण जो समस्यात्मक व्यवहार बालक के अन्दर आ जाता हैं
💫 स्वभाव सम्बंधी तथा संवेगात्मक कारण
बहुत से बालकों का स्वभाव कहीं कहीं इस प्रकार का हो जाता है जिससे उनका इमोशनल development उसी कारण होता है उनके व्यवहार के कारण के अंतर्गत आता है।
💫 सामाजिक तथा परिवेशीय कारण

सामाजिक तथा परिवेशीय वातावरण में जैसे – घर में माता पिता का व्यवहार, शिक्षकों का व्यवहार , समाज व आस – पास का वातावरण भी बालक के समस्यात्मक व्यवहार के कारण के अंतर्गत आता है।

🙏🏻🙏🏻 धन्यवाद् 🙏🏻🙏🏻

💫 समस्यात्मक बालकों के लक्षण

समस्यात्मक बालक वह है जो हर समय किसी ने किसी प्रकार से समस्या उत्पन्न करता हो इसलिए
समस्यात्मक बालकों के लक्षण दो प्रकार के हो सकते हैं जो कि निम्न है➖

1) निम्न मानसिक परेशानी |
2) अत्याधिक मानसिक समस्या से ग्रसित |

🔅 निम्न मानसिक परेशानी
इसमें बच्चे की समस्या को एक छोटे स्तर पर देखा जा सकता है जैसे कि जो बच्चे शैशवावस्था और बाल्यावस्था में जो समस्या उत्पन्न करते हैं वह निम्न होती है लेकिन यदि वह समस्या किशोरावस्था तक भी रहती है तो वह अपराधी बालक की श्रेणी में होती है अतः हम कह सकते हैं कि बालक कि जो निम्न मानसिक स्तर की परेशानी होती है वह छोटे स्तर से उत्पन्न होती है लेकिन यदि उस समस्या को समय पर रोका नहीं गया तो वह अपराध की श्रेणी में हो जाती है अर्थात ऐसे बालक जो

(1) पैसे या वस्तु की चोरी करना
ऐसे बच्चे जो किसी न किसी रूप से चाहे वह किसी वस्तु की हो या पैसे की हो उसकी चोरी करते हो तो वह समस्यात्मक बालक की श्रेणी में आते हैं चोरी करना बच्चे का एक सामान्य लक्षण है लेकिन यदि उस लक्षण को रोका नहीं गया तो वह अपराध की श्रेणी में बन जाता है प्रारंभ में बच्चे जैसे माता-पिता की जेब से पैसे निकालना ,या विद्यालय में कक्षा के बच्चों का पहन, पेंसिल ,कॉपी आदि की चोरी करते हैं जिसके कारण दूसरों को समस्या होती है अर्थात वे समस्यात्मक बालको की श्रेणी में आते हैं |

(2) स्कूल के कार्यों में सक्रिय न होना

ऐसे बच्चे जो विद्यालय के कार्यों में अपनी सहभागिता देना आवश्यक नहीं समझते हैं या स्कूल की गतिविधियों में अपनी हिस्सेदारी नहीं करते हैं ऐसे बच्चों को जैसे गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस, या बाल दिवस या विद्यालय द्वारा कराए गए किसी भी सांस्कृतिक कार्यक्रम या सामूहिक कार्यक्रम में अपनी भागीदारी का वहन नहीं करते हैं उन्हें इन सभी कार्यों से कोई मतलब नहीं होता है तो ऐसे बच्चे भी समस्यात्मक बच्चे होते हैं |

(3) किसी दूसरे को शारीरिक या मानसिक कष्ट देकर आनंद लेना
ऐसे बच्चे किसी दूसरे बालक को शारीरिक या मानसिक कष्ट देकर आनंद प्राप्त करते हैं जैसे किसी का मजाक उड़ाना मजाक में मारना, या किसी को खुद ही परेशान करना आदि तो ऐसे बालक भी समस्यात्मक बालक होते हैं अर्थात किसी ना किसी प्रकार से दूसरों के लिए समस्या उत्पन्न करना |

(4) ऐसे बच्चे अनुशासन का विरोध करते हैं

ऐसे बच्चे अनुशासन का विरोध करते हैं जैसे स्कूल के नियमों का पालन ना करना, स्कूल से भाग जाना ,शिक्षक के प्रति अनुशासनहीनता का भाव व्यक्त करना ,उनका सम्मान ना करना, बच्चों को मारना ,या दूसरों को परेशान करना, प्रार्थना करते समय लाइन में ठीक से खड़े ना होना , सदैव देरी से विद्यालय आना आदि सब समस्यात्मक बालक के लक्षण हो सकते हैं |

(5) बुरा आचरण करना

समस्यात्मक बालक दूसरों के प्रति बुरा आचरण रखते हैं जैसे छोटो या बड़ों का सम्मान ना करना ,गाली देना ,बड़ों की बात ना मानना उनकी बात को दोहराना, किसी को भी मारना पीटना, या थूक देना आदि सब बुरे आचरण के लक्षण है|

(6) असहयोग की प्रवृत्ति रखना

समस्यात्मक बालक दूसरों के प्रति का सहयोग की भावना नहीं रखते हैं उनकी मदद करना आवश्यक नहीं समझते हैं उनकी मदद करने की वजह उनके लिए समस्या उत्पन्न करते हैं जैसे यदि शिक्षक ने कहा कि पेन उठा कर देना तो वह उनको पेन नहीं देते हैं बल्कि उस पर अपनी राय व्यक्त करते हैं |

(7) संदेह करना

समस्यात्मक बालक अपनी बात पर विश्वास नहीं करते हैं वह हमेशा सही और गलत के बीच संदेह करते हैं |

(8) धोखा देना

समस्यात्मक बालक हमेशा किसी न किसी रूप में समस्या उत्पन्न करते हैं जिसके कारण कोई भी उन पर विश्वास नहीं करता है जैसे कक्षा में किसी बच्चे की कॉपी लेकर कॉपी को वापस नहीं करना या ,किसी का पेन लेकर उसको वापस नहीं करना अर्थात इनकी की प्रवृत्ति धोखा देने वाली होती है |

(9) अश्लील बातें करना

अर्थात ऐसी बातें करना जो सामाजिक स्तर पर एक्सेप्टेड नहीं है जैसे पब्लिक प्लेस पर गाली देना या ऐसा कार्य करना जो समाज के मानदंड के अनुरूप है समस्यात्मक बालक ऐसे कार्य करते हैं जो कि समाज के लिए ठीक नहीं है जैसे गाली देना, मारपीट करना ,या दूसरों के प्रति असम्मान की भावना रखना |

(10) बिस्तर गीला करना

छोटे बच्चे अक्सर बिस्तर गीला कर देते हैं जो कि एक उम्र तक तो ठीक है लेकिन अगर वह किशोरावस्था तब भी चलता है तो यह अच्छा नहीं है माता पिता के लिए यह एक बड़ी समस्या है इसलिए ऐसे बच्चे भी समस्यात्मक बच्चे की श्रेणी में आते हैं |

🔅 अत्याधिक मानसिक समस्या से ग्रसित

ऐसे बच्चे जो मानसिक दक्षता के कारण दूसरों को के लिए समस्या उत्पन्न करते हैं जो कि बाद में एक अपराधी का रूप ले लेती हो इस प्रकार की समस्या उत्पन्न करना तो यह उनकी मानसिक समस्या से ग्रसित समस्या है जो कि बहुत भयानक है अतः अत्यधिक मानसिक समस्या से ग्रसित बालक की 6 विशेषताएं हैं जो कि निम्न है ➖

(1) मानसिक द्वंद से ग्रसित होना

यदि कोई बालक मानसिक द्वंद से पीड़ित है तो वह बहुत बड़ी समस्या है जो कि ठीक नहीं है यदि ऐसे बच्चों के दिमाग में कोई बात बैठ जाए तो उन्हें उसके सही गलत का पता नहीं होता है उसी से हमेशा संघर्ष करने के लिए तैयार रहते हैं जो कि किसी भी प्रकार से ठीक नहीं है |

(2) हीन भावना का शिकार होना

यदि कोई बालक हीन भावना का शिकार है तो वह डिप्रेशन में जा सकता है क्योंकि यदि कोई तुरंत लड़ाई कर लेता है तो ठीक है लेकिन यदि कोई मन में रखता है तो वह खतरनाक साबित हो सकता है क्योंकि वह खुद से हीन है|

(3) सीमा से अधिक कठोर व्यवहार करना

जो लोग हद से ज्यादा कठोर होते हैं तो उनका यह व्यवहार ठीक नहीं है यह समस्या है क्योंकि यदि जो मन में है वही सामने दिखता है जो कि समस्यात्मक की श्रेणी में हो सकता है जैसे अत्यधिक पत्थर दिल होना किसी भी समस्या में अपने अंदर कोई भी परिवर्तन नहीं लाना |

(4) अप्रसन्न और चिड़चिड़े होना
समस्यात्मक बालक अप्रसन्न और चिड़चिड़े रहते हैं जैसे कोई कुछ बोलता है तो उनकी बातों से चिड़ जाते हैं और उसके प्रति अपना व्यवहार व्यक्त करते हैं जो कि सही नहीं है |

(5) भयभीत मगर आत्म केंद्रित रहना

भयभीत होना अच्छी बात है लेकिन आत्म केंद्रित होना अच्छी बात नहीं है लेकिन यदि डर में आत्म केंद्रित हो जाते हैं तो इससे हीन भावना से ग्रसित होकर समस्यात्मक बालक की श्रेणी में हो जाते हैं |

उपयुक्त कारणों को देखते हुए एक शिक्षक होने के नाते यह अवश्य सोचना चाहिए कि उस समस्या को हर नजरिए से देखा जाए प्रत्येक के दो पहलू हो सकते हैं |

💫 समस्यात्मक व्यवहार के कारण

(1) वंशानुक्रम

कई बार बहुत सी अक्षमताओं से ग्रसित होते हैं जैसे काला, नाटा, पतला मोटा आदि जो कि वंशानुक्रम से मिलते हैं कई बार IQ भी कम होती है, कोशिकाओं का विकास सही ढंग से नहीं होता है जिसके कारण मन में हीन भावना आती है जैसे गलत रास्तो पर चले जाते हैं मस्तिष्क में सेन्सलैस हो जाता है ठीक से कार्य नहीं कर पाता हैं तो यह भी समस्यात्मक व्यवहार का कारण हो सकता है |

(2) मूल प्रवृत्ति का दमन
यदि मूल प्रवृत्ति का दमन होता है तो भावना की ग्रंथि दब जाती है जिससे असामाजिक व्यवहार की ओर बढ़ जाते हैं |

(3) शारीरिक दोष

यदि किसी बालक को को शारीरिक दोष की समस्या है तो वह भी समस्या का एक बहुत बड़ा कारण हो सकता है जिससे बालक समस्यात्मक व्यवहार प्रकट कर सकते हैं |

(5) वातावरण

बच्चे के समस्यात्मक व्यवहार का वातावरण भी एक जरूरी बिंदु है क्योंकि यदि जैसा वातावरण रहेगा बच्चे वैसा ही सीखेंगे और उसी के अनुसार अपना व्यवहार प्रदर्शित करेंगे वातावरण में मुखतःपरिवार का वातावरण आता है क्योंकि जैसा परिवार का वातावरण रहेगा बच्चे उसी के अनुसार अपना व्यवहार प्रदर्शित करेंगे इसका सबसे महत्वपूर्ण बिंदु है कि माता-पिता का व्यवहार कैसा है यदि माता पिता के बीच झगड़े होते हैं, परिवार गरीब है तो उससे भी बच्चे समस्यात्मक व्यवहार प्रदर्शित कर सकते हैं |

(6) परिवार का वातावरण
यदि परिवार का स्वस्थ वातावरण नहीं है जैसे कि परिवार में कलह, या लड़ाई झगड़े होते हैं आर्थिक समस्या है तो भी यह बच्चे के समस्यात्मक व्यवहार प्रदर्शित करने एक मेजर बिन्दु है |

(7) नैतिक शिक्षा का अभाव

नैतिक शिक्षा का अभाव एक महत्वपूर्ण बिंदु क्योंकि उसे सही गलत का ज्ञान नहीं होता है बच्चे की नैतिक शिक्षा अति महत्वपूर्ण है यदि वह ठीक नहीं है तो वह समाज के नियमों को समझ नहीं पाएगा और अपनी छवि अपना व्यक्तित्व नहीं बना पाएगा | इसलिए नैतिक शिक्षा भी बच्चे के समस्यात्मक व्यवहार का एक कारण हो सकता है |

(8) सांवेगिक दोष

संवेग मनोवैज्ञानिक रूप से समस्यात्मक व्यवहार उत्पन्न करता है क्योंकि यदि संवेगसंवेगों की पूर्ति नहीं होती है तो वह भी एक समस्या है जिससे बच्चे समस्यात्मक व्यवहार प्रदर्शित करते हैं |

𝙉𝙤𝙩𝙚𝙨 𝙗𝙮➖ 𝙍𝙖𝙨𝙝𝙢𝙞 𝙨𝙖𝙫𝙡𝙚

🌻🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌻

🔆समस्यात्मक बालक के लक्षण🔆
🔅. निम्न मानसिक परेशानी –

  1. पैसे वस्तु की चोरी करना – जब बालक को किसी चीज की आवश्यकता पड़ने पर वह पैसे की चोरी या वस्तु की चोरी करने लगता है अपनी आवश्यकता को पूरा करने के लिए ऐसा इसलिए करता है क्योंकि वह मानसिक रूप से ग्रस्त होता है ऐसा बालक समस्यात्मक बालक होता है |
  2. स्कूल के कार्यों में सक्रिय ना होना – समस्यात्मक बालक स्कूल के कार्यो में सक्रिय रूप से भाग नहीं देता है वह हमेशा समस्या उत्पन्न करने वाला होता है वह किसी कार्य करने में रुचि नहीं लेता है|
  3. किसी दूसरों को शारीरिक और मानसिक कष्ट देकर आनंद लेना –
    समस्यात्मक बालक कक्षा में या अन्य स्थानों पर दूसरे वालों को शारीरिक व मानसिक कष्ट देकर आनंद लेता है
  4. अनुशासन का विरोध करना – समस्यात्मक बालक अनुशासन में रहकर कार्य को नहीं करते नियमों का पालन नहीं करते अनुशासन के विरुद्ध कार्य करते हैं |
  5. बुरा आचरण करना – परिवार स्कूल में रह कर गलत व्यवहार करते हैं अपने छोटे बड़ों के साथ बुरा आचरण करते हैं ऐसे बालक समस्यात्मक बालक के अंतर्गत आते है |
  6. असहयोग की प्रवृत्ति – समस्यात्मक बालक किसी भी कारण हमें जरूरमंदो की सहायता नहीं करता समस्यात्मक बालक व सहयोग करने की सहयोग की प्रवृत्ति नहीं होती बल्कि उस में सहयोग की प्रवृत्ति पाई जाती है |
  7. संदेह करना – समस्यात्मक बालक बने व्यक्तियों पर संदेह करता है वही समस्यात्मक बालक में इच्छा का दमन किया जाता है उसे संदेह की प्रवृत्ति होती है|
  8. धोखा देना – समस्यात्मक बालक लोगों को सहयोग के प्रति धोखा देने का कार्य करते हैं |
  9. अश्लील बातें करना – अश्लील बातें जब बालक किसी अलग प्रकार की बात करने लगता है तो परिवार में समाज में मान्यता नहीं देते हैं ऐसी बातें करना उचित नहीं है |
  10. बिस्तर की गीला करना – छोटे बालक जो बिस्तर गीला देता है जो उम्र तक होता है परंतु बड़ा बच्चा है क्या करें तो समस्यात्मक बालक होता है |
    🔅अत्याधिक मानसिक समस्या से ग्रसित –
    ▪ मानसिक द्वंद से ग्रसित होना – समस्यात्मक बालक मानसिकता द्वंद होते हैं जो किसी कार्य को करने के लिए सही निर्णय नहीं ले पाते |
    ▪ हीन भावना का शिकार होना – जब बालक किसी कार्य को नहीं करता और दूसरा बालक उस कार्य करता है तो उसको देखकर हीन भावना आती है ऐसा पालक समस्यात्मक बालक कहलाता है|
    ▪ सीमा से अधिक कठोर व्यवहार करना – कैसे पालक पत्थर दिल वाले होते हैं और उनका व्यवहार सीमा से मिलने होता है |
    ▪ अप्रसन्न और चिड़चिड़ रहते हैं – समस्यात्मक बालक कैसी बातें करने पर ऑपरेशन में और सर्जरी साहब के होते हैं जो छोटी-छोटी बातों पर चिड़चिडाने लगते हैं समस्यात्मक बालक होते हैं |
    ▪भयभीत मगर आत्म केंद्रित – समस्यात्मक बालक भयभीत जो परेशानियों से डरते हैं या घबराते हैं अपनी समस्या किसी को नहीं बताते अपने आप आत्मकेंद्रित रहते हैं
    🔅समस्यात्मक व्यवहार के कारण –
  11. वंशानुक्रम – समस्यात्मक बालकों में ..
    Iq को कम और कोशिकाओ का विकास सही ढंग से नहीं होता है हीनभावना
    आती है जो गलत रास्ते पर चले जाते हैं |
  12. मूल प्रवृत्ति का दमन – इसमें बच्चों की भावना ग्रंथि दब जाती है और असामाजिक व्यवहार की तरफ बढ़ने लगता है |
  13. शारीरिक दोष – वंशानुक्रम या शारीरिक दोष के कारणअपने आप को हीनभावना से ग्रसित समझते हैं ऐसी बालक की लंबाई आकार और शरीर सही नहीं है और खुद को दूसरों से कम समझते हैं |
  14. वातावरण – बच्चों का वातावरण सही ना होने के कारण समस्यात्मक बालक भिन्न-भिन्न समस्याएं उत्पन्न करता है और आसपास का वातावरण उसके विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है |
  15. माता-पिता और शिक्षकों का व्यवहार – ऐसी बालक जो माता-पिता या शिक्षक से अच्छा व्यवहार नहीं करते भाई समस्यात्मक बालक होता है |
  16. परिवार का वातावरण – परिवार में माता-पिता भाई-बहन या अनेक लोगों से लड़ाई झगड़े करने वाले बालक समस्यात्मक बालक कहलाते है|
  17. नैतिक शिक्षा का अभाव – समस्यात्मक बालकों में नैतिक शिक्षा का अभाव होता है जो संस्कृति अच्छे आचरण संस्कार सोच आदि का अभाव होता है|
  18. सावेगिक दोष – ऐसे बालको की आवश्यकता की पूर्ति नहीं होती तो बालक समस्यात्मक बालकों में संवेग मनोवैज्ञानिक दोष होते हैं|

Notes by – Ranjana Sen

♦️ समस्यात्मक बालक♦️

ऐसे बालक जो विभिन्न प्रकार की समस्या उत्पन्न करते हैं जैसे माता-पिता को परेशान करना कक्षा में शिक्षक को परेशान करना चोरी करना झूठ बोलना इत्यादि इस प्रकार प्रत्येक बच्चे अलग-अलग प्रकार की समस्याएं उत्पन्न करते हैं समस्यात्मक बालक कहलाते हैं!

♦️ समस्यात्मक बालक के लक्षण♦️
समस्यात्मक बालक के लक्षणों को दो भागों में बांटा गया है
1️⃣ निम्न मानसिक परेशानी
2️⃣ अत्यधिक मानसिक दक्षता

A- निम्न मानसिक परेशानी-
इसमें छोटे स्तर की मानसिक समस्याएं होती हैं
इसके अंतर्गत निम्नलिखित बिंदु आते हैं
1- पैसे /वस्तु की चोरी-
ऐसे बच्चे चोरी करने की समस्या से ग्रसित हो जाते हैं अपने घर या बाहर स्कूल में हर जगह किसी ने किसी वस्तु की चोरी कर सकते हैं आगे चलकर यह उनकी आदत में आ जाती है जिससे दूसरों को समस्या उत्पन्न होती है
2- स्कूल के कार्यों में सक्रिय ना होना- ऐसे बच्चे स्कूल के कार्य तथा किसी भी कार्यक्रम स्कूल में की गई गतिविधियों में सक्रिय नहीं रहते हैं ऐसे बच्चे स्कूल के कार्य और कार्यक्रमों में शामिल होना जरूरी नहीं समझते
3- किसी दूसरे को शारीरिक व मानसिक कष्ट देकर आनंद उठाना- ऐसे बच्चे दूसरे व्यक्तियों को शारीरिक तथा मानसिक रूप से तकलीफ पहुंचा कर खुश होते हैं किसी भी प्रकार से उनका मजाक बनाना पीटना बिना किसी कारण के सताना इस तरह की कई समस्याएं उनमें रहती हैं
4- अनुशासन का विरोध करना-/
ऐसे बच्चे अनुशासन का पालन नहीं करते हैं विद्यालय के अनुशासन व नियमों के विरोधी होते हैं जैसे कि शिक्षकों का सम्मान ना करना शिक्षकों की बात ना मानना अपने घर पर भी अपने माता पिता की बात ना मानना अन्य किसी भी प्रकार के नियमों का पालन नहीं करते हैं
5- बुरा आचरण करना/
समस्यात्मक बालक बुरा आचरण करते हैं वह अपने से बड़ों का सम्मान नहीं करते अपने से छोटों के साथ भी बुरा बर्ताव करते हैं
6- असहयोग की प्रवृत्ति रखना-/
समस्यात्मक बालकों के हृदय में सहयोग की भावना नहीं रहती है बे दूसरों व्यक्तियों को कष्ट पहुंचाते हैं उनकी सहायता नहीं करते
7- संदेह करना-/
समस्यात्मक बालक बेवजह है किसी भी बात पर संदेह कर लेते हैं उनमें अपनी बुद्धि से सही और गलत का अंतर स्पष्ट करने की क्षमता नहीं रहती
8- धोखा देना-
ऐसे वाला किसी के भी भरोसे के काबिल नहीं रहते क्योंकि इनकी प्रवृत्ति धोखा देने की होती है कोई इन पर विश्वास करता है बदले में यह उन्हें धोखा देते हैं जैसे कि स्कूल में किसी बच्चे की कॉपी या अन्य कोई भी सामग्री ले लेते हैं और कल वापस देने का वादा करते हैं पर वह समय से वापस नहीं देते!
9- अश्लील बातें करना-/
समस्यात्मक बालकों में कौन सी बात किस जगह करनी हैं कौन सी नहीं इन सब का भान नहीं रहता ऐसे बालक अश्लील बातें करने में भी झिझक महसूस नहीं करते समाज का ग्रुप में इस प्रकार की अश्लील बातें कर देते हैं जिसके कारण बहुत बड़ी समस्या जन्म लेती है
10- बिस्तर गिला कर देना-/ समस्यात्मक बच्चों में बिस्तर गिला करने की आदत बन जाती है ,यह समस्या इसकी सही उम्र तक ही हो ,तब तक ठीक है ,बढ़ती उम्र के साथ यह समस्या खत्म हो जाना चाहिए, अगर किसी में यह समस्या खत्म नहीं होती है, तो वह समस्यात्मक बालक की श्रेणी में आता है !

2️⃣ अत्यधिक मानसिक दक्षता-/ समस्यात्मक बालक अत्यधिक मानसिक दक्षता के कारण विभिन्न प्रकार की समस्या उत्पन्न करता है और फिर यह समस्या एक बड़ा रूप ले लेती है जो उसे एक अपराधी बना देती हैं तो यह समस्या एक बहुत ही बड़ी समस्या बन जाती है
इसके अंतर्गत निम्न बिंदु है

1- मानसिक द्वंद्व से ग्रसित-/
मानसिक द्वंद्व से ग्रसित बालक बहुत ही खतरनाक साबित हो सकते हैं यह अगर किसी काम को ठान ले तो वह करते हैं चाहे वह गलत हो या सही इनमें इतनी अपनी समझ नहीं रहती कि यह
सही गलत अंतर कर सकें यह गलत काम में भी अपना संघर्ष करते हैं
2- हीन भावना का शिकार होना-/ ऐसे बालक को अगर किसी भी वजह से हीन भावना का शिकार हो जाते हैं तो उनके मन से निकालना बहुत ही मुश्किल हो जाता है ऐसे बालक अपने आपको दूसरों से बहुत ही निम्न श्रेणी का समझते हैं खुद को असफल समझते हैं
3- सीमा से अधिक कठोर व्यवहार-/
समस्यात्मक बालक का व्यवहार अत्यधिक कठोर व्यवहार होता है चाहे कोई कितना भी रोए गिर जाए उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता ऐसे बालक पत्थर दिल वाले होते हैं
4 चिड़चिड़ा रहना-/
समस्यात्मक बालक खुश नहीं रहते उनका स्वभाव चिड़चिड़ा होता है ऐसे बालकों को किसी का कहना या सुनाना बर्दाश्त नहीं होता जल्दी चिढ़ जाते हैं
5- भयभीत मगर आत्म केंद्रित होते हैं-/
समस्यात्मक बालक किसी भी काम को करने में डरते हैं लेकिनवह आत्म केंद्रित होते हैं
♦️ समस्यात्मक बालक के व्यवहार के कारण♦️
1- वंशानुक्रम- किसी कारण से हीन भावना आ जाती हैं जिससे बच्चों मे बुद्धि लब्धि कम हो जाता है उनकी कोशिका व शारीरिक विकास का सही ढंग से विकास नहीं हो पाता जिससे वह गलत रास्ता पकड़ लेते हैं
2- मूल प्रवृत्तियों का दमन- मूल प्रवृत्तियों के
दमन के अंतर्गत बालकों की भावनाओं की ग्रंथियां दब जाती हैं जिसके कारण वह असामाजिक व्यवहार करने लग जाते हैं
3- शारीरिक दोष- कोई कोई बच्चे शारीरिक रूप से बेडौल होने के कारण हीन भावना से ग्रसित हो जाते हैं और समस्यात्मक बालक बन जाते हैं
4- वातावरण-
उचित वातावरण ना मिलने के कारण भी बच्चों में समस्या उत्पन्न हो जाती हैं वह अपने आसपास के परिवेश में जैसा देखते हैं जैसा सुनते हैं वहीं से सीखते हैं अर्थात हम कह सकते हैं कि वातावरण समस्या उत्पन्न करने में सहायक है
5- माता-पिता और शिक्षकों का व्यवहार-
माता-पिता तथा शिक्षकों का व्यवहार उचित ना मिलने के कारण बच्चा समस्यात्मक हो जाता है
6- परिवार का वातावरण-
अगर परिवार का वातावरण उचित नहीं है झगड़ालू वातावरण है गलत आदतों वाला वातावरण है तो बच्चे भी वैसा ही सीखेगा और वह समस्यात्मक बालक बन जाएगा
7- नैतिक शिक्षा का अभाव-
बच्चे के विकास में नैतिक शिक्षा का होना बहुत ही महत्व रखता है अगर किसी बच्चे में नैतिक शिक्षा का अभाव पाया जाता है तो वह समाज व परिवार के अंदर अपनी मर्यादा का पालन नहीं करता और उसमें समस्या उत्पन्न हो जाती है
8- संवेग वाले दोष-/
जब किसी बालक की उसकी इच्छा अनुसार आवश्यकता की पूर्ति नहीं हो पाती है तो उसमें संवेग की उत्पत्ति होती है इस प्रकार बालक में संवेग व मनोवैज्ञानिक रूप से समस्या जन्म ले लेती हैं
🙏🏻 समाप्त🙏🏻
♦️🌺 रितु योगी🌺♦️

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *