Introduction of problematic child notes by India’s top learners

📖 समास्यात्मक बालक 📖

🌺 समस्यात्मक बालक वह बालक है, जो बिना कारण के जहा आवश्यकता न हो, हर स्थान पर समस्या उत्पन्न करने के लिए उत्सुक रहता है। कई स्थानों पर वह शिक्षक, माता-पिता इत्यादि सभी को परेशान करने की कोशिश करता रहता है। अर्थात कहने का अर्थ यह है, कि समस्यात्मक बालक हमेशा समस्या उत्पन्न करने के लिए इच्छुक रहता है।
अतः हम कह सकते हैं, कि वे बालक जिनके व्यवहार समस्यात्मक प्रवृत्ति का होता है। या जिनके व्यवहार समस्या उत्पन्न करता है, समस्यात्मक बालक कहलाते हैं।

⚘🌹⚘ वैलेन्टाइन के अनुसार समास्यात्मक बालक की परिभाषा ⚘🌹⚘
” समस्यात्मक बालक वह होता है, जिसका व्यवहार और व्यक्तित्व किसी बात में गंभीर रूप से असाधारण होता है।”
अतः जिनका व्यवहार और व्यक्तित्व सीमा से गंभीर हो, जो समाज, परिवार या विद्यालय में अपेक्षित है।
वह जो अपने व्यवहार से एवं व्यक्तित्व से अपने समाज को, परिवार को एवं विद्यालय को प्रभावित करते हैं।

🌿🌷🌿 समस्यात्मक बालक को उचित मार्गदर्शन द्वारा सुधारा जा सकता है। अगर इनको उचित मार्गदर्शन न मिले तो बालक अपराधी एवं देशद्रोही का स्वरूप ले लेता है।
👉🏻 •••• एक शिक्षक होने के नाते हमारा कर्तव्य है, कि हमें समस्यात्मक बालक की समस्या को ठीक करना होगा। उसे उचित मार्गदर्शन देना होगा। शिक्षक एवं माता पिता को साथ मिलकर ही बालक की समस्याओं का समाधान करना होगा। बालक की समस्या समाधान न होने पर बालक अपराधी स्वरूप ले लेता है। वह गलत रास्ते पर चल देता है। और वह देशद्रोही व आतंकवादी भी बन जाता है। वह कानून का उल्लंघन करने लगता है। इसके लिए आवश्यक है, कि हमें उसकी इस प्रवृत्ति को हटाना होगा। बालक की समस्यात्मक प्रवृत्ति को जितनी जल्दी हम हटा पाएंगे, उतनी ही जल्दी बालक का समग्र विकास हो पाएगा।

🌺🌿🌻🌿🌺 समस्यात्मक बालक की पहचान🌺🌿🌻🌿🌺
इन बालकों की पहचान करने के लिए 6 विधियां दी गई है, जो कि निम्नलिखित है~

🍂🍃 निरिक्षण पद्धति ~
वह पद्धति जिसके द्वारा हम बालक के कार्यों का निरीक्षण करके उसके बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। इस पद्धति के अंतर्गत शिक्षक केवल बालक के कार्य एवं व्यवहारों का निरीक्षण करेगा। इस प्रक्रिया में बालक कार्य करेगा, और शिक्षक उस कार्य का अवलोकन करेगा।

🍃🍂 साक्षात्कार विधि~
इस पद्धति के अंतर्गत शिक्षक बालक से अपने समक्ष बैठा कर उससे प्रश्नों को पूछता है, और बालक पूछे गए प्रश्नों का जवाब देता है।
इस प्रक्रिया के अंतर्गत शिक्षक बालक के द्वारा दिए गए उत्तरों से यह ज्ञात करता है, कि बालक की प्रवृत्ति समस्यात्मक क्यों है? एवं उन समस्याओं को व कमियों को जांच करने के पश्चात उनका उपचार करता है।

🍂🍃 अभिभावक, शिक्षक एवं मित्रों से वार्तालाप~
इस पद्धति के अंतर्गत शिक्षक या समस्या समाधानकर्ता बालक की समस्याओं को जानने के लिए उसके माता-पिता या अभिभावकों से, शिक्षक से या उसके संबंधित मित्रों से बातचीत करके। उस बालक के व्यवहार के संबंध में जानकारी प्राप्त करता है। प्राप्त जानकारी के माध्यम से बालक की कमियों का पता लगाकर उसके उपचार की प्रक्रिया को संपूर्ण करता है।

🍃🍂 कथात्मक अभिलेख ~
बालक के जो रिकॉर्ड जो उसके माता-पिता एवं उसके संबंधित मित्रों से प्राप्त किए गए हैं। उनके आधार पर शिक्षक या समस्या समाधानकर्ता बालक की समस्याओं का पता लगाता है, एवं पता लगाने के पश्चात उसकी समस्या को दूर करने का भी प्रयास करता है।

🍂🍃 संचयी अभिलेख~
इस पद्धति के अंतर्गत ऐसा रिकॉर्ड जो कि किसी अन्य माध्यम से समस्यात्मक व्यक्ति या बालक के बारे में मिला गया हो। उस रिकॉर्ड के आधार पर हम उस व्यक्ति या बालक की समस्या का पता लगाते हैं। इसके अंतर्गत निरीक्षणकर्ता केवल रिकॉर्ड्स के आधार पर ही बालक के बारे में जानकारी प्राप्त करता है।इसके अंतर्गत बालक के जो मूल्यांकन किए जाते हैं उसके रिकॉर्ड भी हो सकते हैं ।और उसके पश्चात उसकी कमियों को दूर भी करता है।

🍃🍂 मनोवैज्ञानिक परीक्षण~
मनोवैज्ञानिक परीक्षण के अंतर्गत हम बालक के मन का परीक्षण करते हैं, उसके व्यवहार को जानते हैं, उसका अवलोकन करते हैं, एवं उसके कार्य करने के तरीकों को देखते हैं, उसके हाव-भाव के माध्यम से हम यह ज्ञात कर सकते हैं। कि बालक को किस प्रकार की समस्या है। इन सभी तथ्यों के आधार पर हम बालक का मनोवैज्ञानिक परीक्षण कर सकते हैं। उपरोक्त सभी पद्धतियों के माध्यम से बालक की समस्यात्मक प्रवृत्ति की पहचान कर सकते हैं। हम यह पता लगा सकते हैं, कि बालक में किस प्रकार की समस्या है। एवं उसकी समस्या को समाधान करने के लिए भी हम उचित उपचार दे सकते हैं। 📚📗 समाप्त 📗📚

✍🏻 PRIYANKA AHIRWAR ✍🏻

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🦚🍁🦚समस्यात्मक बालक🦚🍁🦚

🌟समस्यात्मक बालक,वह होता है जो चोरी करता हो,झूठ बोलता हो,किसी कार्य में बाधा उत्पन्न करता हो, बात – बात पर झगड़ने लगता हो तथा जिनका संवेगात्मक क्षमता स्थिर ना हो,ऐसे बालकों का व्यवहार समस्या उत्पन्न करता है और सामान्य नहीं होता।
ऐसे बालक अपने साथी अपने शिक्षकों और समाज के लिए समस्या उत्पन्न करते हैं। खुद तो परेशान रहते ही हैं तथा साथ में दूसरों को भी परेशान करते रहते हैं।ऐसे बालक समस्यात्मक बालक कहलाते हैं।

🎄जैसे कि :-

🌿शिक्षक को धमकी देना।
🌿 दोस्तों को धमकी देना।
🌿 नियम कानूनों का उल्लंघन करना।
🌿 स्कूल से भाग जाना
🌿 बात बात पर आक्रामक हो जाना।
🌿 असाधारण व्यवहार इत्यादि गुण समस्यात्मक बालकों में पाए जाते हैं। इसके द्वारा ही समस्यात्मक बालकों की पहचान की जा सकती है।

🌟 वैलेंटाइन के अनुसार :-

🌸 समस्यात्मक बालक वह होता है जिसका व्यवहार और व्यक्तित्व किसी बात में गंभीर रूप से असाधारण होता है।
अत: जिसका व्यवहार और व्यक्तित्व उस सीमा से गंभीर हो जो समाज परिवार या विद्यालय में अपेक्षित है।

🌷🌷 ऐसे बालकों को कुछ उचित मार्गदर्शन द्वारा सुधारा जा सकता है। जैसे कि उनके माता-पिता के साथ सहयोगात्मक संबंध विकसित कर तथा उनके विद्यालय,शिक्षकों और सहपाठियों के साथ भी सहयोगात्मक संबंध विकसित कर उन्हें सुधारे जाने की कोशिश करनी चाहिए। जिससे कि उनका सर्वांगीण विकास कर एक अच्छे भविष्य का निर्माण किया जा सके।🌷🌷

🌟 समस्यात्मक बालकों की पहचान :-

🍁 समस्यात्मक बालकों की पहचान हम ६ विधियों द्वारा कर सकते हैं।
जो कि निम्नलिखित हैं :-

🌿 निरीक्षण पद्धति द्वारा।
🌿 साक्षात्कार पद्धति द्वारा।
🌿 अभिभावक, शिक्षक या मित्रों से वार्तालाप द्वारा।
🌿कथात्मक अभिलेखों द्वारा।
🌿 संचयी अभिलेख द्वारा।
🌿 मनोवैज्ञानिक परीक्षण द्वारा।

🌿 निरीक्षण पद्धति द्वारा :-

🌸 इसके अंतर्गत बालकों के केवल एक पक्ष का ही नहीं बल्कि उनके सामाजिक,सांस्कृतिक,मानसिक और भावनात्मक व्यवहारों के हर एक पक्षों तथा दिन – प्रतिदिन के क्रियाकलापों को निरीक्षण द्वारा ही समझ सकते हैं। जिससे कि समस्यात्मक बालक का पता लगाया जा सके।

🌿 साक्षात्कार पद्धति द्वारा :-

🌸 इस पद्धति के अंतर्गत बालकों को अपने समक्ष बैठा कर उनसे किसी भी विषय या मुद्दे पर चर्चा या वाद-विवाद करके उनके द्वारा दिए गए उत्तरों के अनुसार भी उनके व्यवहार और सोच का अवलोकन कर समस्यात्मक बालक को वर्गीकृत किया जा सकता है।

🌿 अभिभावक,शिक्षक व मित्रों से वार्तालाप द्वारा :-

🌸 इस पद्धति के अनुसार समस्या समाधान कर्ता बालक के अभिभावक,शिक्षक व मित्रों से वार्तालाप द्वारा उनके व्यवहार और कौशलों का बातचीत और निरीक्षण कर पता लगाया जा सकता है। उनके समक्ष समाधान किया जा सके और उनका संपूर्ण विकास सुनिश्चित कियाजा सके।

🌿 कथात्मक अभिलेखों द्वारा :-

🌸 इस पद्धति के अंतर्गत, बालक के माता-पिता,अभिभावक,शिक्षक या मित्रों द्वारा प्राप्त सूचनाओं या समस्याओं को एकत्र करता है। तथा उन्हीं सूचनाओं के आधार पर बालकों के समस्याओं का समाधान करने की कोशिश करता है।

🌿 संचयी अभिलेखों द्वारा :-

🌸 इसके अंतर्गत बालकों के पूर्व अनुभव द्वारा या किसी और के द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार उनके व्यवहार,जीवन तथा दिन-प्रतिदिन के क्रियाकलापों के आधार पर उनका जो रिकॉर्ड दर्ज किया गया है उसका अवलोकन कर उनके समस्याओं के बारे में पता पता करता है तथा उनका समाधान करने की कोशिश करना है।

🌿 मनोवैज्ञानिक परीक्षण द्वारा :-

🌸 मनोवैज्ञानिक परीक्षण एक ऐसी परीक्षण पद्धति है,जिसकेअंतर्गत हम बालकों के व्यवहार को जानते हैं उन का अवलोकन करते हैं उनके कार्य करने के तरीकों को देखते तथा अवलोकन करते हैं। कि उनमें किस प्रकार की कौन सी समस्या है और कितनी क्षमता निहित है। इस आधार पर हम समस्यात्मक बालकों का मनोवैज्ञानिक परीक्षण कर सकते हैं।

🌿🌷🌷🌿 अंततः उपरोक्त सभी पद्धतियों का अवलोकन करते हुए यह पता कर सकते हैं कि बालक में कौन सी समस्या है और किस प्रकार की समस्याएं तथा उनका उचित उपचार कर उनके समस्याओं का समाधान करना है।🌿🌷🌷🌿

🌟🌸🌟समाप्त 🌟🌸🌟

🌷🌷Notes by :- Neha Kumari 😊

🙏🙏धन्यवाद् 🙏🙏

🍁समस्यात्मक बालक🍁
बे बालक जो हर समय समस्या उत्पन्न करने के लिए उत्सुक रहते हैं बिना कारण के हर कार्य में बाधा उत्पन्न करते हैं यह बालक का मन स्थिर नहीं होता है इन बालकों का व्यवहार समस्या उत्पन्न करने वाला होता है ऐसे बालक समाज विद्यालय घर परिवार आदि जगहों पर समस्या उत्पन्न करते हैं इनकी संवेगात्मक क्षमता स्थिर नहीं होती हैं झूठ बोलने चोरी करने लड़ाई झगड़ा करने आदि प्रवृत्ति के कारण यह समस्यात्मक बालक की श्रेणी में आते हैं।

🍀 वैलेंटाइन के अनुसार:- समस्यात्मक बालक वे होते हैं जिसका व्यवहार और व्यक्तित्व किसी बात में गंभीर रूप से असाधारण होता है
आत: जिसका व्यवहार और व्यक्तित्व उस सीमा से गंभीर हो जो समाज परिवार है विद्यालय में अपेक्षित है

🌺 समस्यात्मक बालक को उचित मार्गदर्शन के द्वारा सुधारा जा सकता है इनकी समस्याओं को समझ कर समस्या को दूर करना अत्यंत आवश्यक हो जाता है इसके लिए माता पिता विद्यालय अन्य संबंधित पक्ष से बालक के बारे में जानकारी प्राप्त कर उनकी समस्याओं का समाधान किया जाना चाहिए समस्यात्मक बालक के लिए सहयोगी योजनाओं का निर्माण किया जाना चाहिए और समस्या का समाधान करना चाहिए जो उनके सर्वांगीण विकास के लिए आवश्यक है उनकी समस्याओं को सुधारा जाना अत्यंत आवश्यक है समय रहते अगर समस्या का निराकरण नहीं किया गया तो वह अपराधी बालक देशद्रोही इसी प्रकार की अन्य समस्याओं को पैदा करेगा।

✍️ समस्यात्मक बालक की पहचान:- समस्यात्मक बालक की पहचान हम 6 विधियों के माध्यम से कर सकते हैं जो निम्नानुसार है।
🌻 निरीक्षण पद्धति द्वारा:- निरीक्षण निरीक्षण विधि के माध्यम से बालक के समस्त पहलू सामाजिक ,पारिवारिक, शैक्षिक, संबंधित क्रियाकलापों का निरीक्षण अन्य सभी पहलुओं का अवलोकन करके बालक के मनोभाव को समझा जाता है और उस प्रकार उनकी समस्याओं का निदान कर उसका उचित उपचार किया जाता है
🌻 साक्षात्कार पद्धति:- इस विधि के माध्यम से प्रत्यक्ष तरीके से बालक से संबंधित समस्यात्मक विषय पर चर्चा करके प्राप्त जानकारी के अनुसार उनके व्यवहार और विचारों का पता लगा कर समस्या को भलीभांति पहचाना जा सकता है।
🌻 अभिभावक, शिक्षक, मित्र ,से वार्तालाप द्वारा:- जो बालक के व्यवहार को भलीभांति जानते और समझते हो जो काफी समय से उनके व्यवहार को अवलोकित कर रहे हो उनसे मिलकर बालक के समस्त पहलुओं को जाना जा सकता है किन कारणों की वजह से बालक समस्यात्मक व्यवहार करता है आदि संबंधित पक्षों का पता करके बालक के सर्वांगीण विकास को सुनिश्चित किया जा सकता है।
🌻 कथात्मक अभिलेख:-बालक से संबंधित जो रिकॉर्ड उसके माता-पिता संबंधित मित्र अन्य संबंधित व्यक्ति से जानकारी प्राप्त कर उस जानकारी के आधार पर समस्या समाधान कर्ता बालक की समस्याओं का पता लगाकर एवं निदान के पश्चात प्राप्त समस्या को दूर करने के उपाय करता है।

🌻 संचयी अभिलेख:- बालक से संबंधित कोई भी ऐसा रिकॉर्ड जो बच्चे के शैक्षिक सह शैक्षिक पक्षो से संबंधित य कोई भी ऐसा रिकॉर्ड जो बालक से संबंधित जानकारी प्रदान करता हो के माध्यम से समस्यात्मक बालक की पहचान की जा सकती है।

🌻 मनोवैज्ञानिक परीक्षण:- इस परीक्षण के माध्यम से हम बालक के व्यवहार का अवलोकन करते हैं उसके हाव-भाव कार्य क्षमता प्रगति सांवेगिक स्थिति आदि का निरीक्षण करके उनके मनोभाव को जाना जाता है और प्राप्त समस्या को दूर करने का प्रयास किया जाता है।

🍁🌻🍁🌻 इन सभी पद्धति के माध्यम से समस्या को पता कर उचित समाधान किया जाता है जो एक बालक के सर्वांगीण विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है।🍀🍀🍀

🍁 धन्यवाद🍁

Notes by – Abhilasha pandey

🌈🌺🌈 समस्यात्मक बालक🌈🌺🌈

समस्यात्मक बालक वह होता है जो सामाजिक सीमा के अनुरूप काम नहीं करता है किसी कार्य में बाधा उत्पन्न करता है बार बार तो झगड़ने लगते हो इनकी संवेदन क्षमता स्थिर ना हो ऐसी बालक समस्यात्मक बालक के अंतर्गत आते हैं ऐसी वाला का अपने साथी अपने शिक्षक और समाज के लिए समस्या उत्पन्न करते हैं खुद तो परेशान रहते हो और दूसरों को भी परेशान करते रहते हैं समस्यात्मक वाला सामाजिक के अनुरूप किसी भी कार्य को नहीं करते हैं ऐसे समस्यात्मक बाला कहलाते हैं

🌺 स्कूल से भाग जाना

🌺बात-बात पर झगड़ा करना

🌺 नियम कानून का उल्लंघन करना

🌺 किसी भी बात को ना मानना

🌺दोस्तों को धमकी देना

🌺 समाज में उचित व्यवहार ना करना

आशा धाम व्यवहार इत्यादि गुण
समस्यात्मक बालक में पाए जाते हैं इसके द्वारा ही समस्यात्मक बालक की पहचान की जा सकती है

🍁 वैलेंटाइन के अनुसार:–
समस्यात्मक बालक बाय होता है जिसका व्यवहार और व्यक्तित्व किसी बात में गंभीर रूप से आसान होता है

अतः जिसका व्यवहार और व्यक्तित्व सीमा से गंभीर हो तो समाज परिवार और विद्यालय में अपेक्षित है

🌺 समस्यात्मक बालकों का मार्गदर्शन करने के लिए उनके माता-पिता के साथ सहयोगात्मक संबंध विकसित कर तथा उसके विद्यालय शिक्षकों और सहपाठियों के साथ ही यह योग्यता संबंधी विकसित कर उन्हें सुधारे जाने की कोशिश करनी चाहिए जिससे समस्यात्मक बालक का सर्वांगीण विकास हो सके और वह अपने भविष्य में विकसित हो

🌈 समस्यात्मक बालकों की पहचान:–

समस्यात्मक बालकों की पहचान हम 6 विधियों द्वारा कर सकते हैं जो निम्नलिखित है —

🎆 निरीक्षण पद्धति द्वारा:–
इसके अंतर्गत समस्यात्मक बालक के केवल एक पक्ष का ही नहीं बल्कि उनकी सामाजिक सांस्कृतिक भावात्मक तथा मानसिक व्यवहारों के हर पक्ष का निरीक्षण द्वारा समस्यात्मक बालक का पता लगाया जा सकता है

🎆 साक्षात्कार पद्धति द्वारा:–
इसके अंतर्गत बालकों को अपने सामने बैठा कर उन्हें किसी भी विषय या चर्चा के बारे में उनके व्यवहार और सोच का अवलोकन कर समस्यात्मक बालक को वर्गीकृत किया जा सकता है

🎆 अभिभावक शिक्षक व मित्रों से वार्तालाप द्वारा:–
इस पद्धति के अनुसार समस्यात्मक बालक के अभिभावक शिक्षक व मित्रों की वार्तालाप द्वारा उनके व्यवहार आचरण प्रश्नों का निरीक्षण कर पता लगाया जा सकता है समाधान किया जा सके और उनका संपूर्ण विकास सुनिश्चित किया जा सके

🎆 कथात्मक अभिलेखों द्वारा:–
इस पद्धति में बालक के माता पिता अभिभावक शिक्षा के यहां मित्रों द्वारा प्राप्त सूचनाओं को एकत्र करना तथा उन सूचनाओं पर बालकों की समस्या का समाधान करने की कोशिश करना इसके द्वारा हम समस्यात्मक बालक की पहचान कर सकते हैं

🎆 संचयी अभिलेखों द्वारा:–

इस पद्धति के द्वारा बालकों के पूरा अनुभव और किसी के द्वारा प्राप्त की गई जानकारी के अनुसार उनके व्यवहार जीवन तथा क्रियाकलापों के आधार पर उनका जो रिकॉर्ड दर्ज किया जाता है उसका अवलोकन कर सकते हैं समस्यात्मक बालक के बारे में पता करता है तथा उसका समाधान करने की कोशिश करना

🎆 मनोवैज्ञानिक परीक्षण द्वारा:–
इस पद्धति के द्वारा बच्चों के व्यवहार को जानते हैं और हम उन बालकों का अवलोकन करते हैं उनके कार्य करने के तारीख के को देखते तथा अवलोकन करते हैं इस आधार पर समस्यात्मक बालकों का मनोवैज्ञानिक परीक्षण कर सकते हैं

उपरोक्त पद्धति के अनुसार हम कह सकते हैं कि बालक की समस्यात्मक प्रवृत्ति की पहचान कर सकते हैं की बालक में किस प्रकार की समस्या है एवं उसकी समस्याओं का समाधान करने के लिए भी हमें उचित उपचार दे सकते हैं

✍🏻✍🏻✍🏻Menka patel ✍🏻✍🏻✍🏻

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🌻🌴 समस्यात्मक बालक 🌻
🌸समस्यात्मक बालक वह है जो कोइ कार्य में समस्या उत्पन्न करे।
ःक्लास में शिक्षक को पढाने में समस्या उत्पन्न करते हैं और कभी भी शांति से नहीं रहते हैं।
ःइनका व्यवहार समस्या उत्पन्न करना है और सामान्य नही होता है,समस्यात्मक कहलाते है।
ंऐसे बालक खुद तो परेशान होते ही है और सभी को परेशान करते हैं
🌸वेलेन्टाइन के अनुसार 🌸
ः समस्यात्मक बालक वो होता है जिसका व्यवहार और व्यक्तित्व किसी बात में गंभीर रुप से असाघारण होता है।
अतः जिनका व्यवहार और व्यक्तित्व उस सीमा से गंभीर हो जो समाज परिवार या विघालय में अपेक्षित है।
🌸ऐसे बालक को उचित मार्गदर्शन द्वारा सुघारा जा सकता है। उन्के माता पिता, शिक्षक को साथ मिलकर उन्हें सुघारे जाने की कोशिश करनी चाहिए नही तो वो आगे जाकर बाल अपराघी, देशद्रोही बालक बन सकते है।
🌸समस्यात्मक बालक की पहचान 🌸
🌸ःनिरीक्षण पद्धति :- इसमें बच्चे के सामाजिक, सांस्कृतिक, मानसिक और भावानात्मक व्यवहारो के हर एक पक्ष को बहुत ही बारीकी से अवलोकन करते हैं और समस्यात्मक बालक की पहचान करते है।
🌸ःसाक्षात्कार पद्धति :-इसमें बच्चे से जुड़े सवाल पुछते हैं और उन्के सवाल का जवाब से बच्चे के व्यवहार का पता करते है।
ः बच्चे विचार विमर्श से अपने प्रतिक्रिया देते है उससे बच्चे के समस्या का पता लगाते हैं।
ः 🌸अभिभावक, शिक्षक, मित्रों से वार्तालाप :-इसमें अभिभावक, शिक्षक, मित्रों से वार्तालाप करके उन्के सम्सायाओ का पता लगा सकते हैं क्योंकि बच्चे सबसे ज्यादा अभिभावक, शिक्षक, मित्रों के साथ ही समय बिताते है इनसे पता करने से बच्चे का समस्यात्मक दूर कर सकते हैं।
🌸कथात्माक अभिलेंख 🌸
कथात्माक अभिलेंख में बच्चे का सूचना एकत्र करते हैं जो भी हमें उन्के माता पिता, दोस्तों से जो भी जानकारी मिलती है उसकी सहायता से बच्चे के समस्याओं का समाधान करते है।
🌸संचयी अभिलेख 🌸
इसमें बच्चे का उन्के व्यवहार का, उन्के कार्य का रिकॉर्ड रखा जाता है और उसका अवलोकन करके समस्या के बारे में पता करते है और फिर उसका समाधान करते है।
🌸मनोवैज्ञानिक परीक्षण 🌸
ः बच्चे के मन के बारे में जानेगे, व्यवहार को समझेगे, उनका अवलोकन करते है और कोशिश करते है कि बच्चे कैसे चीजो के बारे में सोचते हैं, किस स्थिति में कैसे रिएक्ट करते हैं हम इस प्रकार से समस्यात्मक बालको का मनोवैज्ञानिक परीक्षण कर सकते हैं।

Notes By :-Neha Roy

🔆 समस्यात्मक बालक🔆

▪️समस्यात्मक बालक वह है जो सामान्य बालकों से असाधारण रूप से भिन्न होते हैं इन बालकों का समायोजन परिवार, समाज तथा विद्यालय में नहीं हो पाता जिसके कारण समस्या उत्पन्न करते हैं ।ऐसे बालक सामान्य व्यवहार, नियमों तथा मान्यताओं का पालन नहीं करते उनका व्यक्तित्व विकृत होता है।

▪️इनकी यह विशेषता है कि यह समस्या उत्पन्न करते हैं अर्थात इनका व्यवहार सामान्य नहीं होता है।

▪️पिछड़े बालक एवं मंदबुद्धि बालक
प्रतिभाशाली और सृजनात्मक बालकों की तुलना में शैक्षिक लब्धि (EQ) में कम होते हैं।

▪️शिक्षा के क्षेत्र में बच्चे आगे हो या पीछे लेकिन शिक्षा के क्षेत्र में या कार्य में समस्या उत्पन्न तो करते हैं।

◼️ वैलेंटाइन के अनुसार

“समस्यात्मक बालक वह होता है जिसका “व्यवहार” और “व्यक्तित्व” किसी बात में गंभीर रूप से असाधारण होता है।”

▪️प्रत्येक बालक कोई ना कोई समस्या किसी न किसी रूप में उत्पन्न करते हैं लेकिन वह समस्यात्मक बालक की श्रेणी में नहीं आते। केवल वही बालक समस्यातमक होंगे जिनका व्यवहार और व्यक्तित्व उस सीमा से गंभीर हो, जो समाज परिवार और विद्यालय में अपेक्षित है ।

▪️समस्यात्मक बालक को उचित मार्गदर्शन द्वारा सुधारा जा सकता है यदि यह उचित मार्गदर्शन नहीं किया गया तो बच्चे अपराधी या देशद्रोही बालक बन जाते है।

◼️ समस्यात्मक बालक की पहचान

▪️समस्यात्मक बालकों की पहचान करने के लिए उसकी समस्या का निश्चित निर्धारण नहीं कर सकते।
कोई भी बच्चा अलग-अलग रूप से समस्या उत्पन्न कर सकते हैं जिसकी पहचान भी हम अलग अलग तरीके या पद्धति से करते हैं।

▪️समस्यात्मक बालक की पहचान इन छह पद्धति या विधियों से की जा सकती है।

✓1 निरीक्षण पद्धति।
✓2 साक्षात्कार पद्धति।
✓3 अभिभावक शिक्षक मित्रों से वार्तालाप।
✓4 कथात्मक अभिलेख।
✓5 संचयी अभिलेख।
✓6 मनोवैज्ञानिक परीक्षण।

इन पद्धतियों का वर्णन निम्नानुसार है।

🌀 निरीक्षण पद्धति(Inspection Method )
*निरीक्षण अर्थात बच्चे की समस्त घटनाओं को, जैसे वे प्रकृति में होती हैं, कार्य तथा कारण से सम्बन्ध की दृष्टि से तथ्य देखते तथा नोट करते है।
इस विधि के द्वारा हमें बच्चे की प्रत्यक्ष व्यवहार का, हर स्तर का या हर पहलू का या प्रत्येक तौर तरीको का अध्ययन करके या देखकर या विश्लेषण द्वारा कुछ तथ्यों का पता लगा सकते है।

🌀 साक्षात्कार पद्धति (Interview Method)

*सामान्यत: दो या दो से अधिक व्यक्तियों द्वारा किसी विशेष उद्देश्य से आमने-सामने की गयी बातचीत को साक्षात्कार कहा जाता है। साक्षात्कार एक प्रकार की मौखिक प्रश्नावली है जिसमें हम किसी भी व्यक्ति के विचारों और प्रतिक्रियाओं केा लिखने के बजाय उसके सम्मुख रहकर बातचीत करके प्राप्त करते हैं।जिसके माध्यम से हम समस्यात्मक बालक की पहचान की पहचान कर सकते है।

🌀 अभिभावक ,शिक्षक ,मित्रों से वार्तालाप कर (Talk to parents, teachers and friends)
*बच्चे अपना अधिकतर समय अपने अभिभावक शिक्षक और मित्रों के पास व्यतीत करते हैं तो इसके द्वारा हम अभिभावक ,शिक्षक और मित्रों से वार्तालाप कर बच्चों के व्यवहार का पता कर सकते हैं। अर्थात् समस्यात्मक बालकों की पहचान इस तरह से व आसानी से की जा सकती है।
🌀 *कथात्मक अभिलेख (Narrative Records)*➖

*बालकों के कथात्मक अभिलेख को उसके माता पिता या आस पास के लोगों के द्वारा जानकर एकत्रित की कई जानकारी के अध्ययन से भी समस्यात्मक बालक की पहचान की जा सकती है ।

🌀 संचयी अभिलेख (Cumulative Records)

*संचित अभिलेख (Cumulative records) निर्देशन प्रक्रिया में व्यक्ति या विद्यार्थी के अध्ययन के लिए अनिवार्य है। इस अभिलेख (Record) की सहायता से कोई भी अध्यापक या निर्देशन प्रदान करने वाला व्यक्ति किसी भी विद्यार्थी के व्यक्तित्व, उसके व्यवहारों तथा उसकी योग्यताओं से परिचित हो जाता है अतः संचित अभिलेख के द्वारा भी समस्यात्मक बालक की पहचान की जा सकती है ।

*संचित अभिलेख का एक अन्य उद्देश्य या कार्य यह भी है कि यह अभिलेख बच्चे के बारे में अध्यापक को लाभकारी सूचनाएं उपलब्ध कराता है। यह अध्यापक को अपनी प्रवृत्तियों को बच्चों की आवश्यकता के अनुसार समायोजित(Adjust) करने में सहायता देता है।

🌀 मनोवैज्ञानिक परीक्षण (Pshychology Test)

*संसार का प्रत्येक प्राणी अपनी शारीरिक संरचना एवं व्यवहार के आधार पर एक दूसरे से भिन्न होता है। अत: व्यक्ति अथवा समूहों के तुलनात्मक अध्ययन के लिए भी मनोवैज्ञानिक परीक्षणों का प्रयोग किया जाता है।

*मनोवैज्ञानिक परीक्षण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसकी मदद से किसी व्यक्ति व उसकी कार्य क्षमताओं का अंदाजा लगाकर भी समस्यात्मक बालक की पहचान कर सकते हैं।

✍🏻
Notes By-Vaishali Mishra

💦 समस्यात्मक बालक 💦

🌼समस्यात्मक बालक वह होता है जिनके व्यवहार में कोई असामान्य बात होती है जिनके व्यवहार से समस्या उत्पन्न होती है जिनका व्यवहार सामान्य नहीं होता है परिवार , समाज, मित्रों के साथ तथा शिक्षकों के साथ जो कक्षा में समस्या उत्पन्न करते हैं
जैसे – चोरी करना , लड़ाई करना, झूठ बोलना ईत्यादि |
जो नियमों का पालन नहीं करते हैं ऐसे बालक समस्यात्मक बालक कहलाते हैं |

🌞लेकिन यह जरूरी नहीं है कि समस्यात्मक बालक पिछड़े हो , बुद्धि औसत से अधिक हो | ऐसे बालकों कि समस्या हमेशा नहीं रहती है अगर इन्हें सही समय पर सही मार्गदर्शन दिया जाये तो इन्हें सुधारा जा सकता है |

🌸वेलेंटाइन के अनुसार :-
समस्यात्मक बालक वे होते हैं जिनका व्यवहार और व्यक्तित्व किसी बात में गंभीर से साधारण नहीं होता है
अत: जिनका व्यवहार और व्यक्तित्व उस सीमा से गंभीर हो जाता है जो समाज , परिवार और विद्यालय में अपेक्षित है
ऐसे बालक देश -द्रोही व अपराधी हो जाते हैं |

🌈समस्यात्मक बालक की पहचान :-
समस्यात्मक बालक कि पहचान की निम्नलिखित 6 विधियाँ है –

1✈ निरीक्षण से पहचान :-
इस विधि के अनुसार शिक्षक को बालक कि क्रिया – कलाप और उसके व्यवहार का निरीक्षण करके बालक कि समस्या का लगा सकता है |

2✈ साक्षात्कार विधि :-
इस विधि के अनुसार बालक को अपने समक्ष बैठाकर कुछ ऐसे प्रश्न बालक से करेंगे जो उसके जीवन से जुड़े हो और हम बालक के उत्तर देने के तरीके से उसके व्यवहार से की वह हमारे समक्ष किस प्रकार अपने प्रश्नों के उत्तर दे रहा है उससे उसकी समस्या की पहचान की सकती है |

3✈ अभिभावक, शिक्षक , मित्रों से वार्तालाप :-
इस विधि के अनुसार बालक के अभिभावक , शिक्षक , मित्रों से बालक के व्यवहार के बारे में पता लगाएंगे कि बालक सभी के साथ कैसा व्यवहार करता है जानकारी इकठ्ठा करेंगे और उसकी समस्या का पता लगाएंगे |

4✈ कथात्मक अभिलेख :-
इसके अनुसार बालक के इकठ्ठा किये गये सूचनाओं के व्यवहार के रिकॉर्ड से पता करेंगे कि बालक को क्या समस्या है |

5✈ सचंयी अभिलेख :-
इस विधि के अनुसार बालक के द्वारा किये गए क्रिया – कलाप के रिकॉर्ड के विभिन्न पहलुओं को समझ समस्यात्मक बालक की पहचान करेंगे |

6✈ मनोवैज्ञानिक :-
इस विधि के अनुसार बालक के मन की बात को पता करना होगा कि बालक के मन में क्या विचार है इसके लिए बालक के साथ अच्छा व्यवहार करना चाहिए ताकि बालक के मन में क्या चल रहा वो बता सके उसके अनुसार माहौल बनाएं ताकि बच्चे की मन की बात चल सके और उसकी बातों से पता करेंगे कि बालक को क्या समस्या है |

🏵इन सभी विधियों से बालक का पता लगाएंगे कि बालक को क्या समस्या है और उसके समस्या का उपाय व उपचार करके उसे सूधारने की कोशिश करेंगे |

🎄🎄Thank you 🎄🎄

🦚Meenu Chaudhary🦚

🌈💐🌺🌸🏵🌹🌷🌈

समस्यात्मक बालक:➖

🟢 समस्यात्मक बालक का तात्पर्य ऐसे बालकों से है जिसके बर्ताव और व्यवहारों से हमेशा समस्या उत्पन्न हो! ऐसे बालकों को समस्यात्मक बालक कहा जाता है!

🤷‍♀️ समस्यात्मक बालक अन्य सामान्य बालको से भिन्न होते हैं ऐसे बालक ना समाज में बल्कि परिवारों में भी समस्या उत्पन्न करते रहते हैं सामान्य नियमों व व्यवहारों का भी पालन नहीं करते!

🌸 ऐसे बालक की संवेगात्मक क्षमता स्थिर नहीं रहती जिस कारणवश वह निम्न प्रकार की समस्याएं उत्पन्न करते हैं :➖

🎯चोरी करना!
🎯झूठ बोलना!
🎯आक्रमणकारी व्यवहार पैदा करना!
🎯स्कूल से जल्दी भाग जाना!
🎯कक्षा वर्ग में छोटे बच्चों को परेशान करना!
🎯माता-पिता की अवहेलना करना!

🔅ऐसे बच्चे को उचित मार्गदर्शन द्वारा सुधारा जा सकता है अगर उन्हें उचित मार्गदर्शन ना मिले तो ऐसे बालक
🚫अपराधी बालक
🚫देशद्रोही बालक
की श्रेणी में आएगा! जो उनके भविष्य के लिए बिल्कुल सही नहीं है!

🌼लेकिन यह जरूरी नहीं है कि समस्यात्मक बालक अपने कक्षा में पीछे होते हैं या उनकी बुद्धि लब्धि में कोई कमी होती है बस ऐसे बालक को सही दिशा निर्देश ना मिल पाने के कारण गलत रास्ता अपना लेते हैं! इसलिए ऐसे बालकों के दिमाग को स्थिर करने की जरूरत है तथा सही दिशा निर्देशों और उचित मार्गदर्शन की आवश्यकता है!

वैलेंटाइन के अनुसार:-
” समस्यात्मक बालक वह होता है जिसका व्यवहार और व्यक्तित्व किसी बात में गंभीर रूप से असाधारण होता है!”
अर्थात् ऐसे बालक जिसकी समस्या घर, विद्यालय, समाज में स्वीकृत ना हो!
🎍अतः जिनका व्यवहार और व्यक्तित्व उस सीमा से गंभीर हो जो समाज परिवार या विद्यालय में अपेक्षित है!

☘️समस्या पैदा करना भी एक समस्या है लेकिन एक हद तक तक ! अति (हद पार) करने लगे तो वह एक समस्यात्मक बालक कहलाएगा !

💧 समस्यात्मक बालक की पहचान💧

🌻🌻समस्यात्मक बालक की पहचान हम निम्न 6 विधियों द्वारा कर सकते हैं:➖

(1) निरीक्षण पद्धति:- इस पद्धति के द्वारा हम बालकों की विभिन्न गतिविधियों बालक से जुड़े सामाजिक, पारिवारिक ,शैक्षणिक अन्य क्रियाकलापों पर गहराई से अवलोकन कर सकते हैं और उन्हीं के अनुसार हम उस समस्या को हल करने की कोशिश करते हैं!

(2) साक्षात्कार पद्धति:- इस पद्धति के अंतर्गत हम बालक से उसके जीवन में हो रहे अनेक प्रकार की समस्या के बारे में चर्चा कर उनसे जानकारी प्राप्त करते हैं और उनके व्यवहारों विचारों का अध्ययन करते हैं इससे हम उस बालकों का आसानी से अवलोकन कर सकते हैं !

(3) अभिभावक शिक्षक मित्र से वार्तालाप द्वारा:- बालक के अंदर समस्या जन्मजात नहीं होती बल्कि वह किसी कारणवश उस समस्या से ग्रसित हो जाता है इसलिए हमें उस बालक को समझने के लिए ऐसे लोगों से संपर्क करना होगा जिनके साथ वह बालक सदैव संपर्क में रहता हो !

जैसे➖ माता-पिता ,अभिभावक ,अध्यापक ,मित्रों आदि से हम मिलकर उस बालक की समस्या का अध्ययन करेंगे और उसी के अनुरूप हम उस बालक का सर्वांगीण विकास करेंगे!

(4) कथात्मक अभिलेख:- ऐसे बालकों की पहचान उसके समाज में उसके माता-पिता या आस-पड़ोस के लोगों द्वारा दी गई जानकारी को एकत्रित कर उस बच्चे की समस्या का समाधान करेंगे!

(5) संचई अभिलेख:- इस अभिलेख के द्वारा बच्चे की समस्त जानकारी एक अध्यापक को उपलब्ध होती है उसके व्यक्तित्व व्यवहार योग्यता से वह परिचित होते हैं अतः इसी अभिलेख के द्वारा एक समस्यात्मक बालक की पहचान की जाती है!

(6) मनोवैज्ञानिक परीक्षण:- मनोवैज्ञानिक अर्थात मन का विज्ञान! इसके अंतर्गत हम बालकों के मन ,व्यवहार अर्थात हम उसका अवलोकन करते हैं! इसी के आधार पर हम एक बालक की संपूर्ण गतिविधि हाव-भाव का निरीक्षण कर सकते हैं! मनौविज्ञान ही एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा हम किसी भी स्थिति में ,किसी भी कार्य को अपने अनुकूल ढाल कर ,वैसा माहौल बना कर ,उस स्थिति को संभाल सकते हैं! जिससे सामने वाला की कमी अच्छाई या बुराई की संपूर्ण जानकारी हमें प्राप्त हो जाती है इसलिए हमें बालकों के सामने से भी ऐसा ही माहौल बनाना होगा जिससे बालक अपनी सारी समस्या को बेझिझक सामने रख पाए और हम उस समस्या को दूर करने के संपूर्ण प्रयास कर सके! 💧💧💧💧💧💧

NOTES BY➖ MAHIMA KUMARI

❄ समस्यात्मक बालक ❄ समस्यात्मक बालक वह है जो समाज या घर परिवार विद्यालय में सामाजिकता के अनुकूल कार्य नहीं करते हैं। और वह सामान्य से भिन्न होते हैं। ऐसे बालक घर में अपने परिवार एवं स्कूल में शिक्षक और बाकी बच्चों के साथ कुछ ना कुछ समस्या उत्पन्न करते रहते हैं । यह बालक किसी भी पारिवारिक ,आर्थिक ,सामाजिक से उपेक्षित होने के कारण या स्वतः ही किसी ना किसी समस्या से ग्रसित होने के कारण उपयुक्त एवं अनुकूलित कार्य नहीं करते हैं । अतः हम कह सकते हैं कि “इनका व्यवहार समस्या उत्पन्न करता हैं। और सामान्य नहीं होता ऐसे बालक समस्यात्मक बालक कहलाते हैं ।” वेलेन्टाइन के अनुसार समस्यात्मक बालक ➖ समस्यात्मक बालक वह होता हैं। जिसका व्यवहार और व्यक्तित्व किसी बात में गंभीर रूप से असाधारण होता हैं। अतः जिसका व्यवहार और व्यक्तित्व उस सीमा से गंभीर हो जो समाज परिवार या विद्यालय में उपेक्षित हैं। ऐसी स्थिति में बालक को उचित मार्गदर्शन द्वारा सुधारा जा सकता है अन्यथा बालक अपराधी या देशद्रोही बालक बन सकता हैं। समस्यात्मक बालक की पहचान ➖ समस्यात्मक बालक की पहचान निम्नलिखित छ: विधियों में की जाती है :- 1 निरीक्षण पद्धति : – निरीक्षण पद्धति के द्वारा हम बालकों के कार्य व्यवहार इत्यादि से निरीक्षण कर सकते हैं कि बालक कैसा है बालक से कुछ भी प्रश्न पूछकर या बालक से किसी भी विषय में चर्चा करके हम उनको पता कर सकते हैं की बालक समस्यात्मक है या नहीं । 2 साक्षात्कार पद्धति: – ( इंटरव्यू ) इसमें शिक्षक छात्र को सामने बैठाकर आमने – सामने एक दूसरे से वार्तालाप करते हैं और बच्चों का निरीक्षण करते हैं कि बालक किस प्रवृत्ति एवं स्वभाव का हैं। 3 अभिभावक शिक्षक मित्रों से वार्तालाप : – इसमें माता पिता एवं परिवार के सदस्यों और मित्रों से बातचीत करके हम हम बच्चे के बारे में भली-भांति जान सकते हैं कि वह किस स्वभाव का हैं। और आवश्यकतानुसार उस बालक की समस्या का निदान भी कर सकते हैं । 4 कथात्मक अभिलेख : – इसमें बालक के द्वारा कहे गए शैक्षिक दृष्टिकोण में जो कुछ भी रिकॉर्ड हैं या जो कुछ भी वह अपनी भाषा में व्यक्त किया हैं। उन सब का रिकॉर्ड इस अभिलेख में रखा जाता हैं। 5 संचयी अभिलेख – इसमें बालक का जो प्रगति पत्रक होता है या जो भी उसने उपलब्धि हासिल की है जैसे उसकी मार्कशीट या उसके द्वारा कोई भी प्रतियोगी परीक्षा में प्राप्त इनाम इत्यादि आने वाले समय में बच्चों को प्रोत्साहित करने के लिए और उस बच्चे के माता-पिता को उसका रिकॉर्ड दिखाने के लिए संचयी अभिलेख में सुरक्षित एकत्रित करके रखा जाता हैं। 6 मनोवैज्ञानिक परीक्षण : – मनोवैज्ञानिक परीक्षण में हम यह कह सकते हैं कि बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र में किसी बालक का मनोवैज्ञानिक परीक्षण कर लेना यानी कि मनुष्य के शरीर की रीड की हड्डी की तरह मजबूती प्राप्त करने के बराबर हैं।अर्थात कहने का तात्पर्य यह है कि अगर हम किसी बच्चे की मनोवृति एवं उसके मन को समझ लेते हैं तो उसको पढ़ाना सिखाना बताना हमारे लिए बहुत ही सरल और सुगम हो जाएगा इसलिए अगर हम चाहते हैं कि बच्चों को एक अच्छी एवं उपयोगी शिक्षा दें या उनका संपूर्ण विकास हो उसके लिए हमें उनके मन को समझना बहुत अनिवार्य है अतः पूरी बाल विकास और शिक्षाशास्त्र का हमें यही अर्थ निकालना है कि बच्चों के मन को समझना है और फिर उनके अनुसार उपयुक्त शिक्षा प्रदान करना हैं। धन्यवाद ….. ✍️ notes by Pragya shukla

🤦🏻‍♂️ समस्यात्मक बालक ( problem child)–🤦🏻‍♀️

जैसा कि प्रतिभाशाली बालक और सृजनशील बालक की विशिष्टता ही उनको सामान्य बालक से बेहतर बनाती है तथा वहीं दूसरी तरफ पिछड़े बालक और मंदबुद्धि बालक में उनकी विशिष्टता उन्हें किसी न किसी वजह से कमजोर बनाती है। और जहां समस्यात्मक बालक की बात हो रही है तो,वह ना तो प्रतिभाशाली बालक, सृजनात्मक बालक, पिछड़े बालक और ना ही मंदबुद्धि बालक इन चारों में से वह कहीं नहीं आते है।
अतः समस्यात्मक बालक की विशिष्टता यह है कि उनका व्यवहार समस्या उत्पन्न करता है जो सामान्य नहीं होता तथा ऐसे बालक मानसिक रूप से दिमाग को स्थिर नहीं कर पाते हैं“समस्यात्मक बालक” कहलाते हैं।

◼️ वैलेंटाइन के अनुसार:– “समस्यात्मक बालक वे बालक होते हैं, जिनका का व्यवहार और व्यक्तित्व किसी बात में गंभीर रूप से असाधारण होता है।”

★ अतः जिनका व्यवहार और व्यक्तिगत उस सीमा से ज्यादा गंभीर हो जो परिवार, विद्यालय या समाज में अपेक्षित है।

★ऐसी स्थिति में बालक को उचित मार्गदर्शन द्वारा सुधारा जा सकता है। वही अगर बालक में उचित समय पर सुधार न किया गया तो, बालक; अपराधी बालक या देशद्रोही बन सकता है।

★अतः एक शिक्षक का यह कर्तव्य है कि समस्यात्मक बालक की समस्या का पता लगाकर उनकी समस्याओं का सही तरीके से उपचार किया जाए ,जिससे बालक का उचित तरीके से विकास हो पाए।

◼️ समस्यात्मक बालक की पहचान– समस्यात्मक बालक की पहचान करने के लिए मुख्य रूप से छ: विधियां है , जो निम्न है–

▪️ १. निरीक्षण पद्धति (Observation Method)–
निरीक्षण पद्धति के माध्यम से हम बालक के हाव–भाव, उनकी गतिविधियां, उनके कर्यो एवं उनके व्यवहारों आदि का अवलोकन करते हैं।

▪️ २. साक्षात्कार पद्धति (Interview Method)– साक्षात्कार पद्धति में शिक्षक बच्चेे के सामने बैठ कर बच्चे के हाव–भाव, विचार, प्रतिक्रिया तथा प्रश्नों के माध्यम से उनके व्यवहार का प्रत्यक्ष रूप से अवलोकन करते हैं जिससे बच्चे के व्यवहार का पता चलता है कि उसका व्यवहार किस प्रकार का है,क्यों समस्याएं उत्पन्न करता है इन सभी को समझने में सहायता मिलती है । जो बच्चे को सुधारने में एक दिशा देती है।

▪️ ३. अभिभावक शिक्षक व मित्रों से वार्तालाप– इसमें शिक्षक बच्चे के अभिभावक व मित्रों से वार्तालाप के माध्यम से बच्चे के व्यवहार को जानने की कोशिश करते हैं जैसे कि बच्चा किसके साथ कैसा व्यवहार करता है ,किस तरह से सबके बीच में रहता है ,पसंद ना पसंद तथा दोष –कमियों व संपूर्ण चीजों की जानकारी प्राप्त कर बालक में सुधार करते है।

▪️ ४.कथात्मक अभिलेख (Narrative Record)– कथात्मक अभिलेख में बच्चों के रिकॉर्ड्स के द्वारा बच्चे के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं जो उनके माता-पिता, मित्रों व सगे– संबंधियों से प्राप्त किया जाता है।

▪️ ५. संचयी अभिलेख( cumulative Record)– कोई ऐसा रिकॉर्ड जो बच्चे के बारे में रखा गया हो जैसे:–स्कूल सर्टिफिकेट, पोर्टफोलियो अन्य किसी रिकॉर्ड के माध्यम से हम बच्चे के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं और उनकी समस्या को दूर करते हैं।

▪️ ६. मनोवैज्ञानिक परीक्षण (Psychological Test)– मनोवैज्ञानिक परीक्षण से हमें बालक के व्यवहार का पता चलता है जो बालक में सुधार करने में बहुत सहायता प्रदान करती है , मनोवैज्ञानिक परीक्षण के द्वारा हम बालक के शारीरिक व मानसिक रूप से बच्चे के दिमाग में क्या चल रहा है , उसके हाव-भाव, सवाल पूछने पर वह कैसी प्रतिक्रिया करता है आदि प्रवृत्ति की पहचान कर सकते है जो एक समस्यात्मक बालक की समस्या को सुधारने में सहायता करती है।

✍🏻Notes by–Pooja

Date , 4/11/2020
📒 समस्यात्मक बालक problem child

🔘 समस्यात्मक बालक ➖ ऐसे बालक जो किसी ना किसी तरह की समस्या उत्पन्न करता है जिनका व्यवहार असामान्य होता है समस्यात्मक बालक कहलाता है

🔘 सृजनात्मक बालक की परिभाषा

👤 वैलेंटाइन के अनुसार ➖समस्यात्मक बालक वह होता है जिसका व्यवहार और व्यक्तित्व किसी बात में गंभीर रूप से असाधारण होता है

🔹अत: जिनका व्यवहार और व्यक्तित्व उस सीमा से गंभीर हो जो समाज, परिवार या विद्यालय में अपेक्षित है

🔹समस्यात्मक बालक कुछ ऐसे गंभीर कार्य करते हैं जो समाज में अमान्य है , जैसे-
🔹 घर परिवार में लड़ाई झगड़ा करना, आज्ञा का उल्लंघन करना।

🔹विद्यालय में बच्चों के साथ मारपीट करना अध्यापक को गाली देना स्कूल से भाग जाना,
चोरी करना , झूठ बोलना किसी को धोखा देना, आदि

🔹 ऐसे बालकों को उचित मार्गदर्शन द्वारा सुधारा जा सकता है
🔹नहीं तो वह अपराधी , देशद्रोही बालक बन जाएगा ।

🔘 समस्यात्मक बालक की पहचान

🔹 इन्हें 6 विधियो द्वारा पहचाना जा सकता है

1 निरीक्षण पद्धति
2 साक्षात्कार पद्धति
3 अभिभावक, शिक्षक, मित्रों से वार्तालाप करके
4 कथात्मक अभिलेख
5 संचयी अभिलेख
6 मनोवैज्ञानिक परीक्षण

🔆 समस्यात्मक बालक🔆

🔹 समस्यात्मक बालक वह है जो सामान्य बालकों से व्यवहार में भिन्न होते हैं इन बालकों का अपने परिवार ,समाज या विद्यालय में अच्छा व्यवहार नहीं होता है वे समायोजन नहीं कर पाते हैं | ऐसे बालक समाज, परिवार, या विद्यालय द्वारा बनाए गए नियमों का पालन नहीं करते हैं उनका व्यक्तित्व विकृत या अपेक्षाकृत अलग होता है जो उन्हें सामान्य से अलग बनाता है |

🔹 जी बालक समाचार समस्यात्मक बालक होते हैं जो समस्या को उत्पन्न करते हैं उनका व्यवहार समस्या उत्पन्न करता है |
” अतः इनका व्यवहार समस्या उत्पन्न करता है और सामान्य नहीं होता है समस्यात्मक बालक कहलाते हैं ” |

🔹 चूंकि इनका व्यवहार समस्या उत्पन्न करता है तो यह बालक A(सृजनात्मक या प्रतिभाशाली) एवं B(पिछड़े और मंदबुद्धि) दोनों से अलग होता होते हैं वे पिछड़े नहीं होते हैं यदि सृजनात्मक या प्रतिभाशाली बालक अपनी सीमा को पार कर देते हैं तो वे समस्यात्मक बालक बन जाते हैं और जैसे यदि कोई पिछड़ा बालक और उसकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है तो इस समस्या के कारण भी वह बालक समस्यात्मक बालक बन सकता है एवं मंदबुद्धि बालक ,चूंकि मंदबुद्धि बालक अपनी समस्या को सॉल्व नहीं कर पाते हैं वे दूसरों पर आश्रित होते हैं तो इस कारण से वे समस्यात्मक हो सकते हैं अर्थात कहने का तात्पर्य यह है कि यदि कोई भी बालक जो सामान्य हो या विशिष्ट हो यदि वह अपनी सीमा को पार करता है तो वह समस्यात्मक बालक बन जाता है |

🔹प्रतिभाशाली एवं सृजनात्मक बालकों से पिछड़े बालक एवं मंदबुद्धि बालक शैक्षिक स्तर EQ में कम होते हैं किंतु समस्यात्मक बालक की EQ कम हो यह जरूरी नहीं है क्योंकि वह किसी प्रकार की समस्या को उत्पन्न करता है तो समस्यात्मक बालक है |

🔹 शिक्षा के क्षेत्र में चाहे वे आगे हो या पीछे हो लेकिन यदि शिक्षा के क्षेत्र में या उसके कार्य में कोई बाधा या समस्या उत्पन्न करते हैं तो वे समस्यात्मक बालक होते हैं |

🔹 क्योंकि इनका मस्तिष्क स्थिर नहीं होता है इसलिए समस्यात्मक बालकों का व्यवहार समस्या उत्पन्न करने वाला होता है |

🔸समस्यात्मक बालकों के संबंध में वैलेंटाइन का कथन है कि
” समस्यात्मक बालक वो होता है जिसका व्यवहार और व्यक्तित्व किसी बात में गंभीर रूप से असाधारण होता है |”

🔸अर्थात उनका व्यक्तित्व ही समस्यात्मक या समस्या से घिरा होता है ऐसा नहीं है कि कोई भी समस्या को उत्पन्न नहीं करते है हम सभी किसी न किसी प्रकार से समस्या उत्पन्न करते हैं लेकिन हम सब समस्यात्मक नहीं होते हैं |

🔸अतः समस्यात्मक बालक वह है “जिसका व्यवहार और व्यक्तित्व उस सीमा से गंभीर हो जो समाज, परिवार, विद्यालय में अपेक्षित हो जैसे यदि कोई प्रतिभाशाली एवं सृजनात्मक बालक है तो वह क्षअपनी सीमा को पार करता है तो वह समस्यात्मक बालक की श्रेणी में आता है एवं इसी प्रकार यदि कोई पिछड़ा एवं मंदबुद्धि बालक है और वह अपनी सीमा को पार करता है तब वह समस्यात्मक बालक की श्रेणी में आता है |

🔸 ऐसी स्थिति में यदि बालक को उचित मार्गदर्शन दिया जाए उसकी समस्या को सुधारा जा सकता है और यदि उसको उचित समय पर सही मार्गदर्शन नहीं दिया गया तो वह समस्यात्मक की श्रेणी में आ जाता है |
जैसे यदि किसी बच्चे को शुरुआत में चोरी करने से नहीं रोका गया तो वह बाद में समस्यात्मक बालक का रूप धारण कर लेता है |

🔆 समस्यात्मक बालक की पहचान

समस्यात्मक बालकों की पहचान करने की 6 पद्धति या विधियां है जो निम्न प्रकार से है➖

1) निरीक्षण पद्धति ,
2)साक्षात्कार पद्धति ,
3)अभिभावक ,शिक्षक ,मित्रों से वार्तालाप ,
4)कथात्मक अभिलेखन,
5) संचयी अभिलेख, 5)मनोवैज्ञानिक परीक्षण,

💫 निरीक्षण पद्धति

इस पद्धति के अंतर्गत बच्चे के सम्पूर्ण व्यक्तित्व का निरीक्षण या अवलोकन किया जाता है इसके अनुसार हम बच्चे का संपूर्ण तरीके से निरीक्षण कर सकते हैं जैसे उसके व्यवहार का अवलोकन करना एवं उसके क्रियाकलाप की यह दिनचर्या की हर पहलू का अवलोकन करना और इस प्रकार हम अपने अवलोकन द्वारा विश्लेषण करके समस्यात्मक बालक का पता लगाया जा सकता |

💫 साक्षात्कार पद्धति

जब हम किसी का साक्षात्कार लेते हैं तो उसके व्यवहार द्वारा उसके संपूर्ण क्रियाकलापों के बारे में पता लगाया जा सकता है इस पद्धति के द्वारा हम किसी के व्यवहार का पता कर सकते हैं और वहां से पता किया जा सकता है कि वो समस्यात्मक है या नहीं |

💫 अभिभावक,शिक्षक, या मित्रों से वार्तालाप

यदि ऐसे बच्चों की बात करते हैं जो समस्यात्मक हों तो उसके माता-पिता ,शिक्षक, या मित्र से वार्तालाप करके पता किया जा सकता है क्योंकि ये लोग बच्चे के अपने होते हैं वे सदैव उसके इर्द-गिर्द रहते हैं और यहां से पता लगाया जा सकता है कि बच्चा समस्यात्मक है या नहीं है |

💫 कथात्मक अभिलेखन
कथात्मक अभिलेखन के द्वारा बच्चे के माता-पिता या उसके आस पड़ोस के लोगों से के द्वारा जानकारी को एकत्रित करना या उसके अध्ययन से भी समस्यात्मक बालक की पहचान की जा सकती है |

💫 संचयी अभिलेख

इस पद्धति में बालक का अध्ययन आवश्यक है क्योंकि इसकी सहायता से कोई भी शिक्षक या अध्यापक बालक के व्यवहार से पूरी तरह अवगत हो जाता है जो कि उसके संपूर्ण व्यवहार एवं उसकी योग्यताओं से परिचित होता है |
अर्थात कोई भी ऐसा रिकॉर्ड जो किसी के बारे में एकत्रित किया गया हो जैसे सर्टिफिकेट ,कहानी, जीवनी ,आत्मकथा, आदि अर्थात किसी के बारे में लिखा गया हो वह संचय अभिलेख के अंतर्गत आता है संचयी अभिलेख के द्वारा शिक्षक को एक आवश्यक सूचना उपलब्ध हो सकती है जो उसको अध्यापन कार्य में सहायता प्रदान कर सकती है |

💫 मनोवैज्ञानिक परीक्षण
इस परीक्षण में बच्चों से ऐसे कार्य करवाना जो कि उनके मन से संबंधित हैं अर्थात उसके मन में क्या चल रहा है ,क्या सोचता है क्या करना चाहता है ,इसका संपूर्ण रूप से परिचय दें लेकिन शर्त यह है कि ऐसा वातावरण तैयार किया जाए ताकि वह अपने मन की बात को स्पष्ट रूप से व्यक्त कर पाए |
मनोवैज्ञानिक परीक्षण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसकी मदद से किसी व्यक्ति का कार्य उसकी क्षमता एवं उसकी सोच का अंदाजा लगाया जा सकता है और इस प्रकार हम समस्यात्मक बालक की पहचान कर सकते हैं |

𝙉𝙤𝙮𝙚𝙨 𝙗𝙮 ➖𝙍𝙖𝙨𝙝𝙢𝙞 𝙨𝙖𝙫𝙡𝙚

🍀🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🍀

🦚🦋🦚समस्यात्मक बालक (problem child)🦚🦋🦚

🐒समसयात्मक बालक, वह बालक होता जो अपने साथी/शिक्षक/समाज के लिए हमेशा एक समस्या उत्पन्नकरता हो। Actual में इनका व्यवहार ही समस्या उत्पन्न करने वाला होता है। और सामान्य नहीं होता है।

📍शिक्षक/दोस्तो को धमकी देना
📍चोरी करना
📍बात-बात पर झगड़े करना
📍स्कूल से भाग जाना
📍नियम क़ानून का उल्लंघन करना।
इत्यादि, गुण के द्वारा ही समस्यात्माक बालकों की पहचान की जा सकती हैं।

🌻According to वैलेंटाइन:-
समस्यात्मक बालक वो होता है, जिसका व्यवहार और व्यक्तितव किसी बात में गम्भीर रूप से असाधारण होता है।
📍अतः हम कह सकते हैं कि, जिनका व्यवहार और व्यक्तितव उस सीमा से गंभीर हो जो समाज/परिवार/विद्यालय में अपेक्षित है।
🌷ऐसे बालक को उचित मार्गदर्शन द्वारा सुधारा जा सकता।
अगर नहीं सुधारा गया तो बच्चे अपराधी या देशद्रोही बालक बन सकता है।

🐒🍁🐒समस्यात्माक बालक की पहचान 🐒🐒

🎯निरीक्षण पद्धति (Observstion method) द्वारा –
🌾इस पद्धति के द्वारा हम बालकों के विभिन्न कार्य, व्यवहार, गतिविधियों से जुड़े सामाजिक/ पारिवारिक/ शैक्षणिक इत्यादि से निरीक्षण कर सकते हैं।

🎯साक्षात्कार पद्धति (Interview method) द्वारा:-
🌾इस पद्धति में शिक्षक बालकों को सामने बैठाकर वार्तालाप करते उनके हाव भाव, विचार, प्रतिक्रिया से पता चलता है कि बालक किस प्रवृति एवं स्वभाव का है।

🎯अभिभावक शिक्षक मित्रों से वार्तालाप:-
🌾इसमें शिक्षक बच्चे के अभिभावक/दोस्त से वार्तालाप के माध्यम से बच्चे के व्यवहार को समझने की कोशिश करते है।

🎯कथात्मक अभिलेख (Narrative record)
🌾इसमें बच्चे द्वारा कहे गए शैक्षिक दृष्टिकोण में जो कुछ भी रिकॉर्ड हैं, उन सब का रिकॉर्ड इस अभिलेख में रखा जाता है।

🎯संचयी अभिलेख (Cumulative record)
🌾ऐसा record जो बच्चे के बारे मे रखा गया हो, जैसे-
🍹portfollio
🍹school certificate etc
अन्य किसी रिकॉर्ड के माध्यम से हम बच्चे के बारे में जानकारी प्राप्त करते है।

🎯मनोवैज्ञानिक परीक्षण (Psychological test):-
🌾यह ऐसी परीक्षण पद्धति है, जिसके अंतर्गत हम बालकों के व्यवहार को जानते हैं, उनका अवलोकन करते है, उनके कार्य करने के तरीकों को देखते/ अवलोकन करते हैं।
इससे यह पता चलता है कि उनमें किस प्रकार की कौन सी समस्या है या कितनी क्षमता निहित हैं।
🌸 समाप्त 🌸
📚Noted by Soni Nikku ✍

💫समस्यात्मक बालक 💫

🔆समसयात्मक बालक, वह बालक होता जो अपने साथी/शिक्षक/समाज के लिए हमेशा एक समस्या उत्पन्न करता हो। इनका व्यवहार ही समस्या उत्पन्न करने वाला होता है। यह जरूरी नहीं है कि प्रतिभाशाली बालक यह सृजनात्मक बालक समस्यात्मक बालक नहीं हो सकता और यह भी जरूरी नहीं है कि मंदबुद्धि बालक व पिछड़ा बालक समस्यात्मक बालक होता है। ऐसे बालक विभिन्न में समस्याएं उत्पन्न करते हैं जो

1️⃣शिक्षक/दोस्तो को धमकी ,चोरी करना
2️⃣बात-बात पर झगड़े करना स्कूल से भाग जाना स्कूल के नियम क़ानून का उल्लंघन करना। आदि गुण के द्वारा ही समस्यात्माक बालकों की पहचान की जा सकती हैं

💫वैलेंटाइन के अनुसार:-
समस्यात्मक बालक वो होता है, जिसका व्यवहार और व्यक्तित्व किसी बात में गम्भीर रूप से असाधारण होता ह।
अतः हम कह सकते हैं कि, जिनका व्यवहार और व्यक्तितव उस सीमा से गंभीर हो जो समाज,परिवार,विद्यालय में अपेक्षित है।
✨ऐसे बालक को उचित मार्गदर्शन द्वारा सुधारा जा सकता।
अगर नहीं सुधारा गया तो बच्चे अपराधी पृवृत्ति के बन सकते हैं

💫समस्यात्माक बालक की पहचान💫
🔆निरीक्षण पद्धति द्वारा :-

🔅इस पद्धति के द्वारा हम बालकों के विभिन्न कार्य, व्यवहार, गतिविधियों से जुड़े सामाजिक/ पारिवारिक/ शैक्षणिक इत्यादि से निरीक्षण कर सकते हैं।

🔆साक्षात्कार पद्धति द्वारा:-

🔅इस पद्धति में शिक्षक बालकों को सामने बैठाकर वार्तालाप करते उनके हाव भाव, विचार, प्रतिक्रिया से पता चलता है कि बालक किस प्रवृति एवं स्वभाव का है।

🔆अभिभावक शिक्षक मित्रों से वार्तालाप:-

🔅इसमें शिक्षक बच्चे के अभिभावक/दोस्त से वार्तालाप के माध्यम से बच्चे के व्यवहार को समझने की कोशिश करते है।

🔆कथात्मक अभिलेख

🔅इसमें बच्चे द्वारा कहे गए शैक्षिक दृष्टिकोण में जो कुछ भी रिकॉर्ड हैं, उन सब का रिकॉर्ड इस अभिलेख में रखा जाता है।

🔆संचयी अभिलेख

🔅ऐसा record जो बच्चे के बारे मे रखा गया हो, जैसे-
1️⃣portfollio:-इसमें हम बालक द्वारा किए गए विभिन्न प्रकार के क्रियाकलाप ड्राइंग पेंटिंग चित्रकारी मासिक मूल्यांकन की उत्तर पुस्तिकाओं का संग्रह करके रखते हैं।
2️⃣school certificate :-स्कूल में होने वाली विभिन्न प्रति प्रतियोगिताओं में बालक जब भाग लेता है तो उन्हें प्रमाण पत्र दिए जाते हैं जिसके माध्यम से हम बालकों का परीक्षण कर सकते।
अन्य किसी रिकॉर्ड के माध्यम से हम बच्चे के बारे में जानकारी प्राप्त करते है।

🔆मनोवैज्ञानिक परीक्षण

🔅यह ऐसी परीक्षण पद्धति है, जिसके अंतर्गत हम बालकों के व्यवहार को जानते हैं, उनका अवलोकन करते है, उनके कार्य करने के तरीकों को देखते हैं। जिससे यह पता चलता है कि उसमें किस प्रकार की समस्या है या कितनी क्षमता निहित हैं।
✍🏻✍🏻Notes by-Raziya khan✍🏻✍🏻

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