Social learning theory of Albert bandura

🔆अल्बर्ट बंडूरा का सामाजिक अधिगम सिद्धांत➖

✨प्रतिपादक- अल्बर्ट बंडूरा (संज्ञान वादी)

 ✨निवासी- कनाडा

 ✨जन्म- 4 दिसंबर 1925

✨सिद्धांत दिया– 1977 में

✨ बंडूरा द्वारा किए गए प्रयोग-

बॉर्बी डॉल, जीवित जोकर

“समाज द्वारा मान्य व्यवहार को अपनाने तथा अमान्य व्यवहार को त्यागने के कारण ही यह सामाजिक अधिगम सिद्धांत कहलाया”

 ❇️सामाजिक अधिगम का अर्थ➖

 🔸दूसरों को देखकर उनके अनुरूप व्यवहार करने के कारण व दूसरों के व्यवहार को अपने जीवन में उतारने तथा समाज द्वारा स्वीकृत व्यवहारों को धारण करने तथा अमान्य व्यवहारों को त्यागने का कारण ही सामाजिक अधिगम है।

🔸 इस सिद्धांत में अनुकरण द्वारा सीखा जाता है 

❇️अल्बर्ट बंडूरा  ने अपने सिद्धांत में 4 पद बताएं

📍1 1 अवधान(attention)

📍2 धारण(except /hold/retention)

📍3 पुनः प्रस्तुतीकरण(representation)

📍4 पुनर्बलन (reinforcement)

⚜️1 अवधान- निरीक्षण करता का ध्यान अपनी और आकर्षित करने के लिए मॉडल आकर्षित, लोकप्रिय, रोचक व सफल होना चाहिए।

⚜️2 धारण- व्यक्ति व्यवहारों को अपने मस्तिष्क में प्रतिमाओं के रूप में व शाब्दिक वर्णन के रूप में ग्रहण कर लेता है।

⚜️3 पुनः प्रस्तुतीकरण- जिसको हम ध्यान से देखकर धारण करते हैं और धारण करने के बाद उसे पुनः प्रस्तुतीकरण करेंगे।

⚜️4 पुनर्बलन- जहां सकारात्मक पुनर्बलन मिलने पर हम उस कार्य को दोबारा करेंगे और नकारात्मक पुनर्बलन मिलने पर हम उस व्यवहार को दोबारा नहीं करेंगे।

▪️दूसरों के व्यवहार को देखकर सीखना सामाजिक अधिगम कहलाता है

 ▪️जिसको देखकर बालक व्यवहार करना सीखता है उसे प्रतिमान कहते हैं ।

▪️बंडूरा द्वारा बनाए गए सामाजिक अधिगम सिद्धांत में व्यक्ति अपने आपको निम्न क्रियाओं द्वारा संतुलित रखता है। 

🌺1.स्व नियंत्रण –अपने स्वयं के व्यवहारों को देखकर निरीक्षण करना।

🔹a.स्व निरीक्षण

🔹b.विवेकपूर्ण निर्णय

🔹c.स्वअनुक्रिया

▪️जब हम कोई भी कार्य करते हैं यदि उस कार्य को हम स्वयं से निरीक्षण करके और खुद की बुद्धि विवेक का प्रयोग कर निर्णय लेते हैं तो उस कार्य को करने में होने वाली क्रिया भी स्वयं करते हैं जिससे संपूर्ण कार्य पर नियंत्रण आसानी से किया जा सकता है।

▪️जैसे किसी परिस्थिति में हमें कभी कई बार गुस्सा आता है लेकिन उस गुस्से पर हमारा नियंत्रण होना चाहिए उस  स्थिति में हम अपने बुद्धि विवेक से किसी भी कार्य के प्रति क्या सही है क्या गलत है इस पर अनुक्रिया करते हैं और यदि हम ऐसा नहीं करते हैं तो हम दूसरों के इशारों पर क्रिया करते हैं या दूसरों के इशारों पर नाचते हैं।

🌺2.स्वयं निर्देशन –

▪️अधिगमकर्ता स्वयं निर्देशन द्वारा अपने व्यवहार को निर्देशित करने की प्रभावी युक्ति का प्रयोग कर सकते हैं।

🌺3 स्वयं पुनर्बलन-

▪️नकारात्मक व सकारात्मक पुनर्बलन के द्वारा भी व्यक्ति अपने व्यवहारों को निर्देशित कर सकता है।

❇️सामाजिक अधिगम का शैक्षिक महत्व

(Educational importance of social learning)➖

☄️1  शिक्षक छात्रों के सामने आदर्श व्यवहार वाले प्रतिमान प्रस्तुत करें।

▪️शिक्षक छात्रों के सामने जैसा माहौल या वातावरण देगा बच्चे भी वैसे वातावरण में या उस माहौल में ढल जाएंगे।

क्योंकि बच्चा जैसा देखताखता है वैसा ही उसका अनुकरण करता है तथा उसके अनुरूप अपने आप को डालने का प्रयास करता है।

☄️2   बुरे व्यवहार उपस्थित ना होने दें।

बालक अच्छे-बुरे में विभेद करने में अपने को असमर्थ पाता है। यही कारण है कि यदि प्रतिमान बुरा व्यवहार करता है तो बालक अनुकरण द्वारा उसे सीख लेता है। अतः विद्यालय या कक्षा-कक्ष स्थितियों में प्रतिमान अर्थात् बुरे व्यवहार को उपस्थित नहीं करना चाहिये।

▪️उदाहरण के लिये विद्यालय में बालकों के सामने शिक्षक को धूम्रपान नहीं करना चाहिये। शिक्षक को आक्रामक व्यवहार से बचना चाहिये।

 ☄️3 स्वयं नियंत्रण की विधि अपनाएं।

किसी भी कार्य को करने में उसका स्व नियंत्रण या खुद से नियंत्रण रखने वाली विधि उस कार्य के लिए क्या उचित है या अनुचित है इस तरीके को अपनाया जा सकता है।

☄️ 4अध्यापक विश्वास दृढ़ या मजबूत करने वाले संदेश दे ।

▪️अध्यापक द्वारा बच्चों को यह संदेश दिया जाए कि किस प्रकार से हम विश्वास को  मजबूत रख सकते हैं। अर्थात उनके सामने इस प्रकार के कुछ उदाहरण प्रस्तुत किए जाएं यह उनके कार्य को इस प्रकार सराहना दी जाए जिससे उनके अंदर किसी भी कार्य को करने में विश्वास बढ़े।

✍️

       Notes By-‘Vaishali Mishra’

*सामाजिक अधिगम का सिद्धांत*

*(Theory of social learning)*

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▪️ इस सिद्धांत के प्रतिपादक *अल्बर्ट बंडूरा (Albert bandura)* थे।

▪️ अल्बर्ट बंडूरा कनाडा के निवासी थे।

▪️ इनका जन्म 4 दिसंबर 1925 में हुआ था।

▪️ बंडूरा ने सामाजिक अधिगम का सिद्धांत 1977 में दिया था।

▪️ इन्होंने अपना प्रयोग बेबीडॉल एवं जीवित जोकर (फिल्म) पर किया।

*सामाजिक अधिगम का अर्थ*

*(Meaning of social learning)*

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▪️ दूसरों को देखकर उसके अनुरूप व्यवहार करना।

▪️ दूसरों के व्यवहार को अपने जीवन में उतारना।

▪️ समाज द्वारा स्वीकृत व्यवहार को धारण करना और अमान्य व्यवहार को त्यागना।

▪️ इस सिद्धांत के अनुसार, अवलोकन, अनुकरण (नकल) और आदर्श व्यवहार के प्रतिमान के माध्यम से एक- दूसरे से सीखा जाता है।

▪️ सामाजिक अधिगम सिद्धांत को व्यवहारवाद और संज्ञानात्मक अधिगम सिद्धांतों के बीच की योजक कड़ी कहा जाता है क्योंकि यह सिद्धांत *ध्यान (attention), स्मृति (memory),* और *प्रेरणा (motivation)* तीनों को संयोजित करता है। इसलिए अल्बर्ट बंडूरा को प्रथम *मानव व्यवहार संज्ञानवादी* कहते हैं।

▪️ बंडूरा ने सामाजिक अधिगम के सिद्धांत में 4 पद दिए हैं…..

(1). ध्यान या अवधान 

(2). धारण या अवधारण

(3). पून: प्रस्तुतीकरण

(4) पुनर्बलन

*(1). ध्यान या अवधान (attention)*

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शिक्षक को चाहिए कि शिक्षार्थी को पढ़ाते समय विषय वस्तु को आकर्षक तथा प्रभावशाली तरीके से प्रस्तुत करें ताकि शिक्षार्थियों का ध्यान केंद्रित हो।

*(2).धारण या अवधारण*

*(Retention/accept/hold)*

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शिक्षक को इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि अधिगम के लिए प्रस्तुत किए गए विषय वस्तु को शिक्षार्थी ने कितना ग्रहण किया है।

*(3) . पून: प्रस्तुतीकरण*

*(Representation)*

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यदि छात्रों ने विषय वस्तु को कम सीखा है या अच्छी तरह नहीं सीख पाया है तो शिक्षक को चाहिए कि उस विषय वस्तु को पुनः दोहराते हुए शिक्षण के नए मॉडल, चित्र, चार्ट आदि सामग्री का प्रयोग करें।

*(4). पुनर्बलन*

*(Reinforcement)*

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पुनर्बलन दो प्रकार का होता है सकारात्मक व नकारात्मक। व्यक्ति सकारात्मक पुनर्बलन मिलने पर कार्य को दोबारा करता है वहीं यदि नकारात्मक पुनर्बलन मिलता है तो वह उस कार्य को दोबारा नहीं करता है।

▪️ इस सिद्धांत के अनुसार व्यक्ति कुछ क्रियाओं द्वारा खुद को संतुलित रखता है।

*(1). स्व- नियंत्रण(self control)*

स्वयं पर नियंत्रण रखने के लिए व्यक्ति निम्नलिखित क्रियाओं को करता है……

     *1*.  स्व- निरीक्षण (self observation)

        *2*. विवेकपूर्ण निर्णय (rational decision)

               *3*.  स्व- अनुक्रिया (self action)

*(2). स्व-निर्देशित(self direction)*

अधिगमकर्ता स्वयं निर्देशन द्वारा अपने व्यवहार को निर्देशित करने की प्रभावी युक्ति का प्रयोग कर सकते हैं।

*(3). स्व- पुनर्बलन(self reinforcement)*

बच्चा या व्यक्ति सकारात्मक व नकारात्मक पुनर्बलन के द्वारा अपने व्यवहारों को निर्देशित कर सकता है।

 *सामाजिक अधिगम सिद्धांत का शैक्षिक महत्व (educational importance of social learning theory)*

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बच्चों के व्यक्तित्व विकास में सबसे महत्वपूर्ण सिद्धांत सामाजिक अधिगम वाद है।

▪️ शिक्षक को चाहिए कि छात्रों के सामने अच्छे आदर्श वाले मॉडल प्रस्तुत करें।

▪️ बुरे व्यवहार, अनैतिक मॉडल उपस्थित नहीं होने दें।

▪️ अध्यापक विश्वास को दूर करने वाले संदेश दें और अन्य व्यक्तियों की सफलता दिखाकर छात्रों में स्व- प्रभावशीलता का विकास कर सकते हैं।

▪️ शिक्षक को चाहिए कि स्व- नियंत्रण विधि अपनाएं।

*Notes by Shreya Rai……..✍️🙏*

Date-6/5/2021

Time-9:00@m

   Topic-Socializqtion theory of Albert bandura

      विषय-अल्बर्ट बंडूरा का सामाजिक अधिगम सिद्धांत

इस सिद्धांत के प्रतिपादक-अल्बर्ट बंडूरा

निवासी-कनाडा

जन्म-4 दिसंबर 1928

सिद्धांत दिया गया वर्ष-1977

अल्बर्ट बंडूरा द्वारा किए गए प्रयोग निम्नलिखित हैं÷

बाबीडाल(गुड़िया), जीवित जोकर इत्यादि

अल्बर्ट बंडूरा के सामाजिक अधिगम का अर्थ निम्नलिखित हैं÷

इस सिद्धांत के अंतर्गत हमें यह सिखाता है कि विद्यार्थी दूसरों को देखकर उसके अनुरूप व्यवहार करता है,

                                                                         दूसरों के व्यवहार को जीवन में उतारना वा उसी के अनुरूप व्यवहार करना अनुकरण द्वारा सीखना कहलाता है।

समाज द्वारा स्वीकृत व्यवहार को धारण करना उसको अपनाना समाज के अच्छे गुणों नैतिक शिक्षा समाज द्वारा बनाए गए मानदंड के अनुरूप उसको अपने आचरण में लाना उसी के अनुरूप व्यवहार करना वह अधिकगम करना।

समाज के अमान्य व्यवहार (जैसे चोरी करना झूठ बोलना धार्मिक भ्रम फैलाना गलत कार्य करना इत्यादि) व्यवहार को अपने आचरण में ना लाना और ना ही उनके अनुरूप कार्य करना।

इस सिद्धांत को अनुकरण द्वारा सीखा जाता है।

(Imitation /Model is the base of  of Albert bandura theory.)

बालक अपनी कक्षा में इस सिद्धांत के द्वारा बेहतर व्यवहार व आचरण का निर्माण कर सकता है, किंतु इसके लिए शिक्षक को विद्यार्थी के समक्ष व समाज में भी अच्छा आचरण करना वह बेहतर ढंग से अपनी प्रतिभा को बनाए रखना चाहिए ताकि विद्यार्थी कक्षा के साथ-साथ समाज में भी अपने शिक्षक के प्रतिमान का अनुसरण या अनुकरण करके सीखता रहे साथ ही वह शिक्षक के साथ बेहतर ढंग से अधिगम में सक्रियता से भाग भी लेता है और इस प्रकार से शिक्षक अधिगम को प्रभावशाली भी बना सकता है साथ-साथ वह विद्यार्थी के जीवन निर्माण में भी अहम भूमिका का रोल अदा कर सकता है, क्योंकि बालक अनुकरण द्वारा सीखता है तो इसके लिए विद्यार्थी के साथ-साथ शिक्षक का भी सद्गुणों से परिपूर्ण होना आवश्यक है तभी वह विद्यार्थी में सब गुणों का विकास करके समाज का कल्याण कर सकता है।

          क्योंकि एक विद्यार्थी अपने जीवन में समाज का एक नागरिक बनता है अर्थात समाज में एक बेचन नागरिक का निर्माण करने के लिए शिक्षक का यह परम कर्तव्य है कि वह बेहतर समाज का निर्माण करने में सहायता करे।

अल्बर्ट बंडूरा ने सिद्धांत में 4 पद दिए हैं, जो निम्नलिखित हैं÷

१- अवधारणा Attention 

२- धारण accept

३-पुन:प्रस्तुतीकरण Re-Presentation

४- पुनर्बलन Reinforcement

१- अवधारणा(Attention)

(In the process of attention, a teacher can motivate to their students and produces new and Valid ,good habbits by  presentation of self model or good behaviour because students  learning throgh Teacher behaviour Imitation.

इसके अंतर्गत शिक्षक विद्यार्थी की रुचि अभिप्रेरणा वाह उसके संज्ञान को ध्यान में रखकर उसके समक्ष अच्छे आचरण प्रस्तुत  करता है जिसके द्वारा वाह बालक के संज्ञान में संप्रत्यय का निर्माण करता है।

२-धारण(Accept)

(A student can accept every nature habits and rules regulations and by their Teachers and they can hold these concepts on their consciousness mind)

 शिक्षक द्वारा विद्यार्थी में कराए गए संप्रत्यय के निर्माण का बालक ने कितना उस अवधारणा या संप्रदाय को अपने मस्तिष्क ज्ञान वह व्यवहार में अधिगम के द्वारा या अनुकरण के द्वारा सीखा है या उस संप्रत्यय अज्ञान का उसके मस्तिष्क में या व्यवहार में किस प्रकार के परिवर्तन आए हैं, उसने  उस ज्ञान यार अवधारणा को किस प्रकार से अनुसरण किया है ,

३-पुनः प्रस्तुतीकरण(Re-Presentation) 

(after the concepts acceptance teachers responsibilities they can check their students ability,concept or knowledge because by the checking process they can make different skills or teaching pattern to gain more knowledge on students mind)

इसके अंतर्गत शिक्षक विद्यार्थी के संप्रत्यय निर्माण के बाद उसमें कितना धारण किया है और कितना अपने व्यवहार में धारण करने के बाद बहुत संप्रदाय या ज्ञान का किस प्रकार से प्रयोग करता है या भविष्य में करेगा इसका पता करने के लिए शिक्षक विभिन्न माध्यमों से उस ज्ञान को विद्यार्थी के द्वारा पुनः प्रस्तुत करण के द्वारा देखता है वा उसकी व उसके व्यवहार में आए परिवर्तन का मूल्यांकन द्वारा या निश्चित करता है कि विद्यार्थी को और कितना अधिगम कराना है।

४-पुनर्बलन( Reinforcement)

(reinforcement is best way to find out  the students learning problems and change their behaviour,by the positive reinforcement.)

 यह विद्यार्थी और शिक्षक दोनों के लिए ही सर्वाधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके द्वारा एक शिक्षक विद्यार्थी के अंदर हो रहे विकास को और अधिक बढ़ा सकता है वा साथ ही साथ वह विद्यार्थी के सकारात्मक ज्ञान को बढ़ाने विकसित करने में सहायक होता है वह नकारात्मक ज्ञान को विद्यार्थी के जीवन से हटाने का या कम करने का प्रयास करता है।

अल्बर्ट बंडूरा ने सामाजिक अधिगम सिद्धांत कुछ तथ्य बताएं, जो निम्नलिखित है÷

व्यक्ति स्वयं को कुछ क्रियाओं द्वारा संतुलित रखता है जिसके द्वारा वा समाज में किसी भी नई परिस्थिति में समायोजन करना वाह आत्मसात करना सीख जाता है जिसके द्वारा वाह स्वयं को समाज के नियम वा मानदंडों के अनुरूप अनुकूल हो जाता है।

इसके अंतर्गत बंडूरा ने निम्नलिखित तीन प्रकार के सामाजिक अधिगम तथ्य बताएं

१-स्व-नियंत्रण

यह एक ऐसी क्रिया है जिसके द्वारा शिक्षक विद्यार्थी के व्यवहार में सामाजिक परिवेश में स्वयं को नियंत्रित रखने की भावना का विकास करता है जिसके द्वारा विद्यार्थी समाज में हिंसा की भावना के प्रति सचेत रहता है और स्वयं को विपरीत परिस्थितियों में स्व नियंत्रण के द्वारा अहिंसा के अनुकूल बनाये रखता है।

स्व नियंत्रण को भी तीन भागों में विभाजित किया गया है

१-स्व निरीक्षण

शिक्षक को विद्यार्थी के कार्यों का वाह उसके अधिगम का निरीक्षण करना चाहिए इसके द्वारा वह ज्ञात कर सकता है कि विद्यार्थी ने अधिगम कितना किया है, वा वह विद्यार्थी के अधिगम में किस प्रकार से सहायता करके अधिगम को पूर्ण कर सकता है।

२-विवेक पूर्ण निर्णय एक शिक्षक को अपने विद्यार्थी के प्रति प्रत्येक परिस्थिति में विवेकपूर्ण ना लेनी चाहिए अर्थात विद्यार्थी के विषय में नीरसता पूर्ण व्यवहार या निर्णय ना करें जिसके द्वारा विद्यार्थी में कुंठा की भावना का विकास हो।

३-स्व अनुक्रिया

एक बेहतर शिक्षक अपने विद्यार्थियों के अधिगम को बेहतर करने के लिए कई बार उनके सामने अच्छे आचरण के मॉडल प्रस्तुत करने के साथ-साथ बहुत सारी अनुक्रिया भी करके दिखाता है वा उनको अनेक प्रकार के अनुक्रिया करने के लिए प्रेरित करता है (जसे-कई बार वह महान लोगों के जीवनी के आधार पर रोलप्ले ,नाटक, अभिनय इत्यादि करवाता है)

सामाजिक अधिगम का शैक्षिक महत्व निम्नलिखित हैं÷

१-छात्रो  के समक्ष शिक्षक अच्छे आदर्श वाले मॉडल प्रस्तुत करके छात्र के अधिगम को व उसके व्यवहार उसके आचरण का बेहतर तरीके से निर्माण कर सकता है।

२-बुरे व्यवहार उपस्थित नहीं होते हैं अर्थात शिक्षक विद्यार्थी के समक्ष एक बेहतर, स्वच्छ निर्मल आचरण प्रस्तुत करता है जिसका विद्यार्थी अनुकरण करके सीखता है।

३-शिक्षक को स्व नियंत्रण बनाए रखना चाहिए अर्थात शिक्षक को किसी भी परिस्थिति में अपना नियंत्रण नहीं होना चाहिए क्योंकि कई बार विद्यार्थी ऐसी क्रियाएं,या  व्यवहार कर बैठता है जिस पर शिक्षक अपना आपा खोकर बालक के साथ अनैतिक व्यवहार कर बैठता है किंतु स्व नियंत्रण के द्वारा वह स्वयं को प्रत्येक परिस्थिति में नियंत्रित रखकर विद्यार्थी के प्रत्येक पहलू का   उसके अनैतिक व्यवहार या क्रिया का कारण पता करने की कोशिश करता है वह उसको सुधार करने मे भी बेहतर ढंग से प्रयासरत रहता है।

अध्यापक को विश्वास को  मजबूत, ढृंढ़ , वह आत्मशाह को बढ़ाने वाले वाले संदेश देने चाहिए , जिसके द्वारा प्रत्येक स्थिति में स्वयं को वह अभिप्रेरित रख सके वाह साथ ही सफलता की ओर अग्रसर हो सके और अपने भावी जीवन में सफलता की प्राप्ति करता रहे।

अध्यापक को विश्वास मजबूत करने के लिए सत्य ,अहिंसा ईमानदारी, नैतिक गुणों के विकास करने के लिए महान व्यक्तियों की जीवनी को वह उनकी आत्मकथाओं का विद्यार्थी के समक्ष उदाहरण प्रस्तुत करके वह कहानियां सुना कर उनको अभिप्रेरित करना चाहिए जिसके द्वारा वह जीवन के किसी भी मोड़ पर संघर्ष एवं नैतिक गुणों के द्वारा किसी भी समस्या का निराकरण कर सके।

धन्यवाद

handwritten by-Shikhar Pandey🙏

☘️🌼 बंडूरा का सामाजिक अधिगम का सिद्धांत🌼☘️

इस सिद्धांत का प्रतिपादन अल्बर्ट बंडूरा नहीं किया

अल्बर्ट बंडूरा कनाडा के निवासी थे।

अल्बर्ट बंडूरा का जन्म 4 दिसंबर सन् 1925 में हुआ था।

उनके सिद्धांत का वर्ष सन् 

1977 में था।

अल्बर्ट बंडूरा ने बॉबी डॉल और जीवित जोकर पर प्रयोग किया।

💫 सामाजिक अधिगम का अर्थ➖ दूसरों को देखकर उसके अनुरूप व्यवहार करना यह सामाजिक अधिगम है।

दूसरों के व्यवहारों को जीवन में उतारना।

समाज द्वारा स्वीकृत व्यवहार को धारण करना और अमान्य व्यवहार को त्यागना।

इस सिद्धांत को अनुकरण द्वारा सीखा जाता है।

☘️ अल्बर्ट बंडूरा ने सिद्धांतों में 4 पद दिए☘️

🔸1-अवधान➖ अधिगम विषय वस्तु को आकर्षक तथा प्रभावशाली तरीके से प्रस्तुत करना अवधान कहलाता है।

🔸2-धारण➖ अधिगम के लिए प्रस्तुत किए गए विषय वस्तु को कितना सीखा गया है ‌।

🔸3-पुनः प्रस्तुतीकरण➖ उस वस्तु का अधिगम कम प्रभावशाली हो तो अधिगम की विषय वस्तु को पुनः प्रस्तुत करना चाहिए।

🔸4-पुनर्बलन➖ विषय वस्तु की पुनः प्रस्तुतीकरण के पश्चात यदि बालक अधिगम की प्रतिपुष्टि कर दें तो यह प्रतिपुष्टि का पुनर्बलन है।

✍🏻 बंडूरा के सामाजिक अधिगम सिद्धांत में व्यक्ति खुद को कुछ क्रियाओं द्वारा संतुलित रखता है जिससे तीन भागों में बांटा गया है।

1-स्व नियंत्रण

🔸 स्व निरीक्षण

🔸 विवेकपूर्ण

🔸 स्व अनुक्रिया

2-स्व निर्देशन➖ अधिगमकर्ता स्वयं निर्देशन द्वारा अपने व्यवहार को निर्देशित करने की प्रभावी युक्ति का प्रयोग कर सकते हैं।

3-स्व पुनर्बलन➖ नकारात्मक व सकारात्मक पुनर्बलन के द्वारा भी व्यक्ति अपने व्यवहारों को निर्देशित कर सकता है।

💫 सामाजिक अधिगम का शैक्षिक महत्व💫

🔸 छात्रों के सामने अच्छा आदर्श वाला मॉडल प्रस्तुत करें।

🔸 बुरे व्यवहार उपस्थित ना होने दें।

🔸 स्व नियंत्रण की विधि अपनाएं।

🔸 शिक्षक विश्वास धारण करने वाला संदेश देकर व अन्य व्यक्तियों का सफलता देखकर छात्रों में स्व प्रभावशीलता का विकास कर सकता है।

🔸

सामाजिक अधिगम का आधार अनुकरण है।

✍🏻📚📚 Notes by…. Sakshi Sharma📚📚✍🏻

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