#9. CDP – Pre-Operational Stage – Social development

*सामाजिक विकास (2-6 years)* 

बच्चा जिस सामाजिक परिवेश में पैदा होता है वहां के मानदंडों के हिसाब से उसका विकास होता है

 *Exa.* पड़ोस के बच्चों के साथ खेलना जिससे उसका सोशल डेवलपमेंट होता है

✍🏾 1.बच्चा विश्वास और अविश्वास की भावना खुद विकसित करता है l

✍🏾2. बच्चा स्वायत्तता की भावना विकसित होती है

      Exa. खुद से काम करने लगते हैं,अपने हिसाब से काम करने लगती है अपने तौर-तरीकों से काम करना

✍🏾 3.बच्चा अन्वेषण शुरू कर देता है l

• Exa. खिलौनों की तोड़ मरोड़ करने लगते हैं

• लाइट को चालू बंद करना

• टीवी चालू बंद करना

• चीजों को खोलकर उसका खोजबीन करने लगते हैं l

• जानने के लिए जिज्ञासु होते हैं

✍🏾4.. बच्चे का सामाजिक वातावरण घर के बाहर फैलना शुरू कर देता है।

Exa.बच्चा समाज में अच्छा बुरा कुछ भी सीख सकता है कहने का तात्पर्य क्या समाज के दायरे में जब जोड़ता है तो कुछ भी सीख सकता है

✍🏾5.. बच्चे बच्चियां बिना किसी लिंगभेद के एक साथ खेलते हैं सक्रिय रूप से भाग लेते हैं भौतिक उर्जा का उपयोग करते हैं l

✍🏾6. दूसरों को सहयोग करना सीख जाते हैं l

✍🏾7. सामान व्यक्तित्व लक्षण वाले बच्चों को दोस्त बनाना सीख जाते ।

✍🏾8. बच्चे परी, राजा,रानी, पशु की कहानी में रुचि लेने लगते हैं

✍🏾9.. बच्चों में नकारात्मकता भी 3 से 6 साल में बढ़ जाती है ये सामाजिक परिस्थिति का उत्पाद है

✍🏾10. लड़कियां लड़कों की तुलना में खेलने में ज्यादा हावी होती है l

✍🏾11. बच्चा अपनी बात पूरी करने के लिए सामाजिक अनुमोदन की मांग करता है l

  🏵️🏵️Notes by Sharad Kumar patkar🌺🌺

💐💐2-6 year  में सामाजिक विकास💐💐💐

🍃🍃🍃 बच्चा जिस सामाजिक परिवेश में पैदा होता है वहां के मानदंडों के हिसाब से उसका व्यक्तित्व विकास होता है

.🍃🍃 बच्चा विश्वास और अविश्वास की भावना खुद से विकसित करता है. 

जैसे बच्चा अपने परिवार वालों पर विश्वास करता है जैसी बात जानता है उन पर विश्वास करता है और जिसे वह नहीं जानता उस पर वह अविश्वास दिखाता है

🍃🍃🍃 बच्चों में स्वायत्त की भावना विकसित होती है

🍃🍃🍃🍃 इसमें बच्चा खुद से अपने कार्यों को करने की जिद करता है वह खुद से खाना ,खाना पानी पीना यहां तक की मम्मी के साथ काम करने की जिद करता है

🍃🍃🍃🍃 बच्चा अन्वेषण शुरू कर देता है

आपने देखा होगा कि इस एज में बच्चा अपने खिलौनों को तोड़ता है उसे में देखता  है क्या कैसा है

🍃🍃🍃🍃🍃 बच्चे का सामाजिक वातावरण घर के बाहर खेलना शुरू कर देता है जब बच्चा सामाजिक वातावरण में जाता है तो बच्चा वहां से सिर्फ सकारात्मक सोच ही नहीं ग्रहण करता वह नकारात्मक सोच भी ग्रहण करता है

🍃🍃🍃🍃🍃 बच्चे /बच्चियां बिना किसी लिंगभेद के एक साथ खेलते हैं सक्रिय रूप से भाग लेते हैं 

🍃🍃🍃🍃 दूसरों को सहयोग करना सीख जाते हैं

🍃🍃 इस एज में बच्चा दूसरों का अनुकरण करता है बच्चा दिखता है कि मां जो काम कर रही है उसमें बच्चा अपना हाथ बटाने की कोशिश करता है

🍃🍃🍃🍃 इस उम्र में बच्चा समान व्यक्तित्व लक्षण वाले बच्चों को दोस्त बनाना सीख जाता है

🍃🍃🍃 बच्चे परी ,राजा ,रानी ,पशु की कहानी में रुचि लेते हैं

🍃🍃🍃 बच्चों में नकारात्मकता भी 3 से 4 साल में बढ़ जाती है यह सामाजिक परिस्थिति के उत्पाद हैं

🍃🍃🍃🍃 बच्चियां बच्चों की तुलना में खेलने में ज्यादा हावी होती हैं

🍃🍃🍃🍃 बच्चा अपनी बात पूरी करने के लिए सामाजिक अनुमोदन (समर्थन )की मांग करता है

sapna sahu 🍃🍃🍃💠💠💠🙏🙏🙏🙏📚📚🖋️🖋️🖋️🔷🔷🔷

🍁🍁 पूर्व बाल्यावस्था 🍁🍁

 🌺   सामाजिक विकास🌺

✍🏻 बच्चा एक सामाजिक परिवेश में पैदा होता है, जहां उसका व्यक्तित्व विकास सामाजिक मानदंडों के द्वारा होता है।

👉 बच्चे में विश्वास और अविश्वास की भावना खुद विकसित होती है।

👉 बच्चे में स्वायत्तता(Autonomy) की भावना विकसित होती है।

👉 वह अन्वेषण करना शुरू कर देते हैं।

👉 बच्चे का सामाजिक वातावरण घर के बाहर फैलना शुरू हो जाता है, क्योंकि इस उम्र में बच्चा अपने परिवार से बाहर निकल कर आस-पड़ोस के लोगों से मिलता है तथा वहां से कुछ अच्छी बातें और कुछ बुरी बातें भी सीख लेता है।

👉 बच्चे या बच्चियां बिना किसी लिंगभेद के और बिना किसी भेदभाव के एक साथ खेलना शुरू कर देते हैं तथा वह सक्रिय रूप से भाग लेते हैं और अपनी भौतिक ऊर्जा का उपयोग करते हैं।

👉 दूसरों को सहयोग करना सीख जाते हैं।

👉 समान व्यक्तित्व लक्षण वाले बच्चों को दोस्त बनाना सीख जाते हैं।

👉 बच्चे परी राजा और रानी तथा पशुओं की कहानी में रुचि लेते हैं क्योंकि इस उम्र में बच्चा कल्पना में होते हैं तथा जिज्ञासु होते हैं।

👉 इस उम्र के बच्चों में नकारात्मकता की भावना भी 3 से 6 साल के बीच बढ़ जाती है, यह सामाजिक परिस्थितियों का एक उत्पाद है, क्योंकि वह अपने परिवेश में नकारात्मकता को देखते और सुनते हैं तो वही सीख लेते हैं और अनुकरणीय हो जाते हैं।

👉 लड़कियों खेलने की तुलना में लड़कों पर ज्यादा हावी होती है।

👉 बच्चा अपनी बात पूरी करने के लिए सामाजिक अनुमोदन की मांग करता है।

           🌟🌟🌟🌟🌟

NOTES BY 

             Shashi Chaudhary.

            🙏🙏🙏🙏🙏

पूर्व बाल्यावस्था में सामाजिक विकास

(Social development in preoperational stage) (2 से 6 वर्ष)

↪️ बच्चा जिस सामाजिक परिवेश में पैदा होता है, वहां के मानदंडों के हिसाब से उसके व्यक्तित्व का विकास होता है।

↪️ बच्चे विश्वास और अविश्वास की भावना को खुद विकसित करते हैं।

↪️ इस अवस्था में बच्चा अन्वेषण करना शुरू कर देता है।

↪️ बच्चे का सामाजिक वातावरण घर के बाहर फैलना शुरू हो जाता है।

↪️ बच्चे/बच्चियां बिना किसी लिंग भेद-भाव के एक साथ खेलते हैं, सक्रिय रुप से भाग लेते हैं, भौतिक उर्जा का उपयोग करते हैं।

↪️ दूसरों को सहयोग करना सीख जाते हैं।

↪️ समान व्यक्तित्व लक्षण वाले बच्चों के साथ मित्रता करना सीख जाते हैं।

↪️ बच्चे परी, राजा-रानी, पशु-पक्षी इत्यादि की कहानियों में रुचि लेते हैं।

↪️ बच्चों में नकारात्मकता भी 3 से 6 साल की उम्र में बढ़ जाती है।

↪️ लड़कियां लड़कों की तुलना में खेलने में ज्यादा हावी होती हैं।

↪️ बच्चा अपनी बात को पूरी करने के लिए सामाजिक अनुमोदन की मांग करता है।

🔚

         🙏

📝🥀Notes by Awadhesh Kumar🥀

पूर्व बाल्यावस्था [ 2 – 6  वर्ष ] में 

  बच्चों का सामाजिक विकास 

💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥

बच्चा जिस सामाजिक परिवेश में पैदा होता है वहां के मानदंडों के हिसाब से उसके व्यक्तित्व का विकास होता है , जैसे  :-

👉  इस उम्र में बच्चे विश्वास और अविश्वास की भावना स्वयं ही विकसित कर लेते हैं।

अर्थात् बच्चे अपने आप से ही किसी भी व्यक्ति , चीजों के प्रति विश्वास करने , न करके की भावना बना लेते हैं जैसे कोई व्यक्ति उनके घर परिवार आदि का बहुत खास और अच्छा भी होगा पर कई बच्चे ऐसे लोगो के पास नही जाते हैं, या जाने पर रोते हैं।

👉  इस उम्र में बच्चों में स्वायत्तता की भावना विकसित हो जाती है।

अर्थात् बो खुद से करने की हठ करने लगते हैं, जैसे मैं खुद से नहा लूंगा / खाना खा लूंगा/ न बन सकने बाले काम के लिये भी बोलेंगे कि मुझसे बन जायेगा, हम करेंगे आदि ।

👉   इस उम्र में बच्चे अन्वेषण करना शुरू कर देते हैं।

हम जानते हैं कि बच्चे छोटे वैज्ञानिक होते हैं , जिज्ञासु होते हैं, उन्हें हर चीज के बारे में जानना होता है, स्वयं करके भी देखते हैं अतः हमें बच्चों की जिज्ञासु प्रवृत्ति को कुंठित नहीं करना चाहिये औऱ न ही कभी उनके प्रश्नों के गलत जवाब देने चाहिये बल्कि हमेशा उन्हें उचित समय पर उचित उत्तर देना चाहिये।

👉    बच्चे का सामाजिक वातावरण घर – परिवार से फैलना /  बढ़ना शुरू होता जाता है।

इस उम्र में बच्चों के सामाजिक परिवेश का दायरा परिवार के अलावा पड़ोस, विद्यालय, खेल का मैदान आदि के तौर पर बढ़ता है।

👉   इस उम्र में बच्चे – बच्चियां बिना किसी लिंगभेद के एक साथ खेलते हैं , सक्रिय रूप से भाग लेते हैं और भौतिक ऊर्जा का उपयोग भी करते हैं।

 👉   इस उम्र में बच्चे दूसरों का सहयोग करना सीख जाते हैं।

जैसे अपने घर में सबके साथ उनको काम करवाने की इच्छा होती है छोटे – छोटे काम भी करते हैं, बिगाड़ते भी हैं, पड़ोसियों के घर भी छोटे रूप में सहयोग करते हैं आपने विद्यालयी परिवेश में भी सहायता करते हैं।

👉    इस उम्र में बच्चे समान व्यक्तित्व लक्षण वाले बच्चों को दोस्त बनाना सीख जाते हैं।

अर्थात् बच्चे अपने समान उम्र,  रहन – सहन, भाषा , बातचीत , व्यक्तित्व आदि के आधार पर अपनी मित्र मंडली बनाते हैं।

👉   इस उम्र में बच्चे परियों , राजा – रानी , पशुओं की कहानियों में रुचि रखते हैं।

     क्योंकि  बच्चे जिज्ञासु होते हैं तो उन्हें अपने से बड़ों द्वारा सुनाई जाने बाली काल्पनिक या वास्तविक कहानियां रूचिकर लगतीं हैं।

👉   इस उम्र में बच्चों में नकारात्मकता भी 3 – 6 साल में बढ़ जाती है और यह सामाजिक परिस्थिति का ही उत्पाद है।

अर्थात् बच्चों में अनुकरण की प्रवृति प्रबल होती है तो जैसा बो अपने परिवेश में देखेंगे, सुनेंगे वैसा ही ग्रहण करेंगे , इसीलिये बच्चों को नकारात्मक वातावरण से दूर रखकर एक सकारात्मक और खुशहाल माहौल में रखना चाहिये ताकि उनका सकारात्मक रूप से उचित विकास हो सके।

👉    इस उम्र में बच्चियां , लड़कों की तुलना में खेलने में ज्यादा हावी होती हैं।

हम जानते हैं कि लड़कियां, लड़कों की तुलना में 2 वर्ष पूर्व ही परिपक्व होतीं जातीं है तो इसी तौर पर बो इस उम्र में भी खेलने, समझ रखने आदि सब में लड़कों की अपेक्षा आगे होतीं हैं।

👉   इस उम्र में बच्चे अपनी बात को पूरी करने के लिए सामाजिक अनुमोदन ( समर्थन )  की मांग करते हैं।

अर्थात् बच्चों को अपनी जिस भी बात पर अपने बड़ों से सहमति लेनी होगी या कोई काम करना होगा तो वह अपने समाज ( बड़ों से ) सहमति  या समर्थन पाने की जिद भी करते हैं।

🌹✍️Notes by –  जूही श्रीवास्तव ✍️🌹

पूर्व संक्रियात्मक अवस्था में सामाजिक विकास

बच्चा जिस सामाजिक परिवेश में पैदा होता है वहां के मानदंडों के हिसाब से उसका व्यक्तित्व विकास होता है।

बच्चे *विश्वास और अविश्वास* की भावना खुद विकसित करते हैं।

जैसे कोई बच्चा किसी व्यक्ति से बहुत अधिक लगाव रखता है और किसी व्यक्ति से बहुत अधिक डरता है यह बच्चे का उस व्यक्ति विशेष के प्रति विश्वास या अविश्वास की भावना के कारण होता है।

इस अवस्था में बच्चों में *स्वायत्तता* की भावना विकसित होती है।

अर्थात बच्चे हर कार्य को अपने हिसाब से या खुद से स्वतंत्र रूप में करना चाहते हैं। वह अपने कार्य में किसी दूसरों का हस्तक्षेप नहीं चाहते हैं।

इस अवस्था में बच्चा *अन्वेषण* शुरू कर देता है।

जैसे बच्चा खेलते समय खिलौनों को तोड़ता है, जोड़ता है, उन्हें खोलता है और फिर से बंद करने की कोशिश करता है 

यह बच्चे की खोज की प्रवृत्ति के कारण होता है वह इस समय जिज्ञासु होता है। वह अपने परिचितों से अनेक प्रकार के सवाल- जवाब करता है कि यह क्या है? यह क्यों है? यह कैसे होता है? आदि।

इस अवस्था में बच्चे का *सामाजिक वातावरण* घर के बाहर *फैलना* शुरू कर देता है अर्थात अब बच्चा परिवार से बाहर निकलकर पास पड़ोस के लोगो से,अपने समान छोटे बच्चों से मिलता है और उनसे कुछ अच्छा और कुछ बुरा भी  सीखता है।

इस अवस्था में बच्चे और बच्चियां *बिना किसी लिंगभेद के एक साथ खेलते हैं*। सक्रिय रूप से भाग लेते हैं और भौतिक ऊर्जा का उपयोग करते हैं।

इस अवस्था में बच्चे *दूसरों का सहयोग* करना सीख जाते हैं जैसे कोई बच्चा अपनी मां को रोटी बनाते देखता है तो वह भी रोटी बनाने का प्रयास करता है।

इस सहयोग की भावना के कारण बच्चे किसी काम को बिगड़ते हैं और बनाते हैं।

*समान व्यक्तित्व लक्षण* वाले बच्चे को *दोस्त बनाना* सीख जाते हैं। जैसे जो बच्चे उसके साथ खेलते हैं वह उसके अच्छे मित्र बन जाते हैं

बच्चे *परी, राजा -रानी ,पशु -पक्षियों* की *कहानी में रुचि* रखते हैं क्योंकि इस समय वह जिज्ञासु होते हैं वह यह जानने के लिए अधिक उत्सुक रहते हैं कि कहानी में आगे क्या होगा।

बच्चों में *नकारात्मकता* भी 3 से 6 साल में *बढ़* जाती है यह *सामाजिक परिस्थिति* का ही *उत्पाद* है। क्योंकि बच्चा पास पड़ोस से केवल अच्छी बातें ही नहीं सीखता है वह कुछ बुरी बातें भी सीख जाता है।

इस अवस्था में लड़कियां लड़कों की तुलना में खेलने में ज्यादा हावी होती है।

इस अवस्था में बच्चा अपनी बात पूरी करने के लिए *सामाजिक अनुमोदन* अर्थात *समर्थन* की मांग करता है।

Notes by Ravi kushwah

*पूर्व बाल्यावस्था।  (02- 06)वर्ष*➖

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*बच्चों का सामाजिक विकास*⬇️

● बच्चा जिस सामाजिक परिवेश में पैदा होता है वहाँ के मानदंडों के हिसाब से उसका व्यक्तिगत विकास होता है।

जैसे–

1●  बच्चें विश्वास औऱ अविश्वास की भावना    

       खुद विकसित करता है।

2 ● बच्चों में स्वायत्त की भावना विकसित होती  

      है।

3 ● बच्चा अन्वेषण शुरू कर देता है।

4 ● बच्चे का सामाजिक वातावरण घर के बाहर 

      फैलना शुरू कर देता है।

5● बच्चें /बच्चियां बिना लिंग – भेद के एक साथ खेलते है  सक्रिय रूप से भाग लेते है भौतिक ऊर्जा का उपयोग भी करते है।

6● दुसरो का सहयोग करना सीख जाते है।

7● समान व्यक्तित्व लक्षण वाले बच्चों को दोस्त बनना सिख जाते है।

8● इस उम्र में बच्चे परिया ,राजा-रानी ,पशु की कहानी में रुचि लेते है।

9● बच्चों में नकारात्मक भी 3-6 साल में बढ़ जाती है यह सामाजिक परिस्थितियों का उत्पाद है।

10● लड़कियां लड़को की तुलना में खेलने में ज्यादा हावी होती है।

11● बच्चा अपनी बात पृरी करने के लिए सामाजिक अनुमोदन की मांग करता है।

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😊😊😊😊

✒️✒️ आनंद चौधरी 📋📋

*🌸पूर्व बाल्यावस्था में सामाजिक विकास🌸*

*( social development in early childhood)* 

*(2-6 वर्ष)*

*Date-15 february 2021*

👉 बच्चा जिस सामाजिक परिवेश में पैदा होता है वहां के मानदंडों के हिसाब से उसके व्यक्तित्व का विकास होता है। 

★ पूर्व बाल्यावस्था में निम्न प्रकार से बच्चे के व्यक्तित्व विकास होता है—

1. बच्चा, विश्वास और अविश्वास की भावना खुद विकसित करता है।

(जैसे- विश्वास न होने पर बच्चा गर्म पानी में हाथ डालता है तो उसका हाथ जल जाता है फिर हाथ जलने पर उसे विश्वास हो जाता है कि यह पानी गर्म है और इसमें हाथ नहीं डालना चाहिए।) 

2. बच्चे में स्वायत्तता की भावना विकसित होती है।

( मतलब बच्चा इस उम्र में अपनी मां या अपने आसपास के लोगों को जो भी काम करते देखता है वह उसे खुद भी करने की कोशिश करता है चाहे वह काम उससे सही हो या गलत।) 

3. इस उम्र में बच्चा अन्वेषण/ खोज करना शुरू कर देता है। 

(मतलब जब बच्चे के पास में कोई खिलौना होता है तो वह उसे खेलते वक्त उसके सभी पार्ट्स को अलग-अलग कर देता है और फिर वह उन्हें जोड़ने की कोशिश करता रहता है।) 

4. बच्चे का सामाजिक वातावरण घर के बाहर फैलना शुरू हो जाता है। 

 (मतलब अब बच्चा द्वितीयक सामाजिकरण में प्रवेश कर रहा है और इसमें वह परिवार के अलावा पड़ोस तथा पार्क में जाकर सामाजिकरण करता है जिससे उसमें सकारात्मकता और नकारात्मकता दोनों प्रकार के सोच विकसित होती है।)  

5. बालक  एवं बालिका बिना किसी लिंग भेद के एक साथ खेलते हैं तथा सक्रिय रूप से भाग लेते हैं भौतिक ऊर्जा का उपयोग करते हैं। 

6. बच्चे दूसरों का सहयोग करना सीख जाते हैं। 

(जैसे पापा ने कहा एक गिलास पानी ला कर कर दो तो तुरंत ले आते हैं।) 

7. समान व्यक्तित्व लक्षण वाले बच्चों को दोस्त बनाना सीख जाते हैं। 

(मतलब जैसा बच्चे को पसंद है वैसा ही उसके दोस्त भी पसंद करते हो।) 

8. इस उम्र में बच्चा परी, राजा-रानी, पशुओं की कहानी में रुचि लेने लगता हैं (क्योंकि यह उम्र बच्चे की जिज्ञासु प्रवृत्ति की उम्र होती है।

उसके मन में ऐसा करने से क्या होगा? और आगे क्या होगा? जैसे अनेक प्रकार के प्रश्न मन में उठते है।) 

9. बच्चे में नकारात्मकता भी 3 से 6 साल में साल में बढ़ जाती है। और यह नकारात्मकता सामाजिक परिस्थिति का उत्पाद है। 

 (मतलब बच्चा अपने आसपास के लोगों को जैसा करते देखता हैं वह वैसा ही सीखता हैं। सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही चीजें बच्चा समाज से ही सीखता है और आगे चलकर क्या सही क्या गलत की समझ भी उसे समाज से ही मिलती है।) 

10.  इस उम्र में लड़कियां लड़कों की तुलना में खेलने में ज्यादा हावी होती है। 

( मतलब लड़कियां, लड़कों को खेल-खेल में उठाकर पटक भी देती है।) 🤣

11. बच्चा अपनी बात पूरी करने के लिए सामाजिक अनुमोदन की मांग करता है। 

(मतलब बच्चा अपनी आवश्यकता की पूर्ति के लिए जो चाहता है उसके लिए उसे समाज अनुमति दें यही बच्चा चाहता है।) 

Notes by Shivee Kumari

🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸

🔆 पूर्व बाल्यावस्था 🔆

  🌀 सामाजिक विकास (2-6 years)🌀

💫बच्चा जिस सामाजिक परिवेश में पैदा होता है वही के मापदंडो़ के हिसाब से उसका व्यक्तित्व विकास होता है |

1. बच्चे विश्वास और अविश्वास की भावना खुद विकसित करता है जब बच्चा किसी को जानता है तो उस पर विश्वास करता है और नही जानता है तो अविश्वास करता है |

2. बच्चो में स्वायत्ता की भावना विकसित होती है बच्चो मे स्वयं या खुद में कोई भी कार्य को करने की जिद्द होती है वह अपने माता – पिता या परिवार में करता है |

3. बच्चा अन्वेषण शुरू कर देता है |

4. बच्चे का सामाजिक वातावरण घर को बाहर फैलना शुरू कर देता है जब बच्चा अपने परिवार से बाहर निकलकर आस – पास पडो़सी के लोगो से मिलता है तो बच्चों पर सकारात्मक और नकारात्मक दोनो प्रभाव पड़ता है |

5. बच्चे / बच्चियाँ बिना किसी लिंग भेद के एक साथ खेलते है सक्रिय रूप से भाग लेते है भौतिक उर्जा का उपयोग करते है |

6. दूसरों को सहयोग करना सीख जाते है |

7. समान व्यक्तित्व लक्षण वाले बच्चो को दोस्त बनाना सीख जाते है |

8. बच्चे परी राजा रानी पशु की कहानी में रूचि रखते है |

9. बच्चो में नकारात्मकता भी 3-6 साल में बढ़ जाती है ये सामाजिक परिस्थिति का उत्पाद है |

10. लड़कियाँ लड़का की तुलना में खेलने में ज्यादा हावी होती है |

11. बच्चा अपनी बात पूरी करने के लिए सामाजिक अनुमोदन की मांग करता है |

Notes by – Ranjana Sen

🔆पूर्व बाल्यावस्था (0 से या जन्म से 2 वर्ष ) में सामाजिक विकास➖

🔸 बच्चा जिस सामाजिक परिवेश में पैदा होता है वहां के मानदंडों के हिसाब से उसका व्यक्तित्व विकास होता है

.🔸 बच्चा विश्वास और अविश्वास की भावना खुद से विकसित करता है. 

जैसे बच्चा अपने परिवार वालों पर विश्वास करता है जैसी बात जानता है उन पर विश्वास करता है और जिसे वह नहीं जानता उस पर वह अविश्वास दिखाता है

🔸 बच्चों में स्वायता की भावना विकसित होती है

🔸 इसमें बच्चा खुद से अपने कार्यों को करने की जिद करता है वह खुद से खाना ,खाना पानी पीना यहां तक की मम्मी के साथ काम करने की जिद करता है

🔸बच्चा अन्वेषण शुरू कर देता है

आपने देखा होगा कि इस एज में बच्चा अपने खिलौनों को तोड़ता है उसे में देखता  है क्या कैसा है

🔸 बच्चे का सामाजिक वातावरण घर के बाहर खेलना शुरू कर देता है जब बच्चा सामाजिक वातावरण में जाता है तो बच्चा वहां से सिर्फ सकारात्मक सोच ही नहीं ग्रहण करता वह नकारात्मक सोच भी ग्रहण करता है

🔸 बच्चे /बच्चियां बिना किसी लिंगभेद के एक साथ खेलते हैं सक्रिय रूप से भाग लेते हैं 

🔸 दूसरों को सहयोग करना सीख जाते हैं

🔸 इस एज में बच्चा दूसरों का अनुकरण करता है बच्चा दिखता है कि मां जो काम कर रही है उसमें बच्चा अपना हाथ बटाने की कोशिश करता है

🔸 इस उम्र में बच्चा समान व्यक्तित्व लक्षण वाले बच्चों को दोस्त बनाना सीख जाता है

🔸बच्चे परी ,राजा ,रानी ,पशु की कहानी में रुचि लेते हैं

🔸 बच्चों में नकारात्मकता भी 3 से 4 साल में बढ़ जाती है यह सामाजिक परिस्थिति के उत्पाद हैं

🔸 बच्चियां बच्चों की तुलना में खेलने में ज्यादा हावी होती हैं

🔸 बच्चा अपनी बात पूरी करने के लिए सामाजिक अनुमोदन (समर्थन )की मांग करता है

✍️ 

Notes By-Vaishali Mishra

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