#8. CDP – Sensory motor Sub-stages and Conceptual & Mental development in Pre-Operational Stage

*🌸संवेदी पेशीय अवस्था*

*( sensory motor stage) (0-2 वर्ष)🌸*

👉इस अवस्था में बालक केवल अपनी संवेदना और शारीरिक क्रिया की सहायता से ज्ञान अर्जित करता है। 

👉 बच्चा जन्म लेता है तो उसके अंदर सहज क्रियाएं होती है। 

सहज क्रिया और ज्ञानेंद्रियों की सहायता से बच्चा ध्वनि, स्पर्श, रस, गंध आदि का अनुभव प्राप्त करता है। 

👉इन अनुभवों के पुनरावृत्ति के कारण वातावरण में उपस्थित उद्दीपकों की विशेषता से परिचित हो जाता है। 

👉 इन सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए पियाजे  महोदय ने इस अवस्था को 6 उपअवस्थाअो में बांट दिया है जो निम्न प्रकार है—

1.  *सहज क्रियाओं की अवस्था* ( spontaneous action stage) 

( जन्म से 30 दिन तक) 

👉 इस अवस्था में बच्चा सहज क्रियाएं करता है

2. *प्रमुख वृत्तीय अनुक्रियाओं की अवस्था* ( stage of major circular circular response) 

( 1 माह से 4 माह तक) 

👉 इस अवस्था में बच्चा थोड़ी-थोड़ी अनुक्रियाएं करने लगता है, पुनरावृति करने लगता है

 इस अवस्था में खुशनुमा मुस्कान करता है और उसके भाव को देखा भी जा सकता है। 

3. *गौण वृत्तिय अनुक्रियाओ की अवस्था* ( stage of secondary circular response) 

( 4 माह से 8  माह तक ) 

👉 पहले बच्चा प्रमुख चीजों को महसूस करता था लेकिन इस अवस्था में सभी चीजों को महसूस करने लगता है। 

👉 गौण वृत्तिय अनुक्रियाओं की अवस्था बच्चे के चहुमुखी विकास को और ज्यादा मजबूती प्रदान करती है। 

जैसे चीजों को व्यवस्थित करने लगता है खिलौने को उल्टा है तो सीधा कर देता है। 

4. *गौण स्कीमा के सामंजस्य की अवस्था* ( co-ordinate stage of secondary schema) 

( 8 से 12 माह माह) 

👉 इस अवस्था में गौण वृत्तीय अनुक्रिया को समझ कर उन पर प्रतिक्रिया करने लगता है। 

5. *तृतीय वृत्तीय अनुक्रियाओं की अवस्था* ( Phase III response response stage) 

 ( 12 से 18 माह) 

👉 अब बच्चा अनेक चित्रों पर प्रतिक्रिया करने लगता है अलग-अलग क्षेत्रों में इंटरेक्शन और अधिक बढ़ता है। 

6. *मानसिक सहयोग द्वारा नए साधनों की खोज की अवस्था* ( stage of discovery of new means new means means by mental support) 

( 18 से 24 माह माह) 

👉 इस अवस्था में नई-नई चीजें बच्चे के दिमाग में चलने लगती है और वह नए तथ्यों पर चीजों को समझने लगता है नए-नए तरीके से चीजों/तथ्यों को खोजने लगता है.

🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸

*🌸पूर्व बाल्यावस्था में अवधारणात्मक विकास*

*(Conceptual development in early childhood)*

*(2-6 वर्ष) 🌸*

👉 इस उम्र में एक विविधता विकसित होती है जिसे बाद में दोहराया जाता है और यह एक ऐसी विविधता होती है जो पूरी उम्र चलती है मतलब अब बच्चा जो सीख रहा हैं वह कभी नहीं छूटेगा या भूलेंगे.

 जैसे-खाना खाना। 

👉 खुद से खाना खाना, खुद से स्नान करना, खुद से कपड़े पहनना, बालों को ब्रश करना, खिलौनों के साथ खेलना, उछलना-कूदना, आदि सीख जाता हैं. 

👉 यह सारे गुण अच्छी तरह से 5 से 6 साल तक आ जाते हैं.

🌸 इस अवस्था में बच्चा खिलौनों से खेलना सीख जाता है इसी वजह से 2 से 6 वर्ष की अवस्था को खेलने की अवस्था कहा जाता है.

🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸

*🌸 पूर्व बाल्यावस्था में बौद्धिक या मानसिक विकास*

*( mental development in early childhood)*

*(2-6 वर्ष) 🌸*

👉 बौद्धिक विकास 2 वर्ष के बाद थोड़ा तेज हो जाता है क्योंकि इस उम्र में बच्चा नई-नई चीजों को देखना या खोजना स्टार्ट कर देता हैं और नए-नए अनुभव प्राप्त करता हैं। 

 *विशेषताएं*:-

1. बच्चे शारीरिक या सामाजिक वास्तविकता की अवधारणा को समझना शुरू कर देते हैं.

2. 6 वर्ष की उम्र तक आकार, रंग,समय,दूरी इत्यादि चीजों की अवधारणा विकसित होने लगती है.

3. इस उम्र में बच्चे की स्मृति तेज होती है।

बच्चा रटकर याद रखना सीख जाता है.

4. अब रचनात्मकता का भी विकास होता है.

5. ध्यान की अवधि 7 मिनट से 20 मिनट तक बढ़ जाती है.

6. भाषा में प्रतीकों का प्रयोग करने लगता है.

7. पर्यावरण की समझ बढ़ती है इसी कारण बच्चा  प्रश्न करने लगता है या जिज्ञासु होता है.

Notes by Shivee Kumari

🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸

🕵️ जीन पियाजे के अनुसार🕵️

             🙇  (0- 2 year)🙇

             💥संवेदी पेशीय अवस्था💥       

       💞(Sensory motor stage)💞

💦इस अवस्था में बालक केवल अपनी संवेदना शारीरिक क्रिया के सहायता से ज्ञान अर्जित करता है;

बच्चा जन्म लेता है तो उसके अंदर सहज क्रियाएं होती है।

💦सहज क्रिया और ज्ञानेनद्रियो की सहायता से बच्चा रस ,ध्वनि ,गंध का अनुभव प्राप्त करता है;

💦इन अनुभवो की पुनरावृत्ति के कारण वातावरण में उपस्थित उद्दीपको की विशेषता से परिचित हो जाता है;

💦इन सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए उन्होंने इस अवस्था को ६- उप- अवस्था में बांट दिया ÷

💨१-सहज क्रियाओं की अवस्था

जन्म से 30 दिन तक

💨२-प्रमुख वृत्तीय अनुक्रियाओं की अवस्था-

1 महीने से 4 महीने तक

💨३- गौण वृत्तीय अनुक्रियाओं की अवस्था

4 महीने से 8 महीने तक

💦इस अवस्था में और भी अनुक्रियाएं करने लगता है।

💦जो भी वस्तु उसके सामने अगल-बगल होती है उसके प्रति सजग होने लगता है।

💨४÷ स्कीमा की सामंजस्य की अवस्था÷

💦8 महीने से 12 महीने तक

💦इस अवस्था में परिचित व्यक्ति के साथ खेलना भी शुरू कर देता है।

💦५-तृतीय वित्तीय अनु क्रियाओं के अवस्था

💨इसमें 12 महीने से 18 महीने तक रखा गया है;

💨मानसिक सहयोग द्वारा नए साधनों की खोज की अवस्था÷

💨18 से 24 महीने तक रखा गया है।

      🌸अवधारणात्मक विकास🌸

            🌷 ( 2 से 6 वर्ष )🌷

💦इस उम्र में एक विविधता विकसित होती है, जिसे बाद में दोहराया जाता है।

💦खुद से भोजन किया अन्य खाद्य पदार्थ खाना।

खुद से कपड़े पहनना, स्नान करना बालों को कंघी करना वा  दांतो मैं ब्रश करना इत्यादि।

💦खिलौने के साथ खेलना, उछलना कूदना वह दौड़ लगाना आदि।

💦यह सारे को अच्छी तरह से 5 से 6 साल तक आ जाते हैं।

                🧠 🌸बौद्धिक विकास🌸🧠

     🧠💞  ( Mental Development)💞🧠

💦बौद्धिक विकास 2 साल के बाद थोड़ा तेज हो जाता है कि कि उस उम्र में बच्चे नई नई चीजों को देखना या खोजना शुरू कर देता है और नया नया अनुभव प्राप्त करता है।

 🗣️विशेषताएं÷

💦बच्चा शारीरिक सामाजिक वास्तविकता की अवधारणा को समझना शुरू कर देता है।

💦6 साल की उम्र तक आकार, रंग, समय, दूरी, इत्यादि चीजों की अवधारणा विकसित होने लगती है।

💦इस उम्र में बच्चे की स्मृति तेज होती है बच्चा रटकर याद रखना सीख जाता है।

💦अब रचनात्मकता का भी विकास होता है।

💦ध्यान की अवधि 7 मिनट से बढ़कर 20 मिनट तक हो जाती है।

💦भाषा में प्रतीकों का उपयोग करने लगता है‌।

💦पर्यावरण की समाज में बढ़ती है (ज्यादा पसंद करता है)।

🧠 Written by-$hikhar pandey

🤵🏻‍♂जीन पियाजे के अनुसार🤵🏻‍♂

(0-2 year)👼🏻

🌻 संवेदी पेशीय अवस्था🌻

   (Sensory-notes stage)

🪐 इस अवस्था में बालक👼🏻 केवल अपने संवेदना और शारीरिक  क्रिया की सहायता से ज्ञान अर्जित करता है।

🪐 बच्चा👼🏻 जब जन्म लेता है तो उसके अंदर सहज क्रियाएं होती हैं।

🪐 सहज क्रिया और ज्ञानेंद्रियों की सहायता से बच्चा👼🏻 रस, ध्वनि, गंध का अनुभव प्राप्त करता है।

🪐इन अनुभवों की पुनरावृत्ति के कारण वातावरण में उपस्थित उद्दीपक को की विशेषता से परिचित हो जाता है।

🪐 इस अवस्था में शिशुओं👼🏻 का संज्ञानात्मक विकास 6उप अवस्था से होकर गुजरता है।

👉🏼 सहज क्रियाओं की अवस्था➖ यह जन्म से 30 दिन  तक की अवस्था होती है इस अवस्था में बालक मात्र प्रतिवर्त क्रियाएं (Reflex Activities) करता है।

👉🏼 प्रमुख वित्तीय अनु क्रियाओं की अवस्था➖यह अवस्था 1 से 4 माह की अवस्था होती है इस अवस्था में शिशु की प्रतिवर्ती क्रियायें उनकी अनुभूतियों द्वारा कुछ हद तक परिवर्तित होती है।

👉🏼 गौण वृतीय अनु क्रियाओं की अवस्था➖यह अवस्था 4 से 8 महीने की अवधि की होती है इस अवस्था में शिशु वस्तुओं को उलट ने पलटने तथा छूने पर अपना अधिक  ध्यान देता है।

👉🏼गौण इसकी स्कीमा की सामंजस्य की अवस्था➖यह अवस्था 8 से 12 माह तक चलती है इस अवस्था में बालक उद्देश्य तथा उस पर पहुंचने के साधन में अंतर करना प्रारंभ कर देता है।

👉🏼 तृतीय वृत्तीय अनुक्रियाओं की अवस्था➖यह अवस्था 12 महीने से 18 महीने तक की अवस्था होती है इस अवस्था में बालक वस्तुओं के गुणों को प्रयास एवं त्रुटि विधि से समझने की कोशिश करता है।

👉🏼 मानसिक सहयोग द्वारा नए साधनों की खोज अवस्था➖यह अंतिम अवस्था है जो 18 से 24 माह तक की अवस्था होती है यह व्यवस्था होती है जिसमें बालक वस्तुओं के बारे में चिंतन करना प्रारंभ कर देता है।

🌻 अवधारणात्मक  विकास🌻

🌻(2-6 year)🌻

🪐 इस उम्र में एक विविधता विकसित होती है जिसे बाद में दोहराया जाता है।

🪐 खुद से खाना खाना आ जाता है।

🪐 खुद से कपड़ा पहनना, स्नान करना, दांतों में ब्रश करना और बालों में कंघी  करना आ जाता है।

🪐 खिलौनों के साथ खेलना, उछलना, कूदना वह दौड़ लगाना आदि।

🪐 यह सारे गुण अच्छी तरह से 5 से 6 साल तक आ जाते हैं।

💫 पूर्व बाल्यावस्था में बौद्धिक व मानसिक विकास (2-6 years)💫

🪐 बौद्धिक विकास 2 वर्ष के बाद थोड़ा तेज हो जाता है क्योंकि इस उम्र में बच्चा👼🏻नई नई चीजों को देखना या खोजना स्टार्ट कर देता है और नए नए अनुभव प्राप्त करता है।

🌻🌻 विशेषताएं🌻🌻

🪐 बच्चे👼🏻 शारीरिक व सामाजिक व स्थिरता की अवधारणा को समझना शुरू कर देते है।

🪐6 वर्ष की उम्र🧍🏻 तक के बच्चे  आकर, रंग, समय ,दूरी इत्यादि चीजों की अवधारणा विकसित करने लगता है।

🪐 इस उम्र में बच्चे🧍🏻 की स्मृति तेज होती है बच्चा रटकर याद करना सीख जाता है।

🪐 अब रचनात्मकता का भी विकास होता है।

🪐 ध्यान की अवधि 7 मिनट से 20 मिनट तक बढ़ जाती है।

🪐 भाषा में प्रतीकों का उपयोग करने लगता है।

🪐 पर्यावरण की समझ बढ़ती है और ज्यादा प्रश्न भी करने लगते हैं।

✍🏻📚📚 Notes by….. Sakshi Sharma📚📚✍🏻

संवेदी पेशीय अवस्था की उप अवस्थाएं

इस अवस्था में बालक केवल अपनी *संवेदना*  और *शारीरिक क्रिया* की सहायता से *ज्ञान अर्जित* करता है।

जब बच्चा जन्म लेता है तो उसके अंदर *सहज कियाऐ*  होती    है।

*सहज क्रियाओं और ज्ञानेंद्रियों* की सहायता से बच्चा किसी ध्वनि, स्पर्श, रस ,गंध ,का *अनुभव* प्राप्त करता है।

इन *अनुभवों की पुनरावृति* के कारण वातावरण में उपस्थित *उद्दीपकों  की विशेषता से परिचित* होता है।

पियाजे ने इन सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए संवेदी पेशीय अवस्था को छ उप अवस्थाओं में विभाजित किया है।

1. सहज क्रियाओं की अवस्था -जन्म से 30 दिन तक 

2. प्रमुख वृत्तीय अनु क्रियाओं की अवस्था  -1 से 4 महीने तक

3. गौण वृत्तीय अनुक्रियाओं की अवस्था – 4से 6 महीने तक

4. गौण स्कीमा की सामंजस्य की अवस्था -8 से 12 महीने तक

5. तृतीय वृत्तीय अनुक्रियाओं की अवस्था-12 से 18 महीने तक

6. मानसिक सहयोग द्वारा नए साधनों की खोज की अवस्था- 18 से 24 महीने तक

पूर्व संक्रियात्मक अवस्था में अवधारणात्मक विकास

इस उम्र में एक विविधता विकसित होती है जिसे बाद में दोहराया जाता है।

खुद से खाना खाना 

खुद से कपड़े पहनना 

स्नान करना 

बालों को संवारना 

खिलौने के साथ खेलना अर्थात इस अवस्था को खेल की अवस्था या खेलने की अवस्था या खिलौने की आयु कहा जाता है 

उछलना ,कूदना आदि

यह सारे गुण अच्छी तरह से 5 से 6 साल तक आ जाते हैं।

पूर्व संक्रियात्मक अवस्था में बौद्धिक विकास

बौद्धिक विकास दो साल के बाद थोड़ा तेज हो जाता है क्योंकि इस उम्र में बच्चा नई- नई चीजों को देखना या खोजना प्रारंभ कर देता हैं और नए- नए अनुभव प्राप्त करता है

बौद्धिक विकास की विशेषताएं-

बच्चे शारीरिक, सामाजिक वास्तविकता की अवधारणा को समझना शुरू कर देते हैं

6 साल की उम्र तक आकार, रंग ,समय, दूरी इत्यादि चीजों की अवधारणा विकसित होने लगती है

इस उम्र में बच्चों की स्मृति तेज होती हैं बच्चा रटकर याद रखना सीख जाते हैं

अब रचनात्मकता का भी विकास होता है।

ध्यान की अवधि 7 से 20 मिनट तक बढ़ जाती है अर्थात अब बालक 7 से 20 मिनट तक एक स्थान पर ध्यान केंद्रित कर सकता है

भाषा में प्रतीकों का उपयोग करने लगता है

पर्यावरण की समझ बढ़ती है जिससे वह ज्यादा प्रश्न करने लगता है।

Notes by Ravi kushwah

*🌸संवेदी पेशीय अवस्था*

*( sensory motor stage) (0-2 वर्ष)

✍🏾इस अवस्था में बालक केवल अपनी संवेदना और शारीरिक क्रिया की सहायता से ज्ञान अर्जित करता है। 

✍🏾बच्चा जन्म लेता है तो उसके अंदर सहज क्रियाएं होती है। 

सहज क्रिया और ज्ञानेंद्रियों की सहायता से बच्चा ध्वनि, स्पर्श, रस, गंध आदि का अनुभव प्राप्त करता है। 

✍🏾इन अनुभवों के पुनरावृत्ति के कारण वातावरण में उपस्थित उद्दीपकों की विशेषता से परिचित हो जाता है। 

✍🏾 इन सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए पियाजे  महोदय ने इस अवस्था को 6 उपअवस्थाअो में बांट दिया है जो निम्न प्रकार है—

1.  *सहज क्रियाओं की अवस्था* ( spontaneous action stage) 

( जन्म से 30 दिन तक) 

✍🏾इस अवस्था में बच्चा सहज क्रियाएं करता है

2. *प्रमुख वृत्तीय अनुक्रियाओं की अवस्था* ( stage of major circular circular response) 

( 1 माह से 4 माह तक) 

✍🏾इस अवस्था में बच्चा थोड़ी-थोड़ी अनुक्रियाएं करने लगता है, पुनरावृति करने लगता है

 इस अवस्था में खुशनुमा मुस्कान करता है और उसके भाव को देखा भी जा सकता है। 

3. *गौण वृत्तिय अनुक्रियाओ की अवस्था* ( stage of secondary circular response) 

( 4 माह से 8  माह तक ) 

✍🏾 पहले बच्चा प्रमुख चीजों को महसूस करता था लेकिन इस अवस्था में सभी चीजों को महसूस करने लगता है। 

✍🏾 गौण वृत्तिय अनुक्रियाओं की अवस्था बच्चे के चहुमुखी विकास को और ज्यादा मजबूती प्रदान करती है। 

जैसे चीजों को व्यवस्थित करने लगता है खिलौने को उल्टा है तो सीधा कर देता है। 

4. *गौण स्कीमा के सामंजस्य की अवस्था* ( co-ordinate stage of secondary schema) 

( 8 से 12 माह माह) 

✍🏾 इस अवस्था में गौण वृत्तीय अनुक्रिया को समझ कर उन पर प्रतिक्रिया करने लगता है। 

5. *तृतीय वृत्तीय अनुक्रियाओं की अवस्था* ( Phase III response response stage) 

 ( 12 से 18 माह) 

✍🏾अब बच्चा अनेक चित्रों पर प्रतिक्रिया करने लगता है अलग-अलग क्षेत्रों में इंटरेक्शन और अधिक बढ़ता है। 

6. *मानसिक सहयोग द्वारा नए साधनों की खोज की अवस्था* ( stage of discovery of new means new means means by mental support) 

( 18 से 24 माह माह) 

✍🏾इस अवस्था में नई-नई चीजें बच्चे के दिमाग में चलने लगती है और वह नए तथ्यों पर चीजों को समझने लगता है नए-नए तरीके से चीजों/तथ्यों को खोजने लगता है.

*🧑‍⚕️🧑‍⚕️पूर्व बाल्यावस्था में अवधारणात्मक विकास*

*(Conceptual development in early childhood)*

*(2-6 वर्ष) 🧑‍⚕️🧑‍⚕️

✍🏾 इस उम्र में एक विविधता विकसित होती है जिसे बाद में दोहराया जाता है और यह एक ऐसी विविधता होती है जो पूरी उम्र चलती है मतलब अब बच्चा जो सीख रहा हैं वह कभी नहीं छूटेगा या भूलेंगे.

 जैसे-खाना खाना। 

✍🏾 खुद से खाना खाना, खुद से स्नान करना, खुद से कपड़े पहनना, बालों को ब्रश करना, खिलौनों के साथ खेलना, उछलना-कूदना, आदि सीख जाता हैं. 

✍🏾 यह सारे गुण अच्छी तरह से 5 से 6 साल तक आ जाते हैं.

✍🏾इस अवस्था में बच्चा खिलौनों से खेलना सीख जाता है इसी वजह से 2 से 6 वर्ष की अवस्था को खेलने की अवस्था कहा जाता है.

✍🏾पूर्व बाल्यावस्था में बौद्धिक या मानसिक विकास*

*( mental development in early childhood)*

*(2-6 वर्ष) 👇

✍🏾बौद्धिक विकास 2 वर्ष के बाद थोड़ा तेज हो जाता है क्योंकि इस उम्र में बच्चा नई-नई चीजों को देखना या खोजना स्टार्ट कर देता हैं और नए-नए अनुभव प्राप्त करता हैं। 

 *विशेषताएं*:-

1. बच्चे शारीरिक या सामाजिक वास्तविकता की अवधारणा को समझना शुरू कर देते हैं.

2. 6 वर्ष की उम्र तक आकार, रंग,समय,दूरी इत्यादि चीजों की अवधारणा विकसित होने लगती है.

3. इस उम्र में बच्चे की स्मृति तेज होती है।

बच्चा रटकर याद रखना सीख जाता है.

4. अब रचनात्मकता का भी विकास होता है.

5. ध्यान की अवधि 7 मिनट से 20 मिनट तक बढ़ जाती है.

6. भाषा में प्रतीकों का प्रयोग करने लगता है.

7. पर्यावरण की समझ बढ़ती है इसी कारण बच्चा  प्रश्न करने लगता है या जिज्ञासु होता है.

Notes by SHARAD KUMAR PATKAR

🔆संवेदी गामक अवस्था (0से 2वर्ष) की छ: उप अवस्थाए ➖

▪️इस अवस्था में बालक केवल अपनी संवेदना और शारीरिक क्रिया की सहायता से ज्ञान अर्जित करता है बच्चा जन्म लेता है तो उसके अंदर कई सहज क्रियाएं होती है।

▪️सहज क्रिया और ज्ञानेंद्रियों की सहायता से बच्चा ध्वनि, स्पर्श, रस ,गंध का अनुभव कर पाता है।

▪️इन अनुभवों की पुनरावृत्ति के कारण वातावरण में उपस्थित उद्दीपक ओं की विशेषता से परिचित हो जाता है।

▪️इन सभी तथ्यों को ध्यान में रखकर जीन पियाजे ने संवेदी गामक अवस्था को छ: उपअवस्था में बांट दिया है।

🔹1 सहज क्रियाओं की अवस्था 

(Spontaneous action stage)

* जन्म से 30 दिन तक ।

🔹 2 प्रमुख वृत्तीय अनु क्रियाओं की अवस्था (stages of major circular response)

*1माह से 4 माह

🔹3 गौण वृत्तिय अनु क्रियाओं की अवस्था( stages of secondary circular response) 

*4 माह से 8 माह

🔹 4 गौण स्कीमा की सामंजस्य की अवस्था (coordination stages of secondary schema)

*8 माह से 12 माह

🔹 5 तृतीय वृत्तीय अनु क्रियाओं की अवस्था (phase III  response  stage)

*12 माह से 18 माह

🔹 6 मानसिक सहयोग द्वारा नए साधनों की खोज की अवस्था 

(Stages of Discovery of new measure by mental support)

*18 माह से 24 माह 

🔅2 से 6 वर्ष की अवस्था में अवधारणात्मक विकास (conceptual development)

* इस उम्र में एक विविधता विकसित होती है।

*जिसे बाद में दोहराया जाता है

*खुद से खाना खा सकते हैं

* खुद से कपड़े पहन सकते हैं।

*स्नान करना वह बालों को ब्रश करना जानते हैं

*खिलौने के साथ बच्चा खेलता है इसीलिए इसे खेल की अवस्था भी कहा जाता है।

*बच्चे उछलना ,कूदना जैसी कई क्रियाएं करते हैं।

उपर्युक्त सारे गुण अच्छी तरह से 5 से 6 वर्ष तक बच्चे में आ जाते हैं।

🔅2 से 6 वर्ष की अवस्था में बौद्धिक विकास ➖

बौद्धिक विकास 2 साल के बाद थोड़ा तेज हो जाता है क्योंकि इस उम्र में बच्चे कई नई चीजों को देखना या खोजना आरंभ कर देते हैं और नए अनुभव प्राप्त करते हैं।

▪️ विशेषताएं – 

*बच्चे शारीरिक सामाजिक वास्तविक की अवधारणा को समझना शुरू कर देते हैं ।

*6 साल की उम्र तक आकार, रंग, समय, दूरी इत्यादि चीजों की अवधारणा विकसित होने लगती है।

*इस उम्र में बच्चे की स्मृति तेज हो जाती है बच्चा रटकर याद करना सीख जाता है।

*इस अवस्था में रचनात्मकता का भी विकास होने लगता है।

*भाषा में वे कई प्रतीकों का प्रयोग करने लगते हैं।

*पर्यावरण की समझ बढ़ती है अर्थात जिज्ञासु प्रवृत्ति के या ज्यादा प्रश्न करने लगते हैं।

✍🏻

    Notes By-Vaishali Mishra

♦️ संवेदी पेशीय अवस्था ♦️

♦️ Sensory motor stage ♦️

▪️यह अवस्था 0 से 2 वर्ष तक की होती है यानी कि जब बच्चा पैदा होता है तब से लेकर 2 वर्ष तक की अवस्था संवेदी पेशीय  अवस्था कहलाती है।

▪️इस अवस्था में बालक केवल अपनी संवेदना और शारीरिक क्रिया की सहायता से ज्ञान अर्जित करता है।

▪️ जब बच्चा जन्म लेता है तब उसके अंदर सहज क्रियाएं होती है जैसे कुछ भी होने पर रोना, किसी भी चीज को हाथ में लेकर सीधे मुंह में डालना यह उसकी सहज क्रिया है।

▪️ सहज क्रिया और अपनी ज्ञानेंद्रियों की सहायता से बच्चा जैसे ध्वनि, स्पर्श, रस, गंध का अनुभव प्राप्त करता है ।

▪️इन अनुभवों के कारण वातावरण में उपस्थित उद्दीपकों की विशेषता से परिचित हो जाता है।

▪️इन सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए जीन पियाजे ने इस अवस्था को 6 उप अवस्था में विभाजित किया।

🔹 जीन पियाजे द्वारा दी गई 6 उप अवस्था

1️⃣ सहज क्रियाओं की अवस्था

Spontaneous action stage

▪️यह अवस्था जन्म से 30 दिन तक की होती है।

▪️ इस अवस्था में बालक मुख्यता क्रंदन के द्वारा अपनी प्रतिक्रियाएं करता है।

 2️⃣ प्रमुख वृत्तीय अनु क्रियाओं की अवस्था

Stage of major circular response

▪️1 – 4 माह /months

▪️इस अवस्था में बालक थोड़ी-थोड़ी अनुक्रिया करने लगता है ।

▪️वह अपनी मां और पिता को पहचान जाता है।

 ▪️चीजों की पुनरावृति करने लगता है।

▪️ खुशनुमा मुस्कान देता है।

3️⃣ गौण वृत्तीय अनु क्रियाओं की अवस्था

Stage of secondary circular response

▪️4 – 8 माह /months

▪️इस अवस्था में बालक जो भी चीज साथ में पाता है उसको मुंह में डालकर वह क्या है यह अनुमान लगाने की कोशिश करता है।

4️⃣ गॉड स्कीमा की सामंजस्य की अवस्था

Co-ordinate stage of secondary schema

▪️8 -12 माह /months

▪️परिवार के अन्य सदस्यों को पहचानने लगता है ।

▪️खेलने लगता है ,समझने के साथ उस पर क्रिया करने लगता है।

5️⃣ तृतीय वृत्तीय अनु क्रियाओं की अवस्था

Third phase response

▪️12 -18 माह /months

▪️ अपनी चीजों के प्रति लगाव होना शुरू हो जाता है ,बच्चे अपने खिलौनों को किसी को नहीं देते हैं उसी को लेकर अपनी नित्य क्रिया करते हैं जैसे कि सोएंगे तो अपने खिलौनों के साथ ही सोएंगे, भोजन करेंगे तो अपने खिलौनों के साथ में ही भोजन करेंगे यहां तक कि अपने खिलौने को भी भोजन कराएंगे आदि। 

▪️इस अवस्था में बालक में जलन होने लगती है अगर उसकी माता किसी दूसरे बच्चे को गोद में ले लेती है तो वह रोने लगता है उसमें जलन की प्रवृति आ जाती है ।

▪️दुश्चिंता 

6️⃣ मानसिक सहयोग द्वारा नए साधनों की खोज की अवस्था

Stage of discovery of new means by mental support

▪️18 -24 माह / months

▪️ इस समय बालक अपने बुद्धि के हिसाब से नई नई चीजों की खोज करता है। जैसे अपने खिलौनों को खोलेगा फिर उसको जुड़ेगा । तोड़-जोड़ करके कुछ नई चीज बनाने का प्रयास करता है।

♦️♦️ पूर्व बाल्यावस्था में अवधारणात्मक विकास♦️♦️

🔸2 – 6 वर्ष की अवस्था

🔸इस उम्र में एक विविधता विकसित होती है जिसे बाद में दोहराया जाता है। या यह कहे कि इस उम्र में जो बालक चीज  सकता है उसे वह अपने जीवन काल में दोहराता है।

 🔸जैसे खुद से खाना खाना 

🔸खुद से कपड़े पहनना 

🔸स्नान करना 

🔸बालों को ब्रश करना

🔸 खिलौनों के साथ खेलना यह कार्य खुद से धीरे-धीरे करने लगता है या करना सीखता है।

🔹बालक इस उम्र में खिलौनों के साथ खेलता है इसलिए इसे खेल की अवस्था कहते हैं ।

🔸 बालक इस उम्र में उछलना, कूदना, चप्पल या जूते पहनना यह सारे गुण अच्छी तरीके से 5 से 6 साल तक सीख जाता हैं।

🌺🌺 पूर्व बाल्यावस्था में बौद्धिक  विकास 🌺🌺

🔸इस अवस्था में बालक की बुद्धि अब बढ़ती है क्योंकि वह नई – नई चीजों को देखना शुरु करता है।

🔸 बौद्धिक विकास 2 साल के बाद थोड़ा तेज हो जाता है क्योंकि इस उम्र में बच्चे नई-नई चीजों को देखना या खोजना शुरू कर देता है और नए-नए अनुभव प्राप्त करता है।

🔸 शैशवावस्था में बच्चा चीजों को ग्रैस्प करता है चाहे उसे समझे या नहीं लेकिन पूर्व बाल्यावस्था में बौद्धिक विकास तेजी से होता है तो जो चीजें वह देखता है उसे  सीखता है और उसे सीखने के साथ-साथ याद भी करता चलता है।

🔸शैशवावस्था में जो चीजें उसने देखी या सुनी वह उसे आगे के जीवन काल में याद नहीं रहती लेकिन बाल्यावस्था में जो चीजें वह सीखता है सुनता है देखता है वह उसे आगे के वर्षों में आगे की अवस्थाओं में भी याद रहती है।

⭐ विशेषताएं ⭐

🔹बच्चे शारीरिक / सामाजिक वास्तविकता की अवधारणा को समझना शुरू कर देते हैं।

🔸 6 साल की उम्र तक बालक में कुछ समझ विकसित हो जाती है जैसे उन्हे आकार,रंग, समय , दूरी इत्यादि चीजों की अवधारणा विकसित होने लगती है।

🔹 इस उम्र में बच्चे की स्मृति तेज होती है बच्चा रटकर भी याद रखना सीख जाता है।

🔸 अब रचनात्मकता का भी विकास होता है ध्यान की अवधि 7 मिनट से 20 मिनट तक बढ़ जाती है।

🔹भाषा में प्रतीकों का उपयोग करने लगता है सिंबल्स, इशारों का प्रयोग करता है ।

🔸पर्यावरण की समझ बढ़ती है रात दिन चक्र के बारे में पूछता है।

🔹 ज्यादा प्रश्न करने लगता है, अपने पर्यावरण मैं देखी जाने वाली वस्तुओं के बारे में प्रश्न करता है।जैसे बादल क्यों बनते हैं बारिश क्यों होती है चंदा कहां रहता है आदि

✳️2 से 6 वर्ष की अवस्था बहुत महत्वपूर्ण अवस्था मानी जाती है।

धन्यवाद

 वंदना शुक्ला द्वारा

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