बुद्धि का मापन और बुद्धिलब्धि- Intelligence Quotient

बुद्धि का मापन और बुद्धिलब्धि
Intelligence Quotient:–

सबसे पहला बुद्धि परीक्षण 1905 ई. मे अल्फ्रेड बिने ने साइमन की मदद से फ्रांस में बनाया।
इस बुद्धि परीक्षण में 30 प्रश्न थे जोकि 3 से 14 वर्ष तक के बालकों के लिए उपयुक्त थे।
यह एक शाब्दिक बुद्धि परीक्षण था।
यह एक व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षण था।
इस बुद्धि परीक्षण का नाम बिने-साइमन बुद्धि परीक्षण था।
सर्वप्रथम इस परीक्षण में 1908 में संशोधन हुआ और इस संशोधन में मानसिक आयु की अवधारणा को बुद्धि परीक्षण में शामिल किया गया।

इस परीक्षण में दूसरा संशोधन 1911 में हुआ और प्रश्नों की संख्या बढ़ाकर 54 कर दी गई।
1916 में अमरीका की स्टैनफोर्ड वि वि में प्रोफेसर टर्मन की अध्यक्षता वाली कमेटी ने इस परीक्षण में संशोधन किया और प्रश्नों की संख्या 90 कर दी गई।
इस परीक्षण में 1911 के परीक्षण से मात्र 19 प्रश्न शामिल किये गये जो कि इस सम्पूर्ण प्रश्नों का 1/3 हिस्सा था।
1916 में इस परीक्षण का नाम बदलकर स्टैनफोर्ड-बिने बुद्धि परीक्षण या टरमन का बुद्धि परीक्षण कर दिया गया।
अमेरिका में बिने साइमन परीक्षण का प्रचार गोहार्ड ने किया।

टरमन ने मैरिल के साथ मिलकर एक संशोधन और किया जिसका नाम ‘न्यू स्टैनफोर्ड रिवीजन’ रखा गया।
इंग्लैण्ड में इस बुद्धि परीक्षा पर सिरिल बर्ट ने संशोधन किया जो ‘लन्दन रिवीजन’ कहलाता है। इस संशोधन में 3 से 16 वर्ष की आयु वाले बालकों के लिए कुल 65 प्रश्न है।

सबसे पहला सामूहिक बुद्धि परीक्षण 1917 में अमेरिका में बनाया गया। यह सर्वप्रथम अमेरिका की सेना पर प्रयोग में लाया गया। इसमें दो परीक्षण थे।
1. सैनिक एल्फा परीक्षण – शाब्दिक परीक्षण
2. सैनिक बीटा परीक्षण – अशाब्दिक परीक्षण

भारत में पहला बुद्धि परीक्षण 1922 में एफ.जी. कॉलेज लाहौर में डॉ. सी.एच. राइस के द्वारा बनाया गया।
इस परीक्षण में कुल 35 प्रश्न थे। ये प्रश्न 3 से 15 वर्ष तक के बच्चों के लिए उपयुक्त थे।
यह परीक्षण शाब्दिक एवं व्यक्तिगत था।
इस परीक्षण का नाम हिन्दुस्तानी-बिने परर्फोमेंस पाउण्ड स्केल था।

बुद्धिलब्धि Intelligence Quotinet

बुद्धि परीक्षण का आधार मानसिक एवं शारीरिक आयु के मध्य का सम्बन्ध है।
मानसिक आयु का अर्थ –
गेट्स एवं अन्य के अनुसार ‘मानसिक आयु हमें किसी व्यक्ति की बुद्धि-परीक्षा के समय बुद्धि परीक्षा द्वारा ज्ञात की जाने वाली सामान्य मानसिक योग्यता के बारे में बताती है।

बुद्धि-लब्धि

कोल एवं ब्रूस – बुद्धि लब्धि यह बताती हैं कि बालक की मानसिक योग्यता में किस गति से विकास हो रहा है।
मानसिक आयु का विचार प्रारम्भ करने का श्रेय बिने को प्राप्त है।
ब्रिटेन के प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक विलियम स्टर्न ने 1912 में I.Q. शब्द का प्रयोग किया।
1912 में ही स्टर्न ने I.Q. का सूत्र बनाने का प्रयास किया, लेकिन यह प्रामाणिक सूत्र नहीं था।
1916 में अमेरिका के प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक प्रो. टरमन ने I.Q. का प्रमाणिक सूत्र बनाया।

I.Q. = मानसिक आयु /वास्तविक आयु X 100
I.Q. = Mental Age/ Chronological Age X100

यदि मानसिक आयु में वास्तविक आयु का भाग देने से भागफल 1 आये, तो बालक सामान्य बुद्धि वाला समझा जाएगा।
1 से अधिक भागफल आने पर बालक तीव्र बुद्धि वाला समझा जायेगा।
यदि भागफल 1 से कम आया तो बालक की गणना मंद बुद्धि वालों में की जायेगी।

टरमन का बुद्धि-लब्धि का वर्गीकरण-

1. 0-25 महामूर्ख, जड़बुद्धि Idiot
2. 26-50 मूढ़ बुद्धि Imbecite
3. 51-70 अल्प बुद्धि, मूर्ख बुद्धि Moron
4. 71-80 निर्बल, क्षीण बुद्धि Feeble
5. 81-90 मन्द बुद्धि Dull/Back Ward
6. 91-110 सामान्य बुद्धि Average
7. 111-120 तीव्र, श्रेष्ठ बुद्धि Superior
8. 121-139 अतिकुशाग्र Very Superior
9. 140 से ऊपर प्रतिभाशाली Genius

सर्वप्रथम बुद्धि शब्द का प्रयोग 1885 में फ्रांसिस गाल्टन ने किया।
मानसिक परीक्षण शब्द का प्रयोग 1890 मं कैटल द्वारा किया गया।

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