Social development in infancy notes by India’s top learners

👼शैशवावस्था में सामाजिक विकास 🐥 जन्म के समय शिशु ना तो सामाजिक प्राणी होता है ना तो और समाजिक पर वह उस स्थिति में अधिक समय तक नहीं रह सकता 👨 क्रो एंड क्रो के अनुसार जन्म के समय शिशु आत्म केंद्रित होता है सामाजिक परिवेश में आने से आत्म केंद्रित व्यवहार खत्म हो जाता है 😎 हरलॉक😎 👉 एक माह:— ध्वनि में अंतर को समझता है 👉 2 माह :—मानव ध्वनि पहचानने लगता है और मुस्कुराने लगता है 👉 3 से 4 माह:— मां को पहचानना 👉 5 से 6 माह:— पारिवारिक सदस्यों को पहचानने लगता 👉8 से 9 माह:— जानने वालों से प्यार अन्य लोगों से भय 👉10 से 11 माह:— अनुकरण द्वारा हाव-भाव संवेग को पहचानना 👉 2 years:—बड़े लोगों को उनके कार्यों में सहायता 😎😎😎😎😎😎😎😎😎Notes by:—sangita bharti 🌈🌺 शै शवावस्था में सामाजिक विकास🌺🌈 सामाजिक विकास का अर्थ है- बालक का समाजीकरण करना समाज में रहकर ही वह अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करता है और अपने जन्मजात शक्तियों और प्रवृत्तियों का विकास करता है 👉🏼 क्रो एंड क्रो➖ जन्म के समय शिशु ना तो सामाजिक प्राणी होता है ना तो असामाजिक पर वह इस स्थिति में अधिक समय तक नहीं रह सकता जन्म के समय शिशु आत्म केंद्रित होता है सामाजिक परिवेश में आने से आत्म केंद्रित व्यवहार खत्म होता चला जाता है 👉🏼 हरलॉक➖ 👉🏼 1 माह ➖ ध्वनियों में अंतर को समझता है 👉🏼 2 माह➖ मानव ध्वनि पहचाने लगता है और मुस्कुराने लगता है 👉🏼 3-4 माह➖शिशु मां को पहचानता है और मां के रहने पर खुश होने लगता है और ना देखने पर उदास हो जाता है 👉🏼 5 माह से 6 ➖ पारिवारिक सदस्यों को पहचाने लगता है 👉🏼 8 से 9 माह➖ जानने वालों से प्यार अन्य लोगों से शिशु को भय लगता है 👉🏼 10 से 11 माह➖ अनुकरण द्वारा हावभाव को सीखता है और संवेग का प्रदर्शन करता है 👉🏼 2 साल➖ बड़े लोगों को उनके कार्यों में सहायता करने लगता है 🖊️🖊️📚📚 Notes by…. Sakshi Sharma📚📚🖊️🖊️ 🔆 *शैशवावस्था में सामाजिक विकास—* *क्रो एवं क्रो के अनुसार* जन्म के समय शिशु ना तो सामाजिक प्राणी होता है ना तो आसमाजीक पर वह इस स्थि!ति में अधिक समय तक नहीं रह सकता। ✳️ जन्म के समय शिशु आत्मकेंद्रित होता है सामाजिक परिवेश में आने से आप केंद्रित व्यवहार खत्म होते चला जाता है। 🌀 *हरलॉक(Harlock) के अनुसार—* ⚜️ *1 माह —* ध्वनियों में अंतर को समझता है। जैसे जब उसके बगल में मम्मी पापा बोलते हैं तो उनकी आवाज को सुनता है या फिर एक कुत्ता है बिल्ली बोलते हैं तो उनकी आवाज को भी वह ध्यान से सुनता है। ⚜️ *2माह—* बच्चे घ्वनि पहचाने लगता है मुस्कुराने लगता है। बच्चा दो माह में बातें सुनकर मुस्कुराने लगता है ⚜️ *3-4माह—* मां को पहचानता है मां सामने रहती है तो बच्चे खुश होता है अगर मां सामने नहीं रहती है तो बच्चे दुखी रहता है। ⚜️ *5माह—* परिवारिक सदस्य को पहचाने लगता है जैसे पिता को दादा दादी को पहचाने लगता है। ⚜️ *8-9 माह—* जानने वालों से प्यार और अन्य लोगों से भय बच्चा जिसे जानता है उसे वह प्यार करता है और अजनबी लोगों से वह डरता है। ⚜️ *10-11 माह—* अनुकरण द्वारा हाव-भाव संवेग का प्रदर्शन करता है बच्चे अपने बड़े को देखकर यहां अनुकरण करके सीखते हैं। ⚜️ *2साल —* 2 साल में बच्चे बड़े लोगों को उनके कार्यों में सहायता करते हैं जैसे मम्मी चाय पीती है तो वह भी देख कर चाय का कप रखने जाते हैं या झाड़ू लगाते हैं यह मम्मी रोटी बनाती है तो वह उन्हीं की तरह वह रोटी भी बनाना चाहता है। Notes By:-Neha Roy 🙏🙏🙏🙏🙏🙏 🔆 शैशावस्था में सामाजिक विकास ➖ जब बच्चा जन्म लेता है तो उसके पहले माह से ही उसमें सामाजिक विकास होने लगता है बच्चे के सामाजिक विकास में उसके परिवार की एक महत्वपूर्ण भूमिका होती है | सामाजिक विकास के संदर्भ में क्रो एवं क्रो ने कहा है कि “जन्म के समय शिशु ना तो सामाजिक प्राणी होता है और ना तो असामाजिक प्राणी होता है पर वह इस स्थिति में अधिक समय तक नहीं रह सकता है | अर्थात जन्म के समय शिशु आत्म केंद्रित होता है सामाजिक परिवेश में आने से आत्म केंद्रित व्यवहार खत्म होते चले जाता है | बच्चे की शैशावस्था में सामाजिक विकास के संबंध में हरलॉक ने बताया कि जब बच्चा➖ ▪ 1 माह➖ ध्वनियों में अंतर को समझने लगता है | अर्थात बच्चे के आसपास की जो भी ध्वनि है चाहे वह जानवर की हो, इंसान की हो या किसी भी जीव जंतु की हो उन ध्वनियों को पहचाने और समझने लगता है लेकिन वह अंतर स्पष्ट नहीं कर पाता है कि वह किस की ध्वनि है | ▪ 2 माह ➖ मानव ध्वनियों को पहचानने लगता है और मुस्कुराने लगता है | इस समय बच्चे मानव ध्वनियों में अंतर स्पष्ट करने लगते हैं उनके वातावरण में जो भी ध्वनि उनको सुनाई देती है उसमें से मानव की ध्वनि कौनसी है पहचान करने लगता है और उस ध्वनि को पहचानते हुए मुस्कुराने भी लगता है | ▪ 3 – 4 माह ➖ इस माह में बच्चा अपनी मां को पहचाने लगता है जब माँ उसके साथ होती है तो वह उसके साथ खुशी का अनुभव करता है और जब उसकी मां उसके सामने नहीं होती है तो वह दुख का अनुभव करता है क्योंकि उसकी मां है उसकी दुनिया होती है वह बाकी परिवार से अनजान होता है | ▪ 5 – 6 माह ➖ इस माह में बच्चा पारिवारिक सदस्यों को पहचानने लगता है | ▪ 8 – 9 माह ➖ इस माह में बच्चे को अपने जानने वालों से प्रेम और अन्य लोगों से भय होने लगता है | अर्थात जब बच्चा अपने परिवार या उसके जानने वाले लोग जिन्हें वह अपनी रोजमर्रा की दिनचर्या में देखता है तो उनके प्रति प्रेम की भावना रखता है और इसके विपरीत यदि वह किसी अन्य व्यक्ति को देखता है तो उससे डर का अनुभव करता है | ▪10 – 11 माह ➖ इस माह में बच्चा अनुकरण द्वारा हाव-भाव सीखता है तथा संवेग का प्रदर्शन करने लगता है | जैसे हंसना – रोना सीख जाता है | और इस अवस्था में बच्चे में वस्तु स्थायित्व का गुण भी आने लगता है | ▪ 2 वर्ष ➖ 2 वर्ष में बच्चे बड़े लोगों को उनके कार्यों में सहायता करने लगते हैं | जैसे लड़कियां अपनी मां के साथ श्रंगार करना, रोटी बनाना या उनके साथ अन्य घरेलू कार्यों में मदद करने लगती हैं जो बड़े करते हैं उसी प्रकार से कार्य करने लगते हैं उनका अनुकरण करके बातों को दोहराने लगते हैं | 𝙉𝙤𝙩𝙚𝙨 𝙗𝙮➖ 𝙍𝙖𝙨𝙝𝙢𝙞 𝙎𝙖𝙫𝙡𝙚 🌻🌼🍀🌸🌺🌻🌼🍀🌸🌺🌻🌼🍀🌸🌺 शैशवावस्था में सामाजिक विकास क्रो एंड क्रो -जन्म के समय शिशु ना तो सामाजिक प्राणी होता है और न तो असामाजिक ,पर वह इस स्थिति में अधिक समय तक नही रह सकता। *जन्म के समय* शिशु *आत्मकेंद्रित* होता है *सामाजिक परिवेश* में आने से धीरे-धीरे *आत्मकेंद्रित व्यवहार *खत्म होते *चला जाता है* हरलाॅक के अनुसार शैशवावस्था में सामाजिक विकास 1माह — शिशु एक माह में ध्वनियो में अंतर समझता है 2 माह — 2 माह में शिशु मानव ध्वनियों को पहचानने लगता है और मुस्कुराने लगता है 3-4 माह — 3 से 4 माह में शिशु अपनी मां को पहचानता है यदि मां सामने रहने पर उसे खुशी होती है और सामने नहीं होने पर दुखी होता है 5-6 माह– 5 से 6 महीने में शिशु पारिवारिक सदस्यों को पहचानने लगता है 8-9 माह– 8 से 9 माह में शिशु जानने वालों से प्यार करता है और अन्य लोगों से भयभीत होता है 10-11 माह — 10 से 11 माह में शिशु अनुकरण द्वारा हाव-भाव सीखता है और संवेग का प्रदर्शन करता है 2 वर्ष– 2 वर्ष में बच्चा बड़े लोगों को उनके कार्य में सहायता करता है जैसे बच्चे की मां यदि रोटी बना रही है तो वह भी आटा हाथ में लेकर रोटी बनाने लगता है या कोशिश करता है Notes by Ravi kushwah 🔥शैशवावस्था में सामाजिक विकास 🔥 🔅 क्रो एंड क्रो के अनुसार जन्म के समय शिशु ना तो सामाजिक प्राणी होता है ना तो आज सामाजिक पर्व है इस स्थिति में अधिक समय तक नहीं रह सकता है | 🔅 जन्म के समय शिशु आत्मकेंद्रित होता है सामाजिक परिवेश में आने से आत्मकेंद्र व्यवहार खत्म होते चला जाता है | ◼ हरलाॅक ➖ 👉 जब बच्चा 1 माह – ध्वनियो में अंतर को समझता है 👉 2 माह – मानव ध्वनि पहचाने लगता है मुस्कुराने लगता है | 👉 3-4 माह- मां को पहचानता है मां पास में हो तो खुशी होता है और सामने नहीं होने पर दुखी होता है | 👉 5-6 माह – पारिवारिक सदस्यों को पहचाने लगता है | 👉 8-9 माह – जानने वालों से प्यार अन्य लोगो से भय 👉 10 11 माह – अनुकरण द्वारा हाव- भाव संवेग का प्रदर्शन 👉 2 वर्ष की अवधि – बड़े लोगों को उनके कार्यों में सहायता | Notes by ➖ Ranjana sen 🌷 शैशवावस्था में सामाजिक विकास🌷 🌺 क्रो & क्रो के अनुसार :- ‘जन्म के समय शिशु ना तो सामाजिक प्राणी होता है ना तो असामाजिक, पर वह इस स्थिति में अधिक समय तक नहीं रह सकता ।” जन्म के समय शिशु आत्म केंद्रित होता है सामाजिक परिवेश में आने से आत्म केंद्रित व्यवहार खत्म होते चला जाता है। 🌺 हरलॉक के अनुसार :- 1 माह एक माह में बच्चा ध्वनियों में अंतर समझने लगता है। 2 माह दो माह में बच्चा मानव ध्वनियों को पहचाने लगता है और मुस्कुराने भी लगता है। 3 – 4 माह 3 से 4 माह में बच्चा मां को पहचानता है और मां के सामने होने पर खुश होता है तथा मां सामने ना दिखने पर दुःखी होता है। 5 – 6 माह पांच से छह माह में बच्चा पारिवारिक सदस्यों को पहचाने लगता है। 8 -9 माह 8 से 9 माह में बच्चों को अपने जानने वालों से प्यार ( स्नेह ) और अन्य लोगों से भय (डर)लगने लगता है। 10 -11 माह अनुकरण द्वारा हाव-भाव को सीखता है और संवेग को प्रदर्शित करता है ,जैसे :- यदि हम बच्चे के सामने हँसने बाला चेहरा बनाएंगे तो वह बच्चा भी स्वयं मुस्कुरा के संवेग को प्रकट करता है। 2 वर्ष दो वर्ष में बच्चे बड़े लोगों को उनके कार्य में सहायता करने लगते हैं। जैसे अपने बड़ो के साथ रोटी को बेलना, झाड़ू लगवाना आदि, हाँलाकि 2 वर्ष में बच्चे कार्य नहीं करपाते हैं फिर भी बो बड़ो के साथ कार्य करवाते हैं और प्रसन्नता का अनुभव करते हैं। 🌺🌺✒️✒️Notes by- जूही श्रीवास्तव ✒️✒️🌺🌺 💫🌟सामाजिक विकास🌾🍁🌻( social development)🌻 🌹शैशवावस्था में सामाजिक विकास…….. 👉जब बच्चा जन्म लेता है तो पहले ही माह से बच्चों में सामाजिक विकास शुरू हो जाता है। 🌴क्रो&क्रो के अनुसार …….. जन्म के समय शिशु न तो सामाजिक प्राणी होता है ना तो असामाजिक।वह इस स्थिति में अधिक समय नहीं रह सकता। 💫जन्म के समय शिशु आत्म केंद्रित होता है सामाजिक परिवेश में आने से आत्म केंद्रित व्यवहार खत्म होते चला जाता है। 🌀🌷हरलॉक (harlock)……. 👉 इसके अनुसार बच्चा किस माह में किस तरह का व्यवहार होता है। 🌾1 माह – इस समय बच्चा ध्वनियों में अंतर को समझता है। ☘️2 माह ~ इस समय बच्चा मानव ध्वनियों को पहचानने लगता है और मुस्कुराने लगता है। 🌴3 -4 माह ~ इस उम्र में बच्चा अपने मां को पहचानता है माँ के रहने पर खुशी ,और माँ के सामने ना रहने पर दुखी,होते हैं। 🌷5-6 माह ~ इस समय बच्चा पारिवारिक सदस्यों को पहचानने लगते हैं। 🌿8-9 माह ~ इस समय बच्चों में उनको जानने वाले से प्यार और अन्य लोगों से भय होने लगता है। 💐10-11 माह ~ इस उम्र में बच्चा अनुकरण द्वारा हाव-भाव सीखता है और संवेग का प्रदर्शन होता है 🏵️2nd year- बड़े लोगों को उनको कार्यों में सहायता करते हैं जैसे मां के साथ-साथ बच्चे भी उस कार्य को करने लगता है। 🙏🌾💫🥀Notes by-SRIRAM PANJIYARA 🌈🌸💥🌺🙏 🔆 शैशवावस्था में सामाजिक विकास➖ बच्चे के जन्म से कुछ दिनों बाद ही सामाजिक विकास होने लगता है। ▪️ क्रो एंड क्रो के अनुसार “जन्म के समय शिशु ना तो सामाजिक प्राणी होता है और ना ही असामाजिक पर वह स्थिति में अधिक समय तक नहीं रह सकता” जन्म के समय शिशु आत्म केंद्रित होता है सामाजिक परिवेश में आने शेरू आत्म केंद्रित व्यवहार खत्म होते चला जाता है। ▪️ हरलॉक के अनुसार ➖ बच्चे के जन्म के ⚜️1 माह में – ध्वनियों में अंतर को समझता है।(जो भी आवाज सुनता है उस में अंतर कर यह पकड़ता है कि वह किस तरह की आवाज है) ⚜️ 2 माह में – बच्चा मानव धनिया को पहचानने लगता है।और मुस्कुराने लगता है। ⚜️ 3 से 4 माह में – मां को पहचानता है और मां को देखने पर खुश हो जाता है और जब उसे मां दिखाई नहीं देती तो वह दुखी हो जाता है। ⚜️ 5 माह में – इस उम्र में बच्चा पारिवारिक सदस्यों को पहचानने लगता है। ⚜️ 8 से 9 माह में – अपने जाने बालों से प्यार व अन्य लोगों से उसे भय लगने लगता है। (जब बच्चे किसी अनजान व्यक्ति की गोद में जाते हैं तो वह रोने लगते हैं जबकि किसी व्यक्ति को जानते हैं और यदि उसकी गोद में जाते हैं तो खेलने लगते हैं व खुश होने लगते हैं।) ⚜️ 10 से 11 माह में – अनुकरण के द्वारा हाव भाव को सीखता है और संवेग का भी प्रदर्शन करने लगते हैं। ⚜️ 2 वर्ष में – बड़े लोगों को उनके कार्यों में सहायता करने लगते हैं। ✍🏻 *Notes By-Vaishali Mishra*

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