Education psychology part 5

🔆एक शिक्षक के लिए शिक्षा मनोविज्ञान की उपयोगिता या महत्व ➖

⚜️1 अपने आप को समझना

🔸एक शिक्षक में अपने व्यवसाय की अनुकूल योग्यताएं हैं या नहीं उस स्वभाव, जीवन दर्शन, बुद्धि स्तर अपने निर्धारित मूल्य, अध्यापकों एवं अभिभावकों से संबंध ,व्यवहार, चारित्रिक गुण ,अध्यापक योग्यता की समाज में क्या प्रक्रिया है ।अध्यापक की क्या आवश्यकता है आदि सभी बातों की जानकारी कराने में शिक्षा मनोविज्ञान अध्यापक की सहायता करता है।

⚜️2 विद्यार्थियों को समझना

🔸सीखने की क्रिया में बालक के व्यक्तित्व की आवश्यकता का ज्ञान अध्यापक के लिए आवश्यक है।
🔸उदाहरण के लिए यदि एक बालक जो अपने साथियों को सदैव तंग करता है, बच्चों को डांटता है साथियों के साथ उपद्रव व्यवहार करता है।

🔸शिक्षा मनोविज्ञान में ज्ञान से ही इन सभी बातों के कारणों का शिक्षक पता लगा सकता है।
प्रत्येक बालक में रुचि, सम्मान, स्वभाव तथा बुद्धि की दृष्टि से भिन्नता पाई जाती है इन व्यक्तिगत भेदो को जानकर शिक्षक शिक्षा मनोविज्ञान के द्वारा मंदबुद्धि तथा कुशल बुद्धि वाले बालकों में भेद या उनकी पहचान कर सकता है।

⚜️3🔸 यदि कोई शिक्षक शिक्षा मनोविज्ञान को जानता है तो वह शिक्षा के दृष्टिकोण को व्यापक बनाने में सहायक होगा जिसके फलस्वरूप वह बच्चे के मनोवैज्ञानिक दृष्टि को भी जानने में बहुत मददगार या सहयोग करेगा।

⚜️4 🔸शिक्षा मनोविज्ञान की सहायता से शिक्षक किसी भी प्रकार की शैक्षिक प्रस्तुतीकरण को भी प्रभावी बना सकता है।
🔸शिक्षा मनोविज्ञान में सीखने के ऐसे सिद्धांतों का उल्लेख किया जाता है जिसकी सहायता से अध्यापक अपने शिक्षण की विधियों का निश्चय कर सकें।
🔸शिक्षक को निगमन, अध्ययन ,निरीक्षण, सूत्र के अनुसार अपनी पाठ्य सामग्री को संजोकर छात्रों के समक्ष प्रस्तुत करना पड़ता है।
🔸जैसा कि हम जानते हैं प्रत्येक बालक में सीखने का ढंग अलग होता है शिक्षक को सीखने की क्रिया के मार्गदर्शन का ज्ञान भी शिक्षा मनोविज्ञान से मिल सकता है।

🔸अर्थात कौन सी शिक्षण विधि अपनाई जाए जिससे कि बच्चे का चहुमुखी विकास हो इन सभी बातों की जानकारी शिक्षक को शिक्षा मनोविज्ञान के द्वारा प्राप्त हो सकती है।

⚜️5 बच्चों के प्रति स्नेह ,सहानुभूति में भी शिक्षा मनोविज्ञान बहुत सहायक होता है।

⚜️6 शिक्षा मनोविज्ञान के माध्यम से बच्चों को अभिप्रेरित करते हुए उनमें रुचि जागृत की जा सकती है।

⚜️7 मूल्यांकन

🔸यह जानने के लिए किस शिक्षार्थी नए ज्ञान को प्राप्त करने योग्य है अथवा नहीं अर्थात बालक की ज्ञान की स्थिति पता लगाने के लिए शिक्षा मनोविज्ञान का अध्ययन किया जा सकता है।

🔸अध्यापक जो भी ज्ञान देता है उसका प्रभाव तथा उसके ज्ञान के कारण बालकों में क्या व्यावहारिक परिवर्तन होने हैं इसकी जानकारी शिक्षा मनोविज्ञान ही देता है।
🔸मूल्यांकन के अंतर्गत कौन-कौन सी बातें काम में ली जाए जिससे बालक का संपूर्ण रूप से मूल्यांकन हो जाए यह जानकारी भी शिक्षा मनोविज्ञान प्रदान करता है।

🔸मापन एवं मूल्यांकन की विधियों के माध्यम से यह प्रयास किया जाता है कि बालक की योग्यताओं का सही मापन एवं उसके द्वारा की गई प्रगति का मूल्यांकन भी सही ज्ञात हो सके।

🔆 अधिगम 🔆

🌺अधिगम क्या है?

🌀”अधिगम जीवन पर्यंत चलता है।”

अधिगम जीवन पर्यंत चलने वाली प्रक्रिया है बालक जन्म के पश्चात जब अपने वातावरण के संपर्क में आता है तो वातावरण से प्रतिक्रिया करता है। इस दौरान वह नए-नए अनुभव अर्जित करता है।

🌀 “अधिगम उद्देश्य पूर्ण होता है।”

अधिगम उद्देश्य एवं लक्ष्य केंद्रित होता है अगर हमारे पास कोई उद्देश्य नहीं है तो हमारे अधिगम का प्रभाव परिणाम के रूप में दिखाई नहीं देगा ।
जैसे जैसे विद्यार्थी सीखता है वैसे वैसे वह अपने लक्ष्य की ओर बढ़ता जाता है।

🌀 “अधिगम व्यवहार में परिवर्तन है।”

सीखना किसी भी तरह का हो उसके व्यवहार में आवश्यक ही परिवर्तन होगा ।यह सकारात्मक या नकारात्मक किसी भी रूप में हो सकता है।

🌀 “अधिगम अनुकूलन है।”

अधिगम का अनुकूलन में विशेष योगदान होता है जन्म के बाद कुछ देर तक बच्चा दूसरों पर निर्भर रहता है बदलती हुई परिस्थितियों के अनुसार उसे ढलना पड़ता है वह वातावरण के साथ अधिगम के आधार पर ही अनुकूलन करता है।

🌀 “अधिगम सार्वभौमिक है।”

सीखना किसी एक मनुष्य या देश का अधिकार नहीं यह दुनिया के हर एक कोने में रहने वाले हर व्यक्ति के लिए अर्थात अधिगम सार्वभौमिक प्रक्रिया है

🌀 “अधिगम विवेकपूर्ण है।”

अधिगम कोई तकनीकी क्रिया नहीं है बल्कि विवेक पूर्ण कार्य है जिसे बिना दिमाग के नहीं सीखा जा सकता इसमें बुद्धि का प्रयोग अति आवश्यक है।

🌀 “अधिगम निरंतर है।”

मनुष्य जीवन भर अधिगम करता है जब तक उसकी मृत्यु नहीं हो जाती वह कुछ ना कुछ सीखता ही रहता है यह प्रक्रिया प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जीवन भर चलती रहती है। इसमें व्यक्ति के ज्ञान ,अनुभव ,आदतें,रूचियो का विकास होता रहता है।

🌀 “अधिगम खोज करता है।”

अधिगम खोज करता है अर्थात जब भी हम अधिगम करते हैं तो कोई ना कोई नए कार्य की खोज करते हैं तथा उस कार्य का ज्ञान हो जाने पर या उसमें प्रवीण हो जाने पर हम सार्थक अधिगम प्राप्त कर लेते हैं।

🌀 “अधिगम व्यक्तिगत और सामाजिक दोनों होता है।”

अधिगम की प्रक्रिया व्यक्तिगत एवं सामाजिक दोनों होती है जब हम अधिगम करते हैं तो स्वयं के लिए ही नहीं बल्कि इसके साथ साथ दूसरों को समझाने व समझने के लिए अर्थात सामाजिक रूप से भी अधिगम करते हैं।

🌀 “अधिगम एक नया कार्य है।”

अधिगम कोई नया कार्य करना है। Woolworth ने एक शर्त लगाई है कि, सीखना नया कार्य करना तभी है जब की यह कार्य फिर किया जाए और वह दूसरे कार्यों में प्रकट हो।

🌀 “अधिगम अनुभव का एक संगठन है।”

सीखना नए पुराने अनुभवों का संगठन है। जिससे समस्या समाधान किया जाता है। किसी भी चीज का अधिगम करके हम उस चीज के बारे में कई अनुभवों को एकत्रित या संगठित कर लेते हैं और यही संगठित अनुभव अधिगम है।

🌀 “अधिगम वातावरण की उपज है।”

किसी भी प्रकार के अधिगम को प्राप्त करने के लिए हम वातावरण से ही सीखते हैं या वातावरण के विभिन्न क्रियाकलापों या गतिविधियों के द्वारा ही हम अधिगम को सुचारू रूप से सीखते जाते हैं। अर्थात अधिगम को वातावरण की उपज या देन कहा जा सकता है।

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Notes By-‘Vaishali Mishra’

शिक्षक के लिए शिक्षा मनोविज्ञान का महत्व

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वर्तमान समय में शिक्षा की प्राचीन अवधारणा परिवर्तित हो गई है।शिक्षा का तात्पर्य बालकों को केवल सूचना देना ही नहीं बल्कि बालक का सर्वांगीण विकास करना है और यह तभी संभव हो सकेगा जब शिक्षक को बालक के बारे में पूर्ण ज्ञान हो शिक्षा मनोविज्ञान बालक को समझने में शिक्षक की सहायता करता है। क्योंकि शिक्षा मनोविज्ञान में शिक्षा और सीखने संबंधित समस्याओं का अध्ययन किया जाता है।

1. स्वयं को पहचानने में सहायक

शिक्षा मनोविज्ञान,शिक्षक को स्वयं को पहचानने में भी सहायक होता है।एक शिक्षक का कार्य होता है कि वह बालकों का सर्वांगीण विकास करने में उनकी सहायता करें। इसके लिए शिक्षक में शिक्षण की योग्यता है या नहीं, शिक्षक का स्वभाव, बौद्धिक स्तर, चारित्रिक गुण, नैतिक गुण,छात्रों एवं अभिभावकों के साथ संबंध आदि कैसा है का शिक्षा मनोविज्ञान से ही पता चलता है।

2. बालक को पहचानने में सहायक

शिक्षा मनोविज्ञान,शिक्षक को बालकों को पहचानने में भी सहायता करता है।शिक्षक को शिक्षण करते समय शिक्षार्थियों के मनोभाव को समझना आवश्यक है। प्रत्येक बच्चा एक जैसा नहीं होता है। सभी बच्चे की रूचि, स्वभाव, शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक, बौद्धिक, सामाजिक स्तर अलग अलग होती है। इसलिए उनमें सीखने की क्षमता भी अलग-अलग होती है। यदि शिक्षक को बालकों के बारे में पूर्ण जानकारी होगी तो शिक्षण कार्य करने में आसानी होगी।

3. शिक्षक के दृष्टिकोण को व्यापक बनाने में सहायक

शिक्षा मनोविज्ञान का ज्ञान,शिक्षक के दृष्टिकोण को व्यापक बनाने में भी सहायक होता है।

4. शैक्षणिक प्रस्तुति में सहायक

शैक्षणिक प्रस्तुति में भी शिक्षा मनोविज्ञान का ज्ञान होना अति आवश्यक है। बच्चे को किस प्रकार से,कितनी मात्रा में,क्या और कैसे पढ़ाया जाए जिससे पाठ रुचिकर एवं आकर्षक हो और बच्चा पढ़ने के लिए प्रेरित हो सके।इसके लिए शिक्षक नई-नई विधियों का प्रयोग कर सकता है।

5.बच्चों के प्रति स्नेह, प्रेम, सहानुभूति में सहायक

बच्चों को परिवार के बाद शिक्षक ही होते है जो स्नेह, प्रेम एवं सहानुभूति जताते हैं और उनके अच्छे भविष्य की नीव रखते हैं। बच्चे भी शिक्षक को अपना आदर्श मानते हैं।

6. कौन सी शिक्षण विधि अपनाई जाए कि बच्चे का चहुंमुखी विकास हो

बच्चों का सर्वांगीण/चहुमुखी विकास हो इसके लिए शिक्षक को सही शिक्षण विधि का प्रयोग करना चाहिए। शिक्षा मनोविज्ञान के ज्ञान से शिक्षक परिस्थिति और विषय के अनुसार शिक्षण विधि अपनाता है।

7. अभिप्रेरित करते हुए रुचि जागृत करना

शिक्षक को चाहिए कि बच्चों को नई जानकारी सीखने के लिए उनमें रुचि जागृत करना चाहिए। शिक्षा मनोविज्ञान के ज्ञान से शिक्षक शिक्षार्थियों को पढ़ने के लिए प्रेरित कर सकते हैं। जिससे बच्चा पढ़ने और नई जानकारी को सीखने में रुचि ले।

8. मूल्यांकन की नई- नई तकनीक की खोजना

यह जानने के लिए कि शिक्षार्थी नए ज्ञान को प्राप्त करने योग्य है अथवा नहीं या कितना सीखा है। मूल्यांकन के द्वारा ही पता किया जा सकता है। इसके लिए शिक्षक छात्रों में वाद- विवाद, प्रतियोगिता,प्रश्नोत्तर विधि,खेल विधि,आदि के माध्यम से मूल्यांकन करता है।

अधिगम

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किसी क्रिया या स्थिति के प्रति सक्रिय प्रतिक्रिया ही अधिगम है।

अधिगम की झलक💫💫💫💫

अधिगम क्या है?

  1. अधिगम जीवन पर्यंत चलता है।
  2. अधिगम उद्देश्य पूर्ण होता है।
  3. व्यवहार में परिवर्तन ही अधिगम है।
  4. अधिगम विकास है।
  5. अधिगम अनुकूलन है।
  6. अधिगम सार्वभौमिक है।
  7. अधिगम विवेकपूर्ण है।
  8. अधिगम निरंतर है।
  9. अधिगम खोज करना है।

10.अधिगम व्यक्तिगत और सामाजिक दोनों होता है।

  1. अधिगम एक नया कार्य है।
  2. अधिगम अनुभव का संगठन है।
  3. अधिगम वातावरण की उपज है।

Notes by Shreya Rai ✍️🙏

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