Difference in special and normal child

विशिष्ट बालक एवं सामान्य बालक-

Point -1

1-विशिष्ट बालक -शारीरिक रूप से अस्वस्थ होते हैं, दुबले पतले एवं अत्यधिक लंबे होते हैं, पोलियो ग्रस्त, लंबे सिर वाले, कम सुनने वाले, कंधे तथा मोटे शरीर वाले होते हैं।
2-सामान्य बालक-सामान्य बालक शारीरिक रूप से स्वस्थ तथा खिलाड़ी शरीर के होते हैं।

Point-2

1-विशिष्ट-शारीरिक रूप से ग्रस्त होने के कारण मानसिक रूप से भी ग्रस्त होते हैं, यह जल्दी तनाव या संघर्ष में आ जाते हैं।
2-सामान्य बालक-शारीरिक रूप से स्वस्थ होने के कारण मानसिक बीमारी से ग्रस्त नहीं होता है।

Point-3

1-विशिष्ट -बुद्धि लब्धि 140 से अधिक-प्रतिभाशाली

बुद्धि लब्धि 90 से कम-मंदबुद्धि

2-सामान्य बालक- 90-100

Point-4

1-विशिष्ट बालक-खुद और साथियों के साथ समायोजन करना कठिन होता है।

2-सामान्य-स्वयं और साथी के साथ बेहतरीन तरह से समायोजन करते हैं।

Point-5

1-विशिष्ट बालक-सूचनाओं को यथाशीघ्र सीख लेता है या फिर बार-बार समझाने पर भी नहीं समझ पाता है।
2-सामान्य बालक- दी गई सूचना को भलीभांति देख लेता है।

Point-6

1-विशिष्ट बालक-विद्यालय समाज में अच्छा समायोजन नहीं कर पाता।
2-सामान्य बालक -विद्यालय समाज में अच्छा समायोजन कर लेता है।

point-7

1-विशिष्ट बालक शैक्षिक उपलब्धि या तो बहुत अच्छी होती है या बहुत न्यून या शून्य होती है, जिसके कारण प्रायः असफलता का सामना करते हैं।
2-सामान्य बालक-शैक्षिक उपलब्धि में सफल होते हैं, और उनकी शैक्षिक उपलब्धि अच्छी होती है।

Point-8

1-विशिष्ट बालक अंतर्मुखी होते हैं और अपने में खोए रहते हैं,
2-सामान्य बालक उभय मुखी होते हैं और एक दूसरे से मेलजोल बढ़ाने में निपुण होते है।

Point-9

1-विशिष्ट बालक अति आशावादी/अति निराशावादी-ज्यादा अच्छे व्यवहारिक नहीं होते हैं।
2-सामान्य बालक-आशावादी होने के साथ-साथ जीवन को व्यावहारिक ढंग से जीने की इच्छा रखते हैं।

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Written by Shikhar

Specific child VS Average child
विशिष्ट बालक और सामान्य बालक में अंतर

  1. विशिष्ट बालक शारीरिक रूप से अस्वस्थ होते हैं जैसे पतले, अत्यधिक लंबे, पोलियो ग्रस्त ,लंबे सिर वाले, अंधै, कम सुनते तथा मोटे शरीर वाले होते हैं

जबकि सामान्य बालक शारीरिक रूप से स्वस्थ तथा खिलाड़ी शरीर के होते हैं

  1. विशिष्ट बालक शारीरिक रूप से ग्रस्त होने के कारण मानसिक रूप से भी ग्रस्त होते हैं यह जल्दी तनाव या संघर्ष में आ जाते हैं

जबकि सामान्य बालक शारीरिक रूप से स्वस्थ होने के कारण मानसिक बीमारी से ग्रस्त नहीं होते हैं

  1. विशिष्ट बालक की बुद्धि लब्धि या तो 140 से अधिक अर्थात प्रतिभाशाली या 90 से कम अर्थात मंदबुद्धि होते हैं

जबकि सामान्य बालक की बुद्धि लब्धि 90 से 110 होती है

  1. विशिष्ट बालक का खुद और साथियों के साथ समायोजन करना कठिन होता है

जबकि सामान्य बालक स्वयं और साथियों के साथ बेहतरीन समायोजन करते हैं।

  1. विशिष्ट बालक सूचनाओं को या तो यथाशीघ्र सीख लेता है या फिर बार-बार समझाने पर भी नहीं समझ पाते हैं

जबकि सामान्य बालक दी गई सूचनाओं को भलीभांति सीख लेता है।

  1. विशिष्ट बालक विद्यालय या समाज में अच्छा समायोजन नहीं कर पाता है

जबकि सामान्य बालक विद्यालय या समाज में अच्छा समायोजन कर लेता है

  1. विशिष्ट बालक की शैक्षिक उपलब्धि EQ या तो बहुत अच्छी या बहुत न्यून या शून्य होती हैं जिसके कारण प्राय असफलता का सामना करते हैं

जबकि सामान्य बालक सफल होते हैं और इनकी शैक्षिक लब्धि भी अच्छी होती है

  1. विशिष्ट बालक प्राय अंतर्मुखी होते हैं और अपने में खोए रहते हैं

जबकि सामान्य बालक प्राय उदय मुखी होते हैं यह एक दूसरे से मेलजोल बढ़ाने में निपुण होते हैं

  1. विशिष्ट बालक अति आशावादी/ अति निराशावादी ज्यादा व्यावहारिक नहीं होते हैं
    जबकि सामान्य बालक प्राय आशावादी होते हैं जीवन को व्यवहारिक ढंग से जीने की इच्छा रखते हैं।

Notes by Ravi kushwah

1–विशिष्ट बालक /सामान्य बालक –

शारीरिक रूप से अस्वस्थ जैसे पतले , अत्यधिक लंबे,पोलियो ग्रस्त, लंबे सिर वाले,कम सुनने वाले तथा मोटे शरीर वाले होते हैं।

सामान्य– सामान्य वाला सारे रूप से स्वस्थ तथा खिलाडी शरीर की होते है।

2– विशिष्ट शारीरिक रूप से ग्रस्त होने के कारण मानसिक रूप से भी ग्रस्त होते हैं यह जल्दी तनाव या संघर्ष में आ जाते हैं।

सामान्य– शारीरिक रूप से स्वस्थ होने के कारण मानसिक बीमारी से ग्रस्त नहीं होतेहै।

3– विशिष्ट– 140 से अधिक प्रतिभाशाली ।
90 से कम मंदबुद्धि।

सामान्य –90 से 110 के बीच

4–विशिष्ट– खुदऔर साथियों के साथ समायोजन करना कठिन होता है ।

सामान्य –स्वयं और साथियों के साथ बेहतरीन समायोजन कर पाते हैं।

5– विशिष्ट– सूचनाओं को यथा शीघ्र सीख लेते हैं ।या फिर कई बार समझाने पर भी नहीं समझ पाते ।

सामान्य –दी गई सूचनाओं को भलीभांति सीख लेता है ।
6
6–विशिष्ट– विद्यालय या समाज में अच्छा समायोजन नहीं कर पाते है।

सामान्य –इस वर्ग के बच्चे अच्छा समायोजन कर लेते हैं।

7– विशिष्ट– शैक्षिक उपलब्धि या तो बहुत अच्छी होगी या तो बहुत न्यूनतम होगी जिसके कारण असफलता का सामना करते हैं ।

सामान्य –यह सफल होते हैं। शैक्षिक उपलब्धि भी अच्छी होती है।

8– विशिष्ट –विशिष्ट बालक अंतर्मुखी होते हैं। और अपने में खोए रहते हैं।

सामान्य– प्राय यह उभय मुखी होते हैं ।एक दूसरे से मेलजोल बढ़ाने में निपुण होते हैं ।

9–विशिष्ट –यह बालक अति आशावादी या अति निराशावादी और ज्यादा व्यावहारिक नहीं होते हैं।

सामान्य– बालक आशावादी होने के साथ-साथ जीवन को व्यावहारिक ढंग से जीने की इच्छा भी होती है।

पूनम शर्मा

विशिष्ट बालक और सामान्य बालक➖

1) विशिष्ट बालक शारीरिक रूप से अस्वस्थ होते हैं जैसे पतले, अत्याधिक लंबे, पोलियोग्रस्त, लंबे सिर वाले, अंधे ,कम सुनने वाले, तथा मोटे शरीर वाले |
जबकि
सामान्य बालक शारीरिक रूप से स्वास्थ्य तथा खिलाड़ी शरीर के होते हैं |

2) विशिष्ट बालक शारीरिक रूप से ग्रस्त होने के कारण मानसिक रूप से ग्रस्त होते हैं जल्दी तनाव या संघर्ष में आ जाते हैं |
जबकि
सामान्य बालक शारीरिक रूप से स्वस्थ होने के कारण मानसिक बीमारी से ग्रस्त नहीं होते हैं |

3) विशिष्ट बालक की बुद्धि लब्धि 140 से अधिक और 90 से कम होती है |
जबकि
सामान्य बालक की बुद्धि लब्धि 90 स- 110 के बीच होती है |

4) विशिष्ट बालक को खुद और साथियों के साथ समायोजन करना कठिन होता है |
जबकि
सामान्य बालक स्वयं और साथियों के साथ बेहतरीन समायोजन करते हैं |

5) विशिष्ट बालक सूचनाओं को यथाशीघ्र सीख लेता है या फिर बार-बार समझाने पर भी नहीं सीख पाता है |
जबकि
सामान्य बालक दी गई सूचना को भलीभांति सीख लेता है |

6) सामान्य बालक विद्यालय या समाज में अच्छा समायोजन नहीं कर पाता है |
जबकि
सामान्य बालक अच्छा समायोजन करता है |

7) विशिष्ट बालक की शैक्षिक उपलब्धि या तो बहुत अच्छी होती है या न्यून / शून्य होती है जिसके कारण प्राय: सफलता का सामना करते हैं |
जबकि
सामान्य बालक सफल होते हैं उनकी शैक्षिक उपलब्धि अच्छी होती है |

8) विशिष्ट बालक अंतर्मुखी होती है और अपने में खोए रहते हैं |
जबकि
सामान्य बालक प्राय: उभयमुखी होते है एक दूसरे से मेलजोल बढ़ाने में निपुण होते हैं |

9) विशिष्ट बालक अतिआशावादी, अति निराशावादी और ज्यादा व्यावहारिक नहीं होते हैं |
जबकि
सामान्य बालक प्राय: आशावादी होते हैं जीवन को व्यवहारिक ढंग से जीने की इच्छा रखते हैं |

𝙉𝙤𝙩𝙚𝙨 𝙗𝙮 𝙍𝙖𝙨𝙝𝙢𝙞 𝙨𝙖𝙫𝙡𝙚

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🌸🌼 विशिष्ट बालक /सामान्य बालक🌼🌸

1-विशिष्ट -शारीरिक रूप से स्वस्थ होते हैं पतले ,अत्यधिक लंबे ,पोलियो ग्रस्त ,लंबे सिर वाले, अंधे, कम सुनने तथा मोटे शरीर वाले होते हैं।

सामान्य- शारीरिक रूप से स्वास्थ्य तथा खिलाड़ी शरीर के होते हैं।

2-विशिष्ट-शारीरिक रूप से ग्रस्त होने के कारण मानसिक रूप से भी ग्रस्त होते हैं यह जल्दी तनाव या संघर्ष में आ जाते हैं।

सामान्य-शारीरिक रूप से स्वस्थ होने के कारण मानसिक बीमारी से ग्रस्त नहीं होते हैं।

3-विशिष्ट-140 से अधिक प्रतिभाशाली, 90 से कम मंदबुद्धि

सामान्य-90-110 के बीच

4-विशिष्ट-खुद और साथियों के साथ समायोजन करना कठिन होता है।

सामान्य-स्वयं और साथियों के साथ बेहतरीन समायोजन करते हैं।

5-विशिष्ट-सूचनाओं को यथाशीघ्र सीख लेते हैं या फिर बार-बार सीखने में भी नहीं समझ पाते हैं।

सामान्य-दी गई सूचना को भलीभांति सीख लेते हैं।

6-विशिष्ट-विद्यालय यह समाज में अच्छा समायोजन नहीं कर पाते हैं।

सामान्य-अच्छा समय नियोजन कर पाते हैं।

7-विशिष्ट-शैक्षिक उपलब्धि या तो बहुत अच्छी यह बहुत न्यून या शून्य होती है जिसके कारण प्राय: असफलता का पालन करते हैं।

सामान्य-सफल होते हैं शैक्षिक उपलब्धि अच्छी होती है।

8-विशिष्ट-बालक प्राय: अंतर्मुखी होते हैं और अपने में खोए रहते हैं।

सामान्य-प्राय: उभयर्मुखी होते हैं एक- दूसरे से मेलजोल बढ़ाने में निपुण होते हैं।

9-विशिष्ट-अति आशावादी ,अति निराशावादी ज्यादा व्यावहारिक नहीं होते हैं।

सामान्य-प्राय: आशावादी होते हैं जीवन को व्यवहारिक ढंग से सीखने की इच्छा रखते हैं।

✍🏻📚📚 Notes by…. Sakshi Sharma✍🏻

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