CDP Motivation and learning part 1

💫 अभिप्रेरणा और अधिगम
(Motivation and learning💫

☘️ अभिप्रेरणा☘️

🔸अभिप्रेरणा एक ऐसी मानसिक शक्ति है जो हमें अंदर से किसी कार्य को करने के लिए सदैव प्रेरित करती रहती है जब तक कि हम उस लक्ष्य को प्राप्त न कर ले।

उदाहरण के लिए➖ विद्यार्थी जानते हैं कि आजकल नौकरी इत्यादि में हद से ज्यादा कंपटीशन है परंतु वह अपनी इस कठिन लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए दिन-रात पढ़ाई करता है अगर वह असफल हो भी जाए तो भी प्रत्यन करना नहीं छोड़ता है।

🔸 अभिप्रेरणा की आवश्यकता इसलिए है ताकि बच्चे शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में रुचि ले सके।

🔸 प्रेरणा का शाब्दिक अर्थ हम किसी भी उत्तेजना को प्रेरित कर सकते हैं जिससे हमें कार्य करने का बोध है, क्योंकि उत्तेजना के अभाव में किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया संभव नहीं होती।

☘️ प्रेरणा का मनोवैज्ञानिक पक्ष➖
प्रेरणा की उत्तेजना किसी कार्य की मूलभूत आवश्यकता या रूचि के लिए होती है।

🟣गुड के अनुसार➖ प्रेरणा कार्य के प्रारंभ में करने, जारी तथा नियमित रखने की प्रक्रिया है।

☘️ प्रेरणा के प्रकार 2 होते हैं

🟣 आंतरिक प्रेरणा
🟣 बाह्य प्रेरणा

🟣 आंतरिक प्रेरणा➖ इस प्रेरणा में बालक किसी कार्य को अपनी स्वयं की इच्छा से करता है इस कार्य को करने से उसे सुख और संतोष प्राप्त होता है।

🟣 वाह्य प्रेरणा➖ इस तरह ना मैं बालक किसी कार्य को अपनी स्वयं की इच्छा से ना करके किसी दूसरे किच्छा या वाह प्रभाव के कारण पड़ता है इस क्रिया को करने से उसे किसी वांछनीय निश्चित लक्ष्य की प्राप्ति होती है।

✍🏻📚📚 Notes by…… Sakshi Sharma📚📚✍🏻

🔆 अधिगम और अभिप्रेरणा

✨अधिगम :- हर व्यक्ति में अपनी क्षमता अनुसार अधिगम करता है लेकिन उस क्षमता को बढ़ाया या घटाया जा सकता है। जिसके लिए मुख्य कारक अभिप्रेरणा है अभिप्रेरणा अधिगम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है अर्थात अभिप्रेरणा के द्वारा ही अधिगम को कम या ज्यादा किया जा सकता है।

✨अभिप्रेरणा :- हमें रुचि, आवश्यकता, अलग-अलग प्रकार के पुनर्बलन (सकारात्मक, नकारात्मक) डर, या भय ,खुशी आदि इन सभी कारकों से हमें प्रेरणा मिलती है।

▪️अभिप्रेरणा द्वारा ही यह निर्धारित किया जा सकता है कि अधिगम कैसा होगा।

▪️हम किसी भी कार्य को अपनी रुचि, आवश्यकता, सफलता , दबाव, जीवन कौशल ,अनुशासन, जिज्ञासा, व्यवहार में परिवर्तन लाना, कई सामाजिक परिवर्तन करना, अपना व्यक्तित्व विकास करना, आत्मविश्वास बढ़ाना इत्यादि प्रकार की अभिप्रेरणा से प्रेरित होकर करते हैं।

▪️इन सभी के अलावा हम किसी भी कार्य को तभी करते हैं जब उस कार में हमारी रुचि हो हमारी भावनाओं को महत्व दिया जाए अर्थात

▪️किसी भी कार्य को करने में हमारी आंतरिक और बाह्य दोनों प्रेरणा होती है अर्थात जब बाह्य प्रेरणा हमारी आंतरिक प्रेरणा के हिसाब से यह हमारी अनुसार अनुकूलित होती है तब हम उस कार्य को सुचारू और प्रभावी रूप से कर पाते है।

▪️यदि किसी कार्य को हम करते हैं और उस कार्य में हमारी रुचि है लेकिन उस कार्य को सीखने का जो बाह्य वातावरण है वह हमारी रुचि है जरूरत के अनुरूप या उसके अनुसार नहीं है अर्थात वातावरण नीरस है तो हम उस कार्य के लिए कभी भी अभिप्रेरित नहीं हो पाएंगे।

▪️किसी भी कार्य को करनी है किसी भी प्रकार की अधिगम को करने में केवल आंतरिक कारक ही नहीं बल्कि इसके साथ-साथ बाह्य कारक भी सीखने को प्रभावित करता है।

🌀अभिप्रेरणा :- हमसे किसी भी कार्य को किसी जोर-जबर्दस्ती से करवाया जा सकता है लेकिन उस कार्य को हम निरंतर रूप में करेंगे या नहीं करेंगे यह हमारी अभिप्रेरणा पर निर्भर करता है।

🔹अभिप्रेरणा की आवश्यकता है इसीलिए है ताकि बच्चे शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में रुचि ले सकें।

🔹शिक्षा में अधिगम प्रक्रिया को तीव्र करने के लिए या सुचारू रूप से करने के लिए अभिप्रेरणा आवश्यक है शिक्षक छात्रों में रुचि उत्पन्न करके उनके ध्यान को अधिगम पर केंद्रित कर सकते हैं इस प्रकार सूचियों के बढ़ने से अभिप्रेरणा में वृद्धि होती है फल स्वरुप नए कौशल,उत्साह और संतोषप्रद परिणाम दृष्टिगोचर होते हैं और बच्चे भी शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में रुचि लेते हैं।

🔹अभिप्रेरणा के शाब्दिक अर्थ और मनोवैज्ञानिक अर्थ में अंतर होता है।

❇️प्रेरणा का शाब्दिक अर्थ

▪️हमें किसी कार्य को करने की बोध या समझ होती है इस स्थिति में हमें कार्य को करने में जिस भी वजह या कारण से उत्तेजना हुई होती है वह अभिप्रेरणा है।

▪️अर्थात हम किसी भी उत्तेजना को प्रेरणा कह सकते हैं जिससे हम कार्य को करने का बोध होता है क्योंकि उत्तेजना के अभाव में किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया संभव नहीं है।

❇️प्रेरणा का मनोवैज्ञानिक अर्थ

▪️जब किसी कार्य को मनोवैज्ञानिक रूप से जानकर हम यह जाने कि उस कार्य को करने की क्या वजह है ?या क्या कारण है ?यह क्या इच्छा है?

▪️अर्थात प्रेरणा की उत्तेजना किसी कार्य की मूलभूत आवश्यकता है या रुचि के लिए होती है।

▪️अधिगम के सिद्धांत में मुख्य केंद्र बिंदु अभिकरण नाही हैं जिससे कई शाखाएं निकलती हैं और उनकी मदद से अधिगम किया जा सकता है।

🌀अभिप्रेरणा के प्रकार

📍1 आंतरिक अभिप्रेरणा
📍2 बाह्य अभिप्रेरणा

▪️अभिप्रेरणा को पूर्ण रूप से आंतरिक और वाहिद रहना में विभाजित करना मुश्किल है , ऐसा संभव ही नहीं है या ऐसी कल्पना ही नहीं की जा सकती कि किसी भी सफल और प्रभावी कार्य के संपन्न होने में दोनों में से किसी एक (आंतरिक या बाह्य) किसी एक का महत्वपूर्ण योगदान हो।

▪️किसी एक निश्चित कार्य में हमें आंतरिक अभिप्रेरणा भी हो सकती है और बाह्य प्रेरणा भी हो सकती है।

▪️यदि शिक्षण कार्य में यदि हमें शिक्षण का वातावरण इस प्रकार दिया जा रहा है जो हमारी आवश्यकता , या हमारी जरूरत या इच्छा के अनुसार अनुकूलित है तो हम उस वातावरण में प्रभावी रूप से अधिगम कर पाएंगे।

▪️अर्थात अधिगम को प्रभावी रूप से करने में शिक्षण का वातावरण (बाह्यकारक) और हमारी आवश्यकता या जरूरत या रुचि या इच्छा (आंतरिक कारक) दोनों की ही महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

▪️किसी भी प्रभावी कार्य को करने में कौन सी प्रेरणा कार्य कर रही है ?या किसका मुख्य योगदान है इस बात का निर्णय हम कार्य के दौरान कौन सी प्रेरणा प्रबल है या किस प्रेरणा पर जोर दिया जा रहा है अर्थात प्रबल प्रेरणा का चुनाव करके करते हैं।

▪️किसी स्थिति में यदि व्यक्ति कोई क्रिया करता है जिसमें वह बाह्य प्रेरणा को साथ में लेकर आगे बढ़ता है तो वह अपनी आंतरिक प्रेरणा के कारण ही बाह्य प्रेरणा के साथ सामंजस्य स्थापित कर लेता है।

🌺1 आंतरिक अभिप्रेरणा

▪️इस प्रेरणा में बालक किसी कार्य को अपनी स्वयं की इच्छा से करता है और इस कार्य को करने में उसे “रुचि और संतोष प्राप्त” होता है।

🌺2 बाह्य अभिप्रेरणा

▪️इस प्रेरणा में बालक किसी कार्य को अपनी स्वयं की इच्छा से ना करके किसी दूसरे की इच्छा से करके या किसी बाह्य कारक के कारण से करता है और इस कार्य को करने में उसे किसी वांछनीय निश्चित “लक्ष्य की प्राप्ति” होती है।

▪️बाहरी प्रेरणा के मामलों और बाहरी दबाव द्वारा दिए गए मामलों को अलग करने के लिए हैं। उदाहरण के लिए, उसी स्वायत्तता के साथ काम नहीं करता है जो एक युवा छात्र अध्ययन करता है और अपने परिणामों के लिए पिता की प्रतिक्रिया के डर से अपना होमवर्क करता है।
दूसरी ओर एक युवा जो अपनी पढ़ाई में प्रयास करता है जो अधिक से अधिक शैक्षणिक प्रतिष्ठा वाले विश्वविद्यालय में जाता है.

▪️उपर्युक्त उदाहरणों में पहली स्थिति में व्यक्ति किसी डर या किसी बाह्य प्रेरणा से प्रेरित होकर कार्य को करता है जबकि दूसरे स्थिति में वह स्वायत्तता से स्वयं की इच्छा से कार्य को करता है।

✍️Notes By-'Vaishali Mishra'

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