👨👩👦👦👬🧖♂️👼🏻समाजीकरण👩🏼🏫👼🏻
🔴सामाजीकरण की प्रक्रिया:-
बालक के समाजीकरण की प्रक्रिया जन्म के कुछ दिन बाद से ही प्रारंभ हो जाती हैं बालक के समाजीकरण की प्रक्रिया परिवार से प्रारंभ होती हैं परिवार के सदस्य के रूप में बालक परिवार के अन्य सदस्यों से अन्तः-क्रियात्मक संबंध स्थापित करता है और उनके व्यवहारों का अनुकरण करता है। इस प्रकार अनुकरण करते हुए जाने अनजाने बालक परिवार के अन्य सदस्यों की भूमिका भी अदा करने लगता है। अनुकरण के आधार पर ही वह माता-पिता, भाई-बहन आदि की भूमिकाओं को सीखता है। उसके ये व्यवहार धीरे-धीरे स्थिर हो जाते हैं। धीरे-धीरे बालक अपने तथा पिता और अपने तथा माता के मध्य के अंतर को समझने लगता है कि वह स्वयं क्या है? इस प्रकार स्वयं (Self) का विकास होता है जो समाजीकरण का एक आवश्यक तत्व है।
⚫बालक के समाजीकरण करने वाले कारक:-
बालक जन्म के समय कोरा पशु होता है। जैसे-जैसे वह समाज के अन्य व्यक्तियों तथा सामाजिक संस्थाओं के संपर्क में आकर विभिन्न प्रकार की सामाजिक क्रियाओं में भाग लेता रहता है वैसे-वैसे वह अपनी पार्श्विक प्रवृत्तियों को नियंत्रित करते हुए सामाजिक आदर्शों तथा मूल्यों को सीखता रहता है। बालक के समाजीकरण की प्रक्रिया निरंतर चलती रहती है।
👉🏻👼🏻बालक के समाजीकरण के मुख्य तत्व निम्नांकित हैं-
🟢परिवार
🟢आयु समूह
🔴पड़ोस
🔴नातेदारी समूह
⚫स्कूल
⚫खेलकूद
🔴जाति
🔴समाज
🔴भाषा समूह
🟢राजनैतिक संस्थाएं और
🟢धार्मिक संस्थाएं।
⏮️बालक के समाजीकरण में बाधक तत्व:-
👉🏻👼🏻 बालकों के समाजीकरण में बाधा पहुंचाने वाले तत्व इस प्रकार हैं-
🟢सांस्कृतिक परिस्थितियां:
जैसे जाति, धर्म, वर्ग आदि से संबद्ध पूर्व धारणाएं आदि।
⚫बाल्यकालीन परिस्थितियां:
जैसे👉🏻 माता-पिता का प्यार न मिलना, माता-पिता में सदैव कलह, विधवा मां, पक्षपात, एकाकीपन तथा अनुचित दंड आदि।
🔴तात्कालिक परिस्थितियां: जैसे निराशा, अपमान, अभ्यास अनियमितता, कठोरता, परिहास और भाई-बहन, मित्र, पड़ोसी आदि की ईर्ष्या।
🔴अन्य परिस्थितियां: जैसे शारीरिक हीनता, निर्धनता, असफलता, शिक्षा की कमी, आत्म विश्वास का अभाव तथा आत्म-निर्भरता की कमी आदि।
📖🖊️Notes by Shikha Tripathi💐💐
🔆 समाजीकरण के मुख्य कारक ➖
▪️सामाजीकरण का अर्थ उस प्रक्रिया से है जिसके द्वारा व्यक्ति अन्य व्यक्तियों से अंतः क्रिया करता हुआ सामाजिक आदतों, विश्वासों, रीति रविाजों तथा परंपराओं एवं अभिवृत्तियों को सीखता है। इस क्रिया के द्वारा व्यक्ति जन कल्याण की भावना से प्रेरित होते हुए अपने आपको अपने परिवार, पड़ोस तथा अन्य सामाजिक वर्गों के अनुकूल बनाने का प्रयास करता है जिससे वह समाज का एक श्रेष्ठ, उपयोगी तथा उत्तरदायी सदस्य बन जाए तथा उक्त सभी सामाजिक संस्थाएं तथा वर्ग उसकी प्रशंसा करते रहें।
▪️बालक के समाजीकरण की प्रक्रिया जन्म के कुछ दिन बाद से ही प्रारंभ हो जाती हैं बालक के समाजीकरण की प्रक्रिया परिवार से प्रारंभ होती हैं परिवार के सदस्य के रूप में बालक परिवार के अन्य सदस्यों से अन्तः-क्रियात्मक संबंध स्थापित करता है और उनके व्यवहारों का अनुकरण करता है। इस प्रकार अनुकरण करते हुए जाने अनजाने बालक परिवार के अन्य सदस्यों की भूमिका भी अदा करने लगता है। अनुकरण के आधार पर ही वह माता-पिता, भाई-बहन आदि की भूमिकाओं को सीखता है। उसके ये व्यवहार धीरे-धीरे स्थिर हो जाते हैं। धीरे-धीरे बालक अपने तथा पिता और अपने तथा माता के मध्य के अंतर को समझने लगता है कि वह स्वयं क्या है? इस प्रकार स्वयं (Self) का विकास होता है जो समाजीकरण का एक आवश्यक तत्व है।
▪️बच्चा जैसे ही जन्म लेता है उस पर समाज का प्रभाव पड़ने लगता है किंतु जन्म से पूर्व या गर्भ में भी बच्चे पर समाजीकरण का प्रभाव पड़ता है। हालांकि गर्भ में बच्चे का समाजीकरण मां के समाजीकरण यह समाज के प्रति दृष्टिकोण या नजरिए या उनके व्यवहार पर निर्भर करता है अर्थात जन्म से पूर्व बच्चे का समाजीकरण मां के अनुसार निर्देशित होता है।
▪️जब बच्चा जन्म लेता है तो उसके कुछ समय बाद तक समाज का प्रभाव या समाज की वैलिडिटी वंशानुक्रम के गुण के साथ क्रिया करके जीवन भर के लिए स्थिर हो जाती है।
▪️लेकिन जैसे जैसे बच्चे की उम्र बढ़ती है उसके बाद की जो सामाजिकरण प्रक्रिया है उसकी वैलिडिटी बहुत कम देखने को मिलती है।
▪️बचपन में हमारे परिवार के अन्य जो लोग हमारे संपर्क में आते हैं उनके साथ हमारे संवेग या रिश्तो का जो जुड़ाव है वह काफी मजबूत होता है जिनको हम उम्र बढ़ने पर उनके प्रति जो संवेग या जुड़ाव है उसे बाद में भी याद रखते हैं अर्थात वह स्थाई होते हैं।
▪️लेकिन उम्र बढ़ने के साथ हम अपनी कार्य और जरूरतों के अनुसार लोगों से मिलते हैं लेकिन यह बचपन की तुलना में यहां जो जुड़ाव या संवेग इतना मजबूत और स्थाई नहीं होता।
▪️अर्थात कम उम्र में समाजीकरण बहुत गहरा और स्थाई होता है और जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जाती है समाजीकरण कम गहरा और स्थायित्व भी घटता जाता है।
▪️जिस समय हम समाज को समझ रहे होते हैं या समाजीकरण को समझ रहे होते हैं उस समय जब हम समाज से अंत:क्रिया करते हैं तब हम यह जागरूक होते हैं कि हम क्या अंत:क्रिया कर रहे हैं अर्थात सोच समझकर, कारण को जानकर या किसी जरूरत , आवश्यकता के अनुसार या एक व्यवस्थित योजना अनुरूप ही समाज से अंत:क्रिया करते हैं इस उम्र में समाज में हमारा मानसिक विकास भी काफी हद विकसित व समझने योग्य हो जाता है।
▪️बच्चा जन्म के समय कोरा पशु के समान होता है जैसे-जैसे समाज के अन्य व्यक्तियों तथा सामाजिक संस्था के संपर्क में आकर विभिन्न प्रकार की सामाजिक क्रिया में भाग लेता है।
▪️अपनी प्रवृत्ति को नियंत्रित करके सामाजिक आदर्श एवं मूल्य सीखना भी एक समाजीकरण का हिस्सा है।
▪️बालक के समाजीकरण के मुख्य तत्व निम्नलिखित हैं।
📍 परिवार
📍 आयु समूह मित्र
📍 आस-पड़ोस
📍 नातेदारी समूह
📍 स्कूल खेल का मैदान
📍 जाति समूह
📍 समाज
📍 भाषा समूह
📍 राजनीतिक संस्थाएं
📍 धार्मिक संस्थाएं
❇️ बालक के समाजीकरण में बाधक तत्व➖
बालक के समाजीकरण में बाधा पहुंचाने वाले निम्नलिखित कारकों का उल्लेख किया गया है:-
√ बाल्यकालीन परिस्थितियां :- जैसे मां-बाप से प्यार न मिलना, मां-बाप में परस्पर लड़ाई -झगड़ा, विधवा मां या बिधुर पिता, पक्षपातपूर्ण व्यवहार, अनुचित दंड और सुरक्षा, बच्चे का एकाकीपन आदि।
√ सांस्कृतिक परिस्थितियां:- जैसे – धर्म, जाति, वर्ग आदि से संबंधित पूर्वाग्रह एवं पूर्वधारणाएं आदि।
√ तात्कालिक परिस्थितियां :- जैसे – निराशा, कठोरता, अन्याय, अपमान, ईर्ष्या, तुलना करना आदि।
√ अन्य परिस्थितियां :- जैसे आत्म – विश्वास एवं आत्मनिर्भरता का अभाव, बेकार, असफलताएं, शिक्षा का अभाव, शारीरिक हीनता तथा शारीरिक दोष, निर्धनता आदि।
✍️
Notes By-‘Vaishali Mishra’
25/03/2021…….Thursday
TODAY CLASS……
🔰सामाजिकरण के मुख्य कारक🔰
➖बालक के समाजिकरण की प्रक्रिया जन्म के कुछ दिन बाद से ही शुरू हो जाती है
➖ बच्चे के समाजिकरण की प्रक्रिया परिवार से प्रारंभ होती है परिवार के सदस्य के रूप में बालक परिवार से अंतः क्रिया करता है
➖ अंतः क्रिया के पश्चात अनुकरण के आधार पर वह अपने परिवार के लोगों की भूमिका को सीखता है धीरे-धीरे वह व्यवहार उन्हें स्थिर हो जाता है
➖ बच्चा लोगों के बीच अंतर समझने लगता है ।बच्चा जन्म के समय कोरा पशु होता है जैसे जैसे वह समाज के अन्य व्यक्ति तथा सामाजिक संस्था के संपर्क में विभिन्न प्रकार की सामाजिक फिल्मों में भाग लेता है
➖ अपनी प्रवृत्ति नियंत्रित करके सामाजिक आदर्श एवं मूल्य सीखना भी समाजिकरण का होता है
🧒बालक के समाजिकरण के मुख्य तत्व निम्नलिखित है …
➖परिवार
➖आयु समूह
➖पड़ोस
➖नातेदारी समूह
➖स्कूल
➖खेलकूद, (खेल का मैदान)
➖जाति
➖समाज
➖भाषा समूह
➖राजनैतिक संस्थाएं और
➖धार्मिक संस्थाएं।
🧒 बालक के सामाजिकरण में बाधक तत्व
❎सांस्कृतिक परिस्थितियां….
जैसे ….
➖जाति
➖धर्म
➖वर्ग
इसमें संबंध पूर्व रूढ़िवादिता/ पूर्वाग्रह धारणाएं
❎बाल्यकालीन परिस्थितियां:
जैसे…..
➡️माता-पिता का प्यार न मिलना
➡️ माता-पिता में कलह
➡️ परिवार का कुंठित वातावरण
➡️ बच्चों के साथ पक्षपात
➡️ बच्चों का एकाकीपन
➡️ अनुचित दंड
➡️ Single parent , विधवा मां एकल माता पिता
❎तात्कालिक परिस्थितियां:
जैसे….
➖ निराशा
➖ अपमान
➖ परिहास
➖ ईर्ष्या:– (भाई-बहन, परिवार, समाज, मित्र)
➖ तुलना करना
❎अन्य परिस्थितियां:
जैसे…..
➖ शारीरिक हीनता
➖निर्धनता
➖ असफलता
➖ शिक्षा की कमी
➖ आत्म विश्वास का अभाव तथा
➖आत्म-निर्भरता की कमी ।
✍Notes by:— संगीता भारती✍
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
💫समाजीकरण की प्रक्रिया💫
बालक के समाजीकरण की प्रक्रिया जन्म से कुछ दिन बाद शुरू हो जाती हैं।
बालक में समाजीकरण की प्रक्रिया परिवार से प्रारंभ होती है परिवार के सदस्य के रूप में बालक परिवार से अंत: क्रिया करता है।
अंतः क्रिया के पश्चात अनुकरण के आधार पर वह अपने परिवार के लोगों की भूमिका को सीखता है और धीरे-धीरे वह व्यवहार उसमें स्थिर हो जाता है। बालक लोगों के बीच अंतर समझने लगता है।
बच्चा जन्म के समय कोरा पशु होता है। जैसे-जैसे वह समाज के अन्य व्यक्ति तथा सामाजिक संस्था के संपर्क में आकर विभिन्न प्रकार की सामाजिक क्रियाओं में भाग लेता है।अपनी प्रवृत्ति को नियंत्रित करके सामाजिक आदर्श एवं मूल्य सीखना भी समाजीकरण का हिस्सा है।
🙋♂️ बालक के समाजीकरण के मुख्य तत्व निम्नलिखित हैं:
🌴 परिवार
🌴 आयु समूह
🌴 पास पड़ोस
🌴 नातेदारी समूह
🌴 स्कूल
🌴 खेलकूद
🌴 जाति
🌴 समाज
🌴 भाषा समूह
🌴 राजनैतिक संस्थाएं
🌴 धार्मिक संस्थाएं
💫 बालक के समाजीकरण के बाधक तत्व:
1️⃣ सांस्कृतिक परिस्थिति:
सांस्कृतिक परिस्थिति के अंतर्गत समाजीकरण में बाधा जाति, धर्म, वर्ग ,सबकी संबद्ध पूर्व रूढ़िवादिता पूर्वाग्रह धारणाएं आदि आती हैं।
2️⃣बाल्यकालीन या पारिवारिक परिस्थिति:
🌿 माता पिता का प्यार ना मिलना
🌿 माता-पिता का कलह
🌿 परिवार का कुंठित वातावरण
🌿 बच्चों के साथ पक्षपात
🌿 बच्चों का एकाकीपन
🌿 दूसरों के प्रति ईर्ष्या का माहौल
🌿 अनुचित दंड
🌿 विधवा मां/(एकल माता या पिता)
3️⃣ तात्कालिक परिस्थिति:
🔅 निराशा
🔅 अपमान
🔅 परिहास
🔅 ईर्ष्या (भाई-बहन, मित्र, पड़ोसी की ईर्ष्या)
🔅 तुलना
4️⃣ अन्य परिस्थिति:
शारीरिक हीनता, निर्धनता, असफलता, शिक्षा की कमी, आत्मविश्वास का अभाव, आत्मनिर्भरता की कमी आदि सभी बालक के समाजीकरण के बाधक तत्व हैं।
✍🏻✍🏻Notes by raziya khan✍🏻✍🏻
समाजीकरण के मुख्य कारक
🤾🏋️🤼🤺
▶️ बालक के समाजीकरण की प्रक्रिया जन्म के कुछ दिन बाद शुरू हो जाती है। बच्चे के समाजीकरण की प्रक्रिया परिवार से प्रारंभ होती है। परिवार के सदस्य के रूप में बालक परिवार से अंतः क्रिया करता है।
▶️ अंतः क्रिया के पश्चात अनुकरण के आधार पर वह अपने परिवार के लोगों की भूमिका को सीखता है। धीरे-धीरे वह व्यवहार उनमें स्थिर हो जाता है बच्चा लोगों के बीच अंतर समझने लगता है।
▶️ बच्चे जन्म के समय कोरा पशु होता है। जैसे-जैसे वह समाज के अन्य व्यक्ति तथा सामाजिक संस्था के संपर्क में आकर विभिन्न प्रकार की सामाजिक क्रियाओं में भाग लेता रहता है वैसे- वैसे वह अपनी पार्श्विक प्रवृत्तियों को नियंत्रित करके सामाजिक आदर्शों एवं मूल्यों को सीखता है। बालक के समाजीकरण की प्रक्रिया निरंतर चलती रहती है। बालक के समाजीकरण के मुख्य तत्व निम्नलिखित है-
1.परिवार
2.आयु समूह (मित्र)
3.पास- पड़ोस
4.नातेदारी समूह
5.स्कूल
6.खेलकूद (खेल का मैदान)
7.जाति समूह
8.समाज
9.भाषा समूह
10.राजनीतिक संस्थाएं
11.धार्मिक संस्थाएं
बालक के समाजीकरण में बाधक तत्व
🤺🤼🏋️🤾
समाजीकरण में बाधा पहुंचाने वाले तत्व इस प्रकार हैं
1️⃣ सांस्कृतिक परिस्थितियां जैसे- जाति, धर्म, वर्ग आदि से संबंध पूर्वधारणाऐं।
2️⃣ बाल्यकालीन या पारिवारिक परिस्थितियां जैसे- माता पिता का प्यार न मिलना, माता-पिता में सदैव कलह,परिवार का वातावरण, बच्चों के साथ पक्षपात, बच्चों का एकाकीपन, दूसरों के प्रति ईर्ष्या का माहौल,अनुचित दंड,विधवा मां/एकल माता-पिता आदि।
3️⃣ तत्कालिक परिस्थितियां जैसे-निराशा, अपमान, परिहास,
भाई- बहन, परिवार, समाज, मित्र आदि से ईर्ष्या, तुलना आदि।
4️⃣ अन्य परिस्थितियां जैसे- शारीरिक हीनता,निर्धनता, असफलता,शिक्षा की कमी,आत्मविश्वास की कमी,
आत्मनिर्भरता की कमी इत्यादि सभी बालक के समाजीकरण के बाधक तत्व है।
Notes by Shreya Rai✍🏻🙏
🌌🌲सामाजीकरण के मुख्य कारक🌲🌌
⚜️ सामाजिक बालक के समाजीकरण की प्रक्रिया जन्म के कुछ समय बाद से शुरू होती है
⚜️बच्चे के समाजीकरण की प्रक्रिया परिवार से प्रारंभ होती है परिवार के सदस्य के रूप में बालक परिवार में अंतः क्रिया करता है अंतः क्रिया करने के पश्चात बालक अनुकरण के आधार पर वह अपने परिवार के लोगों की भूमिका सीखते हैं वह धीरे-धीरे व्यवहार में स्थित हो जाती हैं
⚜️बच्चे लोगों के बीच अंदर समझने लगता है बच्चे जन्म के समयकोरा पशु होता है जैसे जैसे वह समाज अन्य व्यक्ति तथा सामाजिक संस्था के संपर्क में रहता है सामाजिक कार्यों में भाग लेता है
अपनी प्रवृत्ति नियंत्रित करके सामाजिक आदर्श एवं मूल्य सीखना भी सामाजीकरण होता है
🌸⚡️बालक के समाजीकरण के मुख्य तत्व➖️🌸⚡️
जो इस प्रकार हैं
🔅परिवार
🔅आयु समूह
🔅पड़ोस
🔅नातेदारी
🔅समूह
🔅स्कूल
🔅खेल कूद (खेल का मैदान )
🔅जाति
🔅 समाज
🔅भाषा समूह
🔅राजनीतिक संस्थाएं
🔅धार्मिक संस्थाएं
🌸💮बालक के समाजीकरण में बाधक तत्व➖️🌸💮
🍀संस्कृति परिस्थितियां
जैसे 🔅जाति
🔅 धर्म
🔅वर्ग
इसमें संबंधित पूर्व रूढ़िवादिता /पूर्वाग्रह
🍀बाल्य कालीन परिस्थितियां➖️
🔅माता-पिता से प्यार ना मिलना
🔅 माता-पिता कलह
🔅परिवार का कुंठितवातावरण
🔅बच्चे के साथ पक्षपात
🔅बच्चे का एकाकीपन
🔅अनुचित दंड
🔅एकल माता पिता
🍀 तत्कालीन परिस्थितियां➖️
🔅निराशा
🔅अपमान
🔅परिहास
🔅ईर्ष्या (भाई-बहन, 🔅परिवार,समाज, मित्र)
🔅तुलना करना
🍀 अन्य परिस्थितियों जैसे➖️
🔅शारीरिक हीनता
🔅निर्धनता
🔅असफलता
शिक्षा की कमी🔅आत्मविश्वास का अभाव
🔅और आत्मनिर्भरता की कमी
Notes by sapna yadav📝📝📝📝📝📝📝
समाजीकरण के मुख्य कारक
बालक के समाजीकरण की प्रक्रिया जन्म के कुछ दिन बाद शुरू हो जाती है बच्चे के समाजीकरण की प्रक्रिया परिवार से प्रारंभ होती है परिवार के सदस्य के रूप में बालक परिवार से अंतः क्रिया करता है
.. अंतः क्रिया के पश्चात अनुकरण के आधार पर वह अपने परिवार के लोगों की भूमिका को सीखता है धीरे-धीरे वह व्यवहार उनमें स्थिर हो जाता है बच्चा लोगों के बीच अंतर समझने लगता है
बच्चे जन्म के समय कोरा पशु होता है जैसे जैसे वह समाज के अन्य व्यक्ति तथा सामाजिक संस्था के संपर्क में आकर विभिन्न प्रकार की सामाजिक क्रिया में भाग लेता है अपनी प्रवृत्ति नियंत्रित करके सामाजिक आदर्श एवं मूल्य सीखना भी सामाजीकरण होता है
बालक के समाजीकरण के मुख्य तत्व
परिवार
आयु समूह मित्र आस-पड़ोस
नातेदारी समूह
स्कूल
खेलकूद खेल का मैदान
जाति समूह
समाज
भाषा समूह
राजनैतिक संस्थाएं
धार्मिक संस्थाएं
बालक के समाजीकरण में बाधक तत्व
1 सांस्कृतिक परिस्थिति:- सांस्कृतिक परिस्थिति में जाति ,धर्म ,वर्ग इनसे संबंधित पूर्व रूढ़िवादिता या पूर्वाग्रह धारणाएं आती हैं
3 बाल्यकालीन या पारिवारिक परिस्थिति
इसमें इस प्रकार के बच्चे आते हैं अपने परिवार की स्थिति के कारण परेशान होते हैं
माता पिता का प्यार ना मिलना
माता-पिता का कलह
परिवार का कुंठित वातावरण
बच्चों का एकाकीपन
अनुचित दंड
एकल माता पिता
तात्कालिक परिस्थिति
निराशा
अपमान
परिहास( भाई-बहन ,परिवार, समाज )
ईर्स्या
तुलना
अन्य परिस्थिति
शारीरिक हीनता
निर्धनता
असफलता
शिक्षा की कमी
आत्मविश्वास का अभाव
बेरोजगारी
आत्मनिर्भरता की कमी
सपना साहू
🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀
🔆🍀 समाजीकरण के मुख्य कारक ➖
💥 बालक के समाजीकरण की प्रक्रिया जन्म के कुछ दिन बाद ही शुरू हो जाती है जिसके माध्यम से व्यक्ति सामाजिक मानदंडों, मूल्यों और अपेक्षाओं को आंतरिक रुप से सीखते हैं और उचित संज्ञानात्मक या सामाजिक कौशल सीखकर अपने समाज के सक्रिय सदस्य के रूप में कार्य करता है |
💥 बच्चे के समाजीकरण की प्रक्रिया परिवार से प्रारंभ होती है परिवार के सदस्य के रूप में बालक परिवार से अन्त: क्रिया करता है |
💥 जब बच्चा अंतः क्रिया करता है और उसके पश्चात अनुकरण के आधार पर वह अपने परिवार के लोगों की भूमिका को सीखता है धीरे-धीरे वह व्यवहार में स्थिर हो जाता है बच्चा लोगों के बीच के अंतर को समझने लगता है बच्चे की शैशावस्था और बाल्यावस्था में जो भी क्रियाएं होती है या जो भी वह समाजीकरण करता है वे क्रियाएं होती है जैसे कि खाना खाना ,नहाना ,पानी पीना, ब्रश करना सीखता है जो की स कभी भूलता नहीं है अर्थात कहने का तात्पर्य है कि बच्चे की शैशावस्था और बाल्यावस्था में जो क्रियाएं होती है और समाजीकरण होता है वह स्थिर होता है और समाजीकरण का परिपक्व रूप आने वाली अवस्थाओं में देखने को मिलता है |
💥 बच्चा जन्म के समय कोरा पशु होता है जैसे-जैसे वह समाज के अन्य व्यक्तियों तथा सामाजिक संस्था के संपर्क में आता है तो विभिन्न प्रकार की सामाजिक क्रियाओं में भाग लेता है वैसे ही उसका समाजीकरण विस्तृत होता जाता है और वह समाज के मानदंडों का पालन करते हुए समाज का एक जिम्मेदार नागरिक बन जाता है |
💥 समाजीकरण के द्वारा व्यक्ति अपनी प्रवृत्ति को नियंत्रित करके सामाजिक आदर्श एवं मूल्य भी सीखता है जो कि समाजीकरण का एक हिस्सा है |
⭕ समाजीकरण के मुख्य तत्व ➖
🍀 परिवार
🍀आयु समूह
🍀 आस – पड़ोस
🍀 नातेदारी या रिश्तेदारी समूह
🍀 विद्यालय
🍀 खेल का मैदान या खेलकूद
🍀 जाति समूह ➖
जब बच्चा बड़ा होता है तो वह अपनी जाति समूह से एक जुड़ाव महसूस करता है उनका अपनी जाति के प्रति अलग ही नजरिया होता है जिसकी अपनी संस्कृति होती है उसके मानदंडों के अनुसार बच्चे अपना व्यवहार प्रदर्शित करते हैं |
🍀 समाज
🍀 धार्मिक संस्थाएं
🍀 राजनैतिक संस्थाएं
⭕ बालक के समाजीकरण में बाधक तत्व➖
🎯 सांस्कृतिक परिस्थिति ➖
सांस्कृतिक परिस्थिति के अंतर्गत जैसे- जाति ,धर्म और वर्ग आदि से संबंधित जो भी रूढ़िवादिता या पूर्वाग्रह और धारणाएँ जिनसे बच्चे की समाजीकरण में अत्यधिक प्रभाव पड़ता है |
अर्थात यदि किसी धर्म जाति या वर्ग में रूढ़िवादिता और पूर्वाग्रह संबंधी धारणाएं प्रचलित है तो इससे बच्चे का सांस्कृतिक सामाजीकरण बहुत ज्यादा प्रभाव कारी होगा |
🎯 बाल्यकालीन या पारिवारिक परिस्थिति ➖
पारिवारिक परिस्थितियों के अंतर्गत जैसे माता पिता का प्यार ना मिलना ,माता-पिता का कलह, परिवार का कुंठित वातावरण, बच्चों के साथ पक्षपात ,बच्चे का एकाकीपन ,अनुचित दण्ड, अभिभावकों का एकल होना या एकल माता या पिता आदि सभी कारक बच्चे के समाजीकरण में बाधा उत्पन्न करते हैं |
🎯 तत्कालिक परिस्थिति ➖
तत्कालिक परिस्थितियां जैसे- निराशा ,अपमान,परिहास, ईर्ष्या (भाई-बहन परिवार समाज या मित्र के प्रति ) या तुलना करना आदि सब चीजों से बच्चे का समाजीकरण प्रभावित होता है |
🎯 अन्य परिस्थितियां ➖
अन्य परिस्थितियां जैसे – शारीरिक हीनता, निर्धनता, असफलता ,शिक्षा की कमी, आत्मविश्वास का अभाव, बेरोजगारी और आत्मनिर्भरता की कमी आदि सभी समाजीकरण के बाधक तत्व है |
नोट्स बाय➖ रश्मि सावले
🍀🌸🌼🌺🍀🌸🌼🌻🍀💥🌸🌼🌺🌻🍀🌸🌼🌺🌻🍀🌸🌼🌺🌻
☘️🌼 समाजीकरण के प्रमुख कारक🌼☘️
🟣 बालक के समाजीकरण की प्रक्रिया जन्म के कुछ दिन बाद शुरू हो जाती है बच्चे के समाजीकरण की प्रक्रिया परिवार से प्रारंभ होती है परिवार में सदस्यों के रूप में बालक परिवार से अंत:क्रिया करता है।
🟣 अंतः क्रिया के पश्चात अनुकरण के आधार पर वह अपने परिवार के लोगों की भूमिका को सीखता है धीरे-धीरे वह व्यवहार उसमें स्थिर हो जाता है बच्चा लोगों के बीच अंतर समझने लगता है।
बच्चे जन्म के समय कोरा पशु होते हैं जैसे -जैसे वह समाज के अन्य व्यक्ति तथा सामाजिक संस्था के रूप संपर्क में आकर विभिन्न प्रकार की सामाजिक क्रियाओं में भाग लेते हैं अपनी प्रवृत्ति नियंत्रित करके सामाजिक आदर्श एवं मूल्य सीखना भी सामाजिक और का हिस्सा है।
☘️🌼 बालक के समाजीकरण के प्रमुख तत्व निम्नलिखित हैं➖
1-परिवार
2-आयु समूह
3-पास- पड़ोस
4-नातेदारी समूह
5-स्कूल
6-जाति समूह
7-समाज
8-भाषा समूह
9-राजनीतिक संस्थाएं
☘️🌼 बालक के समाजीकरण में बाधक तत्व🌼☘️
सामाजीकरण में बाधा पहुंचाने वाले तत्व इस प्रकार है➖
🌼1- सांस्कृतिक परिस्थिति➖ इसमें जाति ,धर्म ,वर्ग आदि से संबंध पूर्वधारणाऐं।
☘️ 2-बाल्यकालीन या पारिवारिक परिस्थिति➖ इसमें बालक को माता -पिता का प्यार करना मिलना। माता-पिता का आपसी कलह, परिवार का कुंठित वातावरण से बच्चों के साथ पक्षपात, बच्चों का एकाकीपन, अनुचित दंड, विधवा मां या एकल माता-पिता आदि।
🌼 तत्कालीन परिस्थिति➖ जैसे अपमान, परिहास ,भाई-बहन, परिवार, समाज, मित्र आदि से ईर्ष्या तुलना आदि।
🌼 अन्य परिस्थिति➖ जैसे शारीरिक हीनता, निर्धनता, असफलता, आत्म विश्वास का अभाव , शिक्षा की कमी, बेरोजगारी , इत्यादि सभी बालक के समाजीकरण के बाधक तत्व है
📚📚✍🏻 Notes by….. Sakshi Sharma📚📚✍🏻
🌼🌼🌼समाजीकरण के मुख्य कारक🌼🌼🌼
🌼🌼 बालक के समाजीकरण की प्रक्रिया जन्म के कुछ दिन बाद शुरू हो जाती है। बच्चे के समाजीकरण की प्रक्रिया परिवार से प्रारंभ होती है। परिवार के सदस्य के रूप में बालक परिवार से अंतः क्रिया करता है।
🌼🌼 अंतः क्रिया के पश्चात अनुकरण के आधार पर वह अपने परिवार के लोगों की भूमिका को सीखता है। धीरे-धीरे वह व्यवहार उनमें स्थिर हो जाता है बच्चा लोगों के बीच अंतर समझने लगता है।
🌼🌼 बच्चे जन्म के समय कोरा पशु होता है। जैसे-जैसे वह समाज के अन्य व्यक्ति तथा सामाजिक संस्था के संपर्क में आकर विभिन्न प्रकार की सामाजिक क्रियाओं में भाग लेता रहता है वैसे- वैसे वह अपनी पार्श्विक प्रवृत्तियों को नियंत्रित करके सामाजिक आदर्शों एवं मूल्यों को सीखता है। बालक के समाजीकरण की प्रक्रिया निरंतर चलती रहती है। बालक के समाजीकरण के मुख्य तत्व इस प्रकार है-
🌼1.परिवार
🌼2.आयु समूह (मित्र)
🌼3.पास- पड़ोस
🌼4.नातेदारी समूह
🌼5.स्कूल
🌼6.खेलकूद (खेल का मैदान)
🌼7.जाति समूह
🌼8.समाज
🌼9.भाषा समूह
🌼10.राजनीतिक संस्थाएं
🌼11.धार्मिक संस्थाएं
🌼🌼बालक के समाजीकरण में बाधक तत्व🌼🌼
🌼समाजीकरण में बाधा पहुंचाने वाले तत्व इस प्रकार हैं
🌼1. सांस्कृतिक परिस्थितियां जैसे- जाति, धर्म, वर्ग आदि से संबंध पूर्वधारणाऐं।
🌼2. बाल्यकालीन या पारिवारिक परिस्थितियां जैसे- माता पिता का प्यार न मिलना, माता-पिता में सदैव कलह,परिवार का वातावरण, बच्चों के साथ पक्षपात, बच्चों का एकाकीपन, दूसरों के प्रति ईर्ष्या का माहौल,अनुचित दंड,विधवा मां/एकल माता-पिता आदि।
🌼3. तत्कालिक परिस्थितियां जैसे-निराशा, अपमान, परिहास,
भाई- बहन, परिवार, समाज, मित्र आदि से ईर्ष्या, तुलना आदि।
🌼4.अन्य परिस्थितियां जैसे- शारीरिक हीनता,निर्धनता, असफलता,शिक्षा की कमी,आत्मविश्वास की कमी,
आत्मनिर्भरता की कमी इत्यादि सभी बालक के समाजीकरण के बाधक तत्व है।
🌼🌼🌼🌼🌼manjari soni🌼🌼🌼🌼🌼🌼
👨👩👧👦👩❤️👨 समाजीकरण के मुख्य कारक 👩❤️👨👨👩👧👦
♦️ बालक के समाजीकरण की प्रक्रिया जन्म के कुछ दिन बाद शुरू हो जाती है।
♦️ बच्चे के,समाजीकरण की प्रक्रिया परिवार से प्रारंभ होती है,परिवार के सदस्य के रूप में बालक परिवार से अंतः क्रिया करता है।
अंतःक्रिया के पश्चात अनुकरण के आधार पर, वह अपने परिवार के लोगों की भूमिका को दिखता है, धीरे-धीरे वह व्यवहार उनमे में स्थिर हो जाता है बच्चा लोगों के बीच अंतर समझने लगता है।
♦️ बच्चा जन्म के समय कोरा पशु होता है,जैसे जैसे वह समाज के अन्य लोगों तथा सामाजिक संस्था के संपर्क में आकर विभिन्न प्रकार के सामाजिक क्रियाओं में भाग लेता है।
अपनी प्रवृति, नियंत्रित करके सामाजिक आदर्श एवं मूल्य सीखना भी समाजीकरण का हिस्सा है।
👨👩👧👦👩❤️👨 बालक के समाजीकरण के मुख्य तत्व निम्नलिखित है।👩❤️👨👨👩👧👦
🔹 परिवार।
🔹 आयु समूह (मित्र )।
🔹पास पड़ोस।
🔹 नातेदारी समूह।
🔹 स्कूल।
🔹 खेलकूद (खेल का मैदान )
🔹 जाति समूह।
🔹 समाज।
🔹 भाषा समूह।
🔹 राजनीतिक संस्थाएं।
🔹 धार्मिक संस्थाएं।
👨👩👧👦👩❤️👨 बालक के समाजीकरण के बाधक तत्व👩❤️👨👨👩👧👦
🔅 सांस्कृतिक परिस्थिति :-
➖ जाति।
➖ धर्म।
➖ वर्ग।
इन,सबका संबंध पूर्व रूढ़िवादिता/ पूर्वाग्रह धारणाओं से है।
🔅 बाल्यकालीन या पारिवारिक परिस्थिति:-
➖ माता पिता का प्यार ना मिलना।
➖ माता पिता का कलह।
➖ परिवार का कुंठित वातावरण।
➖बच्चों के साथ पक्षपात।
➖ बच्चे का एकाकीपन।
➖ अनुचित दंड।
➖ एकल माता पिता।
📝NOTES BY “AkAnKsHA”📝
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सामाजीकरण के मुख्य कारक–
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बालक के समाजीकरण की प्रक्रिया जन्म के कुछ दिन बाद से शुरू हो जाती है ।
बच्चे के समाजीकरण की प्रक्रिया परिवार से आरंभ होती है परिवार के सदस्य के रूप में बालक परिवार से अंतः क्रिया करता है।
अंतः क्रिया के पश्चात अनुकरण के आधार पर वह अपने परिवार के लोगों की भूमिका को सीखता है। धीरे-धीरे वह व्यवहार उसमें स्थिर हो जाता है। बच्चा लोगों के बीच अंतर समझने लगता है।
🌴 बच्चे जन्म के समय कोरा पशु होता है ।जैसे-जैसे समाज के अन्य व्यक्तियों तथा सामाजिक संस्था के संपर्क में आता है। विभिन्न प्रकार की सामाजिक क्रिया में भाग लेता है।
अपनी प्रवृत्ति नियंत्रित करके सामाजिक आदर्श एवं मूल्य सीखना भी समाजीकरण का हिस्सा है।
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बालक के समाजीकरण के मुख्य तत्व निम्नलिखित है।
♦️ परिवार–
एक बच्चे का सामाजीकरण जन्म के बाद परिवार के द्वारा ही होता है।
♦️आयु समूह –बच्चा जब अपने आयु के बच्चों के साथ समूह में रहता है। तो उस समय भी उसका सामाजीकरण होता है।
♦️ पास पड़ोस– बच्चे जब घर से बाहर जाने लगता है। तो अपने आसपास के लोगों के संपर्क में आता है ।
♦️नातेदारी समूह– बच्चा जब रिश्तेदार चाचा मामा फूफा और कई लोगों के संपर्क में आता है। तब भी उसका सामाजीकरण होता है।
♦️स्कूल – बच्चा जब स्कूल जाता है। तब उसका द्वितीय सामाजीकरण होता है। वहां पर अलग-अलग संस्कृति के बच्चे अलग-अलग जाति के बच्चों के साथ अंतः क्रिया करता है। जिसके द्वारा उसका सामाजीकरण होता है।
♦️ खेलकूद( खेल का मैदान)– बच्चा जब अपने साथ के बच्चों के साथ खेल के मैदान में जाता है। तो वह अलग-अलग संस्कृति के तथा भाषा बोलने वाले बच्चों के साथ खेलता है। तब भी उसका सामाजीकरण होता है।
♦️ जाति समूह– जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है। तो वह अपने परिवार द्वारा अपने जाति के लोगों के साथ जुड़ाव महसूस करता है।
♦️ समाज– बच्चा जैसे-जैसे बड़ा होता है वह समाज के संपर्क में आता है। और अंतर क्रिया करता है ।
♦️भाषा समूह– बच्चा अपने आसपास के लोगों द्वारा बोली गई भाषा का भी अनुकरण करता है।
♦️राजनीतिक संस्थाएं
♦️ धार्मिक संस्थाएं
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बालक के समाजीकरण में बाधक तत्व –
🌍सांस्कृतिक परिस्थिति– जाति, धर्म ,वर्ग इन सब की संबंध पूर्व रूढ़िवादिता एवं पूर्वाग्रह धारणाएं ।
🌍बाल कालीन या पारिवारिक परिस्थिति– माता पिता का प्यार न मिलना ,माता पिता के बीच कलह ,परिवार का कुंठित वातावरण ,बच्चों के साथ पक्षपात, बच्चों का अकेलापन, अनुचित दंड, एकल माता या पिता।
🌍 तत्कालीन परिस्थिति – निराशा ,अपमान, परिहास, ईर्ष्या (भाई बहन ,परिवार ,समाज या मित्र द्वारा )
🌍तुलना करना।
🌴🌺☘️♦️🌍🌻🌺♦️Notes by poonam sharma☘️☘️☘️
बालक के समाजीकरण के
प्रमुख कारक
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25 march 2021
बालक के समाजीकरण की प्रक्रिया जन्म के कुछ दिन बाद ही शुरू हो जाती है।
बच्चों के समाजीकरण की प्रक्रिया परिवार से प्रारंभ होती है , तथा परिवार के सदस्य के रूप में बालक परिवार से अन्तःक्रिया करता है।
अंतःक्रिया के पश्चात अनुकरण के आधार पर वह अपने परिवार के लोगों की भूमिका को सीखता है।
धीरे-धीरे अनुकरण किया हुआ अपना पारिवारिक व्यवहार उनमें स्थिर हो जाता है ।
बच्चे लोगों के बीच अंतर समझने लगते हैं।
बच्चे जन्म के समय कोरा पशु होता है , अतः जैसे – जैसे वह समाज के अन्य व्यक्ति तथा सामाजिक संस्था के संपर्क में आते हैं तो बे विभिन्न प्रकार की सामाजिक क्रियाओं में भाग लेते हैं।
अपनी प्रवृतियां नियंत्रित करके सामाजिक आदर्श एवं मूल्य सीखना भी सामाजीकरण का हिस्सा है।
👉 बालक के समाजीकरण के प्रमुख तत्व निम्नलिखित हैं :-
1. परिवार :-
जन्म लेने के कुछ समय बाद बच्चों का समाजीकरण सर्वप्रथम परिवार से ही प्रारंभ होता है।
2. आयु समूह ( मित्र ) :-
जब बच्चे अपने आयु समूह के बच्चों / मित्रों के साथ संपर्क में रहते हैं तब भी बच्चों को सामाजीकरण होता है।
3. पास पड़ोस :-
घर परिवार से बाहरी दुनिया अर्थात मोहल्ला/ पास पड़ोस में लोगों के संपर्क में रहने से भी बच्चों को सामाजीकरण होता है।
4. नातेदारी समूह :-
जब बच्चे अपने रिश्तेदारों के हमउम्र बच्चों के संपर्क में आते हैं तब भी उनका सामाजीकरण होता है।
5. विद्यालय :-
बालक का द्वितीयक सामाजिकरण विद्यालय ही होता है।
अर्थात विद्यालय में विभिन्न संस्कृति , परिवार आदि के बच्चों से मिलने पर बच्चों का समाजीकरण होता है।
6. खेल का मैदान (खेल कूद) :-
अपने खेल के मैदान में बच्चे विभिन्न प्रकार के बच्चों से मिलते हैं वहां पर बच्चों में परस्पर सहयोग की भावना , प्रेम की भावना आदि का विकास होता है जिसके आधार पर भी बच्चों का समाजीकरण होता है।
7. जाति समूह :-
जाति समूह के आधार पर भी बच्चों का सामाजीकरण होता है।
8. समाज :-
समाज के साथ संबंध स्थापित करने पर , समाज में विभिन्न प्रकार के लोगों से विभिन्न प्रकार के तथ्यों आदि से अंतः क्रिया करने पर भी बच्चों का सामाजीकरण होता है।
9. भाषा समूह :-
विभिन्न प्रकार की भाषा समूहों के बीच भी बच्चों का सामाजीकरण होता है।
10. राजनीतिक संस्थाएं :-
अनेक प्रकार की राजनीतिक संस्थाएं अर्थात विभिन्न वातावरण में रहने पर भी बच्चों का समाजीकरण होता है।
11. धार्मिक संस्थाएं :-
बच्चे विभिन्न प्रकार के धार्मिक संस्थाओं में रहते हैं तो बच्चों का एक दूसरे की धार्मिक संस्थाओं के साथ संबंध स्थापित करने पर भी सामाजीकरण होता है।
बालक के समाजीकरण में बाधक तत्व
1. सांस्कृतिक परिस्थितियाँ :-
बालक के समाजीकरण में सांस्कृतिक परिस्थितियां कभी-कभी बाधक होती है जैसे जाती , धर्म , वर्ग आदि से संबंधित पूर्व रूढ़िवादिताएं / पूर्वाग्रह धारणाएं आदि बाधक होती हैं।
2. बाल्यकालीन पारिवारिक परिस्थितियां :-
जैसे :-
माता पिता का प्यार न मिलना ;
माता-पिता के बीच का कलह ;
परिवार का कुंठित वातावरण ;
बच्चों के साथ पक्षपात ;
बच्चों का एकाकीपन ;
अनुचित दंड ;
एकल माता-पिता का होना आदि।
3. तात्कालिक परिस्थितियां :-
जैसे :-
निराशा
अपमान
परिहास
ईर्ष्या – ( भाई-बहन , परिवार , समाज , मित्र )
तुलना आदि।
4. अन्य परिस्थितियां :-
जैसी –
शारीरिक हीनता
निर्धनता
असफलता
शिक्षा की कमी
आत्मविश्वास का अभाव
बेरोजगारी
आत्मनिर्भरता की कमी आदि।
✍️Notes by जूही श्रीवास्तव✍️