✍🏻✍🏻✍🏻Menka patel ✍🏻✍🏻✍🏻

🎆क्रो एंड क्रो के अनुसार —
विशिष्ट प्रकार या विशिष्ट पद किसी गुणांक या उन गुणों से युक्त व्यक्ति पर लागू होता है जिसके कारण वह व्यक्ति साथियों का ध्यान अपनी ओर विशिष्ट रूप से आकृष्ट करता है इससे उसके व्यवहार की अनुक्रिया भी प्रभावित होती है

🎆एस. ए. किर्क के अनुसार —
एक विशिष्ट बालक वह है जो कि शारीरिक मानसिक संवेगात्मक एवं सामाजिक विशेषताओं में किसी सामान्य से उन सीमा तक विचलित होता है जब वह अपनी क्षमताओं के अधिकतम विकास हेतु सहायक निर्देशक विद्यालय कार्यक्रमों में परिमार्जन तथा विशिष्ट शैक्षिक सेवाओं की आवश्यकता रखता है

🌈 सामान्य बालकों से भिन्न विशिष्ट बालकों का वर्गीकृत : —

🍁 जो बालक सामान्य बालक से शारीरिक रूप से भिन्न , मानसिक रूप से विचलित , सामाजिक रुप से विचलित होता है तथा शैक्षिक रूप से भिन्नता होती है वह बालक विशिष्ट बालक होता है

✍🏻 मानसिक रूप से:–
⭐ प्रतिभाशाली बालक ⭐सर्जनात्मक बालक ⭐मंदबुद्धि बालक

🌈 शारीरिक रूप से भिन्न
⭐ सांवेदिक रूप से विकलांग :–
⭐ गति विकलांग: — किसी भी गति कार्य करने में समस्या हूं ना उंगलियों को चलाने में हाथों की गति आदि की गतिय कारण परेशानी

⭐ बहुल विकलांग:-
एक ही बच्चे में बहुत प्रकार की परेशानी जैसे सुनने के साथ बोलने में परेशानी होती है

⭐ शैक्षिक रूप से विशिष्ट:-
अधिगम करने में समस्या होती है बच्चा कुछ भी पढ़ता लिखता है तो वह सही से नहीं कर पाता है
⭐ शैक्षिक रूप से समृद्ध बालक:– सामान्य बालक की तुलना में सीखने की समझ करने की तथा विचार करने में सामंजस की क्षमता अधिक होती है

⭐ शैक्षिक रूप से पिछड़ा पन:- इसमें वह अपने शैक्षिक उपलब्धि से पीछे होते हैं और विचार समाज में सामंजस्य नहीं कर पाते हैं
⭐ किसी विशेष विषय में सीखने के लिए योग्यता रखने वाले बालक:–
यह बालक किसी विशेष मिसाइल में परेशानी होती है इनके किसी एक शैक्षिक उपलब्धता में कमी होती है
⭐संप्रेषण बाधित:– इसमें बच्चे को अपने विचारों को व्यक्त नहीं कर पाते हैं वह संप्रेषण बाधित बालक कहलाते हैं
⭐ सामाजिक रूप से विशिष्ट बालक:– वह बालक जो समाज में सामान्य बालकों की तरह समाज के साथ सामंजस्य मैं परेशानी आती है
⭐ असमायोजित बालक
⭐ वंचित बालक
⭐ समस्यात्मक बालक
⭐ बाल अपराधी
⭐माता-पिता द्वारा तिरस्कृत बालक

⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐


🌟Notes by :- Neha Kumari😊

🌳 क्रो और क्रो के अनुसार :-
विशिष्ट प्रकार या विशिष्ट पद किसी गुणांक या उन गुणों से युक्त व्यक्ति पर लागू होता है,जिसके कारण वह साथियों का ध्यान अपनी ओर विशिष्ट रूप से आकृष्ट करता है इससे उसके व्यवहार की अनुक्रिया भी प्रभावित होती है।

🌳 एस.ए.किर्क के अनुसार :-
एक विशिष्ट बालक वह है जो कि,शारीरिक,मानसिक,संवेगात्मक एवम् सामाजिक विशेषताओं में किसी सामान्य से उन सीमा तक विचलित होता है जब वह अपनी क्षमताओं के अधिकतम विकास हेतु सहायक निर्देशक विद्यालय कार्यक्रमों में परिमर्जन तथा विशिष्ट शैक्षिक सेवाओं की आवश्यकता रखता है।

💫सामान्य बालकों से भिन्न विशिष्ट बालकों का वर्गीकरण :-

✨जो बालक सामान्य बालकों से – शारीरिक रूप से भिन्न,मानसिक और सामाजिक रूप से विचलित तथा शैक्षिक रूप में अन्यों से भिन्न होता है।वह बालक विशिष्ट होता है।

💫मानसिक रूप से विशिष्ट बालक :-
🌟प्रतिभाशाली
🌟सृजनात्मक
🌟 मंद बुद्धि

💫शारीरिक रूप से विशिष्ट बालक :-
🌟 संवेदीक रूप से दिव्यांग
🌟गतिक दिव्यांग
🌟बहुल दिव्यांग

🌟संवेदी रूप से दिव्यांग बालक :- बात -२ पर बिना सोचे – समझे किसी से भी उलझ जाना।

🌟 गातिक दिव्यांग :- किसी भी कार्य को करने,जैसे :- हाथ – पैर,उंगलियों आदि को चलाना/उपयोग करने में गति संबंधी परेशानी होना ही गतीक दिव्यांग होता है।

🌟बहुल दिव्यांग :- एक ही बच्चे में अनेक प्रकार की समस्याएं होना।
जैसे कि :- चलने,सुनने,बोलने,पढ़ने – लिखने आदि में परेशानी होना।

💫शैक्षिक रूप से विशिष्ट बालक :-
🌟शैक्षिक उपलब्धि
🌟किसी विशेष विषय में सीखने की निर्योग्यता रखने वाला
🌟संप्रेषण बाधित बालक

🌟शैक्षिक दिव्यांग :- इसके अन्तर्गत बच्चा कुछ भी पढ़ने – लिखने में परेशानी प्रदर्शित करता है।कुछ भी सही से नहीं कर पाता है।

🌟किसी विशेष विषय में सीखने की निर्योग्यता दर्शाना :-
किसी भी विषय विशेष में सीखने, सोचने – समझने और पढ़ने – लिखने में कठिनाई का अनुभव करना।

🌟संप्रेषण बाधित बालक :-
इसके अन्तर्गत बच्चे अपने भावनाओं को प्रकट, आदान – प्रदान नहीं कर पाते है।

🌳सामाजिक रूप से विशिष्ट बालक :-
🌸सामाजिक रूप से विशिष्ट बालकों में अन्य सामान्य बच्चों के अपेक्षा,समाज में सामंजस्य करने में बाधा उत्पन्न होना।

१. संवेगात्मक रूप से विचलित
२.असमायोजित बालक
३. वंचित बालक
४.समस्यात्मक बालक
५. बाल अपराधी
६.माता – पिता द्वारा तिरष्कृत बालक

🌸🌸धन्यवाद्🌸🌸


✍🏻 Manisha gupta✍🏻

🌸 विशिष्ट बालक की परिभाषा🌸

🎯 क्रो एंड क्रो के अनुसार
‌‌”विशिष्ट प्रकार या विशिष्ट पद किसी गुण या उन गुणों से युक्त व्यक्ति पर लागू होता है ,जिसके कारण वह व्यक्ति साथियों का ध्यान अपनी और विशिष्ट रूप से आकृष्ट करता है जिससे उसके व्यवहार की अनुक्रिया भी प्रभावित होती है।

(अर्थात हर इंसान में कुछ ना कुछ विशिष्ताएं होती हैं जिसके कारण अन्य साथियों का ध्यान उस इंसान की ओर आकृष्ट हो जाता है व्यक्ति अपने किसी न किसी गुण के कारण साथियों या जानने वाले या पहचानने वाले का ध्यान अपनी तरफ आकृष्ट करते हैं।)

🎯 एस. ए .किर्क के अनुसार ‌‌ ‌‌ ''एक विशिष्ट बालक बह है जो कि शारीरिक, मानसिक, संवेगात्मक एवं सामाजिक विशेषताओं में किसी सामान्य बालक से उस सीमा तक विचलित होता है जब वह अपनी क्षमताओं के अधिकतम विकास हेतु सहायता, निर्देशन, विद्यालयी कार्यक्रम में परिमार्जन तथा विशिष्ट शैक्षिक सेवाओं की आवश्यकता रखता है।

(अर्थात यदि सामान्य और विशिष्ट दो बालक हैं और सामान्य बालक से शारीरिक मानसिक संवेगात्मक एवं सामाजिक विशेषताएं की अपेक्षा विशिष्ट बालक में शारीरिक मानसिक संवेगात्मक एवं सामाजिक विशेषताओं में उस सीमा तक बदलाव या विचलित होता है जब विशिष्ट बालकों को सहायता एवं शैक्षिक सेवाओं की जरूरत होती है।)

🎯 सामान्य बालको से भिन्न विशिष्ट बालकों का वर्गीकरण चार प्रकार से किया गया है➖ वे बालक जो सामान्य बालक से शारीरिक रूप से मानसिक रूप से सामाजिक रुप से और शैक्षिक रूप से विचलित होते हैं वह विशिष्ट बालक कहलाते हैं।

1️⃣ शारीरिक रूप से भिन्न

🔻 सांवेदिक रूप से विकलांग➖ ऐसे बालक जो सांवेदिक रूप से विकलांग या सामान्य बालको से भावनाओं से भिन्न होते हैं यह विशिष्ट बालक के अंतर्गत आते हैं।

(जैसे विशिष्ट बालको का बहुत जल्दी परेशान हो जाना और बहुत जल्दी खुश हो जाना इसके अंतर्गत आता है)

🔻 गतिक विकलांग वे बालक जिनमें किसी भी कार्य करने की गति में समस्या( जैसे हाथ, पैर ,उंगलियों को चलाने,लिखने ,चलने, बोलने की समस्या होती है)। विशिष्ट बालक होते हैं।

🔻 बहुल विकलांग➖ एक ही बच्चे में एक से अधिक विकलांगता या एक से अधिक निर्योग्यता होती है तो वह बालक बहुल विकलांग बालक कहलाता है ।
(जैसे एक ही बच्चे में बोलने के साथ सुनने की समस्या होती है।)

2️⃣ मानसिक रूप से विचलित

इसमें प्रतिभाशाली सृजनात्मक एवं मानसिक मंद बालक आते हैं।

प्रतिभाशाली बालक वे होते हैं जिन की बौद्धिक क्षमता है सामान्य बालकों की अपेक्षा अधिक होती है यह जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में विशिष्ट प्रदर्शन करते हैं।

सृजनात्मक बालक सृजनात्मक बालक वे होते हैं जो अपसारी चिंतन करते हैं किसी भी कार्य को करने के लिए अलग-अलग प्रकार से सोचते हैं।

मानसिक मंद बालक मानसिक मंद बालक घर समाज तथा विद्यालय का कार्य नहीं कर पाते हैं मंद बालक सामाजिक परिस्थितियों के साथ समायोजन नहीं कर पाते हैं।

3️⃣ शैक्षिक रूप से भिन्न

शैक्षिक रूप से भिन्न बालक के अंतर्गत शैक्षिक रूप से समृद्ध बालक एवं शैक्षिक रूप से पिछड़ा बालक ,किसी विशेष विषय में सीखने की निर्योग्यता रखने वाला बालक, संप्रेषण बाधित बालक आते हैं। ऐसे बालको में अधिगम संबंधी समस्याएं होती हैं-

🔻 शैक्षिक रूप से समृद्ध बालक➖ इन बालकों में सीखने ,ग्रहण करने, समझने विचार करने, सामंजस्य उच्च स्तर का होता है अर्थात यह बालक किसी भी चीज को बहुत जल्दी सीखने का समझने का गुण रखते हैं इन बालकों में सामंजस्यता उच्च स्तर का होता है।

🔻 शैक्षिक रूप से पिछड़ा बालक➖ शैक्षिक रूप से पिछड़ा बालक वे होते हैं जो कक्षा में किसी तथ्य को बार-बार समझाने पर भी नहीं समझते हैं और औसत बालों को के समान प्रगति नहीं कर पाते हैं इनकी बुद्धि लब्धि थी सामान्य बालकों की बुद्धि लब्धि से कम होती है यह अपने स्कूल जीवन के काल में अपनी कक्षा से नीचे की कक्षा का काम नहीं कर पाते हैं जो उनकी आयु के लिए सामान्य कार्य हो अर्थात यह बालक अपने आयु वर्ग के शैक्षिक उपलब्धि में पीछे होते हैं।

🔻 किसी विशेष विषय में सीखने की निर्योग्यता रखने वाला बालक➖ यह बालक किसी विशेष विषय जैसे गणित अंग्रेजी जैसे किसी भी विशेष विषय में सीखने की निर्योग्यता रखते हैं।

🔻 संप्रेषण बाधित बालक➖ यह बालक अपनी बातों को दूसरों के सामने नहीं रख पाते हैं और दूसरों के विचारों को या बातों को नहीं समझ पाते हैं। यह बालक अपनी बातों को अन्य लोगों के सामने अभिव्यक्त नहीं कर पाते हैं।

4️⃣ सामाजिक रूप से विशिष्ट बालक➖ समाज के अनुरूप व्यवहार ना कर सकने वाले बालक सामाजिक रूप से विशिष्ट बालक कहलाते हैं।

विशिष्ट बालक के अंतर्गत बाल अपराधी, मादक द्रव्य व्यसनी बालक, आदि आते हैं

🌈 संवेगात्मक रूप से विचलित हैं।

🌈 असमायोजित बालक➖ ऐसे बालक समाज के साथ या उनका रहने का जगह भी परिवर्तन होने से वे जल्दी से समायोजित नहीं कर पाते हैं।

🌈 वंचित बालक➖ वंचित बालक जिनमें सामाजिक ,सांस्कृतिक ,आर्थिक विषमता होती है।

🌈 समस्यात्मक बालक➖ समस्यात्मक बालक वह है जो सामान्य वालों को से असाधारण रूप से भिन्न होते हैं इन बालकों का समायोजन परिवार समाज तथा विद्यालय में नहीं हो पाता है जिसके कारण समस्या उत्पन्न करते हैं यह समस्यात्मक बालक होते हैं।

🌈 बाल अपराधी बालक➖ वे बालक जो सामान्य व्यवहार के मानकों से भिन्न व्यवहार करता है और जो समाज के नियमों तथा कानूनों का उल्लंघन करता है वह बाल अपराधी बालक कहलाता है।

🌈 माता-पिता द्वारा तिरस्कृत बालक➖ ऐसे बालक जो माता या पिता के द्वारा तिरस्कृत या छोड़ दिए जाते हैं वे बालक होते हैं।

📚📚 समाप्त📚📚


✍ PRIYANKA AHIRWAR ✍

📖 विशिष्ट बालक 📖

🎯 क्रो और क्रो के अनुसार विशिष्ट बालक की परिभाषा:-
विशिष्ट प्रकार या विशिष्ट पद किसी गुण या उन गुणों से युक्त व्यक्ति पर लागू होता है जिसके कारण वह व्यक्ति एवं अपने साथियों का ध्यान अपनी और विशिष्ट रूप से आकर्षण करता है इससे उसके व्यवहार की अनुप्रिया भी प्रभावित होती है।

🎯 एस. के. किर्क के अनुसार विशिष्ट बालक की परिभाषा:-
एक विशिष्ट बालक वह है, जो कि मानसिक संवेगात्मक शारीरिक एवं सामाजिक विशेषताओं में किसी सामान्य बालक से उस सीमा तक विचलित होता है जब वह अपनी क्षमता के अधिकतम विकास हेतु सहायता निर्देशन विद्यालय कार्यक्रमों में परिमार्जन तथा विशिष्ट शैक्षिक सेवाओं की आवश्यकता रखता है।

🌺 विशिष्ट बालक की सामान्य बालक से भिन्नता🌺

विशिष्ट बालकों का वर्गीकरण समावेशी शिक्षा के अंतर्गत किया गया है। जो कि चार प्रकार के हैं:-

👉 मानसिक रूप से विचलित,
👉 शारीरिक रूप से भिन्न,
👉 शैक्षिक रूप से भिन्न,
👉 सामाजिक रुप से विचलित।

📝 Note:- विचलित का अर्थ:- विचलित से तात्पर्य है, कि जो सामान्य से भिन्न हो वह भिन्नता सकारात्मक भी हो सकती है, और नकारात्मक भी हो सकती है।

🎗 मानसिक रूप से विचलित बालक:-
मानसिक रूप से विचलित बाल को के अंतर्गत निम्न वालों को रखा गया है:-
♦️ प्रतिभाशाली बालक:- वह बालक जिसकी बुद्धि लब्धि 140 से अधिक होती है, उन बालकों को प्रतिभाशाली बालक की श्रेणी में रखा जाता है।

♦️ सृजनशील बालक:- वह बालक जिसकी बुद्धि लब्धि 120 से 139 के बीच होती है उस बालक को सृजनशील बालक की श्रेणी में रखा जाता है।

♦️ मंदबुद्धि बालक:- वह बालक जिसकी बुद्धि लब्धि 80 से 89 होती है उन्हें मंदबुद्धि बालक की श्रेणी में रखा जाता है।

🎗 शारीरिक रूप से भिन्न बालक:- शारीरिक रूप से भिन्न वालों को खूब निम्नलिखित द्वारा व्यक्त किया गया है:-

♦️ सांवेदिग रूप से विकलांग:- वह वाला जो अपने संवेदना हो पर नियंत्रण नहीं रख पाता है।
♦️ गतिय विकलांग:- जब कोई शरीर के भाग मैं किसी भी प्रकार की समस्या हो।
♦️ बहुल विकलांगता:- जब किसी बालक में एक से अधिक निर्योग्यताएं हो।

🎗 शैक्षिक रूप से विशिष्ट बालक:- शैक्षिक निष्पादन में सामान्य बच्चों से भिन्न हो:-

♦️ शैक्षिक रूप से समृद्ध बालक:- इन बालकों की सीखने की, ग्रहण करने की, समझने की एवं विचारों का जो समन्वय या सामन्जस होता है, वे उच्च स्तर का होता हैं।
♦️ शैक्षिक रूप से पिछड़ापन:- वह वाला जो अपने आयु वर्ग से शैक्षिक उपलब्धि में पीछे होते हैं, वह शैक्षिक रूप से पिछड़ेपन की श्रेणी में आ जाते हैं। इसके अंतर्गत वालों को को भी रखा जा सकता है जो अपने वर्ग के बालक को से 1 या 2 वर्ष भी पिछड़े हैं।

♦️ विशेष विषय की निर्योग्यता:- किसी विशेष विषय में सीखने के निर्योग्यता रखने वाला बालक इस श्रेणी में आता है। उस विशेष विषय को समझने में अक्षमता होती है।
♦️ संप्रेषण बाधित बालक:- उन वाला को किस श्रेणी में रखा जाता है, जो कि अपनी बातों को अन्य व्यक्तियों को समझा नहीं पाते हैं, और ना ही अन्य व्यक्ति की बातों को समझ पाते हैं।

🎗 सामाजिक रुप से विचलित बालक:- सामाजिक रुप से विचलित वालों को को निम्नलिखित रुप से व्यक्त किया गया है:-
♦️ संवेगात्मक रूप से विचलित बालक:- वह बालक जो अपने संवेगो पर नियंत्रण तो नहीं रख पाता है, या उसका संवेगात्मक स्तर अन्य बालकों से भिन्न होता है।
♦️समायोजित बालक:- वह बालक जो परिस्थिति के अनुसार समायोजन नहीं कर पाता है।
♦️ वंचित बालक:- वंचित बालक के अंतर्गत वह बालक आते हैं,जो सामाजिक रूप से वंचित होते हैं, आर्थिक रूप से वंचित होते हैं, एवं सांस्कृतिक रूप से भी वंचित होते इन सभी को इस श्रेणी में रखा गया है।
♦️ समस्यात्मक बालक:- वह बालक जो किसी ना किसी स्थिति में किसी कारणवश समस्या उत्पन्न करते हैं, यह समस्या से ग्रसित रहते हैं, वह सभी समस्यात्मक बालक होते हैं।
♦️ बाल अपराधी:- वह बालक जो 18 वर्ष से कम उम्र में किसी भी प्रकार का असामाजिक एवं गैर कानूनी कार्य करते हैं, वह अपराधी बालक होते हैं।
♦️ माता-पिता द्वारा तिरसष्कृत बालक:- वह बालक जिन बालको को अपने माता-पिता एवं अभिभावकों द्वारा अवेहलना का सामना करना पड़ता है, या उन्हें उनके द्वारा तिरस्कृत किया जाता है, वह श्रेणी में आते हैं। 📗 समाप्त 📗

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Date 21/10/2020 Nots by sanu sanwle 🔷 विशिष्ट बालक =definition🔷

🔘 क्रो एंड क्रो के अनुसार

🔹 विशिष्ट प्रकार या विशिष्ट पद किसी गुण
या उन गुणों से युक्त व्यक्ति पर लागू होता है
जिसके कारण वह व्यक्ति साथियों का ध्यान अपनी और विशिष्ट रूप से आकर्षित करता है
इससे उनके व्यवहार की अनुप्रिया भी प्रभावित होती है

🔘 एस .ए .किर्क के अनुसार

🔹 एक विशिष्ट बालक वह बालक है जो कि शारीरिक .मानसिक .संवेगात्मक. एवं सामाजिक .विशेषताओं में किसी सामान्य बालक से उस सीमा तक विचलित होता है
जब वह अपने क्षमताओं के अधिकतम विकास हेतु सहायक निर्देशन विद्यालयों कार्यक्रम में परिमार्जिन तथा विशिष्ट शैक्षिक सेवाओं की आवश्यकता रखता है

🔘 विशिष्ट बालकों का वर्गीकरण

1 मानसिक रूप से भिन्न बालक

2 शारीरिक रूप से भिन्न बालक

3 सामाजिक रुप से भिन्न बालक

4 शैक्षिक रूप से भिन्न बालक

🔘 मानसिक रूप से भिन्न बालक

🔹 मानसिक रूप से या तो बहुत ज्यादा IQ वाले बच्चे या बहुत कम IQ वाले बच्चे मानसिक रूप से भिन्न होते हैं
जैसे – सर्जनात्मक बालक , मंदबुद्धि बालक , प्रतिभाशाली बालक आदि

🔘 शारीरिक रूप से भिन्न बालक

🔹ऐसे बालक जो शारीरिक रूप से किसी ना किसी तरह से विकलांग है

1 सांवेदिक रूप से विकलांग बालक

🔹ऐसे बालक जो दु:खी होने पर हंसते हैं और खुशी में रोते हैं यह किसी भी तरह से संवेदन नहीं कर पाते हैं

2 गतिय विकलांग बालक

🔹शारीरिक रूप से आने वाली परेशानी जैसे – हाथ , पैर , कान , आंख , से कुछ भी गति नहीं कर पाना , किसी भी तरह से गति करने में असमर्थ जैसे आंख का झपकना ,कान से सुनना, हाथ से कार्य करना , पैर से चलने आदि गति करने में असमर्थ बालक

3 बहुल विकलांग बालक

🔹एक एक बहुल विकलांग बालक जो एक से अधिक शारीरिक निर्योग्यता इस प्रकार की इन्द्रिय अपंगता, जैसे-अन्धापन और गूंगापन अथवा अन्धापन-बहरापन से पीड़ित है, सबसे अधिक बहुबाधित बालकों  के लक्षण हैं ये सामान्य बालक से भिन्न होते हैं।

🔘 सामाजिक रुप से भिन्न बालक

🔹ऐसे बालक जो समाज से किसी ना किसी तरह से भिन्न होते हैं जैसे –

1 संवेगात्मक रूप से भिन्न बालक

🔹ऐसे बालक जो संवेग में किसी भी तरह से विचलित हो जाते हैं
किसी परिस्थिति आने पर रो पढ़ना , भय से भागना, ऐसे बालक में संवेग होने के कारण अनेक दोष आ जाते हैं

2 असमायोजित बालक

🔹ऐसे बालक जो अपने वातावरण में किसी भी तरह से समायोजन नहीं कर पाते हैं जैसे माता-पिता ,घर ,परिवार , दोस्त , विद्यालय, समाज आदि में समायोजन करने में कठिनाई अनुभव करते हैं

3 वंचित बालक

🔹जो बालक सामाजिक रूप से ,आर्थिक रूप से, सांस्कृतिक रूप से किसी ना किसी तरह वंचित रह गये है ऐसे बच्चे वंचित बच्चे कहलाते हैं

4 समस्यात्मक बालक

🔹समस्यात्मक बालक ऐसे बालक होते हैं जो समाज में समस्या उत्पन्न करते हैं जैसे मारपीट करना लड़ाई झगड़ा करना , स्कूल से भाग जाना , टीचर को उल्टे सीधे बोलना, क्लास में बच्चों को परेशान करना , घर परिवार में कलह करना , कार्य करने में भी समस्या उत्पन्न करना ऐसे बालक समस्यात्मक बालक होते हैं

5 अपराधी बालक।

🔹अपराधी बालक जो कम उम्र में ऐसे कार्य करता जो कानून का उल्लंघन करता है
देश पूरे को शर्मसार करने वाले बालक, देशद्रोही, किसी की हत्या करना, गोली मारना, समाज में किसी न किसी तरह की समस्या उत्पन्न करना अपराधी बालक की श्रेणी में आते हैं

6 माता-पिता द्वारा तिरस्कार बालक

🔹जो बालक घर परिवार में किसी का कहना नहीं मानता उल्टे काम करता हो इस तरह के बालक घर परिवार से तिरस्कार कर दिया जाता है


👨‍💼 विशिष्ट बालक👨‍💼

🕵️‍♂️क्रो एंड क्रो के अनुसार➡️
विशिष्ट प्रकार या विशिष्ट पद किसी गुणांक या उन गुणों से युक्त व्यक्ति पर लागू होता है जिसके कारण वह व्यक्ति साथियों का ध्यान अपनी ओर विशिष्ट रूप से आकृष्ट करता है इससे उसके व्यवहार की अनुक्रिया भी प्रभावित होती है

🕵️‍♂️एस. ए. किर्क के अनुसार➡️
एक विशिष्ट बालक वह है जो कि शारीरिक मानसिक संवेगात्मक एवं सामाजिक विशेषताओं में किसी सामान्य से उन सीमा तक विचलित होता है जब वह अपनी क्षमताओं के अधिकतम विकास हेतु सहायक निर्देशक विद्यालय कार्यक्रमों में परिमार्जन तथा विशिष्ट शैक्षिक सेवाओं की आवश्यकता रखता है

🌺सामान्य बालकों से भिन्न विशिष्ट बालकों का वर्गीकृत🌺

🌱 जो बालक सामान्य बालक से शारीरिक रूप से भिन्न , मानसिक रूप से विचलित , सामाजिक रुप से विचलित होता है तथा शैक्षिक रूप से भिन्न होता है वह बालक विशिष्ट बालक है

🖊️मानसिक रूप से:-
1.प्रतिभाशाली बालक:-ऐसे बालक जिनकी बुद्धि लब्धि 140 से ऊपर होते हैं प्रतिभाशाली बालकों की श्रेणी में आते हैं।

2.सरजनात्मक बालक:-ऐसे बालक जिनकी बुद्धि लब्धि 120 से 139 के बीच होती है सृजनात्मक बालकों की श्रेणी में आते हैं।

  1. मंदबुद्धि बालक:-ऐसे बालक जिनकी बुद्धि लब्धि 80 से 89 के बीच होती है मंदबुद्धि बालक ओं की श्रेणी में आता है।

✨ शारीरिक रूप से भिन्न✨
🔅सांवेदिक रूप से विकलांग :-ऐसा बालक जो अपनी संवेदनाओं को नियंत्रित नहीं कर पाता है संवेदक रूप से विकलांग बालकों की श्रेणी में आता है।

🔅गति विकलांग: — कोई भी गतिक कार्य करने में समस्या होती है जैसे उंगलियों को चलाने में हाथों की गति आदि में गतिक परेशानी होने पर हम उस बालक को गति विकलांगता मैं रखेंगे।

🔆 बहुल विकलांगता:-
एक ही बच्चे में बहुत प्रकार की समस्याएं जैसे सुनने के साथ बोलने में परेशानी होती है ऐसे बालक को हम बाहुली विकलांग बालक कह सकते हैं।

🔆 शैक्षिक रूप से विशिष्ट:- बालक को शैक्षिक अधिगम करने में समस्या होती है बच्चा कुछ भी पढ़ना लिखना चाहता ह है तो वह सही से नहीं सीख पाता है।

🔆शैक्षिक रूप से समृद्ध बालक:-ऐसे बानापुरा सामान्य बालक की तुलना में सीखने की समझ क्षमता तथा विचार करने में सामंजस करने की क्षमता अधिक होती है।

🔆शैक्षिक रूप से पिछड़ापन:-ऐसी स्थिति में बालक शैक्षिक उपलब्धि से पीछे होता है तथा समाज में सामंजस्य बैठाने में उस बालक को कठिनाई आती है।

🔆किसी विशेष विषय में सीखने के लिए योग्यता रखने वाले बालक:-ऐसी स्थिति में बालक किसी विशेष में विषय में परेशान रहता है जिससे किसी एक शैक्षिक उपलब्धता में कमी रहती है।

🔆संप्रेषण बाधित:- ऐसा बालक जो अपने विचारों को व्यक्त नहीं कर पाता हैं वह संप्रेषण बाधित बालक कहलाता है।

🔆सामाजिक रूप से विशिष्ट बालक:-ऐसा बालक जो समाज में सामान्य बालकों की तरह समाज के साथ सामंजस्य नहीं कर पाता है उस बालक को सामाजिक रूप से विशिष्ट बालक कहा जाता।

🔅असमायोजित बालक:-ऐसे बालक जो समाज में उनके रहने के स्थान में परिवर्तन होने से खुद को समायोजित नहीं कर पाते हैं आसमायोजित बालकों की श्रेणी में आते हैं।

🔅 वंचित बालक:- ऐसे पालक जो सामान्य वालों को अलग होते हैं वंचित बालक कहलाते हैं।

🔅समस्यात्मक बालक:- ऐसी बालक जो अन्य बालकों की अपेक्षा बहुत हद तक अलग होते हैं तथा जो समाज बा मित्र तथा विद्यालय के वातावरण के साथ समायोजन नहीं कर पाते हैं जिसके कारण बहुत सी समस्याएं उत्पन्न होती हैं ऐसे बालकों को समस्यात्मक बालक कहते हैं

🔅बाल अपराधी:-ऐसे बालक जो किसी भी नियम कानून को नहीं मानते तथा उन नियम और कानूनों का उल्लंघन करते हैं बाल अपराधी बालक कहलाते हैं।

🔅माता-पिता द्वारा तिरस्कृत बालक:- ऐसे बालक जो उनके माता-पिता द्वारा छोड़ दिए गए हो माता-पिता द्वारा तिरस्कृत बालकों की श्रेणी में आते हैं। 🖊️🖊️ RAZIYA kHAN🖊️🖊️


By Vandana Shukla

🚹 विशिष्ट बालक 🚹

परिभाषा

🍁 क्रो एंड क्रो
विशिष्ट प्रकार या विशिष्ट पद किसी गुण या उन गुणों से युक्त व्यक्ति पर लागू होता है जिसके कारण व्यक्ति साथियों का ध्यान अपनी और विशिष्ट रूप से आकृष्ट करता है इससे उसके व्यवहार की अनुक्रिया भी प्रभावित होती है

  • क्रो एंड क्रो ने विशिष्टता को विफलता नहीं बताया है।
  • उन्होंने विशिष्टता को सकारात्मक तरीके से बताया है। – उन्होंने कहा कि अगर किसी के पास कुछ अलग से बात या पद है जो उसके समूह में अन्य के पास नहीं है तो वह विशिष्ट है या उसकी विशेषता है जो उसे दूसरों से भिन्न करती है।

🍁 एस ए क्रिर्क
एक विशिष्ट बालक वह है जो किसी शारीरिक मानसिक संवेगात्मक एवं सामाजिक विशेषताओं में किसी सामान्य बालक से उस सीमा तक विचलित होता है जब तक वह अपनी क्षमताओं के अधिकतम विकास हेतु सहायता निर्देशन विद्यालय कार्यक्रम में परिमार्जन तथा विशिष्ट शैक्षिक सेवाओं की आवश्यकता रखता है।

🌟 समावेशी शिक्षा के अंतर्गत विशिष्ट बालकों का वर्कर वर्गीकरण निम्न प्रकार से है
सामान्य बालक से
1️⃣ मानसिक रूप से विचलित
2️⃣ शारीरिक रूप से भिन्न
3️⃣सामाजिक रुप से विचलित
4️⃣शैक्षिक रूप से भिन्न

🌸 मानसिक रूप से विचलित
इस श्रेणी में -: प्रतिभाशाली
-: सृजनात्मक
-: मंदबुद्धि बालक आते हैं ।
सामान्य बालको की तुलना में यह बालक या तो बहुत अधिक विचलित होते हैं या कम विचलित होते हैं।

🌸 शारीरिक रूप से भिन्न

शारीरिक शारीरिक रूप से भिन्न में अगर कोई व्यक्ति बहुत सुंदर है तो उसे विशिष्ट नहीं कहेंगे लेकिन अगर कोई शारीरिक रूप से किसी कार्य को करने में सक्षम नहीं है तो उसे विशिष्ट कहेंगे।

1️⃣ सांवेदिक रूप से विकलांग
सांवेदिक – संवेदना
हमारे शरीर को जो संवेदना मिलती है उसका एक्शन हमारे शरीर द्वारा ही प्रकट होता है।
जैसे कोई खुश होता है तो हंसता है दुखी होता है तो रोता है आदि।

अपने शरीर में अगर संवेदना का एहसास नहीं होता है तो वह साम्वेदिक रूप से विशिष्ट होंगे या भिन्न होंगे ।
हमारे शरीर में गति क्रियाएं हाथ पैर के मूवमेंट आदि संवेदना के द्वारा ही होते हैं जैसे हाथ जब अग्नि को स्पर्श करते ही अपने रिफ्लेक्स एक्शन के द्वारा जलन का एहसास होता है हम हाथ पीछे करते हैं और उस जलन से रोते हैं सामान्य बालको द्वारा इस तरह की क्रिया का प्रदर्शन होगा लेकिन ऐविशिष्ट बालक तुरंत अपना हाथ पीछे नहीं हटा पाएंगे और उस संवेदना को नहीं महसूस करेंगे और ना ही जलन से रोएंगे। संवेदनहीनता का प्रदर्शन करेंगे।

2️⃣ गतिक विकलांग
इस प्रकार के बालकों को गति करने में कठिनाई होती है।
किसी भी प्रकार की शारीरिक गति जैसे हाथ पैरों को आगे पीछे करना घुमाना हाथों के द्वारा किए गए कार्य आदि को करने में कठिनाई महसूस करें या असमर्थता हो तो उसे विशिष्ट बालक कहेंगे।

3️⃣ बहुल विकलांग
बहुल विकलांग श्रेणी में ऐसे बालक आते हैं जिसमें 1 से अधिक विकलांगता हो जैसे मूकबधिर । जो बोलने में एवं सुनने में असमर्थ हो।
ऐसे बालक जो एक समय में दो क्षेत्र में विकलांग हो बहुल विकलांग में आते हैं।

🌸 शैक्षिक रूप से भिन्न
वह बालक जो शैक्षिक निष्पादन या योग्यता में सामान्य बालक से भिन्न होते हैं।
शैक्षिक निष्पादन – शिक्षा अधिगम कुछ सीखना है उसमें वह सामान्य बच्चों से अलग होते हैं।

1️⃣ शैक्षिक रूप से समृद्ध बालक
सामान्य बालक की तुलना में अगर कोई बालक शिक्षा में ज्यादा अच्छा है, ज्यादा अच्छा पड़ता है थोड़े समय में ही या एक बार में ही समझ जाता है विशिष्ट बालक कहलाते हैं। ऐसे बालक जो कि शैक्षिक रूप से समृद्ध बालक है, इनके सीखने की, ग्रहण करने की, समझने की विचारों के समन्वय की क्षमता उच्च स्तर की होती है। सामंजस्य करने की क्षमता अधिक/ उच्च स्तरीय होती है।

2️⃣ शैक्षिक रूप से पिछड़ापन
वह बालक जो सामान्य बालक से शैक्षिक रूप से पीछे हो या अपने आयु के हिसाब से उसी आयु के सामान्य बालक से पीछे हैं तो विशिष्ट बालक की श्रेणी में आते हैं ।शैक्षिक रूप से पिछड़े हुए बालक।

3️⃣ किसी विशेष विषय में सीखने की निर्योग्यता रखने वाला बालक
इस श्रेणी में ऐसे बालक आते हैं जो किसी एक विषय में निर्यो्ग्य होते हैं सभी विषय में नहीं ।
एक खास विषय में निर्योग्यता होती है बाकी विषय सही रहते हैं।

4️⃣ संप्रेषण बाधित बालक
इस श्रेणी में ऐसे बालक आते हैं जो किसी दूसरे की कही गई बात को ना तो स्वयं समझ पाते हैं और ना ही किसी दूसरे को संप्रेषित कर पाते हैं।
ऐसे बच्चे ना तो स्वयं बोल पाते हैं ना ही समझ पाते हैं

problem in communication

🌸 सामाजिक रूप से विशिष्ट बालक

1️⃣ संवेगात्मक रूप से विचलित
ऐसे बालक जो अचानक ही खुश हो जाते हैं या गुस्सा हो जाते हैं। अपने संवेग को नियंत्रण में नहीं रख पाते।

2️⃣ आसमायोजित बालक
वह बालक जो स्थिति के अनुरूप समायोजन नहीं कर पाते हैं।अलग-अलग वातावरण में अपने आप को स्थिर नहीं रख पाते और उस वातावरण के अनुकूल क्रियाएं नहीं कर पाते।

3️⃣ वंचित बालक
यह बालक सामाजिक आर्थिक सांस्कृतिक रूप से वंचित होते हैं। सामान्य से भिन्न स्तर पर होते हैं।

4️⃣ समस्यात्मक बालक
ऐसे बालक जो हमेशा किसी ना किसी समस्या में रहते हैं। वह चोरी करते हैं, झूठ बोलते हैं, मारपीट करते हैं, स्कूल से भाग जाते हैं ,कक्षा में बैठे-बैठे ही शरारती करने लगते हैं ,अपने बड़ों का आदर नहीं करते हैं आदि ।

5️⃣ बाल अपराधी
कम उम्र में ही इल्लीगल कार्य करने लगते हैं , कानून की अवहेलना, विध्वंस कारी कार्य में शामिल हो जाते हैं समाज में गलत चीजें करते हैं नशाखोरी आदि।

6️⃣ माता-पिता द्वारा तिरस्कृत बालक

माता पिता के द्वारा जब बालक का ध्यान नहीं रखा जाता है या माता-पिता बार-बार बच्चे को डांटते हैं, उससे स्नेह नहीं करते हैं। उसे अकेले छोड़ देते हैं तो बालक को अकेला महसूस करता है और उसे लगता है कि उसके माता-पिता द्वारा उसका तिरस्कार हो रहा है आदि।
ऐसे बालक नकरात्मक हो जाते हैं, डिमोटिवेट होते हैं , और विशिष्ट की श्रेणी में आते हैं।

🍀 धन्यवाद 🍀


✍🏻Notes By-Vaishali Mishra

🔆 विशिष्ठ बालकों के संदर्भ में कुछ मनोवैज्ञानिकों के कथन

🔹 क्रो एंड क्रो के अनुसार➖
विशिष्ट प्रकार या विशिष्ट पद किसी गुण या गुणों से युक्त व्यक्ति पर लागू होता है जिसके कारण वह व्यक्ति साथियों का ध्यान, अपनी और विशिष्ट रूप से आकर्षित करता है इससे उसके व्यवहार की अनुक्रिया प्रभावित होती है।

🔹 एस. ए. क्रिक के अनुसार➖

एक विशिष्ट बालक वह है जो कि शारीरिक, मानसिक ,संवेगात्मक एवं सामाजिक विशेषताओं में किसी सामान्य बालक से उस सीमा तक विचलित होता है जब वह अपनी क्षमताओं के अधिकतम विकास हेतु सहायता निर्देशन विद्यालय कार्यक्रम में परिमार्जित तथा विशिष्ट शैक्षिक सेवाओं की आवश्यकता रखता है।

🔆 समावेशी शिक्षा के अंतर्गत सामान्य बालकों का वर्गीकरण चार प्रकार से किया गया है।

1 मानसिक रूप से विचलित बालक
2 शारीरिक रूप से विचलित बालक
3 शैक्षिक रूप से विचलित बालक
4 सामाजिक रूप से विचलित बालक

🔅 1 मानसिक रूप से विचलित बालक➖
यह बालक सामान्य बालकों से भिन्न होते हैं । यह भिन्नता कम या ज्यादा हो सकती है।
सामान्य बालकों से यह काफी अलग और किसी न किसी रूप में विचलित होते हैं।
यह विचलन या भिन्नता कई कारणों से हो सकती है। जैसे –
▪️प्रतिभाशाली। ▪️सृजनात्मकता
▪️*मंदबुद्धि

🔅 2 शारीरिक रूप से विचलित या भिन्न बालक➖ जो बालक शारीरिक रूप से किसी ना किसी समस्या से ग्रस्त हैं यह समस्या किसी भी रूप में हो सकती है जैसे-

▪️*समंवेदिक रूप से विकलांग – संवेदना , जो हमारे शरीर से मिलती है या उसकी क्रियाएं हमारे शरीर के अंगों से ही दिखाई देती है जब किसी परिस्थिति में हम हंसते या रोते या संवेग व्यक्त करते हैं तो वह एक प्रकार की समंवेदिक संवेदना ही है।
हमारे शरीर के अंग हमारी संवेदना के अनुसार ही कार्य करते हैं जैसे चोट लगने पर दर्द होने लगता है और उस दर्द को शारीरिक रूप से हम प्रकट करते हैं।
कई बच्चे ऐसे होते हैं जो उन संवेदना को किसी ऐसी परिस्थिति में उस सवेदना को व्यक्त नहीं कर पाते हैं।

▪️*गतिय विकलांगता ➖ इस तरह के बालकों गति करने में समस्या आती है।
यह समस्या शरीर के किसी भी अंग से हो सकती है।
हम शरीर के अंगों के द्वारा ही गति करके किसी कार्य को पूरा करते हैं।

▪️*बहुल विकलांग➖ एक ही बच्चों में अलग-अलग प्रकार की विकलांगता।
जैसे किसी बालक को यदि सुनाई नहीं देता है और साथ ही साथ दिखाई भी नहीं देता है तो वह बहुल विकलांगता की श्रेणी में आते है।
जैसे कोई व्यक्ति किसी रोग से ग्रस्त है और उस रोग के द्वारा शरीर से अलग-अलग प्रकार की क्रियाएं कर रहा है वह वे बालक बहुल विकलांग की श्रेणी में आएंगे।

🔅 3 शैक्षिक रूप से विचलित या भिन्न बालक➖
यह वह बालक होते हैं जो शैक्षिक निष्पादन या योग्यता में सामान्य बालकों से भिन्न होते हैं। जैसे

▪️* शैक्षिक रूप से समृद्ध बालक – जिन बालकों में सीखने या ग्रहण करने, समझने और विचारों का, जो सामंजस्य होता है और वह उच्च स्तर का होता है।
जब किसी बच्चे के पास रचनात्मकता, सीखना या ग्रहण करने की क्षमता, समझना और विचार की योग्यता है लेकिन उसका सामजश्य या समन्वय ठीक रूप से नहीं कर पाते तो वह शैक्षिक रूप से समृद्ध बालक कहलाते हैं।
सभी व्यक्ति के अलग-अलग विचार, अलग-अलग सीखने की क्षमता होती है।
यदि हमारे पास जो उच्च समझ, विचार और सीखने की क्षमता है लेकिन हम उसे किसी परिस्थिति के साथ, दूसरों के विचारों के साथ सामंजस्य करना नहीं आता है तो इस परिस्थिति में हमारा ज्ञान घातक भी हो जाता है या हमारे लिए उपयोगी नहीं रहता।

▪️*शैक्षिक रूप से पिछड़ापन ➖
शैक्षिक उपलब्धि में पीछे ।
यदि शैक्षिक रूप से एक दो साल भी पीछे हैं तो वह भी इस श्रेणी में आते हैं।
जैसे यदि कोई छात्र आठवीं कक्षा का है लेकिन वह छठवीं कक्षा के विषय को ही समझ सकता है आठवीं को नहीं तब वह बालक शैक्षिक रूप से पिछड़े बालक की श्रेणी में आएगा।

▪️*किसी विशेष विषय में सीखने की निर्योग्यता रखने वाले बालक ➖
यह बालक किसी विशेष विषय को सीखने में कठिनाई का अनुभव करते हैं।
जैसे कई छात्रों को गणित, अंग्रेजी विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, या किसी भी प्रकार के विषय में कठिनाई का अनुभव होता है।

▪️*संप्रेषित बाधित बालक➖ऐसे बालक जो दूसरों की बातों को ना तो खुद समझ पाते हैं और ना ही अपनी बातों को दूसरों को समझा पाते हैं,
संप्रेषित बाधित बालक कहलाते हैं।

🔅 4 सामाजिक रुप से भिन्न या विचलित बालक
▪️*संवेगात्मक रूप से विशिष्ट बालक➖किसी परिस्थिति में किसी भी संवेग से जैसे हंसने, रोने गुस्सा होने से।

▪️*असमायोजित बालक➖किसी भी परिस्थिति में समायोजन यह समन्वय नहीं कर पाते हैं।

▪️*वंचित बालक➖वे वाला जो किसी परिस्थिति में सामाजिक आर्थिक और सांस्कृतिक रूप से वंचित है या उनकी कमी है।

▪️*समस्यात्मक बालक➖ किसी न किसी रूप में कोई समस्या होती है जैसे चोरी करना, झूठ बोलना,झगड़ा करना, स्कूल से भाग जाना ,कक्षा में परेशान करना।

▪️*बाल अपराधी बालक➖वह वाला जो कम उम्र में ही कानून की अवहेलना करने लगते हैं।
जैसे आतंकवादी, नशा सामग्री को बेचना या समाज के प्रति कुछ गलत कार्य करना।

▪️*माता-पिता द्वारा तिरस्कृत बालक➖ यह बालक जिनका माता-पिता द्वारा तिरस्कार किया जाता है या हम कह सकते है वे बालक जब किसी कार्य को करते है तब उनकी माता द्वारा तिरस्कार किया जाता है।


✍notes by
LAXMI PATLE

🤷‍♂️ विशिष्ट बालक की परिभाषा🤷‍♀️

📌 क्रो एंड क्रो के अनुसार:-

‌‌”विशिष्ट प्रकार या विशिष्ट पद किसी गुण या उन गुणों से युक्त व्यक्ति पर लागू होता है ,जिसके कारण वह व्यक्ति साथियों का ध्यान अपनी ओर विशिष्ट रूप से आकृष्ट करता है, इससे उसके व्यवहार की अनुक्रिया भी प्रभावित होती है”।

(अर्थात् हर व्यक्ति में कुछ ना कुछ अलग बात या गुण होता है जिसके कारण उसके आसपास के अन्य साथियों का ध्यान उसकी ओर आकर्षित हो जाता है।इस अनचाहे ध्यान के कारण व्यक्ति व्यवहार एवं क्रियाकलाप पर असर पड़ता है। )

📌 एस. ए .किर्क के अनुसार:-

‌‌ ‌‌ ”एक विशिष्ट बालक वह है जो कि शारीरिक, मानसिक, संवेगात्मक एवं सामाजिक विशेषताओं में किसी सामान्य बालक से उस सीमा तक विचलित होता है जब वह अपनी क्षमताओं के अधिकतम विकास हेतु सहायता, निर्देशन, विद्यालयी कार्यक्रम में परिमार्जन तथा विशिष्ट शैक्षिक सेवाओं की आवश्यकता रखता है।

(यदि किन्ही दो बालकों में से किसी एक बालक को मानसिक, शारीरिक, संवेदनात्मक एवं सामाजिक विशेषताओं के लिए , दूसरे बालक के अपेक्षा अतिरिक्त सुविधा या शैक्षिक सेवा की जरूरत पड़ती है अथवा उसे एक विशेष परिमार्जन की आवश्यकता पड़ती है तब वह बालक विशिष्ट बालक कहलायेगा।)

यह विशिष्टता किसी भी जाति,वर्ग,संप्रदाय,धर्म,राष्ट्र आदि के व्यक्तियों में पाई जा सकती हैं। यह विशिष्टता वंशानुक्रम , वातावरण या जन्म एवं कभी-कभी दोनों के साथ संयोजन का परिणाम होती है।

🔴 विशिष्ट बालकों का वर्गीकरण:-

विशिष्ट बालकों को, सामान्य बालकों से भिन्नता अथवा उनकी विशिष्टता की प्रकृति के आधार पर अलग-अलग तरह से वर्गीकृत किया गया है, इसे निम्नलिखित चार वर्गों में बांटा जा सकता है:-

1️⃣ शारीरिक रूप से विशिष्ट बालक:-

शारीरिक रुप से विशिष्ट बालक के अंतर्गत वह बालक आता है, जिनमें किसी भी प्रकार की शारीरिक अक्षमता एवं अयोग्यताएं होती हैं। जिसके कारण वह सामान्य बालकों के तरह प्रचलित सुविधाओं का लाभ नहीं उठा पाते। अर्थात् उन्हें अपना काम करने के लिए किसी विशेष सहायक या सहयोग की आवश्यकता होती है।
इन्हें तीन उपवर्गों में विभाजित किया जा सकता है:-

➡️ सांवेदिक रूप से विकलांग:-

ऐसे बालक जो सांवेदिक रूप से विकलांग अर्थात् सामान्य बालको से संवेदनाओं से भिन्न होते हैं वे विशिष्ट बालक के अंतर्गत आते हैं।
जैसे:- जन्मांध,कमजोर दृष्टि वाले,श्रवण बाधित,ऊंचा सुनने वाले ,देर से बोलने वाले या गूंगे आदि।

➡️ गतिय विकलांग:-

वे बालक जिनमें किसी भी कार्य करने की गति में समस्या( हाथ, पैर ,उंगलियों को चलाने,लिखने ,चलने, बोलने की समस्या होती है) विशिष्ट बालक के अंतर्गत आते हैं।
जैसे:- पोलियो ग्रस्त, लकवा ग्रस्त, किसी दुर्घटना के कारण आयी पूर्ण या आंशिक क्षति वाले गति अंग इत्यादि।

➡️ बहुल विकलांग:-

एक ही बच्चे का एक से अधिक निर्योग्यता से ग्रस्त होना, बहुल विकलांगता कहलाता है ।
(जैसे:- एक ही बच्चे में बोलने के साथ सुनने की समस्या होना, मिर्गी पैराटलिजिया,सेरिवल- पाल्सी आदि रोगों से ग्रस्त।

2️⃣ मानसिक रूप से विशिष्ट बालक:-

इसमें असामान्य बौद्धिक क्षमताओं वाले बालकों जैसे प्रतिभाशाली सृजनात्मक एवं मानसिक मंद बालक आते हैं।

➡️ प्रतिभाशाली बालक:-

वे बालक जिनकी बौद्धिक क्षमता सामान्य बालकों की अपेक्षा अधिक होती है।यह विलक्षण बुद्धि वाले या जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले बालक होते हैं। उनकी बुद्धि लब्धि 120 से अधिक होती है।

➡️ सृजनात्मक बालक:-

सृजनात्मक बालक वे होते हैं, जो नए खोज करते हैं तथा वांछित वस्तुओं के उत्पादन की क्षमता रखते हैं, नए अपसारी चिंतन करते हैं। किसी भी कार्य को करने के लिए अलग-अलग प्रकार से सोचते हैं। यह औसत बुद्धि वाले बच्चे भी हो सकते हैं।

➡️ मानसिक मंद बालक:-

इनकी बुद्धि लब्धि औसत से कम होती है ।मानसिक मंद बालक घर,समाज तथा विद्यालय का कार्य सही से नहीं कर पाते हैं। मंद बुद्धि बालक सामाजिक परिस्थितियों के साथ समायोजन नहीं कर पाते हैं।

3️⃣ शैक्षिक रूप से विशिष्ट बालक:-

शैक्षिक रूप से भिन्न बालक, शैक्षिक निष्पादन या योग्यता में सामान्य बालकों की तुलना में भिन्न होते हैं।इन्हें निम्न वर्गों में वर्गीकृत किया जा सकता है:-

➡️ शैक्षिक रूप से समृद्ध बालक:-

इन बालकों का शैक्षिक स्तर सामान्य बालकों की तुलना में काफी अच्छा होता है। इन बालकों में सीखने ,ग्रहण करने, समझने विचार करने, सामंजस्य बिठाना उच्च स्तर का होता है अर्थात यह बालक किसी भी चीज को बहुत जल्दी सीखने का समझने का गुण रखते हैं।

➡️ शैक्षिक रूप से पिछड़ा बालक:-

शैक्षिक रूप से पिछड़ा बालक वे होते हैं जो कक्षा में किसी तथ्य को बार-बार समझाने पर भी नहीं समझते हैं, और सामान्य बालकों के समान प्रगति नहीं कर पाते हैं। इनकी बुद्धि लब्धि भी सामान्य बालकों की बुद्धि लब्धि से कम होती है। यह बालक अपने आयु वर्ग के बालकों से शैक्षिक उपलब्धि में पीछे रहते हैं।

➡️ किसी विशेष विषय में सीखने की निर्योग्यता रखने वाला बालक:-
यह बालक किसी विशेष विषय को सीखने में कठिनाई का अनुभव करते हैं। जैसे गणित,विज्ञान,अंग्रेजी भाषा इत्यादि। इसमें ऐसा जरूरी नहीं कि वह अन्य विषयों में अच्छा ना हो।

➡️ संप्रेषण बाधित बालक:-

वे बालकजो अपनी बातों को दूसरों के सामने नहीं रख पाते हैं और न ही दूसरों के विचारों को या बातों को खुद समझ पाते हैं। अर्थात इन्हें एक दूसरे के साथ वार्तालाप करने में कठिनाई होती है।

4️⃣ सामाजिक रूप से विशिष्ट बालक:-

समाज के अनुरूप व्यवहार ना कर सकने वाले बालक, जो समाज में उचित समायोजन नहीं बिठा पाते अथवा किसी शारीरिक या मानसिक अयोग्यता के कारण सामाजिक रूप से विचलित रहते हैं, सामाजिक रूप से विशिष्ट बालक कहलाते हैं।

इसके अंतर्गत बाल अपराधी, मादक द्रव्य व्यसनी बालक, आदि आते हैं।

➡️ संवेगात्मक रूप से विचलित:-

इसके अंतर्गत वह बालक आते हैं जो परिवार के सदस्यों, अपने दोस्तों ,अध्यापकों आदि के पक्षपाती एवं हतोत्साहित व्यवहार के कारण सामूहिक रूप से विचलित हो जाते हैं।

➡️ असमायोजित बालक:-

ऐसे बालक जो समाज के साथ या उनके परिवार, साथियों के साथ किन्हीं परिवर्तनों या समस्याओं के कारण समायोजित नहीं कर पाते हैं,असमायोजित बालक कहलाते हैं।

➡️ वंचित बालक:-

जिनमें सामाजिक ,सांस्कृतिक ,आर्थिक विषमता होती है ,विभिन्न कारणों के वजह से अपनी योग्यताओं में उचित विकास नहीं कर पाते एवं समाज से उपलब्ध सुविधाओं से वंचित हो जाते हैं,वंचित बालक कहलाते हैं।

➡️ समस्यात्मक बालक:-

समस्यात्मक बालक वह है जो सामान्य बालकों से असाधारण रूप से भिन्न होते हैं। इन बालकों में उचित निर्देशन के अभाव के कारण परिवार,समाज तथा विद्यालय में उचित समायोजन नहीं हो पाता है।जिसके कारण समस्या उत्पन्न करते हैं, यह समस्यात्मक बालक कहलाते हैं।

➡️ बाल अपराधी:-

वे बालक जो सामान्य व्यवहार के मानकों से भिन्न व्यवहार करता है, जो समाज के नियमों तथा कानूनों का उल्लंघन करता है तथा अपराधिक कार्यों में संलग्न रहता है,वह बाल अपराधी बालक कहलाता है।

➡️ माता-पिता द्वारा तिरस्कृत बालक:-

ऐसे बालक जो माता या पिता के द्वारा तिरस्कृत या छोड़ दिए जाते हैं, माता-पिता द्वारा तिरस्कृत बालक कहलाते हैं। इसके कई कारण हो सकते हैं जैसे माता-पिता के बीच आपसी लड़ाई,अधिक भाई बहनों के कारण उचित या समान लाभ ना मिल पाना इत्यादि।

🙏 समाप्त🙏


✍🏻 Shashi Choudhary✍🏻🌺

🌈 क्रो एंड क्रो के अनुसार-
विशिष्ट प्रकार या विशिष्ट पद किसी गुणांक या उन गुणों से युक्त व्यक्ति पर लागू होता है जिसके कारण वह व्यक्ति साथियों को अपनी ओर विशिष्ट रूप से आकर्षित करता है। इससे उसके व्यवहार की अनुक्रिया भी प्रभावित होती है।

🌈एस. ए. किर्क-
एक विशिष्ट बालक वह है जो कि शारीरिक ,मानसिक ,संवेगात्मक एवं सामाजिक विशेषताओं में किसी सामान्य बालक से उस सीमा तक विचलित होता है जब वह अपनी क्षमताओं के अधिकतम विकास हेतु सहायता ,निर्देशन ,विद्यालय कार्यक्रम में परिमार्जन तथा विशिष्ट शैक्षिक सेवाओं की आवश्यकता रखता है।

🌈 समावेशी शिक्षा के अंतर्गत विशिष्ट बालक का वर्गीकरण चार प्रकार से किया गया है
1- शारीरिक रूप से भिन्न
2- मानसिक रूप से भिन्न
3- सामाजिक रूप से भिन्न
4- शैक्षिक रूप से विशिष्ट बालक

🌈 मानसिक रूप से विचलित-
यह बालक सामान्य बालक को से अलग होते हैं यह भिन्नता कम या ज्यादा हो सकती है।
यह भिन्नता के कई कारण हो सकते हैं
🔸 प्रतिभाशाली 🔸सृजनात्मकता 🔸मंदबुद्धि

🌈शारीरिक रूप से विचलित
वे बालक जो शारीरिक रूप से किसी ना किसी समस्या से ग्रस्त हैं।
जैसे – संवेदिक रूप से विकलांग –
1- संवेदना हमारे शरीर को जो संवेदना मिलती है उसकी प्रतिक्रिया शरीर द्वारा प्रकट ही होती है
जैसे कोई दुखी होता है तो वह हंसता है तो उसके शरीर में संवेदना का एहसास नहीं होता है तो वह बालक विशिष्ट होंगे।
2- गतिक विकलांग-
इस प्रकार के बालकों को गति करने में कठिनाई होती है
किसी भी प्रकार की शारीरिक गति जैसे चाय के कप को उठाने में कठिनाई महसूस करें तो उसे विशिष्ट बालक कहेंगे।
3- बहुल विकलांग-
ऐसी बालक जिसने एक से अधिक विकलांगता होती है जैसे- मुक बधिर (बोलने में और सुनने में असमर्थ होता है)

🌈 सामाजिक रूप से विशिष्ट बालक-
1- संवेगात्मक रूप से विचलित- ऐसी बालक जो अचानक सो जाते हैं और गुस्सा भी हो जाते हैं जो अपने संवेग पर नियंत्रण नहीं रख पाते।
2-असमायोजित बालक – वह बालक जो स्थिति के अनुरूप समायोजन नहीं कर पाते हैं
3- वंचित बालक- वह बालक जो सामाजिक ,आर्थिक ,सांस्कृतिक रूप से वंचित होते हैं।
4- समस्यात्मक बालक- ऐसी बालक हमेशा किसी ना किसी समस्या में रहते हैं चोरी करते हैं झूठ बोलते हैं अपने सहपाठियों से लड़ाई- झगड़ा करते हैं और अध्यापक की पढ़ाने में बाधा उत्पन्न करते हैं वे बालक समस्यात्मक बालक में आते हैं।
5- बाल अपराधी- ऐसे बालक कम उम्र में ही गलत कार्य करने लगते हैं जैसे कानून की अवहेलना, नशाखोरी आदि।
6- माता-पिता द्वारा तिरस्कृत बालक-
ऐसे बालक जिनको माता-पिता द्वारा ध्यान नहीं दिया जाता , स्नेह नही मिलता या अकेले छोड़ दिया जाता है तो बालक अकेला महसूस करता है जिससे बालक के नकात्मक विचार आते है जिससे वह हतोत्साहित होते है।
🌈 शैक्षिक रूप से पिछड़ापन- ऐसी बालक जो सामान्य बालक से शैक्षिक रूप से पीछे हो या अपनी आयु के हिसाब से उसी आयु के सामान्य बालक से पीछे हैं तो विशिष्ट बालक की श्रेणी में आते हैं

जैसे -कोई छात्र कक्षा 5 में पड़ रहा है और वहां कक्षा 4 के सवाल नहीं कर पाता है तो वह शैक्षिक रूप से पिछड़े है
2- किसी विशेष विषय में सीखने की निर्योग्यता रखने वाला

3- संप्रेषण बाधित बालक- इस श्रेणी में से बालक आते हैं जो किसी दूसरे की कही गई बात को ना तो समझ पाते हैं और ना ही किसी दूसरे व्यक्ति से संप्रेषण कर पाते हैं ऐसे बच्चे ना तो स्वयं बोल पाते हैं और ना ही दूसरे की बात को समझ पाते हैं।
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𝙉𝙤𝙩𝙚𝙨 𝙗𝙮➖ 𝙍𝙖𝙨𝙝𝙢𝙞 𝙎𝙖𝙫𝙡𝙚

💫 विशिष्ट बालकों से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण स्टेटमेंट➖

🍀 क्रो एंड क्रो के अनुसार ➖ विशिष्ट प्रकार या विशिष्ट पद किसी गुण या उन गुणों से युक्त व्यक्ति पर लागू होता है इसी कारण व्यक्ति साथियों का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट करता है जिससे उसकी व्यवहार की अनुक्रियाएं भी प्रभावित होती है |

🍀 एस. किर्क के अनुसार ➖
एक विशिष्ट बालक वह होता है जो कि शारीरिक , मानसिक, संवेगात्मक, एवं सामाजिक विशेषताओं में किसी सामान्य बालक से उस सीमा तक विचलित होता है जब वह अपनी क्षमताओं के अधिकतम विकास हेतु सहायता निर्देशन विद्यालयी कार्यक्रम में परिमार्जन तथा विशिष्ट शैक्षिक सेवाओं की आवश्यकता रखता है |

🌟 समावेशी शिक्षा के अंतर्गत सामान्य से भिन्न विशिष्ट बालकों का वर्गीकरण मानसिक, शारीरिक, सामाजिक ,तथा शैक्षिक स्तर पर किया गया है ➖

🔅 मानसिक रूप से विचलित बालक ➖

इसमें इस प्रकार के बालक आते हैं जो मानसिक रूप से विचलित होतें हैं जैसे प्रतिभाशाली, सृजनात्मक , या मंदबुद्धि बालक हो सकते हैं जो सामान्य से अलग होते हैं |

🔅 शारीरिक रूप से भिन्न या विचलित बालक ➖

शारीरिक रूप से भिन्न या विचलित बालक में निम्न प्रकार के विशिष्ट बालक होते हैं —-

🔹 सांवेदिक रूप से ➖

अर्थात अपने संवेगों का एहसास ना हो ना या संवेगों को महसूस ना कर पाना और संवेगों पर नियंत्रण नहीं कर पाना जैसे दुख होने पर न रोना ,या चोट लगने पर दर्द ना होना या हम कह सकते हैं कि बॉडी का मस्तिष्क को संदेश ना भेजना |

🔹 गतिक विकलांगता ,➖

अर्थात गति करने में समस्या होना जैसे हाथ, पैर ,आंख ,कान, या शरीर का कोई भी अंग का ठीक प्रकार से कार्य न करना जैसे लेखन ,दोड़ने ,चलने, खाना खाने आदि में समस्या महसूस होना |

🔹 बहुल विकलांगता ➖

एक ही बच्चे में अलग-अलग प्रकार की शारीरिक समस्या या एक से अधिक शारीरिक निर्योग्यता का होना जैसे कई रोगों से ग्रसित |

🔅 शैक्षिक रूप से विशिष्ट बालक ➖

ये वो बालक होते हैं जो शैक्षिक निष्पादन या योग्यताओं में सामान्य से अलग यह सीखने या अधिगम में सामान्य से भिन्न होते हैं इस प्रकार के बालकों के प्रकार के निम्न है —-

🔹 शैक्षिक रूप से समृद्ध बालक➖

ऐसे बालक जिनकी सीखने की समझने की, विचार करने की ,या समन्वय सामंजस्य का स्तर उच्च होता है चीजों के बीच में सामंजस्य बैठाने की क्षमता विचारों में सामंजस्य विचारों को समझने में सामंजस्य होना अति आवश्यक है |

🔹 शैक्षिक रूप से पिछड़ा पन➖
जो बालक अपने आयु वर्ग से शैक्षिक उपलब्धि में पिछड़े हैं यदि वह 1 से 2 वर्ष भी पीछे हैं तो वह पिछड़ा बालक है |

🔹 किसी विशेष विषय में सीखने की निर्योग्यता रखने वाला बालक ➖

अर्थात ये बालक किसी एक विषय में शैक्षिक रूप से कमजोर होते हैं जैसे किसी को गणित में, अंग्रेजी में ,या किसी अन्य विषय में विशिष्ट प्रकार की निर्योग्यता का होना |

🔹 संप्रेषण बाधित बालक ➖

जो ना ही दूसरों की बातों को सुन पाते हैं समझ पाते हैं और ना ही खुद की बातों को दूसरों को समझा पाते हैं ऐसे बालक संप्रेषण बाधित बालकों की श्रेणी अंतर्गत आते हैं |

🔅 सामाजिक रूप से विशिष्ट बालक ➖

ऐसे बालक जो समाज में किसी न किसी प्रकार से पिछड़े हैं समाजिक रुप से विशिष्ट बालकों के अंतर्गत आते हैं जो निम्न हैं—

🔹 संवेगात्मक रूप से विचलित बालक ➖

ऐसे बालक जो अपने व्यवहारों को व्यक्त करने में असफल होते हैं ऐसे बालक संवेगात्मक रूप से विचलित बालक कहलाते हैं |

🔹 असमायोजित बालक➖

जो बालक समाज के साथ समायोजित करने में कठिनाई महसूस कर करती है या समायोजन नहीं कर पाते हैं आसमायोजित |

🔹 वंचित बालक ➖

जो सामाजिक ,आर्थिक, या सांस्कृतिक रूप से वंचित हैं यदि जो सामान्य से निम्न है तो वे वंचित बालक कहलाते हैं |

🔹 समस्यात्मक बालक ➖

जिनके पास किसी न किसी प्रकार की समस्या होती है जैसे चोरी करना ,झूठ बोलना, या विद्यालय से भाग जाना आदि ऐसे बालक समस्यात्मक बालक कहलाते हैं समस्यात्मक बालक कोई भी हो सकता है शिक्षक या माता-पिता को उसको सही राह में लाने की आवश्यकता है |

🔹 बाल अपराधी ➖

जैसे कम उम्र में विध्वंसकारी कार्य करना जो समाज के लिए या राष्ट्र के लिए समस्या उत्पन्न करें जैसे शराब ,नशा ,आदि का सेवन करना नक्सलवादी टीम का हिस्सा हो जाना, इसके लिए शिक्षक को या माता-पिता को कड़ी कार्यवाही की आवश्यकता होती है |

🔹 माता-पिता से तिरस्कृत बालक ➖

ऐसे बच्चे को परिवार के बीच अकेलापन महसूस होता है तिरस्कृत बालक होता है |

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