✍🏻 Notes By-Vaishali Mishra

🔆 समावेशी शिक्षा योजना की प्रासंगिकता (वह क्या है और क्यों है।) यह सभी निम्न बिंदुओं पर आधारित है।

🔹 1 अधिकांश छात्रों को विकलांग के कारण शिक्षा के अवसर नहीं मिल पाते हैं।
जो बच्चे सामान्य उन्हें तो आसानी से शिक्षा मिल जाती है,लेकिन जो बच्चे किसी भी रूप से विकलांग या विशिष्ट है,उनके लिए शिक्षा विशिष्ट रूप से दी जानी होती है। या उन बच्चो की आवश्यकता अनुसार या सुविधा या उनकी जरूरत के हिसाब से शिक्षा उपलब्ध करवाना होता है।

🔹 2 संविधान का 93वाॅ संशोधन के अनुसार 6 से 14 वर्ष के बच्चों को निशुल्क शिक्षा दी जाए ।

🔹 3 समावेशी शिक्षा योजना के अंतर्गत यह बोला गया कि 2015 तक सर्व शिक्षा अभियान के तहत सभी बच्चों को पूर्णत: साक्षर (जिन्हें अक्षरों का ज्ञान या जो व्यक्ति अक्षरों को या अपने नाम को पढ़, लिख सकता हो) करना।

🔹 4 राज्य सरकार को शिक्षा में विशेष बालकों के लिए निश्चित आवश्यक वचनबद्धता है

कक्षा में जो भी विशिष्ट बच्चे या जो सामान्य नहीं है उनकी जो आवश्यकताएं या जरूरत है जो उन्हें मिलनी ही चाहिए। अर्थात निश्चित रूप से प्राप्त होने ही चाहिए। उसके लिए राज्य सरकार पूरी तरह से वचनबद्ध और संवेदनशील है।

🔹 5 विकलांग जन अधिनियम (person with disabilities act) 1995 के अनुसार 18 वर्ष की आयु के सभी विशेष बालकों को सरकार की ओर से समस्त सुविधाएं और शिक्षा प्रदान हो सके।
जैसा कि इसमें बच्चों की आयु 18 वर्ष तक शिक्षा के लिए कर दिया गया जिससे बच्चे इस उम्र तक व्यवसायिक शिक्षा या रोजगार के लिए भी तैयार हो पूर्ण रूप से तैयार हो जाते हैं।

🔹 6 राष्ट्रीय शैक्षिक एवं अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद 2000 (National Council Of Educational Research And Training)
स्कूल शिक्षा को विषय के हिसाब से या विषय के अनुसार या विषयावर रूप से सभी विकलांग या दिव्यांग बच्चों को अधिगम सहायक या अधिगम में जो भी सहायक सामग्री है वह समावेशी शिक्षा उपलब्ध करवाई जाए या प्रदान की जाए, करने की संस्तुति या सुझाव दिया गया।

🔹 7 समावेशी शिक्षा योजना प्रत्येक बालक को शिक्षा प्रदान करता है।
इसमें ना कोई उम्र, ना कोई जाति, ना कोई धर्म, और ना ही कोई विशिष्ट बालक , ना ही लिंग के आधार पर बल्कि सभी बच्चों को समान रूप से समावेशी शिक्षा प्रदान करना है।

हमारे समाज में आज भी इन सभी भेदभाव को देखा जाता है लेकिन जब प्रत्येक बालक को समावेशी शिक्षा दी जाती है तो यह भेदभाव पूर्ण रूप से समाप्त हो जाता है क्योंकि इसके अन्तर्गत सभी को या हर बच्चे को समान रूप से शिक्षा दी जाती है। *🔆 विशिष्ट बालक🔆*

वे बालक जो सामान्य बालक से भिन्न होते हैं।

विशिष्ट बालक सामान्य बालकों से किस प्रकार भिन्न है यह हम सामान्य बालकों की विशेषताओं को जानकर समझ सकते हैं।➖

▪️ सामान्य बालक की विशेषताएं

🔸1 जो शारीरिक रूप से स्वस्थ है।

वे बालक जो शारीरिक रूप से कमजोर या शारीरिक रूप से अधिक अच्छे हैं विशिष्ट बालक की श्रेणी में आते हैं।

🔸2 शारीरिक श्रम वाले कार्य सरलता से करें।

वे बालक जो किसी भी कार्य को करने में जल्दी थक जाते हैं या आसानी से नहीं कर पाते। इसके विपरीत वे बालक जो किसी भी कार्य को अपने शारीरिक श्रम के द्वारा बहुत अच्छे से और जल्दी या समय से अधिक जल्दी कार्य को कर लेते हैं वे बालक विशिष्ट बालक कहलाते हैं।

🔸3 90 से 110 के बीच की बुद्धि लब्धि वाले बच्चे होते है।

जो बच्चे 90 से कम की बुद्धि लब्धि वाले एवं जो बच्चे 110 से ऊपर की बुद्धि लब्धि वाले होते हैं वह बच्चे विशिष्ट बालक की श्रेणी में आते हैं।

🔸4 शैक्षिक उपलब्धता औसत रहती है।

जो बच्चे शिक्षा की उपलब्धि को पाने में असमर्थ या कमजोर होते हैं एवं जो बच्चे शैक्षिक उपलब्धि को कई गुना ज्यादा हासिल कर लेते हैं या औसत से अधिक कर लेते हैं विशिष्ट बालक की श्रेणी में आते हैं।

🔸5 सीखने की गति औसत रहती है ।

जिन बच्चों में सीखने की गति मंद या धीमी या औसत से कम होती है। एवं जिन बालकों में सीखने की गति तीव्र या अधिक या औसत से ज्यादा होती है वह बच्चे विशिष्ट बालक की श्रेणी में आते हैं।

🔸6 शिक्षक के द्वारा दिए गए कार्य को लगन से करने वाले होते हैं।

जो छात्र शिक्षक द्वारा दिए गए कार्य को लगन से नहीं करते या पूरे मन से नहीं करते एवं वे छात्र जो शिक्षक द्वारा दिए गए कार्य को लगन के साथ साथ अपनी सृजनात्मकता अपनी सूझ से या अपने तरीकों को ज्यादा जोड़कर करते हैं वह वाला विशिष्ट बालकों की श्रेणी में आते हैं ।

🔸7 संवेगात्मक रूप से संतुलित रहते हैं।

वे बालक जो संवेगात्मक रूप से कमजोर या दुखी या कम प्रेरणा के साथ किसी कार्य को करते हैं। एवं वे बालक जो संवेगात्मक रूप से ज्यादा ही मजबूत या बहुत ज्यादा उत्साहित होकर या ज्यादा जोश के साथ तेजी से कार्य को करते हैं विशिष्ट बालक की श्रेणी में आते हैं।

🔸8 समाज एवं विद्यालय में उत्तम समायोजन रहता है।

वे बालक जो समाज में विद्यालय के साथ समायोजन नहीं कर पाते है या समाज के नियमों को विद्यालयों का पालन नहीं कर पाते और जो समाज में विद्यालय के साथ जरूरत से ज्यादा जितना आवश्यक नहीं है उससे कई गुना समायोजन कर लेते हैं विशिष्ट बालक कहलाते हैं।


✍ PRIYANKA AHIRWAR ✍

📖 समावेशी शिक्षा की प्रासंगिकता 📖

♦️ समावेशी शिक्षा की प्रासंगिकता निम्नलिखित बिंदुओं पर आधारित हैं:- समावेशी शिक्षा के अंतर्गत कुछ ऐसे बिंदुओं को संग्रहित कर के लिया गया है जिससे कि यह पता चलता है सरकार द्वारा, राज्य द्वारा क्या-क्या प्रयास किए गए हैं।

  1. अधिकांश छात्रों को विकलांगता के कारण शिक्षा के अवसर नहीं मिलते हैं:- कुछ छात्र ऐसे होते हैं, जो कि शारीरिक या मानसिक रूप से विकलांग होते हैं। उनकी इस विकलांगता के कारण उन्हें शिक्षा के अवसर नहीं मिल पाते हैं, जिस कारण से वह शिक्षा से वंचित रह जाते है। अतः इसके लिए सरकार द्वारा प्रयास किए गए हैं, कि समावेशी शिक्षा के द्वारा उन सभी विशिष्ट बालकों को सामान्य स्तर पर लाया जाएगा।
  2. संविधान 93 वें संशोधन के अनुसार:- संविधान के किस संशोधन के अनुसार 6 से 14 वर्ष के सभी बच्चों को निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा दिए जाने का प्रावधान किया गया है। जिससे कि सभी बालकों को शिक्षा के अवसर मिले सभी 6 से 14 वर्ष की उम्र के बालकों को बिना किसी फीस शिक्षा प्रदान की जाएगी। जो कि शिक्षा के क्षेत्र में एक बहुत लाभदायक कदम है।
  3. समावेशी शिक्षा योजना (IES):- इस योजना के चलते सरकार द्वारा एक अभियान चलाया गया था। जो कि “सर्वशिक्षा अभियान” के नाम से प्रचलित था। इस अभियान के अंतर्गत ‘वर्ष 2015’ तक सभी बालको को साक्षर किए जाने का प्रावधान था। प्रत्येक बालक को सर्व शिक्षा अभियान के तहत साक्षरता प्रदान की जाएगी।
  4. राज्य सरकार को शिक्षा में विशेष बालकों के लिए एक निश्चित आवश्यक वचनबद्धता थी।
  5. विकलांग जन अधिनियम (PWD- Parson with disabilities) :- विकलांग जन अधिनियम का संबंध विकलांग बालकों की से था। इस अधिनियम की शुरुआत 1995 में की गई थी इसके अंतर्गत 18 वर्ष तक की आयु के सभी विशेष वाला को को सरकार की ओर से सभी सुविधाएं एवं शिक्षा प्रदान की जाएगी। इस अधिनियम के चलते किसी भी बालक को जो कि विशिष्ट बालक है, शिक्षा से वंचित नहीं रखा जाएगा। सभी को शिक्षा प्रदान की जाएगी।
  6. राष्ट्रीय शैक्षिक एवं अनुसंधान प्रशिक्षण परिषद 2000 (NCERT):- राष्ट्रीय शैक्षिक एवं अनुसंधान प्रशिक्षण परिषद का गठन 1 सितंबर 1961 को हुआ था। इसके अंतर्गत स्कूली शिक्षा के विषय अनुसार सभी विकलांग को को अधिगम सहायक समावेशी प्रदान करने की संस्तुति की गई है।
  7. समावेशी शिक्षा योजना (IES) प्रत्येक बालक को शिक्षा प्रदान करती है:- समावेशी शिक्षा योजना के अंतर्गत हम पिछले एक बिंदु पर चर्चा कर चुके हैं, लेकिन वह विशेष बालक के लिए है, जबकि इस बिंदु के अंदर हम इस बात को कहना चाहते हैं, कि समावेशी शिक्षा योजना के अंतर्गत प्रत्येक वाला को शिक्षा प्रदान करनी चाहिए। चाहे वह विशिष्ट हो या सामान्य उन सभी को शिक्षा प्रदान करने का प्रावधान इसके तहत किया गया है।

🎯 विशिष्ट बालक 🎯
विशिष्ट बालक से तात्पर्य है कि वह बालक जो सामान्य बालक से भिन्न हो। अतः विशिष्ट बालक की श्रेणी में हम प्रतिभाशाली बालक को भी रख सकते हैं, एवं निम्न मानसिक क्षमता वाले बालक को भी रख सकते हैं। लेकिन इसमें केवल सामान्य बालक को नहीं रखा जा सकता।

♦️ सामान्य बालक की कुछ विशेषताएं हैं जिनमें से कुछ विशेषताएं निम्नलिखित हैं:-
👉 सामान्य बालक की सर्वप्रथम विशेषता यह है, कि वह शरीर से स्वस्थ रहते हैं।
👉 सामान्य बालक सामान्यतः शारीरिक श्रम वाले कार्यों को सरलता से पूर्ण कर पाते हैं।
👉 सामान्य वालों को की बुद्धि लब्धि 90 से 110 के बीच होती है, इस बुद्धि लब्धि के अंतर्गत आने वाले सभी बालकों को सामान्य वालों की श्रेणी में रखा गया है।
👉 शैक्षिक उपल्ब्धता:- सामान्य बालक उनकी शैक्षिक उपलब्धता औसत रहती है। कहने का तात्पर्य यह है कि ना तो उनकी शैक्षिक उपलब्धि तन्य होती है और ना ही उच्च होती है वह एक औसत में होती है।
👉 सीखने की गति औसत रहती है:- सामान्य वालों को की सीखने की गति औसत रहती है। इसका मतलब यह है, कि सामान्य बालक किसी चीज को ना तो ज्यादा समय लेकर सीखते हैं, और ना ही जल्दी सीख जाते हैं, वह एक सामान्य औसत में सीखते हैं।
👉 शिक्षक के दिए गए कार्य को लगन के साथ करता है:- शिक्षक के द्वारा जो कार्य दिया गया है उसे वह लगन के साथ करता है, ना तो उसमें कुछ अधिक चीजों को जोड़ता है, और ना ही शिक्षक द्वारा बताई गई है, उनसे बहुत ही कम चीजों को जोड़ता है। अतः वह इन कार्यो को भी एक औसत स्तर में करता है।
👉 संवेगात्मक रूप से संतुलित:- सामान्य बालक हमेशा ही संवेगात्मक रूप से संतुलित रहता है, वह ना तो जल्दी क्रोधित होता है और ना ही अत्यधिक खुश होता है वह अपने संवेगो को संतुलित रखता है, एवं उन पर अपना नियंत्रण रखता है।
👉 समाज/विद्यालय में समायोजन:- सामान्य बालक समाज एवं विद्यालय में समायोजन करना सीख जाता है। वह यह सीख जाता है, कि उसे समाज में किस प्रकार का व्यवहार करना है, एवं विद्यालय में किस प्रकार का व्यवहार करना है। वह दोनों के बीच उचित समायोजन रख पाता है।
उपरोक्त सभी बिंदु सामान्य बालक की विशेषता के रूप में लिखी हुई है, जो इस बात को दर्शाते हैं, कि यह सामान्य बालक है।
📗 समाप्त 📗
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✍🏻 Manisha gupta ✍🏻

🟥 समावेशी शिक्षा योजना की प्रासंगिकता निम्न बिंदुओं पर आधारित है

🎯 अधिकांश छात्रों को उनकी विकलांगता के कारण शिक्षा का अवसर नहीं मिल पाता ‌ यदि सामान्य बच्चों के लिए सामान्य व्यवस्था की जरूरत होती है उसी प्रकार विकलांग बच्चे को भी विशिष्ट सुविधा के साथ विशिष्ट शिक्षा की जरूरत पड़ती है विकलांग बच्चे को उनकी जरूरत के अनुसार ही शिक्षा दी जानी चाहिए लेकिन ऐसा देखा गया है कि बहुत ऐसे बच्चे हैं जो विकलांग हैं लेकिन उन्हें उनकी विकलांगता के आधार पर शिक्षा का अवसर नहीं मिल पाता है।

इसीलिए प्रत्येक बच्चे के व्यक्तिगत विभिन्नता को देखते हुए या ध्यान में रखते हुए ही उनकी जरूरत को पूरा किया जाना चाहिए।

🎯 संविधान का 93 संशोधन के अनुसार संविधान के 93 संशोधन के अनुसार 6 से 14 वर्ष के आयु के बच्चों को निशुल्क शिक्षा दी जाए।

🎯 समावेशी शिक्षा योजना ( IES -inclusive education scheme) समावेशी शिक्षा योजना के अंतर्गत 2015 तक सर्व शिक्षा अभियान के तहत सभी बच्चे को पूर्णतः साक्षर करना है।

साक्षर =स+अक्षर अर्थात सभी बच्चों का साक्षर होने से तात्पर्य है कि कि सभी बच्चे को अक्षर का ज्ञान हो जाए देख कर भी किसी बात के को पढ़ सके पहचान कर सके और उन्हें पढ़ने लिखने का ज्ञान हो जाए, वे हस्ताक्षर कर सके।

🎯 राज्य सरकार को शिक्षा में विशेष बालकों के लिए एक निश्चित आवश्यक वचनबद्धता है वे बालक जो किसी कारणवश परेशानी मे है या समस्या में है उन बच्चों के लिए राज्य सरकार को उनकी निश्चित आवश्यकता के हिसाब से वचनबद्ध होना है राज्य सरकार को पूर्ण रूप से सक्रिय होना है राज्य सरकार के द्वारा हर हाल में विशेष बालकों की जरूरत को पूरा करना है यह एक आदेश है।

🎯 विकलांग जन अधिनियम(PWD act – person with disability)1995 यह विकलांग से संबंधित अधिनियम है इस एक्ट के अनुसार 18 वर्ष की आयु तक के विशेष बालकों के लिए सरकार की ओर से सभी सुविधाएं और शिक्षा प्रधान किया जाए।

(इस एक के अंतर्गत जैसे कि बच्चों की आयु 18 वर्ष तक शिक्षा यह सभी सुविधाएं प्रदान करने की बात की गई है जिससे आयु के बच्चे रोजगार के लिए पूर्ण रूप से तैयार हो जाएं और वे अपनी आगे का जीवन निर्वाह बेहतर रूप से कर सकें।)

🎯 राष्ट्रीय शैक्षिक एवं अनुसंधान प्रशिक्षण परिषद (NCERT-National council of education research and training) 2000➖ स्कूली शिक्षा के विषयानुसार सभी विकलांग बच्चों को अधिगम सहायक सामग्री के माध्यम से शिक्षा प्रदान करने की संस्तुति की गई है या सुझाव दिया गया है। अर्थात स्कूल में जो शिक्षा होती है के विषय के हिसाब से सभी विकलांग बच्चों को सीखने के लिए सहायक सामग्री उपलब्ध कराई जाने का सुझाव दिया गया है।

🎯 समावेशी शिक्षा योजना
समावेशी शिक्षा योजना के अंतर्गत प्रत्येक बालक को शिक्षा प्रदान करना है। समावेशी शिक्षा योजना में किसी भी बच्चे को उनकीजाति ,भाषा ,धर्म ,संस्कृति आदि के आधार पर वंचित ना करके उन्हें समान रूप से शिक्षा प्रदान करना है। 🌸 *विशिष्ट बालक* 🌸

विशिष्ट बालकों को जानने से पूर्व यह जानना आवश्यक है कि सामान्य बालक किसे कहते हैं विद्यालय में हर समाज हर वर्ग तथा भिन्न-भिन्न परिवारों से बालक आते हैं बालकों में यह सभी विभिन्नताएं होते हुए भी यह सामान्य कहलाते हैं परंतु कुछ बालक ऐसे होते हैं जो शारीरिक ,मानसिक, शैक्षिक एवं सामाजिक गुणों की दृष्टि से अन्दर सामान्य बालको से भिन्न होते हैं ये विशिष्ट बालक कहलाते हैं।

✔️ सामान्य बालक की विशेषताएं

🔻 सामान्य बालक वे होते हैं जिनका शारीरिक स्वास्थ्य एवं बनावट इस प्रकार की होती है कि उन्हें सामान्य कार्य करने में किसी भी प्रकार की कठिनाई का अनुभव नहीं होता है।

🔻 सामान्य शारीरिक श्रम वाले कार्य भी यह सरलता से कर लेते हैं।

🔻 सामान्य बालकों की बुद्धि लब्धि 90 से 110 के बीच होती है।

🔻 सामान्य बालकों की शैक्षिक उपलब्धता औसत रहती है।

🔻 सामान्य बालकों की सीखने की गति भी औसत रहती है।

🔻 सामान्य बालक शिक्षक के द्वारा दिए गए कार्य को भी लगन से करता है।

🔻 सामान्य बालक संवेगात्मक रूप से संतुलित रहता है।

🔻 सामान्य बालक का समाज या विद्यालय में उचित समायोजन रहता है।

✔️ विशिष्ट बालकों की विशेषताएं

🔻 विशिष्ट बालक सामान्य बालकों से भिन्न होते हैं।

🔻 ये बालक शारीरिक रूप से अस्वस्थ या शारीरिक रूप से बहुत अधिक स्वस्थ होते हैं।

🔻 विशिष्ट बालक सामान्य शारीरिक श्रम वाले कार्य को करने में जल्दी थक जाते हैं या सरलता से नहीं कर पाते हैं एवं किसी कार्य को बहुत जल्दी एवं बहुत अच्छे से कर लेते हैं यह विशिष्ट बालक के श्रेणी में आते हैं।

🔻 जिन बालकों की बुद्धि लब्धि 90 से कम और जिन बालकों की बुद्धि लब्धि 110 से ज्यादा होती है वे भी विशिष्ट बालक के अंतर्गत आते हैं।

🔻 वे बालक जिनकी शैक्षिक उपलब्धता बहुत ही कम या बहुत ज्यादा होती है अर्थात वे बालक शिक्षा में उपलब्धि प्राप्त करने के लिए असमर्थ होते हैं या बहुत ज्यादा प्राप्त कर लेते हैं यह विशिष्ट बालक की श्रेणी में आते हैं।

🔻वे बालक जिनके सीखने की गति मंद या बहुत अधिक तीव्र होती है अर्थात ऐसे बालक जिनके सीखने की गति औसत से कम यह औसत से अधिक होती है वह विशिष्ट बालक के अंतर्गत आते हैं।

🔻 विशिष्ट बालक शिक्षक के द्वारा दिए गए कार्य को भी लगन से या पूरे मन से नहीं करते हैं या शिक्षक के द्वारा किए गए कार्य को लगन के साथ और अधिक अच्छे तरीके से उस कार्य को समय से पहले ही कर देता है।

🔻 विशिष्ट बालक संवेगात्मक रूप से कमजोर या परेशान, एवं संवेगात्मक रूप से बहुत अधिक उत्साहित होकर जोश में आकर जिस कार्य को करते हैं ,विशिष्ट बालक के श्रेणी में आते हैं।

🔻 यह बालक जो समाज में यह विद्यालय में समायोजन नहीं कर पाते हैं या समाज में विद्यालय में आवश्यकता से अधिक समायोजन कर लेते हैं ये विशिष्ट बालक के श्रेणी में आते हैं‌।

🔻 विशिष्ट बालक वे होते हैं जो सामान्य बालकों से भिन्न होते हैं।

🔻 विभिन्न प्रकार के विशिष्ट बालक भी आपस में एक दूसरे से भिन्न होते हैं।

🔻 विशिष्ट बालक वे होते हैं जिन्हें विशेष देखरेख की आवश्यकता होती है।

🔻 विशिष्ट बालक वे होते हैं जो शारीरिक, मानसिक, शैक्षिक एवं सामाजिक रूप से विशिष्ट होते हैं।

🔻 ऐसे बालक जो सामान्य बालकों की अपेक्षा श्रेष्ठ या हीन होते हैं विशिष्ट बालक के अंतर्गत आते हैं।

🔻 ऐसे बालकों में सामान्य बालकों की अपेक्षा कम या अधिक गुण पाए जाते हैं।

🔻 विशिष्ट बालकों में किसी कार्य को सामान्य लोगों की अपेक्षा ज्यादा तेजी से या बहुत देर से कार्य करने की प्रवृत्ति होती है।

🔻 विशिष्ट बालकों के अंतर्गत पिछड़े बालक ,मानसिक रूप से पिछड़े बालक ,बाल अपराधी ,प्रतिभावान बालक आदि शामिल है।

🟥🌸 समाप्त🌸🟥


✍🏻✍🏻Menka patel ✍🏻✍🏻

🌈समावेशी शिक्षा योजना की की प्रसंगिकता निम्न बिंदुओं पर आधारित है🌈

🎆 अधिकांश छात्रों को विकलांगता के कारण शिक्षा के अवसर नहीं मिल पाती है —
वह शारीरिक और मानसिक रूप से विकलांग होते हैं ताजा उन्हें विकलांगता के कारण शिक्षण के अवसर नहीं मिल पाते हैं जिससे वह वंचित रह जाते हैं

🎆 संविधान का 93 वे संशोधन के अनुसार सभी 6 से 14 वर्ष के बच्चे को निशुल्क शिक्षा दी जाए — इस प्रावधान के अंतर्गत सभी 6 से 14 वर्ष के बच्चों को बिना किसी शुल्क के शिक्षा प्रदान की जानी चाहिए

🎆 समावेशी शिक्षा (IES) योजना कि 2015 तक सर्व शिक्षा अभियान के तहत 2015 तक सबको साक्षर करना — किस अधिनियम के अंतर्गत सभी बच्चों को साक्षर किए जाने का प्रावधान था

🎆 राज्य सरकार को शिक्षा में विशेष बालकों के लिए एक निश्चित आवश्यकता वचनबद्धता है — इसके अंतर्गत सभी विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को एक निश्चित आवश्यकता जरूरतों को पूरा करने के लिए वचनबद्धता और संवेदनशील है

🎆PWD act( personal bete disability act ) विकलांग जन अधिनियम — इसके अंतर्गत 18 वर्ष तक के सभी विशेष बालकों को सरकार की ओर से समस्त सुविधाएं और शिक्षा उपलब्ध कराई जाएं

🎆 राष्ट्रीय शैक्षिक एवं अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT – National counsil of education for Research and teaching) — जो स्कूल की शिक्षा के विषय होते हैं सभी विकलांगों को अधिगम सहायक समावेशी शिक्षा प्रदान करने की प्रस्तुति दी गई

🎆 समावेशी शिक्षा योजना (IES) इसके अंतर्गत प्रत्येक बच्चे को समान शिक्षा प्रदान करना — समावेशी शिक्षा योजना के अंतर्गत सामान्य विशिष्ट बच्चे सभी को एक साथ शिक्षा प्रदान करने की योजना बनाई गई

🌈 विशिष्ट बालक

⭐ सामान्य से भिन्न है

⭐ जो शारीरिक रूप से स्वस्थ है – भी बच्चे जो शारीरिक रूप से कमजोर या शारीरिक रूप से अधिक अच्छे होते हैं उन्हें हम विशिष्ट बालक कहते हैं

⭐ सामान्य शारीरिक श्रम वाले कार्य सरलता से करें – सामान्य बच्चे किसी कार्य को करने में जल्दी थक जाते हैं या आसानी से नहीं कर पाते हैं और विशिष्ट बच्चे कार को करने में शारीरिक श्रम के द्वारा बहुत अच्छे से और जल्दी समर्पण जल्दी कर देते हैं उन्हें विशिष्ट बच्चे कहते हैं

⭐ बुद्धि लब्धि 90 – 110 से बीच होती है–जिन बच्चों की बुद्धि लब्धि 90 से कम की बुद्धि लब्धि वाली एवं 110 से ऊपर वाले बच्चे विशिष्ट बालक की श्रेणी में आते हैं

⭐ शैक्षिक उपलब्धता औसत रहती है – जिन बच्चों की शैक्षिक उपलब्धता कम होती है एवं जिन बच्चों की शैक्षिक उपलब्धता अधिक होती है उन्हें विशिष्ट बालक कहते हैं

⭐ सीखने की गति औसत रहती है — जिन बच्चों की शिक्षा प्राप्त करने की गति धीमी होती है और जिन बच्चों की सीखने की गति तीव्र या अधिक औसत से ज्यादा होती है वह बच्चे विशिष्ट बालक कहलाते हैं

⭐ शिक्षक के दिए गए कार्य को लगन से करना – शिक्षक के दिए गए कार्य को जो बच्चा लगन से नहीं करते हैं यह पूरे मन से करने में भी छात्र शिक्षक के द्वारा दिए गए कार्य को लगन के साथ और अपनी सृजनात्मक क्षमता और सूझबूझ से अनेक प्रकार के तरीके अपनाकर करते हैं उन्हें विशिष्ट बालक कहते हैं

⭐ संवेगात्मक रूप से संतुष्टि — वह बच्चा जो संवेगात्मक रूप से कमजोरियां प्रेरणा के साथ किसी कार्य को करते हैं एवं बच्चा जो संवेगात्मक रूप से ज्यादा मजबूती या बहुत उत्साह के साथ सीखता है उसे विशिष्ट बालक कहते हैं
⭐ समाज विद्यालय में समायोजन रहना है — भी बच्चे जो समाज और विद्यालय में समायोजन नहीं कर पाते हैं या बेबी बच्चे जो समाज के साथ समायोजन तथा जरूरत से ज्यादा आवश्यकता नहीं है उन बच्चों को विशिष्ट बालक कहते हैं

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📝Nots by- ✍️Nisha sky yadav

समावेशी शिक्षा योजना की प्रासंगिकता निम्न बिन्दुओं पर आधारित हैं 👇

🖋️- अधिकांश छात्रों को विकलांगता के कारण शिक्षा के अवसर न मिल पाना।

🖋️-संविधान के 93 वे संशोधन के अनुसार- 6-14 वर्ष के बालको को नि:शुल्क शिक्षा दी जाए।

🖋️- समावेशी शिक्षा योजना (IES)

🖋️- राज्य सरकार को शिक्षा में विशेष बालको के लिए एक निश्चित आवश्यक वचन बद्धता है।

🖋️- PWD act -(person with disability) विकलांग जन अधिनियम :-
ये अधिनियम विकलांगता से संबंधित हैं इसमें 18वर्ष तक की आयु के विशेष बच्चो के लिए सरकार द्वारा सभी सुविधाए और शिक्षा प्रदान की जाए।

🖋️- राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान परिषद (NCERT)2000:-
स्कूली शिक्षा के विषयानुसार सभी विकलांगो को अधिगम सहायक सामग्री और समावेशी शिक्षा प्रदान को संस्तुति की जाए ।

🖋️-समावेशी शिक्षा योजना(IES) प्रत्येक बालक को शिक्षा प्रदान करता है। *विशिष्ट बालक*

“विशिष्ट बालक वे बालक होते है जो सामान्य बालको से भिन्न होते है !”

1️⃣ जो शारीरिक रूप से स्वस्थ।

2️⃣जो समस्त शारीरिक श्रम वाले कार्यों को सरलतापूर्वक करते है।

3️⃣जिनकी बुद्धि लब्धी 90-110 के बीच हो।

4️⃣ जो शिक्षक द्वारा दिए जाने वाले कार्यों को लगन से करें।

5️⃣जो सवेंगात्मक रूप से संतुलित रहते।

6️⃣जिनकी शैक्षिक उपलब्धता औसत रहती हो।

7️⃣ जिनकी सीखने की गति औसत रहती हो।

8️⃣जिनका समाज/ विद्यालय में समायोजन रहता हो।
🙏🏻 द एंड 🙏🏻
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Date 20/10/2020 Nots by sanu sanwle 🔘 समावेशी शिक्षा की प्रासंगिकता निम्न बिंदुओं पर आधारित । 🔹 यह सरकार द्वारा चलाई गई एक निश्चित शैक्षिक व्यवस्था है 🔹इसके अनुसार विशेष बालकों को समान शिक्षा प्राप्त करने का अवसर दिया जाए।

🔹अधिकांश छात्रों को विकलांगता के कारण शिक्षा के अवसर नहीं मिल पाते हैं।

🔹प्रत्येक बच्चों को बिना किसी भेदभाव के समान शिक्षा देना और सभी गतिविधियों में भाग लेने का समान अवसर उपलब्ध कराना ।

🔘 सविधान के 93 संशोधन 2006 के अनुसार

🔹 6 से 14 वर्ष के बच्चों को निशुल्क शिक्षा प्रदान की जाए

🔘 समावेशी शिक्षा योजना = I.E.S

inclusive education scheme

🔹 सर्व शिक्षा अभियान के तहत 2015 तक सबको साक्षर करना ।

🔹 साक्षर = साक्षर मतलब किसी व्यक्ति या बच्चे को इतना ज्ञान हो सके कि वह किसी अक्षर को पहचान सके ।
किसी लिखे हुए शब्द को पढ़ सके । लिख सके अपने साइन कर सके ।

🔘 राज्य सरकार को शिक्षा में विशेष बालकों के लिए एक निश्चित आवश्यकता बचन बंधता

🔹 विशेष बालकों के लिए एक निश्चित शिक्षा उपलब्ध कराना यह सरकार का आदेश है

🔹 बच्चे की सभी आवश्यकताओं को बचन बंद किया गया है ताकि कोई इस नियम को बदल ना सके।

🔘 P .W. D ACT 1995 =

🔹 विकलांग से संबंधित अधिनियम

🔹 इस अधिनियम मैं यह कहा गया है कि 18 वर्ष की आयु के विशेष बालकों को सरकार की ओर से सभी सुविधा और शिक्षा प्रदान कर सकें।

🔹 इस एक्ट के तहत विकलांग बालकों को व्यवसाय शिक्षा प्रशिक्षण उपलब्ध कराना

🔹 विशिष्ट बालकों को आत्मनिर्भर बनाकर उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ना ताकि वह दूसरों पर डिपेंड नहीं रहे

🔹 उनकी वास्तविक शक्ति का विकास करना

🔹 समाज में विकलांगता संबंधी बुराइयों को दूर कर दो

🔹 विकलांग बालकों में एक उत्साह जगाना ताकि वह समाज में खोल कर सके ।

🔘 राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान परिषद = 2000

NCERT= National council
education research and training

🔹 स्कूली शिक्षा के विषय अनुसार सभी विकलांगों को अधिगम सहायक समावेशी शिक्षा प्रदान करने की संस्तुति की गई

🔘. विशिष्ट बालक 🔹 विशिष्ट बालक वह बालक होते हैं जो सामान्य से भिन्न होते हैं

🔹सामान्य बालकों की अपेक्षा विशिष्ट बालकों के शैक्षिक स्तर या तो बहुत ऊपर होता है यह बहुत ही कम होता है

🔹 विशिष्ट बालक शारीरिक रूप से कमजोर या शारीरिक रूप से स्वस्थ भी हो सकते हैं

🔹शिष्ट बालकों की बुद्धि 90 से कम या 110 से ऊपर भी हो सकती है

🔹 विशिष्ट बालक मंदबुद्धि या सृजनशील भी हो सकते हैं।

🔹 विशिष्ट बालक वह बालक होते हैं जो जो किसी कारण से पीछे रह गए , वंचित ,शारीरिक रूप से कमजोर विकलांगता , दृष्टिबाधित शारीरिक और मानसिक रूप से कमजोर आर्थिक रूप से पिछड़े बालक , या सभी तरह से सक्षम बालक भी विशिष्ट हो सकता है

🔹 विशिष्ट बालक सभी तरह से भिन्न होतै है उनकी सोच उनकी मानसिक शक्ति सभी से अलग होती है

🔹 विशिष्ट बालक को विशेष प्रकार की आवश्यकता की जरूरत होती है अगर उनका विशेष प्रकार से ध्यान नहीं रखा जाए तो वह किसी भी हद तक जा सकते हैं

🔹 विशिष्ट बालक एक अपराधी बालक ,या डॉक्टर , इंजीनियर ,खोजकर्ता ,भी हो सकता है

🔘 सामान्य बालक

🔹 शारीरिक रूप से स्वस्थ बालक

🔹 सामान्य बालक शारीरिक श्रम वाले कार्य सफलता से कर सकते हैं

🔹 सामान्य बालक की बुद्धि लब्धि 90 से 110 के बीच होती है

🔹 सामान्य बालक की शैक्षिक उपलब्धि का औसत रहती है

🔹 सामान्य बालक की सीखने की गति औसत रहती है

🔹 सामान्य बालक शिक्षक के दिए गए कार्य को लगन से करते हैं वह शिक्षक के आदेश का पालन करते हैं

🔹 सामान्य बालक संवेगात्मक रूप से संतुलित व्यवहार करते हैं

🔹 सामान्य बालक समाज में विद्यालय में घर परिवार दोस्त में समायोजन रहते हैं


➡️ समावेशी शिक्षा योजना की प्रासंगिकता निम्न बिंदुओं पर आधारित है➡️
🔅 अधिकांश छात्रों को विकलांगता के कारण शिक्षा के अवसर नहीं मिल पाते हैं,:- जो बच्चे शारीरिक और मानसिक रूप से विकलांग होते हैं उन्हें सही और उचित संसाधन नहीं मिल पाते जिससे वह बालक शिक्षा ग्रहण करने में उसे परेशानी होती है।

🔅संविधान का 93 वां संशोधन:- भारतीय संविधान के 93 वें संशोधन के अनुसार 6-14 वर्ष के बच्चों को निः शुल्क शिक्षा दी जाए।

🔅समावेशी शिक्षा योजना(IES 2015):-इस योजना का उद्देश्य था कि 2015 तक सर्व शिक्षा अभियान के तहत पूर्णतया साक्षर भारत का निर्माण करना भारत का प्रत्येक व्यक्ति कम से कम अपना हस्ताक्षर कर सके।

🔅 राज्य सरकार को शिक्षा में विशेष बालकों के लिए एक निश्चित आवश्यक वचनबद्धता:-इसके अंतर्गत राज्य सरकार को विशेष बालकों के लिए उनकी जरूरतों के अनुसार वातावरण उपलब्ध कराना , विशेष बालों के लिए समस्त जरूरी संसाधन उपलब्ध कराना यह भारत के प्रत्येक राज्य के लिए यह एक वचनबद्धता है।

🔅 PWD-1995:-इसके तहत विकलांगता से संबंधित 18 वर्ष की आयु के विशेष प्रकार के बालक को सरकार की ओर से सभी सुविधाएं और शिक्षा प्रदान कर सकेंगे।

🔅 राष्ट्रीय शैक्षिक एवं अनुसंधान परिषद (एनसीईआरटी) 2000:- इनके अनुसार स्कूली शिक्षा के विषय अनुसार सभी विकलांग को अधिगम सहायक समावेशी शिक्षा प्रदान करने की संस्तुति की गई।

🔅 समावेशी शिक्षा योजना (IES) के तहत प्रत्येक बालक को शिक्षा प्रदान करना चाहे वह शारीरिक रूप से विकलांग को या मानसिक रूप से या वह बालक सामान्य ही क्यों ना हो? सभी को समान शिक्षा प्रदान की जाए।

🌟 विशिष्ट बालक🌟

विशिष्ट बालक वह बालक होता है जो सामान्य से भिन्न हो।

1️⃣ सामान्य बालक शरीर से स्वस्थ रहता है जबकि विशिष्ट बालक शरीर से स्वस्थ नहीं रहता वह किसी ना किसी रूप से खुद को अस्वस्थ महसूस करता है इस प्रकार के बालकों को हम विशिष्ट बालक या वंचित बालक कह सकते हैं

2️⃣ सामान्य बालक शारीरिक श्रम वाले कार्य सरलता से करते हैं जबकि विशिष्ट बालक किसी कार्य को सरलता से नहीं कर पाते हैं विशिष्ट बालक उस काम को करने के लिए सामान्य बालक की अपेक्षा अधिक समय ले सकते हैं या कभी-कभी उस कार्य को करने में सक्षम भी नहीं हो सकते।

3️⃣ सामान्य बालक की बुद्धि लब्धि 90 से 110 के बीच होती हैं जबकि विशिष्ट बालक की बुद्धि लब्धि 90 से कम या 110 से ज्यादा भी हो सकती है।

4️⃣ विशिष्ट बालक सामान्य बालक ओं की अपेक्षा शैक्षिक उपलब्धि के औसत में या तो बहुत नीचे या फिर शैक्षिक उपलब्धि को बहुत ऊपर हद तक पार कर लेते हैं ऐसे बालक ओं को भी हम विशिष्ट बालक की श्रेणी में रखेंगे।

5️⃣ सामान्य बालक शिक्षक द्वारा दिए गए कार्य को लगन से करता है उसे यह कार्य करने में आनंद प्राप्त होता है जबकि विशिष्ट बालक में ऐसा नहीं होता वह शिक्षक द्वारा दिए गए कार्य को लगन से नहीं करता है।

6️⃣ सामान्य बालक में सीखने की गति औसत रहती हैं जबकि विशिष्ट बालक में ऐसा नहीं होता है।

7️⃣ सामान्य बालक संवेगात्मक रूप से संतुलित रहता है जबकि विशिष्ट बालक संवेगात्मक रूप से संतुलित नहीं रहता है।

8️⃣ सामान्य बालक समाज या विद्यालय में समायोजन करता है जबकि विशिष्ट बालक उसके अनुरूप वातावरण ना मिलने के कारण समाज या वातावरण में सामंजस ठीक ढंग से नहीं कर पाता है। 🖊️Raziya khan🖊️


🌐 Nots by 🌐
🇮🇳 sapna sahu🇮🇳
◾️ समावेशी शिक्षण की प्रसंगिकता◾️
समावेशी शिक्षण की प्रासंगिकता पर आधारित है
🔹 अधिकांश छात्रों को विकलांगता के कारण शिक्षा के अवसर नहीं मिल पाते:- इस स्थिति में बच्चे आते हैं जो शारीरिक रूप से या मानसिक रूप से विकलांग होते हैं इनके अनुसार स्कूल में उचित व्यवस्थाएं नहीं होती जिससे वह शिक्षा पाने से वंचित रह जाते हैं
🔹संविधान के 93 मैं संशोधन के अनुसार :- 6 से 14 वर्ष के बच्चों को निशुल्क शिक्षा दी जाए
जिससे 6 से 14 वर्ष के सभी बच्चे शिक्षा ग्रहण कर सके चाहे वह किसी भी परिवार से आते हो उसकी स्थिति कैसे भी हो आर्थिक रूप से किसी भी दशा में हो वह सब शिक्षा को ग्रहण कर सकें
🔹 समावेशी शिक्षा योजना IES :- इस योजना का उद्देश्य था कि 2015 तक सभी व्यक्तियों को साक्षर बनाना ताकि वह अपने छोटे मोटे व्यवसाय का लेखा-जोखा स्वयं रख सकें तथा अपना हस्ताक्षर करना जान सकें
🔹 राज्य सरकार को शिक्षा में विशेष बालकों के लिए एक निश्चित आवश्यकता वचनबद्धता है:- राज्य सरकार विशेष बालकों के लिए वचनबद्ध है कि वह उनको अच्छी शिक्षा दें परंतु इस कार्य में बहुत सी कठिनाई आती है
🔹PWD act 1995 विकलांग बालकों से संबंधित
इस एक्ट में कहा गया कि 18 वर्ष तक की आयु के सभी विशेष वर्ग के बालक को सरकार की ओर से सभी सुविधाएं और शिक्षा प्रदान की जाए
🔹NCERT ( राष्ट्रीय शैक्षिक एवं अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद):- इसका गठन 1 सितंबर 1961 में किया गया
🔹2000
स्कूली शिक्षा के विषय अनुसार सभी दिव्यांगों को अध्ययन सहायक समावेशी शिक्षा प्रदान करने की संस्तुति की गई
🔹 समावेशी शिक्षा योजना IES प्रत्येक बालक को शिक्षा प्रदान करना है सभी बालकों को शिक्षा प्रदान करना इस योजना का उद्देश्य है
🚺 विशिष्ट बालक :- जो सामान्य से भिन्न होते हैं वह विशिष्ट वाला कहलाते हैं
या तो उच्च बुद्धि वाले या निम्न बुद्धि वाले बालक आते हैं
🚼 उच्च बुद्धि वाले बालक बे होते हैं जो सामान्य से कुछ ज्यादा ही आगे होते हैं यह बहुत ही जिज्ञासु प्रवृत्ति के बालक होते हैं तथा शिक्षा के थोड़े से मार्गदर्शन पर आगे निकल जाते हैं
🚼 निम्न बुद्धि बालक जी बालक होते हैं जो अपने साथी से पीछे रहते हैं तथा शिक्षक के निर्देशों को भी समझने में कठिनाई का अनुभव करते हैं
🚹 सामान्य बालक 🚹
सामान्य बालक की विशेषताएं निम्न प्रकार हैं
1⃣ शरीर से स्वस्थ रहते हैं
2⃣ सामान्य शारीरिक श्रम वाले कार्य सरलता से करते हैं
3⃣ इनकी बुद्धि लब्धि 90 से 110 के बीच होती है
4⃣ शैक्षिक उपलब्धि का औसत रहती है
5⃣ सीखने की गति औसत रहती है
6⃣ शिक्षक के दिए गए कार्य को लगन से करता है:- शिक्षक के द्वारा दिया गया कार्य को लगन से करते हैं तथा समय के अनुसार करते हैं
7⃣ संवेगात्मक रूप से संतुलित रहता है किसी भी कार्य को ना तो अधिक देर तक करता है ना ही ज्यादा देर तक आराम करता है वह अपने किसी भी कार्य में बैलेंस बनाकर चलता है
8⃣ समाज विद्यालय में समायोजन करना
ऐसी बालक समाज तथा विद्यालय में अपने आप को समायोजित रखते हैं किस परिस्थिति में हमें क्या करना है इस बात का समायोजन करके चलते हैं


🌺🌺समावेशी शिक्षा योजना की प्रासंगिकता ( वह क्या है और क्यों है) निम्नलिखित बिंदुओ पर आधारित हैं ।
🌺1) अधिकांश बच्चो को विकलांगता के कारण शिक्षा का अवसर नहीं मिल पाता है ।
जो बच्चे समान्य होते हैं उनको सरलता से शिक्षा मिल जाती हैं जबकी दिव्यान्ग या विशिष्ट बालकों को उनके जरुरत के हिसाब से ( पैर से विकलांग होने प्र व्हीलचेयर का यूज़ करना आदि।) से शिक्षा देना चाहिए ।

🌺2) संविधान के 93वें संशोधन के अनुसार— 6 से 14 वर्ष के बच्चे को निशुल्क शिक्षा दी जाये।

🌺3) समावेशी शिक्षा योजना के अंतर्गत यह बोला गया 2015 तक सर्व शिक्षा अभियान के तहत सभी बच्चो को पूर्णतः साक्षर ( जिन्हें अक्षरों का ज्ञान हो या व्यक्ति को अपने नाम पड़ने लिखने का ज्ञान हो।) करना।

🌺4) राज्य सरकार को शिक्षा में विशेष बालको के लिये एक निश्चित आवश्यकता वचनबध्ता हैं ।

विषेश बालक को जो उन्हें जरुरत है वो उन्हें मिलनी चाहिए ।
मतलब निश्चितरुप से मिलना ही चाहिए । इसके लिये राज्य सरकार पूरी तरह से जिम्मेदार होती हैं ।

🌺5) PWD( person with disabilities act) विकलांग जन अधिनियम 1995 के अनुसार 18 वर्ष के सभी विशिष्ट बालकों को सरकार की ओर से समस्त सुविधायें ओर शिक्षा प्रदान कर सके।
Pwd के अनुसार 18 वर्ष की आयु तक रोजगार की शिक्षा दी जाये।

🌺6) NCERT (National Council of Education Research And Training) 2000
Ncert के अनुसार स्कूल की शिक्षा की जो विषय हैं उस विषय के हिसाब से विकलांग बच्चों को अधिगम सहयक सामग्री ओर वातावरण उपलब्ध करायी जाये । या समावेशी शिक्षा प्रदान करायी जाये,इसका सूझाव दिया गया।

🌺7) समावेशी शिक्षा योजना
प्रत्येक बालक को शिक्षा प्रदान करना है ।
🌺धर्म ,जाति , उम्र ,लिंग आदि के आधार पर भेदभाव किये बिना सभी बच्चो को समान रुप से समावेशी शिक्षा प्रदान करना हैं ।

🌺समावेशी शिक्षा इसी लिये आया है की इन सब भेदभाव को समाप्त किया जाये ओर सबको समान रुप से शिक्षा दी जाये । 🌺 विशिष्ट बालक🌺

वे बालक जो सामान्य बालक से अलग (भिन्न) होते हैं।
सामान्य से उपर ओर समान्य से नीचे दोंनो ही विशिष्ट बालक होते हैं।
विशिष्ट बालक की पहचान हम समान्य बालक की विशेषता जानकर समझ सकतेहैं ।

🌺🌺सामान्य बालक की विशेषता

1) शारीरिक रुप से स्वस्थ हो।
शारिरीक रुप से कमजोर ओर। शारिरीक रुप से बहुत अच्छे विशिष्ट बालक होते हैं ।

2) शारिरीक श्रम को ( कार्य ) सरलता से कर सकें ।
जो शारिरीक रुप से कार्य करने मे जल्दी थक जाये या विपरित शारीरिक रूप से कार्य करने मे बहुत अच्छे हो या जल्दी कर ले दोंनो विशिष्ट बालक कहलाएंगे।

3) 90 से 110 के बीच की बुद्धिल्ब्धी वाले बालक सामान्य होते हैं।
90 से कम या 110 से अधिक बुद्धिलब्धी के बालक विशिष्ट बालक होते हैं।

4) शैक्षिक उपलब्धता औसत रहती हैं ।
जिस बालक की शैक्षिक उपलब्धता औसत से कम हो या शैक्षिक उपलब्धता औसत से बहुत अधिक हो विशिष्ट बालक कहलाते हैं ।

5) सीखने की गति औसत रहती हैं ।
जिस बालक की सीखने की गति औसत से कम हो या जिस बालक की सीखने की गति औसत से बहुत अधिक हो विशिष्ट बालक कहलाते हैं

6) शिक्षक के द्वारा दिये गये कार्य को लगन से करने वाले होते हैं ।

जो बालक शिक्षक के द्वारा दिए गए कार्य को लगन से नहीं करते ओर वे बालक जो शिक्षक द्वारा दिए गए कार्य को लगन से करता है और अपनी सृजनात्मकतासे जोड़ कर करता हैं ।

7) संवेगात्म्क रुप से सन्तुलित रहते हैं।
जो बालक संवेगात्म्क रुप से कमजोर होते हैं,दुखी रहते है, ओर जो बालक संवेगात्मक रुप से बहुत अधिक सन्तुलित होते हैं व हमेशा उत्तेजनापूर्ण रहते हैं वो विशिष्ट बालक कहलाते हैं

8) समाज एवं विद्यालयों मे उत्तम समायोजन रहता है ।
वे बालक जो सामान्यत समाज ओर विद्यालय मे समयोजन नहीं कर पाते हैं और जो जरुरत से ज्यादा ही समायोजन करते हैं वे बालक विशिष्ट बालक कहलाते हैं ।

समाप्त🌺🌺🌺🌺🌺🌺


By Vandana Shukla

⚛️ समावेशी शिक्षा योजना की प्रासंगिकता निम्न बिंदुओं पर आधारित है -:

🌸 अधिकांश छात्रों को विकलांगता के कारण शिक्षा के अवसर नहीं मिल पाते हैं —

जो बच्चे विकलांग हैं उनको उनकी विकलांगता के कारण ही शिक्षा के अवसर नहीं मिल पाते क्योंकि जो बच्चे सामान्य हैं उनके लिए समान्य व्यवस्थाएं हैं ,लेकिन जो विकलांग है यह स्पेशल चाइल्ड है उनको विशेष शिक्षा देनी होती है क्योंकि सामान्य विद्यालय में उनको परेशानी होगी ।
जैसे कोई बच्चा अगर दृष्टिबाधित है तो सामान्य कक्षा में ब्लैक बोर्ड को नहीं देख सकता उसके लिए special aids की जरूरत है जैसे ऑडियो क्लासेस, ब्रेल लिपि का प्रयोग आदि यह साधन सामान विद्यालय में उपस्थित या इनकी उपयोगिता नहीं होती इसलिए स्पेशल चाइल्ड को सामान्य विद्यालयों में शिक्षा नहीं मिल पाती ।

🌸 संविधान का 93वां संशोधन के अनुसार 6 से 14 वर्ष के बच्चे को निशुल्क शिक्षा दी जाए।

इस संशोधन में 6 से 14 वर्ष के बालकों को निशुल्क शिक्षा देने की बात कही गई है। अनिवार्य शिक्षा के बारे में कोई बात नहीं कही गई है निशुल्क शिक्षा दी जाए इसके बारे में बात कही गई है ।

🌸 समावेशी शिक्षा योजना IES

समावेशी शिक्षा योजना के अंतर्गत यह बात बोली गयी है कि 2015 तक सबको सर्व शिक्षा अभियान के तहत पूर्णता साक्षर बनाना है।
साक्षर का मतलब है अक्षर को पहचान पाना और अक्षर को पढ़ पाना। बालक अपने शब्दों को पढ़ सके और पढ़ें शब्दों को लिख सके ।

🌸 राज्य सरकार को शिक्षा में विशेष बालकों के लिए एक निश्चित वचनबाद्धता है -:

शिक्षा में विशेष बालक वह होंगे जिनको किसी ना किसी रूप से कठिनाई का सामना करना पड़ता है, या वे बालक जो सामान्य से भिन्न होंगे शारीरिक या मानसिक रूप से।
उस विशेष बालक की कुछ आवश्यकता है उस आवश्यकता को उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकार वचनबद्ध है। राज्य सरकार को वह आवश्यकताएं पूर्ण करने का एक तरह से आदेश है।

🌸 PWD act 1995

PWD – person with disability/विकलांग जन अधिनियम

यह एक्ट विकलांग बालकों से संबंधित एक्ट है।
18 वर्ष की आयु के सभी विशेष बालकों को सरकार की ओर से समस्त सुविधाएं प्रदान करें और शिक्षा प्रदान करें । यह आवश्यक है।
18 वर्ष के बाद बालक व्यस्क हो जाते हैं रोजगार उन्मुख हो जाते हैं ।
18 वर्ष के बाद के शिक्षा बालक अपने व्यवसाय से संबंधित करते हैं।

🌸 NCERT
National council of educational research and training 2000

राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और परीक्षण परिषद

इसका गठन 1 सितंबर 1961 को हुआ था।
स्कूली शिक्षा के विषय अनुसार सभी विकलांग को अधिगम सहायक समावेशी शिक्षा प्रदान करने की संस्तुति की गई रिकमेंडेशन ।
विकलांग बालकों की विषय के अधिगम के लिए जो सहायक वातावरण है वह प्रदान किया जाए।

🌸 समावेशी शिक्षा योजना IES

प्रत्येक बालक को शिक्षा प्रदान करना है।
यह किसी एक वर्ग के बारे में बात नहीं करता यह प्रत्येक वर्ग के प्रत्येक बालक को शिक्षा प्रदान करना है इस बारे में बात कहता है क्योंकि कई बार विशिष्ट विशिष्ट करते हुए हम सामान्य बालकों को भूल जाते हैं इसलिए प्रत्येक बालक को शिक्षा प्रदान की जाए।

☘️विशिष्ट बालक

वह बालक जो सामान्य से भिन्न होते हैं विशिष्ट कहलाते हैं, सामान्य से कम भी विशिष्ट और सामान्य से अधिक भी विशिष्ट ही कहलाते हैं।

🍀 वह शरीर से स्वस्थ रहते है – सामान्य।
जो इस श्रेणी में नहीं आएगा वह विशिष्ट है।

🍀 शारीरिक श्रम वाले कार्य सरलता से करते हैं – सामान्य
व जो शारीरिक कार्य सरलता से ना कर पाए विशिष्ट श्रेणी में आएंगे।

🍀बुद्धि लब्धि 90 से 110 के बीच में होती है – सामान्य।
इससे ज्यादा वाले भी विशिष्ट और कम वाले भी विशिष्ट की ही श्रेणी में आएंगे।

🍀 शैक्षिक उपलब्धता औसत रहती है – सामान्य।
अगर शैक्षिक उपलब्धता कम हो तो विशिष्ट और अगर ज्यादा हो तो भी विशिष्ट बालक की श्रेणी में आएंगे।

🍀 सीखने की गति औसत रहती है – सामान्य ।
सीखने की गति अगर कम है तो विशिष्ट और सीखने की गति अधिक है तो भी विशिष्ट की श्रेणी में ही आएंगे।

🍀 शिक्षक के द्वारा जो कार्य दिया जाता है उसे लगन से करते हैं – सामान्य ।
अगर लगन से ना कर पाए या बहुत अधिक लगन लगा ले तो विशिष्ट की श्रेणी में आते हैं।

🍀 संवेगात्मक रूप से संतुलित रहते हैं – सामान्य ।
संवेग कम या ज्यादा हो तो विशिष्ट ।

🍀समाज एवं विद्यालय में उत्तम समायोजन रहता है – सामान्य ।
समायोजन कम या ज्यादा तो विशिष्ट।

धन्यवाद


✍Notes by
LAXMI PATLE

🚸 समावेशी शिक्षा योजना की प्रासंगिकता निम्नलिखित बिंदुओं पर आधारित है:-

अधिकांश छात्रों को उनकी विकलांगता के कारण शिक्षा का अवसर नहीं मिल पाते हैं।

जिस प्रकार सामान्य बच्चों के लिए सामान्य सुविधाओं की आवश्यकता होती है ठीक उसी प्रकार दिव्यांग बच्चे को भी विशेष सुविधाओं एवं शिक्षा की जरूरत पड़ती है। दिव्यांग बच्चों को उनकी आवश्यकता के अनुसार ही शिक्षा दी जानी चाहिए। लेकिन समावेशी शिक्षा योजना के अस्तित्व में आने के बाद भी देखा जा सकता है कि बहुत ऐसे बच्चे हैं जो दिव्यांग हैं, किन्तु उन्हें उनकी दिव्यांगता के कारण ही शिक्षा का अवसर नहीं मिल पाता है।

अतः समाज को चाहिए की प्रत्येक बच्चे के व्यक्तिगत विभिन्नता को ध्यान में रखते हुए उनके प्रति संवेदनशीलता का भाव रखें एवं उनकी जरूरत को पूरा करें।

संविधान के 93वें संशोधन के अनुसार:-

संविधान के 93वें संशोधन के अनुसार कहा गया है कि, 6 से 14 वर्ष के आयु के बच्चों को निशुल्क शिक्षा दी जाए।

समावेशी शिक्षा योजना ( IES -inclusive education scheme)

समावेशी शिक्षा योजना के अंतर्गत, 2015 तक सर्व शिक्षा अभियान के तहत सभी को पूर्णतः साक्षर करना है। यह एक उचित योजना रही है किन्तु आज भी यह पूर्ण रूप से साकार नहीं हो पाया है।

यहां साक्षरशब्द का अर्थ स+अक्षर से हैं अर्थात सभी बच्चों का साक्षर होने से तात्पर्य है कि सभी को अक्षर का ज्ञान हो जाए। किसी लिखित अंश को पढ़ सके पहचान सके।अतः उन्हें पढ़ने लिखने का ज्ञान हो जाए, वे अपने से हस्ताक्षर कर सके।

राज्य सरकार को शिक्षा में विशेष बालकों के लिए एक निश्चित आवश्यक वचनबद्धता है:-

अनुच्छेद 350 A के तहत् प्रत्येक राज्य सरकार उनके राज्य के भीतर प्रत्येक स्थानीय प्राधिकारी, भाषाई अल्पसंख्यक वर्गों के बालकों को शिक्षा के प्राथमिक स्तर पर मातृभाषा में शिक्षा की पर्याप्त सुविधाओं की व्यवस्था करने का प्रयास करेगा और राष्ट्रपति किसी राज्य को ऐसे निर्देश दे सकेगा जो वह ऐसी सुविधाओं का उपबंध सुनिश्चित कराने के लिए आवश्यक है। इसके लिए राज्य सरकारों को आवश्यक वचनबद्धता है।

विकलांग जन अधिनियम (PWD act – person with disability)1995:-

इस एक्ट के अनुसार 18 वर्ष के आयु वर्ग जितने भी विशेष बालक आते हैं उन्हें सरकार की ओर से सभी सुविधाएं और शिक्षा प्रदान किया जाए।

पीडब्ल्यूडी एक्ट के अंतर्गत यह कहा गया है कि 18 वर्ष तक के जितने भी विशेष बच्चे हैं उन्हें आवश्यक सुविधा उपलब्ध कराते हुए स्वावलंबी बनने के लिए प्रेरित करना चाहिए। इससे उनको अपने जीवन में आत्मविश्वास के साथ जीने के लिए सहायता मिलेगी।

राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (NCERT-National council of education research and training) 2000:-

समावेशी शिक्षा के विषयानुसार सभी विकलांग बच्चों को अधिगम सहायक सामग्री के माध्यम से शिक्षा प्रदान करने की संस्तुति की गई है अथवा प्रस्ताव रखा गया है।अतः स्कूल में जो शिक्षादी जाती है उस विषय के हिसाब से सभी विकलांग बच्चों को सीखने के लिए सहायक सामग्री उपलब्ध कराई जाने का सुझाव दिया गया है।

समावेशी शिक्षा योजना:-

समावेशी शिक्षा योजना के अंतर्गत प्रत्येक बालक को शिक्षा प्रदान करना है। समावेशी शिक्षा योजना में किसी भी बच्चे को उनकी जाति ,भाषा ,धर्म ,संस्कृति आदि के आधार पर वंचित ना करके, उन्हें समान रूप से शिक्षा प्रदान करना है। बच्चों को उनकी आवश्यकता अनुसार सुविधाएं प्रदान करते हुए समाज के साथ सामंजस्य एवं समायोजन कर पाने के योग्य बनाना है।

🤷‍♀️ विशिष्ट बच्चे🤷‍♂️
जो बच्चे,सामान्य बच्चों से भिन्न होते हैं।उनकी आवश्यकताएं सामान्य बच्चों की आवश्यकताओं के अपेक्षा अलग होती हैं,उन्हें समाज में अपना जीवन निर्वहन के लिए अतिरिक्त सुविधाओं की आवश्यकता होती है, विशिष्ट बच्चे कहलाते हैं।

विशिष्ट बच्चों को जानने से पूर्व यह जानना आवश्यक है कि सामान्य बालक किसे कहते हैं।

विद्यालय में अलग- अलग समाज,अलग-अलग वर्ग तथा अलग-अलग परिवारों से बच्चे आते हैं। सभी बच्चों में अलग-अलग भिन्नता पाई जाती हैं।

🚹 सामान्य बालक की विशेषताएं🚺

🦋 सामान्य बालक वे होते हैं जिनका शारीरिक स्वास्थ्य एवं बनावट सामान्य होता है ,उन्हें सामान्य कार्य करने में किसी भी प्रकार की कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ता है।

🦋 सामान्य शारीरिक श्रम वाले कार्य भी सरलता से कर लेते हैं।

🦋 सामान्य बालकों की बुद्धि लब्धि 90 से 110 के बीच होती है।

🦋 सामान्य बालकों की शैक्षिक उपलब्धता औसत रहती है।

🦋 सामान्य बालकों की सीखने की गति भी औसत रहती है।

🦋 सामान्य बालक शिक्षक के द्वारा दिए गए कार्य को भी लगन से करता है।

🦋 सामान्य बालक संवेगात्मक रूप से संतुलित रहता है।

🦋 सामान्य बालक का समाज या विद्यालय में उचित समायोजन रहता है।

🙇‍♀️ विशिष्ट बालकों की विशेषताएं🙇‍♂️

विशिष्ट बालक सामान्य बालकों से भिन्न होते हैं।

➡️ विशिष्ट बालक शारीरिक रूप से सामान्य बालकों की तुलना में कमजोर या शारीरिक रूप से बहुत अधिक बलिष्ठ होते हैं।

➡️ विशिष्ट बालक सामान्य शारीरिक श्रम वाले कार्य को करने में जल्दी थक जाते हैं या सरलता से नहीं कर पाते हैं या तो किसी कार्य को बहुत जल्दी एवं बहुत अच्छे से कर लेते हैं।

➡️ जिन बालकों की बुद्धि लब्धि 90 से कम अथवा जिन बालकों की बुद्धि लब्धि 110 से ज्यादा होती है वे विशिष्ट बालक के अंतर्गत आते हैं।

➡️ वे बालक जिनकी शैक्षिक उपलब्धता बहुत ही कम या बहुत ज्यादा होती है अर्थात वे बालक शिक्षा में उपलब्धि प्राप्त करने के लिए असमर्थ होते हैं या बहुत ज्यादा प्राप्त कर लेते हैं यह विशिष्ट बालक की श्रेणी में आते हैं।

➡️ वे बालक जिनके सीखने की गति मंद या बहुत अधिक तीव्र होती है अर्थात ऐसे बालक जिनके सीखने की गति औसत से कम अथवा औसत से अधिक होती है, वे विशिष्ट बालक के अंतर्गत आते हैं।

➡️ विशिष्ट बालक शिक्षक के द्वारा दिए गए कार्य को भी लगन से पूरा कर पाने में असमर्थ होते हैं या शिक्षक के द्वारा किए गए कार्य को लगन के साथ और अधिक तीव्रता से, नये तरीके से, समय से पहले ही कर देते हैं।

➡️ विशिष्ट बालक संवेगात्मक रूप से कमजोर एवं परेशान होते हैं अथवा संवेगात्मक रूप से बहुत अधिक उत्साहित एवं जोशपुर्ण तरीके से कार्य को करते हैं।

➡️ वे बालक जो समाज में या विद्यालय में उचित समायोजन नहीं कर पाते हैं या समाज में या विद्यालय में सामान्य से अधिक समायोजन कर लेते हैं, विशिष्ट बालक के श्रेणी में आते हैं‌।

➡️ विशिष्ट बालक वे होते हैं जिन्हें विशेष देखरेख की आवश्यकता होती है।

➡️ऐसे बालक जो सामान्य बालकों की तुलना में श्रेष्ठ या निम्न होते हैं विशिष्ट बालक के अंतर्गत आते हैं।

➡️ विशिष्ट बालकों के अंतर्गत पिछड़े बालक ,मानसिक रूप से विकलांग बालक,शारीरिक रूप से विकलांग, प्रतिभाशाली बालक आदि शामिल है।

🙏 समाप्त🙏


✒️Notes by
Shashi chaudhary🌺
🌈समावेशी शिक्षा योजना की प्रासंगिकता निम्न बिंदुओं पर आधारित हैं
✒️ अधिकांश छात्रों को विकलांगता के कारण शिक्षा के अवसर नहीं मिल पाते है –
जिस प्रकार सामान्य बच्चों के लिए सामान्य सुविधाओं की आवश्यकता होती है ठीक उसी प्रकार विकलांग बच्चों को भी विशेष प्रकार की सुविधा की आवश्यकता होती है दिव्यांग बच्चों को उनकी आवश्यकता के अनुसार ही शिक्षा देनी चाहिए लेकिन बहुत से बच्चे अपनी विकलांगता के कारण शिक्षा से वंचित रह रहे हैं क्योंकि उन्हें उनके दिव्यांगता के कारण शिक्षा अवसर नहीं मिल पा रहे हैं

✒️ संविधान के 93 वे संशोधन के अनुसार-
6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों को निशुल्क शिक्षा दी जाए

✒️ समावेशी शिक्षा योजना (IES)- inclusive education scheme

समावेशी शिक्षा योजना के अंतर्गत 2015 तक सर्व शिक्षा अभियान के तहत सभी को पूर्णत साक्षर करना है

यहां पर साक्षर का मतलब यह है कि सभी को अक्षरों का बोध तथा पढ़ना व लिखना व हस्ताक्षर करना तो सीख जाये ।
✒️ राज्य सरकार को शिक्षा में जो विशेष बालक है उनके लिए एक निश्चित आवश्यक वचनबद्धता है अर्थात विशिष्ट बालकों की कुछ ना कुछ आवश्यकताएं होती है जो उन्हें मिलनी ही चाहिए इसके लिए सरकार को संवेदनशील होने की आवश्यकता है।
✒️ विकलांग जन अधिनियम PWD (personal with disability act 1995)-
दिव्यांग बालक को 18 वर्ष की आयु के सभी विशेष बालकों को सरकार की ओर से सभी सुविधाएं और शिक्षा प्रदान कर सके।

✒ राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद
NCERT ( National Council of research and training)
1 सितंबर 1961 में इसका गठन हुआ था यह कहता है कि स्कूल शिक्षा के विषय के अनुसार सभी विकलांग बालकों को अधिगम सहायक समावेशी शिक्षा प्रदान करने की recommendation की गई

✒️ समावेशी शिक्षा योजना –
इस योजना के अंतर्गत सभी को वह चाहे विशिष्ट हो या समान प्रत्येक बालक को शिक्षा प्रदान करना है।

🌈 विशिष्ट बालक –
ऐसे बालक जो सामान्य बालको से भिन्न है वे विशिष्ट बालक की श्रेणी में आते है

🔸 जो शरीर से स्वस्थ रहते हैं अर्थात शारीरिक और मानसिक दोनों स्तर पर स्वस्थ हो सामान्य बालक की श्रेणी में आते हैं तथा जो इन से भिन्न है वह विशिष्ट बालक होंगे।

🔸 सामान्य शारीरिक श्रम वाले कार्यों को सफलता से करते हो वह सामान्य बालक हैं और जो उन कार्यों को करने में सक्षम नहीं है या कुछ ज्यादा समय लेते हैं तो वह विशिष्ट बालक है।

🔸 सामान्य बालक को की बुद्धि लब्धि 90 से 110 होती है

🔸 सीखने की गति औसत रहती है।

🔸 शैक्षिक उपलब्धता औसत होती है।
जिन बच्चों शैक्षिक उपलब्धता औसत से कम होती है या औसत से अधिक होती है तो वह विशिष्ट बालक की श्रेणी मे आते हैं

🔸 संवेगात्मक रूप से संतुलित रहते हैं।
विशिष्ट बालक संवेगात्मक रूप से कमजोर एवं परेशान होते हैं वे संवेगात्मक रूप से अधिक उत्साहित एवं जोश पूर्ण तरीके से कार्य करते हैं। ऐसे बालको विशेष देखरेख की आवश्यकता होती है

🔸 सामान्य बालक समाज और विद्यालय में समायोजन कर लेता है जबकि विशिष्ट बालक समाज और विद्यालय में समायोजन करने मे असमर्थ होता है ऐसे बालक समाज के नियमों का पालन नहीं करते हैं।

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