Motivation and learning:

Internal motivation
Personal motivation
Biological motivation
Primary motivation
By birth motivation
Hunger , rest, anger, happiness , sadness ,fear, cry, sleepy, love, hate, internal emotions , all these are included in above internal motivation.
External motivation
Acquired / earned motivation
Social motivation
Psychological motivation
Secondary motivation
It comes from the outer .
Curiosity, attraction, safety, society, hobbies, all these included in in above external motivation.
Skinner says:- motivation is the best way { national highway} of learning.
Good says:- motivation is to start the work , continue the work with proper schedule
“The word motivation is derived from latin word motum which means to move or motion”.
Motivation can be termed as:

  1. Need = which is necessary to be alive. [if our basic needs doesn’t fulfill then our body doesn’t work properly example medicines , food, sleep etc.]
  2. Drive = the reason/ indication behind the need is drive [if we feel hunger then that hunger is drive]
  3. Appreciation/ incentive= when we complete our desired need then the completion of need is incentive.
  4. Motivator= need+ drive+ appreciation= motivator

Need , drive and appreciation are inter dependent.
Need derives drive, and drive complete/fulfill the appreciation
BY:- CHAHITA ACHARYA


अभिप्रेणा लैटिन भाषा के Motum शब्द से लिया गया है।जिसका अर्थ होता है गति करना।
अभिप्रेणा दो प्रकार के होते हैं।

  1. आंतरिक अभिप्रेणा- जो व्यक्ति के व्यहवार को आंतरिक रूप से अभिप्रेरित करे। जैसे-धूप ,प्यास ,नींद ,प्यार,काम।

2.बाह्य अभिप्रेणा- जो व्यक्ति के व्यहवार को बाह्य रूप से प्रेरित करे।जैसे-रुची, जिज्ञाषा,आत्मसम्मान।

** स्किनर के अनुसार- प्रेरणा सीखने का राजमार्ग है।

**गुड के अनुसार-प्रेरणा किसी काम को आरम्भ करने, जारी रखने, नियमित रखने की प्रक्रिया है।
By kiran kumari


By➖ Anamika Rathore 🥰

✍️ अभिप्रेरणा (motivation)➖

व्यक्ति के सभी प्रकार के एहसास या अनुभूति के माध्यम से अभिप्रेरणा मिलती हैं। अभिप्रेरणा व्यवहार को एक निश्चित दिशा में कार्य करने की शक्ति प्रदान करती है।
मोटीवेशन शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा के ” मोटम ” शब्द से हुई है जिसका अर्थ – मोशन या गति ।
अभिप्रेरणा को देखा नहीं जा सकता है सिर्फ इस पर आधारित व्यवहार को देखकर इसका अनुमान लगाया जा सकता है।

✍️अभिप्रेरणा के प्रकार ➖

अभिप्रेरणा दो प्रकार की होती है-
1) आंतरिक प्रेरणा
2) बाह्य प्रेरणा

1:: आंतरिक प्रेरणा==
अन्य नाम — व्यक्तिगत प्रेरणा , जैविक प्रेरणा , प्राथमिक प्रेरणा , जन्मजात प्रेरणा।
व्यक्ति किसी कार्य को अपनी मर्जी से करता है । जब हमें भूख लगती है तो हम अंदर से ( मन से) खाने के लिए प्रेरित होते है, वह आंतरिक प्रेरणा होती है। इसके अन्तर्गत भूख , प्यास , नींद इत्यादि आते हैं।

2:: बाह्य प्रेरणा ==
अन्य नाम– अर्जित प्रेरणा , सामाजिक प्रेरणा , द्वितीयक प्रेरणा , मनोवैज्ञानिक प्रेरणा।

व्यक्ति को किसी दूसरे की इच्छा या प्रभाव के कारण किसी कार्य को करने की प्रेरणा मिलती है उसे बाह्य प्रेरणा कहते है। अतः बाहरी लोगों या समाज से हमारे वातावरण के द्वारा हमारे दिमाग से जो प्रेरणा आती है उसे बाह्य प्रेरणा कहते है। इसके अन्तर्गत स्वयं की रक्षा , जिज्ञासा , सामाजिकता , शौक इत्यादि आते हैं।

✍️स्किनर ➖ “” प्रेरणा , सीखने का एक राजमार्ग है। “”
✍️गुड ➖”” प्रेरणा कार्य को आरंभ करने , जारी रखने , नियमित रखने की प्रक्रिया को कहते है।””

✍️अभिप्रेरणा चक्र या पद ➖
अभिप्रेरणा की प्रक्रिया को स्पष्ट करने के लिए मनोवैज्ञानिको द्वारा अभिप्रेरणा चक्र का प्रतिपादन किया गया , जो निम्न प्रकार से है–
1:: आवश्यकता ➖
हमारी शारीरिक जरूरतों को पूरा करने की प्रेरणा ही आवश्यकता है। आवश्यकता प्राणी में किसी कमी को दर्शाती है। वह शारीरिक जरूरतों जिससे हम जीवित रह सके । जैसे– भोजन , जल , वायु , नींद और मल मूत्र विसर्जन आदि।

2:: चालक ➖
आवश्यकता , चालक पर निर्भर करती है। अर्थात् वह शारीरिक अवस्था जो किसी आवश्यकता से उत्पन्न हुई हो। चालक , आवश्यकता की पूर्ति के लिए प्राणी को क्रियाशील करते है। जैसे — भूख लगी है यह बात हम चालक द्वारा पता चलेगी और हम खाना चाहिए यह आवश्यकता ही बताएगा ।

3:: प्रोत्साहन ➖
प्रोत्साहन , चालक को शांत करता है। आवश्यकता , चालक को शांत करना स्टार्ट करती है और प्रोत्साहन , चालक को शांति के अंतिम चरण पर ले जाता है। प्रोत्साहन को उद्दीपन भी कह सकते है।

4:: प्रेरक➖
आवश्यकता , चालक और प्रोत्साहन से मिलकर प्रेरक हुआ है। यह अत्यंत व्यापक शब्द है ।
🙏🙏


☀ By (रश्मि सावले) ☀

🌹अभिप्रेरणा और अधिगम🌹
(Motivation & Learning) :-

हमारे किसी भी प्रकार का संवेग जिससे हम अभिप्रेरित होकर कुछ करना चाहते हैं जिससे हम अभिप्रेरित होते हैं हमारी अभिप्रेरणा है..
अभिप्रेरणा शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा के Motum से हुई है जिसका अर्थ गति करना या act करना है…
अभिप्रेरणा दो प्रकार की होती है आन्तरिक और बाह्य..
आन्तरिक :– ये अभिप्रेरणा जन्मजात होती है ये आंतरिक रूप से आती है इसको हम आंतरिक प्रेरणा, व्यक्तिगत प्रेरणा, जैविक प्रेरणा, प्राथमिक प्रेरणा, या जन्मजात प्रेरणा भी कह सकते हैं ये हमारे शरीर की basic needs है जैसे भूख, प्यास, नींद, यौन करना, आराम करना, काम करना, गुस्सा प्रेम आदि ये सब हमारी प्राथमिक आवश्यकता है जिससे हमारे शरीर का संतुलन बना रहता है..

बाह्य अभिप्रेरणा:–इसको अर्जित प्रेरक कहा जा सकता है अर्थात हम बाहर से प्राप्त करते हैं इसको सामाजिक, मनोवैज्ञानिक या द्वितीयक प्रेरक भी कहा जाता है बाहरी सामाजिक वातावरण या दूसरों के अनुसार प्राप्त करते हैं यह बाह्य अभिप्रेरणा है जैसे सुरक्षा, जिज्ञासा, सामाजिकता, शौक आदि…
स्किनर के अनुसार :– अभिप्रेरणा सीखने का राजमार्ग है..
अर्थात जिससे हमें कुछ नया करने की राह प्रशस्त हो..
गुड के अनुसार:– अभिप्रेरणा किसी कार्य को आरंभ करना, जारी रखना, या नियमित रखने की प्रक्रिया हैं…

अभिप्रेरणा को चार पदों पर परिभाषित किया गया है
(1) आवश्यकता:– जो हमारे शरीर की प्राथमिक आवश्यकता हो और जिसकी पूर्ति नहीं होने पर शरीर का संतुलन बिगड़ जाता है जैसे भोजन करना, नींद लेना, आराम करना आदि..
(2) चालक (Drive) :–जो हमारे शरीर को सुचारू रूप से चलाने में मदद करता है अर्थात आवश्यकता चालक पर निर्भर है यह आवश्यकता को निर्देशित करता है जैसे भूख ,प्यास आदि क्योंकि भूख लगने पर हम भोजन करते हैं…

(3) प्रोत्साहन (Incentives) :–जब आवश्यकता होती है तो वह चालक के कारण होती है और वह आवश्यकता की पूर्ति प्रोत्साहन करता है जैसे भूख लगने पर भोजन की प्राप्ति हो जाना ही
प्रोत्साहन है यह चालक को शांत कर देता है और भूख से प्रोत्साहन को शांत किया जा सकता हैं..

(4) प्रेरक (Motivater):–यह आवश्यकता, चालक, और प्रोत्साहन तीनों का योग है या मिश्रण है क्योंकि अभिप्रेरणा इन चारों पदो का योग है..

🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏


By- Rohit Vaishnav (RV) ✍️ अभिप्रेरणा (Motivation)

*अभिप्रेरणा शब्द को अंग्रेजी में मोटिवेशन कहते हैं।मोटिवेशन शब्द की उत्पत्ति लेटिन भाषा के मोटम शब्द से हुई है। जिसका अर्थ होता है गति करना।

👉अभिप्रेरणा की परिभाषाएं

स्किनर- प्रेरणा सीखने के लिए राजमार्ग है 🛣️

गुड – अभिप्रेरणा कार्य को आरंभ
करने , जारी रखने, नियंत्रित करने की प्रक्रिया है। 👉अभिप्रेरणा के सोपान

1 आवसक्ता- Need
प्रत्येक प्राणी की कुछ आधारभूत आवश्यकताएं होती हैं जैसे जल, वायु ,भोजन जिनके बिना जीवन संभव नहीं है यह हमारे शरीर की क्रियाशीलता कई प्रमुख अंग हैं।

उदाहरण- जब हमें भूख लगती है तो हमारे शरीर में तनाव उत्पन्न होता है जिसके कारण हम भोजन की खोज करने लगते है।

2 चालक – Drive
जब हमें किसी चीज की आवश्यकता महसूस होती है तो हम उसमें क्रियाशीलता दिखाने लगते हैं।

उदाहरण- जब हमें भूख लगती है तो हम पूजन ढूंढती हैं इसमें भूख लगना चालक है जिसकी वजह से ही हम क्रियाशीलता दिखाते हैं।

3 प्रोत्साहन- Incentive
आवश्यकता की पूर्ति होने पर चालक को शांत करने का कार्य प्रोत्साहन करता है

उदाहरण- जिस प्रकार हमें भूख लेनी थी और भोजन की प्राप्ति होने पर हमारी भूख शांत हो जाते हैं यहां भोजन प्रोत्साहन का कार्य कर रहा है।

4 प्रेरक – Motive
आवश्यकता, चालक, प्रोत्साहन तीनों का योग जी प्रेरक कहलाता है।


Notes by ➖
✍️ Gudiya Chaudhary
👇👇👇

🔆🔆 अभिप्रेरणा(motivation)🔆🔆
अभिप्रेरणा व्यक्ति में कार्य करने की प्रवृत्ति जाग्रत करना है जिससे एक या अधिक प्रभाव उत्पन्न होते हैं।
▪️ अभिप्रेरणा कल्पना को क्रियाशील बनाती है। यह मानसिक शक्ति के गुप्त और अज्ञात स्रोतों को जाग्रत करती है।

🔷 अभिप्रेरणा का अर्थ ➖
अभिप्रेरणा अंग्रेजी शब्द motivation से बना है जिसकी उत्पत्ति लेटिन भाषा के शब्द motum से हुई है जिसका अर्थ है to move अर्थात कोई क्रिया करना।
🔷 अभिप्रेरणा की परिभाषाएं ➖
🔹 स्किनर ➖ अभिप्रेरणा अधिगम का श्रेष्ठतम राजमार्ग है।
🔹गुड ➖ अभिप्रेरणा किसी कार्य को जारी करने या नियमित करने की प्रक्रिया है।
🔹वुडवर्थ ➖ अभिप्रेरणा व्यक्ति की वह दशा है जो किसी निश्चित उद्देश्यों की पूर्ति के लिए निश्चित व्यवहार को स्पष्ट करती है।
👉 इस प्रकार अभिप्रेरणा सीखने का हृदय, सीखने का राजमार्ग, सीखने का मुख्य कारण और सीखने का प्रमुख साधन है।
🔷 अभिप्रेरणा दो प्रकार की होती है।
1️⃣ सकारात्मक या आन्तरिक अभिप्रेरणा ➖ ऐसी अभिप्रेरणा जो बालक में स्वतः जाग्रत होती है। इसमें बालक लक्ष्य के लिए कार्य नहीं करता अपितु अपने सुख के लिए कार्य करता है।
2️⃣ नकारात्मक या बाहृय अभिप्रेरणा ➖ इस अभिप्रेरणा की आवश्यकता तब होती है जब आन्तरिक अभिप्रेरणा कार्य नहीं करती है । इस प्रकार की अभिप्रेरणा में पुरस्कार,प्रसंन्शा, असफलता का भय, सफलता का ज्ञान,प्रतिद्वन्द्वता इस प्रकार की अभिप्रेरणा में व्यक्ति लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कार्य करता है। पुरस्कार प्राप्त करने के लिए समाज में सम्मान प्राप्त करने के लिए कार्य करता है।

🔷 प्रेरकों के प्रकार➖
1️⃣ आन्तरिक प्रेरक
व्यक्तिगत प्रेरक
जैविक प्रेरक
प्राथमिक प्रेरक
जन्मजात प्रेरक
➡️ भूख, प्यास,भय आदि
2️⃣ बाह्य प्रेरक
अर्जित प्रेरक
सामाजिक प्रेरक
मनौवैज्ञानिक प्रेरक
द्वितीयक प्रेरक
➡️ सुरक्षा, जिज्ञासा, सामाजिकता, शौक आदि।

🔷 अभिप्रेरणा के स्रोत ➖
1️⃣ आवश्यकता (need)➖ प्रत्येक मनुष्य की कुछ मूलभूत आवश्यकताएं होती है जो मनुष्य को कार्य करने के लिए प्रेरित करती है। आवश्यकता यानी हमारे शरीर में किसी चीज की कमी होना जैसे ➖ भोजन की कमी, पानी की कमी आदि।
“Need is a some sort of deficiency in the body owing to which one feels tense”
2️⃣ चालक ➖ प्रत्येक आवश्यकता से जुड़ा एक चालक होता है। चालक उत्पन्न होने पर व्यक्ति क्रिया करने हेतु कार्यशील हो जाता है। भोजन की कमी से जुड़ा चालक भूख , पानी की कमी से जुड़ा चालक प्यास।
” Drive is an original source of energy that activities the human origanism”
3️⃣ प्रोत्साहन ➖ जिस चीज से हमारा चालक शान्त होता है उसे प्रोत्साहन या उद्दीपक कहा जाता है। जैसे प्यास लगने पर पानी पी कर प्यास बुझाना।
👉 आवश्यकता, चालक और उद्दीपक में घनिष्ठ संबंध है। आवश्यकताएं चालक को जन्म देती है। चालक एक तनावपूर्ण स्थिति है तथा व्यवहार को एक निश्चित दिशा और रूप प्रदान करती है। उद्दीपक द्वारा आवश्यकता की पूर्ति होती है। पूर्ति हो जाने पर चालक समाप्ति हो जाती है।
आवश्यकता ➡️ चालक ➡️ प्राणी में आन्तरिक तनाव या बाधाएं ➡️ उद्दीपक➡️ लक्ष्य प्राप्ति एवं समायोजन
4️⃣ प्रेरक ➖ आवश्यकता+चालक+प्रोत्साहन
Motive= need + drive + incentive
🌸🌸 Thanks 🌸🌸


वंदना शुक्ला द्वारा
🔅 Motivation and learning🔅
🔅 अभिप्रेरणा और अधिगम🔅

🔸जब हमें किसी भी कार्य को करने का बोध हो उसके पीछे की उत्तेजना को प्रेरणा कह सकते हैं क्योंकि उत्तेजना के अभाव में किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया करना संभव नहीं है।

✳️अभिप्रेरणा के प्रकार

प्रेरणा के दो प्रकार होते हैं-

🌸1- आंतरिक प्रेरणा या,व्यक्तिगत प्रेरणा या, जैविक प्रेरणा ,प्राथमिक प्रेरणा, जन्मजात प्रेरणा – यह प्रेरणा दिल से आती है, इस प्रेरणा में बालक किसी कार्य को अपनी स्वयं की इच्छा से करता है इसे करने में उसे सुख ,संतोष प्राप्त होता है जैसे -भूख ,प्यास ,नींद ,प्यार ,क्रोध।

🌸2- बाह्य प्रेरणा या,अर्जित प्रेरणा या,सामाजिक प्रेरणा, मनोवैज्ञानिक प्रेरणा, द्वितीयक प्रेरणा- इस प्रेरणा में बालक किसी कार्य को अपनी इच्छा से ना करके किसी दूसरे की इच्छा या बाहरी प्रभाव से करता है इस कार्य को करने में उसे किसी वांछनीय या निश्चित लक्ष्य की प्राप्ति होती है ,यह प्रेरणा दिमाग से आती है, यह प्रेरणा हम बाहर से ग्रहण करते हैं, समाज से ग्रहण करते हैं, जैसे सुरक्षा, जिज्ञासा, सामाजिकता, शौक , रुचि।

🔸 स्किनर -प्रेरणा सीखने का राजमार्ग है।

🔸 गुड के अनुसार प्रेरणा कार्य को आरंभ करने जारी रखने एवं नियमित रखने की प्रक्रिया है।

🔸 प्रेरणा निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है।

🔸 प्रेरणा अंग्रेजी शब्द मोटिवेशन के समानार्थी के रूप में है। अंग्रेजी में मोटिवेशन लैटिन भाषा के Motum शब्द से लिया गया है जिसका अर्थ है गति करना, निरंतर चलते रहना, मूव करना, कुछ act करना।

🔸 प्रेरणा के 4 स्रोत हैं-

🌸1-आवश्यकता -आवश्यकता वह चीज है जिसके बगैर हमारा शरीर ठीक से कार्य नहीं करेगा ,शरीर की आवश्यकताएं हैं भोजन , नींद, प्यास जिससे हम जिंदा रह सके ,आवश्यकता के ना पूरा होने पर मनुष्य का जीवन खतरे में पड़ सकता है, आवश्यकता पूरी नहीं होती तो मनुष्य के शरीर में तनाव उत्पन्न होता है।

🌸2-चालक- हर आवश्यकता से जुड़ा एक चालक होता है जैसे भूख लगी है तो खाने की आवश्यकता है तो भूख चालक है और खाना आवश्यकता है, आवश्यकता चालक पर डिपेंड करता है।

🌸3- प्रोत्साहन भूख लगी है तो आवश्यकता भोजन, पूर्ति खाना आया और खाना खाना प्रोत्साहन।
प्रोत्साहन पूर्ति करता है चालक को शांत करता है और आवश्यकता चालक से जुड़ी है तीनों का आपस में घनिष्ठ संबंध है । चालक है तो आवश्यकता होगी और आवश्यकता है तो प्रोत्साहन की जरूरत होती है।

🌸4-प्रेरक – तीनों को मिलाकर जो बना है वह प्रेरक है। प्रेरक= आवश्यकता+ चालक+ प्रोत्साहन।

धन्यवाद


Det.5/9/2020 – nots by – shanu sanwle
✏️ अभिप्रेरणा और अधिगम
Motivation & learning
✏️ अभिप्रेरणा -motivation
Motivation – लेकिन भाषा के motum शब्द से बना हैं।
✏️ अभिप्रेरणा मतलब कुछ गति करना
✏️ अभिप्रेरणा हमारी एक आंतरिक शक्ति हैं ।
जैसे – भूख ,प्यास , नींद ,गुस्सा ,क्रोध,योन, प्यार, स्नेह ,काम,आराम करना, मल मूत्र त्याग ,ये सब हमारी आंतरिक प्रेरणा हैं।
✏️अभिप्रेरणा के दो प्रकार है।
1️⃣ आंतरिक प्रेरणा
2️⃣ बाह्य प्रेरणा
✏️ आंतरिक प्रेरणा के प्रकार
1️⃣ आंतरिक प्रेरणा
2️⃣ व्यक्तिगत प्रेरणा
3️⃣ जैविक प्रेरणा
4️⃣ प्राथमिक प्रेरणा
5️⃣ जन्मजात प्रेरणा
✏️ बाह्य प्रेरणा के प्रकार
1️⃣ अर्जित प्रेरणा
2️⃣ सामाजिक प्रेरणा
3️⃣ मनोवैज्ञानिक प्रेरणा
4️⃣ द्वितीय प्रेरणा
5️⃣ जिज्ञासा, सुरक्षा,शौक, आदि हमारे बाह्य प्रेरक हैं । जैसे – बच्चे को भूख नहि लगी ,समोसे देख कर बच्चा चिल्लाने लगता हैं भूख लगी ,भूख लगी समोसे दिला दो पापा । ये बाह्य प्रेरक हैं।
✏️ 🔸 स्किनर के अनुसार -प्रेरणा सिखने का राजमार्ग हैं।
✏️🔸 गुड के अनुसार- प्रेरणा ,कार्य को आरम्भ करना , जारी रखना, नियमित करने की प्रेक्रिया हैं।
✏️ अभिप्रेरणा motivation
1 आवश्यकता
2 चालक
3 प्रोत्साहन
4 प्रेरक
1️⃣ आवश्यकता – जो हमारी शारीरिक जरूरत हैं
जैसे- भूख,प्यास, नींद आदि ।
2️⃣ चालक – जो आवश्यकता को चालतीहैं
जैसे- भूख चालक है , खाना ,खाना हमारी आवश्यकता है
3️⃣ प्रोत्साहन – जब हमें आवश्यकता होती तो वह चालक के कारण होती है और उस आवश्यकता की पूर्ती करना प्रोत्साहन हैं
जैसे- चालक ने कहा प्रयास लगी, पानी पिना आवश्यकता है , प्यास शांत हुई प्रोत्साहन हैं।
4️⃣ प्रेरक – आवश्यकता+ चालक+ प्रोत्साहन ,
तीनो का योग हैं ।
Shanu sanwle – mp tet student

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