🔆 पुनर्बलन का सिद्धांत

(Reinforcement theory)

▪️इस सिद्धांत को “सी. एल .हल”ने दिया यह व्यवहारवादी थे। वर्तमान समय में यह सिद्धांत बहुत प्रमुख है ।इन्होंने यह प्रयोग अमेरिका के येल विश्वविद्यालय में किया।

▪️सी.एल. हल ने थोर्नडायक  और वुड वर्थ के द्वारा किए गए प्रयोगों और उन पर आधारित सीखने की जो व्याख्या है उस पर आलोचना व्यक्त की।

▪️उन्होंने कहा पुनर्बलन के अंतर्गत कई चीजें आती हैं।

▪️सर्वप्रथम सी. एल. हल ने अपने सिद्धांत की रचना 1930 में की तब यह लगभग संपूर्ण रूप से केवल एक सामान्य प्रतिस्थापन ही था।

▪️प्रतिस्थापन से तात्पर्य किसी सामान्य चीज पर या किसी कार्य पर होने वाली अभिक्रिया या प्रति विस्थापन होने से है जिससे उस चीज या कार्य में परिवर्तन आता है।

▪️इस प्रतिस्थापन का मुख्य कारक पुनर्बलन था और यही पुनर्बलन उत्तेजन या उद्दीपक कहलाता है।

▪️हल का सिद्धांत सामान्यत: उत्तेजना प्रतिक्रिया जैसा ही था।

▪️चूंकि हल एक व्यवहारवादी थे लेकिन तर्क और सिद्धांत के प्रस्तुतीकरण में हल प्रयोगवादी मनोविज्ञान से भी प्रभावित हुए।

▪️हल सीखने में चेतना को महत्व नहीं देते थे उनका कहना था कि सीखने की प्रक्रिया में व्यवहारवादी और यांत्रिक व्याख्या दी।

▪️यांत्रिक रूप (मोटर कौशल) से सीखने में अभ्यास का विशेष महत्व होता है।

▪️यदि हमारे चेतन मन में कोई चीज या कार्य  नहीं है लेकिन जब हम उस उसे अपने प्रयास या अभ्यास से  यांत्रिक रूप से  अपने व्यवहार में लाते हैं तो उस चीज का कार्य को बेहतर रूप से सीख जाते हैं।

▪️सी.एल.हल ने  कहा कि थोर्नडायक के प्रभाव का नियम और पावलोव का संबंध प्रतिक्रिया के नियम में किसी न किसी बाहा रुप से मिलने वाला पुनर्बलन से हमारा व्यवहार प्रभावित होता है।

▪️सी. एल. हल ने अपने सिद्धांत का प्रतिपादन “व्यवहार का सिद्धांत” नामक पुस्तक ने किया।

▪️तत्पश्चात उन्होंने एक 1951 में  “व्यवहार के आवश्यक तत्व” नामक पुस्तक की रचना की जिसमें उन्होंने इस सिद्धांत के नवीन रूप प्रस्तुत किए।

▪️क्योंकि इन्होंने व्यवहार के हर पक्ष में पुनर्बलन का बहुत महत्व दिया इसीलिए उनका यह सिद्धांत “पुनर्बलन का सिद्धांत” कहलाने लगा।

▪️सी.एल. हल ने सीखने की प्रक्रिया में केवल उत्तेजना अनुक्रिया पर ही बल नहीं दिया बल्कि इसके साथ-साथ उन्होंने कहा कि सीखने की प्रक्रिया में सीखने वाले की मनोदशा उनकी आवश्यकता और उनका लक्ष्य भी शामिल होता है ।

▪️यदि हम किसी कार्य को करने का मन नहीं है और ना ही उसकी जरूरत है और ना ही उसका कोई लक्ष्य है तो उससे कार्य को हम कभी नहीं सीख सकते हैं।

❇️हल का सिद्धांत :-

▪️हल ने अपनी सिद्धांत की व्याख्या 17 सिद्धांत,17 उप सिद्धांत, 133 प्रमेय नामक स्वयं सिद्ध सिद्धांत के आधार पर की है।

▪️इन सभी सिद्धांत के अनुसार सीखने की क्रिया का मुख्य उद्देश्य आवश्यकता की पूर्ति है।

▪️कोई भी व्यक्ति किसी भी चीज का आचरण व व्यवहार सीखता है तो वह उसकी किसी न किसी आवश्यकता की पूर्ति के लिए करता है।

▪️व्यवहार केवल बाह्य रुप से देखने वाला ही नहीं बल्कि जो भी कार्य हम कर रहे हैं उस कार्य को अपने व्यवहार, अपनी क्षमता ,अपनी शक्ति अपने निष्पादन में भी प्रयोग करते हैं अर्थात अपने दैनिक जीवन में आत्मसात करना ही व्यवहार कहलाता है।

और यही व्यवहार अधिगम है।

▪️सी.एल. हल का मानना है कि पुनर्बलन या सबलीकरण की प्रक्रिया में हमारी आवश्यकता की पूर्ति होती है और हमें संतुष्टि मिलती है।

इन्होंने इस प्रक्रिया में चालक को विशेष महत्व दिया।

▪️व्यक्ति की प्रेरणा शारीरिक और मनोवैज्ञानिक रूप से उत्पन्न होती है।

और व्यक्ति अभिप्रेरणा की अनुपस्थिति में नहीं सीख सकता अभिप्रेरणा के कारण की विशिष्ट क्रिया होती है जिसके फलस्वरूप हमे कार्य को सीखने में गति मिलती है।

▪️यदि अभी प्रेरणा होती है तो हमारी लक्ष्य की प्राप्ति से हमारी उत्तेजना अनुक्रिया का संबंध और  भी दृढ़ हो जाता है अर्थात उस कार्य को करने में हमारा मन लगता है।

▪️यदि हम भविष्य में किसी इस प्रकार की लक्ष्य प्राप्ति करना चाहते हैं तो हमें उस कार्य के प्रति होने वाली उत्तेजना के लिए किस तरह की अनुक्रिया करनी होगी यह हमें ज्ञात होगा।

▪️जैसे भूख लगने पर खाना खाते हैं और जब भी कभी भूख लगती है तो यह पता है कि भूख (उद्दीपक) लगने पर भोजन (अनुक्रिया) खाना है।

▪️लक्ष्य की प्राप्ति हो जाने पर आवश्यकता कम हो जाती है।

▪️सफल प्रतिक्रिया ही उद्दीपक अनुक्रिया (SR) को मजबूत करती हैं।

▪️यदि व्यक्ति को भूख लगी और यदि उसे खाना नहीं मिला तो यह सफल प्रतिक्रिया नहीं होगी अर्थात हमारी आवश्यकता की पूर्ति नहीं हुई तो उद्दीपक अनुक्रिया का संबंध भी दृढ़ नहीं होगा अर्थात भूख लगने पर भोजन ना मिलना

✨हल ने सबलीकरण या पुनर्बलन की दो अवस्थाएं बताई हैं।

1 प्राथमिक पुनर्बलन

2 द्वितीयक पुनर्बलन

📍1 प्राथमिक पुनर्बलन :-

वैसे उत्तेजना जिससे किसी प्राणी की आवश्यकता में कमी आ जाती है।

📍2 द्वितीयक पुनर्बलन :- 

इसमें अधिगम तो होता है लेकिन प्राथमिक आवश्यकता में कमी नहीं आती।

प्राथमिक आवश्यकता को पूर्ति करने के लिए द्वितीयक आवश्यकता एक पहली सीढ़ी है जिसके माध्यम से प्राथमिक आवश्यकता की पूर्ति की जा सकती है।

अर्थात भोजन, भूख के चालक को प्रबल बनाता है। यह अवस्था प्राथमिक प्रबलन की है।

भूख उस समय तक शांत नहीं होती जब तक की भोजन नहीं खा लिया जाता है। अतः भोजन करने से पहले भूख रूपी चालक एक बार फिर प्रबल बन जाता है जिसे द्वितीयक प्रबलन कहा जाता है।

❇️हल का प्रयोग :- 

▪️सी. एल.हल ने अपना प्रयोग चूहे पर किया

पहले प्रयोग में उन्होंने

दो खानों वाला एक पिंजरा लिया। जिसमें बीच की दीवार में एक छेद था

इस बीच की दीवार में विद्युत धारा( यहां विद्युत धारा पुनर्बलन का काम करती है।) प्रवाहित होती थी।

▪️चूहे को एक खाने में रखा गया। और विद्युत धारा प्रवाहित की। चूहे को विद्युत धारा के कारण कुछ कष्ट हुआ।इससे चूहा उछलने कूदने लगा अर्थात चूहे को विद्युत धारा के कारण पुनर्बलन हुआ।

चूहा उछलता कूदता हुआ दूसरे खाने में चला गया

दूसरे खाने में चूहे को विद्युत धारा नहीं लगी इस कारण वह आराम महसूस कर रहा था।

लेकिन फिर से दीवार में विद्युत धारा प्रवाहित की गई फिर से चूहे ने वही प्रक्रिया अपनाई और दूसरे खाने में चला गया

▪️यहां पर भी दूसरे खाने में चूहे को आराम मिला

अर्थात दूसरे खाने में पहुंचने पर चूहे को संतोषजनक परिणाम मिला

▪️इसी कारण इसे  हल ने “परिणाम का नियम “कहा।

▪️हल ने दूसरा प्रयोग भी चूहे पर किया

इस प्रयोग में विद्युत धारा का झटका देने से 2 सेकंड पहले एक घंटी बजती थी। जैसे ही चूहे को झटका लगता था वह उछलने कूदने लगता था

लेकिन अब चुहा झटका लगने से पहले घंटी के बजने पर ही उछलने  लगता था ।

इससे चूहे की प्रतिक्रिया घंटी बजने के साथ संबद्ध हो गयी

इसे ही हल ने “संबद्ध प्रतिक्रिया का नियम” बताया।

❇️ हल् सिद्धांत की कमियां :- 

1 हल सीखने को प्रयास त्रुटि द्वारा सीखने की विधियां तक ही सीमित रखते हैं।

2 हल् सीखने के सकारात्मक प्रेरणा पर बल न देकर निषेधात्मक प्रेरणा पर बल दिया।

3 टोलमेन ने सीखने में पुनर्बलन को महत्वपूर्ण नहीं माना।

4 चूहे पर इनका प्रयोग सही हुआ लेकिन मनुष्य पर यह प्रयोग बिल्कुल लागू नहीं किया जा सकता।

5 हल को गणित से प्रेम था उन्होंने सिद्धांत में स्वयं सिद्धियों की व्याख्या में अनावश्यक रूप से अंको का प्रयोग किया और सिद्धांत को मात्रात्मक बनाने की कोशिश की।

✍️

       Notes By-‘Vaishali Mishra’

🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼 पुनर्बलन का सिद्धांत–

☘️ इस सिद्धांत को CL hull ने दिया है।

☘️ यह व्यवहारवादी थी जय सिद्धांत बहुत प्रमुख था।

☘️ इन्होंने अपने प्रयोग अमेरिका के येल विश्वविद्यालय में किया था।

☘️ सामान्य प्रतिस्थापन का मुख्य कारक पुनर्बलन पुनर्बलन है। और इस पुनर्बलन को उत्तेजना उद्दीपक कहा जाता है।

🥀हल का सिद्धांत–  

    यहां पर भी उत्तेजना और अनुक्रिया जैसा ही था।

🥀 हल व्यवहारवादी थे। लेकिन प्रयोगवादी मनोविज्ञान से भी प्रभावित थे।( तर्क और सिद्धांत के प्रस्तुतीकरण में)

🥀 CL hull सीखने में चेतना को महत्व नहीं देते हैं। इन्होंने सीखने की व्यवहारवादी और यांत्रिक( मोटर कौशल) की व्याख्या की है।

🥀 यांत्रिक सीखने में अभ्यास का विशेष महत्व होता है।

🌻 थार्नडाइक के प्रभाव का नियम, पावलव का संबंध प्रतिक्रिया का नियम से हल प्रभावित थे।

💥 हल ने अपनी सिद्धांत का प्रतिपादन “व्यवहार का सिद्धांत” नामक बुक लिखी ।फिर 1951 में इन्होंने एक पुस्तक लिखा “व्यवहार के आवश्यक तत्व”      

💐 इसमें इन्होंने व्यवहार के सिद्धांत के नवीन रूप को प्रस्तुत किया।

🥀क्योंकि उन्होंने व्यवहार के हर पक्ष में पुनर्बलन का महत्व दिया हुआ। इसलिए इनका सिद्धांत “पुनर्बलन का सिद्धांत ” कहलाने लगा।

🌺हल ने सीखने में केवल उत्तेजना अनुक्रिया पर ही बल नहीं दिया। बल्कि इस पर सीखने वाले की मनोदशा है ।उनकी आवश्यकता और उनकी लक्ष्य पर भी बल दिया।

☘️हल का सिद्धांत–  

  हल ने अपने सिद्धांत की  व्याख्या दी।

♦️ 17 स्वयं सिद्ध सिद्धांत

♦️ 17 उप सिद्धांत

♦️ 133 प्रमेय

💥 इन सब के अनुसार सीखने की क्रिया की, आवश्यकता की पूर्ति के लिए होती है।

💥 आवश्यकता सेआचरण और व्यवहार सिखाता है।

🥀 हल केअनुसार पुनर्बलन या सबलीकरण की प्रक्रिया है। इसमें आवश्यकता की पूर्ति होती है।

🥀 इससे संतुष्टि मिलती है।

🥀 इस प्रक्रिया में चालक को विशेष महत्व दिया है।

💥 प्रेरणा शारीरिक और मनोवैज्ञानिक इन दोनों प्रक्रिया से उत्पन्न होती है।

☘️ अभिप्रेरणा की अनुपस्थिति में नहीं सीख सकते हैं ।या अधिगम नहीं होता है।

☘️ अभिप्रेरणा विशिष्ट क्रिया करता है।

☘️ लक्ष्य की प्राप्ति से उत्तेजना और अनुप्रिया का संबंध मजबूत हो जाता है।

☘️ लक्ष्य की प्राप्ति होने के बाद आवश्यकता कम हो जाती है।

🌺 हल ने सबलीकरण/ पुनर्बलन की दो अवस्थाएं बताइ हैं।

♦️प्राथमिक पुनर्बलन

♦️द्वितीयक पुनर्बलन

🌈प्राथमिक पुनर्बलन–   वैसी उत्तेजना जिनसे किसी प्राणी की आवश्यकता में कमी आ जाती है। तो वह प्राथमिक पुनर्बलन कहा जाता है। इसका प्रभाव सीधे पड़ता है।

🌈 द्वितीयक पुनर्बलन–

  इसमें अधिगम होता है। लेकिन प्राथमिक आवश्यकता में कमी नहीं आती है। इसका प्रभाव सीधे नहीं पड़ता है।

🍄 हल का प्रयोग–

 इन्होंने अपने प्रयोग में एक दो खाने वाला पिंजरा लिया था। जिसमें दूसरे खाने में जाने के लिए एक छेद रखा गया था। और पहले खाने में चूहे को रखा। और उसमें विद्युत धारा प्रवाहित की। गई तो चूहा  छटपटा ने लगा और इधर उधर पैर मारने लगा और अचानक ही चूहा उस छेद से दूसरी तरफ निकल गया। फिर दूसरी तरफ विद्युत धारा प्रवाहित की और विद्युत धारा तब तक प्रवाहित की जब तक वह पहली तरफ वापस नहीं आ जाता और यह प्रक्रिया कई बार की गई। तो एक समय आया कि जब उस पिंजरे में विद्युत धारा प्रवाहित की जाती तो वह तुरंत उस क्षेत्र से दूसरी तरफ आ जाता ।

☘️ इस प्रयोग से हल ने परिणाम/ प्रभाव का सिद्धांत दिया।

🌈 हल ने फिर उसी चूहे पर प्रयोग किया ।और उस में विद्युत धारा प्रवाहित करने से 2 सेकंड पहले एक ध्वनि बजती थी। तो चूहा जैसे उस ध्वनि को सुनता और उस पर विद्युत धारा प्रवाहित की जाती ।तो वह झटपट आता और दूसरी तरफ चला जाता था। फिर उसके बाद एक समय आया कि जैसे ही वह ध्वनि को सुनता वह तुरंत उस छेद  से दूसरी तरफ चला जाता।

🍄इस प्रयोग से हल ने सम्बद्ध  का सिद्धांत दिया।

🌍 हल के सिद्धांत की कमियां– 

💐 हल सीखने को प्रयास एवं त्रुटि द्वारा सीखने की विधियों तक ही सीमित रखते हैं।

💐 हल ने सीखने के सकारात्मक प्रेरणा प्रबल ना देकर निषेधात्मक प्रेरणा पर बल दिया।

💐 टॉलमैंन सीखने के पुनर्बलन को महत्वपूर्ण नहीं माना।

💐 चूहा पर आप का प्रयोग सही होंगे लेकिन मनुष्य पर यह कतई लागू नहीं किया जा सकता है।

💐 हल को गणित से प्रेम था। उन्होंने सिद्धांत में स्वयं सिद्धियों की व्याख्या में अनावश्यक रूप से अंको का प्रयोग किया है। और मात्रात्मक सिद्धांत को बनाने की कोशिश की।

💐💐💐🌈🌈☘️☘️🥀

Notes by Poonam sharma

03/04/2021.             Saturday 

TODAY CLASS ….. 

           पुनर्बलन का सिद्धांत

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प्रवर्तक➖C.L.HALL

मनोवैज्ञानिक➖ व्यवहारवादी

जन्म ➖अमेरिका

🔥 वर्तमान काल में यह सिद्धांत बहुत प्रमुख है

🔥 इन्होंने अमेरिका के येल विश्वविद्यालय में यह प्रयोग किया था

🔥 इन्होंने थार्नडाइक और वूडवर्थ का जो पुनर्बलन का तरीका है वह वास्तविक में पुनर्बलन का तरीका वही नहीं पुनर्बलन का है क्योंकि  S-R Theory और R- S Theory मे कहीं पर भी उत्तेजना मिल जाती है पुनर्बलन की जरूरत एक बाहरी तत्व था उसी को पुनर्बलन बोल देते हैं इस पर….

➖C.L.HALL ने बोला पुनर्बलन के सिद्धांत में काफी सारी चीज है यह अपने आप में एक सिद्धांत है

➖C.L.HALL ने सबसे पहले अपने सिद्धांत की रचना 1930 में किया था

➖ सामान्य प्रतिस्थापन:— किसी भी चीज पर कोई कार्य करना या मूवमेंट होना ,किसी भी चीज के प्रभाव से कुछ बढ़ना घटना यही प्रतिस्थापन कहलाता है यह जो प्रतिस्थापन हुआ इसका मुख्य कारण पुनर्बलन है इसी को उत्तेजना या उद्दीपक बोलते हैं

➖C.L.HALL का सिद्धांत

( उत्तेजक↔️ प्रतिक्रिया) जैसा ही था।

➖C.L.HALL व्यवहारवादी थे लेकिन प्रयोगवादी मनोविज्ञान से ही प्रभावित थे  (तर्क और सिद्धांत के प्रस्तुतीकरण में)

➖ C.L.HALL कहते हैं सीखने में चेतना का महत्व नहीं देते हैं वह कहते हैं कि सीखने की जो व्यवहार बाद है यह जो यांत्रिकी व्याख्या की है

➖ यांत्रिक सीखने में अभ्यास का  विशेष महत्व होता है

➖C.L.HALL ने :—थार्नडाइक के प्रभाव का नियम

 :—-पावलव का संबंध प्रतिक्रिया का नियम

               आधार रखा

          ➖➖➖➖➖

 यह दोनों ही कहीं ना कहीं किसी बाह्य कारक से जुड़कर चीजों को प्रभावित करता है इसलिए हल ने बोला यह सब जो चीजें हमें प्रभावित करते हैं वह आगे बढ़ाने में हमें पुश करने में बहुत महत्वपूर्ण है और जितनी भी चीजें जिनको हम वाह्य कारक जिन्हें पुनर्बलन बोलते हैं वह सब हमारे व्यवहार को प्रभावित करते हैं

➖ इन्होंने अपने सिद्धांत का प्रतिपादन” व्यवहार का सिद्धांत” पुस्तक में किया।

➖ 1951″ व्यवहार के आवश्यक तत्व” पुस्तक में सिद्धांत के नवीन रूप प्रस्तुत किए हैं

➖ क्योंकि उन्होंने व्यवहार के हर पक्ष में पुनर्बलन का बहुत महत्व दिया इसलिए उनका सिद्धांत “पुनर्बलन का सिद्धांत “कहलाने लगा।

➖C.L.HALL ने सीखने की प्रक्रिया में केवल उत्तेजना अनुक्रिया पर ही बल नहीं दिया इसके साथ साथ..

➖ सीखने वालों की मनोदशा

➖ आवश्यकता

➖ लक्ष्य 

यह सब भी जरूरी है।

👨C.L.HALL का सिद्धांत

हल ने अपने सिद्धांत की व्याख्या

➖ 17 स्वयं सिद्ध सिद्धांत

➖ 17 उप सिद्धांत

➖ 133 प्रमेय

इन सब के अनुसार

➖ सीखने की क्रिया 

➖आवश्यकता की पूर्ति के लिए आचरण और व्यवहार सीखता है और इसी को अधिगम कहते हैं

➖C.L.HALL का पुनर्बलन या सबलीकरण की प्रक्रिया है इसमें आपकी आवश्यकता की पूर्ति होती है

➖ संतुष्टि मिलती है

➖ इसी प्रक्रिया में चालक को विशेष महत्व दिया है

🔥 प्रेरणा:— शारीरिक+ मनोविज्ञानिक इन दोनों से उत्पन्न होती है

🔥 अभिप्रेरणा की अनुपस्थिति में कुछ नहीं सीख सकता अभिप्रेरणा के कारण ही कोई विशिष्ट क्रिया करते हैं

🔥 लक्ष्य की प्राप्ति से उत्तेजना और अनुक्रिया का संबंध मजबूत हो जाता है

🔥 लक्ष्य की प्राप्ति के बाद आवश्यकता कम होती है

🔥 इसमें सफल पर प्रतिक्रिया S-R को मजबूत करती है

       🌻सबलीकरण पुनर्बलन🌻

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हल ने दो आवश्यकता बताई है:—

1. प्राथमिक पुनर्बलन 

2द्वितीयक पुनर्बलन

 ➖ जैसे हम सब का मेन मकसद शिक्षक बनना है तो कोई ऐसा काम करते हैं जिससे शिक्षक बन जाते हैं जो हमें डायरेक्ट शिक्षक बनने में मदद किया वह प्राथमिक पुनर्बलन है, लेकिन सीटेट पास करना हमारे लिए प्राथमिक पुनर्बलन नहीं यह द्वितीय पुनर्बलन है

1. प्राथमिक पुनर्बलन ➖ वैसे उत्तेजना जिनसे किसी प्राणी की आवश्यकता में कमी आ जाती है

2 द्वितीयक पुनर्बलन➖ इसमें अधिगम तो होता है लेकिन प्राथमिक आवश्यकता में कमी नहीं आती है

🔥 हल का प्रयोग

➖ चूहे पर

हल ने 2 खानों वाला एक पिंजरा लिया दूसरे खाने में जाने के लिए बीच में एक दीवार में एक सुराख था एक खाने मै चूहा को रखा गया और बीच के दीवार में विद्युत धारा प्रवाहित किया गया जो विद्युत धारा यहां पर उत्तेजक का कार्य कर रहा है इस उत्तेजक से चूहा उछलने लगा कूदने लगा पिंजरे को काटने लगा इस वजह से वह चूहा दूसरे खाने में कूद गया अब दूसरे खाने में भी विद्युत धारा प्रवाहित किया गया और यह विद्युत धारा तब तक प्रवाहित किया गया जब तक वह दूसरे खाने में नो चला गया तब तो आपको पता चला कि इस रास्ते से जाने में विद्युत नहीं मिलती तो वह खुद ना सीख गया जिससे

 हल ने परिणाम का नियम दिया

➖ दूसरा प्रयोग इसी चूहे पर किया

➖ चूहा को झटका देने से पहले 2 सेकंड पहले घंटी बजाया उसके बाद झटका दिया जब पहली घंटी बजाया और झटका दिया तो दूसरी बार में वह घंटी बजने से पहले ही उछलने लगा इसे हल ने संबंध प्रतिक्रिया का नियम दिया

🔥 हल के सिद्धांत में कमियां🔥

1  हाल सीखने का प्रयास एवं त्रुटि द्वारा सीखने की विधियों तक ही सीमित रखते थे

2.  हल ने सीखने के सकारात्मक प्रेरणा पर बल ना देकर निषेधात्मक प्रेरणा पर बल दिया

3. टॉलमैन सीखने में पुनर्बलन को महत्वपूर्ण नहीं माना

4.  चूहा पर आप का प्रयोग सही हो गया लेकिन मनुष्य पर यह कतई

 लागू नहीं किया जा सकता

5.  हल को गणित से प्रेम था उन्होंने सिद्धांत में स्वयं सिद्धियां की व्याख्या में अनावश्यक रूप से अंको का प्रयोग किया और सिद्धांत को मात्रात्मक बनाने की कोशिश की

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Notes by:— संगीता भारती✍🙏

पुनर्बलन का सिद्धांत ➖

 प्रतिपादक ➖ CL hull 

                 ➖व्यवहारवादी  थे। 

प्रयोग ➖अमेरिका के येल   

                विश्वविद्यालय 

इनका कहना था ➖ “सामान्य प्रतिस्थापन का मुख्य कारक पुनर्बलन पुनर्बलन है। और इस पुनर्बलन को उत्तेजना, उद्दीपक कहा जाता है।”

⏩यह व्यवहारवादी थे। लेकिन प्रयोगवादी मनोविज्ञान से भी प्रभावित थे।

( तर्क और सिद्धांत के प्रस्तुतीकरण में)

🕳️ यह सीखने में चेतना को महत्व नहीं देते हैं। इन्होंने सीखने की व्यवहारवादी और यांत्रिक( मोटर कौशल) व्याख्या की है।

🕳️ यांत्रिक सीखने में अभ्यास का विशेष महत्व होता है।

🕳️ *थार्नडाइक के प्रभाव का नियम, पावलव का संबंध प्रतिक्रिया का नियम से C L HULL प्रभावित थे।*

इन्होंने अपनी *सिद्धांत का प्रतिपादन “व्यवहार का सिद्धांत” नामक पुस्तक में, फिर 1951 में इन्होंने एक पुस्तक लिखा “व्यवहार के आवश्यक तत्व”*

🕳️ इसमें इन्होंने व्यवहार के सिद्धांत के नवीन रूप को प्रस्तुत किया।

🕳️ *चुकीं उन्होंने व्यवहार के हर पक्ष में पुनर्बलन का महत्व दिया। इसलिए इनका सिद्धांत “पुनर्बलन का सिद्धांत ” कहा गया।*

🕳️ इन्होंने सीखने में केवल उत्तेजना अनुक्रिया पर ही बल नहीं दिया। बल्कि इस पर सीखने वाले की मनोदशा ,उनकी आवश्यकता और उनकी लक्ष्य पर भी बल दिया।

*C L HULL का सिद्धांत* ➖

  हल ने अपने सिद्धांत की  व्याख्या दी।

🕐 17 स्वयं सिद्ध सिद्धांत

🕑 17 उप सिद्धांत

🕒 133 प्रमेय

 इन सब के अनुसार सीखने की क्रिया आवश्यकता की पूर्ति के लिए होती है।

🕳️ आवश्यकता आचरण और व्यवहार सिखाता है।

 *C L HULL  के अनुसार #पुनर्बलन या सबलीकरण# की प्रक्रिया वह है, जिसमें आवश्यकता की पूर्ति होती है, जिससे संतुष्टि मिलती है।*

🕳️ इस प्रक्रिया में चालक को विशेष महत्व दिया गया है।

🕳️ अभिप्रेरणा, शारीरिक और मनोवैज्ञानिक इन दोनों प्रक्रिया से उत्पन्न होती है।

🕳️ अभिप्रेरणा की अनुपस्थिति में नहीं सीख सकते हैं और ना ही अधिगम होता है।

🕳️ अभिप्रेरणा विशिष्ट क्रिया करता है।

🕳️ लक्ष्य की प्राप्ति से उत्तेजना और अनुक्रिया का संबंध मजबूत हो जाता है।

🕳️ लक्ष्य की प्राप्ति होने के बाद आवश्यकता कम हो जाती है।

 C L HULL ने सबलीकरण/ पुनर्बलन की दो अवस्थाएं बताइ हैं।

🕐 प्राथमिक पुनर्बलन

🕑 द्वितीयक पुनर्बलन

1️⃣ प्राथमिक पुनर्बलन ➖ उत्तेजना जिनसे किसी प्राणी की आवश्यकता में कमी आ जाती है। तो वह प्राथमिक पुनर्बलन कहा जाता है। इसका प्रभाव सीधे पड़ता है।

2️⃣ द्वितीयक पुनर्बलन ➖ इसमें अधिगम होता है। लेकिन प्राथमिक आवश्यकता में कमी नहीं आती है। इसका प्रभाव सीधे नहीं पड़ता है।

 *C L HULL का प्रयोग* ➖

 ➡️एक दो खाने वाला पिंजरा लिया। जिसमें दूसरे खाने में जाने के लिए एक छेद रखा गया था। और पहले खाने में चूहे को रखा और उसमें विद्युत धारा प्रवाहित की गई तो चूहा  कूदने लगा और इधर-उधर भागने लगा फिर अचानक ही चूहा उस छेद से दूसरी तरफ निकल गया। जब दूसरी तरफ विद्युत धारा प्रवाहित की तो वह फिर से प्रकिया करने लगा और विद्युत धारा तब तक प्रवाहित की जब तक वह पहली तरफ वापस नहीं आ गया। यह प्रक्रिया कई बार की गई। एक समय ऐसा आया कि जब उस पिंजरे में विद्युत धारा प्रवाहित की जाती तो वह तुरंत उस भाग से दूसरी भाग में आ जाता ।

*इस प्रयोग से हल ने परिणाम/ प्रभाव का सिद्धांत कहा।*

 ⏩हल ने फिर उसी चूहे पर प्रयोग किया परंतु इस बार उन्होंने उसमें विद्युत धारा प्रवाहित करने से 2 सेकंड पहले एक ध्वनि बजती थी। जिससे चूहा जैसे उस ध्वनि को सुनता और उस पर विद्युत धारा प्रवाहित की जाती तो वह कूदता और दूसरी तरफ चला जाता था। यह प्रक्रिया कई बार दोहराने के बाद एक समय आया कि जैसे ही वह ध्वनि को सुनता वह तुरंत उस छिद्र से दूसरी तरफ चला जाता।

*इस प्रयोग को हल ने सम्बद्ध  का सिद्धांत कहा।*

🕳️C L HULL के सिद्धांत की कमियां ➖ 

😱हल सीखने को प्रयास एवं त्रुटि द्वारा सीखने की विधियों तक ही सीमित रखते हैं।

😱हल ने सीखने के सकारात्मक प्रेरणा पर बल ना देकर निषेधात्मक प्रेरणा पर बल दिया।

😱टॉलमैंन सीखने के पुनर्बलन को महत्वपूर्ण नहीं मानते।

                 उन्होंने कहा- चूहे पर आप का प्रयोग सही होंगे लेकिन मनुष्य पर यह कतई लागू नहीं किया जा सकता है।

😱हल को गणित से प्रेम था। उन्होंने सिद्धांत में स्वयं सिद्ध की व्याख्या में अनावश्यक रूप से अंको का प्रयोग किया है। और मात्रात्मक सिद्धांत को बनाने की कोशिश की है।

_*Deepika Ray*_ 🕳️🕳️

🌲⚜️🔅पुनर्बलन का सिद्धांत🔅⚜️🌲

⚜️ प्रवर्तक ➖️सी एल हल

⚜️यह मनोवैज्ञानिक ➖️व्यवहारवादी हैं

⚜️जन्म ➖️अमेरिका में हुआ

⚜️वर्तमान काल में ➖️यह बहुत प्रमुख  सिद्धांत है ⚜️इन्होंने अमेरिका ➖️के येल  विश्वविद्यालय में प्रयोग किया ⚜️सामान्य प्रतिस्थापन का मुख्य कारण पुनर्बलन है और इस पुनर्वलन को उत्तेजना उद्दीपक कहा जाता है

⚜️हल का सिद्धांत ➖️यहां पर भी उत्तेजना और अनुक्रिया जैसा ही था यह व्यवहारवादी थे लेकिन प्रयोगवादी सिद्धांत से भी प्रभावित थे

 (तर्क और सिद्धांत के प्रस्तुतीकरण हैं)

 ⚜️हल कहते हैं सोचने की चेतना का महत्व नहीं है वह है सीखने की व्यवहारवादी और यांत्रिक व्याख्या की है

⚜️C. L हल ने थार्नडाइक के प्रभाव का नियम इससे जुड़ा है

पावलाव का संबंध प्रतिक्रिया का नियम भी जुड़ा है

 इन दोनों का प्रभाव पड़ता है इन दोनों नियमों को सीएल हल प्रभावित करता है

🔅इसलिए सीएलहल ने सिद्धांत का प्रतिपादन में” व्यवहार का सिद्धांत” पुस्तक लिखी

 🔅फिर 1951 “ब्यावहार के आवश्यक तत्व “नामक पुस्तक लिखी

🔅इसमें इन्होंने व्यवहार के सिद्धांत के नवीन रूप को प्रस्तुत किया

क्योंकि उन्होंने व्यबहार के हर पक्ष में पुनर्बलन का बहुत महत्व दिया

 इसलिए उनका सिद्धांत पुनर्बलन का सिद्धांत कहलाने लगा

⚜️ सीखने की प्रक्रिया में केवल उत्तेजना अनुपक्रिया पर ही बल नहीं दिया बल्कि

उन्होंने बोला इस पर सीखने वाले की मनोदशा है यह भी जरूरी है

उसकी आवश्यकता जरूरी है उसका लक्ष्य भी जरूरी है और उसके साथ साथ उसका लक्ष्य बहुत जरूरी होता है

⚜️हल ने अपने सिद्धांत की व्याख्या दी

🔅17 स्वयं सिद्ध सिद्धांत

 🔅17 उप सिद्धांत

🔅और 133 परिमेय दिए हैं

⚜️इन सब के अनुसार सीखने की क्रिया की आवश्यकता की पूर्ति के लिए होती है आवश्यकता से आचरण और व्यवहार सिखाता है

⚜️हल के अनुसार पुनर्बलन या सबलीकरण की प्रक्रिया है इससे आवश्यकता की पूर्ति होती है और हमें संतुष्टि मिलती है

 🔅इन्होंने इस प्रक्रिया में चालक को विशेष महत्व दिया है प्रेरणा शारीरिक और मनोवैज्ञानिक इन से उत्पन्न होती है

 🔅सीएल ने बोला जो प्राणी है वह अभिप्रेरणा की अनुपस्थिति में कुछ नहीं सीख  सकता है अभिप्रेरणा के कारण ही विशिष्ट क्रिया करते हैं

 इसी के कारण काम करते हैं और उद्देश्य की पूर्ति हो जाती है

उस कार्य को करने में जो अच्छा होता है तो हमें संतुष्टि मिलती है

और जब उद्देश्य पूर्ण कार्य करते हैं लक्ष्य की प्राप्ति से जो उत्तेजना और अनुपक्रिया का संबंध मजबूत हो जाता है इसका मतलब भविष्य में हमें उस प्रकार की उत्तेजना हुई तो वह उसी प्रकार की अनुक्रिया करेगा

🔅हमारी आवश्यकता कब कब होती है

यह जब हो यह तब तक ही होती है जब हमें लक्ष्य प्राप्ति कम होता है और फिर से उत्पन्न हो जाती हैं

🔅इन सब में सफल प्रतिक्रिया ही यह S -Rको मजबूत करती है

🌲सबलीकरण /पुनर्बलन दो अवस्था बताए हैं

 🔅 प्राथमिक पुनर्बलन

 🔅द्वितीय पुनर्बलन

 🔅प्राथमिक पुनर्बल➖️न ऐसी योजना जिसमें किसी प्राणी की आवश्यकता में कमी आवश्यकता की पूर्ति हो जाती हैं जैसे हम अगर एमपी टेट की तैयारी कर रहे हैं तो पेपर देने के बाद हमारा लक्ष्य प्राप्त हो जाएगा हमें नौकरी मिल जाएगी यह प्राथमिक पुनर्बलन कहलाया

🔅द्वितीय पुनर्बलन➖️ इसमें अधिगम तो होता है लेकिन प्राथमिक आवश्यकता में कमी नहीं आती है इसका प्रभाव सीधे नहीं पड़ता है जैसे सीटीईटी क्वालीफाई करना है सीटीईटी क्वालीफाई करने के बाद हमें डायरेक्ट नौकरी नहीं मिलती है एक चांस बन जाता है नौकरी पाने का है

🌲हल का प्रयोग➖️ उन्होंने अपने प्रयोग में 2 खाने वाला पिंजरा लिया था जिसमें दूसरे खाने में जाने के लिए एक छेद  था दूसरे मैं खाना और एक में चूहे को रखा गया बीच में विद्युत धारा को रखा गया वह चूहा विद्युत धारा को काटने लगा उससे उछलने लगा और वह कूद गया फिर देखा कि दूसरे में भी विद्युत धारा प्रवाहित की गई उसने फिर से कूदना शुरू कर दिया काटना उछलना शुरू कर दिया तो उसके द्वारा वह सुरंग को पार कर गया तो उन्होंने

🔅इस नियम को” परिणाम का नियम” बोल दीया 🔅

🌲हल फिर से चूहे का प्रयोग किया और उस में विद्युत धारा प्रवाहित करने में 2 सेकंड पहले एक ध्वनि बजती थी तो चूहे जैसे उस ध्वनि को सुनता और विद्युत धारा प्रवाहित की जाती तो वह झटपट आ जाता और दूसरी तरफ चला जाता और फिर एक समय ऐसा आया कि जैसे ही उसने ध्वनि को सुना और वह तुरंत क्षेत्र से बाहर चला गय

🔅 इस नियम को सीएल हल ने संबंध का सिद्धांत बताया🔅

🌲C l हल सिद्धांत की कमियां🌲➖️

 ⚜️सीखने को प्रयास और त्रुटि द्वारा सीखने को सीमित रखते हैं

⚜️हल ने सीखने को सकारात्मक प्रेरणा प्रबलन ना देकर निषेधात्मक प्रेरणा पर बल दिया

 ⚜️टालमेन सीखने के पुनर्बलन को महत्व नहीं माना है

⚜️हल का सिद्धांत चूहे पर आप का प्रयोग सही हो गया लेकिन मनुष्य पर यह कतई लागू नहीं किया जा सकता है इनका प्रयोग सिर्फ जानवरों पर ही हुआ🍀🍀🍀🍀🍀🌸🌸🌸🌸🌸🌸

Notes by Sapna yadav 📝📝📝📝📝📝📝

🌸🌸🌸  पुनर्बलन का सिद्धांत🌸🌸🌸

🟢पुनर्बलन सिद्धांत के प्रवर्तक 🧑🏻‍✈️  

                        सी. एल हल

  👼🏻जन्म ÷ अमेरिका

👉🏻इस सिद्धांत को “सी. एल हल” ने दिया है।

👉🏻🧑🏻‍✈️यह व्यवहारवादी थे वर्तमान में यह सिद्धांत बहुत प्रमुख हैं।

              🌸प्रयोग🌸

🧑🏻‍✈️इन्होंने अपने प्रयोग अमेरिका के येल विश्वविद्यालय में किया था।

🟢सामान्य प्रतिस्थापन का मुख्य कारक पुनर्बलन पुनर्बलन है। और इस पुनर्बलन को उत्तेजना उद्दीपक कहा जाता है।

🥀हल का सिद्धांत–  

    यहां पर भी उत्तेजना और अनुक्रिया जैसा ही था।

🥀 हल व्यवहारवादी थे। लेकिन प्रयोगवादी मनोविज्ञान से भी प्रभावित थे।( तर्क और सिद्धांत के प्रस्तुतीकरण में)

🥀 “सी .एल हल “सीखने में चेतना को महत्व नहीं देते हैं। इन्होंने सीखने की व्यवहारवादी और यांत्रिक( मोटर कौशल) की व्याख्या की है।

👉🏻वर्तमान काल में यह सिद्धांत बहुत प्रमुख है

🔴इन्होंने अमेरिका के येल विश्वविद्यालय में यह प्रयोग किया था

👉🏻इन्होंने थार्नडाइक और वूडवर्थ का जो पुनर्बलन का तरीका है वह वास्तविक में पुनर्बलन का तरीका वही नहीं पुनर्बलन का है क्योंकि  S-R Theory और R- S Theory मे कहीं पर भी उत्तेजना मिल जाती है पुनर्बलन की जरूरत एक बाहरी तत्व था उसी को पुनर्बलन बोल देते हैं इस पर….

🧑🏻‍✈️सी एल हल  ने बोला पुनर्बलन के सिद्धांत में काफी सारी चीज है यह अपने आप में एक सिद्धांत है

🧑🏻‍✈️ सी एल हल ने सबसे पहले अपने सिद्धांत की रचना 1930 में किया था

➡️सामान्य प्रतिस्थापन:— किसी भी चीज पर कोई कार्य करना या मूवमेंट होना ,किसी भी चीज के प्रभाव से कुछ बढ़ना घटना यही प्रतिस्थापन कहलाता है यह जो प्रतिस्थापन हुआ इसका मुख्य कारण पुनर्बलन है इसी को उत्तेजना या उद्दीपक बोलते हैं

🧑🏻‍✈️ सी एल हल का सिद्धांत

( उत्तेजक- प्रतिक्रिया) जैसा ही था।

🧑🏻‍✈️ “सी .एल हल” व्यवहारवादी थे लेकिन प्रयोगवादी मनोविज्ञान से ही प्रभावित थे  (तर्क और सिद्धांत के प्रस्तुतीकरण में)

🧑🏻‍✈️ “सी एल हल “कहते हैं सीखने में चेतना का महत्व नहीं देते हैं वह कहते हैं कि सीखने की जो व्यवहार बाद है यह जो यांत्रिकी व्याख्या की है

➡️यांत्रिक सीखने में अभ्यास का  विशेष महत्व होता है

🧑🏻‍✈️ “सी .एल हल ” ने :—थार्नडाइक के प्रभाव का नियम

 🧑🏻‍✈️-पावलव का संबंध प्रतिक्रिया का नियम÷

        यह दोनों ही कहीं ना कहीं किसी बाह्य कारक से जुड़कर चीजों को प्रभावित करता है इसलिए हल ने बोला यह सब जो चीजें हमें प्रभावित करते हैं वह आगे बढ़ाने में हमें पुश करने में बहुत महत्वपूर्ण है और जितनी भी चीजें जिनको हम वाह्य कारक जिन्हें पुनर्बलन बोलते हैं वह सब हमारे व्यवहार को प्रभावित करते हैं

🟢इन्होंने अपने सिद्धांत का प्रतिपादन” व्यवहार का सिद्धांत” पुस्तक में किया।

➡️ 1951″ व्यवहार के आवश्यक तत्व” पुस्तक में सिद्धांत के नवीन रूप प्रस्तुत किए हैं

👉🏻क्योंकि उन्होंने व्यवहार के हर पक्ष में पुनर्बलन का बहुत महत्व दिया इसलिए उनका सिद्धांत “पुनर्बलन का सिद्धांत “कहलाने लगा।

🧑🏻‍✈️”सी एल हल “ने सीखने की प्रक्रिया में केवल उत्तेजना अनुक्रिया पर ही बल नहीं दिया इसके साथ साथ..

🔴 सीखने वालों की मनोदशा

🔴 आवश्यकता

🔴 लक्ष्य 

यह सब भी जरूरी है।

🧑🏻‍✈️ सी .एल हल सिद्धांत÷

🧑🏻‍✈️हल ने अपने सिद्धांत की व्याख्या

🔴 17 स्वयं सिद्ध सिद्धांत

🔴 17 उप सिद्धांत

🔴 133 प्रमेय

इन सब के अनुसार

🟢 सीखने की क्रिया 

👉🏻आवश्यकता की पूर्ति के लिए आचरण और व्यवहार सीखता है और इसी को अधिगम कहते हैं।

🧑🏻‍✈️ सी.एल हल “

का पुनर्बलन या सबलीकरण की प्रक्रिया है इसमें आपकी आवश्यकता की पूर्ति होती है।

👉🏻इसी प्रक्रिया में चालक को विशेष महत्व दिया है।

➡️ प्रेरणा शारीरिक /मनोवैज्ञानिक इन दोनों से उत्पन्न होती है

🟢 अभिप्रेरणा की अनुपस्थिति में कुछ नहीं सीख सकता अभिप्रेरणा के कारण ही कोई विशिष्ट क्रिया करते हैं

🟢 लक्ष्य की प्राप्ति से उत्तेजना और अनुक्रिया का संबंध मजबूत हो जाता है

🟢लक्ष्य की प्राप्ति के बाद आवश्यकता कम होती है

🟢 इसमें सफल पर प्रतिक्रिया S-R को मजबूत करती है

       🌸सबलीकरण पुनर्बलन🌸

🧑🏻‍✈️हल ने दो आवश्यकता बताया है।

🟢 प्राथमिक पुनर्बलन 

🟢द्वितीयक प्रबलन

हल ने दो प्रकार के प्रबलन बताये हैं जो विभिन्न अवस्थाओं में दृष्टिगोचर होते हैं।

 👉🏻जैसे भोजन, भूख के चालक को प्रबल बनाता है। यह अवस्था प्राथमिक प्रबलन की है।

भूख उस समय तक शांत नहीं होती जब तक की भोजन नहीं खा लिया जाता है। अतः भोजन करने से पहले भूख रूपी चालक एक बार फिर प्रबल बन जाता है जिसे द्वितीयक प्रबलन कहा जाता है।

 👉🏻जैसे हम सब का मेन मकसद शिक्षक बनना है तो कोई ऐसा काम करते हैं जिससे शिक्षक बन जाते हैं जो हमें डायरेक्ट शिक्षक बनने में मदद किया वह प्राथमिक पुनर्बलन है, लेकिन सीटेट पास करना हमारे लिए प्राथमिक पुनर्बलन नहीं यह द्वितीय पुनर्बलन है।

🟢 प्राथमिक पुनर्बलन÷ वैसे उत्तेजना जिनसे किसी प्राणी की आवश्यकता में कमी आ जाती है

🟢द्वितीयक पुनर्बलन÷ इसमें अधिगम तो होता है लेकिन प्राथमिक आवश्यकता में कमी नहीं आती है

🧑🏻‍✈️हल का प्रयोग÷

➡️चूहे पर

हमने 2 खानों वाला एक पिंजरा लिया दूसरे खाने में जाने के लिए बीच में एक दीवार में एक सुराख था एक खाने मै चूहा को रखा गया और बीच के दीवार में विद्युत धारा प्रवाहित किया गया जो विद्युत धारा यहां पर उत्तेजक का कार्य कर रहा है इस उत्तेजक से चूहा उछलने लगा कूदने लगा पिंजरे को काटने लगा इस वजह से वह चूहा दूसरे खाने में कूद गया अब दूसरे खाने में भी विद्युत धारा प्रवाहित किया गया और यह विद्युत धारा तब तक प्रवाहित किया गया जब तक वह दूसरे खाने में नो चला गया तब तो आपको पता चला कि इस रास्ते से जाने में विद्युत नहीं मिलती तो वह खुद ना सीख गया जिससे

 👉🏻हल ने परिणाम का नियम दिया

➡️दूसरा प्रयोग इसी चूहे 🐁पर किया

चूहा को झटका देने से पहले 2 सेकंड पहले घंटी बजाया उसके बाद झटका दिया जब पहली घंटी बजाया और झटका दिया तो दूसरी बार में वह घंटी बजने से पहले ही उछलने लगा इसे हल ने संबंध प्रतिक्रिया का नियम दिया

🌷हल के सिद्धांत में कमियां🌷

🟢 हाल सीखने का प्रयास एवं त्रुटि द्वारा सीखने की विधियों तक ही सीमित रखते थे

🟢 हल ने सीखने के सकारात्मक प्रेरणा पर बल ना देकर निषेधात्मक प्रेरणा पर बल दिया

🟢टॉलमैन सीखने में पुनर्बलन को महत्वपूर्ण नहीं माना

🟢चूहा पर आप का प्रयोग सही हो गया लेकिन मनुष्य पर यह कतई

 लागू नहीं किया जा सकता

🟢  हल को गणित से प्रेम था उन्होंने सिद्धांत में स्वयं सिद्धियां की व्याख्या में अनावश्यक रूप से अंको का प्रयोग किया और सिद्धांत को मात्रात्मक बनाने की कोशिश की।

🥀🥀🥀🥀Notes by shikha tripathi🌲🌲

🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀

🔆 पुनर्बलन  का सिद्धांत ( Reinforcement theory) ➖ C. L. Hull 

 इस सिद्धांत का प्रतिपादन अमेरिका के मनोवैज्ञानिक क्लार्क एल हल ने किया था जो कि व्यवहारवादी विचारधारा को मानते थे |

 यह सिद्धांत वर्तमान समय के लिए बहुत प्रमुख है अमेरिका के येल विश्वविद्यालय में उन्होंने अपना प्रयोग किया था |

थार्नडाइक और वुडवर्थ ने उत्तेजना को पुनर्बलन का एक रूप माना है जो कि वास्तव में पुनर्बलन नहीं है हल ने इसकी आलोचना की |

 उन्होंने सर्वप्रथम सन 1930 में सबसे पहले इस सिद्धांत का प्रतिपादन किया था जो कि सामान्य रूप का था | लेकिन उन्होंने बाद में अपने सिद्धांत का मुख्य कारक पुनर्बलन को  ही माना जो कि उत्तेजना , और उद्दीपक का ही एक रूप है |

 हल का सिद्धांत ( उत्तेजना –  प्रतिक्रिया) जैसा ही था |

  क्लार्क एल हल व्यवहारवादी थे लेकिन प्रयोगवादी मनोविज्ञान से भी  बहुत प्रभावित थे जो कि तर्क और चिंतन के प्रस्तुतीकरण में भी विश्वास रखते हैं  |

हल कहते हैं कि सीखने में चेतना का  महत्व नहीं होता है लेकिन यांत्रिक सीखने में अभ्यास को मुख्य मानते हैं तथा व्यवहारवादी   व्याख्या के रूप में मानते हैं | हल कहते हैं कि यांत्रिक सीखने में अभ्यास का विशेष महत्व होता है |

 क्लार्क एल हल ने कहा कि थार्नडाइक के प्रभाव का नियम और पावलव का संबंध प्रतिक्रिया का नियम दोनों व्यवहार को प्रभावित करते हैं |

       इन्होंने अपने सिद्धांत का प्रतिपादन “व्यवहार का सिद्धांत”  नामक पुस्तक में किया  था |

          सन 1951 में “व्यवहार के आवश्यक तत्व ” नामक पुस्तक की रचना करते हुए व्यवहार का सिद्धांत की नवीन रचना की  | क्योंकि उन्होंने व्यवहार के हर पक्ष में में पुनर्बलन को महत्वपूर्ण स्थान दिया इसलिए उनका सिद्धांत  पुनर्बलन का सिद्धांत  कहलाने लगा |

उन्होंने कहा कि  सीखने की प्रक्रिया में केवल उत्तेजना या अनुक्रिया पर बल नहीं दिया जाता है बल्कि उन्होंने कहा कि सीखना उत्तेजना और अनुक्रिया के अलावा सीखने वाले की मनोदशा, उनकी आवश्यकता, और उनका लक्ष्य भी आवश्यक है  |

📛   क्लार्क एल हल  के सिद्धांत का विस्तार ➖

हल ने अपने सिद्धांत की व्याख्या 17 स्वयं सिद्धांत, 17 , उपसिद्धांत तथा 13 प्रमेय में की थी |

    जिनके अनुसार सीखने की क्रिया में आवश्यकता की पूर्ति के लिए आचरण और व्यवहार को सीखता है और इसी को अधिगम कहते हैं  |

C. L. Hull मानते हैं कि पुनर्बलन या सबलीकरण की प्रक्रिया में आवश्यकता की पूर्ति होती है और संतुष्टि की प्राप्ति होती है इस प्रक्रिया में चालक को विशेष महत्व दिया गया है लेकिन शारीरिक या वैज्ञानिक रूप से उत्पन्न होती है जिस के संबंध में कहा कि ➖

” प्राणी अभिप्रेरणा की अनुपस्थिति में नहीं सीख सकता है  प्रेरणा से ही वह विशिष्ट क्रिया करता है | “

लक्ष्य की प्राप्ति से संबंध मजबूत हो जाता है और लक्ष्य की पूर्ति होने से उत्तेजना और अनुक्रिया का संबंध मजबूत हो जाता है और लक्ष्य की पूर्ति होने के बाद आवश्यकता कम हो जाती है सफल प्रतिक्रिया है  सफल प्रतिक्रिया उद्दीपन – अनुक्रिया को  मजबूत करती है |

🎯 सबलीकरण या पुनर्बलन की अवस्थाएं ➖

क्लार्क एल हल ने सबलीकरण प्रमुख दो अवस्थाएं बतायी है ➖

1) प्राथमिक पुनर्बलन 

2) द्वितीयक पुनर्बलन

🔥 प्राथमिक पुनर्बलन➖

 इसमें सीखने की आवश्यकता कम हो जाती है जो आंतरिक उत्तेजना से प्राप्त होती है अर्थात  वैसी उत्तेजना जिनसे किसी प्राणी की आवश्यकता में कमी आ जाती है |

🔥 द्वितीयक पुनर्बलन ➖

इसमें अधिगम तो होता है लेकिन प्राथमिक आवश्यकता में कमी नहीं होती है |

🎾 हल का प्रयोग ➖ चूहे पर

 अपने प्रयोग में क्लार्क एल हल ने दो खाने वाले पिंजरे इंजरी का प्रयोग किया था  |

एक खाने से दूसरे खाने में जाने के लिए एक सुरंग भी था जिसमें चूहे को प्रवेश कराया गया था, बीच में सुरंग पर विद्युत धारा प्रवाहित की गई जिससे चूहा उछलने और झटपटाने  लगा था |जिससे वह दूसरे खाने में कूद गया और उस दूसरे कमरे में भी विद्युत धारा प्रवाहित की गई और वहां पर भी चूहा छटपटाना और उछलने लगा |

 दोनों कमरों में यह प्रक्रिया जब तक प्रवाहित की गई तब तक चूहे ने पहले खाने में से दूसरे खाने में कूदने की प्रक्रिया को सीख ना लिया हो और अंत में हुआ यह कि चूहे ने कूदना सीख लिया |

 इसको परिणाम का नियम या प्रभाव का नियम कह सकते हैं इस नियम को हल ने परिणाम का या प्रभाव का नियम कहा है |

📛 उन्होंने अपना दूसरा प्रयोग भी चूहे पर किया जिसमें उन्होंने चूहे को झटका देने के 2 सेकंड पहले घंटी बजाई जिससे चूहे को पता चला की घंटी बजने पर ही झटका दिया जाता है तो  उससे चूहा पहले ही उछलने लगा और चूहे पर प्रभाव पड़ा जिससे संबंध प्रतिक्रिया का नियम कहा जाता है |

” जिससे एक प्रतिक्रिया दूसरी प्रतिक्रिया से जुड़ी हुई होती है  |”

🎯 क्लार्क एल हल के सिद्धांत की कमियां ➖

🍀 हल सीखने को प्रयास एवं त्रुटियों की विधियों तक ही सीमित रखते हैं  |

🍀हल ने अपने सीखने में सकारात्मक प्रेरणा पर बल न देकर निषेधात्मक प्रेरणा पर बल दिया बल दिया |

🍀 टाॅलमैन ने अपने  सीखने में पुनर्बलन को महत्वपूर्ण नहीं माना है उन्होंने आपत्ति उठाई भी कष्ट को परिस्थिति में  कैसे सीख सकता है  |

🍀 हल का सिद्धांत चूहों पर सही हो गया लेकिन यह मनुष्य पर लागू नहीं किया जा सकता है |

🍀  हल का गणित से प्रेम था इसलिए उन्होंने अपने सिद्धांत में स्वयं सीखने की व्याख्या और अनावश्यक रूप से अंको का प्रयोग किया और सिद्धांत को मात्रा बनाने की कोशिश की |

नोट्स बाय➖ रश्मि सावले

🍀🌼🌺🌸🌹🍀🌼🌺🌸🌹🍀🌼🌺🌸🌹🍀🌼🌺🌸🌹🍀🌼🌺🌸🌹

🌼☘️ पुनर्बलन का सिद्धांत☘️🌼

प्रतिपादन   – C.L Hull

👉🏼यह व्यवहारवादी थी  वर्तमान में यह सिद्धान्त बहुत प्रमुख हैं,यह प्रयोग अमेरिका के येल विश्वविद्यालय में किया।

  थार्नडाइक और वुडवर्थ ने उत्तेजना को पुनर्बलन  का एक रूप माना हैं जो कि वास्तव में पुनर्बलन नहीं है हल ने इसकी आलोचना की।

हल ने सबसे पहले अपने सिद्बान्त का प्रयोग 1930 मे किया।

🟣 हल का सिद्धांत (उत्तेजना-प्रतिक्रिया) जैसा ही था 

क्लार्क एल हल व्यवहारवादी थे लेकिन प्रयोगवादी मनोविज्ञान से भी बहुत प्रभावित थे जो कि तर्क और चिंतन के प्रस्तुतीकरण में भी विश्वास रखते हैं।

👉🏼हल कहते हैं कि सीखने में चिंतन का महत्व नहीं देते हैं उनका मानना है कि सीखने की व्यवहारवादी और यांत्रिक व्याख्या की विशेष महत्व होता हैं।

👉🏼एल हल ने कहा कि थार्नडाइक के प्रभाव का नियम और पावलव का संबंध प्रतिक्रिया का नियम व्यवहार को प्रभावित करते हैं।

 👉🏼हल ने सिद्बान्त का प्रतिपादन ” व्यवहार का सिद्धांत” नामक लिखा।

👉🏼1951 में एक पुस्तक लिखा “व्यवहार के आवश्यक तत्व” नामक लिखा।

👉🏼 सिद्धांत के नवीन रूप प्रस्तुत किए क्योंकि उन्होंने व्यवहार के हर पक्ष में पुनर्बलन का बहुत महत्व दिया इसलिए उसका सिद्धांत ,”पुनर्बलन का सिद्धांत”  कहलाने में लगा।

👉🏼हल ने सीखने की प्रक्रिया में केवल उत्तेजना/ अनुक्रिया  पर ही बल नहीं दिया बल्कि इसके साथ-साथ सीखने वाले की मनोदशा ,उनकी आवश्यकता और उनका लक्ष्य यह सभी जरूरी था।

💫 हल का सिद्धांत💫

 हल ने अपने सिद्धांत की व्याख्या

17 सिद्ध सिद्धांत

17 उप सिद्धांत

133 प्रमेय

🟣 इन  सबके अनुसार➖

सीखने की क्रिया – आवश्यकता की पूर्ति करेगा।  

आवश्यकता की पूर्ति के लिए आचरण और व्यवहार सीखता है और इसी को हम अधिगम कहते हैं।

हल पुनर्बलन या सबलीकरण की प्रक्रिया➖

👉🏼इसमें आवश्यकता की पूर्ति होती है और हमें संतुष्टि मिलती है इन्होंने इस प्रक्रिया में चालक को विशेष महत्व दिया है।

🟣 प्रेरणा शारीरिक/ मनोवैज्ञानिक इन दोनों से उत्पन्न होती है।

👉🏼 अभिप्रेरणा की अनुपस्थिति में हम नहीं सीख सकते हैं अभिप्रेरणा विशिष्ट क्रिया करता है।

👉🏼लक्ष्य की प्राप्ति से उत्तेजना और अन्य अनुक्रिया का संबंध मजबूत हो जाता है लक्ष्य की प्राप्ति होने के बाद आवश्यकता क्यों होती है सफल प्रतिक्रिया ही S-R को मजबूत करती है।

🟣💫 सबलीकरण / पुनर्बलन

यह अवस्था दो प्रकार की बताई गई हैं➖

☘️ प्राथमिक पुनर्बलन

☘️द्वितीयक पुनर्बलन

☘️ प्राथमिक पुनर्बलन– वैसे उत्तेजना जिससे किसी प्राणी से सप्ताह में कमी आ जाती है।

☘️ द्वितीयक पुनर्बलन—-इसमें अधिगम होता है लेकिन प्राथमिक आवश्यकता में कमी  नहीं आती है।

💫🌼 हल का प्रयोग🌼💫

चूहे पर🐁

हमने तो खानों वाला एक पिंजरा  लिया दूसरे खाने में जाने के लिए बीच में एक दीवार में से एक सुराख था एक खाने में चूहा🐁 रखा गया और बीच के दीवार पर विद्युत धारा प्रभावित की गई जो विद्युत धारा यहां पर उत्तेजक का कार्य कर रही थी इस उत्तेजक से चूहा उछलने लगा उड़ने लगा पिछले को काटने लगा इस वजह से हुआ चूहा 🐁दूसरे खाने में कूद गया और दूसरे खाने में भी यह दूध धारा प्रवाहित की गई और वह विद्युत धारा तब तक प्रभावित किया गया जब तक वह दूसरे खाने में ना चला गया अब तो आपको पता चला कि इस रास्ते से जाने में विद्युत नहीं मिलती तो वह खुद ना सीख गया जिसमें

👉🏼 हमने परिणाम का नियम दिया

🟣 दूसरा प्रयोग इसी चूहे 🐁पर किया चूहा 🐁तो झटका देने से पहले 2 सेकंड पहले घंटी बजा या उसके बाद झटका दिया जब पहले घंटी बजाया और झटका दिया तो दूसरी बार में वह घंटी बजने से पहले ही उछलने लगा इसे हल ने संबंध प्रतिक्रिया का नियम दिया।

💫🌼 हल सिद्धांत की कमियां

☘️ हल सीखने के प्रयास द्वारा सीखने की विधियां तक ही सीमित रखता है।

☘️ हल सीखने सकारात्मक परिणाम पर बल ना देकर निषेधात्मक प्रेरणा पर बल दिया।

☘️ टोलमैन ने सीखने में पुनर्बलन को महत्वपूर्ण नहीं माना।

☘️ चूहे🐁 पर आप का प्रयोग सही हो गया लेकिन मनुष्य पर यह पता ही लागू नहीं किया जा सकता।

☘️हाल को गणित से प्रेम था उन्होंने सिद्धांत में स्वयं सिद्धियों की व्याख्या में आवश्यक रूप से अंको का प्रयोग किया और सिद्धांत को मात्रा तो बनाने की कोशिश की।

📚📚✍🏻 Notes by…. Sakshi Sharma✍🏻📚📚

🌷 Reinforcement theory🌷

🌷 पुनर्बलन का सिद्धांत🌷

पुनर्बलन का सिद्धांत सी .एल.हल द्वारा प्रतिपादित किया गया।

यह व्यवहारवादी विचारधारा के मनोवैज्ञानिक थे।

यह सिद्धांत बहुत प्रमुख है।

अमेरिका की येल विश्वविद्यालय में सी.एल. हल ने प्रयोग किया।

 थार्नडाइक एवं वुडवर्थ  के प्रयोग की आलोचना सी .एल .हल ने की।

🌺 पुनर्बलन सिद्धांत की रचना 1930 मे हल ने सबसे पहले की। 1930 में इस सिद्धांत में कुछ ही बात कही गई थी जैसे —

सामान्य प्रतिस्थापन ।

हल के सिद्धांत में प्रतिस्थापन का मुख्य कारक पुनर्बलन था ।

 इसी पुनर्बलन को हम उत्तेजना या उद्दीपक कहते हैं।

हल का सिद्धांत

 उत्तेजना ↔️ प्रतिक्रिया जैसा ही था ।

हल व्यवहारवादी थे लेकिन इनके कार्य प्रयोग पर आधारित थे इसलिए प्रयोगवादी मनोविज्ञान से भी प्रभावित थे । तर्क और सिद्धांत के प्रस्तुतीकरण पर ज्यादा जोर देते थे।

 सी.एल. हल सीखने में चेतना का महत्व नहीं देते थे सीखने की व्यवहारवादी और यांत्रिकी व्याख्या की है।

यांत्रिक में सीखने में अभ्यास का विशेष महत्व होता है।

थार्नडाइक के प्रभाव का नियम एवं पावलव के संबंध प्रतिक्रिया का नियम —- यह दोनों ही हमें आगे बढ़ने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं।

 इन्होंने अपने सिद्धांत का प्रतिपादन “व्यवहार का सिद्धांत” नामक पुस्तक ने किया

( “Behaviorism of theory”).

बाद में 1951 में एक पुस्तक लिखा है “व्यवहार के आवश्यक तत्व”  सिद्धांत के नवीन रूप प्रस्तुत किया।

क्योंकि इन्होंने  व्यवहार के हर पक्ष में पुनर्बलन को बहुत महत्व दिया इसलिए इनका सिद्धांत पुनर्बलन का सिद्धांत कहलाने लगा।

इन्होंने सीखने की प्रक्रिया में केवल उत्तेजना/ अनुप्रिया पर ही बल नहीं दिया बल्कि इसके साथ-साथ सीखने वालों की मनोदशा उनकी आवश्यकता और उनका लक्ष्मी जरूरी है यह भी कहा।

🌷हल का सिद्धांत

हल ने अपने सिद्धांत की व्याख्या

-17 स्वयं सिद्ध सिद्धांत

-17 उप सिद्धांत

-133 समय

में किया।

सीखने की क्रिया  ➡️आवश्यकता की पूर्ति ➡️ के लिए आचरण और व्याख्या सीखना है और यह सीखना ही अधिगम है।

🌷 हल पुनर्बलन या सबलीकरण की प्रक्रिया ➡️ इससे आवश्यकताओं की पूर्ति होती है और हमें संतुष्टि मिलती है इस प्रक्रिया में चालक को विशेष महत्व दिया जाता है ।

अभिप्रेरणा की अनुपस्थिति में नहीं सीख सकते विशिष्ट क्रिया करते है।

 लक्ष्य की प्राप्ति से उत्तेजना और अनुक्रिया का संबंध मजबूत हो जाता है।

आपको पता आवश्यकता होती है तो उत्तेजना होती है और आप अनुक्रिया करते हैं।

लक्ष्य की प्राप्ति होने के बाद आवश्यकता कम हो जाती है सफल प्रतिक्रिया ही S-R को मजबूत करती है।

🌷सबलीकरण /पुनर्बलन

हल ने दो अवस्था बताई है 

🔺प्राथमिक पुनर्बलन 

🔺 द्वितीयक पुनर्बलन

🔺  प्राथमिक पुनर्बलन

 ऐसी उत्तेजना जिनसे किसी प्राणी की आवश्यकता में कमी आ जाती है।

🔺 द्वितीयक पुनर्बलन 

इसमें अधिगम तो होता है लेकिन प्राथमिक आवश्यकता में कमी नहीं आती।

🔺 हल का प्रयोग

इन्होंने दो खानो वाला एक पिंजरा लिया यह दोनों खाने के बीच में एक छोटा सा होल या छिद्र था जिसमें से चूहा एक से दूसरे खाने में आता जाता था ।

पहले खाने में चूहे को छोड़ा गया और विद्युत धारा प्रवाहित की गई जिससे चूहा उछलने, कूदने और छटपटाने लगा इस छटपटाने में वह उस छेद से दूसरे खाने में कूद गया।

दूसरे खाने में भी ऐसे ही विद्दुत धारा प्रवाहित की गई उस दूसरे खाने में भी वह कूदा छटपटाया और उस छेद से पहले खाने में कूद गया।

 यह प्रक्रिया दोनों खानों में तब तक दोहराई गई जब तक चूहे ने कूदने की प्रक्रिया को सीख नहीं लिया ।

इसी को परिणाम का नियम या प्रभाव का नियम कहा।

अपना दूसरा प्रयोग भी चूहे पर किया। उन्होंने उसे किसी दूसरे पिंजरे में रखा अब यहां विद्युत प्रवाह से 2 सेकंड पहले एक घंटी बजाई गई फिर विद्युत प्रवाह दिया गया तो धीरे-धीरे चूहे ने इसके प्रति संबंध बनाया और घंटी बजते ही कूदना शुरू कर दिया बिना विद्युत धारा प्रवाह के।

 चूहे पर इसका प्रभाव पड़ा और उसने जो सीखा उसे संबंध प्रतिक्रिया का नियम कहा गया।

🌷 हल के सिद्धांत की कमियां

1 हल सीखने को प्रयास त्रुटि द्वारा सीखने की विधियों तक ही सीमित रखते हैं।

2 सीखने की सकारात्मक प्रेरणा पर बल ना देकर निषेधात्मक प्रेरणा पर बल दिया।

3 टॉलमैंने सीखने में पुनर्बलन को महत्वपूर्ण नहीं माना।

4 चूहा पर आपका प्रयोग सही हो गया लेकिन मनुष्य पर या कतई लागू नहीं किया जा सकता।

5 हल को गणित से प्रेम था इन्होंने सिद्धांत में स्वयं सिद्ध सिद्धियों की व्याख्या को अनावश्यक रूप से अंको का प्रयोग किया और सिद्धांत को मात्रात्मक बनाने की कोशिश की।

6 इसमें एक प्रतिक्रिया दूसरे से जुड़ी होती है।

धन्यवाद 

वंदना शुक्ला

पुनर्बलन का सिद्धांत

यह सिद्धांत अमेरिका के व्यवहारवादी मनोवैज्ञानिक क्लार्क एल हल ने  दिया।

यह सिद्धांत वर्तमान समय के लिए बहुत प्रमुख सिद्धांत है।

अमेरिका के येल विश्वविद्यालय में हल ने अपने प्रयोग किए।

थार्नडाइक और वुडवर्थ ने उत्तेजना को पुनर्बलन का एक रूप माना है। जो कि वास्तव में पुनर्बलन नहीं है। सी एल हल ने इसकी आलोचना की।

1930 में हल ने सबसे पहले इस सिद्धांत को प्रतिपादित किया। जिसमें उन्होंने सामान्य प्रतिस्थापन की बात की। प्रतिस्थापन का मुख्य कारक पुनर्बलन था।

इसी पुनर्बलन को उत्तेजना /उद्दीपक बोलते हैं।

हल का सिद्धांत उत्तेजना ↔️ प्रतिक्रिया जैसा ही था।

हल व्यवहारवादी मनोवैज्ञानिक थे लेकिन प्रयोगवादी मनोविज्ञान से भी प्रभावित थे जो तर्क और चिंतन के प्रस्तुतिकरण मे विश्वास रखते थे।

हल सीखने में चेतना का महत्व नहीं देते हैं।

 हल ने सीखने की व्यवहारवादी और यांत्रिक व्याख्या की है।

 यांत्रिक सीखने में अभ्यास का विशेष महत्व होता है।

हल ने 

अपने सिद्धांत को थार्नडाइक के प्रभाव का नियम और पावलव का संबंध प्रतिक्रिया को आधार रखा।

इन्होंने अपने सिद्धांत का प्रतिपादन अपनी पुस्तक *व्यवहार का सिद्धांत*  में किया।

1951 में अपनी पुस्तक *व्यवहार के आवश्यक तत्व *में सिद्धांत के नवीन रूप को प्रस्तुत किया।

क्योंकि उन्होंने व्यवहार के हर पक्ष में पुनर्बलन का बहुत महत्व दिया है इसलिए उनका सिद्धांत “पुनर्बलन का सिद्धांत ” कहलाने लगा।

हल ने

सीखने की प्रक्रिया में केवल उत्तेजना ↔️अनुक्रिया पर ही बल नहीं दिया।

बल्कि इसके साथ साथ

सीखने वाले की “मनोदशा”

सीखने वाले की “आवश्यकता”

सीखने वाले का “लक्ष्य” भी जरूरी है।

हल का सिद्धांत

हल ने अपने सिद्धांत की व्याख्या

“17 स्वयं सिद्ध सिद्धांत”

“17 उप सिद्धांत”

और “133 प्रमेय ” के द्वारा की।

इन सबके अनुसार

सीखने की क्रिया आवश्यकता की पूर्ति के लिए होती है।

आवश्यकता की पूर्ति के लिए आचरण और व्यवहार से सीखता है।

⬇️

यह सीखना ही अधिगम कहलाता है।

हल के अनुसार

पुनर्बलन या सबलीकरण की प्रक्रिया से आवश्यकता की पूर्ति होती है।

इससे हमें संतुष्टि मिलती हैं।

इस प्रक्रिया में “चालक” को विशेष महत्व दिया।

प्रेरणा दो प्रकार से उत्पन्न होती है शारीरिक और मनोवैज्ञानिक रूप से।

           प्रेरणा

           ↙️ ↘️

   शारीरिक मनोवैज्ञानिक

प्राणी अभिप्रेरणा की अनुपस्थिति में नहीं सीख सकता है।

अभिप्रेरणा के कारण ही विशिष्ट क्रिया करता है।

लक्ष्य की प्राप्ति से उत्तेजना और अनुक्रिया का संबंध मजबूत या दृढ़ हो जाता है।

लक्ष्य की प्राप्ति होने के बाद आवश्यकता कम होती हैं।

सफल प्रतिक्रिया ही एस-आर को मजबूत करती हैं।

हल ने सबलीकरण या  पुनर्बलन की दो अवस्थाएं बतायी है।

1.प्राथमिक पुनर्बलन

2.द्वितीयक पुनर्बलन

1. प्राथमिक पुनर्बलन

ऐसी उत्तेजना जिन से किसी प्राणी की “आवश्यकता में कमी हो जाती है या आवश्यकता की पूर्ति” हो जाती है।

जैसे किसी व्यक्ति का लक्ष्य शिक्षक बनना है तो उसका प्राथमिक पुनर्बलन तब तक समाप्त नहीं होगा जब तक कि वह शिक्षक नहीं बन जाता है।

2. द्वितीयक पुनर्बलन

इस पुनर्बलन में अधिगम होता है लेकिन प्राथमिक पुनर्बलन की “आवश्यकता में कमी” ‘नहीं’ आती है।

जैसे जिस व्यक्ति का लक्ष्य शिक्षक बनना है वह सीटेट का पेपर देता है और उसमें पास हो जाता है लेकिन शिक्षक नहीं बनता है तो यहां उसकी आवश्यकता की पूर्ति नहीं हुई है या आवश्यकता में कोई कमी नहीं हुई है तो यहां उसका अधिगम हुआ है और लक्ष्य की पूर्ति नहीं हुई। इसलिए यहां  द्वितीयक पुनर्बलन होगा

हल का प्रयोग

सी एल हल ने अपना प्रयोग चूहे पर किया

पहले प्रयोग में उन्होंने

दो खानों वाला एक पिंजरा लिया। जिसमें बीच की दीवार में एक छेद था

इस बीच की दीवार में विद्युत धारा( यहां विद्युत धारा पुनर्बलन का काम करती है।) प्रवाहित होती थी।

चूहे को एक खाने में रखा गया। और विद्युत धारा प्रवाहित की। चूहे को विद्युत धारा के कारण कुछ कष्ट हुआ।इससे चूहा उछलने कूदने लगा अर्थात चूहे को विद्युत धारा के कारण पुनर्बलन हुआ।

चूहा उछलता कूदता हुआ दूसरे खाने में चला गया

दूसरे खाने में चूहे को विद्युत धारा नहीं लगी इस कारण वह आराम महसूस कर रहा था।

लेकिन फिर से दीवार में विद्युत धारा प्रवाहित की गई फिर से चूहे ने वही प्रक्रिया अपनाई और दूसरे खाने में चला गया

यहां पर भी दूसरे खाने में चूहे को आराम मिला

अर्थात दूसरे खाने में पहुंचने पर चूहे को संतोषजनक परिणाम मिला

इसी कारण इसे  हल ने “परिणाम का नियम “कहा।

हल ने दूसरा प्रयोग भी चूहे पर किया

इस प्रयोग में विद्युत धारा का झटका देने से 2 सेकंड पहले एक घंटी बजती थी। जैसे ही चूहे को झटका लगता था वह उछलने कूदने लगता था

लेकिन अब चुहा झटका लगने से पहले घंटी के बजने पर ही उछलने  लगता था ।

इससे चूहे की प्रतिक्रिया घंटी बजने के साथ संबद्ध हो गयी 

इससे ही हल ने  “संबद्ध  प्रतिक्रिया का नियम ” बताया।

हल का पहला प्रयोग अपने सिद्धांत में थार्नडाइक के प्रभाव के नियम को दर्शाता है

और दूसरा प्रयोग पावलव के संबंध प्रतिक्रिया को दर्शाता है

इन दोनों को हल ने अपने सिद्धांत के आधार के रूप में रखा था।

हल के सिद्धांत की कमियां

1. हल सीखने को प्रयास त्रुटि द्वारा सीखने की विधियों तक ही सीमित रखते हैं।

2. हल ने सीखने के सकारात्मक प्रेरणा पर बल ना देकर निषेधात्मक प्रेरणा पर बल दिया 

3. टॉलमैन ने सीखने में पुनर्बलन को महत्वपूर्ण नहीं माना है

4. चूहे पर आपका प्रयोग सही हो गया लेकिन मनुष्य पर यह कतई लागू नहीं किया जा सकता है।

5. हल को गणित से प्रेम था उन्होंने अपने सिद्धांत में स्वयं सिद्धियों की व्याख्या में अनावश्यक रूप से अंको का प्रयोग किया और मात्रात्मक सिद्धांत को बनाने की कोशिश की।

Notes by Ravi kushwah

By admin

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