05/04/2021.              Monday

          TODAY CLASS…

➖ अनुकूलित अनुक्रिया सिद्धांत 

➖  संबद्ध प्रतिक्रिया सिद्धार्थ

➖शास्त्रीय अनुबंधन का सिद्धांत

➖प्राचीन अनुबंधन का सिद्धांत

➖➖➖➖➖➖➖➖➖

प्रतिपादक ➖पावलव

 मनोवैज्ञानिक➖ व्यवहारवाद ( रूस)___1904

संबद्ध प्रतिक्रिया:— अस्वभाविक उद्दीपन के प्रति स्वाभाविक प्रतिक्रिया

                     ⬇️

सीखना अनुकूलित अनुक्रिया है

👨 वानर्ड के अनुसार:— अनुकूलित अनुक्रिया उत्तेजना की पुनरावृत्ति द्वारा व्यवहार का स्व संचालन है जिसमें उत्तेजना पहले किसी विशेष अनुक्रिया के साथ लगी रहती है और अंत में किसी व्यवहार का कारण बन जाता है

🔴 पावलव का प्रयोग ➖कुत्ते पर

भोजन को देखकर कुत्ते के मुंह से लार टपकने लगती है

➖ इसलिए कहीं पर भी जो भी कार्य करते हैं वह प्रक्रिया स्वाभाविक उत्तेजक पर भी हो सकता है और वह स्वभाव एक उत्तेजक पर भी हो सकता है

जैसे:— हमारे सामने मोमोज रखा हो और उसके प्रति मन से उत्तेजना ना  आ रही हो लेकिन उसे देखकर उत्तेजना हो रही है तो इसे हम प्राकृतिक उद्दीपक भी और कृत्रिम उद्दीपक भी कहते हैं

                    उद्दीपक

            ↙️                ↘️

प्राकृतिक                          कृत्रिम

जब प्राकृतिक उद्दीपक और कृत्रिम उद्दीपक साथ साथ आते हैं तो दोनों में संबंध स्थापित हो जाता है, यह संबंध इतना प्रभावशाली हो जाता है कि कृत्रिम उद्दीपक, प्राकृतिक उद्दीपक की सारी विशेषताएं ग्रहण कर लेता है प्राकृतिक उद्दीपक की अनुपस्थिति में भी केवल  (अस्वाभाविक- कृत्रिम), उद्दीपक से ही अनुक्रिया संभव हो जाती है

➖ पावलव का प्रयोग🦮 पर घंटी वाला प्रयोग

➖ कुत्ते को भोजन देने से पहले कुछ दिनों तक घंटी बजाया उसके बाद उसने कई बार भोजन ना देकर केवल घंटी बजाएं तो सिर्फ घंटी बजाने से लार टपकने लगा इसका कारण यह था कि केवल घंटी के बजने से यह सीख लिया था कि उसे भोजन मिलेगा तो घंटी के प्रति इस प्रतिक्रिया को पावलव ने संबंध प्रतिक्रिया या सहज प्रक्रिया की संज्ञा दी है  

➖जैसे पावलव ने कहा➖ कि कुछ लोगों को बस में या गाड़ी में वोमिटिंग होती है वह परिस्थिति आने से पहले ही मन करने लगता है तो यही है संबध प्रतिक्रिया

➖ जहां पर अस्वभाविक उत्तेजक का स्थान ग्रहण कर लेता है वहां पर सहज प्रतिक्रिया द्वारा सीखना होता है

🔴 तो इसी संदर्भ में पावलव ने…

(1) स्वाभाविक उत्तेजक UCS➡️ स्वाभाविक अनुक्रिया UCR(भोजन)➖ लार

(2) अस्वाभाविक उत्तेजक UCS➡️ स्वाभाविक उत्तेजक➡️ स्वाभाविक अनुक्रिया UCR (घंटी की आवाज)+ भोजन➖ लार का टपकना

(3) अनुकूलित उत्तेजक CCS ➡️अनुकूलित अनुक्रिया CCR

🔴स्वभाविक उद्दीपन (भोजन)

➖अस्वाभाविक

➖स्वभाविक

➖घंटी +भोजन

🔴स्वभाविक अनुक्रिया ( भोजन +लार)

➖स्वाभाविक 

➖स्वाभाविक 

➖भोजन +भोजन +लार अनुक्रिया

🔥 गुण और विशेषताएं🔥

➖ सीखने की स्वभाविक विधि है

➖ यह सिद्धांत बच्चों में समाज या वातावरण से सामंजस्य स्थापित करने में मदद करता है

➖ भय,डर इत्यादी मानसिक परेशानी को दूर किया जा सकता है

➖ समूह के निर्माण में मदद मिलती है

👨 क्रो एंड क्रो:— इससे बच्चों के व्यवहार/ अनुशासन मे विकास कर सकते हैं

👨 स्किनर:— संबद्ध सहज क्रिया होना एक महत्वपूर्ण गुण है सीखना इस पर निर्भर करता है

👨 क्रो एंड क्रो:— जिस में चिंतन की जरूरत नहीं ,जैसे :–सुलेख, अक्षर विन्यास उस कार्य के लिए उपयोगी है

अतः यह सिद्धांत कहता है कि आदतों का निर्माण कृत्रिम उद्दीपक से संबध प्रतिक्रिया द्वारा होता है इसी सिद्धांत से संबद्ध प्रतिवर्त ( सहज) विधि का जन्म हुआ है 

यह सिद्धांत भाषा विकास ,मनोवृति का निर्माण बुरी आदतों से छुटकारा, सुलेख, अक्षर विन्यास जैसे विषय में उपयोगी है

🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻

Notes by:— ✍संगीता भारती🙏

🔆 अनुकूलित अनुक्रिया सिद्धांत/संबद्ध  प्रतिक्रिया सिद्धांत (operant conditioning theory)

▪️यह सिद्धांत आई.पी. पावलव द्वारा दिया गया जो कि एक रूसी मनोवैज्ञानिक थे।

▪️संबद्ध प्रतिक्रिया :- अस्वाभाविक उद्दीपन के साथ स्वाभाविक क्रिया है।

▪️किसी भी बनावटी या अस्वाभाविक उद्दीपक के प्रति होने वाली जो क्रिया या प्रतिक्रिया होती है वह स्वाभाविक होती है।

▪️जैसा उदीपक दिया जाता है उसके प्रति वैसे ही अनुक्रिया कर लेते हैं अर्थात जो स्वभाविक क्रिया कर रहे होते हैं वह उदीपक के साथ अनुकूलित हो जाती हैं।

▪️अर्थात इस सिद्धांत के अनुसार उन्होंने कहा कि “सीखना एक अनुकूलित अनुक्रिया है।”

▪️बर्नार्ड के अनुसार- “अनुकूलित अनुक्रिया उत्तेजना की पुनरावृति द्वारा व्यवहार का संचालन है जिसमें उत्तेजना पहले किसी विशेष अनुक्रिया के साथ लगी रहती और अंत में वह किसी व्यवहार का कारण बन जाती है जो पहले मात्र रूप से साथ लगी हुई थी।”

❇️पावलव का प्रयोग-

▪️पावलव ने अपना प्रयोग एक कुत्ते पर किया। और इस प्रयोग को उन्होंने तीन चरणों में किया। पहले चरण में उन्होंने कुत्ते के सामने भोजन रखा जिसे कुत्ते की लार टपकने लगी दूसरे चरण में उन्होंने घंटी बजाई तथा उसके बाद भोजन दिया तीसरे चरण में उन्होंने देखा की घंटी बजाते हैं कुत्ते के मुंह से लार टपकने लगी।अर्थात कुत्ता यह समझ चुका था कि घंटी बजाने के बाद उसे भोजन मिलता है यह सब अनुबंधन के कारण ही हुआ।

▪️जब प्राकृतिक और कृतिम उद्दीपक साथ साथ आते हैं तो दोनों में संबंध स्थापित हो जाता है।

▪️यह संबंध इतना प्रभावशाली होता है कि कृतिम उद्दीपक प्राकृतिक उद्दीपक की सारी विशेषताएं ग्रहण कर लेता है प्राकृतिक और प्राकृतिक उद्दीपक की अनुपस्थिति में केवल अस्वाभाविक (कृत्रिम उद्दीपक) से भी अनुक्रिया संभव हो जाती है।

▪️अर्थात जब कृत्रिम उदीपक के साथ दिया जाए और पुनः पुनः इसकी आवृत्ति की जाए तो ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है कि यदि कृत्रिम उदीपक को हटाते है  तो वही अनुक्रिया होती है जो प्राकृतिक उदीपक के साथ होती है इसका कारण है कि अनुक्रिया  उद्दीपक से संबद्ध हो जाती है।

इसे अन्य उदाहरण से भी समझ सकते है।

जैसे अनुबंधित उद्दीपक का अर्थ जिसको देखकर अनुक्रिया करना स्वाभाविक है ।

जैसे -गोलगप्पे देख कर मुंह में पानी आना।

अनुबंधित उद्दीपक का मतलब जो उद्दीपक किसी स्वाभाविक उद्दीपक का  का अनुभव करवाएं।

जैसे -घर के सामने फेरीवाले की आवाज सुनकर यह महसूस होना की गोलगप्पे वाला आया है पर यह जरूरी नहीं।

अनुबंधित उद्दीपक है जो खुद मायने ना रख कर किसी और स्वाभाविक को उदीपक (गोलगप्पे) का अनुभव करता है।

अर्थात गोलगप्पे स्वाभाविक उद्दीपक।

फेरी वाले की आवाज अस्वाभाविक उद्दीपक।

गोलगप्पे को देखकर स्वभाविक अनुक्रिया तथा अकेली घंटी की आवाज सुनकर और अस्वभाविक अनुक्रिया होती हैं।

📍        स्वभाविक उद्दीपक (UCS) (भोजन)                                 

                             ⬇️

          स्वभाविक अनुक्रिया(UCR)   (लार)

📍        अस्वाभाविक उद्दीपक (CS) घंटी 

                              +

          स्वभाविक उद्दीपक (UCS) भोजन

                              ⬇️      

         स्वाभाविक अनुक्रिया (UCR) (लार)

  📍          अनुबंधित उदीपक (CS) घंटी

                               ⬇️  

      स्वभाविक अनुकूलित अनुक्रिया (CR) (लार)

UCR – unconditioned response

CR -conditioned response

UCS – unconditioned stimulus

CS – conditioned stimulus    

प्रथम चरण-

भोजन————————————–लार का टपकना

(स्वाभाविक उत्तेजक)                                (स्वाभाविक अनुक्रिया)

द्वितीय चरण-

घण्टी बजाना + भोजन  ————————————-लार का टपकना (अस्वाभाविक      (स्वाभविक                        (स्वाभाविकअनुक्रिया)

उत्तेजक)               उत्तेजक)

तृतीय चरण-

घण्टी बजाना—————————————-लार का टपकना

(परंतु भोजन नही दिया)                               (स्वाभाविकअनुक्रिया)

(अस्वाभाविक उत्तेजक)                            

इस प्रयोग द्वारा पावलव ने यह निष्कर्ष निकाला कि यदि लंबे समय तक अस्वाभाविक उद्दीपन तथा स्वभाविक उद्दीपन को एक साथ प्रस्तुत किया जाए तो व्यक्ति अस्वाभाविक उद्दीपन के प्रति भी स्वभाविक जैसी अनुक्रिया करने लगता है।

इसे ही अनुकूलित अनुक्रिया या अनुबंधित अनुक्रिया कहते हैं।

❇️ सिद्धांत के गुण व विशेषताएं:-

1 यह सिद्धांत सीखने की स्वाभाविक विधि बताता है अतः यह बालकों को शिक्षा देने में सहायता करता है।

2 यह नियम बच्चों के समाजीकरण और वातावरण में उनका सामंजस्य स्थापित करने में सहायता करता है।

3 इस नियम के प्रयोग से बच्चों के डर या भय  संबंधी मानसिक परेशानियों को दूर किया जा सकता है।

4  समाज मनोवैज्ञानिकों के विद्वानों के अनुसार इस सिद्धांत से समूह के निर्माण में मदद मिलती है।

5 क्रो एंड क्रो के अनुसार  इस सिद्धांत के द्वारा बच्चे के व्यवहार और अनुशासन का विकास किया जा सकता है।

6 स्किनर के अनुसार इस सिद्धांत के द्वारा संबंध सहज क्रिया होना एक महत्वपूर्ण गुण है और सीखना इसी पर निर्भर करता है।

7 क्रो एंड क्रो के अनुसार जिसमें चिंतन की जरूरत नहीं होती जैसी सुलेख ,अक्षर विन्यास जैसे कार्यों के लिए यह सिद्धांत उपयोगी है।

✍️

     Notes By-‘Vaishali Mishra’

🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀

🔆  अनुकूलित अनुक्रिया या संबंध प्रतिक्रिया का सिद्धांत ➖ इवान पेट्रोविच पावलव

🎾 यह सिद्धांत रुस के मनोवैज्ञानिक ” इवान पेट्रोविच पावलव ” के द्वारा दिया गया है |

             प्रतिक्रिया अर्थात अस्वाभाविक उद्दीपन के प्रति स्वाभाविक प्रतिक्रिया का होना तथा स्वाभाविक प्रतिक्रिया या सीखना ही अनुकूलित अनुक्रिया है |

“बर्नाड ” के अनुसार ➖

     अनुकूलित अनुक्रिया, उत्तेजना की पुनरावृत्ति द्वारा व्यवहार का स्वचालन है जिसमें उत्तेजना पहले किसी विशेष अनुक्रिया  के साथ लगी रहती है और अंत में किसी व्यवहार का कारण बन जाती है |

🔥  पावलव ने अपना प्रयोग भूखे कुत्ते पर किया जिसमें उन्होंने एक भूखे कुत्ते को बांधकर रखा  |

इसमें भोजन को देखकर कुत्ते के मुंह से लार टपकती है जिसमें भोजन स्वभाविक क्रिया है तथा लार संबद्ध प्रतिक्रिया है उद्दीपक दो प्रकार के होते हैं प्राकृतिक उद्दीपक और कृत्रिम  उद्दीपक |जब प्राकृतिक उद्दीपक और कृत्रिम उद्दीपक  साथ साथ आते हैं तो उनमें संबंध स्थापित हो जाता है यह संबंध इतना प्रभावशाली होता है कि कृत्रिम उद्दीपक प्राकृतिक उद्दीपक की सभी विशेषताएं ग्रहण कर लेता है प्राकृतिक उद्दीपक की अनुपस्थिति में भी केवल कृत्रिम उद्दीपक या अस्वाभाविक अनुक्रिया उद्दीपक से ही  अनुक्रिया संभव जाती है |

📛  पावलव का प्रयोग  –  कुत्ते पर  ➖ 

 पावलव ने अपने प्रयोग  में कुत्ते को खूंटे से बांधकर रखा |

जिसमें उन्होंने कुत्ते को भोजन  दिया जिससे कुत्ते ने स्वाभाविक प्रतिक्रिया करते हुए  लार टपकाइ |

 इसके बाद उन्होंने कुत्ते को घंटी  बजने के बाद भोजन दिया जिससे कुत्ते ने घंटी बजने पर अपने स्वाभाविक प्रतिक्रिया जाहिर की और लार आया |

  कुछ दिनों तक उन्होंने घंटी भी बजाई और भोजन भी दिया जिससे कुत्ते ने घंटी और भोजन  दोनों के संभावित प्रतिक्रिया व्यक्त की |

  इस प्रयोग में उन्होंने पाया कि की घंटी बजने पर लार टपकती है जिससे उसने घंटी बजने पर लार आया जिससे  घंटी बजने पर लार टपकाया |

अर्थात्   कुत्ते के स्वभाव में लार कृत्रिम उद्दीपक का ही एक रूप है इससे कुत्ते ने घंटी बजाने से यह सीख लिया कि खाना मिलेगा | जहां पर अस्वाभाविक उत्तेजक स्वाभाविक उत्तेजक का स्थान ग्रहण पर लेता है वहां सहज प्रतिक्रिया द्वारा सीखना होता है | `

पावलव ने अपने प्रयोग की 3 स्थितियां बताई हैं प➖

🍀  स्वभाविक उत्तेजक  (भोजन देना)( UCS) ➖ स्वभाविक अनुक्रिया (भोजन) ( UCR )+ लार कृत्रिम

उद्दीपक  

  अर्थात् यदि हमारा उत्तेजक स्वाभाविक है तो उससे होने वाली प्रतिक्रिया भी स्वाभाविक होगी |

🍀 अस्वाभाविक उत्तेजक (घंटी बजना ) UCS + स्वाभाविक उत्तेजक (भोजन देना)➖  स्वाभाविक अनुक्रिया की घंटी की आवाज +  भोजन (UCR ) (UCR)  ➖ लार का टपकना 

  अर्थात यदि स्वाभाविक उत्तेजक और अस्वाभाविक उत्तेजक दोनों के प्रति प्रतिक्रिया होती है तो उससे होने वाली प्रतिक्रिया भी स्वाभाविक ही होती है |

🍀 अनुकूलित उत्तेजक(CS) ➖ अनुकूलित अनुक्रिया (CR) 

अर्थात यदि उद्दीपन स्वभाविक है तो उससे होने वाली प्रतिक्रिया  स्वाभाविक होगी और यदि  अस्वाभाविक और स्वाभाविक उद्दीपन है तो उनसे होने वाली अनुक्रिया स्वाभाविक ही होगी |

🔥 पावलव ने अपना प्रयोग  मनुष्य पर  तो नहीं किया लेकिन उन्होंने मनुष्य के गुण के बारे में बताया कि यदि कोई व्यक्ति या कुछ लोग जो बस या कार का सफर सहन नहीं कर पाते हैं तो या उन्हें बस में बैठने से वोमिटिंग होती है तो वे जब भी बस में बैठते हैं या बस में बैठने का नाम लेते हैं तो उन्हें उस परिस्थिति में वोमिटिंग करने का मन करने लगता है या किसी को  वोमिटिंग करते देखते हैं तब भी वह वोमिटिंग करने का मन करता है | अर्थात जब वह पहली बार बस में बैठे थे तो वोमीटिंग उनकी स्वाभाविक क्रिया नहीं थी लेकिन वोमिटिंग करते-करते  बस में बैठकर वोमीटिंग की फीलिंग आना उनका स्वाभाविक गुण हो गया है | अर्थात अस्वाभाविक क्रिया भी स्वाभाविक क्रिया का रूप ग्रहण कर लेती है और वह हमारे स्वाभाविक क्रिया  का हिस्सा बन जाती है  |

अर्थात कृत्रिम उद्दीपन , प्राकृतिक उद्दीपक के गुण ग्रहण कर लेता है और  प्राकृतिक उद्दीपक के समान गुण प्रदर्शित करते हुए प्राकृतिक उद्दीपक बन जाता है |

🎯 पावलव के सिद्धांत के गुण और विशेषताएं  ➖ 

🍀 यह सिद्धांत सीखने की स्वाभाविक विधि है  |

🍀इससे बच्चों में समाज या वातावरण से सामंजस्य स्थापित करने में मदद मिलती है |

🍀 इस सिद्धांत की मदद से भय ,डर इत्यादि मानसिक परेशानी को भी दूर किया जा सकता है |

🍀 इससे समूह के निर्माण में मदद मिलती है |

🍀 क्रो और क्रो ने कहा है कि ➖

” इससे बच्चे के व्यवहार और अनुशासन का विकास कर सकते हैं | “

  🍀 स्किनर के अनुसार ➖

“संबद्ध, सहज क्रिया होना एक महत्वपूर्ण गुण है सीखना प्रकार निर्भर करता है  |” 

🍀 “क्रो  और  क्रो के अनुसार ➖ 

 “जिसमें चिंतन की जरूरत नहीं है जैसे सुलेख, अक्षर विन्यास उस कार्य के लिए आवश्यक है |

नोट्स बाय ➖ रश्मि सावले

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➡️  अनुकूलित अनुक्रिया या संबंध प्रतिक्रिया का सिद्धांत ÷

 इवान पेट्रोविच पावलव

👉🏻यह सिद्धांत रुस के मनोवैज्ञानिक ” इवान पेट्रोविच पावलव ” के द्वारा दिया गया है |

             प्रतिक्रिया अर्थात अस्वाभाविक उद्दीपन के प्रति स्वाभाविक प्रतिक्रिया का होना तथा स्वाभाविक प्रतिक्रिया या सीखना ही अनुकूलित अनुक्रिया है |

“बर्नाड ” के अनुसार÷

     अनुकूलित अनुक्रिया, उत्तेजना की पुनरावृत्ति द्वारा व्यवहार का स्वचालन है जिसमें उत्तेजना पहले किसी विशेष अनुक्रिया  के साथ लगी रहती है और अंत में किसी व्यवहार का कारण बन जाती है |

🟢  पावलव ने अपना प्रयोग भूखे कुत्ते पर किया जिसमें उन्होंने एक भूखे कुत्ते को बांधकर रखा।

इसमें भोजन को देखकर कुत्ते के मुंह से लार टपकती है जिसमें भोजन स्वभाविक क्रिया है तथा लार संबद्ध प्रतिक्रिया है उद्दीपक दो प्रकार के होते हैं प्राकृतिक उद्दीपक और कृत्रिम  उद्दीपक |जब प्राकृतिक उद्दीपक और कृत्रिम उद्दीपक  साथ साथ आते हैं तो उनमें संबंध स्थापित हो जाता है यह संबंध इतना प्रभावशाली होता है कि कृत्रिम उद्दीपक प्राकृतिक उद्दीपक की सभी विशेषताएं ग्रहण कर लेता है प्राकृतिक उद्दीपक की अनुपस्थिति में भी केवल कृत्रिम उद्दीपक या अस्वाभाविक अनुक्रिया उद्दीपक से ही  अनुक्रिया संभव जाती है |

🧑🏻‍✈️ पावलव का प्रयोग  –  

कुत्ते पर  🐕‍🦺

पावलव ने अपने प्रयोग  में कुत्ते🐕‍🦺 को खूंटे से बांधकर रखा |

जिसमें उन्होंने कुत्ते को भोजन  दिया जिससे कुत्ते ने स्वाभाविक प्रतिक्रिया करते हुए  लार टपकाइ |

 इसके बाद उन्होंने कुत्ते को घंटी  बजने के बाद भोजन दिया जिससे कुत्ते ने घंटी बजने पर अपने स्वाभाविक प्रतिक्रिया जाहिर की और लार आया |

  कुछ दिनों तक उन्होंने घंटी भी बजाई और भोजन भी दिया जिससे कुत्ते ने घंटी और भोजन  दोनों के संभावित प्रतिक्रिया व्यक्त की |

  इस प्रयोग में उन्होंने पाया कि की घंटी बजने पर लार टपकती है जिससे उसने घंटी बजने पर लार आया जिससे  घंटी बजने पर लार टपकाया |

अर्थात्   कुत्ते के स्वभाव में लार कृत्रिम उद्दीपक का ही एक रूप है इससे कुत्ते ने घंटी बजाने से यह सीख लिया कि खाना मिलेगा | जहां पर अस्वाभाविक उत्तेजक स्वाभाविक उत्तेजक का स्थान ग्रहण पर लेता है वहां सहज प्रतिक्रिया द्वारा सीखना होता है | `

पावलव ने अपने प्रयोग की 3 स्थितियां बताई हैं।

🟢  स्वभाविक उत्तेजक  (भोजन देना)( UCS) ➖ स्वभाविक अनुक्रिया (भोजन) ( UCR )+ लार कृत्रिम

उद्दीपक  

  अर्थात् यदि हमारा उत्तेजक स्वाभाविक है तो उससे होने वाली प्रतिक्रिया भी स्वाभाविक होगी |

🟢 अस्वाभाविक उत्तेजक (घंटी बजना ) UCS + स्वाभाविक उत्तेजक (भोजन देना)➖  स्वाभाविक अनुक्रिया की घंटी की आवाज +  भोजन (UCR ) (UCR)  ➖ लार का टपकना 

  अर्थात यदि स्वाभाविक उत्तेजक और अस्वाभाविक उत्तेजक दोनों के प्रति प्रतिक्रिया होती है तो उससे होने वाली प्रतिक्रिया भी स्वाभाविक ही होती है |

➡️अनुकूलित उत्तेजक(CS)  अनुकूलित अनुक्रिया (CR) 

अर्थात यदि उद्दीपन स्वभाविक है तो उससे होने वाली प्रतिक्रिया  स्वाभाविक होगी और यदि  अस्वाभाविक और स्वाभाविक उद्दीपन है तो उनसे होने वाली अनुक्रिया स्वाभाविक ही होगी |

🧑🏻‍✈️ पावलव ने अपना प्रयोग  मनुष्य पर  तो नहीं किया लेकिन उन्होंने मनुष्य के गुण के बारे में बताया कि यदि कोई व्यक्ति या कुछ लोग जो बस या कार का सफर सहन नहीं कर पाते हैं तो या उन्हें बस में बैठने से वोमिटिंग होती है तो वे जब भी बस में बैठते हैं या बस में बैठने का नाम लेते हैं तो उन्हें उस परिस्थिति में वोमिटिंग करने का मन करने लगता है या किसी को  वोमिटिंग करते देखते हैं तब भी वह वोमिटिंग करने का मन करता है | अर्थात जब वह पहली बार बस में बैठे थे तो वोमीटिंग उनकी स्वाभाविक क्रिया नहीं थी लेकिन वोमिटिंग करते-करते  बस में बैठकर वोमीटिंग की फीलिंग आना उनका स्वाभाविक गुण हो गया है | अर्थात अस्वाभाविक क्रिया भी स्वाभाविक क्रिया का रूप ग्रहण कर लेती है और वह हमारे स्वाभाविक क्रिया  का हिस्सा बन जाती है  |

           अर्थात कृत्रिम उद्दीपन , प्राकृतिक उद्दीपक के गुण ग्रहण कर लेता है और  प्राकृतिक उद्दीपक के समान गुण प्रदर्शित करते हुए प्राकृतिक उद्दीपक बन जाता है |

➡️पावलव के सिद्धांत के गुण और विशेषताएं  ÷

👉🏻 यह सिद्धांत सीखने की स्वाभाविक विधि है  |

👉🏻इससे 👼🏻बच्चों में समाज या वातावरण से सामंजस्य स्थापित करने में मदद मिलती है |

👉🏻इस सिद्धांत की मदद से भय ,डर इत्यादि मानसिक परेशानी को भी दूर किया जा सकता है |

👉🏻 इससे समूह के निर्माण में मदद मिलती है |

🧑🏻‍✈️क्रो और क्रो ने कहा है कि

” इससे बच्चे के व्यवहार और अनुशासन का विकास कर सकते हैं | “

  🧑🏻‍✈️ स्किनर के अनुसार ,÷

“संबद्ध, सहज क्रिया होना एक महत्वपूर्ण गुण है सीखना प्रकार निर्भर करता है  |” 

🧑🏻‍✈️ “क्रो  और  क्रो के अनुसार ÷

 “जिसमें चिंतन की जरूरत नहीं है जैसे सुलेख, अक्षर विन्यास उस कार्य के लिए आवश्यक है |

🌷🌷Notes by shikha tripathi🌷🌷

☘️🌼 अनुकूलित अनुक्रिया सिद्धांत /संबंधित प्रतिक्रिया सिद्धांत🌼☘️

🟣 यह रूसी  मनोवैज्ञानिक थे। इस सिद्धांत का प्रतिपादन 1904 में रूसी मनोवैज्ञानिक पावलाव  ने किया।

🟣 अस्वभाविक उद्दीपन के प्रति स्वाभाविक प्रतिक्रिया

🟣 सीखना अनुकूलित अनुक्रिया है।

🤵🏻” बर्नाड”के अनुसार➖अनुकूलित अनुक्रिया उत्तेजना की पुनरावृत्ति द्वारा व्यवहार का संचालन है, जिसमें उत्तेजना पहले किसी विशेष अनुक्रिया के साथ लगी रहती है और अंत में किसी व्यवहार का कारण बन जाती है।

🌼 पावलव का प्रयोग➖ कुत्ते पर 🦮

भोजन को देखकर कुत्ते🦮 के मुंह से लार टपकने लगती है।

इसलिए कहीं पर भी जो कार्य करता है वह प्रक्रिया स्वभाविक उत्तेजक पर भी हो सकता है और वह स्वभाव एक उत्तेजक पर भी हो सकता है।

               उद्दीपक

         ↙️               ↘️

      प्राकृतिक          कृत्रिम

🟣जब प्राकृतिक उद्दीपक और कृत्रिम उद्दीपक साथ साथ आते हैं तो दोनों में संबंध स्थापित हो जाता है अतः संबंधित ना प्रभावशाली होता है कि कृतिम उद्दीपक प्राकृतिक उद्दीपक की सारी विशेषता ग्रहण कर लेता है।

🟣 प्राकृतिक उद्दीपक की अनुपस्थिति में भी केवल अस्वभाविक / कृतिम उद्दीपक ही अनुक्रिया संभव हो जाता है।

☘️🌼 पावलव का प्रयोग🌼☘️ (pavlov  experiment)

🟣 भावनाओं ने कुत्ते 🦮पर इसका प्रयोग किया उसने कुत्ते🦮 को भोजन (stimulus) दिया जिसके प्रतिक्रिया स्वरूप उसने लार  टपकायी उसे भोजन देने के पहले कुछ दिन तक घंटी बजाई कुछ दिनों बाद देखा गया की घंटी बजते ही कुत्ते🦮 की लार टपकने लगती है कुछ दिनों के बाद केवल घंटी की आवाज सुनते ही कुत्ते के मुंह की लार टपकने की। स्वाभाविक प्रतिक्रिया करने लगता है भावनाओं ने इस प्रतिक्रिया संबंध सहज की संज्ञा दी है।

💫🟣 अनुकूलित अनुक्रिया का तंत्र इस आधार पर विकसित होता है

1-स्वभाविक उत्तेजक (भोजन) (USC) स्वभाविक अनुक्रिया लार (UCR)

2-अस्वाभाविक +स्वाभाविक उत्तेजक स्वभाविक अनुक्रिया

3-अनुकूलित ग्रेजड अनुकूलित अनुक्रिया

घंटी की आवाज-(C-S) लार (C-R)

🌼☘️ गुण एवं विशेषताएं☘️🌼

👉🏼 सीखने की स्वभाविक विधि है।

👉🏼 यह सिद्धांत बच्चों में समाज या वातावरण में सामंजस्य स्थापित करने में मदद करता है।

👉🏼 भय ,डर इत्यादि मानसिक परेशानियों को दूर किया जा सकता है।

👉🏼 समूह के निर्माण में मदद  मिलती है।

🧑🏼‍💼 क्रो एंड क्रो➖ इससे बच्चों के व्यवहार / अनुशासन में विकास कर सकता है।

🧑🏽‍🔬 स्किनर ➖ संबंध सहज क्रिया होना एक महत्वपूर्ण गुण है सीखना इस पर निर्भर करता है।

🧑🏼‍💼 क्रो एंड क्रो➖ जिसमें चिंतन की जरूरत नहीं जैसे सुलेख, अक्षर ,विन्यास उस कार्य के लिए उपयोगी है।

✍🏻📚📚  Notes by….. Sakshi Sharma📚📚✍🏻

💐💐💐💐💐💐💐💐

अनुकूलित अनुक्रिया का सिद्धांत/ संबद्ध प्रतिक्रिया का सिद्धांत– 

☘️ इस सिद्धांत का प्रतिपादन इवान पावलव ने किया था।

☘️ पावलव एक रूसी  मनोवैज्ञानिक थे।

💥 संबंध में प्रतिक्रिया–

👉 अस्वाभाविक उद्दीपक के प्रति स्वाभाविक प्रतिक्रिया का होना तथा सीखना अनुकूलित अनुक्रिया है।

🌺 बर्नार्ड के अनुसार–

🌺 अनुकूलित अनुक्रिया उत्तेजना की पुनरावृत्ति द्वारा व्यवहार का संचालन है। जिससे उत्तेजना पहले किसी विशेष अनुप्रिया के साथ लगी रहती है। और अंत में किसी व्यवहार का कारण बन जाती है।

🌍 पावलव का कुत्ते पर प्रयोग–

💐 पावलव ने अपना प्रयोग कुत्ते पर किया ।इन्होंने एक भूखे कुत्ते को बांध दिया। और उसके गले में सिद्ध करके एक नली लगा दी। फिर उन्होंने कुत्ते को भोजन दिया। लेकिन वह भोजन देने से पहले घंटी बजाते थे ।तो जैसे ही भोजन कुत्ते के सामने आता तो तू उसके गले में लगी नली से लार टपकने लगती थी ।और यह प्रक्रिया कई बार दोहराएंगे तू इस समय पर जैसे ही घंटी बजाई जाती थी। तुरंत उसकी गले में लगी नली से लार टपकने लगती है।

🌍 उद्दीपक दो प्रकार के होते हैं।

🍄 प्राकृतिक

🍄 कृत्रिम

   जब प्राकृतिक उद्दीपक और कृत्रिम उद्दीपक साथ साथ आते हैं। तो दोनों में संबंध स्थापित हो जाता है। यह संबंध इतना प्रभावशाली होता है। कि कृत्रिम  उद्दीपक प्राकृतिक उद्दीपक की सारी विशेषताएं ग्रहण कर लेता है। 

     प्राकृतिक उद्दीपक की अनुपस्थिति में केवल स्वभाविक कृत्रिम उद्दीपक से ही अनुक्रिया संभव हो जाती है।

  ☘️पावलव का प्रयोग– इन्होंने अपना प्रयोग कुत्ते पर किया। जिसमें कुत्ते का भोजन को देखकर लार का आना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। लेकिन भोजन देने से पहले घंटी बजाना एक अस्वाभाविक प्रक्रिया या कृत्रिम प्रक्रिया है। और यह कृत्रिम प्रक्रिया धीरे-धीरे स्वभाविक हो जाती है।

♦️ जहां पर अस्वाभाविक, उत्तेजक स्वभाविक उत्तेजक स्थान ग्रहण कर लेता है।

   वहां सहज प्रतिक्रिया द्वारा सीखना होता है।

🌈 स्वाभाविक उत्तेजक(ucs)–  स्वाभाविक अनुक्रिया (UCR)

🌈 अस्वभाविक उत्तेजक(UCS)– स्वभाविक अनुक्रिया (घंटी की आवाज)+ भोजन लार का टपकना।

🌈 अनुकूलित उत्तेजक(CS)–  अनुकूलित अनुक्रिया( CR)

🌻 गुण और विशेषताएं–

♦️ यह सीखने की स्वभाविक विधि है ।

♦️बच्चों में समझ वातावरण से सामंजस्य स्थापित करने में मदद करता है ।

♦️भय , डर , इत्यादि मानसिक परेशानियों को दूर किया जा सकता है।

 ♦️समूह के निर्माण में मदद मिलती है।

🌼 क्रो एवं  क्रो के अनुसार–

 इसमें बच्चे की व्यवहार अनुशासन विकास कर सकते हैं।

🌼 स्किनर के अनुसार–

 संबंध सहज क्रिया का होना एक महत्वपूर्ण गुण है ।सीखना इस पर निर्भर करता है।

🌼 क्रो एवं क्रो के अनुसार –

इसमें चिंतन की जरूरत नहीं जैसे सुलेख, अक्षर, विन्यास इस कार्य के लिए उपयोगी है।

🌲🌴🦚🌴🌲🌴🌴🌴Notes by poonam sharma

अनुकूलित अनुक्रिया सिद्धांत या 

संबद्ध प्रतिक्रिया का सिद्धांत 

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5 april 2021

रूसी मनोवैज्ञानिक  ‘ इवान पेट्रोविच पावलव / I . P. पावलव ‘ 

के द्वारा इस सिद्धांत को दिया गया है।

प्रयोग किया  :-  भूखे कुत्ते पर

संबद्ध प्रतिक्रिया अर्थात अस्वाभाविक उद्दीपन के प्रति स्वाभाविक प्रतिक्रिया का होना ।

सीखना / स्वाभाविक प्रतिक्रिया ही अनुकूलित अनुक्रिया  है।

‘ बर्नाड ‘  के अनुसार  :-

अनुकूलित अनुक्रिया , उत्तेजना की पुनरावृति द्वारा व्यवहार का स्वचालन है जिसमें उत्तेजना पहले किसी विशेष अनुक्रिया के साथ लगी रहती है और अंत में किसी व्यवहार का कारण बन जाती है।

👉👉  I . P .  पावलव ने अपने इस सिद्धांत का प्रयोग एक भूखे कुत्ते पर किया जिसमें उन्होंने भूखे कुत्ते को बांधकर उसके सामने भोजन रख दिया । 

अतः भोजन को देखकर कुत्ते के मुंह से लार टपकने लगी। 

जिसमें भोजन स्वभाविक क्रिया है । तथा 

लार टपकना संबद्ध प्रतिक्रिया है ।

उद्दीपक दो प्रकार के होते हैं   :-

1 .  प्राकृतिक उद्दीपक 

2.   कृत्रिम उद्दीपक

अतः जब प्राकृतिक उद्दीपक और कृत्रिम उद्दीपक अनेक बार साथ – साथ आते हैं तो उनमें संबंध स्थापित हो जाता है ।  यह संबंध इतना प्रभावशाली होता है कि कृत्रिम उद्दीपक प्राकृतिक उद्दीपक की सभी विशेषताएं ग्रहण कर लेता है। 

अतः  प्राकृतिक उद्दीपक की अनुपस्थिति में भी केवल ( अस्वाभाविक / कृत्रिम ) उद्दीपक से अनुक्रिया संभव हो जाती है।

प्रयोग  :-

पावलव ने अपने सिद्धांत के प्रयोग में एक भूखे कुत्ते को खूंटे से बांध कर रखा। तथा पहले उन्होंने एक प्रकार की घण्टी बजायी और कुत्ते को खाना दिया ।

अतः घण्टी का बजना यहां अस्वाभाविक / कृत्रिम प्रतिक्रिया हुयी।

ऐसा उन्होंने अनेक बार किया कि घण्टी बजाई औऱ भोजन दिया तो इस स्थिति में ये सब कुत्ते की स्वाभाविक/ प्राकृतिक प्रतिक्रिया में परिवर्तित होता गया क्योंकि ये उसकी दिनचर्या में समाहित हो गया था।

अतः इसके बाद कुत्ते के भूखे होने पर उन्होंने सिर्फ घण्टी बजाई पर भोजन नहीं दिया तब भी सिर्फ घण्टी की आवाज़ सुनते ही कुत्ते के मुंह से लार टपकने लगी क्योंकि कुत्ते की मानसिकता बन गयी थी कि घण्टी  बजने के बाद भोजन मिलता है।

अर्थात्  कुत्ते के स्वभाव में घंटी की आवाज सुनकर लार टपकाना अस्वाभाविक /  कृत्रिम उद्दीपक है। 

अतः जहाँ पर अस्वाभाविक उत्तेजक , स्वभाविक उत्तेजक का स्थान ग्रहण कर लेता है वहां सहज प्रतिक्रिया द्वारा सीखना प्रारंभ हो जाता है।

पावलव ने अपनी प्रयोग की तीन स्थितियां बताए हैं :-

1.  स्वाभाविक उत्तेजक   ( UCS ) :-

स्वाभाविक अनुक्रिया ( भोजन)  UCR  + लार कृत्रिम  उद्दीपक

उपर्युक्त स्थिति के अनुसार यदि हमारा उत्तेजक स्वाभाविक है तो उसे होने वाली प्रतिक्रिया भी स्वाभाविक ही होगी।

2.  अस्वाभाविक उत्तेजक ( घण्टी का बजना ) UCS + स्वाभाविक उत्तेजक (भोजन का देना) :-

स्वाभाविक अनुक्रिया ( घंटी की आवाज ) +  भोजन (लार का टपकना)

अर्थात स्वाभाविक उत्तेजक और अस्वाभाविक उत्तेजक  दोनों के प्रति यदि प्रतिक्रिया होती है तो उससे होने वाली प्रतिक्रिया भी स्वाभाविक रूप  ही ले लेती है।

3.  अनुकूलित उत्तेजक (C S ) –  अनुकूलित अनुक्रिया  (C R)

अर्थात यदि उद्दीपन स्वाभाविक होता है तो उससे होने वाली प्रतिक्रिया भी स्वाभाविक होगी और यदि  अस्वाभाविक और स्वभाविक उद्दीपन है तो उनसे होने वाली प्रतिक्रिया भी स्वाभाविक ही होगी।

पावलव के सिद्धांत के गुण / विशेषताएं :-

1.  यह सिद्धांत सीखने की स्वभाविक विधि है।

2.  इस सिद्धांत के अनुसार बच्चों में समाज अपने वातावरण से सामंजस्य स्थापित करने में मदद मिलती है। 

3. इस सिद्धांत की मदद से हमारी भय , डर इत्यादि मानसिक परेशानियों को भी दूर किया जा सकता है ।

4. इस सिद्धांत से समूह के  निर्माण में मदद मिलती है।

इसके संबंध में ‘ क्रो & क्रो ‘  ने कहा है कि :-

इससे बच्चे के व्यवहार और अनुशासन का विकास कर सकते हैं।

स्कीनर  के अनुसार  :-

संबद्ध सहज क्रिया होना एक महत्वपूर्ण गुण है , सीखना इस पर  निर्भर करता है।

क्रो &  क्रो के अनुसार  :-

जिसमें चिंतन की जरूरत नहीं है जैसे – सुलेख , अक्षर विन्यास उस कार्य के लिए आवश्यक है।

✍️Notes by  जूही श्रीवास्तव✍️

अनुकूलित अनुक्रिया सिद्धांत

सम्बद्ध प्रतिक्रिया सिद्धांत

इस सिद्धांत का प्रतिपादन रुसी मनोवैज्ञानिक आई पी पावलव ने किया

आईपी पावलव  का पूरा नाम ईवान पेट्रोविच पावलव है।

पावलव के अनुसार

सम्बद्ध प्रतिक्रिया- अस्वभाविक उद्दीपन के प्रति स्वाभाविक प्रतिक्रिया होती है।

स्वभाविक प्रतिक्रिया के कारण सीखना अनुकूलित अनुक्रिया है।

बर्नार्ड के अनुसार

अनुकूलित अनुक्रिया, उत्तेजना की पुनरावृति द्वारा व्यवहार का स्वचालन है। जिसमें उत्तेजना पहले किसी विशेष अनुक्रिया के साथ लगी रहती है और अंत में किसी व्यवहार का कारण बन जाती है।

पावलव ने कुत्ते पर प्रयोग किया

भोजन (स्वभाविक उद्दीपक) को देखकर कुत्ते के मुंह से लार (स्वभाविक अनुक्रिया)  टपकने लगती हैं।

उद्दीपक दो प्रकार के होते हैं।

                   उद्दीपक

             ↙️           ↘️

1. प्राकृतिक उद्दीपक  2.कृत्रिम उद्दीपक

1.  प्राकृतिक उद्दीपक- यह स्वत:  होता है।

2. कृत्रिम उद्दीपक- यह स्वत:  नहीं होता है।

जब प्राकृतिक उद्दीपक और कृत्रिम उद्दीपक साथ- साथ आते हैं तो दोनों में संबंध स्थापित हो जाता है यह संबंध इतना प्रभावशाली होता है कि कृत्रिम उद्दीपक, प्राकृतिक उद्दीपक की सारी विशेषताएं ग्रहण कर लेता है।

प्राकृतिक उद्दीपक की अनुपस्थिति में भी केवल अस्वाभाविक या कृत्रिम उद्दीपक से ही अनुक्रिया संभव हो जाती है।

पावलव का प्रयोग

पावलव ने अपना प्रयोग एक भूखे कुत्ते पर किया।

कुत्ते को बांध दिया गया। अब कुत्ते के सामने भोजन प्रस्तुत किया गया जैसे ही कुत्ते ने भोजन को देखा तो कुत्ते के मुंह से लार टपकने लगी।

अगली बार पावलव ने कुत्ते को भोजन दिखाने से पहले घंटी बजाई और बाद में भोजन दिया गया इससे कुत्ते के मुंह में लार टपकने लगी। इस प्रक्रिया को बार-बार दोहराया गया।

अंत में ऐसा समय आया की कुत्ते के सामने  घंटी बजाई गई और कुत्ते के मुंह से लार टपकने लगी लेकिन इस बार कुत्ते के सामने भोजन नहीं दिया गया था।

इस प्रकार कुत्ते का लार टपकाना (स्वभाविक अनुक्रिया) का घंटी (अस्वभाविक उद्दीपक) के साथ संबद्ध हो गयी।

यहां पर अस्वभाविक उत्तेजक, स्वभाविक उत्तेजक का स्थान ग्रहण कर लेता है।

यह सहज प्रतिक्रिया द्वारा सीखना होता है।

इस प्रयोग की हम तीन स्थितियां देख सकते हैं।

प्रयोग के पूर्व की स्थिति

प्रयोग के समय की स्थिति

प्रयोग के बाद की स्थिति

प्रयोग के पूर्व

स्वभाविक उत्तेजक ( भोजन)- स्वभाविक अनुक्रिया (लार टपकना)

UCS   – UCR

प्रयोग के समय

 अस्वभाविक उत्तेजक ( घंटी बजाना)+ स्वभाविक उत्तेजक ( भोजन) – स्वभाविक अनुक्रिया ( लार टपकना)

 CS+UCS  – UCR

प्रयोग के बाद

अनुकूलित उत्तेजक- अनुकूलित अनुक्रिया

CS. – CR

UCR- unconditional response स्वभाविक अनुक्रिया

UCS- unconditional stimulus स्वभाविक उत्तेजक

CS- conditional Stimulus अस्वभाविक उत्तेजक/अनुकूलित उत्तेजक

CR- conditional response अस्वभाविक अनुक्रिया/ अनुकूलित अनुक्रिया

अनुकूलित अनुक्रिया सिद्धांत के गुण और विशेषताएं

1. सीखने की स्वभाविक विधि है।

2. बच्चों में समाज या वातावरण से सामंजस्य स्थापित करने में मदद करता है।

3. भय ,डर  इत्यादि मानसिक परेशानी को दूर किया जा सकता है।

4. क्रो एंड क्रो- इससे बच्चे की व्यवहार या अनुशासन का विकास कर सकते हैं।

5. स्किनर- संबद्ध सहज क्रिया होना एक महत्वपूर्ण गुण है सीखना इस पर निर्भर करता है।

6.  क्रो एंड क्रो- जिसमें चिंतन की जरूरत नहीं है जैसे सुलेख, अक्षर विन्यास उस कार्य के लिए यह उपयोगी है।

Notes by Ravi kushwah

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