🔆 वंशानुक्रम एवं वातावरण का शिक्षक के लिए महत्व ➖

▪️शिक्षक के लिए वंशानुक्रम वातावरण दोनों का ही महत्व होता है।

❇️ वंशानुक्रम का महत्व :- 

📍 1 वंशानुक्रम के फल स्वरूप बच्चे में शारीरिक भिन्नता पाई जाती है और शिक्षक इस ज्ञान से संपन्न होकर उनकी शारीरिक विकास में योगदान दे सकते हैं।

▪️कुछ बच्चे शारीरिक रूप से तंदुरुस्त ,अच्छी ऊंचाई या कद काठी, साफ रंग रूप वाले या ज्यादा आकर्षक होते हैं वह कक्षा कक्ष में अलग से रहते हैं तथा उन्हें विशेष महत्व या ध्यान दिया जाता है जबकि इसके अलावा कुछ बच्चे काले, शारीरिक रूप से कमजोर होते हैं वह कक्षा के किसी कार्य में भाग नहीं लेते इस तरह के बच्चों को महत्व या पर ध्यान नहीं दिया जाता है ।

▪️यह बच्चों के बीच में एक धारणा होती है जिसमें एक शिक्षक की बहुत बड़ी भूमिका होती है कि वह बच्चों के साथ किस तरह से कार्य करें जो कि सभी के हित में हो एवं सभी बच्चे के अनुरूप हो। तथा शिक्षक इस शारीरिक  भिन्नता को समझे और जो भी भेदभाव या समस्या आ रही है उसको जानकर या उससे जागरूक होकर दूर करने में अपना योगदान देकर एक उपयुक्त व्यवस्था करे।

📍 2  बालक बालिका में जो भी लैंगिक भेदभाव वंशानुक्रम के कारण होता है जिससे विभिन्न विषयों में उनकी योग्यता कम या अधिक होती है। शिक्षक इस ज्ञान से उनके लिए उपयुक्त विषय के अध्ययन की व्यवस्था करता है।

▪️हम यह जानते हैं कि कुछ विशेषता या योग्यता या गुण लड़कों में पाए जाते हैं जबकि कुछ विशेषता या योग्यता या गुण लड़कियों में पाए जाते हैं जिसमें वह सहज होते हैं और किसी भी कार्य को अपनी विशेषता योग्यता या गुणों के आधार पर बेहतर रूप से कर पाते हैं।

▪️इसीलिए शिक्षक को यह स्पष्ट रूप से जानकारी या ज्ञान या समझहोनी चाहिए कि बच्चों के अंदर परिपक्वता है जिसमें वह सहज होते हैं और यह भिन्नता उनके लिए उपयुक्त या उनके हिसाब से होती है इसी को ध्यान में रखकर ही उनके लिए विषय के अध्ययन की व्यवस्था करनी चाहिए।

📍3 जन्मजात क्षमता में अंतर 

▪️शिक्षा को इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि बच्चों में जन्मजात क्षमता में अंतर होता है।

▪️शिक्षक कम प्रगति करने वाले बच्चों को अधिक प्रगति करने के लिए सहयोग देता है।

▪️कुछ बच्चे किसी जन्मजात कारण से किसी कार्य में प्रगति में पीछे हैं तो शिक्षक को इस बात का या बच्चे की जन्म क्षमता को ध्यान में रखकर या उससे जागरूक होकर ही कक्षा कक्ष में विषय के अध्ययन की व्यवस्था का आयोजन करना चाहिए।

📍 4 कुछ विभिन्नताएं विकास के साथ अधिक स्पष्ट होती हैं।

▪️वंशानुक्रम के फल स्वरुप बच्चों में अनेक प्रकार की विभिन्नताए पाई जाती हैं जो कि उनकी विकास के साथ-साथ अधिक से अधिक स्पष्ट होती जाती हैं शिक्षक बच्चे की इस विभिन्नता का अध्ययन करके बच्चों को उसके अनुरूप शिक्षा देता है।

▪️बच्चों के अंदर में समय के साथ उनकी विभिन्नता स्पष्ट होती है अर्थात जैसे जैसे समय बढ़ता जाता है वैसे वैसे उस समय की जो भी विभिन्नता या विशेषता या गुण हैं वह विकसित होते हैं और हमें स्पष्ट रूप से नजर आने लगते हैं अर्थात वंशानुक्रम के लक्षण समय के साथ दिखाई देते हैं।

▪️शिक्षक को इस विभिन्नता का अध्ययन करके बच्चों के अनुरूप व उनके लिए उचित शिक्षा का आयोजन करना चाहिए।

📍 5 योग्य माता-पिता के अयोग्य बच्चे, अयोग्य माता-पिता के योग्य बच्चे ।

▪️इन दोनों ही नियमों की अच्छी तरह समझ या भली-भांति जो शिक्षक इन नियमों को जानता है या अच्छी तरह समझता है या नियमों से जागरूक है तभी वह बच्चे की सही तरीके या उचित रूप से सहायता व उनके साथ उस अनुरूप व्यवहार कर पाएगा ।

▪️माता-पिता की योग्यता और अयोग्यता को देखते हुए हम बच्चे से वैसे ही उम्मीद है या आशा या किसी बच्चे को कम या ज्यादा आंकने लगते हैं कि वह भी उसी प्रकार होंगे जिस प्रकार उनके माता-पिता योग्य और अयोग्य है।

▪️जो कि उचित नहीं है यह शिक्षक को इस नियम के बारे में समझ होनी चाहिए ना कि इस प्रकार से बच्चों की अन्य से तुलना करना चाहिए।

▪️शिक्षक को यह समझना होगा कि ऐसा जरूरी नहीं है कि हर परिस्थिति में हमेशा बच्चे एक जैसे या बिलकुल अपने माता पिता की तरह ही होंगे इसीलिए इन बातों को समझ कर ही अध्ययन कार्य करना चाहिए।

📍 6 वंशानुक्रम की कुछ प्रवृत्ति वांछनीय है जबकि कुछ अवांछनीय 

▪️शिक्षक इन प्रवृत्ति को समझ कर बच्चे के अंदर वांछनीय चीजें या कार्य या बातों का विकसित करना चाहिए और जो भी अवांछनीय कार्य है उसे खत्म करना चाहिए।

▪️किसी भी कार्य की या बात की यह चीज की वांछनीय और अवांछनीय के बीच की समझ शिक्षक के दिमाग में बहुत अच्छी तरह  से स्पष्ट होना चाहिए क्योंकि इसी के आधार पर ही वह बच्चों में अच्छी चीजों (वांछनीय) को आगे बढ़ा सकता है और खराब (अवांछनीय) चीजों को खत्म कर सकता है।

📍 7 सीखने की योग्यता में अंतर

▪️एक शिक्षक के रूप में यह जानना अति आवश्यक है कि जो भी बच्चे धीरे सीखते हैं उनके प्रति सहनशील होना चाहिए और जो भी बच्चे जल्दी सीखते हैं उन्हें अधिक कार्य देना चाहिए ताकि सभी बच्चे एक साथ रहकर या अपनी योग्यता के अनुसार सीख पाए।

📍 8 वुडवर्थ का मानना था कि ग्रामीण (देहात) परिवेश के बच्चे की अपेक्षा शहरी बच्चो की मानसिक स्तर की श्रेष्ठता आंशिक रूप से वंशानुक्रम के कारण होती है।

शिक्षक इस ज्ञान से अवगत होकर शिक्षण को उस बच्चे के हिसाब से या उसके अनुसार बना सकता है।

▪️इस बात से हम भलीभांति परिचित हैं कि हमारा वंशानुक्रम जहां का भी है उसी के हिसाब से हमारे अंदर कुछ ना कुछ वैसा ही गुण या स्वभाव होता है।

▪️यदि कुछ बच्चों के माता-पिता शहर या गांव में रहते हैं जहां पर बच्चे का जन्म शहरी या ग्रामीण जगह पर हुआ है तो उस शहर के वृहद रूप एवं ग्रामीण के संक्षिप्त रूप के कारण ही किसी न किसी रूप में बच्चे के मानसिक स्तर के विकास पर पड़ने वाले प्रभाव को देखा जा सकता है, जिसके अनुसार बच्चा वैसा ही प्रदर्शन या व्यवहार करने लगता है इस बात को नकारा या अनदेखा नहीं किया जा सकता।

✍️

       Notes By-‘Vaishali Mishra’

🤗वंशानुक्रम और वातावरण के सापेक्ष महत्व🤗

               💠बालक के लिए महत्व💠

1 वंशानुक्रम और वातावरण की अध्यक्षता

2 वंशानुक्रम और वातावरण का समान महत्व

3 वंशानुक्रम और वातावरण की पारस्परिक निर्भरता

4 वंशानुक्रम और वातावरण के प्रभाव में अंतर करना असंभव है

5 बालक वातावरण और वंशानुक्रम  की उपज

             💠शिक्षकों के लिए महत्व💠

1 वंशानुक्रम का महत्व:- शारीरिक विभिन्नता जो बच्चे में वंशानुक्रम से होती है शिक्षक इस ज्ञान से संपन्न होकर उनके शारीरिक विकास में योगदान दे सकता है

2 बालक बालिका में लैंगिक भेद वंशानुक्रम के कारण होता है जिससे विभिन्न विषयों में उनकी योग्यता कम या अधिक होती है शिक्षक इस ज्ञान से उनके लिए उपरोक्त विषय के अध्ययन की व्यवस्था करता है

3 जन्मजात क्षमता में अंतर:- शिक्षक कम प्रगति करने वाले बच्चों को अधिक प्रगति करने के लिए सहयोग देता है

4 कुछ विभिन्नताए विकास के साथ अधिक स्पष्ट होती हैं इसे अध्ययन करके शिक्षक बच्चों के लिए उचित शिक्षा का आयोजन करेंगे

5 योग्य माता पिता के अयोग्य बच्चे और अयोग्य माता-पिता के योग्य बच्चे इस नियम को अच्छे से  समझने वाला शिक्षक बच्चों के साथ उचित व्यवहार कर सकते हैं

6 वंशानुक्रम के कुछ प्रवृत्ति वांछनीय और कुछ अवांछनीय भी होती हैं शिक्षक इन प्रवृत्तियों को समझ कर बच्चों को उनके कार्यों में आगे बढ़ा सकते हैं

 वांछनीय – विकास

 अवांछनीय – 

7 सीखने की योग्यता में अंतर

 जो बच्चे देर से सीखते  है वे सहनशील होते हैं

और जो बच्चे जल्दी सीखते हैं उन्हें और अधिक कार्य दे दिया जाता है

वुडवर्थ :-

             .. ग्रामीण( देहात) परिवेश के बच्चे की अपेक्षा शहरी बालक की मानसिक स्तर की श्रेष्ठता  आंशिक रूप से वंशानुक्रम के कारण होती है

शिक्षक इस ज्ञान से अवगत होकर शिक्षण को उस हिसाब से बना सकता है

सपना साहू

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🌻  वंशानुक्रम और वातावरण का शिक्षकों के लिए महत्व–

🌈 वंशानुक्रम का महत्व

🦚 शारीरिक भिन्नता जो बच्चों में वंशानुक्रम से होती है शिक्षक इस ज्ञान से संपन्न होकर उनके  शारीरिक योगदान दे सकता है

🦚 बालक बालिकाओं में लैंगिक भेद वंशानुक्रम के कारण होता है। जिससे विभिन्न विषयों में उनकी योग्यता कम या अधिक होती है।

         शिक्षक इस ज्ञान से उनके लिए उपयुक्त विषय के अध्ययन की व्यवस्था करता है

🦚 जन्मजात क्षमताओं में अंतर

   शिक्षक कम प्रगति वाले बच्चों को अधिक  प्रगति  करने के लिए सहयोग देता है।

🦚 कुछ विभिन्न बताएं विकास के साथ अधिक स्पष्ट होती हैं ।इसे अध्ययन करके शिक्षक बच्चों के लिए उचित शिक्षा का आयोजन करेंगे।

🦚 योग्य माता-पिता के आयोग बच्चे या अयोग्य माता-पिता की योग्य बच्चे हो सकते हैं।

      इस नियम को अच्छे से समझने वाला शिक्षक बच्चों के साथ उचित व्यवहार कर सकता है।

🦚 वंशानुक्रम की कुछ प्रवर्त्ति वांछनीय और  कुछ अवांछनीय होती है। शिक्षक इन  प्रवृत्तियों को समझ कर बच्चों को उनके कार्यों में आगे बढ़ा सकते हैं।

      वांछनीय– विकास 

🦚 सीखने की योग्यता में अंतर

  🌺 जो बच्चे देर से सीखते हैं वह सहनशील होते हैं और जो जल्दी सीखते हैं उन्हें अधिक कार्य दिया जाता है।

👨‍✈️ वुडवर्थ– ग्रामीण परिवेश  के बच्चे की अपेक्षा शहरी बालक की 

मानसिक  स्तर की श्रेष्ठता आंशिक रूप से वंशानुक्रम के कारण होती है शिक्षक इस ज्ञान से अवगत होकर शिक्षण उसी हिसाब से बना सकता है।

Notes by poonam sharma

📚📚📚

वंशानुक्रम और वातावरण का सापेक्ष महत्व

*1.बालक के लिए महत्व*

1. वंशानुक्रम और वातावरण अपृथकता 

2. वंशानुक्रम एवं वातावरण का समान महत्व

3. वंशानुक्रम और वातावरण के पारस्परिक निर्भरता

4. वंशानुक्रम और वातावरण के प्रभाव में अंतर करना असंभव

5. बालक, वातावरण और वंशानुक्रम की उपज

*2. शिक्षक के लिए महत्व*

A . वंशानुक्रम का महत्व

1. शारीरिक भिन्नता जो बच्चों में वंशानुक्रम से होती हैं शिक्षक इस ज्ञान से संपन्न होकर उनके शारीरिक विकास में योगदान दे सकता है। 

2.. बालक बालिका में लैंगिक भेद वंशानुक्रम के कारण होता है जिससे विभिन्न विषयों में उनकी योग्यता कम या अधिक होती है शिक्षक इस ज्ञान से उनके लिए उपयुक्त विषय के अध्ययन की व्यवस्था करता है।

3. जन्मजात क्षमता में अंतर होना। इसके लिए शिक्षक कम प्रगति करने वाले बच्चों को अधिक प्रगति करने के लिए सहयोग देता है। अर्थात जैसे कोई बच्चा मंदबुद्धि की तो यदि अध्यापक को यह पता है कि वह बच्चा मंदबुद्धि है तो अध्यापक छात्र को सामान्य बच्चों के बराबर लाने के लिए कुछ योजना बनाएगा ,उपचार करेगा।

4. कुछ विभिन्नताएं विकास के साथ अधिक स्पष्ट होती हैं अर्थात जैसे-जैसे बालक बढ़ता जाता है उसकी विभिन्नताएं और अधिक स्पष्ट रूप से प्रकट होती जाती है। इसका अध्ययन करके शिक्षक बच्चों के लिए उचित शिक्षा का आयोजन कर सकता है।

5. योग्य माता-पिता के अयोग्य बच्चे और अयोग्य के माता-पिता के योग्य बच्चे। इस नियम को अच्छे से समझने वाले शिक्षक बच्चों के साथ उचित व्यवहार कर सकते हैं ।

6. वंशानुक्रम की कुछ प्रवृत्ति वांछनीय और अवांछनीय भी होती है शिक्षक इन प्रवृत्ति को समझकर वांछनीय प्रवृत्ति का और अधिक विकास कर सकता है जबकि अवांछनीय प्रवृति को समाप्त या खत्म करने की कोशिश करता है।

7. बालकों की सीखने की योग्यता में अंतर होता है शिक्षक योग्यता का पता लगाकर बालकों का अध्ययन अच्छी प्रकार से कर सकता है ।योग्यता में यह अंतर दो प्रकार से हो सकता है

1. देर से सीखने वाले और 2.जल्दी सीखने वाले

देर से सीखने वाले बच्चों के लिए शिक्षक को सहनशील रहना होगा जबकि जल्दी सीखने वाले बच्चों को शिक्षक अधिक कार्य देंगे।

8. वुडवर्थ के अनुसार 

ग्रामीण या देहात परिवेश के बच्चों की अपेक्षा शहरी बालको की मानसिक स्तर की श्रेष्ठता आंशिक रूप से वंशानुक्रम के कारण होती है।

शिक्षक इस ज्ञान से अवगत होकर शिक्षण को उस हिसाब से बना सकता है।

Notes by Ravi kushwah

💦🌻🌏👶🏻💫🥀वंशानुक्रम और वातावरण के सापेक्ष महत्व🌴🌵🌏💦

 👶🏻💫बालक के लिए महत्व👶🏻💦💦🌻🌻☃️

1 वंशानुक्रम और वातावरण की अध्यक्षता

2 वंशानुक्रम और वातावरण का समान महत्व

3 वंशानुक्रम और वातावरण की पारस्परिक निर्भरता

4 वंशानुक्रम और वातावरण के प्रभाव में अंतर करना असंभव है

5 बालक वातावरण और वंशानुक्रम की उपज

🥀🥀🌻शिक्षकों के लिए महत्व🥀🥀🥀🌻💫💫

➡️वंशानुक्रम का महत्व:-🥀🥀 

शारीरिक विभिन्नता जो बच्चे में वंशानुक्रम से होती है शिक्षक इस ज्ञान से संपन्न होकर उनके शारीरिक विकास में योगदान दे सकता है

➡️बालक बालिका में लैंगिक भेद वंशानुक्रम के कारण होता है जिससे विभिन्न विषयों में उनकी योग्यता कम या अधिक होती है शिक्षक इस ज्ञान से उनके लिए उपरोक्त विषय के अध्ययन की व्यवस्था करता है

➡️जन्मजात क्षमता में अंतर:- शिक्षक कम प्रगति करने वाले बच्चों को अधिक प्रगति करने के लिए सहयोग देता है

➡️ कुछ विभिन्नताए विकास के साथ अधिक स्पष्ट होती हैं इसे अध्ययन करके शिक्षक बच्चों के लिए उचित शिक्षा का आयोजन करेंगे

➡️योग्य माता पिता के अयोग्य बच्चे और अयोग्य माता-पिता के योग्य बच्चे इस नियम को अच्छे से  समझने वाला शिक्षक बच्चों के साथ उचित व्यवहार कर सकते हैं

➡️वंशानुक्रम के कुछ प्रवृत्ति वांछनीय और कुछ अवांछनीय भी होती हैं शिक्षक इन प्रवृत्तियों को समझ कर बच्चों को उनके कार्यों में आगे बढ़ा सकते हैं

🥀सीखने की योग्यता में अंतर

जो बच्चे देर से सीखते  है वे सहनशील होते हैं।और जो बच्चे जल्दी सीखते हैं उन्हें और अधिक कार्य दे दिया जाता है

🧑🏼‍💼वुडवर्थ के अनुसार,”

“देहाती बालकों की अपेक्षा शहरी बालकों के मानसिक स्तर की श्रेष्ठता, आंशिक रूप से वंशानुक्रम के कारण होती है। शिक्षक इस ज्ञान से अवगत होकर अपने शिक्षण को उनके मानसिक स्तरों के अनुसार बना सकता है ”

📝📖📚💫notes by shikha Tripathi💫📚🥀🥀🖊️🖊️🖊️🖊️

🔆🔥वंशानुक्रम और वातावरण का सापेक्ष महत्व :- 

(1) बालको के लिए महत्व :-

(A) वंशानुक्रम और वातावरण की अपृथकता |

(B) वंशानुक्रम और वातावरण का समान महत्व |

(C) वंशानुक्रम और वातावरण की पारस्परिक निर्भरता |

(D) वंशानुक्रम और वातावरण के प्रभाव में अंतर करना असंभव है |

(E) बालक वातावरण और वंशानुक्रम की उपज |

(2) शिक्षको के लिए महत्व 

(A) अनुवांशिकता

(B) वातावरण

✡ शिक्षको के लिए महत्व :- 

(1) वंशानुक्रम का महत्व ➡ 

शारीरिक भिन्नता जो बच्चो मे वंशानुक्रम से होती है शिक्षक इस ज्ञान से सम्पन्न होकर उनके शारीरिक विकास मे योगदान दे सकता है |

(2) बालक और बालिका मे लैंगिक भेद ➡ 

बालक बालिका मे लैंगिक भेद वंशानुक्रम के कारण होती है जिससे विभिन्न विषयो मे उनकी योग्यता कम या अधिक होती है |

शिक्षक इस ज्ञान से उनके लिए उपयुक्त विषय के अध्ययन की व्यवस्था करता है |

(3) जन्मजात क्षमता मे अन्तर ➡ 

शिक्षक कम प्रगति करने वाले बच्चो को अधिक प्रगति करने के लिए सहयोग देता है |

(4) विभिन्नताऐ ➡ 

कुछ बच्चो की विभिन्नताए विकास के साथ अधिक स्पष्ट होती है इसे अध्ययन करके शिक्षक बच्चो के लिए उचित शिक्षा का आयोजन करेगे |

(5) योग्य माता-पिता के अयोग्य बच्चे अयोग्य माता-पिता के योग्य बच्चे |

    इस नियम को अच्छे से समझने वाला शिक्षक बच्चो के साथ उचित व्यवहार कर सकते है |

(6) वंशानुक्रम की कुछ प्रवृति — वांछनीय और कुछ अवांछनीय भी होती है |

शिक्षक इन प्रवृति को समझकर बच्चो को उनके कार्यो मे आगे बढा़ सकते है और वांछनीय  प्रवृत्ति विकास कर सकता है और अवांछनीय प्रवृत्तिको समाप्त या खत्म करता है |

(7) सीखने की योग्यता मे अन्तर ➡ 

जो बच्चे जल्दी सीखते है उनको अधिक कार्य देगे और जो बच्चे देर मे सीखते है

तो शिक्षक को सहनशील रहना होगा है |

(8) वुडवर्थ ➡ ग्रामीण (देहात) परिवेश के बच्चे की अपेक्षा शहरी बालक की मानसिक स्तर की श्रेष्ठता आंशिक रूप से वंशानुक्रम के कारण होती है |

    शिक्षक इस ज्ञान से अवगत होकर शिक्षण को उस हिसाब से बना सकता है |

Notes by ➖ Ranjana Sen

वंशानुक्रम और वातावरण का सापेक्ष महत्व

 2️⃣ *शिक्षक के लिए महत्व*

( *वंशानुक्रम का महत्व* )

➡️शारीरिक भिन्नता जो बच्चों में वंशानुक्रम से होती हैं। शिक्षक इस ज्ञान से संपन्न होकर उनके शारीरिक विकास में योगदान दे सकता है। 

➡️ बालक बालिका में लैंगिक भेद वंशानुक्रम के कारण होता है ।जिससे विभिन्न विषयों में उनकी योग्यता कम या अधिक होती है। शिक्षक इस ज्ञान से उनके लिए उपयुक्त विषय के अध्ययन की व्यवस्था करता है।

➡️ जन्मजात क्षमता में अंतर होना। इसके लिए शिक्षक कम प्रगति करने वाले बच्चों को अधिक प्रगति करने के लिए सहयोग देता है। जैसे कोई बच्चा मंदबुद्धि का हो और अध्यापक को यह पता है कि वह बच्चा मंदबुद्धि है तो अध्यापक छात्र को सामान्य बच्चों के बराबर लाने के लिए कुछ योजना बनाएगा ,उपचार करेगा।

➡️कुछ विभिन्नताएं विकास के साथ अधिक स्पष्ट होती हैं अर्थात जैसे-जैसे बालक बढ़ता जाता है, उसकी विभिन्नताएं और अधिक स्पष्ट रूप से प्रकट होती जाती है। इसका अध्ययन करके शिक्षक बच्चों के लिए उचित शिक्षा का आयोजन कर सकता है।

➡️योग्य माता-पिता के अयोग्य बच्चे और अयोग्य के माता-पिता के योग्य बच्चे। इस नियम( प्रत्यास्थता) को अच्छे से समझने वाले शिक्षक बच्चों के साथ उचित व्यवहार कर सकते हैं ।

➡️ वंशानुक्रम की कुछ प्रवृत्ति वांछनीय और अवांछनीय भी होती है। शिक्षक इन प्रवृत्ति को समझकर वांछनीय प्रवृत्ति का और अधिक विकास कर सकता है, जबकि अवांछनीय प्रवृति को समाप्त करने की कोशिश करता है।

⏩ बालकों की सीखने की योग्यता में अंतर होता है शिक्षक योग्यता का पता लगाकर बालकों का अध्ययन अच्छी प्रकार से कर सकता है ।योग्यता में यह अंतर दो प्रकार से हो सकता है-

A. देर से सीखने वाले 

 B. जल्दी सीखने वाले

➡️देर से सीखने वाले बच्चों के लिए शिक्षक को सहनशील रहना होगा, जबकि जल्दी सीखने वाले बच्चों को शिक्षक अधिक कार्य देंगे।

8. वुडवर्थ के अनुसार :-

“ग्रामीण या देहात परिवेश के बच्चों की अपेक्षा शहरी बालको की मानसिक स्तर की श्रेष्ठता आंशिक रूप से वंशानुक्रम के कारण होती है।

शिक्षक इस ज्ञान से अवगत होकर शिक्षण को उस हिसाब से बना सकता है।”

⏩⏩⏩⏩Deepika Ray ⏩⏩⏩⏩

22/03/2021➖➖Monday 

Last class….वंशानुक्रम और वातावरण के सापेक्ष में  बालक के लिए महत्व

(1) वंशानुक्रम और वातावरण की अपृथक्ता

(2) वंशानुक्रम और वातावरण का समान महत्व

(3) वंशानुक्रम और वातावरण की पारस्परिक निर्भरता

(4) वंशानुक्रम और वातावरण के प्रभाव में अंतर करना असंभव

(5) बालक वातावरण और वंशानुक्रम की उपज

        🔰TODAY CLASS…

वंशानुक्रम और वातावरण के सापेक्ष महत्व

➖ में शिक्षक के लिए महत्व

              🌞वंशानुक्रम🌞

➖ वंशानुक्रम का महत्व आज की शिक्षा प्रणाली और बच्चों के जीवन में पड़ने वाले असर और महत्व को हम निम्नलिखित बिंदुओं की सहायता से समझ सकते हैं

✅(1) वंशानुक्रम के असर सभी बच्चों की शारीरिक संरचना मे विभिन्नता:—– जो बच्चों में वंशानुक्रम से होती है शिक्षक इस ज्ञान से संपन्न होकर उनके शारीरिक विकास में योगदान दे सकते हैं

✅(2) बालक और बालिकाओं में लैंगिक भेद वंशानुक्रम के कारण होता है:—- जिसमें विभिन्न विषयों में उनकी योग्यता कम या अधिक होती है शिक्षक इस ज्ञान से उनके लिए उपयुक्त विषय के अध्ययन की व्यवस्था करता है जिस के ज्ञान के आधार पर शिक्षक उनकी और बेहतर ढंग से मदद कर सकता है

✅(3) वंशानुक्रम के कारण जन्मजात क्षमता में अंतर:—- शिक्षक कम प्रगति करने वाले बच्चों को अधिक प्रगति करने के लिए सहयोग देता है जिसके आधार पर उनके समग्र विकास के लिए आवश्यक सहायता की जा सकती है

✅(4) फल स्वरुप बच्चों में अनेक प्रकार की कुछ विभिन्नताए अधिक स्पष्ट होती है:—- तो इससे अध्यन करके शिक्षक बच्चों के लिए उचित शिक्षा का आयोजन करेंगे

✅(5) बालक बालिकाओं को वंशानुक्रम से प्राप्त अच्छे और बुरे नियम:—- कि यदि किसी के माता-पिता कम  बुद्धिमान हो तो यह जरूरी नहीं कि उसके बच्चे मंदबुद्धि होंगे 

➖योग्य माता-पिता के अयोग्य बच्चे जा अयोग्य माता-पिता के योग्य बच्चे इस नियम को अच्छे से समझने वाला शिक्षक बच्चों के साथ उचित व्यवहार कर सकते हैं 

✅(6) वंशानुक्रम ममें  कुछ प्रवृत्ति:— वांछनीय और कुछ प्रवृत्ति अवांछनीय भी होते हैं

➖ शिक्षक इन प्रवृत्ति को समझकर वांछनीय का विकास करेगा और अवांछनीय को खत्म करेगा

✅(7) सीखने की योग्यता में अंतर:—-

🔰 जो देर से सीखते हैं ➖उनके प्रति सहनशीलता,

🔰 जो जल्दी सीखते हैं➖ उनके उनको अधिक कार्य देंगे

✅(8) वुडवर्थ ➖ग्रामीण (देहात) परिवेश के बच्चे की अपेक्षा शहरी बालक की मानसिक स्तर की श्रेष्ठा आंशिक रूप से वंशानुक्रम के कारण होती है

➖ शिक्षक इस ज्ञान से अवगत होकर शिक्षण को उस हिसाब से बना सकता है

🔰🔰🔰🔰🔰🔰🔰🔰🔰🔰🔰

✍Notes by:— संगीता भारती✍

              🙏धन्यवाद 🙏

🌼☘️ वंशानुक्रम और वातावरण के सापेक्ष महत्व☘️🌼

(1) बालकों के लिए महत्व➖

(A) वंशानुक्रम और वातावरण का अपृथकता

(B) वंशानुक्रम और वातावरण का समान महत्व

(C) वंशानुक्रम और वातावरण की पारस्परिक निर्भरता

(D) वंशानुक्रम और वातावरण के प्रभाव में अंतर करना असंभव है

(E) बालक वातावरण और वंशानुक्रम का उपज

☘️ शिक्षकों के लिए महत्व☘️

(A) अनुवांशिकता का महत्व

(B) वातावरण का महत्व

🌼 वंशानुक्रम का प्रभाव➖

(A)   शारीरिक भिन्नता में जो बच्चों में 1 सीट अनुवांशिकता में होती है शिक्षक इस ज्ञान को संपन्न होकर उसके शारीरिक विकास में योगदान दे सकता है।

🌼B-बालक बालिका में लैंगिक भेदभाव वंशानुक्रम के कारण होता है जिसमें विभिन्न विषयों में उनकी योग्यता कम या अधिक होती है। शिक्षक इस ज्ञान से उसके लिए उपयुक्त विषय के अभ्यास की व्यवस्था करता है।

3 जन्मजात क्षमता में अंत➖

जन्मजात क्षमता मैं अंतर शिक्षक कम पवित्र करने वाले बच्चों के अधिक प्रगति करने के लिए सहयोग देता है।

 🌼कुछ विभिन्नता विकास के साथ अधिक होती है इस अध्ययन करके‌  शिक्षक बच्चों के लिए उपाय करता है।

🌼 योग्य माता -पिता के अयोग्य बच्चे।इस नियम को अच्छे से समझने वाले शिक्षक बच्चों के साथ उचित व्यवहार कर सकते हैं।

🌼 वंशानुक्रम के कुछ पद्धति वांछनीय और कुछ अवांछनीय नहीं होती है।शिक्षक प्रवृत्ति को समझकर वांछनीय प्रवृत्ति का और अधिक विकास कर सकता है ,जबकि अवांछनीय प्रवृत्ति  को समाप्त करने की कोशिश करता है।

🌼 बालकों को सीखने की योग्यता में अंतर होता है शिक्षक योगिता का पता लगाकर बालकों का अध्ययन अच्छी तरह से कर सकता है योग्यता में यह अंतर दो प्रकार के हो सकते हैं।

1-देर से सीखने वाले

2-जल्दी सीखने वाले

☘️ देर से सीखने वाले बच्चों के लिए शिक्षक को सहनशील  होना चाहिए जबकि जल्दी सीखने वाले बच्चों को शिक्षा का अधिक कार्य देंगे।

🌼8-वुडवर्थ के अनुसार➖

“ग्रामीण या देहात परिवेश के बच्चों की अपेक्षा शहरी बच्चों की मानसिक स्तर की श्रेष्ठता आंशिक रूप से अनुवांशिकता के कारण होती है शिक्षक इस ज्ञान से अवगत होकर शिक्षण को उस हिसाब से बना सकता है।”

✍🏻📚📚 Notes by… Sakshi Sharma📚📚✍🏻

वंशानुक्रम और वातावरण के सापेक्ष महत्व

👸🏻🧕🏻🕵🏻‍♀️👩‍🏫👰🏻‍♀🦓🐰🐊🦖🐅🦥🐘🪐🌎🌙🌒🌔🌟🌦️☁️🥀🌳🌴🌈🌍

👩‍🏫📚🖋️ शिक्षकों के लिए महत्व

1. वंशानुक्रम का महत्व

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 वंशानुक्रम का  हमारे जीवन और शिक्षा  में अनेक महत्व है जो निम्नलिखित है

1. बच्चों में शारीरिक संरचना में विभिन्नता

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शारीरिक विभिन्नता जो बच्चों में वंशानुक्रम से होती है शिक्षक इस ज्ञान से संपन्न होकर उनके शारीरिक विकास में  ध्यान दे सकता है।

2. बालकों और बालिकाओं में लैंगिक भेद

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 बालकों और बालिकाओं में  लैंगिक भेद भी वंशानुक्रम के कारण होता है जिससे विभिन्न विषयों में उनकी योग्यता  कम या अधिक होता है। शिक्षक इस ज्ञान से उसके लिए उपयुक्त विषय के अध्ययन की व्यवस्था करता है।

3. जन्मजात क्षमता में अंतर होना

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 वंशानुक्रम के कारण बच्चों की जन्मजात क्षमताओं में अंतर पाया जाता है इसके लिए शिक्षक कम प्रगति करने वाले बच्चों को अधिक प्रगति करने वाले बच्चों के लिए सहयोग देता है।

4. कुछ विभिन्नताएं विकास के साथ अधिक स्पष्ट होती है इसे अध्ययन करके शिक्षक बच्चों के लिए उचित शिक्षा का आयोजन करेंगे।

5. यदि किसी बच्चे के माता-पिता कम बुद्धि के हो तो यह जरूरी नहीं कि उनके बच्चे भी मंदबुद्धि के ही होंगे। जैसे योग्य माता पिता के अयोग्य बच्चे तथा अयोग्य माता-पिता के योग्य बच्चे भी  होते हैं। इस नियम को अच्छे से समझने वाला शिक्षक बच्चों के साथ उचित व्यवहार कर सकता है।

6. वंशानुक्रम की कुछ प्रजाति वांछनीय (अच्छी)और कुछ अवांछनीय (बूरी)भी होती है।एक कुशल शिक्षक इन प्रवृत्ति को समझ कर वांछनीय विकास को बढ़ावा देते हैं और और अवांछनीय विकास को खत्म करते हैं।

7. सीखने की योग्यता में अंतर 

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देर से सीखने वाले छात्रों को सहनशील होकर शिक्षक पढ़ाते हैं और जो छात्र जल्दी सीखते हैं उनको अधिक कार्य देकर विद्यालय के क्रियाकलापों में व्यस्त रहते हैं।

8. वुडवर्थ के अनुसार,📝

“ग्रामीण या देहात  परिवेश की अपेक्षा सहरी बालकों की मानसिक स्तर की श्रेष्ठता, आंशिक रूप से वंशानुक्रम के कारण होती है शिक्षक ज्ञान से अवगत होकर शिक्षण को उनके मानसिक स्तर के अनुसार बना सकता है।”

Notes 📝 by Shreya Rai 🙏

☘️🍍🌸🪂 वंशानुक्रम और वातावरण का सापेक्ष महत्व 🪂🌸🍍☘️

💮बालकों के लिए महत्व

🔸 वंशानुक्रम और वातावरण की आपृथकता 

🔸वंशानुक्रम और वातावरण का समान महत्व 

🔸वंशानुक्रम और वातावरण की पारस्परिक निर्भरता 

🔸वंशानुक्रम और वातावरण के प्रभाव में अंतर करना असंभव

🔸 बालक वातावरण और वंशानुक्रम की उपज

💮 शिक्षक के लिए महत्व 

1 वंशानुक्रम 

2वातावरण 

🌋 वंशानुक्रम का महत्व शारीरिक भिन्नता जो बच्चों में वंशानुक्रम से होती है।

 शिक्षक इस ज्ञान से संपन्न होकर उनके शारीरिक विकास में योगदान दे सकता है ।

🪂बालक बालिका में लैंगिक भेद वंशानुक्रम के कारण होता है।

 जिससे विभिन्न विषयों में उनकी योग्यता कम या अधिक होती है।

 शिक्षक इस ज्ञान से उनके लिए उपयुक्त विषय के अध्ययन की व्यवस्था करता है।

✨ जन्मजात क्षमता में अंतर

 शिक्षक कम प्रगति करने वाले बच्चों को अधिक प्रगति करने के लिए सहयोग देता है ।

🌸 कुछ विभिन्नतांए विकास के साथ अधिक स्पष्ट होती हैं ।

इसे अध्ययन करके शिक्षक बच्चों के लिए उचित शिक्षा का आयोजन करेंगे

💦 कई बार योग्य माता-पिता के अयोग्य बच्चे , अयोग्य माता-पिता के योग्य बच्चे इस नियम को अच्छे से समझने वाला शिक्षक बच्चों के साथ उचित व्यवहार कर सकते हैं।

🍃 वंशानुक्रम की कुछ प्रवृत्ति वांछनीय और कुछ आवांछनीय  भी होती हैं ।

शिक्षक इस प्रवृत्ति को समझ कर वांछनीय को विकास की ओर अग्रसर सकता है और अवांछनीय को वहीं पर खत्म कर सकता है।

🌟 सीखने की योग्यता में अंतर सीखने की दर अलग-अलग होती है ।

शिक्षक यह समझते हुए जिन बच्चों की दर सीखने की धीमी होती है या जो बच्चे देर से सीखते हैं उनके लिए अपने आप को सहनशील बनाना ।

और जो जल्दी से सीखते हैं उनको और अधिक कार्य देने का कार्य शिक्षक करते हैं।

🕎 वुडवर्थ 

  ग्रामीण परिवेश के बच्चे की अपेक्षा शहरी बालक की मानसिक स्तर की श्रेष्ठता आंशिक रूप से वंशानुक्रम के कारण होती है ।

शिक्षक इस ज्ञान से अवगत होकर शिक्षण को हिसाब से बना सकता है।

धन्यवाद

 वंदना शुक्ला

By admin

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