🌸बाल विकास को प्रभावित करने वाले कारक🌸
(Factor affecting of child development)
१) पोषण
२) बुद्धि
३) यौन विकास
४) अंतः स्रावी ग्रंथियां ग्रंथियां
५) प्रजाति
६) रोग और चोट
७) परिवार
८) विद्यालय
उपरोक्त कारक कल के नोट्स में कंप्लीट हो चुके थे।
९) पास-पड़ोस और वातावरण –
बच्चे के विकास में पास पड़ोस और वातावरण का महत्व पूर्ण प्रभाव होता है।
यदि बच्चे का पास पड़ोस अच्छा होता है तो बच्चे का विकास अच्छा होगा और अगर बच्चे का पास पड़ोस बुरा होगा तो ऐसी स्थिति में बच्चा अपराधी भी बन सकता है जो बच्चे के सामाजिक विकास पर गलत प्रभाव होगा।
इसीलिए बच्चे को स्वस्थ वातावरण में रखना जरूरी है जिससे उसका सही विकास हो सके।

१०) सांस्कृतिक वातावरण –
बच्चे के विकास पर संस्कृति का भी बहुत प्रभाव पड़ता है।
सबकी अपनी संस्कृति होती है जिसके अनुसार उनका विकास होता है जो जैसे संस्कृति से होता है उसी के अनुसार के उसका विकास होता है।
उदाहरण के लिए एक बच्चे के माता-पिता जिस भी भाषा शैली व रहन-सहन का प्रयोग करते हैं उसी के अनुसार बच्चा भी भाषा प्रयोग व रहन-सहन सीखता है।

११) शुद्ध वायु एवं प्रकाश –
बच्चे के विकास के लिए ऐसा वातावरण होना चाहिए जहां शुद्ध वायु और सूर्य का प्रकाश पहुंचता हो। बंद कमरे या प्रदूषण युक्त वातावरण में बच्चे का विकास सही ढंग से नहीं हो पाएगा तथा उसे अनेक बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है। अतः माता-पिता को यह ध्यान रखना अत्यंत जरूरी है कि बच्चा के विकास लिए वातावरण सही हो।
उदाहरण के लिए अगर बच्चे को शुद्ध हवा व प्रकाश ना ना प्रकाश ना मिले तो बच्चे को आंख से संबंधित रोग व श्वसन संबंधी रोग होने की प्रबलता रहती है।
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🌸बाल विकास को प्रभावित करने वाले पारिवारिक कारक🌸
(Family factor affecting of child development)

बच्चे को विकास को कई तरह के पारिवारिक कारण भी प्रभावित करते हैं जिनमें से प्रमुख कारक निम्न लिखित है –
१) अभिभावक अभिवृत्तिया (guardian aptitude) –
बच्चे के विकास में अभिभावकों का उत्तरदायित्व बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है कम आयु वाले अभिभावक बच्चों का सही पालन पोषण नहीं कर पाते वहीं ज्यादा आयु वाले अभिभावक बच्चों का पालन पोषण पोषण अच्छी तरह से करने में सक्षम होते हैं।
बच्चों को अत्यधिक संरक्षण नहीं देना चाहिए जिससे वे अपनी योग्यता पर विश्वास ना कर पाए।
तिरस्कार से बच्चा आक्रामक, निर्दयता, झूठ बोलना, कुसमायोजन, समाज विरोधी व्यवहार, कुंठा, द्वन्द्व, दिखावा आदि व्यवहार करने लगता है।
माता-पिता अगर कठोर है तो बच्चे में अति संवेदनशीलता, हीनता, शीघ्र भ्रमित, शर्मिलापन आदि आ जाता है।

२) परिवार की भावना ( family sprite)-
बच्चे के प्रति परिवार के लोगों के जैसे भावना होगी उसका विकास वैसा ही होगा।
एकल परिवार मे माता-पिता बच्चे को अधिक महत्व देंगे और उसका ख्याल अच्छे से रख पाते हैं हैं पाते हैं हैं। संयुक्त परिवार के बच्चों पर ध्यान नहीं दे पाते हैं हैं पाते हैं हैं और बच्चों का विकास सही से सही से से नहीं हो पाता है।
जैसे एकल परिवार में माता-पिता का फोकस बच्चों पर होता है और वह बच्चे की परवरिश में कोई कमी ना हो पाए इस बात को ध्यान में रखते हैं वही संयुक्त परिवार में कामों में व्यस्त माता-पिता बच्चे पर ध्यान नहीं रख पाते।

३) टूटे परिवार( broken family)-
टूटे परिवार भी बच्चे के विकास को बहुत प्रभावित करते हैं।
जैसे किसी परिवार में कोई घटना, तलाक, बड़े-बूढ़ों के बाहर होने पर, आर्थिक समस्या, माता हो और पिता ना हो ऐसी स्थिति में बच्चे के विकास पर बहुत बुरा असर होता है। और उसका विकास सही तरीके से नहीं हो पाता है।

४) माता पिता का व्यवसाय( parents business) –
माता पिता के व्यवसाय काफी काफी के व्यवसाय काफी काफी बच्चे के विकास पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है अगर माता-पिता व्यवसायी होते हैं तो बच्चा खुद को समाज में व दोस्तों में प्रतिष्ठित समझता है। वहीं दूसरी ओर माता पिता दोनों का व्यवसायी होने पर वह खुद को अकेला महसूस करता है क्योंकि ऐसी स्थिति में उसके साथ कोई नहीं रहता है।
जैसे किसी बच्चे के माता-पिता दोनों ही बिजनेस करते हैं और उन्हें बाहर जाना पड़ जाए तो बच्चा एकदम अकेला हो जाता है वही उसे यह भी भी लगता है कि समाज में वह अपने माता-पिता के साथ प्रतिष्ठित भी है

५) परिवार का सामाजिक आर्थिक स्तर (socio-economic level of the family the family)-
परिवार का सामाजिक आर्थिक स्तर भी बच्चे के विकास को बहुत प्रभावित करता है। सामाजिक व आर्थिक रुप से संपन्न बच्चे का विकास अच्छा होता है वहीं सामाजिक व आर्थिक रूप से जूझ रहे बच्चे का विकास कम होता है।
उदाहरण के लिए एक संपन्न परिवार के बच्चे के पास सारी चीजें मौजूद होती है जबकि आर्थिक परिस्थिति से जूझ रहे बच्चे के पास अच्छे खिलौने तक नहीं होते हैं।

६) जन्म क्रम( birth order) –
जन्म कर्म का भी भी बच्चे के विकास पर बहुत 🌸प्रभाव पड़ता है बच्चे के छोटे भाई और बहन होते हैं जिससे उसमें कुछ अच्छे गुण तथा कुछ बुरे गुण भी आते हैं।
जैसे गलती करने पर बड़े भाई बहनों द्वारा डांट या या द्वारा डांट या या फटकार से उसमें हीनता व व आक्रामकता आ सकती है वहीं दूसरी ओर बड़े भाइयों के प्यार व सहयोग से उसमें दूसरों के प्रति सद्भावना का विकास होता है।
Notes by Shivee Kumari
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🔆 बाल विकास को प्रभावित करने वाले कारक ➖

❇️ 9. पास पड़ोस और वातावरण :-

▪️घर के वातावरण के साथ-साथ बच्चा जिस वातावरण में रहता है उसका प्रभाव भी बच्चों पर पड़ता है।
यदि पास पड़ोस व वातावरण अच्छा या सकारात्मक है तो उसका प्रभाव भी बच्चों पर सकारात्मक ही पड़ेगा। और यदि पास पड़ोस व वातावरण बुरा या नकारात्मक है तो इसका प्रभाव बच्चों पर नकारात्मक ही पड़ेगा। इस नकारात्मक प्रभाव से बच्चे अपराधी भी बन सकते है।
अर्थात् वह बच्चे की सामाजिकता के लिए अच्छा व बुरा होगा।

▪️बालक का जन्म किस परिवेश में हुआ?,वह किस परिवेश में किन लोगों के साथ रह रहा है ?, इन सब का प्रभाव उसके विकास पर पड़ता है।

▪️परिवेश की कमियों,प्रदूषणों, भौतिक सुविधाओं का अभाव इत्यादि कारणों से भी बालक का विकास प्रतिकूल रूप से प्रभावित होता है।

❇️ 2. सांस्कृतिक वातावरण :-

▪️हमारे देश या किसी भी अन्य देश की या उस देश के अंदर जो भी समाज है उस प्रत्येक समाज की अपनी अपनी संस्कृति होती है जिस के अनुरूप प्रत्येक परिवार अपने बच्चे का पालन पोषण करता है ।

▪️विभिन्न संस्कृतियों में माता-पिता बच्चों के व्यवहार और सोच पैटर्न को एक रूप देने में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आम तौर पर, माता-पिता वे हैं जो व्यापक समाज के साथ बातचीत करने के लिए बच्चों को तैयार करते हैं। अपने माता-पिता के साथ बच्चों की बातचीत अक्सर दूसरों के साथ व्यवहार करने के तरीके के रूप में कार्य करती है – विभिन्न सामाजिक-सांस्कृतिक नियमों, अपेक्षाओं को सीखना। उदाहरण के लिए, आम तौर पर छोटे बच्चे अपने माता-पिता की तरह एक बातचीत शैली विकसित करें – और वह अक्सर संस्कृति पर निर्भर करता है।बच्चे का विकास जिस जगह पर रहता है उस जगह की संस्कृति से प्रभावित होता है।

❇️ 11 शुद्ध वायु एवं प्रकाश :-

▪️शुद्ध वायु हमारे शरीर के रक्त को शुद्ध करने का कार्य करती है और यही शुद्ध रक्त हमारी कोशिकाओं में रहता है जिससे हमारी कार्य क्षमता सुचारू और बेहतर रूप से चलती रहती है और हमारे शारीरिक व मानसिक तनाव को भी दूर रखती हैं ।

▪️प्रकाश भी बच्चों के विकास को प्रभावित करता है यदि बच्चा अधिकतर समय कृतिम प्रकाश मैं गुजारता है तो यह उसकी आंखों की रोशनी एवं त्वचा पर बुरा प्रभाव पड़ता है। दूसरी ओर प्राकृतिक प्रकाश का प्रयोग आंखों के लिए अच्छा होता है।

🔆 बाल विकास को प्रभावित करने वाले पारिवारिक कारक ➖

❄️1 . अभिभावक अभिवृत्तियां :-

▪️बच्चा अभिभावक की सोच से काफी प्रभावित व निर्धारित होता है।

✨ अभिभावकों का बच्चों के प्रति उत्तरदायित्व का निर्वाह :- कम आयु वाले अभिवावक अपने बच्चों के प्रति उत्तरदायित्व का निर्वाह अच्छी तरह से नहीं कर पाते जबकि अधिक आयु वाले माता-पिता अपने बच्चों के प्रति उत्तरदायित्व का निर्वाह है वह काफी अच्छी और सुव्यवस्थित रूप से कर लेते हैं।

✨ माता-पिता द्वारा बच्चों का अति संरक्षण :-
कई अभिभावक अपने बच्चों को अति संरक्षित जैसे वातावरण में रखते हैं लेकिन यदि यह अति संरक्षित वातावरण लगातार बच्चे को दिया जाता रहे तो उसका प्रभाव बच्चे पर दिखाई देने लगता है जिससे बच्चे उत्तेजित होने लगते हैं, उनमें बेचैनी आने लगती है , वह शीघ्र परेशान हो जाते हैं ,एकाग्रता में कमी आती है, दूसरों पर आश्रित रहते हैं और कई अन्य लोगों से प्रभावित होते हैं, अपनी योग्यता पर और विश्वास करने लगते हैं।

✨ माता-पिता द्वारा बच्चों का तिरस्कार करना :+
कुछ अभिभावक बच्चों का तिरस्कार करते हैं जिससे बच्चे में कुंठा की भावना को समायोजन झूठ बोलने की प्रवृत्ति आक्रमक तांडवा द्वेष की भावना समाज विरोधी व्यवहार और द्वंद , अच्छा बनने का दिखावा करने लगते हैं।

✨ अभिभावक द्वारा बच्चों के प्रति कठोर व्यवहार :- माता-पिता द्वारा यदि बच्चे के साथ कठोर व्यवहार किया जाता है तो बच्चे में अति संवेदनशीलता ,हीनता ,शीघ्र भ्रमित एवं शर्मिला पन जैसी भावना आ जाती है।

❄️ 2 .परिवार की भावना :-

▪️एकल परिवार में समय के अभाव में भी प्रत्येक बच्चे पर व्यक्तिगत रूप से नियंत्रण बस की सुविधा पर ध्यान देखने को मिलता है।

❄️3. टूटे परिवार :-

▪️किसी घटना या दुर्घटना होने ,तलाक होने ,बड़े बुजुर्ग का बाहर रहना, आर्थिक समस्या, मां के ना होने, पिता के ना होने पर इन सभी स्थितियों का बच्चों पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ता है।

▪️बच्चे को केवल भौतिक सुविधाएं दे देने से वह एक योग और अच्छा नागरिक नहीं बनता बल्कि इसके साथ ही बच्चे को पारिवारिक आत्मीयता देना भी बहुत आवश्यक है जिससे बच्चे आगे चलकर एक अच्छा नागरिक बन सकें।

❄️ 4 . माता पिता का व्यवसाय:-

▪️अधिकतर बच्चों में अपने समूह साथी के बीच माता पिता के व्यवसाय को लेकर कई तरह की हीन भावना देखने को मिलती है।

▪️जैसे यदि माता-पिता किसी उच्च पद पर कार्यरत है तो बच्चे में अपने आप में गर्व महसूस करने लगते हैं वहीं दूसरी ओर यदि माता-पिता किसी निम्न पद या निम्न श्रेणी पर कार्यरत हैं तो बच्चे हीन भावना को मन में लाने लगते हैं।

▪️कई बार यह भी देखा जाता है कि बच्चों के साथ उस प्रकार या उस तरह का व्यवहार किया जाता है जिस प्रकार का उनके माता-पिता का व्यवसाय है।

▪️कई बार तो बच्चों की सामाजिक प्रतिष्ठा अभिभावक के व्यवसाय द्वारा निर्धारित या तय की जाती है।
जिससे बच्चे यदि माता-पिता के व्यवसाय निम्न श्रेणी या निम्न पद पर कार्यरत हैं तो उनको बताने में शर्म महसूस करने लगते हैं।

▪️माता पिता के व्यवसाय को लेकर एक पक्ष यह भी है कि माता-पिता दोनों के ही व्यवसाय करने से बच्चों को अकेलापन जैसी भावना से भी गुजरना पड़ता है।
▪️अर्थात माता-पिता दोनों काम पर जाने वाले भी हो सकते हैं जो कई घंटे तक काम करते हैं और वे अपने बच्चों के विकास के लिए पर्याप्त क्वालिटी टाइम नहीं दे पाते हैं।

❄️ 5. परिवार का सामाजिक आर्थिक स्तर: –

▪️कई मध्यमवर्गीय या श्रेणी के परिवारों में इस बात की आशा की जाती है कि वह सामाजिकता मिशाल को प्राप्त करें तथा उनमें सामाजिक मूल्य ,व्यवहार, समाज के नियम समाज के प्रतिमानो को महत्व दिया जाता है।

▪️यदि परिवार का समाज में उच्च स्तर है तो बच्चे गर्व महसूस करते हैं और यदि परिवार का समाज में निम्न स्तर है तो बच्चे स्वयं के दृष्टिकोण से हीन भावना महसूस करने लगते हैं

❄️ 6 अभिभावकों द्वारा पक्षपात :-

▪️एन वेले एक अध्ययन में बोला है कि मां अपने बेटों का ज्यादा पक्ष लेते हैं जबकि पिता अपनी बेटियों का ज्यादा पक्ष लेते हैं।

▪️कई परिवारों में प्रथम व अंतिम बालकों को विशेष लाड प्यार से पाला जाता है या उन पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है या कई बार जो बच्चे घर में अच्छा नहीं करते उन पर कम ध्यान दिया जाता है जिससे उन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

❄️7 . जन्म चक्र :-
▪️बालक के विकास पर जन्म चक्र का भी बहुत व्यापक प्रभाव पड़ता है।
कई बार माता-पिता का यह नजरिया होता है कि बड़े बच्चों में ज्यादा परिपक्वता या ज्यादा जिम्मेदारी होनी चाहिए उनसे छोटे में कम परिपक्वता या जिम्मेदारी होती है ।
माता-पिता का यह नजरिया बच्चों के विकास को प्रभावित करता है बच्चों में इस तरह के नजरिए या दृष्टिकोण से हीनता की भावना आती है।

✍️
Notes By-‘Vaishali Mishra’

💥बाल विकास को प्रभावित करने वाले कारक💥
8 कारक आगे वाले नोट्स में दिए गए हैं इसके आगे और कारण इस प्रकार हैं➖
🌲पास पड़ोस➖ बच्चे के विकास पर पास पड़ोस के वातावरण का बहुत ही प्रभाव पड़ता है आसपास का वातावरण जैसा होगा वैसे ही बालक सीखता है बालक के आसपास का वातावरण पास पड़ोसी सही होना चाहिए तो बालक पर उसका असर सही होता है वहीं अगर वातावरण गलत होता है तो बालक अपराधी हो जाता है जो बच्चे के सामाजिक विकास पर गलत प्रभाव होगा इसलिए आसपास का वातावरण जरूरी है कि सही होना चाहिए
🌲सांस्कृतिक वातावरण➖ सांस्कृतिक वातावरण बच्चे के विकास पर बहुत ही प्रभाव डालता है संस्कृति का बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान होता है सबकी अपनी अपनी संस्कृति होती है जिसके अनुसार उनका विकास होता है जो जैसी संस्कृति का होता है वैसे ही बच्चा विकास करता है जैसे बच्चे के माता-पिता जिस रहन-सहन रीति-रिवाजों को मानता है बालक भी उसी प्रकार से नियमों का पालन करता है हर देश के रीति रिवाज अलग-अलग होते हैं बालक भी उन्हीं रीति रिवाज के अनुसार उनका पालन करता है सभी देश की भाषा अलग अलग होती है और वह बालक भी वही भाषा सीखता है
🌲शुद्ध वायु एवं प्रकाश➖ बच्चे के विकास के लिए ऐसा वातावरण होना चाहिए जहां की शुद्ध वायु और प्रकाश होना चाहिए शुद्ध वायु मानव जीवन के लिए बहुत ही आवश्यक होती है शुद्ध वायु से ही हमारा शारीरिक और मानसिक विकास सही तरीके से होता है यदि वायु शुद्ध नहीं होगी तो हमारा विकास सही तरीके से नहीं हो पाएगा इससे कई बीमारियों का सामना करना पड़ेगा प्रदूषित वायु होगी तो ।
इसी प्रकार प्रकाश का भी हमारे जीवन पर बहुत ही प्रभाव पड़ता है सूर्य का प्रकाश हमारे लिए बहुत ही प्रभाव डालता है प्राकृतिक रोशनी हमारे आंखों के लिए बहुत ही उपयोगी होती हैं हम जितना प्राकृतिक प्रकाश लेते हैं उतनी ही आंखों की रोशनी बढ़ती है और जितना लाइट वाली रोशनी लेते हैं आंखों की रोशनी उतनी ही कम होती जाती है इसलिए बालक के विकास के लिए मानसिक और शारीरिक विकास दोनों के लिए वायु और प्रकाश दोनों ही बहुत ही आवश्यक होते हैं
🏵बाल विकास को प्रभावित करने वाले पारिवारिक कारक🏵
🌺बच्चे का विकास को कई तरीके के कारण होते हैं इनमें से प्रमुख कारक पारिवारिक कारण होता है जो इस प्रकार है➖
🌲अभिभावक की अभिवृत्ति
➖ बच्चे के विकास में अभिभावक की महत्वपूर्ण भूमिका होती है अभिभावक द्वारा ही बच्चे का विकास उचित तरीके से होता है कम आयु वाले अभिभावक बच्चों का सही पालन पोषण नहीं कर पाते हैं और ज्यादा आयु वाले अभी वह बच्चों का पालन पोषण अच्छी तरह से करने में सक्षम होते हैं आयु का भी बहुत ही महत्व होता है अभिभावक को बच्चों को अत्यधिक संरक्षण में नहीं रखना चाहिए इससे बच्चों में आक्रामकता उत्पन्न होती है बच्चों को हमेशा दोस्त जैसा ही रखना चाहिए जिससे बच्चे उनकी मन की बात कह सके उनको मन की बात कहने में कोई झिझक महसूस ना हो उनमें कुंठा दिखावा आदि व्यवहार करने लगते हैं माता-पिता को कठोर नहीं होना चाहिए नम्र स्वभाव का होना चाहिए
🌲परिवार की भावना➖ प्रत्येक बच्चे में परिवार के लोगों की भावना से बालक का विकास होता है एकल परिवार में माता-पिता बच्चे को अधिक महत्व देंगे और उसका ख्याल अच्छे से रख पाते हैं संयुक्त परिवार में बच्चे पर ध्यान नहीं दे पाते हैं लेकिन यह नहीं संयुक्त परिवारों में बच्चा कुछ नहीं सीखता है संयुक्त परिवार में बच्चा एक साथ रहना सीखता है वह कई लोगों में एक साथ बैठना उठना बातचीत करना सिखाते है सब सीखता है एकल परिवार में बच्चा अकेले अकेले रहनासीखते है इसीलिए परिवार का बालक के विकास पर बहुत ही महत्वपूर्ण प्रभाव होता है
🌲माता पिता का व्यवसाय ➖माता पिता का व्यवसाय से बालक के विकास का महत्व यह है कि माता पिता किस व्यवसाय को करते हैं उनका क्या कार्य है यह सब का महत्व होता है जिसके माता-पिता कोई नौकरी करते हैं कोई काम करते हैं यह सब का फर्क बालक पर पड़ता है अच्छी फैमिली के माता-पिता रहते हैं तो बालक भी उसी अनुसार सीखता जाता है जहां माता-पिता दोनों ही कोई नौकरी करते हैं तो मैं दोनों ही घर से बाहर निकल जाते हैं और बच्चा घर में अकेला रहता है अकेलापन महसूस करता है तो इससे भी बच्चे का विकास सही तरीके से नहीं हो पाता है माता पिता अपने बच्चे को सही तरीके से ऐसा ही नहीं दे पाते हैं और दूसरी ओर अगर उनके माता-पिता जॉब में होते हैं तो समाज में उनकी प्रतिष्ठा बनी रहती है उनको बताने में अच्छा लगता है कि मेरे मम्मी पापा यह कार्य कर रहे हैं तो उससे उनकी प्रतिष्ठा बनी रहती है
🌲परिवार का सामाजिक आर्थिक स्तर ➖परिवार का सामाजिक आर्थिक स्तर बच्चों के विकास को बहुत प्रभावित करता है सामाजिक व आर्थिक रूप से संपन्न बच्चों का विकास अच्छा होता है वहीं सामाजिक व आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के बच्चों का विकास सही तरीके से नहीं हो पाता है उनकी आवश्यकताओं की की पूर्ति नहीं कर पाते हैं और बालक कमजोर महसूस करने लगता है आर्थिक स्थिति का बालक के विकास पर बहुत ही महत्व प्रभाव पड़ता है
🌲जन्म क्रम ➖ जन्म क्रम में बच्चे का विकास पर प्रभाव पड़ता है बड़े मछले बच्चे और छोटे बच्चे अगर तीनों प्रकार के बच्चे हैं तो बड़े बच्चे का कार्य बहुत ही जिम्मेदारियां होती हैं क्रम के अनुसार भी बच्चों का विकास होता है बड़े बच्चों से माता पिता ज्यादा उम्मीद रखते हैं उनसे ज्यादा इच्छा रखते हैं उन्हें ज्यादा जिम्मेदार मानते हैं उनकी अपेक्षा छोटे बच्चों को थोड़ा कम जिम्मेदार मानते हैं क्रम का भी विशेष महत्व होता है सबसे पहले बड़े बच्चों को जिम्मेदार मान लेंगे उसके बाद हमारे बच्चों को छोटे बच्चों को बाद में छोटा बच्चा हमेशा ही छोटा होता है भले ही वह कितना ही बड़ा क्यों ना होता है विकास में बड़े भाई या बहन जो कुछ कार्य करते हैं वह अच्छा या बुरा जो भी प्रकार का व्यवहार करते हैं छोटे भाई बहन उसी प्रकार का व्यवहार सीखते हैं छोटा भाई कुछ गलत कार्य कर रहा है तो बड़े भाई द्वारा उन्हें डांटना नहीं चाहिए भले उन्हें प्यार से समझाना चाहिए
📝 notes by sapna yadav

💫🌻 बाल विकास को प्रभावित करने वाले कारक🌻💫

🌼9-आस पड़ोस का वातावरण (neighbourhood environment)➖
घर के वातावरण के साथ-साथ बालक उस वातावरण में रहता है उसका प्रभाव पड़ता है यदि आस-पड़ोस अच्छा है,खेल के साथी और मित्र अच्छे हैं तो बालक में अच्छी सामाजिकता का विकास होता है इसके विपरीत आस-पड़ोस खराब होने से बालक बुरी संगत ने पड़कर बाल अपराधी बन जाते है।

🌼 सांस्कृतिक वातावरण (Cultural Environment)➖प्रत्येक देश और समाज की अपनी एक संस्कृति होती है इसके अनुरूप प्रत्येक परिवार अपने बालकों का पालन पोषण करता है अतः बालकों का विकास अपनी संस्कृति के अनुरूप ही होता है।

🌼 शुद्ध वायु एवं प्रकाश (pure air and light)➖शरीर को स्वस्थ रखने के लिए स्वच्छ वायु के सकता होती है अगर वायु स्वक्ष ना मिले तो बालक बीमार हो सकता है एवं उनके अभाव में कार्य करने की क्षमता प्रभावित करती है सारी विकास के लिए सूर्य के प्रकाश की महत्वपूर्ण भूमिका है क्योंकि सूर्य के प्रकाश में विटामिन डी की प्राप्ति होती है जो विकास के लिए अपरिहार्य है।

💫🌻 बाल विकास को प्रभावित करने वाले पारिवारिक कारक💫🌻

🌼1-अभिभावक अभिवृत्तियां➖
बालक के विकास में उनके अभिभावकों का महत्वपूर्ण स्थान होता है कम आयु वाले अभिभावक बच्चों का सही तरीके से पालन पोषण नहीं कर पाते हैं अभिभावकों को हमेशा अपने बच्चों से दोस्तों जैसा व्यवहार करना चाहिए ताकि एक बालक अच्छे या गलत बातों को अपने अभिभावकों से बता सके।

🌼 परिवार की भावना➖ समाज में दो तरह के परिवार पाए जाते हैं एकल और संयुक्त एकल परिवार में अभिभावक अपने बच्चों पर अच्छी तरीके से ध्यान दे पाते हैं और संयुक्त परिवार में अभिभावक अपने बच्चों पर ठीक तरह से ध्यान नहीं दे पाते हैं जिसके कारण उनके विकास पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

🌼 टूटे परिवार➖अगर बच्चे ऐसे परिवार में रहते हैं जहां माता-पिता में आपसी तालमेल नहीं होता है तो बच्चों का इस पर बुरा प्रभाव पड़ता है जिसके कारण बच्चों को जल्दी गुस्सा आ जाता है और वह चिड़चिड़ा हो जाते हैं वही दूसरों की बातों को वह सही नहीं मानते हैं उन्हें केवल अपनी बात ही सही लगती है उनमें हीन भावना का विकास होता है।

🌼 माता पिता का व्यवसाय➖बच्चों के विकास में माता-पिता के व्यवसाय का बहुत बड़ा योगदान है अगर बच्चों के अभिभावकों का व्यवसाय अच्छा है तो वह अपने आप को श्रेष्ठ मानते हैं और अगर उनके अनुभवों का व्यवसाय छोटा है तो वह अपने दोस्तों को भी बताने में उन्हें शर्म सी महसूस होती है।

🌼 परिवार का सामाजिक आर्थिक स्तर➖बालक के विकास में परिवार का सामाजिक आर्थिक स्तर अनेक प्रकार से प्रभावित करता है जैसे यदि बालक के परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है तो बालक को अपने दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति करने में बताएं होती है जिसके कारण उनका विकास सही तरीके से नहीं हो पाता है।

🌼अभिभावकों का पक्षपात➖अगर अभिभावक अपने बच्चों में पक्षपात करते हैं तो उसके कारण उनमें हीन भावना उत्पन्न होती हैं

🌼 जन्म क्रम➖
🌼 जन्म क्रम में बच्चों का विकास पर प्रभाव पड़ता है अभिभावक अपने बड़े बेटों को जिम्मेदारियों में इस हद तक बांध देते हैं कि वह अपनी जिम्मेदारियों से निकल ही नहीं पाता है और अपने छोटे बच्चों को हमेशा लाड़ दुलार ही करते रहते हैं।

✍🏻📚📚 Notes by….. Sakshi Sharma📚📚✍🏻

🌼🌼🌼बाल विकास को प्रभावित करने वाले कारक🌼🌼🌼
🌼9.पास-पड़ोस और वातावरण :-
बच्चे के विकास में पास पड़ोस और वातावरण का महत्व पूर्ण प्रभाव होता है।
यदि बच्चे का पास पड़ोस अच्छा होता है तो बच्चे का विकास अच्छा होगा और अगर बच्चे का पास पड़ोस बुरा होगा तो ऐसी स्थिति में बच्चा अपराधी भी बन सकता है जो बच्चे के सामाजिक विकास पर गलत प्रभाव होगा।
इसीलिए बच्चे को स्वस्थ वातावरण में रखना जरूरी है जिससे उसका सही विकास हो सके।

🌼10. सांस्कृतिक वातावरण :-
बच्चे के विकास पर संस्कृति का भी बहुत प्रभाव पड़ता है।
सबकी अपनी संस्कृति होती है जिसके अनुसार उनका विकास होता है जो जैसी संस्कृति से होता है उसी के अनुसार के उसका विकास होता है।
उदाहरण के लिए एक बच्चे के माता-पिता जिस भी भाषा शैली व रहन-सहन का प्रयोग करते हैं उसी के अनुसार बच्चा भी भाषा प्रयोग व रहन-सहन सीखता है।

🌼11. शुद्ध वायु एवं प्रकाश :-
बच्चे के विकास के लिए ऐसा वातावरण होना चाहिए जहां शुद्ध वायु और सूर्य का प्रकाश पहुंचता हो। बंद कमरे या प्रदूषण युक्त वातावरण में बच्चे का विकास सही ढंग से नहीं हो पाएगा तथा उसे अनेक बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है। अतः माता-पिता को यह ध्यान रखना अत्यंत जरूरी है कि बच्चा के विकास लिए वातावरण सही हो।
उदाहरण के लिए अगर बच्चे को शुद्ध हवा व प्रकाश ना मिले तो बच्चे को आंख से संबंधित रोग व श्वसन संबंधी रोग होने की प्रबलता रहती है।
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🌼🌼🌼बाल विकास को प्रभावित करने वाले पारिवारिक कारक🌼🌼🌼

बच्चे को विकास को कई तरह के पारिवारिक कारण भी प्रभावित करते हैं जिनमें से प्रमुख कारक निम्न लिखित है –
🌼1. अभिभावक अभिवृत्तिया:-
बच्चे के विकास में अभिभावकों का उत्तरदायित्व बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है कम आयु वाले अभिभावक बच्चों का सही पालन पोषण नहीं कर पाते वहीं ज्यादा आयु वाले अभिभावक बच्चों का पालन पोषण पोषण अच्छी तरह से करने में सक्षम होते हैं।
बच्चों को अत्यधिक संरक्षण नहीं देना चाहिए जिससे वे अपनी योग्यता पर विश्वास ना कर पाए।
तिरस्कार से बच्चा आक्रामक, निर्दयता, झूठ बोलना, कुसमायोजन, समाज विरोधी व्यवहार, कुंठा, द्वन्द्व, दिखावा आदि व्यवहार करने लगता है।
माता-पिता अगर कठोर है तो बच्चे में अति संवेदनशीलता, हीनता, शीघ्र भ्रमित, शर्मिलापन आदि आ जाता है।

🌼2. परिवार की भावना :-
बच्चे के प्रति परिवार के लोगों की जैसी भावना होगी उसका विकास भी वैसा ही होगा।
एकल परिवार मे माता-पिता बच्चे को अधिक महत्व देंगे और उसका ख्याल अच्छे से रख पाते हैं , संयुक्त परिवार के बच्चों पर ध्यान नहीं दे पाते हैं और बच्चों का विकास सही से नहीं हो पाता है।
जैसे एकल परिवार में माता-पिता का फोकस बच्चों पर होता है और वह बच्चे की परवरिश में कोई कमी ना हो पाए इस बात को ध्यान में रखते हैं वही संयुक्त परिवार में कामों में व्यस्त माता-पिता बच्चे पर ध्यान नहीं दे पाते है।

🌼3. टूटे परिवार:-
टूटे परिवार भी बच्चे के विकास को बहुत प्रभावित करते हैं।
जैसे किसी परिवार में कोई घटना, तलाक, बड़े-बूढ़ों के बाहर होने पर, आर्थिक समस्या, माता हो और पिता ना हो ऐसी स्थिति में बच्चे के विकास पर बहुत बुरा असर होता है। और उसका विकास सही तरीके से नहीं हो पाता है।

🌼4. माता पिता का व्यवसाय: –
माता पिता के व्यवसाय से बच्चे के विकास पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है अगर माता-पिता व्यवसायी होते हैं तो बच्चा खुद को समाज में व दोस्तों में प्रतिष्ठित समझता है। वहीं दूसरी ओर माता पिता दोनों का व्यवसायी होने पर वह खुद को अकेला महसूस करता है क्योंकि ऐसी स्थिति में उसके साथ कोई नहीं रहता है।
जैसे किसी बच्चे के माता-पिता दोनों ही बिजनेस करते हैं और उन्हें बाहर जाना पड़ जाए तो बच्चा एकदम अकेला हो जाता है वही उसे यह भी भी लगता है कि समाज में वह अपने माता-पिता के साथ प्रतिष्ठित भी है

🌼5. परिवार का सामाजिक आर्थिक स्तर:-
परिवार का सामाजिक आर्थिक स्तर भी बच्चे के विकास को बहुत प्रभावित करता है। सामाजिक व आर्थिक रुप से संपन्न बच्चे का विकास अच्छा होता है वहीं सामाजिक व आर्थिक रूप से जूझ रहे बच्चे का विकास कम होता है।
उदाहरण के लिए एक संपन्न परिवार के बच्चे के पास सारी चीजें मौजूद होती है जबकि आर्थिक परिस्थिति से जूझ रहे बच्चे के पास अच्छे खिलौने तक नहीं होते हैं।

🌼6. जन्म क्रम: –
जन्म कर्म का भी बच्चे के विकास पर बहुत प्रभाव पड़ता है बच्चे के छोटे भाई और बहन होते हैं जिससे उसमें कुछ अच्छे गुण तथा कुछ बुरे गुण भी आते हैं।
जैसे गलती करने पर बड़े भाई बहनों द्वारा डांट या फटकार से उसमें हीनता व आक्रामकता आ सकती है वहीं दूसरी ओर बड़े भाइयों के प्यार व सहयोग से उसमें दूसरों के प्रति सद्भावना का भी विकास होता है।

🌼🌼🌼🌼Manjari soni🌼🌼🌼🌼
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