🔆 विकास के सिद्धांत 🔆

❇️6  समान प्रतिमान का सिद्धांत ➖

🔹हरलॉक के अनुसार – प्रत्येक जाति चाहे वह पशु हो या मनुष्य अपनी जाति के अनुरूप ही विकास के प्रतिमान का अनुसरण करते हैं।

▪️मनुष्य का बच्चा दुनिया के किसी भी कोने में जन्म ले वह जन्म से लेकर सिर्फ रोना जानता है वही गाय का बच्चा जन्म लेकर खड़ा हो जाता है।

❇️7 एकीकरण का सिद्धांत ➖

▪️इस सिद्धांत के अनुसार बालक पहले संपूर्ण अंगों को इसके उपरांत अंगों के आंशिक भाग को चलाना सीखता है।

▪️जैसे बालक शुरुआत में प्रत्येक वस्तु को एक ही तरह से उठाता है परंतु ज्ञान होने पर वह  धीरे धीरे अपनी उंगलियों और हाथों का प्रयोग करके वस्तु को आसानी से उठाता है। अतः वह एकीकरण द्वारा सीखता है।

अर्थात बालक पहले पूरे हाथ को फिर उंगलियों को फिर हाथ एवं उंगुलियों को एक साथ चलाना सीखता है।

❇️ 8 विकास की निश्चित दिशा का सिद्धांत ➖

 ▪️विकास की दिशा का सिद्धांत जिसमें बालक के विकास की प्रक्रिया सिर से पैर की ओर विकास क्रम के सिद्धांत का पालन करती है। इसमें विकास सिर से पैर की होता है। मतलब बच्चा के सिर का विकास पहले होता है और पैर बाद में विकसित होते हैं। जैसे जन्म के बाद बच्चा पहले सिर हिलाने डुलाने की कोशिश करता है, फिर थोड़े दिनों में वह बैठने की कोशिश करता है और बाद में पैरों का इस्तेमाल करके चलने और खड़े होने की कोशिश करता है।

▪️विकास की दिशा का सिद्धांत दो प्रकार से देखा जा सकता है।

❄️1 – सिर से पैर की ओर (Cephalo Codal )➖

विकास सिर से पैर की ओर (मस्तेधोमुखी) होता है। अर्थात पहले बच्चे का सिर बनता है फिर अन्य अंग और फिर पैर। 

❄️2- शरीर के मध्य से बाहर की ओर (Proximodistal) ➖

यह विकास केंद्र से परिधि की ओर होता है या यह 

विकास शरीर के मध्य से बाहर की ओर भी होता है। अर्थात पहले स्पाइनल कॉर्ड बनता है फिर हृदय इस क्रम में विकास होता है। 

▪️

“सफेलोकॉडल :- यह शरीर के विकास को दर्शाता है।”

“प्रॉक्सिमोडिस्टल :- यह शरीर के द्वारा होने वाली प्रतिक्रिया को दर्शाता है।

❇️ 9 व्यक्ति विभिन्नता का सिद्धांत ➖

▪️एक ही माता-पिता की दो संताने एक जैसी नहीं हो सकती और अलग-अलग वातावरण की वजह से भी यह विभिन्नता बढ़ती है।

▪️एक माता पिता के बच्चे समान गुणों के जिनके नहीं हो सकते है उनमें मानसिक , संवेगात्मक ,भाषाई इत्यादि अनेक प्रकार की विभिन्नता होती हैं।

🔹स्किनर के अनुसार – विकास के स्वरूप में व्यापक व्यक्तिक विभिन्नता होती है।

▪️प्रकृति का नियम है कि संसार में कोई भी दो व्यक्ति पूर्णता एक जैसे नहीं हो सकते यहां तक कि जुड़वा बच्चों में भी कई समानताएं के बावजूद कई अन्य प्रकार की भिन्नताएँ दिखाई पड़ती हैं।

▪️जुड़वा बच्चे शक्ल-सूरत से तो हुबहू एक जैसे दिख सकते हैं किंतु उनके स्वभाव, बुद्धि, शारीरिक,मानसिक, क्षमता आदि में अंतर होता है।

▪️भिन्न-भिन्न व्यक्तियों में इस प्रकार की विभिन्नता को ही व्यक्तिगत भिन्नता कहा जाता है।

❇️ 10 वंशानुक्रम और पर्यावरण की अंतः क्रिया का सिद्धांत ➖

▪️बालक का विकास वंशानुक्रम और पर्यावरण की अंतः क्रिया का परिणाम है।माता-पिता से मिले गुणों का विकास बच्चों की प्राकृतिक सामाजिक परिवेश में रहकर होता है।

🔹स्किनर के अनुसार – वंशानुक्रम उन सीमाओं को निश्चित करता है जिनके आगे बालक का विकास नहीं किया जा सकता है।

▪️जैसे  यदि बालक में बौद्धिक शक्ति नहीं है तो उत्तम से उत्तम वातावरण भी उसका मानसिक विकास नहीं कर सकता है ।

इसी प्रकार बौद्धिक शक्ति वाला बालक प्रतिकूल वातावरण में अपना मानसिक विकास नहीं कर सकता है।

❇️ 11 पुनर्बलन का सिद्धांत ➖

▪️ऐसी कोई क्रिया जो अनुक्रिया की संख्या में वृद्धि करती है पुनर्बलन (reinforcement) कहलाती है।  यह नकारात्मक या सकारात्मक हो सकता है। .

✨इस सिद्धांत की नीव – जॉन डोलार्ड नील मिलर द्वारा रखी गई।

✨पुनर्बलन शब्द का प्रयोग – थोर्नडाइक द्वारा किया गया।

✨इस सिद्धांत का संगठन  सी. एल.हल द्वारा किया गया।

▪️इस सिद्धांत की चार महत्वपूर्ण अवयव है

1 अभिप्रेरणा

2 उद्दीपक

3 व्यवहार

4 पुरस्कार 

❇️12 सामाजिक अधिगम का सिद्धांत ➖

▪️इस सिद्धांत को अल्बर्ट बंडूरा एवं उनके सहयोगी वॉल्टर्स द्वारा दिया गया।

▪️सिद्धांत के अनुसार बच्चों को एक फिल्म दिखाई गई जिसमें एक वयस्क आदमी के व्यवहार को प्रदर्शित किया गया फिल्म का प्रसारण 3 भाग में दिखाया गया जिसमें प्रत्येक बच्चे को केवल एक ही प्रकार की फिल्म दिखाई गई।

✨जिसमें फिल्म के पहले भाग मेंव्यक्ति आक्रमक व्यवहार प्रदर्शित करता था और उसे ऐसा व्यवहार करने पर दंड दिया जाता था।

✨फिल्म के दूसरे भाग में व्यक्ति आक्रमक व्यवहार करता था उसके इस व्यवहार के लिए उसे पुरस्कृत किया गया।

✨फिल्म के तीसरे भाग में व्यक्ति द्वारा आक्रमक व्यवहार किया गया उसके इस व्यवहार के लिए उसे ना तो कोई दंड दिया गया और ना ही कोई पुरस्कार।

▪️संपूर्ण फिल्म को दिखाने के बाद बच्चे को उसी परिस्थिति में रखा गया जो परिस्थिति फिल्म के भागों में थी।

▪️और अब बच्चों के व्यवहार का निरीक्षण किया गया तो यह देखा गया कि बच्चे ने उस व्यवहार व दंड से संबंधित क्रियाएं की।

▪️सामाजिक अधिगम सिद्धांत में व्यवहार को प्रभावित करने वाले कारक में सामान्यता वातावरण संबंधी कारक को महत्व दिया जाता है जबकि वंशानुक्रम कारक को ना के बराबर महत्व दिया जाता है क्योंकि जिस प्रकार का वातावरण होता है हम अधिकतर उसी प्रकार का व्यवहार करते हैं।

अतः इस सिद्धांत के अनुसार व्यवहार को प्रभावित करने वाले कारक में वातावरण का विशेष और मुख्य योगदान है।

✍️

Notes By-‘Vaishali Mishra’

*🌸विकास के सिद्धांत🌸*

*(Principle of development)*

👉कल के नोट्स में पांच सिद्धांत कंप्लीट हो चुके थे-

१. सतत् या निरंतरता का सिद्धांत

२. विकास क्रम का सिद्धांत

३. विकास की विभिन्न गति का सिद्धांत

४. परस्पर संबंध का सिद्धांत

५. सामान्य से विशिष्ट अनुक्रिया का सिद्धांत। 

*६. समान प्रतिमान का सिद्धांत -*

 हरलॉक के अनुसार – “प्रत्येक जाति, चाहे वह पशु जाति हो या मनुष्य जाति हो अपनी जाति के अनुरूप ही विकास के प्रतिमान का अनुसरण करती है”। 

अर्थात मनुष्य का बच्चा दुनिया के किसी भी कोने में जन्म ले वह जन्म लेकर सिर्फ रोना ही जानता है।

 वही गाय का बच्चा जन्म लेकर खड़ा हो जाता है। 

*७. एकीकरण का सिद्धांत -*

इस सिद्धांत के अनुसार बालक पहले संपूर्ण अंग को उसके उपरांत अंग के आंशिक भाग को चलाना सीखता है। 

जैसे- बालक शुरुआत में प्रत्येक वस्तु को एक ही तरह से उठाता है परंतु ज्ञान होने पर धीरे-धीरे उंगलियों और हाथों का प्रयोग करके आसानी से उठाता है। 

अतः वह एकीकरण द्वारा सीखता है। 

*८.विकास के निश्चित दिशा का सिद्धांत-*

इस सिद्धांत के अनुसार बालक का विकास निश्चित दिशा में होता है बच्चा पहले अपने सिर को उठाना सीखता है उसके उपरांत अन्य भागों पर नियंत्रण करना सीखता है मनुष्य का विकास हमेशा सिर से पैर की ओर होता है। 

*१ सफेलोकॉडल  (cephalocaudal)* –  इस सिद्धांत के अनुसार बच्चे का विकास सिर से पैर की ओर होता है। 

*२.प्रॉक्सिमॉडिस्टल ( proximodistal)* – इस सिद्धांत के अनुसार बच्चे का विकास केंद्र से परिधि या धड़ से अन्य अंगों की ओर होता है। 

*९. वैयक्तिक विभिन्नता का सिद्धांत -* 

इस सिद्धांत के अनुसार एक ही माता पिता की दो संतान भी एक जैसी नहीं होती और अलग-अलग वातावरण के वजह से भी विभिन्नता बढ़ती है। 

अर्थात एक माता पिता के बच्चे में समान गुण के जीन नहीं होते उनमें मानसिक, संवेगात्मक, भाषाई इत्यादि अनेक प्रकार की विभिन्नता होती है। 

*१०. वंशानुक्रम और वातावरण की अंतः क्रिया का सिद्धांत*

 इस सिद्धांत के अनुसार बालक का विकास वंशानुक्रम और वातावरण की अंतः क्रिया का प्रभाव है। 

 *🌸स्किनर के अनुसार* – ” वंशानुक्रम उन सीमाओं को निश्चित करता है जिनके आगे बालक का विकास नहीं किया जा सकता”। 

*११. पुनर्बलन का सिद्धांत ( reinforcement theory)*  –

पुनर्बलन सिद्धांत के प्रतिपादक-  *सी. एल. हल* 

 किस सिद्धांत की नींव –   जॉन डोलॉर्ड  व नील मिलर ने रखी। 

 इस सिद्धांत पर प्रयोग- थार्नडाइक व स्किनर ने किया। 

इस सिद्धांत के चार महत्वपूर्ण अवयव है-

१. अभिप्रेरणा

२. उद्दीपक

३  व्यवहार

४  पुरस्कार

*१२. सामाजिक अधिगम सिद्धांत*-

प्रतिपादक – *अल्बर्ट बंडूरा* 

सहयोगी – वॉल्टर्स

इस सिद्धांत के अनुसार व्यवहार को प्रभावित करने वाले कारक में वातावरण का विशेष योगदान होता है। 

सामाजिक अधिगम के प्रति अल्बर्ट *बंडूरा की थ्योरी* इस प्रकार है-

अल्बर्ट बंडूरा ने प्रयोग के लिए बच्चों को एक फिल्म दिखाई। जिसमें एक व्यस्क व्यक्ति के व्यवहार को प्रदर्शित किया गया था।

अल्बर्ट बंडूरा ने फिल्म को तीन भागों में बांटा-  

१. अभिनेता के आक्रामक व्यवहार को दर्शाया और उसे दंड दिया जाता था.

२. अभिनेता के आक्रामक व्यवहार पर उसे पुरस्कार दिया जाता था। 

 ३. अभिनेता के आक्रामक व्यवहार पर ना तो उसे दंड और ना पुरस्कार दिया जाता था। 

फिल्म दिखाने के पश्चात बच्चों को उन्हीं परिस्थितियों में रखा गया जिन परिस्थितियों में बच्चे को फिल्म दिखाई गई थी उसी के अनुसार बच्चों की क्रिया भी थी। अर्थात बच्चे अनुकरण से सीख रहे थे जो वातावरण कारक को महत्व देता है। 

 इस प्रयोग से यह सिद्ध होता है कि मानव के विकास में व्यक्ति जिस माहौल में रहता है उन्ही तौर-तरीकों को सीखता है या व्यक्ति पर पर्यावरण का सीधा असर होता है। 

 Notes by Shivee Kumari

🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸

🌼🌼🌼विकास के सिद्धांत🌼🌼🌼

(Principle of development)

🌼🌼6. समान प्रतिमान का सिद्धांत –

 हरलॉक के अनुसार : – “प्रत्येक जाति, चाहे वह पशु जाति हो या मनुष्य जाति हो अपनी जाति के अनुरूप ही विकास के प्रतिमान का अनुसरण करती है”। 

अर्थात मनुष्य का बच्चा दुनिया के किसी भी जगह  जन्म ले वह जन्म लेकर सिर्फ रोना ही जानता है।

 वही गाय का बच्चा जन्म लेकर खड़ा हो जाता है। 

🌼🌼7.एकीकरण का सिद्धांत :-

इस सिद्धांत के अनुसार बालक पहले संपूर्ण अंग को उसके उपरांत अंग के आंशिक भाग को चलाना सीखता है। 

जैसे- बालक शुरुआत में प्रत्येक वस्तु को एक ही तरह से उठाता है परंतु ज्ञान होने पर धीरे-धीरे उंगलियों और हाथों का प्रयोग करके आसानी से उठाता है। 

अतः वह एकीकरण द्वारा सीखता है। 

🌼🌼8.विकास के निश्चित दिशा का सिद्धांत:-

इस सिद्धांत के अनुसार बालक का विकास निश्चित दिशा में होता है बच्चा पहले अपने सिर को उठाना सीखता है उसके उपरांत अन्य भागों पर नियंत्रण करना सीखता है मनुष्य का विकास हमेशा सिर से पैर की ओर होता है। 

🌼A.सफेलोकॉडल  (cephalocaudal ):-  इस सिद्धांत के अनुसार बच्चे का विकास सिर से पैर की ओर होता है। 

🌼B.प्रॉक्सिमॉडिस्टल ( proximodistal ) – इस सिद्धांत के अनुसार बच्चे का विकास केंद्र से परिधि या धड़ से अन्य अंगों की ओर होता है। 

🌼🌼9. वैयक्तिक विभिन्नता का सिद्धांत :-

इस सिद्धांत के अनुसार एक ही माता पिता की दो संतान भी एक जैसी नहीं होती और अलग-अलग वातावरण के वजह से भी विभिन्नता बढ़ती है। 

अर्थात एक माता पिता के बच्चे में समान गुण के जीन नहीं होते उनमें मानसिक, संवेगात्मक, भाषाई इत्यादि अनेक प्रकार की विभिन्नता होती है। 

🌼🌼10. वंशानुक्रम और वातावरण की अंतः क्रिया का सिद्धांत:-

 इस सिद्धांत के अनुसार बालक का विकास वंशानुक्रम और वातावरण की अंतः क्रिया का प्रभाव है। 

 🌼🌼स्किनर के अनुसार : – ” वंशानुक्रम उन सीमाओं को निश्चित करता है जिनके आगे बालक का विकास नहीं किया जा सकता”। 

🌼🌼11. पुनर्बलन का सिद्धांत ( reinforcement theory): –

पुनर्बलन सिद्धांत के प्रतिपादक-  “सी. एल. हल”

 इस सिद्धांत की नींव –   जॉन डोलॉर्ड  व नील मिलर ने रखी। 

 इस सिद्धांत पर प्रयोग- थार्नडाइक व स्किनर ने किया। 

इस सिद्धांत के चार महत्वपूर्ण अवयव है :-

🌼1. अभिप्रेरणा

🌼2. उद्दीपक

🌼3.व्यवहार

🌼4.पुरस्कार

🌼🌼12. सामाजिक अधिगम सिद्धांत:-

🌼प्रतिपादक – अल्बर्ट बंडूरा

🌼सहयोगी – वॉल्टर्स

🌼🌼इस सिद्धांत के अनुसार व्यवहार को प्रभावित करने वाले कारक में वातावरण का विशेष योगदान होता है। 

🌼🌼सामाजिक अधिगम के प्रति “अल्बर्ट बंडूरा की थ्योरी” इस प्रकार है-

अल्बर्ट बंडूरा ने प्रयोग के लिए बच्चों को एक फिल्म दिखाई। जिसमें एक व्यस्क व्यक्ति के व्यवहार को प्रदर्शित किया गया था।

🌼🌼अल्बर्ट बंडूरा ने फिल्म को तीन भागों में बांटा-  

🌼1. अभिनेता के आक्रामक व्यवहार को दर्शाया और उसे दंड दिया जाता था.

🌼2. अभिनेता के आक्रामक व्यवहार पर उसे पुरस्कार दिया जाता था। 

 🌼4. अभिनेता के आक्रामक व्यवहार पर ना तो उसे दंड और ना पुरस्कार दिया जाता था। 

🌼🌼फिल्म दिखाने के पश्चात बच्चों को उन्हीं परिस्थितियों में रखा गया जिन परिस्थितियों में बच्चे को फिल्म दिखाई गई थी उसी के अनुसार बच्चों की क्रिया भी थी। अर्थात बच्चे अनुकरण से सीख रहे थे जो वातावरण कारक को महत्व देता है। 

🌼🌼 इस प्रयोग से यह सिद्ध होता है कि मानव के विकास में व्यक्ति जिस माहौल में रहता है उन्ही तौर-तरीकों को सीखता है या व्यक्ति पर पर्यावरण का सीधा असर होता है।

🌼🌼🌼By manjari soni🌼🌼🌼

🌻💫 विकास के सिद्धांत💫🌻

🌼 समान प्रतिमान का सिद्धांत (principle of of Uniform pattern)➖

🌸🤵🏻हरलॉक के अनुसार➖ प्रत्येक जाति चाहे वह पशु जाति का हो या मनुष्य जाति का हो अपनी जाति के अनुरूप ही विकास के प्रतिमान का अनुसरण करता है।

🌸अर्थात मनुष्य का बच्चा दुनिया में किसी कोने में जन्म ले वह जन्म लेकर सिर्फ रोना जानता है वही गाय का बच्चा जन्म लेकर खड़ा हो जाता है।

🌼 एकीकरण का सिद्धांत (principle of Integration)➖इस सिद्धांत के अनुसार बालक पहले संपूर्ण अंग को और फिर उसके उपरांत अंगों के भागों को चलाना सीखता है।

🌸 जैसे–वह पहले पूरे हाथ को, फिर उंगलियों को और फिर हाथ एवं उंगलियों को एक साथ चलाना सीखता है।

🌼 विकास की निश्चित दिशा का सिद्धांत ➖बालक का विकास निश्चित दिशा में होता है प्रारंभ में बालक पहले अपने से उठाना सीखता है उसके उपरांत अन्य भागों को नियंत्रण करना सीखता है मनुष्य का विकास हमेशा सिर से पैर की ओर होता है।

🌻A)सफेलो काॅडल➖ इस सिद्धांत के अनुसार बालक का विकास सिर से पैर की ओर होता है।

🌻B)प्राॅक्सिमाॅडिल्टल➖ इस सिद्धांत के अनुसार बालक का विकास केंद्र से परिधि की ओर होता है।

🌼 वैयक्तिक भिन्नता का सिद्धांत (principle of Individual Differnces)➖ इस सिद्धांत के अनुसार एक ही माता-पिता के दो संतान भी एक जैसे नहीं होते हैं।

🌸 अर्थात एक माता पिता के बच्चे में समान गुण के जीन नहीं होते हैं, मानसिक, संवेगात्मक, भाषाई इत्यादि अनेक प्रकार की विभिन्नता होती हैं।

🌼 वंशानुक्रम और पर्यावरण की अत:क्रिया का सिद्धांत (principle of Interaction of Heredity and Environment)➖ बालक का विकास वंशानुक्रम और वातावरण की अंतः क्रिया का प्रभाव है।

🌸माता पिता के मिले गुणों का विकास बच्चों के प्राकृतिक सामाजिक परिवेश में रहकर होता है।

🤵🏻‍♂स्किनर के अनुसार➖वंशानुक्रम उन सीमाओं को निश्चित करता है जिसके आगे बालक का विकास नहीं किया जा सकता।

🌼 पुनर्बलन का सिद्धांत➖

इस सिद्धांत के प्रतिपादक जाॅन डॉलार्ड और मिलर है इनके अनुसार बच्चे का जैसे जैसे विकास होता है अधिगमकर्ता जाता है ।

🌸 इस सिद्धांत का प्रयोग-गार्डन स्किनर ने किया।

इस सिद्धांत के चार महत्वपूर्ण अवयव है।

🌼1-अभिप्रेरणा

🌼2-उद्दीपक

🌼3-व्यवहार

🌼4-पुरस्कार

🌼सामाजिक अधिगम सिद्धांत➖

प्रतिपादक -अल्बर्ट बंडूरा

सहयोगी-वाल्टर्स

🌻🌻इस सिद्धांत के अनुसार व्यवहार को प्रभावित करने वाले कारकों में वातावरण का विशेष योगदान होता है।

🌻 सामाजिक अधिगम के प्रति “अल्बर्ट बंडूरा की थ्योरी” इस प्रकार है।

अल्बर्ट बंडूरा ने प्रयोग के लिए बच्चों को एक फिल्म दिखाइए जिसमें एक वयस्क व्यक्ति के व्यवहार को प्रदर्शित किया गया था।

🌻🌻 अल्बर्ट बंडूरा ने फिल्म को तीन भागों में बांटा।

🌼1-अभिनेता के आक्रामक व्यवहार को दर्शाया और उसे दंड दिया जाता था।

🌼2-अभिनेता के आक्रामक व्यवहार पर उसे पुरस्कार दिया जाता था।

🌼3-अभिनेता के आक्रामक व्यवहार को ना तो उसे दंड और ना ही पुरस्कार दिया जाता था।

🌻🌻 फिल्म दिखाने के पश्चात बच्चों को उन्हीं परिस्थितियों में रखा गया जिन परिस्थितियों में बच्चों को फिल्म दिखाई गई थी उसी के अनुसार बच्चों की क्रिया भी थी अर्थात बच्चें अनुकरण से सीख रहे थे जो वातावरण कारक को महत्व देते हैं।

🌻

इस प्रयोग से यह सिद्ध होता है कि मानव के विकास में व्यक्ति जिस माहौल में रहता है उन्हीं तौर तरीकों को सीखता है यह व्यक्ति पर पर्यावरण का सीधा प्रभाव होता है।

✍🏻📚📚 Notes by….

Sakshi Sharma✍🏻📚📚

?🏵विकास के सिद्धांत?

(Principle of development)🏵

विकास के 5 सिद्धांत आने वाले नोट्स में दिए गए हैं और यह हैं

🎉6. समान प्रतिमान का सिद्धांत –

 🖊हरलॉक के अनुसार : – “प्रत्येक जाति, चाहे वह पशु जाति हो या मनुष्य जाति हो अपनी जाति के अनुरूप ही विकास के प्रतिमान का अनुसरण करती है”। 

अर्थात मनुष्य का बच्चा दुनिया के किसी भी जगह  जन्म ले वह जन्म लेकर सिर्फ रोना ही जानता है।

 वही गाय का बच्चा जन्म लेकर खड़ा हो जाता है। सभी गायों का बच्चा एक जैसा ही विकास करेगा ना कि अलग-अलग जन्मदिन के बाद वह खड़ा होगा

🎉7.एकीकरण का सिद्धांत :-

इस सिद्धांत के अनुसार बालक पहले संपूर्ण अंग को उसके उपरांत अंग के आंशिक भाग को चलाना सीखता है। 

जैसे- बालक शुरुआत में प्रत्येक वस्तु को एक ही तरह से उठाता है परंतु ज्ञान होने पर धीरे-धीरे उंगलियों और हाथों का प्रयोग करके आसानी से उठाता है। 

अतः वह एकीकरण द्वारा सीखता है। इसमें बच्चा जब से इस व्यवस्था में होता है तो वह कोई भी चीज को पकड़ना चाहता है तो वह पूरी तरीके से नहीं पकड़ पाता है और जैसे जैसे वह बड़ा होता जाता है और हाथ और उंगली की सहायता से आसानी से पकड़ लेता है

🎉8.विकास के निश्चित दिशा का सिद्धांत:-

इस सिद्धांत के अनुसार बालक का विकास निश्चित दिशा में होता है बच्चा पहले अपने सिर को उठाना सीखता है उसके उपरांत अन्य भागों पर नियंत्रण करना सीखता है मनुष्य का विकास हमेशा सिर से पैर की ओर होता है। मनुष्य का विकास पहले सिरका होता है बाद में हाथ और पैर का होता है

✴️A.सफेलोकॉडल  (cephalocaudal ):-  इस सिद्धांत के अनुसार बच्चे का विकास सिर से पैर की ओर होता है। 

✴️B.प्रॉक्सिमॉडिस्टल ( proximodistal ) – इस सिद्धांत के अनुसार बच्चे का विकास केंद्र से परिधि या धड़ से अन्य अंगों की ओर होता है। पहले उसका ह्रदय बनता है और बाद में  बाहरी विकास होता है

🎉9. वैयक्तिक विभिन्नता का सिद्धांत :-

इस सिद्धांत के अनुसार एक ही माता पिता की दो संतान भी एक जैसी नहीं होती और अलग-अलग वातावरण के वजह से भी विभिन्नता बढ़ती है। 

अर्थात एक माता पिता के बच्चे में समान गुण के जीन नहीं होते उनमें मानसिक, संवेगात्मक, भाषाई इत्यादि अनेक प्रकार की विभिन्नता होती है। 

🎉10. वंशानुक्रम और वातावरण की अंतः क्रिया का सिद्धांत:विकास के सिद्धांत

🖊 स्केनर के अनुसार ➖वंशानुक्रम सीमाओं को निश्चित करता है जिसके आगे बालक का विकास नहीं किया जा सकता

🎉11. पुनर्बलन का सिद्धांत इस सिद्धांत के प्रतिपादक हैं ➖सीएल हल है सिद्धांत की नीव ➖dolard &neel milar ने रखी

इसका प्रयोग ➖थार्नडाइक व स्किनर ने किया

 इस सिद्धांत के चार अवयव हैं ➖अभिप्रेरणा ‘उद्दीपक ‘व्यवहार’ पुरस्कार आदि 

🎉सामाजिक अधिगम सिद्धांत प्रतिपादक अल्बर्ट बंडूरा सहयोगी➖ valtars

  इस सिद्धांत के अनुसार व्यापार को प्रभावित करने वाले कारक में वातावरण की विशेष योगदान होता है सामाजिक अधिगम के प्रति अल्बर्ट बंडूरा की थ्योरी इस प्रकार है 

🎄अल्बर्ट बंडूरा ने प्रयोग के लिए बच्चों को एक फिल्म दिखाइए  जिसमें एक व्यक्ति के व्यवहार को प्रदर्शित किया गया

🎄अल्बर्ट बंडूरा ने फिल्म को तीन भागों में बांटा

1- अभिनेता को आक्रामक व्यवहार को दर्शाया और उसे दंड दिया जाता है

2- अभिनेता को आक्रामक व्यवहार पर पुरस्कार दिया जाता है

3- इसमें अभिनेता को आक्रामक व्यवहार पर ना तो पुरस्कार दिया जाता है और ना ही कोई दंड दिया जाता है फिल्म देखने के पश्चात बच्चों को उन्हीं परिस्थितियों में रखा गया जिन परिस्थितियों में बच्चों को फिल्म दिखाई गई थी और उसी अनुसार बच्चों को क्रिया करने के लिए कहा गया फिर उन बच्चों का अनुकरण किया उन्होंने जो कुछ सीखा था वह उसी के अनुसार ही उसका उत्तर दे रहे थे इसका मतलब यह होता है इसका मतलब यह हुआ कि बालक जिस वातावरण में रहता है वही सीखता है बच्चे के मुंह पर माहौल का बहुत ही असर पड़ता है

📝 notes by sapna yadav

*विकास के सिद्धांत      (Principle of development)*

_Part_ 2️⃣

6️⃣ *समान प्रतिमान का सिद्धांत* –

 🔏 *हरलॉक के अनुसार : – “प्रत्येक जाति, चाहे वह पशु जाति हो या मनुष्य जाति हो अपनी जाति के अनुरूप ही विकास के प्रतिमान का अनुसरण करती है”* । 

अर्थात मनुष्य का बच्चा दुनिया के किसी भी जगह  जन्म ले वह जन्म लेकर सिर्फ रोना ही जानता है।

 वही गाय का बच्चा जन्म लेकर खड़ा हो जाता है। एक जाति का विकास एक जैसा होगा।

7️⃣ *एकीकरण का सिद्धांत* :-

इस सिद्धांत के अनुसार *बालक पहले संपूर्ण अंग को उसके उपरांत अंग के आंशिक भाग को चलाना सीखता है।* 

जैसे- बालक शुरुआत में प्रत्येक वस्तु को एक ही तरह से उठाता है परंतु ज्ञान होने पर धीरे-धीरे उंगलियों और हाथों का प्रयोग करके आसानी से उठाता है। 

अतः वह एकीकरण द्वारा सीखता है। इसमें बच्चा जब से इस व्यवस्था में होता है तो वह कोई भी चीज को पकड़ना चाहता है तो वह पूरी तरीके से नहीं पकड़ पाता है और जैसे जैसे वह बड़ा होता जाता है और हाथ और उंगली की सहायता से आसानी से पकड़ लेता है।

8️⃣ *विकास के निश्चित दिशा का सिद्धांत* :-

इस सिद्धांत के अनुसार बालक का विकास निश्चित दिशा में होता है *बच्चा पहले अपने सिर को उठाना सीखता है उसके उपरांत अन्य भागों पर नियंत्रण करना सीखता है*। मनुष्य का विकास हमेशा सिर से पैर की ओर होता है। मनुष्य का विकास पहले सिरका होता है बाद में हाथ और पैर का होता है।

⚠️ *सफेलोकॉडल (cephalocaudal )* :-  इस सिद्धांत के अनुसार बच्चे का विकास *सिर🧠 से पैर🦵🏻 की ओर* होता है। 

⚠️ *प्रॉक्सिमॉडिस्टल ( proximodistal )* : – इस सिद्धांत के अनुसार बच्चे का *विकास● केंद्र से परिधि🪞 या धड़🫁 से अन्य अंगों🤲🏻 की ओर* होता है। पहले उसका ह्रदय बनता है और बाद में  बाहरी विकास होता है।

9️⃣ *वैयक्तिक विभिन्नता का सिद्धांत* :-

इस सिद्धांत के अनुसार *एक ही माता पिता की दो संतान भी एक जैसी नहीं होती हैं। अनुवांशिक और अलग वातावरण के वजह से भी विभिन्नता बढ़ती है।* 

अर्थात एक माता पिता के बच्चे में समान गुण के जीन नहीं होते उनमें मानसिक, संवेगात्मक, सामाजिक इत्यादि अनेक प्रकार की विभिन्नता होती है। 

1️⃣0️⃣ *वंशानुक्रम और वातावरण की अंतः क्रिया के विकास का सिद्धांत* :-

*स्किनर के अनुसार* :- *वंशानुक्रम सीमाओं को निश्चित करता है जिसके आगे बालक का विकास नहीं किया जा सकता हैं।*

1️⃣1️⃣ *पुनर्बलन का सिद्धांत इस सिद्धांत* :- 

 *😎प्रतिपादक ➖सीएल हल 🥸सिद्धांत की शुरूआत ➖dolard &neel milar 🧐प्रयोग ➖थार्नडाइक व स्किनर*

 इस सिद्धांत के *प्रमुख 4 अवयव  ➖ अभिप्रेरणा ‘उद्दीपक ‘व्यवहार’ पुरस्कार* ।

1️⃣2️⃣ *सामाजिक अधिगम का सिद्धांत* :-

😈 *प्रतिपादक ➖अल्बर्ट बंडूरा 👿सहयोगी➖ वाल्टर*

  इस सिद्धांत के अनुसार *व्यवहार को प्रभावित करने वाले कारक में वातावरण की विशेष योगदान होता है* । 

सामाजिक अधिगम के प्रति अल्बर्ट बंडूरा की थ्योरी ➖

अल्बर्ट बंडूरा ने प्रयोग के लिए बच्चों को एक फिल्म दिखाइए  जिसमें एक व्यक्ति के 3 तरह के व्यवहार को प्रदर्शित किया गया था। 

1- अभिनेता को *आक्रामक व्यवहार पर उसे दंड* दिया जाता है।

2- अभिनेता को *आक्रामक व्यवहार पर पुरस्कार* दिया जाता है।

3- इसमें अभिनेता को *आक्रामक व्यवहार पर ना तो पुरस्कार ना ही कोई दंड* दिया जाता है। फिल्म देखने के पश्चात बच्चों को उन्हीं परिस्थितियों में रखा गया, जिन परिस्थितियों में बच्चों को फिल्म दिखाई गई थी और उसी अनुसार बच्चों को क्रिया करने का अवसर दिया गया फिर उन बच्चों का अवलोकन किया तो पाया कि उन्होंने जो कुछ सीखा था वह उसी के अनुसार ही उसका प्रतिक्रिया दे रहे थे। इसका मतलब यह हुआ कि बालक जैसे वातावरण में रहता है वैसा ही सीखता है ।

 _*Deepika Ray*_

🌻🌺🌼🌼🌼🌼🌺🌻

🍄विकास के सिद्धांत- 

   🦚समान प्रतिमान का सिद्धांत-     हरलॉक के अनुसार –  ” प्रत्येक जाति, चाहे वह पशु जाति हो या मानव जाति हो।,अपनी जाति के अनुरूप ही विकास के प्रतिमान का अनुसरण करती हैं।

    मनुष्य का बच्चा दुनिया के चाहे जिस कोने में जन्म ले सबसे पहले वह रोता ही है।

  और एक गाय का बच्चा जन्म लेने बाद ही खड़ा होने लगता है।

🍄एकीकरण का सिद्धांत- इस सिद्धांत के अनुसार बालक सबसे पहले सम्पूर्ण अंग को,फिर उसके उपरांत शरीर के अन्य भागों को चलाना सीखता है।  जैसे – बालक शुरूआत में प्रत्येक वस्तु को एक ही तरह से उठाता है परंतु ज्ञान होने के बाद धीरे धीरे उंगलियों और हाथों के प्रयोग करके आसानी से वास्तु उठाने लगता है । अतः बच्चा एकीकरण द्वारा सीखता है।

🍄 विकास की निश्चित दिशा का सिद्धांत- बालक का विकास एक निश्चित दिशा में होता है बालक पहले अपने सिर को उठा सीखता है फिर उसके उपरांत अन्य भागों पर नियंत्रण करना सीखता है।मनुष्य का विकास हमेशा सिर से पैर की ओर होता है।

🌴सफेलोकाडल – यह पर बच्चे का विकास सिर से पैर की ओर होता है।

 🌴 प्रोक्सिमोडिस्टल- इसमे बच्चे का विकास केन्द्र से परिधि की ओर होता है सबसे पहले ह्दय, फेफड़ा ,शरीर की परिधि की ओर होता है।

🍄वैयक्तिक विभिन्नता का सिद्धांत- प्रत्येक व्यक्ति में भिन्नता पाई जाती है एक माँ की दो संतानों में भी विभिन्नता पाई जाती है और अलग अलग वातावरण से यह विभिन्नता बढ़ती भी है।

  एक माता-पिता के समान गुण के समान जीन नही पाए जाते हैं। मानसिक,संवेगात्मक, भाषाई इत्यादि अनेक प्रकार से भिन्नता पाई जाती है।

👨‍✈️🦚 स्किनर के अनुसार – विकास के स्वरूप में व्यापक रूप से वैयक्तिक विभिन्नता पाई जाती है।

🍄 वंशानुक्रम और वातावरण के अनुक्रिया का सिद्धांत- बालक का विकास वंशानुक्रम और पर्यावरण की अंतः क्रिया का प्रभाव है।

   माता पिता से मिले गुणों का विकास बच्चे के प्राकृतिक ,सामाजिक परिवेश में रहकर ही होता है।

👨‍✈️🌻 स्किनर के अनुसार- वंशानुक्रम उन सीमाओं को निश्चित करता है जिनके आगे बालक का विकास नही किया जा सकता है।

🍄 पुनर्बलन सिध्दांत- इस सिद्धांत के प्रतिपादक “C.L. HULL” हैं।और इसकी नींव “जॉन डोनार्ड और नील मिलर “ने दिया।

 👉 इसके चार महत्व पूर्ण अवयव – अभिप्रेरणा ,उद्दीपक ,व्यवहार, पुरस्कार।

🍄 सामाजिक अधिगम सिद्धांत- उस सिद्धांत का प्रतिपादन”अल्बर्ट बंडूरा “ने तथा “वॉल्टर्स”ने दिया। 

🌻🦚 अल्बर्ट बंडूरा ने प्रयोग के लिए बच्चे को एक फ़िल्म दिखाई जिसमे एक वयस्क व्यक्ति के व्यवहार को प्रदर्शित किया गया था।

🌼 बंडूरा ने फ़िल्म को तीन भागों में दिखाया ।

🦚 पहले वाले भाग में अभिनेता के व्यवहार को आक्रामक दिखाया गया है।जिसके लिए उसे पुरुस्कार दिया जाता है।

🦚दूसरे वाले में अभिनेता के आक्रामक व्यवहार के लिए पुरुस्कार दिया जाता है।

🦚 तीसरे में अभिनेता को उसके व्यवहार के लिए न तो दंड दोय जाता है और न ही पुरस्कार दोय जाता है।

 इस फ़िल्म के पश्चात उन्हें उसी परिस्थिति में रखा गया और देखा गया कि बच्चे जो है वो अनुकरण द्वारा सीखते हैं।इससे यह पता चलता है कि बच्चे विकास में वातावरण का ज्यादा प्रभाव पड़ता है।

📚📚📚Notes by Poonam sharma🌼🌼🌼

🔆 विकास के सिद्धांत➖

1) सतत निरंतर विकास का सिद्धांत 

2)विकास क्रम का सिद्धांत

3) विकास की विभिन्न गति का सिद्धांत

4) परस्पर संबंध का सिद्धांत

5) सामान्य से विशिष्ट अनुक्रिया का सिद्धांत 

6) समान प्रतिमान का सिद्धांत

7) एकीकरण का सिद्धांत

8) विकास की निश्चित दिशा का सिद्धांत 

9) वैयक्तिक विभिन्नता का सिद्धांत 

10) वंशानुक्रम और पर्यावरण की अंतः क्रिया का सिद्धांत

11) पुनर्बलन का सिद्धांत

12) सामाजिक अधिगम सिद्धांत

🟢  समान प्रतिमान का सिद्धांत➖

 हरलॉक के अनुसार➖

 “प्रत्येक जाति चाहे वह पशु जाति हो या मनुष्य जाति से हो वह अपनी जाति के अनुरूप ही विकास के प्रतिमान का अनुसरण करता है  |”

मनुष्य का बच्चा दुनिया के किसी भी कोने में जन्म  ले वह जन्म लेकर केवल रोना जानता है वही गाय का बच्चा जन्म लेकर खड़ा हो जाता है अर्थात वे अपनी अपनी जातियों का अनुसरण करते हैं |

🟢 एकीकरण का सिद्धांत ➖ 

इस सिद्धांत के अनुसार बालक पहले अपने संपूर्ण अंग को और फिर उसके उपरांत अंग के आंशिक भाग को चलाना सीखता है |

 जैसे बालक प्रत्येक वस्तु को एक ही तरीके से उठाता है परंतु ज्ञान होने पर धीरे-धीरे उंगलियों और हाथों के प्रयोग करके आसानी से वस्तु उठाता है अर्थात वह एकीकरण के सिद्धांत का अनुसरण करता है  |

🟢 विकास की निश्चित दिशा का सिद्धांत ➖

बालक का विकास निश्चित दिशा में होता है प्रारंभ में बालक अपने सिर को उठाता है उसके उपरांत अन्य भागों पर नियंत्रण करना सीखता है क्योंकि मनुष्य का विकास हमेशा निश्चित दिशा में होता है अर्थात सिर से पैर की ओर होता है |

 इसके अंतर्गत 2 सिद्धांतों  को रखा गया है ➖

1) सफेलोकाॅडल (Cephalocaudal)और

2) प्रॉक्सिमोडिस्टल ( Proximodistal)

🎯 सफेलोकाॅडल  (Cephelocaudal ) ➖

इस सिद्धांत के अनुसार बच्चे का विकास  सिर से पैर की ओर होता है | ये सिद्धांत शरीर के विकास को दर्शाता है |

🎯 प्रॉक्सिमोडिस्टल  ( Proximodistal) ➖

इस सिद्धांत के अनुसार बच्चे का विकास केंद्र से परिधि की ओर होता है अर्थात पहले हृदय और फेफड़ा का  विकास होता है और फिर उसके  बाहर के अंगों का विकास होता है  |

 ये सिद्धांत  शरीर की प्रतिक्रिया को दर्शाता है |

🟢 वैयक्तिक विभिन्नता का सिद्धांत ➖

इस सिद्धांत के अनुसार सभी व्यक्ति अलग होते है यहां तक कि एक ही माता-पिता की दो संतान भी एक जैसे नहीं होते अर्थात अलग-अलग वातावरण की वजह से भी विभिन्नता बढती,  है |

 एक माता पिता के बच्चों में समान गुण की जीन नहीं होते  हैं |

 मानसिक संवेगात्मक और शारीरिक सभी प्रकार की वैयक्तिक विभिन्नताएं अलग  अलग होती है  |

⭕ स्किनर के अनुसार➖

 विकास के स्वरूप में व्यापक वैयक्तिक भिन्नता पाई जाती है •

🟢 वंशानुक्रम और पर्यावरण की अंतः क्रिया का सिद्धांत ➖

 बालक के विकास में वंशानुक्रम और वातावरण की क्रिया का प्रभाव पड़ता है माता-पिता से मिले गुणों का विकास बच्चे के प्राकृतिक और सामाजिक परिवेश में रहकर होता है |

 स्किनर के अनुसार➖

 वंशानुक्रम सीमाओं को निश्चित करता है जिनके आगे बालक का विकास नहीं किया जा सकता है

🟢 पुनर्बलन का सिद्धांत➖

 इस सिद्धांत की नीव जाॅन डोनाल्ड और नील मिलर ने रखी थी |

और इसका विस्तार तथा इसकी रूपरेखा या इसका प्रतिपादक  क्लार्क एल हल ने किया था |

 पुनर्बलन शब्द का प्रयोग थार्नडाइक और इस स्किनर ने अपने सिद्धांत में किया था  |

इस सिद्धांत के महत्वपूर्ण चार अवयव हैं ➖

1) अभिप्रेरणा 

2) उद्दीपक 

3) व्यवहारऔर 

4 ) पुरस्कार

🟢  सामाजिक अधिगम का सिद्धांत  ➖

इस सिद्धांत के प्रतिपादक अल्बर्ट बंडूरा को माना जाता है उनका सहयोग वाल्टर्स ने किया था |

 इस सिद्धांत के अनुसार  “सामाजिक अधिगम सिद्धांत में व्यवहार को प्रभावित करने वाले कारक में वातावरण का विशेष योगदान होता है  | “

इस सिद्धांत के अनुसार बच्चे को एक व्यस्क व्यक्ति की फिल्म दिखाई जाती है जिसमें उसके आक्रामक व्यवहार का वर्णन किया जाता है इसमें तीन प्रकार की फिल्में होती हैं  एक बच्चे को एक  ही फिल्म दिखाई जाती थी |

 एक फिल्म में व्यक्ति के  आक्रामक व्यवहार को दिखाया जाता था और उसके लिए उसको दण्ड दिया जाता था |

दूसरी फिल्म में उस व्यक्ति के आक्रामक व्यवहार पर पुरुस्कार दिया जाता था |

और तीसरी फिल्म में उसके आक्रामक व्यवहार पर ना ही दण्ड दिया जाता था न ही पुरुस्कार दिया गया  था |

फिल्म दिखाने के पश्चात बच्चे को  जिन परिस्थितियों में  फिल्म दिखाई गई थी उसी के अनुसार  उनका  अवलोकन किया गया जिसमें निष्कर्ष निकाला गया कि बच्चे भी फिल्म के वातावरण के अनुसार ही  व्यवहार प्रदर्शित करते हैं  | निष्कर्षों से यह पाया गया कि बच्चे अपने वातावरण के अनुसार ही  उसका अनुसरण करते हैं  अर्थात व्यक्ति के व्यवहार में वातावरण को मुख्य माना जाता है  और वंशानुक्रम को नगण्य  माना जाता है  |

नोट्स बाय➖ रश्मि सावले

🌻🌼🌸🌺🍀🌻🌼🌸🌺🍀🌻🌼🌸🌺🍀🌸🌺🍀🌼🌻

💐💐विकास के सिद्धांत 💐

(Principle of development )💐💐

⚜️⚜️6. समान प्रतिमान का सिद्धांत —

हरलाँक के अनुसार :- प्रत्येक जाति चाहे वह पशु जाती हो या मनुष्य जाति व अपनी जाति के मनुष्य ही विकास के प्रतिमान का अनुसरण करती है।

अर्थात मनुष्य का बच्चा दुनिया के किसी कोने में जन्म ले वह जन्म लेकर सिर्फ रोना जानता है वही गाय का बच्चा जन्म लेकर वही खड़ा हो जाता है।

7.एकीकरण का सिद्धांत —

इस सिद्धांत के अनुसार बालक पहले संपूर्ण अंग को उसके उपरांत अंग के आशिक भाग को चलाना सीखता है ।

जैसे बालक शुरुआत में प्रत्येक वस्तु को एक ही तरह से उठाता है परंतु ज्ञान होने पर धीरे-धीरे उंगलियों और हाथों का प्रयोग करके आसानी से उठाता है।

 अतः एकीकरण द्वारा सीखता है।

8.विकास की निशिचत दिशा का सिद्धांत —

बालक का विकास निश्चित दिशा में होता है बालक पहले अपने सिर उठाना सीखता है उसके उपरांत अन्य भागों पर नियंत्रण करना सीखता है।

 मनुष्य का विकास हमेशा सिर से पैर की ओर होता है।

A.  सफेलोकांडल (caephalocaudal) 

इस सिद्धांत के अनुसार बच्चे का विकास सिर से पैर की ओर होता है।

B. प्राक्रिसमाँडिस्टल (proximodistal)

इस सिद्धांत के अनुसार बच्चे का विकास केंद्र से परिधि या घड़ से अन्य अंगों की ओर होता है।

9. व्यक्तित्व विभिन्ता का सिद्धांत— 

एक ही माता-पिता के दो संतान भी एक जैसे नहीं होते हैं और अलग-अलग वातावरण के वजह से भी विभिन्नता बढ़ती है ।

एक माता पिता के बच्चों में समान गुण के जीन नहीं होते हैं ।मानसिक ,संवेगात्मक,भाषाई,इत्यादि अनेक प्रकार की विभिन्नता होती है ।

 स्किन्नर के अनुसार:- विकास के स्वरूप में व्यापक व्यक्तित्व भिन्नता होती है।

10. वंशानुक्रम और पर्यावरण की अंतः क्रिया का सिद्धांत—

बालक का विकास वंशानुक्रम और पर्यावरण के अंतः क्रिया का प्रभाव है।

 माता-पिता से मिले गुणों का विकास बच्चे के प्राकृतिक या सामाजिक परिवेश में रहकर होता है।

⚜️स्किनर के अनुसार — वंशानुक्रम इन सीमाओं को निश्चित करता है जिनके आगे बालक का विकास नहीं किया जा सकता है।

11. पुनर्बलन का सिद्धांत(Reinforcement Theory) :-

पुनर्बलन सिद्धांत के प्रतिपादक:- “सी .एल .हल”

 इस सिद्धांत की नीव :- जॉन डोलाँडं व नील मिलर ने रखी।

 इस सिद्धांत पर प्रयोग-थानडाईक व स्किन ने किया। 

इस सिद्धांत के चार महत्वपूर्ण अवयव है।

1.अभिप्रेरणा

2.उदीपक 

3.व्यवहार 

4.पुरस्कार

12.सामाजिक अघिगम का सिद्धांत :-

प्रतिपादक :- अल्बर्ट बंडूरा

सहयोगी :- वाल्टर्स

इस सिद्धांत के अनुसार व्यवहार को प्रभावित करने वाले कारक में वातावरण का विशेष योगदान होता है।

अल्बर्ट बंडूरा ने प्रयोग के लिए बच्चों को एक फिल्म दिखाएं जिसमें एक व्यस्क व्यक्ति के व्यवहार को प्रदर्शित किया गया है।

Notes By:- Neha Roy🙏🙏🙏🙏

विकास के सिद्धांत

विकास निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है लेकिन प्रत्येक प्राणी का विकास निश्चित नियम के आधार पर होगा।

इन्हीं नियमों के आधार पर अनेक शारीरिक और मानसिक क्रियाएं विकसित होती है

विकास के कुछ नियम इस प्रकार हैं

1. सतत् या निरंतर विकास का सिद्धांत

2. विकास क्रम का सिद्धांत 

3. विकास की विभिन्न गति का सिद्धांत 

4. परस्पर संबंध का सिद्धांत 

5. सामान्य से विशिष्ट अनुक्रिया या प्रतिक्रिया का सिद्धांत

6. समान प्रतिमान का सिद्धांत

हरलॉक के अनुसार 

प्रत्येक जाति, चाहे वह पशु जाति हो या मनुष्य जाति हो, अपनी जाति के अनुरूप ही विकास के प्रतिमान का अनुसरण करती हैं।

मनुष्य का बच्चा दुनिया के किसी भी कोने में जन्म ले ,वह जन्म लेकर सिर्फ रोना जानता है

वही गाय का बच्चा जन्म लेकर खड़ा हो जाता है।

7. एकीकरण का सिद्धांत

इस सिद्धांत के अनुसार बालक पहले संपूर्ण अंग को उसके उपरांत अंग के आंशिक भाग को चलाना सीखता।

जैसे

बालक शुरुआत में प्रत्येक वस्तु को एक ही तरह से उठाता है परंतु ज्ञान होने पर धीरे-धीरे अंगुलियों और हाथों का प्रयोग करके आसानी से उठाता है।

अतः वह एकीकरण द्वारा सीखता है।

8. विकास की निश्चित दिशा का सिद्धांत

बालक का विकास निश्चित दिशा में होता है। प्रारंभ में बालक अपने सिर को उठाना सीखता है। उसके उपरांत अन्य भागों पर नियंत्रण करना सीखता है। मनुष्य का विकास हमेशा सिर से पैर की ओर होता है।

सफेलोकॉडल cephalocaudal/ मस्तकोधोमुखी/शीर्ष से पूंछ की ओर

इसके अनुसार बच्चे का विकास सिर से पैर की ओर होता है।

यह बालक के विकास को बताता है

प्राक्सिमाडिस्टल proximodistal

इसके अनुसार विकास केंद्र से परिधि की ओर होता है 

यह मोटर प्रतिक्रिया अर्थात गत्यात्मक विकास को बताता है।

इसके अनुसार सबसे पहले हृदय का विकास, फिर फेफड़ों का ,बाद में शरीर के बाहर के अंग जो शरीर की परिधि पर स्थित है उनका विकास होता है।

जैसे हाथ में पहले कंधे का विकास ,उसके बाद कोहनी का विकास, उसके बाद कलाई का विकास और अंत में अंगुलियों का विकास होता है।

9.वैयक्तिक विभिन्नता का सिद्धांत

एक ही माता पिता की दो संतान  भी  एक जैसी नहीं होती है और अलग-अलग वातावरण के वजह से भी विभिन्नता बढ़ती है।

एक माता पिता के बच्चों में समान गुण के जीन नहीं होते हैं

मानसिक, संवेगात्मक ,भाषायी इत्यादि अनेक प्रकार की विभिन्नता होती है।

स्किनर के अनुसार

 विकास के स्वरूप में व्यापक वैयक्तिक विभिन्नता होती है

10. वंशानुक्रम और पर्यावरण की अंतः क्रिया का सिद्धांत

बालक का विकास वंशानुक्रम और पर्यावरण के अंत: क्रिया का प्रभाव है 

माता-पिता से मिले गुणों का विकास बच्चे के प्राकृतिक सामाजिक परिवेश में रहकर होता है 

स्किनर के अनुसार

वंशानुक्रम उन सीमाओं को निश्चित करता है जिनके आगे बालक का विकास नहीं किया जा सकता है।

11. पुनर्बलन का सिद्धांत

पुनर्बलन के सिद्धांत के प्रतिपादकों में नीव रखने वाले जॉन डोलार्ड और नील मिलर थे लेकिन सी एल हल ने इस को संगठित किया।

इस सिद्धांत के चार महत्वपूर्ण अवयव निम्न है

1.अभिप्रेरणा 2. उद्दीपक 3. व्यवहार और 4. पुरस्कार

12. सामाजिक अधिगम का सिद्धांत 

इस सिद्धांत के प्रतिपादक अल्बर्ट बंडूरा और वॉल्टर्स थे

इसमे एक प्रयोग किया गया

जिसमें बच्चों को फिल्म दिखाया गया 

फिल्म में वयस्क के व्यवहार को प्रदर्शित किया गया।

फिल्म को तीन भागों में दिखाया गया

प्रत्येक बच्चे को एक प्रकार की ही फिल्म दिखाई गई

पहली फिल्म में वयस्क का व्यवहार आक्रामक था और उसे दंड दिया गया

दूसरी फिल्म में वयस्क का व्यवहार आक्रामक था लेकिन उसे पुरस्कार दिया गया।

तीसरी फिल्म में वयस्क का व्यवहार आक्रामक था लेकिन उसे न तो दंड दिया गया और ना ही पुरस्कार।

बाद में बच्चे को उसी परिस्थिति में रखा गया जिसकी उसे फिल्म दिखाई गई थी और उसका निरीक्षण किया गया

बच्चे ने फिल्म के माडल या वयस्क के अनुसार ही व्यवहार किया।

इस सिद्धांत के अनुसार व्यवहार को प्रभावित करने वाले कारक में वातावरण का विशेष योगदान होता है।

Notes by Ravi kushwah

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *