Bloom taxonomy {domain}
In 1956 Benjamin S. bloom has derived the concept of bloom taxonomy.
Taxonomy of education objective:- it is also the other name of bloom taxonomy.
He standardized the learning motives.
Universally accepted.
He says-
[How to communicate
Easily understandable
Clarity ]
There are three domains of bloom :-

Domain is the area /way

  1. cognitive domain is divided into 6 parts:-
  2. Knowledge/gyan:-
    • knowledge of any special factor
    • Knowledge of vocabulary/dictionary
    • Knowledge of facts
    • Knowledge of directions
    • Knowledge of tradition
    • Knowledge of nature / sequence
    • Knowledge of any criteria [maapdand/ kasauti]
    • Knowledge of process
    • Knowledge of classification
    • Knowledge of rules and principles
  3. Understanding/ comprehension/bodh /avbodh / samaj
    to develop the understanding of new knowledge
  4. Application/ prayog/ anuprayog/ aavedan
    utilize the knowledge of finding solutions
  5. Analysis/ vishleshan
  6. Synthesis/sansleshan
  7. Evaluation/mulyankan
    BY CHAHITA ACHARYA

Bloom taxonomy ka pirtpadan(1956) me Benjamin s bloom duara dia gaya.ise bloom ka vargikaran bhi kahte hai.
Bloom ne sechik udesyon ko mankikrt kia.
Inka udyesya tha ki balak ko sampresit krna sikhe,sarlta se sikhe or suddhasikhe or kya sikhe.
Bloom ke domen ke antrgut 3 pach ate hai.
1.sangyanatmak pach
2.bhavatmak pach
3.kiriyatmak pach
Domen ka arth hai wo chetra jiske antergut ye teeno pach ate hai.
Inke anusaar ye teeno pach ek dusre pr nirbhar hai yadi hum sangyanatmak pach ko bhavatmak pach me nahi late to hum uska kiriyatmak pach me use nahi kr sakte hai.
Inke anusaar sangyanatmak pach ke 6 istar hote hai.
1.gyan
.visist tatwa ka gyan.
.sabdawali ka gyan
.tathyo ka gyan
.sanketo ka gyan
.parmpara ka gyan
.pirvarti ka gyan
.mapdund ka gyan
.vidhi ka gyan
.sernikarn ya vargikaran ka gyan
.niyam or sidhant ka gyan.
2.bodh,avbodh,samjh
Naye gyan ke pirt samjh viksit krna.
1.gyan
2.avbodh
3.piryog/anupiryog,4.vislesan,5.sanslesan,6.mulyankan.


✍🏻manisha gupta ✍🏻

🌸 ब्लूम टेक्सोनोमी 🌸(bloom texonomy )

बेंजामिन ब्लूम के द्वारा 1956 में टैक्सनॉमी का वर्गीकरण किया गया है।
🍁इसे taxonomy of education of objective भी कहा जाता है🍁

बेंजामिन ब्लूम के द्वारा यह वर्गीकरण शैक्षिक उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए किया गया है इस वर्गीकरण में से सीखने सिखाने का motive क्या है इस पर जोर दिया गया है इसी वर्गीकरण के द्वारा शैक्षिक उद्देश्यों को मानकीकृत भी किया गया है। ब्लूम टैक्सनॉमी के अंतर्गत कैसे संप्रेषित करना है, सरल भाषा का प्रयोग ,भाषा की शुद्धता, क्या पढ़ाना है, निश्चित क्रम आते हैं।

🌸ब्लूम का यह वर्गीकरण विश्व के प्रत्येक देश में व्यापक रूप से स्वीकार किया गया है।अर्थात वर्तमान में व्यवहार में लाए गए वर्गीकरण में यह सर्वाधिक व्यापक है। 🌸

उनके वर्गीकरण में यदि हमारा ज्ञान बढ़ रहा है तो हममे भावनात्मक भी आएगी और उसी भावनात्मक के आधार पर हमारा क्रियात्मक क्रिया भी बढ़ेगा।

🌈ब्लूम के वर्गीकरण के अंतर्गत व्यक्ति के व्यक्तित्व को तीन भागों में विभाजित किया गया है➖

ज्ञानात्मक➡️ भावात्मक➡️ क्रियात्मक
💫यदि हमें किसी चीज का ज्ञान है तो तो उस ज्ञान से भावात्मक भी आएगा और भावात्मक के आधार पर हम कुछ क्रिया करते हैं।💫
यदि किसी व्यक्ति में संज्ञान या ज्ञान नहीं है तो भाव के आधार पर क्रिया की पहचान भी नहीं की जा सकती।
1️⃣ संज्ञानात्मक डोमेन
(Cognitive domain)
🌷 संज्ञानात्मक अर्थात ज्ञानात्मक उद्देश्य को 6 भागों में विभाजित किया गया है➖
🌹 ज्ञान(knowledge )
🌹अवबोध ,बोध ,समझ(understandings, comprehension)
🌹 अनुप्रयोग ,प्रयोग ,उपयोग आवेदन(application)
🌹 विश्लेषण (analysis)
🌹 संश्लेषण(synthesis)
🌹 मूल्यांकन(evaluation) 1️⃣ ज्ञान (knowledge)

”जानकारी मिलना”

🔹 विशिष्ट तत्वों का ज्ञान
🔹 शब्दावली का ज्ञान अर्थात शब्दकोश का ज्ञान
🔹 तथ्यों का ज्ञान
🔹 संकेतों का ज्ञान
🔹 परंपराओं का ज्ञान (knowledge of tradition)
🔹 विधियों का ज्ञान
🔹 श्रेणीबद्ध या वर्गीकृत का ज्ञान (classification)
🔹 नियमों और सिद्धांतों का ज्ञान
🌸 ज्ञान का क्षेत्र बहुत ही व्यापक होता है अर्थात यह ज्ञान हमें हर समय किसी न किसी कारण से अवश्य मिलता है🌸 2️⃣ अवबोध /समझ(understanding) 💫 नये ज्ञान के प्रति समझ विकसित करना ही समझ है। जब हमने कोई ज्ञान लिया है और उसे समझा नहीं है तो वह ज्ञान, ज्ञान ही रहेगा समझ नहीं बनेगा ज्ञान को ग्रहण करना ही समझ है ज्ञान के लिए अवबोध का होना जरूरी है। 3️⃣ अनुप्रयोग (application)

जो नया ज्ञान हमने ग्रहण कर लिया है या समझ लिया है तो उसे अपने लाइफ में अप्लाई करना या प्रयोग करना ही अनुप्रयोग कहलाता है।और इस नए ज्ञान का उपयोग किसी नई समस्या के समाधान में प्रयोग कर सकते हैं। 4️⃣ विश्लेषण (analysis)

किसी स्तर पर जिस ज्ञान की जानकारी लेकर समझ बना लिए हैं और उसका प्रयोग क्या-क्या किए हैं उसे विभिन्न तत्वों में विभाजित करके उसका गहराई तक अध्ययन किया जाना ही विश्लेषण है। 5️⃣ संश्लेषण(synthesis)

विश्लेषण स्तर से जिस ज्ञान को अलग-अलग भागों में विभाजित किए हैं उसका संक्षिप्तीकरण करके ,या एक बिंदु पर इकट्ठा करके ,या जोड़ कर रखना ही संश्लेषण है। 6️⃣ मूल्यांकन (evaluation).

पाठ्यवस्तु या विषय सामग्री को इकट्ठा करने के बाद मूल्यांकन से यह पता लगाते हैं कि यह मापदंड पर आधारित है या नहीं। इस क्रिया में विचार, तर्क ,आलोचना भी रहती है जिसके आधार पर मूल्यांकन किया जाता है। विचारों तथा सामग्रियों के आधार पर निर्णय करना ही मूल्यांकन है। इस स्तर को सर्वोच्च स्तर भी कहा जाता है।

💫 उपर्युक्त 6 ज्ञानात्मक उद्देश्य से यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है की जैसे हमें कोई सूचना या जानकारी मिलती है everytime हमें कुछ ना कुछ ज्ञान अवश्य ही प्राप्त होता है उस ज्ञान को समझ कर नए ज्ञान के प्रति समझ विकसित करते हैं इसके पश्चात नए ज्ञान को समझ कर उसका प्रयोग करते हैं प्रयोग किए गए ज्ञान को छोटे-छोटे भाग में बांटकर उसका गहराई तक अध्ययन करके उसे एक बिंदु पर इकट्ठा किया जाता है इसके पश्चात इकट्ठा किए गए पाठ्य सामग्री या विषय वस्तु का मूल्यांकन करते हैं पर यह मूल्यांकन हमारे विचार तर्क के आधार पर किया जाता है💫

✍🏻🌈🌹🌸🌈🌹✍🏻


17/09/2020

💫Notes by➖Rashmi Savle

🌸बुद्धि लब्धि और ब्लूम वर्गीकरण🌸 🌻बुद्धि परीक्षण 🌻

सर्वप्रथम बुद्धि परीक्षण का concept 1879 में जर्मनी के मनोवैज्ञानिक विलियम वुण्ट ने दिया |उन्होंने बुद्धि परीक्षण की प्रयोगशाला स्थापित की |
उनके बाद फ्रांस के दो मनोवैज्ञानिकों अल्फर्ड बिने और सायमन ने सन् 1905 बुद्धि की अवधारणा को स्पष्ट किया इनके अनुसार जब कोई बच्चा कार्य करता है तो उसकी बुद्धि को तथ्यों को समझने के आधार पर अनुमानित किया जा सकता है |
लोगों की निर्णय लेने की क्षमता उनके मानसिक तर्क के आधार पर ज्ञात की जा सकती है और इसी आधार पर उनका बुद्धि परीक्षण भी किया जा सकता है |
बिने सायमन के अनुसार यदि कोई बालक अपनी उम्र के की तुलना में ज्यादा उम्र के प्रश्नों को हल कर लेता है तो वह कुशाग्र बुद्धि और अपनी उम्र के प्रश्नों को हल करता है तो औसत बुद्धि एवं अपनी उम्र से कम उम्र के प्रश्नों को हल करता है तो वह मन्द बुद्धि की श्रेणी में होता है |
इस प्रकार इन्होंने बुद्धि को तीन स्तर
कुशाग्र बुद्धि
औसत बुद्धि
और मंद बुद्धि
में बांटा है |
इनके परीक्षण को बिने सायमन परीक्षण या शाब्दिक परीक्षण भी कहा जाता है

स्टर्न नामक मनोवैज्ञानिक ने सर्वप्रथम बुद्धि लब्धि (IQ) नामक शब्द का प्रयोग सन् 1912 में किया |
इनके अनुसार IQ= MA/CA
MA= Mental Age
CA = Current Age
इनको बुद्धि लब्धि का जन्म दाता भी कहा जाता है लेकिन ये इस परीक्षण में असफल रहे क्योंकि इन्होंने बुद्धि लब्धि को दशमलव में बताया |

टर्मन इंग्लैण्ड के मनोवैज्ञानिक थे|
बिने सायमन और स्टर्न की असफलता के बाद सन् 1916 में मानसिक आयु की गणना की और बुद्धि लब्धि का नया सूत्र
ज्ञात किया |

IQ= MA/CA ×100

इसके पश्चात सन् 1922 में भारत में C. Hc राईस द्वारा सर्वप्रथम बुद्धि परीक्षण किया गया |

18/09/2020

🌻ब्लूम वर्गीकरण 🌻
(Bloom Texnomi)

इनका पूरा नाम बेन्जामिन ब्लूम है|
इनके अनुसार ये हमारे शिक्षण को अभिप्रेरित करता है उसके शैक्षिक उद्देश्य को निर्धारित करता है |
यदि हम ज्ञान को बढ़ाकर उसके भाव को समझते हैं और उसके अनुसार क्रिया करते हैं तो ज्ञान स्थायी हो जाता है |
ब्लूम ने शैक्षिक उद्देश्य के तीन क्षेत्र(domain) बताये हैं..
1⃣ संज्ञानात्मक क्षेत्र
2⃣ भावात्मक क्षेत्र
3⃣ क्रियात्मक क्षेत्र

1⃣ संज्ञानात्मक डोमेन/क्षेत्र➖
इसमें 6 भाग बताये गये हैं
(1) ज्ञान (Knowledge)
(2) बोध/ अवबोध / समझ/Understanding/ Comprehensive
(3) प्रयोग/ अनुप्रयोग/ आवेदन/Application
(4) विश्लेषण (Analysis)
(5) संश्लेषण(Synthesis)
(6) मूल्यांकन(Evaluation) 🌺 ज्ञान 🌺

यह संज्ञानात्मक डोमेन का निम्न स्तर है इसमें किसी माध्यम के जरिये सूचना को ग्रहण किया जाता है जैसे
1 विशिष्ट तत्व का ज्ञान
2 शब्दावली का ज्ञान
3 तथ्यों का ज्ञान
4 संकेतों का ज्ञान
5 परम्पराओं का ज्ञान
6 प्रवृत्ति का ज्ञान
7 मापदंड/कसौटी का ज्ञान
8 विधि/ तरीके का ज्ञान
9 श्रेणीकरण/ वर्गीकरण / Classification का ज्ञान
10 नियम और सिद्धांतों का ज्ञान
ब्लूम के अनुसार ज्ञान का क्षेत्र व्यापक है | 🌺 बोध / अवबोध/ समझ / Understanding/ Comprehensive 🌺 नये ज्ञान के प्रति समझ विकसित करना ही अवबोध है जब ज्ञान को हम अपने अंदर लेते हैं और उसको ग्रहण करते हैं समझ विकसित होती है

और यदि हम नये ज्ञान को ग्रहण नहीं करते हैं तो वह स्थायी नहीं होता और उसका अवबोध नहीं होता है | 🌺 प्रयोग/अनुप्रयोग/आवेदन/ Application 🌺 नये ज्ञान का अवबोध किये बिना उस उसक प्रयोग नहीं किया जा सकता है ज्ञान का प्रयोग किसी नयी समस्या के समाधान में किया जाता है |

🌺 विश्लेषण/Analysis 🌺
जो ज्ञान था उसे नये ज्ञान की समझ के साथ प्रयोग कर उसका विश्लेषण करना अर्थात
निर्मित करने वाले तत्वों में विभाजित करना |

🌺संश्लेषण/Synthesis 🌺
विषय सामग्री के नये नये भागों को संश्लेषित करना |

🌺मूल्यांकन/Evolution🌺
यह संज्ञानात्मक डोमेन का सर्वोच्च स्तर है इसमें सभी मापदंडों का पालन किया जाता है और हम हर पक्ष से देखते हुए ज्ञान का मूल्यांकन करते हैं |

🌺🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌺


✍🏻 Notes By-Vaishali Mishra

ब्लूम की शिक्षण व्यवस्था
(Bloom Taxonomy)

1956 में बेंजामिन ब्लूम ने ब्लूम टैक्सोनमी का वर्गीकरण दिया।

ब्लूम ने शैक्षिक उद्देश्यों के बारे में बात की (Taxonomy of education objective)

▪️शिक्षक के शिक्षण प्रक्रिया में शैक्षिक उद्देश्य होते है ब्लूम ने इन शैक्षिक उद्देश्यों को माननीकृत (Standarize) किया।
▪️ब्लूम टैक्सोनोमी के द्वारा हम यह जान पाते है कि हमे केसे शिक्षक को शिक्षा को संप्रेषित करना है,सरल भाषा, शुद्धता के साथ केसे सीखना है या बताना है , इन सभी पक्षों या डोमेन से ही हम शैक्षिक उद्देश्यों को पूरा कर पाते है।
▪️जब हम किसी विषय या वस्तु ज्ञान प्राप्त कर रहे होते है तो ज्ञान के साथ साथ ही हमे उस विषय या वस्तु से भी भावनात्मक रूप से भी जुड़ जाते है , और उस ज्ञान को जो भावनात्मक रूप से जुड़ा हुआ होता है उसे क्रियात्मक रूप से प्रयोग में लाते है।
▪️अधिगम के दौरान ज्ञान के साथ साथ भावनात्मक व क्रियात्मक चीजे भी बढ़ती है।
▪️ शैक्षिक उद्देश्यों को प्राप्त करने में सिर्फ हमारा ज्ञान ही भी नहीं बल्कि इसके साथ साथ हम अपने ज्ञान में भाव लगाते है कि हमें प्राप्त ज्ञान कहा लगना ठीक है कहां नहीं , और फिर किस तरह से प्रयोग में लाना है यह सब भी प्राप्त होता है।
(Head Heart Hand)

🔅ब्लूम द्वारा शैक्षिक उद्देश्यों को प्राप्त करने के तीन पक्ष बताए गए➖
1
संज्ञानात्मक डोमेन/ ज्ञानात्मक डोमेन (cognitive domain)
“यदि ज्ञान नहीं ,क्रिया नहीं तो भाव की पहचान नहीं”
इसे कुल छ:भागो में बांटा गया-
1 ज्ञान (knowledge)
2 बोध/अवबोध/समझ/(understanding comprehension)
3 प्रयोग/अनुप्रयोग/आवेदन/(Application)
4 विश्लेषण (Analysis)
5 संश्लेषण (Synthesis)
6 मूल्यांकन (Evaluation)
उपर्युक्त भागो का विवरण निम्न प्रकार से दिया गया।
1
ज्ञान. (knowledge) ➖ज्ञान हमे किसी न किसी रूप में या किसी भी तरह से या हर स्थिति में प्राप्त होता है। हमे कई चीज़ों का ज्ञान होता है। जैसे
➖ विशिष्ठ तत्व का ज्ञान
➖ शब्दावली का ज्ञान
➖ शब्दकोश का ज्ञान
➖ तथ्यों का ज्ञान
➖संकेत का ज्ञान
➖ परम्पराओं का ज्ञान
➖ प्रवृति या क्रम का ज्ञान
➖ मापदंड या कसौटी का ज्ञान
➖विधि का ज्ञान
➖ श्रेणीकरण या वर्गीकरण का ज्ञान
➖नियम और सिद्धांतों का ज्ञान
2
बोध / अवबोध/ समझ understanding comprehension)
नए ज्ञान के प्रति समझ विकसित करना ही अवबोध कहलाता है।

  • जब हम ज्ञान को लेते है तो उस ज्ञान को अपनी समझ से ग्रहण कर लेते है।
    3
    प्रयोग/ अनुप्रयोग/ आवेदन
    application)
    जो ज्ञान प्राप्त हुआ है उसे ग्रहण करने के बाद उसे प्रयोग में लाते है ।
    ज्ञान का प्रयोग हम किसी नई समस्या के समाधान में कर सकते है।

3
विश्लेषण (analysis)
प्राप्त ज्ञान का हम विश्लेषण करते है या कई छोटे छोटे रूपो में देखते है कि क्या क्या सही है और क्या क्या नहीं।

4
संश्लेषण (synthesis)
प्राप्त ज्ञान में क्या सही है उस रूप में
ज्ञान का निर्माण हो जाता है।

5
मूल्यांकन (Evaluation)
मापदंडों का पालन करते है और उस पर आलोचना करते है कि प्राप्त ज्ञान सही तरीके से कार्य करता है या नहीं।


Notes by :- Neha Kumari 😊

📚 ब्लूम वर्गीकरण ( Bloom’s Taxonomy) :-
🌟 इनका पूरा नाम बेंजामिन ब्लूम है।
🌟इन्होंने १९५६ में ब्लूम वर्गीकरण दिया।
ये शिक्षण – अधिगम प्रक्रिया में प्रयोग किए जाते हैं।जो कि,शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को मानकीकृत करती है।
🌟इसके अन्तर्गत हमारे अंदर ये जानने की क्षमता विकसित होती है कि, हमें शिक्षा को कैसे शुद्ध सरल,भाषा में संप्रेषित करना या बताना है। इन वर्गीकरण कौशलों द्वारा है हम अपने शैक्षिक उद्देश्य की पूर्ति कर पाते हैं।
🌟जब,हम किसी विषय वस्तु या स्थान से ज्ञान प्राप्त करते हैं तो ज्ञान प्राप्ति के साथ -२ हम उससे भावनात्मक रूप से भी जुड़ जाते हैं। और जब हम भावनात्मक रूप से जुड़ जाते हैं तो,उसे क्रियात्मक रूप से प्रयोग में भी लाते हैं।
🌟कभी भी,किसी भी प्रकार के शैक्षिक उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए हम केवल एक पक्ष से ही नहीं,बल्कि ज्ञानात्मक,भावनात्मक और क्रियात्मक पक्ष से भी जुड़ने की कोशिश करते या जुड़ते हैं,तभी चीजें हमारी समझ में आती हैं। और हम अपने उद्देश्यों में सफल हो पाते हैं।

🌳ब्लूम द्वारा शैक्षिक उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए बताए गए तीन पक्ष :-
१.ज्ञानात्मक डोमेन/संज्ञानात्मक डोमेन
२.भावात्मक डोमेन
३. क्रियात्मक डोमेन

🌳ज्ञानात्मक डोमेन/ संज्ञानात्मक डोमेन :-
१.ज्ञान,knowledge
२.समझ,अवबोध,बोध, understanding, comprehensive
३.प्रयोग,अनुप्रयोग,आवेदन, application
४.विश्लेषण,analysis
५. संश्लेषण, synthesis
६.मूल्यांकन, evaluation

🌟 संज्ञानात्मक डोमेन के पक्षों का विवरण इस प्रकार से दिया :-
1️⃣ ज्ञान :-
ज्ञान, हमें हर समय किसी ना किसी रूप में प्राप्त होती रहती है,भले ही हम पता ना चले,हम इसे प्रयोग में नहीं का पा रहे हैं,लेकिन ज्ञान हम हर समय, हर परिस्थिति में अर्जित करते रहते हैं।
🌟जैसे कि :-
🌳विशिष्ट तत्व का ज्ञान
🌳शब्दावली का ज्ञान
🌳शब्दकोश का ज्ञान
🌳तथ्यों का ज्ञान
🌳संकेत का ज्ञान
🌳 परंपराओं का ज्ञान
🌳प्रवृति का ज्ञान
🌳मापदंड या कसौटी का ज्ञान
🌳विधि का ज्ञान
🌳श्रेणीक्रम और वर्गीकरण का ज्ञान
🌳नियम और सिद्धांतों का ज्ञान

2️⃣बोध,अवबोध,समझ, understanding, comprehensive :-
किसी भी नए ज्ञान के प्रति अपनी समझ विकसित करना या ग्रहण करना, समझ कहलाती है।

3️⃣प्रयोग/अनुप्रयोग/आवेदन/application :-
ज्ञान, जो हमने प्राप्त किया है,उसे प्राप्त करके प्रयोग में लाना ही जिससे हमारी जिससे हमारी समस्या समाधान हो जाए उसे समझ कहते हैं।

4️⃣विश्लेषण,analysis :-
हमने जो ज्ञान प्राप्त किया है,उसे कई छोटे -२ टुकड़ों में बांटकर देखते हैं,क्या सही और क्या गलत है,उसे ही विश्लेषण कहते हैं।

5️⃣संश्लेषण, synthesis:-
टुकड़ों में किए गए प्राप्त ज्ञान को जोड़कर,एक नया रूप देकर हम उसे समझने,ज्ञान निर्माण करने के कार्य में लाते हैं,उसे संश्लेषण कहते हैं।

6️⃣मूल्यांकन, evaluation :-
इन सभी मापदंडों के पालन करने के पश्चात् हमे जो निष्कर्ष प्राप्त होता है,जिसके आधार पर हम कार्य के प्रकृति का तुलना करते हैं,उसे मूल्यांकन कहते हैं।


✍🏻Notes by➖ Puja kumari
🔅Bloom Taxonomy / Domain ★ब्लूम का पूरा नाम बेंजामिन एस ब्लूम है। ★बेंजामिन ब्लूम अमेरिकी मनोवैज्ञानिक थे। ★ ब्लूम ने 1956 में Tuxonomy पर वर्गीकरण दिया।
★ब्लूम ने Tuxonomy of education objective की बात की।
★Teaching / learning का motive क्या है?
★किसी भी इंसान का शैक्षिक उद्देश्य होता है, उसका मानकीकृत किया।
🔹ब्लूम ने शैक्षिक उद्देश्यों का वर्गीकरण 3 भागो में किया ➖
1. संज्ञानात्मक / ज्ञानात्मक डोमेन
2. भावनात्मक डोमेन
3.क्रियात्मक डोमेन

➖व्यक्ति हर समय कुछ न कुछ ज्ञान को प्राप्त करता है। ज्ञान के साथ भाव जुड़ता है और उस भाव से क्रिया के रूप में प्रयोग करते है। शिक्षण को पूरा करने के लिए सिर्फ ज्ञान का होना आवश्यक नही है, इसमे भाव और क्रिया भी जरूरी है। क्योंकि जब भाव और क्रिया नही होगा तो इस ज्ञान का कोई मतलब नही है ये बेवजह हो जायगा। इसलिए ये सभी डोमेन से हमारा शैक्षिक उद्देश्य पूरा होता हैं। ex-
(Head , Hert, Hand )

1️⃣ ब्लूम ने संज्ञानात्मक डोमेन को 6 भागो में वर्गीकृत किया
1). ज्ञान ( Knowledge)

2). बोध / अवबोध / समझ /( Understanding / Complihension )

3). प्रयोग / अनुप्रयोग / आवेदन ( Application / Practical )

4). विश्लेषण ( Analysis )

5). संश्लेषण ( Synthesis )

6). मूल्यांक ( Evaluation )

(1). ज्ञान (Knowledge)➖ ज्ञान हमे किसी न किसी रूप में हमेशा प्राप्त होती है। हमे कोई चीजो का ज्ञान होता है लेकिन हम कभी उसपे विचार नही करते हैं actual में वो भी हमारा ज्ञान ही होता है। जैसे-
➖ विशिष्ट तत्व का ज्ञान
➖ शब्दावली का ज्ञान
➖ तथ्यो का ज्ञान
➖ संकेत का ज्ञान
➖ परम्पराओ का ज्ञान
➖ प्रवृति का ज्ञान
➖ मापदंड / कसौटी का ज्ञान (Criteria)
➖ विधि / तरीका का ज्ञान (Process knowledge)
➖ श्रेणी / वर्गीकरण का ज्ञान (Classification)
➖ नियम / सिद्धांत का ज्ञान

2️⃣ बोध / अवबोध / समझ (Understanding / Comprehension ) ➖ नई ज्ञान के प्रति समझ विकसित करना ही बोध कहलाता है। जैसे- कुछ नया चीज देखने से हमारे mind में ज्ञान में आता है फिर उस ज्ञान को समझ के साथ ग्रहण करते है।

3️⃣. प्रयोग / अनुप्रयोग / आवेदन ( Exprement / Practical / Application ) ➖ जो भी कुछ नया ज्ञान प्राप्त हुआ है उसको हम किसी न किसी चीज में प्रयोग करते है और समाधान भी करते है।

4️⃣. विश्लेषण ( Analysis )➖ ज्ञान से प्राप्त किये गए निर्मित तथ्यों का कई छोटे- छोटे टुकड़ों को विभाजित करते है फिर उसपे विचार या विश्लेषण करते है।

5️⃣. संश्लेषण ( Synthesis)➖ विश्लेषण किये गए टुकड़ों को एक साथ जोड़कर B करते है।

6️⃣. मूल्यांकन ( Evaluation ) ➖ इन सभी मापदंड के आधार पर जो निर्णय करते हैं, उसे मूल्यांकन कहा जाता है। जैसे- शिक्षार्थी के परीक्षा के बाद शिक्षक विचार विमर्श करके जो निर्णय लेते है और उस निर्णय के आधार पर result देते है तो वो result शिक्षार्थी का मूल्यांकन हुआ।

🔅🔅🔅🔅🔅🔅🔅🔅🔅Thank U🙏🏻🙏🏻🙏🏻
✍🏻 PUJA 🖋️


by Vandana Shukla

🌸 Bloom taxonomy (domain)🌸

This domain is given by Benjamin s bloom in 1956

This taxonomy is also known as taxonomy of education objective

इन्होंने शैक्षिक उद्देश्य की बात की।
ब्लूम टैक्सनॉमी डिसाइड करता है कि आपका सीखने और सिखाने का क्या उद्देश्य है क्योंकि टीचिंग लर्निंग का कुछ तो उद्देश्य है।

➖जितने भी शैक्षिक उद्देश्य हैं उनके अंदर क्या-क्या पॉइंट आते हैं या आ सकते हैं या क्या करते हैं किस रूप में काम करते हैं किसी भी इंसान का क्या शैक्षिक उद्देश्य हो सकता है इन सब बातों को इन्होंने एक स्टैंडर्डाइज फॉर्म में बनाया।

➖इससे यह हुआ कि जितने भी कंट्री है उसने इसे व्यापक व्यापक रूप से स्वीकार किया। इस डोमेन से यह क्लियर हुआ है कि हमें कैसे संप्रेषित करना है कैसे शुद्धता से पढ़ाना है क्या पढ़ाना है कि बच्चा आसानी से ग्रहण कर सके समझ सके यह तब होगा जब हमें उद्देश्य पता होगा ।
➖जिस समय पर आप का संज्ञानात्मक पक्ष बढ़ रहा होता है उस वक्त ऑटोमेटिकली आपका भावनात्मक पक्ष भी बढ़ रहा होता है सारी क्रियाएं parallel चलती है ।ब्लूम ने कहा कि इंसान की पर्सनैलिटी 3 आधार पर विभाजित होती है :
1 ज्ञानात्मक पक्ष
2 भावात्मक पक्ष
3 क्रियात्मक पक्ष ।
➖ज्ञान को क्रिया में बदलने के लिए भाव आने चाहिए।
➖सिर्फ ज्ञान को बढ़ाकर कुछ नहीं कर सकते ज्ञान को बढ़ाकर उसके भाव को समझते हुए सब को क्रिया में लगते हैं तब जाकर चक्र पूरा होता है ,ज्ञान को अगर सीधे लगा देंगे बिना भाव के तो वह ठीक नहीं है क्योंकि भाव बताता है कि हमें क्यों करना है क्या करना है उससे क्या होगा।

➖तीनों एक साथ चलते हैं और तीनों को एक दूसरे की जरूरत है तीनों अलग-अलग जगह से आते हैं पर सब एक ही जगह जाते हैं। ➖इनमें सबसे महत्वपूर्ण ज्ञान है क्योंकि ज्ञान रहेगा तब ही कोई क्रिया हो सकेगी और हम भाव की कल्पना कर सकते हैं क्रिया और भाव का आधार ही ज्ञान है।

🔸Domain : एक ही शैक्षिक
उद्देश्य के तीन एरिया है 1-संज्ञानात्मक क्षेत्र domain
2भावात्मक क्षेत्र domain और
3 क्रियात्मक क्षेत्र domain

1️⃣ संज्ञानात्मक डोमेन/ज्ञानात्मक/ cognitive domain –
संज्ञान नहीं है ज्ञान नहीं है तो क्रिया और भाव का पहचान नहीं है। इसीलिए संज्ञान आवश्यक है संज्ञान को 6 भागों में बांटा गया है:
1️⃣ ज्ञान/knowledge
2️⃣ बोध/अवबोध /समझ /understanding/ comprehension
3️⃣प्रयोग /अनुप्रयोग /आवेदन/ application
4️⃣विश्लेषण /analysis
5️⃣संश्लेषण/synthesis
6️⃣मूल्यांकन/evaluation

1️⃣ ज्ञान — ज्ञान सबसे ज्यादा इंपोर्टेंट है क्योंकि यहीं से सब कुछ की शुरुआत होती है ।यह संज्ञानात्मक क्षेत्र का निम्न स्तर है। ज्ञान से हमें किसी भी चीज का पता चलता है ज्ञान हमें किसी जानकारी के रूप में मिलती है ।
1 किसी भी विशिष्ट तत्व का ज्ञान 2शब्दावली का ज्ञान हो सकता है 3 तथ्यों का ज्ञान
4 संकेतों का ज्ञान
5परंपराओं का ज्ञान रखने
6 प्रवृत्ति या क्रम का ज्ञान
7 मापदंड या कसौटी का ज्ञान 8विधि का ज्ञान
9श्रेणीकरण / वर्गीकरण का ज्ञान 10नियम और सिद्धांतों का ज्ञान

बेंजामिन ब्लूम के अनुसार यह ज्ञान के अलग-अलग पहलू है यह इसलिए बताए गए हैं क्योंकि जब हम ज्ञान से मूल्यांकन तक पहुंचने की बात करते हैं तो हमारे दिमाग में सिर्फ एक ही बात सामने आती है कि कोई भी चीज हो उसको पढ़ लो ज्ञान ले लो और उसका मूल्यांकन कर लो बस ज्ञान हो गया इसलिए ब्लूम ने यह सारी बातें विस्तार से बताएं हैं।

2️⃣ अबोध – नए ज्ञान के प्रति समझ विकसित करना ही अबोध है। अब ज्ञान थोड़ा आगे बढ़ गया है। हमने ज्ञान को ग्रहण कर लिया है, ज्ञान के लिए अवबोध होना जरूरी है।

3️⃣ अनुप्रयोग – ज्ञान को समझ कर उसको प्रयोग करना उसको अप्लाई करना है। जब तक ज्ञान का प्रयोग नहीं होगा कैसे पता चलेगा कि हम समझ गए हैं ।ज्ञान बिना ग्रहण किए प्रयोग नहीं हो सकता ,किसी भी ज्ञान की अगर समझ नहीं है अंडरस्टैंडिंग नहीं है तो हम उसे प्रयोग नहीं कर सकते , ज्ञान का उपयोग किसी नई समस्या समाधान में कर सकते हैं क्योंकि हमारे पास ज्ञान है और उसकी समझ भी है।

4️⃣ विश्लेषण – ज्ञान ले लिया उसकी समझ बना ली, उस समझ का प्रयोग भी कर लिया, अब उस ज्ञान का प्रयोग कैसे किया इसका विश्लेषण करेंगे एनालिसिस करेंगे। इसको निर्मित करने वाले तत्वों में विभाजित करेंगे जैसे हमने ज्ञान ले लिया इसको कितना समझा उसको ठीक से अप्लाई किया कि नहीं , कहीं कुछ छूट तो नहीं किया यह सब चीजों का विश्लेषण करेंगे।

5️⃣ संश्लेषण – विषय सामग्री का जो अलग-अलग अंग है उसको नई समग्रता के साथ संयोजित करते हैं जो विश्लेषण किया है उसको फिर से संयोजित कर लेंगे। फिर से सब कुछ इकट्ठा कर लेंगे।

6️⃣ मूल्यांकन – संश्लेषण के बाद मूल्यांकन आता है ।
सबसे पहले ज्ञान लिया उसको समझ कर प्रयोग किया, प्रयोग के बाद विश्लेषण किया कि ठीक समझ कर प्रयोग किया या नहीं किया, सब चीजों का संश्लेषण किया अब मूल्यांकन कर रहे हैं, कि यह हमारे मापदंड पर आधारित है कि नहीं ,जो हम चाहते हैं जो हम प्राप्त करना चाहते हैं वह हुआ कि नहीं सब कुछ सही तरीके से चला या नहीं यह संज्ञानात्मक क्षेत्र का सर्वोच्च स्तर है।

मूल्यांकन के बाद डिसाइड करते हैं कि फाइनली हमारा ज्ञान काम कर रहा है या नहीं कर रहा जो कुछ भी ग्रहण किया वह काम का है या नहीं है।

धन्यवाद


By Ashwany Dubey

🏵️ Bloom Taxonomy 🏵️

👉 1956 मे बेंजामिन ब्लूम ने शिक्षा को ग्रहण और संप्रेषण के संदर्भ मे शैक्षिक उद्देश्यो का मानकीकृत वर्गीकरण किया!

👉शैक्षिक उद्देश्यों का मूल आधार ज्ञान को माना गया क्योकि ब्लूम Taxonomy से यह जान पाते है कि हमे जो भी ज्ञान संप्रेषित करना है उसका क्या अच्छा और कितना उपयोग किया जा सकता है जो कि उसके भाव को पता करके ही ज्ञात किया जा सकता है!
👉 किसी भी विषय के भाव को समझने के लिए हमे उसका ज्ञानात्मक पक्ष जानना उतना ही आवश्यक जितना बेहतर तरीके से हम उसका उपयोग करना चाहते है!
👉ज्ञान को प्राप्त करने के लिए जरूरी है कि विषय वस्तु समझने मे आसान, शुद्ध और क्रमानुसार होनी चाहिए!

इससे यह पता चला कि सीखने या सिखाने के दौरान ज्ञान के बिना भावनात्मक और क्रियात्मक पक्ष का ज्ञान अधूरा है!

🌺 बेंजामिन ब्लूम ने शैक्षिक उद्देश्यों की पूर्ति हेतु शिक्षा के किसी भी विषय के 3 क्षेत्रों (domain) को दिया :-

1)ज्ञानात्मक क्षेत्र (cognitive domain)
2)भावनात्मक क्षेत्र (pathetic domain)
3)क्रियात्मक क्षेत्र (applicable domain)

✍️ संज्ञानात्मक क्षेत्र:-

🌺 इनमे सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण ज्ञानात्मक/संज्ञानात्मक क्षेत्र को माना गया क्योकि बिना किसी विषय के ज्ञान के हम उसके सही और गलत प्रयोग का पता नहीं लगा सकते है अर्थात उसमे निहित उसके भाव और भावानुसार उसका प्रयोग का ज्ञान प्राप्त नहीं कर सकते है!🌺

🤩संज्ञानात्मक क्षेत्र को 6 भागों मे बांटा गया है जो निम्न है :-

1)ज्ञान(Knowledge) :-
किसी भी विषय का सर्वप्रथम ज्ञान होना आवश्यक है! जो कि सर्वोच्च है!

2)अवबोध /बोध (Understanding/comprehension)

3)प्रयोग /अनुप्रयोग /आवेदन (application)

4)विश्लेषण (Analysis)

5)संश्लेषण (Synthesis)

6)मूल्यांकन (Evaluation)

🌺🌸🏵️ज्ञानात्मक क्षेत्र के इन उप क्षेत्रों को निम्न रूप मे वर्णित किया गया 🌺🌸🏵️

🌸1)ज्ञान:- किसी विषय के बारे मे हमे होना चाहिए

a) विशिष्ट तत्व का ज्ञान
b) शब्दवाली का ज्ञान
c) तथ्यों का ज्ञान
d) संकेतों का ज्ञान
e) परंपराओं का ज्ञान
f) प्रवृति या क्रम का ज्ञान
g) मापदंड या कसौटी का ज्ञान
h) विधि का ज्ञान,
i) वर्गीकरण /श्रेणीकरण करने का ज्ञान

🌸2)अवबोध (understanding) :-

किसी नए ज्ञान के प्रति समझ या ग्रहण करने की कला को स्थापित करना ही अवबोध है!

🌸 3)प्रयोग (application):-

✍️समझ के अनुसार ज्ञान का प्रयोग किसी नयी समस्या के समाधान मे कर सकते है!

🌸4)विश्लेषण (Analysis) :-

✍️प्रयोग करने पर समस्या समाधान से जो परिणाम आए उनके हर पक्ष और भागों का अध्ययन (विश्लेषण)!

🌸5)संश्लेषण (synthesis) :-

✍️विभाजित भागों के अध्ययन मे से क्या सही क्या गलत का एकत्रीकरण और उनका एक निष्कर्ष निकालना!

🌸6)मूल्यांकन (evaluation) :-

✍️इसमे हम प्राप्त परिणाम (निष्कर्ष) का आलोचनात्मक /सर्वोच्चस्तर मापदंड क्रिया से जांच करते है!

👉इन मूल्यांकन के आधार पर हम निर्धारित करते है कि हमारा ज्ञान कितना प्रभावशाली रहा है!


18/9/20
Bloom taxonomy
बेंजामिन ब्लूम वर्गीकरण
Taxonomy of education objective
टेक्नोमी ऑफ़ एजुकेशन ऑब्जेक्टिव
Teaching /learning
शेक्षक उदेद्श्य
2 सरल भाषा
3 शुध्दता के साथ
4 क्या पढाना है
5 कैसे पढाना है
ऐ सब आता है
शैक्षिक उद्वेश्य मे
ज्ञान
.
.
.
भाव ………………….क्रिया
ज्ञान लगाके भाव में जाना ज्ञान बढ रहा है उस भाव को समझते हुए क्रिया मे लाना
3 शैक्षिक उदेश्य ( डोमेन )
ऐ 3 क्षेत्रो में विभाजित किया जाता है
1 संज्ञानात्मक क्षेत्र
2 भावनात्मक क्षेत्र
3 . क्रियात्मक क्षेत्र
यहाँ क्षेत्र का अर्थ है डोमेन
1संज्ञानात्मक डोमेन (ज्ञानात्मक ) cognetive domen
इसके 6 part है
1 ज्ञान (knowledge )
2 बोध ,अवबोध, समझ
3 प्रयोग, अनुप्रयोग,आवेदन (application)
4 विश्लेसन (analysis)
5 सन्सलेसन( synthere)
6 मूल्यांकन(evolution)
कोई चीज हमने कैसे सीखा कहा से सीखा इसकी जानकारी मिलती है
1 ज्ञान
1 विशिष्ट तत्व ज्ञान
2शब्दावलि का ज्ञान
3 तथ्यों का ज्ञान
4 संकेत का ज्ञान
5 परम्पराओ का ज्ञान:- जैसे शिक्षक का सम्मान करना
6 प्रवृति या करा। का ज्ञान :- किसी का नेचर समझना
7 मापदण्ड , कसौटी का ज्ञान( criteria)
8 विधि का ज्ञान या तरीका( process)
9 श्रेणीकरण ,वर्गीकरण का ज्ञान(clasification)
10 नियम और सिद्धांतो का ज्ञान
2 अवबोध
नये ज्ञान के प्रति समझ विकसित करना या ग्रहण करना इससे हमें अवबोध आता है
3 अनुप्रयोग
हम इसमें अपने ज्ञान का प्रयोग किसी नई समस्या का समाधान करने में कर सकते है
4 विश्लेषण
निर्मित किये जाने वाले तत्वों को हम विभाजित करके फिर उसके बारे में सटीक जानकारी निकलते है
5 संश्लेषण
निर्मित किये जाने वाले तत्वों को एकत्र करके कब क्या कैसे करना है ये विचार करना
6 मूल्यांकन
सर्वोत्तम स्तर मापदण्ड हमने जो किया जैसे किया उसका मैल्यांकन करना इससे पता चलता है कि हम किस तरह से कैसे और कितना सीख रहे है

Nots by 💐sapna sahu💐


PART:- 2 BLOOM TAXONOMY

  1. affective / bhavatmak / sakaratmak/ emotional:-
    Factors of affective domain-
    • Interest:-
    Every person have their own interest , if their interest changes then their knowledge is also changes.
    • Attitude / abhivrati/ soch / nazariya:-
    Example:- jese ek lady apne bacche ki school phone krke fees maaf krne k liye bolti hai or usi k just baad wo dusri school me pdhati h whaa ke baccho ko phone krke fees jma krwane k liye bolti hai.
    So, every person changes their attitude according to situation.
    • Emotions / bhavna
    • Sensitivity/ sanvedna/feel/ sensation/ sympathy
    • Values/ mulya/ ethics
    Example: – hacking ka misuse ni krte hai hm . wo hmaari values ke against hota hai
    Sub domains of affective domain-
    1 abhigrahan karna/ prapt krna/ receive karna:- we receive things according to our interest
    2 anukriya / pratikriya/ responding/ response/reply;- whatever we receive , we have respond to it, involve in it.
    3 mulya nirupan/ baato ka mahatv/ valuing
     There are two parts
     A. mulya aakna / judgement/ estimation:-
     [a] grahan /acceptance [ b]variyta /preference [c] vachanbaddhta/commitment
     Mulya ka sandharan karna/ maintenance:-

4 organisation/ sangathan / aayojan
5 characterisation/ nirupan / charitrikaran

BY CHAHITA ACHARYA

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