☘️🌸 व्यक्तित्व के सिद्धांत🌸
👨🏻💼मुर्रे का सिद्धांत➖ इस सिद्धांत के प्रतिपादक मनोवैज्ञानिक हेनरी एवं मुर्रे के अनुसार मानव एक प्रेरित जीव है।
व्यक्तित्व क्रियात्मक रूप एवं शक्तियों को नियंत्रित है जो संगठित प्रक्रिया के रूप में जन्म से मृत्यु तक बहुर्मुखी होकर प्रकट करते हैं।
इस मन के अनुसार क्रियात्मक रूप से निरंतरता ऋणात्मक और धनात्मक संबंध मतभेद सक्रियता, निष्क्रियता आदि का योग कर व्यक्तित्व का निर्माण करती है इस मत पर आलोचना है कि अचेतन निर्धारित का व्यवहार पर प्रभाव अधिगम की भूमिका अभिप्रेरणा की स्थिति में सब भी व्यक्तित्व पर प्रभाव डालती है और अभिव्यक्ति का कारण बनती है।
🌸☘️ व्यक्तित्व के विकास के कारक या तत्व☘️🌸
आलपोर्ट अपने व्यक्तित्व को मनो दैहिक संगठन कहा है प्रत्येक व्यक्ति व्यक्तित्व का अलग-अलग आशय निकालता है।
कोई शारीरिक श्रेष्ठता को व्यक्तित्व मानता है कोई व्यक्ति बातचीत के प्रभावी ढंग को सहानुभूति व्यवहार या सहायक, सदैव तत्पर व्यक्ति, आकर्षक परिधान और मेकअप को मानता है।
मिशेल के अनुसार➖ विचार और संवेग सहित व्यक्ति व्यवहार की विशेषता की ओर संकेत करता है यह स्थिति वातावरण में उसके समायोजन की और संकेत करती है ।
व्यक्तित्व के विकास पर प्रभाव डालने वाले प्रमुख कारण निम्नलिखित है➖
☘️ शारीरिक प्रभाव
☘️ वंश परंपरा
☘️ वातावरण का प्रभाव
☘️सामाजिक वातावरण
☘️सांस्कृतिक वातावरण
☘️बाल्यावस्था के अनुभव
☘️विद्यालय का अनुभव
☘️समूह की सदस्यता
☘️अधिगम अवस्था
☘️व्यवहार की इकाई
☘️अभिप्रेरणा का बाहुल्य
☘️विकास की साम्यता (सतत)
✍🏻📚📚 Notes by…… Sakshi Sharma📚📚✍🏻