Date➖09/06/2021
Time ➖8. 00am
🌸🌸🌸🌸🌸
वैयक्तिगत विभिन्नता पर आधारित शिक्षण विधियां ➖
🌸प्रोजेक्ट प्रणाली ➖1918
इस पद्धति का जन्म अमेरिका में हुआ इस के प्रतिपादक किलापैट्रिक थे
प्रोजेक्ट पूरे मन से किया जाने वाला एक उद्देश्य पुर्ण कार्य है जो सामाजिक वातावरण में संपन्न होता है
इससे छात्र अपने रुचि से योजना का चयन करता है।
इससे बच्चों की रुचि बढ़ेगी यह विधि करके सीखना सिद्धांत पर बल देता है इस विधि में छात्र को कार्य सौंप दिया जाता है और वह मिलजुल कर कार्य करते हैं ।
🌸अगर प्रोजेक्ट बना ले हम अपनाना चाहते हैं तो सबसे पहले
1 परिस्थिति निर्माण करेंगे
2 चयन करेंगे
3 नियोजन करेंगे
4 पूर्ण करेंगे
5 मूल्यांकन
6 अंकन करेंगे
🌿किलपैट्रिक के अनुसार योजना सामाजिक वातावरण में पूर्ण सलंग्नता से किया जाने वाला उद्देश्य पूर्ण कार्य है।
🌸 डाल्टन प्रणाली ➖इस प्रणाली को मिस हेलेन पार्क हर्स्ट ने दिया
छात्र को अपने योग्यता क्षमता रूचि के अनुसार कार्य करने की स्वतंत्रता होती है
उसी समय के बंधन में बांधा जाता है
विद्यार्थी चाहे सारे दिन एक ही विषय को पढ़ सकता है ।
इसमे प्रत्येक विषय के लिए प्रयोगशाला बनाई जाती है ।
वर्ष के कार्य को महीने सप्ताह दिन में बांट सकते हैं ।
अध्यापक पथ प्रदर्शक के रूप में कार्य करता है ।
🌿मिस हेलेन ने योजना के अर्थ को स्पष्ट करते हुए बताया कि ➖डाल्टन प्रयोगशाला योजना शिक्षण की प्रणाली अथवा पद्धति नहीं है यह शैक्षिक पुनर्गठन की एक विधि है जो सीखने की संबंध क्रियाओं में एकता स्थापित करती है।
🌸 विनेटिका प्रणाली ➖
इस योजना का प्रतिपादन डॉक्टर कार्लटन वॉशवर्न ने किया।
➖बालक को कार्य करने की पूर्ण स्वतंत्रता तथा रहती है ।
➖इसमें पूरी पाठ्यक्रम को छोटी-छोटी इकाईयो में बांटा जाता है।
➖छात्र एक इकाई का सफलतापूर्वक अध्ययन करते हैं बाद में दूसरी इकाई का अध्ययन करते हैं ।
➖छात्रों के ज्ञान की परीक्षा बच्चे स्वयं करती हैं ।
➖अध्यापन मार्गदर्शक होता है ।
➖इसमें बालक अनुत्तीर्ण नहीं होता है ।
➖प्रत्येक विषय में बालक को ग्रेड देते हैं
➖इस विधि में बालक का ईमानदार होना आवश्यक होता है।
🌸 डिक्रोली प्रणाली ➖
इस प्रणाली के जन्मदाता डॉक्टर ओविड डिक्रोली थे। जो विलियम के के प्रोफेसर थे ।
➖बालक को शिक्षा उसके जीवन से ही मिलने चाहिए इस विधि में बालक का विभाजन होता था उनकी रूचि क्षमता और स्तर के अनुसार ।
➖स्कूल का वातावरण प्राकृतिक होता है बालकों को उदार शिक्षा दी जाती है ।
➖लड़के लड़कियों को एक साथ शिक्षा दी जाती है 20 से 25 बच्चे का ग्रुप होता है ।
➖माता-पिता पिता का भी सहयोग लिया जाता है ।
➖बालक के सामूहिक भावना का विकास होता है ।
🌿हयूज तथा हयूज के द्वारा➖
डिक्रोली विधि बालकों को मुर्त तथा अमूर्त कार्य को करने का अवसर प्रदान कर आत्म प्रकाशन को उत्साहित करती है ।
यह विधि जीवन के लिए जीवन द्वारा सिद्धांत पर आधारित है।
🌸 कॉन्ट्रैक्ट प्रणाली ➖
डाल्टन और विनेटिका का मिलाजुला रूप ।
➖इसमें बच्चों को सप्ताह महीने और वर्ष भर का कार्य एक साथ दे दिया जाता है।
➖समय सारणी या बंधन नहीं होता है।
➖काम जल्दी भी कर सकता है या बचे रहने पर अगले वर्ष भी कर सकता है।
➖कार्य समाप्ति पर परीक्षा ली जाती है
➖असफल होने पर कारणों को जानने का प्रयास किया जाता है।
नोटस बाय✍✍ निधि तिवारी🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿
व्यक्तिगत विभिन्नता पर आधारित शिक्षण पद्धतियां
1. प्रोजेक्ट प्रणाली
प्रतिपादक -जॉन डीवी के शिष्य किलपैट्रिक द्वारा
सन 1918 में अमेरिका में
शिक्षा के क्षेत्र में प्रोजेक्ट शब्द का प्रयोग 1908 में किया गया था
किलपैट्रिक के अनुसार
प्रोजेक्ट पूरे मन से किया जाने वाला एक उद्देश्य पूर्ण कार्य है जो सामाजिक वातावरण में संपन्न होता है
इसमें छात्र अपने रुचि से योजना का चयन करता है जैसे नाटक खेलना बागवानी करना गुड़िया का घर बनाना आदि
इससे बच्चों की रुचि बढ़ेगी
यह विधि करके सीखने पर बल देते
इस विधि में छात्र को कार्य सौंप दिया जाता है और वह मिलजुल कर इसे पूरा करते हैं
अगर हम प्रोजेक्ट प्रणाली को अपनाना चाहते हैं प्रोजेक्ट प्रणाली के चरण या सोपान निम्न है
1. परिस्थिति का निर्माण
2. परियोजना का चयन
3. परियोजना का नियोजन या परियोजना की योजना बनाना
4. परियोजना का क्रियान्वयन या परियोजना को पूर्ण करना
5. मूल्यांकन
6. अंकन
किलपैट्रिक अनुसार
योजना, सामाजिक वातावरण में पूर्ण संलग्नता से किया जाने वाला उद्देश्य पूर्ण कार्य है
2. डाल्टन प्रणाली
प्रतिपादक-अमेरिकन शिक्षा शास्त्रिणी मिस हेलेन पार्क हर्स्ट
छात्रों को अपनी योग्यता क्षमता रूचि के अनुसार कार्य करने की स्वतंत्रता होती हैं
उसे समय के बंधन में नहीं बांधा जाता है विद्यार्थी चाहे तो सारा दिन एक ही विषय पढ़ सकता है
इसमें प्रत्येक विषय के लिए प्रयोगशाला बनाई जाती है
वर्ष के कार्य को महीने सप्ताह या दिन में बांट सकता है
अध्यापक पथ प्रदर्शक के रूप में कार्य करता है
मिस हेलेन ने योजना के अर्थ को स्पष्ट करते हुए कहा कि
डाल्टन प्रयोगशाला योजना शिक्षण की प्रणाली अथवा पद्धति नहीं है यह शैक्षिक पुनर्गठन की एक विधि है जो सीखने की संबंध क्रियाओं में एकता स्थापित करती है
3. विनेटिका प्रणाली
प्रतिपादन-डा कार्लटन वाशबर्न
बालक को कार्य करने की पूर्ण स्वतंत्रता रहती है
इसमें पूरे का पाठ्यक्रम को छोटी-छोटी कार्यों में बांटा जाता है छात्र एक इकाई का सफलता पूर्ण अध्ययन करने के बाद ही दूसरी इकाई का अध्ययन करते हैं
छात्रों के ज्ञान की परीक्षा बच्चे स्वयं करते हैं
अध्यापक मार्गदर्शक होता है
इसमें बालक अनुत्तीर्ण नहीं होता है प्रत्येक विषय में बालक को ग्रेड देते हैं
इस विधि में बालक का ईमानदार होना आवश्यक है
4. डेक्रोली प्रणाली
प्रतिपादक-बेल्जियम के प्रोफेसर डॉ ओविड डेक्रोली
बालक को शिक्षा उसके जीवन से ही मिलनी चाहिए
इस विधि में बच्चों का विभाजन उनकी रूचि क्षमता और स्तर के अनुसार किया जाता था ताकि उन्हें उनकी क्षमता के अनुसार आगे बढ़ाया जा सके
स्कूल का वातावरण प्राकृतिक होता है
बालकों को उदार शिक्षा दी जाती है
लड़के लड़कियों को एक साथ शिक्षा दी जाती है
20 से 25 बच्चों का एक ग्रुप होता है
माता-पिता का भी सहयोग लिया जाता है
सामूहिक भावना का विकास होता है
ह्यूज तथा ह्यूज –
डेक्रोली विधि बालक को मूर्त तथा अमूर्त कार्यों का अवसर प्रदान कर आत्म प्रकाशन को उत्साहित करती है यह विधि *जीवन के लिए जीवन द्वारा शिक्षा* सिद्धांत पर आधारित है।
5. कॉन्ट्रैक्ट प्रणाली
यह डाल्टन और विनेटीका का मिलाजुला रूप है
इसमें बच्चे को सप्ताह महीने और वर्षभर का कार्य एक साथ दे दिया जाता है
समय सारणी का बंधन नहीं होता
काम जल्दी भी कर सकता है या बचे रहने पर अगले वर्ष भी कर सकते हैं
कार्य समाप्ति पर परीक्षा ली जाती है और असफल होने पर कारणों को जानने का प्रयास किया जाता है
Notes by Ravi kushwah
वैयक्तिक विभिन्नता पर आधारित शिक्षण विधियां–
1– प्रोजेक्ट प्रणाली– इस पद्धति का जन्म अमेरिका में हुआ इसके प्रतिपादक किलपैट्रिक थे। यह जॉन डीवी के शिष्य( 1918) थे।
प्रोजेक्ट पूरे मन से किया जाने वाला एक उद्देश्य पूर्ण कार्य है ।जो सामाजिक वातावरण में संपन्न होता है ।
इसमें छात्र अपनी रुचि से योजना का चयन करता है। जैसे– नाटक, खेलना ,बागवानी करना ,गुड़िया का घर बनाना, मिट्टी के बर्तन बनाना ।
इसमें बच्चे की रूचि बढ़ेगी। यह विधि करके सीखने के सिद्धांत पर बल देती है ।
इस विधि में छात्र को कार्य सौंप दिया जाता है ।और वे मिलजुल कर इसे पूरा करते हैं ।
अगर प्रोजेक्ट प्रणाली हम अपनाना चाहते हैं।
1– परिस्थिति निर्माण
2–चयन
3– नियोजन
4–पूर्ण करना( क्रियान्वयन)
5– मूल्यांकन
6–अंकन
💐 किलपैट्रिक के अनुसार– योजना सामाजिक वातावरण में पूर्ण संलग्नता से किया जाने वाला उद्देश्य पूर्ण कार्य है।
2– डाल्टन प्रणाली –
इस प्रणाली को मिस हेलेन पार्क हर्स्ट ने दिया। इसमें छात्र को अपनी योग्यता क्षमता रूचि के अनुसार कार्य करने की स्वतंत्रता होती है ।उसे समय के बंधन में नहीं बांधा जाता । विद्यार्थी चाहे सारे दिन में एक ही विषय पर ध्यान दें ,या पढ़े ।
इसी प्रत्येक विषय के लिए प्रयोगशाला बनाई जाती है। वर्ष की कार्य को महीने ,सप्ताह या दिन में बांट सकते हैं ।
अध्यापक पथ प्रदर्शक के रूप में कार्य करता है ।
मिस मिस हेलेन ने योजना के अर्थ को स्पष्ट करते हुए बताया कि –
डाल्टन प्रयोगशाला योजना शिक्षण का प्रणाली अथवा पद्धति नहीं है। यह शैक्षिक पुनर्गठन की एक विधि है। जो सीखने के संबंध क्रिया में एकता स्थापित करती है।
3– विनेटिका प्रणाली –
इस योजना का प्रतिपादन डॉक्टर कार्लटन वॉशवार्न ने किया।
बालक को कार्य करने की पूर्ण स्वतंत्रता रहती है ।इसमें पूरी पाठ्यक्रम को छोटी-छोटी कार्यों में बांटा जाता है। छात्र एक इकाई का सफलता पूर्ण अध्ययन करने के बाद दूसरी इकाई का अध्ययन करते हैं।
छात्रों के ज्ञान की परीक्षा बच्चे स्वयं करते हैं। अध्यापक मार्गदर्शक होता है इसमें बालक अनुत्तीर्ण नहीं होता है। प्रत्येक विषय में बालक को ग्रेट देते हैं। और इस विधि को बालक ईमानदार होना आवश्यक है।
4– डेक्रोली प्रणाली–
इस प्रणाली के जन्मदाता डॉक्टर ओपीड डेक्रोली थे। बालक को शिक्षा उसके जीवन से ही मिलनी चाहिए। इसमें बच्चों का विभाजन उनकी रूचि क्षमता और स्तर के अनुसार किया जाता था ।ताकि उन्हें क्षमता के अनुसार आगे बढ़ाया जाए।
💐 स्कूल का वातावरण प्राकृतिक होना ।
💐बालकों को उदार शिक्षा दी जाती है ।
💐लड़के लड़कियों को एक साथ शिक्षा दी जाती है।
💐 20 से 25 बच्चों का ग्रुप होता है ।
💐माता पिता का भी सहयोग किया जाता है ।
💐बालक में सामूहिक भावना का विकास होता है।
♦️ ह्यूज तथा ह्यूज के द्वारा–
डेक्रोली विधि बालक को मूर्त तथा अमूर्त कार्यों का करने का अवसर प्रदान कर ,आत्म प्रकाशन को उत्साहित करती है। यह विधि जीवन के लिए जीवन के द्वारा सिद्धांत पर आधारित है।
5– कॉन्ट्रैक्ट प्रणाली –
डाल्टन और विनेटिक का मिलाजुला रूप है ।इसमें बच्चे को सप्ताह महीने और वर्ष भर का कार्य एक साथ दे दिया जाता है ।समय सारणी का बोधन नहीं होता है ।
काम जल्दी भी कर सकता है। या बचे रहने पर अगले वर्ष भी कर सकता है।
कार्य समाप्ति पर परीक्षा ली जाती है। असफल होने पर कारणों को जानने का प्रयास किया जाता है।
Nores by poonam sharma
🌺व्यक्तिगत विभिन्नता पर आधारित शिक्षण विधियां🌺 –>>
▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬
🌺प्रोजेक्ट प्रणाली🌺=>>1918
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🌺 पद्धति का जन्म –अमेरिका
🌺 प्रतिपादक — किलपैट्रिक, जॉन डीवी के शिष्य
🌺 प्रोजेक्ट पूरे मन से किया जाने वाला एक उद्देश्य पूर्ण कार्य है जो सामाजिक वातावरण में ही संपन्न होता है।
🌺 इसे छात्र अपनी रुचि से योजना का चयन करता है।
🌺उदाहरण– नाटक खेलना, बागवानी करना, गुड़िया का घर बनाना, मिट्टी के बर्तन बनाना,
इससे बच्चों की रुचि बढ़ेगी।
🌺 यह विधि “करके सीखना” सिद्धांत पर बल देता है।
🌺इस विधि में छात्र को कार्य सौंप दिया जाता है और वह मिलजुल कर इसे पूरा करते हैं।
🌺अगर प्रोजेक्ट प्रणाली हम अपनाना चाहते हैं तो निम्न बातों का ध्यान रखना आवश्यक है —
1.परिस्थिति निर्माण
2.चयन
3.नियोजन
4.पूर्ण करना या क्रियान्वयन
5.मूल्यांकन
6.अंकन
🌺किलपैट्रिक के अनुसार–>>” योजना, सामाजिक वातावरण में पूर्ण संलग्नता से किया जाने वाला एक उद्देश्य पूर्ण कार्य है। “
🌺Note–प्रोजेक्ट शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग शिक्षा के क्षेत्र में 1908 में किया गया था।
🌺 डाल्टन प्रणाली🌺 =>>
▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬
🌺 प्रतिपादक– मिस हेलन पार्कहर्स्ट
🌺इस प्रणाली में छात्र को उसकी योग्यता, क्षमता एवं रूचि के अनुसार कार्य करने की स्वतंत्रता होती है।
🌺 उसे समय के बंधन में नहीं बांधा जाता है।
🌺 छात्र चाहे तो सारे दिन एक ही विषय पढ़ सकता है।
🌺 इसमें प्रत्येक विषय के लिए प्रयोगशाला बनाई जाती है।
🌺 वर्ष के कार्य को महीने, दिन सप्ताह में बांटा जा सकता है।
🌺 अध्यापक पथ- प्रदर्शक के रूप में कार्य करता है।
🌺 मिस हेलन पार्कहर्स्ट ने योजना के अर्थ को स्पष्ट करते हुए बताया कि–
” डाल्टन प्रयोगशाला योजना शिक्षण की प्रणाली नहीं है, यह शैक्षिक पुनर्गठन की एक विधि है जो सीखने के संबंध में क्रियाओं में एकता स्थापित करती है।”
🌺 विनेटीका प्रणाली 🌺=>>
▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬
🌺 प्रतिपादक–>> डॉ० कार्लटर्न वाशबर्न
🌺 इसमें बालक को कार्य करने की पूर्ण स्वतंत्रता रहती है।
🌺 पूरे पाठ्यक्रम को छोटी-छोटी इकाईयों में बांटा जाता है।
🌺 छात्र एक इकाई को सफलतापूर्वक अध्ययन करने के बाद ही दूसरी इकाई का अध्ययन करते हैं।
🌺 छात्रों के ज्ञान की परीक्षा बच्चे स्वयं करते हैं।
🌺 अध्यापक मार्गदर्शक होता है।
🌺 इसमें बालक अनुत्तीर्ण नहीं होता है।
🌺 एक विषय में बालक का ईमानदार होना आवश्यक है।
🌺डेक्रोली प्रणाली🌺=>>
▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬
🌺प्रतिपादक– डॉ० ओविड डेक्रोली, बेल्जियम के प्रोफेसर
🌺 छात्रों को शिक्षा उसके जीवन से ही मिलनी चाहिए।
इसमें बच्चे का विभाजन उसके रूचि, क्षमता तथा स्तर के अनुसार किया जाता है ताकि उन्हें उनकी क्षमता के अनुसार आगे बढ़ाया जाए।
🌺 स्कूल का वातावरण प्राकृतिक होता है।
🌺बालकों को उदार शिक्षा दी जाती है।
🌺 लड़के लड़कियों को एक साथ शिक्षा दी जाती है।
🌺 20 से 25 बालकों का एक ग्रुप होता है।
🌺माता पिता का भी सहयोग लिया जाता है।
🌺 बालक में सामूहिक भावना का विकास होता है।
🌺 ह्यूज एवं ह्यूज के अनुसार– डेक्रोली प्रणाली बालकों को मूर्त और अमूर्त कार्यों को करने का अवसर प्रदान कर आत्म- प्रकाशन को उत्साहित करती है।
🌺यह विधि “जीवन के लिए जीवन द्वारा” सिद्धांत पर आधारित है।
🌺कॉन्ट्रैक्ट प्रणाली 🌺=>>
▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬
🌺डाल्टन +विनेटीका का मिलाजुला रूप
🌺इसमें बच्चे को सप्ताह, महीने, वर्ष भर का कार्य एक साथ दे दिया जाता है।
🌺 बच्चा काम को जल्दी भी कर सकता है या बचे रहने पर अगले साल भी कर सकता है।
🌺 कार्य समाप्ति पर परीक्षा ली जाती है।
🌺 असफल होने पर कारणों को जानने का प्रयास किया जाता है।
✍🏻 Sïyã
व्यक्तिगत विभिन्नता पर आधारित शिक्षण प्रविधियाँ :-
(1) प्रोजेक्ट प्रणाली ➖
इस पद्धति का जन्म अमेरिका मे हुई | इसके प्रतिपादक किलपैट्रिक थे |
कलपैट्रिक जाॅन डी वी के शिष्य (1918)
प्रोजेक्ट शब्द का उपयोग शिक्षा के क्षेत्र में 1908 में किया गया था |
प्रोजेक्ट पूरे मन से किया जाने वाला एक उद्देश्य पूर्ण कार्य है जो सामाजिक वातावरण में संपन्न होता है |
इसमें छात्र अपनी रुचि से योजना का चयन करता है |
नाटक खेलना , बागवानी करना , गुड़िया का घर बनाना , मिट्टी के बर्तन बनाना | इससे बच्चे की रूचि बढ़ेगी यह विधि करके सीखने सिद्धांत पर बल देता है | इस विधि में छात्र को कार्य सौप दिया जाता है और वे मिल जुल कर इसे पूरा करते हैं |
अगर प्रोजेक्ट प्रणाली हम अपनाना चाहते हैं :-
(1) परिस्थिति निर्माण
(2) चयन
(3) नियोजन
(4) पूर्ण करना (क्रियान्वयन)
(5) मूल्यांकन
(6) अंकन
किलपैट्रिक के अनुसार योजना सामाजिक वातावरण में पूर्ण संलग्नता से किया जाने वाला उद्देश्य पूर्ण कार्य है |
(2) डाल्टन प्रणाली ➖
इस प्रणाली को मिस हेलेन पार्कहसर्ट ने दिया | छात्र को अपनी योग्यता क्षमता रूचि के अनुसार कार्य करने की स्वतंत्रता होती है उसे समय के बंधन में नहीं माना जाता है विद्यार्थी चाहे सारे दिन एक ही विषय ही पड़ सकता है |
इसमें प्रत्येक विषय के लिए प्रयोगशाला बनाई जाती है |
वर्ष के कार्य को महीने सप्ताह या दिन में बांट सकता है |
अध्यापक पथ प्रदर्शक के रूप में कार्य करता है |
मिस हेलेन ने योजना के अर्थ को स्पष्ट करते हुए बताया है कि –
डाल्टन प्रयोगशाला योजना शिक्षण की प्रणाली अथवा पद्धति नहीं है यह शैक्षिक पुनर्गठन की एक विधि है | जो सीखने की संबंध क्रियाओं में एकता स्थापित करती है |
(3) विनेटिका प्रणाली ➖
इस योजना का प्रतिपादन डॉक्टर कार्लटन वाशबर्न ने किया |
बालक को कार्य करने की पूर्ण स्वतंत्रता रहती है इसमें पूरे पाठ्यक्रम को छोटी छोटी इकाइयों में बांटा जाता है छात्र एक इकाई का सफलतापूर्वक अध्ययन करने के बाद ही दूसरी इकाई का अध्ययन करते हैं |
छात्रों के ज्ञान की परीक्षा बच्चे स्वयं करते हैं अध्यापक मार्गदर्शक होता है इसमें बालक अनुतीर्ण नहीं होता प्रत्येक विषय में बालक को ग्रेड देते हैं इस विधि में बालक का ईमानदार होना आवश्यक है |
डेक्रोली प्रणाली ➖
इस प्रणाली के जन्मदाता डॉक्टर ओविड डेक्रोली थे | जो बेल्जियम के प्रोफेसर थे बालक को शिक्षा उनके जीवन से ही मिलनी चाहिए इसमें बच्चे का विभाजन उनकी रूचि , क्षमता और स्तर के अनुसार किया जाता था | ताकि उन्हें उनकी क्षमता के अनुसार आगे बढाया जाए |
स्कूल का वातावरण प्राकृतिक होता है |
बालको को उदार शिक्षा दी जाती है |
लड़के लड़कियों को एक साथ शिक्षा दी जाती है |
20 से 25 बच्चों का ग्रुप होता है |
माता पिता का भी सहयोग लिया जाता है
बालक में सामूहिक भावना का विकास होता है |
हयूज तथा हयूज के द्वारा ➖
डेक्रोली विधि बालक को मूर्त तथा अमूर्त कार्यो को करने का अवसर प्रदान कर आत्म प्रकाशन को उत्साहित करती है यह विधि जीवन के लिए जीवन सद्वारा स्थान सिद्धांत पर आधारित हैं |
(5) काॅन्ट्रेक्ट प्रणाली ➖
डाल्टन और विनेटिका का मिला जुला रूप |
इसमें बच्चों को सप्ताह महीने और वर्ष भर का कार्य एक साथ दे दिया जाता है |
समय सारणी या बंधन नहीं होता है काम जल्दी भी कर सकता है या बचे रहने पर अगले वर्ष भी कर सकता है कार्य समाप्ति पर परीक्षा ली जाती है असफल होने पर कारणों को जानने का प्रयास किया जाता है |
Notes by ➖Ranjana Sen
वैयक्तिगत विभिन्नता पर आधारित शिक्षण विधियां :-
प्रोजेक्ट प्रणाली 1918 :-
इस पद्धति का जन्म अमेरिका में हुआ इस के प्रतिपादक किलापैट्रिक थे
प्रोजेक्ट पूरे मन से किया जाने वाला एक उद्देश्य पुर्ण कार्य है जो सामाजिक वातावरण में संपन्न होता है
इससे छात्र अपने रुचि से योजना का चयन करता है।
इससे बच्चों की रुचि बढ़ेगी यह विधि करके सीखना सिद्धांत पर बल देता है इस विधि में छात्र को कार्य सौंप दिया जाता है और वह मिलजुल कर कार्य करते हैं ।
अगर प्रोजेक्ट बना ले हम अपनाना चाहते हैं तो सबसे पहले
1 परिस्थिति निर्माण करेंगे
2 चयन करेंगे
3 नियोजन करेंगे
4 पूर्ण करेंगे
5 मूल्यांकन
6 अंकन करेंगे
किलपैट्रिक के अनुसार योजना सामाजिक वातावरण में पूर्ण सलंग्नता से किया जाने वाला उद्देश्य पूर्ण कार्य है।
डाल्टन प्रणाली :-
इस प्रणाली को मिस हेलेन पार्क हर्स्ट ने दिया
छात्र को अपने योग्यता क्षमता रूचि के अनुसार कार्य करने की स्वतंत्रता होती है
उसी समय के बंधन में बांधा जाता है
विद्यार्थी चाहे सारे दिन एक ही विषय को पढ़ सकता है ।
इसमे प्रत्येक विषय के लिए प्रयोगशाला बनाई जाती है ।
वर्ष के कार्य को महीने सप्ताह दिन में बांट सकते हैं ।
अध्यापक पथ प्रदर्शक के रूप में कार्य करता है ।
मिस हेलेन ने योजना के अर्थ को स्पष्ट करते हुए बताया कि :-
डाल्टन प्रयोगशाला योजना शिक्षण की प्रणाली अथवा पद्धति नहीं है यह शैक्षिक पुनर्गठन की एक विधि है जो सीखने की संबंध क्रियाओं में एकता स्थापित करती है।
विनेटिका प्रणाली :-
इस योजना का प्रतिपादन डॉक्टर कार्लटन वॉशवर्न ने किया।
बालक को कार्य करने की पूर्ण स्वतंत्रता तथा रहती है ।
इसमें पूरी पाठ्यक्रम को छोटी-छोटी इकाईयो में बांटा जाता है।
छात्र एक इकाई का सफलतापूर्वक अध्ययन करते हैं बाद में दूसरी इकाई का अध्ययन करते हैं ।
छात्रों के ज्ञान की परीक्षा बच्चे स्वयं करती हैं ।
अध्यापन मार्गदर्शक होता है ।
इसमें बालक अनुत्तीर्ण नहीं होता है ।
प्रत्येक विषय में बालक को ग्रेड देते हैं
इस विधि में बालक का ईमानदार होना आवश्यक होता है।
डिक्रोली प्रणाली :-
इस प्रणाली के जन्मदाता डॉक्टर ओविड डिक्रोली थे। जो विलियम के के प्रोफेसर थे ।
बालक को शिक्षा उसके जीवन से ही मिलने चाहिए इस विधि में बालक का विभाजन होता था उनकी रूचि क्षमता और स्तर के अनुसार ।
स्कूल का वातावरण प्राकृतिक होता है बालकों को उदार शिक्षा दी जाती है ।
लड़के लड़कियों को एक साथ शिक्षा दी जाती है 20 से 25 बच्चे का ग्रुप होता है ।
माता-पिता पिता का भी सहयोग लिया जाता है ।
बालक के सामूहिक भावना का विकास होता है ।
हयूज तथा हयूज के द्वारा :-
डिक्रोली विधि बालकों को मुर्त तथा अमूर्त कार्य को करने का अवसर प्रदान कर आत्म प्रकाशन को उत्साहित करती है ।
यह विधि जीवन के लिए जीवन द्वारा सिद्धांत पर आधारित है।
कॉन्ट्रैक्ट प्रणाली :-
➖
डाल्टन और विनेटिका का मिलाजुला रूप ।
इसमें बच्चों को सप्ताह महीने और वर्ष भर का कार्य एक साथ दे दिया जाता है।
समय सारणी या बंधन नहीं होता है।
काम जल्दी भी कर सकता है या बचे रहने पर अगले वर्ष भी कर सकता है।
कार्य समाप्ति पर परीक्षा ली जाती है
असफल होने पर कारणों को जानने का प्रयास किया जाता है।
Notes by :- Neha Kumari
🙏🙏🙏🙏🙏
🌼🌸 व्यक्तिगत विभिन्नता पर आधारित शिक्षण प्रविधियां🌸🌼
☘️1-प्रोजेक्ट प्रणाली➖ प्रोजेक्ट प्रणाली का उपयोग शिक्षा के क्षेत्र में सन 1908 में किया गया था इस पद्धति का जन्म अमेरिका में हुआ इसके प्रतिपादक किलपैट्रिक थे।
प्रोजेक्ट प्रणाली पूरे मन से किया जाने वाला एक उद्देश्य पूर्ण कार्य है जो सामाजिक वातावरण में संपन्न होता है।
इसमें छात्र अपनी रुचि से योजना का चयन करता है नाटक खेलना, बागवानी करना, गुड़िया का घर बनाना, मिट्टी के बर्तन बनाना इसमें बच्चे की रुचि बढ़ेगी यह विधि करके सीखना सिद्धांत पर बल देती।
इस विधि में छात्र को कार्य सौंप दिया जाता है और वह मिलजुल कर इसे पूरा करते हैं अगर प्रोजेक्ट प्रणाली हम अपनाना चाहते हैं।
🔸 परिस्थिति निर्माण
🔸 चयन
🔸नियोजन
🔸पूर्ण करना
🔸मूल्यांकन
🔸अंकन
👨🏻💼 किलपैट्रिक के अनुसार➖ योजना सामाजिक वातावरण में पूर्ण संलग्नता से किया जाने वाला उद्देश्य पूर्ण कार्य है।
☘️ डाल्टन विधि➖ इस प्रणाली को मिस हेलन पार्क ने किया छात्र को अपनी योग्यता, क्षमता रूचि के अनुसार कार्य करने की स्वतंत्रता होती है उसे समय के बंधन में नहीं बांधा जाता विद्यार्थी चाहे सारे दिन एक ही विषय ही पड़ सकता है इसमें प्रत्येक विषय के लिए प्रयोगशाला बनाई जाती है।
वर्ष के कार्यों को महीने सप्ताह या दिन में बांट सकते हैं अध्यापक पथ प्रदर्शक के रूप में कार्य करता है मिस हेलन ने योजना के अर्थ को स्पष्ट करते हुए बताया है कि-डाल्टन प्रयोगशाला योजना शिक्षण की प्रणाली अथवा पद्धति नहीं क्षणिक पुनर्गठन की एक विधि है जो सीखने की संबंध क्रियाओं में एकता स्थापित करती है।
☘️3-विनेटिका प्रणाली➖ बालक को कार्य करने की पूर्ण स्वतंत्रता रहती है इसके पूरे पाठ्यक्रम को छोटे-छोटे इकाइयों में बांटा जाता है छात्र एक ही इकाई का सफलतापूर्वक अध्ययन करने के बाद ही दूसरी इकाई का अध्ययन करते हैं छात्रों के ज्ञान की परीक्षा बच्चे स्वयं करते हैं अध्यापक मार्गदर्शक होते हैं।
इसमें बालक अंतर नहीं होता है प्रत्येक विषय में बालक को ग्रेट देते हैं इस विधि में बालक का ईमानदार होना आवश्यक है।
☘️4-डेक्रोली प्रणाली➖ इस प्रणाली के जन्मदाता डॉक्टर जैविड डेक्रोली थे जो बेल्जियम मैं प्रोफेसर थे बालक को शिक्षा उनके जीवन से ही मिलती चाहिए इसमें बच्चे का विभाजन उनकी रूचि, क्षमता और स्तर के अनुसार किया जाता है ताकि उन्हें उनकी क्षमता के अनुसार आगे बढ़ाया जाए।
स्कूल का वातावरण प्राप्त होता है बालकों को उधार शिक्षा दी जाती है लड़के लड़कियों को एक साथ शिक्षा दी जाती है 20 से 25 पर बच्चों का ग्रुप होता है माता पिता का भी सहयोग लिया जाता है बालक में सामूहिक भावना का विकास होता है।
ह्यूज तथा हयूज के द्वारा➖ डेक्रोली विधि बालक को मूर्त अथवा अमूर्त कार्यों को करने का अवसर प्रदान कर आत्म प्रकाशन को उत्साहित करती है यह विधि जीवन के लिए जीवन द्वारा सिद्धांत पर आधारित है।
☘️5-काॅन्टैक्ट प्रणाली➖ डाल्टन और विनोटिका का मिलाजुला रूप इसमें बच्चों को सप्ताह, महीनों और वर्षों भर का कार्य एक साथ करा दिया जाता है।
समय सारणी का बंधन नहीं होता है काम जल्दी भी कर सकते हैं या बचे रहने पर अगले वर्ष भी कर सकते हैं कार्य समाप्ति पर परीक्षा ली जाती है असफल होने पर कारणों को जानने का प्रयास किया जाता है।
✍🏻📚📚 Notes by……. Sakshi Sharma📚📚✍🏻