⚡अभिप्रेरणा की विधियां⚡

👉प्रभावी अधिगम के लिए अभिप्रेरणा आवश्यक है

👉कक्षा में छात्र अभिप्रेरित नहीं होंगे तो हम अभी अधिगम की कल्पना नहीं कर सकतेl

👉 छात्र को अभिप्रेरित करने हेतु अलग अलग प्रकार की विधियां हैं—-

1️⃣ पुरस्कार और दंड देकर:— अच्छा कार्य करने पर पुरस्कार बुरे कार्य करने पर दंड दिया जाता है

👉 पुरस्कार:— अच्छे कार्य करने के लिए प्रेरित ….इसमें, आदर सम्मान/ प्रशंसा /छात्रवृत्ति/ सुविधा प्रमाण पत्र/ प्रगति पत्र /उपयोगी वस्तु/ सफलता इत्यादि

👉 दंड :—-बुरे कार्य करने से रोकना इसमें:— सरल दंड— डांटना – फटकारना /अवकाश के बाद रोकना/ आर्थिक दंड /उठा बैठक कराना / क्लास के बाहर खड़े करना/ क्लास के बाहर खड़े करना

👉 नैतिक दंड:— अपमानित करना/ क्षमा याचना करवाना/ सुविधाओं से वंचित रखना/ क्लास से निष्कासित करना/ स्कूल से निकलना/ अतिरिक्त कार्य देना/ सामूहिक कार्य से वंचित रखना

👉 शारीरिक दंड:— पीटना/ कान खींचना

2️⃣ प्रशंसा और निंदा करना:— जैसे किसी एग्जाम में पास होने पर यदि कोई प्रशंसा करते हैं जिससे हम प्रेरित होते हैं और यदि एग्जाम में फेल हो जाने पर निंदा करना

3️⃣ सफलता और असफलता:— सफलता और असफलता दोनों ही चीज में मोटिवेशन मिलता है

4️⃣ प्रतियोगिता और सहयोग:— सामान्य लक्ष्य तथा संगठित प्रयास

5️⃣ छात्र को प्रगति का ज्ञान कराकर:— मूल्यांकन करा कर

6️⃣ आकांक्षा का स्तर:— अपनी इच्छा की पहचान

7️⃣ नए पन का समागम करना:— नवीन रूप से काम करना

8️⃣ रुचि जागृत करके:— किसी विशेष वस्तु या पाठ के प्रति लगाओ या आकर्षण की भावना होना

9️⃣ आवश्यकता का ज्ञान कराना:— जो भी जरूरत है बच्चों को बता कर

🔟 कक्षा का वातावरण कक्षा का वातावरण रुचि पूर्ण और रचनात्मक होना चाहिए इससे बच्चे जाने के लिए उद्देश्य पूर्ण शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित होंगे

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Notes by:—sangita bharti 🙏

🔆 अभिप्रेरणा की विधियां 🔆

🔰 प्रभावी अधिगम के लिए अभी ट्रेन आवश्यक है कक्षा में छात्र अभिप्रेरित नहीं होंगे तो हम अधिगम की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं।
अभिप्रेरणा अधिगम का केंद्रीय आधार है शिक्षार्थियों को अभिप्रेरित करने हेतु शिक्षक को जिन उपायों का प्रयोग करना चाहिए वे अभिप्रेरक में अंतर्निहित कारको पर आधारित होने चाहिए।

💫 छात्रों को अभिप्रेरित करने की अनेक विधियां हैं ➖

1️⃣ पुरस्कार और दण्ड ➖
अच्छे कार्य करने पर पुरस्कार बुरे कार्य करने पर दंड दिया जाता है। पुरस्कार विद्यार्थियों में अभी रुचि उत्पन्न कर उन्हें अधिगम हेतु प्रेरित करने में सहायक होते हैं दंड का प्रयोग यदा-कदा ही करना चाहिए क्योंकि दंड विद्यार्थियों में व्यवहार संबंधी कठिनाइयां उत्पन्न करते हैं।

👉 पुरस्कार- अच्छे कार्य करने के लिए प्रेरित इसमें आदर सम्मान प्रशंसा छात्रवृत्ति सुविधा प्रमाण पत्र प्रगति पत्र उपयोगी वस्तु सफलता इत्यादि आते हैं।

👉 दण्ड- बुरे कार्य करने से रोकना इसमें सरल दंड डांटना फटकार ना अवकाश के बाद रोकना आर्थिक दंड क्लास के बाहर खड़ा करना।

👉 नैतिक दण्ड- अपमानित करना क्षमा याचना करवाना सुविधाओं से वंचित रखना कक्षा से निस्तारित करना स्कूल से बाहर निकालना अतिरिक्त कार्य देना सामूहिक कार्य से वंचित रखना।

👉 शारीरिक दण्ड- पीटना/ कान खींचना।

2️⃣ प्रसंशा और निन्दा करना ➖
जैसे किसी एग्जाम में पास होने पर यदि कोई प्रशंसा करते हैं जिसे हम प्रेरित होते हैं और यदि एग्जाम में फेल हो जाने पर निंदा करना।
निंदा की अपेक्षा प्रशंसा अभिप्रेरणा हेतु अधिक प्रभावी होती है अपनी सीमित योग्यता क्षमताओं के कारण छात्रों का प्रशंसा एवं निंदा का वैयक्तिक भेद के अनुसार प्रभाव पड़ता है अतः शिक्षक को उनके प्रयोग में सावधानी बरतनी चाहिए।

3️⃣ सफलता और असफलता ➖
सफलता और असफलता दोनों ही चीजों में मोटिवेशन मिलता है सफलता मिलने पर प्रशंसा होती है असफलता होने पर हम किसी कार्य को करने के लिए दोबारा से प्रेरित होते हैं और उस कार्य को पूरी लगन के साथ करते हैं।

4️⃣ प्रतियोगिता और सहयोग ➖
बालों को के अंदर प्रतिद्वंदिता जो ईर्ष्या क्रोध आदि अथवा समूह की प्रतिद्वंदिता जो ग्रह ना उत्पन्न करती है किसी भी प्रकार सराहनीय प्रेरक नहीं है आत्म प्रतिद्वंदिता अथवा प्रतियोगिता सबसे अच्छे प्रकार की है इसी को बालक में अपनाने का बात नहीं करना चाहिए प्रतिस्पर्धा की भांति सहयोग भी विद्यार्थियों को अभिप्रेरित करने का सशक्त प्रोत्साहन है सामान्य लक्ष्य तथा संगठित प्रयास।

5️⃣ छात्र को प्रगति का ज्ञान कराकर ➖
प्रतिपुष्टि अधिगम हेतु पुनर्बलन का कार्य करता है क्योंकि इसमें छात्रों को अपनी निष्पत्ति के परिणाम में अपनी प्रगति का ज्ञान होता है कक्षा में शिक्षक प्रशंसात्मक या शब्दों द्वारा छात्रों के उत्तर की स्वीकृति प्रदर्शित कर उन्हें अधिगम हेतु प्रेरित कर सकते हैं बच्चों की प्रगति मूल्यांकन करा कर की जा सकती है

6️⃣ आकांक्षा का स्तर➖
आकांक्षा स्तर का तात्पर्य निष्पादन स्तर से है जिसे प्राप्त करने विद्यार्थी आकांक्षा रखता है शिक्षक का कक्षा के विद्यार्थियों के आकांक्षा स्तर के अनुकूल शिक्षण अधिगम क्रिया का नियोजन करना चाहिए शिक्षक को विभिन्न क्रियाकलापों का प्रयोजन इस प्रकार करना चाहिए कि छात्र निर्धारित समान लक्ष्य की प्राप्ति हेतु सतत प्रयत्नशील बने रहे इसके लिए प्रत्येक विद्यार्थी का इन क्रियाकलापों में सक्रिय भाग लेना आवश्यक है शिक्षक को ऐसे अक्सर उन्हें प्रदान करने चाहिए।

7️⃣नएपान का समागम करना ➖
नवीनता व्यक्ति में रुचि उत्पन्न करती है अतः शिक्षक प्रतिक्रियाओं में नवीनता का समावेश करना चाहिए विषय वस्तु का प्रस्तुतीकरण विविध रूपों में करना चाहिए जिससे नवीनता द्वारा उस में रुचि उत्पन्न न हो खेल विधि से शिक्षण में नवीनता आती है तथा छात्र अधिगम हेतु प्रेरित होते हैं।

8️⃣ रूचि जागृत करके ➖
किसी विशेष वस्तु या पाठ के प्रति आकर्षण की भावना होना शिक्षक को विषय वस्तु में ऐसी योजनाओं को शामिल करना चाहिए जिससे बच्चे उसे पढ़ने में रुचि जागृत कर सके अपनी रूचि के अनुसार पढ़ सके।

9️⃣ आवश्यकता का ज्ञान कराना ➖ जो भी जरूरत है हमें उससे बच्चों को अवगत कराना चाहिए और उनकी आवश्यकता के अनुसार शिक्षण कार्य कराना चाहिए जिससे वे अपनी आवश्यकता के अनुसार ज्ञान प्राप्त कर सके।

🔟 कक्षा का वातावरण उचित बनाकर ➖
कक्षा का वातावरण और रचनात्मक होना चाहिए जिससे बच्चे उद्देश्य पूर्ण शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित होंगे बच्चों को ऐसा वातावरण प्रदान किया जाना चाहिए जिसमें वह अधिक रूचि ले सके और बेहतर सीख सके।

📝 Notes by ➖
✍️ Gudiya Chaudhary

🌺 अभिप्रेरणा की विधियां 🌺

अभिप्रेरणा द्वारा छात्रों के सीखने की क्रिया को तीव्र किया जाता है यह एक ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा छात्रों के अंदर एक ऐसी आंतरिक शक्ति उत्पन्न हो जाती है जिससे वह स्वत: सीखने के लिए तत्पर हो जाते हैं

👉🏼 प्रभावी अधिगम के लिए अभिप्रेरणा आवश्यक है
👉🏼 कक्षा में छात्र अभिप्रेरित नहीं होगा तो हम उसकी कल्पना नहीं कर सकते

👉🏼 छात्रों को अभिप्रेरित करने के लिए अलग-अलग प्रकार की विधियां है-:

1️⃣ पुरस्कार और दंड देकर➖ पुरस्कार एवं दंड आर्थिक हो या शारीरिक दोनों ही बालक को सीखने के लिए प्रेरित करता है
अच्छा कार्य करने पर पुरस्कार दिया जाता है और बुरे कार्य करने पर दंड दिया जाता है
पुरस्कार अच्छे कार्यों को करने के लिए प्रेरित करता है और दंड कार्य करने से रोकता है

👉🏼 पुरस्कार-:पुरस्कार में आदर सम्मान, प्रशंसा, छात्रों के छात्रवृत्ति देना ,सुविधा देना प्रमाण पत्र ,प्रगति पत्र, उपयोगी वस्तु सफलता , इत्यादि आते हैं

दंड-: बुरे कार्य करने से रोकना इसके अंतर्गत
सरल दंड-: डांटना , फटकारना, अवकाश के बाद रोकना, आर्थिक दंड, क्लास के बाहर खड़ा करवाना

👉🏼 नैतिक दंड-: अपमानित करना, क्षमा याचना करवाना, सुविधाओं से वंचित करना, अतिरिक्त कार्य देना, सामूहिक कार्य से वंचित करना

👉🏼 शारीरिक दंड-: डंडी से मारना, कान खींचना

2️⃣ प्रशंसा और निंदा करना➖ जैसे किसी इल्जाम में पास होने पर यदि कोई प्रशंसा करता है जिससे हम प्रेरित होते हैं और यदि इस एग्जाम में फेल हो जाने पर निंदा करना

3️⃣ सफलता और असफलता➖ सफलता और असफलता दोनों ही चीजों में मोटिवेशन मिलती है

4️⃣ प्रतियोगिता और सहयोग➖सीखने की प्रतियोगिता का प्रयोग अभिप्रेरणा के लिए बहुत ही प्रभावकारी रहा है इन प्रतियोगिताओं में मूलभूत आवश्यकता की पूर्ति होती है इससे सहयोगात्मक की भावना पैदा होती है

5️⃣ छात्र को प्रगति का ज्ञान करवाना➖ छात्र के प्रगति प्रगति का ज्ञान करने के लिए उसका मूल्यांकन किया जाता है

6️⃣ आकांक्षा का स्तर➖ उनकी इच्छाओं की पहचान की जाती है

7️⃣ नए पन का सगागम करना➖ नवीनता व्यक्ति में रुचि उत्पन्न करती है अतः शिक्षक प्रतिक्रियाओं में नवीनता का समावेश करना चाहिए

8️⃣ रुचि जागृत करना➖किसी विशेष वस्तु या पाठ के प्रति आकर्षण की भावना होना शिक्षक को विषय वस्तु में ऐसी योजनाएं को शामिल करना चाहिए जिससे बच्चों को पढ़ने में रुचि जागृत हो

9️⃣ आवश्यकता का ज्ञान कराना➖ जो भी जरूरत है हमें बच्चों को अवगत कराना चाहिए और उनकी आवश्यकताओं के अनुसार उन्हें शिक्षण करवाना चाहिए

🔟 कक्षा का वातावरण उचित बनाकर➖ कक्षा का वातावरण रचनात्मक होना चाहिए जिससे बच्चे उद्देश्य पूर्ण शिक्षा प्राप्त करने में उत्साहित रहे

🖊️🖊️📚📚 Notes by…… Sakshi Sharma📚📚🖊️🖊️

🏋️अभिप्रेरणा की विधियां🏋️
✨(मोटिवेशन के द्वारा किसी भी छात्र इंसान को मोटिवेट कर के आगे बढ़ाना)

👀प्रभावी अधिगम के लिए अभिप्रेरणा आवश्यक है कक्षा में छात्र अभिप्रेरित नहीं होंगे तो हम उनके अधिगम की कल्पना नहीं कर सकते

🔥अभिप्रेरणा प्रदान करने की कुछ महत्वपूर्ण प्रविधियो का वर्णन निम्नलिखित हैं÷

पुरुष्कार एवं दंड ÷पुरस्कार तथा दंड छात्रों को अभिप्रेरित करने की पुरानी प्रविधि है, अच्छा कार्य करने पर पुरस्कार, पूरे कार्य करने पर दंड दिया जाता है।
पुरस्कार सुखद एवं दंड दुखद अनुभव है।
पुरस्कार एक प्रत्यक्ष प्रेरणा है।
पुरस्कार अच्छे कार्य करने के लिए प्रेरित करता है या बुरे कार्य को करने से रोकता है,
स्टार प्राप्त करने के लिए छात्र उत्सुक रहते हैं वह अधिक से अधिक परिश्रम करने की कोशिश करते हैं जिससे उन्हें पुरस्कार प्राप्त हो पुरस्कार प्राप्त से आनंद एवं आत्मसम्मान का अनुभव होता है।
🌀उदाहरण÷कोई व्यक्ति बुरा कार्य करता है तो पहले उसे उस कार्य को छोड़ने के लिए प्रेरित करेंगे तत्पश्चात अच्छा कार्य करने के लिए अभिप्रेरित करेंगे,जो पहले से ही अच्छा कार्य कर रहा है उसे और अच्छा करने के लिए प्रेरित करेंगे..,
🌈जैसे ÷कोई बच्चा स्कूल नहीं आता है तो सबसे पहले उसके स्कूल ना आने का कारण पता करेंगे वह उसका निवारण करेंगे फिर उसको प्रेरित करके थोड़ा गृह कार्य देंगे धीरे-धीरे प्रेरित करेंगे परीक्षा में अच्छा अंक हासिल करने के लिए, किंतु वही रोजाना आने वाले बालक को प्रेरित करेंगे और अधिक अच्छा करने के लिए जिससे वह गृह कार्य के साथ-साथ आने वाली परीक्षा में भी और अधिक अच्छा प्रदर्शन कर सकें,

🎁#पुरस्कार#🎁
🌺आदर (मान सम्मान)
🌺प्रशंसा
🌺छात्रवृत्ति
🌺सुविधा
🗞️प्रमाण-पत्र
🗞️प्रगति पत्र
⚔️🛡️पदक(स्वर्ण, कांस्य ,रजत पदक)
🖊️🖍️उपयोगी वस्तु
📒भौतिक पुस्तकें
📝लेखन सामग्री
👑सफलता
🎯पदोन्नति

🔥 👨🏻‍🏫#दंड#

🌺 किसी गलत कार्य को करने से रोकने के लिए दंड दिया जाता है,
👀*डर-
😌सरल दंड (डांटना, फटकारना कुटाई)
💨*छोटी छोटी गलतियों के लिए दिया गया दंड।

🌺आर्थिक दंड🌺

🌺बालक द्वारा किसी अन्य बालक की पुस्तक को क्षति पहुंचाना व स्कूल की चीजों वस्तुओं आदि को तोड़फोड़ करने पर दिया गया दंड जिससे छात्र की गई गलती को दोबारा ना दोहराएं।

✨नैतिक दंड÷

🌺 अपमानित करना (बालक द्वारा गलत व अभद्रता पूर्ण व्यवहार करने पर )
क्षमा याचना करवाना (सारा गलत व्यवहार या अभद्रता पूर्ण व्यवहार करने पर आपस में एक दूसरे को गाली गलौज, मारपीट आदि करने पर क्षमा याचना करवाना

🌺सुविधाओं से वंचित करना
विद्यालय कक्षा से निष्कासित करना।
सामूहिक कार्य से वंचित करना।
किसी विशेष कार्य योजना में भाग न लेने देना शिवा विद्यालय में हो रही गतिविधियों से बाहर रखना।

⚔️🔥शारीरिक दंड÷

👀शारीरिक दंड में छात्रों को मुर्गा बनवाना

👀स्टिक से पिटाई करना

👀हाथों की उंगलियों के बीच पेंसिल या पेन रखकर उंगलियों को दबाना,

🔥प्रशंसा और निंदा

🌺प्रशंसा के द्वारा भी बालकों को अभिप्रेरित किया जा सकता है , परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने पर प्रशंसा करना वह फेल होने पर निंदा करना,

🌺प्रशंसा उचित समय पर उचित तरीके से किया जाना चाहिए क्योंकि अधिक प्रशंसा से बालकों में जरूरत से ज्यादा उत्तेजना (अहंकार)की भावना आ जाती है जिससे उन में भेदभाव की भावना जाती है वहीं पर अधिक निंदा करने से कुंठा की भावना आ जाती है जिससे भेदभाव की भावना के साथ साथ दुर्भावना भी आ जाती है।

🔥सफलता असफलता

🌺सफलता बालकों में आत्मविश्वास की भावना को बढ़ाती है जिससे वे आगे और अच्छा करने की कोशिश करते हैं,

🌈जैसे÷किसी बालक के उसकी कक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने पर अगली कक्षा में और अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए अधिक परिश्रम करना,
वही कभी-कभी असफलता भी प्रेरणा का कारण कारण बन जाती है और अपनी असफलता को चुनौती के रूप में स्वीकार करते हैं और अंत में सफलता प्राप्त करते है,
(असफलता सफलता की चाबी है) failure is the key of success

🙏✍️✍️Notes by ÷ $hikhar pandey✍️✍️

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🌸 अभिप्रेरणा की विधियां🌸

▫️ अधिगम को प्रभावी बनाने के लिए अभिप्रेरणा आवश्यक है कक्षा में छात्र अभिप्रेरित नहीं होंगे तो हम अधिगम की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं।

1️⃣ पुरस्कार और दंड देकर:- बालक के अच्छा कार्य करने पर हम उसको पुरस्कार देते हैं तथा बुरे कार्य करने पर उस को दंड दिया जाता है।

▫️ पुरस्कार :-अच्छे कार्य करने के लिए प्रेरित करता है।
बालकों के अच्छा कार्य करने पर हम उनको आदर /सम्मान, प्रशंसा छात्रवृत्ति, सुविधा प्रमाण पत्र ,प्रगति पत्र, पदक ,उपयोगी वस्तु, उपयोगी सफलता आदि से पुरस्कृत करके उनको अभिप्रेरित करते हैं।

▫️ दंड:- बुरे कार्य करने से रोकता है।

👉सरल दंड:- इसके अंतर्गत बालकों को डांटना ,फटकारना, अवकाश के बाद रोकना ,आर्थिक दंड देना आदि आता है।
👉नैतिक दंड:- इसके अंतर्गत बालकों को गलत कार्य करने पर अपमानित करना, क्षमा याचना करवाना ,सुविधाओं से वंचित रखना, अतिरिक्त कार्य देना, सामूहिक कार्य से वंचित करना आदि आते हैं।

▫️ शारीरिक दंड:- इसके अंतर्गत बालकों को शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है जैसे डंडा से मारना, मुर्गा बनाना ,ऊठक बैठक कराना।

2️⃣ प्रशंसा और निंदा करना:- जब हम कोई अच्छा कार्य करते हैं तो लोग हमारी प्रशंसा करते हैं और जब हम कोई गलत कार्य करते हैं तो हमें निंदा का सामना करना पड़ता है।
जैसे जब बालक परीक्षा में पास हो जाता है सब लोग उसकी प्रशंसा करते हैं जिससे वह प्रेरित होते हैं और यदि परीक्षा में फेल हो जाए तब सब उसकी निंदा करते हैं जिससे वो हतोत्साहित हो जाता है।

3️⃣ सफलता और असफलता:- जब बालक को सफलता मिलती है तो उसकी प्रशंसा होती है और जब बालक को असफलता मिलने पर बालक उस कार्य को दोबारा पूरी पूरा करने के लिए प्रेरित होता है वह उस कार्य को तब तक करता है जब तक उसे सफलता नहीं मिल जाती इसीलिए असफलता भी बालक को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है।

4️⃣ प्रतियोगिता और सहयोग
5️⃣ छात्रों को प्रगति का ज्ञान कराकर
6️⃣ आकांक्षा का स्तर
7️⃣ रुचि जागृत करके बालकों को अभी प्रेरित किया जा सकता है।
8️⃣नयेपन का समागम कराकर बालकों में रुचि उत्पन्न कराई जा सकती है जिससे बालक के अधिगम के लिए प्रेरित किया जा सकता है।

9️⃣ आवश्यकता का ज्ञान कराकर
🔟 कक्षा का वातावरण उचित बनाकर जिससे बालक अधिगम के लिए प्रेरित हो सकें।

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✍🏻NOTES BY
SHASHI CHOUDHARY

🙏🙏🙏🙏🙏

🌼अभिप्रेरणा की विधियां🌼🌼

प्रभावी अधिगम के लिए अभिप्रेरणा आवश्यक है कक्षा में छात्र प्रेरित नहीं होंगे तो हम अधिगम की कल्पना नहीं कर सकते!!

🌼1-पुरस्कार और दंड — पुरस्कार और दंड देकर अच्छा कार्य करने पर पुरस्कार और बुरे कार्य करने पर दंड दिया जाता है! !
पुरस्कार अच्छे कार्य को करने के लिए प्रेरित करता है और दंड बुरे कार्य को करने पर रोकता है
🌼🌼पुरस्कार 🌼🌼—
🌼आदर
🌼प्रशंसा
🌼 सम्मान
🌼 छात्रवृत्ति
🌼सुविधा
🌼 प्रमाण पत्र
🌼प्रगति पत्र
🌼पदक
🌼उपयोगी वस्तु
🌼सफलता
🌼🌼दंड 🌼🌼–
🌼सरल
🌼फटकारना /डांटना
🌼अवकाश के बाद रुकना
🌼आर्थिक दंड
🌼🌼नैतिक दंड 🌼🌼–
🌼अपमानित करना
🌼क्षमा याचना करवाना
🌼सुविधाओं से वंचित रखना
🌼अतिरिक्त कार्य देना
🌼सामुदायिक कार्य से वंचित करना
🌼🌼शारीरिक दंड 🌼🌼–
🌼डंडे से मारना
🌼कान खींचना
🌼 हाथ मरोड़ना
🌼 चोटिया काटना

🌼🌼2.-प्रशंसा और निंदा करना 🌼🌼–जब कोई आप अच्छा कार्य करते हैं तो लोग आपकी प्रशंसा करते हैं और उससे हम प्रेरित होते हैं जब आप कोई बुरा कार्य करते हैं तो लोग आपकी निंदा करते हैं

🌼🌼🌼3-सफलता और असफलता🌼🌼– सफलता और असफलता दोनों से ही हम मोटिवेट होते हैं यदि सफल होते हैं तो हम आगे बढ़ने के लिए मोटिवेट होते हैं और हम असफल होते हैं तो हम उससे कुछ ना कुछ सीख लेते हैं

🌼🌼🌼4– प्रतियोगिता और सहयोगसहयोग—
जब हम किसी कार्य को सीखने की प्रतियोगिता का प्रयोग अभिप्रेरणा के रूप में अत्यंत लाभकारी रहा है इन प्रतियोगिताओं में मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति हो जाती है इससे सहयोग की भावना उत्पन्न होती है

🌼5- छात्र को प्रगति का ज्ञान करवाना🌼 छात्रों की प्रगति का ज्ञान करने के लिए उनका मूल्यांकन किया जाता है जिससे उनकी प्रगति का पता लगाया जा सके!!

🌼🌼🌼6.आकांक्षा का स्तर🌼🌼
इससे बच्चों की इच्छाओं की पहचान की जाती है

🌼🌼7..नये पन का समावेशन करना 🌼🌼नई नई चीजों से बच्चों में रुचि उत्पन्न होती है तथा शिक्षक की प्रतिक्रियाओं में नवीन समावेशन करना चाहिए

🌼🌼8..रुचि जागृत करना🌼🌼
किसी विशेष वस्तु या पाठ मे कुछ ऐसी चीजों का प्रयोग करना या शामिल करना चाहिए जिससे उनकी रुचि जागृत हो ,,

🌼🌼9-आवश्यकता का ज्ञान कराना 🌼🌼जिस चीज की आवश्यकता हो उससे बच्चों को अवगत कराना और उनकी आवश्यकता अनुसार ही शिक्षण कराना चाहिए,.

🌼🌼10. – कक्षा का वातावरण उचित बनाकर 🌼🌼
कक्षा का वातावरण रचनात्मक सृजनात्मक होना चाहिए जिससे बच्चे उद्देश्य पूर्ण शिक्षा प्राप्त कर सके और उत्साहित रहे मोटिवेट रहे
🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼

Notes by manjari soni🌼

🌹 अभिप्रेरणा की विधियां 🌹

प्रभावी अधिगम के लिए अभिप्रेरणा आवश्यक है।

कक्षा में छात्र अभिप्रेरित नहीं होंगे तो हम अधिगम की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं।
अतः बच्चों को कुछ भी सिखाने के पहले हमें बच्चों को अभिप्रेरित करके उनमें रुचि जगानी होगी।

1.🌹पुरस्कार और दंड देकर :-

अच्छा कार्य करने पर पुरस्कार और बुरे कार्य करने पर दंड दिया जाता है।

🌲 पुरस्कार 🌲

पुरस्कारअच्छे कार्य करने के लिए प्रेरित करता है।जैसे :-

👉आदर / सम्मान
बच्चों को आदर , सम्मान द्वारा पुरस्कृत करके भी प्रेरित किया जाता है।

👉प्रशंसा
बच्चों की प्रशंसा करके भी प्रेरित किया जाता है।

👉छात्रवृत्ति
बच्चे छात्रवृत्ति से भी प्रेरित होते हैं।

👉सुविधा
किसी बच्चे को विधालय, कक्षा में उसके अनुसार सुविधा देकर भी अन्य बच्चों को प्रेरित किया जाता है।

👉प्रमाण पत्र
बच्चे प्रमाण पत्र पाकर भी अभिप्रेरित होते हैं।

👉प्रगति पत्र
किसी बच्चे को उनकी उन्नति/ प्रगति पत्र देते हैं तो भी अन्य बच्चों को प्रेरणा मिलती है, फिर अन्य बच्चे भी शैक्षिक क्षेत्र में और मेहनत करने लगते हैं।

👉पदक
किसी बच्चे को कोई पदक मिलने पर भी बच्चे प्रेरित होते हैं।

👉उपयोगी वस्तु
बच्चों को पुरस्कार के तौर पर उपयोगी वस्तुएं भी देने से उनमें प्रेरणा जाग्रत होती है।

👉सफलता
सफलता भी एक पुरस्कार है, जिसे पाकर बच्चे और भी प्रेरित होते हैं।

👉बोर्ड पर नाम लिखना
उत्तीर्ण, विजेता बच्चों का श्यामपट्ट पर नाम लिखना भी एक पुरस्कार है।
अतः इन सभी पुरस्कारों से भी बच्चे अभिप्रेरित होते हैं।

🌲 दंड 🌲

दण्ड बुरे कार्य करने से रोकता है।

अतः दण्ड में निम्नलिखित दो प्रकार के दण्डों का वर्णन किया गया है , जैसे :-

1. 🌷🌷 सरल दण्ड :-

सरल दण्ड में बच्चों को शारीरिक रूप से दंडित नहीं किया जाता है , अर्थात सरल दण्ड दिया जाता है जैसे :-

डांटना
फटकारना
अवकाश के बाद रोकना
आर्थिक दंड ।

2. 🌷🌷 नैतिक दण्ड :-

नैतिक दण्ड में निम्न प्रकार के दण्डों को शामिल किया गया है , जैसे :-

अपमानित करना
क्षमा याचना करवाना
सुविधाओं से वंचित रखना , ( कक्षा विद्यालय से निष्कासित करना )
अतिरिक्त कार्य देना
सामूहिक कार्यों से वंचित करना।

1. 🌺 शारीरिक दण्ड :-

बच्चों को छड़ी से पीटना
कक्षा से बाहर हाथ ऊपर करवाये रहना
मुर्गा बनाना

शारीरिक दण्ड में बच्चों को शारीरिक रूप से दंडित किया जाता है।

2. 🌺 प्रशंसा और निंदा करना :-

प्रशंसा – उचित समय, उचित प्रकार, उचित शब्दावली के साथ की जाए बो प्रशंसा है। जैसे शिक्षक कभी कुछ छात्रों की प्रशंसा करते हैं कि बच्चों अपने बहुत अच्छी पढाई की, बहुत अच्छा शैक्षिक प्रदर्शन किया,आदि

निंदा – कभी – कभी शिक्षक कुछ छात्रों के बारे में कक्षा में निंदनीय बात करते हैं, कि तुम पढ़ते नहीं हो, तुम नहीं पढ़ पाओगे , तुम विद्यालय आना बंद करदो, आदि

3.🌺 सफलता और असफलता :-

बच्चों को सफलता और असफलता का बोध करवा कर भी उनको अभिप्रेरित किया जाता है।

4. 🌺 प्रतियोगिता और सहयोग :-

शिक्षक को बच्चों में स्वस्थ और सकारात्मक प्रतियोगिता और अपने सहपाठियों और आस पास के लोगों के लिए सहयोग की भावना विकसित करनी चाहिए।

5.🌺 छात्र को प्रगति का ज्ञान करवा कर :-

छात्रों में उनके द्वारा किये गए कार्यों के आधार पर छात्रों को उनकी प्रगति के बारे में भी बताना चाहिए।

6. 🌺 आकांक्षा का स्तर :-

छात्रों में उनकी आकांक्षा, को बढ़ा कर उन्हें अभिप्रेरित करना चाहिए।

7. 🌺 नयेपन का समागम करवा कर :-

शिक्षक को बच्चों में नयापन (updated) रखना चाहिए, ताकि बच्चे जल्दी और कुछ नया सीखते रहें।

8. 🌺 रुचि जागृत करवाकर :-

शिक्षकों को छात्रों के अनुसार ऐसी अभिप्रेरणा और शैक्षणिक व्यवस्था करनी चाहिए जिनसे छात्रों की रुचि जागृत हो सके।

9. 🌺 आवश्यकता का ज्ञान करवा कर :-

छात्रों को इस प्रकार से अभिप्रेरित करना चाहिए ताकि उन्हें अपनी आवश्यकताओं के ज्ञान हो सके।

10.🌺 कक्षा का वातावरण उचित बनाकर :-

शिक्षकों को कक्षा का वातावरण सरल, स्वच्छ , मनोरंजक , रचनात्मक और सकारात्मक बनाना चाहिए ताकि बच्चे अभिप्रेरित होकर अपने शैक्षिक कार्य करें।

🌺🌺✒️✒️ Notes by -. जूही श्रीवास्तव ✒️✒️🌺🌺

*अभिप्रेरणा की विधियां*

प्रभावी अधिगम के लिए अभिप्रेरणा आवश्यक है कक्षा में छात्र अगर अभिप्रेरित नहीं होते तो हम अधिगम की कल्पना नहीं कर सकते हैं। अध्यापक विद्यार्थियों को सीखने तथा अभिप्रेरित करने के लिए निम्नलिखित विधियों का प्रयोग कर सकते हैं-

(1) *पुरस्कार और दण्ड*

शिक्षक को चाहिए कि छात्रों को उनके अच्छे कार्यों पर पुरस्कार और बुरे कार्यों पर दंड दे।

*पुरस्कार*- अच्छा कोई बच्चा दिए गए कार्य को सही ढंग से करता है तो उसको पुरस्कार देना चाहिए। जैसे बच्चे को आदर सम्मान देना उनकी प्रशंसा – आदर सम्मान करना, उनको छात्रवृत्ति देना, उनको कुछ शैक्षिक सुविधा प्रदान करना ,प्रमाण पत्र देना, प्रगति पदक ,उपयोगी वस्तु, उनकी सफलता पर पदोन्नति करना इत्यादि।

*दण्ड* बच्चे ने जब कोई गलत कार्य किया हो तो उस गलत कार्य को करने से रोकने के लिए बच्चे को दंड देना आवश्यक होता है।

*सरल दण्ड* बच्चे की छोटी मोटी गलतियों पर उनको डांटना फटकारना, अवकाश के बाद अतिरिक्त समय के लिए रोक लेना, आर्थिक दंड इत्यादि।

*नैतिक दण्ड* इसमें बच्चों को उनकी की गई गलतियों के लिए अपमानित करना, क्षमा मंगवाना, सुविधाओं से वंचित करना ,अतिरिक्त कार्य देना, सामूहिक कार्यों से वंचित करना इत्यादि।

*शारिरिक दण्ड* इसमें बच्चों को शारीरिक रूप से दंड दिया जाता है जैसे कान मरोड़ना, हाथ ऊपर करके खड़ा करवाना, मुर्गा बनाना आदि।

(2) *प्रशंसा व निंदा करना*

*प्रशंसा* विद्यार्थियों में अभिप्रेरित करने में प्रशंसा अधिक प्रभावशाली होती है। इसलिए शिक्षक को चाहिए कि उचित अवसर पर बच्चे की प्रशंसा करते रहें।

*निंदा* बच्चे के गलत कार्यों पर उनकी निंदा की जानी चाहिए। जैसे बच्चे ने अपना ग्रह कार्य नहीं किया तो उसकी निंदा की जाती है कि बाकी बच्चों ने कार्य को कर लिया और तुमने क्यों नहीं किया।

(3) *सफलता व असफलता* बच्चे कई बार अपने सफलता बहुत सफलता से भी अभिप्रेरित होते हैं। बच्चा जब अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेता है तब वह दूसरे लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अब प्रेरित होता है। और कई बार जब बच्चा और सफल होता है तो असफलता के कारण भी अभिप्रेरित होता है । असफल होने का डर उनको अभिप्रेरित करता है।

( 4 ) *प्रतियोगिता और सहयोग* आपस में विद्यार्थी प्रतियोगिता करते हैं जैसे – कला प्रतियोगिता , खेलकूद, नाटक , नृत्य, गीत,आदि। किसी शिक्षक या छात्र को मदद की आवश्यकता हो तो बच्चे सहयोग की भावना भी रखें।

(5) *आवश्कता का ज्ञान कराकर*

शिक्षक को चाहिए कि छात्रों को उनकी आवश्यकता ओं का ज्ञान करवा करके उनको अभिप्रेरित करें।
(6) *छात्र की प्रगति का ज्ञान कराकर*
बच्चे ने कितनी प्रगति की है इस बात का ज्ञान कराकर के शिक्षक छात्रों को अभिप्रेरित कर सकते हैं।जिससे छात्रों को भी पता चलता है कि उन्होंने कितना सीख लिया है अभी और कितना सीखना बाकी है।

(7) *आकांक्षा का स्तर* बच्चों की आकांक्षाओं का स्तर जानकर उस विषय का ज्ञान प्राप्त करने के लिए अभिप्रेरित करना चाहिए।

(8) *नएपन का समागम करा कर* जब किसी बच्चे के सामने कोई नई वस्तु या नए तरीके से उनको कुछ सिखाया जाता है तब वह उस विषय में अधिक रूचि लेते हैं और सीखने के लिए मोटिवेट होते हैं।

(9) *विषय के प्रति रुचि जागृत करके* शिक्षक को चाहिए कि बच्चों को सरल, रोचक, और उनकी क्षमता के अनुसार शिक्षा दें।

(10) *कक्षा कक्ष का वातावरण उचित बनाकर* कक्षा कक्ष का वातावरण कैसा है यह बहुत मायने रखता है इसलिए शिक्षक को चाहिए कि कक्षा कक्ष का वातावरण शांत और शुद्ध हो और बच्चों का एक दूसरे के साथ अच्छा व्यवहार हो।

*Notes by Shreya Rai*😎😎

अभिप्रेरणा की विधियां

प्रभावी अधिगम के लिए अभिप्रेरणा आवश्यक है यदि कक्षा में छात्र अभिप्रेरित नहीं होंगे तो हम उन के अधिगम की कल्पना नहीं कर सकते हैं

बालकों को निम्न प्रकार अभिप्रेरित किया जा सकता है

1. पुरस्कार और दंड- सही समय और सही स्थान पर पुरस्कार और दंड देने से बालक अभी प्रेरित होते हैं

अच्छा कार्य करने पर पुरस्कार और बुरा कार्य करने पर दंड दिया जाता है
पुरस्कार बालकों को अच्छे कार्य करने के लिए प्रेरित करता है जबकि दंड बालकों को बुरे कार्य करने से रोकता है या बुरे कार्य करने से बचाता है या बुरे कार्य करने से दूर भगाता है दंड केवल अपराधी को ही बुरा कार्य करने से नहीं रोकता है बल्कि जो अपराधी को देख रहे हैं उनको भी बुरा कार्य करने से रोकता है

पुरस्कार- आदर और सम्मान के रूप में
प्रशंसा के रूप में
छात्रवृत्ति और सुविधा के रूप में
प्रमाण पत्र और प्रगति पत्र के रूप में
पदक और कोई उपयोगी वस्तु के रूप में
तथा सफलता के रूप में दिया जा सकता है
सफलता एक सबसे बड़ा पुरस्कार हैं

दंड- दंड अनेक प्रकार से दिए जा सकते हैं

सरल दंड- इस दंड में बालक को शारीरिक रूप से कोई कष्ट नहीं दिया जाता है इसमें बालक को डांटा, फटकारा जाता है यदि बालक विद्यालय में अवकाश करता है तो उससे अवकाश करने के बारे में कारणों को जाना जाता है और कक्षा में बैठने से रोका जा सकता है या कोई छोटा-सा आर्थिक दंड लिया जा सकता है।

नैतिक दंड- इस दंड में बालक को अपमानित करते हैं ,
क्षमा याचना करवाते हैं
सुविधाओं से वंचित रखा जाता है
अतिरिक्त कार्य दे दिया जाता है
सामूहिक कार्य से वंचित किया जा सकता है

शारीरिक दंड- इस दंड में बालक को शारीरिक रूप से कष्ट दिया जाता है यातनाएं दी जाती हैं।

2. प्रशंसा और निंदा- उचित समय, उचित स्थान और उचित तरीके से बालकों की प्रशंसा करके भी अभिप्रेरित किया जा सकता है यदि बालक अच्छा कार्य करता है या किसी कार्य में सफलता प्राप्त करता है तो उसकी शिक्षक ,अभिभावक, मित्र, पड़ोसियों द्वारा प्रशंसा की जाती है जिससे बालक ऐसे कार्यों को करने के लिए प्रोत्साहित होते हैं

यदि बालक किसी कार्य को ठीक ढंग से नहीं कर पाता है या कार्य में सफलता नहीं प्राप्त कर पाता है तो उसे मित्र, पड़ोसियों या अन्य लोगों द्वारा निंदा की जाती है ।जिसको यदि बालक सकारात्मक रूप से ले तो वह दोबारा उस कार्य को करने के लिए प्रेरित होता है और उस कार्य में सफलता प्राप्त कर लेता है।

3. सफलता और असफलता- सफलता बालक को अभिप्रेरित करती हैं । यदि बालक किसी कार्य में सफल हो जाता है तो वह दूसरे कार्य को भी रुचि पूर्ण ढंग से अभिप्रेरित होकर करता है

यदि बालक किसी कार्य में असफल हो जाता है तो वह उस कार्य मे सफलता प्राप्त करने के लिए फिर से अभिप्रेरित होकर कार्य करता है।

4. प्रतियोगिता और सहयोग की भावना -शिक्षकों को बालकों में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा और सहयोग की भावना विकसित करनी चाहिए।

5. छात्र को प्रगति का ज्ञान करवाकर- यदि छात्र किसी कार्य को कर रहे हैं तो उनको उस कार्य की प्रगति के बारे में या परिणाम के बारे में बताने पर वह उस कार्य को करने के लिए और अधिक अभिप्रेरित होते हैं।

6. आकांक्षा का स्तर- हमारी आकांक्षाऐ हमें किसी कार्य को करने के लिए अभी प्रेरित करते हैं यदि हमारी आकांक्षा उच्च होंगी तो हम उस कार्य को करने के लिए अधिक प्रेरित होंगे और आकांक्षा निम्न होगी तो उस कार्य को करने के लिए हम कम प्रेरित होंगे।

7. नयेपन का समागम कराकर- बालक एक ही प्रकार के कार्य या शिक्षण विधि से सीखते सीखते ऊब या बोर हो जाते हैं और तनाव महसूस करने लग जाते हैं इसलिए शिक्षक को बालकों को अलग-अलग प्रकार की शिक्षण विधि, गतिविधियों, कार्यक्रमों का आयोजन करते रहना चाहिए।

8. रुचि उत्पन्न करके- जिस कार्य में हमारी रुचि अधिक होती है हम उस कार्य को बहुत आसानी से और अभी प्रेरित होकर करते हैं इसलिए शिक्षक को विषय वस्तु को रुचि पूर्ण तरीके से प्रस्तुत करके पढ़ाना चाहिए जिससे कि बालकों में विषय वस्तु के प्रति रुचि उत्पन्न हो।

9. आवश्यकता का ज्ञान कराकर- बालकों को उनकी आवश्यकताओं का ज्ञान कराकर भी अभिप्रेरित किया जा सकता है।

10. कक्षा का वातावरण उचित बनाकर- यदि कक्षा का वातावरण इस प्रकार हो जिसमें बालक अपनी अभिव्यक्ति को करने में समर्थ हो तो वह सीखने में अधिक अभिप्रेरित होते हैं।

Notes by Ravi kushwah
🌊अभिप्रेरणा की विधि🌈

🌻प्रभावी अधिगम के लिए अभिप्रेरणा आवश्यक है कक्षा में छात्रा अभिप्रेरित नहीं होंगे तो हम उनके अधिगम की कल्पना नहीं कर सकते हैं।

💫पुरस्कार और दंड देकर ~~

👉दोनों एक दूसरे के विरोधी है।

👉 अच्छा कार्य के लिए पुरस्कार और बुरे कार्य करने पर दंड दिया जाता है।
🍁पुरस्कार अच्छे कार्य को करने के लिए प्रेरित करते हैं ,और दंड बुरे कार्य को करने से रोकते हैं।

☀️पुरस्कार –
अच्छे काम को करने के लिए बच्चों को पुरस्कृत करते रहना चाहिए ताकि बचा मोटिवेटेड रहे और आगे भी उस कार्य को इंप्लीमेंट करते रहे। इनको हम निम्नलिखित विधि से पुरस्कृत करते हैं जैसे – आदर या सम्मान देकर, छात्रों की प्रशंसा करके, छात्रवृत्ति देकर, विशेष सुविधा देकर, प्रमाणपत्र,प्रगति पत्र, पदक, उपयोगी वस्तुएं, सफलता इत्यादि अनेक प्रकार से हम बच्चों को अभिप्रेरित कर सकते हैं।

🌻दंड ~~~
दंड अनेक प्रकार से दिए जा सकते हैं

🌊सरल दंड
इस दंड में बालक को शारीरिक रूप से कोई कष्ट नहीं दिया जाता है इसमें बालक को डांटा फटकारा जाता है।
विद्यालय में अवकाश होने के बाद भी बच्चों को रोक के रखना
अगर बच्चा को विद्यालय आने में लेट हो जाए तो बच्चों से आर्थिक दंड के रूप में पैसा लेना।

💫नैतिक दंड
इसमें बच्चों को अपमानित करना, क्षमा याचना करवाना, सुविधाओं से वंचित करना, अतिरिक्त कार्य देना,
सामूहिक कार्य से वंचित करना इत्यादि अनेक प्रकार के बच्चों को नैतिक दंड दिया जाता है।

🌾शारीरिक दंड🌈

💫प्रशंसा निंदा करना~~
प्रशंसा और निंदा करना बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि प्रशंसा उचित समय पर उचित ढंग से किया जाए तो बच्चों में अच्छे कार्य को करने के लिए अभिप्रेरणा आती है जब की निंदा करने से बच्चे डिमोटिवेट हो जाता है

🍂 सफलता और असफलता~~
कभी-कभी बच्चे सफलता और असफलता दोनों से मोटिवेट होते हैं जैसे कोई बच्चा को परीक्षा में उत्तीर्ण हो गया तो मोटिवेट होगा जबकि अनुत्तीर्ण छात्र भी उस परीक्षा को पास करने के लिए मोटिवेट होगा।

🌀🌴प्रतियोगिता और सहयोग

प्रतियोगिता और सहयोग दोनों से छात्र मोटिवेट होते हैं और एक दूसरे बच्चों को चेता की भावना रखते हैं बच्चा में प्रतियोगिता होते रहना चाहिए सहयोग की भावना होते रहना चाहिए एक दूसरे को मदद करते रहना चाहिए।

💫छात्रों को प्रगति का ज्ञान कराकर

अगर कोई बच्चा आधा क्वेश्चन का उत्तर दे दिया और थोड़ा सा बचा हुआ है उन बचे हुए क्वेश्चन को थोड़ा-थोड़ा करके उसको भी पूरा करें यह छात्रों के प्रगति का ज्ञान से बच्चे मोटिवेट होते हैं।

🌲आकांक्षा का स्तर
बच्चों में प्रगति का ज्ञान आकांक्षा इत्यादि से बच्चे मोटिवेट हो सकते हैं।

💐नयेपंन का समागम कराकर

नई तौर तरीके से नई क्रिएटिविटी से से बच्चे मोटिवेट होते हैं

🌺रुचि जागृत करके

कोई भी कार्य करने से रूचि होती है और उस कार्य को करने से मन लगता है और अभी प्रेरित भी होते हैं।
🥀आवश्यकता का ज्ञान कराकर

जो जरूरत है उसका आभास करा कर बच्चों को मोटिवेट किया जा सकता है

🌻☀️कक्षा का वातावरण उचित रूप बनाकर

कथा का वातावरण अच्छे होने से बच्चे मोटिवेट होते हैं और वह अच्छे से सीखने के लिए तत्पर रहते हैं।
🌿🌻🍂🌾🙏Notes by-SRIRAM PANJIYARA 🌈🌸💥🌺🙏

💠अभिप्रेरणा की विधियां💠

प्रभावी अधिगम के लिए अभिप्रेरणा आवश्यक है कक्षा में छात्र अभिप्रेरित नहीं होते तो अधिगम की कल्पना नहीं कर सकते

अब प्रेरित हम निम्न प्रकार से कर सकते हैं

1पुरस्कार और दंड देकर:- अच्छे कार्य करने पर पुरस्कार और बुरा कार्य करने पर दंड दिया जाता है पुरस्कार अच्छे कार्य के लिए प्रेरित करता है और दंड बुरे कार्य करने से रोकता है

पुरस्कार निम्न प्रकार से दे सकते हैं

aआदर सम्मान देकर
b बच्चों के प्रशंसा करके
c बच्चों को छात्रवृत्ति देखकर
d किसी प्रकार की सुविधा देकर
e प्रमाण पत्र देकर प्रगति पत्र देकर
fपदक देकर उपयोगी वस्तुएं देकर
gबोर्ड पर नाम लिखकर भी बच्चों को पुरस्कार दे सकते हैं एवं उन्हें अभिप्रेरित कर सकते हैं

दंड देकर बच्चों को प्रेरित करना
सरल दंड देना
डांटना फटकारना
अवकाश के बाद स्कूल में ही रोकना
आर्थिक दंड देना

नैतिक दंड देना
नैतिक दंड हम निम्न प्रकार से दे सकते हैं
बच्चों को अपमानित करके
बच्चों से क्षमा याचना करवाना
सुविधाओं से वंचित करना जैसे कि स्कूल में 2 क्लास लेने से वंचित कर देना
बच्चे को अतिरिक्त कार देना
सामूहिक कार्य से वंचित करना

अभी तक यहां पर बच्चे को बिना टच किए ही दंड दिया गया है
शारीरिक दंड

शारीरिक दंड में अनेक प्रकार के दंड आते हैं
जैसे बच्चों को छड़ी से मारना बच्चों को मुर्गा बनाना आदि
प्रशंसा और निंदा करना:- प्रशंसा होने का सही समय पर सही जगह पर हमें आगे बढ़ाता है

सफलता और असफलता:- किसी कार्य में सफलता और असफलता दोनों ही बच्चों को प्रेरित करता है यदि हमें सफलता मिल जाती है तो हम उससे खुशी मिल जाते हैं और हम उसमें और मोटिवेट हो जाते हैं और यदि असफलता मिलती है तो हम यह सोचते हैं कि मैं थोड़ी बहुत कमी रह गई है जो कमी है हमें उसे पूरा करना है तो इस प्रकार से हम उसमें मोटिवेट होते हैं

प्रतियोगिता और सहयोग:- बच्चों के बीच में प्रतियोगिताओं का आयोजन कराना चाहिए प्रतियोगिताओं से बच्चे मोटिवेट होते हैं बच्चे किसी को सहयोग करके भी मोटिवेट होते हैं

छात्र को प्रगति का ज्ञान कराकर:- हमें बच्चों में उनकी अच्छाइयों का ज्ञान कराना चाहिए उनमें किस प्रकार की क्रिएटिविटी है उस को बढ़ावा देना चाहिए बच्चों को उसके विषय में बता कर उसमें आगे बढ़ने के लिए उसे प्रेरित करना चाहिए

आकांक्षा का स्तर:- बच्चों की क्या इच्छाएं हैं उनको पूरा करने के लिए उन्हें मोटिवेट करना चाहिए

नयेपन का समागम :- बच्चों में कुछ नया करने की प्रेरणा देना चाहिए बच्चे कुछ नया करते हैं तो उन्हें अंदर से खुशी होती है और वह उस कार्य को जल्दी से जाते हैं

रुचि जागृत करना:- हमें बच्चों में किसी भी कार्य को करने के लिए उनमें रुचि जागृत करने चाहिए उसे उस कार्य के लिए प्रेरित करना चाहिए

आवश्यकता का ज्ञान कराकर:- बच्चों को उनकी आवश्यकताओं का ज्ञान कराना चाहिए किस चीज की कमी है उसे पूरा करने के लिए उनको प्रेरित करना चाहिए

कक्षा का वातावरण उचित बनाकर:- हमें कक्षा का वातावरण उचित बनाना चाहिए जिससे बच्चे अधिगम में किसी प्रकार की कोई बाधा महसूस ना करें उचित वातावरण में बच्चों को हम अच्छी शिक्षा दे सकते हैं एवं उन्हें किसी भी कार्य के लिए प्रयोग कर सकते हैं और बच्चे उस वातावरण में जल्दी सीख जाते हैं

💠💠💠💠sapnasahu💠💠💠💠💠💠

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