Environment on child development notes by India’s top learners

🌀🌀 वंशानुक्रम 🌀🌀 🌺🌺डगलस व हाॅलेड ➡️ एक व्यक्ति के वंशानुक्रम में वह सभी शारीरिक बनावट ,शारीरिक विशेषताएं ,क्रियाएं या क्षमताएं सम्मिलित रहती हैं जिसको वह अपने माता-पिता पूर्वजों या प्रजाति से प्राप्त करते हैं 🌀🌀 वंशानुक्रम का प्रभाव🌀 ➡️ वंश परंपरागत ➡️ अनुवांशिकता ➡️ वंशानुक्रम ➡️ पैतृक ता वंशानुक्रम का प्रभाव शरीर और मन दोनों पर पड़ता है विकास की प्रक्रिया का महत्वपूर्ण आधार वंशानुक्रम है 🌀 वंशानुक्रम🌀 ( heredity) वंशानुक्रम से माता-पिता या बच्चों में गुण आते हैं लेकिन जरूरी नहीं है कि दोष या विकार माता-पिता से ही वह बच्चों में आ जाए इसका कारण बेहतर प्रशिक्षण और पर्यावरण भी हो सकता है 🌀🌀 वातावरण 🌀🌀 (environment) वातावरण एक व्यापक शब्द है जिसके अंतर्गत सभी भौतिक और अभौतिक वस्तुएं शामिल है जिनका प्रभाव व्यक्ति विकास पर पड़ता है 🌀🌀 वुडवर्थ 🌀🌀 वातावरण में वह सभी बाहरी तत्व आ जाते हैं जिन्होंने व्यक्ति को जीवन आरंभ करने के समय से ही प्रभावित किया है 🌀🌀 एनास्टैसी 🌀🌀 वातावरण में हर वस्तु है जो व्यक्ति के जीवन के अलावा उसे प्रभावित करता है 🌺 वातावरण संबंधी कारक🌺 ➡️ भौगोलिक ➡️ सामाजिक ➡️ सांस्कृतिक वातावरण या पर्यावरण में वह सभी बाहरी तत्व या शामिल नहीं है जो मां के गर्भ द्वारा गर्भाधान के तुरंत बाद से ही व्यक्ति विशेष की वृद्धि विकास को प्रभावित करते हैं 🌀🌀 भौतिक सुविधाएं➡️ इसके अंतर्गत प्राकृतिक एवं भौगोलिक परिस्थितियां आती है इसके अंतर्गत भोजन, जल, वातावरण ,घर ,विद्यालय, गांव/ शहर का वातावरण आता है 🌀 सामाजिक सांस्कृतिक 🌀 व्यक्ति एक सामाजिक प्राणी है इसलिए उस पर समाज का प्रभाव अधिक दिखाई देता है सामाजिक व्यवस्था रहन-सहन, परंपराएं, धार्मिक कृत्य, रीति रिवाज, पारस्परिक अंत: क्रिया और संबंध आदि बहुत से तत्व हैं जो मनुष्य के शारीरिक मानसिक तथा भावनात्मक तथा बौद्धिक विकास को किसी न किसी ढंग से अवश्य प्रभावित करते हैं यह जो वातावरण संबंधी शक्तियां व्यक्ति की वृद्धि और विकास के सभी पहलुओं शारीरिक, मानसिक, संवेगात्मक, सामाजिक, नैतिक, सौंदर्य, उन सब पर पूरा प्रभाव डालती है 📚📚🖊️ Notes by…. Sakshi Sharma 📚📚🖊️ 📖 📖 वंशानुक्रम और वातावरण 📖 📖 👉🏻 वंशानुक्रम~ वंशानुक्रम का अर्थ है, कि ऐसे गुण जो हमें अपने परिवार माता-पिता एवं पूर्वजों से मिलते हैं, उन्हें वंशानुक्रम कहते हैं। 🌻 डगलस व हालैंड के अनुसार वंशानुक्रम की परिभाषा ~ एक व्यक्ति के वंशानुक्रम में देश तभी शारीरिक बनावट, शारीरिक विशेषताएं, क्रियाएं या क्षमताएं सम्मिलित होती हैं। जिनको वह अपने माता-पिता, पूर्वजों एवं प्रजाति से प्राप्त करता है। 📝 वंशानुक्रम के अन्य नाम या उन्हें इन नामों से भी जाना जा सकता है, जो कि निम्नलिखित है~ 👉🏻 वंश परंपरा, 👉🏻अनुवांशिकता, 👉🏻वंशानुक्रम, 👉🏻पैतृकता। 🌷🌿🌷 वंशानुक्रम का प्रभाव:- वंशानुक्रम बालक के एवं व्यक्ति के शरीर के साथ-साथ मन को भी प्रभावित करता है, शरीर व मन दोनों पर ही इसका प्रभाव पड़ता है। विकास की प्रक्रिया का महत्वपूर्ण आधार वंशानुक्रम होता है। बालक के विकास में प्रारंभिक महत्वपूर्ण योगदान उसके वंशानुक्रम का ही होता है। बालक को जन्म के समय जो भी गुण मिलते हैं, उसे उसके वंशानुक्रम से ही प्राप्त होते हैं। एवं बालक को वंशानुक्रम अत्यधिक प्रभावित करता है। 🌲🌷🌲 वंशानुक्रम से माता-पिता के बच्चे में गुण आते हैं। लेकिन जरूरी नहीं है, कि दोष एवं बेकार माता-पिता में है तो वही बच्चों में भी स्थानांतरित होते हैं, यह आवश्यक नहीं है। इसका कारण है, कि बालक को बेहतर एवं अच्छा प्रशिक्षण और पर्यावरण भी हो सकता है। अतः अच्छे प्रशिक्षण एवं शिक्षण के माध्यम से हम बालक को उसके माता-पिता से विपरीत बना भी सकते हैं। अतः यह आवश्यक नहीं है, कि माता-पिता में जो दोष एवं बेकार हो गए बालक में भी आए बालक अच्छे गुण भी सीख सकता है। जो कि उसे उसके बाहरी वातावरण के रूप में हम दे सकते हैं। 👉🏻 वातावरण~ वातावरण का अर्थ है, कि बालक के ऐसे गुण जो उसे उसके आसपास की चीजों या आसपास के पर्यावरण से प्राप्त होते हैं, वातावरण कहलाता है। 🌻 वुडवर्थ के अनुसार वातावरण की परिभाषा~ वातावरण में बस अभी तत्व आते हैं, जो बालक को अपना जीवन प्रारंभ करने के समय से ही प्रभावित करते हैं। 🌻एनास्टसी के अनुसार वातावरण की परिभाषा~ वातावरण वह वस्तु है, जो पैत्र्येको के अतिरिक्त प्रत्येक वस्तु को प्रभावित करती है। 🌺🌿🌺 बालक के बाहरी वातावरण अर्थात पर्यावरण को भौगोलिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक आदि कारक प्रभावित करते हैं। वातावरण या पर्यावरण में वह सभी बाहरी तत्व या शक्तियां निहित होती हैं, जो मां के द्वारा गर्भाधान के तुरंत बाद से ही व्यक्ति विशेष की वृद्धि व विकास को प्रभावित करते हैं। बालक के जन्म के बाद तो उसका वातावरण प्रभावित करता ही है, लेकिन बालक हो मां के गर्भ में भी उसका वातावरण प्रभावित करता है। मां के गर्भ के समय जब बालक गर्भ में रहता है। तो उसका वही वातावरण होता है, और वह वातावरण उसे प्रभावित भी करता है। 🍃🍂बालक के जन्म के पहले का वातावरण~ बालक के जन्म से पूर्व भी मां के गर्भ का वातावरण बालक को प्रभावित करता है। मां जो खाती है, मां जो सोचती है, मां जो करती है, एवं मां जो अनुभव करती है। वह सभी बालक को प्रभावित करता है, गर्भावस्था में ही। 🍂🍃 जन्म के पश्चात का बालक का वातावरण~ बालक के चारों ओर का वातावरण बालक को प्रभावित करता है। जब बालक जन्म लेता है। तो उसका वातावरण बदल जाता है। क्योंकि गर्भ में बालक का वातावरण अलग रहता है, और जन्म के पश्चात उसका वातावरण अलग रहता है। 🍁🌿🍁 भौतिक कारक जो बालक को प्रभावित करता है~ बालक के विकास को भौतिक कारक महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करता है, उसके अंतर्गत उसके बाहरी वातावरण के अंतर्गत भोजन, जल, जलवायु, घर, स्कूल, गांव/शहर इत्यादि सभी उसे प्रभावित करते हैं। 🍁🌿🍁 सामाजिक एवं सांस्कृतिक कारक भी बालक को प्रभावित करते हैं~ बालक के सांस्कृतिक एवं सामाजिक वातावरण के अंतर्गत बालक के माता-पिता, परिवार, पड़ोसी, मित्र, सहपाठी, अध्यापक, यातायात एवं धार्मिक सभी प्रभावित करते हैं। यह जो वातावरण संबंधी शक्तियां व्यक्ति की वृद्धि एवं विकास के सभी पहलुओं जैसे कि शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, संवेगात्मक, नैतिक एवं सौंदर्य इन सभी को प्रभावित करते हैं। 📚📚 📘 समाप्त 📘📚📚 ✍🏻 PRIYANKA AHIRWAR ✍🏻 🌷🌸🌷 *वृद्धि और विकास पर वंशानुक्रम और वातावरण का प्रभाव*🌷🌸🌷 शिशु के वृद्धि और विकास में वंशानुक्रम और वातावरण का बहुत प्रभाव पड़ता है तथा वंशानुक्रम और वातावरण का संबंध योगात्मक न होकर बल्कि गुणात्मक होता है अतः हम यह भी कर सकते हैं कि किसी एक के बिना इनका अस्तित्व संभव नहीं है। 🍃🌸🍃 *वंशानुक्रम/अनुवांशिकता (Heredity):-* किसी भी व्यक्ति में उसके माता–पिता या पूर्वजों से जो गुण उनमें हस्तांतरित होते हैं, उसे वंशानुक्रम/अनुवांशिकता कहते है। 🌷🌸🌷 *डगलस व हालेंड के अनुसार:-* “एक व्यक्ति के वंशानुक्रम में वे सभी शारीरिक बनावट ,शारीरिक विशेषताएं, क्रियाएं या क्षमताएं सम्मिलित रहती है जिसको वह अपने माता– पिता , पूर्वजों या प्रजाति से प्राप्त करता है।” 🌷🌸🌷 *वंशानुक्रम का प्रभाव:-* विकास की प्रक्रिया का महत्वपूर्ण आधार वंशानुक्रम है, जिसका प्रभाव व्यक्ति के शरीर और मन पर पड़ता है ,क्योंकि उसका आधार वंशानुक्रम ही है। 🌸 *पैतृकता* 🌸 *वंशानुक्रम* 🌸 *वंशपरम्परा* 🌸 *अनुवांशिकता* वंशानुक्रम से माता–पिता से बच्चों में जो गुण आते हैं ,लेकिन जरूरी नहीं है कि , जो कोई गुण, दोष या विकार उनमें है वह बच्चों में स्थानांतरित हो ही जाए, इसका कारण बेहतर प्रशिक्षण और पर्यावरण भी हो सकता है जिससे बच्चे में सुधार किया जा सकता है। 🍃🌸🍃 *वातावरण/पर्यावरण( Environment):-* वातावरण व्यक्ति के जीवन और व्यवहार (स्वभाव ,आदत ,) दोनों को ही प्रभावित करता है। तथा कई विद्वानों ने वातावरण के विषय में कई परिभाषाएं दी है– 🌷🌸🌷 *वुडवर्थ के अनुसार:-* “वातावरण में वे सभी बाहरी तत्व आ जाते हैं, जिन्होंने व्यक्ति के जीवन आरंभ करने के समय से प्रभावित करते हैं।” 🌷🌸🌷 *एनास्टकी के अनुसार:-* “वातावरण वह हर वस्तु है जो व्यक्ति के जींस के अतिरिक्त प्रत्येक वस्तु से प्रभावित करती है।” 🌷🌸🌷 *श्री दीपक हिमांशु सर जी के अनुसार:-* “वातावरण या पर्यावरण में वह सभी बाहरी तत्व या शक्ति निहित है, जो मां के द्वारा गर्भधान के तुरंत बाद से ही व्यक्ति विशेष की वृद्धि विकास को प्रभावित करती है”। 🌷🌷🌷 वातावरण को दो भागों में बांट गया है– 🌸 *१.जन्म के पहले वातावरण* 🌸 *२. जन्म के बाद वातावरण* 🍃🌸🍃 *जन्म के पहले वातावरण:-* जन्म से पहल शिशु का वातावरण मां के गर्भ में होता है।जैसे :-मां जो खाती है, सोचती है, करती है तथा जो अनुभव करती है उन सभी चीजों का प्रभाव शिशु पर पड़ता है। 🍃🌸🍃 *जन्म के बाद वातावरण:-* जब शिशु का जन्म होता है, तो चारों ओर से वातावरण की शक्तियां शिशु को प्रभावित करती है । इस को दो भागों में बांटा गया है– 🌸 *भौतिक सुविधाएं* 🌸 *सामाजिक सुविधाएं* 🌷🌸🌷 *भौतिक सुविधाएं:-* भौतिक सुविधाओं के अंतर्गत ऐसी आवश्यकताएं जो चीजें से पूरी होती है , भौतिक सुविधाओं के वातावरण के अंतर्गत आती है। जैसे:-भोजन, पानी, जलवायु, घर, गांव, विद्यालय, शहर का वातावरण तथा रोटी, कपड़ा और मकान इत्यादि चीजें। 🌷🌸🌷 *सामाजिक/ सांस्कृतिक सुविधाएं:-* सामाजिक सुविधाओं के अंतर्गत माता–पिता ,परिवार, पास–पड़ोस, मित्र–सहपाठी, रिश्तेदार, अध्यापक, मनोरंजन, धार्मिक तथा यातायात यह सभी सामाजिक सांस्कृतिक सुविधाओं में शामिल है। अतः यह कहा जा सकता है कि, यह जो वातावरण संबंधित सभी शक्तियां है, यह किसी बालक या व्यक्ति की वृद्धि और विकास में सभी पहलुओं शारीरिक, मानसिक , संवेगात्मक, नैतिक तथा सौंदर्य इन सब पर पूर्ण प्रभाव डालती है। ✍🏻 *Notes by–Pooja* 🙏🌻🌷🌿🌺🙏🌻🌷🌿🌺🙏🌻🌷 🌿🌺🙏🌻🌷🌿 📚 *वंशानुक्रम और वातावरण* 📚 📚 *Heredity & environment 📚* 🌳 *वंशानुक्रम :-* 🌸 यो गुण हमें हमारे माता-पिता अभिभावक तथा पूर्वजों से स्थानांतरित होते हैं उन्हें वंशानुक्रम कहा जाता है। 🦚 *डग्लस व हालैंड के अनुसार :-* 🌸 एक व्यक्ति की वंशानुक्रम में वह सभी शारीरिक बनावट,शारीरिक विशेषताएं,क्रियाएं या क्षमताएं सम्मिलित होती है जिन्हें वह अपने माता-पिता व पूर्वजों से प्राप्त करता है। 🍁 वंशानुक्रम को अन्य नामों से भी जाना जाता है जो कि निम्नलिखित हैं :- 🌿 वंश – परंपरा 🌿अनुवांशिकता 🌿वंशानुक्रम 🌿पैतृकता 🌳 *वंशानुक्रम का प्रभाव :-* 🌟 वंशानुक्रम व्यक्ति के शारीरिक,सामाजिक एवं मानसिक प्रक्रियाओं को भी प्रभावित करता है। वंशानुक्रम का व्यक्ति के हर एक पक्ष पर असर पड़ता है। 🌟 वंशानुक्रम किसी भी व्यक्ति के विकास में एक अत्यंत महत्वपूर्ण घटक है। बालक के विकास में सर्वप्रथम योगदान वंशानुक्रम का ही होता है। जन्म के समय जो भी गुण बालक को प्राप्त होते हैं वे वंशानुक्रम से ही होते हैं।अतः किसी भी प्राणी विशेष के लिए वंशानुक्रम अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। 🌟 जैसा कि हम जानते हैं वंशानुक्रम किसी भी व्यक्ति को बहुत ही अधिक प्रभावित करता है जो कि उनके माता-पिता और पूर्वजों से प्राप्त होता है लेकिन ऐसा नहीं होता कि जो गुण या दोष माता-पिता या पूर्वजों में है वह उनके वंशानुक्रम के कारण उनके आगे की वंश में होना ही चाहिए तथा इसके विपरीत गुण भी पाए जा सकते हैं। 🌟अतः हम बच्चे को अच्छी शिक्षा प्रशिक्षण माहौल द्वारा हम उन्हें उनके माता-पिता से विपरीत बना सकते हैं। जो कामयाबी उनके माता-पिता हासिल नहीं कर हम अपने बाहरी परिवेश द्वारा वह बच्चों में ला सकते हैं। 🌳 *वातावरण :-* 🌸 वातावरण वह बाहरी शक्ति है जो हमें शारीरिक,मानसिक,सामाजिक एवं अन्य प्रकार से प्रभावित करती है। वातावरण से तात्पर्य हमारी आस-पड़ोस, पेड़ – पौधे तथा जीवन के वास्तविक परिस्थितियों से है। 🦚 *वुडवर्थ के अनुसार :-* 🌸 वातावरण में वह सभी तत्व आते हैं जो बालक को अपना जीवन प्रारंभ करने के समय से ही प्रभावित करते हैं। 🦚 *एनास्टास्की के अनुसार :-* 🌸 वातावरण वह हर वस्तु है जो व्यक्ति के जींस के अतिरिक्त प्रत्येक वस्तु को प्रभावित करती है। 🌳 वातावरण को दो भागों में विभाजित किया गया है :- 🌿जन्म से पहले वातावरण 🌿जन्म से बाद वातावरण 🌿 *जन्म से पहले वातावरण :-* 🌸जन्म से पहले का वातावरण शिशु के लिए माँ के गर्भ में होता है। जिसे जन्म से पहले का वातावरण कहा जाता है। 🍁 जैसे कि :- 🌷 माँ कुछ भी सोचती है। 🌷 खाती है। 🌷 देखती है। 🌷 अनुभव करती है। 👌इन सब का प्रभाव शिशु पर पड़ता है। 🌷🌷 इसीलिए कहा जाता है कि शिशु के जन्म से पहले माता को एक सकारात्मक और शुद्ध वातावरण में रखना तथा उनकी सक्रिय रूप से सामाजिक सांस्कृतिक व्यवस्थाओं की सुदृढ़ता का उचित रूप से ध्यान रखना चाहिए🌷🌷 🌿 *जन्म के बाद वातावरण :-* 🌸 जब बालक जन्म लेता है उसके बाद उसके बाहर की आस पड़ोस की वातावरण तथा शक्तियां उसे प्रभावित करती है। जिसे जन्म के बाद का वातावरण कहा जाता है। 🍁 इसे भी दो भागों में विभाजित किया गया है : 🌿 भौतिक सुविधाएं 🌿 सामाजिक सुविधाएं 🌿 *भौतिक सुविधाएं :-* 🌸 भौतिक सुविधाओं के अंतर्गत प्राकृतिक व भौगोलिक चीजें आती हैं। जिससे हमारी आवश्यकताओं की पूर्ति होती है। 🍁 जैसे कि :- 🌷 भोजन, पानी,जलवायु,गांव,घर,विद्यालय और शहर का वातावरण इत्यादि । 🌿 *सामाजिक सुविधाएं :-* 🌸 जैसा कि हम जानते हैं मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। इसलिए उस पर समाज का प्रभाव बहुत अधिक पड़ता है। 🍁जैसे कि :- 🌿 सामाजिक व्यवस्था, विद्यालय,सहपाठी,शिक्षक गण,रहन – सहन,धार्मिक – परंपराएं,धार्मिक – चेतना,धार्मिक – कृत्य,रीति – रिवाज,पारस्परिक – अंत:क्रिया और संबंध आदि अन्य प्रकार की चीजें भी बालक को सामाजिक – सांस्कृतिक रूप से प्रभावित करती है। 🌟🌸🌸🌟 अतः यह कहा जा सकता है कि, यह जो वातावरण संबंधित सारी शक्तियां हैं, यह किसी बालक के वृद्धि और विकास में शारीरिक मानसिक सामाजिक सांस्कृतिक बौद्धिक एवं अन्य सभी प्रकार से महत्वपूर्ण और प्रत्यक्ष प्रभाव डालता है🌟🌸🌸🌟 🌸📚समाप्त📚🌸 🌷🌷Notes by :- Neha Kumari ☺️ 🌷🌷🙏🙏धन्यवाद् 🙏🙏🌷🌷 ❄ अनुवांशिक और वातावरण ❄ 🌠 बाल विकास का अध्ययन करने के लिए मुख्यत: दो शाखाएं निर्भर करती हैं । अ) अनुवांशिकता (heredity ) ब) वातावरण ( environment ) 🌀 *वंशानुक्रम* ( *heredity* )वंशानुक्रम से तात्पर्य है हमारे पूर्वजों से मिले हुए वंश या पहचान अर्थात वंशानुक्रम कारक वे जन्मजात विशेषताएं हैं जो बालक के जन्म के समय से ही पाई जाती हैं इसमें हमारे पूर्वजों से मिलती हुई कुछ ना कुछ निशानियां पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ती जाती है जैसे प्राणी का रंग रूप लंबाई अन्य शारीरिक विशेषताएं तथा अन्य मानसिक योग्यता का निर्धारण वंशानुक्रम द्वारा ही होता है 🌀 वंशानुक्रम के संदर्भ में *डगलस* *व* *हालेंड* के कथन ➖ एक व्यक्ति के वंशानुक्रम में वे सभी शारीरिक बनावटें ,शारीरिक विशेषताएं क्रियाएं या क्षमताएं सम्मिलित रहती है जिसको वह अपने माता-पिता पूर्वजों या प्रजाति से प्राप्त करता है । 🌀 *वंशानुक्रम का प्रभाव* ➖ वंशानुक्रम के अन्य नाम अ) वंश परंपरा ब) अनुवांशिकता स) वंशानुक्रम द) पैतृकता 🌀 वंशानुक्रम का प्रभाव शरीर और मन दोनों पर पड़ता है ★ विकास की प्रक्रिया का महत्वपूर्ण आधार वंशानुक्रम है 🌀 *सारांश* ➖ वशांनुक्रम में माता-पिता से बच्चों में गुण आते हैं लेकिन यह जरूरी नहीं है कि जो दोष या विकार माता-पिता में है वह बच्चों में स्थानांतरित हो ही जाए । इसका कारण बेहतर प्रशिक्षण और पर्यावरण भी हो सकता है। 🌀 *वातावरण*( *environment*) वातावरण भी व्यक्ति के जीवन और व्यवहार दोनों को प्रभावित करता है । वातावरण में सभी बाहृ शक्तियां, प्रभाव परिस्थितियां आदि सम्मिलित हैं जो प्राणी के व्यवहार शारीरिक और मानसिक विकास को प्रभावित करती हैं 🌀अ) *वुडवर्थ* ➖ वातावरण में वह सभी बाहरी तत्व आ जाते हैं जिन्होंने व्यक्ति को जीवन आरंभ करने के समय से प्रभावित किया है । ब) *एनास्टास्की* ➖ वातावरण वह वस्तु है जो व्यक्ति के जीन्स के अतिरिक्त प्रत्येक वस्तु को प्रभावित करता है। 👉वातावरण या पर्यावरण में वह सभी बाहरी तत्व या शक्ति निहित है जो मां के द्वारा गर्भधान के तुरंत बाद से ही व्यक्ति विशेष की वृद्धि विकास को प्रभावित करते हैं ◾ जन्म से पहले का वातावरण ➖ मां की हर प्रतिक्रिया का बच्चे पर असर पड़ता है । जो मां खाती है जो मां सोचती है जो मां अनुभव करती है । ◾ जन्म के बाद का वातावरण ➖ जन्म के बाद चारों ओर से वातावरण की शक्ति उनको प्रभावित करती है। 🌀 *भौतिक सुविधाएं ➖ जैसे भोजन जल ,जलवायु, घर, विद्यालय गांव ,शहर का वातावरण इत्यादि सब का पर प्रभाव पड़ता है । भौतिक सुविधाओं के अंतर्गत प्राकृतिक व भौगोलिक चीजें आती हैं जिनसे हम अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं 🌀 *सामाजिक सांस्कृतिक वातावरण*➖ मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है इसलिए समाज पर उसका असर पड़ता है जैसे – मां-बाप ,परिवार ,पड़ोसी मित्र ,सहपाठी ,अध्यापक यातायात का साधन, धार्मिक परंपरा इत्यादि जिनका जिनका प्रभाव पड़ता है। 👉 यह जो वातावरण संबंधी शक्तियां हैं व्यक्ति की वृद्धि और विकास के सभी पहलुओं जैसे- शारीरिक, मानसिक, सामाजिक संवेगात्मक ,नैतिक सौंदर्य इन सब पर पूरा प्रभाव पड़ता है। धन्यवाद ✍️ notes by Pragya shukla ✍️ **वृद्धि* *और* *विकास* *पर* *वंशानुक्रम* *और* *वातावरण* *का* *प्रभाव** 💎वृद्धि और विकास में वंशानुक्रम और वातावरण का बहुत प्रभाव पड़ता है वंशानुक्रम और वातावरण का संबंध गुणात्मक होता है ना कि योगात्मक होता है। 🏵 *वंशानुक्रम*/ *अनुवांशिकता*🏵 💎बच्चे के व्यक्तित्व में उसके माता-पिता यह पूर्वजों के जो गुण होते हैं उसे वंशानुक्रम या अनुवांशिकता कहते है। 🌸 *डगलस* *व* *हालेंड* *के* *अनुसार*:— “ एक व्यक्ति के वंशानुक्रम में वे सभी शारीरिक बनावट ए शारीरिक विशेषताएं क्रियाएं या क्षमताएं सम्मिलित रहती है जिनको वह अपने माता-पिता पूर्वजो या प्रजाति से प्राप्त करते हैं। 💐💐 *वंशानुक्रम* *का* *प्रभाव*:— 💎बच्चे की विकास की प्रक्रिया का महत्वपूर्ण आधार वंशानुक्रम है जिसका प्रभाव व्यक्ति के शरीर और मन पर पड़ता है क्योंकि उसका आधार वंशानुक्रम ही है। 🌻 *पैतृकता* 🌻 *वंशपरंपरा* 🌻 *अनुवांशिकता* 🌻 *वंशानुक्रम* 💎वंशानुक्रम से माता-पिता से बच्चों में गुन आते हैं जरूरी नहीं है कि दोष या विकार माता-पिता में है वह बच्चों में ट्रांसफर हो ही जाए ऐसा होता है तो पर्यावरण के कारण हुआ हो और प्रशिक्षण के कारण हुआ है। ऐसा जरूरी नहीं है कि माता-पिता अपाहिज हो तो बच्चे भी अपाहिज हो बच्चे में वंशानुक्रम से गुण आते हैं मगर जरूरी नहीं है कि गुण एक ही जैसे हो अगर माता पिता डॉक्टर है तो जरूरी नहीं है कि बच्चे भी डॉक्टर होसकते है पर्यावरण के कारण ऐसा माहौल हो जो बचपन से देखते हैं वही करते हैं। 🏵 *वातावरण*/ *पर्यावरण* *(Environment)*:— 💎वातावरण भी व्यक्ति के जीवन और व्यवहार दोनों को प्रभावित करता है। 🌸 *Woodwarth* *के* *अनुसार*:— 💎वातावरण में वे सभी बाहरी तत्व आ जाते हैं जिन्होंने व्यक्ति को जीवन आरंभ करने के समय से ही प्रभावित किया। 🌸 *एनास्ताकी* *के* *अनुसार*:— 💎वातावरण वह हर वस्तु है जो व्यक्ति के जींस को अतिरिक्त प्रत्येक वस्तु को प्रभावित करता है। ✍️ वातावरण या पर्यावरण में वह सभी बाहरी तत्व या शक्ति निहित है जो मां के द्वारा गर्भधान के तुरंत बाद से ही व्यक्ति विशेष की वृद्धि विकास को प्रभावित करते हैं बच्चे के जन्म के बाद का पर्यावरण अलग रहता है जो मां के व्यवहार से सीखता है। 🏵 वातावरण को दो भागों में बांटा गया है:- 1. *जन्म के पहले का वातावरण* 2. *जन्म के बाद का वातावरण* 1. *जन्म के पहले का वातावरण*:— 💎जन्म के पहले का वातावरण मां के गर्भ में होता है मां जो खाती है, सोचती है, करती है, तथा जो अनुभव करती है वह उन सभी चीजों का प्रभाव बच्चों पर होता है। 2. *जन्म के बाद का वातावरण:-* 💎जब बच्चे का जन्म होता है तो बालक के जो चारों ओर जो वातावरण होते हैं उससे प्रभावित होता है इस को दो भागों में बांटा गया है। *1. भौतिक सुविधाएं* *2. सामाजिक सुविधाएं* 🌸 *भौतिक सुविधाएं:-* 💎भौतिक सुविधाएं में वह सब जो आती है जो वातावरण से मिलती है जैसे भोजन, जल, जल वायु, घर, विद्यालय, गांव, शहर जो वातावरण से जन्म के बाद प्रभावित होती है। 🌸 *सामाजिक / सांस्कृतिक*:- 💎सामाजिक सुविधाएं में वह आते हैं जैसे मां-बाप, परिवार,पड़ोसी, मित्र सहपाठी, अध्यापक, यातायात ,मनोरंजन धार्मिक तथा यातायात यह सभी सामाजिक संस्कृत सुविधाओं में शामिल है। 💎यह जो वातावरण संबंधी शक्तियां व्यक्ति की वृद्धि और विकास के सभी पल्लू शारीरिक सामाजिक मानसिक संघात्मक नैतिक सुंदर इन सब पर पूर्ण प्रभाव डालती है। ✍️ *Notes By :-Neha Roy*✍️✍️🙏🙏🙏🙏 ⭐🌺⭐🌺 वंशानुक्रम और वातावरण⭐🌺⭐🌺 🍀🌾🍀 वंशानुक्रम:- वंशानुक्रम से आशय है वह गुण जो हमें अपने माता पिता और पूर्वजों से मिलते हैं उसे हम वंशानुक्रम कहते हैं 🍁डगलस व हालैंड के अनुसार:- एक व्यक्ति के वंशानुक्रम में वे सभी शारीरिक बनावट शारीरिक विशेषताएं क्रियाएं या क्षमता सम्मिलित रहती है जिनको वह अपने माता पिता पूर्वजों या प्रजाति से प्राप्त करते हैं 🌈वंशानुक्रम को हम अन्य नामों से भी जानते हैं ⭐वंश परंपरा ⭐अनुवांशिकता ⭐वंशानुक्रम ⭐पैतृकता 🍁⭐🍁 वंशानुक्रम का प्रभाव:- 🌺 विकास की प्रक्रिया का महत्वपूर्ण आधार वंशानुक्रम है 🌺 इसका प्रभाव शरीर और मन दोनों पर दिखाई देता है 🌺 इससे माता-पिता से बच्चों में गुण आते हैं लेकिन जरूरी नहीं है कि जो कोई दोष या विकार हो माता-पिता में है बे बच्चों में चले जाएं यह आवश्यक नहीं है 🍁⭐🍁 वातावरण:- वातावरण भी व्यक्ति के जीवन और व्यवहार दोनों को प्रभावित करता है 🎯वुडवर्थ के अनुसार:- वातावरण में सभी बाहरी तथा जाते हैं जिन्होंने व्यक्ति के जीवन आरंभ करने के समय से प्रभावित किया है 🎯एनास्टास्की के अनुसार:- वातावरण वह हर पहलू है जो व्यक्ति के जींस के अतिरिक्त प्रत्येक वस्तु को प्रभावित करता है 🍁 वातावरणीय पर्यावरण में वह सभी बाहरी तत्व शक्ति निहित है जो मां के द्वारा गर्भधान के तुरंत बाद से ही व्यक्ति विशेष की वृद्धि और विकास को प्रभावित करते हैं 🌈🌺🌈 वातावरण को दो भागों में बांटा गया है 🍁 जन्म के पहले का वातावरण:- जब बच्चा मां घरों में होता है तो जन्म से पहले का वातावरण मां जो खाती है मां जो करती है या जो सोचती है और मां जो अनुभव करती है या सभी बच्चे का प्रभाव पड़ता है यह बच्चे के जन्म के पहले का वातावरण होता है 🌺🍁🌺 जन्म के बाद का वातावरण:- जन्म के बाद चारों ओर से वातावरण शक्ति प्रभावित करती है इसके अंतर्गत पानी ,भोजन, जलवायु घर , विद्यालय वातावरण प्रभावित करते हैं के जन्म के बाद का वातावरण होता है 🎯 भौतिक सुविधाएं:- भौतिक सुविधाएं वो सब आता है जो वातावरण से मिलता है जैसे भोजन पानी जलवायु घर विद्यालय गांव शहर का वातावरण 🎯 सांस्कृतिक सामाजिक:- माता-पिता परिवार पड़ोसी मित्र सहपाठी अध्यापक यातायात धार्मिक यह सभी सामाजिक सांस्कृतिक सुविधाएं में शामिल है ⭐ यह जो वातावरण संबंधित शक्तियां हैं व्यक्ति की वृद्धि और विकास के सभी पहलू शारीरिक मानसिक संवेगात्मक सामाजिक नैतिक सौंदर्य कैंसर पर पूरा प्रभाव डालती है ✍🏻✍🏻✍🏻Menka patel ✍🏻✍🏻✍🏻 ⭐🌺🍁⭐🌺🍁⭐🌺🍁⭐🌺🍁⭐🌺🍁⭐🌺🍁 *♨️🌸 वृद्धि और विकास पर वंशानुक्रम और वातावरण का प्रभाव🌸♨️* *♨️🎯वंशानुक्रम (Heredity)🎯♨️* माता-पिता जैसे होते हैं वैसे ही उनकी संतान होती है।इसका अभिप्राय यह है कि बालक रंग रूप आकृति ज्ञान आदि में माता-पिता से मिलता जुलता है। अर्थात उसे अपने माता-पिता के शारीरिक और मानसिक गुण प्राप्त होते हैं। जैसे यदि माता-पिता विद्वान है तो बालक भी विद्वान होते हैं। पर यहां यह भी देखा गया है कि विद्वान माता-पिता का पुत्र विद्वान नहीं होता है और अविद्वान माता पिता का पुत्र विद्वान होता है। इसका यह कारण है कि बालक को न केवल अपने माता-पिता वरन उनसे पहले के पूर्वजों से भी अनेक शारीरिक और मानसिक गुण प्राप्त होते हैं। इसी को हम *वंशानुक्रम/वंश_ परंपरा/आनुवंशिकता/ पैतृकता* आदि नामों से पुकारते हैं। *🌸✍🏻डगलस एवं हॉलैंड के अनुसार_🌸* ” एक व्यक्ति के वंश क्रम में शारीरिक बनावट,शारीरिक विशेषताएं, शारीरिक क्रियाएं या क्षमताएं सम्मिलित रहती हैं, जिनको वह अपने माता-पिता या अन्य पूर्वजों या अन्य प्रजाति से प्राप्त करता है।” *♨️🌸वंशानुक्रम का प्रभाव🌸♨️* वंशानुक्रम का प्रभाव व्यक्ति के मन व शरीर पर दिखाई देता हैं। विकास की प्रक्रिया का महत्त्वपूर्ण आधार वंशानुक्रम हैं । *🌸🎯Heredity (वंशानुक्रम)🎯🌸* से माता-पिता से बच्चो में जो भी गुण आते हैं, लेकिन ये ज़रूरी नहीं है कि जो दोष विकार माता-पिता में हो वे बच्चो के अन्दर भी आये । इसका कारण बेहतर प्रशिक्षण और पर्यावरण भी हो सकता हैं। *♨️🎯वातावरण (Environment)🎯♨️* वातावरण के लिए पर्यावरण शब्द का भी प्रयोग किया जाता है। पर्यावरण दो शब्दों से बना है― परि + आवरण। परि का अर्थ है ― चारों ओर तथा आवरण का अर्थ― ढका हुआ। इस प्रकार पर्यावरण या वातावरण वह वस्तु है जो हमें चारों से ढके हुए है। अतः हम कह सकते है कि व्यक्ति के चारो ओर जो कुछ भी है वह वातावरण है। वातावरण मानव जीवन के विकास पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है। मानव विकास में जितना योगदान आनुवंशिकता वंशानुक्रम का है उतना ही वातावरण का भी। *🌸✍🏻वुडवर्थ के अनुसार_🌸* “वातावरण में वे सब बाह्य तत्व आ जाते हैं जिन्होंने व्यक्ति को जीवन आरंभ करने के समय से प्रभावित किया है।” *🌸✍🏻एनास्टासी के अनुसार_🌸* ‘‘वातावरण वह प्रत्येक वस्तु है, जो व्यक्ति के जीन्स के अतिरिक्त प्रत्येक वस्तु को प्रभावित करती है।‘‘ ♨️ *🎯वातावरण सम्बंधी कारक🎯*♨️ वातावरण से संबंधित कारकों का निम्न प्रकार के होते हैं- 🌈 *👉🏻सामाजिक कारक_* सामाजिक व्यवस्था, रहन-सहन,परंपराए, धार्मिक कृत्य, रीति-रिवाज, पारस्परिक अंतः क्रिया और संबंध आदि बहुत से तत्व हैं जो व्यक्ति के शारीरिक,मानसिक, एवं बौद्धिक विकास को किसी न किसी रूप से अवश्य प्रभावित करते है। 🌈 *👉🏻 सांस्कृतिक कारक_* धर्म और संस्कृति व्यक्ति के विकास को गहरे स्तर पर प्रभावित करती हैं। हमारा खान – पान, रहन सहन, पूजा पाठ,संस्कार तथा आचार विचार इत्यादि हमारी संस्कृति के अभिन्न अंग हैं।जिन संस्कृतियों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण समाहित हैं उनका विकास ठीक ढंग से होता है,लेकिन जहां अंधविश्वास और रूढ़िवाद का समावेश है उस समाज का विकास अत्यन्त मन्द गति से होता है। 🌈 *👉🏻भौगोलिक कारक_* व्यक्ति के विकास पर जलवायु का प्रभाव पड़ता हैं। जहां अधिक सर्दी पड़ती है या जहां अधिक गर्मी पड़ती हैं वहां व्यक्ति का विकास एक जैसा नहीं होता है। ठंडे प्रदेशों के व्यक्ति सुन्दर, गोरे, सुडौल,स्वस्थ एवं बुद्धिमान होते हैं। धेर्य भी उनमें अधिक होता हैं।,जबकि गर्म प्रदेश के व्यक्ति काले, चिड़चिड़े तथा आक्रामक स्वभाव के होते हैं। वातावरण या पर्यावरण में वह सभी बाहरी तत्व या शक्ति निहित हैं,जो मां के द्वारा गर्भधान के तुरन्त बाद से ही व्यक्ति विशेष की वृद्धि व विकास को प्रभावित करती हैं। *🌸 वातावरण को दो भागों में बांटा गया है_🌸* 🌈 *१)_जन्म के पहले का वातावरण_* मां जो भी खाती हैं,जो भी सोचती हैं, जो भी अनुभव करती हैं।उन सभी चीजों का प्रभाव गर्भ में पल रहे बच्चे पर पड़ता हैं। 🌈 *२)_जन्म के बाद का वातावरण_* व्यक्ति के विकास को चारों ओर से वातावरण शक्ति प्रभावित करती हैं। जैसे- भोजन, जल, जलवायु,घर, विद्यालय, गांव, शहर, वातावरण ये सभी चीज़े प्रभावित करती हैं। 🌈 *भौतिक सुविधाएं_* जितने भी बाहरी वातावरण है, जैसे भोजन,जल, जलवायु , घर ,विद्यालय, गांव या शहर का वातावरण इत्यादि व्यक्ति के विकास को प्रभावित करती हैं। 🌈 *सामाजिक व सांस्कृतिक सुविधाएं_* माता पिता, परिवार, पड़ोसी, मित्र, सहपाठी, अध्यापक, यातायात, मनोरंजन व धार्मिक इत्यादि । ये जो वातावरण सम्बंधी शक्तियां हैं, ये किसी व्यक्ति को वृद्धि और विकास के सभी पहलु जैसे- शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, संवेगात्मक, नैतिक, सौंदर्य इन सभी पर पुरा प्रभाव डालती हैं। *📚✍🏻Notes_by* *Manisha sky yadav* *🙏🏻🙏🏻धन्यवाद् 🙏🏻🙏🏻* 🌈💥🔥Heridity and environment🌈💥🔥 🌿🌸बच्चे का विकास केवल अनुवांशिक या केवल वातावरण से संभव नहीं हो सकता है बच्चे का संपूर्ण विकास तभी संभव है जब वातावरण तथा अनुवांशिकता का संपूर्ण योगदान हो।अर्थात बालक का विकास आनुवंशिक और इन्वायरमेंट के साथ अंतः क्रिया करता है 🔥🌿वंशानुक्रम- बच्चे में जो गुण अपने माता-पिता या अपने पूर्वजों से मिलता है उसे वंशानुक्रम कहते हैं। 🌈वंशानुक्रम के संबंध में डगलस व हॉलैंड का स्टेटमेंट आता है। 🌸💥 डगलस व हॉलैंड- इनके अनुसार एक व्यक्ति के वंशानुक्रम में सभी शारीरिक बनावटे, विशेषताएँ, क्रियाएँ ,या क्षमताऐं सम्मिलित रहती है जिनको वह अपने माता- पिता पूर्वजों या प्रजाति से प्राप्त करता है। 🌺🌿वंशानुक्रम का प्रभाव— ➡️ वंश परंपरा ➡️ अनुवांशिकता ➡️ वंशानुक्रम ➡️ पैतृकता 💥🌸वंशानुक्रम का प्रभाव शरीर और मन पर भी पड़ता है विकास की प्रक्रिया का महत्वपूर्ण आधार वंशानुक्रम है 🌈🌸अपंग माता-पिता का बच्चा अपंग होता है यह जरूरी नहीं है 🌈 बहरे मां बाप का बच्चा बहरा हो जरूरी नहीं है 🌺🌈वंशानुक्रम से माता -पिता के बच्चे में गुण आते हैं ,लेकिन जरूरी नहीं है कि किसी प्रकार का दोष या विकार माता -पिता में हो वो बच्चों में ट्रांसफर हो ही जाए। इनका कारण बेहतर प्रशिक्षण और पर्यावरण भी हो सकता है। 💥🌈वातावरण( environment)–वातावरण भी व्यक्ति के जीवन और व्यवहार दोनों को प्रभावित करता है। 🌸🌺वुडवर्थ -इसके अनुसार वातावरण में वे सभी बाहरी तत्व आ जाते हैं जिन्होंने व्यक्ति को जीवन आरंभ करने के समय से प्रभावित किया है 🌈💥एनास्टसी या एनास्तस्की- – इसके अनुसार वातावरण वह हर वस्तु है जो व्यक्ति के जींन्स के अतिरिक्त प्रत्येक वस्तु को प्रभावित करता है। ➡️ भौगोलिक ➡️ सामाजिक ➡️ सांस्कृतिक 🌈💥वातावरण या पर्यावरण में वह सभी बाहरी तत्व या शक्ति निहित है जो मां के द्वारा गर्भधान के तुरंत बाद से ही व्यक्ति विशेष की वृद्धि विकास को प्रभावित करते हैं। 🔥🌈जन्म के पहले का वातावरण– ➡️ माँ जो खाती है, ➡️ माँ जो करती है, ➡️माँ जो सोचती है, ➡️माँ जो अनुभव करती है, इन सभी का प्रभाव बच्चे पर पड़ता है। 🌈🔥भौतिक सुविधा –जन्म के बाद चारों ओर से वातावरण शक्ति प्रभावित करते हैं यानी, जितने भी जन्म के बाद बाहरी चीजें थी। जैसे- भोजन, जल, जलवायु ,घर, विद्यालय ,गांव/शहर या वातावरण यह सभी बच्चों को प्रभावित करते हैं यह सब चीजें आती है। 💥🌈सामाजिक संस्कृतिक– माँ -बाप, परिवार, पड़ोसी, मित्र, सहपाठी, अध्यापक ,यातायात, मनोरंजन ,धार्मिक इत्यादि इनके अंदर आती है। 💥ये जो वातावरण संबंधी शक्तियाँ है यह किसी व्यक्ति या बच्चे की वृद्धि और विकास के सभी पहलू जैसे -शारीरिक, मानसिक ,समाजिक ,संवेगात्मक, नैतिक, सौंदर्य इन सब पर पूरा प्रभाव डालती है। 🌈🔥🌸🙏Notes by -SRIRAM PANJIYARA🌈🔥🌺🌸🙏 “आनुवंशिकता/वंशानुक्रम ” और “वातावरण/पर्यावरण” 🌷🌲 Heredity & Environement 🌷🌲 🌺 अनुवांशिकता या वंशानुक्रम :- जो गुण बच्चों में अपने माता-पिता, पूर्वजों, वंश, परिवार से, जन्म से ही आ जाते हैं , उसे ही वंशानुक्रम या आनुवंशिकता ( Heredity ) कहते हैं। 🌺 डगलस व हॉलैंड के अनुसार :- ” एक व्यक्ति के वंशानुक्रम में वे सभी शारीरिक बनावटें , शारीरिक विशेषताएं , क्रियाएं या क्षमताएं सम्मिलित रहती हैं जिनको वह अपने माता-पिता , पूर्वजों या प्रजाति से प्राप्त करते हैं। ” 🌺 वंशानुक्रम का प्रभाव :- ” वंशानुक्रम का प्रभाव बच्चों के शरीर के साथ साथ मन पर भी दिखता है। ” वंशानुक्रम का प्रभाव निम्नलिखित चार बिंदुओ पर भी दिखता है :- 👉 वंशपरम्परा 👉 आनुवंशिकता 👉 वंशानुक्रम 👉 पैतृकता “विकास की प्रक्रिया का महत्वपूर्ण आधार वंशानुक्रम है।” जैसे बच्चों का विकास वंशानुक्रम पर भी निर्भर करता है। वंशानुक्रम से माता-पिता से बच्चों में गुण आते हैं लेकिन जरूरी नहीं है कि दोष या विकार माता-पिता में है तो दोष या विकार बच्चों में भी स्थानांतरित हो ही जाएं। और ऐसा इसीलिये भी होता है कि इसका कारण बेहतर प्रशिक्षण और पर्यावरण भी हो सकता है। अर्थात यदि बच्चे को बेहतर पर्यावरण और प्रशिक्षण दिया जाये तो उसमें अपने वंशानुक्रम से भिन्न गुण भी आ जाते हैं। 🌺 पर्यावरण या वातावरण ( Environment ) :- जो गुण बच्चों में अपने आस-पास के वातावरण, रहन-सहन आदि से आते हैं उसे ही वातावरणीय गुण (प्रभाव) कहते हैं। अतः वातावरण भी बच्चों (व्यक्ति) के जीवन और व्यवहार दोनों को प्रभावित करता है। 🌺 वुडवर्थ के अनुसार :- ” वातावरण में वे सभी ” बाहरी तत्व ” आ जाते हैं जिन्होंने बच्चे को जीवन आरंभ करने के समय से ही प्रभावित किया है। ” 🌺 एनास्टसी ( अनास्ताक्सि ) के अनुसार :- ” वातावरण वह सब कुछ है जो , व्यक्ति के ” ( जीन Gene ) ” के अतिरिक्त प्रत्येक वस्तु को प्रभावित करता है। ” वातावरण को निम्नलिखित तीन कारक प्रभावित करते हैं :- 👉भौगोलिक 👉सामाजिक 👉सांस्कृतिक ” वातावरण या पर्यावरण में वह सभी बाहरी तत्व या शक्ति निहित हैं जो , मां के द्वारा गर्भाधान से तुरंत बाद से ही बच्चे (व्यक्ति) विशेष की वृद्धि / विकास को प्रभावित करते हैं। ” 🌺 जन्म के पहले का वातावरण :- अर्थात बच्चे के गर्भकाल का वातावरण, अतः बच्चे के जन्म के पहले (गर्भ) का वातावरण भी बच्चे को प्रभावित करता है जैसे :- 👉माँ जो खाती है 👉माँ जो करती है 👉माँ जो सोचती है 👉और माँ जो अनुभव करती है , आदि से माँ के द्वारा भी बच्चा गर्भ में सीखता , प्रभावित होता है। जिसका सर्वमान्य उदाहरण है :- ” अभिमन्यु ” ” अर्थात धनुर्धर अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु ने अपनी माँ के गर्भ में रहते हुए ही चक्रव्यूह भेदन का गुण सीख लिया था। ” ” अर्थात ये सच है कि गर्भाधान के समय एक माँ का बच्चे को जन्म देने के लिए बहुत ही सम्मानीय , सर्वश्रेष्ठ , महत्वपूर्ण और भावनात्मक योगदान होता है। ” 🌺 जन्म के बाद का वातावरण :- जन्म के बाद हमारे चारों ओर का वातावरण , शक्ति एक बच्चे को प्रभावित करती है। जैसे :- 👉भौतिक सुविधायें :- भौतिक सुविधायें मतलब हमारी व्यक्तिगत सुविधायें जो कि बच्चे को प्रभावित करतीं हैं जैसे:- भोजन , पानी , जलवायु , घर, विद्यालय , गांव / शहर, वातावरण आदि । 👉सामाजिक एवं सांस्कृतिक सुविधायें :- एक बच्चे को सामाजिक एवं सांस्कृतिक सुविधायें भी प्रभावित करतीं हैं जैसे :- माता-पिता , परिवार, पड़ोसी , मित्र , सहपाठी, अध्यापक , यातायात, मनोरंजन ,धार्मिकता, रीति रिवाज आदि। ये जो वातावरण संबंधी शक्तियां हैं ये बच्चे की वृद्धि और विकास के सभी पहलुओं जैसे :- शारीरिक, मानसिक , सामाजिक , संवेगात्मक, नैतिक और सौंदर्य इन सब पर भी अपना प्रभाव डालतीं हैं। 🌹✍️🏼जूही श्रीवास्तव 🌹 🔸वंशानुक्रम और वातावरण🔸 ▪️ वंशानुक्रम- वंशानुक्रम का अर्थ वैसे गुण से है जो हमें अपने माता-पिता या पूर्वजों से मिलता है उसे वंशानुक्रम कहते हैं। ✳️ डगलस वा हालैंड के अनुसार वंशानुक्रम की परिभाषा:- एक व्यक्ति के वंशानुक्रम .में सभी शारीरिक बनावट ,शारीरिक विशेषताएं ,क्रियाएं, क्षमताएं सम्मिलित होती हैं जिनको वह अपने माता-पिता पूर्वजों एवं प्रजाति से प्राप्त करते है। ◼️ वंशानुक्रम को अन्य नाम से भी जाना जाता है जो इस प्रकार है:- 1️⃣ वंश परंपरा 2️⃣ अनुवांशिकता 3️⃣ वंशानुक्रम 4️⃣ पैतृकता ✳️ वंशानुक्रम का प्रभाव:- वंशानुक्रम व्यक्ति के शारीरिक सामाजिक एवं मानसिक प्रक्रियाओं को भी प्रभावित करता है वंशानुक्रम का व्यक्ति के हर एक पक्ष का असर पड़ता है। ➖ वंशानुक्रम का प्रभाव बच्चों पर पड़ता है लेकिन ऐसा जरूरी नहीं है कि बच्चे में वही गुण है जो माता-पिता में है बच्चों में उससे कुछ अलग गुण का समावेशन भी हो सकता है। ✳️ वातावरण:- वातावरण में वे सभी वस्तुएं मौजूद हैं जो हमें किसी न किसी रूप में प्रभावित करती है बच्चों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है जिससे भौतिक और अभौतिक वस्तुएं भी शामिल है इसका प्रभाव हर एक व्यक्ति पर पड़ता है। 🔸 वुडवर्थ के अनुसार:- वातावरण में वह सभी बाहरी तत्व आ जाते हैं जिन्होंने व्यक्ति के जीवन आरंभ करने के समय से ही प्रभावित करता है। 🔸एनास्टैसी के अनुसार:- वातावरण में हर वस्तु है जो व्यक्ति के जीवन के अलावा उसे प्रभावित करता है। ⭐ वातावरण संबंधी कारक⭐ ▪️ भौगोलिक ▪️ सामाजिक ▪️ सांस्कृतिक ⭐ भौतिक सुविधाएं⭐ इसके अंतर्गत या प्राकृतिक एवं भौगोलिक परिस्थितियां आती हैं इसके अंतर्गत भोजन जल ,घर, वातावरण, विद्यालय ,गांव, शहर इत्यादि आता है। ⭐ सामाजिक सांस्कृतिक⭐ व्यक्ति एक सामाजिक प्राणी है इसलिए उस पर समाज का प्रभाव अधिक दिखाई देता है समाज में रहने की अलग-अलग परंपराएं होती हैं धार्मिक रीति रिवाज रहन-सहन इसके अंतर्गत अंतः क्रिया और मानव संबंधित ऐसे बहुत से तत्व है जो मनुष्य को शारीरिक मानसिक बौद्धिक विकास में किसी न किसी रूप से प्रभावित करती है। समाज में रहने वाले हर मनुष्य को समाज की जरूरत पड़ती है जहां से उन्हें नैतिक सौंदर्य संवेगात्मक मानसिक शारीरिक जरूरतों को पूरा करना होता है, और इन सभी का प्रभाव उनके पूरे जीवन में पढ़ता रहता है। 🌸🌸Notes by— Abha kumari🌸🌸 🔆 *वृद्धि और विकास के संदर्भ में वंशानुक्रम और वातावरण का प्रभाव* 💫 *वंशानुक्रम*➖ वंशानुक्रम की प्रक्रिया के द्वारा ही माता-पिता एंव पूर्वजों के गुण उनके बच्चों में आते हैं और पीढ़ी हस्तांतरित होते रहते हैं अर्थात वंशानुक्रम की प्रक्रिया पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित होती रहती है इसका अभिप्राय यह है कि बालक का रंग ,रूप ,आकृति, ज्ञान और समझ आदि माता-पिता से मिलती -जुलती रहती है अर्थात बच्चे को उसके शारीरिक गुण माता-पिता से प्राप्त होते हैं या उनके पूर्वजों की जातियों से प्राप्त होते हैं | जैसे यदि माता-पिता शिक्षक है तो बच्चे भी शिक्षक हो यह जरूरी नहीं है या माता-पिता मंदबुद्धि है तो यह आवश्यक नहीं है कि बच्चे भी मंद बुद्धि ही होंगे लेकिन अधिकांश केस में देखा जाता है कि मंदबुद्धि मां-बाप होने पर बच्चे भी मंदबुद्धि ही होते हैं ये सब वंशानुक्रम का प्रभाव है | अर्थात वंशानुक्रम वह प्रक्रिया है जो बच्चे के विकास का एक महत्वपूर्ण आधार है इसके द्वारा ही बच्चे में जो शारीरिक गुण आते हैं वह उसके माता-पिता या पूर्वजों के द्वारा प्राप्त होते हैं | वंशानुक्रम को *वंश, परंपरा, अनुवांशिकता ,वंशानुक्रम, या पैतृकता,* आदि नामों के द्वारा जाना जाता है | वंशानुक्रम के संबंध में *डगलस वा हाॅलेड* ने कहा है कि ” *एक व्यक्ति के वंशानुक्रम में वे सभी शारीरिक बनावट, शारीरिक विशेषताएं, क्रियाएं ,या क्षमताएं, सम्मिलित रहती हैं जिनको वह अपने माता पिता , पूर्वजों या प्रजाति से प्राप्त करता है* |” “विकास की प्रक्रिया का महत्वपूर्ण आधार वंशानुक्रम ही है इसका प्रभाव शरीर और मन पर भी निर्भर करता है विकास का आधार वंशानुक्रम ही है ” | वंशानुक्रम से माता-पिता के अधिकांश गुण बच्चों में आते हैं लेकिन यह जरूरी नहीं है कि वह बच्चों में स्थानांतरित ही हो जाए उसका कारण बेहतर प्रशिक्षण और पर्यावरण भी हो सकता है जैसे अंधे मां बाप हैं तो यह आवश्यक नहीं है कि बच्चे भी अंधे हो या माता-पिता काले हैं तो बच्चे भी काले हो आवश्यक नहीं है बच्चा गोरा और सुडौल भी हो सकता है | 💫 *वातावरण* ➖ बच्चे के विकास में वातावरण भी एक मेजर फैक्टर है जो बच्चे के जीवन और व्यवहार दोनों को प्रभावित करता है बच्चे को जो भी गुण वंशानुक्रम से मिले होते हैं उनका पोषण वातावरण के द्वारा ही होता है | वातावरण के संबंध में *वुडवर्थ* का कथन है कि ” *वातावरण में वे सभी बाहरी तत्व आ जाते हैं जिन्होंने व्यक्ति को जीवन आरंभ करने के समय से प्रभावित किया है*” | *एनास्टसी* के अनुसार *वातावरण वह हर वस्तु है जो व्यक्ति के जीन्स के अतिरिक्त प्रत्येक वस्तु को प्रभावित करता है*”। व्यक्ति को बाहरी चीज भौगोलिक, सामाजिक ,सांस्कृतिक, तीनों चीजें प्रभावित करती है और करती रहती हैं इसमें बच्चा बाहरी दुनिया को अपने नजरिए से देखता है जिससे उसकी रूचि आवश्यकता अलग होती है जो उसके नजरिए पर निर्भर करती है | अर्थात हम कह सकते हैं कि *वातावरण या पर्यावरण में वह सभी बाहरी तत्व या शक्ति निहित है जो मां के द्वारा गर्भधान के तुरंत बाद से ही व्यक्ति विशेष की वृद्धि विकास को प्रभावित करता है* | बच्चे का विकास जन्म के पहले के वातावरण एवं जन्म के बाद के बाद के वातावरण पर पूरे तरीके से निर्भर करता है | *∆ जन्म के पहले का वातावरण* जन्म के पहले का वातावरण मां जो खाती है, मां जो करती है , माँ जो सोचती है ,और मां जो अनुभव करती है आदि इन सभी चीजों पर निर्भर करता है बच्चे के विकास में मां का पूरा योगदान रहता है | *∆जन्म के बाद का वातावरण* जन्म के बाद के वातावरण में बच्चे का विकास दो प्रकार के कारकों पर निर्भर करता हैं * पहला भौतिक कारक *दूसरा सामाजिक कारक 🌸 *भौतिक कारक* ➖ बच्चे के विकास के भौतिक कारक भोजन ,जल पानी , जलवायु ,घर ,विद्यालय, गांव शहर आदि का वातावरण जो बच्चे के विकास को भौतिक रूप में प्रभावित करते हैं | 🌸 *सामाजिक कारक* ➖ बच्चे के सामाजिक कारक जैसे मां-बाप ,परिवार ,पड़ोसी, रिश्तेदार, मित्र ,सहपाठी, अध्यापक, यातायात ,मनोरंजन, धार्मिक ,पुस्तकालय ,क्लब आदि सब बच्चे के विकास को प्रभावित करते हैं | “बच्चे का विकास मां के गर्भ से शुरू होकर जीवन के अंत तक चलता रहता है जिसमें वातावरण और दोनों की बराबर भागीदारी रहती है | इससे कहा जा सकता है कि वंशानुक्रम और वातावरण का गुणनफल ही बच्चे का विकास है | अर्थात यह जो वातावरण संबंधी शक्तियां है व्यक्ति के वृद्धि के जितने भी अलग-अलग या सभी पहलुओं जैसे की पारिवारिक, मानसिक ,सामाजिक ,संवेगात्मक, भौतिक ,सौंदर्य ,इन सब पर पूरा प्रभावित करती है | 𝙉𝙤𝙩𝙚𝙨 𝙗𝙮➖ 𝙍𝙖𝙨𝙝𝙢𝙞 𝙨𝙖𝙫𝙡𝙚 🌻🍀🌺🌸🌸🌸🌸🌸🌺🍀🌻 🍄🌿🍄 *वंशानुक्रम/अनुवांशिकता और वातावरण Heredity & Environment*🍄🌿🍄 🍒 *वंशानुक्रम*➖ जो भी गुण हमें प्राप्त होती वो हमें हमारे माता-पिता/पूर्वजों से मिलती हैं। और ये जन्म के समय से ही पाई जाती है। विकास की प्रक्रिया का महत्वपूर्ण आधार वंशानुक्रम ही है। 🦚According to *डगलस और हालेंड*:- एक व्यक्ति के वंशानुक्रम में वे सभी शारीरिक बनावटे, शारीरिक विशेषताएं, क्रियाएं/क्षमताएं सम्मिलित रहती है, जिनको वह अपने माता-पिता और पूर्वजों/प्रजाति से प्राप्त करते है। 🍓 *Heredity को अन्य नामों से भी जाना जाता है, जो निम्नलिखित है*:- 📍 वंशपरंपरा 📍 अनुवांशिकता 📍 पैतृकता 📍वंशानुक्रम 🌻🍃 *वंशानुक्रम का प्रभावः*-🍃🌻 👉 वंशानुक्रम का प्रभाव दो तरफ़ पड़ता है – 🅰️ शरीर पर 🅱️ मन पर 🌀 वंशानुक्रम हर व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक प्रक्रियाओं को भी प्रभावित करती हैं। बालक शारीरिक रूप से अपने पूर्वजों या माता पिता से लिया होता है। जैसे: रंग – रूप, बोल – चाल, face cut, आँखों का बनावट, ऊँचाई, इत्यादि। 🌀 वंशानुक्रम में बच्चे का मन यानी मानसिक रूप भी कही न कही जुड़े होता है। लेकिन हम बच्चे को अच्छी शिक्षा का माहौल दे कर भी हम उनके माता पिता या पूर्वजों से विपरीत बना सकते हैं। 🌀 वंशानुक्रम से माता- पिता के गुण बच्चों में आते है, लेकिन जरूरी नहीं है कि दोष या विकार माता- पिता में है वो बच्चों में स्थानान्तरण हो ही जाए। इसका कारण बेहतर प्रशिक्षण और पर्यावरण भी हो सकता है। 🌳🍁🌳 *वातावरण/ Environment* 🌳🍁🌳 वातावरण वह बाहरी शक्ति है जो व्यक्ति के जीवन और व्यवहार दोनों को प्रभावित करता है। जो हमारे आस पड़ोस, पेड़ पौधे तथा हमारे जीवन के वास्तविक परिस्थितियों से भी है। वातावरण में वह सभी बाहरी तत्व/शक्ति निहित है, जो माँ के द्वारा गर्भधान के तुरंत बाद से ही व्यक्ति विशेष की वृद्धि /विकास को प्रभावित करता है। 🦕 *According to woodworth*:- “वातावरण में वे सभी बाहरी तत्व आ जाते है, जिन्होने व्यक्ति को जीवन आरंभ करनें के समय से प्रभावित किया है।” 🍀 *According to एनास्तस्की* :- ” वातावरण वह हर वस्तु है जो व्यक्ति के जीन्स के अतिरिक्त प्रत्येक वस्तु को प्रभावित करता है।” 🐋 *वातावरण को दो भागों में बांटा गया है:* 🅰️ *जन्म से पहले का वातावरण* 🎊 जन्म से पहले का वातावरण मतलब, जब शिशु माँ के गर्भ में होता है। अपने माँ के गर्भ में शिशु वो सारे अनुभव करता है, और उसका प्रभाव शिशु पर भी पड़ता है जो माँ करती हैं। जैसे : ▪️माँ जो सोचती है। ▪️माँ जो अनुभव करती हैं। ▪️माँ जो खाती हैं। ▪️माँ जो देखती है। इत्यादि 🅱️ *जन्म के बाद का वातावरण* 🎊 जन्म के बाद का वातावरण मतलब जब शिशु माँ के गर्भ से बाहर आ जाता है/ जन्म ले लिया होता है। जन्म के बाद आस पड़ोस के वातावरण उसे प्रभावित करता है, जैसे :- ▪️भोजन ▪️जल ▪️गाँव ▪️घर ▪️विधालय ▪️जलवायु। इत्यादि 🎀वातावरण से प्रभावित होने वाले सुविधाएं जिससे दो भागों में बांटा गया है:- 🅰️भौतिक सुविधाएं:- 👉 इसमें हमारी आवश्यकताओं की पूर्ति होती है। जैसे : ⚜ भोजन ⚜ जल ⚜ घर ⚜ जलवायु ⚜ विधालय। इत्यादि 🅱️ सामाजिक सुविधाएं:- 👉 समाज का प्रभाव बहुत अधिक पड़ता है, क्योंकि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। जैसे:- ⚜ माँ -बाप ⚜ परिवार ⚜ पड़ोसी ⚜ मित्र ⚜ अध्यापक ⚜ यातायात ⚜ मनोरंजन। इत्यादि 🌹🍃🌹अंतः हम यह कह सकते हैं कि, “ये जो वातावरण संबंधी शक्तियाँ हैं” व्यक्ति की वृद्धि और विकास के सभी पहलु, शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, संवेगात्मक, नैतिक, सौंदर्य इन सब पर पूरा प्रभाव पड़ता है।🌹🍃🌹 📚Noted by🪔 Soni Nikku ✍ 🦚🌿🌻🌿🌻Thanku🌿🌻🌿 🦚 🔆 *वंशानुक्रम एवं वातावरण*🔆 विकास का आधार ही वंशानुक्रम व वातावरण ही है अर्थात विकास से जुड़ने वाली कड़ी ही वातावरण व वंशानुक्रम है। 🔅 *वंशानुक्रम/वंश परम्परा/अनुवांशिकता/पैतृकता*➖ ⚜️ डग्लस व हॉलैंड के अनुसार – “एक व्यक्ति के वंशानुक्रम में वे सभी शारीरिक बनावट ,शारीरिक विशेषताएं, क्रियाएं, क्षमताएं सम्मिलित रहते हैं जिनको वह अपने माता-पिता ,पूर्वजों या प्रजाति से प्राप्त करते हैं।” *वंशानुक्रम का प्रभाव*➖ विकास की प्रक्रिया का महत्व पूर्ण आधार ही वंशानुक्रम है और इस को आगे बढ़ाने का कार्य वातावरण पर निर्भर करता है। *वंशानुक्रम का प्रभाव शरीर व मन दोनों पर दिखाई पड़ता है। *शरीर की शारीरिक संरचना में कोई दोष या विकार अनुवांशिकता से आता भी है और कभी नहीं भी। अर्थात यह जरूरी नहीं है कि यदि माता-पिता विकलांग है तो बच्चे भी विकलांग होंगे हो सकता है कि परिवर्तन हो जाए इसके साथ ही माता-पिता की सोच ,विचार या जो समझ या जिस कार्य में रुचि है जरूरी नहीं है कि बच्चे की रूचि, सोच, विचार या समझ भी वैसी ही होगी। *अनुवांशिकता से माता-पिता के गुण बच्चों में स्थानांतरित होते हैं लेकिन यह जरूरी नहीं है कि जो भी कोई दोष या विकार माता-पिता में हो वह बच्चों में भी स्थानांतरित ही हो जाए। यदि स्थानांतरित हो भी गया हो तो ऐसा हो सकता है कि वह पर्यावरण या बेहतर प्रशिक्षण के कारण ऐसा हुआ हो 🔅 *वातावरण*➖ *जब हम किसी भी कार्य को करते हैं तो यह जरूरी नहीं कि वह कार्य हम अनुवांशिकता से ही करें बल्कि यह कार्य उचित प्रशिक्षण या वातावरण से सीखकर भी कर सकते हैं। *वातावरण का प्रभाव* ➖ *वातावरण व्यक्ति के जीवन और व्यवहार दोनों को ही प्रभावित करता है। व्यक्ति का जीवन और व्यवहार वंशानुक्रम से आता है तब वह आगे जाकर उस पर वातावरण का ही प्रकोप या प्रभाव का ही असर होता है। हो सकता है वंशानुक्रम में व्यक्ति का जीवन में व्यवहार कुछ और हो लेकिन वातावरण के संपर्क में आने पर वह कुछ और हो जाए। ⚜️ वुडवर्थ के अनुसार – “वातावरण में भी सभी बाहरी तत्व आ जाते हैं जिन्होंने व्यक्ति को जीवन आरंभ करने के समय से प्रभावित किया है।” ⚜️ एनास्टसी के अनुसार – “वातावरण वह हर वस्तु है जो व्यक्ति की जींस के अतिरिक्त प्रत्येक वस्तु को प्रभावित करता है”। *भौगोलिक ,सामाजिक और सांस्कृतिक तीनों ही व्यक्ति को प्रभावित करती हैं । *हर व्यक्ति का अपना एक अलग अलग नजरिया होता है या सब अपने अपने तरीकों से किसी भी चीज को देखते या किसी भी कार्य को करते हैं। “वातावरणीय पर्यावरण व सभी बाहरी तत्व शक्ति निहित है जो मां के द्वारा गर्भाधान के तुरंत बाद से ही व्यक्ति विशेष की वृद्धि एवं विकास को प्रभावित करते हैं। 🌀 बच्चे का जन्म के पहले का वातावरण – मां के खाने पीने,सोचने,किसी कार्य को करने , अनुभव करती है। वैसा ही वातावरण मां के गर्भ में पल रहे शिशु के विकास व वृद्धि उपर्युक्त सभी बातो पर निर्भर करती हैं या इन सभी वातावरण के द्वारा शिशु का विकास प्रभावित होता है। 🌀बच्चे के जन्म के बाद का वातावरण – *बच्चे का जन्म का पहले का वातावरण पर ही यह निर्भर करता है कि बच्चे का आगे का वातावरण कैसा होगा । जब बच्चे का जन्म हो जाता है तो उसके बाद चारों ओर की वातावरण शक्ति बच्चे को प्रभावित करती है। *बच्चे के विकास को वातावरण के दो कारक प्रभावित करते हैं। *1 भौतिक सुविधाएं* जैसे भोजन, जल, जल वायु ,घर, विद्यालय, गांव, शहर का वातावरण आदि। *2 सामाजिक व सांस्कृतिक* जैसे मां-बाप ,परिवार ,पड़ोसी ,मित्र या सहपाठी, अध्यापक, यातायात, मनोरंजन, रीति रिवाज, धार्मिक कार्य आदि। *यह जो वातावरण संबंधी शक्तियां है वह किसी व्यक्ति के वृद्धि व विकास के सभी पहलुओं जैसे शारीरिक, मानसिक, संवेगात्मक, सामाजिक नैतिक, सौंदर्य इन सभी पर पूरा प्रभाव डालती है। ✍🏻 *Notes By-Vaishali Mishra*

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