20/04/2021. Tuesday TODAY CLASS... शिक्षा मनोविज्ञान (part-2)
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वाटसन का कथन
तुम मुझे एक बालक दो मैं उससे वह बना सकता हूं जो मैं बनाना चाहता हूं
वूडवर्थ का कथन
मनोविज्ञान में सर्वप्रथम आत्मा का त्याग किया ।फिर मन व मस्तिष्क का त्याग किया । फिर उसने अपनी चेतना का त्याग किया और आज वर्तमान में मनोविज्ञान व्यवहार के विधि स्वरूप को स्वीकार करता है
मैकडुग्ल का कथन
“मनोविज्ञान व्यवहार और आचरण का विज्ञान” है
स्किनर का कथन
“मनोविज्ञान व्यवहार और अनुभव का विज्ञान “है
वाटसन का कथन
“मनोविज्ञान व्यवहार का शुद्ध निश्चित सकारात्मक धनात्मक विज्ञान” है
क्रो एंड क्रो का कथन
“मनोविज्ञान मानव व्यवहार और मानव संबंधों का व्यवहार” है
मन का कथन
“आधुनिक मनोविज्ञान का संबंध व्यवहार और वैज्ञानिक खोज” है
स्किनर का कथन
“शिक्षा मनोविज्ञान अध्यापक की तैयारी का आधारशिला” है
मनोविज्ञान के मुख्य शाखाएं एवं क्षेत्र
(1) सामान्य मनोविज्ञान
(2)असामान्य मनोविज्ञान
(3)तुलनात्मक मनोविज्ञान
(4)प्रयोगात्मक मनोविज्ञान
(5)समाज मनोविज्ञान
(6)औद्योगिक मनोविज्ञान
(7)बाल मनोवैज्ञान/ बाल विकास
(8)किशोर मनोविज्ञान
(9) प्रोड मनोविज्ञान
(10)विकासात्मक मनोविज्ञान
(11)निदानात्मक उपचारात्मक क्लीनिक मनोविज्ञान
(12)परा मनोविज्ञान (आधुनिकता का)
(13) पशु मनोविज्ञान
(14)शिक्षा मनोविज्ञान
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Notes by:— ✍संगीता भारती✍
🌻Date-20/04/2021🌻 🎶Batch -UPTET (Part-2)
🌸Education psychology 🌸
🔬शिक्षा मनोविज्ञान🔬
🕵️वाटसन के अनुसार
🥀तुम मुझे एक बालक दो, मैं उसे वो बना सकता हू ,जो मै उसे बनाना चाहता हूं।
✍️अर्थात इन्होंने बालक के अनुवांशिकता पर अधिक महत्व ना देकर वातावरण पर महत्व दिया उनके अनुसार बालक का जिस वातावरण के अनुसार लालन पालन किया जाएगा बालक वैसा ही बनता जाएगा।
🎉जैसे÷एक कुम्हार मिट्टी को जैसा चाहे वैसा आकार आकृति स्वरूप प्रदान कर सकता है ठीक उसी प्रकार से वाटसन महोदय का भी कुछ मत ऐसा ही था।
🕵️वुडवर्थ के अनुसार
🥀मनोविज्ञान में सर्वप्रथम आत्मा का त्याग किया फिर मस्तिष्क का त्याग किया और फिर चेतना का त्याग किया और आज वर्तमान में मनोविज्ञान व्यवहार के विधि स्वरूप को स्वीकार करता है।
✍️ अर्थात, सर्वप्रथम 16 वीं शताब्दी में आत्मा का विज्ञान प्रकाश में आया और 16वीं शताब्दी के अंत में ही यह परिभाषा अमान्य कर दी गई , फिर 17वीं शताब्दी में मनोविज्ञान को मन या मस्तिषक का विज्ञान कहा गया और 18वीं शताब्दी में अमान्य कर दिया गया, फिर इसके बाद ,19वीशताब्दी में मनोविज्ञान को चेतना का विज्ञान कहा किंतु इसको भी अमान्य कर दिया गया, फिर 20वी शताब्दी में मनोविज्ञान को व्यवहार का विज्ञान कहा जाने लगा।
🕵️मेग्डूगल के अनुसार
🥀मनोविज्ञान आचरण और व्यवहार का विज्ञान है।
🕵️स्किनर के अनुसार
🥀मनोविज्ञान व्यवहार के अनुभव का विज्ञान है।
🕵️वाटसन के अनुसार÷
🥀मनोविज्ञान व्यवहार का शुद्ध ,निश्चित सकारात्मक और धनात्मक विज्ञान है।
🕵️क्रो एवं क्रो के अनुसार
🥀मनोविज्ञान मानव व्यवहार और मानव संबंध का अध्ययन करता है।
✍️मानव व्यवहार और मानव संबंध से तात्पर्य है कि जिस प्रकार से मानो एक दूसरे से पारस्परिक अंतः क्रिया के द्वारा एक दूसरे के हाव भाव वह तर्कसंगत के द्वारा एक दूसरे से सीखने से है।
🕵️मन के अनुसार
🥀 आधुनिक मनोविज्ञान का संबंध व्यवहार की वैज्ञानिक खोज से है।
🕵️स्किनर के अनुसार
🥀शिक्षा मनोविज्ञान अध्यापकों की तैयारी की आधारशिला है।
✍️शिक्षा मनोविज्ञान अध्यापक की तैयारी की आधारशिला है क्योंकि इसके द्वारा शिक्षक को इस प्रकार से तैयार किया जाता है कि वह बालक के व्यवहार को समझकर उसकी रूचि उसकी क्षमता तर्क व इत्यादि चीजों के अनुसार अधिगम कराएं वह उन्हें निम्न से सामान्य वा सामान्य से उच्च अधिगम कराकर उनके भावी जीवन को बेहतर बनाने मे मदद् कर सके।
🌸🌸मनोविज्ञान की मुख्य शाखाएं🌸🌸
🏵️असामान्य मनोविज्ञान÷यह मनोविज्ञान की वह शाखा है जिसमें मनुष्य के असाधारण वा असामान्य विचारों, उनके असाधारण व्यवहार असामान्य ज्ञान का अध्ययन किया जा है।
🏵️सामान्य मनोविज्ञान ÷ मनोविज्ञान की वह शाखा है जिसमें मनुष्य के साधारण व सामान्य विचारों उनके साधारण व्यवहार सामान्य ज्ञान व सामान्य तर्क शक्ति इत्यादि का अध्ययन किया जाता है
🏵️तुलनात्मक मनोविज्ञान तुलनात्मक मनोविज्ञान के अंतर्गत पशु पक्षियों की विभिन्न प्रजातियां का अध्ययन किया जाता है।
🏵️प्रयोगात्मक मनोविज्ञान-प्रयोगात्मक मनोविज्ञान प्रयोग कर्ता के व्यवहार वा बुद्धि का अध्ययन किया जाता है।
🏵️समाज मनोविज्ञान-समाज के व्यक्तियों का विभिन्न प्रकार से अध्ययन करना ही समाज मनोविज्ञान है।
🏵️बाल मनोविज्ञान÷ यह मनोविज्ञान की वह शाखा है जिसके अंतर्गत बालक के व्यवहार उसके व्यक्तित्व वा उसकी रुचि, क्षमता वा अन्य गतिविधियो, क्रियाओ का अध्ययन किया जाता है।
🏵️किशोर मनोविज्ञान÷ यह मनोविज्ञान की वह शाखा है जिसके अंतर्गत किशोरों की मनोदशा का अध्ययन किया जाता है।
🏵️प्रौण मनोविज्ञान÷ मनोविज्ञान की वह शाखा है जिसके अंतर्गत प्रौण की मनोदशा, उनका व्यवहार उनकी रूचि के क्रियाकलाप इत्यादि का अध्ययन किया जाता है।
🏵️विकासात्मक मनोविज्ञान ÷मनोविज्ञान की वह शाखा है जिसके अंतर्गत बालक के विकास का क्रमिक अध्ययन किया जाता है।
🏵️निदानात्मक/उपचारात्मक मनोविज्ञान÷ यह मनोविज्ञान की वह शाखा जिसके अंतर्गत बालक के समस्याओं का सर्वप्रथम खोज करके तत्पश्चात उनका निजात या उन कमियो को दूर किया जाता है।
🏵️पशु मनोविज्ञान ÷यह मनोविज्ञान की वह शाखा है जिसके अंतर्गत पशुओं के व्यवहार का अध्ययन किया जाता है।
🏵️शिक्षा मनोविज्ञान ÷यह मनोविज्ञान की वह शाखा है जिसके अंतर्गत शिक्षक छात्र के मनोदशा के अनुसार उनके सीखने के ढंग को उचित प्रकार से सीखता है।
🏵️चिकित्सा मनोविज्ञान÷यह मनोविज्ञान की वह शाखा है जिसके अंतर्गत चिकित्सक रोगी के उपचार के लिए उसकी मनोदशा को समझ कर उसका उपचार करता है।
💞Written BY-shikhar pandey 🥀
शिक्षा मनोविज्ञान
(Education psychology)
(Part 2)
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वाटसन महोदय के अनुसार
वाटसन ने कहा, “तुम मुझे एक बालक दो मैं इसे वो बना सकता हूं जो मैं बनाना चाहता हूं।” वाटसन ने बालक के अनुवांशिकता से अधिक महत्व वातावरण पर दिया उन्होंने कहा कि यदि कोई उनको बालक लाकर देगा तो वह उसको जो चाहे वो बना सकते हैं। अर्थात बच्चे को जैसे वातावरण में पालन पोषण करेंगे और जैसा माहौल देंगे बच्चा बड़ा होकर वैसा ही बनेगा।
वुडवर्थ महोदय के अनुसार
“मनोविज्ञान ने सर्वप्रथम अपनी आत्मा का त्याग किया, फिर मन/मस्तिष्क का त्याग किया, फिर चेतना का त्याग किया, आज वर्तमान में मनोविज्ञान व्यवहार के विधि स्वरूप को स्वीकार करता है।”
मैक्डूगल महोदय के अनुसार
“मनोविज्ञान व्यवहार और आचरण का यथार्थ विज्ञान है।”
स्किनर महोदय के अनुसार
“मनोविज्ञान, व्यवहार और अनुभव का विज्ञान है।”
वाटसन महोदय के अनुसार
“मनोविज्ञान, व्यवहार का शुद्ध, निश्चित, सकारात्मक और धनात्मक विज्ञान है।”
क्रो एंड क्रो के अनुसार
“मनोविज्ञान, मानव व्यवहार और मानव संबंध का अध्ययन करता है।”
मन के अनुसार
“आधुनिक मनोविज्ञान का संबंध व्यवहार की वैज्ञानिक खोज से है।”
स्किनर महोदय के अनुसार
“शिक्षा मनोविज्ञान अध्यापकों की तैयारी की आधारशिला है।”
मनोविज्ञान की मुख्य शाखाएं
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1.सामान्य मनोविज्ञान
सामान्य मनोविज्ञान, मनोविज्ञान की वह शाखा है जिसमें मानव के व्यवहार के अध्ययन के मूलभूत सिद्धांतों एवं नियमों से संबंधित है। यह विभिन्न मनोवैज्ञानिक प्रक्रियाओं जैसे संवेदना, धारणाओं, भावनाओं, सीखने, बुद्धिमत्ता, व्यक्तित्व आदि की व्याख्या करता है।
2.असामान्य मनोविज्ञान
आज के समय में व्यक्ति बहुत सारी निराशा और संघर्षों का सामना कर रहा है जिससे वह लगातार मानसिक तनाव, प्रतिस्पर्धा आदि का सामना कर रहा है। असामान्य मनोविज्ञान विभिन्न प्रकार के मानसिक विकारों एवं उनके लक्षणों और कारणों से संबंधित है।
3.तुलनात्मक मनोविज्ञान
इसमें पशुओं और पक्षियों की विभिन्न प्रजातियों का अध्ययन किया जाता है।
4.प्रयोगात्मक मनोविज्ञान
प्रयोगात्मक मनोविज्ञान में मुख्य रूप से उन्ही समस्याओं का मनोवैज्ञानिक विधि से अध्ययन किया जाता है जिससे दार्शनिक पहले चिंतन अथवा विचार विमर्श द्वारा सुलझाते थे।
अर्थात संवेदना तथा प्रत्यक्षीकरण। बाद में इसके अंतर्गत सीखने की प्रक्रियाओं का अध्ययन भी होने लगा। इसके द्वारा मनुष्यों की अपेक्षा पशुओं को अधिक नियंत्रित परिस्थितियों में रखा जा सकता है साथ ही साथ पशुओं की शारीरिक रचना भी मनुष्य की भांति जटिल नहीं होती। पशुओं पर कई शोध भी हुए हैं।
5.समाज मनोविज्ञान
मनुष्य सामाजिक प्राणी है। इस शाखा के अंतर्गत, व्यक्ति का समाज में किस प्रकार की अंतः क्रिया करता है, किस प्रकार का समायोजन करता है आदि का अध्ययन करता है।
6.औद्योगिक मनोविज्ञान
औद्योगिक मनोविज्ञान में इंसान मशीनों से अलग है उन्हें अपने कार्य स्थान में कई समस्याएं होंगी जैसे- समायोजन, सुरक्षा, स्वास्थ्य, वित्तीय इत्यादि। इन समस्याओं से निपटने के लिए मनोवैज्ञानिक सिद्धांतों और तकनीकों का प्रयोग करते हैं।
7.बाल मनोविज्ञान
बाल मनोविज्ञान में बालकों के व्यवहार, रूचि, क्षमताओं आदि का अध्ययन किया जाता है। इसमें 2 से 12 वर्ष के बच्चों के मनोविज्ञान का अध्ययन किया जाता है।
8.किशोर मनोविज्ञान
किशोर मनोविज्ञान में, किशोरों की मनोदशा का अध्ययन किया जाता है। यह 12 से 18 वर्ष की अवधि तक होता है।
9.प्रोढ़ मनोविज्ञान
मनोविज्ञान की वह शाखा जिसमें प्रौढ़ व्यक्तियों के व्यवहार एवं उनकी मनोदशा का अध्ययन किया जाता है। यह 18 वर्ष से अधिक आयु का अवधी है।
10.विकासात्मक मनोविज्ञान
इसमें बालकों के सर्वांगीण विकास का अध्ययन किया जाता है।
11.निदानात्मक/उपचारात्मक मनोविज्ञान
इसमें बालकों/व्यक्तियों के रोगों एवं विकारों का पता लगाना और उसका उपचार किया जाता है।
12.परा मनोविज्ञान
परा मनोविज्ञान एक विवादास्पद विधा है जो वैज्ञानिक विधि का उपयोग करते हुए इस बात की जांच परख करने का प्रयत्न करती है कि मृत्यु के बाद भी मनोवैज्ञानिक क्षमताओं का अस्तित्व रहता है या नहीं।
इसका संबंध मनुष्य की उस अधिसामान्य शक्तियों से है जिनकी व्याख्या अब तक के प्रचलित सामान्य मनोवैज्ञानिक सिद्धांतों से नहीं हो पाया।
13.पशु मनोविज्ञान
यह वह शाखा है जिसके अंदर जानवरों के व्यवहार का अध्ययन किया जाता है।
14.शिक्षा मनोविज्ञान
शिक्षा मनोविज्ञान का ज्ञान सभी शिक्षकों में होना आवश्यक है। इसके अंतर्गत शिक्षक छात्रों के संपर्क में रह कर उनके उम्र, क्षमता, रुचि आदि को ध्यान में रखकर शिक्षण कार्य करते हैं।
Notes by Shreya Rai ✍️🙏