बाल केंद्रित शिक्षा(child Centered Education)

बालकेन्द्रित शिक्षा शिक्षा बालक की मूल प्रवृत्तियों, प्रेरणाओं और संवेगों पर आधारित होनी चाहिए ताकि उनकी शिक्षा को नयी दिशा दी जा सके यदि उसमे कोई गलती है तो उसे ठीक किया जा सके इसके अंतर्गत बच्चों का शारीरिक व् मानसिक योग्यताओं का अध्ययन करके उनके आधार पर बच्चों की विकास में मदद करते हैं। जैसे यदि कोई बच्चा मानसिक रूप से या शारीरिक से कमजोर है या आपराधिक गतिविधियों से जुड़ा है तो पहले उसकी उस कमी को दूर किया जाता है। कुछ शिक्षक मनोवैज्ञानिक ज्ञान के आभाव में मार पीट कर ठीक करने की कोशिश करते हैं परन्तु यह स्थिति को और खराब कर देगा। भारतीय शिक्षाविद गिजु भाई ने बाल केंद्रित शिक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है उन्होंने इसके लिए कई प्रसिद्द पुस्तकों की रचना की है जो बाल मनोविज्ञान शिक्षा शास्त्र एवं किशोर साहित्य से सम्बंधित हैं।

  • प्राचीन काल में शिक्षा का उद्देश्य केवल बालकों को ज्ञान याद कराना होता था। लेकिन आधुनिक शिक्षा में बालक को केंद्र मानकर योजना बनाई जाती है।  वर्तमान में बालक के संपूर्ण विकास पर बल दिया जाता है।
  • संपूर्ण विकास में बच्चे का शारीरिक, सामाजिक तथा मानसिक विकास आदि सभी पक्ष आते हैं। अतः शिक्षक को शिक्षा मनोविज्ञान का ज्ञान होना अत्यंत आवश्यक है।
  • इस व्यवस्था में प्रत्येक बालक की और अलग से ध्यान दिया जाता है पिछड़े और मंद बुद्धि वाले  बालकों के लिए अलग-अलग पाठ्यक्रम की व्यवस्था की गई है ।
  • बाल केंद्रित शिक्षा में शिक्षा का केंद्र बिंदु बालक होता है ।
  • बाल केंद्रित शिक्षा में बालक की मनोविज्ञान के अनुरूप शिक्षण व्यवस्था की जाती है।
  • इसका उद्देश्य अधिगम संबंधी कठिनाइयों को दूर करना है।
  • इसमें सीखने की प्रक्रिया के केंद्र में बालक होता है।
  • बाल केंद्रित शिक्षा में बालक की शारीरिक और मानसिक योग्यता के विकास पर अध्ययन किया जाता है।
  • इसमें बच्चों की समस्या को दूर करने के लिए निदानात्मक और उपचारात्मक शिक्षण किया जाता है।
  • वैयक्तिक भिन्नता पर बल दिया जाता है।

NCF-2005 Child-centered Education

1  बालक को या शिक्षार्थियों को लक्ष्य पर बनाई गई शिक्षा नीति को बाल केंद्रित शिक्षा कहते हैं।

2  शिक्षार्थियों के सीखने का चरण, शिक्षण कार्य में आने वाली बाधाएं, सीखने का वक्र तथा प्रशिक्षण आदि कारकों को शामिल किया जाता है।

3  यह प्रयोग वादी विचारधारा पर आधारित है।

बाल केंद्रित शिक्षण के सिद्धांत(Principles of Child-Centered Learning)

1  क्रियाशीलता का सिद्धांत

2  प्रेरणा का सिद्धांत

3  उद्देश्य पूर्ण शिक्षा का सिद्धांत

4  रुचि का सिद्धांत

5  विभाजन का सिद्धांत

बाल केंद्रित शिक्षा की विशेषताएं(Characteristics of Child-Centered Education)

1  बालको  का ज्ञान (knowledge of children)

अध्यापकों को सफल होने के लिए बाल मनोविज्ञान का ज्ञान आवश्यक होना चाहिए। इसके अभाव में भी बालकों की विशेषताओं को नहीं समझ पाएंगे शिक्षक को बालक को के व्यवहार आवाज, मान, रूप योगिता ओं तथा व्यक्तित्व का ज्ञान होना चाहिए।

2  शिक्षण विधि (Teaching method)

बाल मनोविज्ञान से अध्यापक को उपयोगी शिक्षण विधि आ सकती है ।उसे पता चलता है कि किस प्रकार के बालक को कैसे किस विधि से पढ़ाया जाए बालकों को नैतिक कहानियों, नाटकों के द्वारा शिक्षा दी जानी चाहिए, उनके जीवन से जुड़े उदाहरण देनी चाहिए। पाठ्यक्रम को  हिस्से में पढ़ाना चाहिए।

3  पाठ्यक्रम(Curriculum)

पाठ्यक्रम को बनाते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि विद्यार्थी व समाज कि क्या आवश्यकताएं होती है ।पाठ्यक्रम और विज्ञान पर आधारित है लचीला होना चाहिए बालकों की रूचि के हिसाब से होना चाहिए ,तथा व्यक्तिगत विभिन्नता ओं के आधार पर होना चाहिए। इसके साथ ही शैक्षणिक उद्देश्यों को पूरा करने वाला भी होना चाहिए।

4 मूल्यांकन और परीक्षण(Evaluation and testing)

मूल्यांकन से बालक की उन्नति का पता चलता है शिक्षक और शिक्षार्थी बार-बार जानना चाहते हैं, कि उन्होंने कितनी प्रगति की है उन्हें सफलता या सफलता मिली है ।तो क्यों और उसमें क्या परिवर्तन किए जा सकते हैं।सभी प्रकार की मूल्यांकन विधियां मनोवैज्ञानिक तथ्य पर आधारित होती है।

बाल केंद्रित शिक्षा के अंतर्गत कक्षा में अनुशासन एवं व्यवस्था बनाए रखने के लिए बाल मनोविज्ञान का सहारा लिया जाता है । उदाहरण के लिए शरारती बालक ओं के अच्छे गुणों को पता लगाकर उन्हें प्रोत्साहित करना चाहिए।

बाल केंद्रित शिक्षा के अंतर्गत पाठ्यक्रम का स्वरूप 

(1) पाठ्यक्रम पूर्व ज्ञान पर आधारित होना चाहिए

(2)  रुचि के अनुसार

(3) जीवन से संबंधित

(4) राष्ट्रीयता की भावना उत्पन्न करने वाला

(5)  सामाजिक आवश्यकता के अनुसार

(6)  मानसिक स्तर का

(7) व्यक्तिगत विभिन्नता के अनुसार

प्रगतिशील शिक्षा(Progressive Education)

प्रगतिशील शिक्षा का एकमात्र उद्देश्य बालक की योग्यताओं का विकास करना है।प्रगतिशील शिक्षा के विकास में जॉन डीवी का विशेष योगदान है। प्रगतिशील शिक्षा यह बताती है कि शिक्षा से बालक के लिए है बालक शिक्षा के लिए नहीं इसीलिए शिक्षा का उद्देश्य ऐसा वातावरण तैयार करना होना चाहिए। जिसमें प्रत्येक बालक की प्रगति तथा विकास हो सके।

इस क्षेत्र में अमेरिकी वैज्ञानिक जॉन डीवी का विशेष योगदान रहा है।जॉन डीवी के अनुसार प्रगतिशील शिक्षा के संबंध में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य इस प्रकार है।

  • ऐसी शिक्षा का एकमात्र उद्देश्य बालक की शक्तियों का विकास करना होता है।
  • शिक्षा बालक के लिए ना कि बालक शिक्षा के लिए होता है।
  • शिक्षण विधि को अधिक व्यवहारिक करने पर बल देना।
  • शिक्षा” रुचि” और” प्रयास” पर आधारित हो।
  •  शिक्षक समाज का सेवक है।
  • शिक्षा को अनिवार्य और सार्वभौमिक बनाने पर जोर।
  • बालक की शिक्षा के लिए ऐसा परिवेश तैयार करना जिसमें बालक का सामाजिक विकास हो सके।
  • बालक को विकास करने के लिए सामाजिक परिवेश उपलब्ध कराना ।

प्रगतिशील शिक्षा की विशेषताएं (Features of progressive education)

(1) बालक को स्वयं करके सीखने पर बल देना चाहिए।

(2) बालक को स्वयं कार्यक्रम बनाने का मौका देना चाहिए।

(3)  समस्या समाधान और महत्वपूर्ण सोच पर जोर देना चाहिए।

(4)  रटन विद्या का विरोध।

(5) सहयोगी और सहकारी शिक्षण परियोजनाओं पर बल देना।

(6)  व्यक्तिगत विभिन्नता ओं के आधार पर शिक्षा का निर्माण।

(7)  स्कूलों में पाठ्यक्रम प्रतिबिंबित होना चाहिए।

(8)  शिक्षण विधि बच्चों की शक्तियों पर केंद्रित होनी चाहिए।

(9) प्रगतिशील शिक्षा एग्जाम तथा मार्क्स पर जोर नहीं देती है।

(10) प्रगतिशील शिक्षा कहती है कि शिक्षा ऐसी है जो बच्चों को उसके भविष्य में काम आए।

(11)  समूह में कार्य करके एक्टिविटीज के द्वारा सीखना।

शिक्षार्थियों का सहयोग

  • मार्गदर्शक
  • निर्देशक
  • परामर्श
  • सुविधा प्रदाता
  • सर्वांगीण विकास करना

विगत वर्षो में पूछे गए प्रश्न उत्तर

प्रश्न1  प्रगतिशील शिक्षा के संदर्भ में” सामान शैक्षणिक अवसर” से अभिप्राय है कि सभी छात्र-

  1. समान शिक्षा पाने के बाद अपनी क्षमताओं को सिद्ध कर सके।
  2. किसी भी जाति, पंथ, रंग, क्षेत्रवाद धर्म के होते हुए भी समान शिक्षा प्राप्त करें।
  3. बिना किसी भेद के समान पद्धति व सामग्रियों से शिक्षा प्राप्त करें।
  4. ऐसी शिक्षा पाए जो उनके लिए अनुकूलता हो तथा उनके भविष्य के कार्यों में सहायक हो।

Ans- d

             प्रश्न2   प्रगतिशील शिक्षा निम्नलिखित में से किस कथन से संबंधित है।

  1. शिक्षक सूचना और  प्राधिकार के प्रवर्तक होते हैं।
  2. ज्ञान प्रत्यक्ष अनुभव और सहयोग से उत्पन्न होता है।
  3. अधिगम तथ्यों के एकत्रीकरण और कौशल में प्रवीणता के साथ सीधे मार्ग पर चलता है।
  4. परीक्षा मानदंड संदर्भित और  वाहय है।

Ans – b

प्रश्न3 एक शिक्षार्थी केंद्रित कक्षा कक्ष में अध्यापिका करेगी।

(a) अधिगम को सुगम बनाने के लिए बच्चों को एक दूसरे के साथ अंकों के लिए मुकाबला करने हेतु प्रोत्साहित करना।

(b)वह अपने विद्यार्थियों से जिस प्रकार की अपेक्षा करती है उसे प्रदर्शित करना और तब बच्चों को वैसा करने के लिए दिशा निर्देशन देना।

(c)इस प्रकार की पद्धतियों को नियोजित करना जिसमें शिक्षार्थी अपने स्वयं के अधिगम के लिए पहल करने में प्रोत्साहित है

(d)मुख्य तत्वों की व्याख्या करने के लिए व्याख्यान पद्धति का प्रयोग करना और बाद में शिक्षार्थियों का उनकी सजगता के लिए आकलन करना

Ans- c

प्रश्न4  प्रगतिशील शिक्षा में अपरिहाथ है कि कक्षा कक्षा।

(a) शिक्षक की पूर्ण नियंत्रण में होता है जिसमें वह अधिनायकतावादी होता है।

(b) लोकतांत्रिक होता है और समझने के लिए बच्चों को पर्याप्त स्थान दिया गया होता है।

(c) सत्तावादी होता है जहां शिक्षक आदेश देता है और शिक्षार्थी चुपचाप अनुसरण करते हैं।

(d) सबके लिए मुक्त होता है जिसमें शिक्षक अनुपस्थित होता है।

          Ans – b

    प्रश्न5  एक प्रगतिशील व्यवस्था में विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को।

         (a) अन्य बच्चों में पृथक किया जाता है तथा केवल भोजन के समय मिलने दिया जाता है।

          (b) केवल व्यवसायिक प्रशिक्षण दिया जाता है।

           © उन्हें एक शर्त पर दूसरे बच्चों में घुलने मिलने की आज्ञा होती है कि वह सभ्य व्यवहार संतुलित रखें।

           (d) अन्य बच्चों के साथ पढ़ाया जाता है तथा उनकी आवश्यकता हेतु विशेष व्यवस्था की जाती है।

  Ans- d

प्रश्न6  प्रगतिवादी शिक्षा –

  1. इस मत पर विश्वास करती है कि शिक्षक को अपने उपागम में दृढ़ रहना है और वर्तमान समय में बिना दंड का प्रयोग किए बच्चों को पढ़ाया नहीं जा सकता है।
  2. समस्या समाधान और आलोचनात्मक चिंतन पर अधिक बल देती है।
  3. अनुबंधन और पुनर्बलन के सिद्धांतों पर आधारित।
  4. पाठ्य पुस्तक को पर आधारित है क्योंकि विज्ञान की एकमात्र राज्य स्त्रोत है।

Ans – b

प्रश्न7 “ बाल केंद्रित”  शिक्षा शास्त्र का अर्थ है?

(a) शिक्षक द्वारा बच्चों को आदेश देना कि क्या किया जाना चाहिए।

(b)  बच्चों के अनुभवों और उनकी आवाज को प्रमुखता देना।

©  निर्धारित सूचना का अनुसरण करने में बच्चों को सक्षम बनाना।

(d)  कक्षा में सारी बातें सीखने के लिए शिक्षक का आगे आगे होना।

Ans- b

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *