12/04/2021.            Monday  

             TODAY CLASSE….

      संज्ञानात्मक विकास के संप्रत्यय

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 ➖ *संरक्षण*

:— वातावरण में परिवर्तन कथा स्थिरता को  पहचानने की और समझने की क्षमता संरक्षण है।

 ➖ वस्तु के तहत स्वरूप में परिवर्तन होता है

➖ और वस्तु के तत्व में परिवर्तन से अलग करने की क्षमता को संरक्षण कहते हैं

 ➖ *संज्ञानात्मक संरचना*

:— संज्ञानात्मक संरचना से तात्पर्य बालक के मानसिक संरचना से है

➖ *मानसिक संक्रिया/ प्रक्रिया*

 इसका तात्पर्य बच्चों द्वारा किए गए समस्या का समाधान पर चिंतन करना मानसिक संक्रिया करना माना जाता है

➖ *स्कीम्स( पैटर्न)*

बच्चों द्वारा व्यवहार के संगठित पैटर्न जिसको आसानी से दोहराया जा सके वही संगठित पैटर्न स्कीम्स कहलाता है

जैसे:— कार चलाने की के लिए कार्य स्टार्ट करना गियर लगाना स्पीड देना आदि।

➖ *स्कीमा/( मानसिक संरचना)*

स्कीमा मानसिक संरचना है जिसका सामान्य करण किया जा सके।

➖ *विकेंद्रीकरण*

किसी भी वस्तु या चीज के बारे में वस्तुनिष्ट या वास्तविक ढंग से सोचने की क्षमता विकेंद्रीकरण कहलाती है।प्रारंभ में बालक ऐसा नहीं सोचता परंतु 2 साल का होते होते हो वस्तु के बारे में वास्तविक ढंग से सोचने लगता है।

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Notes by:—✍ संगीता भारती✍

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संज्ञानात्मक विकास के संप्रत्यय

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 🌸संरक्षण

वातावरण में परिवर्तन कथा स्थिरता को  पहचानने की और समझने की क्षमता संरक्षण है।

 👉🏻वस्तु के तहत स्वरूप में परिवर्तन होता है।

👉🏻और वस्तु के तत्व में परिवर्तन से अलग करने की क्षमता को संरक्षण कहते हैं

 🟢संज्ञानात्मक संरचना÷

संज्ञानात्मक संरचना से तात्पर्य बालक के मानसिक संरचना से है।

🟢मानसिक संक्रिया/ प्रक्रिया÷

 इसका तात्पर्य बच्चों द्वारा किए गए समस्या का समाधान पर चिंतन करना मानसिक संक्रिया करना माना जाता है

🟢स्कीम्स( पैटर्न)÷

बच्चों द्वारा व्यवहार के संगठित पैटर्न जिसको आसानी से दोहराया जा सके वही संगठित पैटर्न स्कीम्स कहलाता है

जैसे:— कार चलाने की के लिए कार्य स्टार्ट करना गियर लगाना स्पीड देना आदि।

🟢स्कीमा/( मानसिक संरचना)

स्कीमा मानसिक संरचना है जिसका सामान्य करण किया जा सके।

🟢विकेंद्रीकरण÷

किसी भी वस्तु या चीज के बारे में वस्तुनिष्ट या वास्तविक ढंग से सोचने की क्षमता विकेंद्रीकरण कहलाती है।प्रारंभ में बालक ऐसा नहीं सोचता परंतु 2 साल का होते होते हो वस्तु के बारे में वास्तविक ढंग से सोचने लगता है।

Notes by shikha tripathi

संज्ञानात्मक विकास के संप्रत्यय

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12 April 2021 

🌲🌺  अनुकूलन ( अपनाना )  is Adaptation  :-

बालकों में वातावरण / अपने परिवेश के साथ सामंजस करने की जन्मजात प्रवृत्ति ही “अनुकूलन ” कहलाती है।

🌷 अनुकूलन के निम्नलिखित दो प्रकार हैं :-

1.  आत्मसात्करण

2.  समायोजन 

🌲    आत्मसात्करण ( पूर्व ज्ञान )  Assimilation  :-

किसी भी समस्या समाधान के लिए पहले सीखी हुई योजना का मानसिक प्रक्रिया में सहारा लेना ही,                ‘ आत्मसात्करण ‘ होता है ।

        अतः जब बालक समस्या समाधान के लिए या वातावरण के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए ” पूर्व में सीखी हुई क्रियाओं या ज्ञान”  का सहारा लेता है, 

इसे ही “आत्मसात्करण” कहते हैं।

[पूर्व में सीखे हुये ज्ञान / तरीकों का सहारा ही  ‘आत्मसात्करण’ है। ]

  जैसे कि छोटे बच्चे एक बार सीढ़ियों पर या  थोड़ी सी कोई ऊंचाई पर चढ़ने के लिए किसी कुर्सी आदि का सहारा लेते हैं तो वह उनके संज्ञान में निश्चित रूप से विद्यमान हो जाता है और यही, यदि वह किसी अन्य जगह किसी और समय में  सीढ़ी/ थोड़ी सी ऊंचाई पर चढ़ने के लिए कोशिश करते हैं तो वह अपना पुराना संज्ञान याद करते हैं यानी कि वह खोजते हैं कि उन्हें कोई कुर्सी या कोई ऐसी वस्तु मिल जाए जिससे वह उस ऊंचाई पर चढ़ सके ,  यही होता है आत्मसात्करण,  यानी कि किसी भी वातावरण में या किसी भी परिस्थिति में अपने पहले सीखे हुए ज्ञान / अनुभव को दूसरे कार्यों में भी लगाना।

🌺🌲  समायोजन /सामंजस्य ( योजना व्यवहार परिवर्तन )  Accommodation  :-

  यदि पहले सीखी हुई योजना,  तरीका या मानसिक प्रक्रिया से काम नहीं चल पाता है तो व्यक्ति इस स्थिति में अपने वातावरण के साथ समायोजन / सामंजस्य करता है।  यही समायोजन है।

      पूर्व में सीखी हुई क्रिया हमेशा काम नहीं आती,अतः यहां अपनी योजनाओं, व्यवहार में परिवर्तन से नए वातावरण में सामंजस्य स्थापित करते हैं, इसे ही समायोजन Adjustment कहते हैं।

 अतः जीन पियाजे कहते हैं कि बालक को आत्मसात्करण और समायोजन के बीच संतुलन करना अति आवश्यक होता है।

जब किसी व्यक्ति और उसके पर्यावरण के बीच संबंध,  स्थापित मानदंडों के अनुसार होता है तो उस संबंध को सामान्य समायोजन माना जाता है ।

एक बच्चा जो अपने माता-पिता का पालन करता है , जो अनावश्यक जिद्दी नहीं है , जो नियमित रूप से पढ़ते हैं आदि साफ आदत को समायोजित माना जाता है।

🌷  साम्यधारण  Equilibrium   :-

साम्यधारण में बच्चा “आत्मसात्करण”  और  “समायोजन” के बीच संतुलन स्थापित करता है।

नई समस्याओं ➡️ संज्ञानात्मक असंतुलन

समायोजन ➡️ आत्मसात्करण➡️ समाधान

अर्थात जब बच्चे आत्मसात्करण और समायोजन की स्थितियों में संतुलन बना लेते हैं तब वह साम्यधारण की स्थिति में पहुंच जाते हैं।

इस तरह से साम्यधारण एक तरह की आत्म – नियंत्रक प्रक्रिया है।

🌷  संरक्षण   Protection  :-

वातावरण में परिवर्तन तथा स्थिरता को पहचानने और समझने की क्षमता ही संरक्षण कहलाता है।

   वस्तु के तहत , स्वरूप में परिवर्तन होता है और वस्तु के तत्व में परिवर्तन से अलग करने की क्षमता को संरक्षण कहते हैं।

🌷  संज्ञानात्मक / मानसिक संरचना

Cognitive/ Mental Structure  :-

संज्ञानात्मक/ मानसिक संरचना में मानसिक संगठन और मानसिक क्षमता को महत्वपूर्ण माना जाता है।

[ मानसिक “संगठन”   +   मानसिक “क्षमता”  ]

🌷  मानसिक संक्रिया  Mental Operation  :-

किसी भी समस्या के समाधान पर चिंतन मानसिक संक्रिया करना ही माना जाता है। 

मानसिक संक्रिया अर्थात दिमाग से सोचना/ दिमाग लगाना

 🌷  स्कीम्स ( पैटर्न)  Schems   :-

व्यवहार के संगठित पैटर्न , जिसको आसानी से दोहराया जा सके वही संगठित पैटर्न  ” स्कीम्स ”  कहलाता है।

अतः स्कीम्स मानसिक संक्रिया की अभिव्यक्ति होती है।

🌷  स्कीमा   Scheme   :-

स्कीमा एक मानसिक संरचना है जिसका सामान्यीकरण  करना ही ” स्कीमा ”  कहलाता है।

🌷  विकेंद्रीकरण  Decentralization   :-

किसी भी वस्तु या चीज के बारे में वास्तविक / वस्तुनिष्ठ ढंग से सोचने की क्षमता ही “विकेंद्रीकरण ”  कहलाती है।

     प्रारंभ में बालक ऐसा सोचता है परंतु 2 साल का होते –  होते वह वस्तु के बारे में वास्तविक ढंग से सोचने लगता है।

🌺✒️ Notes by – जूही श्रीवास्तव ✒️🌺

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