विद्यालय में गुणात्मक परीक्षाओं का उपयोग आंतरिक मूल्यांकन के लिए किया जाता है तथा गुणात्मक परीक्षाएं पांच प्रकार की होती है:-
1. संचयी अभिलेख–विद्यालयों में प्रत्येक छात्र के संबंध में सूचनाओं को क्रमबद्ध रूप से व्यवस्थित किया जाता है इसमें शैक्षिक प्रगति, मासिक परीक्षा-फल, उपस्थिति योग्यता तथा अन्य विद्यालयों की क्रियाओं में भाग लेने आदि का आलेख प्रस्तुत किया जाता है छात्र की प्रगति तथा कमजोरियों को जानने के लिए अभिभावकों, शिक्षकों तथा प्रधानाचार्य के लिए यह अधिक उपयोगी आलेख होता है।
2.एनेकडोटल आलेख– इसमें बालकों के व्यवहार से संबंधित महत्वपूर्ण घटनाओं तथा कार्यों का वर्णन किया जाता है इन कार्यों तथा घटनाओं का आलेख सही रूप में किया जाता है निरीक्षण करने वाले छात्र की सूचियों तथा झुकाव को उत्पन्न करने वाले घटकों का भी उल्लेख करता है।
3. निरीक्षण–इनका प्रयोग विशेष रूप से छोटे बालकों के मूल्यांकन के लिए किया जाता है क्योंकि उनको अन्य कोई परीक्षा नहीं दी जा सकती है और उनके व्यवहार में वास्तविकता होती है इसका प्रयोग उनकी योग्यता तथा व्यवहारों के संबंध में किया जाता है।
4. जांच सूची–लिखित तथा मौखिक परीक्षाएं छात्रों के ज्ञानात्मक पक्ष की परीक्षा करती है और प्रयोगात्मक परीक्षा कौशल तथा क्रियात्मक पक्ष की जांच करती हैं जांच सूची का प्रयोग अभिरुचि अभिव्यक्तियों तथा भावात्मक पक्ष के लिए किया जाता है।
5. अनुपस्थिति मापनी–इसमें कुछ कथन दिए जाते हैं उनका तीन,पांच,सात बिंदुओं तक सापेक्ष निर्णय करना होता है इनका प्रयोग उच्च कक्षाओं के छात्रों के लिए ही किया जा सकता है क्योंकि निर्णय लेने की शक्ति छोटी आयु के छात्रों में नहीं होती है।