शिक्षाशास्त्र  मनोविज्ञान

  • शिक्षण जिसे अंग्रेजी में Teaching कहा जाता है। इसका तात्पर्य होता है- सीखना, पढाना, शिक्षा प्रदान करना एवं अध्ययन कार्य।
  • शिक्षा प्रक्रिया के दो अंग होते है- 1 शिक्षण, 2 अधिगम।

शिक्षण की अवधारणा

1. परम्परागत अवधारणाः 

  • शिक्षार्थी को कक्षा कक्षीय स्थिति में किसी विषय का सचेश्ट ज्ञान प्रदान करना ही अनुदेशन कहलाता है तथा यह अनुदेन देना ही शिक्षण कहलाता है।
  • यह शिक्षण की पारम्परिक अवधारणा है, इसमें एक अल्पज्ञ अपने से अधिक ज्ञान रखने वाले से सूचनाओं को प्राप्त करता है।

2. आधुनिक अवधारणाः 

  • शिक्षण की इस अवधारणा के अनुसार शिक्षण ऐसी प्रक्रिया है जिसमें विद्यार्थी, अध्यापक पाठ्यक्रम तथा अन्य विभिन्न वस्तुओं से पूर्व निश्चित लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए विधिवत एवं मनोवैज्ञानिक रूप से गठित किया जाता है।

शिक्षण की परिभाषा 

  • रायबर्न के अनुसार ‘‘ शिक्षण एक ऐसा संबंध है जो बच्चे को अपनी  शक्तियों के विकास के लिए अग्रसर करता है।’’
  • बर्टन ‘‘शिक्षण अधिगम का उद्दीपन, निर्देशन एवं प्रोत्साहन है।’’
  • गेज ‘‘शिक्षण एक प्रकार का अन्तःपारस्परिक संबंध है, जिसका उद्देश्य दूसरों के व्यवहारों में परिवर्तन करना है।’’
  • स्मिथ ‘‘शिक्षण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसका सम्पादन अन्तःपारस्परिक संबंधों के माध्यम से अधिगम को बढाना है।’’
  1. शिक्षण एक त्रिध्रुवीय प्रक्रिया है, जिसमें शिक्षक, विद्यार्थी एवं पाठ्यक्रम के मध्य अन्तःक्रिया होती है।
  2. द्विमुखी शिक्षणः एडमस
  3. त्रिमुखी शिक्षणः जॉन डिवी

शिक्षण व अधिगम में अन्तर

1. क्रियाओं के आधार परः 

  • शिक्षण में जटिल परन्तु अन्तर्सम्बन्धित क्रियाएं सम्मिलित होती है, जैसे- प्रशंसा करना, प्रश्न पूछना, भाषण देना, प्रोत्साहन देना, कथन प्रदर्शन, अनुदेशन देना, निर्देश देना, विद्यार्थियों की क्रियाओं को स्वीकृत करना एवं संशोधित करना। जबकि अधिगम व्यक्तिगत क्रिया है। यह विद्यार्थी के उपक्रम में घटित होती है।

2. लक्ष्यों के आधार पर अन्तरः 

  • शिक्षण कुछ ऐसी क्रियाओं का समूह होता है जिन्हें पूर्व निश्चित लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए विशेष रूप से नियोजित एवं कार्यान्वित किया जाता है। जबकि अधिगम में लक्ष्यों की प्राप्ति या शिक्षण का परिणाम निहित होता है।

3. कारण के आधार परः 

  • शिक्षण एक कार्य है जबकि अधिगम उसका परिणाम है।

4. सामाजिक कार्य के आधारः 

  • शिक्षण एक सामाजिक कार्य है जो दूसरों के हित के लिए व्यवस्थित किया जाता है। यह कार्य सामाजिक संदर्भ में घटित होता है। इसमें अध्यापक, विद्यार्थी, विषयवस्तु की जटिलता के साथ अन्तःक्रिया करता है। जबकि अधिगम एक व्यक्तिगत क्रिया है जिसमें मात्र सम्बन्धित व्यक्ति का हित निहित रहता है।

5. ईच्छा के आधार परः 

  • शिक्षण ईच्छापूर्वक किया गया एक कार्य है जबकि अधिगम कार्य की परिणीति है।

6. कार्य के आधार परः 

  • शिक्षण को एक कार्य भी कहा जा सकता है जिसमें किसी प्रकार की क्रिया निहित होती है और अधिगम को सफलता की उपलब्धि कहा जाता है।

शिक्षण व अधिगम के मध्य सम्बन्ध –

  • शिक्षण व अधिगम के मध्य घनिष्ठ सम्बन्ध पाया जाता है। शिक्षण व अधिगम को एक-दूसरे से अलग नहीं किया जा सकता है। 
  • ये एक-दूसरे के अनुवर्ध्दक भी है और अनुपूरक भी है। 
  • शिक्षण ही अधिगम को उद्दीप्त, निर्देशित एवं प्रोत्साहित करता है और विद्यार्थी के प्रभावशाली समायोजन में सहायता करता है।
  • वस्तुतः अधिगम समायोजन का ही दूसरा नाम है। शिक्षण विद्यार्थी की क्रिया का निर्देशन एवं संवेगों का प्रशिक्षण है। जिससे सीखने का विकास होता है।
  • शिक्षण ही अधिगम (बच्चे) का कारण बनता है। 
  • संक्षिप्त रूप में अच्छे शिक्षण से तात्पर्य होता है, ज्यादा से ज्यादा अधिगम।

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