बच्चों में सीखने की पहचान

एक शिक्षण विशेषज्ञ के रूप में सीखने की कठिनाइ से संबंधित कक्षा व्यवहार में आसानी से पहचान करना आवश्यक है
मनोवैज्ञानिक और विशेषज्ञ बच्चे के सीखने की पहचान करने के लिए विभिन्न उपकरण या तकनीक का उपयोग करते हैं

  1. अवलोकन तकनीक-शिक्षक द्वारा बच्चों के व्यवहार को अध्ययन करके अवलोकन द्वारा समझा जाता है यह अवलोकन सरल के साथ-साथ नियंत्रणीय परिस्थितियों में भी होते हैं।
    एक बच्चे का व्यवहार ना केवल कक्षा में बल्कि खेल के मैदान घर और समूह में भी देखा जाता है
    अवलोकन केवल बच्चों के व्यवहार को देखने और बच्चों के व्यवहार की जानकारी ग्रहण करने के लिए किया जाता है
  2. केस स्टडी विधि-बच्चों का इतिहास, उसका परिवार, प्रारंभिक जीवन और घर का वातावरण
  3. चिकित्सा परीक्षण-बच्चों के विकासात्मक इतिहास को विशेषज्ञ या चिकित्सक द्वारा सत्यापित किया जाना चाहिए
    बच्चे की विसंगति विकलांगता आदि
  4. स्कोलास्टिक टेस्ट-बच्चे की सामान्य व विशिष्ट समस्याओं को अलग किया जाता है
  5. व्यक्तित्व परीक्षण-प्रास़गिक अन्तर्बोध परीक्षण,स्हाही धब्बा परीक्षण आदि के द्वारा भावनात्मक विशेषताओं को समझा जाता है
  6. खुफिया परीक्षण या बुद्धि परीक्षण-बौद्धिक स्तर के लिए
  7. मनोवैज्ञानिक टेस्ट-तर्कशक्ति स्मृति स्थिरता श्रवण शक्ति ज्ञान की अवधि आदि के लिए

Notes by Ravi kushwah

बच्चों की सीखने की पहचान-
एक शिक्षण विशेषज्ञ के रुकने की कठिनाइयों से संबंधित जो व्यवहार में आसानी से पहचानना आवश्यक है ।
मनोवैज्ञानिक और विशेषज्ञ बच्चों के सीखने की पहचान करने के लिए विनती करने वालों को पहचान की जा सके।

1 – अवलोकन – तकनीकी शिक्षक द्वारा बच्चों के व्यवहार को अध्ययन करके अवलोकन द्वारा समझा जा सकता है। वह अवलोकन को सरल के साथ-साथ नियंत्रण परिस्थिति में भी किया जाता है ।एक बच्चे का व्यवहार न केवल कक्षा में बल्कि खेल के मैदान में घर और समूह में भी देखा जाता ।है ।
अवलोकन केवल बच्चे के व्यवहार को देखने और बच्चे के साथ आगे बढ़ने से होता है।

2– केस स्टडी विधि– बच्चों का इतिहास उनका परिवार प्रारंभिक जीवन और घर के वातावरण संबंधित है।

3– चिकित्सा परीक्षण– बच्चों की विकासात्मक इतिहास के विशेषज्ञ चिकित्सक द्वारा सत्यापित किया जाना चाहिए।

4–स्कोलिस्टिक परीक्षण– बच्चे सामान्य तथा विशिष्ट समस्याओं को अलग-अलग कर दिया जाता है।
5– व्यक्तित्व परीक्षण इसके अंतर्गत टी ए टी आईबीटी परीक्षण आता है या भावात्मक विशेषता है।
6 खुफिया परीक्षण या बुद्धि परीक्षण– यह बच्चे के बौद्धिक स्तर का होता है।
7– मनोवैज्ञानिक परीक्षण– तर्कशक्ति स्मृति स्थिरता श्रावण ध्यान की अवधि इन सब चीजों का पता चलता है।

पूनम शर्मा

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बच्चों में सीखने की पहचान

एक शिक्षण विशेषज्ञ के रूप में सीखने की कठिनाइ से संबंधित कक्षा व्यवहार में आसानी से पहचान करना आवश्यक है
मनोवैज्ञानिक और विशेषज्ञ बच्चे के सीखने की पहचान करने के लिए विभिन्न उपकरण या तकनीक का उपयोग करते हैं |

  1. अवलोकन तकनीक-शिक्षक द्वारा बच्चों के व्यवहार को अध्ययन करके अवलोकन द्वारा समझा जाता है यह अवलोकन सरल के साथ-साथ नियंत्रणीय परिस्थितियों में भी होते हैं।

एक बच्चे का व्यवहार ना केवल कक्षा में बल्कि खेल के मैदान घर और समूह में भी देखा जाता है
अवलोकन केवल बच्चों के व्यवहार को देखने और बच्चों के व्यवहार की जानकारी ग्रहण करने के लिए किया जाता है |

  1. केस स्टडी विधि-बच्चों का इतिहास, उसका परिवार, प्रारंभिक जीवन और घर का वातावरण |
  2. चिकित्सा परीक्षण-बच्चों के विकासात्मक इतिहास को विशेषज्ञ या चिकित्सक द्वारा सत्यापित किया जाना चाहिए
    बच्चे की विसंगति विकलांगता आदि |
  3. स्कोलास्टिक टेस्ट-बच्चे की सामान्य व विशिष्ट समस्याओं को अलग किया जाता है |
  4. व्यक्तित्व परीक्षण-प्रास़गिक अन्तर्बोध परीक्षण,स्हाही धब्बा परीक्षण आदि के द्वारा भावनात्मक विशेषताओं को समझा जाता है |
  5. खुफिया परीक्षण या बुद्धि परीक्षण-बौद्धिक स्तर के लिए
    |
  6. मनोवैज्ञानिक टेस्ट-तर्कशक्ति स्मृति स्थिरता श्रवण शक्ति ज्ञान की अवधि आदि के लिए |

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𝙉𝙤𝙩𝙚𝙨 𝙗𝙮 𝙍𝙖𝙨𝙝𝙢𝙞 𝙨𝙖𝙫𝙡𝙚

Date – 22/06
Time- 7.45 am

बच्चों में सीखने की पहचान-
एक शिक्षण विशेषज्ञ के रूप में सीखने की कठिनाई संबंधित कक्षा व्यवहार आसानी से पहचान करना आवश्यक है।
मनोवैज्ञानिक और विशेषज्ञ बच्चे के सीखने की पहचान करने के लिए विभिन्न उपकरण या तकनीक का उपयोग करते हैं –
1.अवलोकन तकनीक-
शिक्षक द्वारा बच्चों के व्यवहार को अध्ययन करके अवलोकन द्वारा समझा जा सकता है।
यह अवलोकन सरल के साथ-साथ नियंत्रिणीय परिस्थिति में भी किया जाता है।
एक बच्चे का व्यवहार ना केवल कक्षा में बल्कि खेल के मैदान घर और समूह में भी देखा जाता है।
अवलोकन केवल बच्चों के व्यवहार को देखने और बच्चों के साथ आगे बढ़ने से होता है।

  1. केस स्टडी विधि-
    बच्चे का इतिहास उसका परिवार प्रारंभिक जीवन और घर का वातावरण इन सब चीजों के बारे में स्टडी करता है।

3- चिकित्सा परीक्षणपरीक्षण-

बच्चों के विकासात्मक इतिहास को विशेषज्ञ द्वारा या चिकित्सक द्वारा सत्यापित किया जाना चाहिए।

  1. स्कॉलास्टिक टेस्ट –
    सामान्य और विशिष्ट समस्याओं को अलग किया जाता है।
  2. व्यक्तित्व परीक्षण –
    TAT, IBT – भावनात्मक विशेषता पता करने के लिए।
  3. खुफिया परीक्षा यह बच्चों के बौद्धिक स्तर के कारण होता है यह मौखिक भी होता है और गैर मौखिक के लिए
  4. मनोवैज्ञानिक टेस्ट –
    तर्कशक्ति स्मृति स्थिरता श्रवण शक्ति ध्यान की अवधि इन सब का पता चलता है।

Notes by निधि तिवारी🌿🌿🌿🌿🌿

🌺🌼 बच्चों में सीखने की पहचान 🌼🌺
एक शिक्षण विशेषज्ञ के रूप में सीखने की कठिनाई से संबंधित जो कक्षा व्यवहार में आसानी से पहचान करना आवश्यक है मनोवैज्ञानिक और विशेषज्ञ बच्चे की सीखने की पहचान करने के लिए विभिन्न उपकरण या तकनीक का उपयोग करते हैं |
(1) अवलोकन तकनीक ➖
शिक्षण शिक्षक द्वारा बच्चों के व्यवहार को अध्ययन करके अवलोकन द्वारा समझा जाता है |
यह अवलोकन औरल के साथ-साथ नियंत्रणीय परिस्थिति में भी किया जाता है |
एक बच्चे का व्यवहार ना केवल कक्षा में बल्कि खेल के मैदान घर और समूह में भी देखा जाता है अवलोकन केवल बच्चे के व्यवहार को देखने और बच्चो के साथ आगे बढ़ने से होता है |

(2) केस स्टडी विधि ➖ बच्चे का इतिहास उसके परिवार प्रारंभिक जीवन और घर का वातावरण है |

(3) चिकित्सा परीक्षण ➖ बच्चों की विकासात्मक इतिहास को विशेषज्ञ चिकित्सक द्वारा संप्राप्ति किया जाना चाहिए – विसंगति , विकलांगता

(4) स्कोलास्टिड टेस्ट ➖
यह बच्चे में सामान्य और विशिष्ट समस्या को अलग किया जाता है |

(5) व्यक्तित्व परीक्षण ➖
TAT IBT भावनात्मक विशेषता का पता करने के लिए |

(6) खुफिया बुद्धि परीक्षण ➖
यह परीक्षण बौद्धिक स्तर के लिए उपयगी है |

(7) मनोवैज्ञानिक टेस्ट ➖
तर्क शक्ति स्मृति स्थिरता श्रवण शक्ति ध्यान की अवधि |

Notes by ➖Ranjana Sen

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