अधिगम (सीखने) के सिद्धांत – Theories (Principles) of Learning

अधिगम (सीखना) एक प्रक्रिया है। जब हम किसी कार्य को करना सीखते हैं, तो एक निश्चित क्रम से गुजरना होता है। विभिन्न मनोवैज्ञानिकों ने सीखना कैसे होता है, इस पर कुछ सिद्धांतों को निर्धारित किया है। अतः किसी भी उद्दीपक के प्रति क्रमबद्ध प्रतिक्रिया की खोज करना ही अधिगम सिद्धांत होता है।

  1. प्रयत्न और भूल का सिद्धान्त (Theory of Trial and Error)
    किसी कार्य को हम एकदम से नहीं सीख पाते हैं। सीखने की प्रक्रिया में हम प्रयत्न करते हैं और बाधाओं के कारण भूलें भी होती हैं। लगातार प्रयत्न करने से सीखने में प्रगति होती है और भूलें कम होती जाती हैं। अत: किसी क्रिया के प्रति बार-बार प्रयास करने से भूलों का ह्रास होता है, तो इसको प्रयत्न और भूल का सिद्धान्त कहते हैं, वुडवर्थ के अनुसार- “प्रयत्न और त्रुटि में किसी कार्य को करने के लिये अनेक प्रयत्न करने पड़ते हैं, जिनमें अधिकांश गलत होते हैं।“ एल. रेन (L. Rein) के अनुसार- “संयोजन सिद्धान्त वह सिद्धान्त है, जो यह मानता है कि प्रक्रियाएँ, परिस्थिति और प्रतिक्रिया में होने वाले मूल या अर्जित कार्य सम्मिलित हैं।”
  1. सम्बद्ध प्रतिक्रिया का सिद्धान्त (Conditioned Response Theory)
    साहचर्य के द्वारा सीखने में सम्बद्ध सहज क्रिया सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण मानी जाती है। जब हम अस्वाभाविक उद्दीपक के प्रति स्वाभाविक प्रतिचार करने लगते हैं, तो वहाँ पर सम्बद्ध प्रतिक्रिया के द्वारा सीखना उत्पन्न होता है। जब खाने को देखने पर कुत्ते के मुँह में लार आ जाती है या घण्टी बजने पर लार, आने लगे तो सम्बद्ध प्रतिक्रिया के द्वारा सीखना होता है। जैसा कि बरनार्ड ने लिखा है, “सम्बद्ध प्रतिक्रिया, उद्दीपक की पुनरावृत्ति द्वारा व्यवहार का स्वचालन है, जिसमें उद्दीपक पहले किसी प्रतिक्रिया के साथ होती है, किन्तु अन्त में वह स्वयं ही उद्दीपक बन जाती है।”
  1. ऑपरेन्ट कन्डीशनिंग या स्किनर का क्रिया प्रसूत अनुबन्धन (Skinner’s Operant Conditioning)
    उत्तेजक प्रतिक्रिया अधिगम सिद्धान्तों की कोटि में बी. एफ. स्किनर ने सन् 1938 में क्रिया प्रसूत अधिगम प्रतिक्रिया को विशेष आधार देकर महान योगदान दिया। स्किनर ने इस प्रक्रिया को प्रमाणित करने के लिये मंजूषा का निर्माण किया, जिसे स्किनर बॉक्स या स्किनर मंजूषा के नाम से जाना जाता है।
  1. अन्तर्दृष्टि या सूझ का सिद्धान्त (Theory of Insight)
    सीखने का सूझ का सिद्धान्त गैस्टाल्टवादियों की देन है। वे लोग समग्र में विश्वास करते हैं, अंश में नहीं। जैसा कॉलसनिक ने लिखा है- “अधिगम व्यक्ति के वातावरण के प्रति सूझ तथा आविष्कार के सम्बन्ध को स्पष्ट करने वाली प्रक्रिया है।“ प्रस्तुत सिद्धान्त के प्रणेता कोहलर और बर्दीमर थे। ये सीखने को सामग्री की सार्थकता और परिणाम पर आधारित मानते हैं। अपने सूझ को बुद्धि का परिणाम मानकर कार्य किया है।
  1. अनुकरण का सिद्धान्त (Theory of Imitation)
    अनुकरण एक सामान्य प्रवृत्ति है, जिसका प्रयोग मानव दैनिक जीवन की समस्याओं के सुलझाने में करता है। अनुकरण में हम दूसरों को क्रिया करते हुए देखते हैं और वैसा ही करना सीख लेते हैं। मनोवैज्ञानिकों ने यह सिद्ध कर दिया है कि अनुकरण के द्वारा भी सीखा जा सकता है। अनुकरण का सिद्धांतत मानव में अधिक सफल हुआ है। मैक्डूगल के अनुसार- “एक व्यक्ति द्वारा दूसरों की क्रियाओं या शारीरिक गतिविधियों की नकल करने की प्रक्रिया को अनुकरण कहते हैं।”

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