? अनुभूति और भावना ( feeling / cognition and Emotion)?
? अनुभूति- किसी एहसास को ही हम अनुभूति कहते हैं। यह शारीरिक रूप से स्पर्श दृष्टि या गंध सुंघने से हो सकती है या विचारों से पैदा होती है।
? अनुभूति आमतौर पर सीखने और तर्क के मनोवैज्ञानिक प्रसंस्करण को संदर्भित करता है। इसमें स्मृति योजना समस्या समाधान और धारणा से संबंधित अमूर्त गतिविधियों में स्वभाविक भागीदारी शामिल है।
? संज्ञानात्मक कार्य उनके बारे में अधिक जागरूकता के बिना या बाहरी इनपुट मे सीधे जवाब हो सकते हैं
? किसी विशेष कार्य को पूरा होने तक बाहर के व्यवधानों को बंद करने के लिए संज्ञानात्मक विकल्प नाना शामिल है।
? अनुभूति अनुभव का समानार्थी है प्रत्यक्ष ज्ञान या निरीक्षण और प्रयोग से प्राप्त ज्ञान को नए अर्थ में प्रयुक्त होकर समीक्षात्मक प्रतिमान के रूप में स्थापित करते हैं ।
? अनुभूति मे जो सुख दुखात्मक बोध होता है।
? भावना- भावना वस्तुतः ऐसी प्रक्रिया है जिसे व्यक्ति उद्दीपक द्वारा अनुभव करता है संवेदनात्मक अनुभव संवेदन चेतन उत्पन्न करने की अत्यंत प्रारंभिक स्थिति है।
? भावना मन की कल्पना खयाल विचार आपके मन में क्या विचार है आपकी कल्पना क्या है आपके ख्याल क्या है।
? भावना अनुभूति को बदलती हैं
?भावनाएं बदलने के बाद भी अनुभूति विद्यमान रह सकती है।
? शारीरिक परिवर्तन जैसे चेहरे के भाव इशारे दिल की धड़कन रक्तचाप इत्यादि चीजों से भावना के प्रभाव को देखा जा सकता है
? परिपक्वता और शिक्षा भावनाओं की अभिव्यक्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
? अनुभूति और जानकारी में अन्तर-
?जो दिल से पता है वह अनुभूति जो दिमाग को पता है वह जानकारी है
?अनुभूति का आधार अनुभव होता है और जानकारी का आधार ज्ञान होता है।
? Notes by ➖
✍️ Gudiya Chaudhary
? अनुभूति और भावना/ संज्ञान और संवेग ?
?अनुभूति वह एहसास है जिसको हम प्रकट नहीं कर सकते हैं अर्थात हम उसको सिर्फ महसूस कर सकते हैं अनुभूति को छिपाया भी जा सकता है और भावना को प्रकट किया जा सकता है जैसे प्रेम को प्रकट नहीं किया जा सकता लेकिन प्रेम के जरिए हम अपनी भावनाओं को व्यक्त कर सकते हैं |
? अनुभूति किसी एहसास को कहते हैं यह शारीरिक रूप से स्पर्श दृष्टि या कोई गंध सूंघने से हो सकती है या विचारों से पैदा होने वाली भावनाओं से उत्पन्न होती है |
? अनुभूति को छुपाया जा सकता है लेकिन यदि वह अनुभूति भावनाओं में बदल गई तो हम उसको रोक नहीं सकते प्रकट होने से | जैसे कई बार हमें अनुभूति ना होने पर भी भावनाओं को प्रकट करना पड़ता है अर्थात अनुभूति को छुपा सकते हैं इसे दिखाने के लिए भावनाओं का सहारा लेना पड़ता है |
? भावनाएं अनुभूति को बदलती है जैसे यदि हमें किसी के प्रति प्रेम है या किसी चीज के प्रति लगाव है या किसी चीज को जो हमारा लक्ष्य उसको पाने के बाद जो सफलता मिलती है वह हमारी अनुभूति है और उस अनुभूति के जरिए हम अपनी भावनाओं को प्रकट करते हैं लेकिन यदि हम असफल हो जाते हैं तो उससे हमारी अनुभूति भी बदल सकती है और उसके अनुसार हमारी भावनाएं भी बदल सकती हैं |
? भावनाएं बदलने के बाद भी अनुभूति विद्यमान रह सकती है जैसे यदि यदि हमें किसी चीज के प्रति अनुभूति है तो वह बदल नहीं सकती जैसे किसी बचपन की याद के प्रति हमारी अनुभूति तो रहती है लेकिन भावनाएं धीरे-धीरे बदलती जाती हैं और वे नए रूप में प्रकट होने लगती हैं अर्थात भावनाओं के नजरिए बदल जाते हैं |
? व्यक्ति के शारीरिक परिवर्तन जैसे चेहरे की भाव, इशारे, दिल की धड़कन, रक्तचाप ,इत्यादि चीजों से भावनाओं के प्रभाव को देखा जा सकता है |
? व्यक्ति की परिपक्वता और शिक्षा भावनाओं की अभिव्यक्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं |
अर्थात्
कई बार अनुभूति समान होने पर भी उसको स्थिति के अनुसार अपनी भावनाओं में व्यक्त करना ही एक शिक्षित व्यक्ति की विशेषताएं है अर्थात परिपक्वता और शिक्षा स्थिति अनुसार भावनाओं का संतुलन करना सिखाती है |
? भावनाएं तत्कालिक होती हैं क्षणिक होती हैं परिस्थिति के अनुसार परिवर्तित होती रहती हैं बदलती रहती है |
? अनुभव भावनाओं से बनता है तथा अनुभूति, अनुभव से उत्पन्न होती है |
अर्थात हम कह सकते हैं कि ज्ञान के द्वारा हम अनुभव को प्राप्त करते हैं जो हमारीभावनाओं से बनता है और उस अनुभव के जरिए हमारी अनुभूति उत्पन्न होती है |
? अनुभूति मन में हलचल है और जानकारी दिमाग में कोई चीज के प्रति है अर्थात जो दिल को पता है वह अनुभूति है और जो दिमाग को पता है वह जानकारी है |
या हम कह सकते हैं कि अनुभूति का आधार अनुभव है तथा जानकारी का आधार ज्ञान है किसी भी चीज के प्रति दिमाग की आवश्यकता होती है वो जानकारी है और दिल में जो अनुभव है वह अनुभूति को व्यक्त करता है |
? अनुभूति और भावना के संदर्भ में हमारी ज्ञानेंद्रियां एक बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए संदेश देने की क्या करना है और क्या नहीं करना है |
? जानकारी तर्कशक्ति के अनुसार आती है जो भावनाओं में व्यक्त होती है लेकिन तर्कशक्ति अनुभूति को बदल नहीं सकती अभिव्यक्ति के रूप में प्रकट होती हैं |
अनुभूति छिपाई जा सकती है लेकिन जो तर्क शक्ति के अनुसार अनुभूति भावनाएं में प्रकट होती है कई परिस्थिति में अनुभव के आधार पर भावनाएं प्रकट होने लगती है और कई परिस्थितियों में अनुभूति के अनुसार भावनाएं व्यक्त होती हैं |
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??? अनुभूति और भावना ??☺️?
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Cognition/ Feeling and Emotion
???संज्ञान और संवेग??
जब हमने किसी बच्चे को भरी सर्दी में ठिठुरते हुए देखा तो हमने उसे एक कंबल दे दिया तो यह हमारे उस बच्चे के प्रति *भावना* प्रकट होती हैं
अब यदि हमें कंबल देने के बाद जो एहसास या जो हमने महसूस किया उसे हम अपनी *अनुभूति* बोल सकते हैं
?हम अपनी *अनुभूति *को बताने के लिए या व्यक्त करने के लिए *भावनाओं* का प्रयोग करते हैं
भावना मतलब इमोशन अर्थात् इमोजी ?????☹️???????
जैसे जो हम व्हाट्सएप पर चैट करते हुए किसी के लिए जो इमोजी यूज़ करते हैं उसे हम अपने इमोशन या भावना बोल सकते।
*अनुभूति * द्वारा हम हमारे किसी के प्रति प्रेम, स्नेह ,अपनत्व को दर्शाते हैं जैसे वात्सल्य मां का अपने बच्चे के प्रति प्रेम जो दिखते नहीं हुए भी उसके (मां) के अंतरमन मन होता है
अब यदि मां अपने बच्चे के प्रति प्रेम को किसी न किसी रूप में बाहर प्रदर्शित करती हैं या जो माध्यम से प्रदर्शित करते हैं वह उसकी *भावना *होती हैं। ???
??अनुभूति ??
?अनुभूति किसी एहसास को कहते हैं यह शारीरिक रूप से स्पर्श, दृष्टि या गंध सूखने से हो सकती है या विचारों से पैदा होने वाली भावनाओं से पैदा हो सकती है
?अनुभूति आंतरिक होती हैं
?अनुभूति को आप छिपा सकते हैं इसे दिखाने के लिए भावनाओं का सहारा लिया जाता है।
??भावना ??
?हम अपनी अनुभूति को भावनाओं के माध्यम से प्रदर्शित करते हैं
?भावनाऐ बाहरी या बाह्य होती है
?भावनाएं ,अनुभूति को बदलती हैं
(किसी के प्रति हमारी भावनाएं बदलती रहती है तो कभी-कभी उसके प्रति हमारी अनुभूति भी बदल जाती है और जैसे-जैसे हम भावनाओं को दिखाते हैं वैसे ही हमारी अनुभूति हो जाती है
जैसे जब हम पहली बार अनअकैडमी प्लेटफार्म से जुड़े थे तो हम अपनी भावनाओं को अपने साथ लाए थे कि हम कैसे करेंगे, कैसे पढ़ेंगे ,कैसे सीखेंगे ,किस प्रकार अंतः क्रिया करेंगे।लेकिन जब आपने यहां कुछ समय बिताया और यहां के अध्यापकों से हमने जो सिखा का उनसे ,जो जाना उससे हमें यहां के अध्यापकों और प्लेटफार्म से एक अनुभूति शुरू हो गई)
?भावनाएं बदलने के बाद भी अनुभूति विद्यमान रह सकती हैं
?शारीरिक परिवर्तन जैसे चेहरे के भाव, इशारे, दिल की धड़कन ,रक्तचाप इत्यादि चीजों से भावना के प्रभाव को देखा जा सकता है।
⭐परिपक्वता और शिक्षा भावनाओं की अभिव्यक्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
⭐भावनाओं के कारण हमें अनुभव होता है और अनुभव से हमें अनुभूति आती है
⭐अनुभूति और जानकारी में अंतर
अनुभूति का आधार अनुभव है जबकि जानकारी का आधार ज्ञान है
अर्थात जो दिल को पता है वह हमारे अनुभूति है और
जो दिमाग को पता है वह हमारी जानकारी है।
Notes by Ravi kushwah
? अनुभूति और भावना?
(Feeling and emotion)
? अनुभूति वह एहसास है जिसको हम प्रकट नहीं कर सकते अर्थात उसको सिर्फ महसूस कर सकते हैं
?यह शारीरिक रूप से स्पर्श दृष्टि या गंध सूंघने से हो सकती है या विचारों से पैदा होने वाली भावनाओं से उत्पन्न होती हैं
? अनुभूति को आप छुपा सकते हैं इसे दिखने के लिए भावनाओं का सहारा लिया जाता है
? भावनाएं अनुभूति को बदलती है
? भावनाएं बदलने के बाद भी अनुभूति विद्यमान रह सकती हैं
? व्यक्ति के शारीरिक परिवर्तन जैसे चेहरे के भाव, इशारे, दिल की धड़कन इत्यादि चीजों से भावना के प्रभाव को देखा जा सकता है
? परिपक्वता और शिक्षा भावनाओं की अभिव्यक्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है
? अनुभूति और जानकारी में क्या अंतर है➖
? अनुभूति का आधार अनुभव है जब की जानकारी का आधार ज्ञान है
अर्थात जो दिल को पता होता है वह अनुभूति है और जो दिमाग को पता होता है वह जानकारी है
?️?️?? Notes by…. Sakshi Sharma???️?️
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? *अनुभूति और भावना* ?
?? *अनुभूति* ??
?अनुभूति किसी एहसास को कहते हैं।यह शारीरिक रूप से स्पर्श,दृष्टि या गंध सूंघने से हो सकती है।या विचारों से पैदा होने वाली भावनाओं से उत्पन्न होती है।अनुभूति को आप दिखा सकते हैं।इसे दिखने के लिए भावनाओं का सहारा लेना पड़ता है।
?? *भावना* ??
?शारीरिक परिवर्तन,जैसे :- चेहरे का भाव,इशारे,दिल की धड़कन,उच्च रक्तचाप इत्यादि।चीजों से भावना का प्रभाव देखा जा सकता है।
परिपक्वता और शिक्षा भावनाओं की अभिव्यक्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
?भावनाएं अनुभूति को बदलती है। जैसे कि हमें किसी चीज के प्रति प्रेम लगाओ या अनुभूति होता है तो हम उस चीज का हासिल करना चाहते हैं तो हमारी अनुभूति होती है हम अपनी अनुभूति का प्रयोग करके उन चीजों को हासिल कर लेते हैं तो उन पर हमारी भावनाओं का अधिकार होता है।
?भावनाएं बदलने के बाद भी अनुभूति विद्यमान रहती है। जैसे कि हमारा किसी चीज के प्रति प्रेम या लगाओ है और उसे प्राप्त करना ही हमारा लक्ष्य है तो उसे प्राप्त करने के बाद जो हमें अनुभूति मिलती है उसी अनुभूति के जरिए हम अपनी भावनाओं को प्रकट करते हैं लेकिन वहीं यदि हम अपने कार्यों में असफल हो जाते हैं तो हमारी भावनाएं बदल जाती हैं।
? कई बार ऐसा भी होता है की भावनाएं बदलने के बाद भी हमें किसी चीज के प्रति अनुभूति रहती है तो वह बदल नहीं पाती जैसे कि हमारी बचपन की यादों से जुड़ी अनुभूति जो कि आज की भावनाओं में भी उनका बदलाव नहीं हो पाया है ना ही हो पाएगा उसकी अनुभूति हमारे अंदर ज्यों की त्यों है और दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जाती है।
? *अत : अनुभूति को व्यक्त करने के लिए हम भावनाओं का प्रयोग करते हैं* ।
?जैसे कि :- अनेक प्रकार की इमोजीज ????????????????????
?? परंतु कई बार ऐसा होता है कि अनुभूति समान होने पर भी उसकी स्थिति के अनुसार अपनी भावनाओं में व्यक्त करना ही एक शिक्षित व्यक्ति की विशेषताएं हैं अर्थात परिपक्वता व शिक्षा स्थिति के अनुसार भावनाओं में संतुलन करना सिखाती हैं।??
??Notes by :- Neha Kumari ?
??? धन्यवाद् ???
? *अनुभूति और भावना*
Feeling and Emotion
संज्ञान और संवेग भी बोलते हैं।
?जब हम किसी छोटे बच्चे को देखते हैं कि वह भुखा हैं तब हम उसे खाने को कुछ दे देते हैं तो हमें उसके प्रति भावना प्रकट होती है। यदि जब हम उसे खाने को कुछ दे देते हैं जब जो हमारे मन में जो एहसास होती है या जो हम महसूस करते हैं हम उसे अनुभूति कहते हैं।
हम अपनी अनुभूति को बताने के लिए या व्यक्त करने के लिए भावनाओं का प्रयोग करते हैं। जैसे इमोजी का भी इस्तेमाल करते हैं?????????।
अनुभूति के द्वारा किसी के प्रति प्रेम स्नेह को दिखाते हैं जैसे मां अपने बच्चे को पीटती भी है दुलार भी करती है यह सब अनुभूति के माध्यम से ही होते हैं।
जब हमें किसी के प्रति प्रेम या लगाव हो जाता है तब हम जो प्रदर्शित करते हैं वह भावना होती है।
➡️ अनुभूति
?अनुभूति किसी एहसास को कहते हैं यह शारीरिक रूप से स्पर्श, दृष्टि या गंघ सुधने से हो होती है या विचारों से पैदा होने वाली भावनाओं से उत्पन्न होती है।
? अनुभूति को आप छुपा सकते हैं इसे देखने के लिए भावनाओं का सहारा लिया जाता है।
? अनुभूति आंतरिक होती है।
➡️ भावना
?भावनाएं अनुभूति को बदलती है।
? अपनी अनुभूति को भावनाओं को माध्यम से ही प्रदर्शित करते हैं।
? भावनाएं बाहरी होती है।
? भावनाएं बदलने के बाद भी अनुभूति विद्यमान रह सकती है।
हमारी भावनाएं बदलती रहती है।हमारी अनुभूति भी बदल जाती है जैसे जैसे भावनाएं दिखाते हैं वैसे वैसे हमारी अनुभूति भी बदल जाती है जैसे हमारी भावनाएं जब हम पढ़ते हैं या कुछ भी सीखते हैं तो अपनी भावनाओं के साथ पढ़ते हैं जैसे जो चीज सीखें कैसे सीखे हैं कैसे कार्य करना है यह सब जानने के बाद है हमारी अनुभूति शुरू हो जाती है
➡️ शारीरिक परिवर्तन
शारीरिक परिवर्तन जैसे जैसे चेहरे के भाव इशारे दिल की धड़कन रक्तचाप इत्यादि चीजों से भावना के प्रभाव को देखा जा सकता है।
? परिपक्वता और शिक्षा भावनाओं की अभिव्यक्ति में भूमिका निभाते हैं।
? अनुभुति को नहीं देख सकते हैं।
? भावनाओं के कारण हमें अनुभव होता है और अनुभव से ही हमें अनुभूति होती है।
➡️ अनुभूति और जानकारी में अंतर—
अनुभूति का आधार अनुभव है जबकि जानकारी का आधार ज्ञान है।
जो दिल को पता है वह अनुभूति है जो दिमाग को पता है वह जानकारी है।
Notes By :-Neha Roy
??❣️अनुभूति और भावना❣️??
? अनुभूति?
अनुभूति से तात्पर्य है किसी चीज का एहसास होना,
जब हम किसी गरीब व्यक्ति को देखते हैं उसे देखकर हमारे मन में उसे मदद करने की जो इच्छा होती है वह भावना है ,और उसकी मदद करने के बाद जो हमें एहसास होता है वह हमारी अनुभूति है!
?? इन अनुभूतियों को हम भावनाओं के माध्यम से दिखाते हैं!
❄️ उदाहरण के तौर पर-/
हम व्हाट्सएप या फेसबुक पर अपनी अनुभूतियों को भावनाओं के माध्यम से इमोजी के रूप में दिखाते हैं ??
?????☹️?????????????????????????????
?? इन इमोजी से आपको भावनाएं प्रकट हो रही होंगी यह भावनाएं अनुभूति के कारण आ रही है, जैसी अनुभूति होगी हम वैसी भावनाएं प्रकट कर सकेंगे !
? अर्थात,
हम कह सकते हैं
कि अनुभूति किसी एहसास को कहते हैं,यह शारीरिक रूप से स्पर्श ,दृष्टि या गंध सूंघने से हो सकती है या विचारों से पैदा होने वाली भावनाओं से उत्पन्न होती है!
? अनुभूति को आप छुपा सकते हैं, इसे दिखाने के लिए भावनाओं का सहारा लिया जाता है ,
जैसा कि उपरोक्त इमोजी में दर्शाया गया है……
?भावना?–/
?भावनाएं बदलने के बाद भी अनुभूति विद्यमान रह सकती है–/
अक्सर ऐसा होता है कि हमारी भावनाएं बदल जाती हैं लेकिन हमारी अनुभूति बरकरार रहती है जैसे हमारे जीवन के बहुत ही महत्वपूर्ण पल जिन की अनुभूति हमें जीवन भर रहती है–
हालांकि उन पलों के प्रति हमारी भावनाएं बदल चुकी हैं लेकिन जब याद करते हैं तो वह फीलिंग आती है अर्थात अनुभूति होती है!
? शारीरिक परिवर्तन जैसे चेहरे के भाव ,इशारे दिल की धड़कन ,रक्तचाप इत्यादि चीजों से भावना के प्रवाह को देखा जा सकता है!
? परिपक्वता और शिक्षा भावनाओं की अभिव्यक्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं-/
जब बच्चे छोटे होते हैं और शिक्षा विहीन होते हैं तो वह अपनी भावनाओं ko जल्दी व्यक्त करते हैं उनका अपनी भावनाओं पर कंट्रोल नहीं रहता है और जैसे ही बच्चा बड़ा होकर परिपक्व हो जाता है वह शिक्षित हो जाता है तो वह भावनाओं को इतनी जल्दी व्यक्त नहीं करता है vah अपनी समझदारी के साथ उन भावनाओं को व्यक्त करता है!
? अनुभव-/
भावनाओं से अनुभव जागृत होता है और अनुभव से अनुभूति का जन्म होता है
? अनुभूति और जानकारी में अंतर-/
1️⃣ अनुभूति-/
❤️जो दिल को पता है वह अनुभूति है !
?अनुभूति का आधार अनुभव है!
2️⃣ जानकारी-/
?जो दिमाग को पता है वह जानकारी है!
?जानकारी का आधार ज्ञान है!
? रितु योगी?
??✍???✍???
??अनुभूति और भावना??
???Cognition/Feeling or Emotion.???
?अनुभूति ~~
जब हम किसी वृद्ध व्यक्ति को जो सड़क के किनारे भीख मांगते हैं और वह भूख से बेचैन है उनको खाने के लिए कुछ दिए। यह हमारा उस वृद्ध व्यक्ति के प्रति भावना था। तथा खाना देने के बाद जो हमें एहसास हुआ, वह हमारी अनुभूति है।
अर्थात हम कह सकते हैं कि भावना से अनुभूति/फिलिंग आती है। जैसे-अनुभूति को प्रदर्शित करने के लिए Emotion/इमोजी???☺️??????का प्रयोग करते हैं।
??भावना / इमोशंस -आउटर (बहारी) होती है जबकि अनुभूति / फिलिंग – इनर (आंतरिक) होती है।
??अनुभूति ~~ किसी एहसास को कहते हैं यह शारीरिक रूप से स्पर्श, दृष्टि ,या सूंघने से हो सकती है । विचारों से पैदा होने वाली भावनाओं से उत्पन्न होती है।
??जरूरी नहीं है कि भावना और अनुभूति एक जैसे चलें।
??अनुभूति को आप छिपा सकते हैं इसे दिखाने के लिए भावनाओं का सहारा लिया जाता है।
??भावना अनुभूति को बदलती है जैसे-कोई व्यक्ति किसी से प्यार करते हैं और उसका शादी कहीं और हो जाता है तो उस व्यक्ति का भावना बदल गया और धीरे-धीरे उनके अनुभूति भी बदल गई।
?⭐भावना बदलने के बाद भी अनुभूति विद्यमान रह सकती है।
??शारीरिक परिवर्तन जैसे – चेहरे का भाव ,इशारे ,दिल की धड़कन, रक्तचाप इत्यादि चीजों से भावना के प्रभाव को देखा जा सकता है।
?परिपक्वता और शिक्षा भावनाओं की अभिव्यक्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
??भावना के कारण हमें अनुभव होता है और अनुभव से हमें अनुभूति आती है।
?अनुभूति और जानकारी में अंतर ~~
?अनुभूति का आधार अनुभव है, जबकी जानकारी का अधार ज्ञान है।
अर्थात जो दिल को पता है वह हमारे अनुभूति है और जो दिमाग को पता है वह जानकारी है।
?⭐???Notes by-SRIRAM PANJIYARA ?????
अनुभूति और भावना
? Cognition / Feeling & Emotion ?
? अनुभूति Cognition (feeling) :-
अनुभूति किसी एहसास को कहते हैं यह शारीरिक रूप से स्पर्श , दृष्टि या गंध सूंघने से हो सकती है या विचारों से पैदा होने वाली भावनाओं से होती है।
अनुभूति को आप छुपा सकते हैं इसे दिखाने के लिए भावनाओं का सहारा लिया जाता है।
हमारी आंतरिक दशा को अनुभूति कहते हैं । अनुभूति को भावनाओं से प्रत्यक्ष करते हैं।
?भावना Emotion :-
? भावनाएं अनुभूति को बदलती हैं।
?भावनाएं बदलने के बाद भी अनुभूति विद्यमान रह सकती है जैसे :-
शारीरिक परिवर्तन में, चेहरे के भाव , इशारे , हृदय की धड़कन , रक्तचाप इत्यादि चीजों से भावना के प्रभाव को देखा जा सकता है।
? परिपक्वता और शिक्षा भावनाओं की अभिव्यक्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
भावनायें हमारी बाह्य दशा होती हैं। जो हम बाहरी रूप से प्रकट करके अपनो अनुभूति को सिखाते हैं।
?अनुभूति और जानकारी में अंतर होता है जैसे :-
?जो दिल को पता है वह अनुभूति , जो दिमाग को पता है वह जानकारी।
?अनुभूति का आधार अनुभव है ,जानकारी का आधार ज्ञान है।
?✒️ Notes by – जूही श्रीवास्तव। ✒️?