09/04/2021. Friday
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सूझ के सिद्धांत की विशेषता
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➖यह सिद्धांत वनमानुष पर प्रयोग कर किया गया
➖ इससे यह प्रतिपादित होता है की जिसके पास बुद्धि अगर है तो सूझ भी है
➖ यह सिद्धांत मनुष्य के सीखने की प्रक्रिया के सही व्याख्या करता है हर आयु के मनुष्य में बुद्धि होती है जो सूझ द्वारा सीखते हैं
➖ किसी भी आयु के मनुष्य किसी भी वस्तु, स्थिति ,अथवा क्रिया का प्रत्यक्षीकरण पूर्ण रूप में करता है
➖ यह सिद्धांत पूर्ण से अंश की ओर चलने पर बल देता है प्रत्यक्षीकरण पूर्ण का ज्ञान उसके एक-एक अंक की समझ विकसित किया तब सीखा हुआ ज्ञान स्पष्ट और स्थाई होता है
🔥यह समस्या के समाधान पर बल देता है
➖ यह स्थाई होता है
➖ दूसरी परिस्थिति में प्रयोग किया जा सकता है
➖दूसरी समस्या को हल कर सकते हैं
🔥 सूझ का बुद्धि से संबंध होता है
➖ अधिक बुद्धि में :—अधिक सोच होती है
➖ मनुष्य के पूर्व अनुभव का प्रभाव पड़ता है
➖ अधिक अनुभव से:— सूझ अधिक होगी यह हमेशा सत्य नहीं है
🔥 सूझ के सिद्धांत की कमियां..
➖ प्रत्येक ज्ञान को सूझ के द्वारा नहीं सीखा जा सकता हर समय भी व्यक्ति सूझ के द्वारा नहीं सीख सकता।
➖ सीखने में सूझ सिर्फ महत्वपूर्ण नहीं है इसके लिए साधन भी महत्वपूर्ण है ,जैसे :—छड़ी, बक्सा, सीढ़ी
➖ यह सिद्धांत सीखने में परिस्थिति
की व्याख्या नहीं करता
➖ समस्या समाधान में उपयोगी साधन होना आवश्यक है सीखना कभी-कभी बिना साधनों के भी हो जाती है
➖ यह सिद्धांत प्रयास और त्रुटि को मान्यता नहीं देता ।लेकिन सीखने का प्रारंभ प्रयास त्रुटि से ही होता है
➖ सीखने के लिए केवल सूझ ही नहीं अभ्यास और अनुभूति भी आवश्यक है
➖ यस सिद्धांत के द्वारा हर प्रकार का अधिगम नहीं हो सकता इसके लिए लिखना, पढ़ना, बोलना भी पड़ेगा
➖ वाहय कारक का प्रभाव :—शारीरिक क्षमता ,आयु, व्यक्तिगत भिन्नता, वंशानुक्रम, अधिगम की दशा की स्थिति
➖ यह सिद्धांत पशु और छोटे बच्चों पर लागू नहीं होता है
➖ कुछ कुछ विद्वानों का मानना है कि अचानक समस्या का समाधान संयोग भी हो सकता है हमेशा अंतर्दृष्टि नहीं होता है
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Notes by:— ✍संगोता भारती✍
💫🌼सूझ के सिद्धांत की विशेषता🌼💫
1-☘️ वनमानुष➖ बुद्धि ➡️ सूझ
यह सिद्धांत मनुष्य के सीखने की प्रक्रिया की सही व्याख्या करता है हर आयु के मनुष्य में वृद्धि होती है सूझ द्वारा सीखते हैं।
2-☘️ वस्तु /स्थिति/क्रिया➖
पूर्ण प्रत्यक्षीकरण पर बल देता है
3-☘️ प्रत्यक्षीकरण पूर्ण का ज्ञान इसमें एक अंश का जब सीखा हुआ ज्ञान स्पष्ट ,स्थाई होता है।
4-☘️समस्या के समाधान पर बल देता है ज्ञान स्थाई हो जाता है। दूसरी परिस्थिति में प्रयोग किया जाता है। दूसरी समस्या का भी हल कर सकते हैं।
5-☘️ सूझ का बुद्धि से संबंध होता है अधिक बुद्धि ➡️ सूझ
पूर्व अनुभव का प्रभाव
अधिक अनुभव की सूझ अधिक होगी ये हमेशा सत्य नहीं होगी
🌼💫 सूझ के सिद्धांत की कमियां💫🌼
1- हर ज्ञान को सूझ के द्धारा नहीं सीखा जा सकता हर समय भी व्यक्ति सूझ के द्धारा नहीं सीख सकता।
2- सीखने में सिर्फ सूझ महत्वपूर्ण वहीं है।
3- सिखने में परिस्थिति की व्याख्या नहीं करता ।
4- समस्या समाधान में उपयोगी साधन होने की आवश्यक है सिखना कभी -कभी बिना साधनों के भी हो जाता है।
5- यह सिद्धांत प्रयास एवं त्रुटि को मान्यता नहीं देता लेकिन सीखने का प्रारंभ तो प्रयास एवं त्रुटि से ही होती है।
6- सीखने के लिए केवल सूझ ही नहीं अभ्यास / अनुभूति भी आवश्यक है।
7- हर कारक का प्रभाव पड़ता है जैसे — शारीरिक क्षमता, आयु, वैयक्तिक विभिन्न , वंशानुक्रम , अधिगम दशा , पोषण
8- हर प्रकार का अधिगम नहीं हो सकता है ।लिखना , पढ़ना ,बोलना
9-यह सिद्धांत पशु और छोटे बच्चों पर लागू नहीं होता है।
10- कुछ विद्वानों का मानना है कि अचानक समस्या का समाधान संयोग भी हो सकता है हमेशा अंतर्दृष्टि नहीं होती।
📚📚📚✍🏻 Notes by..,..
Shakshi Sharma📚📚✍🏻
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📛 सूझ के सिद्धांत की विशेषताएं ➖
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🍀 यह प्रयोग वनमानुष ( सुल्तान चिंपैंजी) पर किया गया जिसमें यह बताया गया कि बुद्धि यदि आपके पास है तो सूझ भी होगा | यह सिद्धांत मनुष्य के सीखने की प्रक्रिया की सही व्याख्या करता है हर आयु के मनुष्य में बुद्धि होती है मनुष्य सूझ द्वारा ही सीखता है |
🍀 यह सिद्धांत किसी वस्तु, समय, परिस्थिति , और क्रिया के पूर्ण प्रत्यक्षीकरण पर बल देता है |
🍀 यह सिद्धांत पूर्ण से अंश की ओर या प्रत्यक्षीकरण पूर्ण का और ज्ञान उसके एक-एक अंश का पूर्ण वर्णन करता है तब सीखा हुआ ज्ञान स्पष्ट और स्थाई हो जाता है |
🍀 यह सिद्धांत समस्या के समाधान पर बल देता है जिससे व्यक्ति का
1) ज्ञान स्थाई हो जाता है,
2) समस्या का समाधान मिलने पर व्यक्ति उस समाधान का प्रयोग दूसरी परिस्थिति में भी कर सकता हैं |
3)दूसरी समस्या का हल भी कर सकते हैं |
🍀 सूझ का बुद्धि से संबंध होता है अधिक बुद्धि वालों में अधिक सूझ होगी | जिसमें पूर्व अनुभव का भी प्रभाव पड़ता है अधिक अनुभव पर सूझ अधिक होगी यह हमेशा सत्य नहीं है |
📛 सूझ के सिद्धांत की कमियाँ
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🍀 हर ज्ञान सूझ के द्वारा नहीं सीखा जा सकता है हर समय भी व्यक्ति सूझ के द्वारा नहीं सीख सकता है |
🍀व्यक्ति के सीखने में सिर्फ सूझ ही महत्वपूर्ण नहीं है जैसे प्रयोग में छड़ी ,बाक्स और सीढ़ी की आवश्यकता |
🍀 यह सिद्धांत सीखने में परिस्थिति की व्याख्या नहीं करता है |
🍀 यह सिद्धांत समस्या समाधान के लिए उपयोगी है लेकिन सीखना कभी कभी बिना साधनों के भी हो जाता है |
🍀 यह सिद्धांत प्रयास त्रुटि को मान्यता नहीं देता है लेकिन सीखने का प्रारंभ प्रयास और त्रुटि से ही होता है |
🍀 सीखने के लिए केवल सूझ ही नहीं बल्कि अभ्यास और अनुभूति भी आवश्यक है |
🍀 सूझ के सिद्धांत से हर प्रकार का अधिगम नहीं हो सकता है इसमें सीखना पढ़ना और बोलना भी आवश्यक है |
🍀 बाह्य कारक के प्रभाव में शारीरिक क्षमता , आयु, वैयक्तिक विभिन्नता ,वंशानुक्रम ,अधिगम दशा, आदि सब आवश्यक है |
🍀 यह सिद्धांत पशु और छोटे बच्चों लागू नहीं होता है |
🍀 कुछ विद्वानों का मानना है कि अचानक समस्या का समाधान संयोग भी हो सकता है हमेशा अंतर्दृष्टि या सूझ नहीं हो सकता है |
नोट्स बाय➖ रश्मि सावले
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🌼🏵️🌼🧩 सूझ के सिद्धांत की विशेषता 🧩 🌼🏵️🌼
🧩 यह प्रयोग वनमानुष पर किया गया । इसमें यह पता चला कि बुद्धि अगर हमारे पास है तो सूझ भी होगी।
बुद्धि ↔️ सूझ
यह सिद्धांत मनुष्य के सीखने की प्रक्रिया की सही व्याख्या करता है, हर आयु के मनुष्य में बुद्धि होती है और हम सूझ द्वारा सीखते हैं।
🧩 इस सिद्धांत मे हर वस्तु, स्थिति, क्रिया कि पूर्ण प्रत्यक्षीकरण पर बल दिया गया है।
🧩 प्रत्यक्षीकरण पूर्ण का, ज्ञान उसके एक-एक अंश का, तब सीखा हुआ ज्ञान स्पष्ट स्थाई होता है।
🧩 यह सिद्धांत समस्या के समाधान पर बल देता है
1. ज्ञान स्थाई हो जाता है — जब सूझ के द्वारा किसी समस्या का हल किया जाता है तब वह ज्ञान मस्तिष्क में स्थाई हो जाता है।
2. दूसरी स्थिति में प्रयोग –कोई दूसरी स्थिति जो मिलती जुलती है वहां पर भी इस सूझ का प्रयोग किया जा सकता है।
3.दूसरी समस्या हल कर सकते हैं — इसी सूझ के द्वारा हम कई बार दूसरी भी समस्या को हल सकते हैं।
🧩 सूझ का बुद्धि से संबंध होता है।
अगर अधिक बुद्धि है तो अधिक सूझ भी होगा।
पूर्व अनुभव का प्रभाव पड़ता है।
अधिक अनुभव की सूझ अधिक होगी यह हमेशा सत्य नहीं है।
🏵️ कमियां 🏵️
1 हर ज्ञान को सूझ के द्वारा नहीं सीखा जा सकता हर समय भी व्यक्ति सूझ के द्वारा नहीं सीख सकता ।
2. सीखने में सूझ आवश्यक है लेकिन सिर्फ सूझ ही महत्वपूर्ण नहीं है प्रयोग में छड़ी , बॉक्स सब हिस्सा है ।
3. यह सिद्धांत सीखने पर परिस्थिति की व्याख्या नहीं करता।
4.समस्या समाधान में उपयोगी साधन होने आवश्यक है सीखना कभी-कभी बिना किसी साधनों के भी हो जाता है।
5. यह सिद्धांत प्रयास त्रुटि को मान्यता नहीं देता है लेकिन सीखने का प्रारंभ प्रयास त्रुटि से ही होता है।
6. सीखने के लिए केवल सूझ ही नहीं अभ्यास / अनुभूति भी आवश्यक है ।
7. हर प्रकार का अधिगम नहीं हो सकता जैसे लिखना, पढ़ना, बोलना ।
8.बाह्य करक का प्रभाव — शारीरिक क्षमता , आयु, वैयक्तिक विभिन्नता , वंशानुक्रश अधिगम दशा ।
9 . यह सिद्धांत सारे पशुओं और छोटे बच्चों पर लागू नहीं होता।
10 कुछ विद्वानों का मानना है कि अचानक समस्या का समाधान संयोग भी हो सकता है हमेशा अंतर्दृष्टि नहीं होती है।
🌼धन्यवाद
वंदना शुक्ला🌼
सूझ के सिद्धांत की विशेषता
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🌸यह सिद्धांत वनमानुष पर प्रयोग कर किया गया।
🌸इससे यह प्रतिपादित होता है की जिसके पास बुद्धि अगर है तो सूझ भी है।
🌸यह सिद्धांत मनुष्य के सीखने की प्रक्रिया के सही व्याख्या करता है हर आयु के मनुष्य में बुद्धि होती है जो सूझ द्वारा सीखते हैं।
🌸किसी भी आयु के मनुष्य किसी भी वस्तु, स्थिति ,अथवा क्रिया का प्रत्यक्षीकरण पूर्ण रूप में करता है।
🌸 यह सिद्धांत पूर्ण से अंश की ओर चलने पर बल देता है प्रत्यक्षीकरण पूर्ण का ज्ञान उसके एक-एक अंक की समझ विकसित किया तब सीखा हुआ ज्ञान स्पष्ट और स्थाई होता है।
🌸यह समस्या के समाधान पर बल देता है।
🌸 यह स्थाई होता है।
🌸 दूसरी परिस्थिति में प्रयोग किया जा सकता है।
🌸दूसरी समस्या को हल कर सकते हैं।
🌸सूझ का बुद्धि से संबंध होता है।
🌸अधिक बुद्धि में -अधिक सोच होती है।
🌸मनुष्य के पूर्व अनुभव का प्रभाव पड़ता है।
🌸अधिक अनुभव से सूझ अधिक होगी यह हमेशा सत्य नहीं है।
🟢 सूझ के सिद्धांत की कमियां
🌸प्रत्येक ज्ञान को सूझ के द्वारा नहीं सीखा जा सकता हर समय भी व्यक्ति सूझ के द्वारा नहीं सीख सकता।
🌸 सीखने में सूझ सिर्फ महत्वपूर्ण नहीं है इसके लिए साधन भी महत्वपूर्ण है ,जैसे :—छड़ी, बक्सा, सीढ़ी
🌸 यह सिद्धांत सीखने में परिस्थिति
की व्याख्या नहीं करता
🌸समस्या समाधान में उपयोगी साधन होना आवश्यक है सीखना कभी-कभी बिना साधनों के भी हो जाती है।
🌸 यह सिद्धांत प्रयास और त्रुटि को मान्यता नहीं देता है। लेकिन सीखने का प्रारंभ प्रयास त्रुटि से ही होता है।
🌸 सीखने के लिए केवल सूझ ही नहीं अभ्यास और अनुभूति भी आवश्यक है।
🌸यस सिद्धांत के द्वारा हर प्रकार का अधिगम नहीं हो सकता इसके लिए लिखना, पढ़ना, बोलना भी पड़ेगा
🟢वाहय कारक का प्रभाव ÷शारीरिक क्षमता ,आयु, व्यक्तिगत भिन्नता, वंशानुक्रम, अधिगम की दशा की स्थिति
🌸 यह सिद्धांत पशु और छोटे बच्चों पर लागू नहीं होता है।
🌸 कुछ कुछ विद्वानों का मानना है कि अचानक समस्या का समाधान संयोग भी हो सकता है हमेशा अंतर्दृष्टि नहीं होता है।
🌸🌸Notes by shikha tripathi🌸🌸