🌼☘️ संज्ञानवादी अधिगम सिद्धांत☘️🌼

अधिगम संज्ञानवाद सिद्धांत है…

1-सूझ का सिद्धांत

2-संज्ञानात्मक विकास का सिद्धांत

3*सामाजिक अधिगम का सिद्धांत

4-क्षेत्र सिद्धांत

5-साइन सिद्धांत  / गेस्टाल्ट सिद्धांत

6-ब्रूनर का सिद्धांत  

💫🌼 सूझ का सिद्धांत🌼💫

इसी को ➖ अंतर्दृष्टि का सिद्धांत / गेस्टाल्ट सिद्धांत / समग्रता/ समग्राकृति समग्र / आकृति का सिद्धांत

गेस्टाॅल्ट   ➡️ पूर्ण आकार

   ⬇️                 ⬇️

जर्मन भाषा          संरचना, प्रतिरूप ,पूर्ण आवृत्ति

यह सभी सोच के सिद्धांत के नाम है

इस सिद्धांत का प्रतिपादक➖ वर्दीमर, कोफ्फा, कोहलर

💫 कथन 💫 

व्यक्ति अथवा प्राणी किसी भी प्रक्रिया को सूझ द्वारा सीखता है।

सूझ को ही अंतर्दृष्टि बोलते हैं। जब भी कोई इंसान कुछ समझता है वह हर पहलुओं को समझने की कोशिश करता है पहलू को नए ढंग से समझता है उस पर संबंध स्थापित करता है और फिर उसे संगठित करने का प्रयास करता है।

अधिगम की प्रक्रिया के दौरान वह विचार जिससे आप सीखने की प्रक्रिया को पूर्ण करते हैं इस विचार को सूझ अतर्दृष्टि बोलते हैं।

यह सूझ अचानक होती है। किसी अभ्यास की जरूरत नहीं होती इस सिद्धांतवादियोंके मतानुसार व्यक्ति संबंध तथा प्रयत्न और मूल द्वारा ना सीखकर सूझ  द्वारा सीखते हैं।

🌼💫 मनोवैज्ञानिक फर्नाल्ड➖

सूझ का तात्पर्य इस बात से है कि समस्या का समाधान उद्दीपन अनुक्रिया संबंधों के द्वारा बनाने से नहीं होता है, बल्कि उद्दीपन के बीच के संबंध को अचानक समझने से होता है।

यह सिद्धांत कोहलर के द्वारा किए गए प्रयोगों पर आधारित है।

कई तरह के पशुओं पर किया है उन्होंने…… 

वनमानुष

बंदर

मुर्गी

कुत्ते इन सब पर प्रयोग किया।

🌼💫 कोहलर के प्रयोग के निष्कर्ष💫🌼

1-सीखने वाला प्राणी सदैव व्यक्ति सबसे पहले संपूर्ण परिस्थिति का प्रत्यक्षीकरण करता है।

2-सीखने में प्राणी सूझ का प्रयोग करता है।

3-सीखने वाले प्राणी या व्यक्ति असफल प्रयोग के बाद विचार करता  है सोचता है ,फिर उसे सफल अनुक्रिया सोचती है सीखना पूर्ण हो जाता है

4-समस्या का हल एक प्रयास में भी निकाल सकता है और उसका प्रयास में भी।

5-सूझ द्वारा प्राणी/ व्यक्ति अलग अलग व्यवहार करता है और प्रत्येक व्यवहार के पीछे अन्वेषण होता है।

6-अन्वेषण अगर सफल नहीं होता है तो व्यक्ति निराश और निष्क्रिय हो जाता है।

7- निष्क्रिय हो जाता है तो उसे कुछ  समय के बाद फिर से सोचता है ,और फिर इस समस्या का हल निकाल लेता है।

8-ज्ञान का स्थानांतरण होता है।

✍🏻📚📚 Notes by…. Sakshi Sharma📚📚✍🏻

🌸 संज्ञानवादी अधिगम सिद्धांत🌸

 1. सूझ का सिद्धांत —🧑🏻‍✈️ कोहलर

2 . संज्ञानात्मक विकास का सिद्धांत-

🧑🏻‍✈️ प्याजे

3 सामाजिक अधिगम का सिद्धांत – वनडूरा

4 .क्षेत्र का  सिद्धांत – कर्ट लेविन 

5. ब्रूनर का सिद्धांत

६.साइन या चिन्ह का सिद्धान्त  ,गेस्टाल्ट सिद्धान्त

👉सूझ का सिद्धांत:- सूझ  के सिद्धांत को अन्य नाम से भी जानते हैं।

1.  अंतर्दृष्टि का सिद्धांत

2 . गेस्टाल्ट सिद्धांत

3 . समग्रता ,समग्रताकृति ,समग्र आकृति का सिद्धांत

गेस्टाल्ट का मतलब होता है पूर्ण आकार या संरचना

गेस्टाल्ट जर्मन भाषा का शब्द है।

पूर्ण आकार ,संरचना, प्रतिरूप, पूर्ण आकृति, समग्रता, समग्रताकृति ,समग्र आकृति सभी एक ही हैं।

 👉🏻सूझ का सिद्धांत के प्रतिपादक ÷

 वर्दीमर, 

कोफ्का एवं कोहलर हैं।

 👉🏻कथन÷

 व्यक्ति अथवा प्राणी किसी भी प्रक्रिया को सूझ द्रारा सीखता है।

हमारे सामने जब भी कुछ समस्या आती है तो हम सबसे पहले  उसकी हर पहलू को समझते हैं उस पर नए ढंग से विचार करते हैं फिर उस पर संबंध स्थापित करते हैं और फिर हम  उससे अपने दिमाग में संगठित करते हैं

👉🏻अधिगम की प्रक्रिया के दौरान वह विचार जिससे आप सीखने की प्रक्रिया पूर्ण करते हैं इसी विचार को सूचित का अंतर्दृष्टि सिद्धांत बोलते हैं।

👉🏻यह सूझ अचानक होती है इसके लिए किसी भी अभ्यास की जरूरत नहीं होती है।

 मनोवैज्ञानिक 🧑🏻‍✈️फर्नाल्ड ÷

 सूझ का तात्पर्य इस बात से है कि समस्या का समाधान उद्दीपन अनुक्रिया संबंधों के धीरे धीरे बनने से नहीं होता है बल्कि उद्दीपन के बीच के संबंधों को अचानक समझने से होता है।

👉🏻यदि हम सूझ लगाएंगे तो एक बार में सही अनुक्रिया कर सकते हैं

➡️यह सिद्धांत कोहलर के द्वारा किए गए प्रयोगों पर आधारित है।

👉🏻इन्होंने कई तरह की  

पशुओं पर प्रयोग किया।

,वनमानुष, 

बंदर, 🐒

मुर्गी🐓, 

कुत्ते 🐕‍🦺पर प्रयोग किया ।  

 🟢  🧑🏻‍✈️कोहलर  के प्रयोग के निष्कर्ष:- 

सीखने वाला प्राणी अथवा व्यक्ति सबसे पहले संपूर्ण परिस्थिति का प्रत्यक्षीकरण करता है।

🌷. सीखने का प्राणी सूझ उपयोग करता है।

🌷.सीखने वाला प्राणी असफल प्रयोग के बाद विचार करता है सोचता है फिर उसे सफल अनुक्रिया सुछती है  और सीखना पूर्ण हो जाता है।

🌷. समस्या का हल एक प्रयास में भी निकल सकता है और अनेक प्रयास करने से भी।

🌷.  सूझ से प्राणी  अलग-अलग व्यवहार  करता है और प्रत्येक व्यवहार  के पीछे अन्वेषण होता है

🌷. अन्वेषण सफल नहीं हुआ तो व्यक्ति निराश होकर निष्क्रिय हो जाता है।

🌷. निष्क्रिय व्यक्ति को कुछ समय बाद अपने आप से हल सूझता है और अपने आप समस्या का हल कर लेता है।

🌷. ज्ञान का स्थानांतरण होता है।

🌷notes by Shikha tripathi🌷

संज्ञानवादी  अधिगम   सिद्धांत 

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7 April 2021

संज्ञानवाद अर्थात हमारे  ज्ञान , समझ,  बुद्धि आदि से संबंधित होता है ।

अधिगम संज्ञानवादी सिद्धांत में निम्नलिखित सिद्धांत शामिल हैं  :-  

1. सूझ का सिद्धांत :- ओल्फगैंग कोहलर

2. संज्ञानात्मक विकास का सिद्धांत :- जीन पियाजे 

3. सामाजिक अधिगम सिद्धांत :-  अल्बर्ट बन्डूरा 

4. क्षेत्र का सिद्धांत :- कर्ट लेविन

5. ( Sign ) चिन्ह का सिद्धांत / गेस्टाल्ट सिद्धांत :-   टॉलमैन

6. ब्रूनर का सिद्धांत

🌺🌺   1.  सूझ का सिद्धांत  :- 

👉 प्रतिपादक :- 

मैक्स बरदाइमर 

कर्ट कौफ़्का 

ओल्फगैंग कोहलर

👉 सूझ के सिद्धांत के अन्य नाम  :-

🍂 अंतर्दृष्टि का सिद्धांत 

🍂 गेस्टाल्ट सिद्धांत 

🍂 समग्रता , समग्राकृति , समग्र आकृति का सिद्धांत 

👉 गेस्टाल्ट एक जर्मन भाषा का शब्द है ।

जिसका अर्थ होता है :-

पूर्ण आकार , पूर्ण संरचना , पूर्ण प्रतिरूप , पूर्ण आकृति , समग्रता / समग्राकृति / समग्र आकृति सभी एक ही है।

☘️  ☘️  कथन :-

व्यक्ति अथवा प्राणी किसी भी प्रक्रिया को सूझ द्वारा सीखता है। 

अतः सूझ को ही अंतर्दृष्टि का सिद्धांत कहा जाता है।

अर्थात् मनुष्य के समक्ष जब भी कोई समस्या उत्पन्न होती है तो वह सबसे पहले समस्या के हर पहलू को समझता है ,  उस पर नए ढंग से विचार करता है तथा उस समस्या पर अपनी सूझ/ समझ से संबंध स्थापित करता है और फिर उस समस्या और विचार किए हुए संबंध को अपने दिमाग में संगठित करता है।

            अधिगम प्रक्रिया के दौरान वह विचार जिससे आप सीखने की प्रक्रिया पूर्ण करते हैं इसी विचार को सूझ या अंतर्दृष्टि सिद्धांत बोलते हैं।

 अतः यह सूझ अचानक स्थितिनुसार दिमाग में आती है। इसके लिए व्यक्ति को किसी विशेष अभ्यास की जरूरत नहीं पड़ती है ना ही इसके लिए व्यक्ति पहले से कोई तैयारी करता है।

👉👉मनोवैज्ञानिक ‘ फर्नाल्ड ‘ के अनुसार :-

 सूझ का तात्पर्य इस बात से है की समस्या का समाधान उद्दीपन अनुक्रिया संबंधों के धीरे – धीरे बनने से नहीं होता है , बल्कि उद्दीपन के बीच के संबंधों को अचानक समझने से होता है।

    यदि हम सूझ / समझ लगाएंगे तो एक बार में सही अनुक्रिया कर सकते हैं ।

👉 यह सिद्धांत कोहलर द्वारा किए गए अपने सिद्धांत के प्रयोगों पर आधारित है । अतः इन्होंने कई तरह के पशुओं जैसे :-

वनमानुष , बंदर , मुर्गी , कुत्ते पर प्रयोग किया है।

🌻🌻  कोहलर के प्रयोग के निष्कर्ष :-

1. सीखने वाला प्राणी अथवा व्यक्ति सबसे पहले संपूर्ण परिस्थिति का प्रत्यक्षीकरण करता है ।

2. सीखने में प्राणी अपने सूझ / समझ का उपयोग करता है। 

3. सीखने वाले व्यक्ति असफल प्रयोगों के बाद विचार करते हैं , सोचते हैं , और फिर उसे सफल अनुक्रिया सूझती है और उनका सीखना पूर्ण हो जाता है। 

4. समस्या का हल एक प्रयास में भी निकल सकता है और अनेक प्रयास में भी निकल सकता है।

5. सूझ से प्राणी अलग- अलग व्यवहार करता है और प्रत्येक व्यवहार के पीछे अन्वेषण होता है ।

6. अन्वेषण सफल नहीं होता तो व्यक्ति निराश होकर निष्क्रिय हो जाता है ।

7. निष्क्रिय व्यक्ति को कुछ समय बाद अपने आप से हल सूझता है और वह अपने आप समस्या का हल कर लेता है। 

8. व्यक्ति की अपनी सूझ के अनुसार ज्ञान का स्थानांतरण होता है।

✍️Notes by – जूही श्रीवास्तव✍️

🌺🌼🏵️ संज्ञानवादी अधिगम सिद्धांत 🏵️🌼🌺

ऐसे मनोवैज्ञानिक जिन्होंने हमारी समझ और ज्ञान के बारे में बात की, टिप्पणी की उन्हें संज्ञानवादी विचारधारा के मनोवैज्ञानिक कहा गया।

इसके अंतर्गत निम्न अधिगम आते हैं  -:

🌼 सूझ का सिद्धांत  — कोहलर

🌼 संज्ञानात्मक विकास का सिद्धांत — जीन पियाजे 

🌼 सामाजिक अधिगम का सिद्धांत  — अल्बर्ट बंडूरा

🌼 क्षेत्र सिद्धांत — कर्ट लेविन 

🌼 चिन्ह् का सिद्धांत  / गेस्टाल्ट सिद्धांत

🌼 ब्रूनर का अधिगम सिद्धांत — अल्फ्रेड ब्रूनर 

— इन सभी सिद्धांत के प्रतिपादक संज्ञानवादी विचारधारा वाले मनोवैज्ञानिक  हैं।

🍉🍉 सूझ का सिद्धांत

इस सिद्धांत के अन्य नाम  –:

 अंतर्दृष्टि का सिद्धांत , 

गेस्टाल्ट सिद्धांत , समग्रता , समग्राकृति , समग्र आकृति का सिद्धांत ।

 गेस्टाल्ट — यह एक जर्मन भाषा का शब्द है जिसका अर्थ पूर्ण आकार है।

 इसको पूर्ण संरचना,  पूर्ण प्रतिरूप ,पूर्ण आकृति भी कहते हैं ।

इस सिद्धांत का प्रतिपादन कोहलर, कोफ्का और वर्दीमर ने किया ।

यह तीनों ही गेस्टाल्टवादी विचारधारा के समर्थक थे।

🔺इनका कथन हैं कि ,

व्यक्ति अथवा प्राणी किसी भी प्रक्रिया को सूझ द्वारा सीखता है।

— उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति की सोच एक जैसी नहीं हो सकती, कोई भी व्यक्ति किसी भी प्रक्रिया को अपनी समझ के द्वारा, अपनी सोच, सूझ के द्वारा ही सीखता है।

 सूझ को ही अंतर्दृष्टि बोलते हैं।

— जब हम कुछ चीज सीखते हैं तो उसके हर पहलु को समझने की कोशिश करते हैं।

— और जितने भी पहलू होंगे उसे अपने ढंग से और नए ढंग से समझने की कोशिश करते हैं।

—  उनके बीच में संबंध बनाकर समझते हैं ।

— संबंध बनाने के बाद अब आप उसे संगठित कर लेते हैं ।

अधिगम की प्रक्रिया के दौरान कोई भी विचार जिससे आप सीखने की प्रक्रिया को पूर्ण करते हैं ।

— इसी विचार को सूझ या अंतर्दृष्टि बोलते हैं।

⚡यह सूझ किसी भी समस्या के दौरान अचानक से निकलती है, यह आपके अंदर पड़ी नहीं रहती।

क्योंकि सूझ के लिए किसी परिपेक्ष्य का होना, समस्या का होना जरूरी है, इसके लिए किसी अभ्यास की जरूरत नहीं होती है।

यह सिचुएशन के अकॉर्डिंग अचानक से निकलती है।

🌼 मनोवैज्ञानिक फर्नाल्ड —

सूझ का तात्पर्य इस बात से है कि समस्या का समाधान उद्दीपन अनुक्रिया संबंधों के धीरे-धीरे बनने से नहीं होता बल्कि उद्दीपन के बीच के संबंधों को अचानक समझने से होता है।

सूझ से ही अनुक्रिया सही और एक ही बार में होती है।

🍒 यह सिद्धांत कोहलर के द्वारा किए गए प्रयोगों पर आधारित है।

 इन्होंने कई तरह के पशुओं पर प्रयोग किया —:

 ** वनमानुष 

 ** बंदर 

 ** मुर्गी 

 ** कुत्ते

🌟 कोहलर के प्रयोगों के निष्कर्ष

🔺 सीखने वाला प्राणी अथवा व्यक्ति सबसे पहले संपूर्ण परिस्थिति का प्रत्यक्षीकरण करता है।

🔺 सीखने में प्राणी सूझ का उपयोग करता है।

🔺सीखने वाला प्राणी असफल प्रयोग के बाद विचार करता है सोचता है फिर उसे सफल अनुक्रिया सूझती है सीखना पूर्ण हो जाता है।

🔺 समस्या का हल एक प्रयास में भी निकल सकता है और अनेक प्रयास में भी ।

🔺सूझ से प्राणी अलग अलग व्यवहार करता है और प्रत्येक व्यवहार के पीछे अन्वेषण होता है।

🔺 अन्वेषण अगर सफल नहीं हुआ तो निराशा और निष्क्रियता होती है ।

🔺 निष्क्रियता के कुछ समय बाद उसका हल सूझता है और समस्या का हल हो जाता है।

🔺 ज्ञान का स्थानांतरण।

🌼 धन्यवाद 

वंदना शुक्ला 🌼

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