Vygotsky and kohalbarg for CTET and state TET notes by India’s top learners

🌺💥 वाइगोत्सकी💥🌺

👉🏼वाइगोत्स्की के अनुसार संज्ञानात्मक विकास पर सामाजिक कारकों(परिवार, समाज ,विद्यालय ,मित्र मंडली, परिवेश) वह भाषा का प्रभाव पड़ता है इसलिए इस सिद्धांत को सामाजिक संस्कृति सिद्धांत के नाम से भी जाना जाता है
👉🏼 बच्चों का संज्ञानात्मक विकास अतः वैयक्तिक सामाजिक परिस्थिति में संपन्न होता है।

🎯 समीपस्थ विकास का क्षेत्र (ZPD)

👉🏼वायगोत्स्की के अनुसार-बच्चों के सीखने का एक समीपस्थ क्षेत्र होता है जब बच्चों को ऐसा कार्य दिया जाए उनके वर्तमान स्थिति से थोड़ा अधिक मुश्किल हो तो वह बेहतर सीख पाते हैं।
👉🏼 वह क्षेत्र जो बच्चा किसी की मदद से सीख पाता है ZPD कहलाता है।

🎯scuffoding (ढांचा निर्माण)

👉🏼विकास के संभावित क्षेत्रों से संबंधित संप्रत्यय संवाद ढांचा निर्माण का महत्वपूर्ण औजार है यह कार्य अस्थाई होता है।
ज्ञान अर्जन से पहले मदद की जरूरत होती है अर्जन के बाद जरूरत समाप्त हो जाती है।

🌺 भाषा और विचार➖
बच्चे भाषा का प्रयोग ना सिर्फ संप्रेषण के लिए करते हैं बल्कि स्व निर्देशित तरीके से कार्य करने के लिए अपने व्यवहार हेतु योजना बनाने ,निर्देश देने और मूल्यांकन में भी करते हैं।

🌺💥 कोहलबर्ग💥🌺

🎯 नैतिक विकास का सिद्धांत➖
👉🏼 कोहलबर्ग ने नैतिकता के तीन स्तर बताए हैं तीनों स्तर को दो भागों में बांटा गया है इस अवस्था का क्रम निश्चित होता है।

🎯 अपरंपरागत स्तर या पूर्व नैतिक स्तर (4-10) वर्ष

🎯 परंपरागत नैतिक स्तर (10-13) वर्ष

🎯 उत्तर परंपरागत नैतिक स्तर (13-ऊपर)

🎯 अपरंपरागत यह पूर्व परंपरागत अवस्था➖
इस आयु में बालक अपनी आवश्यकताओं के संबंध में सोचता है नैतिक दुविधा ओं से संबंधित प्रश्न उनके लाभ या हानि पर आधारित होता है इसके अंतर्गत दो चरण है

1️⃣ आज्ञाकारिता और दंड अभिविन्यास
2️⃣ आत्म अभिरुचि तथा प्रतिफल अभिमुखता

🌺 आज्ञाकारिता और दंड अभिविन्यास (Obedience orientation and punishment)➖बालकों के मन में आज्ञा पालन का भय दंड पर आधारित होता है इस अवस्था में बालक में नैतिकता का ज्ञान होता है बालक स्वयं को परेशानी से बचाना चाहता है यदि कोई बालक स्वीकृत व्यवहार अपना आता है तो इसका कारण दंड से स्वयं को बचाना है।

🌺 आत्मा अभिरुचि और प्रतिफल अभिमुखता (self interest and reward orientation)➖इस अवस्था में बालकों का व्यवहार खुलकर सामने नहीं आता है वह अपनी रुचि को प्राथमिकता देते हैं वह पुरस्कार पाने के लिए नियमों का अनुपालन करते हैं।

🎯 परंपरागत नैतिकता➖इस स्तर पर बालक अपनी आवश्यकताओं के साथ दूसरों की आवश्यकताओं का भी ध्यान रखता है इस स्तर के दो भाग हैं

1️⃣ अच्छा लड़का अच्छी लड़की नैतिकता
2️⃣ अधिकार संरक्षण अभिमुखता

🌺 अच्छा लड़का या अच्छी लड़की (good boy aur good girl)➖इस अवस्था में बच्चों में एक दूसरे का सम्मान करने की भावना होती है तथा दूसरों से भी सम्मान पाने की इच्छा रखते हैं।

🌺 अधिकार संरक्षण अभिमुखता (Law and Order Orientation)➖इस अवस्था में बच्चे नियम एवं व्यवस्था के प्रति जागरूक होते हैं तथा वह नियम एवं व्यवस्था के अनुपालन के प्रति जिम्मेदार होते हैं।

🎯 उत्तर परंपरागत नैतिक स्तर➖बालक अपने परिवार, समाज एवं राष्ट्र के महत्व को प्राथमिकता देते हुए एक स्वीकृत व्यवस्था के अंतर्गत कार्य करता हैइसके अंतर्गत वयस्क वस्तु को निर्धारित कर कार्य करने सीख जाता है इसके अंतर्गत दो चरण हैं।

1️⃣ अनुबंध की अभिमुखता
2️⃣ सार्वभौमिक नैतिक सिद्धांत

🌺 अनुबंध की नैतिकता (Contact Orientation)➖इस अवस्था में बच्चे वही करते हैं जो उन्हें सही लगता है तथा वे यह भी सोचता है कि स्थापित नियमों में सुधार की आवश्यकता तो नहीं है।

🌺 सर्व भौमिक नैतिक सिद्धांत अभिमुखता (Universal Ethical Principal Orientation)➖ इस अवस्था में अंतः करण की ओर अग्रसर हो जाती है अब बच्चा का आश्रम दूसरों की प्रतिक्रियाओं का विचार किए बिना उसके आंतरिक आदर्शों के द्वारा होता है यह बच्चों के अनुरूप व्यवहार करना है

🖊️🖊️📚📚 Notes by….. Sakshi Sharma📚📚🖊️🖊️

जीन पियाजे कोहल बर्ग वाइगोत्सकी
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💢 वाइगोत्सकी💢

👉वाइगोत्सकी के अनुसार

✍संज्ञानात्मक विकास पर सामाजिक कारक :— परिवार, समाज, विद्यालय ,और भाषा का प्रभाव पड़ता है
✍ बच्चे का संज्ञानात्मक विकास अंतः व्यक्तित्व सामाजिक परिस्थिति में संपन्न होता है

➖ZPD:— zone of proximal development ( समीपस्थ विकास का क्षेत्र):—

✍ वाइगोत्सकी के अनुसार :—बच्चे के सीखने का एक समीपस्थ क्षेत्र होता है जब बच्चों को ऐसा कार्य दिया जाए तो वर्तमान स्तर से थोड़ा अधिक मुश्किल हो तो वह बेहतर सीख पाते हैं
✍ हुआ छेत्र जो बच्चा किसी की मदद से सीखा जाता है समीपस्थ विकास का क्षेत्र कहलाता है

➖SCAFFOLDING ( ढांचा):—

👉विकास के संभावित क्षेत्र से संबंधित संप्रदाय है संवाद ढांचा का निर्माण का महत्वपूर्ण औजार है यह कार्य अस्थाई होता है
👉 ज्ञान अर्जन से पहले मदद की जरूरत होता है अर्जन के बाद जरूर समाप्त हो जाता है

➖भाषा और विचार➖

बच्चे भाषा का प्रयोग ना सिर्फ संप्रेषण के लिए करते हैं बल्कि स्वयं निर्देशित तरीके से कार्य करने के लिए अपने व्यवहार हेतु योजना बनाने, निर्देश देने और मूल्यांकन में भी करते हैं

💢 कोहल बर्ग नैतिक विकास का सिद्धांत💢(moral development theory)

👉 कोहलवर्ग में नैतिकता के तीन स्तर बताए हैं तीनों स्तर के दो भागों में बांटा गया है इस अवस्था का कर्म निश्चय होता है परंतु हर व्यक्ति में समान अवस्था में नहीं होता

👉 व्यक्ति किसी अवस्था को छोड़कर नहीं बढ़ता बहुत लोग नैतिकता के उच्चतम स्तर पर कभी नहीं पहुंच पाते है

LEVEL➖1️⃣ (ID)

💢आपरंपरागत या पूर्व परंपरागत अवस्था💢(4—10years)
जब बालक बाहरी तत्व या घटना पर किसी व्यवहार को नैतिक या अनैतिक मानता है तो उसकी नैतिक तर्क शक्ति आज्ञाकारी और दंड अभिविन्यास कही जाती है इसके दो अवस्थाएं है:—

🅰️ आज्ञाकारी का और दंड अभिविन्यास➖👉इस अवस्था में बालक का व्यवहार बंद के व्यय पर आधारित होता है और इसी डर से वह अच्छा व्यवहार करता है
👉 इस प्रकार नैतिक विकास की शुरू की अवस्था में दंड को ही बच्चे की नैतिकता का मुख्य आधार मानते हैं
👉 बच्चा सोचता है कि बंद से बचने के लिए आदेश का पालन करता है
👉 सही गलत का निर्णय दिए गए दंड या पुरस्कार से करता है

🅱️ अहंकारी अवस्था➖
👉 इस अवस्था में बालक का व्यवहार स्वयं की इच्छा का पूरा करने वाला होता है
👉 उसे लगता है कि वह बात सही है जिसमें बराबरी का लेनदेन हो अर्थात दूसरी की कोई इच्छा पूरी कर दी तो वह भी हमारी इच्छा पूरी करें
👉 इस अवस्था में अहंकार होता है यदि उसका कोई उद्देश्य झूठ बोलने से क्या चोरी करने से होता हो तो वह वह काम करता है इसे अनैतिक नहीं समझता है

LAVEL2️⃣ (IGO)

💢परंपरागत अवस्था💢(10—13):—
इस अवस्था में बच्चों का व्यवहार उनके मां-बाप या किसी बड़े व्यक्ति द्वारा बनाए गए नियमों पर आधारित होता है इसमें दो अवस्थाएं होती है

🅰️ अच्छा लड़का अच्छी लड़की नैतिकता ➖ इस अवस्था में बच्चा जो भी करता है वह प्रशंसा पाने के लिए करता है
👉 इसमें बालक समाज को अच्छा लगने वाले व्यवहार करता है जिससे वह प्रशंसा प्राप्त कर सके
👉 इस अवस्था में बच्चे को चिंतन का स्वरूप समाज और उसके परिवार से निर्धारित किया जाता है

🅱️ अधिकार संरक्षण अभी मुक्ता➖ उत्पादकता में बच्चों के नैतिक विकास की अवस्था सामाजिक, आदेश ,कानून, न्याय, और कर्तव्यों पर आधारित होती है
👉 यह अवस्था अत्यंत महत्वपूर्ण माने जाते हैं इस अवस्था में प्रवेश से पहले बालक समाज को केवल प्रशंसा के लिए महत्व देता है
👉 इस अवस्था में सामाजिक नियमों के विरुद्ध प्रत्येक कार्य को अनैतिक कहते हैं

LEVEL 3️⃣ (super igo)

💢उत्तर परंपरागत स्तर💢(13+)

इसे दो अवस्था में बांटा गया है:—
🅰️ अनुबंध की नैतिकता ➖
👉इस अवस्था तक आते-आते वह समझने लगते हैं कि व्यक्ति और समाज के बीच एक समझौता होता है
👉 देखती है मांगने लगता है कि हमारा दायित्व है कि हम समाज के नियमों का पालन करें क्योंकि समाज हमारे हितों की रक्षा करता है
👉 अगर नियमों का पालन नहीं करते हैं तो व्यक्ति और समाज के बीच का समझौता टूट जाता है
👉 परंतु इस अवस्था में यह समझा जाता है कि समाज के सहमति से सामाजिक नियमों को भी बदला जा सकता है
🅱️➖ सार्वभौमिक सिद्धांत की अवस्था:—
👉 इसे विवेक की अवस्था कहा जाता है इस अवस्था तक व्यक्ति के अच्छे बुरे उचित अनुचित आदि विषयों पर स्वयं के व्यक्तिगत विचार विकसित हो जाता है एवं अपने बनाए गए नियमों पर चलता है
👉 इस अवस्था में बालक अपने विवेक का प्रयोग करने लगता है

💢💢💢💢💢💢💢💢💢

Notes by:—sangita bharti✍

🏵️🌸 vygotsky socio culture theory 🌸🏵️
👉 संज्ञानात्मक विकास पर सामाजिक कारको और भाषा का प्रभाव पड़ता है।
👉 परिवार, समाज, विद्यालय यह सब सामाजिक कारको में आते हैं।
👉 बच्चे का संज्ञानात्मक विकास अंत:वैयक्तिक सामाजिक परिस्थिति में संपन्न होता है।
◾(Z P D)~~~
▪️ Zone of proximal development (समीपस्थ विकास का क्षेत्र)
👉 वाइगोत्सकी के अनुसार,’~बच्चों के सीखने का एक समीपस्थ क्षेत्र होता है जब बच्चे को ऐसा कार्य दिया जाए जो उसके वर्तमान स्तर से थोड़ा अधिक मुश्किल हो तो वह बेहतर सीख पाते है।”
👉 वह क्षेत्र जो बच्चा किसी की मदद से सीख पाता है ZPD कहलाता है।
👉Scaffalding(ढांचे का निर्माण):~
विकास के संभावित क्षेत्र से संबंधित संप्रत्यय है, संवाद ढांचा निर्माण का महत्वपूर्ण औजार है। यह कार्य अस्थाई होता है।
👉 ज्ञान अर्जन से पहले मदद की जरूरत होती है। अर्जन के बाद जरूरत समाप्त हो जाती है।
▪️ भाषा और विचार ▪️
👉बच्चे भाषा का प्रयोग ना सिर्फ संप्रेषण के लिए करते हैं ,बल्कि स्वनिर्देशित तरीके से कार्य करने के लिए अपने व्यवहार हेतु योजना बनाने निर्देश देने और मूल्यांकन में भी करते हैं।
🏵️🌸 नैतिक विकास का सिद्धांत (कोहल बर्ग) (moral development theory)
▪️ कोहल बर्ग ने नैतिकता के तीन स्तर बताए हैं, तीनों स्तर को दो भागों में बांटा गया है, इस अवस्था का क्रम निश्चित होता है, परंतु हर व्यक्ति में समान उम्र में नहीं होती।
▪️ व्यक्ति किसी अवस्था को छोड़कर नहीं बढ़ता है।
▪️ बहुत लोग नैतिकता की उच्च स्तर पर कभी नहीं पहुंच पाते हैं।
◾Level-1 अपरंपरागत या पूर्व परंपरागत अवस्था (pre conventional stage)
👉 इस अवस्था को इदम कहते हैं
👉 इस अवस्था का समय 4-10 वर्ष होता है
1-A-आज्ञाकारीता और दंड अभिविन्यास (obedience and punishment orientation)
👉 यदि बच्चा कोई स्वीकृत व्यवहार करता है तो दंड के कारण करता है।
2-B-आत्म अभिरुचि और प्रतिफल अभिमुखता(self interest orientation)
👉 बच्चा अपनी रुचि को प्राथमिकता देता है वह अपनी रुचि या पुरस्कार को पाने के लिए कोई कार्य करता है।
◾Level-2
परंपरागत नैतिकता (conevntional)
👉 इस अवस्था को अहम कहते हैं।
👉 इस अवस्था का समय 10 से 13 वर्ष होता है।
3-A-अच्छा लड़का, अच्छी लड़की नैतिकता (the good boy, girl attitude)
👉 इसमें एक दूसरे की सम्मान करने की भावना आती है, और दूसरे से भी सम्मान पाने की इच्छा होती है।
4-B-अधिकार संरक्षण अभिमुखता(authority and social order maintaing orientatin)
👉 नियमों के प्रति जवाबदेही होती है, नियमों का अनुपालन करते हैं।
◾Level-3
उत्तर परंपरागत (post conventional)
👉 इस अवस्था को परा अहम कहते हैं।
👉 इस अवस्था का समय 13 साल के बाद होता है।
5-A-अनुबंध की नैतिकता (social contract orientation)
👉 इसमें अपनी सोच तथा अपनी शक्ति के अनुसार कार्य करते हैं।
6-B-सार्वभौमिक नैतिक सिद्धांत ( universal ethical principal)
👉 इसमें गांधीजी के बनाए हुए मार्गों पर चलते हैं,
इसमें किसी व्यक्ति के दुर्व्यवहार करने पर भी उसे क्षमा कर देते हैं।

👉 दादी जी के शब्द~
Level-1–जो कहने पर भी ना करें—शैतान (दंड देना पड़े)
Level-2–जो कहने पर करें—इंसान
Level-3–जो बिना कहे करें—भगवान
🔹🔸🔹
🏵️🌸🏵️✍️ Notes by ☞Vinay Singh Thakur🏵️🌸🏵️

🌸 🌸 लेव वाइगोत्सकी एवं कोहलवर्ग का सिद्धांत 🌸🌸(Theories of Lev Vyogatski and Kohlberg)

🌼 संज्ञानात्मक विकास ($ocio-culture theory)-सामाजिक कारकों (परिवार समाज विद्यालय ऑफिस इत्यादि) और भाव का प्रभाव पड़ता है;

✍️बच्चे का संज्ञानात्मक विकास वह अंतः वैयक्तिक सामाजिक परिस्थिति में संपन्न होता है;

🌼🌼समीपस्थ विकास का क्षेत्र(ZPD-Zone of Proximal Development)

✍️वाइगोत्सकी के अनुसार बच्चे का सीखने का एक समीपस्थ क्षेत्र होता है जब बच्चे को ऐसा कार्य दिया जाए जो उनके वर्तमान समय से थोड़ा अधिक मुश्किल हो तो वह अधिक सीख पाते हैं,वह क्षेत्र जो बच्चा किसी की मदद से सीख जाता है तो वह समीपस्थ विकास का क्षेत्र कहलाता है।

🌴उदाहरण-जैसे बच्चे को सामान 2 अंकों का जोड़, घटाना,गुणा आता हो उसे तीन या चार अंको का गुणा दिया जाए तो वह उसे हल करने के लिए अपने भाई -बहन एवं अभिभावक की मदद् लेकर उसको हल कर लेता है।

🌼🌼स्कैफोल्डिंग (Scaffolding)(ढांचा निर्मित करना)

🌸विकास के संभावित क्षेत्र से संबंधित संप्रत्यय है,

🌸संवाद ढांचा निर्माण का महत्वपूर्ण औजार है।

🌸यह कार्य अस्थाई होता है।

🌸ज्ञानार्जन से पहले ही मदद की जरूरत होती है तत्पश्चात समाप्त हो जाती है।

🌴उदाहरण-जैसे बालक को उसके भाई-बहन के द्वारा या अभिभावक के द्वारा की गई मदद से उसने उस समस्या को हल कर लिया उसके बाद उसे उस मदद् की जरूरत नहीं है।

🌼🌼भाषा और विचार(Language and Thought)-

✍️बच्चे भाषा का प्रयोग न सिर्फ संप्रेषण के लिए करते हैं बल्कि स्व:निर्देशित तरीके से कार्य को करने के लिए भी साथ ही साथ अपने व्यवहार हेतु योजना बनाना ,निर्देश देने, वा मूल्यांकन करने में भी करते हैं।
🌴उदाहरण-भाषा के द्वारा बच्चा अपनी रुचि, आवश्यकता,वा भावो को अभिव्यक्त कर पाता है।

🌼🌼कोहलवर्ग (Kohlberg)(कोहलवर्ग का नैतिक विकास का सिद्धांत)(Moral Development of Kohlberg)

✍️नैतिकता भी एक साथ नहीं आती है जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जाएगी कुछ भी हो सकते हैं यह जरूरी नहीं कि प्रत्येक व्यक्ति में नैतिकता की आ ही जाए।

✍️प्रत्येक व्यक्ति को नैतिक विकास की तीन अवस्थाओं से ही होकर गुजरना पड़ता है प्रत्येक स्तर पर 2 उप-अवस्थाएं भी है।

🌀कोहल वर्ग ने नैतिकता के तीन स्तर बताए हैं और उन तीनों स्तरों को दो दो भागों में बांटा है÷
🌀 इन अवस्थाओ का क्रम निश्चित रहता है परंतु हर व्यक्ति में समान उम्र में समान समय पर सामान अवस्था होना जरूरी नहीं होता है।
🌀व्यक्ति किसी अवस्था को छोड़कर भी आगे नहीं बढ़ सकता है।
🌀बहुत से लोग नैतिकता के उच्च स्तर पर कभी नहीं पहुंच पाते हैं इसलिए ऐसा आवश्यक भी नहीं कि सभी नैतिकता की कुछ अवस्था तक पहुंच ही जाएं।

🌀इन अवस्थाओ को निम्नलिखित प्रकार से बांटा गया है÷

🏵️🏵️Level 1-(पूर्व परंपरागत अवस्था)Pre-conventional stage (4-10)
यह नैतिक विकास 4 से 10 वर्ष की उम्र में विकसित होता है।

🏵️🏵️A- (आज्ञाकारी और दंड अभिविन्यास)obedience and punishment orientation)÷
🌱बच्चों में आज्ञाकारिता का भाव दंड पर आधारित होता है।

🌱बच्चा सोचता है कि अगर मैं आज्ञा का उल्लंघन करूंगा तो दंड मिलेगा इसलिए वह आदेश का पालन करता है।

🌱बच्चा अपने गलती को दंड प्राप्त करने के आधार पर वह अपने अच्छे कार्य को पुरस्कार प्राप्त हो जाने के आधार पर ही समझता है(अगर उसे कोई कार्य करने पर अच्छा पुरस्कार मिलता है तो वह उसके लिए अच्छा कार्य है, वहीं पर अगर उसे दंड दे दिया जाता है तो वह समझ जाता है कि उसने कुछ गलत कार्य किया है वह उस कार्य को दोबारा नही करेगा जिससे उसे दंड प्राप्त हो)

🌴उदाहरण-एक विद्यालय का बच्चा होमवर्क
पूरा ना करने पर दंड का भागी हो जाता है, अगले दिन वह इस दंड से बचने के लिए अपना होमवर्क पूर्ण करके जाता है।
🌴इसी दंड के आधार पर उद्दंड बालक की क्रियाओ पर नियंत्रण लगाने का प्रयास किया जाता है।

🏵️🏵️(अभिरुचि और प्रतिफल अभिमुख्ता)self interest orientation (interaction stage)
🌱इस अवस्था में रुचि को प्राथमिकता देने लगता है और पुरस्कार प्रशंसा सम्मान आदि प्राप्त करने के लिए कार्य करता है।
🌱अपनी रुचि और इच्छा का फल प्राप्त करने के लिए भी कार्य करता है।
🌱इस अवस्था में बालक को लगता है कि जब हम दूसरों की इच्छा पूरी कर देंगे तो वह हमारी इच्छा भी पूर्ण करेगा।

🌴उदाहरण-किसी विद्यालय में पढ़ने वाला एक विद्यार्थी इसलिए अध्ययन में ज्यादा मेहनत करता है ताकि वह होने वाली वार्षिक परीक्षा में उच्च स्तर को प्राप्त करके कक्षा वा समाज में सम्मान प्राप्त कर सके वा साथ ही अपनी रुचि की वस्तु माता पिता के द्वारा प्राप्त कर सकेगा।

🏵️🏵️Level 2 conventional stage(परंपरागत नैतिकता)(10-13year)

🏵️🏵️A-interpersonal Accord conformity (The Good boy and good girl)(अच्छा लड़का और अच्छी लड़की वाली )
🌱इस अवस्था में लड़का या लड़की दूसरों से आदर के साथ मिलना वा उन्हे सम्मान देता है , क्योंकि उसको पता है कि जब मैं दूसरो के साथ अच्छा व्यवहार करुंगा तभी मुझे भी सम्मान वा आदर प्राप्त कर पाएगा।

🌴उदाहरण-वह अपने से छोटे वा बड़े भाई बहनों एवं बंधुओं से पस्नेह पूर्वक बाते करना वा उनके साथ वैसा ही व्यवहार करता है जिससे उसे भी वही सब प्राप्त हो सके।

🏵️🏵️B-Authority and social order maintaining orientation(अधिकार संरक्षण अभियुख्त्ता)-
🌱इस प्रकार का बच्चा जागरूकता की ओर बढ़ने के साथ-साथ जीवन में नियमों का महत्त्व भी समझने लगता है कि नियम क्यो बनाये गए है, ये हमारी भलाई के लिए ही होंगे ऐसा सोचकर वह उन नियमों का अच्छे से पालन करने की कोशिश करता है;

🌴उदाहरण-जब कभी स्कूलों में “वृक्ष लगाओ पृथ्वी बचाओ”जैसी परियोजनाएं चलाई जाती है जिसमें नियमानुसार प्रत्येक व्यक्ति को 2 से 3 वृक्षो को लगाने से मिट्टी के कटाव का रुकना, वर्षा का होना ओजोन परत का क्षरण होना रुकना इत्यादि होने वाले लाभ को जानकर वह उस कार्य को नियमानुसार पूरी मेहनत वा लगन के साथ करना शुरू कर देता है,

🌴उदाहरण-२-ट्रैफिक नियमों का पालन करना।

🌴उदाहरण-३-बीमार पड़ने पर समय से दवा का सेवन करना इत्यादि।

🏵️🏵️Level 3- post Conventional stage (उत्तर परंपरागत अवस्था)(13वर्ष से ऊपर)
🌱इस अवस्था में सोचने का नजरिया वा मन पूरी तरह से निश्चल हो जाता है।

🌱इस अवस्था में वह जो भी कार्य करने के लिए सोचता है उसमे मात्र अपनी भलाई ना देखकर समाज के बारे मे भी सोचता है।

🏵️🏵️A-Social contract orientation (अनुबंध की नैतिकता)

🌱इस अवस्था में आत्मशक्ति वा आत्म बोध होने लगता है जिसके द्वारा वह उचित अनुचित न्याय- अन्याय को बेहतर ढंग से समझना वह उसके लिए तत्परता के साथ काम करना चाहता है।

🌱यहां पर वह अपनी सोच के अनुसार सही गलत में विभेद करके कार्य करता है;

🌱इस अवस्था में मनुष्य सामाजिक नियमों को उसके संरक्षण को समझता है।

🌴उदाहरण ÷जैसे नमामि गंगे अभियान में बनाए गए नियमों को अच्छे से समझता है कि गंगा को स्वच्छ बनाने में बनाए गए से गंगा को और अधिक रुप से स्वच्छ,निर्मल बनाने में मदद् मिलेगी क्योंकि जब इंसान गंगा में दूषित जल वा कूड़ा कचड़ा डालना बंद कर देगा तो गंदगी बढ़ना रुक जाएगा।

🏵️🏵️B-(universal ethical principal (सार्वभौमिक नैतिक सिद्धांत)

🌱इस अवस्था में वह अपने विवेक का इस्तेमाल भी करने लगता है।

🌱वह पूरी तरह से आदर्शवादी हो जाता है;

🌱यहां पर इंसान पूर्ण रूप से अपनी सभी इंद्रियों पर संयम रखना शुरू कर देता है वह रखता भी है;

🌱किसी भी प्रकार की अनुक्रिया पर तत्काल उसी के अनुरूप प्रतिक्रिया ना करना समझता है, अर्थात यदि किसी हिंसा वाली जगह पर जाएगा तो स्वयं हिंसा नहीं करेगा वा दूसरो को भी हिंसा ना करने से रोकेगा।

🌴उदाहरण÷इस समय मनुष्य अपने जीवन में अपने आदर्श व्यवहार से सभ्य वा आदर्श समाज का निर्माण करने लगता है,
🌴जैसे ÷एक शिक्षक अपने सरल ,सौम्य ,सभ्य अनुशासन युक्त व्यवहार वा शुद्ध सकारात्मक विचारों संस्कारो से बच्चो में इमानदारी,सरलता,सभ्यता वा सच्चाई के प्रति ढ़ृढता के साथ जीवन जीना सिखाकर समाज कल्याण के प्रति अपना सहयोग समर्पित करता है।

🌼Thank you🌼
✍️Written by -$hikhar pandey ✍️

🌼🌼🌼वाइगोत्सकी 🌼🌼🌼
(Socio -culture theory)

🌼🌼संज्ञानात्मक विकास पर –सामाजिक कारको और भाषा का प्रभाव पड़ता है
जैसे -परिवार, समाज, विद्यालय
🌼 बच्चे का संज्ञानात्मक विकास होता है
🌼 अतः व्यक्तिक सामाजिक परिस्थिति में संपन्न होता है

🌼🌼🌼ZPD🌼🌼
🌼समीपस्थ विकास का क्षेत्र
🌼(zone of proximal development)

🌼वाइगोत्सकी के अनुसार बच्चों के सीखने का एक समीपस्थ क्षेत्र होता है जब बच्चे को ऐसा कार्य दिया जाए जो उनके वर्तमान स्तर पर थोड़ा सा अधिक मुश्किल हो तो वह बेहतर सीख जाते हैं वह क्षेत्र जो बच्चा किसी की मदद से सीख जाता है ZPD/ समीपस्थ विकास का क्षेत्र कहलाता है

🌼🌼scaffolding— विकास के संभावित क्षेत्र से संबंधित संप्रत्य है, संवाद ढांचा निर्माण का महत्वपूर्ण औजार है यह कार्य स्थाई होता है ज्ञान अर्जन से पहले मदद की जरूरत होती है ज्ञान अर्जन के बाद जरूरत समाप्त हो जाती है

🌼🌼भाषा और विचार– बच्चे भाषा का प्रयोग ना सिर्फ संप्रेषण के लिए करते हैं बल्कि स्वनिर्देशित तरीके से कार्य करते करने के लिए अपने व्यवहार हेतु योजना बनाने निर्देश देने और मूल्यांकन में भी करते हैं

🌼🌼नैतिक विकास का सिद्धांत🌼🌼
🌼(moral development theory) 🌼

कोहलवर्ग ने नैतिकता के तीन स्तर बताए हैं तीनों स्तर को दो वर्गों में बांटा गया है इस अवस्था में क्रम निश्चित होता है परंतु हर व्यक्ति में सामान उम्र में नहीं होता है
🌼 व्यक्ति किसी अवस्था को छोड़कर नहीं बढ़ता।
🌼 बहुत लोग नैतिकता के उच्च स्तर पर कभी नहीं पहुंच पाते

🌼🌼🌼(LEVEL-1) 🌼🌼🌼

🌼1.परंपरागत या पूर्व परंपरागत अवस्था pre conventional stage (4-10 साल)

(A)आज्ञाकारी का और दंड अभिन्यास (obedience & punishment orientation)
– जब बच्चा कोई कार्य बार बार कहने पर भी नहीं करता और उस बच्चे को दंड देकर कार्य करवाना !

(B)आत्मा अभिरुचि और प्रतिफल अविमुखता (self interest oriented )
इसमे बच्चे अपनी रुचि के अनुसार कार्य करते है वो वह कार्य करना पसन्द करते है जो स्वं का कार्य हो!

🌼🌼🌼LEVEL–2🌼🌼🌼

🌼 परंपरागत नैतिकता(conventional stage)

(A)अच्छा लड़का अच्छा लड़की नैतिकता (the good boy /good girl attitude) -इसमे बच्चे खुद को अच्छा दिखाने की कोशिश करता है की वो श्रेष्ठ है और सबकी आँखे मे अच्छा बनने के लिए वो सभी की help करने का प्रयास करता है जिससे उसकी तारीफ हो

(B)अधिकार संरक्षण अभिमुखता(authority &social order maintaining oriented ) –isme बच्चे अपनी चीजों पर अपना अधिकार जमाने लगते है उन्हे क्या चाहिए कोन सी चीज उनकी है uske लिए वो सब कुछ करने लगते है!

🌼🌼🌼🌼LEVEL-3🌼🌼🌼

🌼🌼3.उत्तर परंपरागत (post conventional)
🌼(A) -अनुबंध की नैतिकता (social contract orientation)
🌼 इसमें अपनी सोच तथा अपनी शक्ति के अनुसार कार्य करते हैं।
🌼(B)-सार्वभौमिक नैतिक सिद्धांत ( universal ethical principal)
🌼 इसमें गांधीजी के बनाए हुए मार्गों पर चलते हैं,
इसमें किसी व्यक्ति के दुर्व्यवहार करने पर भी उसे क्षमा कर देते हैं।

🌼🌼🌼 दादी जी के अनुसार—
🌼Level-1–जो कहने पर भी ना करें—शैतान (दंड देना पड़े)
🌼Level-2–जो कहने पर करें—इंसान
🌼Level-3–जो बिना कहे करें—भगवान

🌼🌼🌼🌼 manjari soni🌼🌼🌼🌼

🔆 वाइगोत्सकी का सामाजिक सांस्कृतिक विकास का सिद्धांत➖

वाइगोत्सकी का सामाजिक सांस्कृतिक विकास का सिद्धांत कहता है कि सामाजिक अंतः क्रिया के बाद विकास होता है यानी पहले सामाजिक अंतः क्रिया होगी फिर विकास होगा |

चेतना और संज्ञान समाजीकरण और सामाजिक व्यवहार का परिणाम है संज्ञानात्मक विकास पर सामाजिक कारकों परिवार,पड़ोस, मित्र विद्यालय) और भाषा का प्रभाव पड़ता है |

बच्चे का संज्ञानात्मक विकास अंतर वैयक्तिक सामाजिक परिस्थिति में संपन्न होता है |

सामाजिक दृष्टिकोण संज्ञानात्मक विकास का एक प्रगतिशील विश्लेषण प्रस्तुत करता है जीन पियाजे की तरह वाइगोत्सकी भी यह मानते थे कि बच्चे ज्ञान का निर्माण करते हैं किंतु इनके अनुसार संज्ञानात्मक विकास एकांकी नहीं हो सकता है यह भाषा विकास सामाजिक विकास यहां तक कि शारीरिक विकास के साथ तथा सामाजिक सांस्कृतिक संदर्भ में होता है सीखने के लिए बच्चा पर्यावरण में रहते हुए भी सोचता है प्रतिक्रिया करता है और सीखता है |

बच्चे की सामाजिक विकास के संदर्भ में वाइगोत्सकी ने दो चरण बताएं हैं ➖

🎯 समीपस्थ विकास का क्षेत्र ( ZPD ) ➖

वाइगोत्सकी के अनुसार बच्चों के सीखने का एक समीपस्थ क्षेत्र होता है जब बच्चों को कोई ऐसा कार्य दिया जाए उनके वर्तमान स्थान से थोड़ा अधिक मुश्किल हो तो वह बेहतर सीख पाते हैं और बेहतर जुड़ पाते हैं तो वह क्षेत्र जो बच्चा किसी की मदद से सीख पाता है वह समीपस्थ विकास का क्षेत्र कहलाता है |

🎯 स्कैफोल्डिंग ( ढांचा निर्माण, मचान) ➖

विकास के संभावित क्षेत्र से संबंधित संप्रत्यय या अवधारणा है संवाद ढांचा निर्माण का महत्वपूर्ण औजार है यह कार्य अस्थायी होता है |
कार्यं अर्जन से पहले मदद की आवश्यकता होती है तथा अर्जन की बात समाप्त हो जाती है |

🎯 भाषा और विचार ➖

बच्चे की भाषा विकास में भाषा एक महत्व कारक है बच्चे भाषा का प्रयोग ना सिर्फ संप्रेषण के लिए करते हैं बल्कि स्व निर्देशित तरीके से कार्य करने के लिए अपने व्यवहार हेतु योजना बनाने, मूल्यांकन करने और निर्देश देने में भी करते हैं |
अर्थात भाषा एक महत्वपूर्ण कारक है जो बच्चा खुद के हिसाब से बोलने के लिए भी करता है जिसकी बच्चों के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका होती है जब तक वह सामाजिक अंत: क्रिया नहीं करेगा उसका भाषा विकास संभव नहीं है |

🔆 कोहलबर्ग का नैतिक विकास का सिद्धांत ➖

इनका मानना था कि नैतिकता एक साथ नहीं आती है जैसे जैसे व्यक्ति की उम्र बढ़ती है नैतिकता बढ़ती जाती है लेकिन आवश्यक नहीं है कि नैतिकता बढ़े ही|

नैतिकता के स्तर तक पहुचने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को तीन अवस्थाओं से होकर गुजरना पड़ता है जिनका क्रम निश्चित है लेकिन उम्र निश्चित नहीं है |

इन्होंने नैतिकता के स्तर को तीन भागों में बांटा है प्रत्येक स्तर को दो भागों में बांटा है |

प्रत्येक अवस्था का क्रम निश्चित होता है परंतु हर व्यक्ति में समान नहीं होता है व्यक्ति किसी भी अवस्था को छोड़कर आगे नहीं बढ़ सकता है बहुत लोग नैतिकता के उच्च स्तर पर कभी नहीं पहुंच पाते हैं |

नैतिकता के स्थल निम्न है ➖

A) Pre Conventional stage (पूर्व परंपरागत या आपरंपरागत अवस्था )

1) Obedience and Punishment Orientation (आज्ञाकारिता या दंड की अवस्था)

2) Self Intrest Orientation( आत्मा अभिरुचि और प्रतिफल अभिमुखता)

B) Conventional stage (परंपरागत नैतिकता)

1) Inter personal Accared Conformity / The good boy and good girl attitude ( पारस्परिक समझौते की अवस्था या अच्छा लड़का या लड़की नैतिकता )

2) Order maintains Orientation ( अधिकार संरक्षण अभिमुखता)

C) Post Conventional stage ( उत्तर परंपरागत नैतिकता )

1) Social contract orientation ( अनुबंध की नैतिकता)

2) Universal Ethical Principals ( सार्वभौमिक नैतिक सिद्धांत)

🎯 पूर्व परंपरागत या अपरंपरागत नैतिकता ( 4-10 वर्ष )

1) आज्ञाकारिता यार दण्ड अभिविन्यास➖

इस अवस्था में बच्चे के मन में आज्ञा पालन का भाव दंड पर निर्भर करता है वह स्वयं को परेशानियों से बचाना चाहते हैं कि हम ऐसा नहीं करेंगे तो ऐसा होगा वह स्वीकृत व्यवहार करता है |

2) आत्म अभिरुचि और प्रतिफल अभिमुखता ➖

इस अवस्था में बच्चे का व्यवहार खुलकर सामने नहीं आता है वह अपनी रुचि को प्राथमिकता देता है वह पुरस्कार पाने के लिए कार्य करता है जो उसकी रूचि है किसी भी चीज के प्रति उसको पाने के लिए उसके प्रति व कार्य करता है |

🎯 परंपरागत नैतिकता (10-13 वर्ष) ➖

1) अच्छा लड़का अच्छा लड़की नैतिकता या पारस्परिक समझौते की अनुरूपता ➖

इस अवस्था में बच्चा एक दूसरे का सम्मान करने और सम्मान पाने के लिए कार्य करता है यह आदान-प्रदान वाली अवस्था है कि वह सोचता है कि सामने वाला व्यक्ति जब उसको सम्मान देगा देगा तभी वह उसको भी सम्मान देगा |

2) अधिकार संरक्षण अभिमुखता ➖

इस अवस्था में बच्चे नियम और व्यवस्था के लिए जागरूक होते हैं वह जागरूक हो जाता है मानदंडों का पालन करने के लिए और उनके प्रति जवाबदेह हो जाता है |

🎯 उत्तर परंपरागत नैतिकता (13 वर्ष के बाद) ➖

1) अनुबंध की नैतिकता ➖

इसमें बच्चे की अपनी सोच और उसकी अपनी शक्ति का निर्माण हो जाता है इसमें व्यक्ति या बच्चे को जो सही लगता है वह समाज में स्वीकार हो | इसमें बालक सामाजिक रुप से स्थिति को समझने लगता है अपने अनुसार निर्णय लेने लगता है चीजों को समझने और करने लगता है |

2) सार्वभौमिक नैतिक सिद्धांत इसमें व्यक्ति आदर्शवादी हो जाते हैं यहां परिस्थिति के अनुसार व्यवहार करना दूसरों के प्रति संवेदनशील होना और खुद में दार्शनिक हो जाता है |

नोट्स बाॅय➖ रश्मि सावले

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वायगोत्सकी और कोहलबर्ग के सिद्धांत

वाइगोत्सकी का सामाजिक विकास का सिद्धांत
Vygitsky Socio-Culture Theroy

संज्ञानात्मक विकास पर सामाजिक कारको( परिवार,समाज और भाषा) का और भाषा का प्रभाव पड़ता है।

बच्चे का संज्ञानात्मक विकास अंतः वैयक्तिक, सामाजिक परिस्थिति में संपन्न होता है।

ZPD – Zone Of Proximal Development

समीपस्थ विकास का क्षेत्र

ZPD= with help- with out help

वाइगोत्सकी के अनुसार बच्चों के सीखने का एक समीपस्थ क्षेत्र होता है जब बच्चे को ऐसा कार्य दिया जाए जो उनके वर्तमान स्तर से थोड़ा अधिक मुश्किल हो तो वह बेहतर सीख पाते हैं ।

वह क्षेत्र जो बच्चा किसी की मदद से सीख पाता है ,जेड पी डी कहलाता है।

स्केफाॅल्डिग- स्केफाॅल्डिग विकास के संभावित क्षेत्र से संबंधित संप्रत्यय हैं, संवाद, ढांचा निर्माण का महत्वपूर्ण औजार है यह कार्य अस्थाई होता है।

ज्ञान अर्जन से पहले मदद की जरूरत होती है अर्जन के बाद जरूरत समाप्त हो जाती है।

जैसे बच्चा जब छोटा होता है तो वह चलने के लिए हमारी उंगली पकड़ता है और हम उसे उंगली पकड़ कर चलाना सिखाते हैं धीरे धीरे वह चलना सीख जाता है फिर वह हमारे उंगली छुटका कर तेजी से दौड़ने लगता है।
तो यहां जो हमने बच्चे को उंगली पकड़कर सिखाया वही बच्चे के लिए समीपस्थ विकास का क्षेत्र है और जो हमने बच्चे को चलने में सहारा दिया या मदद की वही हमारी स्केफोल्डिंग या ढांचा निर्माण का औजार है।
और बच्चा जब चलना सीख जाता है तो वह हमारी उंगली नहीं पकड़ता है। अर्थात काम खत्म सहायता की आवश्यकता खत्म।

भाषा और विचार -बच्चे भाषा का प्रयोग ना सिर्फ संप्रेषण के लिए करते हैं बल्कि स्व: निर्देशित तरीके से कार्य करने के लिए, अपने व्यवहार हेतु ,योजना बनाने ,निर्देश देने और मूल्यांकन में भी करते हैं।
वाइगोत्सकी के अनुसार भाषा संज्ञानात्मक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

कोहलबर्ग का नैतिक विकास का सिद्धांत
Moral development theory of kohlberg

कोहलबर्ग ने नैतिकता के तीन स्तर बताया है
इन तीनों स्तरों को भी दो- दो भागों में बांटा गया है
इस अवस्था का निश्चित क्रम होता है परंतु हर व्यक्ति में समान उम्र में नहीं होती है
व्यक्ति किसी अवस्था को छोड़कर आगे नहीं बढ़ता है
बहुत से लोग नैतिकता के उच्च स्तर पर कभी नहीं पहुंच पाते हैं।

स्तर-1
पूर्व परंपरागत नैतिकता की अवस्था
Pre conventional stage

यह अवस्था 4 से 10 साल की आयु में हो सकती है।
इसे दो अवस्थाओं में रखा गया है।
इस अवस्था में बालक अपने से बड़े व्यक्तियों द्वारा निर्धारित मानदंडों ,नियमों, रीति-रिवाजों आदि का पालन करना ही अपनी नैतिकता समझता है।

1. आज्ञाकारिता और दंड अभिविन्यास
opedience & punishment orientation

इस अवस्था में बालक का व्यवहार आज्ञाकारीता और दंड के द्वारा संचालित होता है।
इस अवस्था में बालक को आज्ञानुसार सही कार्य करने पर पुरस्कार और गलत कार्य करने पर दंड दिया जाता है।
इस अवस्था में नैतिकता की शुरुआत दंड से होती है।

2. आत्म अभिरूचि और प्रतिफल अभिमुखता / अंहकार
Self interest orientation

इस अवस्था में बालक अपनी आवश्यकताओं, रुचि को पूरा करने के लिए व्यवहार करता है।
इस अवस्था में बालक दूसरों का सम्मान इस आशा में करता है कि दूसरा भी उसे सम्मान देगा अर्थात एक हाथ से देना और दूसरे हाथ से लेना का व्यवहार करता है अर्थात बराबरी का लेनदेन या आदान -प्रदान होना चाहिए।
इस अवस्था में बालक में अंहकार होता है यदि उसका उद्देश्य ,आवश्यकता, रुचि गलत काम करने से पूरी हो तो वह उस काम को करने में कोई अनैतिकता नहीं समझता है।

स्तर-2
परंपरागत नैतिकता की अवस्था
Conventional stage

यह अवस्था 10-13 साल की आयु में आ सकती हैं
इस अवस्था में बालक समाज के द्वारा या समूह के द्वारा निर्देशित नियमों को अपना लेता है और उसी के अनुसार अपना व्यवहार संचालित करता है।

1. अच्छा लड़का या अच्छी लड़की की नैतिकता / प्रशंसा
The good boy girl attitude

इस अवस्था में बालक जो कुछ भी करता है अपनी प्रशंसा पाने के लिए करता है वह समाज में अपनी अच्छी छवि के लिए करता है ताकि उसे प्रशंसा मिले।

2.अधिकार संरक्षण अभिमुखता
Authority and social order maintain orientation/ law and order morality
इस अवस्था में नियम ,कानून तथा व्यवस्थाएं नैतिकता का आधार होती है अर्थात इसमें बालक सोचता है कि नियम हमारे लिए बने हैं और हमें इन्हें नियमित रूप से फॉलो करते रहना चाहिए।

स्तर-3
उत्तर परंपरागत नैतिकता की अवस्था
Post conventional stage

यह अवस्था 13 साल की आयु के पश्चात व्यवहार में आ सकती हैं।
इस अवस्था में व्यक्ति अपने स्वयं के नैतिकता के नियमों, मान्यताओं ,धारणाओं को मानने लगता है।

1. अनुबंध की नैतिकता
Social contract orientation
इस अवस्था में व्यक्ति यह जाने लगता है कि समाज के नियम समुदाय के सभी लोगों की सहमति और हितों के लिए बने हैं।
जो नियम अच्छे हैं उनकी पालना करने लगता है और
यदि कोई नियम व्यक्ति के लिए उपयुक्त नहीं है तो इसे समुदाय के द्वारा परिवर्तित किया जा सकता है या संशोधित किया जा सकता है।

2.सार्वभौमिक नैतिकता या सिद्धांत
Universal ethical principle/ interaction stage

इस अवस्था में व्यक्ति स्वयं के नियम बनाकर उनका अनुपालन करता है
वह अपने विवेक का प्रयोग करने लगता है
इस अवस्था को हम परम् अहम की अवस्था भी बोल सकते हैं।

कोहलबर्ग के नैतिक सिद्धांत को समझने के लिए हम एक उदाहरण ले सकते हैं जो कि अक्सर हमारे बड़े बुजुर्ग प्रयोग में लेते हैं।

स्तर-3
जो बिना कहे काम को करें वह भगवान ( उत्तर परंपरागत)

स्तर-2
और जो कहने पर कर ले वह इंसान (परंपरागत )

स्तर-1
तथा जो कहने पर भी नहीं करें वह शैतान/ हैवान /जानवर होता है ( दंड देने पर ही कार्य को करता है) ( पूर्व परंपरागत)

Notes by Ravi kushwah

वाइगोत्सकी (sociocultural theory)🔥🔥

🌟संज्ञानात्मक विकास पर सामाजिक कारकों (परिवार, समाज और भाषा) का प्रभाव पड़ता है।

🌟बच्चे का संज्ञानात्मक विकास अंत: व्यक्तिक सामाजिक परिस्थिति में संपन्न होता है।

समीपस्थ विकास का क्षेत्र (zone of proximal development) zpd🔥🔥

वाइगोत्सकी के अनुसार बच्चों के सीखने का एक समीपस्थ क्षेत्र होता है। जब बच्चे को ऐसा कार्य दिया जाए जो उनके वर्तमान स्तर से थोड़ा अधिक मुश्किल हो, तो वह बेहतर सीख पाते हैं । वह क्षेत्र जो बच्चा किसी की मदद से सीख जाता है zpd कहलाता है।

Zpd=with help-without help

ढांचा – निर्माण (स्कैफोल्डिंग) 🔥🔥

Scaffolding, एक प्रकार की शिक्षण प्रक्रिया है जिसमें बच्चों को दिया जाने वाला निर्देश की मात्रा तथा स्वरूप उनके विकास के स्तर के अनुरूप होता है । बच्चों को दिया जाने वाला सहयोग या समर्थन तब वापस ले लिया जाता है जब बच्चा स्वतंत्र रूप से किसी कार्य को करने लगता है।
इस प्रक्रिया में बड़े या शिक्षक की तरफ से उस सहयोग को वापस ले लिया जाता है , जब बच्चा उच्च क्षमता और आत्मविश्वास के साथ कोई काम करना सीख जाता है।
👉 इसमें शुरू में अधिक समर्थन दिया जाता है फिर उससे धीरे-धीरे हटा लिया जाता है।

👉 Scaffolding, विकास के संभावित क्षेत्र से संबंधित संप्रत्य हैं । संवाद ढांचा निर्माण का महत्वपूर्ण औजार है । यह कार्य अस्थाई होता है। ज्ञान अर्जन से पहले मदद की जरूरत होती है और ज्ञानार्जन के बाद जरूरत समाप्त हो जाती है।

भाषा और विचार 🔥🔥

बच्चे भाषा का प्रयोग ना सिर्फ संप्रेषण के लिए करते हैं बल्कि स्व निर्देशित तरीके से कार्य करने के लिए, अपने व्यवहार हेतु योजना बनाने, निर्देश देने और मूल्यांकन में भी करते हैं।

नैतिक विकास का सिद्धांत (moral development theory) 🔥🔥

Story 👉
यूरोप में एक महिला मौत के कगार पर थी । डॉक्टरों ने कहा कि एक दवाई है जिससे शायद उसकी जान बच जाए वह एक तरह का रेडियम था जिसकी खोज उस शहर के एक फार्मासिस्ट ने उस दौरान की थी ।दवाई बनाने का खर्चा बहुत था और दवाई वाला दवाई बनाने के खर्च से 10 गुना ज्यादा पैसे मांग रहा था । उस औरत का इलाज करने के लिए उसका पति हाइनस उन सब के पास गया जिनको वह जानता था फिर भी उससे केवल कुछ पैसे ही उधार मिले जो कि दवाई के दाम से आधे ही थे । उसने दवाई वाले से कहा कि उसकी पत्नी मरने वाली है वह उस दवाई को सस्ते में दे दे वह उसके बाकी पैसे बाद में दे देगा । फिर भी दवाई वाले ने मना कर दिया दवाई वाले ने कहा कि मैंने यह दवाई खोजी है मैं इसे बेचकर पैसा कमाउंगा । तब हाइनस ने मजबूर होकर उसकी दुकान तोड़कर वह दवाई अपनी पत्नी के लिए चुरा ली।

यह कहानी कोहलबर्ग में नैतिक विकास को जानने के लिए इस्तेमाल की थी।बच्चों को यह कहानी सुनाने के बाद उनका साक्षात्कार लिया गया जिन्हें नैतिक दुविधा पर बनाए गए कुछ प्रश्नों के उत्तर देने होते थे। जैसे-
Q- क्या हाइनस को वह दवाई चुरा लेनी चाहिए थी?

Q-क्या चोरी करना सही है या गलत है और क्यों?

Q- क्या यह एक पति का कर्तव्य है कि वह अपनी पत्नी के लिए दवाई चोरी करके ले आए?

Q- क्या दवाई बनाने वाले को हक है कि वह दवाई के इतने पैसे मांगे?

Q-क्या ऐसा कानून नहीं है जिससे दवाई की कीमत पर अंकुश लगाया जा सके , क्यों और क्यों नहीं?

👉 व्यक्ति किसी अवस्था को छोड़कर नहीं बढ़ता।
👉 बहुत लोग नैतिकता के उच्च स्तर पर कभी नहीं पहुंच पाते।

साक्षात्कार द्वारा दिए गए उत्तरों के आधार पर कोलबर्ग ने नैतिक चिंतन की तीन अवस्थाएं बताई हैं, जिन्हें पुनः दो-दो चरणों में विभाजित किया गया है।

Level*1 🌟अपरंपरागत या पूर्व परंपरागत अवस्था(preconventional stage)

यह 4 से 10 वर्ष की आयु में होता है इस आयु में बच्चे का व्यक्तित्व इदम् (idm)में होता है। इस स्टेज को दो भागों में बांटा गया है-

1. आज्ञाकारिता और दंड अभिविन्यास (obedience and punishment orientation)

🌟यह अवस्था में बच्चे की सोच , सजा से बंधी होती है । जैसे बच्चे यह मानते हैं कि उन्हें बड़ों की बातें माननी चाहिए नहीं तो उन्हें दंडित करेंगे।

2. आत्म अभिरुचि और प्रतिफल अभिमुखता(self interest orientation)

🌟यहां बच्चा सोचता है कि अपने हितों के अनुसार कार्य करने में कुछ गलत नहीं है पर हमें साथ में दूसरों को भी उनके हितों के अनुरूप काम करने का मौका देना चाहिए । अतः इस स्तर की नैतिक सोच यह कहती है कि वही बात सही है जिसमें बराबरी का लेनदेन हो रहा है । अगर हम दूसरे की कोई इच्छा पूरी कर दे तो वही हमारी इच्छा पूरी कर देंगे।

Level* 2🌟 परंपरागत नैतिकता (conventional stage)

यह 10 से 13 वर्ष की आयु में आ सकती है। इस अवस्था में बच्चा समाज के द्वारा या समूह के द्वारा निर्देशित नियमों को अपना लेता है और उसी के अनुसार अपना व्यवहार प्रदर्शित करता है। इसमें बच्चे का व्यक्तित्व अहम ( ego)में होता है। यह भी दो भागों में बांटा गया है-

1. अच्छा लड़का या अच्छी लड़की की नैतिकता/ प्रशंसा
(The good boy or girl attitude)
इस अवस्था में बच्चो में विश्वास,दूसरों का ख्याल रखना ,दूसरों के निष्पक्ष व्यवहार को अपने नैतिक व्यवहार का आधार मानना आदि बच्चे अपने माता-पिता द्वारा निर्धारित किए गए नैतिक व्यवहार के मापदंडों को अपनाते हैं जो उन्हें उनके माता-पिता की नजर में एक अच्छा लड़का या अच्छी लड़की बनाती है।

2. अधिकार संरक्षण अभिमुखता(authority and social order maintaining orientation)

इसमें बच्चा सामाजिक कानून ,आदेश, न्याय और कर्तव्यों पर आधारित चिंतन करता है । जैसे- किशोर सोचते हैं कि समाज अच्छे से चल सके इसके लिए कानून के द्वारा बनाए गए दायरे के अंदर ही रहना चाहिए। उदाहरण- घर से बाहर निकलते समय मास्क का प्रयोग करना, मोटरसाइकिल चलाते समय हेलमेट का प्रयोग करना, कार चलाते समय सीट बेल्ट का प्रयोग करना आदि।

Level* 3🌟 उत्तर परंपरागत अवस्था (post conventional stage)

यह 13 वर्ष के बाद की अवस्था है। इस अवस्था में बच्चे का व्यक्तित्व परम अहम (supper ego) में आरंभ हो सकता है।अब बच्चा व्यक्तिगत रूप से नैतिक व्यवहार का रास्ता ढूंढता है। यह भी दो भागों में बांटा गया है-

1. अनुबंध की नैतिकता (social contract orientation)

इस अवस्था में बच्चा यह सोचने लगता है कि कुछ मूल्य सिद्धांत और अधिकार कानून से भी ऊपर हो सकते हैं।

2. सार्वभौमिक नैतिक सिद्धांत (universal ethical principle/ interaction stage)

इस अवस्था में बच्चा सार्वभौमिक मानवाधिकार पर आधारित नैतिक मापदंड बनाता है जब भी कोई व्यक्ति अंतरात्मा की आवाज के द्वंद्व के बीच फंसा होता है तो वह व्यक्ति यह तर्क करता है कि अंतरात्मा की आवाज के साथ चलना चाहिए चाहे वह निर्णय जोखिम से भरा ही क्यों ना हो इसलिए उससे कुछ भी करने से पहले अपनी भावनाओं के अलावा औरों की जिंदगी के बारे में भी सोचना चाहिए था।

Notes by “Shreya Rai”🙏🙏

🌈Vygotski sociocultural theory🎯

💫संज्ञानात्मक विकास पर सामाजिक कारको और भाषा का प्रभाव पड़ता है। अर्थात बिना समाजिक अंतः क्रिया से बच्चों में विकास संभव नहीं है।

🍁सामाजिक कारक जैसे – परिवार, समाज ,विद्यालय इत्यादि।

बच्चों का संज्ञानात्मक विकास अंतःवैयक्तिक सामाजिक परिस्थिति में संपन्न होता है मतलब बच्चे जब तक समाज से, परिवार से, विद्यालय से, अंतः क्रिया नहीं करेंगे तब तक बच्चों मे विकास संभव नहीं हो सकता है

👉वाइगोत्सकी के अनुसार बच्चों के सीखने का एक समीपस्थ क्षेत्र होता है जब बच्चे को ऐसा कार्य दिया जाए जो उनके वर्तमान स्तर से थोड़ा अधिक मुश्किल हो तो वह बेहतर सीख सकते हैं

🌹वह क्षेत्र जो बच्चा किसी की मदद से सीख जाता है उसे ZPD कहते हैं।

🎯स्कैफोल्डिंग (ढांचा निर्माण ,मचान)~

यह विकास के संभावित क्षेत्र से संबंधित संप्रत्यय (अवधारणा) है। संवाद, ढांचा निर्माण का महत्वपूर्ण औजार है यह कार्य अस्थाई होता है।
तारी अर्जन से पहले मदद की जरूरत होती है तथा अर्जन के बाद समाप्त हो जाती है।
जैसे- चुनाव के समय प्रचार होती है और चुनाव खत्म होने के बाद प्रचार खत्म हो जाती है।

💫भाषा और विचार:~
भाषा विकास में के लिए महत्वपूर्ण कारक है क्योंकि भाषा का प्रयोग ना तो सिर्फ संप्रेषण के लिए करते हैं बल्कि स्वर निर्देशित तरीके से कार्य करने के लिए अपने व्यवहार हेतु योजना बनाने,मूल्यांकन करने और निर्देश देने में भी करते हैं। बच्चा भाषा का प्रयोग खुद के लिए बोलने के लिए करता है तथा इसके दौरान बच्चा भाषा का प्रयोग तब तक नहीं कर सकता है जब तक कि वह सामाजिक अंतः क्रिया नहीं करें। अर्थात भाषा समाजिक अंतः क्रिया से सीखते हैं और उसका उपयोग अनेक जगहों पर करते हैं।

🎯कोहलबर्ग का नैतिक विकास का सिद्धांत……….

कोहलबर्ग का मानना था की नैतिकता एक साथ नहीं आती हैं जैसे -जैसे व्यक्ति की आयु बढ़ती है वैसे- वैसे व्यक्ति में नैतिकता बढ़ती है लेकिन यह जरूरी नहीं है की आयु के हिसाब से नैतिकता बढ़े ही ।

कोहलबर्ग के अनुसार नैतिकता के स्तर तक पहुंचने के लिए तीन अवस्थाओं से होकर गुजरना पड़ता है जिसका क्रम निश्चित है।

इन्होंने नैतिकता के स्तर को तीन भागों में बांटा है और प्रत्येक भाग को 2-2 भागों में बांटा है।

प्रत्येक अवस्था का क्रम निश्चित होता है व्यक्ति किसी भी अवस्था को छोड़कर आगे नहीं बढ़ सकता है बहुत व्यक्ति नैतिकता के प्रथम चरण में ही रह जाते हैं कभी भी उच्च स्तर तक नहीं पहुंच पाते हैं।

🌈नैतिकता के चरण….

(A) Pre-conventional stage (पूर्व परंपरागत या आपरंपरागत अवस्था)

(1) obedience and punishment orientation (आज्ञाकारिता या दंड की अवस्था)
(2) self interest orientation(आत्मा अभिरुचि और प्रतिफल अभिमुखता)

💫B) conventional stage (परंपरागत अवस्था)

(1)‌ interpersonal Accared conformity/the good boy and good girls attitude (पारस्परिक समझौता की अवस्था /अच्छा लड़का या लड़की नैतिकता)

(2) order maintains orientation (अधिकार संरक्षण अभिमुखता)

🌈(C) Post conventional stage (उत्तर परंपरागत नैतिकता)

(1) social contract orientation (अनुबंध की नैतिकता)

(2) universal ethical principles(सार्वभौमिक नैतिक सिद्धांत)

🎯पूर्व परंपरागत या अपरंपरागत नैतिकता (4-10 वर्ष)

(1) आज्ञाकारिता या दंड अभिविन्यास…

इसमें बच्चे आज्ञा का पालन दंड के डर से कराता है अगर कार्य नहीं करेंगे तो दंड मिलेगा । इससे बचने के लिए आज्ञा का पालन करते हैं।

(2) आत्म अभिरुचि और प्रतिफल अभिमुखता…..

इसमें बच्चा अपनी रुचि से कार्य को करते हैं या अपनी रुचि को प्राथमिकता देते हैं कोई चीज, कोई वस्तु को, या पुरस्कार पाने के लिए बच्चे कार्य को करते हैं।

🌈परंपरागत नैतिकता (10-13 बर्ष)……

(1) अच्छा लड़का या लड़की नैतिकता/पारस्परिक समझौते की अनुरूपता–

इस अवस्था में बच्चे सम्मान पाने या सम्मान करने के लिए कार्य को करते हैं इस अवस्था में बच्चे सोचते हैं कि अगर हम उनको सम्मान करेंगे तो फिर वह हमें सम्मान करेंगे।

(2) अधिकार संरक्षण अभिमुखता……
इस अवस्था में बच्चे नियम को पालन करने और उनके प्रति जवाबदेह हो जाता है।

🎯उत्तर परंपरागत नैतिकता (13 बर्ष के बाद)……

( 1)अनुबंध की नैतिकता-

इसमें बच्चे की सोच और शक्ति का निर्माण हो जाता है तथा उन्हें जो सही लगता है उसे स्वीकार करते हैं तथा गलत को गलत मानते हैं इसमें बालक समाज की स्थिति परिस्थिति का समझ विकसित हो जाती हैं।

(2) सार्वभौमिक नैतिक सिद्धांत-

इसमें व्यक्ति आदर्शवादी हो जाते हैं अगर इसमें समाज द्वारा किया गया कार्य गलत है या सही है तो उनकी प्रतिक्रिया न्यूट्रल आती है। जैसे-गलत है तो भी ठीक है और सही है तो भी ठीक है।

परिस्थिति के अनुसार व्यवहार करना, दूसरे के प्रति संवेदनशील होना और खुद में दार्शनिक हो जाता हैं।

💮🌼🌺🍁🍂🙏Notes by-SRIRAM PANJIYARA 🌈🌸💥🌺🙏

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