Teaching and it’s method notes by India’s top learners

📖 📖 शिक्षण ( Teaching) 📖 📖

👉🏻 शिक्षण का अर्थ~ शिक्षण एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें बालक शिक्षक के साथ मिलकर अपने व्यवहार में वांछनीय परिवर्तनों को लाता है।
यह कक्षा के निर्देशन में उपयोग किए जाने वाले सामान्य सिद्धांत शिक्षण विधियों और प्रबंध का एक तरीका है।
अर्थात शिक्षण सीखने सिखाने की एक प्रक्रिया है, जिसमें एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से कुछ ना कुछ ज्ञान का आदान प्रदान करता है। एक दूसरे से ज्ञान को अर्जित करता है।

📝 क्लार्क हल द्वारा शिक्षण की परिभाषा( According to C.L.Hull ) ~
शिक्षण उन गतिविधियों को संदर्भित करता है, जिन्हें छात्र के व्यवहार में परिवर्तन लाने हेतु डिजाइन और प्रदर्शित किया जाता है।

🌻🌿🌻 शिक्षा अधिगम की पद्धतियां एवं विषय वस्तु को प्रस्तुत करने के तरीके 🌻🌿🌻

1. भाव बालक पद्धति ~
इस पद्धति से व्यक्ति अपने भावों को मौखिक या लिखित रूप में प्रस्तुत करता है, या अन्य व्यक्तियों को समझाता है।
इसके अंतर्गत व्याख्यान विधि या व्याख्यान पद्धति का वर्णन निम्नलिखित है~

🌷🌿🌷व्याख्यान पद्धति 🌷🌿🌷
इस पद्धति के अंतर्गत शिक्षक सक्रिय होता है, छात्र केवल एक निष्क्रिय श्रोता की तरह शिक्षक द्वारा बोले हुए वचनों को सुनता रहता है। इसमें लिखित या मौखिक सूचनाओं प्रदान की जाती है। इसी विधि को चाॅक एवं वार्ता ( chalk and talk ) भी कहते हैं।
इसमें हर चीज शब्दों के रूप में व्यक्त की जाती है, विचार का प्रभाव एक तरफा होता है, क्योंकि इसमें केवल शिक्षक केंद्रित ही रहती है। शिक्षक पहले से ही विषय वस्तु को तैयार रखता है, और बच्चों के समक्ष प्रस्तुत कर देता है।

👉🏻 लाभ~ व्याख्या पद्धति के ऐसे तथ्य जिसमें कई प्रकार के लाभ होते हैं, वह लाभ निम्नलिखित हैं~

🍂🍃 इस पद्धति के माध्यम से अधिक से अधिक संख्या में बच्चों को शिक्षण कराया जा सकता है। इसमें बच्चों को पढ़ाई जाने की कोई सीमा नहीं होती है, कि केवल 10 ही बच्चों को पढ़ाया जाएगा या 20 ही बच्चों को पढ़ाया जाएगा। इसके अंतर्गत हम हजारों बच्चों को भी पढ़ा सकते हैं।

🍃🍂 यह पद्धति आर्थिक व समय की दृष्टि से भी सुगम है, क्योंकि इसमें कम पैसे में ही शिक्षक अधिक शिक्षण करवा सकता है। एवं समय की भी बचत होती है। क्योंकि एक साथ कई बच्चों को पढ़ाया जा सकता है, इस समय की भी बचत हम पर्याप्त रूप से कर सकते हैं।

🍂🍃 शिक्षक छात्रों को व्यक्तिगत रूप से शिक्षा नहीं देता है। जिससे कि वह सभी बच्चों को एक साथ शिक्षा प्रदान कर देता है, और उसे हर बच्चे को अलग-अलग सुविधा देने की आवश्यकता नहीं होती है।

🍃🍂 शिक्षण किसी भी गति में करवाया जा सकता है। एवं भारी से भारी पाठ्यक्रम को भी पूरा किया जा सकता है, क्योंकि इसमें छात्रों की गति से समायोजित नहीं करना पड़ता है। शिक्षक अपने आवश्यकता अनुसार एवं अपनी सुविधा अनुसार पाठ्यक्रम को पूर्ण करवा सकता है।

🍂🍃 यह सूचना प्रदान करने की सबसे पुरानी विधि है। इसमें सूचनाओं को अधिक से अधिक संख्या में प्राप्त किया जा सकता है। एक सूचना को कई व्यक्तियों को प्रदान किया जा सकता है, क्योंकि इसमें व्यक्तिगत रुप से ध्यान देने की आवश्यकता नहीं होती है। जो कि शिक्षा के लिए सरल व सुगम हो जाता है।

🍃🍂 योजनाबद्ध तरीके से विचार को स्वाभाविक क्रम में रखा जा सकता है, क्योंकि शिक्षक इसे अपने अनुसार से अपनी योजना में जारी रख सकता है। इसमें केवल शिक्षक की भागीदारी होती है। उसे किस प्रकार की योजना बनानी है। उसे पाठ्यक्रम को कितने समय में पूर्ण करना है, यह सब कुछ शिक्षक पर ही निर्भर रहता है।

🍂🍃 क्योंकि हम जानते हैं, कि यह विधि शिक्षक के द्वारा ही चलाई जाती है। तो शिक्षक अपने माध्यम से ही अच्छे उदाहरण को प्रस्तुत कर सकते हैं। ऐसे उदाहरण को शिक्षक अपने द्वारा प्रस्तुत कर सकते हैं। जो कि उस परिस्थिति के अनुसार हो, इसमें कोई भी बच्चा बाधा उत्पन्न नहीं कर सकता है, क्योंकि छात्रों को वहां अपनी बातें प्रस्तुत करने का कोई भी मौका नहीं मिलता है।

🍃🍂 यह एक शिक्षक केंद्रित विधि है। तो इसमें शिक्षक का प्रभाव ज्यादा दिखाई देता है। शिक्षक अपने द्वारा ही सब कुछ नियोजित करता है। जिसमें शिक्षक को लागू शिक्षक वैसे कार्यों को करना चाहता है, जो कि उसके भविष्य में भी प्रभावी होता है। शिक्षक इसमें पूर्ण रूप से सक्रिय रहता है, और अपने प्रभाव से अन्य को भी प्रभावित करता है।

🍂🍃 इस पद्धति के माध्यम से प्रभावशाली बालकों को अधिक लाभ प्राप्त होता है, क्योंकि वह चीजों को जल्दी समझ जाते हैं। शिक्षक के द्वारा किए गए व्याख्यान को वह अपनी क्षमता से प्राप्त कर लेते हैं। अतः हम कह सकते हैं, प्रतिभाशाली बच्चों को इसमें ज्यादा लाभ होता है। वह इसका ज्यादा फायदा ले पाते हैं।

👉🏻 दोष~ हम सभी यह भली-भांति रूप से जानते हैं, कि हर चीज के दो पहलू होते हैं। अर्थात कहने का अर्थ यह है, कि अगर किसी चीज से हमें लाभ की प्राप्ति होती है, तो उसी चीज से हमें कई प्रकार की हानियां भी होती है। उसमें कई दोस्त भी पाए जाते हैं। ठीक इसी प्रकार से हम व्याख्यान विधि के दोष का वर्णन निम्नलिखित कुछ तथ्यों के माध्यम से करेंगे~

🍃🍂 यह विधि एक अमनोवैज्ञानिक विधि है, क्योंकि इसमें बच्चे की पूर्ण सक्रियता नहीं रहती हैं। वह इसमें निष्क्रिय श्रोता की तरह कार्य करता है, सिर्फ चीजों को सुनता है। इस विधि में छात्रों की भाव व विचारो को नहीं देखा जाता है। और ना ही उनके विचारों को शिक्षक सुनता है। अर्थात हम कह सकते हैं, कि इस विधि में छात्र का कोई भी रोल नहीं रहता है।

🍂🍃 बालक के केंद्रित की किसी भी प्रकार की आवश्यकता, क्षमता एवं सीमा को ध्यान में नहीं रखा जाता है। क्योंकि बच्चा केवल इसमें सुनता है, तो उसका ध्यान केंद्रित नहीं रह पाता है। वह चीजों को ठीक प्रकार से समझ नहीं पाता है।

🍃🍂 इस विधि के अंतर्गत बच्चे को चिंतन का अवसर नहीं मिलता है। अर्थात हम कह सकते हैं, कि बच्चे के चिंतन का विकास इस विधि के अंतर्गत नहीं होता है। क्योंकि बच्चे को सोचने का समय ही नहीं मिलता है। शिक्षक इसमें उसे ऐसे अवसर ही नहीं देता है, जिससे कि बच्चा अपने विचारों को प्रस्तुत कर पाए।

🍂🍃 इस विधि के अंतर्गत शिक्षक एवं बच्चे के बीच निकटतम संबंध नहीं होते हैं। क्योंकि दोनों के मध्य अंतः क्रिया के कोई भी अवसर नहीं होते हैं। ना तो शिक्षक बच्चे के विचारों को समझता है। जिससे कि वह दोनों के बीच में एक जुड़ाव बना पाए। अतः दोनों के बीच में निकटतम संबंध नहीं बन पाते है।

🍃🍂 इस विधि में प्रतिभाशाली बच्चों को तो अधिक लाभ की प्राप्ति होती है। लेकिन ठीक उसी के विपरीत मंदबुद्धि बालको इस विधि में किसी भी प्रकार का लाभ प्राप्त नहीं होता है। क्योंकि प्रतिभाशाली बालक पहले से ही प्रतिभावान रहते हैं। तो वह शिक्षक की वार्तालाप को समझ पाते हैं, लेकिन मंदबुद्धि बालक इस वार्तालाप को ग्रहण करने के लिए सक्षम नहीं हो पाते हैं।

🍂🍃 यह विधि गणित के लिए असंभव है, क्योंकि गणित में शिक्षक एवं विद्यार्थी दोनों का संबंध निकटतम होना चाहिए। तभी गणित का शिक्षण पूर्ण रूप से करवाया जा सकता है। बिना एक दूसरे के विचारों को जाने एवं उनकी प्रस्तुति अति आवश्यक होती है। अतः हम सकते हैं, कि यह विधि गणित के लिए अनुचित है।

🍃🍂 इस विधि के अंतर्गत कई बार बच्चों को पढ़ाई से कोई मतलब ही नहीं रहता है। क्योंकि इसमें बच्चे की सक्रियता को नहीं देखा जाता है। तो बच्चा अन्य उद्दंड कार्यों के प्रति उत्सुक होता रहता है, वह पढ़ाई के प्रति उसकी तत्परता समाप्त हो जाती है।

उपरोक्त सभी तथ्यों के माध्यम से हमने व्याख्यान पद्धति के लाभ एवं दोषों का वर्णन किया है। जिसके अंतर्गत हमने शिक्षक एवं छात्र के बीच के संबंधों का भी वर्णन किया है। अतः अंत में हम कह सकते हैं, कि केवल वही विधि सार्थक विधि हो सकती है। जो कि शिक्षक एवं बच्चों दोनों के निकटतम संबंध को दर्शाती हो या बच्चे के विचारों को प्राथमिकता दी जाती हो।

📚 📚 📕 समाप्त 📕 📚 📚

✍🏻 PRIYANKA AHIRWAR ✍🏻

🌺🌿🌻🌷🙏🏻🌺🌿🌻🌷🙏🏻🌺🌿🌻🌷🙏🏻🌺🌿🌻🌷
———-×—————–×—————-×—————×———-

🔆 शिक्षण (Teaching) 🔆

शिक्षण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें एक बच्चा शिक्षक की मदद से अपने व्यवहार में जो वांछनीय परिवर्तन है उसको लाता है |

शिक्षण कक्षा में प्रयोग होने वाले दिशा निर्देशों में उपयोग किए जाने वाले सामान्य सिद्धांत, शिक्षण विधि ,और प्रबंधन का एक तरीका है |
शिक्षण के द्वारा हम अपनी क्लासरूम को जैसा चाहे वैसा बना सकते हैं और उस क्लास में पढ़ाने के अलग अलग तरीके होते हैं अलग अलग सिद्धांत होते हैं जिनके द्वारा हम छात्रों को शिक्षण देते हैं कुछ दिशा-निर्देश होते हैं उनका पालन करना पड़ता है यदि ऐसा नहीं होगा तो कक्षा का वातावरण अनुशासन ही हो जाएगा |

शिक्षण के संबंध में क्लार्क हल ( CL Hall) ने कहा है कि

” शिक्षण उन गतिविधियों को संदर्भित करता है जिन्हें छात्र के व्यवहार में परिवर्तन लाने हेतु डिजाइन और प्रदर्शित किया जाता है” |

💫 शिक्षण और अधिगम की पद्धतियाँ ➖

किसी विषय वस्तु को प्रस्तुत करने के लिए विभिन्न प्रकार के तरीके होते हैं यह परिस्थिति पर निर्भर करता है कि कौन सी शिक्षण विधि का प्रयोग करना है इसके लिए शिक्षाण व अधिगम की अलग-अलग पद्धतियाँ होती है जिनमें से कुछ पद्धतियों का वर्णन नीचे किया गया है ➖

🎯 भाववाहक पद्धति➖

यह एक ऐसी पद्धति है जिसमें छात्रों को भाव से और मौखिक रूप से समझाया जाता है इस पद्धति के अंतर्गत विभिन्न पद्धतियों को रखा गया है ➖

🌟 व्याख्यान विधि ➖

इस विधि में बोलने वाला सक्रिय तथा सुनने वाला निष्क्रिय होता है | अर्थात इसमें शिक्षक सक्रिय होते है और छात्र निष्क्रिय होते हैं इस विधि में या इस पद्धति में लिखित या मौखिक भाषा में सूचना दी जाती है इसको चाॅक और वार्ता विधि (chalk and talk methods) भी कहते हैं |
इसमें
∆ हर चीजों को शब्दों के रूप में व्यक्त किया जाता है |

∆विचारों का प्रभाव एक तरफा होता है |

∆ शिक्षक पहले से कंटेंट तैयार रखता है और बच्चों के सामने प्रस्तुत करता है |

🎯 व्याख्यान पद्धति के लाभ और हानि ➖

🌟 व्याख्यान विधि के लाभ ➖

1) यह बड़ी कक्षा के लिए लाभदायक है इस विधि से बड़ी से बड़ी कक्षा को प्रभावी तरीके से पढ़ाया जा सकता है सभी छात्रों को सुनने का समान अवसर मिलता है जिससे छात्रों का श्रवण कौशल भी विकसित होता है |

2) यह विधि आर्थिक दृष्टि से और समय की दृष्टि से सुगम है इससे छात्रों के और शिक्षक दोनों के समय की बचत होती है खास करके यह विधि शिक्षक के लिए बहही सुगम विधि है इससे शिक्षक कक्षा को अपने अनुसार चला सकता है या अपने अनुसार पढ़ा सकता है | इस विधि में प्रत्येक छात्र के लिए उसकी आवश्यकता के अनुसार अलग-अलग सुविधा प्रदान नहीं की जाती है इसलिए यह विधि आर्थिक दृष्टि से भी सुगम है |

3) यह विधि छात्रों को व्यक्तिगत सुविधा प्रदान नहीं करती है अर्थात प्रत्येक छात्र के लिए हम उसी आवश्यकता के अनुसार अलग-अलग व्यवस्था नहीं कर सकते हैं उनको कोई व्यक्तिगत सुविधा नहीं दी जाती है जो सभी छात्रों के लिए जरूरी रहता है उसी विधि से इसमें पढ़ाया जाता है |

4) शिक्षक, शिक्षण अपनी किसी भी गति में करवा सकता है और भारी से भारी पाठ्यक्रम को पूरा कर सकता है क्योंकि शिक्षक को इसमें छात्रों की गति से समायोजन नहीं करना पड़ता है |

5) यह सूचना प्रदान करने की एक प्राचीन विधि है वैदिक काल से इस विधि को महत्त्व दिया जा रहा है क्योंकि इससे शिक्षक को किसी भी प्रकार की कठिनाई का अनुभव नहीं होता है |

6) इसमें योजनाबद्ध तरीके से अपने विचारों को स्वभाविक क्रम में रखा जा सकता है |
अर्थात इस विधि में शिक्षक अपनी योजना के अनुसार अपने विचारों को प्रदर्शित कर सकता है या उनको किसी पीपीटी के माध्यम से छात्रों को पढ़ा सकता है |

7) शिक्षक अपनी शिक्षण विधि में अच्छे उदाहरण देकर शिक्षण को रोचक बना सकता है |
अर्थाअर

क्योंकि इसमें शिक्षक की भूमिका महत्वपूर्ण होती है और यहां पर बच्चे को कुछ भी कार्य नहीं करना पड़ता है इसलिए यह जरूरी हो जाता है कि शिक्षक जो पढ़ा रहा है वह कितना असरदार है इसलिए शिक्षक अपनी इच्छा के अनुसार शिक्षण विधि में अच्छे उदाहरण का प्रयोग करके शिक्षण को रोचक बना सकता है |

8) इस विधि के द्वारा कम समय में अधिक विषय या अधिक चीज है पढ़ाई जाती है जिससे शिक्षक को इस विधि से अधिक फायदा होता है |

9) क्योंकि यह एक शिक्षक केंद्रित विधि हैं इसलिए इस विधि में शिक्षक का प्रभाव ज्यादा दिखता है और उनका भविष्य प्रभावी होता है |

10) प्रतिभाशाली बच्चों को इस विधि से फायदा होता है और वे अपनी प्रतिभा को निखार सकते हैं अपनी क्षमता को विकसित कर सकते हैं |

🌟 व्याख्यान विधि के दोष ➖

1)। बच्चों में चिंतन का विकास नहीं हो सकता है क्योंकि यह एक शिक्षक केंद्रित विधि है बच्चों को स्वंय से करने का अवसर नहीं मिलता है |

2) बच्चे के केंद्रित किसी भी आवश्यकता ,क्षमता,,क्रियाकलाप, या सीमा को ध्यान में नहीं रखा जाता है |
अर्थात बच्चे की आवश्यकता के अनुसार शिक्षण नहीं दिया जाता है |

3) क्योंकि बच्चे निष्क्रिय रहते हैं इसलिए उनका ध्यान पढ़ाई में या क्लासरूम में नहीं रहता है |

4) बच्चे और शिक्षक का निकटतम संबंधी नहीं बन पाता है उनके बीच अंत: क्रिया नहीं हो पाती है शिक्षक और छात्र के बीच सही समायोजन नहीं हो पाता है |

5) यह विधि मनोवैज्ञानिक नहीं है क्योंकि बच्चे के मनोविज्ञान का ध्यान नहीं रखा जाता है उसको क्या आवश्यकता है क्या नहीं है इस बात पर व्यक्तिगत ध्यान नहीं दिया जाता है |

6) गणित के लिए असंभव विधि है क्योंकि बिना डिस्कशन की गणित संभव ही नहीं है गणित को आपस में चर्चा परिचर्चा करके ही हल किया जा सकता है |

7) मंद बुद्धि बालकों के लिए उचित नहीं है |
यह विधि मंदबुद्धि बालकों के लिए सुगम नहीं है क्योंकि इसमें छात्रों की आवश्यकता के विपरीत कार्य किया जाता है |

8) इस विधि में छात्र निष्क्रिय होते हैं इसलिए पढ़ाई का कोई औचित्य नहीं है |

𝙉𝙤𝙩𝙚𝙨 𝙗𝙮➖ 𝙍𝙖𝙨𝙝𝙢𝙞 𝙎𝙖𝙫𝙡𝙚

🌻🍀🌼🌸🌺🌻🍀🌼🌸🌺🌻🍀🌼🌸🌺

शिक्षण

शिक्षण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें एक बच्चा शिक्षक की मदद से अपने व्यवहार में वांछित /जरूरी परिवर्तन लाता है।

यह कक्षा के निर्देशों में उपयोग किए जाने वाले सामान्य सिद्धांत शिक्षण विधि और प्रबंधन का एक तरीका है

क्लार्क एल हल – शिक्षण गतिविधि को संदर्भित करता है जिन्हें छात्र के व्यवहार में परिवर्तन लाने हेतु डिजाइन और प्रदर्शित किया जाता है

शिक्षण और अधिगम की पद्धतियां-

किसी विषय वस्तु को प्रस्तुत करने का तरीका शिक्षण और अधिगम की पद्धतियां कहलाती है।

भाववाहक पद्धति-
इस पद्धति में छात्रों को भाव से और मौखिक रूप में समझाया जाता है

किसी विषय वस्तु को समझाने के लिए हम कभी मौखिक रूप से ज्यादा प्रयोग करते हैं और कभी कभी हम उसे लिखकर प्रस्तुत करते हैं

जैसे हमें किसी को कुछ ऐसी बात बतानी है जो हम लिख कर नहीं कर पाते हैं उसे हम या तो उस व्यक्ति को मिलकर या मौखिक रूप से मोबाइल पर बातकर कर समझाते हैं या बताते हैं।

1.व्याख्यान पद्धति

👉इस पद्धति में छात्रों को लिखित या मौखिक भाषा में सूचना दी जाती है
👉इसमें शिक्षक सक्रिय होता है और छात्र निष्क्रिय होते हैं
👉इसे chalk and talk चौक और वार्ता विधि भी कहते हैं
👉इसमें हर चीजें शब्दों के रूप में व्यक्त की जाती है
👉विचारों का प्रभाव एक तरफा होता है
👉इसमें शिक्षक पहले से कंटेंट तैयार रखता है और बच्चों को प्रस्तुत करता है

व्याख्यान विधि के गुण या लाभ-

1.यह विधि से बड़ी संख्या वाली कक्षा के लिए सुगम है
2.यह आर्थिक और समय की दृष्टि से सुगम है
3.छात्रों को व्यक्तिगत सुविधा नहीं देनी पड़ती है
4.शिक्षण किसी भी गति में करवाया जा सकता है और भारी से भारी पाठ्यक्रम को पूरा किया जा सकता है क्योंकि इसमें छात्रों की गति से समायोजित नहीं करना पड़ता है
5.यह सूचना प्रदान करने की पुरानी विधि है
6.योजनाबद्ध तरीके से विचारों को स्वभाविक क्रम में रखा जा सकता है
7.शिक्षक अच्छे उदाहरण देकर रोचक बना सकता है
8. कम समय में ज्यादा चीजें पढ़ाई जा सकती हैं
9. शिक्षक का प्रभाव ज्यादा दिखता है और भविष्य में प्रभावी होता है
10. प्रतिभाशाली बच्चों के लिए फायदा कारक है
11. नई चीजों को पढ़ाने के लिए उपयुक्त है

व्याख्यान विधि के दोष या हानि-

1.इससे बच्चों में चिंतन का विकास नहीं कर सकते हैं
2.बच्चे के केंद्रित किसी भी आवश्यकता ,क्षमता ,सीमा को ध्यान में नहीं रखा जाता है
3.क्योंकि बच्चे निष्क्रिय रहते हैं तो बच्चों का ध्यान केंद्रित नहीं रहता है
4.बच्चे और शिक्षक का निकटतम संबंध नहीं बन पाता है
5. यह मनोवैज्ञानिक नहीं है
6. गणित के लिए असंभव विधि हैं
7. मंदबुद्धि बालकों के लिए उचित नहीं है
8. बच्चा निष्क्रिय होता है तो पढ़ाई का कोई मतलब नहीं होता है
9. निदानात्मक और उपचारात्मक परीक्षण नहीं होता है
10. बच्चों का कम विकास हो पाता है
11. सतत मूल्यांकन नहीं हो पाता है
12. बच्चे कक्षा में बोर या निरस महसूस करते हैं
13. बच्चों की प्रतिभा को मौका नहीं मिलता है
14. बच्चे तर्क नहीं कर पाता है
15. छोटे बच्चों के लिए उपयोगी नहीं है
16. प्रतिभाशाली बच्चों के सक्रिय होने से बाकी बच्चों का मनोबल प्रभावित होता है

Notes by Ravi kushwah

🔆 शिक्षण (teaching)🔆

💠 शिक्षण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें एक बच्चा शिक्षक की मदद से अपने व्यवहार में जो वांछनीय परिवर्तन है उसको लाता है।

💫 शिक्षण कक्षा में प्रयोग होने वाले दिशानिर्देशों में उपयोग किए जाने वाले सामान्य सिद्धांत शिक्षण विधि और प्रबंधन का एक तरीका है।
शिक्षण के द्वारा हम अपनी कक्षा को जैसा चाहे वैसा बना सकते हैं और उस कक्षा मैं पढ़ाने के अलग-अलग तरीके होते हैं अलग-अलग सिद्धांत होते हैं जिनके द्वारा हम छात्रों को शिक्षण देते हैं कुछ दिशा निर्देश होते हैं उनका पालन करना पड़ता है यदि ऐसा नहीं होगा तो अच्छा का वातावरण अनुशासन हीन हो जाएगा इसलिए हमें कक्षा मैं अनुशासन को ध्यान में रखकर बच्चों को शिक्षण कराना चाहिए एक ऐसा माहौल देना चाहिए जिसमें बच्चा बेहतर सीख सके।

💠शिक्षण के सम्बंध में क्लार्क हल का कथन है कि ➖

” शिक्षण उन गतिविधियों को संदर्भित करता है जिन्हें छात्र के व्यवहार में परिवर्तन लाने हेतु डिजाइन और प्रदर्शित किया जाता है।

💠शिक्षण और अधिगम की पद्धतियां ➖

किसी विषय वस्तु को प्रस्तुत करने के लिए विभिन्न प्रकार के तरीके होते हैं यह परिस्थिति पर निर्भर करता है की कौन सी शिक्षण विधि का प्रयोग करना है किसके लिए शिक्षण व अधिगम की अलग-अलग पद्धतियां होती हैं जिनमें से कुछ पद्धतियां निम्नलिखित हैं➖

🎲भाववाहक पद्धति ➖

यह एक ऐसी पद्धति है जिसमें छात्रों को भावों से और मौखिक रूप से समझाया जाता है इस पद्धति के अंतर्गत विभिन्न पद्धतियों को रखा गया है➖

💠 व्याख्यान विधि➖

इस विधि में बोलने वाला सक्रिय रहता है और सुनने वाला निष्क्रिय रहता है यानी कि इसमें अध्यापक सक्रिय होता है और विद्यार्थी निष्क्रिय रहते हैं यह विधि अध्यापक प्रधान होती है इस विधि में या पद्धति में लिखित या मौखिक भाषा में सूचना दी जाती है इसको chalk and talk methods भी कहते हैं।

🔸 हर चीजों को शब्दों के रूप में व्यक्त किया जाता है।

🔸 विचारों का प्रभाव एक तरफा होता है।

🔸 शिक्षक पहले से कंटेंट तैयार रखता है और बच्चों के सामने प्रस्तुत करता है।

💠 व्याख्यान विधि के लाभ और हानि➖

💫 व्याख्यान विधि के गुण ➖

🔸यह बड़ी कक्षा के लिए लाभदायक है इस विधि से बड़ी से बड़ी कक्षा को प्रभावी तरीके से पढ़ाया जा सकता है सभी छात्रों को सुनने का समान अफसर मिलता है जिससे छात्रों का श्रवण कौशल भी विकसित होता है।

🔸 यह विधि आर्थिक दृष्टि से और समय की दृष्टि से सुगम है इसमें छात्रों के और शिक्षक दोनों के समय की बचत होती है खास करके यह विधि शिक्षक के लिए बहुत ही सुगम विधि है इसमें शिक्षक कक्षा को अपने अनुसार चला सकता है या अपने अनुसार पढ़ा सकता है इस विधि में प्रत्येक छात्र के लिए उसकी आवश्यकता के अनुसार अलग-अलग सुविधा प्रदान नहीं की जा सकती है इसलिए यह विधि आर्थिक दृष्टि से भी सुगम है।

🔸 यह विधि छात्रों को व्यक्तिगत सुविधा प्रदान नहीं करती है अर्थात प्रत्येक छात्र के लिए हम उसकी आवश्यकता के अनुसार अलग-अलग है व्यवस्था नहीं कर सकते हैं उनको कोई व्यक्तिगत सुविधा नहीं दी जाती है जो सभी छात्रों के लिए जरूरी रहता है इसी विधि से इसमें पढ़ाया जाता है।

🔸 शिक्षक अपनी किसी भी गति में करवा सकता है और भारी से भारी पाठ्यक्रम को पूरा कर सकता है क्योंकि शिक्षक को इसमें छात्रों की गति से समायोजन नहीं करना पड़ता है।

🔸 यह सूचना प्रदान करने की एक प्राचीन विधि है वैदिक काल से ही इस विधि को महत्व दिया जा रहा है क्योंकि इसमें शिक्षक को किसी भी प्रकार की पटना इनका अनुभव नहीं होता है।

🔸 इसमें योजनाबद्ध तरीके से अपने विचारों को स्वभाविक क्रम में रखा जा सकता है अर्थात इस विधि में शिक्षक अपनी योजना के अनुसार अपने विचारों को प्रदर्शित करता है या किसी पीपीटी के माध्यम से छात्रों को शिक्षण कार्य कराता है।

🔸 शिक्षक अपनी शिक्षण विधि में अच्छे उदाहरण देकर शिक्षण को रोचक बना सकता है क्योंकि इसमें शिक्षक की भूमिका महत्वपूर्ण होती है यहां पर बच्चों को कुछ भी कार्य नहीं करना पड़ता है इसलिए यह जरूरी हो जाता है की शिक्षक जो पढ़ा रहा है वह कितना बच्चों के ऊपर प्रभाव डाल रहा है इसलिए शिक्षक अपनी इच्छा के अनुसार शिक्षण विधि में अच्छे उदाहरणों का प्रयोग करके शिक्षण को रोचक बना सकता है।

🔸 इस विधि के द्वारा कम समय में अधिक विषय की जानकारी या ज्ञान दिया जाता है जिससे शिक्षक को इस विधि से ज्यादा फायदा होता है।

🔸 क्योंकि यह एक ही शिक्षक केंद्रित विधि है इसलिए इस विधि में शिक्षक का प्रभाव ज्यादा दिखता है और उनका भविष्य प्रभावी होता है।

🔸 प्रतिभाशाली बच्चों को इस विधि से फायदा होता है और व अपनी प्रतिभा को निखार सकते हैं अपनी क्षमता को विकसित कर सकते हैं।

💫व्याख्यान विधि के दोष➖

🔸 बच्चों में चिंतन का विकास नहीं हो सकता है क्योंकि यह एक शिक्षक केंद्रित विधि है बच्चों को स्वयं से करने का अवसर नहीं मिलता है।

🔸 बच्चों के केंद्रीत किसी भी आवश्यकता क्षमता क्रियाकलाप या सीमा को ध्यान में नहीं रखा जाता है।
अर्थात बच्चे की आवश्यकता के अनुसार शिक्षण नहीं दिया जाता है।

🔸 क्योंकि बच्चे निष्क्रिय रहते हैं इसलिए उनका ध्यान पढ़ाई में या कक्षा में नहीं रहता है।

🔸 बच्चे और शिक्षक का निकटतम संबंध नहीं बन पाता है इनके बीच अंतः क्रिया नहीं हो पाती है शिक्षक और छात्र के बीच सही समायोजन नहीं हो पाता है।

🔸 यह विधि मनोवैज्ञानिक नहीं है क्योंकि बच्चे के मनोविज्ञान का ध्यान नहीं रखा जाता है उसको क्या आवश्यकता है क्या नहीं है इस बात पर व्यक्तिगत ध्यान नहीं दिया जाता है।

🔸 गणित के लिए असंभव विधि है क्योंकि बिना डिस्कशन के गणित संभव ही नहीं है गणित को आपस में चर्चा परिचर्चा कार्य के ही हल किया जा सकता है।

🔸 मंदबुद्धि बालकों के लिए उचित नहीं है यह विधि मंदबुद्धि बालक को के लिए सुगम नहीं है क्योंकि इसमें छात्रों की आवश्यकता के विपरीत कार्य किया जाता है।

🔸 इस विधि में छात्र निष्क्रिय होते हैं इसलिए पढ़ाई का कोई औचित्य नहीं होता है।

📝 Notes by ➖
✍️ Gudiya Chaudhary

👨‍🏫 शिक्षण (teaching)👨‍🏫

🌹शिक्षण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें एक बच्चा शिक्षक की मदद से अपने व्यवहार में वांछित परिवर्तन को लाता हैl यह कक्षा के निर्देशों में उपयोग किए जाने वाले सामान्य सिद्धांत ,शिक्षक विधि और प्रबंधन का एक तरीका हैl.
👉अर्थात शिक्षण शब्द अंग्रेजी भाषा के (teaching)से मिलकर बना है जिसका तात्पर्य सीखने से है शिक्षण एक triyagami सामाजिक प्रक्रिया है जिसमें शिक्षक और छात्र पाठ्यक्रम के माध्यम से अपने स्वरूप को प्राप्त करते हैं

🌹 👉क्लार्क हल—
शिक्षण उन गतिविधियों को sandbhrit करता है जिन्हें छात्र के व्यवहार में परिवर्तन लाने हेतु डिजाइन और प्रदर्शित किया जाता हैl

⭐ शिक्षण और अधिगम की पद्धति और विषय वस्तु को प्रस्तुत करने के तरीके—

🌹व्याख्यान विधि—

👉शिक्षक सक्रिय होते हैं छात्र निष्क्रिय होते हैं lइसमें लिखित या मौखिक भाषा में सूचना दी जाती है (चाक और वार्ता) वार्ता जिसमें हर चीजें शब्दों के रूप में व्यक्त की जाती हैlविचार का प्रभाव एक तरफा होता है शिक्षक पहले से कांटेक्ट तैयार करके रहता है और बच्चों को सामने प्रस्तुत करता हैl
🌹 लाभ—
(1)👉बड़ी संख्या वाले छात्रों की कक्षा में इसका कोई विकल्प नहीं है कक्षा के दूर कोने तक छात्र शिक्षक की वार्ता सुनते हैं और सभी को सुनने और सीखने का अवसर मिलता हैl

(2)👉 अमूर्त अवधारणा की व्याख्या में उपयुक्त हैl

(3)👉 इस प्रकार यह विधि आर्थिक और समय की दृष्टि से काफी किफायती हैl
(4) 👉शिक्षक के लिए सुविधाजनक है क्योंकि इसमें उसको छात्रों को व्यक्तिगत सहायता नहीं देनी पड़ती हैl

(5)👉 वह अपनी गति से शिक्षण करके भारी पाठ्यक्रम को भी जल्दी पूरा कर सकता है क्योंकि उसको छात्रों को सीखने के गति से समायोजित नहीं करना पड़ता

(6)👉इस विधि द्वारा प्रतिभाशाली विद्यार्थी अधिक लाभान्वित होती हैl

(7)👉 यह सूचना प्रदान करने की पुरानी पद्धति हैl
🌹 व्याख्यान विधि का हानी—–

(1)👉 गणित का प्रमुख उद्देश्य तार्किक चिंतन का विकास करना है और यह तार्किक चिंतन छात्रों के बिना समय चिंतन करके, विषय वस्तु को शिक्षक से वाद-विवाद करके अर्थात समय शिक्षण प्रक्रिया में भागीदारी होकर नहीं प्राप्त किया जा सकता हैl

(2)👉 व्याख्यान विधि में एक तरह से हर चीज ऊपर से ला दी जाती है चम्मच से ज्ञान की घुट्टी पिलाई जाती है ,जिसमें छात्रों को तथ्यों का अवलोकन करने ,उस पर चिंतन करने और विकास करने का कोई अवसर नहीं मिलता या बहुत कम मिलता हैl

(3)👉 इस विधि में शिक्षकों तथा छात्रों में निकटतम संबंध बनाने की बहुत कम संभावना होती

(4)👉 इस विधि से शिक्षण करने पर बालकों में गणित के प्रति अरुचि उत्पन्न हो जाती है और उसे गणित कठिन लगने लगता हैl

(5)👉 इस विधि में छात्र निष्क्रिय रहते हैं इसलिए लेक्चर के समय जो शिक्षक कक्षा में पढ़ा रहा है उस पर से उसका ध्यान हट भी सकता है जिससे हो सकता है कि शिक्षक की बातों का कोई महत्वपूर्ण भाग उससे छूट जाएl

(6)👉 व्याख्यान विधि मंद बुद्धि बच्चों के लिए उपयुक्त नहीं हैl

(7)👉 यह मनोवैज्ञानिक विधि का तरीका नहीं हैl

📝👉NOTES BY___
👉SANGITA BHARTI 🌹🙏

🍁🍁 शिक्षण🍁🍁

शिक्षण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें एक बच्चा शिक्षक की मदद से अपने व्यवहार में वांछित परिवर्तन को लाता है ।

कक्षा के निर्देशों में उपयोग किए जाने वाले सामान्य सिद्धांत शिक्षण विधि और प्रबंधन का एक तरीका है जिसके कारण एक अच्छा को बेहतर बनाया जा सकता है इस में होने वाले विधियों का सही रूप से संचालन किया जा सकता है।

⭐ क्लार्क हल के अनुसार शिक्षण को परिभाषित किया गया है:-

शिक्षण उन गतिविधियों को
संदर्भित करता है जिन्हें छात्र के व्यवहार में परिवर्तन लाने हेतु डिजाइन और प्रदर्शित किया जाता है।

🍁 शिक्षण और अधिगम की पद्धतिया

किसी भी प्रकार के विषय वस्तु को प्रस्तुत करने के लिए शिक्षण विधियों का आवश्यक होना बहुत जरूरी है इसके माध्यम से किसी भी वस्तु विषय वस्तु को प्रस्तुत किया जा सकता जो विभिन्न प्रकार के हो सकते हैं।

🌸 भावात्मक पद्धति

इसमें बच्चे को भाव से और मौखिक तौर तरीके से समझाया जाता है ताकि बच्चे देखकर उस भाव को समझ सके जो शिक्षक के द्वारा बताया जा रहा हो या कहां जा रहा हो।

🍁 व्याख्यान विधि

इस विधि में शिक्षक का कार्य अधिक होता है शिक्षा के प्रभावी रूप से अपनी बातों को बच्चों के सामने रखते हैं शिक्षक सक्रिय रूप से भागीदारी निभाते हैं इसमें बच्चे निष्क्रिय होते हैं इसके द्वारा लिखित या मौखिक भाषा की सूचना दी जा सकती है।

इसे chalk and talk विधि भी कहते हैं।

🌸 हर चीजों को शब्दों के रुप में व्यक्त किया जाता है।

🌸 विचारों का प्रभाव एक तरफा होता है जो शिक्षक द्वारा किया जाता है। शिक्षक इसके लिए पहले से विषय वस्तु को तैयार रखते हैं इसके बाद उसकी प्रस्तुति करते हैं।

🍁 व्याख्यान विधि के लाभ और हानि➖

🌺 व्याख्यान विधि के लाभ

🌸 बड़ी संख्या वाले कक्षा के लिए यह विधि अच्छी मानी जाती है इसमें बच्चों के द्वारा श्रवण कौशल किया जाता है इसमें सुनकर ही ज्ञान को प्राप्त करते हैं।

🌸 यह विधि आर्थिक और समय की दृष्टि से अच्छी मानी जाती है।

🌸 इस विधि में छात्रों को व्यक्तिगत सुविधा नहीं दी जाती है सभी के लिए एक समान व्याख्यान दी जाती है।

🌸 शिक्षण विधि किसी भी गति में करवाया जा सकता है और भारी से भारी पाठ्यक्रम को पूरा किया जा सकता है क्योंकि इसमें छात्रों की गति से समायोजित नहीं करना पड़ता है शिक्षक अपने ही तरीके से कार्य करते हैं।

🌸 इस विधि में योजनाबद्ध तरीके से विचारों को व्यक्त किया जाता है जो एक क्रम में व्याख्या की जाती है।

🌸 यह विधि पुरानी विधि मानी जाती है क्योंकि बहुत प्राचीन काल से इस विधि का प्रचलन है और अच्छी विधि भी मानी जाती है।

🌸 इस विधि में कम समय में ज्यादा से ज्यादा चीजों को पढ़ाया जा सकता है बच्चों को समझाया जा सकता है क्योंकि इसमें बच्चे से कार्य नहीं करवाया जाता है शिक्षक अपनी भूमिका निभाते हैं।

🌸 शिक्षा का प्रभाव ज्यादा दिखता है क्योंकि इसमें शिक्षक द्वारा ज्यादा कार्य किया जाता है शिक्षक को सक्रिय रहना पड़ता है।

इस विधि में प्रतिभाशाली बच्चों को ज्यादा फायदा होता है क्योंकि वह बहुत जल्दी किसी चीज को ग्रहण कर लेते हैं मंदबुद्धि वाले बालकों के लिए कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

🍁🍁 व्याख्यान विधि के हानि

🌸 बच्चे के किसी भी आवश्यकता ,क्षमता, सीमा ,को ध्यान में नहीं रखा जाता है।

🌸 बच्चों में चिंतन का विकास नहीं होता है क्योंकि उन्हें सोचने समझने का मौका नहीं मिल पाता है।

🌸 बच्चे और शिक्षा का निकटतम संबंध नहीं बन पाता है क्योंकि बच्चे निष्क्रिय रूप से सिर्फ सुनते रहते हैं।

🌸 इसमें बच्चों का ध्यान केंद्रित ज्यादा देर तक नहीं रह पाती है क्योंकि बच्चे के मन में आसपास की बातों पर ध्यान चला जाता है और शिक्षक की बातों पर केंद्रित नहीं हो पाते हैं।

🌸 मंदबुद्धि बच्चों के लिए उचित नहीं है क्योंकि बच्चे ज्यादा चीज को ग्रहण नहीं कर पाते हैं और बहुत देर तक उस चीज को अपने दिमाग में नहीं रख पाते।

🌸 इस विधि को मनोवैज्ञानिक विधि नहीं माना गया है क्योंकि इसमें बच्चों की व्यक्तिगत आवश्यकता पर ध्यान नहीं दिया गया है।

🌸 इस प्रकार के शिक्षण विधि में बच्चे निष्क्रिय हो जाते हैं और पढ़ाई को पूरी तरीके से नहीं समझ पाते हैं।

🙏🙏Notes By —Abha Kumari 🙏🙏🙏

🔆 *शिक्षण (Teaching)*
शिक्षण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें बच्चा शिक्षक की मदद से अपने व्यवहार में जो वांछनीय /जरूरी परिवर्तन लाता हैं।

शिक्षक कक्षा के निर्देशों में उपयोग किए जाने वाले सामान्य सिद्धांत शिक्षण विधि और प्रबंधन का एक तरीका है।

⚜️ कलार्क एल हल— शिक्षण गतिविधि को संदर्भित करता है जिन्हें छात्र के व्यवहार में परिवर्तन लाने हेतु डिजाइन और प्रदर्शित किया जाता है।

🔆 *शिक्षण और अधिगम की पद्धतियां—*

विषय वस्तु को प्रस्तुत करने का सबसे अच्छा तरीका शिक्षण और अधिगम की पद्धतियां ही कहलाती है जैसे बोल कर या लिख कर हम अलग-अलग तरीकों से प्रयोग करते हैं।

⚜️ *भाववाहक पद्धति—*
इसमें छात्रों के भाव से और मौखिक रूप से समझाया जाता है

किसी वस्तु को समझाने के लिए हम कभी मौखिक रूप का ज्यादा प्रयोग करते हैं तो कभी-कभी हमें लिखकर उस चीज का ज्यादा ही प्रस्तुत करते हैं जैसे किसी चीज को हम बातें बतानी होती है तो हम लिखकर नहीं बता पाते तो हम उस चीज को बोलकर बताते हैं और जिस चीज को हम बोलकर नहीं बता पाते हैं उस चीज को हम लिखकर बताते हैं।

1. व्याख्यान पद्धति

⚜️इसमें शिक्षा सक्रिय होते हैं और छात्र निष्क्रिय होते हैं।
⚜️ छात्रों को लिखित या मौखिक भाषा में सूचना दी जाती है।

⚜️ इसे chalk and talk चौक और वार्ता विधि भी कहते हैं।

⚜️ व्याख्या विघि को हम अलग-अलग तरीके से कर सकते हैं बोलकर या लिखकर जरूरी नहीं कि जो लिखकर भी व्याख्या करते हैं बोलकर भी व्याख्या कर सकते हैं।

⚜️ इसमें हम हर चीजों को शब्दों के रूप में बच्चों को बताते हैं।

⚜️ इसमें विचारों का प्रभाव एक तरफा होता है इसमें सिर्फ शिक्षक बताते हैं।

⚜️ इसमें शिक्षा के पहले से कंटेंट तैयार रखते हैं और बच्चों के सामने प्रस्तुत करते हैं

🔆 *व्याख्यान पद्धति के गुण-*
⚜️ यह विधि बड़ी से बड़ी संख्या वाली कक्षा के लिए सुगम होती है। कितनी भी बड़ी क्यों ना हो उसके लिए व्याख्या विघि सुगम होती है क्लास में अनेक विद्यार्थी होते हैं सभी को समान सुनने का अवसर नहीं मिलता है जिससे उनके लिए यह विधि सुगम होती है।

⚜️ आर्थिक और समय की दृष्टि से सुगम हैं। इसमें छात्र और शिक्षक दोनों का समय की बचत होती है और खास करके अभी भी शिक्षा के लिए तो बहुत ही सुगम विधि होती है इसमें शिक्षा को अपने अनुसार चला सकते हैं उन्हें अपने अनुसार पढ़ा सकते हैंक्योंकि उनकी आवश्यकता के अनुसार पढ़ाया जाता है जिससे उन्हें बहुत सारी अलग-अलग सुविधा प्रदान नहीं की जा सकती इसलिए यह विधि आर्थिक दृष्टि से भी सुगम है।

⚜️ छात्रों को व्यक्तिगत सुविधा नहीं देनी पड़ती है। प्रत्येक बालक को हम उनके अनुसार अलग-अलग व्यवस्था नहीं कर सकते हैं उनको कोई भी व्यक्तिगत सुविधा नहीं दी जाती है जो सभी छात्रों के लिए जरूरी रहता है इस विधि में सिर्फ शिक्षक पढ़ाते हैं।
⚜️ शिक्षण किसी भी गति में करवाया जा सकता है और भारी से भारी पाठ्यक्रम को पूरा किया जा सकता है क्योंकि इसमें छात्रों की गति से समायोजित नहीं करना पड़ता है।

⚜️ यह सूचना प्रदान करने की पुरानी विधि है बहुत ही दिनों से चली आ रही है । यह विधि वैदिक काल से ही चली आ रही है क्योंकि इसमें शिक्षक को किसी भी प्रकार का उतना अनुभव नहीं होता हैं।
⚜️ योजनाबद्ध तरीके से अपने विचारों को शिक्षा का अपनी योजनाओं के अनुसार बच्चों को प्रदर्शित करके पढ़ाते हैं या किसी के माध्यम से या लिखवाकर वह छात्रों से शिक्षण कार्य करवाते हैं।

⚜️ शिक्षक शिक्षण विधि में अच्छे उदाहरण देकर शिक्षा को रोचक बनाते हैं क्योंकि इसमें शिक्षक की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण होती है पर बच्चों का कोई कार्य ही नहीं रहता है ना ही कुछ कार्य करवाते हैं इसलिए यह जरूरी हो जाता है कि शिक्षक जो पढ़ा रहे हैं वह कितना बच्चों के ऊपर प्रभाव डालता है कितना वह सीख रहे हैं नहीं सीख रहे इसलिए शिक्षा को अपनी इच्छा के अनुसार शिक्षण विधि में उन्हें उदाहरणों का प्रयोग करके बच्चों के सामने शिक्षक को शिक्षण करवाना चाहिए और उन्हें शिक्षा देनी चाहिए।

⚜️ इस विधि के द्वारा कम समय में ज्यादा चीजें पढ़ाई जा सकती है।
शिक्षा को इस विधि से ज्यादा फायदा होता है ।

⚜️ शिक्षा की प्रभाव ज्यादा दिखती है क्योंकि यह एक शिक्षा के केंद्रीय विधि होती है शिक्षक का प्रभाव ज्यादा दिखता और उनका भविष्य प्रभावी होता है।

⚜️ यह विधि प्रतिभाशाली बच्चों के लिए फायदा होता है वह अपनी प्रतिभा को निखार सकते हैं अपनी क्षमता को विकसित कर सकते हैं।

🔆 *व्यख्यान विधि के दोष—*
बच्चे में चिंतन का विकास नहीं कर सकते हैं क्योंकि यह शिक्षक केंद्रित विधि होती है और बच्चों को स्वयं पर करने का अवसर ही नहीं मिलता है।

⚜️ बाल केंद्रीत किसी भी आवश्यकता क्षमता सीमा को ध्यान में नहीं रखा जाता है कह सकते हैं कि यह बच्चों की आवश्यकता के अनुसार शिक्षा नहीं दिया जाता है।

⚜️ बच्चे निष्क्रिय रहते हैं इसलिए उनका ध्यान पढ़ाई में नहीं लगता है।

⚜️ बच्चे और शिक्षक का निकटतम संबंधी नहीं बन पाता है उनके बीच अंतर क्रिया नहीं हो पाती है शिक्षक और छात्र के बीच में उनका समायोजन नहीं हो पाता है।

⚜️ यह विधि मनोवैज्ञानिक नहीं है क्योंकि बच्चे को मनोविज्ञान का ध्यान नहीं रखा जाता है उसको क्या आवश्यकता है क्या नहीं है इस बात पर व्यक्तिगत ध्यान दिया ही नहीं जाता है।

⚜️ गणित के लिए असंभव भी है क्योंकि बिना हम डिस्कशन के गणित संभव ही नहीं है गणित को आपस में चर्चा करके ही हमें उसको हल कर सकते हैं आपस में अंतः क्रिया करके ही हमें गणित का सलूशन सॉल्व कर सकते हैं।

⚜️ मंदबुद्धि बालकों के लिए उचित नहीं है मन बुद्धि वालों को के लिए यह विधि सुगम में नहीं है इसमें छात्रों की आवश्यकता के विपरीत कार्य किया जाता है।

⚜️ इस विधि में बच्चा निष्क्रिय रहता है तो पढ़ाई का कोई मतलब ही नहीं होता है यह विधि कमजोर बच्चों के लिए उपयोगी नहीं होता है कमजोर बच्चों का ध्यान कहीं और आता है और बच्चे निष्क्रिय रहते हैं।

Notes By:-Neha Roy 🙏🙏🙏🙏🙏🙏

🔥 शिक्षण🔥

🌟शिक्षण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें एक बच्चा शिक्षकों की सहायता से अपने व्यवहार में मानसिक परिवर्तन लाता है।यह कक्षा में प्रयोग किए जाने वाले सामान्य सिद्धांत शिक्षक विधि और प्रबंधन का एक तरीका है।

💥 क्लार्क हल के अनुसार :-

🔥 शिक्षण उन गतिविधियों को संदर्भित करता है जिन्हें छात्र के व्यवहार में परिवर्तन लाने हेतु डिजाइन और प्रदर्शित किया जाता है।

🌟 शिक्षण अधिगम की पद्धतियां :-

💥 किसी भी प्रकार की विषय वस्तु को प्रस्तुत करने के लिए शिक्षण विधियों का होना बहुत ही आवश्यक है इसके माध्यम से किसी भी विषय वस्तु को विभिन्न प्रकार से प्रस्तुत किया जा सकता है।

🔥भाववाहक विधि :-

💥 इस विधि में छात्रों को भाव द्वारा या बोलकर समझाया जाता है।

💥 किसी वस्तु या कार्य को प्रस्तुत करने के लिए हम कभी-कभी बहुत ज्यादा बोल कर समझने – समझाने का प्रयास करते हैं या कई बार लिखकर भी समझने – समझाने का प्रयास करते हैं लेकिन ऐसा भी होता है कि हम कई बार बोल कर या लिखकर नहीं समझा पाते तथा हाव – भाव के माध्यम से इतने अच्छे से समझा पाते हैं जितना कि लिख या बोलकर भी नहीं समझा पाते।

🔥 व्याख्यान विधि :-

💥 इस विधि में शिक्षक सक्रिय तथा छात्र ने सक्रिय रहते हैं। इसमें शिक्षकों का कार्य अधिक होता है शिक्षक अपनी भावनाओं को शिक्षार्थियों के सामने प्रभावी रूप से प्रकट करते हैं। इस विधि के द्वारा लिखित व मौखिक रूप से भाषा की सूचना दी जाती है।

💥 इस विधि को chalk & talk विधि भी कहते हैं।

🌟 व्याख्यान विधि के गुण :-

💥 व्याख्यान विधि में अलग-अलग प्रकार से भी बढ़ा सकते हैं इसमें कोई दायरा नहीं है कि हमें बच्चों को बोलकर या लिखकर ही बढ़ाना है हम उन्हें किसी भी प्रकार से पढ़ा सकते हैं।

💥 इस विधि में शिक्षक पहले से अपने विषय वस्तु तैयार रखता है तथा उसे केवल बच्चों के सामने प्रस्तुत कर देना होता है।

💥 किस विधि के द्वारा कम समय में ही ज्यादा से ज्यादा चीजें पढ़ाई/सिखाई जा सकती है।

💥 यह विधि बाल केंद्रीय विधि ना होकर एक प्रकार से शिक्षक केंद्रित विधि होती है। क्योंकि इसमें शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

💥 इस विधि के अंतर्गत शिक्षण कराते समय शिक्षक शिक्षार्थियों के सामने कुछ ऐसी रोचक रोचक प्रक्रियाएं या जानकारियों का उदाहरण देते हैं जिससे बच्चे अभी प्रेरित होते हैं तथा शिक्षण में रुचि लेते हैं यह एक प्रभावी शिक्षण अधिगम प्रक्रिया की विधि है। यह विधि बच्चों के ऊपर बहुत ही ज्यादा प्रभाव डालती है इससे यह भी पता चलता है कि बच्चे कितना सीख रहे हैं सीखने में कितना रुचि ले रहे हैं या रुचि नहीं ले रहे हैं।

🌟 व्याख्यान विधि के दोष :-

💥 इस विधि का सबसे प्रमुख दोष यह है कि इसमें बच्चे सक्रिय नहीं रहते इसमें उनकी कोई भागीदारी नहीं होती तथा उनमें चिंतन तर्क कौशल विकसित नहीं हो पाता। यह एक शिक्षक केंद्रित विधि है।

💥 इस विधि में शिक्षक कराते समय बच्चे निष्क्रिय रहते हैं शिक्षण के साथ-साथ उनका ध्यान कहीं और भी लगा रहता है इसलिए वह प्रभावी रूप से शिक्षा ग्रहण नहीं कर पाते हैं।

💥 शिक्षक और बच्चों में निकटतम संबंध नहीं बन पाता है।उनकी भी अन्त: क्रिया नहीं हो पाता है तथा शिक्षक और छात्रों के बीच उचित समायोजन नहीं हो पाता है।

💥 यह मनोवैज्ञानिक विधि नहीं है क्योंकि इसमें बच्चों के मनोविज्ञान का ध्यान नहीं रखा जाता है की बच्चों की कब और क्या आवश्यकता है।

💥 शिक्षण की यह विधि एक निष्क्रिय विधि है जो कि मंदबुद्धि वालों को के लिए बहुत ही घातक है क्योंकि मंदबुद्धि भाग एक तो पहले से ही मन है उसके बाद उन्हें व्याख्यान विधि शिक्षण कराई जाएगी तो उनका मन कहीं और लगा रहेगा इस कारण वे सफलता प्राप्त नहीं कर पाएंगे।

🔥Notes by :- Neha Kumari ☺️

🙏🙏धन्यवाद् 🙏🙏

🌈🌀 शिक्षण🌀🌈

शिक्षण (teaching) एक बहुआयामी संकल्पना है जिसका उद्देश्य होता है शिक्षार्थियों को ज्ञान उपलब्ध कराना। शिक्षण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत अध्यापक, छात्र एवं पाठ्यक्रम आता है
शिक्षण में बच्चा एक शिक्षक की मदद से वांछित परिवर्तन लाता है जो बालकों के मानसिक सामाजिक नैतिक तथा सांस्कृतिक स्तर को समृद्ध रखता है
बेहतर शिक्षण हेतु यह अनिवार्य है कि शिक्षक, ज्ञानवान हो तथा उसे पढ़ाने की विधि मालूम हो

🔰 क्लार्क हल के अनुसार➖
शिक्षण उन गतिविधियों को संदर्भित करता है जिन्हें छात्र के व्यवहार में परिवर्तन लाने हेतु डिजाइन और प्रदर्शित किया जाता है

🌀🌺 शिक्षण और अधिगम की पद्धतियां🌺🌀

👉🏼 विषय वस्तु को प्रस्तुत करने के तरीके➖

💥🌀 भाव वाहक पद्धति🌀
इसका अर्थ होता है भाव के द्वारा अपनी बातों को मौखिक रूप से समझाना
किसी भी बात को समझाने के लिए लिखकर समझाते हैं और अगर कभी हम लिख कर अपनी बात को दूसरे को समझा नहीं पाते हैं तो हम उससे बात कर कर उसे समझाने की कोशिश करते हैं
लेकिन तभी ऐसा भी होता है कि ना तो हम लिखकर और ना ही बातों को बोल कर समझा पाते हैं तब उन बातों को हम अपने हाव-भाव से समझाने की कोशिश करते हैं

💥🌀 व्याख्यान पद्धति🌀💥

शिक्षक सक्रिय होता है और छात्र निष्क्रिय होता है इसको लिखित या मौखिक भाषा में सूचना दी जाती है
(Chalk and talk) चौक और वार्ता जिसमें हर चीजों को शब्दों के रूप में व्यक्त की जाती है विचार का प्रभाव एक तरफा होता है
इसमें शिक्षक पहले से ही content (सामग्री) तैयार करता है और बच्चों को प्रस्तुत करता है इसके अंतर्गत यह पता लगाया जाता है कि छात्रों ने उक्त विषय के बारे में कितना अधिक जानकारियां प्राप्त की है

💥 व्याख्यान विधि के गुण➖

👉🏼 बड़ी संख्या वाले कक्षा के लिए सुगम है सभी को समान अवसर मिलते हैं
👉🏼 आर्थिक और समय की दृष्टि से सुगम है
👉🏼 छात्रों को व्यक्तिगत सुविधा नहीं देनी पड़ती है
👉🏼शिक्षण किसी भी गति में करवाया जा सकता है और भारी से भारी पाठ्यक्रम को जल्दी पूरा किया जा सकता है क्योंकि इसमें छात्रों की गति से समायोजित नहीं करना पड़ता है
👉🏼 यह सूचना प्रदान करने की पुरानी विधि है
👉🏼 योजनाबद्ध तरीकों से विचारों को स्वाभाविक क्रम में रखा जा सकता है
👉🏼 शिक्षक अच्छे उदाहरण देकर रोचक बना सकते हैं
👉🏼 कम समय में ज्यादा चीजों को पढ़ाया जा सकता है यह निरंकुश विधि है
👉🏼 शिक्षक का प्रभाव ज्यादा दिखता है और उनका भविष्य अभा होता है
👉🏼 प्रतिभाशाली बच्चों को फायदा होता है
👉🏼 Teacher की गुणवत्ता का बेहतरीन पता चलता है और शिक्षक खुद के निरीक्षण में एक अच्छा संचालक माना जा सकता है
👉🏼 कई चीजों को पढ़ाने के लिए उपयुक्त है

💥 व्याख्यान विधि के दोष➖

👉🏼 बच्चों में चिंतन का विकास नहीं कर पाते हैं
👉🏼 बच्चे के केंद्रित किसी भी आवश्यकता ,क्षमता, सीमा को ध्यान में नहीं रखा जाता।
👉🏼 बच्चे और शिक्षक का निकटतम संबंध नहीं बन पाता
👉🏼 यह विधि मनोवैज्ञानिक विधि नहीं है
👉🏼 गणित के लिए असंभव विधि है
👉🏼 बच्चा निष्क्रिय होता है पढ़ाई का कोई मतलब नहीं होता।
👉🏼 बच्चे का सतत मूल्यांकन नहीं हो पाता।
👉🏼 बच्चे और शिक्षक के बीच अंतर प्रिया नहीं हो पाती और ना ही बच्चा तर्क कर पाता है
👉🏼 बच्चे की प्रतिभा का विकास नहीं हो पाता यह विधि छोटे बच्चों के लिए उपयोगी नहीं होती।
👉🏼प्रतिभाशाली बच्चों के सक्रिय होने से बाकी बच्चों का मनोबल प्रभावित होता है और उनमें हीन भावना पैदा होती है

🖊️🖊️📚📚 Notes by..
Sakshi Sharma📚📚🖊️🖊️

📝 शिक्षण (teaching)📝

शिक्षण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें एक बच्चा शिक्षक की मदद से अपने व्यवहार में वांछित परिवर्तन लाता है यह कक्षा के निर्देश में उपयोग किए जाने वाले सामान्य सिद्धांत शिक्षक विधि और प्रबंधन का एक तरीका है

क्लार्क हल:- शिक्षण उन गतिविधि को संदर्भित करता है जिन्हें छात्र को व्यवहार में परिवर्तन लाने हेतु डिजाइन और प्रदर्शित किया जाता है

📚 शिक्षण और अधिगम की पद्धतियां:-📚

📚विषय वस्तु को प्रस्तुत करने के तरीके📚

भाववाहक पद्धति :- इसमें छात्रों को भाव से और मौखिक रूप से समझाया जाता है

1 व्याख्यान पद्धति:- इस पद्धति में शिक्षक सक्रिय होते हैं एवं छात्र निष्क्रिय होते हैं इसमें लिखित या मौखिक भाषा में सूचना दी जाती हैं

chalk and talk ( चाक और वार्ता):- इसमें हर चीजें शब्दों के माध्यम से व्यक्त की जाती हैं विचार का प्रभाव एक तरफा होता है
शिक्षक पहले से कंटेंट तैयार रखता है और बच्चों को प्रस्तुत करता है

📚व्याख्यान विधि के गुण📚

1 बड़ी संख्या वाली कक्षा के लिए सुगम है:- व्याख्यान विधि बड़ी संख्या वाले कक्षा के लिए बहुत ही अच्छी विधि हैं इसमें एक साथ बहुत सारे बच्चों को पढ़ाया जा सकता है क्लास में स्पीकर लगाकर हम उनको पढ़ा सकते हैं जिससे आवाज लास्ट तक एवं प्रत्येक बच्चे तक पहुंचती हैं

2 आर्थिक और समय की दृष्टि से सुगम हैं:- व्याख्यान पद्धति समय की दृष्टि से बहुत ही अच्छी विधि है इसमें कम समय में हम ज्यादा से ज्यादा बच्चों को पढ़ा सकते हैं

3 छात्रों को व्यक्तिगत सुविधा नहीं देनी पड़ती:- व्याख्यान पद्धति में बच्चों को हमें एक-एक करके उनका एनालिसिस करना नहीं होता है जिससे टीचर के समय की बचत होती हैं

4 शिक्षा किसी भी गति से करवाया जा सकता है और भारी से भारी पाठ्यक्रम को पूरा किया जा सकता है क्योंकि इसमें छात्रों की गति से समायोजित नहीं करना पड़ता

5 यह सूचना प्रदान करने की पुरानी विधि है:- व्याख्यान विधि सूचना प्रदान करने की बहुत ही पुरानी विधि है पहले इसी विधि के अनुसार शिक्षण कार्य किया जाता था

6 योजनाबद्ध तरीके से विचारों को स्वभाविक क्रम में रखा जा सकता है :- व्याख्यान विधि में टीचर जिस प्रकार से योजना बनाता है उस प्रकार से अपना शिक्षण कार्य स्वाभाविक रूप से एवं स्वभाविक क्रम में कर सकता है

7 शिक्षक अच्छे उदाहरण देकर इसे रोचक बना सकते हैं:- व्याख्यान विधि में शिक्षक बच्चों को अच्छे अच्छे उदाहरण देकर पाठ्यक्रम रोचक बना बना सकते हैं उनको दैनिक जीवन के उदाहरण देकर समझाया जा सकता है

8 कम समय में ज्यादा चीजें पढ़ाई जा सकती हैं:- व्याख्यान पद्धति का सबसे बड़ा गुण यह है कि कम समय में बच्चों को ज्यादा से ज्यादा चीजें बनाई जा सकती हैं उन्हें ज्यादा से ज्यादा ज्ञान दिया जा सकता है इससे बच्चों के समय की बचत होती है

9 शिक्षा का प्रभाव ज्यादा दिखता है और उनका भविष्य भी प्रभावी होता है:- व्याख्यान विधि में शिक्षक का ज्यादा से ज्यादा रोल होता है इसमें शिक्षक ज्यादा एक्टिव दिखता है एवं उनका भविष्य भी बहुत ही प्रभावित होता है

10 प्रतिभाशाली बच्चों को फायदा होता है:- व्याख्यान पद्धति में प्रतिभाशाली बच्चों को फायदा होता है क्योंकि वह कम समय में बहुत सी चीजें पढ़ लेते हैं बहुत सा ज्ञान प्राप्त कर लेते हैं

🤦व्याख्यान विधि के दोष🤦

1 बच्चों में चिंतन का विकास नहीं कर सकते:- व्याख्या पद्धति में में टीचर ज्यादा से ज्यादा सक्रिय होता है एवं बच्चा निष्क्रिय होता है इसलिए बच्चों में हम चिंतन का विकास नहीं कर सकते हैं

2 बच्चे के केंद्रित किसी भी आवश्यकता क्षमता सीमा को ध्यान में नहीं रखा जाता है :- व्याख्या विधि में बच्चों की आवश्यकता एवं क्षमता पर ध्यान नहीं दिया जाता है उनकी आवश्यकता के अनुसार शिक्षण कार्य नहीं होता है जिससे उनको समझ आ रहा है या नहीं आ रहा है यह ज्ञात नहीं किया जा सकता

3 बच्चा निष्क्रिय रहता है बच्चे का ध्यान केंद्रित नहीं रहता :- व्याख्या पद्धति में शिक्षक ज्यादा एक्टिव होता है में बच्चे का रोल नहीं होता है इसलिए बच्चे निष्क्रियता रहता है एवं बच्चे का ध्यान शिक्षा से हट जाता है शिक्षा पर ध्यान नहीं रहता है

4 बच्चे और शिक्षक का निकटतम संबंधी नहीं बन पाता है:- व्याख्या पद्धति का सबसे बड़ा दोष यह है कि इसमें शिक्षक एवं बच्चे के बीच है संबंध अच्छे नहीं हो पाते हैं आपस में अंतः क्रिया स्थापित नहीं कर पाते हैं

5 यह मनोवैज्ञानिक नहीं है:- व्याख्या विधि मनोवैज्ञानिक विधि नहीं है क्योंकि इसमें बच्चे की साइकोलॉजी का ध्यान नहीं रखा जाता है शिक्षक जो चाहे उस विषय में पढ़ा सकता है

6 गणित के लिए असंभव विधि है:- व्याख्या विधि गणित के लिए असंभव विधि है क्योंकि इस विधि के द्वारा हम बच्चों को गणित नहीं पढ़ा सकते हैं

7 मंदबुद्धि बच्चे के लिए उचित नहीं है:- व्याख्या विधि मंदबुद्धि बच्चे के लिए उचित नहीं है मंदबुद्धि बच्चों को वैसे ही जल्दी समझ में नहीं आता है और हम व्याख्यान विधि के माध्यम से पढ़ाएंगे तो हम उसमें ज्ञान का विकास नहीं कर सकते हैं

8 बच्चे का निष्क्रिय होना अर्थात पढ़ाई का कोई अर्थ नहीं है:- शिक्षण में यदि बच्चा निष्क्रिय होता है तो उसका ध्यान पढ़ाई पर केंद्रित नहीं होता है ज्ञान प्राप्त नहीं कर पाता है एवं अपना विकास अच्छी तरह से नहीं कर पाता है शिक्षण कार्य बच्चे का निष्क्रिय होना मतलब पढ़ने का कोई अर्थ नहीं होता है

9 बच्चों पर व्यक्तिगत ध्यान ना देना:- व्याख्या विधि में बच्चों पर व्यक्तिगत ध्यान नहीं दिया जाता है यह समस्या आगे चलकर बच्चों में बहुत बड़ी बन जाती है क्योंकि कि बच्चा कब किस प्रकार कैसे सीखेगा यह निरीक्षण शिक्षक नहीं करता है

10 कम समय में अधिक चीजों को पढ़ाना:- व्याख्या विधि में कम समय में अधिक चीजों को पढ़ा दिया जाता है यह बच्चे पर बोझ बन जाता है और उस बोझ में आकर बच्चा कुछ भी नहीं पढ़ पाता है

निष्कर्ष:- क्या-क्या विधि बड़ी कक्षाओं के लिए तो उपयुक्त विधि है क्योंकि इसमें बच्चों का विकास अच्छे से हो जाता है वह अपने ज्ञान क्षमता एवं तर्क के अनुसार अपने शिक्षण कार्य को अच्छे तरीके से कर लेते हैं परंतु छोटी कक्षाओं के लिए यह विधि उपयुक्त नहीं है क्योंकि यहां पर बच्चे अपना ज्यादा ज्ञान एवं सोचने समझने की क्षमता ज्यादा नहीं होती है

🙏🙏🙏 sapna sahu🙏🙏🙏

🏵️शिक्षण💐

⭐शिक्षण –
शिक्षण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें एक बच्चा शिक्षक की मदद से जो अपने व्यवहार में वांछित परिवर्तन को लाता है। यह कक्षा के निर्देशों में उपयोग किए जाने वाले सामान्य सिद्धांत शिक्षक विधि और प्रबंधन का एक तरीका है।

🌲क्लार्क हाल (clark L .HuLL)….
शिक्षण उन गतिविधि को संदर्भित करता है जिन्हें छात्र के व्यवहार में परिवर्तन लाने हेतु डिजाइन और प्रदर्शित किया जाता है।

🌊शिक्षण और अधिगम की पद्धतियां🌀
🌾विषय वस्तु को प्रस्तुत करने के तरीके –
हर तरीके से हर चीज संभव नहीं होता है कुछ चीज़ लिखकर, कुछ चीजें बोल कर तथा कुछ चीजें दिखाकर समझा जा सकता है। हर एक चीज सिचुएशन के हिसाब से अलग-अलग होते हैं।

🌴भाव वाहक पद्धति…
इसमें हम भाव से समझते हैं इसमें छात्र को भाव से और मौखिक रूप से समझा जाता है।

⚡ इसके अंतर्गत निम्न चीजों को रखा गया है……..

💫व्याख्यान पद्धति✨
इस विधि में शिक्षक सक्रिय होते हैं तथा छात्र निष्क्रिय होते हैं इसमें लिखित या मौखिक भाषा में सूचना दी जाती है। इसको(chalk&talk)चाक और वार्ता विधि बोला जाता है जिसमें हर चीज है शब्दों के रूप में व्यक्त की जाती है।
👉विचार का प्रभाव एक तरफा होता है।
इसमें शिक्षक पहले से कंटेंट तैयार रखता है और बच्चो को प्रस्तुत करता है।

👉व्याख्या विधि के गुण……
बड़ी संख्या वाली कक्षा के लिए सुगम है मतलब 1500 सौ से 2000 हजार बच्चों को आसानी से शिक्षा दी जा सकती है।

👉(1) सभी को सुनने का समान अवसर मिलता है।
👉(2) आर्थिक और समय की दृष्टि से सुगम है।
इस विधि में सिलेबस कंप्लीट करने में समय की बचत होती है और कंम्पलीट भी जल्दी होती है।

👉(3) छात्रों को व्यक्तिगत सुविधा नहीं देनी पड़ती है।
यह विधि शिक्षक के लिए आसान है क्योंकि इस विधि में छात्राओं को व्यक्तिगत रुप से ध्यान नहीं देना पड़ता है।

👉(4) शिक्षण किसी भी गति में करवाया जा सकता है और भारी से भारी पाठ्यक्रम को आसानी से पूरा किया जा सकता है क्योंकि इसमें छात्रों की गति से समायोजित नहीं करना पड़ता है।

👉(5) यह सूचना प्रदान करने की पुरानी विधि है।
👉(6) योजनाबद्ध तरीके से विचारों को स्वभाविक क्रम में रखा जा सकता है। मतलब हम प्लानिंग के साथ पढ़ा सकते हैं जैसे – 10 मिनट में यह कंप्लीट, 20 मिनट में वह कंप्लीट इत्यादि कुछ ऐसे ही योजना बनाकर पढ़ा सकते हैं।

👉(7) शिक्षा का अच्छे उदाहरण देकर रोचक बना सकता है जैसे – हम नोट्स बनाते हैं तो हम चाहे कितना भी अच्छा बनाएं वह शिक्षक के जैसा नहीं हो सकता ।

👉(8) इस विधि से कम समय में ज्यादा चीजें पढ़ाई जा सकती है।

👉(9) शिक्षक के प्रभाव ज्यादा दिखती है और उनका भविष्य प्रभावी होता है जैसे शिक्षक का नोट्स, शिक्षक का वीडियो, और शिक्षक का निरीक्षण दिख के आते हैं।

👉(10) इस विधि में फायदा सबसे अधिक प्रतिभाशाली बच्चों को होता है।

💫व्याख्या विधि का दोष……

⚡(1) बच्चा में चिंतन का विकास नहीं कर सकते हैं।
🌴(2) बच्चे के केंद्रित किसी भी आवश्यकता क्षमता सीमा को ध्यान में नहीं रखा जाता है जैसे बच्चों की क्या आवश्यकता है बच्चों को क्या जरूरत है बच्चे क्या महसूस करते हैं इत्यादि।

🌾(3) क्योंकि बच्चन निष्क्रिय रहते हैं बच्चे का ध्यान केंद्रित नहीं रहता है।

🌲(4) बच्चे और शिक्षक का निकटतम संबंध नहीं बन पाता है।

⭐(5) यह मनोवैज्ञानिक नहीं है बच्चों का psychology पर ध्यान नहीं रखा जाता है।

🍂(6) यह गणित के लिए असंभव विधि हैं।

🌻(7) यह विधि मंदबुद्धि बच्चों के लिए उचित नहीं है।

🌼(8) इस विधि में बच्चा निष्क्रिय होता है पढ़ाई का कोई मतलब नहीं है।
✍️🙏🌹🥀Notes by-SRIRAM PANJIYARA 🌸🌺🙏✍️

🔆शिक्षण (Teaching)🔆
शिक्षण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें एक बच्चा शिक्षक की मदद से अपने व्यवहार में वांछित परिवर्तन को लाता है।
यह वांछित परिवर्तन किसी भी प्रकार का या किसी भी शिक्षक द्वारा लाया जा सकता है।
यह कक्षा के निर्देशों में उपयोग किए जाने वाले सामान्य सिद्धांत, शिक्षक विधि और प्रबंधन का एक तरीका है।

सिद्धांत –
इसमें शिक्षक निर्धारित करता है कि क्या पढ़ाना है ओर किस तरह से पढ़ाना है जिससे शिक्षण कार्य सफल हो
विधि – शिक्षण में उन कई विधियों का प्रयोग करते है जिनके द्वारा छात्रों को आसानी से और प्रभावी रूप से समझाया जा सके।
प्रबंधन – प्रबंधन में शिक्षण कार्य का समय प्रबंधन ,कक्षा का प्रबन्धन का ध्यान रखा जाता है।

कक्षा में हम कुछ निर्देशों का पालन करते हैं जैसे कि कैसे पढ़ाना है यावकिस तरह से कार्य करना है, कक्षा का वातावरण किस तरह से रखना है यह सब पूर्व नियोजित कर लेते हैं।
यदि शिक्षण के दिशा निर्देशों का पालन नहीं किया जाता है या अनुशासनहीनता रहती है तो शिक्षण कार्य कभी सफल नहीं होता जिससे हमारा जो भी उद्देश्य है वो पूरा नहीं हो पाता।

▪️क्लार्क हल के अनुसार :-

शिक्षण उन गतिविधियों को संदर्भित करता है जिन्हें छात्र के व्यवहार में परिवर्तन लाने हेतु डिजाइन और प्रदर्शित किया जाता है।
⚜️शिक्षण और अधिगम की पद्धतियां➖
शिक्षण और अधिगम की पद्धतियां निम्नानुसार है।

1 विषय वस्तु को प्रस्तुत करने के तरीके – शिक्षण प्रक्रिया में प्रयुक्त होने वाले विषय वस्तु को शिक्षक विभिन्न तरीकों से प्रस्तुत कर सकते हैं जिससे शिक्षण प्रक्रिया रोचक और प्रभावी बनती है।

◼️ भाव वाहक पद्धति➖
इसमें छात्रों को भाव और मौखिक रूप से समझाया जाता है।
भाव वाहक पद्धति कई रूपों में प्रयुक्त की जाती हैं जैसे

▪️ व्याख्यान पद्धति –
इस पद्धति में शिक्षक सक्रिय होते हैं और छात्र निष्क्रिय होते हैं इसमें लिखित या मौखिक भाषा में सूचना दी जाती है।
(व्याख्यान पद्धति शिक्षक केंद्रित होती है जिसमें शिक्षक सक्रिय होकर कार्य करते हैं और छात्र निष्क्रिय रूप से शिक्षक द्वारा लिखित या मौखिक भाषा सूचना को व्याख्या के रूप में सुनते हैं।)

व्याख्या पद्धति को एक अन्य नाम चाॅक एवं वार्ता (Chalk & Talk)
जानते हैं। जिसमें हर चीज शब्द के रूप में व्यक्त की जाती है।

क्योंकि इसमें विचार का प्रभाव एक तरफा होता है शिक्षक पहले से कंटेंट तैयार रखता है और बच्चों के समकक्ष प्रस्तुत करता है।

🔅 व्याख्या विधि के गुण ➖

✓1 बड़ी संख्या वाली कक्षा के लिए सुगम है।
जब भी बच्चों की संख्या अधिक होती हैं तो उस समय बच्चे को पढ़ाने के लिए व्याख्या विधि अधिक उपयोगी होती है इसमें शिक्षक सक्रिय रूप से किसी भी विषय या वस्तु के बारे में समस्त छात्रों को व्याख्या कर समझाता है।

✓2 आर्थिक और समय की दृष्टि से सुगम है।
आर्थिक रूप से और समय की दृष्टि से शुभम अर्थात कम संसाधनों में समस्त छात्रों को आसानी से व्याख्या विधि द्वारा पढ़ाया जा सकता है।
इसमें शिक्षक किसी भी विषय या वस्तु पर समस्त जानकारी या समस्त ज्ञान को बहुत ही कम समय में छात्रों के समकक्ष व्याख्या कर प्रस्तुत करता है।

✓3 छात्रों को व्यक्तिगत सुविधा नहीं देनी होती है।
क्योंकि व्याख्या पद्धति में शिक्षण कार्य सामूहिक रूप से किया जाता है इसलिए प्रत्येक बच्चे पर व्यक्तिगत सुविधा देने की कोई आवश्यकता नहीं
पडती है।

✓ 4 शिक्षण की सीधी भी गति में करवाया जा सकता है और भारी से भारी पाठ्यक्रम को पूरा किया जा सकता है क्योंकि इसमें शिक्षण कार्य को छात्रों की गति से समायोजित नहीं करना पड़ता है ।
✓ 5 यह सूचना प्रदान करने की पुरानी विधि है।
✓6 शिक्षक अच्छे उदाहरण देकर रोचक बना सकता है।
शिक्षक व्याख्या प्रस्तुत करते समय कई उदाहरणों का प्रयोग कर इस प्रक्रिया को रोचक और प्रभावी बना सकते हैं।

✓ 7 कम समय में ज्यादा चीजें बनाई जा सकती हैं।
व्याख्या पद्धति के द्वारा कम समय में अधिक से अधिक चीजों के बारे में समस्त जानकारी की व्याख्या की जा सकती है।

✓ 8 शिक्षक का प्रभाव ज्यादा दिखता है और उनका भविष्य प्रभावी होता है।
(शिक्षक इसमें पूर्ण रूप से कार्यरत रहते हैं इसीलिए शिक्षक का प्रभाव ज्यादा होता है जो उनके भविष्य के लिए भी काफी प्रभावी होता है।)

✓ 9 प्रतिभाशाली बच्चों को फायदा होता है क्योंकि वह चीजों को कम समय में ज्यादा से ज्यादा जान लेते हैं और आसानी से विजुलाइज कर लेते हैं।

🔅 व्याख्या विधि के दोष➖
व्याख्यान विधि के दोष निम्न प्रकार है।

✓ 1 बच्चों में चिंतन का विकास नहीं कर सकते है।
इसमें शिक्षक किसी भी विषय पर या किसी भी वस्तु के बारे में व्याख्या देता है जिसमें छात्रों को अवसर नहीं मिलता इसीलिए छात्रों का चिंतन विकास नहीं हो पाता है।

✓ 2 बच्चो के किसी भी आवश्यकता, क्षमता, सीमा का ध्यान नहीं रखा जाता है।

✓ 3 क्योंकि बच्चे निष्क्रिय रहते हैं तो बच्चे का ध्यान केंद्रित नहीं रहता है।
जब तक किसी भी कार्य के प्रति बम निष्क्रिय रहते हैं तो उस कार्य के प्रति अपना ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते हैं।

✓ 4 बच्चे और शिक्षक का निकटतम संबंधी नहीं बन पाता है।
शिक्षक समस्त प्रक्रिया स्वयं के द्वारा पूरी करता है जिसमें छात्रों को आने वाली परेशानी या कोई समस्या शिक्षक को नहीं बता पाते या शिक्षक के साथ अंत:क्रिया करने का मौका नहीं मिलता है जिसके फलस्वरूप शिक्षक और छात्र के बीच निकत्तम सम्बन्ध नहीं बन पाते।

✓ 5 यह विधि मनो वैज्ञानिक नहीं है।

✓ 6 गणित के लिए असंभव विधि है।

✓ 7 मंदबुद्धि बच्चे के लिए उचित नहीं है।

✓ 8 बच्चा निष्क्रिय इसीलिए इस विधि से पढ़ाने का कोई मतलब नहीं है।

✍🏻

Notes By-Vaishali Mishra

🌷 शिक्षण Teaching 🌷

शिक्षण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें बच्चा शिक्षक की मदद से अपने व्यवहार में वांछित परिवर्तन लाता है यह कक्षा के निर्देशों में उपयोग किए जाने वाले सामान्य सिद्धांत शिक्षक विधि और प्रबंधन का एक तरीका है।

👉🌺 *क्लार्क हल* :-

शिक्षण उन गतिविधियों को संदर्भित करता है जिन्हें छात्र के व्यवहार में परिवर्तन लाने हेतु डिजाइन और प्रस्तुत किया जाता है।

🌲 शिक्षण और अधिगम की पद्धतियां :-

शिक्षण और अधिगम को प्रस्तुत करने के निम्नलिखित पद्धतियां हैं जैसे :-

🌺 विषय वस्तु को प्रस्तुत करने के तरीके :-

विभिन्न प्रकार से विषय वस्तु को प्रस्तुत किया जा सकता है जैसे :-

1. भावनात्मक पद्धति :-
इसमें छात्रों को भाव से और मौखिक रूप से समझाया जाता है।इसके अंतर्गत निम्न विधियों को रखा गया है जैसे :-

🌷 व्याख्यान विधि🌷

इस विधि में शिक्षक सक्रिय होते हैं और छात्र निष्क्रिय किए होते हैं । इसमें छात्रों को लिखित या मौखिक भाषा में सूचना दी जाती है।

*Chalk & talk ( चाक और वार्ता ) :-*
इसमें हर चीज शब्दों के रूप में व्यक्त की जाती हैं , विचार का प्रभाव एक तरफा होता है , शिक्षक पहले से content विषय सामग्री तैयार रखता है और बच्चों के सामने प्रस्तुत करता है।

🌺 व्याख्यान विधि के गुण :-

👉बड़ी छात्र संख्या वाले कक्षा के लिए सुगम है।
👉शिक्षक हेतु आर्थिक और समय की दृष्टि से सुगम है।👉छात्रों को व्यक्तिगत सुविधा नहीं देनी पड़ती है।
👉शिक्षण किसी भी गति में करवाया जा सकता है। और भारी से भारी पाठ्यक्रम को पूरा किया जा सकता है क्योंकि इसमें छात्रों की गति से समायोजन नहीं करना पड़ता है।
👉यह सूचना प्रदान करने की पुरानी विधि है।
👉योजनाबद्ध तरीके से विचारों को स्वभाविक क्रम में रखा जाता है।
👉 शिक्षा को अच्छे उदाहरण देकर रोचक बनाया जा सकता है।
👉इस विधि में कम समय में ज्यादा चीजें पढ़ाई जा सकती हैं।
👉 शिक्षक का प्रभाव ज्यादा दिखता है और उनका भविष्य प्रभावी भी होता है।
👉इस विधि में सबसे अधिक फायदा प्रतिभाशाली बच्चों को होता है।

🌺 व्याख्यान विधि के दोष:-

👉बच्चों में चिंतन का विकास नहीं कर सकते हैं।
👉 बच्चों की केंद्रित किसी भी आवश्यकता, क्षमता, सीमा को ध्यान में नहीं रखा जाता है।
👉इस विधि में बच्चे निष्क्रिय रहते हैं।
👉छात्र और शिक्षकों का निकटतम संबंध नहीं बन पाता है।
👉यह मनोवैज्ञानिक विधि नहीं है।
👉मंदबुद्धि बच्चों के लिए उचित नहीं है।
👉 गणित के लिए असंभव विधि है।
👉बच्चे निष्क्रिय होते हैं इस विधि में पढ़ाई का विशेष कोई मतलब नहीं होता है।
👉बच्चों पर व्यक्तिगत ध्यान नहीं दिया जाता है।
👉कम समय में अधिक चीजों को पढ़ाने का उद्देश्य रखा जाता है।

🌺🌺✒️Notes by- जूही श्रीवास्तव✒️🌺🌺

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *